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Diamond Dadi

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16-Mar-2015

दादी बहुत मज़ाकिया है

बात उस समय की है जब मै ज्ञान में बहुत नई थी और हम अभी तक 98, टैनिसन रोड पर ही थे। बी. के. की अभी शुरूआत हुई थी और मैं अकेली अंग्रे॰ज थी जो सेन्टर पर जाती थी। एक दिन बहनें एक सोफ़ा लेकर आई और दादी उसके लिए कवर लाना चाहती थी। दादी ने मुझे कवर लाने के लिए कीलबर्न हाई रोड पर स्थित एक दुकान में साथ आने के लिए निमंत्रण दिया। जैसे ही हमनें दुकान में प्रवेश किया तो भारतीय दुकान मालिक ने बड़े आश्चर्य से दादी को देखा और कहा, "आपके बेटे ने एक अंग्रेज़ लड़की से शादी की है !" दादी खिलखिला कर हंस पड़ी और मज़किया अंदाज़ में बोली, "हाँ, मेरे बेटे शिवबाबा ने एक अंग्रेज़ लड़की से शादी की है।" उसके बाद दादी उसकी ओर अपनी अंगुली हिलाने लगी। दादी इस बात को याद कर बाद में भी बहुत बार हँसती रही। यह रिश्ता उसके लिए नया था। अब शिवबाबा उसका बेटा बन गया था जिसकी शादी एक गोरी लड़की से हुई थी।

ज्ञान के मोती

इस तरह के अच्छे अनुभवों को हमें अपने सेवा स्थान और सम्बन्धों में भी करते रहना चाहिए। अगर मैं स्वयं ऐसे अनुभवों को बढ़ाने पर ध्यान दूँ तो मुझे अहसास होगा कि मैंने कितनी प्राप्ति की है। हल्कापन बहुत महत्वपूर्ण गुण हैः बाबा और मैं दोनो साथ साथ सब कुछ कर रहे हैं। शांति में सबकुछ स्पष्ट और सहज हो जाता है। जब सब स्पष्ट है तो भारीपन नहीं है। भारीपन के संस्कार को इसकी जड़ से समाप्त कर दें। हल्केपन को अनुभव करना बहुत आवश्यक है और इसके बाद सब कुछ आसान लगता है और स्वाभाविक रूप से होने लगता है। भारीपन को अपने शब्दों और चेहरे से मिटा दें। आपके दिल से आवाज़ निकलेगी , "हाँ यह सम्भव है।" अगर हमें शांत रहने का अभ्यास है तो सब कुछ सहजतापूर्वक हो जाता है। शांति को हमें भीतर तक गहराई से अनुभव करना चाहिए तभी हम इसे व्यक्त कर पाऐंगे और दुसरे भी अनुभव कर सकेंगे। इससे आपको सब सहज अनुभव होगा और आपके चेहरे पर कोई भारीपन नहीं होगा।

याद रखें भगवान मेरे दिल को जानते हैं और उन्होने मेरे हाथों में मेरा भाग्य दिया हुआ है। मुझे केवल परमात्मा को अपने ह्दय में बसाने पर ही ध्यान देना है। अगर परमात्मा के अलावा कुछ भी हम अपने ह्दय में रखते हैं तो हमें भारीपन महसूस होगा और हम हल्केपन की खुशी में नाच नहीं सकेगें। वास्तव में मेंरे हाथ नाममात्र ही मेरे हैं; बाबा ही मेरे द्वारा सब करा रहे हैं। मुझे हर कार्य इसी भाव से करना चाहिए कि बाबा हर कार्य में मेरी मदद कर रहे हैं।

कुछ लोगों में शीघ्र ही मोह में आने की कमज़ोरी होती है वह भी ठीक नही है। उसी तरह अधिक दूरी बनाए रखना भी ठीक नहीं है। हमें लोगों के साथ मिलना-जुलना है लेकिन लगाव में नहीं आना है। हमें मज़ाकिया बनना है लेकिन साथ ही आध्यात्मिक और गम्भीर भी। अगर मेरे सभी सम्बन्ध बाबा के साथ है तो दुसरों को मेरे द्वारा परमात्म मदद का अनुभव होगा।

दृष्टि पॉइंट

नीरसता और भारीपन से भरे इस संसार में मैं हल्के और खुश रहने के महत्व को समझती हूँ। जब भी मैं किसी आत्मा को देखूँ तो उन्हें अलौकिक खुशी और हल्केपन की दिव्यता से चमकता शुद्ध प्रकाश देखूँ।

कर्मयोग का अभ्यास

मैं चलते-फिरते और आपस में बातचीत करते आत्मिक खुशी में रहती हूँ। यह सब मैं यह याद करके करती हूँ कि जो कुछ भी मैं देख रही हूँ वह भगवान के प्रकाश और शुद्ध उर्जा से परिवर्तन हो रहा है। यह ईश्वरीय शक्ति समस्त विश्व को सुन्दरता, सच्चाई और प्रेम के आश्रय-स्थल में परिवर्तित कर रही है।