मम्मा मुरली मधुबन           

  सन्देश - मोहिनी बहन - 23-06-65

 


ओम शांति ।
आप सब का याद प्यार लेकर जब वतन में पहुँची तो क्या देखा- मम्मा बाबा और कुछ अनन्य भाई बहनें जैसे कोई मीटिंग कर रहे थे लेकिन क्या कर रहे थे, वह मुझे सुनाई नहीं देता था लेकिन ऐसा लगता था कि जैसे कोई गहरी बात कर रहे हों। एक सेकंड तो खड़ी रही, फिर बाबा की नज़र मेरे पर पड़ी। बाबा ने बुलाया कि आओ बच्ची आप भी इस महफिल में आओ, तो मैं भी उसमें शामिल हुई । मीठी मम्मा की मीठी दृष्टि जैसे इतनी प्यार भरी, शक्ति भरी, एक सेकेंड तो मैं उसमें खो गई । उस संगठन में दीदी भी थी तो भाऊ भी था, चंद्रमणि दादी भी थी तो ब्रिजेंद्रा दादी भी थी, मतलब आठ दस दादियाँ थी । भाई थे, पुष्पशांता भी थी, जगदीश भाई भी था । तो मैं सबके चेहरे देखने लगी जैसे नैन मुलाकात भी करती हूँ और पूछ भी रही हूँ आँखों से ही बात हो रही है । तो मैंने दीदी से पूछा कि दीदी क्या बात कर रही थी, अभी वह बात बंद हो गई है तो दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा कि बाबा से पूछो । तो मैंने बाबा की और देखा तो बाबा ने कहा कि ये मेरे रायबहादुर, रायसाहब बच्चे आज मम्मा के साथ बैठे हैं तो भविष्य का प्लान बना रहे थे । हाँ, तो मैंने कहा भविष्य का प्लान क्या बना रहे थे, तो बोला अब मैंने इशारा दे दिया, अब इनसे ही पूछो क्या बना रहे थे, तब तक मैं चक्कर लगा कर आता हूँ। तो बाबा तो उठ कर चला गया, चतुर सुजान तो है । फिर मैंने मम्मा से पूछा कि मम्मा आज आप इतनी सारी सखियों के साथ में मिली हो, बाबा ने इशारा दिया तो क्या प्लान बना रही थी तो मम्मा मुझसे पूछती है कि अच्छा एक बात आप सुनाइए, मैंने कहा क्या मम्मा, बोला आप संपूर्ण बनी हो? मैं हैरान हो गई कि मेरे से ही मम्मा पूछ रही है कि संपूर्ण बनी हो, तो मैंने कहा मम्मा ड्रामा प्लान अनुसार, समय के अनुसार तो मैं कहूँगी इस अनुसार तो मैं संपूर्ण हूँ कि मेरा शरीर छूट जाए तो ये मैं समझूंगी तो मम्मी कहती है कि युक्ति से जवाब दे रही हो तो मैंने कहा कि मम्मा जब एकदम संपूर्ण हो जाएँगे तो मैं तो फिर कर्मातीत बन गई फिर तो यहाँ रहूँगी नहीं ना, लेकिन समय के अनुसार इतना हम कहेंगे कि हाँ मम्मा अभी समय अनुसार संपूर्ण हूँ, तो दीदी कहती है मम्मा इनको सारा सुनाओ ना, तो मम्मा तो बहुत गंभीर है ना, इतनी जल्दी कहाँ सुनाने वाली, तो मम्मा ने उन सब की और देखा, मम्मा ने जैसे जगदीश भाई की और देखा कि आप सुनाएं, लेकिन जगदीश भाई भी चुपचाप बैठे रहे कुछ सुनाए ही नहीं, तो मैंने दीदी को कहा दीदी आप सुनाओ ना या चंद्रमणि दादी आप सुनाओ तो चंद्रमणि दादी कहती कोई बोलता ही नहीं है । मैंने कहा आप बोलो, आप सुनाओ तो चंद्रमणि दादी ने कहा कि हमारी मीटिंग हो रही थी, आपस में राय कर रहे