20-02-2005 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
दिल से मेरा बाबा कहो और
सर्व अविनाशी खज़ानों के मालिक बन बेफिक्र बादशाह बनो
आज भाग्य विधाता
बापदादा अपने सर्व बच्चों के मस्तक बीच भाग्य की रेखायें देख रहे हैं। हर एक बच्चे
के मस्तक में चमकते हुए दिव्य सितारे की रेखा दिखाई दे रही हैं। हर एक के नयनों में
स्नेह और शक्ति की रेखा देख रहे हैं। मुख में श्रेष्ठ मधुर वाणी की रेखा देख रहे
हैं। होठों पर मीठे मुस्कान की रेखा चमक रही है। दिल में दिलाराम के स्नेह में
लवलीन की रेखा देख रहे हैं। हाथों में सदा सर्व खज़ानों के सम्पन्नता की रेखा देख रहे
हैं। पांव में हर कदम में पदम की रेखा देख रहे हैं। ऐसा श्रेष्ठ भाग्य सारे कल्प
में किसी का नहीं होता, जो आप बच्चों को इस संगमयुग में भाग्य प्राप्त हुआ है। ऐसा
अपना भाग्य अनुभव करते हो? इतने श्रेष्ठ भाग्य का रूहानी नशा अनुभव करते हो? दिल
में स्वतः गीत बजता है - वाह मेरा भाग्य! यह संगमयुग का भाग्य अविनाशी भाग्य हो जाता।
क्यों? अविनाशी बाप द्वारा अविनाशी भाग्य प्राप्त हुआ है। लेकिन प्राप्त इस संगम पर
ही होता है। इस संगमयुग पर ही अनुभूति करते हो, यह विशेष संगमयुग की प्राप्ति अति
श्रेष्ठ है। तो ऐसे श्रेष्ठ भाग्य का अनुभव सदा इमर्ज रहता है या कभी मर्ज, कभी
इमर्ज रहता है? और पुरुषार्थ क्या किया? इतने बडे भाग्य की प्राप्ति के लिए
पुरुषार्थ कितना सहज हुआ। सिर्फ दिल से जाना, माना और अपना बनाया “मेरा बाबा”। दिल
से पहचाना, मैं बाबा का, बाबा मेरा। मेरा मानना और अधिकारी बन जाना। अधिकार भी कितना
बडा है! सोचो, कोई पूछे क्या-क्या मिला है? तो क्या कहेंगे? जो पाना था वह पा लिया।
अप्राप्त नहीं कोई वस्तु परमात्म खज़ाने में। ऐसे प्राप्ति स्वरूप का अनुभव कर लिया
वा कर रहे हैं? भविष्य की बात अलग है, इस संगमगुग का ही प्राप्ति स्वरूप का अनुभव
है। अगर संगमयुग पर अनुभव नहीं किया तो भविष्य में भी नहीं हो सकता। क्यों? भविष्य
प्रालब्ध है लेकिन प्रालब्ध इस पुरुषार्थ के श्रेष्ठ कर्म से बनती है। ऐसे नहीं कि
लास्ट में अनुभव स्वरूप बनेंगे। संगमयुग के बहुतकाल का यह अनुभव है। जीवनमुक्त का
विशेष अनुभव अब का है। बेफिक्र बादशाह बनने का अनुभव अब है। तो सभी बेफिक्र बादशाह
हो कि फिकर है? जो बेफिक्र बादशाह बने हैं वह हाथ उठाओ। बन गये हैं कि बन रहे हैं?
बन गये हैं ना! क्या फिकर है? जब दाता के बच्चे बन गये तो फिकर क्या रह गया? मेरा
बाबा माना और फिकर की अनेक टोकरियों का बोझ उतर गया। बोझ है क्या? हैं? प्रकृति का
खेल भी देखते हो, माया का खेल भी देखते हो लेकिन बेफिक्र बादशाह होकर, साक्षी होकर
खेल देखते हो। दुनिया वाले तो डरते हैं, पता नहीं क्या होगा! आपको डर है? डरते हो?
