31-03-07 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“सपूत बन अपनी सूरत से
बाप की सूरत दिखाना, निर्माण (सेवा) के साथ निर्मल वाणी, निर्मान स्थिति का
बैलेन्स रखना”
आज बापदादा चारों ओर
के बच्चों के भाग्य की रेखायें देख हर्षित हो रहे हैं। सभी बच्चों के मस्तक में
चमकती हुई ज्योति की रेखा चमक रही है। नयनों में रूहानियत् की भाग्य रेखा दिखाई दे
रही है। मुख में श्रेष्ठ वाणी के भाग्य की रेखा दिखाई दे रही है। होठों में रूहानी
मुस्कराहट देख रहे हैं। हाथों में सर्व परमात्म खज़ाने की रेखा दिखाई दे रही है। हर
याद के कदम में पदमों की रेखा देख रहे हैं। हर एक के ह्दय में बाप के लव में लवलीन
की रेखा देख रहे हैं। ऐसा श्रेष्ठ भाग्य हर एक बच्चा अनुभव कर रहे हैं ना! क्योंकि
यह भाग्य की रेखायें स्वयं बाप ने हर एक के श्रेष्ठ कर्म के कलम से खींची है। ऐसा
श्रेष्ठ भाग्य जो अविनाशी है, सिर्फ इस जन्म के लिए नहीं है लेकिन अनेक जन्मों की
अविनाशी भाग्य रेखायें हैं। अविनाशी बाप है और अविनाशी भाग्य की रेखायें हैं। इस
समय श्रेष्ठ कर्म के आधार पर सर्व रेखायें प्राप्त होती हैं। इस समय का पुरूषार्थ
अनेक जन्म की प्रालब्ध बना देती है। बापदादा सभी बच्चों के इस समय भी जो प्रालब्ध
अनेक जन्म मिलनी है वह इस जन्म में पुरूषार्थ की प्रालब्ध की प्राप्ति अभी देखने
चाहते हैं। सिर्फ भविष्य नहीं लेकिन अभी भी यह सब रेखायें सदा अनुभव में आयें
क्योंकि अभी के यह दिव्य संस्कार आपका नया संसार बना रहा है। तो चेक करो, चेक करना
आता है ना! स्वयं ही स्वयं के चेकर बनो। तो सर्व भाग्य की रेखायें अभी भी अनुभव होती
हैं? ऐसे तो नहीं समझते कि यह प्रालब्ध अन्त में दिखाई देगी? प्राप्ति भी अब है तो
प्रालब्ध का अनुभव भी अभी करना है। भविष्य संसार के संस्कार अभी प्रत्यक्ष जीवन में
अनुभव होना है। तो क्या चेक करो? भविष्य संसार के संस्कारों का गायन करते हो कि
भविष्य संसार में एक राज्य होगा। याद है ना वह संसार! कितने बार उस संसार में राज्य
किया है? याद है? कि याद दिलाने से याद आता है? क्या थे, वह स्मृति में है ना?
लेकिन वही संस्कार अभी के जीवन में प्रत्यक्ष रूप में हैं? तो चेक करो अभी भी मन
में, बुद्धि में, सम्बन्ध-सम्पर्क में, जीवन में एक राज्य है? वा कभी-कभी आत्मा के
राज्य के साथ-साथ माया का राज्य भी तो नहीं है? जैसे भविष्य प्रालब्ध में एक ही
राज्य है, दो नहीं है। तो अभी भी दो राज्य तो नहीं है? जैसे भविष्य राज्य में एक
राज्य के साथ एक धर्म है, वह धर्म कौन सा है? सम्पूर्ण पवित्रता की धारणा का धर्म
है। तो अभी चेक करो कि पवित्रता सम्पूर्ण है? स्वप्न में भी अपवित्रता का नामनिशान
नहीं हो। पवित्रता अर्थात् संकल्प, बोल, कर्म और सम्बन्ध-सम्पर्क में एक ही धारणा
सम्पूर्ण पवित्रता की हो। ब्रह्माचारी हो। अपनी चेकिंग करने आती है? जिसको अपनी
चेकिंग करनी आती है वह हाथ उठाओ। आती है और करते भी हैं? करते हैं, करते हैं?
टीचर्स को आता है? डबल फारेनर्स को आता है? क्यों? अभी की पवित्रता के कारण आपके जड़
चित्र से भी पवित्रता की मांग करते हैं। पवित्रता अर्थात् एक धर्म अब की स्थापना है
जो भविष्य में भी चलती है। ऐसे ही भविष्य का क्या गायन है? एक राज्य, एक धर्म और
साथ में सदा सुख-शान्ति, सम्पत्ति, अखण्ड सुख, अखण्ड शान्ति, अखण्ड सम्पत्ति। तो अब
के आपके स्वराज्य के जीवन में, वह है विश्व राज्य और इस समय है स्वराज्य, तो चेक करो
अविनाशी सुख, परमात्म सुख, अविनाशी अनुभव होता है? ऐसे तो नहीं, कोई साधन वा कोई
सैलवेशन के आधार पर सुख का अनुभव तो नहीं होता? कभी दु:ख की लहर किसी भी कारण से
अनुभव में नहीं आनी चाहिए। कोई नाम, मान-शान के आधार पर तो सुख अनुभव नहीं होता है?
क्यों? यह नाम मान शान, साधन, सैलवेशन यह स्वयं ही विनाशी हैं, अल्पकाल के हैं। तो
विनाशी आधार से अविनाशी सुख नहीं मिलता। चेक करते जाओ। अभी भी सुनते भी जाओ और अपने
में चेक भी करते जाओ तो पता पड़ेगा कि अब के संस्कार और भविष्य संसार की प्रालब्ध
में कितना अन्तर है! आप सबने जन्मते ही बापदादा से वायदा किया है, याद है वायदा? है
याद वायदा कि भूल गया है? यही वायदा किया कि हम सभी बाप के साथी बन, विश्व
कल्याणकारी बन नया सुख शान्तिमय संसार बनाने वाले हैं। याद है? याद है अपना वायदा?
