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Enchanted Murli - Hindi

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14 जून, 2015

स्मृति

मीठे बच्चे, जो चाहे, जितने दिनों के लिए चाहे, चाहे अष्ट रत्नों में, चाहे 108 की माला में, बाप दादा की खुली ऑफर है। मालिक बनो और अधिकार लो। कोई भी खज़ाने पर ताला-चाबी नहीं है। मेहनत की चाबी नहीं है। सिर्फ एक संकल्प करो कि जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ। माया की बाज़ी को पार कर साथ में आकर बैठ जाओ।

मीठे बाबा, सारा दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करती रहूँगा कि ‘मैं जो हूँ, जैसा हूँ, आपका हूँ’।अगर कोई नकारात्मक बात आती है तो मैं आपके साथ प्रकाश की दुनिया में बैठना याद रखूँगा।

स्मृर्थी

ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य करता हूँ।

मनो-वृत्ति

बाबा आत्मा से: वर्तमान प्राप्ति की लिस्ट सदा सामने रखो, ‘तो कब होगा’ यह खत्म होकर हो रहा है, में आ जायेंगे। दिल-शिक्शत होने के बजाए दिल खुश हो जाऐंगे।

इस ईश्वरीय जीवन में अपनी प्राप्तियों को सामने रख कर, खुशी की वृत्ति अपनाने का मेरा दृढ़ संकल्प है। खुशी की वृत्ति तब आती है जब मैं भविष्य की चिन्ताओं से मुक्त हो कर वर्तमान के वरदानों में जीना प्रारम्भ कर देता हूँ।

दृष्टि

बाबा आत्मा से: अखण्ड ज्योति जगाने का फैशन पड़ा कहाँ से ? संगम पर तुम सब चैतन्य में जागती ज्योति बने हो तभी यह यादगार चला आता है। तो चैतन्य में आप सब क्या हैं ? अखण्ड ज्योति।

आज मेरी दृष्टि में, मैं स्वयं को और दूसरों को जागती ज्योत के रूप में देखूँगा। जब भी हम चलते हैं, हम अंधकार को मिटा कर प्रकाश फैलाते हैं।

लहर उत्पन्न करना

मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।