थे कि दुनिया के अंदर हलचल तो बहुत है लेकिन एकमत नहीं है । कोई कहता है हाँ तैयार है, कोई कहता है कि अभी थोड़ा रुको लेकिन हलचल चारों तरफ है । लेकिन जब तक एकमत नहीं होते हैं ना, तब तक तो कोई कार्य संपन्न नहीं होता है, कभी पुरुषार्थ में तो देखेंगे बहुत बहुत बहुत अच्छे हैं और कभी देखेंगे तो जैसे कर लेंगे, हो जाएगा, जैसे दूसरे लोग कहते हैं ना, बाहर वाले कि कर लेंगे, देख लेंगे, ऐसी कभी-कभी आप भी कहना शुरू कर देते हो कि समय पर हो जाएगा, कर लेंगे तो बाबा ने कहा कि अभी आप सब बच्चे भी एकमत नहीं हुए हो, एकरस नहीं बने हो । कोई कहता है बाबा हम रेडी हैं, कोई कहता है बाबा थोड़ा ठहरो । तो मैंने कहा बाबा यह एडवांस पार्टी क्या कहती है, मम्मा से पूँछो बाबा कहते हैं, मम्मा से पूछा ये लोग क्या कहते हैं तो मम्मा ने कहा इनसे पूँछो क्या कहते हैं, तो मैंने फिर पूछा तो बृजेंद्र दादी कहती हम तो रेडी हैं । हमें तो जब बाबा इशारा दे तो हम तो सब प्रत्यक्ष होने वाले हैं, सब रेडी हैं । देर है तो आप लोगों की देर है । आप लोग हाँ करो तो हमारी तो हाँ है ही । तो एकदम जैसे सब शांत हो गए तो मम्मा कहती अब बताओ जवाब दो । मैंने कहा मम्मा अब तो समय ही कुछ करेगा । हर एक के अंदर उमंग उत्साह तो बहुत है, पुरुषार्थ भी कर रहे हैं भट्टियाँ भी कर रहे हैं, स्व परिवर्तन का भी लक्ष्य रखा है, हम कर तो रहे हैं लेकिन बाकी समय पर सब हो जाएगा । तो मम्मा कहती अच्छा समय का इंतजार कर रहे हो । मैंने कहा समय का इंतजार नहीं कर रहे हैं लेकिन इतना सब हुआ है तो बाकी भी समय पर सब हो जाएगा, तैयार हो जाएँगे । तो मम्मा ने कहा कि आपके पुरुषार्थ के अनुसार जब दुनिया में हलचल होती है तो आप अपना पुरुषार्थी तीव्र कर देते हो और दुनिया की जब हलचल नहीं दिखाई देती तो आप भी अपना पुरुषार्थ हल्का कर देते हो । अभी आप दुनिया की हलचल के आधार पर पुरुषार्थ करते हो, लेकिन जब आप अपना पुरुषार्थ करेंगे ना, तब दुनिया में हलचल होगी और ऐसी हलचल होगी जो फिर उसको रोकना मुश्किल हो जाएगा । चारों तरफ से घेराव तो डाल दिया गया है, चारों तरफ घेराव है, लेकिन इशारे की देरी है । हम सब तैयार हैं लेकिन आप की तरफ से इशारा आवे तो यह कार्य शुरू हो जाए । तो मैंने कहा बाबा हमारी तरफ से तो आप ही इशारा दोगे ना, हम कैसे देंगे । तो कहा वह भी समय आ जाएगा लेकिन ऐसा समय आने वाला है मम्मा ने कहा, कि ऐसा समय आने वाला है जिसमें बच्चों को बहुत ही अचल अडोल रहना है, सामना करने की शक्ति धारण करना है क्योंकि चारों तरफ से प्रकृति भी, माया भी हर प्रकार से घेराव डालेगी । उस समय आपको अपनी संपूर्ण में स्टेज सामना करना है और उस समय ही यह एडवांस पार्टी प्रत्यक्ष होगी आप लोगों के सामने और जय जयकार होगी । उधर हाहाकार सुनेंगे इधर