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ओम शांति।

यदि आप डिप्रेशन में हैं, तो इन तरीकों को अपना कर आप बहुत आसानी से डिप्रेशन से बाहर आ सकते हैं:-

1. पहला - राजयोग मेडिटेशन

यह डिप्रेशन से बाहर निकलने का सबसे कारगर उपाय है! इसका कारण यह है, कि क्योंकि डिप्रेशन मन की एक समस्या है, तो मेडिटेशन भी मन की ही एक प्रक्रिया है। यह हमारे mental health को directly affect करता है।

हम जैसा सोचते हैं, हमारी सोच का असर हमारे पूरी दिनचर्या पर, पूरे जीवन पर पड़ता है। हम चाहे तो छोटी बात को सोच सोच कर बड़ा बना दें, या फिर किसी बड़ी बात को पॉजिटिव way में लेकर छोटी बना लें! हम किस बात को कितना लंबा खींचते हैं, कितने घंटो तक, कितने दिन तक सोचते हैं, यह हमारे मन को बहुत ज़्यादा प्रभावित करती है।

राजयोग मेडिटेशन हमारे मन के संकल्पों को एक पॉजिटिव दिशा प्रदान करता है.. नियमित रूप से मेडीटेशन करने से हमारे मन के संकल्पों की स्पीड धीरे धीरे बहुत ही कम हो जाती है, जिससे आत्मिक ऊर्जा की बचत होती है, और हमारा मन बहुत ही पावरफुल बन जाता है.. हम किसी भी परिस्थिति का सामना बहुत ही सरल व सही ढंग से करने में सक्षम होते हैं।

2. दूसरा - शारीरिक व्यायाम

नियमित रूप से व्यायाम करना ना केवल शारीरिक, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी है। व्यायाम कई तरीकों से डिप्रेशन के उपचार व रोकथाम में मदद कर सकता है... जैसे कि यह हमारे शरीर के तापमान को बढ़ाता है, जिससे शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर शांत प्रभाव पड़ता है! इसके अलावा exercise हमारे शरीर में endorphin नामक केमिकल रिलीज़ करता है, जिससे हमारा mood boost होता है।

3. तीसरा - उन लोगों व चीज़ों से दूरी बना लें जो आपके मन की शांति को नष्ट करते हैं।

आसान भाषा में कहें तो अपने संग की संभाल करें.. क्योंकि कहते हैं - जैसा संग वैसा रंग!

जिन लोगों से बात करके, या जिनके संपर्क में आकर आप अपने मन की शांति खो देते हैं, उन लोगों से दूर रहें। क्योंकि आप जिन लोगों को अपना समय और एनर्जी देते हैं, वह आपको और आपके जीवन को बहुत ज़्यादा प्रभावित करते हैं। जो जैसा होता है, वह हमें वैसा ही बनाता है। इसलिए हमें केवल पॉजिटिव लोगों का ही संग करना चाहिए।

संग केवल स्थूल रूप से नहीं, बल्कि मन बुद्धि से भी नेगेटिव लोगों को दूर रखें, क्योंकि जिनके बारे में सोचेंगे, धीरे-धीरे वैसे ही बनते जाएंगे!

व्यक्तियों के अलावा उन चीज़ों से भी दूर रहें, जो आपके मन की शांति को नष्ट करते हैं। जैसे मोबाइल फोन, सोशल मीडिया, इत्यादि.. क्योंकि अधिकतर लोगों के डिप्रेशन के कारण यही है। सोशल मीडिया apps, वीडियो गेम्स, web series, इत्यादि, यह सभी इसी प्रकार डिज़ाइन किए जाते हैं कि हमें उसकी आदत हो जाए.. लत लग जाए.. और फिर one thing leads to another.. एक चीज़ दूसरे तक ले जाती है, फिर वो दूसरी चीज़ किसी तीसरे तक... यह सब बहुत ही addictive होते हैं, इसलिए टाइम मैनेजमेंट बहुत ही ज़रूरी है।

