30-11-11 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘अमृतवेले विशेष सर्व शक्तियों के अनुभवी स्वरूप बन योग की सकाश वायुमण्डल में फैलाओ, मन को सदा बिजी रखो, समय की पुकार है - तीव्र पुरूषार्थी भव’’

आज बापदादा चारों ओर के बच्चों के मस्तक में भाग्य के चमकते हुए सितारे देख रहे हैं। एक जन्म का, दूसरा संबंध का और तीसरा प्राप्तियों का। तीनों भाग्य को देख हर्षित हो रहे हैं। जन्म का भाग्य तो आप जानते हो कि आप सबको यह दिव्य जन्म, ब्राह्मण जन्म देने वाला स्वयं भाग्य विधाता है। तो सोचो, कितना बड़ा भाग्य है! साथ-साथ सम्बन्ध, इसकी विशेषता जानते हो कि तीनों सम्बन्ध बाप, शिक्षक, सतगुरू तीनों सम्बन्ध एक बाप से हैं। एक में ही तीन सम्बन्ध हैं। प्राप्तियों को भी जानते हो, जहाँ बाप है वहाँ प्राप्तियां तो सर्व और बेहद की है। एक में तीनों सम्बन्ध हैं। वैसे भी जीवन में यह तीन सम्बन्ध आवश्यक हैं लेकिन दुनिया वालों के हरेक सम्बन्ध अलग- अलग हैं और आपके तीनों सम्बन्ध एक में हैं। एक में तीनों सम्बन्ध होने के कारण याद भी अनुभव भी सहज होता है। सब तीनों सम्बन्ध के अनुभवी हैं ना! बाप द्वारा क्या मिलता है? वर्सा। वर्सा भी कितना ऊंचा मिलता है और यह वर्सा कितना समय चलता है क्योंकि परमात्म बाप द्वारा प्राप्त होता है। दूसरा सम्बन्ध है शिक्षक का, शिक्षा को कहा जाता है सोर्स आफ इनकम। तो आप सबको शिक्षक द्वारा कितना ऊंच प्राप्ति हुई है, जानते हो ना! ऐसी ऊंची प्राप्ति सिवाए परमात्मा पिता के और किससे हो नहीं सकती। शिक्षा से पद की प्राप्ति होती है और आप सबको श्रेष्ठ प्राप्ति है, दुनिया में भी श्रेष्ठ प्राप्ति राज्यपद को कहा जाता है। तो आपको भी शिक्षक द्वारा राज्यपद की प्राप्ति हुई है। अभी भी स्वराज्य के राजा हो क्यों? आत्मा राजयोगी होने के कारण स्वराज्य अधिकारी बनती है। स्व पर राज्य करती है। कर्मेन्द्रियों के वशीभूत नहीं होती, आत्मा मालिक होके इन कर्मेन्द्रियों की राजा बन जाती है। तो अभी का स्वराज्य और भविष्य में भी राज्य भाग्य प्राप्त होता है। तो डबल राज्य अभी भी और भविष्य में भी पद की प्राप्ति होती है। और तीसरा सम्बन्ध है सतगुरू का। तीनों सम्बन्ध प्राप्त हैं ना! है? बाप का, शिक्षक का और तीसरा है सतगुरू का। सतगुरू द्वारा गुरू की श्रीमत मिलती है। कितनी श्रेष्ठ मत मिली है? तो अपने को चेक करो कि सदा श्रीमत पर चलते हैं वा कभी मनमत परमत की तरफ तो नहीं बुद्धि जाती? चेक किया? जो समझते हैं सतगुरू द्वारा सदा ही श्रीमत श्रेष्ठ मत पर चलने वाले हैं, मनमत परमत पर कभी भी स्वप्न में भी नहीं जाते, वह हाथ उठाओ, जो सदा श्रीमत पर ही चलते हैं, परमत मनमत नहीं? हाथ उठाओ।

