Home

Diamond Dadi

Contact Us



04-May-2015

प्रेम से भोजन पकाना

लंदन के शुरूआती दिनों में दादी जानकी ही भोजन पकाती थी- वह बहुत अच्छा भोजन बनाती है! वह भोजन में बहुत योग शक्ति डालती है जिससे आत्मा को और शरीर दोनों को ही पालना मिलती है। एक बार मैंने उन्हें दाल बनाते हुए देखा। वह उबलती दाल में मक्ख्न की टीकीया डाल रही थी । मैंने देखा कि वह चम्म्च से मक्ख्न डाल रही थी और सब कुछ बहुत धीमी गति से हो रहा था और मुझे महसूस हो रहा था कि प्रेम और शक्ति भी साथ साथ डाली जा रही थी।

प्रत्येक रविवार हम दादी के साथ मधुबन के अंदाज़ में फर्श पर बैठकर ब्रहमा भोजन करते थे। उस भोजन से हमारी अगले रविवार तक पालना होती रहती थी!

ज्ञान के मोती

याद रखें- जो भी भोजन हम खाते हैं उसका हमारे मन पर प्रभाव पड़ता है। जब भी आप भोजन पकाऐं तो अपने संकल्पों पर विशेष ध्यान दें! जो भोजन हम बना रहें हैं वह यज्ञ का भोजन है इस लिए इसे बर्बाद नहीं करें! भोजन हमारे तन और मन को तंदुरूस्त रखने में सहायता करता है । मुख्य बात है कि मुझे अपने विचारों को उत्कृष्ट रखना होगा। आपके उत्त्म विचारों के कारण ही लोग आपको परमात्मा की संतान के रूप में पहचानेंगे। जिसके विचार उँचे हैं वह चाहे कहीं भी उपस्थित है वह परमात्म संतान के रूप में ही पहचाना जाऐगा।

आत्मा शरीर में बैठी है और हमें पोषण देने के लिए हम दिन में तीन बार भोजन करते हैं। उस तीन बार भोजन से हमें बहुत ऊर्जा और शक्ति मिलती है। अच्छी प्रकार से भोजन करने से तन और मन दोनों को शक्ति मिलती है। इसी प्रकार हमें शक्तिशाली याद का पोष्क भोजन भी दिन में तीन बार खाना है। याद रूपी भोजन से शक्ति मिलती है। यह बहुत साधारण बात है और समझने में भी सहज है। लौकिक संसार में अगर किसी परिवार में भोजन प्रेमपूर्वक पकाया जाता है तो उस भोजन से परिवार की भौतिक पालना तो होती ही है साथ में आपसी प्रेम भी बढ़ता है। अगर किसी घर में भोजन प्रेम से नहीं पकाया जाता तो अक्सर वहां झगडे़ होते हैं। अब सम्पूर्ण ब्रहाम्ण बनने का अभ्यास करें- जो सहजता से फरिश्ता और फिर देवता बन सके!

बाबा ने हमें नियम बता दिऐ हैं; पवित्र भोजन करो और उत्कृष्ट विचार रखो। किसी भी वस्तु के और व्यक्ति के प्रभाव में नहीं आऐं। अच्छा संग रखें। यह बहुत महत्वपूर्ण है। मीठे शब्द दुसरों के हृदय तक पहुँचते हैं इसलिए मीठा और प्रेम से बोलने पर ध्यान दें। जब भोजन पका रहें हैं तो शुद्ध विचार रखें। भोजन का मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह एक महत्वपूर्ण सेवा है। केवल बाबा की याद में भोजन पकाऐं, परोसें और खाऐं ।

दृष्टि प्वॉईंट

मैं संसार में सभी को अपना अपना पार्ट बजाते धैर्यवान की निगाहों से देखती हूँ।

कर्म-योग का अभ्यास

प्रतिदिन जब आप अपना भोजन बनाऐं तो प्रक्रिया के प्रत्येक कदम पर सचेत रहने पर विशेष ध्यान दें। याद रहे कि विचार शक्ति से भोजन में अतिरिक्त प्रेम का संचार हो सकता है।