है याद? हाथ उठाओ। पीछे वाले भी उठा रहे हैं। यहाँ भी उठा रहे हैं, पक्का वायदा है
या थोड़ा गड़बड़ हो जाती है? नया संसार अब परमात्म संस्कार के आधार से बनाने वाले हैं।
तो सिर्फ अभी पुरूषार्थ नहीं करना है लेकिन पुरूषार्थ की प्रालब्ध भी अभी अनुभव करनी
है। सुख के साथ शान्ति को भी चेक करो - अशान्त सरकमस्टांश, अशान्त वायुमण्डल उसमें
भी आप शान्ति सागर के बच्चे सदा कमल पुष्प समान अशान्ति को भी शान्ति के वायुमण्डल
में परिवर्तन कर सकते हो? शान्त वायुमण्डल है, उसमें आपने शान्ति अनुभव की, यह कोई
बड़ी बात नहीं है लेकिन आपका वायदा है अशान्ति को शान्ति में परिवर्तन करने वाले
हैं। तो चेक करो - कर रहे हैं ना चेक? परिवर्तक हो? परवश तो नहीं हो ना? परिवर्तक
हो। परिवर्तक कभी परवश नहीं हो सकता। इसी प्रकार से सम्पत्ति, अखुट सम्पत्ति, वह
स्वराज्य अधिकारी की क्या है? ज्ञान, गुण और शक्तियां स्वराज्य अधिकारी की
सम्पत्तियां यह हैं। तो चेक करो - ज्ञान के सारे विस्तार के सार को स्पष्ट जान गये
हो ना? ज्ञान का अर्थ यह नहीं है कि सिर्फ भाषण किया, कोर्स कराया, ज्ञान का अर्थ
है समझ। तो हर संकल्प, हर कर्म बोल ज्ञान अर्थात् समझदार, नॉलेजफुल बनके करते हैं?
सर्वगुण प्रैक्टिकल जीवन में इमर्ज रहते हैं? सर्व हैं वा यथाशक्ति हैं? इसी प्रकार
सर्व शक्तियां आपका टाइटिल है - मास्टर सर्वशक्तिवान, शक्तिवान नहीं हैं। तो सर्व
शक्तियां सम्पन्न हैं? और दूसरी बात सर्व शक्तियां समय पर कार्य करती हैं? समय पर
हाजिर होती हैं या समय बीत जाता है फिर याद आता है? तो चेक करो तीनों ही बातें एक
राज्य, एक धर्म और अविनाशी सुख-शान्ति, सम्पत्ति। क्योंकि नये संसार में यह बातें
जो अभी स्वराज्य के समय का अनुभव है वह नहीं हो सकेगा। अभी इन सभी बातों का अनुभव
कर सकते हैं। अभी से यह संस्कार इमर्ज होंगे तब अनेक जन्म प्रालब्ध के रूप में
चलेंगे। ऐसे तो नहीं समझते हैं कि धारण कर रहे हैं, हो जायेगा, अन्त तक तो हो ही
जायेंगे!
बापदादा ने पहले से
ही इशारा दे दिया है कि बहुतकाल का अभी का अभ्यास बहुतकाल की प्राप्ति का आधार है।
अन्त में हो जायेगा नहीं सोचना, हो जायेगा नहीं, होना ही है। क्यों? स्वराज्य का जो
अधिकार है वह अभी बहुतकाल का अभ्यास चाहिए। अगर एक जन्म में अधिकारी नहीं बन सकते,
अधीन बन जाते तो अनेक जन्म कैसे होंगे! इसलिए बापदादा सभी चारों ओर के बच्चों को
बार-बार इशारा दे रहे हैं कि अभी समय की रफ्तार तीव्रगति में जा रही है इसलिए सभी
बच्चों को अभी सिर्फ पुरूषार्थी नहीं बनना है लेकिन तीव्र पुरूषार्थी बन, पुरूषार्थ
की प्रालब्ध का अभी बहुतकाल से अनुभव करना है। तीव्र पुरूषार्थ की निशानियां बापदादा
ने पहले भी सुनाई हैं। तीव्र पुरूषार्थी सदा मास्टर दाता होगा, लेवता नहीं देवता,
देने वाला। यह हो तो मेरा पुरूषार्थ हो, यह करे तो मैं भी करूं, यह बदले तो मैं भी
बदलूं, यह बदले, यह करे, यह दातापन की निशानी नहीं है। कोई करे न करे, लेकिन मैं
बापदादा समान करूं, ब्रह्मा बाप समान भी, साकार में भी देखा, बच्चे करें तो मैं करूं,
कभी नहीं कहा, मैं करके बच्चों से कराऊं। दूसरी निशानी है तीव्र पुरूषार्थ की, सदा
निर्मान, कार्य करते भी निर्मान, निर्माण और निर्मान दोनों का बैलेन्स चाहिए। क्यों?
निर्मान बनकर कार्य करने में सर्व द्वारा दिल का स्नेह और दुआयें मिलती हैं। बापदादा
ने देखा कि निर्माण अर्थात् सेवा के क्षेत्र में आजकल सभी अच्छे उमंग उत्साह से
नये-नये प्लैन बना रहे हैं। इसकी बापदादा चारों ओर के बच्चों को मुबारक दे रहे हैं।
बापदादा के पास
निर्माण के, सेवा के प्लैन बहुत अच्छे-अच्छे आये हैं। लेकिन बापदादा ने देखा कि
निर्माण के कार्य तो बहुत अच्छे लेकिन जितना सेवा के कार्य में उमंग-उत्साह है उतना
अगर निर्मान स्टेज का बैलेन्स हो तो निर्माण अर्थात् सेवा के कार्य में और सफलता और
ज्यादा प्रत्यक्ष रूप में हो सकती है। बापदादा ने पहले भी सुनाया है – निर्मान
स्वभाव, निर्मान बोल और निर्मान स्थिति से सम्बन्ध-सम्पर्क में आना, देवताओं का
गायन करते हैं लेकिन है ब्राह्मणों का गायन, देवताओं के लिए कहते हैं उनके मुख से
जो बोल निकलते वह जैसे हीरे मोती, अमूल्य, निर्मल वाणी, निर्मल स्वभाव। अभी बापदादा
देखते हैं, रिजल्ट सुना दें ना, क्योंकि इस सीजन का लास्ट टर्न है।
तो बापदादा ने देखा
कि निर्मल वाणी, निर्मान स्थिति उसमें अभी अटेन्शन चाहिए। बापदादा ने पहले खज़ाने के
तीन खाते जमा करो, यह पहले बताया है। तो रिजल्ट में क्या देखा? तीन खाते कौन से
हैं? वह तो याद होगा ना! फिर भी रिवाइज कर रहे हैं - एक है अपने पुरूषार्थ से जमा
का खाता बढ़ाना। दूसरा है - सदा स्वयं भी सन्तुष्ट रहे और दूसरे को भी सन्तुष्ट करे,
भिन्न-भिन्न संस्कार को जानते हुए भी सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना इससे दुआओं का
खाता जमा होता है। अगर किसी भी कारण से सन्तुष्ट करने में कमी रह जाती है तो पुण्य
के खाते में जमा नहीं होता। सन्तुष्टता पुण्य की चाबी है। चाहे रहना, चाहे करना। और
तीसरा है - सेवा में भी सदा नि:स्वार्थ, मैं पन नहीं। मैंने किया, या मेरा होना
चाहिए, यह मैं और मेरापन जहाँ सेवा में आ जाता है वहाँ पुण्य का खाता जमा नहीं होता।
