Home

Diamond Dadi

Contact Us



18-May-2015

विशुद्ध हीरा

मेरे लिए दादी प्रेरणा का बहुत महान स्रोत और दातापन का बहुत विशाल उदाहरण है। सिर्फ उनको याद करते ही मीठी यादों का तूफान मन में आ जाता है। 2009, जून में अचानक ही मैं दादी से पहली बार आमने-सामने मिलने वाली थी- यह अकल्पनीय लगा, कभी सोचा नहीं था कि कभी ऐसा हो पाऐगा। उस समय मुझे एक निर्णय लेना था जो कि बहुत महत्वपूर्ण था जिससे हो सकता था मेरा पूरा जीवन ही बदल जाए। मैं असमंजस में इसलिए थी कि मुझे यह जानना था कि यह मौका मेरे लिए सुअवसर है या आत्मा को फंसाने का जाल। जिसको भी पूरी बात मालूम थी उन्होंने मिलीजुली राय दी, लेकिन किसी भी जवाब से मेरा अन्दरूनी युद्ध समाप्त नहीं हो रहा था। ड्रामा ने हस्तक्षेप किया और मेरी प्ररेणा, दादी से मेरी आमने-सामने मुलाकात के दौरान दादी ने कहा, “यह सत्य है कि आप बाबा की हो” और उन्होंने मेरी ऊँगली को बाबा की अंगुठी से सजाया। तत्काल ही मेरे मन में शांति का अहसास हुआ और हृदय और बुद्धी के बीच सामंजस्य स्थापित हुआ। मुझे यह सदा से ही मालूम था कि मैं एक की हूँ, लेकिन मुझ आत्मा के लिए दादी की दृष्टि और अदम्य निश्चय ने अमरत्व के वरदान के साथ अविनाशी मोहर का काम किया। दादी के बाबा के प्रेम के कारण वह हमेशा मुझे आकर्षित करती है, लेकिन अब उनके निश्चय के गुण और बेशर्त दातापन के कारण स्वाभाविक रूप से मेरा उनसे प्रेम है – वह विशुद्ध हीरा है।

ज्ञान के मोती

निश्चय, विश्वास और भावना यह तीन शब्द हैं। हाल ही की साकार मुरलीयों में बाबा ने निश्चय के बारे में कहा है: स्वयं में निश्चय, बाबा और ड्रामा में निश्चय। जहाँ निश्चय है वहां भावना है और उसके बाद सवाल समाप्त हो जाते हैं। बाबा जो भी आपको करना है…। क्या बाबा को हममें कोई इच्छा या आशा है ? बाबा की सभी साकार मुरलीयां मेरे दिल और दिमाग में हैं। जो बाबा ने कहा है वह असल में हुआ है।

बाबा का समझदार बच्चा चाहे बैठे, चलते-फिरते या कुछ कार्य करते यह कभी नहीं भुलता कि वह किसकी सन्तान है। जब हम यह जागृति रखते हैं कि “मैं कौन हूँ” और “मैं किसका हूँ” तो आत्म्-अभिमानी स्थिति निर्मित हो जाती है। इस जागृति से बहुत खुशी प्राप्त होती है। कोई भी कार्य करते समय यह निश्चित करें कि वह कार्य ज्ञान और योग के अनुकुल हो। क्या मैं समझ के साथ कार्य कर रही हूँ ? यह परमात्मा का कार्य है, यह परमात्मा का घर है और मैं परमात्मा की सन्तान हूँ।

ड्रामा में हरेक का पार्ट निर्धारित है। बाबा कहते हैं: ड्रामा। बाबा। एक तरफ बाबा है दूसरी तरफ ड्रामा है और ये दोनों आंखों के सितारे है। ड्रामा और बाबा दोनों ही दोनों नैनों पर बैठे हैं। ऐसा नहीं है कि एक आंख में बाबा और दूसरी आंख में ड्रामा है। एक बार मैंने बाबा को कहा कि: बाबा, मेरी एक आंख में शिवबाबा हैं और दूसरी आंख में ब्रहमा बाबा हैं तो बाबा ने कहा: आप दोनो को अलग क्यों कर रही हो ? दोनों ही दोनों आंखों में बैठे हैं। हम उन दोनों के आंखों के सितारे हैं। ड्रामा में हमारा पार्ट अद्भुत है। अपने पार्ट को देखते हुए हमें सदा सचेत और अचूक रहना चाहिए। यह बहुत सुंदर भाग्य है।

दृष्टि बिन्दू

मैं रोज़मर्रा की घटनाओं को ऐसे देखती हूँ जैसे वे मेरे हित के लिए ही घट रहीं हों। ड्रामा मेरा मित्र है और जो भी मेरे जीवन में हैं उन सबके लिए मेरी आंखें प्रेम और विश्वास से भरी हुई हैं।

कर्म्-योग का अभ्यास

मुझे मालूम है कि मैं बाबा की हूँ और मुझे समझ है कि मेरे जीवने के हर सवाल कर हल गहरी याद से निकलेगा।