मम्मा मुरली मधुबन           

 023. Shreshta Charee Banne Ka Gyan - 1


 

रिकॉर्ड:

आज के इस इंसान को यह क्या हो गया.....
ओम शांति । यह जो गीत सुना अपने भारत के अभी के हाल का कि आज हमारा भारत जिस भारत का नाम बड़ा ऊंचा है प्राचीन भारत और आज का भारत । प्राचीन भारत की बहुत ऊंची महिमा है। यह क्यों महिमा है, अपने प्राचीन भारत की स्थिति अथवा जो हालत थी और आज की जो भारत की दशा है उसमें जैसे रात और दिन का फर्क है ना वैसा फर्क है । हमारा यही देश जिसको कहा जाता था सोने की चिड़िया, नाम है ना और उसी टाइम ही कहा जाता था बिचारा गांधीजी भी गाते थे और उसी की भावना थी यह राज रामराज्य बनाने की, जिसका आज दिन तक भी मनाते हैं ना जब भारत स्वतंत्र हुआ है तो उसका चिन्ह है इसीलिए परंतु उसने भी गीता से स्वराज्य, स्वतंत्रता यह सभी बातें निकाली थी परंतु वह स्वराज्य अथवा स्वतंत्रता जो प्राप्त करी थी, जिसकी भावना थी उसकी रामराज्य बनाने की वह चीज जिस आधार से बनी थी वह आधार प्रैक्टिकल उसके लिए कोई मनुष्य का काम नहीं है। मनुष्य बिचारा जितना काम कर सका इतना तो किया, भारत को स्वतंत्र किया या इतना भारत का जो कुछ चला रहे हैं वो चला रहे हैं लेकिन यह जो प्राचीन भारत की महिमा है जिसमें हम सब सुखी थे और उसी समय की बात है कि राम राजा राम प्रजा राम साहुकार है, बसे नगरी जिए दाता धर्म का उपकार है, महिमा है ना यह तो वो जो प्राचीन भारत की स्थिति थी और जिस तरह से बनाई गई थी वह किसने बनाई थी और वह जो स्वतंत्रता और वह जो हमारी जीवन की लाइफ थी वो कैसे बनी थी इन बातों को समझना है, यह इसी तरीके से नहीं है। यह स्वतंत्रता या यह आजादी या यह हमारा स्वराज, यह स्वराज वह स्वराज नहीं है जो भारत का प्राचीन स्वराज गया हुआ है जिसको याद करते हैं । आज तो देखो भारत के हाल पर रोते हैं ना कि आज देखो क्या स्थिति है । तो यह भारत का हाल आज रोने का है, दुःख का है, अशांति का है परंतु हमारे भारत की प्राचीन जो गाई हुई है वो बहुत ऊंची और सुख की लाइफ थी लेकिन वह बनी थी कैसे उसका अर्थ भी पहले समझना है कि वह बनी थी उसी आधार पर कि पहली-पहली जो स्वतंत्रता चाहिए ना अथवा आजादी चाहिए वह कौन सी चाहिए। यह तो हुआ ब्रिटिश गवर्नमेंट से, फैलाने से, दूसरे से दूसरे देश का आजाद होना लेकिन पहले पहले तो हम अपने कर्मों से आजाद कहां हुए हैं । हमारे कर्म का खाता जो है वह बड़ा हमने खाता दुख का बनाया हुआ है, जिसके के कारण हमको दुख भोगना ही पड़ता है तो फिर भारत स्वतंत्र होकर के क्या भी हो परंतु वह सुख हम पा भी कैसे सकते हैं । स्वतंत्र होते भी आज देखो हम दुःख को पा रहे हैं क्योंकि हम कर्मों से स्वतंत्र नहीं हुए हैं इसीलिए हमारे कर्म की आज गिरावट है । ये तो इसी पर ही नाम कहते हैं ना भ्रष्टाचार फलाने फलाने हमारा आचरण गिरा