मेरापन, अनुभवी हो यह रॉयल रूप का भी मेरापन बहुत है। रॉयल रूप के मेरेपन की लिस्ट
साधारण मेरेपन से लम्बी है। तो जहाँ भी मैं और मेरेपन का स्वार्थ आ जाता है,
नि:स्वार्थ नहीं है वहाँ पुण्य का खाता कम जमा होता है। मेरेपन की लिस्ट फिर कभी
सुनायेंगे, बड़ी लम्बी है और बड़ी सूक्ष्म है। तो बापदादा ने देखा कि अपने पुरूषार्थ
से यथाशक्ति सभी अपना-अपना खाता जमा कर रहे हैं लेकिन दुआओं का खाता और पुण्य का
खाता वह अभी भरने की आवश्यकता है। इसलिए तीनों खाते जमा करने का अटेन्शन। संस्कार
वैरायटी अभी भी दिखाई देंगे, सबके संस्कार अभी सम्पन्न नहीं हुए हैं लेकिन हमारे
ऊपर औरों के कमज़ोर स्वभाव, कमज़ोर संस्कारों का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। मैं मास्टर
सर्वशक्तिवान हूँ, कमज़ोर संस्कार शक्तिशाली नहीं हैं। मुझ मास्टर सर्वशक्तिवान के
ऊपर कमज़ोर संस्कार का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। सेफ्टी का साधन है बापदादा की
छत्रछाया में रहना। बापदादा के कम्बाइण्ड रहना। छत्रछाया है श्रीमत।
अभी इस सीजन का लास्ट
टर्न है, दूसरी सीजन समय प्रमाण चालू होगी लेकिन जैसे नई सीजन मिलन मनाने की चालू
होगी, उसम्रें नवीनता क्या दिखायेंगे? अपने लिए कोई नया प्लैन बनाया है? जैसे सेवा
के लिए नये-नये प्लैन सोचते हो ना, तो स्व के प्रति, जो पुरानी बातें हैं उसमें
नवीनता क्या सोची है? अगर नहीं सोची भी है तो बापदादा इशारा दे रहे हैं कि स्व प्रति
हर एक को संकल्प, बोल, सम्पर्क-सम्बन्ध, कर्म में नवीनता लाने का प्लैन बनाना ही
है। बापदादा पहले रिजल्ट देखेंगे क्या नवीनता लाया? क्या पुराना संस्कार दृढ़ संकल्प
से परिवर्तन किया? यह रिजल्ट पहले देखेंगे। क्या सोचते हो? ऐसा करें? करें? हाथ
उठाओ जो कहते हैं करेंगे, करेंगे? अच्छा। करेंगे या दूसरे को देखेंगे? क्या करेंगे?
दूसरे को नहीं देखना, बापदादा को देखना, अपनी बड़ी दादी को देखना। कितनी न्यारी और
प्यारी स्टेज है। बापदादा कहते हैं अगर किसको मैं और हद का मेरापन से न्यारा देखना
हो तो अपने बापदादा के दिलतख्तनशीन दादी को देखो। सारी लाइफ में हद का मेरापन, हद
का मैं-पन से न्यारी रही है, उसकी रिजल्ट बीमारी कितनी भी है लेकिन दु:ख दर्द की
भासना से न्यारी है। एक ही शब्द पक्का है, कोई भी पूछता दादी कुछ दर्द है, दादी कुछ
हो रहा है? क्या उत्तर मिलता? कुछ नहीं। क्योंकि निरस्वार्थ और दिल बड़ी, सर्व को
समाने वाली, सर्व की प्यारी, इसकी प्रैक्टिकल निशानी देख रहे हैं। तो जब ब्रह्मा
बाप की बात कहते हैं, तो कहते हैं उसमें तो बाप था ना, लेकिन दादी तो आपके साथ प्रभू
पालना में रही, पढ़ाई में रही, सेवा में साथी रही, तो जब एक बन सकता है, नि:स्वार्थ
स्थिति में तो क्या आप सभी नहीं बन सकते? बन सकते हैं ना! बापदादा को निश्चय है कि
आप ही बनने वाले हैं। कितने बार बने हैं? याद है? अनेक कल्प बाप समान बने हैं और अभी
भी आप ही बनने वाले हो। इसी उमंग से, उत्साह से उड़ते चलो। बाप को आपमें निश्चय है
तो आप भी अपने में सदा निश्चयबुद्धि, बनना ही है ऐसा निश्चयबुद्धि बन उड़ते चलो। जब
बाप से प्यार है, प्यार में 100 परसेन्ट से भी ज्यादा है, ऐसे कहते हो। यह ठीक है?
जो भी सभी बैठे हैं वा जो भी अपने-अपने स्थान पर सुन रहे हैं, देख रहे हैं वह सभी
प्यार की सबजेक्ट में अपने को 100 परसेन्ट समझते हैं? वह हाथ उठाओ। 100 परसेन्ट? (सभी
ने उठाया) अच्छा। पीछे वाले लम्बे हाथ उठाओ, हिलाओ। इसमें तो सभी ने हाथ उठाया। तो
प्यार की निशानी है समान बनना। जिससे प्यार होता है उस जैसा बोलना, उस जैसा चलना,
उस जैसा सम्बन्ध-सम्पर्क निभाना, यह है प्यार की निशानी।
तो अगली सीजन में सभी
की सूरत में बाप की सूरत दिखाई दे। हर एक के सम्बन्ध-सम्पर्क में बाप जैसे संस्कार
दिखाई दें। यह है स्नेह का रिटर्न, स्वयं को टर्न करना। देखो, आप सबके एक संकल्प की
वृत्ति ने, योग की शक्ति ने दादी के परिवर्तन में (तबियत के परिवर्तन में) चार चांद
लगा दिये। साइलेन्स की शक्ति से एकमत होके एक वृत्ति से विधि ने प्रत्यक्ष फल दिखाया,
इसकी मुबारक हो सभी को। हाँ भले ताली बजाओ। जब एक बात का प्रत्यक्ष प्रमाण देख लिया,
दृढ़ संकल्प संगठन की साइलेन्स, याद की शक्ति का। जब एक प्रमाण देख लिया तो आगे के
लिए स्वपरिवर्तन के लिए, अपने को देखना है, अपने को बदलना है, अगर झुकना पड़े तो
झुकना है लेकिन परिवर्तन करने से स्व को हटाना नहीं है। ऐसे दृढ़ संकल्प कर हर एक को
सबूत देना है क्योंकि सभी सपूत बच्चे हो। सपूत बच्चे का काम ही है प्रत्यक्ष सबूत
देना। अच्छा।
जो बापदादा ने होम
वर्क दिया था - 15 दिन के लिए। एक बात का होमवर्क दिया, याद रहा? जिसने संकल्प तक
भी न दु:ख दिया, न दु:ख लिया, स्वप्न में भी नहीं, संकल्प में भी नहीं, वह हाथ उठाओ।
उठ के खड़े हो। जिन्होंने पास मार्क्स ली, थोड़ी मार्क्स वाले नहीं, पास मार्क्स ली,
क्यों! पहली लाइन ने नहीं ली। पहली लाइन वाले क्यों नहीं उठते! अगर किया है तो उठो।
अगर दु:ख नहीं दिया है तो उठो। स्वप्न में भी, संकल्प में भी नहीं, फिर तो ताली
बजाओ इन्हों के लिए। डबल फारेनर्स ने भी उठाया है। अच्छा। अच्छा। अमर रहेंगे ना!
