ओम् शान्ति।
जो अच्छे पुरुषार्थी निश्चयबुद्धि हैं वह तो समझ जाते हैं कि बरोबर परमपिता परमात्मा,
जिसकी बन्दगी करते हैं, उनकी ही महिमा है - जो जो भी होकर जाते हैं उनकी महिमा गाते
हैं, कर्तव्य के ऊपर। किसकी महिमा को जानते हैं, किसकी महिमा को नहीं जानते हैं।
तुम बच्चे तो सबकी महिमा को जानते हो। बाबा को कहा जाता है जानी-जाननहार, परन्तु
जानी-जाननहार का अर्थ बच्चे पूरा समझते नहीं। कितने बच्चे समझते हैं हमारे दिल की
बातें तो बाप जानते ही होंगे। हम फिर क्या लिखें, परन्तु यह रांग है। बाप तो एक है।
इतने सब ढेर बच्चों के संकल्पों को रीड करेंगे क्या! बाप तो यहाँ आते हैं, आकर टीचर
रूप में पढ़ाते हैं। तो समझते हैं यह कैसे पढ़ते हैं? निश्चय बुद्धि हैं वा नहीं?
ऐसे नहीं कि वहाँ परमधाम में बैठे यह ख्यालात चलते हैं। यह समझना बच्चों की भूल है।
लिखते हैं बाबा हम क्या समाचार दें, आप तो सब कुछ जानते हैं। परन्तु नहीं। अपनी चलन
का, पढ़ाई का समाचार देना है पढ़ाने वाले को थ्रू ब्रह्मा। पोस्ट आफिस द्वारा पूछना
है। ऐसे नहीं कि आप तो सब कुछ जानते हो। हम बाबा से छिपे नहीं रह सकते। नहीं। इसको
अन्धश्रधा कहा जाता है। बाबा को ब्रह्मा द्वारा समाचार देना है। अनेक प्रकार के
बच्चे हैं ना। हर एक को अपना समाचार देना है इसलिए हर सेन्टर्स से पूछते हैं - 12
मास के आने वालों का रजिस्टर और हर एक का आक्यूपेशन लिखकर भेजो। अगर बाबा जानते हो
तो क्यों पूछें! जो कुछ उनको जानना है वह इनको भी जानना है। थ्रू तो इनके है ना।
ट्रंकाल भी थ्रू होता है ना। आपरेटर को चाहिए तो सुन सकते हैं, परन्तु मना है। चाहें
तो सुन सकते हैं। उनके पास आवाज ठीक आता है। तो यहाँ भी हर एक को समाचार सुनाना है।
बीच में किसको पता नहीं पड़ता तो फिर बी.के. मुकरर हैं, समाचार देने के लिए। जो
ज्ञान में परिपक्व अनन्य बच्चे हैं - उन्हों का काम है पूरा समाचार देना। हर एक को
कारखाने का समाचार देना है। जो सेन्सीबुल बच्चे हैं वह लिखते भी हैं - बाबा फिर
शिक्षा देंगे। नहीं तो चाल सुधरेगी नहीं। पूरा गुण धारण नहीं करते। देह-अभिमान बहुत
है। इच्छायें बहुत हैं, देह अहंकार की। सेन्सीबुल बच्चे झट समाचार देते हैं कि यह
यह कारण है, जो डिससर्विस होती है। बाबा सावधानी देंगे यह भूत है, निकालो, नहीं तो
पद भ्रष्ट हो जायेगा।
बाबा है बेहद सृष्टि को स्वर्ग बनाने वाला, सबके लिए यह दृष्टि रहती है तो इनको
उठायें। गरीबों पर खास ध्यान जाता रहता है। दान हमेशा गरीबों को किया जाता है। गरीब
ही निमित्त बने हुए हैं। राजाई स्थापन हो रही है। प्रजा तो बहुत होती है। ब्रिटिश
गवर्मेन्ट थी तो बड़ौदा, ग्वालियर आदि के जो राजायें थे - एक राजा रानी, वजीर और
बाकी प्रजा थी। कोई को 20 लाख प्रजा, कोई को 30 लाख प्रजा.. नम्बरवार थी। तो दरबार
में सब राजाओं को बुलाते थे। दरबार भी नम्बरवार बैठती थी। महाराजाओं की लाइन अलग,
राजाओं की अलग, राय बहादुर, राय साहेब आदि-आदि बहुत टाइटिल वाले होते हैं, नम्बरवार।
यह भी ऐसे है। ऊंचे ते ऊंचा बाप उनका तो सबको रिगार्ड रखना है। बाप ही आकर
कल्प-कल्प भारत को हेवन बनाते हैं। भारतवासी बाप को गाली देने लग पड़ते हैं।
सतोप्रधान से सतो रजो तमो में गिरना ही है जरूर। तो ऊंचे ते ऊंचा है भगवान फिर उनसे