हुआ है इसीलिए आचरण गिरने वालों को सुख कैसे प्राप्त हो सकता है जब तक लगा आचरण कड़े नहीं है हमारे कर्म श्रेष्ठ नहीं बने हैं तो कर्म श्रेष्ठ का भोग अथवा सुख का भोग हम पा कैसे सकते हैं। जब हमारे कर्म श्रेष्ठ हो हमारा आचरण श्रेष्ठ हो तभी तो हम श्रेष्ठ प्राप्ति अथवा सुख की प्राप्ति कर सकते हैं ना। आचरण गिरा हुआ है, कर्म गिरे हुए हैं तो उस गिरे हुए कर्मों का नतीजा तो दुखी पाना पड़ेगा तो पहले स्वतंत्र किससे होना है इन्हीं कर्म के जो हम भ्रष्ट कर्मों के कारण हम दुःखी हुए हैं जब तलक उस दुख के आचरण से यानी भ्रष्ट आचरण से हम स्वतंत्र नहीं हुए हैं तब तलक हम तो सुख और शांति पा ही नहीं सकते हैं । तो पहले पहले स्वतंत्र होना है , आजाद होना है उनसे जो हमको भ्रष्टाचारी बना रहा है । यह कौन बनाते हैं, यह पांच विकार । विकार है जो मनुष्य को भ्रष्ट बनाता है और जब विकार नहीं था तब आचरण अथवा कर्म श्रेष्ठ थे । तो जब तलक मनुष्य इन पांच विकारों से स्वतंत्र नहीं हुआ है ना तब तलक मानो भ्रष्टाचार से स्वतंत्र नहीं हुआ है । तो भ्रष्टाचार से स्वतंत्र नहीं हुआ तो दुख और अशांति से कैसे स्वतंत्र होगा । तो दुःख और अशांति पा करके रहना इसको थोड़े ही स्वतंत्रता कहेंगे । स्वतंत्रता जो गांधी जी ने नाम उठाया था वह गीता के आधार पर परंतु वह गीता के भगवान ने जो स्वतंत्रता दी थी ना वह विकारों से दी थी लेकिन वह चीज तो प्रैक्टिकल बन नहीं पाई ना इसीलिए अभी वह चीज कैसे बने और किसने बनाई इन्हीं सभी बातों को समझना भी है और उसी चीज को पाना है। तो आप लोगों को यह खुशखबरी सुनाते हैं कि हां अभी वो टाइम आया हुआ है, जो बापूजी की इच्छा थी ना कि अपना भारत रामराज्य बने, स्वतंत्र होते भी वह चीज नहीं बनी रामराज्य । तो वो रामराज तो बनाएगा राम ना, निराकार परमात्मा । उसको बनाने वाला वह चाहिए कोई मनुष्य का वो काम नहीं है । इसीलिए वो अभी आ करके अभी रामराज्य कहो या हमारा संसार जो स्वर्ग था या भारत जो प्राचीन श्रेष्ठ था वह क्या था कैसे था उसी कर्म श्रेष्ठ की नॉलेज अभी परमात्मा दे रहा है । यह इसी की कॉलेज है जिसमें बैठे हो, आए हो , परंतु अभी तो आए हो ना । परंतु कहा स्टूडेंट बनना है , यह स्टडी करनी है, ये समझने की है प्रैक्टिकल में और इस नॉलेज को धारण करके इस नॉलेज की स्टेटस पानी है। जैसे डॉक्टरी नॉलेज से डॉक्टर बनते हैं ना इंजीनियरी नॉलेज इंजीनियरी स्टेटस होती है इसी तरह से यह भी नॉलेज है जिसको धारण करके उसकी स्टेटस वो जो रामराज की थी ना देवी देवता पद वह प्राप्त रहेगा परंतु उससे पहले समझे ना । तो यह है वह कॉलेज, कॉलेज समझो, स्कूल समझो, यूनिवर्सिटी समझो जो भी देखो इसका नाम पढ़ते हैं न ईश्वरीय विश्व विद्यालय तो ये है ईश्वरीय, ईश्वरीय का मतलब है जहां ईश्वर है पढ़ाने वाला, यह विद्यालय उसको है कोई