अमरभव का वरदान याद रखना। अच्छा।
सेवा का टर्न ईस्टर्न
जोन का है, (बंगाल-बिहार, उड़ीसा, आसाम, नेपाल, तामिलनाडु जोन):- यह तो बहुत अच्छा,
सभी जोन वालों ने चांस लेने की विधि अच्छी बनाई है। बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आसाम,
नेपाल और तामिलनाडु कितनी राजधानियां हैं। बहुत हैं। तो सेवा में चमत्कारी सेवा का
चांस है। अच्छा आप सबने कोई नई इन्वेन्शन निकाली है, सेवा की नवीनता सोची है? जोन
के सभी तरफ की विशेष टीचर्स हाथ उठाओ। भिन्न-भिन्न स्थान की हेड, एक जोन हेड नहीं,
लेकिन भिन्न-भिन्न स्थान की एक एक हेड। अच्छा। तो आप सभी ने सेवा में नवीनता का
प्लैन क्या बनाया? कोई बनाया है? आगे वाली टीचर्स बनाया है? कि बना रहे हैं? बना रहे
हैं। क्योंकि आपका जोन जो है उसमें विस्तार बहुत है, कितनी आत्मायें हैं, कितने देश
हैं, कितने गांव हैं, तो ऐसा प्लैन बनाओ, जैसे बापदादा ने देखा तो फारेन में अफ्रीका
वालों ने सिर्फ प्लैन नहीं बनाया, लेकिन प्रैक्टिकल में सब एरिया कवर की है, तो आपकी
तरफ तो बहुत एरिया है तो कितने लोग समय समाप्त होने पर वंचित रह जायेंगे ना! तो मिल
करके ऐसा कोई प्लैन बनाओ, ऐसे ही बापदादा के पास रशिया वालों का भी प्लैन आया और आज
समाचार सुनाया कि आज से उन्होंने प्रोग्राम चालू कर दिया है। आज गांव वालों ने भी
सुनाया (ग्राम विकास प्रभाग की ओर से इस वर्ष अखिल भारतीय मोटर साइकिल अभियान
निकालने के बारे में सन्देशी द्वारा बापदादा को सन्देश भेजा गया था) तो बापदादा के
पास समाचार पहुंचा कि इन्डिया में, हर जोन के गांव-गांव में सन्देश पहुंचाने के लिए
मोटरसाइकिल यात्रा का प्रोग्राम बनाया है। सभी जोन मिलकर करेंगे। तो आप भी ऐसा आपस
में प्लैन बनाओ, कोई एरिया रह नहीं जाये, कम से कम सन्देश तो मिल जाये, नहीं तो आपको
बहुत उल्हनें मिलेंगे। हमारा बाबा आया, और हमें सूचना नहीं दी। और दूसरा तामिलनाडु
भी है, वह भी देखे ऐसा प्लैन बनाया है? हर जोन को ऐसा प्लैन आपस में मिलकर बनाना ही
चाहिए। खुशी होती है, अपने मन में सैटिस्फैक्शन होता है हमने अपनी सेवा का कार्य
सन्देश देने का तो पूरा किया। तो अभी बनाना। बना सकते हैं ना! बंगाल वाले हाथ उठाओ।
बिहार वाले हाथ उठाओ, नेपाल वाले, उड़ीसा वाले तो बहादुर हैं। और भी हैं ना, आसाम।
देखो कितनी एरिया ली है, बहुत बड़ी एरिया ली है, बड़ा राजा बनना है ना। तो दूसरी सीजन
में यह सन्देश देने का कार्य का प्लैन बनाके प्रैक्टिकल में शुरू कर लेना। कर सकते
हैं ना! कर सकते हैं? क्योंकि बापदादा को भी कोई बच्चे का उल्हना अच्छा नहीं लगता।
प्लैन बापदादा ने सुने हैं, प्लैन सभी ने बहुत अच्छा बनाया है लेकिन बापदादा हमेशा
कहते हैं कि प्लैन के साथ प्लेन बुद्धि। प्लेन बुद्धि और प्लैन दोनों साथ-साथ हों।
तो सफलता बहुत सहज और श्रेष्ठ निकलती है। तो तामिलनाडु भी करेगा ना! करेंगे? देखो,
बापदादा ने सभी बच्चों को उमंग-उत्साह और हिम्मत का वरदान एक जैसा दिया है। किसको
ज्यादा, किसको कम नहीं दिया है। तो जहाँ उमंग-उत्साह है, वहाँ हिम्मत हैं तो क्या
नहीं हो सकता है। असम्भव भी सम्भव हो सकता है। सभी पूछते हैं आगे क्या करना है?
बापदादा का संकल्प है कि अभी ज्यादा में ज्यादा बनी बनाई स्टेज पर चांस लो। उन्हों
को सहयोगी बनाओ और आप सकाश दो। 70 साल अपने हिम्मत से किया। अभी दूसरों का भाग्य
बनाओ। भाग्य बनाने का चांस दो उन्हों को। भाग्य बनाने के लिए सिर्फ स्वयं सकाश कौन
सी दो? एक तो रहमदिल बहुत बनो। क्षमा में बाप के साथी बनो। शक्तिशाली वृत्ति से
वायुमण्डल ऐसा बनाओ जो स्वयं आफर करें, ऐसे आफर चारों ओर से आये। हर जोन में आफर आये,
यहाँ आओ, यहाँ आओ, यहाँ आओ, तब यही है, यही है, यह स्वत: ही प्रसिद्ध हो जायेगा। अभी
उन्हों को भी सहयोगी स्नेही बनने का चांस दो। उन्हों को भी चांस दो क्योंकि बापदादा
ने देखा है कि स्नेही, सहयोगी हर जोन में यथा शक्ति है लेकिन उन्हों को सेवा के साथी
बनाओ। उन्हों को भी उमंग उत्साह के पंख दो। हैं चारों ओर क्योंकि बापदादा चक्कर तो
लगाते हैं ना! तो अपने बच्चों को भी देखते हैं और स्नेही-सहयोगी आत्माओं को भी देखते
हैं। बापदादा की नज़र में हैं लेकिन चांस नहीं दिया है, प्रैक्टिकल चांस नहीं लिया
है। तो यह वर्ष उन्हों को निमित्त बनाओ, स्नेही-सहयोगियों को उमंग-उत्साह में लाओ।
लाना पड़ता है। नहीं तो वह भी आपको उल्हना देंगे कि हमको तो आपने बताया ही नहीं कि
ऐसा भी कर सकते हैं। इसलिए अभी चांस देने वाले बनो। कैसे फारेन वाले हो सकता है ना?
