अवतार की यात्रा

सिद्धी स्वरूप सूत्र सेट 1

सन्दर्भ

अवतार का अर्थ है वह जो आध्यात्मिक स्तर से भौतिक स्तर पर नीचे आता है अक्सर जब कोई अवतार आता है तो वह एक तीर्थ का निर्माण करता है, एक तीर्थ स्थान, जहां कोई भी आध्यात्मिक स्तर का अनुभव कर सकता है अवतार, उच्च और निम्न संसार के बीच माध्यम का काम करता है ताकि हर कोई उसी मार्ग से पार जा सके जहां से अवतार ने पार किया है

सिद्धी स्वरूप अर्थात अपनी परिपूर्णता को पाने के बाद जो हम वास्तव में हैं सिद्धी स्वरूप का अर्थ सफलता, सम्पूर्ण प्राप्ति और आध्यात्मिक सुंदरता स्वरूप भी है

अवतार की यात्रा में दो आधारभूत अवस्थाऐं हैं: 1) आरोहण या सिद्धी स्वरूप बनना; और 2) दूसरों को उँचा उठाने के लिए अवतार बनकर नीचे आना

अवतार बाबा का निमित्त बन कर नीचे उतरता है एक अवतार यह कभी नहीं भूलता कि वह बाबा का निमित्त बच्चा है सिद्धी स्वरूप बनकर और निमित्तपन का विवेक रखकर ही हम अवतार बनने के योग्य बनते हैं जब मैं बाबा का सम्पूर्ण पारदर्शक निमित्त बच्चा बन जाता हूँ और लोग मेरा अनुसरण करने लगते हैं तो वास्तव में वे बाबा का अनुसरण कर रहे हैं

सूत्रों का प्रयोग कैसे करें?

अवतार की यात्रा में प्रस्तुत सूत्र मुरलीयों से निकाले गए हैं और हमें सिद्धी स्वरूप बनाने के उद्देश्य से रचे गऐ हैं प्रत्येक सूत्र को प्रारम्भ करने से पूर्व स्वयं पर संदेह करने की मंशा का त्याग कर दें आरम्भ करने के लिए बापदादा की मुरली से उपयुक्त है: “तो आज, आप बापदाद सिद्धी स्वरूप बच्चों का चयन कर रहे हैं इनकी यादगार मूर्ति आज भी बहुत सी आत्माओं को कई प्रकार की सिद्धी पाने में मदद कर रहीं हैं

प्रत्येक सूत्र में एक अभ्यास घटक (भाग) है और एक प्राप्ति घटक है अभ्यास घटक के तीन पहलू हैं सबसे पहले क्रम अनुसार इस त्रय के पहले घटक का अभ्यास करें फिर दूसरे का उसके बाद तीसरे का जब आप इस त्रय का समग्रता और क्रम से अभ्यास करते रहेंगे तो इससे संघटित प्राप्ति का अनुभव कर सकेंगे

हम सलाह देते हैं कि प्रत्येक त्रय का आप 108 बार अभ्यास और अनुभव करें ये 108 बार आप सुबह 30 मिनट, शाम को 30 मिनट, ट्रैफिक कन्ट्रोल के समय, भोजन के समय, चलते-फिरते या अपनी गति से कर सकते हैं आपके पास एक सूत्र एक दिन में या कई दिनों तक 108 बार का अभ्यास पूर्ण करने की स्वतन्त्रता है



 

3 और 4 जनवरी, 2016 के लिए

मैं अर्न्तमुखी हो जाता हूँ और एकान्त में मैं नीचे दिये गऐ सूत्र का प्रयोग और अनुभव करता हूँ एकान्त का यह अर्थ नहीं है कि मैं लोगों से और बातों से दूर हो जाऊँ, इसका अर्थ है संसार में रहते और काम करते मैं एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित हो जाऊँ एकान्त का अर्थ है मैं अपने मन और बुद्धि को एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित करूँ

