Murli Phrases and Proverbs

मुरली में आने वाले मुहावरों और कहावतों का अर्थ व्याख्या सहित
क्रम सं. मुहावरे/कहावत अर्थ 
1 अक्षर देना ज्ञान देना/वचन देना
2 अति खूने नाहक क्रूरता करना
3 अन्‍त काल जो स्‍त्री सुमिरे, वल वल मनुष्‍य जन्‍म में अवतरे। जिसकी दूसरी पंक्‍ति है अन्‍त काल जो शिवबाबा को सुमरे नारायण जूं वल वल अवतरे। तात्‍पर्य है कि सिवाय भगवान के याद किया तो हमेशा मनुष्‍य जन्‍म में ही अवतरित होना पड़ेगा। यदि संगमयुग के अन्‍त में शिवबाबा की याद आती रही तो दैवी घराने में जायेंगे।
4 अन्तमति सो गति अन्त समय के संकल्पों (अवचेतन मन चल रहा होगा) के अनुसार अगला जन्म
5 अपनी घोट तो नशा चढ़े अपनी बुद्धि से मनन-चिन्तन जितना करेंगे, उतना नशा चढ़ेगा।
6 आंटे में लून ज़रा सा/बहुत आटें में थोड़ा सा नमक
7 आप मुएं मर गई दुनिया दुनिया से किनारा करने से किसी की याद नहीं आयेगी
8 इच्छा मात्रम अविद्या इच्छा के बारे मे संम्पुर्ण - अज्ञान इच्छाए मृगतृष्णा के समान है जिसके पिछे भागने से और ही दूर चलती चली जाती है और हमें असंतुष्ट करते रहती है। इस संबध में बाबा हमें बहुत अच्छी युक्ति बताते है कि जब हमें इच्छाओं के बारे में कुछ ज्ञान ही नहीं रहता तब मन कि ऊंची स्थिति द्वारा हमारी हर मनोकामना स्वतःपूर्ण हो जाती है। यह युक्ति है सदा संतुष्ट और तृप्त रहने कि।
9 एक बाप दूसरा न कोई लौकिक व्यवहार में रहते हुए बुद्धि में परमात्मा के सिवा कोई दूसरा न याद आये।
10 कख का चोर सो लख का चोर चोरी चोरी है, चाहे राई (पैसे) की हो चाहे पर्वत समान लाखों की हो।
11 कट निकालना कमी-कमजोरी निकालना
12 खग्गियां मारना/कन्धे उछालना आनंद और खुशी में मानो भांगड़ा नृत्य करना
13 गले का हार बनना अत्यंत प्रिय होना/शोभा बढ़ाना
14 गुड़ियों की पूजा भक्ति मार्ग में मिट्टि के पुतले बना कर मूर्तियों की पूजा करना।
15 गुल गुल बनना फूल जैसा सुन्दर बनना
16 घट में ही ब्रह्मा, घट में ही विष्णु, घट में ही नौ लख तारे एक सेकण्ड में शिव बाबा ब्रह्मा बाबा के तन में आकर ज्ञान देते और ब्रह्मा से विष्णु और नौ लाख प्रजा तैयार हो जाती।
17 घमासान होना लड़ाई/अफरातफरी का माहौल
18 चढ़ती कला तेरे भाने सबका भला आपकी सद्गगति के साथ-साथ सर्व आत्माओं को गति अर्थात् मुक्ति मिल जाती है। आपकी चढती कला मे सर्व का भला होता है।
19 चढ़े तो चाखे बैकुंठ रस पुरूषार्थ से स्वर्ग की बादशाही मिलना
20 चढ़े तो चाखे वैकुंठ रस, गिरे तो चकना चूर ज्ञान मार्ग मे कदम कदम पर संभाल कर चलना पड़ता है। हर कदम पर राय लेनी पड़ती है। जो ज्ञान मार्ग की सीढ़ी पर निरंतर आगे चढ़ते रहते है वे वैकुंठ रस चखने के अधिकारी बनते है लेकिन अगर माया के वश होकर नीचे गिर जाते है तो अधोगती को प्राप्त करते है।
