मम्मा मुरली मधुबन


                           आत्मा और पमात्मा की पहचान और वर्ल्ड हिस्ट्री जियोग्राफी 

रिकॉर्ड:-
तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो.............

परमपिता परमात्मा, यह जो भी गीतों में महिमा आती है यह उस एक की है। एक का मतलब वह एक है । मनुष्य आत्माएं बहुत हैं और परमात्मा परम पिता एक है इसीलिए यह महिमा है एक की और उसी की ही महिमा, एक की जो है वह कोई मनुष्य को नहीं दी जा सकती, क्योंकि मनुष्य की महिमा अलग। कंप्लीट मनुष्य की, कंप्लीट मनुष्य की महिमा अलग और परमात्मा की महिमा अलग। कंप्लीट मनुष्य को क्या कहेंगे? सर्वगुण संपन्न, 16 कला संपूर्ण, संपूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम यह आदि आदि। यह सभी महिमा किसको देंगे? मनुष्य को। परमात्मा को सर्वगुण संपन्न नहीं कहेंगे, क्योंकि वह कभी अवगुण में नहीं आता है। इसीलिए जो अवगुण में आता है, उसको सर्वगुण संपन्न की महिमा दी जा सकती है जभी सर्वगुण है। वह सर्वगुण और अवगुण से दोनों से अलग है परमात्मा। इसके फिर अपने गुण हैं। इसको फिर क्या कहेंगे, परमात्मा की महिमा क्या है? उनकी फिर है पतित को पावन करने वाला। उसको कहते हैं ओसियन ऑफ नॉलेज। देखो यह महिमा है ना परमात्मा की, यह मनुष्य को नहीं कह सकते हैं। ओसियन ऑफ नॉलेज या नॉलेज फुल, यह महिमा परमात्मा की है मनुष्य को नहीं दी जा सकती। तो उनका देखो महिमा अलग है ना परमात्मा की। उसको कहेंगे ओसियन ऑफ नॉलेज सुख का सागर, शांति का सागर, सुख का सागर। उसकी महिमा ऐसी है शांति दाता, सुख दाता, दुख हर्ता सुख कर्ता यह महिमा है परमात्मा की। महिमा के गुण, परमात्मा के गुण और हो गए है ना उनके। अब यह मनुष्य को नहीं कह सकते हैं दुखहर्ता सुखकर्ता यह मनुष्य को नहीं कहेंगे फिर। मनुष्य के तो दुख हरने वाला है ना और फिर उन को सुखी बनाने वाला परमात्मा है और वह सुख दुख में आने वाला है तो जो आने वाला है वह मनुष्य ही कैसे दुखहर्ता होइंगा, इसीलिए मनुष्य की महिमा अलग परमात्मा की महिमा अलग। तो यह समझने की बात है इसलिए मनुष्य को और परमात्मा को एक कर देना, जो आत्मा की महिमा वो ही परमात्मा की महिमा अथवा आत्मा और परमात्मा एक कर देना यह रोंग हो जाता है। तो यह सब समझने की है, जो कई समझते हैं कि आत्मा को परमात्मा हो जाना है, ज्योति में लीन हो करके या परमात्मा से मिलकर के परमात्मा हो जाना है तो यह समझने की बात है कि अगर आत्मा को परमात्मा हो जाना है तो उसकी माना परमात्मा आत्मा से बनता है क्या? ये तो भी समझने की बात है ना। अगर ऐसे माने की आत्मा परमात्मा हो जाएंगी तो मानो आत्मा भी फिर परमात्मा से बना है। परमात्मा ही आत्मा हुआ है, फिर आत्मा को ही परमात्मा होना है अगर ऐसा हुआ है तो ऐसा भी होना पड़ेगा ना। एक ही बात हुई। परन्तु ऐसा तो नहीं है की परमात्मा कोई आत्मा बना है तो परमात्मा आत्मा नहीं बना है जो आत्मा को परमात्मा बनना हो, तो यह समझना है ऐसे नहीं की आत्मा परमात्मा हो सकती है, परमात्मा आत्मा नहीं हो सकता है। अगर आत्मा परमात्मा हो सकती है तो परमात्मा भी आत्मा बना है, मतलब यह तो समझने की यह भी बुद्धि और विवेक की बात है ना। तो कई समझते हैं कि आत्मा परमात्मा हो सकती है लेकिन परमात्मा आत्मा नहीं हो सकता है। अगर नहीं हो सकता है तो फिर आत्मा भी परमात्मा नहीं हो सकती है। फिर तो यह भी मानना चाहिए कि आत्मा भी परमात्मा नहीं हो सकती है। तो यह सभी चीजें समझने की है ना इसलिए