देखो, माताओं ने उठाया। थोड़े थोड़े उठा रहे हैं। कभी कभी चली जाती हैं और परमत मनमत धोखा दे देती है। और विशेष श्रीमत क्या है? अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो। तो सहज है या मुश्किल है? कभी कभी मुश्किल हो जाती है! लेकिन बाप यही चाहते हैं कि सदा इन तीन सम्बन्धों से हर बच्चा आगे आगे उड़ता चले। तो बापदादा पूछते हैं कि जिन्होंने हाथ नहीं उठाया वह अब से मनमत, परमत का त्याग कर सकते हैं? कर सकते हैं? वह हाथ उठाओ। अच्छा! क्योंकि बापदादा ने समय का इशारा दे दिया है। अभी संगम का समय अति वैल्युबुल है और बापदादा ने यह भी इशारा दे दिया है कि वर्तमान समय के प्रमाण सब अचानक होना है इसलिए सदा एवररेडी बनना है ना! साथ चलेंगे ना सब कि पीछे पीछे आयेंगे? बापदादा के साथ अपने घर चलना है ना! रेडी हो ना! साथ चलने के लिए रेडी हो? एवरेडी। रेडी भी नहीं, एवररेडी। तो बापदादा समय का इशारा दे रहे हैं। इस एक जन्म में 21 जन्मों की प्रालब्ध बनानी है। तो सोचो कितना अटेन्शन देना है। बाप का हर बच्चे के साथ प्यार है, बाप यही चाहते हैं कि हर बच्चा बाप के साथ-साथ चले और साथ-साथ राज्य अधिकारी बनें।

तो आप साथ चलने के लिए बाप समान सम्पूर्ण और सम्पन्न बनेंगे तब तो साथ चलेंगे ना! इस समय इस छोटे से जन्म में 21 जन्म की प्राप्ति निश्चित है। तो सोचो संगम का छोटा सा जन्म एक एक मिनट कितना महान है! हिसाब लगाओ, इस जन्म में 21 जन्म का राज्य भाग्य लेना है तो संगम का एक मिनट भी कितना वैल्युबुल है। तो इस वैल्यु को जान क्या करना पड़ेगा?

बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि दो बातों का विशेष अटेन्शन दो। दो बातें कौन सी? याद हैं ना! एक समय और दूसरा संकल्प। संकल्प व्यर्थ न जाये, समय व्यर्थ न जाये। एक एक सेकण्ड सफल हो। तो बोलो इतना अटेन्शन देना पड़ेगा ना! बापदादा का तो सभी बच्चों से प्यार है। बापदादा यही चाहते कि एक बच्चा भी साथ से रह नहीं जाए। साथ है, साथ चलेंगे, साथ राज्य अधिकारी बन सदा जीवन में सुख शान्ति का अनुभव करेंगे। तो बोलो, साथ चलेंगे ना! चलेंगे? रह तो नहीं जायेंगे? देखो, तीन भाग्य तो हर एक के मस्तक में चमक रहे हैं। अपने मस्तक में यह तीनों ही भाग्य दिखाई देते हैं ना! संगमयुग ही भाग्यवान युग है। जो जितना भाग्य बनाने चाहे उतना बना सकते हैं। लेकिन बहुत समय का अटेन्शन चाहिए। तो सभी बच्चे अपने अपने पुरूषार्थ में अभी तीव्रता लाओ। पुरूषार्थी हैं, बापदादा देखते हैं पुरूषार्थ करते हैं लेकिन सभी का तीव्रता का पुरूषार्थ अभी होना चाहिए। बापदादा हर बच्चे को बालक सो मालिक देखने चाहते हैं। किसका मालिक? सर्व खज़ानों का मालिक। कभी कभी कोई बच्चे बापदादा को कहते हैं कि बाबा आपने तो सर्वशक्तियां दी हैं और हम भी अपने को मास्टर सर्वशक्तिवान मानते हैं लेकिन कई बच्चे उल्हना देते हैं कि कभी कभी जिस समय जो शक्ति की आवश्यकता होती है, वह समय पर नहीं आती है। लेकिन इसका कारण क्या? बाप ने हर एक को सर्व शक्तियां दी हैं। दी हैं कि किसको कम दी हैं किसको ज्यादा? सर्वशक्तियां मिली हैं, हाथ उठाओ। सभी को मिली हैं लेकिन समय पर क्यों नहीं काम पर आती हैं? इसका कारण? कारण को जानते भी हो लेकिन उस समय भूल जाते हो। सर्वशक्तियों का खज़ाना हर बच्चे को वर्से में मिला है। बाप ने सभी को सर्वशक्तियों का वर्सा दिया है, कोई को कम कोई को ज्यादा नहीं दिया है। सर्वशक्तियां दी हैं लेकिन समय पर क्यों नहीं आती हैं, आप सोचो कोई भी अगर अपने स्वमान के सीट पर नहीं होता तो उसका आर्डर कोई मानता है? तो जिस समय शक्ति नहीं आती हैं, उसका कारण है कि आप अपने मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट नहीं होते इसीलिए बिना सीट के आर्डर कोई नहीं मानता। तो सदा अपनी सीट पर सेट रहो। कभी वेस्ट थॉटस चलते हैं वा कभी टेन्शन आता है तो उससे ही स्वमान की सीट छूट जाती है। बापदादा ने हर एक को कितने स्वमान दिये हैं। कितनी बड़ी स्वमान की सीट है! गिनती करो, कितने स्वमान बाप ने दिये हैं? स्वमान में सेट नहीं होते हैं तो जहाँ स्वमान नहीं वहाँ क्या होता है? जानते हो ना! देह अभिमान आता है। या तो स्वमान है या तो देहभान है। तो देहभान की सीट पर आर्डर करेंगे तो शक्ति नहीं मानती हैं। नहीं तो मास्टर सर्वशक्तिवान की शक्ति नहीं मानें यह हो नहीं सकता। सीट पर सेट होना इसका अभ्यास सदा करो। चेक करो चाहे कर्मयोग में हो, चाहे सेवा में हो, चाहे अपने मनन मंथन में हो लेकिन सीट पर सेट हैं तो सर्वशक्तियां हाज़र होती हैं।

