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अमृतवेला

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13.01.2015

बेहद सेवाधारी आत्मा की विश्व कल्याणकारी बाप से रूहरिहान

पहली स्मृति

आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।

मैं कौन हूँ?

मैं बेहद सेवाधारी आत्मा हूँ। मैं सारे विश्व को ज्ञान का प्रकाश व शक्तियों का बल दे रही हूँ।

मैं किसकी हूँ?

आत्मा की बाबा से रूहरिहान:

मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। यदि मैं अपने हिम्मत के पैर को बहुत ध्यान से कार्य में लगाऊंगी, तो माया की परछाई मेरे नज़दीक भी नहीं आ सकेगी। इस पुरुषार्थ से मैं ज्ञान रत्‍नों का अनुभव बहुत आसानी से कर सकूँगी व सर्व शक्तियाँ मेरे अधिकार में होंगी।

बाबा की आत्मा से रूहरिहान:

मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। तुम सदा रूहानियत की ऊँची स्थिति में स्थित रहो। बेहद के सेवाधारी बनकर विश्व की आत्माओं में सहयोग वा शुभ भावना की लहर फैलाओ। तुम ये याद रखो की तुम विश्व कल्याणकारी बाप की सन्तान हो। इसलिये तुम्हें तो दिव्य गुणों का स्वरूप बनना है। इसकी गिफ्ट सारे संसार को दो।

बाबा से प्रेरणाएं:

अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा मे लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स मे मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।

बाबा से वरदान:

सूक्ष्म वतन मे मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं

तुम एक सम्पूर्ण योगी हो, जो आपदाओं के दृश्य को भी मनोरंजन के रूप में देखते हो। तुम सदा मुस्कराकर वाह वाह के गीत गाते रहते हो। तुम ये जान गये हो की दुख के बाद सुख के दिन आने ही हैं।

बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)

बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्‍व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्‍व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।

रात्रि सोने के पहले

आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।