तैलुक रखने वाले हैं ब्रह्मा, विष्णु, शंकर सूक्ष्मवतन वासी। झाड़ का तो पता होना
चाहिए ना। बाप को ही इस झाड़ का नॉलेजफुल कहा जाता है। और कोई में भी नॉलेज नहीं
है। तो ऊंचे ते ऊंचा बाप फिर ब्रह्मा, विष्णु, शंकर फिर प्रजापिता ब्रह्मा और जगत
अम्बा, मात-पिता मशहूर है। जगत अम्बा सरस्वती है ब्रह्मा की बेटी। उनका भी एक नाम
होना चाहिए। कोई अम्बा कहते, कोई काली कहते, कोई सरस्वती कहते। बहुत नाम रखे हुए
हैं। यह है प्रजापिता ब्रह्मा और फिर बी.के. सरस्वती। दिखाते भी हैं सरस्वती के पास
सितार है। पहले-पहले मुख्य गॉडेज ऑफ नॉलेज। जैसे इनको ज्ञान की मुरली दी है, उनको
फिर सितार दी है। पहले-पहले मुख्य गॉडेज आफ नॉलेज सरस्वती, जगत अम्बा। कौन सी नॉलेज
है? राजयोग की। इनको किसने दी? ज्ञान सागर ने। ज्ञान सागर बाप से यह ब्रह्मा भी सीखा
तो बच्चे भी सीखे। वह फिर ज्ञान-ज्ञानेश्वरी से राज-राजेश्वरी बनती है। तत्त्वम्।
ब्रह्मा और सरस्वती। दोनों हुए ज्ञान ज्ञानेश्वरी। ईश्वर से सहज राजयोग का ज्ञान
पाकर राजाई पाई। तत्वम्। लक्ष्मी-नारायण अकेले थोड़ेही होंगे। यह राजाई स्थापन हो
रही है। कितने ब्राह्मण ब्राह्मणियां हैं, पढ़ रहे हैं जो फिर पूज्य राजा रानी
बनेंगे। फिर सतोप्रधान से सतो में आते दो कला कम फिर रजो तमो में आकर पूज्य से
पुजारी बन जाते हैं। आपेही हम सो पूज्य थे, आपेही हम सो पुजारी बने हैं। यह परमात्मा
के लिए नहीं गायेंगे। वह कैसे पुजारी होगा। हम रजो तमो में आकर पुजारी बने हैं। बाबा
ने समझाया है - वास्तव में धर्म शास्त्र हैं ही 4, मुख्य है श्रीमत भगवत गीता,
माई-बाप। बाकी हैं उनके बच्चे, इस्लामी, बौद्धी आदि धर्म वाले। ऊंच ते ऊंच है गीता
फिर इस्लामियों का शास्त्र। धर्म स्थापना के मुख्य शास्त्र यह हैं। पहले-पहले
देवी-देवता धर्म उनका शास्त्र है गीता। उनका सरमोनाइजर है परम-पिता परमात्मा। वही
ज्ञान सागर है। जरूर उनको ऊंच रखना चाहिए। बाकी हुई बिरादरियां। देवी-देवताओं की है
मुख्य बिरादरी। फिर इस्लामियों की, बौद्धियों की बिरादरी। ऊंच ते ऊंच तो एक बाप ठहरा।
रिलीजस कान्फ्रेंस में पहले तो ऊंच ते ऊंच चाहिए। वह धर्म प्राय: लोप हो गया है, जो
फिर अभी स्थापन हो रहा है। स्थापन करने वाला है परमपिता परमात्मा। वह तो निराकार
है, हाँ ब्रह्मा द्वारा कर रहे हैं। गाया हुआ भी है परमपिता परमात्मा ने ब्रह्मा
द्वारा ब्राह्मण रचे। ऐसे नहीं कहेंगे कि कृष्ण ने ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण रचे।
परमपिता परमात्मा ने ब्रह्मा मुख द्वारा ब्राह्मण रचे फिर वही ब्राह्मण सूर्यवंशी,
चन्द्रवंशी बनते हैं। तो सूर्यवंशी चन्द्रवंशी धर्म की स्थापना हो रही है। तुम हो
देवी-देवता धर्म की बिरादरी। तुम जानते हो हमारे बाद फिर सेकेण्ड नम्बर बिरादरी
इस्लामियों की होगी, फिर बौद्धियों की। ऐसे वृद्धि होगी। यह सब बुद्धि में धारणा
चाहिए। जो पास्ट हो गया उसके शास्त्र बनाते हैं। अभी जो कुछ होता है ड्रामा शूट होता
जाता है। फिर कल्प के बाद रिपीट होगा। सारी दुनिया की एक्शन शूट हो रही है। फिर 5
हजार वर्ष के बाद तुम्हारी यह एक्ट चलेगी। यह बहुत समझने की बातें हैं। तो ऊंच ते
ऊंच शिवबाबा फिर जगत अम्बा और प्रजापिता ब्रह्मा और उनके बच्चे। 3 भाई तो हैं बाकी