आज बापदादा ने देखा, अमृतवेले चक्कर लगाया। चारों ओर का चक्कर लगाया, चाहे विदेश चाहे देश। बापदादा को चक्कर लगाने में समय नहीं लगता। तो क्या देखा? बतायें। सभी मैजॉरिटी बैठे तो थे, उठकर अपने अपने स्थानों पर बैठे थे, पुरूषार्थ भी कर रहे थे कि सारा समय अपने सर्व अनुभवीमूर्त हो करके बैठें लेकिन क्या देखा? अनुभवी मूर्त कोई कोई थे, क्योंकि सबसे बड़ी शक्ति अनुभव की है। अनुभवी स्वरूप, सर्वशक्तियों के अनुभवी स्वरूप, मास्टर नॉलेजफुल, मास्टर सर्वशक्ति स्वरूप, तो अनुभवी स्वरूप बनने में कुछ कमी दिखाई दी। पुरूषार्थ करते हैं, बापदादा ने फिर भी मुबारक दी जो पुरूषार्थ करके मैजारिटी आते हैं। बैठते मैजारिटी हैं लेकिन बापदादा यही चाहते हैं कि लाइट माइट स्वरूप के अनुभवी मूर्त बन बैठें क्योंकि यह अमृतवेले के योग की सकाश सारे वायुमण्डल में फैलती है। इस अनुभव को और आगे बढ़ाओ। जैसे ब्रह्मा बाबा को देखा, कितनी पावरफुल फरिश्ते स्वरूप की स्थिति रही। ऐसे ही इस अमृतवेले को अभी अपने अपने रूप से अटेन्शन और अथक होकर दो। बापदादा ने देखा कई बच्चे लाइट माइट रूप में भी बैठते हैं, ना नहीं है, हाँ भी है लेकिन इस समय के पुरूषार्थ को और भी अटेन्शन देना होगा और बापदादा ने पहले भी इशारा दिया कि अपने मन को सदा बिजी रखो। चाहे मन्सा सेवा से, चाहे वाचा से, चाहे मनन शक्ति में बिजी रखो। मनन करो। मनन शक्ति मन को एकाग्र बना देती है। कोई कोई बच्चे मनन अच्छा करते भी हैं लेकिन मनन शक्ति को भी सारे दिन में बढ़ाओ क्योंकि बापदादा को लास्ट बच्चे से भी प्यार है। लास्ट बच्चे को भी बापदादा यही चाहते कि साथ चले। रह नहीं जाये। पीछे पीछे नहीं रह जाए। तो क्या करेंगे? अटेन्शन।