आत्मा परमात्मा नहीं हो सकती है, और ना परमात्मा कोई आत्मा हुआ है। आत्मा अलग है और परमात्मा एक ही सुप्रीम सौल, उनका कर्तव्य और उनकी जो कुछ है अपना वह गुण वह अलग है। बाकी मनुष्य अपने स्टेटस में, अपने स्टेज में ऊंचे उठते हैं जिसका गोल्डन, सिल्वर, कोपर, आयरन एजज यह सभी स्टेटस मनुष्य आत्मा के लिए। परमात्मा सतो, रजो, तमों इन्हों में नहीं आता है, वह तीनों से ऊपर है। वह एवर सतो, क्या कुछ तो कहेंगे ना एवर रजो तो नहीं कहेंगे, एवर तमों तो नहीं कहेंगे, अच्छी बात का गोल्डन एज। उनकी सदा एवर प्योर, एवरीथिंग एवर में आएंगी उनके लिए, क्योंकि वह गोल्डन, सिल्वर, कॉपर एंड आयरन ये सब मनुष्य आत्मा के लिए स्टेजेस हैं। तो जो स्टेटस में आने वाले हैं वो परमात्मा को उसके साथ मिलाया नहीं जा सकता है, न वो उसमें मिल सकती है। उसकी क्वालीफिकेशंस अलग और उनकी परमात्मा की क्वालिफिकेशन अलग हो गई न, तो हर एक की बायोग्राफी अलग हो गई न, हर एक की बात को समझना चाहिए ना। तो आत्मा की बायोग्राफी, परमात्मा की बायोग्राफी समझना चाहिए । फिर आत्मा शरीर के साथ जब मनुष्य बनती है उसकी बायोग्राफी फिर समझनी चाहिए कि सब में उत्तम मनुष्य कौन थे? भाई उत्तम मनुष्य जिनके शरीर भी पवित्र थे और आत्मा की पवित्र थी तो जरूर उनको ही उत्तम रखेंगे ना, तो वह कौन से मनुष्य थे? वर्ल्ड हिस्ट्री में ऐसे कोई मनुष्य हो करके गए हैं, जिनकी आत्मा भी पवित्र हो और शरीर भी पवित्र हो, ऐसी कोई मनुष्य हैं? अभी तो नहीं कहेंगे हां, इस टाइम शरीर भी पवित्र और सन्यासी भी मिलेंगे भले उनकी आत्मा कुछ पवित्र हो लेकिन फिर शरीर पवित्र नहीं है क्योंकि शरीर विकार से पैदा हुआ है, शरीर को रोग होता है तो क्या शरीर सन्यासी बीमार नहीं पड़ेंगे? हां वह तो कोई कर्म का हिसाब है ना। तो इससे सिद्ध होता है कि यह शरीर पवित्र नहीं है। आत्मा भले हां कुछ उनका पवित्रता का आधार लेने से, कुछ उसमे पवित्रता का है। तो यह आत्मा पवित्र और शरीर पवित्र ऐसे कोई मनुष्य वर्ल्ड हिस्ट्री में कभी हुए हैं, आज तो नहीं है परंतु कभी हुए हैं तो हाँ, उन्हों की हिस्ट्री मिलती है, यह उच्च देवताएँ जिन्हों की है जीवन की महिमा, वह सदा सुखी थे कैसे ? हेल्थ, वेल्थ उन्हों के पास सब कुछ था, एवर हल्दी थे वेल्थी थे, कहते हैं ना भाई वह जमाना था, कभी होगा कि नहीं था, कभी अकाले नहीं मरते थे कब उन्हों में पावर था तो यह पावर था कीन्हों के पास? इन्हों के जीवन से यह कुछ इशारे मिलते हैं की इन्हों के जमाने में ऐसा सुख शांति का था। जभी तो देखो मंदिरों में पूजे जाते हैं, नहीं तो अगर वह अपवित्र होते तो उनको मंदिरों मैं क्यों उसके यादगार क्यों रखे है? हैं तो वो भी मनुष्य, मंदिरों में उसकी जड चित्र क्यों पूजे जाते हैं, हम क्यों नहीं पूजे जाते हैं, हम क्यों उनको पूजते हैं, तो हम पूजने वाले हो गये वो पूज्य हो गये, कोई तो डिफरेंस है न। वो डिफरेंस कौन सा था ?उनके शरीर भी पवित्र थे आत्मा भी पवित्र थी, इसीलिए उनकी यादगारे पूजी जाती हैं। लेकिन थे तो चैतन्य न, प्रैक्टिकल लाइफ वाले थे। तो यह मनुष्य स्टेटस है कि मनुष्य इतना ऊंचा था तो अभी बाप कहते हैं की मनुष्य इतना ऊंचा,और फिर ये देखो मनुष्य की डिग्री नीचे चली आई है तो यह है आत्मा भी अपवित्र, शरीर भी अपवित्र, अभी यह हुआ मनुष्य की नीचे की स्टेज। तो अभी नीचे से फिर ऐसे पतित मनुष्यों को परमात्मा आ करके फिर आत्मा को पवित्र बनाते हैं उसके आधार से फिर शरीर भी पवित्र, जेनरेशंस