हो सकता है फारेन वाले? फारेन के भाई उठो। जो सेवा में निमित्त हैं वह उठो। देखो
कितने अच्छे अच्छे सकाश देने वाली आत्मायें हो। तो अभी देखेंगे सबसे कौन से जोन ने
बनी बनाई स्टेज ली है। जैसे एक वर्ष में मेगा प्रोग्राम करने की धुन लगा दी थी। ऐसे
अभी बनी बनाई स्टेज का चांस लेने की धूम मचाओ। हो सकता है? फारेन वाले हो सकता है?
हो सकता है! आपको सामने कह रहे हैं (आस्ट्रेलिया के ब्रायन को कह रहे हैं) कमाल करके
दिखाना। दादी जानकी की राय से करते चलो। बापदादा साथी दे रहे हैं। सभी कर सकते हैं
क्योंकि सभी पुराने और सर्विसएबुल हो। (जयन्ती बहन ने सुनाया - विदेश में इस वर्ष
ऐसे इन्टरनेशनल 4 निमन्त्रण मिले हैं, जिसमें दादियां आकर आशीर्वाद दें, लण्डन में
जो बाबा का दुकान है उसको सेवा के लिए गोल्ड मैडल मिला है) अच्छा है मुबारक हो। सभी
के तालियों की मुबारक उसको दे देना।
500 डबल विदेशी आये
हैं:- बापदादा
सदा कहता है कि डबल विदेशी मधुबन का विशेष श्रृंगार हैं। जैसे देशअपने-अपने
उमंग-उत्साह से बढ़ रहे हैं ऐसे विदेश भी कम नहीं हैं। विदेश ने भी थोड़े समय में
विस्तार अच्छा कियाहै। अभी विदेश को सिर्फ एक ही इनाम लेना है, बतायें कौन सा इनाम
लेना है, खास डबल विदेशियों को? चारों ओर स्व और सेवा के बैलेन्स का इनाम लेना है।
पसन्द है? विदेशी पसन्द है? लेना है? हाथ उठाओ। वेलकम। मुबारक इन एडवांस मुबारक। (जर्मनी
में एक बड़े गुरू ने अपने प्रोग्राम में ब्रह्माकुमारियों को प्रवचन के लिए
निमन्त्रण दिया है) बहुत अच्छा। ऐसे तो कभी कभी इन्डिया में भी मिलते हैं। लेकिन अभी
लहर फैलाओ। कभी कभी तो मिलते हैं लेकिन अभी चारों ओर हर जोन में देश में विदेश में
यह लहर फैलाओ। अच्छा।
मधुबन निवासी क्या
करेंगे? क्या करेंगे मधुबन वाले! बताओ मधुबन वाले क्या करेंगे! आबू में स्टेज
बनायेंगे? कोई नवीनता करो मधुबन वाले। मधुबन की एक विशेषता तो बहुत अच्छी है, जो भी
आते हैं, जो भी जोन वाले सेवा करते हैं, सेवा वहाँ करते हैं लेकिन जो छाप लगती है
वह मधुबन में लगती है। तो मधुबन वाले वायुमण्डल और वायब्रेशन, स्वच्छता और स्नेह का
छाप अच्छी लगाते हैं। जैसे आप मधुबन घर में रहते हो ना, ऐसे जो आने वाले हैं उसको
भी घर का बना देते हो, यह मधुबन की विशेषता है। करते हो ना ऐसे? सेवा अच्छी करते हो
ना! करते हो ना? यह सब मधुबन वाले बैठे हैं। मधुबन वाले उठो, अच्छा। बाहर भी मधुबन
वाले बैठे होंगे। बापदादा को पता है बाहर बहुत बैठते हैं। अच्छा है वह लाते हैं, आप
उन्हों को उड़ाते रहो। डबल लाइट बनाके उन्हों की ऐसी पालना करो खिलाओ, पिलाओ, अपना
अनुभव सुनाओ, उनको छाप लगा दो। करते हो ना सेवा? करते हैं सभी। वायुमण्डल की सेवा
तो करते हैं ना! अच्छा है, दादियां भी उठी हैं, मुबारक हो। दादियों की ताली तो बजाओ।
अच्छा है। मधुबन, मधुबन ही है और आखिर में सभी को कहाँ पहुंचना है, मधुबन में ही
पहुंचेंगे ना। सेवा अच्छी करते हो। ड्युटी अपनी अच्छी बजाते हो, सिर्फ जो आज बापदादा
ने कहा है ना, स्व तीव्र पुरूषार्थ और सेवा दोनों का बैलेन्स इसका आपस में संगठन कर
बैलेन्स करके दिखाओ। अगली सीजन में क्या करेंगे? मधुबन वाले करेंगे? आपस में मीटिंग
कर दादियों का भी सहयोग लेकर बैलेन्स का जलवा दिखाओ। जिसको देखे वह जैसे कोई हालचाल
पूछते हैं ना, आपका हाल क्या है? आपका चाल क्या है? तो जो भी आवे वह सबका कुशल हाल
और फरिश्ते की चाल देखे। जहाँ देखे वहाँ फरिश्ते की चाल, चलने की चाल नहीं, उड़ने की
चाल। चलने वाले तो रह जायेंगे, उड़ने वाले बाप के साथ जायेंगे। तो मधुबन में रहने
वालों को पहला चांस लेना है, दादियों के साथ रहते हो, बाप के साथ उड़ने का चांस लें,
पीछे पीछे नहीं। लेंगे ना चांस? मीटिंग करेंगे? हाँ बताओ ऐसी मीटिंग करेंगे? अच्छा।
एक मास में रिजल्ट देंगे। एक मास ठीक है? दृढ़ निश्चय से हाथ उठा रहे हो ना! फिर तो
बापदादा कोई न कोई गिफ्ट देगा मधुबन वालों को। अच्छे हैं। मधुबन निवासी टाइटिल ही
बहुत बढ़िया है। तो पक्का है ना! अभी पक्का। कुछ भी जाये, दूसरे को नहीं देखना, अपने
को देखना, मुझे करना है, मुझे बदलना है। दूसरा बदले तो मैं बदलूं, नहीं। ऐसे करेंगे?