4. चौथा - किसी से बात करके हल्के हो जाएं

आप अपने संपर्क में कुछ ऐसे लोगों को अवश्य शामिल रखें, जो आपको इमोशनल रूप से सपोर्ट करते हों, जिनसे बात करके, अपनी प्रॉब्लम शेयर करके आप रिलैक्स फील करते हो। जब भी depressed फील करें, किसी सकारात्मक व समझदार व्यक्ति से बात करें, अपनी समस्याएं उनसे साझा करें.. जिससे सामने वाला व्यक्ति आपको कोई ना कोई सलाह या मार्ग सुझा सके। दूसरे से अपनी बात कहकर आप बेहद ही हल्का फील करेंगे। वो कोई भी हो सकता है, आपके माता-पिता हो सकते हैं, भाई बहन हो सकते हैं, कोई ब्रह्माकुमारी दीदी हो सकती है या कोई दोस्त हो सकता है।

ध्यान रखें कि जब भी depressed फील करें, खुद को बिल्कुल अकेला ना छोड़ दें.. वरना इससे आप और गहरे डिप्रेशन की ओर खुद को ले जाएंगे। 

5. पांचवां - आप क्या खाते हैं, इस बात का ध्यान अवश्य रखें। क्योंकि - जैसा अन्न, वैसा मन!

मन के संकल्पों का हमारे भोजन से सीधा संबंध है। जैसा हम खाएंगे, वैसे ही हमारे संकल्प चलेंगे। यदि हमारा भोजन जिसने बनाया है, उसने दुखी होकर बनाया है, या क्रोध की स्थिति में बनाया है, तो जब हम वो भोजन खाएंगे, हमारी भी वही स्थिति होगी.. हमारे वैसे ही संकल्प चलेंगे! इसीलिए कहीं भी, कभी भी, किसी के भी हाथ का भोजन खाने से जितना हो सके, बचें।

इसके अलावा एक बहुत ज़रूरी बात जो है, वो ये कि हमारा भोजन हमेशा ही शुद्ध व शाकाहारी होना चाहिए। क्योंकि जब किसी जानवर को मारने के लिए रखा जाता है, तो उस वक्त उनके भीतर डर, दुख, व दर्द की भावनाएं जन्म लेती हैं, जो उनके शरीर में उसी प्रकार के chemicals release करते हैं। और फिर उसी अवस्था में उनको मारा जाता है.. और वही पकाकर हमें भोजन के रूप में मिलता है.. जिसे खाकर हम उन chemicals को अपने शरीर में पहुंचा देते हैं!

तो अब, हमारी भी स्थिति कैसी होगी? अवश्य ही डर की, दुख की, दर्द की होगी! वहीं, हिंसायुक्त भोजन का सेवन कर हम भी हिंसक हो जाते हैं, हमारे अंदर दया भाव, करुणा भाव क्षीण होता जाता है.. और हममें क्रूरता का विकास होता है.. इसीलिए ऐसे भोजन शास्त्रों में तामसिक भोजन की गिनती में आते हैं!

इसलिए सही भोजन को अपनाकर हम अपना पूरा जीवन बदल सकते हैं।

6. छठा - अपने भीतर चेक करें, चेंज करें.. वो गलती ना दोहराए जो आपको डिप्रेशन की ओर ले गया था।

जी हां, अपने दिनचर्या को, संकल्पों को, कर्मों को चेक करें.. क्या कमी है? कहां गलत हूं? किन किन वजह से मेरी स्थिति गिर जाती है? क्यों मेरी शांति और शक्ति नष्ट हो जाती है? यह आप चेक करें और फिर उसे चेंज करें।

और ध्यान रखें, कि past में जिन कारणों के वजह से, जिन गलतियों के वजह से आप depressed हुए थे, उनको दोबारा ना दोहराएं। उनकी दोबारा घटित होने की संभावनाओं को बेहद कम कर दें, या समाप्त कर दें।