में प्राप्त करते, सदा सुख पाते रहेंगे, उसका अभी मानो ये सप्लिंग इसमें लगा रहे है। अभी तो शरीर अपवित्र है, लेकिन ये आत्मा का सप्लिंग प्यूरिटी का लगा रहे हैं, जिसके आधार से फिर ये जेनरेशंस चलेंगी तो ये सभी चीजों को समझना है, जो बैठ कर कर के बाप मनुष्य की बायोग्राफी और परमात्मा अपनी बायोग्राफी समझाते हैं, उसमें फिर हर एक की ब्रह्मा क्या, विष्णु क्या शंकर क्या, राम कृष्ण आदि सब की बायोग्राफी, यह लक्ष्मी नारायण की बायोग्राफी। ये लक्ष्मी नारायण किसने बनाया, कैसे बने, तो यह सभी बातें बाप बैठकर करके समझाते हैं कि यह इनकी यानी कोई अगले जन्म में इन्होंने जरूर कोई अच्छे कर्म किए होंगे तब तो ऐसा जनम मिला न तो इनका अगला जन्म कहां होगा, यह तो सतयुग के किंग एंड क्वीन हो करके गए हैं लक्ष्मी और नारायण, तो इसका अगला जन्म कहां होगा, यह भी देखो विवेक से सोचने की बात है, हम जरा क्वेश्चन पूछते हैं हां, की देखो जरा यह तो हुआ सतयुग का, फर्स्ट मैन हां, न्यू मैन कहो, न्यूमैन जिसको किंग एंड क्वीन कहें सतयुग का। तो सतयुग तो इन मनुष्यों से शुरू हुआ लेकिन इन्होंने जो कुछ पुरुषार्थ किया होगा न, वह जरूर इनके पहले किया होंगा न तो वह कभी किया, वह समय कौन सा होगा? (किसी ने कहा कलयुग अंत में) हां कलयुग का अंत में, तो जरूर कलयुग अंत में इन्होंने यह पुरुषार्थ कर करके अपने कर्मों को ऊँच बनाया, फिर जो जन्म लिया वह फिर उनको उससे सतयुग आरंभ रहा, गोल्डन एजड वर्ल्ड। तो उन्होंने जरूर पुरुषार्थ कलयुग के अंत में किया ना, तो यह देखो अभी वह कलयुग का अंत है। अभी जो हम यह पुरुषार्थ कर रहे हैं और परमात्मा हमसे करा रहा है तो यह मानो अभी यह सेपलिंक इसी, ऐसे मनुष्य बनने की लग रही है। फिर इनके बाद यह दुनिया, इसलिए परमात्मा कहते हैं जभी इन्हो की दुनिया आने का टाइम होता है, तब आकर करके गोल्डन एजड वर्ल्ड कि में यह स्प्लिंग लगाता हूं, तो मानो अभी यह किंगडम बनने का ये अभी का हो रहा है, तो अभी इस द्वारा, परमात्मा द्वारा हेवेनली किंगडम कहो या हेवेन कहो हेवेन तो हेवेन, ऐसा तो नहीं ना, कोई तो उसमें राजधानी, और कोई तो कुछ तो चलेंगा ना, तो वर्ल्ड का सिस्टम होगा, ऐसे ही थोड़ी, ऐसे ही बस चल पड़ेंगे नहीं, तो कहते हैं यह किंगडम देवी देवताओं की, उसी से फिर यह हेवेन दुनिया जो है वह चलती है तो ऐसे मैं मनुष्य की अभी दुनिया बना रहा हूं। कैसे बनाता हूं उसका ये देखो अगला जन्म, कलयुग के अंत में। तो यह सभी चीजों का भी समझना है। तो इनकी बायोग्राफी ये परमात्मा बैठकर के समझाते हैं। फिर 14 कला फिर त्रेता वंश में, तो उनको 14 कलां ये 16 कला पीछे कलाए कम पड़ती जाती हैं फिर द्वापर से नीछे नीचे, अभी तो कोई कला नहीं रहीं है, सब कला काया निकल गई है न हाँ देखो। अब तो मनुष्य का कोई बल नहीं रहा है ना, तो यह सभी चीजें बैठकर करके बाप बैठकर करके...इसी तरह से फिर ये क्राइस्ट बुद्ध जो भी आए उन्हों की भी बायोग्राफी क्या है, यह फिर अपना अपना धर्म स्थापन करने वाले हैं। यह आए हैं तो ऐसे नहीं है कि दुनिया को कोई बैठकर करके नहीं नई दुनिया बनाने वह अपना अपना नया धर्म जैसे क्राइस्ट आया तो उसने एक नया धर्म स्थापन किया, कौन सा क्रिश्चियन धर्म, भाई बुद्धा आया तो उसने अपना नया धर्म स्थापन किया जो धर्म था नहीं उसको बैठ कर कर के, बुद्ध धर्म के नाम से चला तो इसी तरह से वह धर्म स्थापक, वह धर्म स्थापक हो गए और परमात्मा को धर्म स्थापक ना कह करके वह तो नई दुनिया