BRAHMA KUMARIS WORLD SPIRITUAL UNIVERSITY


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अमृतवेला

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26.12.2014

परमात्मा के सानिध्य में एक सिकिलधि बच्ची

पहली स्मृति

आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।

मैं कौन हूँ ?

में परमात्मा की एक सिकिलधि बच्ची हूँ। मुझे अहसास है कि बाबा को मेरे लिये बहुत प्यार और दुलार है।

मैं किसकी हूँ?

आत्मा की बाबा से रूहरिहान:

मीठे बाबा गुड मॉर्निंग। बाबा! मुझे यह अहसास हुआ है कि सतयुग का राज्य अधिकार देने के लिये आप मुझे ढूंडते हुये यहाँ आये हैं। बाबा आपकी यह शुभ चाहना है कि मैं सतयुगी राज्य अधिकारी बनने के योग्य हो जांऊँ। बाबा! आप मुझसे कभी कुछ नहीं लेते बल्कि आप दाता बनके मुझे सदा भरपूर करते रहते हो।

बाबा की आत्मा से रूहरिहान:

मीठे बच्चेजागो! मेरे साथ बैठो। मैं परमधाम से आता ही हूँ तुम्हे ढूँढके पढ़ाने के लिये। मैं लंदन, अमरीका या भारत से नहीं बल्कि इस साकार वतन से परे निराकारी दुनिया से आता हूँ। जरा सोचो मैं कितने दूर देश से तुम्हे ढूँढते हुए पढ़ाने आता हूँ। क्या इससे बड़ी खुशी की कोई और बात है कि तुम्हे स्वयं भगवान पढ़ा रहें हैं? सदा इसी खुशी के नशे में समाये रहो। 

बाबा से प्रेरणाऐ:

अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।

बाबा से वरदान:

सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं

हर रोज़ सुबह अमृत वेले यह स्मृति ईमर्ज करो कि मैं आत्मा सर्व रूहानी शक्तियों से भरपूर हूँ। इस अभ्यास ने तुम्हे सदा काल का योगी बना दिया है जिसे परमपिता परमात्मा का वरदानी सहयोग भी प्राप्त है। इस परमात्म सहयोग से तुम माया पर सरल और सुन्दर रीति से निश्चित विजय पा रहे हो।

बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)

बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्‍व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्‍व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।

रात्रि सोने के पहले

आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नही फंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।