निक्षय और निश्चिंत हैं जो होगा वह अच्छे ते अच्छा होगा। क्यों? त्रिकालदर्शी बन कर
दृश्य को देखते हो। आज क्या है, कल क्या होने वाला है, इसको अच्छी तरह से जान गये
हो, नॉलेजफुल हो ना! संगम के बाद क्या होना है, आप सबके आगे स्पष्ट है ना! नव युग
आना ही है। दुनिया वाले कहेंगे, आयेगा? क्वेश्चन है आयेगा? और आप क्या कहते हैं? आया
ही पडा है। इसलिए क्या होगा, क्वेश्चन नहीं है। पता है - स्वर्ण युग आना ही है। रात
के बाद अब संगम प्रभात है, अमृतवेला है, अमृतवेले के बाद दिन आना ही है। निश्चय
जिसको भी होगा वह निश्चिन्त, कोई चिंता नहीं होगी, बेफिकर। विश्व रचता द्वारा रचना
की स्पष्ट नॉलेज मिल गई है।
बापदादा देख रहे हैं
सभी बच्चे स्नेह के, सहयोग के और सम्पर्क के प्यार में बँधे हुए अपने घर में पहुच
गये हैं। बापदादा सभी स्नेही बच्चों को, सहयोगी बच्चों को, सम्पर्क वाले बच्चों को
अपने अधिकार लेने के लिए अपने घर में पहुँचने की मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो,
मुबारक हो। बापदादा का प्यार बच्चों से ज्यादा है वा बच्चों का बापदादा से ज्यादा
है? किसका है? आपका या बाप का? बाप कहते बच्चों का ज्यादा है। देखो, बच्चों का
प्यार है तब तो कहाँ-कहाँ से पहुँच गये हैं ना! कितने देशों से आये हैं? (50 देशों
से) 50 देशो से आयें हैं। लेकिन सबसे दूर से दूर कौन आया है? अमेरिका वाले दूर से
आये हैं? आप भी दूर से आये हैं लेकिन बापदादा तो परमधाम से आया है। उसकी भेंट में
अमेरिका क्या है! अमेरिका दूर है या परमधाम दूर है? सबसे दूरदेशी बापदादा है। बच्चे
याद करते और बाप हाजिर हो जाते हैं।
अभी बाप बच्चों से
क्या चाहते हैं? पूछते हैं ना - बाप क्या चाहते हैं? तो बापदादा यही मीठे-मीठे बच्चों
से चाहते हैं कि एक-एक बच्चा स्वराज्य अधिकारी राजा हो। सभी राजा हो? स्वराज्य है?
स्व पर राज्य तो है ना। जो समझते हैं स्वराज्य अधिकारी राजा बना हूँ, वह हाथ उठाओ।
बहुत अच्छा। बापदादा को बच्चों को देखकर प्यार आता कि 63 जन्म बहुत मेहनत की है,
दुःख- अशान्ति से दूर होने की। तो बाप यही चाहते हैं कि हर बच्चा अभी स्वराज्य
अधिकारी बने। मन-बुद्धि-संस्कार का मालिक बने, राजा बने। जब चाहे, जहाँ चाहे, जैसे
चाहे वैसे मन-बुद्धि-संस्कार को परिवर्तन कर सके। टेंशन फ्री लाइफ का अनुभव सदा
इमर्ज हो। बापदादा देखते हैं कभी मर्ज भी हो जाता है। सोचते हैं यह नहीं करना है,
यह राइट है, यह रांग है, लेकिन सोचते है स्वरूप में नहीं लाते हैं। सोचना माना मर्ज
रहना, स्वरूप में लाना अर्थात् इमर्ज होना। समय के लिए तो नहीं इन्तजार कर रहे हो
ना! कभी-कभी करते हैं। रूहरिहान करते हैं ना तो कई बच्चे कहते हैं, समय आने पर ठीक
हो जायेंगे। समय तो आपकी रचना है। आप तो मास्टर रचता हो ना! तो मास्टर रचता, रचना