स्थापित, तो नई दुनिया स्थापित गॉड को कहेंगे और दूसरे जो आए मैसेंजर्स पैगंबर जो भी आए उन्हों का काम क्या रहा? अपना अपना धर्म स्थापन करना तो अपना मत, अपना धर्म आकर के स्थापन किया तो उनकी बात अलग हो गई। उन्होंने आकर के नई दुनिया नहीं बनाई, उन्होंने अपना अपना नया धर्म बनाया, तो यह सभी चीजें तो उन्हों की बायोग्राफी को भी समझना, भाई उन्हों का काम और परमात्मा का काम। परमात्मा सभी धर्म नष्ट कर करके और एक आदि सनातन देवी-देवता धर्म की दुनिया बनाना, दाता सबका। तो इसीलिए ये बैठकर करके बाप सारी बायोग्राफी समझाते हैं और समझा कर करके और कहते हैं अभी कौन सा टाइम है, उसके मुताबिक अभी क्या करना चाहिए। तो यह भी सभी चीजें समझने की है ना अभी हमको समय देखना है टाइम भी देखना है कि इस टाइम अनुसार ये अभी वो टाइम है, जिस टाइम को कहा जाता है, अभी हमारा बहुत जन्मों का चक्कर यह पूरा होता है अभी फिर नया चक्कर, अच्छा नया जनरेशन शुरू होती है। उसके लिए बाप कहते हैं अभी नई जनरेशन के लिए अपना नया कलम अपना अथवा सेपलिंग लगाओ इसीलिए प्योर रहना जरूर है। बिना प्योरिटी के तो प्योर सेप्लिंग लगेगा ही नहीं ना इसीलिए बाप कहते हैं अब यह फिकर ना करो कई क्वेश्चन उठाते हैं ना की अच्छा अगर प्योर रहेंगे तो दुनिया कैसे चलेंगे। अगर सब पवित्र रह गए तो दुनिया कैसे, तो परमात्मा कहते हैं कि दुनिया का अभी जाने का, यह भी दुनिया को पता नहीं है कि कहां करनी है इसलिए ये अभी विचार मत करो कि दुनिया कैसे चलेंगे, दुनिया का मालिक मैं हूं या तुम हो हां, मुझे पता है दुनिया कैसे चलेगी, तो मैं अभी दुनिया का सेप्लिंग लगाता हूं, अभी सेप्लिंग लगाने में मदद करो अर्थात प्योरिटी की हेल्प दो तो प्यूरिटी के बल से अभी प्योर दुनिया की जेनेरेसंस चले, बाकी अभी उसकी मदद दो, अभी इसका नहीं है की यह दुनिया कैसे चलेगी, तो तुम जो दुनिया की वृद्धि करते आए हो तो वो तो देख लो न अभी तंग पड़ गए हो संभाल नहीं सकते हो इसिलिये कहते हैं इनका ख्याल नहीं करो अभी तो कहते हैं, अभी तो मौत है अभी तो डिस्ट्रकशन है। इस पुरानी ओल्ड वर्ल्ड का डिस्ट्रक्शन है इसीलिए अभी तुम जितना पैदा करेंगे, नहीं तो मैं डिस्ट्रक्शन में खत्म कर दूंगा, इसीलिए अभी उसकी हेल्प नहीं चाहिए अभी हमको चाहिए प्योरिटी की हेल्प। तो मुझे अभी मददगार बनो प्यूरिटी में, तो प्यूरिटी का फाउंडेशन मजबूत हो जाए उसी बल से, फिर प्योरिटी की जनरेशन जो चलेगी जो वह नेचुरल जैसे अभी इंप्योरिटी नेचुरल है वैसे फिर प्योरिटी नेचुरल चलेंगी। तो उससे वह संतान और उससे जो वृद्धि रहेंगी वह प्योरिटी के पावर से, जिसको कहा जाता है योग बल और अभी यह है भोग बल, कंट्रास्ट है ना योग बल का और भोग बल का। वह संतान उस पावर से थी तो इसीलिए यह बैठ कर कर के बाप सारी बायोग्राफी समझाते हैं और समझा कर करके अभी कहते अभी कौन सा टाइम है उसके मुताबिक अभी क्या करना चाहिए। तो यह सभी चीजें समझने की है ना, अभी हमको समय देखना है, टाइम भी देखना है कि इस टाइम अनुसार, अभी वो टाइम है, जिस टाइम को कहा जाता है अभी हमारा बहुत जन्मों का चक्कर यह पूरा होता है अभी फिर नया चक्कर अथवा नइ जनरेशन शुरू होती है उसके लिए बाप कहते हैं नई जनरेशन के लिए अपना नया कलम अथवा सप्लिंग लगाओ प्यूरिटी का, इसलिए प्योर रहना जरूर है, बिना प्योरिटी के तो प्योर सप्लिंग लगेगा ही नहीं ना इसलिए बाप कहते हैं अब यह फिकर ना करो कई क्वेश्चन उठाते हैं ना की अच्छा अभी प्योर रहेंगे दुनिया