देवी-देवता धर्म बड़ा भाई है नहीं। प्राय:लोप हो गया है। जरूर जब न रहे तब तो इस
धर्म की फिर से स्थापना हो और बाकी सब खलास हो जाएं। देवी-देवता धर्म होता है तो और
भाई होते नहीं। यह बाद में होते हैं। एक ही बाप रचयिता है और एक ही रचना है। बाप
कहते हैं मैं फिर से राजयोग सिखाने आया हूँ। तुम जानते हो विनाश के लिए यह महाभारत
लड़ाई भी खड़ी है।
तुम बच्चे ड्रामा को अच्छी रीति जानते हो। यह सब पढाई की बातें हैं। यहाँ ऐसी
कोई चीज़ होती नहीं जो चोर आकर उनसे कुछ सोना आदि लूटे। यह तो पाठशाला है। पाठशाला
में किताबें, नक्शे आदि होते हैं। यह भी पाठशाला है। यह नक्शे हैं। डर की कोई बात
नहीं। चोर क्या करेंगे! कोई वस्तु तो है नहीं। बाकी तो गाया हुआ है किनकी दबी रहेगी
धूल में... बाप समझा रहे हैं, कितने भी लखपति, करोड़पति, मल्टीमिल्युनर हो, सब धन
खाक में मिल जाना है। तुम्हारी है सच्ची कमाई। सबसे मल्टीमिल्यूनर्स तुम हो। तुम यह
कमाई साथ ले जायेंगे। तुम जानते हो हम सब कुछ स्वर्ग में ट्रांन्सफर करते हैं। बाबा
को कहते हैं - बाबा हमको फिर स्वर्ग में देना। ब्याज सहित, कौड़ी बदले हीरा देना।
कितनी समझने की बातें हैं। सो भी श्रीमत पर चलना है। गृहस्थ व्यवहार की भी सम्भाल
करनी है, परन्तु श्रीमत पर चलना है। मनुष्य बहुत खर्चा करते हैं। कर्जा उठाकर भी
तीर्थों पर जाते हैं। वह सब है भक्ति मार्ग की सामग्री। यह भी सब अनादि है। गिराने
के लिए भी चीज़ें चाहिए ना। तमोप्रधान में जाना ही है तब तो मैं आकर समझाऊं कि तुमने
कितनी ग्लानी की है, इसलिए दुर्गति को पाया है। फिर से वही चाल चलेंगे जो कल्प-कल्प
चलते हैं। ज्ञान और भक्ति। जब पूरी दुर्गति हो जाती है तब सर्व की सद्गति के लिए
बाप को आना है। यह जप आदि करते-करते कला कमती होती जाती है। पूरे काले बन जाते हैं
फिर रात के बाद दिन आता है। यह सारा ड्रामा बुद्धि में रहना चाहिए। मनुष्य जो ज्ञान
नहीं उठाते वह तो सिर्फ देखकर ही वाह-वाह करते हैं। बाहर गये और खलास। इतनी
प्रदर्शनी हुई एक भी निश्चय बुद्धि नहीं हुआ। भल आते हैं समझने के लिए परन्तु
निश्चय बुद्धि एक भी नहीं। माया पूरा निश्चय में ठहरने नहीं देती है। जैसे बांधेली
गोपिकायें (कुमारियां) घर बैठे लिखती हैं - बाबा हम तो आपके हो गये हैं, आपको जान
लिया है। हम आपके ही हैं। मर जाऊंगी कब शादी नहीं करूंगी। बंधन के कारण आ नहीं सकती
हूँ। थोड़ी ही चटक लगने से कैसे निकल पड़ती हैं। और कोई के साथ 10-20 वर्ष माथा मारो
तो भी समझते नहीं। यह तो बाबा 21 जन्मों का प्राण दान देते हैं। काल पर विजय पहनाते
हैं। वहाँ अकाले मृत्यु कभी होता नहीं। तो कितना बाबा की श्रीमत पर चलना चाहिए, दान
देना है। औरों का भी जीवन हीरे जैसा बनाना है। भल अपनी-अपनी तकदीर है तो भी मुरली
तो जरूर पढ़नी चाहिए। मुरली तो कहाँ से भी मिल सकती है। एक दिन बहुत भाषाओं में
मुरली निकलेगी। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वयं की उन्नति के लिए अपनी चलन और पढ़ाई का सच्चा-सच्चा समाचार बाप
को देना है। अपनी और सर्व की जीवन हीरे जैसी बनानी है।
2) गृहस्थ व्यवहार की सम्भाल करते, श्रीमत पर पूरा चलना है। समझदार बन अपना सब
कुछ स्वर्ग के लिए ट्रॉन्सफर कर देना है।