मनुष्य का नहीं है । यह आप सबका जो पिता है ना परमपिता जो सबका पिता भी है और फिर टीचर भी है, शिक्षक भी है, तो वह शिक्षक स्वयं परमात्मा एक अर्जुन के लिए तो नहीं आया था ना, वह तो दुनिया के नर और नारी के लिए शिक्षक बन करके आया था शिक्षा देने के लिए कि जब तलक तुम अपने भ्रष्ट आचरण से ना हटे हो और इन विकारों से नहीं हटे हो तब तलक तुम सुख शांति पा नहीं सकते हो, तो पहले पहले स्वतंत्र बनो, आजाद बनो किससे, इस भ्रष्ट आचरण से अर्थात यह पांच विकार जो भ्रष्ट बनाने वाले हैं उन्हों से । तो अभी वह कैसे हो वह बैठ करके सिखा रहे हैं । तो यह है कॉलेज अपने उन विकारों से छुटकारा पा करके अपनी प्योर जीवन बना करके फिर प्योरिटी के बाद पीस एंड प्रोस्पेरिटी। फर्स्ट प्योरिटी चाहिए ना, नो प्योरिटी नो पीस एंड प्रोस्पेरिटी। तो फर्स्ट प्योरिटी चाहिए न तो यह है प्योरिटी को धारण कराने की कॉलेज और वह पढ़ा रहा है परमपिता परमात्मा, जिसने कहा है कि जब जब ऐसी भ्रष्टाचारी दुनिया बनती है तब तब मैं आता हूं। अधर्म कहा है ना, जब जब अधर्मी दुनिया होती है तब तब तो अधर्मी कहो या भ्रष्टाचारी कहो बात तो एक ही है ना तो भ्रष्टाचारी कहो अधर्मी कहो बात एक ही है । तो अभी अधर्मी अथवा भ्रष्टाचारी दुनिया का अभी यह अंत का समय है इसीलिए परमात्मा ने कहा है जब ऐसी दुनिया होती है तब मैं आता हूं और आ करके फिर आकर के सत धर्म अथवा श्रेष्ठाचार अथवा स्वर्ग कहो, हेवन कहो बात एक ही है ऐसी दुनिया बनाता हूं परंतु बनेगी हमारे कर्म श्रेष्ठ से ना ऐसे थोड़े ही बन जाएगी नहीं, कर्म श्रेष्ठ से । तो हम क्या कर्म करें, कर्म श्रेष्ठ किसको कहा जाता है उन्हीं सभी बातों को समझना है। यह जो कई समझते हैं कि हां इतना तो हमको मालूम है कि भाई सच बोलना, झूठ ना बोलना, किसी को धोखा ना देना, किसी का गला ना काटना, खून ना करना, चोरी ना करना यह काम नहीं करना यह बुरे हैं परंतु नहीं पहले पहले यह बुराई आती कहां से है, हम बुरे कैसे बनते हैं वह भी तो चीजें समझने की है ना कि जब तलक मनुष्य को सेल्फ रियलाइजेशन नहीं है व्हाट एम आई, अपना पता नहीं है मेरा क्रिएटर कौन है, अपने पिता का पता नहीं है जब तलक इन बातों का नॉलेज नहीं है ना तो उससे भ्रष्टाचार होता ही रहेगा । तो पहले पहले तो इसका नॉलेज होना चाहिए कि व्हाट एम आई। आई का पता होना चाहिए कि आई एम कौन , तो यह सभी बातों को समझना चाहिए। यह न जानने के कारण ही मनुष्य देखो विकारवश यह सब जो कर्म करते आते हैं तो भ्रष्ट ही बनते हैं तो यह सभी चीजों को समझना है इसीलिए इन बातों को जानना, अपने को यानी स्व को तो पहले सेल्फ को जानना चाहिए तभी हमको सेल्फ पावर मिलेगी जिसको फिर कहा जाता है सेल्फ रूल । तो सेल्फ रूल वह नहीं है कि स्वतंत्र हो करके सेल्फ रूल परंतु पहले तो सेल्फ रूल चाहिए ना। आत्मा