कैसे चलेगी, अगर सब पवित्र रह गए तो दुनिया कैसे? तो परमात्मा कहते हैं अभी दुनिया का यह विचार नहीं करो। अभी तो दुनिया को घटाने है कम करनी है इसीलिए यह अभी विचार मत करो दुनिया कैसे चलेंगे, दुनिया का मालिक मैं हूं या तुम हो, मुझे पता है दुनिया कैसे चलेंगी, तो मैं अभी दुनिया का सप्लिंग लगाता हूँ। अभी सप्लिंग लगाने में मदद करो, अर्थात प्यूरिटी की हेल्प दो। तो प्यूरिटी के बल से अभी प्योर दुनिया की जेनेरेशंस चलेंगी। अभी उसकी मदद दो बाकि अभी इसका नहीं है की यह दुनिया कैसे चलेगी, ऐसे तो तुम दुनिया की वृद्धि करते आए हो वह तो देख लिया ना अभी तंग पड़ गए हो, संभाल नहीं सकते हो इसिलिये कहते हैं इनका ख्याल नहीं करो। अभी तो कहते हैं, अभी तो मौत है अभी तो डिस्ट्रकशन है। इस पुरानी ओल्ड वर्ल्ड का डिस्ट्रक्शन है, इसीलिए अभी तुम जितना पैदा करेंगे, नहीं तो मैं डिस्ट्रक्शन में खत्म कर दूंगा, इसीलिए अभी उसकी हेल्प नहीं चाहिए, अभी हमको चाहिए प्योरिटी की हेल्प। तो मुझे अभी मददगार बनो प्यूरिटी में, तो प्यूरिटी का फाउंडेशन मजबूत हो जाए। उसी बल से, फिर प्योरिटी की जनरेशन जो चलेगी जो वह नेचुरल, जैसे अभी इंप्योरिटी नेचुरल है, वैसे फिर प्योरिटी नेचुरल चलेंगी। तो उससे जो संतान और उससे जो वृद्धि रहेंगी, वह प्योरिटी के पावर से, जिसको कहा जाता है योग बल और अभी यह है भोग बल, कंट्रास्ट है ना, योग बल का और भोग बल का। वह संतान उस पावर से थी इसीलिए संतान ऊंची थी और संतानों में बल था, ताकत थी, इसीलिए शांति और सुख था अभी है नहीं, क्योंकि अभी भोग बल से विकारों से,... इसलिए बाप कहते हैं अभी इनको कण्ट्रोल करो, ये विकारी दुनिया की वृद्धि चाहिए ही नहीं, तो फिर अभी इसको कण्ट्रोल करो, अभी प्यूरिटी को अपनाओ और अपना कर करके प्यूरिटी का फाउंडेशन मजबूत करो, अभी इसका हमको मदद चाहिए, तो अभी जो गॉड हुकुम करें, परमात्मा कहे मानना चाहिए ना, बाप का फादर का, हुक्म मानना चाहिए। वह इसमें, यह नहीं है कि परमात्मा यह दुनिया कैसी चलेगी, वह कहेंगे दुनिया मेरी है या तेरी है? तुमको क्यों चिंता हुई है दुनिया कैसे चलेंगी, वह मैं जानता हूं अभी दुनिया को ट्रांसफर करना है। अभी मुझे ट्रांसफर करने में मदद करो, तो अभी मैं ट्रांसफर करता हूं ना, यह बदलता कैसे हूँ, नया सप्लिंग,..तो अभी उसमे मदद करो प्यूरिटी का बल, तो अभी वह बल उसको दो, बाकी यह जो तुम्हारी विकार की और इम्पुरिटी से दुनिया को चलाया, पैदा किया है, वह तो अभी देखो, हां दुख की है ना, इसको तो अभी मुझे डिस्ट्रक्शन करना है, तो वह होगा तभी जब तुम्हारा प्यूरिटी का बल होगा इसीलिए बाप कहते हैं अभी उसने मदद करो, अभी ये फ़िक्र न करो की कैसे, अभी तुम्हारी वृद्धि का टाइम पूरा हुआ, अभी उसी को खत्म करके अभी मैं नया सप्लिंग लगाता हूं। अभी उसी में हेल्प करो, तो नए सप्लिंग में पहले आत्मा प्योर चाहिए ना। तो उसमें प्योरिटी में आओ, पीछे तुम्हारा जो शरीर प्यूरिटी आत्मा वाली को मिलेंगा न, वो शरीर जो रहेंगा, पैदा होंगा, वो शरीर भी पवित्र। अभी तो जो तुम पैदा करेंगे न, फिर इम्प्योर शरीर पैदा करेंगे, फिर आत्मा भी इम्प्योर, तो यहाँ इस दुनिया में हमको अभी वृद्धि नहीं चाहिए, अब तो जो न्यू जेनेरेशंस चालू रहेंगी, अभी उसके लिए पहले ये जन्म तो कम्पलीट प्योर रहो न, उसके लिए तो सप्लिंग के लिए तो कम्पलीट प्योर। इसीलिए बाप कहते हैं बच्चे अभी वह चिंता ना करो कि कैसे दुनिया चलेंगे, अभी नई सेपलिंग लगाने का भी