के आधार पर नहीं चलते। समय को समाप्ति के नजदीक आप मास्टर रचता को लाना है।
एक सेकण्ड में मन के
मालिक बन मन को आर्डर कर सकते हो? कर सकते हो? मन को एकाग्र कर सकते हो? फुलस्टॉप
लगा सकते हो कि लगायेंगे फुलस्टॉप और लग जायेगा क्वेश्चन मार्क? क्यों, क्या, कैसे
यह क्या, वह क्या, आश्चर्य की मात्रा भी नहीं। फुलस्टॉप, सेकण्ड में पॉइंट बन जाओ।
और कोई मेहनत नहीं है, एक शब्द सिर्फ अभ्यास में लाओ “पॉइंट”। पॉइंट स्वरूप बनना
हैं, वेस्ट को पॉइंट लगानी हैं और महावाक्य जो सुनते हो उस पॉइंट पर मनन करना है,
और कोई भी तकलीफ नहीं हैं। पॉइंट याद रखो, पॉइंट लगाओ, पॉइंट बन जाओ। यह अभ्यास सारे
दिन में बीच-बीच में करो, कितने भी बिजी हो लेकिन यह ट्रायल करो एक सेकण्ड में
पॉइंट बन सकते हो? एक सेकण्ड में पॉइंट लगा सकते हो? जब यह अध्यास बार-बार का होगा
तब ही आने वाले अन्तिम समय में कुल प्पॉइंट्स ले सकेंगे। पास विद ऑनर बन जायेंगे।
यही परमात्म पढ़ाई है, यही परमात्म पालना है।
तो जो भी आये हैं,
चाहे पहली बारी आने वाले हैं, जो पहली बारी मिलन मनाने के लिए आये हैं वह हाथ उठाओ।
बहुत आये हैं। वेलकम। जैसे अभी पहले बारी आये हो ना, तो पहला नम्बर भी लेना। चांस
हैं, आप सोचेंगे हम तो अभी- अभी पहले बारी आये हैं, हमारे से पहले वाले तो बहुत हैं
लेकिन ड्रामा में यह चांस रखा हुआ है कि लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट हो सकते
हो। चांस हैं और चांस लेने वालो को बापदादा चांसलर कहते हैं। तो चांसलर बनी। बनना
हैं चांसलर? चांसलर बनना है? जो समझते हैं चांसलर बनेंगे, वह हाथ उठाओ। चांसलर
बनेंगे? वाह! मुबारक हो। बापदादा ने देखा यहाँ तो जो भी आये हैं वह सब हाथ उठा रहे
हैं, मैजारिटी उठा रहे हैं, मुबारक हो, मुबारक हो। बापदादा ने आप सभी आने वाले
मीठे-मीठे, प्यारे-प्यारे बच्चों को विशेष याद किया है, क्यों याद किया? (आज सभा
में देश-विदेश के बहुत से वी.आई.पीज बैठे हैं) क्यों निमन्त्रण दिया? पता है? दखो,
निमन्त्रण तो बहुतों को मिला लेकिन आने वाले आप पहुँच गये हो। क्यों बापदादा ने याद
किया? क्योंकि बापदादा जानते हैं कि जो भी आयें हैं वह स्नेही, सहयोगी से सहजयोगी
बनने वाली क्वालिटी हैं। अगर हिम्मत रखेंगे तो आप सहजयोगी बन औरों को भी सहज योग का
मैसेन्जर बन मैसेज दे सकते हो। मैसेज देना अर्थात् गॉडली मैसेन्जर बनना। आत्माओं को
दुःख, अशान्ति से छुडाना। फिर भी आपके ही भाई-बहनें हैं ना। तो अपने भाई वा बहनों
को गॉडली मैंसेज देना अर्थात् मुक्त करना। इसकी दुआयें बहुत मिलती है। किसी भी आत्मा
को दुख, अशान्ति से छुडाने की दुआयें बहुत मिलती है और दुआयें मिलने से अतीन्द्रिय
सुख आन्तरिक खुशी की फीलिंग बहुत आती है। क्यों? क्योंकि खुशी बांटी ना तो खुशी