करेंगे? पीछे वाले करेंगे? पक्का? पक्का का ऐसा हाथ करो। देखो सभी को कितनी खुशी हो
रही है, मधुबन वालों का नाम सुनकर खुश हो जाते हैं। अच्छा।
7 अप्रैल 2007 से
वार्षिक मीटिंग रखी गयी है उसके लिए बापदादा की प्रेरणा:- उस मीटिंग में जो बापदादा
ने सेवा का साधन बताया है, बनी बनाई स्टेज लेने का और साथ में पुरूषार्थ और उसकी
प्रालब्ध दोनों का प्रैक्टिकल स्वरूप प्रत्यक्ष करने का। जो मीटिंग में आये उसको
रिजल्ट देनी है। वह आपस में राय करके दो मास, तीन मास, एक मास फिक्स करना और उसकी
रिजल्ट प्रैक्टकिल में लाना। वह बापदादा देखेंगे क्योंकि यह मीटिंग है विशेष
निमित्त आत्माओं की। अगर निमित्त आत्माओं ने बैलेन्स की विशेषता दिखाई तो उसका
वायुमण्डल बहुत जल्दी और पावरफुल फैलेगा। अपने को प्रत्यक्ष करेंगे तो बाप की
प्रत्यक्षता भी बहुत सहज और जल्दी होगी। मीटिंग में जिसका भी नाम रखा है वह
जिम्मेवार है, सिर्फ सुनने वा सुनाने के लिए नहीं लेकिन जिम्मेवार है बैलेन्स रखने
और रखाने के। यह मीटिंग का विशेष कार्य है। और बापदादा सन्देशी द्वारा भी रिजल्ट
सुनते रहेंगे फिर आगे के लिए प्रोग्राम देंगे। बापदादा का लक्ष्य तो सभी ने समझ लिया
कि अभी बापदादा हर एक बच्चे को अधिकारी रूप में देखने चाहते हैं। किसी भी सेवा में
या पुरूषार्थ में परवश नहीं। अधिकारी। एक एक राज्य अधिकारी हो। सभी राजे हो ना! कि
राजे नहीं हो? राजयोगी हो? प्रजायोगी तो नहीं हैं ना! तो राज्य अधिकारी देखने चाहते
हैं। ऐसे नहीं क्या करूं, हो गया। चाहता नहीं था हो गया, यह नहीं। स्व अधिकारी।
पुराने स्वभाव संस्कार के अधीन नहीं, अधिकारी। ठीक है। अच्छा।
अभी बापदादा ने जो
ड्रिल बताई थी याद है? 5-5 मिनट सारे दिन में अनेक बार ड्रिल करनी है। वह किया है?
जिसने वह ड्रिल की है, वह हाथ उठाओ। थोड़ों ने हाथ उठाया है। क्यों? थोड़ा टाइम किया
है? बहुत टाइम नहीं किया है तो अभी क्या करेंगे? कम से कम बतायें, कम से कम 8 बारी
सारे दिन में कर सकते हो? कर सकते हो? इसमें हाथ उठाओ। करेंगे? करेंगे? अच्छा है।
फिर जब सीजन शुरू होगी ना, जब दूसरी सीजन शुरू होगी उसमें बापदादा सभी से रिजल्ट
मंगायेंगे। पीछे एक बात बतायेंगे, अभी नहीं बतायेंगे। पीछे बात बतायेंगे। मधुबन वाले
तो करेंगे ना? पहला नम्बर। तो इस वर्ष का होमवर्क, इस सीजन का होमवर्क दूसरी सीजन
तक कम से कम 8 बारी यह ड्रिल जरूर करनी है। जरूर, देखेंगे नहीं, करनी ही है। चाहे
मिस हो जाए तो एक घण्टे में अनेक बार करके पूरा करना। नींद पीछे करना। सोना पीछे।
पहले ड्रिल, आठ बारी पूरा करके पीछे सोना। ठीक है ना। टीचर्स! पंखे हाथ में लिये
हैं, गर्मी हो रही है। बहुत अच्छा, टीचर्स का वायुमण्डल स्वत: ही फैलेगा। आज बापदादा
सभी को यह देखना चाहते हैं, अभी अभी देखना चाहते हैं कि एक सेकण्ड में स्वराज्य के
सीट पर कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर के संस्कार में इमर्ज रूप से सेकण्ड में बैठ
सकते हैं! तो एक सेकण्ड में दो तीन मिनट के लिए राज्य अधिकारी की सीट पर सेट हो जाओ।
अच्छा।
चारों ओर के बच्चों
की यादप्यार के पत्र और साथ-साथ जो भी साइंस के साधन हैं उन्हों द्वारा यादप्यार
बापदादा के पास पहुंच गई है। अपने दिल का समाचार भी बहुत बच्चे लिखते भी हैं और
रूहरिहान में भी सुनाते हैं। बापदादा उन सभी बच्चों को रेसपान्ड दे रहे हैं कि सदा
सच्ची दिल पर साहेब राजी है। दिल की दुआयें और दिल का दुलार बापदादा का विशेष उन
आत्माओं प्रति है। चारों ओर के जो भी समाचार देते हैं, सभी अच्छे अच्छे उमंग-उत्साह
के प्लैन जो भी बनाये हैं, उसकी बापदादा मुबारक भी दे रहे हैं और वरदान भी दे रहे
हैं, बढ़ते चलो, बढ़ाते चलो। चारों ओर के बापदादा के कोटों में कोई, कोई में भी कोई
श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चों को बापदादा का विशेष यादप्यार, बापदादा सभी बच्चों को
हिम्मत और उमंग-उत्साह की मुबारक भी दे रहे हैं। आगे तीव्र पुरूषार्थी बनने की,
बैलेन्स की पदमा-पदमगुणा ब्लैसिंग भी दे रहे हैं। सभी के भाग्य का सितारा सदा चमकता
रहे और औरों का भाग्य बनवाते रहें इसकी भी दुआयें दे रहे हैं। चारों ओर के बच्चे
अपने अपने स्थान पर सुन भी रहे हैं, देख भी रहे हैं और बापदादा भी सभी चारों ओर के
दूर बैठे बच्चों को देख-देख खुश हो रहे हैं। देखते रहो और मधुबन की शोभा सदा बढ़ाते
रहो। तो सभी बच्चों को दिल की दुआओं साथ नमस्ते।
दादियों से:-
आप सबके साइलेन्स बल ने डाक्टरों को टच किया। नई नई इन्वेन्शन निकाल रहे हैं। कोई न
कोई ऐसी बात निकाली है जो सहज हो रहा है। (मोहिनी बहन ने सभी की याद दी) सभी बहुत
अच्छी सेवा कर रहे हैं, दिल से सेवा कर रहे हैं। (अंकल-आंटी ने याद दी है) उन्हों