को अपने कर्म श्रेष्ठ के बल से पहले तो यहां सेल्फ रूल चाहिए। सेल्फ रूल कहां है, मरो तो मरो, रोगी बनो तो रोगी बनो , मनुष्य कुछ कर सकता है ? नो पावर। तो ये सब चीजें समझने की है ना, नहीं तो मनुष्य के पास वह पावर था जिसको स्पिरिचुअल पावर कहा जाता था, मनुष्य के पास यह बल था तो अभी तो वह बल नहीं है ना । तो इन्हीं सभी बातों को समझना है कि वह हमारी पावर जो हमारे पास एवर हेल्थी एवर वेल्थी और एवर हैप्पी रहने की पावर थी, हमारे पास कभी अकाले मृत्यु नहीं आता था। समझते हो , अकाले समझते हो ना, बिगर टाइम। हमारा शरीर छोड़ना, शरीर लेना अपने टाइम पर, जब टाइम होता था, पता चलता था, और बाल, युवा, वृद्ध स्टेज टाइम पर आती थी तब हम शरीर को ऐसे उतारते थे जैसे पुराने कपड़े उतारे जाते हैं ना, जैसे सांप का भी मिसाल दिया जाता है सांप एक खाल उतार करके दूसरी खाल चढ़ाते हैं ना इसी तरह से जैसे कि एक खाल उतारी और दूसरा शरीर लिया। इतना बल था लेकिन आज मरे तो मनुष्य चल सकता है बेबस है तो यह कहां है सेल्फ रूल? अपने पास वह पावर कहां है सेल्फ रूल जो अपने कर्म श्रेष्ठ का अपने पर रूल चला सके । तो अपना अपना ही पावर नहीं है तो जब हम कर्म श्रेष्ठ में ही नहीं है तो हम संसार का सुख कहां से पा सकते हैं। पहले तो यहां चाहिए ना ये पावर जिसको स्प्रिचुअल पावर कहा जाता है। तो यह सारी चीजें समझने की है कि जब तलक हमारे पास अपने सेल्फ रूल करने की पावर नहीं है और वह आएगी जब तलक हम अपने इन्हीं कर्मों से जो हमारे कर्म विकर्म बनते हैं इसी से हम स्वतंत्र नहीं हुए हैं तब तलक हम सेल्फ रूल नहीं कर सकते हैं । तो इधर सेल्फ रूल नहीं है तो हम सांसारिक सेल्फ रूल पा करके सदा सुख कैसे पा सकते हैं। हो ही नहीं सकता है क्योंकि कर्म के आधार पर ही सब है ना। सुख को पाना दु:ख को पाना यह राजा प्रजा सबका संबंध कर्मों के आधार पर है । तो हम एक दो से सुख तभी प्राप्त कर सकते हैं जब हमारे कर्म श्रेष्ठ हो । अगर कर्म श्रेष्ठ ही नहीं है तो हम सुख कहां से पा सकते हैं। तो कोई का किसी से सुख पाना हो ही नहीं सकता है जब तलक एक दो के संबंध में हमारे कर्म श्रेष्ठ हो इसीलिए उसको श्रेष्ठ बना करके उसी को हम कैसे ऊंच बनाएं तब हम सदा संसार में सुखी बन सकते हैं । तो उसके लिए ही परमात्मा ने जो गीता के भगवान ने कहा है ना सर्व शास्त्र शिरोमणि गीता में कि जब ऐसा टाइम आता है तब मैं आता हूं कर्म श्रेष्ठ की नॉलेज सिखाने के लिए। तो गीता के भगवान ने अर्जुन को भी तो बैठकर की यही कर्मों की फिलॉसफी के ऊपर ही तो सारा समझाया ना । कर्म की गति समझा करके उसको कहा कि अभी तू मेरे से मन लगा और मेरे द्वारा वह बल ले करके तू अपने कर्म को यह पांच विकार मोह आदि यह सब कहां ना इनको छोड़ो । तो यह सारी चीजों को समझना है कि यह पांच विकार जो है जिसके