आज बापदादा सभा को देख जानते हैं कि बच्चों की वृद्धि होनी ही है। 75 वर्ष की जुबिली मनाई। उसकी तो बापदादा बच्चों को मुबारक दे रहे हैं। बापदादा ने सेवा की लगन भी देखी, हर एक स्थान वालों को उमंग है और सेवा का फल और सेवा का बल वह भी दिखाई दे रहा है। विशेष बापदादा ने देखा कि जहाँ भी बच्चों ने सेवा की है वहाँ इस वारी गवर्मेन्ट के निमित्त बनी हुई आत्मायें ज्यादा आई हैं और रिजल्ट में मानते भी हैं कि अभी के समय अनुसार जबकि दु:ख और अशान्ति बढ़ रही है तो यह जो टॉपिक रखी है वह आवश्यक है क्योंकि जितना ही शान्ति चाहते हैं उतनी अशान्ति बढ़ रही है। कोई न कोई बात अशान्ति की आ ही जाती है। इसके लिए चारों ओर टेन्शन बढ़ रहा है और गवर्मेन्ट भी चाहती है कि भारत टेन्शन फ्री हो जाए। तो सभी ने, जिन बच्चों ने सेवा की है उन सभी बच्चों को बापदादा मुबारक दे रहे हैं और जो करने वाले हैं उन्हों को भी एडवांस में मुबारक दे रहे हैं।

बापदादा अभी यही चाहते हैं कि एक एक बच्चा फॉलो फादर करते हुए बाप समान सम्पन्न जरूर बनें। बापदादा ने देखा कि पुरूषार्थ भी सब बच्चे करते हैं। पुरूषार्थ की लगन भी है, अपने से ही प्रॉमिस भी बहुत करते हैं, अब नहीं करेंगे, अब नहीं करेंगे... लेकिन कारण क्या होता है? कारण है पुरूषार्थ में दृढ़ता कम है। बीच बीच में अलबेलापन आ जाता है। हो जायेंगे, बन जायेंगे... यह अलबेलापन पुरूषार्थ को ढीला कर देता है। तो अब क्या करेंगे? अभी यही विशेष अटेन्शन दो, अपने आप अपना प्रोग्राम बनाओ, जिसमें सारा दिन मन को बिजी रखो। अपना प्रोग्राम आप बनाओ। टाइमटेबुल अपना आप बनाओ, मन को बिजी रखने का। चाहे मनन करो, चाहे सेवा करो, चाहे एक दो को अटेन्शन खिंचवाओ लेकिन बिजी रखो। मन से बिजी, शरीर से बिजी तो होते हो लेकिन मन से बिजी रहो। मन के बिजी रहने में बिजनेसमैन नम्बरवन बनो। यह कर सकते हो? करेंगे? करेंगे? क्योंकि आप जानते हो ब्रह्मा बाप भी आपका इन्तजार कर रहे हैं और आपकी एडवांस पार्टी भी आपका इन्तजार कर रही है, कब समय को समीप लाते हैं क्योंकि समय को समीप लाने के जिम्मेवार आप हो। अपने को सम्पन्न बनाना अर्थात् समय को समीप लाना।

तो बापदादा विशेष एक मास दे चुका है। इस एक मास में हर एक को तीव्र पुरूषार्थी बन, पुरूषार्थी नहीं तीव्र पुरूषार्थी बनना ही है। मंजूर है? है मंजूर? हाथ उठाओ। अच्छा, मुबारक हो। अभी हर एक को दृढ़ संकल्प कर रोज़ बापदादा को अपनी रिजल्ट सारे दिन की कैसी देनी है? तीव्र पुरूषार्थ की। पुरूषार्थ नहीं तीव्र पुरूषार्थ। इसके लिए तैयार हैं? हैं तैयार? दो हाथ उठाओ। बहुत अच्छा। अभी बापदादा अचानक ही बीच में रिजल्ट मंगायेगा। डेट नहीं बताते हैं। अचानक ही एक मास के अन्दर कोई भी डेट पर रिजल्ट मंगायेंगे। करना ही है। यह प्रॉमिस अपने आप करो। बापदादा करायेगा वह तो कराते ही हैं लेकिन अपने आप से यह संकल्प करो और प्रैक्टिकल करके दिखाओ। करना ही है। करेंगे, गे-गे नहीं.. अभी गे-गे अच्छी नहीं है। समय आगे बढ़ रहा है, अति में जा रहा है, तो समय का परिवर्तन करने वाले क्या आप पूर्वजों को अपने दु:खी परिवार पर रहम नहीं आता? रहमदिल बनो। दु:खियों को सुख का रास्ता बताओ, चाहे मन्सा से, चाहे वाचा से, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क से। अपना परिवार है ना! तो परिवार का दु:ख मिटाना है। रहमदिल बनो। अच्छा।

