दिवाली की तैयारी - तीसरा सप्ताह


पन्द्रहवां दिन: सोमवार, १६ अक्टूबर

वर लक्ष्मी - वरदान देने वाली।

स्मृति:
वर लक्ष्मी हमें वरदान देती है, जो हम स्वप्न में भी नहीं सोच सकते। वर लक्ष्मी सच्चे दिल वालों की इच्छाओं को पूरा कर उन्हें भरपूर कर देती है। इनकी दुआओं से हमें अनादि प्राप्तियाँ मिल जाती हैं।

अभ्यास:
मैं मास्टर वरदाता हूँ। शुभ भावना व शुभ कामना द्वारा मैं सारे संसार में वरदानों की वर्षा कर रही हूँ। मैं अपने रहम दिल और कल्पाणकारी स्वभाव की रूहानी शक्ति द्वारा स्वयं की व सर्व की गल्तियों को क्षमा कर रही हूँ।

 


सोलहवां दिन: मंगलवार, १७ अक्टूबर

मोक्ष लक्ष्मी - मुक्ति देने वाली।

स्मृति:
मोक्ष लक्ष्मी सर्व प्रकार के लगाव को खत्म कर देती है। जो आत्माएं शांति चाहती हैं, मोक्ष लक्ष्मी उन्हें मोक्ष अथवा मुक्ति दिलाती है।

अभ्यास:
मैं आत्मा, परमात्मा के साथ सम्बन्ध जोड़ मुक्ति का अनुभव कर रही हूँ। इस कनैक्शन द्वारा मुझे सर्व प्रकार के स्थूल व सूक्ष्म बंधनों से मुक्ति मिल रही है। बंधनमुक्त स्थिति बनाकर मैं अन्य आत्माओं को परमात्मा से जोड़कर उन्हें सच्ची मुक्ति का अनुभव करा रही हूँ।

 


सत्रहवाँ दिन: बुधवार, १८ अक्टूबर

स्थायी लक्ष्मी - परिवार में स्थिरता लाने वाली।

स्मृति:
स्थायी लक्ष्मी घर-घर में स्थिरता का बल भरकर सच्चे पारिवारिक मूल्यों का निर्माण करती है। इससे परिवार में सत्यता, सामंजस्य, सम्मान व आपस में प्यार प्रबल रहता है। यह रिश्तों में विश्वास बढ़ाने में मदद करती है। यह परिवार के हर सदस्य की गरिमा को बनाए रखती है व पीढ़ियों तक संबंधों को मज़बूत बनाये रखने में सहयोग देती है।

अभ्यास:
मैं एक स्थिर आत्मा हूँ। मैं साथ रहने व साथ कार्य करने वाली भिन्न-भिन्न पर्सनालिटी वाली आत्माओं को साक्षी-दृष्टा होकर देख रही हूँ। मैं हर परिस्थिति में शुद्ध संकल्पों के बल से स्वयं को अचल अवस्था में देख रही हूँ। मैं स्वमान की सीट पर शान से बैठकर किसी भी बाहरी प्रभाव से परेशान नहीं हो रही हूँ।

 


अठारहवाँ दिन: गुरुवार, १९ अक्टूबर

दीपा लक्ष्मी - मन और दिल को रोशन करने वाली।

स्मृति:
दीपा लक्ष्मी को रोशनी की धनी के रूप में याद किया जाता है। यह आत्माओं में खुशी व उमंग-उत्साह लाती है। यह भय, निराशा व हताश करने वाली परिस्थिति में आशा की किरण ले आती है। दीपा लक्ष्मी उस लाइट की किरण का प्रतीक है, जिससे आत्माओं को अपनी प्रतिभा बढ़ाने की प्रेरणा मिलती है।

अभ्यास:
मैं ज्योति-स्वरुप आत्मा हूँ। मुझे दिव्य बुद्धि की गिफ्ट मिली है। इससे मेरे जीवन में ज्ञान की रोशनी आ गयी है। मेरी उपस्थिति में आत्माओं को अंधकार को छोड़ने की प्रेरणा मिल रही है और वे ज्ञान की रोशनी पाकर अपार खुशी का अनुभव कर रही हैं।
 


उन्नीसवाँ दिन: शुक्रवार, २० अक्टूबर

सुधा लक्ष्मी – विघ्नों को दूर करने की युक्तियाँ बताने वाली।

स्मृति:
सुधा लक्ष्मी आत्माओं को उनके आंतरिक संपत्ति के अधिकार की स्मृति दिलाकर उनके विघ्न दूर कर देती है। यह हर प्रकार की समृद्धि की वर्षा करती है और पवित्रता से गौरव बढाती है। यह हमे विघ्नों से पार जाने की युक्ति बताती है और हमें हमारे वर्से की याद दिलाती है।

अभ्यास:
मैं एक शक्तिशाली आत्मा हूँ। मैं सर्व विघ्नों को पार कर रही हूँ। मुझे विघ्नों का कोई भय नहीं है, बल्कि मैं इन्हें एक खेल की तरह देखकर खुशी का अनुभव कर रही हूँ। मैं त्रिकालदर्शी की स्टेज पर स्थित हूँ। पास्ट में विघ्नों की रचना कैसे हुई और वर्तमान में विघ्नों को कैसे मिटाया जाये व भविष्य में मिलने वाले वर्से को मैं स्पष्ट रूप से देख रही हूँ।

 


बीसवां दिन: शनिवार, २१ अक्टूबर

शांति लक्ष्मी - शांति से संपन्न करने वाली।

स्मृति:
शांति लक्ष्मी आलोचना को बल में, कमजोरी को शक्ति में, उलझन को स्पष्टता में व अशांति को शांति में बदल देती है। मनुष्य आत्माएं शांति व अशांति रुपी दो पैरों से लंगड़ाकर चल रही हैं। शांति लक्ष्मी अपने दिव्य करुणामय स्वभाव द्वारा आत्माओं को उनके वास्तविक शांति रुपी धर्म की दिशा की ओर ले जाने में उनकी मदद करती है।

अभ्यास:
मैं एक शांत स्वरुप आत्मा हूँ। मैंने हर प्रकार की अशांति को विदाई दे दी है। मैं अपने अनादि घर शान्तिधाम में अपने पिता शांति सागर के साथ हूँ। हम दोनों मिलकर शांति की प्यासी आत्माओं को शांति की किरणें भेज रहे हैं।

 


इक्कीसवाँ दिन: रविवार, २२ अक्टूबर

स्मृति:
राज योग की पढ़ाई का लक्ष्य है, लक्ष्मी-नारायण जैसा बनना। बाबा ने बताया है कि भक्ति मार्ग में हम सबके अनेक यादगार हैं। भक्ति-मार्ग में लक्ष्मी के कौन से रूप में तुम्हारा यादगार है? क्या तुम्हें भक्तों की आवाज सुनाई देती है? वे तुम्हें किस लिए पुकार रहे हैं?

अभ्यास:
अपने यादगार का अभ्यास करें।