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Diamond Dadi

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25-May-2015

प्रेम की बरसात

कुछ साल पहले, एक बीके बहन और मैं दादी से मिलने की तैयारी कर रहे थे। उस समय मैंने टिप्पणी की: “मुझे नहीं लगता दादी मुझे पहचानेगी…” मेरी मित्र ने कहा “वह तुम्हें अवशय पहचानेगीं”। कुछ घन्टों बाद हम दादी से मिले और जैसे ही मैंने अपने कदम दादी की ओर बढ़ाऐ, वह मेरे पास आई और मुझे कस कर गले लगाकर ज़ोर दे कर कहा कि “आपको यह वायदा करना होगा कि यह फिर कभी नहीं कहोगी कि दादी आपको नहीं पहचानती”। 2013 में, पीस ऑफ माईंड के मेहमानों की क्लास के दौरान दादी ने मेरी ओर देखा और कहा, “दादी को आप याद हो”। ये लम्हें मेरे लिए बहुत ख़ास रहेंगे और सदा ही इनका महत्व रहेगा क्योंकि इन लम्हों ने मुझे सिखाया कि बाबा की निमित्त् आत्मा के नाते से कैसे उदारतरपूर्वक प्रेम बांटना होता है।

ज्ञान के मोती

एक के साथ योग और बाकि अनावश्यक के साथ वियोग से मैं अच्छी प्रकार सेवा कर सकती हूँ। जब मैं मालिक हूँ तो सेवा मुझे बांध नहीं सकती। मैं परमात्मा की संतान हूँ जिसकी उपस्थिति प्रेरणादायक और सशक्त करने वाली है। क्यों स्वयं को कमज़ोर बनाना और बाहरी प्रभावों से प्रभावित होने देना ? जैसा अन्न् वैसा मन और जैसा संग वैसा रंग। मेरे संग में प्रत्येक आत्मा बाबा के करीब आए और उनके समान बन जाए। शांति में और प्रेमपूर्ण रहने से हमारे वास्तविकता और रॉयल्टी के संस्कार प्राकृतिक हो जाते हैं। यही असलियत में रॉयल पद और राज्य भाग्य का अधिकार प्राप्त करना है।

किसी भी काम को कल पर नहीं छोड़ो। अगर कुछ करना है तो अभी कर लें। आप संसार की ख़बरें तो सुनते ही हैं और जो भी चारों ओर हो रहा है उससे आप जागरूक तो हैं- बाढ़, तूफ़ान, भूकम्प,- दुख और अशांति चारों ओर बढ़ रही है, कितने लोग मर रहे हैं। मैं ख़बरें सुनती नहीं और ना ही टीवी पर देखती हूँ, लेकिन फिर भी मुझे सदा महसूस होता है कि मुझे संसार की सेवा करने के लिए हरेक को सकाश देनी है। इस समय हरेक को प्रेम, सहयोग, सहारे और सकाश की आवश्यकता है। हमारे बीके परिवार को और बाहर के संसार को हरेक को इसकी आवश्यकता है।

जो भी इस परिवार में हैं उनके लिए हमारे मन में आदर और महत्व है। ये बाबा की शिक्षाओं का पालन करता है, यह सेवा करता है और यह मेरी बड़ी बहन है, मेरा बड़ा भाई है। किसी को बाबा ने निमित्त् बनाया है और उन निमित्त् आत्माओं ने इन आत्माओं को इस स्थान पर बिठाया है। इसलिए हमें आदर और महत्व देना है; हम समझते हैं और परमात्मा के बच्चे होने के नाते प्राकृतिक रूप से हम एक दूसरे का आदर करते हैं। बाबा ने हमें ड्रामा का ज्ञान दिया है क्योंकि ड्रामा में हरेक का अपना पार्ट है। वे अपना कार्य कर रहे हैं मुझे इससे कुछ लेना-देना नहीं है और यह भी नहीं सोचना है कि उन्हें अपने बुरे कर्मों का बुरा फल मिलेगा।

दृष्टि बिन्दू

मैं प्रेम-स्वरूप हूँ और मैं प्रत्येक से प्रेम भरी दृष्टि से मिलती हूँ। मैं महसूस करती हूँ कि मेरे नयनों से प्रेम की किरणें निकल रही हैं और पूरा वातावरण सहयोग और आदर से भर जाता है। हम जानते हैं कि हरेक का अपना महत्व है और हरेक में कुछ विशेषता है और यह समाज की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है।

कर्म्-योग का अभ्यास

इस सप्ताह जो कुछ भी मैं करूंगी वह अतिरिक्त प्रेम से भरा हुआ होगा। यह प्रेम अथाह, अत्याधिक और प्रत्येक के लिए उपलब्ध होगा- इस प्रेम की कोई सीमा नहीं है क्योंकि यह सीधा स्रोत – परमात्मा से आता है।