सेवा का टर्न कर्नाटक ज़ोन का है:- अच्छा। अभी कर्नाटक वाले क्या विशेषता करेंगे? तीव्र पुरूषार्थ करने का, पुरूषार्थ करेंगे और करायेंगे। करायेंगे भी और करेंगे भी, इसमें हाथ उठाओ।

बापदादा सिर्फ यहाँ नहीं देख रहे हैं लेकिन जहाँ भी सब बच्चे बैठे हैं, चाहे पार्क में बैठे हैं, चाहे भिन्न भिन्न हाल में बैठे हैं सभी को बहुत-बहुत याद प्यार दे रहे हैं। दूर बैठे हैं लेकिन दिल से नजदीक हैं। चारों ओर देखने वालों को भी बापदादा दिल का यादप्यार दे रहे हैं। देश विदेश के हर बच्चे को बापदादा देख रहे हैं। चाहे दूर हैं, चाहे नजदीक हैं लेकिन बापदादा के दिल में समाने वाले हैं क्योंकि हर बच्चे का प्रॉमिस है कि हमारे दिल में बाप है और हम हर एक बाप के दिल में हैं इसलिए बाप का टाइटल दिलाराम है।

अच्छा कनार्टक वाले तो बहुत आये हैं और सेवा का पार्ट भी अच्छा बजाया है। मधुबन वालों को भी बापदादा खास नीचे-ऊपर सब मधुबन निवासियों को पदमगुणा प्यार और याद दे रहे हैं क्योंकि कितने भी बढ़ गये हैं लेकिन सेवा अच्छी की है, रिजल्ट अच्छी है, इसलिए बापदादा ने देखा कि अथक बन प्यार से सबको समा लिया है। चाहे रहाने वाले, चाहे खिलाने वाले, चाहे कोई भी सेवा करने वाले, सेवा की रिजल्ट अच्छी है इसलिए आने वालों को, सेवा करने वालों को, सहयोग देने वालों को, एक एक को बाप मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

