Home

Enchanted Murli - Hindi

Contact Us


 

29 मई, 2015

स्मृति

मीठे बच्चे, अब पहले तो अपने को देही समझना है। अब तुम बच्चों की बुद्धी में है कि- हम पहले आत्मा हैं, पीछे शरीर हैं। परन्तु ड्रामा प्लैन अनुसार मनुष्य सब रांग हो गए हैं इसलिए उल्टा समझ लिया है कि पहले हम देह हैं फिर देही हैं। बाबा कहते हैं यह तो विनाशी है। इसको तुम लेते हो और छोड़ते हो। संस्कार आत्मा में रहते हैं। यह समझने की बहुत सूक्ष्म बात है। आत्माऐं बहुत सूक्ष्म और अविनाशी हैं। ना ही आत्मा को और ना ही इसके पार्ट को विनाश किया जा सकता है।

मीठे बाबा, सारा दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता रहूँगा कि मैं अशरीरी हूँ। मैं आत्मा हूँ और यह मेरा शरीर है। मैं एक शरीर नहीं हूँ जिसकी एक आत्मा है। मेरे भीतर अविनाशी पार्ट नूँधा हुआ है। ना मुझ आत्मा को और ना ही मेरे पार्ट का विनाश हो सकता है।

स्मृर्थी

ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य करता हूँ।

मनोवृत्ति

बाबा आत्मा से :संकल्प को भी चेक कर व्यर्थ के खाते को समाप्त करने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव
संसार की स्टेज पर पार्ट बजाते हुए शक्तिशाली वृत्ति अपनाने का मेरा दृढ़ संकल्प है। सारा संसार मुझे देख रहा है और मेरा अनुकरण कर रहा है। इसलिए मुझे एक संकल्प भी व्यर्थ नहीं गंवाना है। अगर मैं एक संकल्प भी व्यर्थ करता हूँ तो यह मैंने अपने लिए व्यर्थ नहीं किया लेकिन निमित्त् होने के नाते दूसरों के लिए व्यर्थ गंवाया। इसलिए संसार की स्टेज पर पार्ट बजाते हुए शक्तिशाली वृत्ति अपनाता हूँ। इसलिए अब व्यर्थ के खाते को समाप्त कर श्रेष्ठ सेवाधारी बनता हूँ।

दृष्टि

बाबा आत्मा से: बाप आते हैं गंद से निकालने। मनुष्य दलदल में फंसे हुए हैं फिर उनको निकालना ही मुश्किल हो जाता है। निकाल कर आधा पौना तक ले जाओ फिर भी हाथ छुड़ाए गिर पड़ते हैं। ड्रामानुसार यह उनकी गलति नहीं है। माया बुद्धि को बिल्कुल खराब बना देती है।

आज मैं सबको बहुत पवित्र दृष्टि से देखता हूँ बेशक बाहर से वह बहुत तमोप्रधान दिखाई दे रही हो लेकिन मैं उनकी मदद करूँगा। उनको उनके श्रेष्ठ स्वरूप में देखकर मैं उनको फिर से असली स्वरूप तक पहुंचने में मदद करता हूँ। अगर हम उनको उनके गलत स्वरूप में देखते हैं तो उस गलति को बल मिलता है।

लहर उत्पन्न करना

मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।