जय जयकार सुनेंगे । यह सीन जो है, वह बहुत जल्दी सामने आने वाला है । अभी थोड़ा सा टाइम आप सबको दिया हुआ है कि उस थोड़े से टाइम में आप ज्वाला रूप, शक्ति रूप बन स्टेज पर आओ । अभी बचपन की बातें पूरी हुई, अभी ज्वाला रूप, शक्ति रूप बन के स्टेज पर आने का समय है, अभी ये नाज नखरे अलबेला नहीं चलेगा इसलिए अपने स्वमान में अभी सब को स्थिर होना है और जिस दिन ऐसा हुआ, शुरू हुआ वह दिन मिरुआ मौत मलूका शिकार । आप सब बच्चे अच्छी तरह से देखेंगे और यह जो प्रैक्टिस की हुई है अशरीरी बनना वह उसी समय काम में आएगा कि अशरीरी बन जाएँगे और खेल देखेंगे और जब वह खेल पूरा हो जाएगा फिर शरीर में आ जाएँगे । तो यह अशरीरी बनना और शरीर में आना यह वही कर सकेंगे और देख सकेंगे जो शक्ति रूप, विकराल रूप, ज्वाला रूप होंगे । तो इसलिए बाबा बच्चों को ही इशारा देता है कि अपने स्वमान में, शक्ति रूप में स्थिर हो जाओ । तो मैंने कहा मम्मा आज इतने सारे लोग आए हैं, आप कोई ना कोई इशारा दो कि कैसे शक्ति रूप बनें, कैसे इस में स्थित होवें, तो सब बहने कहने लगी कि हाँ हाँ मम्मा कुछ कहे, कुछ कहे, कुछ कहे, तो मम्मा ने कहा कि बाबा से ही इशारा लो, तो बाबा कहता है (तब तक बाबा आ गया था) तो बाबा कहता है कि मम्मा आज आपका विशेष यादगार दिन है ना, आप इशारा दो । तो मम्मा मुस्कुराई और बाबा की आज्ञा का पालन करने में तो मम्मा नंबर वन, हाँ जी का पाठ । तो मम्मा ने कहा कि ऐसे समय बाबा की छत्रछाया चाहिए । जो छत्रछाया में रहेगा ना, वो सेफ रहेगा और जो छत्रछाया से बाहर रहेगा तो सेफ्टी नहीं रहेगी । तो मैंने कहा मम्मा छत्रछाया क्या, तो मम्मा ने एक सीन दिखलाया । वो सीन क्या दिखलाया, कि जैसे राजाओं महाराजाओं के पीछे छत्र दिखाते हैं ना तो ऐसे छत्र लेकिन वह दूसरी तरह का था लाइट का और उसके ऊपर शिव बाबा और शिव बाबा जैसे चारों और घूम रहा है और चारों तरफ अपनी लाइट जो है ना, वह फेंक रहा है और यह जो छतरी के चारों और होते हैं ना तो वो भिन्न-भिन्न कलर के थे और उस भिन्न-भिन्न कलर के ऊपर लिखा हुआ था शांति, प्रेम, शक्ति ऐसे एक-एक शक्ति और एक-एक गुण जैसे लिखा हुआ था और उसी अनुसार उसकी लाइट थी और जब उसके नीचे अनुभव किया तो ऐसा लगा कि जैसे सब शक्तियाँ जैसे हमारे अंदर हो और एकदम शीतलता, शांति जैसे उसका अनुभव किया । ऐसा लगा जैसे बाबा की छत्रछाया में हम बैठे हुए हों सेफ, कोई आवाज नहीं है, कोई भय नहीं है, कोई कुछ नहीं है । तो कहा की देखो हमारे ऊपर बाबा बैठा हुआ है और बाबा सब को सर्च लाइट दे रहा है । और यह जो बाबा ने शक्तियाँ दी हुई हैं, नैतिक गुण दिए हुए हैं मूल्य दिए हुए हैं इसकी धारणा और पालना हम करते हैं ना, उसमें तुम्हारी सेफ्टी है । तो जब भी ऐसा समय कोई आता है तो उस छत्रछाया में बैठ जाओ तो