पवित्रता अपनाओ ताजधारी बन जाओ


पवित्रता धारण करना अपने जीवन के अंदर
श्रेष्ठ संकल्पों से बनते जाना बाप समान सुंदर

मन की निश्छलता बिखेरे सदा दिव्य मुस्कान
पवित्रता है संगमयुगी ब्राह्मण जीवन की शान

पवित्र आत्मा सदा कहती कल्याणकारी बोल
बजते रहेंगे सदा मन में रूहानी ख़ुशी के ढ़ोल

मस्तक पर पहने रहो सदा पवित्रता का ताज
भ्रातृत्व की स्मृति जगाओ अपने मन में आज

मन बुद्धि को नहीं रखना किसी बोझ से भारी
योगयुक्त रहो बनकर कमल पुष्प आसनधारी

सच्चाई धारण करो चाहे कुछ भी पड़े सहना
सहनशीलता है हमारा सबसे अनमोल गहना

पवित्रता का पालन करना अति सरल हो जाए
सपने में भी कोई विकार हमें आकर ना सताए

भाई भाई की दृष्टि है आत्म भान की निशानी
एकाग्रता के बल से हमें यही अवस्था बनानी

अपवित्रता से मुक्त होकर चेहरा चमकता रहे
अपने दिव्य नैनों से रूहानी स्नेह बरसता रहे

अपने जीवन में मरजीवा संस्कार हमें जगाना
छोड़कर सारी बातें पवित्रता हमको अपनाना

बाप से मिलकर बाप के संग का रंग लगाओ
बाबा जैसे सम्पूर्णता के ताजधारी बन जाओ