ओम् शान्ति।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे अच्छी रीति जान गये हैं कि बेहद के बाप से बच्चों को प्यार
मिलता है जरूर। जैसे हद के लौकिक बाप अपने रचे हुए बच्चों को प्यार करते हैं। अच्छी
तरह से सम्भालते हैं, उनकी सेवा करते हैं कि हमारा कुल वृद्धि को पाये। भक्ति मार्ग
में भी बेहद के बाप को सभी याद करते हैं। जरूर कभी बाप से मिलना होता है। यहाँ भी
बाप तो कहते हैं - मैं तुम्हारा बाप भी हूँ, शिक्षा देने वाला भी हूँ अर्थात् ड्रामा
के आदि, मध्य, अन्त की नॉलेज देने वाला भी हूँ। इसको ही ज्ञान कहा जाता है। बाकी
शास्त्रों में है भक्ति मार्ग का ज्ञान। उससे कोई मुक्ति-जीवनमुक्ति नहीं मिल सकती।
बाप कहते हैं सर्व का मुक्ति-जीवन्मुक्ति दाता मैं हूँ। मुझे ही मुक्ति-जीवन्मुक्ति
देने के लिए आना पड़ता है। तो कल्प-कल्प, कल्प के संगम पर मुझे ही आना पड़ता है।
ड्रामा अनुसार माया 5 विकार तुमको दु:खी बना देते हैं। तुम जानते हो अभी दु:ख के
पहाड़ गिरने हैं। विनाश होना है। उसी समय खूनी नाहेक खेल का पार्ट बजना है। कितनी
खून की नदियाँ बहेंगी और सतयुग में घी की नदियाँ बहनी हैं। खून की नदियाँ बहती हैं
फिर उसी समय हाहाकार हो जाता है। बहुत दु:खी होंगे। अब बच्चों को अच्छी तरह बाबा की
सर्विस भी बढ़ानी है। तुम मददगारों से ही भारत स्वर्ग बनता है। तुम जानते हो हम ही
सिकीलधे ब्राह्मण कुल भूषण बच्चे भारत को फिर से दैवी स्वराज्य बनाते हैं। बाबा से
दैवी स्वराज्य का वर्सा लेते हैं। बाबा कहते हैं - बच्चे, सर्विस की युक्तियाँ
निकालते रहो। बाबा का भी ख्याल चलता है ना। इसको ही स्वदर्शन चक्र कहा जाता है। यह
बहुत अच्छी चीज़ है, इससे तुम सर्विस बहुत अच्छी कर सकते हो। यह राजधानी स्थापन करने
में अथवा भारत को रावण राज्य से बदल राम राज्य स्थापन करने में कोई खर्चा नहीं है।
तुम हो ही नान-वायोलेन्स, अहिंसक। सर्व गुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण
निर्विकारी, अहिंसा परमोधर्म वाले तुम बनते हो।
तुम कहते हो हमको बाबा का मददगार बनकर भारत को हीरे जैसा बनाना है। कल्प-कल्प हम
यह सर्विस करते रहते हैं। अभी हम हैं गॉड फादरली सर्विस पर। गॉड फादरली स्टूडेण्ट
भी हैं, गॉड फादरली चिल्ड्रेन भी हैं। हमारे ऊपर बहुत बड़ी रेस्पान्सिबिलिटी है।
बच्चे जो बनते हैं उन पर रेस्पान्सिबिलिटी रहती है। बाबा कहते हैं खबरदार रहना, कोई
भूल चूक नहीं करना। बाबा किस्म-किस्म की सर्विस बताते हैं। किस प्रकार भारतवासियों
को बेहद के बाप से वर्सा लेने का रास्ता बतायें। समझाया जाता है यह वर्सा तो 21
जन्म सतयुग का जन्म-सिद्ध अधिकार है। सतयुगी डीटी सावरन्टी इज योर गॉड फादरली बर्थ
राइट। बाप है ही स्वर्ग की स्थापना करने वाला। पुरुषार्थ यहाँ करना है। ऐसे नहीं
सतयुग में करेंगे। बाबा को समझाना पड़ता है तो सभी बच्चे सुनें। यह गोला है