कारण ही मनुष्य के कर्म भ्रष्ट होते हैं और उसी से कैसे छुटकारा हो उन्हीं सभी बातों की नॉलेज और उसके लिए बल चाहिए । इसके लिए ही बैठ कर के परमात्मा ने वह राजयोग सिखलाया अथवा कर्मयोग कहा है ना तो यह कर्मयोग अथवा राजयोग सिखलाने की कॉलेज है, जो बैठ करके परमात्मा प्रैक्टिकली अभी सिखा रहे हैं कि जब प्रैक्टिकल में वही स्वर्ग की दुनिया आने की है परंतु आने की है तो कोई ऊपर से ऐसे ही नहीं आएगी। नहीं, यह तो हमारी कर्म से बनेगी ना, यहां ही बनेगी लेकिन कर्मों से जैसे कर्मों से ये हेल बनी है यानी दुःख और अशांति की दुनिया बनी है परंतु हमारे भ्रष्ट कर्मों के कारण बनी है फिर हमारे श्रेष्ठ कर्मों से यही दुनिया हेवन बनेगी m बाकी कोई हेवेन ऊपर नहीं है ना ऊपर से कोई इधर आएगी ना हेवेन या कोई ऐसी चीज नहीं है। यही दुनिया पलटती है, चेंज होती है तो हमारी चेंज ऑफ लाइफ, लाइफ की चेंज तो हमारी देखो यह लाइफ जो है इसको कहा जाता है दुःख और अशांति की इसको कहेंगे हेल की लाइफ फिर हमारी लाइफ की चेंज तो फिर हेवेन की लाइफ जिसमें हम सदा काल से सुख को पाते हैं। जिसने कभी रोग नहीं, कभी अकाले मृत्यु नहीं, कभी लड़ाई झगड़े नहीं । अगर आज हमारे संसार में यह लड़ाई झगड़े ना होते, हमारे पास हेल्थ का पूरा बल होता, कभी कोई डॉक्टर हॉस्पिटल ये कुछ ना होता, रोग ही नहीं होगा तो फिर काहे के लिए होंगे , रोग है तभी यह सब चीजें हैं । तो हमारे पास रोग ही ना हो , हमारे पास ऐसी कोई बातें ही ना हो तो फिर तो संसार सुखी है ना इसीलिए बाप कहते हैं मैंने जो संसार बनाया था और गीता के आधार पर परमात्मा ने जो आकर के काम किया था वह यह काम किया था । उसने संसार को रामराज्य बनाया था अर्थात हेवेन बनाया था । तो संसार अथवा दुनिया को हेवेन बनाने वाला एक ही परमपिता परमात्मा है जिसने बैठ करके समझाया है कि उसके लिए चाहिए प्योरिटी का फर्स्ट बल। जब तलक मनुष्य के पास वह बल नहीं है ना तो आप लोग जो शांति और सुख और आजादी और यह सभी चाहते है तो वह सच्ची आजादी और सच्ची स्वतंत्रता और सच्चा सुख तभी पा सकते हो जब तलक आप अपने इन पांच विकारों से छुटकारा नहीं पा सकते । तो पहले छुटकारा पाने का उपाय इसका चाहिए । भले गांधी जी ने भी पवित्रता के नाम पर बहुत अपनी संस्थाएं वगैरह खोली थी, इन सब बातों का लगाया था परंतु वो काम उसका उतना चल नहीं पाया क्योंकि उसमें बल चाहिए परमपिता परमात्मा का। वह काम कोई मनुष्य के करने का नहीं है इसीलिए परमात्मा ने कहा कि मैं आता हूं इस काम के लिए मैं आता हूं। यदा यदा, जब-जब ऐसा अधर्म का टाइम आता है तब तब मैं आता हूं तो ये अभी यह वो टाइम है और यही अभी डिस्ट्रक्शन और कंस्ट्रक्शन का कॉफल्यूएंस युग है जिसको कहा जाता है संगम यानी एक चक्कर पूरा होता है अभी नया चक्कर शुरू होता है इसीलिए यह हमारी इंप्योरिटी