बांटने से खुशी बढती है। सभी खुश हो? विशेष बापदादा मेहमानों से नहीं, अधिकारियों
से पूछते हैं। अपने को मेहमान नहीं समझना, अधिकारी हैं। तो सभी खुश हैं? हाँ आप आने
वालों से पूछते हैं, कहने में आता है मेहमान लेकिन मेहमान नहीं हो, महान बन महान
बनाने वाले हो। तो पूछो खुश हैं? खुश हैं तो हाथ हिलाओ। सभी खुश हैं, अभी जाकरके
क्या करेंगे? खुशी बांटेगे ना! सबको खूब खुशी बांटना। जितनी बांटेगे उतनी बढेगी,
ठीक हैं। अच्छा - खूब ताली बजाओ। (सभी ने खूब तालिया बजाई) जैसे अभी ताली बजाई, ऐसे
सदा खुशी की तालियाँ आटोमेटिक बजती रहे। अच्छा।
सेवा का टर्न - भोपाल
जोन:- भोपाल
वाले उठो। सेवा का चांस लेने में कितने पदम, कदम में जमा किये? जमा किया? क्योंकि
यहाँ तो सेवा और यज्ञ पिता की याद रहती है। यज्ञ सेवा करते हो तो यज्ञ पिता की याद
तो स्वतः आती है। यहाँ क्या किया? दो काम थे ना, बस, और तो कोई काम नहीं था। बाप को
याद करना और सेवा करना और कोई ड्यूटी थी क्या? यही थी ना! सेवा करना अर्थात्
शक्तिशाली मेवा खाना। तो बहुत अच्छी सेवा की, अपने लिए भी दुआयें जमा किया और दूसरों
को भी आराम दिया अर्थात् बाप की याद दिलाई। तो अच्छा गोल्डन चांस लिया और यहाँ का
जमा किया हुआ वहाँ जाके स्वयं प्रति भी बढाना और दूसरों को भी बांटना। अच्छा है।
इसमें टीचर्स हाथ उठाओ।
बापदादा सदा टीचर्स
को कहते हैं, टीचर्स अर्थात् जिसके फीचर्स से फ्यूचर दिखाई दे। ऐसी टीचर्स हो ना!
आपको देखकर स्वर्ग के सुख की फीलिंग आये। शान्ति की अनुभूति हो। चलते-फिरते फरिश्ते
दिखाई दें। ऐसी टीचर्स हो ना। अच्छा है। चाहे प्रवृत्ति में रहने वाले हैं, चाहे
सेवा के निमित्त बने हुए हैं लेकिन सभी बापदादा समान बनने वाले निष्चयबुद्धि विजयी
हैं। तो सेवा करना बहुत अच्छा लगा ना। सन्तुष्ट रहे? रहे तो हाथ हिलाओ। बहुत अच्छा,
मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
मीडिया विंग:-
(बैनर दिखा रहे हैं
–“मूल्य निष्ठ मीडिया, सत्यता, निर्भयता, दिव्यता परमात्म प्रत्यक्षता”) अच्छा
लक्ष्य रखा है, मीडिया अर्थात् बापदादा की प्रत्यक्षता का आवाज फैलाने वाले।
प्रत्यक्षता का विशेष साधन मीडिया है क्योंकि लोग कहते हैं कि आपका आवाज इतना चारों
ओंर नहीं फैला है, तो मीडिया ऐसा साधन है जो चारो ओर आवाज फैला सकते हैं। अभी थोडा-
थोडा आवाज फैलाया है इसलिए अभी ऐसा वायुमण्डल बनाओ जो हर मीडिया के साधन वाले स्वयं
ऑफर करे कि हमें कुछ सेवा दो। कनेक्शन रख रहे हो लेकिन कनेक्शन वालों को रिलेशन वाला
बनाओ, जिससे वह खुद समझें कि हमारी भी जिम्मेवारी है। कर रहे हैं । करते रहेंगे और
अवश्य आवाज फैलना ही है। फैलाने वाले होशियार हैं तो आवाज फैलेगा ना! शुरू किया है,
अच्छा किया है, अभी उसको बढ़ाओ। (दादी जी की इच्छा है - एक करोड लोगों को सन्देश मिले,
