Guru Purnima

 

 

गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर निराकार परमपिता, परम शिक्षक, परम सतगुरु ( परमात्मा शिव ) को कोटि कोटि वंदन जो इस सृष्टि चक्र के अंतिम समय पर अवतरित हो कर पुरानी विकारी कलियुगी दुनिया ( अनेकता, अपवित्रता , अशांति, दुःख का धाम ) को नयी निर्विकारी सतयुगी दुनिया में परिवर्तित करते हैं, ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर अज्ञान अन्धकार का नाश करते हैं, निःस्वार्थ पितृ स्नेह से अपने आत्मारुपी बच्चों को मुक्ति व जीवन मुक्ति ( स्वर्गीय राज्य अधिकार ) का मार्ग दिखलाते हैं जिससे आत्माओं को कष्ट पीड़ा एवं दुखों से निवृत्ति मिल जाये जो अज्ञान व पाप कर्मों के दुष्परिणाम हैं  


Crore-Crore times salutation to the Incorporeal Supreme Father cum Teacher cum Satguru (GOD SHIVA) on auspicious occasion of Guru Poornima who reincarnates at the end of  this world cycle and transforms old vicious Iron aged Kaliyug world ( Abode of disunity, impurity, restlessness & sorrow)  into a new vice less Golden aged Satyug world ( Abode of unity, purity, peace & happiness), imparts third eye of wisdom to destroy ignorance, guide way Mukti  (Salvation) and Jeevan Mukti ( heavenly inheritance ) with selfless fatherly love for his soul children to relieve them from sufferings, pain and sorrow caused due to ignorance & sinful deeds.