चार विंग्स - आर्ट एण्ड कलचर, साइंटिस्ट एण्ड इंजीनियर, एज्यूकेशन और पोलीटिशियन विंग सें:- अच्छा, हर एक विंग ने अपनी अपनी निशानी रखी है। बापदादा सभी का उमंग उत्साह देख बहुत बहुत खुश है और रिजल्ट में भी देख रहे हैं कि हर एक विंग अभी प्रोग्राम्स कर भी रहे हैं और बना भी रहे हैं। हर एक विंग के आगे करने के प्रोग्राम्स बापदादा के पास पहुंच गये हैं। तो जैसे प्रोग्राम्स बनाये हैं वह बहुत अच्छे बनाये हैं। उमंग से बनाये हैं, उसको प्रैक्टिकल में करके बापदादा के सामने रिजल्ट के साथ कोई सैम्पुल भी हर एक विंग लायेगा। चारों ही विंग के बहुत हैं। हाथ उठाओ। बापदादा सबको नजदीक देख रहे हैं। अच्छा है। अभी हर एक विंग रिजल्ट निकाले कि जब से विंग की सेवा की है तब से लेकर अब तव कितने माइक बनाये हैं और कितने वारिस बनाये हैं और कितने स्टूडेन्ट बनाये हैं! हर एक विंग उमंग से कर तो रहे हैं लेकिन बापदादा यह रिजल्ट देखने चाहते हैं। और मुबारक भी दे रहे हैं बापदादा क्योंकि हर एक विंग एक दो से आगे जा भी रहा है और सेवा में नये नये प्लैन भी बना रहे हैं इसलिए जो आज चार विंग आये हैं उन्हों को बापदादा अभी खास मुबारक दे रहे हैं। अच्छा। ड्रेस भी पहनके आये हैं, एज्युकेशन विंग के। (साइंटिस्ट इंजीनियर विंग की सिल्वर जुबिली है) अच्छा है, सिल्वर जुबिली की विशेष बापदादा खास एक एक बच्चे को नाम सहित देख भी रहे हैं और मुबारक भी दे रहे हैं। संस्था की तो 75 वर्ष की जुबिली है और इन्हों की सिल्वर जुबिली है। लेकिन बापदादा खुश है करते चलो, उड़ते चलो, आखिर वह दिन आयेगा, समीप आ रहा है जो सब कहेंगे हमारा बाबा आ गया। अभी जो भी विंग हैं उसमें ऐसी आत्मायें निकालो जो दिल से कहें मेरा बाबा आ गया। ऐसे नाम बापदादा के पास भेजना, जितनी भी सेवा की है, जितने भी निकले हैं उनमें से कितने कहते हैं मेरा बाबा आ गया! फिर बापदादा इनाम देगा। अभी यही सेवा धूमधाम से करो, ऐसे पुरूषार्थी निकलने चाहिए। प्रत्यक्षता करनी है ना। दु:खियों को सुखी बनाना है ना! इसी भारत को स्वर्ग बनाना ही है। तो कब बनायेंगे? विंग वाले सुनाओ कितना टाइम चाहिए? कितना टाइम चाहिए? बोलो। आप बोलो कितना समय चाहिए? चार ही विंग के निमित्त जो हैं वह आगे आओ। (सबको स्टेज पर बुलाया) देखो, (इस बार अन्नामलाई युनिवार्सिटी के तरफ से कन्वकेशन में एम.एस.सी. डिग्री देंगे) बापदादा ने अभी जो कहा अब ऐसे वारिस निकालो। यह भले टोपी पहनी है, वह नहीं, वारिस निकालो। हर एक को वारिस निकालने की जिम्मेवारी है। कहाँ कहाँ माइक निकाले हैं लेकिन वारिस निकालो। इसमें नम्बर लो। कौन सी डिपार्टमेंट वारिस निकालने में नम्बरवन हैं। अभी वारिस निकालने की सीजन है। और बढ़ाते चलो, अभी वारिस बनाओ। सहयोगी तो बहुत बनते हैं लेकिन वारिस निकालो। ऐसा एक्जैम्पुल बनें जो सुनके औरों को भी उमंग आवे। समय तो आ रहा है, अभी तो समय भी आपको मदद देगा क्योंकि दु:ख बढ़ रहा है। फैंसला करते हैं तो फैंसला कहाँ होता है। (अभी सब अच्छा सहयोग देते हैं) सहयोग तो देते हैं लेकिन खुद आगे आवें। हो जायेगा। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनें:- डबल विदेशी का अर्थ है डबल उड़ान उड़ने वाले। डबल उड़ान अर्थात् सेकण्ड में जो चाहे वह स्थिति में स्थित हो जाएं। तो ऐसा अभ्यास है? जिस समय जो स्थिति चाहो उससे उड़ती कला स्थिति के अनुभव में आ जाओ। यही अभ्यास समय पर काम में आयेगा। जिस समय चाहे उस समय वही स्थिति प्रैक्टिकल में हो जाए। डबल विदेशी हैं ना! तो पुरूषार्थ भी डबल करेंगे ना! कर भी रहे हैं, बापदादा के पास समाचार अच्छे अच्छे आते हैं। सेवा का समाचार भी आता है, सेवा भी बढ़ रही है, आत्मायें भी अच्छे अच्छे निमित्त बनने वाली निकल रही हैं इसलिए बापदादा डबल विदेशियों को डबल मुबारक दे रहे हैं। अच्छा है, हर ग्रुप में डबल विदेशी कोई न कोई होता ही है। यह अच्छा अपना प्रोग्राम बना लिया है। तो डबल विदेशी अभी वारिसों की लिस्ट निकालना। हर एक सेन्टर पर कितने नये वारिस निकले? आप तो हो ही। अभी बापदादा वारिसों की लिस्ट चाहते हैं। अच्छा।

अभी जहाँ भी जो बैठे हैं उन सबको चाहे टी.वी. में देख रहे हैं, चाहे यहाँ भिन्न-भिन्न स्थान पर बैठे हैं वह भी टी.वी. में देख रहे हैं, एक एक बच्चे को बापदादा आज तीव्र पुरूषार्थी का टाइटल दे रहा है। अभी इसी टाइटल को सदा याद रखना। कोई पूछे आप कौन हैं? तो यही कहना तीव्र पुरूषार्थी। ठीक है सभी को मंजूर है। मंजूर है? अभी ढीला पुरूषार्थ नहीं चलेगा, समय आगे भाग रहा है इसीलिए अभी तीव्र पुरूषार्थी बनना ही है, समय की पुकार है - तीव्र पुरूषार्थी भव। तो सभी बच्चों को बापदादा की बहुत-बहुत यादप्यार और तीव्र पुरूषार्थ की सौगात दे रहे हैं।