तो इस शिव जयन्ती पर वह सन्देश सबको मिल जाये, ऐसा प्लैन बनाया है, और भी कई प्लैन
बापदादा को सुनाये) मुबारक हो। प्रैक्टिकल में करेंगे फिर गिफ़्ट भी देंगे, अभी
मुबारक हो।
साइंटिस्ट एवम
इंजीनियर विंग:-
(बैनर दिखाया – निमित्त, निर्मानता से नवनिर्माण, ज्ञान विज्ञान जागृति अभियान)
अच्छा बनाया है। अभी साइंटिस्ट और इंजीनियर डिपार्टमेंट को ऐसा कुछ करके दिखाना हैं
जो लोगों को अनुभव हो कि साईलेन्स की शक्ति साइंस को भी रिफाइन और प्रगति में ला
सकती है। साइंस और साइलेन्स का मिलन क्या-क्या कर सकता है, वह विशेष पहले पॉइंट्स
निकालो और फिर वह फैलाओ। साइंस वालों को पता पडे कि साइलेन्स हमारे साइंस में क्या
सहयोग दे सकती हैं, क्या उन्नति हो सकती है, ऐसा अनुभव स्वयं करो भी और कराओ भी।
अच्छा हैं बापदादा खुश हैं, हर एक वर्ग काम में तो लगा हुआ है, मनन करना शुरू है,
अभी मनन से मक्खन निकालो। कोई ऐसे विशेष अनुभव उन्हीं के सामने रखो क्योंकि आजकल
प्रैक्टिकल अनुभव का प्रभाव ज्यादा पडता है। टॉपिक पर भाषण करते हो लेकिन भाषण में
भी विशेष प्रैक्टिकल अनुभव सुनाने का लक्ष्य रखो। बाकी अच्छा कर रहे हैं, अच्छा है,
यह भी चांस मिल जाता है, विधि अच्छी बनाई है। अच्छा - मुबारक हो, किया है उसकी भी
मुबारक, और आगे करेंगे उसकी इन एडवांस मुबारक हो। (इस विंग के सदस्यों ने दो गुण
विशेष धारणा के लिए रखे हैं निमित्त भाव और निर्मान) बहुत अच्छा किया है, करते रहना
और लक्ष्य को पक्का रखना।
प्राशासक वर्ग:-
अच्छा आप लोगों ने भी
प्लैन बनाये हैं और बनाते ही रहते हैं। अच्छा है अगर प्रशासक परिवर्तन हो जाए तो सब
परिवर्तन हो सकते हैं क्योंकि कहावत है यथा राजा तथा प्रजा। तो अगर सभी तरफ प्रशासक
अपने जीवन में परिवर्तन करे तो औरों को भी परिवर्तन करने के निमित्त बना सकते हैं,
क्योंकि हर देश में प्रशासन करने वाले तो होते ही हैं। तो हर देश में विशेष उन्हों
को परिवर्तन का सन्देश देकर योग्य बनाओ औरो को परिवर्तन करने के। बाकी अच्छी सेवा
है, बहुतों का फायदा कर सकते हो। एक अनेकों के निमित्त बनने वाले होते हैं इसलिए कर
भी रहे हो और, और भी तीव्रगति से परिवर्तन का प्लैन प्रैक्टिकल में लाओ। आवश्यकता
है इस वर्ग की। सबकी नजर आज इसी वर्ग के ऊपर है। तो निमित्त बने हो, निर्माण करेंगे
ही। अच्छा।
डबल विदेशी:-
डबल विदेशी विश्व के
कोने-कोने में सन्देश देने का कार्य बहुत अच्छा कर रहे हैं। बापदादा सुनते हैं 50
देशों से आयें हैं, तो 50 देशों में सन्देश वाहक बैठे हैं। सन्देश देने का कार्य कर
रहे हैं और अभी प्लैन भी अच्छा बना रहे हैं कि जहाँ भी सन्देश नहीं पहुँचा हैं वहाँ
निमित्त बनना ही हैं। कर भी रहे हैं यह भी ब्रापदादा के पास पहुंचता हैं, अभी