21 चिंता ताकी कीजिए जो अनहोनी होय किसी भी बात की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जो होना है वही हो रहा।
22 चुल पे सो दिल पे जो साथ रहे हैं, वही दिल पर रहते हैं।
23 छी-छी दुनिया नर्क/पुरानी कलियुगी दुनिया
24 जिन सोया तिन खोया जो अमृतवेले सो जाते हैं, वे सर्व प्राप्तियों को खो देते हैं।
25 जो ओटे सो अर्जुन जो अपने आप आकर सेवा की जिम्मेदारी उठाता है, वही अर्जुन  (नम्बरवार) में आता है।
26 झूठी माया झूठी काया झूठा सब संसार सत्य एक परमात्मा और बाकी सब कुछ झूठ
27 टट्टू को टारा काजी को इशारा समझदार केवल इशारे से समझ जाता है जबकि मूर्ख चाबुक/दण्ड से ही समझता है।
28 ठौर न पाना ठिकाना/सहारा न मिलना
29 डिब्बी में ठीकरी डिब्बा खोला तो मिट्टी मिली
30 तकदीर को लकीर लगाना माया वाला अलबेलापन में आकर भाग्य (ज्ञानयोग) कम बटोरना/मिलना
31 तीन पैर पृथ्‍वी यह लोक कथा पर आधारित है, वामन की कथा है कि राजा बलि से तीन पैर के बदले विष्‍णु ने पूरी पृथ्‍वी ले ली थी। पर बाबा कहते है कि तुम श्रीमत पर चलकर के तीन पैर अर्थात थोड़ा सा नहीं बल्कि सतयुग में चलकर सम्‍पूर्ण राज्‍यभाग पाओगे।
32 तीन पैर पृथ्वी के थोड़ी सी जगह
33 तुरन्त दान महाकल्यान दान देने का संकल्प आते ही दान कर देना, क्योंकि इसमें महापुण्य का फल समाया हुआ है।
34 दिवा जलाना याद करना
35 धन्ने सब में धूर, बिगर धन्धे नर से नारायण बनने के सब धन्धे में वही धन्धा सर्वश्रेष्ठ है जो नर से नारायण बना दे। बाकी किसी धन्धे से अविनाशी धन की प्राप्ति हो नहीं सकती।
36 नशा चढ़ना खुश होना
37 पान का बीड़ा उठाना जिम्मेदारी उठाना, हिम्मत करना
38 पायी-पैसे की तकदीर भाग्य में सिर्फ थोड़ा लिखा हो
39 पुखराज परी कहानी का मर्म इन्‍द्रलोक में एक बार एक परी मृत्‍युलोक से पति‍त मनुष्‍य को ले गयी, तो उसे सजा के तौर पर नीचे मृत्‍युलोक कुछ समय रहने के लिये भेज दिया गया। उसी प्रकार जब तक कोई मनुष्‍य ज्ञान सुनकर पवित्रता को धारण न कर लें तब तक उसे इन्‍द्रप्रस्‍थ रूपी मधुबन भूमि में बाबा से मिलने के लिये नहीं आमंत्रित करना चाहिए अन्‍यथा निमित्‍त आत्‍मा को नीचे उतरना अर्थात हिसाब-किताब बनता है।
40 बच्चू बादशाह पीरू वजीर काम विकार अगर विकारों का राजा है, तो क्रोध उसका वजीर है।
41 बम-बम भोले भर दे झोली हे! परमात्मा हमारी बुद्धि रूपी झोली ज्ञान रत्नों से भर दो।
42 बुद्धि का ताला खोलना याद दिलाना/ज्ञान का तीसरा नेत्र खुलना।
43 बुद्धि योग तोड़ना परमात्म याद से विमुख होना
44 बेड़ा डूबना विषय-विकार रूपी सागर में डूबना।
45 भरी ढोना दास दासी नौकर-चाकर बन कर सेवा करना...... इस समय जिन्‍हें शास्‍त्रों का ज्ञान है जो अपने आपको शास्‍त्रों का ज्ञाता मानकर बहुत बुद्धिवान समझते हैं बाद में ज्ञान में आयेंगे तो निश्‍चय बुद्धि ऊंच पद पाने वाली आत्‍माओं की सेवा करेंगे।
