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Enchanted Murli - Hindi

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07 जून, 2015

स्मृति

मीठे बच्चे, हरेक के पास स्वदर्शन चक्र देखा। स्वदर्शन चक्रधारी भी सब थे लेकिन कोई का चक्र स्वत: ही चल रहा था और कोई को चलाना पड़ता था और कोई फिर कभी-कभी राईट तरफ चलाने की बजाए राँग तरफ चला लेते थे। जिससे ‘क्यों’ और ‘क्या’ के क्वेशचन की जाल बन जाती, जो स्वयं ही रचते और फिर स्वयं ही फँस जाते।

मीठे बाबा, पूरे दिन मैं इस स्मृत्ति की पूष्टि करता रहूँगा कि मैं मास्टर नॉलेजफुल हूँ। मैं सहजता से निरंतर स्वदर्शन चक्र फिराता रहूँगा। मैं दूसरों को देखने और ‘क्यों’ और ‘क्या’ के सवालों के जाल से पूर्णतया स्वतंत्र हो जाऊँगा। जब मैं अपनी सम्पूर्ण यात्रा को अपनी स्मृति में रखता हूँ तो मैं जीवनमुक्ति को पाता हूँ और आपके साथ पूरे विश्व का भ्र्मण करता हूँ और मेरी सेवाओं से सारे विश्व का कल्याण हो रहा है।

स्मृर्थी

ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य करता हूँ।

मनो-वृत्ति

बाबा आत्मा से: बाप की सब बच्चों को सदाकाल के लिए ऑफर है कि सब बच्चे सदा तख्तनशीन रहो। लेकिन आटोमेटिक कर्म की गति के चक्र प्रमाण सदाकाल वही बैठ सकता है जो सदा फालो फादर करने वाले हैं।

मीठे बाबा, मैं अपनी वृत्ति ऐसी बना लेता हूँ कि मुझमें अहंकार बिल्कुल भी ना रहे। मैं ऐसी वृत्ति बना लेता हूँ कि मैं बाबा केवल आपको ही देखूँ और आपके आपके ही पदचिन्हों पर ही चलूँ। मीठे बाबा, मेरी सिर्फ आपके दिलतख्त पर ही बैठने की चाहना है। इसके लिए मुझे संकल्पों, शब्दों और कर्मों में सिर्फ आपको फॉलो करने की वृत्ति अपनानी होगी।

दृष्टि

बाबा आत्मा से: हरेक बच्चा अति सुन्दर छत्रछाया के नीचे बैठा हुआ है। ऐसी छत्रछाया के अंदर विश्व-कल्याण की सेवा के ज़िम्मेवारी के ताजधारी बैठे हुऐ थे। डबल ताज बहुत सुन्दर सज रहा था। एक सम्पूर्ण प्युरिटी के हिसाब से लाइट का क्राउन, दूसरा सेवा का ताज।

आज मैं अपनी दृष्टि में सुंदर सजी हुई छत्रछाया को अपने सिर पर देखूँगा। मैं समझता हूँ कि इसको निरंतर अपनी दृष्टि में रखने के लिए मुझे अपनी पवित्रता और सेवा से विश्व कल्याण करने की दोहरी जिम्मेवारी उठानी होगी। मैं स्वयं को छत्रछाया के नीचे डबल ताज पहने बैठे हुए देखता हूँ।

लहर उत्पन्न करना

मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।