सेफ रहेंगे । तो सेफ्टी का साधन है यह छत्रछाया । तो बाबा कहते हैं हमेशा बाप की छत्रछाया में रहो, तो आज मम्मा भी आपको यह छत्रछाया दे रही है, जो हमारे बाबा ने हम बच्चों को यह इशारा दिया है । तो बाप की छत्रछाया में रहने से सदा सेफ रहेंगे, तो सदा सेफ्टी का साधन है बाबा की छत्रछाया । तो यह एक सीन मम्मा ने दिखाया । सब ने उसको देखा और कहा की ये सौगात मेरी आप लेकर जाना और सभी को देना । कहना कि यह छत्रछाया सदा अपने साथ रखें और समय पर इसको यूज़ करें तो आप सदा ही सेफ भी रहेंगे और आगे बढ़ भी सकेंगे और बाबा की सदा मदद का भी अनुभव करेंगे । तो उस समय मम्मा जिस समय सुना रही थी, तो सभी इतनी शांति से चुपचाप ऐसे जैसे पिनड्रॉप साइलेंस थी न ऐसे । तो बाबा ने कहा सुना, मम्मा ने सबको सौगात दी । देखो मम्मा बच्ची की विशेषता कि बाबा ने कहा और हाँ जी कहा । ये हाँ जी का पाठ पक्का करने वाले बच्चों के आगे प्रकृति भी, भगवान् भी जी हजूर करता है । तो ऐसे कहा बाबा ने और कहा कि आप सब आज से यह पाठ पक्का करना कि कोई भी डायरेक्शन मिलता है तो हाँ जी । हाँ जी कहने से एक तो आपमें धारणा भी हो जाएगी, बाप की मदद भी मिलेगी और वह पक्का भी हो जाएगा । फिर मैंने कहा बाबा आज तो बहुत भोग आया है, सारे थाल के थाल बाबा के आगे, सब बहनों के आगे इमर्ज हो गए तो हमने कहा दादी ने बहुत बहुत बहुत प्यार से यह भोग भेजा है तो सब देखने लगे इतने बड़े थाल यहाँ तो छोटी सी थाली थी न, वहाँ तो बहुत बहुत बड़ा थाल था, कहें कितने प्रकार का है कितने प्रकार का है सब पूछते हैं मैने कहा छप्पन प्रकार का है, बोले छप्पन प्रकार का है? मम्मा आपके लिए दादी ने छप्पन प्रकार का भोग भेजा है तो मम्मा मुस्कुराई और जैसे ऐसे बैठी रही मुस्कुरा के, और सब देखने लगे कि क्या क्या आया है क्या क्या आया है लेकिन मम्मा जैसे शांति से ऐसे बैठी रही तो दीदी कहती है मम्मा देखो ना क्या क्या है क्या आया है, मम्मा कहती है आप देखो फिर हमको बताना क्या आया है । फिर सारा देखा तो बाबा ने कहा के देखो कुमारका बच्ची को शौक बहुत है, उमंग बहुत है मम्मा की सखी है ना । मम्मा आपकी सखी है न, तो मम्मा तो मुस्कुराती जैसे ऐसे, तो कहा देखो आपकी सखी ने आपके लिए कितना वैरायटी भेजा है और सब एक से एक अच्छा आया है, तो स्वीकार करो मम्मा । मम्मा तो बैठी रही तो चंद्रमणि दादी कहती है ना मम्मा ऐसे थोड़ी स्वीकार करेंगी, आप पहले खाएँगे पीछे मम्मा खाएँगी । तो बाबा कहता आज तो मम्मा का दिन है, आज पहले मम्मा खाएगी पीछे सब । तो मम्मा तो देखती रही बाबा को, न हाथ हिलाए न कुछ करे, फिर बाबा ने कहा अच्छा, बच्ची खाएगी तो नहीं बिना बाबा को खिलाए । तो बोले अच्छा बाबा को आप खिलाओ ना, फिर भी मम्मा बैठी बाबा को खिलाए ही नहीं, तो हमने कहा बाबा को