स्वदर्शन चक्र, यह आइरन सीट पर बड़े-बड़े बनवाकर फिर बड़े-बड़े स्थानों पर रखो। नीचे
सब कुछ लिखा हुआ है। जो देखेंगे, समझेंगे यह तो राइट बात है। समय नजदीक होता जायेगा।
मनुष्यों को यह दिल अन्दर आयेगा बरोबर अब सतयुग नजदीक है। समय प्रति समय बच्चों को
सर्विस प्रति राय देते रहते हैं। ऐसे करो तो सर्विस बढ़ेगी। हरेक अपने घर में भी यह
बोर्ड लगाओ। शिवबाबा का चित्र भी हो, यह है गीता का भगवान। फिर लिखा हुआ हो डीटी
वर्ल्ड सावरन्टी आपका जन्म सिद्ध अधिकार है। हरेक अपने घर पर बोर्ड लगा दे। तुम
ज्ञान गंगायें हो ना। बोर्ड देखकर बहुत आयेंगे। उनको समझाना है। तुम आत्माओं का बाप
वह निराकार है। तुम भाई-भाई हो। हम उस बाप से वर्सा ले रहे हैं। आगे चलकर बहुत
धूमधाम होगी कि वही भगवान आकर पधारे हैं। नाम तो है ब्रह्माकुमार-कुमारी। शिवबाबा
का भी नाम है। आगे चलकर मनुष्य समझेंगे राजधानी तो जरूर स्थापन होगी। यज्ञ में
विघ्न पड़ते हैं क्योंकि राजा-रानी तो कोई है नहीं। प्रजा का प्रजा पर राज्य है।
कोई को समझाओ और वह ब्रह्माकुमारियों का तरफ ले तो भी हंगामा कर देंगे। समझते हैं
सब धर्म मिल एक हो जायें। अब जो धर्म भिन्न-भिन्न हैं, वह सब एक कैसे होंगे। खुद
कहते हैं हम कोई धर्म को नहीं मानते। अपने धर्म को भूलना, यह भी ड्रामा है। और धर्म
स्थापन होते हैं तो देवी-देवता धर्म प्राय:लोप हो जाता है इसलिए सब अपने को हिन्दू
कह देते हैं। देवता धर्म लोप है, तब बाबा कहते हैं फिर से हम देवी-देवता धर्म की
स्थापना करने आये हैं। अनेक धर्मों का विनाश भी सामने खड़ा है। बाकी कितना समय
ठहरेंगे। आफतें भी आनी हैं। मनुष्य तो कहते हैं सतयुग आने में लाखों वर्ष हैं। तुम
जानते हो आज नर्क में हैं, कल स्वर्ग में जायेंगे। हम आत्मायें दौड़ रही हैं। अभी
84 जन्म पूरे हुए। दु:ख का पार्ट पूरा हुआ। बस बाबा, अभी हम आये कि आये। यह अन्तिम
जन्म है। बाबा साजन आया हुआ है। कहते हैं अभी पवित्र दुनिया के लायक बनो तो साथ ले
जाऊंगा। योग से लायक नहीं बनेंगे तो सजा खायेंगे। फिर पद भी कम हो जायेगा। बात तो
बहुत सहज है। बेहद के बाप से बेहद का सुख मिलता है, इसलिए बेहद के बाप को और बेहद
सुख के वर्से को याद करना है। जितना चाहिए याद करो, जितना याद करेंगे वैसा पद मिलेगा।
आठ घण्टा जरूर याद करना चाहिए। पुरुषार्थ करना है। यह भी जानते हैं कल्प पहले
मुआफिक ही बच्चे पुरुषार्थ करते हैं। इसको साक्षी हो देखा जाता है - कौन कितना
पुरुषार्थ करते हैं, मोस्ट बील्वेड बाप से वर्सा लेने। कल्प-कल्पान्तर वही लेने लिए
अधिकारी बनेंगे।
बाप ने राजयोग सिखाया है स्वर्ग के लिए। लौकिक बाप भी बच्चों की कितनी सम्भाल
करते हैं! बेहद के बाप को भी कितनी सम्भाल करनी पड़ती है। माया बड़ा हैरान करती है,
बीमार कर देती है। फिर बाबा आकर दवाई देते हैं। यह है संजीवनी बूटी, सिर्फ बाप और
वर्से को याद करना है। बाप को याद करने बिगर वर्से को याद नहीं कर सकेंगे। अब भक्ति