सूत्र

(ओम शांति स्वयं का धर्म शांति है) + (ओम शांति मेरे पिता शांति के सागर हैं, + (ओम शांति मेरे वतन में असीम शांति है) = गहरी शांति

अभ्यास

पहली ओम शांति

स्वयं: मैं इस शरीर और इन्द्रियों से न्यारा हो जाता हूँ मैं याद करता हूँ कि मैं एक आत्मा हूँ और मेरा असली धर्म शांति है

दूसरी ओम शांति

बाबा: मेरा बाबा शांति का सागर है बाबा के जैसा ही मेरा आध्यात्मिक डीएनए है

तीसरी ओम शांति

घर: मैं शांति की दुनिया की रहवासी हूँ इस मूल वतन में मैं और बाबा आपस में जुड़े हैं

प्राप्ति

गहरी शांति: ऊपरी अभ्यास से मैं अपना शांति का अनुभव बढ़ाता हूँ मैं एक अनुपम रूहानी सेना का हिस्सा हूँ इसका विशेष हथियार शांति की शक्ति है यह एक ऐसी सेना है जो शांति और अहिंसा लाती है शांति की शक्ति मनुष्य आत्माओं को और प्रकृति को परिवर्तन करती है आंखों की भाषा से और शांति की शक्ति से मैं बाबा का अनुभव प्रदान कर रहा हूँ


 

5 और 6 जवनरी के लिए

मैं अर्न्तमुखी होकर एकान्त में मैं नीचे दिये गऐ सूत्र का प्रयोग और अनुभव करता हूँ एकान्त का यह अर्थ नहीं है कि मैं लोगों से और बातों से दूर हो जाऊँ, इसका अर्थ है संसार में रहते और काम करते मैं एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित हो जाऊँ एकान्त का अर्थ है मैं अपने मन और बुद्धि को एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित करूँ

सूत्र

 (ब्रहमर्य- ब्रहमा के द्वारा दी गई शिक्षाओं से अर्जित पवित्रता) + (योग अव्यभिचारी याद के लिए आवश्यक पवित्रत ) + (धारणा आत्मा के सहज गुणों की पवित्रता) = फरिश्ता स्वरूप

अभ्यास

ब्रहमचर्य: मैं मन, वचन और कर्म में काम-वासना का त्याग करता हूँ ब्रहमा बाबा के द्वारा दी गई शिक्षाओं के अनुसार यही पवित्रता की नींव है मैं पिछले काल-चक्र वाली वही आत्मा हूँ जिसने सबसे बड़े दुश्मन काम विकार पर विजय पायी थी

योग: मैं हर कदम पर ब्रहमा बाबा को फॉलो करता हूँ मैंने उतनी पवित्रता विकसित कर ली है जितनी अव्यभिचारी याद के लिए आवश्यक होती है मैं शिवबाबा के साथ गहरा और निरंतर रिश्ता महसूस करता हूँ

धारणा: प्रतिदिन मैं स्वयं को आत्मा के कम से कम एक स्वाभाविक गुण से सुशोभित करता हूँ मैं एक विशेष गुण को याद करता हूँ और स्मरण करता हूँ कि यह गुण मुझ आत्मा के लिए स्वाभाविक है मैं आत्मा, उस गुण के सागर बाबा की याद से स्वयं को शक्तिशाली बनाती हूँ मैं बार बार याद करता हूँ कि बाबा और मेरा समान आध्यात्मिक स्वभाव है उनका गुण मेरा गुण है

प्राप्ति

फरिश्ता स्वरूप: मुझे मेरे दिल के आईने में अपने फरिश्ते स्वरूप की झलक साफ दिखाई देती है इस पुरूषार्थ से दूसरों पर आध्यात्मिकता का प्रभाव पड़ेगा और वे अपना फरिश्ता स्वरूप अनुभव करेंगे


 