उमंग-उत्साह हैं और जहाँ उमंग-उत्साह हैं वहाँ सफलता है ही है। तो डबल विदेशी कौन
हो? सफलता के सितारे हो। हैं ना! सफलता के सितारे हैं। अच्छा कर रहे हैं। एक-एक के
दिल का आवाज बापदादा तक पहुँचता रहता है। यह करें, यह करें, यह भी करें, वह भी करें,
उमंग-उत्साह अच्छा हैं और सफलता तो होनी ही है। आपके चरणों में. गले में सफलता है
ही है। और आप सबको देख करके सभी खुश भी होते हैं। आपका आह्वान करते हैं, डबल विदेशी
जरूर होने चाहिए। लाडले हो गये हो ना। तो बहुत अच्छा कर रहे हो, करते रहेंगे। उड रहे
हो, उडाते रहेंगे। सब टीचर्स बहुत उमंग में हैं ना। देखो आपके उमंग-उत्साह से यह
महान अधिकारी आत्मायें भी पहुँच गई हैं। ग्रुप अच्छा लाया है। जिन्होंने भी लाया है
उनको मुबारक है। क्वालिटी अच्छी लाये हैं। अभी और आवाज फैलेगा जरूर। अच्छा, मुबारक
हो, मुबारक हो। मुबारक हो। अच्छा।
चारों ओर के चाहे
साकार रूप में सामने हैं, चाहे दूर बैठे भी दिल के नजदीक हैं, ऐसे सदा श्रेष्ठ
भाग्यवान आत्माओं को, सदा निमित्त बन निर्माण का कार्य सफल करने वाले विशेष आत्माओं
को, सदा बाप के समान बनने के उमंग-उत्साह में आगे बढने वाले हिम्मतवान बच्चों को,
सदा हर कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाले बहुत-बहुत वर्ल्ड में पदमगुणा धनवान,
भरपूर आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
दादी और दादी जानकी
जी से:- आप (दादी)
रूप हो और यह (दादी जानकी) बसन्त है। आप दृष्टि से ही काम उतार देती हो। ऐसे ऊपर
हाथ करके नाचती हैं ना। अच्छा है। (सबको हल्का बना देती हैं) अच्छा है, आपके साथी
भी अच्छे हैं ना। अच्छा है, वायुमण्डल बनाना, यह भी सबसे ऊँचे ते ऊँची सेवा है। आप
आदि रत्नों से वायुमण्डल बनता है। चाहे बोलो, चाहे नहीं बोली लेकिन वायुमण्डल बनाने
वाले हो। देखो, कितनी सेवा कर रही हो। (मनोहर दादी से) बहुत अच्छा सभी को हँसा देती
हो, यह सेवा बहुत अच्छी करती हो। अच्छा है, (मुन्नी बहन से) बिजी रहती हो, बिजी रखने
में भी होशियार हो। (नीलू बहन से) बहुत अच्छा पार्ट बजा रही हो। (ईशू दादी से) यह
गुप्त रहती है लेकिन वाइब्रेशन अच्छा बनाती है। बहुत अच्छा (निर्मलशान्ता दादी से)
अभी प्रकृतिजीत बन गई। अभी प्रकृति के वश नहीं, प्रकृतिजीत। देखो संगठन में कितनी
अच्छी लग रही हो। सबसे फ्रेश तो आप लग रही हो। सबको हाथ हिलाओ। (रुकमणी बहन से) ठीक
हो, सेवा प्यार से करती हो।
डबल विदेशी निमित्त
बड़ी बहनों से:-
अच्छा सर्विस का सबूत दे रहे हैं। इससे ही आवाज फैलेगा। अनुभव सुनाने से औरों का भी
अनुभव बढ़ता है। तो बापदादा खुश हैं, फॉरिन की सेवा में निमित्त बनने वाले अच्छे
उमंग-उत्साह से सेवा में बिजी रहते हैं। गये देश से हैं लेकिन विदेश वालों की सेवा
ऐसे ही निमित्त बनके कर रहे हैं जैसे वहाँ के ही हैं। अपनेपन की भासना देते हो। और