को विशेष यादप्यार और टोली भेजना। अच्छा है स्थापना के कार्य में निमित्त बनें हैं।
फारेन में वी.आई.पी के रूप में यह पहला मिसाल। सेवा के निमित्त बनें। अच्छा। दादियां
तो सभी तन्दरूस्त हो गई हैं। (परदादी से) कमाल करके दिखाई। (4 महीना अहमदाबाद में
रही) वह भी सेवा की, ऐसे नहीं रही, सेवा की है। (बाबा की गोदी में आ गई) सदा बाबा
की गोदी में रहती है। अच्छा।
योगिनी बहन:-
अच्छी हिम्मत रखी है,
प्यार है मेहनत नहीं। यह तो बाम्बे वालों को लिफ्ट मिली है। आपने हिम्मत अच्छी रखी
है।
शान्तामणि दादी:-
इसने कमाल की। डाक्टर भी मानते हैं यह विल पावर है। तो यह विल पावर की प्रत्यक्षता
दिखाई, इसकी मुबारक हो बहुत। एक एक्जैम्पुल तो बनी। विल पावर क्या चीज़ होती है उसका
एक्जैम्पुल बनी। बापदादा को बहुत अच्छा लगा। उसकी मुबारक है। हर निमित्त दादी की
विशेषता है। और देखो कोई भी दादी नहीं होती है तो सब कहते हैं खाली खाली हैं, 1000
रहे पड़े हैं फिर भी कहते हैं खाली है। तो जहाँ दादियां हैं वहाँ रौनक है। ऐसे ही सभी
को सिखाओ। ऐसा कोई ग्रुपअव्यक्त बापदादा तैयार करो, बापदादा बहुत इनाम देगा, ऐसा
ग्रुप तैयार करो। पाण्डवों को भी ऐसा ग्रुप तैयार करना है जिसमें बस एक दो को हाँ
जी, हाँ जी करें और हजूर हाजिर। देखेंगे। दादियां ग्रुप पहले तैयार करती या पाण्डव
तैयार करते। निमित्त दादियां भले हो लेकिन आपस में भी हिम्मत रखनी पड़े। हिम्मत आपकी
मदद दादियों की। बापदादा तो है ही। कोई ग्रुप जरूर चाहिए। पाण्डवों का भी ग्रुप
चाहिए शक्तियों का भी चाहिए, इससे वायुमण्डल बहुत जल्दी फैलेगा। अच्छा है।
डा.अशोक मेहता सेः-
एवररेडी का
प्रैक्टिकल रूप दिखा दिया। ऐसे ही पुरूषार्थ में भी एवररेडी। अच्छा है हॉस्पिटल एक
एक्जैम्पुल है। इस हॉस्पिटल में ऐसा वायुमण्डल बनाओ जो सभी को एड्रेस मिले कि अगर
आपको देखना हो कि कैसे सहज योगी और सहज धारणा स्वरूप सेवाधारी हैं, लेकिन सेवा करते
हुए भी योगी, ऐसा एक्जैम्पुल सभी वर्कर्स सहित बनाओ। ऐसा ग्रुप बनाओ जो सभी को
एड्रेस देवे कि देखो कर्म करते भी ऐसे हैं। ऐसी कोई नवीनता करके दिखाओ। हॉस्पिटल का
काम तो चलता रहेगा लेकिन आप कोई नवीनता करके दिखाओ। ऐसा कोई ग्रुप बनाओ फिर बापदादा
के पास ले आना जो कर्मयोगी की जीवन बतायें। कहाँ भी करो लेकिन जैसे कहते हैं ना यह
दवाई इस हॉस्पिटल में अच्छी मिलती है यह आपरेशन यहाँ अच्छा होता है, ऐसे यह
प्रसिद्ध हो जाए कर्मयोगी ग्रुप अगर देखना है तो यहाँ देखो। यह करके दिखाओ। (आपकी
आशीर्वाद चाहिए) बापदादा की आशीर्वाद से ही पैदा हुए हो। पैदा ही आशीर्वाद से हुए
हो। पैदा भी हो गये पले भी हो। अच्छा है ज्यादा नहीं फंसाओ अपने को, कोई नवीनता करके
दिखाओ। अच्छा।
बृजमोहन भाई सेः-
सेवा हो रही है लेकिन अभी कोई सेवा की नवीनता दिखाओ। नवीनता यह करके दिखाओ जो स्नेही
सहयोगी हैं ना, हर वर्ग का वह ग्रुप ले आओ। दिल्ली में अगली सीजन में ग्रुप बनाओ ऐसा,
हर वर्ग का हो। और छोटा ग्रुप बनाओ तो आपको सब कापी करेंगे।
रमेश भाई सेः-
अच्छा है बाम्बे में
भी कोई ऐसा प्लैन बनाओ जो शार्ट भी हो नवीन भी हो।
डा.प्रताप भाई सेः-
हॉस्पिटल वालों को विशेष यादप्यार देना और आप भी बहुत अच्छा कर रहे हो। सुनो नहीं
किसका। बापदादा जानते हैं आप क्या कर रहे हो कितना कर रहे हो। कोई फिकर नहीं करो
उड़ते रहो। बापदादा का सर्टीफिकेट ठीक है।
भोपाल भाई- शान्तिवन
की शोभा है ना। सभी को सुख तो मिला ना। तो उसकी दुआयें मिलती हैं।
गोलक भाई- यह भी ठीक
है, थकते तो नहीं हैं। हिम्मत आपकी मदद बाप की। अभी लक्ष्य अच्छा रखा है, और होता
जायेगा। (मीटिंग की थी) रिजल्ट बताना दादियों को।
कुछ वी.आई.पीज बापदादा
से मिल रहे हैं- देखो आप लोग सबसे ज्यादा सेवा कर सकते हो, क्योंकि आप न्युटरल होके
अपने अनुभव से औरों को अनुभवी बना सकते हैं। कई ज्ञान नहीं सुनने चाहते लेकिन अनुभव
सुनने चाहते हैं। तो आप सभी अपने अनुभव के आधार से सेवा कर सकते हैं। ऐसा माइक बनो,
माइट वाला माइक। जैसे यह लाइट वाला माइक है ना, आप माइट वाला माइक बनो, बन सकते
हैं। कितना अच्छा बन सकते हैं। कितनी माताओं का कल्याण कर सकती हो। माताओं को जगाओ।
शिव शक्ति बनाओ। यह यूथ को जगाये। सभी सेवा कर सकते हो। और बापदादा की मुबारक है।
आप लोगों का लक कितना
बड़ा है जो कहा जाता है कोटों में कोई, तो आप कोई हो। अभी क्या बनना है! कोई में भी
कोई, बनना है ना! कोटों में कोई तो बन गये, लेकिन अभी कोई में भी कोई बनना है। तो
क्या बनना है? सेवा करनी है ना। अपने भाग्य का, प्राप्ति का अनुभव सुनाओ सभी को।
क्योंकि प्रैक्टकिल अनुभव का प्रभाव जल्दी पड़ता है और कुछ भी नहीं सुनाओ। मुझे क्या