7 और 8 जनवरी, 2016 के लिए

मैं अर्न्तमुखी होकर एकान्त में मैं नीचे दिये गऐ सूत्र का प्रयोग और अनुभव करता हूँ एकान्त का यह अर्थ नहीं है कि मैं लोगों से और बातों से दूर हो जाऊँ, इसका अर्थ है संसार में रहते और काम करते मैं एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित हो जाऊँ एकान्त का अर्थ है मैं अपने मन और बुद्धि को एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित करूँ

सूत्र

साकरी दुनिया (मैं मेहमान हूँ) + सूक्ष्म वतन (मैं फरिश्ता हूँ) + निराकारी दुनिया (मैं अपने घर में हूँ) = अविनाशी

अभ्यास

साकारी दुनिया: मैं इस तन में मेहमान हूँ मैं इस संसार में मेहमान हूँ मैं यहां अस्थाई हूँ यह शरीर और यह संसार पुराना और दुर्बल हो जाऐगा जैसे सब भौतिक वस्तुऐं हो जाती हैं मैं एक आत्मा हूँ इस शरीर में और इस संसार में मेहमान

सूक्ष्म वतन: मैं अपने सूक्ष्म शरीर से जागरूक हो जाता हूँ मैं अपने सूक्ष्म शरीर में प्रवेश करके मेरी प्रकाश की काया के सूक्ष्म वतन में प्रवेश करता हूँ मैं सूक्ष्म वतन में बापदादा से दृष्टि लेता हूँ

निराकारी वतन: मैं अपने घर में हूँ मैं इस परम धाम में रहता हूँ जहां आखिरकार सभी आत्माओं को आना है मैं आत्मा निराकार हूँ, मेरे बाबा भी निराकार हैं और मैं उनके साथ हूँ

प्राप्ति

अविनाशी: मैं परदे के पीछे अपने असली स्वरूप को देखता हूँ मैं सजीव, सुंदर, आश्चर्यजनक और अविनाशी हस्ती हूँ मैं अविनाशी आत्मा हूँ और मेरा पार्ट भी अविनाशी है मेरे अविनाशी स्वरूप में मेरा प्रकाश पूरी क्षमता से चमकता है



 

9 और 10 जनवरी 2016 के लिए

मैं अर्न्तमुखी होकर एकान्त में मैं नीचे दिये गऐ सूत्र का प्रयोग और अनुभव करता हूँ एकान्त का यह अर्थ नहीं है कि मैं लोगों से और बातों से दूर हो जाऊँ, इसका अर्थ है संसार में रहते और काम करते मैं एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित हो जाऊँ एकान्त का अर्थ है मैं अपने मन और बुद्धि को एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित करूँ

सूत्र

(सत्यम सच्चाई) + (शिवम कल्याणकारी) + (सुंदरम - सुंदर) = वैभव/सुंदरता

अभ्यास

सत्यम: मैं आत्मा अपने सत्य स्वरूप से जागरूक हूँ बाबा- जो कि आखिरी सत्य है, से सम्बन्ध होने की गहरी स्वीकृति है मैं इसी सत्य की अवस्था में विचार उत्पन्न करता हूँ, शब्द बोलता हूँ और कर्म करता हूँ

कल्याणकारी (शिवम): मुझ आत्मा में हरेक के लिए पावन विचार और शुभ भावनाऐं है जो सदा कल्याणकारी है उसके संग में रहने से मैं हरेक के लिए निरंतर कल्याण की भावना रखता हूँ

सुंदरता (सुंदरम): सच्चाई से मेरे विचारों को परिवर्तन करने के बाद और निरंतर कल्याणकारी बनने से मैं अपने सुंदर असली स्वरूप को अपने समक्ष ले आता हूँ मैं अपना चमकता हुआ स्वरूप देखता हूँ

प्राप्ति

वैभव/सुंदरता: मैं अपने सत्य और असली वैभव का देख पा रहा हूँ मुझे सर्व गुणों की प्राप्ति हो जाती है ये गुण मेरे लाईट के ताज पर नग हैं मुझे इस सुंदरता को अपने साथ अविनाशी रखना है



 