46 मनुष्य से देवता किये, करत न लागी बार।(कबीर) भगवान को मनुष्य से देवता बनाने में तनिक भी देर नहीं लगती।
47 माया-मच्छन्दर का खेल लुका-छिपी जैसा एक खेल जो माया भी खेलती/करती है।
48 मिट्टी खाना व्यर्थ की बात करना
49 मिठरा घुर त घुराय मीठा बनो तो सब आपसे मीठा व्यवहार करेंगे।
50 मुख में मुहलरा डाल देना हातमताई की कहानी में मुहलरा का प्रयोग किया गया है। उसमें मुहलरा मुख में डालते थे तो माया गुम हो जाती थी। मुहलरा निकालने से माया आ जाती थी। तो शिव बाबा का ज्ञान और योग मुहलेरा के समान है। जब कोई परिस्थिति या संकट आता है तो बाबा कि याद और ज्ञान ही हमें माया से बचा सकता है।
51 मुख-पानी होना मुंह में पानी आना/पसंद आना
52 मूत-पलीती कप्पड़ धोये विकारों से मलिन मन रुपी कपड़ों को परमात्मा के याद रुपी साबुन से ही धोया जा सकता है।
53 लंगर उठाना मोह त्यागना
54 विषय वैतरणी नदी पार करना पौराणिक मान्यता के अनुसार इसका जल बहुत ही गरम और बदबूदार है और उसमें हडि्डयाँ, लहू तथा बाल आदि भरे हुए हैं। यह भी माना जाता है कि प्राणी को मरने के बाद पहले यह नदी पार करनी पड़ती है, जिसमें उसे बहुत कष्ट होता है। परंतु यदि उसने अपनी जीवितावस्था में गोदान किया हो, तो वह उसी गौ की सहायता से सहज में इस नदी के पार उतर जाता है।  पापियों को यह नदी पार करने में बहुत कष्ट होता है। मुरली में  इसका रहस्य यही है कि बच्चों संगम युग में पुरुषार्थ करके ही तुम अन्त समय की सजाओं से बच सकते हो।
55 शेरनी का दूध सोने के बर्तन में ही ठहरता है। बाबा का श्रेष्ठ ज्ञान स्वच्छ मन वचन बुद्धि में ही धारण हो सकता है।
56 सच तो बिठो नच जहां सच्चाई है, वहां मन खुशियों से नाचता रहता है।
57 सच्चा सोना बनना सोने जैसे आकर्षित होने का सबसे कीमती होने का गुण धारण करना
58 सच्चे दिल पर साहब राजी भगवान सच्चे हृदय वालों पर न्यौछावर होते हैं।
59 सब्‍ज बाग दिखलाना अपना काम निकालने या फंसाने के लिये बड़ी बड़ी आशाएं दिलाना 
60 सर का मोर होना सर्वश्रेष्ठ होना/हृदय में बसना
61 सरसों के माफिक सरसों के दाने जैसा/अनेकानेक
62 सांप भी न मरे और लाठी भी न टूटे अपने कार्य में सफलता भी हासिल हो जाती और किसी को दुःख भी न मिले, ऐसी युक्ति से हर कर्म करना चाहिए।
63 सुनंति-पशंति-औरों को सुनावंती-भागंती अच्छी अच्छी आत्मायें बाबा का ज्ञान सुनती हैं ओरों को सुनाती है और अंत में माया से हार कर ज्ञान से चली जाती हैं।
64 हथ कार डे दिल यार डे हाथों से काम करते रहो, दिल से शिव बाबा को याद करते रहो अर्थात् कर्मयोगी बन जाओ।
65 हाथ कर दे दिल यार दे हाथ से कर्म करते हुए मनमें एक बाप की याद रहना
66 हिम्मते बच्चे मददे बाप जो बच्चे हिम्मत रख आगे बढ़ते हैं, उन्हें बाप की मदद जरूर मिलती है।
67 हुक्मी हुक्म चला रहा जो कुछ भी होता है, भगवान की आज्ञा समझकर उसे मानकर चलना है।