की जेनरेशंस की एंड है और फिर प्योरिटी की जेनरेशंस का अभी आदि होने का है इसीलिए परमात्मा के द्वारा यह प्योरिटी का जेनरेशंस का आरंभ होने के लिए ये प्योरिटी का फाउंडेशन पड़ रहा है अथवा सेपलिंग लग रहा है तो यह सभी चीजों को समझना है अच्छी तरह से। यह इंडिविजुअली सेपलिंग लगानी है। भगवान तो परमात्मा के द्वारा तो अपना वर्ल्ड का कार्य हो रहा है लेकिन इंडिविजुअली जो हरेक अपना-अपना प्योरिटी का सेप्लिंग लगाएंगे वह फिर प्योर वर्ल्ड में अथवा पवित्र स्वर्ग वाली दुनिया में अथवा सुख शांति वाली दुनिया में सदा सुख को पाएंगे, तो गीता के भगवान ने यह कार्य किया था। यह कोई नहीं जानता है कि गीता अथवा नॉलेज सुनाया उसी नॉलेज से दुनिया को क्या लाभ हुआ। दुनिया को यह लाभ हुआ कि दुनिया स्वर्ग बनी और उसने वह दुनिया को स्वर्ग बनाया। वही स्वर्ग जिसकी यादगार चित्रों में और कितने अपने मंदिरों में है यह श्री लक्ष्मी श्री नारायण श्री सीता श्री राम यह वही स्वर्ग के देवी देवताएं यह सूर्यवंशी यह चंद्रवंशी घरानों का नाम है जिन्हों के ये राजे और महाराजे होकर के गए हुए हैं । तो यह राजधानी जिसको कहा है राजयोग यानी इसी योग से ये राजाई स्थापन हुई है परमात्मा ने । तो यह सभी चीजों को समझना है कि अपना प्राचीन भारत जो था ना वह ऐसा था, जो मनुष्य यह थे एवर हेल्दी एवर वेल्थी एवर हैप्पी जिनके पास पूर्ण सुख था । हम ही थे, कोई दूसरे नहीं थे यह हम ही थे क्योंकि हमारी लाइफ की स्टेज इतनी ऊंची थी । तो अभी फिर से परमात्मा के द्वारा वह हमारी लाइफ की स्टेज ऊंची बनने का यह अभी काम हो रहा है लेकिन इसका लाभ जो इंडिविजुअली लेगा वही लेगा तब तो अपना प्राप्त कर सकेगा ना । तो इसीलिए आप लोगों को ऑफर करते हैं, खुशखबरी भी सुनाते हैं कि परमात्मा आया है वह अपना कार्य कर रहा है और आपको ऑफर भी करते हैं आप भी आकर के इसी चीज को समझो और समझ कर के अपने जीवन का जन्म सिद्ध अधिकार जो है ना बर्थ राइट उस पिता से लेने का वह आकर के लो क्योंकि हर एक को हक है क्योंकि बाप है ना पिता है ना, तो पिता से अपना जो बर्थ राइट है यह सदा सुख का वह प्राप्त करना हर एक बच्चे का धर्म है परंतु हर एक अपने को समझे ना उनका बच्चा । उनका बच्चा समझे और बाप अभी आया है उसको समझे और समझ कर के उससे अपना बर्थ राइट लेने के लिए जो बाप फरमान करता है उसका पालन करें ना। उसका फरमान है कि अभी बी प्योर एंड बी योगी तो यह फरमान पालन करना है ना । तो उसको पालन भी करना है तभी हम फिर उस प्योर वर्ल्ड का अथवा हेवेन का सुख प्राप्त कर सकते हैं बाकी सुख ऐसे ही थोड़ी मिलेगा । कितने हजार दुनिया अपने को समझे या कितना भी कुछ और प्रयत्न लेकिन देखो सब प्रयत्न से फिर भी लाइक तो दुःख अशांति की और ही चलती जा रही है ना । तो यह सभी बातों को समझना है इसीलिए आप