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Enchanted Murli - Hindi

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13 मई, 2015

स्मृति

मीठे बच्चे: अब तुम जानते हो कि बाप ज्ञान का सागर है और सुख का सागर है। उसने पहले भी यह ज्ञान दिया था। इसलिए ही उनको याद करते हैं।

मीठे बाबा, सारा दिन मैं इस बात का अभ्यास करूंगा: मैं एक आत्मा हूँ। मैं बाप से सुन रही हूँ। मैं आत्मा उनका ज्ञान धारण कर रही हूँ। मैं एक अविनाशी आत्मा हूँ।

स्मृर्थी

ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य करता हूँ।

मनो-वृत्ति

बाबा आत्मा से: आत्म-अभिमानी बनने का ही मुख्य पुरूषार्थ है। तुम्हे सतोप्रधान बनने का फुरना लगा रहना चाहिए। तुम्हारे मुख से पत्थर कभी नही निकलें। अगर तुमसे कुछ भूल हो जाए तो तुरंत बाबा को बता दो: बाबा मुझसे यह ग़लती हुई है। कृप्या मुझे माफ़ कर दो। अपनी भूल कभी नहीं छिपाओ।

नम्रचित बनने का मेरा दृढ़ संकल्प है जिससे मुझे जो पुरूषार्थ मैं कर रहा हूँ उसमें सचेत रहने में मदद मिलती है। नम्रचित वृत्ति रखने से, पावन बनने की मेरी जिम्मेवारी के प्रति मैं संवेदनशील बन जाता हूँ। मैं लापरवाही छोड़ दूँगा और लगातार स्वयं को सुधारने में व्यस्त रहूँगा।

दृष्टि

बाबा आत्मा से: जब आप बाप की याद में रहते हो तो कभी भी कुछ गलत नहीं कहोगे। गलत दृष्टि भी नहीं होगी। सब कुछ देखते हुए भी ऐसा लगेगा जैसे आपने कुछ नहीं देखा। आपका ज्ञान का तीसरा नेत्र अब खुल गया है।

बुरा न देखो का मेरा दृढ़ संकल्प है और इसके बजाय यह अनुभव करना है कि बाबा मुझे वह बनाते हैं जो अपने ज्ञान के तीसरे नेत्र से तीनों कालों को देख सकता है।

लहर उत्पन्न करना

मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।