पहली बार आने वालों से:- अच्छा, पहली बार आने वाले बच्चों को बापदादा विशेष मुबारक दे रहे हैं। बापदादा आप बच्चों को देख खुश हो रहे हैं, क्यों खुश हो रहे हैं? क्योंकि आप सभी लास्ट समय के पहले पहुंच गये हो इसलिए मुबारक दे रहे हैं। अपना हक लेने के अधिकारी बन गये इसलिए आप सभी जो आज बापदादा बार-बार कह रहे हैं तीव्र पुरूषार्थी बनना। तीव्र पुरूषार्थी बन आगे से आगे बढ़ सकते हो। यह वरदान अभी प्राप्त हो सकता है। सभी जो भी आये हैं उन सबको यह अटेन्शन देना है कि सदा एक तो मुरली की स्टडी कायदेप्रमाण करते रहना और साथ-साथ मन्सा सेवा या वाचा सेवा करने का गोल्डन चांस लेते रहना। तो मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

दादी जानकी से:- (बाबा आप कितनी अच्छे हो) आप भी कितनी अच्छी हो। सब अच्छे से अच्छे बनेंगे। निर्विघ्न यज्ञ चल रहा है, सब अच्छे चल रहे हैं।

(साउथ अफ्रीका में पर्यावरण से सम्बन्धित कोन्फेरेंस में 50 हजार लोग पहुंचे हैं, वहाँ जयन्ती बहन और उनके साथी बहुत अच्छी सेवा कर रहे हैं) सभी बच्चों का समाचार सुना और बापदादा दिल से खास जो निमित्त बनी हुई बच्चियां हैं, भाई हैं उनको बहुत-बहुत प्यार दे रहे हैं। हिम्मत अच्छी रखी है। आखिर वह दिन भी आयेगा, आप लायेंगे जो सब कहेंगे वाह बाबा वाह!

मॉरीशियस का समाचार सुनाया, 2012 के प्रति बापदादा की प्रेरणायें पूछ रहे हैं:- बापदादा की तो उम्मींद हर बच्चे के लिए श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ है कि हर बच्चा बाप का बन औरों को भी बाप का बनायेंगे। अभी तीव्र पुरूषार्थ सेवा में भी, धारणा में भी दोनों में तीव्र पुरूषार्थ।

(आंध्र प्रदेश में बहुत अच्छी सेवायें हुई हैं) बापदादा ने सुनाया ना, जहाँ भी प्रोग्राम किये हैं, बहुत अच्छे किये हैं। चारों ओर अच्छे किये हैं।

रूकमणि दादी से:- अभी दवाई ठीक करती रहो, ठीक हो जायेंगी। कुछ तो करना पड़ता है। और कोई बात सोचो नहीं, औरों को भी सोच में नहीं दो, खुद भी सोचो नहीं।

महामहिम बहन उार्मिलासिंह, राज्यपाल हिमाचल प्रदेश:- बहुत अच्छा किया है, माताओं का स्वमान रखा। मातायें आगे जितना बढ़ेंगी उतना भारत का कल्याण होगा। तो आप निमित्त बनीं। अभी सभी को टेन्शन फ्री बनाओ। अपने शहर में टेन्शन फ्री बनाओ। बहुत टेन्शन है। तो मेडीटेशन कोर्स टेन्शन फ्री बनाने वाला है, जहाँ तक हो सके, कोई प्रोग्राम ऐसे बनाओ जिसमें आपके कनेक्शन वाले मेडीटेशन से टेन्शन फ्री हो जाएं। तभी तो देश का कल्याण होगा ना। टेन्शन में सफलता नहीं होती, बिना टेन्शन होंगे तो जो भी प्लैन बनायेंगे उसकी ताकत आयेगी। तो निमित्त बनो टेन्शन फ्री बनाने के।

कर्नाटक की एक्टर जयन्ती बहन से:- देखो जैसे मन देखने को किया ना वैसे अभी मन में टेन्शन फ्री बनो। उसके लिए यहाँ मेडीटेशन कोर्स कराया जाता है वह करेंगी, अपने साथियों को भी टेन्शन फ्री कोर्स कराओ तो क्या होगा? टेन्शन फ्री होने से और लोंगों में भी शान्ति फैलायेंगे नहीं तो टेन्शन में शान्ति गुम हो रही है। तो आप साथियों को ऐसे बनाओ। आप यहाँ आये हैं ना तो यहाँ थोड़ा सीखकर जाना और उन्हों को आप समान बनाओ फिर ग्रुप ले आना। साथी बनना।