7. सातवां - टाइम मैनेजमेंट

जैसे देश के प्रधानमंत्री का सारा टाइम टेबल पहले से ही सेट होता है, तो वैसे ही आप भी अपने समय की कद्र करते हुए हर दिन का अपना रूटीन सेट करें। अपने मन में या नोटबुक में एक दिन पहले या उसी दिन सुबह तय करके रखें, कि आज आपको क्या क्या करना है। आज आपके लिए सबसे ज़्यादा जरूरी क्या है, और दिन के कब और कितने घंटे आपको उसे देने हैं।

अपनी priorities यानी प्राथमिकताओं की लिस्ट बनाएं, और जो ज़्यादा जरूरी है उसे पहले करें.. जो कम ज़रूरी है, उसे बाद में करें। और जो बिल्कुल ही व्यर्थ है, टाइम वेस्ट है, धीरे-धीरे उनसे दूरी बनाते चले।

उदाहरण के लिए - पढ़ाई जरूरी है, एक्सरसाइज़ ज़रूरी है, पर यदि उसे छोड़कर हम सोशल मीडिया में लगे रहें, या घंटों किसी से बातें करने में हमने समय गवां दिया, तो फिर दिन के अंत में हमें उदासी आ जाती है, कि हमारा मुख्य कार्य तो रह ही गया! और ज़रूरी चीज़ों को ignore करना धीरे-धीरे बाद में हमें संकट में डाल देता है और हमारे लिए टेंशन, anxiety, दुख और डिप्रेशन का कारण बन जाता है।

8. अगला - आप क्या देख रहे हैं, क्या पढ़ रहे हैं, इस बात का खास ध्यान रखें.. क्योंकि हम जो चित्र देखते हैं, वैसा हमारा चरित्र बनता जाता है।

इसलिए जिस प्रकार के न्यूज़, सीरियल्स या फिल्म्स आप देख रहे हैं, इसका ध्यान रखें.. क्योंकि वे सीधे आपके अंतर्मन में प्रवेश करते हैं। हम जो पढ़ते हैं वह भूल भी जाएं, परंतु जो देखते हैं वह सालों बाद भी याद रहता है, क्योंकि उसका कारण यही है कि वे सब सालों तक हमारे अवचेतन मन में मौजूद रहते हैं।

9. अगला - रोज़मर्रा के व्यस्त जीवनशैली में खुद को समय देना ना भूलें।

हर दिन सभी व्यक्तियों से थोड़ी देर के लिए अलग होकर, एकांत में खुद से बातें करें। हर दिन कम से कम 4 घंटे मौन रहें और अंतर्मुखी हो जाएं। यानी केवल खुद पर फोकस्ड।

मौन में बहुत शक्ति है, एक बार इसे अपना कर देखें, आप बेहद ही ऊर्जावान, शक्तिशाली व रिलैक्स फील करेंगे.. क्योंकि हमारी आत्मिक शक्ति दो ही चीज़ों से नष्ट होती है - एक ज़्यादा बोलने से और दूसरा ज़्यादा सोचने से! 

10. अगला - जिस वक्त आप बहुत ज्यादा depressed हों, उस वक्त केवल ये चार शब्द याद रखें - 'This too will pass..' यानी 'ये भी गुज़र जाएगा!'

और उस समय कोई भी फैसला करने से बचें, किसी भी ज़रूरी कार्य को थोड़े समय के लिए टालें.. क्योंकि उस वक्त आप अपने पूरे होश में नहीं होते हैं और गलतियां करने की संभावनाएं बेहद ज़्यादा होती हैं।

11. अगला - खुद को व्यस्त कर दें।

ऐसे समय पर आप वह करें जो आपके मन को उस वक्त डायवर्ट करके दुख को पार करने में मदद करेगा... यानी खुद को व्यस्त कर दें। जैसे गहरी नींद लें, या आपको जो पसंद है, जो हॉबी है, वह करें। जैसे गीत गाएं, डांस करें, चित्र बनाएं, कोई लेख लिखें, या कोई अच्छी मोटिवेशनल किताब पढ़ें। सबसे बेहतर होगा कि प्रकृति की गोद में जाकर प्रकृति को निहारें.. क्योंकि प्रकृति को निहारने मात्र से हमें रिफ्रेशमेंट फील होती है, ताज़ी हवा हमारे भीतर एक नए जीवन ऊर्जा का संचार करता है। इसके अलावा प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती भी है!