लोगों को क्योंकि आज कुछ नए भी शायद आए हुए होंगे तो आप लोगों को बतलाते हैं कि आप लोग इन चीजों को आ करके कुछ टाइम दे करके सुनो और समझो और सच्ची-सच्ची स्वतंत्रता अथवा सच्ची सच्ची आजादी का पूर्ण पूर्ण सुख प्राप्त करने का क्या साधन है उसको जान करके उसको प्रैक्टिकल अपनाओ । तभी फिर हमारा संसार बर्थ आजादी का पूरा सुख पा सकेगा । बाकी यह तो आजादी ब्रिटिश गवर्नमेंट से भले आजाद हैं लेकिन अपने कर्मों से तो आजाद है ही नहीं इसीलिए हम दुःख और अशांति को पाते ही रह रहे हैं । तो अभी हमको चाहिए सुख शांति वह सुख शांति वाली चीज तभी मिलेगी जब इन विकारों से छूटेंगे. अभी विकारों से कैसे छूटे यह चीज समझना है। ऐसा नहीं है कि कोई समझे कि हम किसी का खून थोड़ी ही करते हैं, हम गला नहीं काटते हैं, चोरी नहीं करते हैं तो हमारे पास तो कोई भी कार है ही नहीं। नहीं, विकार तो मनुष्य में है ही , मनुष्य इसीलिए पाप करता ही रहता है जब तलक , मोह से भी पाप होता है, काम से ही पाप होता है, क्रोध से भी पाप होता है लेकिन इन सभी बातों को समझना है कि ये चीज हमारे से कैसे निकले और इनके सिवाय ऐसे भी नहीं है कि हमारा काम नहीं चलेगा, हमारा गृहस्थी व्यवहार रुक जाएगा, या वह चलेगा। नहीं, गृह व्यवहार को चलाने के लिए कोई पांच विकार जरूरी थोड़े ही है। नहीं, पांच विकारों से दुनिया , हमारा जो गृहस्थ व्यवहार चला है उनका आधार हमारी यादगार में है। मंदिरों में देखते हो ना वह भी गृहस्थ ही थे ना देवी देवताऐं। लक्ष्मीनारायण क्या थे, दोनों कपल थे न। तो देखो राजा थे, राजा रानी होकर के गए लेकिन उन्होंने इतनी राजधानी चला के, बाल बच्चे भी थे लेकिन वह पवित्र क्यों गिने जाते हैं, जरूर है उनकी लाइफ में और आज की हमारी लाइफ में कोई डिफरेंस तो है ना तभी तो हम उनको पूजते हैं न। तो वह क्या, वह भी गृहस्थी थे ना लेकिन गृहस्थ में रहते हुए निर्विकारी गिने जाते हैं कैसे और दुनिया चली है ना। तो ऐसा नहीं समझना उन विकारों की बिना दुनिया कैसे चलेगी, यह समझना रॉन्ग है। इसीलिए यह सब बातों को समझना है और इन्हीं के कारण ही दुःख है। तो दुःख से छूटना है तो पहले इन विकारों से आजाद होना है और इसी की आजादी के लिए कौन सा उपाय है , उसे कैसे हम नाश करें, उनसे कैसे छूटे उसके लिए उपाय कि यह कॉलेज है । यह कॉलेज परमात्मा की खोली हुई है जिसमें हम सभी स्टूडेंट्स हैं। अभी जो स्टूडेंट बनेगा वही तो स्टेटस पाएगा न । हम भी देखो अपनी स्टेटस पाने के लिए पुरुषार्थ में लगे हुए हैं, आप लोगों को भी ऑफर करते हैं कि आ करके इस चीज को समझो और इसको अच्छी तरह से जान करके प्रैक्टिकल लाइफ बनाओ और इसी के आधार पर आप भी अपना बर्थ राइट उस फादर का, गॉड का जो है ही सर्व समर्थ उन्हीं का जो बर्थ राइट है अथवा पिता, अपना परमपिता है उसका ही जो बर्थ राइट है उसको