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Enchanted Murli - Hindi

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21 जून, 2015

स्मृति

मीठे बच्चे, कार्य करते हुए, जिसने कार्य दिया है, उसको कभी भूला नहीं जाता। चाहे स्थूल कर्तव्य भी करते हो लेकिन यह कर्मणा सेवा भी खुदाई खिदमत है। डायरेक्ट बाप ने डायरेक्शन दिया है तो कर्मणा सेवा में भी यह स्मृति रहे कि बाप के डायरेक्शन अनुसार कर रहे हैं तो कभी भी बाप को भूल नहीं सकेंगे।

सारा दिन मैं निरंतर स्वयं को खुदाई खिदमतगार समझूँगा। जो भी कर्म मैं करूँगा मैं यह याद रखूँगा कि ऊंच ते ऊंच बाप ने यह कार्य मुझे दिया है। आपका मददगार होने की स्मृति रखने से आपको निरंतर याद करने में मदद मिलती है।

स्मृर्थी

ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य करता हूँ।

मनोवृत्ति

बाबा आत्मा से: इन चैतन्य पत्तों को इस समय डायरेक्ट बाप चला रहे हैं। बाप का डायरेक्शन है कि संकल्प भी जो बाप का हो, वही आपका हो। इतने हल्के जो हर संकल्प भी बाप चलायेंगे तो चलाना है। जैसे चलायेंगे वैसे चलेंगे।

परमात्म हाथों में नर्म पत्ते के रूप में, उपस्थित रहने की वृत्ति अपनाने का मेरा दृढ़ संकल्प है। इस वृत्ति से मेरे विचार बाबा के जैसे हो जाते हैं। इस वृत्ति को अपनाने से बाबा मेरे सारे बोझ हर लेते हैं। मैं हल्का बन बाबा से शक्तियाँ लेता हूँ। मीठे बाबा आप जैसे मुझे चलाऐंगे मैं वैसे ही चलूँगा।

दृष्टि

बाबा आत्मा से: तो बुद्धि का भोजन है- शुद्ध संकल्प। जो खिलायें वही खायेंगे- यह वायदा है तो फिर व्यर्थ संकल्प का भोजन क्यों करते हो ? जैसे मुख द्वारा तमोगुणी भोजन, अशुद्ध भोजन नहीं खा सकते हो, ऐसे ही बुद्धि द्वारा व्यर्थ संकल्प वा विकल्प का अशुद्ध भोजन कैसे खा सकते हो? तो मन बुद्धि के लिए सदा यह भी वायदा याद रखो तो सहज योगी बन जायेंगे।

मैं अपनी दृष्टि, मन और बुद्धि को शुद्ध करता हूँ, मैं अपने आस-पास से केवल शुद्ध वस्तुओं को ही स्वीकार करता हूँ। जो कुछ भी मैं देखता हूँ उसको कुछ आध्यात्मिक और कल्याणकारी के रूप में परिवर्तन कर देता हूँ। इस विधि से मैं सहज और निरंतर योगी बन जाता हूँ।

लहर उत्पन्न करना

मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।