BRAHMA KUMARIS WORLD SPIRITUAL UNIVERSITY


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अमृतवेला

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21.12.2014

ब्रह्मा माँ की नूरे रत्न बच्ची से रूहरिहान

पहली स्मृति

आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।

मैं कौन हूँ?

मैं ब्रह्मा बाबा की आँखो का नूर हूँ। मैं बाबा के जीवन की चमक हूँ। ब्रह्मा बाबा मुझे माँ जैसा स्‍नेह देते है। बाबा मुझे अपने पास आने का विशेष निमंत्रण देते हैं। सूक्ष्म वतन में अपने से मिलन मनाने के लिये बाबा मेरा आवाह्‌न करते हैं।

मैं किसकी हूँ?

आत्मा की बाबा से रूहरिहान:

मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। अमृत वेले ब्रह्मा माँ मुझे स्‍नेह से बुलाकर रूहानी शक्तियों से भरपूर करती हैं। मैं हर-एक शक्ति का आवाह्‌न कर रही हूँ। मुझे ब्रह्मा माँ द्वारा मिली हुई शक्तियों का अनुभव हो रहा है।

बाबा की आत्मा से रूहरिहान:

मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। अपनी बुद्धि को शक्तिशाली बनाने के लिये, ये रूहानी यात्रा करो (ड्रिल करो)-

एक क्षण में निराकारी वतन में पहुँच जाओ और दूसरे ही क्षण आकारी वतन में पहुँच जाओ। फिर साकारी दुनिया में वापिस आकर अपने श्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन का अनुभव करो। तीनों वतन में बार-बार आने-जाने की ड्रिल करो।

बाबा से प्रेरणाऐ:

अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।

बाबा से वरदान:

सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं

तुम एक स्वराज्य अधिकारी आत्मा हो जिसके खजाने सदा रूहानी ज्ञान, गुणों और शक्तियों से भरे रहते हैं। तुम अपनी हर स्वांस, हर संकल्प और हर कर्म द्वारा ये खज़ाने स्वभाविक रीति से लुटाते रहते हो। इस लिये तुम अखण्ड सुख-शान्ति और समृद्धि से भरा जीवन पाते हो और नये विश्व के राज्य अधिकारी बन जाते हो।

बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)

बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्‍व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्‍व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।

रात्रि सोने के पहले

आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।