प्राप्त करो । तो उसमें देखो कितनी भारी ऑफर करते हैं तो अभी ऑफर भी देखो लेने वालों में कोटो में कोई भगवान ने पहले भी कहा है ना गीता में, गीता के भगवान ने देखो मैं आया हुआ हूं, सुनाया तो बहुतों को लेकिन निकलते ही कोटों में कोई मुझे कोटों कोऊ जानते हैं , तो बाप ने भी ऐसा कहा है परंतु हम तो कहेंगे ना अधिकार पाने के लिए तो हर एक को अपना रखना ही चाहिए । इसीलिए आप लोगों को अपने अनुभव और विवेक में जो चीज आई है उसी के आधार पर ऑफर करते हैं। तो यह गुड ऑफर है और गुड ऑफर को लेना चाहिए बाकी जो लेंगे वह पाएंगे ना लेंगे तो फिर कैसे पाएंगे । इसीलिए अगर चाहते हो पूर्ण सुख शांति तो फिर उसका आकर के साधन पूरा समझो । और बहुत सहज है कोई ऐसी डिफिकल्ट नहीं है, हमारे जैसे क्या डिफिकल्ट करेंगे। अगर कोई डिफिकल्ट हो तो देखो जो इतना इजी है तभी तो देखो माताएं और यह सब कर सकती हैं, बच्चे भी कर सकते हैं इतना, बच्चे को कहो बाप को याद करो यह इतना कोई डिफिकल्ट बात है ? नहीं। छोटे बच्चे को भी कहो ये डैडी है ये मम्मी है तो हां बुद्धि से यह भी बाप को याद करना है और उसको याद रख करके उसके फरमान पर चलना है । तो ये उसी का फरमान है कि बच्चे पवित्र रहो ये विकारों का अभी संग छोड़ो । तो यह सभी बातें सिखाई जाएंगी इसमें तो कोई छोटा बच्चा भी बड़ा कोई सबके लिए बड़ा इजी है । कोई बुड्ढा हो, कैसा भी हो, ऐसा नहीं है कि इसके लिए कोई जवान चाहिए या कोई पढ़े-लिखे चाहिए, विद्वान, पंडित चाहिए नहीं ऐसी कोई बात नहीं। बाप ने कहा, देखो अर्जुन को भी कहा है न जो भी कुछ पढ़ा है वह भूलो। अभी मैं तुमको ईजी बात बतलाता हूं, यह सब भूल जाओ । जिन्होंने पढ़ाया है उनको भी भूलो जो पढ़े हो वो भी भूलो, सब भूलो। कहा न इन गुरुओं इनको ved शास्त्र, ग्रंथ सब भूलो, अभी मैं जो कहता हूं वह सब सुनो । तो यह सभी चीजों को समझना है इसीलिए आप लोगों का ऑफर करते हैं बाकी करना ना करना यह तो आप लोगों का काम है । अच्छा दो मिनट साइलेंस। साइलेंस का मतलब है बाप को याद करो अथवा आई एम सोल फर्स्ट साइलेंट, फिर इधर टॉकी में आएं हैं ना, तो अभी फिर साइलेंस में जाना है इसीलिए बाप कहते हैं अभी साइलेंस वर्ल्ड में अपने को याद रखो और मुझे याद करो, जहां का मैं भी निवासी हूं क्योंकि फिर वहां से तुमको टॉकी में भेजूंगा तो फिर वह प्योर वर्ल्ड होगी । अभी इंप्योर वर्ल्ड का डिस्ट्रक्शन करता हूं इसीलिए तुम अपना अभी ध्यान अथवा अपना अटेंशन उस तरफ लगाओ और अपने को पवित्र रखो । पवित्र रखेंगे तो सेप्लिंग लगेगी पवित्र वर्ल्ड में आने के लिए, नहीं तो नहीं लगेगी। तो अगर पवित्र वर्ल्ड में आना है अथवा सुख शांति वाली दुनिया में आना है तो पवित्रता का सेप्लिंग लगाओ तभी प्योरिटी जनरेशन में जो करेंगे तब तो पाएंगे तो उसके लिए कहते हैं अभी वह पुरुषार्थ करो।