12. अगला - दुआएं दो, दुआएं लो।

यदि हम कोई ऐसा कार्य करते हैं जिससे दूसरों की हमारे लिए बद्-दुआ निकले, यदि हमारे वजह से दूसरों को दुख होता है, हम दूसरों को hurt करते हैं, तो हम भी खुश नहीं रह सकते। उसका रिटर्न हमारे पास ही वापस आता है और हमारे जीवन में दुख-दर्द का कारण बन जाता है। आप जितनी गहराई से दूसरों को दुख पहुंचाते हैं, देर सवेर उतना ही गहरा दुख रिटर्न में आपके पास वापस आता है।

इसी प्रकार यदि किसी दूसरे को उनके किसी व्यवहार के लिए हम अपने मन से बद्-दुआ देते हैं, या मुख से कड़वे वचन कहते हैं, तो हम अपने भी मन की शांति खो देते हैं, और उसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।

इसलिए दुआएं दें, दुआएं लें। दुआओं का बल जीवन में अपने आप आगे बढ़ाता है। दुआओं के बल से हमें निरंतर खुशी बनी रहती है।

13. अगला - हीन भावना से बचें।

कभी भी अपनी तुलना दूसरों से ना करें। आप खुद में बेहद ही विशेष हैं, अलग हैं। अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए अपने समय को सफल करें और अपना जीवन मूल्यवान बनाएं।

14. अगला - दूसरों के व्यवहार से प्रभावित ना हों।

कई बार दूसरों के कारण हम अपने मन की शांति खो देते हैं। कोई ऐसी हरकत कर देता है जिससे हम बहुत ज़्यादा प्रभावित होकर कई बार डिप्रेशन की स्टेज तक पहुंच जाते हैं। परंतु हमें दूसरों को स्वीकार करना होगा। यदि हम उन्हें बदल नहीं सकते, तो खुद बदल जाएं।

सभी का चीज़ों को देखने का, समझने का अपना नज़रिया होता है, इसलिए सभी अपनी जगह पर सही हैं। हमारे लिए जो राइट है, यदि उनके लिए वह रॉन्ग है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं, क्योंकि वो जैसे बड़े हुए, जैसे उनकी परवरिश हुई, जिन दोस्तों के साथ रहें, जिस माहौल में पले-बढ़े, जैसी शिक्षा उन्होंने पाई - ये सबको मिलाकर उनका नज़रिया बना हुआ होता है, उनका व्यवहार बना होता है! अतः सभी के लिए शुभ भावना, शुभ कामना रखकर उन्हें हम स्वीकार करें.. और अपने खुशी का रिमोट अपने हाथ में रखें, हमारी खुशी कोई नहीं छीन सकता!

15. और आखिरी - दूसरों से किसी चीज़ की उम्मीद ना करें।

रिश्तों में प्यार की, केयर की उम्मीद ना करें.. क्योंकि आज हर व्यक्ति खाली है.. तो जो चीज़ उनके पास है नहीं, वह दूसरों को कैसे दे सकते हैं।

बजाय इसके, आप दूसरों को प्यार करें, दूसरों को प्यार दें.. इससे आपके भीतर खुद ही प्यार का जन्म होगा और आप भरपूर महसूस करेंगे। दूसरों की सेवा करके आपको भी बहुत खुशी मिलेगी!

ओम शांति।


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