फिक्र रखो और उसके लिए अपने को बी प्योर एंड बी योगी। सीधी बात है इसीलिए बस अब बाप कहते हैं बच्चे अभी इसी बात को साफ समझ कर के अभी उसकी धारणा में तो, टाइम कौन सा है तो जेसा जो टाइम होता है वैसा काम करना होता है ना। अभी वक्त कौन सा है टाइम कौन सा है तो उसी टाइम को देख कर के काम करो। अभी टाइम सेप्लिंग लगाने का है तो सप्लिंग लगाओ। अभी टाइम वृद्धि करने का नहीं है तो वह काम भी नहीं होगा और खाली पीली तुम्हारा मुफ्त में वह वेस्ट ऑफ टाइम, वेस्ट ऑफ मनी, वेस्ट ऑफ़ एनर्जी सब वेस्ट जाएंगे जो इसी तरह अपना यह कर रहे हो। अभी अपना जो टाइम और जो कुछ भी है अभी अपना इस चीज में दो और उसी से अपना न्यू जेनेरेशन के अपना प्रालब्ध बनाओ। तो इसीलिए बाप कहते हैं अभी चेंज करो। लाइफ को अभी मेरे में, उसमें गीता में भी कहा न, अभी मेरे से तुम अपना सम्बन्ध रख के अब जैसे मै कहूँ, वैसे चलो अभी मेरे होकर के रहो तो इसीलिए बाप कहते हैं अभी मेरे हो कर के रहो, जैसी मैं मत दूं उसी पर चलो, और कोई तुमको डिफीकल्टी नहीं है ये नहीं कहता हूँ की घर बार छोड़ के आ या अपना सब कुछ छोड़ के आ न, वह तो अपना करना ही है शरीर निर्वाह अर्थ, घर का आदि का जो भी कामकाज है, चलो बाकी अपनी अब प्योरिटी से कैसे करो, वह तुमको मैं सिखाता हूं, उसको सीख कर करके प्योरिटी के साथ अपना वह काम करना है। तो उससे क्या होगा तुम्हारे कर्म श्रेष्ठ रहेंगे और उसी श्रेष्ठ कर्म से फिर तुम्हारी प्रालब्ध श्रेष्ठ ही श्रेष्ठ रही। तो यह है सारी वर्ल्ड की बायोग्राफी तो कैसे आदि होती हैं, फिर कैसे अंत होती हैं, अभी उसके अनुसार अभी क्या करना चाहिए, इसीलिए बाप कहते हैं सब की बायोग्राफी को समझो उसके साथ अभी वर्ल्ड की बायोग्राफी का कौन सा टाइम है और मेरा उसमें क्या हाँ मेरी भी बायोग्राफी चाहिए, मैं क्या काम करता हूं इसी सभी बातों को समझ करके अभी मुझे उसने मददगार बनो। बनेंगे जैसे गांधी जी को जिन्होंने मदद कि ना हां, बिचारे देखो कितने जेल खाए, कितनी सजाएं खाई, कितने कष्ट सहे आज देखो अशोका होटल, फलाना फलाना कितने उनका रिटर्न भोग रहा है ना, जिन्होंने कुछ किया। इसीलिए बाप कहते हैं अब मुझे भी जो हेल्प करेंगे तो फिर मैं अपनी राजधानी जो हेवेन बना रहा हूँ उसमें तुम फिर हां राजे महाराजे बड़े बड़े स्टेटस प्राप्त करना । अभी पूरे रहेंगे मददगार तभी ना, तो उसकी मदद क्या है? उसकी मदद की ये है की प्योरिटी में, उसको तो मदद दुःख हड़ताल, पिकेटिंग , सत्याग्रह आदि आदी में अभी यहां बाप कहते हैं प्योरिटी की मदद करो, विकारों की हड़ताल करो, विकारों के ऊपर अपना कंट्रोल रखो, इससे अपनी हड़ताल करो, इससे अपनी पिकेटिंग करो, इससे अपना जो कुछ इससे करो। तो अभी इन विकारों से हम अपना काम नहीं चलाएंगे। तो यह देखो ये अभी हमारी दुश्मन हो गए ना, तो जैसे वह दुश्मनों की सभी बातें अपने को कंट्रोल रखते थे, तो यह हमारे पांच विकार हमारे शत्रु, तो कहते हैं इन शत्रुओं से अपने को संभालो, अब हम इन से अपना सहयोग नहीं रखेंगे, अब इन से अपना संबंध नहीं रखेंगे, यह हमारे दुश्मन हैं। तो अभी दुश्मनों से,.. सच्चे दुश्मन तो यह है ना। इसी दुश्मनों से सब दुश्मन बनते हैं, आज दुनिया एक दो का दुश्मन है किस कारण? यह लोभ हैं, आज यह लोभ ना होता तो यह लड़ाई झगड़े किस कारण होता? तो लोभ हैं ना, यह मेरा, यह मेरा, यह मुझे आकाश का टुकड़ा ज्यादा चाहिए, मुझे पानी का टुकड़ा चाहिए, मुझे पृथ्वी का टुकड़ा चाहिए, यह टुकडे टुकडे बॉर्डर्स