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Diamond Dadi

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08-June-2015

इकॉनोमी

80 के दशक में एक बार की बात है कि 18 जनवरी आने वाला था । उन दिनों दादी पूरा समय लंदन में रहती थी । मैं 18 जनवरी के कार्यक्रम का प्रबंध कर रही थी और जो आत्मा मुझे मदद कर रही थी उसको उस दिन के लिए मखमली गुलाबी पर्दे निकालकर सफ़ेद लिनेन के पर्दे बदलने का संकल्प आया ।

जब मैं दादी को कार्यक्रम की रूपरेखा बता रही थी तो मैंने यह भी बताया कि उस दिन खास पावन अहसास के लिए हम सफ़ेद रंग के पर्दे लगाऐंगे । उन्होंने मुझसे पूछा कि कितना खर्चा होगा । मैंने बताया 800 पाउंड । उन दिनों यह बहुत बड़ी रकम थी ।

दादी ने एकदम कहा… नहीं ! इतना धन एक दिन के लिए प्रयोग करना न्यायसंगत नहीं है ! उन्होंने कहा कि लोग अपने धन को लेकर हम पर विश्वास करते हैं हम इसे व्यर्थ नहीं कर सकते । मैंने दादी के साथ थोड़ी बहस की और कहा कि वह आत्मा अपनी जेब से खर्च करने के लिए तैयार है और मैंने उसे खर्चा करने के लिए नहीं कहा उसको स्वयं ही प्रेरणा आई है । लेकिन दादी नहीं मानी । उस दिन दादी ने मुझे धन का आदर करना सिखाया, और सादगी भी सिखाई कि हमें बारबार कुछ बदलने की आवश्यकता नहीं है ।

ज्ञान के मोती

हमें सबकुछ इकॉनोमी से करना चाहिए । हमें इकॉनोमी और एकनामी (बस एक का ही नाम) के महत्व को समझना चाहिए । मुझे चीज़ों की चाहना नहीं रखनी चाहिए । इच्छाऐं रखने से हम विघ्न विनाशक नहीं बन सकते । इसके लिए बहुत त्याग की आवश्यकता है । चीज़ों से जुड़े हुए मत रहिए उनसे प्रभाव से उपर रहिए । फिर आप देखेंगे कि बाबा कैसे जादू करता है । बाबा फिर दूसरे लोगों को आपके काम करने के लिए प्रयोग करता है । जब एक बार किसी वस्तु का त्याग कर दिया तो बुद्धी उस ओर दोबारा नहीं जानी चाहिए । यह आपका भाग्य है । पहले वस्तुओं से अनास्क्ति चाहिए फिर उनका त्याग करना है उसके बाद आप सच्चे सन्यासी बन सकते हैं । हम जानते हैं कि यह संसार खत्म हुआ की हुआ इसलिए त्याग वृत्ति रखें । अगर आपका संकल्प है ‘यह वस्तु अच्छी है मुझे यह चाहिए’ तो आप फेल हो जाते हो । जो भी आवश्यक है वह स्वयं मेरे पास आऐगा । नष्टोमोहा होना क्या है और इच्छा मुक्त स्थिति क्या है वह जानना आवयश्क है । तब आप सम्पूर्ण पास होंगे । मुझे सिर्फ शांति की शक्ति, गहरी शांति और सच्ची शांति की आवश्यकता है । मुझे व्यक्तिगत शांति की शक्ति की ज़रूरत है । आप अपनी शांति की शक्ति से लोगों को सहयोग, संगति, सहारा और समझ दे सकते हैं । जो आप शब्दों से नहीं कर सकते वह आप शांति की शक्ति से कर सकते हो । एक बार आप शांति की शक्ति को समझ गए तो आप कभी भी किसी बात के गुलाम नहीं रहेंगे ।

हमारी इकॉनोमी और एकनामी से हम अपना राज्य पाते हैं । बाबा ने हमे बुद्धिमान बनाया है । जिनको इकॉनोमी बरकरार रखनी आती है उन्हें मालूम है कि बुद्धी का योग एक के साथ कैसे रखें । जो इकॉनोमी नहीं रखते वह स्वयं की तुलना दूसरों के साथ करते रहते हैं जैसे, “इसके जूते अधिक अच्छे हैं…” ।

दृष्टि प्वाईंट

जब मैं दूसरों को देखती हूँ तो उनकी आत्मा के शांति और सुन्दरता के गुणों को ही देखती हूँ । पिछली पारस्परिक क्रियाओं और हमारे इतिहास के व्यर्थ विचारों को मैं छोड़ देती हूँ । इस आध्यात्मिक इकॉनोमी से मेरी प्रेम करने की क्षमता बढ़ जाती है ।

कर्म-योग की सेवा

जब मैं संसार में बाहर जाती हूँ तो मैं चेतना की सच्ची इकॉनोमी का अभ्यास करती हूँ । मैं साक्षी होकर अपना अवलोकन करती हूँ और अनावश्यक विचारों और कर्मों को जाने देती हूँ । ऐसा करने से मैं सादगी की मीठी शांति का अनुभव करती हूँ ।