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Enchanted Murli - Hindi

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05 जून, 2015

स्मृति

मीठे बच्चे, ड्रामा का एक्टर होकर भी ड्रामा के आदि-मध्य-अंत और मुख्य एक्टरर्स आदि को नहीं जानते हैं तो उन्हें क्या कहें ! बड़े ते बड़ा कौन है उसकी बायोग्राफी तो जाननी चाहिए ना। अब सर्व का सद्गति दाता तो एक परमात्मा ही है। वह परम गुरू भी है, फिर नॉलेज भी देते हैं। तुम बच्चों को पढ़ाते भी हैं, उनका पार्ट ह वन्डरफुल है।

मीठे बाबा, इस बहुत विशाल नाटक के आप मुख्य एक्टर हैं। आप कल्याणकारी हैं और मैं जूनियर कल्याणकारी हूँ। मैं इस बात की स्मृति रखता हूँ कि आप अरबों आत्माओं के सदगति दाता हो। सारा संसार आपके निस्वार्थ मार्गदर्शन और शिक्षाओं पर आधारित है। आपका पार्ट वन्डरफुल और मेरा पार्ट भी वन्डरफुल है।

स्मृर्थी

ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य करता हूँ।

मनोवृत्ति

बाबा आत्मा से: तुम्हें स्तुति-निंदा, मान-अपमान और दु:ख-सुख को सहन करना है।

सहन करने की वृत्ति अपनाने का मेरा दृढ़ संकल्प है। मीठे बाबा मैं स्वयं को आपकी यादों से भरपूर कर लूँगा ताकि स्तुति-निंदा, मान-अपमान और दु:ख-सुख में स्थिर रह सकूँ। मुझे सहन करने की वृत्ति को अपनाना ही है ताकि मेरा मन भटके नहीं। मुझे यह अहसास हो गया है कि सब कुछ मुझे शक्तिशाली बनाने के लिए हो रहा है। मैं किसी आत को या किसी व्यक्ति को दोष नहीं देता हूँ और समभाव की वृत्ति रखता हूँ।

दृष्टि

बाबा आत्मा से: बड़ा भारी सर्जन है। वह तुम्हें ज्ञान इन्जेक्शन देते हैं। इसको ज्ञान-सुरमा भी कहते हैं। इस ज्ञान को ज्ञारन का काजल भी कहते हैं।

आज, ज्ञान का काजल लगाए रखने का मेरा दृढ़ संकल्प है। इससे मेरी दृष्टि परिभाषित होती है और सुंदर बनती है। बाबा के साथ मैं, ज्ञान के काजल से, अपने तीसरे नेत्र की रूपरेखा तैयार करता हूँ और अपनी दृष्टि को आध्यात्मिक सुन्दर और अलौकिक बनाता हूँ। इससे संसार को और आत्माओं को देखने का मेरा नज़रिया सुधरता है और परिवर्तन होता है।

लहर उत्पन्न करना

मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।