खिलाओ, तो मम्मा कहती आप लेकर आई हो आप बाबा को खिलाओ । मैंने कहा आज मैं नहीं खिलाएंगी, आज आप ही खिलाओ बाबा को । तो बाबा बोला आज मैं पहले मम्मा के हाथ से खाऊंगा । मम्मा ने प्यार से उठाया और बाबा को प्यार से खिलाया तो मैंने कहा बाबा आप भी मम्मा को खिलाओ । बाबा ने मम्मा को बाबा ने मम्मा खिलाया । ऐसे खिलाया तो सब बहुत खुश हुए, फिर उसके बाद में एक-दो को खिलाने का सिलसिला जारी हुआ । सब ने बहुत बहुत बहुत प्यार से एक एक चीज खिलाई भी खाई भी । तो बाबा ने कहा कि देखो बच्ची आज आपका दिन है ना, तो सब आपको कितना याद करते हैं तो मैंने कहा मम्मा आप को तो सब बहुत याद करते हैं मम्मा बहुत गंभीर है ना तो कुछ जल्दी जवाब नहीं देती है ना, सिर्फ मुस्कुराती रहती है, मुस्कुराती रहती है । तो मैंने कहा मम्मा कुछ तो बोलो ना, तो मम्मा बोली बाबा बोलता है ना, बाबा का सुनो । बाबा ने कहा आज मम्मा आप का दिन है आप बोलो ना, बाबा तो बोलता ही रहता है । तो मम्मा ने कहा कि देखो हमारी सब की आज यहाँ मीटिंग हुई है ना, उसमें एक बात ही निकली है कि अभी जैसे हम लोग चारों तरफ से घेराव डाल रहे हैं, ऐसे आप लोग भी चारों तरफ से घेराव डालो । उसमें क्या होगा एक तो सब को संदेश भी मिल जाएगा, जो आपका काम रहा हुआ है वह भी हो जाएगा और चारों तरफ आपका नाम भी बाला हो जाएगा । अभी आपका नाम इतना बाला हो गया है, जो खुद आने के लिए चाहते हैं कि आएँ आएँ आएँ और आप उनको अभी मना करते हो अभी आप ना आओ, थोड़े आओ । तो ऐसा समय आएगा कि जब आप मना भी करेंगे ना, समय है समय है ना, तो भी लोग आएँगे । एक कदम भी रख के जाएँगे तो समझेंगे मेरा भाग्य बन गया है तो इसलिए अपने समय ऐसा आने वाला है जैसे अभी आप लिमिट देती हो कि थोड़े थोड़े थोड़े आओ लेकिन उस समय कोई सुनेगा नहीं की थोड़े आओ, लाइन लग जाएगी और थोड़े में ही अपना भाग्य बना कर जाएँगे । तो ऐसा समय आने वाला है जो अपना भाग्य बनाने के लिए लाइन लगेगी और उस समय कोई सुनेगा नहीं आपकी । ये जो गाया हुआ है, यह तीरथ है ना, वह तीरथ प्रत्यक्ष होना है । तो इसीलिए अभी आपकी चारों तरफ प्रत्यक्षता शुरू हो गई है और धीरे-धीरे और प्रत्यक्षता बढ़ने वाली है, इसके लिए आप सबको देने के लिए तैयार रहना है । कोई भी आत्मा खाली हाथ ना जाए तो उसके लिए दातापन की स्टेज में, वरदातापन की स्टेज में आप सब को तैयार रहना है । तो इसलिए आपका जो टाइटल है वरदानीमूरत, विश्वकल्याणी मूरत तो यह आपका पार्ट जो है शुरू होने वाला है । ऐसे कहते मम्मा ने सबको बहुत बहुत बहुत याद प्यार दिया और बाबा ने भी याद प्यार दिया, फिर हम नीचे आ गए । दादी को तो बाबा ने बहुत बहुत बहुत याद प्यार दिया और कहा कि दादी बच्ची को बहुत बहुत याद प्यार देना । बच्ची तो बाप के नैनों में, दिल में समाई हुई है ।