मिला! क्या अन्तर आया लाइफ में, वह सुनने से आपका पुण्य बन जायेगा। पुण्य का खाता
जमा करना है ना। भविष्य बनाना है ना। तो वर्तमान खुशी मिलेगी और भविष्य के लिए
पुण्य जमा होगा, डबल फायदा। भाषण कोई सुने नहीं सुने, कहानी आपकी सुनेंगे, क्योंकि
आपके जीवन की कहानी हो गई तो कहानी सब रूचि से सुनते हैं और कहानी याद भी आती है।
तो ऐसी सेवा करो। कर सकते हैं ना? कर सकते हैं।
इनकी विशेषता यह है,
जो संकल्प करते हैं ना, वह पूरा करते हैं। यह बच्ची भी अच्छी है। सारा परिवार लकी
है। माता जी भी लकी है ना। अच्छा है। देखो कहाँ के भी आये हो लेकिन सर्विसएबुल हो।
बहुत अच्छी सेवा कर सकते हो।
ब्लैसिंग यही है कि
सदा सन्तुष्ट रहो और सन्तुष्ट करो। ऐसी लाइफ बनाओ जो आपके चेहरे से सदा सन्तुष्टता
दिखाई दे, तो सन्तुष्टता सबको चाहिए। आपकी सूरत बोले, शक्ल बोले। बोल नहीं, शक्ल
बोले।
जो ईश्वरीय कार्य में
सहयोगी बनते हैं तो सहयोग का रिटर्न बाप की मदद मिलती है। तो हिम्मत आपकी मदद बाप
की। सदा यह याद रखना हिम्मत मेरी मदद बाप की। सब कार्य सहज होता जायेगा। जो भी आये
हैं सभी को सेवा में लग जाना चाहिए। सभी को सन्देश दो, अपने अनुभव के आधार से।
जहाँ भी कार्य करते
हो, वहाँ अपने अनुभव के आधार पर औरों को अनुभवी बनाते जाओ। जो भी मिले खुशी बांटों
तो पुण्य का खाता जमा होता जायेगा।
विदेश की बड़ी बहनों
से:- बैलेन्स
द्वारा सदा ब्लैसिंग लेने वाले। जहाँ बैलेन्स है वहाँ ब्लैसिंग स्वत: मिलती हैं।
कितनी ब्लैसिंग मिलती हैं? अमृतवेले स्व स्थिति को इमर्ज करो। अपने स्वमान को इमर्ज
करो। बाकी वैसे सेवा बढ़ती जा रही है, इसकी मुबारक है। अभी सेवा और स्व दोनों का
बैलेन्स रखो। ऐसा सेवास्थान बनाओ जो सबके आगे एक एक्जैम्पुल हो। जैसे म्युजियम होता
है ना तो सब एड्रेस देते हैं ना, शहर में कहाँ भी जाओ, तो एड्रेस देते हैं यहाँ जाओ,
यहाँ जाओ। ऐसे जिसको शान्ति चाहिए, हिम्मत चाहिए, उमंग उत्साह चाहिए वह आपकी एड्रेस
में पहुंचे। फैल जावे, अगर शान्ति का वायब्रेशन लेना हो तो यहाँ जाओ, अगर हिम्मत
भरनी हो तो यहाँ जाओ। ऐसे स्पेशल बनाओ। ठीकहै ना! बाकी म्युजियम तो जहाँ तहाँ
आध्यात्मिक म्यूजियम भी हैं, भाषण भी करते सब कुछ है। लेकिन कोई विशेषता ऐसी स्थान
की बनाओ जो ब्राह्मणों में भी और बाहर में भी यह प्रसिद्ध हो जाए कि यह चाहिए तो यहाँ
जाओ क्योंकि आजकल लोगों को सुनने की आदत तो है लेकिन अनुभव करने की आदत नहीं है तो
अगर अनुभव करने चाहें तो आपके पास आयें, यह प्रसिद्ध हो जाए कि अगर आपको अनुभव करना
है तो यह एड्रेस है। बाकी अच्छे हैं। निमित्त बने हुए हैं। बापदादा को सेवा तो बड़ी
पसन्द है। सेवा अच्छी कर रहे हो। और आपस में यहाँ जब संगठन में आते हो तो संगठन भी
अच्छा करते हो, स्वयं और सेवा दोनों का अच्छा करते हो। इसमें आगे बढ़ते रहो।
डबल विदेशी मुख्य
भाईयों से:-
अच्छा है आपका संगठन बढ़िया है। अगर सभी जो बाप ने आज बैलेन्स सुनाया, स्व का और सेवा
का, दोनों का बैलेन्स बाप की ब्लैसिंग दिलाता रहेगा। बाकी सभी अपनी अपनी सर्विस में
अच्छे चल रहे हो उसकी मुबारक हो। निर्विघ्न है ना! क्योंकि आप निमित्त हो तो
निमित्त वाले जो करेंगे वह सब देख करके करेंगे। और उसका एकस्ट्रा पुण्य मिलता है
क्योंकि दूसरे को हिम्मत मिली। तो वह भी आगे बढ़ा। तो आपके अनुभव से दूसरा अनुभवी
बनता है, आगे बढ़ता है तो उनका फल आपको मिलता है, वह क्या मिलता है? अन्दर की खुशी।
हल्कापन। कोई प्राबलम, प्राबलम नहीं लगेगी। जो गायन है ना पहाड़ भी रूई बन जायेगा।
देखने में बड़ी प्राबलम आयेगी लेकिन अनुभव के आधार से ऐसी हल्की हो जायेगी जैसे रूई।
तो प्राबलम प्रूफ हो जायेंगे। ऐसी लाइफ हो जायेगी, नो प्राबलम। है प्राबलम? बस दिल
से याद करो, कोई भी छोटी मोटी बात आवे, मेरा बाबा, बस। बाबा आप ले लो। तो प्राबलम
बाबा के पास पहुंच जायेगी, आप हल्के हो जायेंगे। बाप के साथ चलना है ना, पीछे पीछे
तो नहीं आना है, साथ साथ चलना है तो उड़ना पड़ेगा। बाप उड़ेंगे और बच्चे हल्के नहीं
होंगे तो उड़ेंगे कैसे। साथ तो चल नहीं सकेंगे। इसलिए डबल लाइट। कोई भी प्रकार का
बोझ नहीं। जो बोझ हो बाप को दे दो। खुद हल्के रहो। देना तो आना है ना। और बहुत अच्छा
पार्ट बजाने वाले हो। प्राबलम नहीं देखो। डबल लाइट बनके आगे बढ़ते रहो। इसके (दादी
जानकी के) डायरेक्शन से चलो। बाप आपको मदद देगा। बहुत सेवा कर सकते हैं। विशेषता
है। सभी विशेष है। ग्रुप ही विशेष है। हर एक में कोई न कोई विशेषता है तभी यह ग्रुप
बना है। उस विशेषता को कार्य में लाओ। रूको नहीं कार्य में लाओ। ठीक है। सब बहुत
अच्छी निमित्त आत्मायें अच्छी हो। बापदादा का विशेष प्यार है। सभी एक दो से अच्छे
हो। अच्छा।