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Diamond Dadi

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01-June-2015

विनम्रता और सम्मान

कुछ वर्ष पहले, उच्च स्तर के धार्मिक और आध्यात्मिक नेता ग्लोबल रिट्रीट सेन्टर में एकत्रित हुए। विभिन्न धर्मों से करीब 35 लोगों ने उसमें भाग लिया। विषय था ‘आन्तिरक आवाज़’ और हमने शान्ति की शक्ति के बहुत प्रयोग किये। दादी दूसरे दिन आई और सबसे मिली। उसके तुरन्त बाद मैं उनके कमरे में उनके साथ अकेली थी और मैंने उनसे पूछा, ‘दादी आप इस सभा के बारे में क्या सोचती हैं?’ वह बहुत विचारमग्न दिखाई दी और बोली, ‘इस सभा से बहुत कुछ सीखा जा सकता है’। जो परमात्मा को प्रेम और आदर करते हैं उनके लिए दादी की विनम्रता और सच्चा सम्मान देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। दादी को उन आत्माओं की सत्यता का आभास हो गया था। दादी की पहली जेरूसलम यात्रा पर भी उनके साथ जाने का सौभाग्य मुझे मिला। हम उन्हें वैर्स्टन् वॉल पर ले कर गए। जैसे ही दादी ने देखा कि कुछ कट्टरपंथी महिलाऐं दीवार की तरफ पीठ नहीं कर रहीं और ऐसे ही दीवार से पीछे जाती जा रहीं हैं तो दादी ने भी ऐसा ही करना आरम्भ् कर दिया। फिर से उनकी विनम्रता और सम्मान को देखकर बहुत अच्छा लगा। मुझे अहसास हुआ कि कैसे बाबा ने पूरे कल्प वृक्ष की सेवा करने के निमित्त् दादी को बनाया है।

ज्ञान के मोती

मुझे अपने शब्दों में विनम्रता व मीठास और कर्मों में सच्चाई और धैर्यता लाने की आवश्यकता है। मुझे इस बात पर ध्यान देना है कि मन में कोई अनावश्यक विचार ना उठें। मुझे इसमें अपनी ऊर्जा को व्यर्थ नहीं करना है। ऐसा करने पर भीतर जो ऊर्जा एकत्रित होगी उससे मैं हर कार्य प्रेमपूर्वक कर सकती हूँ। मुझे बाबा के समान ही विचार उत्पन्न करने हैं। मैं ब्रहमा बाबा को किसी की शिकायत से भरा पत्र पढ़ता हुआ देखती थी तो उनका चेहरा बिल्कुल नहीं बदलता था। मुझे विचार करना है कि मेरा यादगार कैसा होगा। अगर मैं विप्ल्व ही पैदा करती रहूँगी तो मेरा यादगार कैसा रहेगा ? हमने परमात्मा के अंत को तो पा लिया है परन्तु मनुष्य के अंत को पाना कठिन है क्योंकि उनमें सब प्रकार की बातें हैं। दूसरों के बारे में विचार करने से आप नष्ट हो जाते हैं। मेरा कर्तव्य है कि मैं अच्छा वातावरण बनाऊं। दूसरों के विस्तार में नहीं जाना है। पूर्व और पश्चिम को मिलाने के लिए बहुत योग की आवश्यकता है। यह करने से लोगों को महसूस होगा कि यही सच्चा सतयुग है। तुम्हें ‘मैं’ और ‘मेरेपन’ को त्यागना होगा। मुझे बाबा के और यज्ञ के इतने समीप आना है कि मैं औरों को भी समीप ला सकूँ। औरों के उत्थान के लिए मुझे उनको अपना संग देना होगा।

अगर स्वमान नहीं है तो आप स्वयं को और दूसरों को प्रेम नहीं कर सकते। सम्मान मांगो नहीं लेकिन सम्मान के लायक बनो। दूसरों की शुभ-भावना प्राप्त करने पर आपको ध्यान देना है। एकाग्रता की शक्ति से आप समझदार और ज्ञानपूर्ण बन सकते हो। जो ध्यान देते हैं उन्हें हर परिस्थिति में शांत रहने की शक्ति मिल जाती है। शांति की अवस्था में आप समझदारी से हर कार्य कर सकते हैं। समझ से आप सहजता से ज्ञानवान, शांत और प्रेमपूर्ण बन सकते हैं।

दृष्टि प्वॉईंट

मैं समझती हूँ कि सभी आत्माओं का कल्प वृक्ष में विशेष स्थान है। मैं आज यह याद करूंगी कि जिस भी आत्मा को मैं मिलती हूँ वह परमात्मा की संतान है और हरेक में परमात्मा के लिए प्रेम है। मैं प्रत्येक को अपनी दृष्टि में इस प्रकार रखती हूँ कि मैं प्रत्येक का आदर कर सकती हूँ और प्रत्येक को प्रकाश और शुभ-भावनाऐं भेजती हूँ।

कर्म-योग का अभ्यास

कोई भी कार्य करते समय मैं एक बाबा से जुड़े रहकर कल्प वृक्ष की सर्व आत्माओं को शक्ति देना याद रखती हूँ। सभी पारस्परिक क्रियाओं में मैं बाबा से जुड़ी रहती हूँ ताकि मैं अत्यन्त आध्यात्मिक आदर के साथ उनके साथ बर्ताव कर सकूँ।