11 और 12 जनवरी 2016 के लिए

मैं अर्न्तमुखी होकर एकान्त में मैं नीचे दिये गऐ सूत्र का प्रयोग और अनुभव करता हूँ एकान्त का यह अर्थ नहीं है कि मैं लोगों से और बातों से दूर हो जाऊँ, इसका अर्थ है संसार में रहते और काम करते मैं एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित हो जाऊँ एकान्त का अर्थ है मैं अपने मन और बुद्धि को एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित करूँ

सूत्र

(एकव्रता- एक के प्रति सम्पूर्ण निष्ठावान) + (एक बल) + (एक भरोसा- एक पर सम्पूर्ण विश्वास) = संरक्षण

अभ्यास

एक के प्रति सम्पूर्ण निष्ठावान एकव्रता: मैं स्वयं को बाबा के प्रति वचनबद्ध कर देता हूँ मैं बाबा को प्रेम करके और सब लोगों से और परिस्थितियों से स्वयं को दूर करके रॉयल पवित्रता का विकास करता हूँ

 एकबल: सारा दिन बाबा को अपने साथ रखकर, जिस शक्ति की मुझे आवश्यकता है मैं उस एक शक्ति का चयन करता हूँ और उस शक्ति के एक पहलू पर विचार करता हूँ फिर सर्वशक्तिवान से उस शक्ति को स्वयं की ओर आता अनुभव करता हूँ

एक भरोसा: मैं बाबा के प्रति प्रेम होने से सर्व प्राप्तियों का अनुभव करता हूँ मैं क्षणिक आकर्षणों से स्वयं को दूर करता हूँ मैं जागृत अवस्था में अपनी सभी इच्छाओं को बाबा के प्रेम के अनुभव में परिवर्तन कर देता हूँ

प्राप्ति

संरक्षण: मैं आत्मा सुरक्षित महसूस करती हूँ जो कुछ भी मैं करता हूँ, जहां भी मैं जाता हूँ बाबा की छत्रछाया का अनुभव करता हूँ मैं निश्चिंत महसूस करता हूँ



 

13 और 14 जनवरी 2016 के लिए

मैं अर्न्तमुखी होकर एकान्त में मैं नीचे दिये गऐ सूत्र का प्रयोग और अनुभव करता हूँ एकान्त का यह अर्थ नहीं है कि मैं लोगों से और बातों से दूर हो जाऊँ, इसका अर्थ है संसार में रहते और काम करते मैं एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित हो जाऊँ एकान्त का अर्थ है मैं अपने मन और बुद्धि को एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित करूँ

सूत्र

(निमित्त) + (निर्मल वाणी) + (निर्मान) = सम्बन्ध

(यह तीन दादी के शब्द थे और उनकी सफलता का रहस्य थे)

अभ्यास

निमित्त: मेरा सम्बन्ध बाबा से है और इसलिए मैं सच्ची सेवा तब करता हूँ जब इस बात से सचेत हूँ कि मैं निमित्त हूँ आज मैं हर कर्म निमित्त् बन कर करता हूँ

निर्मल वाणी: मैं अपने मन को शुद्ध और शक्तिशाली रखने का पूरा ध्यान रखता हूँ ताकि आज मैं केवल शुद्ध शब्द ही बोलूँ

नम्रता निर्मान: मैं यह बात गहराई से समझता हूँ कि बाबा ही सब कुछ कर रहे हैं और मुझ आत्मा को श्रेय दे रहे हैं मैं आज इस बात का ध्यान रखता हूँ कि स्वयं के लिए कुछ स्वीकार नहीं करूँगा मैं हर आत्मा को उतना ही महत्व देता हूँ जितना स्वयं को देता हूँ, ना कम ना अधिक

प्राप्ति

सम्बन्ध: मैं बाबा से सम्पूर्ण सम्बन्ध अनुभव करता हूँ जो भी मेरे सम्पर्क में आता है वह उसे भी सम्बन्ध की अनुभूति होती है और मुझे उनसे वरदान मिलते हैं