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अमृतवेला

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14.12.2014

वरदानों के पात्र बच्चे की वरदाता बाप से रूहरिहान

पहली स्मृति

आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।

मैं कौन हूँ?

बाबा! मैं आपकी बहुत हिम्‍मतवान् और उमंग-उत्साह से भरपूर लायक बच्ची हूँ। इस समय पर बाबा से सर्व शक्तियाँ लेने की मैं अधिकारी आत्मा हूँ। ये दिल का प्यार मुझे आपकी योग्य बच्ची बना रहा है।

मैं किसकी हूँ?

आत्मा की बाबा से रूहरिहान:

मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। बाबा! आप मेरे हैं। मैं आप की हूँ। बाबा! ये दिल का प्यार और अपनापन मुझे आप से सर्व वरदानों का भाग्य दिला रहा है। आप से मिल रहे ये वरदान मेरी सारी कमी-कमज़ोरिओं को मिटा रहे हैं। शुक्रिया बाबा शुक्रिया।

बाबा की आत्मा से रूहरिहान:

मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। बच्चे अमृतवेला का वरदानी समय बाबा ने खास अपने ब्राह्मण बच्चों के लिये ही निश्चित किया है। इस समय पर तुम जो चाहो वो बाबा से प्राप्त कर सकते हो। यही वो समय है जब बाबा तुम बच्चों की विशेषताओं और गुणों को निहारते हैं। मैं तुम्हे विशेष वरदानों से भर देता हूँ और तुम्हारी विशेषताओं, गुणों और सेवाओं को अविनाशी बना देता हूँ। मुझसे पहला पहला वरदान पाने का भाग्य भी तुम बच्चों को ही मिला हुआ है।

बाबा से प्रेरणाऐ:

अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा मे लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स मे मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।

बाबा से वरदान:

सूक्ष्म वतन मे मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं

तुम बच्चे जब एक बाप को अपना संसार बना लेते हो तो सहज ही तुम मायावी सोने की जंजीरों और व्यर्थ इच्छाओं के आकर्षण से मुक्त हो जाते हो। एक बाप ही तुम बच्चों की सर्व मनोकामनाऐं पूरी कर देते हैं। तुम बच्चे मैं पन को मेरा बाबा मे परिवर्तन कर संतुष्टमणी और सुख के मास्टर सूर्य बन जाते हो।

बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)

बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्‍व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्‍व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।

रात्रि सोने के पहले

आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।