सब तरफ के हैं। एक तरफ के नहीं हैं, लण्डन के या अमेरिका के नहीं, बेहद सेवाधारी
हैं। जिम्मेवारी तो विश्व की है ना। तो बापदादा मुबारक दे रहे हैं। कर रहे हो, आगे
और अच्छे ते अच्छा उड़ते और उड़ाते रहेंगे। अच्छा।
डबल विदेशी मेहमानों
से:-
1. बापदादा ने आप सभी को क्यों याद किया? क्यों किया? क्योंकि आपको गॉडली मैसेन्जर
बनना हैं। मैसेज तो समझ गये हो ना! मैसेज क्या है, याद करो। यह मैसेज तो जानते हो
ना! सबको बाप की याद दिलाते रहो, बस। सहज है ना। मुश्किल तो नहीं लगता? याद में रहो
और याद दिलाओं। बहुत अच्छा किया जो पहुँच गये।
2. अपने को बाप के
अर्थात् परमात्मा के जन्म सिद्ध अधिकार के अधिकारी समझते हो ना? समझते हो? पूरा
अधिकार लेने वाले हो ना! हाफ नहीं फुल। आप मेहमान नहीं, महान बन औरों को महान बनाने
वाले हो। खुशी है ना! खुश हैं? एवरहैपी? अभी एवरहैपी रहना, खुशी नहीं गवानी हैं। सदा
मुस्कराते रहो। मुस्कराना अच्छा हैं ना! तो एवरहैपी ग्रूप। ओके एवरहैपी ग्रूप,
वेरीगुड। बहुत अच्छा।
3. सभी होली और हैपी
हंस हो। हंस का काम क्या होता है? हंस में निर्णय शक्ति बहुत होती है। तो आप भी होली
हैपी हंस व्यर्थ को समाप्त करने वाले और समर्थ बन समर्थ बनाने वाले हो। सभी एवरहैपी?
एवर-एवर हैपी। अभी कभी दुःख को आने नहीं देना। दुःख को डायवोर्स दे दिया, तभी तो
दूसरों का दुःख निवारण करेंगे ना! तो सुखी रहना है और सुख देना है। यह काम करेंगे
ना! यहाँ से जो सुख मिला है वह जमा रखना। कभी भी कुछ भी हो ना - बाबा, मीठा पाया,
दुख दे दो, अपने पास नहीं रखना। खराब चीज़ रखी जाती है क्या? तो दुःख खराब है ना! तो
दुःख निकाल दो, सुखी रहो। तो यह है सुखी ग्रूप और सुखदाई ग्रूप। चलते-फिरते सुख देते
रहो। कितना आपको दुआयें मिलेंगी। तो यह ग्रूप ब्लैसिंग के पात्र हैं। (पर्सनल) खुश
हैं ना! अभी मुस्कराओ। बस मुस्कराते रहना। खुशी में नाचो।
डबल विदेशी मुख्य
भाई-बहनें जिन्होंने सेवा की:-
सभी ने बहुत अच्छी सेवा की, उसकी बहुत-बहुत मुबारक। ऐसे ही सेवा करते रहना। अच्छा
ग्रूप है। (एक बुक बना रहे हैं) बापदादा ने समाचार सुना था। अच्छा सबको महावाक्य
मिलेंगे, महान बन जायेंगे। तो इसमें ऐसा जादू भरना जो किताब खोले तो जादू लग जाए।
खुशी में नाचने लग जायें। अच्छी मेहनत कर रहे हो, बापदादा खुश है।
अफ्रीका के मुख्य
भाई-बहने वहाँ की सेवा का समाचार सुना रहे हैं - बहुत अच्छा। बापदादा की दुआयें
हैं। प्लैन बहुत अच्छा है। मुबारक हो। अच्छा, यह निमित्त बना है, दोनों ही अच्छे
निमित्त हो। इतनों का कल्याण किया है, यह भी बहुत बड़ा पुण्य है। पुण्यात्मा बन गये।
साथी दोनों ही ठीक हैं। बहुत अच्छा। (वेदान्ती बहन से) यह भी सहयोग अच्छा दे रही
है। (जयन्ती बहन से) यह बैकबोन है। अच्छा।