के ऊपर सारा दिन देखो कितने झगड़ते हैं, पृथ्वी मेरी वो पृथ्वी मेरी, मेरी मेरी मेरी तो देखो ये टुकड़े टुकड़े के ऊपर, देखो ये लड़ाइयां है ना। तो यह सब क्या है यह लोभ, यह अहंकार, यह अभिमान यह सभी बातें। तो यह पांच विकार ना होता तो यह सभी ना होते। तो देखो आज यह सब हाल है इसीलिए बाप कहते हैं बच्चे मैं ऐसा एक आकाश एक पृथ्वी, उसके बीच में एक राज, तब तो सुखी रहेंगे ना। टुकड़े-टुकड़े करेंगे तो फिर,.... एक घर में अगर पार्टीशंस का बॉर्डर लगा कर करके देखो एक घर में 4 बच्चे हो बाप को और चारों बच्चे अपने पार्टीशन लगा कर कर के अपना अलग अलग करें तो उस घर में क्या हाल हो जाएगा, सारा दिन झगड़ा ही होता रहेगा। मेरा बच्चा मेरा बच्चा फलाना फलाना फलाना सारा दिन झगड़ा हो जाए ना, क्या होगा इसीलिए बाप कहते हैं घर एक है और तुम ये पार्टीशंश और बॉर्डर सबमे बॉर्डर, आकाश में भी बॉर्डर, पानी के ऊपर भी बॉर्डर, तुम्हारा जहाज हमारे पानी के अंदर आएगा हम डुबो देंगे, तुम्हारा एरोप्लेन हमारे आकाश में आएंगे हम गिरा देंगे, यह देखो क्या है हमारा आकाश हमारा आकाश, हमारा पानी हमारा पानी, हमारी पृथ्वी हमारी,... पृथ्वी तो सब की है, हम सब एक ही बाप के बच्चे हैं एक पृथ्वी एक आकाश उसमे हमारा हिल मिलकर करके होना चाहिए, परंतु आज दुनिया में देखो कितने वृक्षांश है कितनी जातियां और कितनी वैरायटी है अफ्रीकन काले काले काले काले, चीनी देखो चीने मीने मीने मीने, सब वेरायटी और वो देखो यूरोपियन गोरे गोरे गोरे गोरे सब हाँ, तो सबकी वेरायटी तो इसीलिए कहते हैं की संसार में देखो कितनी क्रिएशन है हाँ, अब ये वेरायटी इतनी आपस में मिलकर के एक होना, कितना इम्पॉसिबल है हाँ, कैसे ये रंग भेद फलाना भाषा, भेद फलाना ये सब ,मिलकर के, हर एक का कहां पान आहार व्यवहार सब अलग अलग पहरवेश सब अलग अलग सब मिलकर के वो कहेंगे हम तो सब काले काले एक ही जैसे हैं तुम गोरे गोरे गोरे भगवान् ने ही तुमको खुदा ने ही अलग रचा है, तो सब देखो वेराइटी वेराइटी, परन्तु बाप कहते हैं की नहीं ये सब वेराइटी पीछे हुई हैं, नहीं तो पहले एक ही वेराइटी थी न, एक राज एक धर्म ये सब था ही नहीं, क्रिस्चियेनिटी पीछे रही। ये सब पीछे पीछे आए हैं न । तो बुद्ध जैन ये सब। तो बाप इसीलिए कहते हैं अभी फिर इनका मैं एंड करता हूँ ये आए हैं पीछे इसकी एंड तो होंगी न । फिर इसीलिए फिर आदि सनातन ही पहला देवी देवता धर्म था अब उसकी फिर सप्लिंग लगा रहा हूँ, फिर एक धर्म एक राज्य फिर उसमे संसार सदा सुखी रहेंगा, इसके लिए ये तय्यरियाँ इसीलिए मनुष्य समझते हैं डिस्ट्रक्शन टलेंगा या नहीं टलेंगा। ये भावी बनी हुई है। ये कुछ नेचुरल केलेमिटीस से, और कुछ इसी एटॉमिक बम आदि इन्ही सब चीजों से और कुछ सिविल वोर के जरिया, तब तो इतना बना पड़ा है संख्या भी कम पड़े न, और कोई रास्ता नहीं है । संख्या को भी कम करने का है। कितनी बिचारे बर्थ कण्ट्रोल, कितने बिचारे तरीके भले क्यों न निकाले परन्तु ये इसी तरीके से कहा तक कहो क्या हो सकेगा। इसीलिए बाप कहते हैं बच्चे ये सब इसका प्लेन मेरे पास है। वो तुम्हारे फाइव इयर्स प्लेन और ये सभी बातें हाँ तो चलते चलते बिचारे इतना माथा पिट्टी करते इतना तक करते आए हैं परन्तु बाप कहते हैं मेरा प्लान क्या है कहते हैं न बन्दे के मन में एक फिर साहेब के मन में दूसरी, फिर उसी साहेब के मन में क्या है और हम बन्दों के तो वो ही अपना अपना। तो अभी साहेब के मन का काम चलेंगा या बन्दों का? अभी