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Diamond Dadi

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09-Mar-2015

हिम्मत रखो तो बाबा और दादी मदद करतें हैं

१९९० दशक की शुरुवात में मायामी (Miami) का अध्यात्मिक परिवार "ग्लोबल कोपरेशन फॉर ए बेटर वर्ल्ड" (Global Cooperation for a Better World) को मना रहा था। हमारा एक प्रोग्राम "फिलिप माइकिल थॉमस थियेटर" (Philip Michael Thomas Theater) में था जिसमें ४०० लोग बैठ सकतें हैं। मुझसे एक पाँच-मिनिट की कॉमेंटरी करने को कहा गया। ज्ञान में नयी होने के कारण और पहले कभी कॉमेंटरी करने का अनुभव नहीं होने के कारण (यहाँ तक की चार लोगों के सामनें भी नहीं), मैने प्रत्येक बहानो का (जो भी पुस्तक में थे) इस्तिमाल किया, यह सिद्ध करने के लिये कि इस कार्य को करने के लिये कोई दूसरा ज्यादा योग्य क्यों होगा।
लेकिन सिस्टर वॉडी (Sr. Waddy) ने मेरा कोई भी बहाना चलने नहीं दिया। यह काम अब मेरी झोली में था। मेरी घबराहट को और बढ़ाने के लिये दादी जानकी भी दर्शकों में आने वाली थीं। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक नौसिखिया और वो भी दादी जानकी के सामने मेडिटेशन कॉमेंटरी कराये?
किसी तरह हम उस परिस्थिति को पार कर गये। यकीनन वो "हम" ही थे - मैं और बाबा। लोगो ने कॉमेंटरी बहुत अच्छी तरह से स्वीकार करी। बहुत सालों बाद तक भी जब सिस्टर वॉडी (Sr. Waddy) मेरा दादी से परिचय करवाती तो ये कहतीं कि "यह वही सिस्टर है जिसने मायामी (Miami) में कॉमेंटरी करी थी, जो आपको बहुत पसंद आई थी।"
आज तक मैं इस घटना को एक संदर्भ बिन्दु के रूप में इस्तिमाल करती हूँ कि जब हमारे अंदर हिम्मत होती हैं तो बाबा और दादी मदद करतें हैं।
ज्ञान के मोती:
“जैसे हम हमेशा बाबा के बच्चें हैं और उनके साथी भी हैं तो बाबा की याद सदा अपने साथ रखो और हमेशा सब कुछ बाबा के साथ ही करो। कभी भी आकेले नहीं रहना वरना माया अचानक तुम्हारा घिराव कर लेगी। जब भी तुम्हे ज़रूरत लगे, बाबा को बुलाओ "मेरे साथी कृपया आईये" और बाबा का अपने आप को यहाँ उपस्थित करने का वादा है। तुम्हारा हिम्मत का एक कदम तुम्हे पद्मा पदम गुणा बाबा की सहायता दिलायेगा।“
"व्यर्थ, भय और अभिलाषा हमें दुख पहुँचाती है। हमें चाहिये कि हम निष्ठा, विश्वास और सच्चाई के आधार पर साहस रखें। बाबा तुम्हारे जीवन में तुमसे जो कुछ भी कराना चाहते हैं उसे समाहित कर लो और वो तुम्हारे अंदर अपने आप काम करना शुरू कर देगा। हमें सच्चा सोना बनने के लिये अपने को साँचे मैं डालना होगा।"
“हिम्मत और विश्वास मुझे आगे बढ़ने के योग्य बनातें हैं। रास्ता सॉफ हुआ फिर दूसरे उस रास्ते पर अनुगमन कर सकतें हैं। फिकर करने की बजाये अच्छे कर्म करो फिर गलत कर्म करने के लिये समय ही नहीं रह जायेगा। अच्छे कर्मों में से फरिश्तों की सुगंध आती है। मैं कौन हूँ और मैं किसकी हूँ? मैं एक आत्मा हूँ और मेरा पिता परम आत्मा है। यह ज्ञान होने से तुम्हे खुशी, हल्केपन और अच्छे कर्म करने के लिये शक्ति का अनुभव होगा।“
दृष्टि पॉइंट:
मैं अपने दिल को सर्व शक्तियों और उसके बल के स्रोत के साथ जोड़े रखतीं हूँ और आज मैं जिस किसी आत्मा से भी मिलतीं हूँ उस आत्मा पर इस शक्ति को बरसाती रहती हूँ।
कर्म योग का अभ्यास:

मैं आत्मा, परमात्मा की शक्ति से संपन्न हूँ। मैं इस विश्व पर सहजता और गहन शांती से चलती हूँ क्योंकि मेरे पास ऐसा कुछ भी नहीं जो यह दुनिया छीन सके। मैं सुरक्षित हूँ। सबको मुझसे प्रेम है। मैं मुक्त हूँ।