BRAHMA KUMARIS WORLD SPIRITUAL UNIVERSITY


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अमृतवेला

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18.01.2015

एक जागृत आत्मा की भाग्यविधाता के साथ रूहरिहान

पहली स्मृति

आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।

मैं कौन हूँ?

मैं एक जागृत आत्मा हूँ। मेरे अंदर स्व को परिवर्तन करने की शक्ति है। बाबा की प्रॉपर्टी पर मेरा पूरा अधिकार है। मुझे ये स्पष्ट नज़र आ रहा है कि ब्रह्मा बाबा व शिव बाबा मेरा भाग्य बना रहे हैं।

मैं किसकी हूँ?

आत्मा की बाबा से रूहरिहान:

मीठे बाबा! गुड मॉर्निंग। मुझे अपनी गल्तियों का अहसास हो गया है। स्वचिन्तन के बजाय मैंने परचिन्तन में अपना समय बिताया। स्वपरिवर्तन के बजाय मैं दूसरों को बदलने में लगी रही। ये सोचने के बजाय कि "मैं बाबा का कार्य कर रही हूँ, इसलिये बाबा प्रत्यक्ष हो" मैंने तो ये सोच लिया कि "मैंने ये कार्य बाबा के लिये किया, इसलिये मुझे प्रत्यक्ष होना है"। मेरी इन गल्तियों के कारण मुझे पद्मगुणा के बजाय मुट्ठी भर ही मिलेगा, बाबा!

बाबा की आत्मा से रूहरिहान:

मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। अमृतवेले जब तुम भाग्य बनाने वाले बाप से मिलन मनाते हो, तब तुम्हें अपना भाग्य बनाने का वरदान मिलता हैं। लेकिन कोई तो भाग्यशाली बनते हैं, कोई सौभाग्यशाली और कोई पदमापद्‌म भाग्यशाली बन जाते हैं। बाबा ने तुम्हें दो प्रकार की चाबियाँ दी हैं। जब तुम इन दोनों चाबियों को सही दिशा में घुमाओगे, तब ही तुम्हारे भाग्य का ताला खुलेगा। पहली चाबी है – “मेरा तो एक बाबा, दूसरा ना कोई। दूसरी चाबी है – “ब्रह्मा बाबा मेरा भाग्य बना रहे हैं। इन चाबियों का प्रयोग करो और अपने भाग्य के खज़ाने को प्राप्त करो। तुम्हें एवर- हेल्दी शरीर, शांत मन, बेहद की संपत्ती, विश्‍व की बादशाही और प्रकृति का सम्पूर्ण सहयोग खज़ाने के रूप में मिल रहे हैं।

बाबा से प्रेरणाएं:

अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा मे लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स मे मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।

बाबा से वरदान:

सूक्ष्म वतन मे मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं

जैसे कोई चीज़ बनाते हैं, जब वह बनकर तैयार हो जाती है, तो किनारा छोड़ देती है। तुमने भी सर्व लगावों से किनारा कर अपना दिल उस एक सुन्दर बाप से ही लगा लिया है।। इसलिये, तुम सर्व से किनारा कर सम्पूर्ण फरिश्ते बन रहे हो।

बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)

बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्‍व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्‍व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।

रात्रि सोने के पहले

आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नही फंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।