साहेब का,.. वो साहेब के मन में क्या है और बन्दे के मन में क्या है, तो बन्दे के मन में एक हैं, साहेब के मन में दूसरी है तो वो किस तरह से प्लानिंग को, वर्ल्ड के प्लेन को चेंज कर करके वो क्या वर्ल्ड बनाना चाहता है और हमारे पास पूर्ण सुख शान्ति कैसे आएंगा अभी उसी प्लेन का एक्ट चलेंगा, तो गॉड की एक्ट तो वो कैसे चलेंगी और उससे हम सदा सुखी कैसे बनेंगे वो बैठ कर के समझा रहें हैं, अभी उसके प्लेन को काम होना ही है उस भावी को कोई टाल नहीं सकते। उसके लिए गॉड भी कहते हैं की मैं भी क्या कर सकूंगा वो है, वो होना ही है लेकिन उसके लिए अभी तुमको क्या करना है वो करो। तो क्या करना है उसी का हमको मिल रहे हैं डाएरेक्शन्श। अभी उसी डाएरेकशंश को अमल में लाना है। तो बी प्योर एंड बी योगी, तुम्हारे लिए ये तुम हो जाओ बस तुम्हारा अपना काम करो, में अपना काम करूंगा। फिर तुम्हारी दुनिया सुखी बनेंगी तो सुख लेना, उसमे क्या है, सुख ही चाहते हो न, शान्ति ही चाहते हो न बस उसी तरीके मिलेंगी इसका और कोई,..अगर और किसी को और गॉड को भी राय देवे हाँ कोई प्लेन आवे तो बतावे की एसा न करो तो इसी तरीके कोई और विचार हो तो तरीके से,.. गॉड अथोरिटी है वो अथोरिटी इसी तरीके न करे, ऐसा करे कोई बताओ क्या हो सकता है। इसीलिए बाप कहते हैं नहीं बच्चे मैं जानता हूँ इसीलिए मेरे लिए ही कहा हुआ है जब जब अधर्म होता है तब तब मैं आता हूँ अधर्म विनाश और धर्म स्थापना का कार्य मेरे पर सौंपा हुआ है सदा के लिए। मैंने कहा है जब जब ये होता है तब तब मैं आता हूँ। ये कार्य मेरा ही है इस कार्य को और कोई कर नहीं सकता। ये कार्य मेरे से होना है और उसी के लिए ही मेरी महिमा है, मुझे याद करते हैं की अभी तेरा काम आ गया है। हम तो सब कर करके थक गये, सब बिचारे कर करके हां जितना बिचारे बनाने की करें उतना और ही बिगडती जाती है। और इसीलिए कहते है हम तो थक गये, अभी तू आ। अब तेरा बल काम करेंगा, हमारा नहीं करेंगा। इसीलिए बाप कहते हैं अभी आया हुआ हूँ अब धेर्य धरो। आ चुका हूँ, परन्तु अभी मुझे भी मदद करो न। मुझे मदद क्या करते तो अपने लिए ये मेरा कोई बिगड़ा है घर, बिगड़ा भी तेरा घर है में भी तेरे घर को बनाने लिए आया हूँ, मेरा घर तो बड़ा साइलेंस वर्ल्ड है, वहां तो कोई बिगाड़े की बात ही नहीं हैं। बिगड़ा हैं तेरा कार्पोरिअल वर्ल्ड , मैं भी आया हूँ तेरे घर को सुधारने के लिए, तो तू अपने घर सुधारने की मदद नहीं करेंगे, मुझे अपने सुधार के लिए तो अपने सुधार के लिए अथवा अपने सुख शांति पाने के लिए ये खुद के लिए हैं न, कोई हम परमात्मा के लिए थोड़ी मेहरबानी करते हैं उसके लिए तो नहीं है न। करते हैं तो अपने लिए करते हैं। तो अपने लिए करने के लिए पूरा पुरुषार्थ रखना ही चाहिए। तो ये है सब चीजों को समझना और समझ कर कर के बाप से अपना पूरा अधिकार लेना। अच्छा अभी टाइम हुआ है हाँ, जैसे ये टाइम भी देखा जाता है न भाई टाइम हुआ है तो अभी बेहद का भी टाइम पूरा हुआ है हाँ उस घडी को भी देखते रहो की अब घडी में कितना बजा है। देखो घडी में कितना बज गया। घडी लगाईं है न, ये इसमें काँटा लगाया है, की घडी का अभी टाइम बड़ा कलयुग का अभी थोडा है अभी गोल्डन एज आए अभी घडी में बहुत थोडा टाइम है। ये लास्ट जन्म है बेहद घडी का, इसीलिए इसमें काम करना है तो ये अभी ये सोंच के अपना पुरुषार्थ रखो तो वो बेहद की घडी जैसे ये घडी देखते हो तैसे वो बुद्धहि से वो भी देखते रहो की अभी कितना बजा है अब टाइम निकट है।