मार्ग अर्थात् ब्रह्मा की रात पूरी होती है। फिर बाबा आकर दिन स्थापन करते हैं। आधा
कल्प है ब्रह्मा का दिन, आधा कल्प है ब्रह्मा की रात। घोर अंधियारा है ना। घड़ी-घड़ी
बच्चियाँ बैठ समझायें तो लौकिक-पारलौकिक मात-पिता का अच्छा शो करेंगी। बाप रचयिता
का काम है - स्त्री-बच्चों आदि को अपना साथी बनाना। अपनी रचना को भी रास्ता बताना
है। काम चिता का सौदा बदल ज्ञान चिता पर बैठना है। यह बोर्ड बहुत अच्छे बन सकते
हैं। बाप को तो बहुत ओना रहता है। बाप निराकार, निरहंकारी है। कैसे बैठ बच्चों की
पालना करते हैं। कहते हैं ना वाट वेंदे वामन फाथो.... (रास्ते चलते ब्राह्मण फँस गया)
बाबा को थोड़ेही पता था कि ऐसे प्रवेश करेंगे, मैं ब्रह्मा बन फिर श्री नारायण
बनूंगा। कितनी गाली खाई है! बाबा कहते हैं तुम्हारे से भी मेरी ग्लानी जास्ती करते
हैं। तुमको तो करके एक दो गाली देते हैं, मुझे तो पत्थर भित्तर में ठोक दिया है।
मेरी कितनी निन्दा की है! राज्य-भाग्य पाना है, तो गाली खाई तो क्या बड़ी बात है।
मुझे तो आधा कल्प से गाली देते रहते हैं। यह भी ड्रामा का खेल बना हुआ है।
बाबा कहते हैं - लाडले बच्चे, मैं इसमें आया हुआ हूँ। इनकी दाढ़ी का कुछ ख्याल
रखो। इनकी दाढ़ी सो उनकी। अब कोई कलंक नहीं लगाना है। विकारों को योगबल से भगाते रहो।
कल्प-कल्प तुम माया पर जीत पाकर जगतजीत बनते आये हो। स्वर्ग का मालिक प्रजा भी बनती
है। परन्तु पुरुषार्थ कर मात-पिता के तख्त पर जीत पहनो। यह है ही राजयोग। बाप जानते
हैं यह मम्मा-बाबा पहले नम्बर में जाते हैं। मम्मा कुवांरी कन्या, यह अधरकुमार है।
घर में बच्चे ऐसा कुछ काम करते हैं तो बाप कहते हैं हमारे दाढ़ी की लाज़ रखो। नाम
बदनाम न करो। अच्छी रीति घर-घर में बोर्ड लगा हुआ हो - आकर बेहद के बाप से वर्सा
लो। राजाओं को, संन्यासियों को पिछाड़ी में जगना है। दिन-प्रतिदिन तुम भी तीखे होते
जाते हो। शक्ति मिलती जाती है। देखते हो सामने विनाश खड़ा है, लड़ाईयाँ लग रही हैं
और यह है रुद्र ज्ञान यज्ञ। हम ब्राह्मण हैं। ब्राह्मण फिर सो देवता बनेंगे। जितना
पुरुषार्थ करेंगे, उतना ऊंच पद पायेंगे। दिन-प्रतिदिन बहुत सहज होता जाता है। बाप
का रूप भी तो समझाया है। वह स्टॉर है। परन्तु नये को पहले ही यह नहीं बताना है। जब
अच्छी रीति समझें। पूछे इतना बड़ा रूप है? तब समझाना है। यह साक्षात्कार तो बहुतों
को होता है। परन्तु मतलब कुछ भी नहीं समझते। जैसे आत्मा चमकता हुआ स्टार है, वैसे
ही बाप है। उनको भी परमपिता परम-आत्मा कहा जाता है। तो हो गया परमात्मा। वह इनमें
आते हैं। आकर बाजू में बैठ जाते हैं। गुरू के बाजू में शिष्य बैठ जाते हैं ना। वह
सिखलाते हैं तुम बच्चों को। यह भी बाजू में रहते हैं। बापदादा कम्बाइण्ड है। परन्तु
गुह्य राज़ है। जब कोई पूछे तब समझाना है। नहीं तो बाबा-बाबा कहते रहो। बाबा स्वर्ग
के लिए राजयोग सिखलाते हैं। यह तो बच्चे जानते हैं इस समय तक जो पास्ट हुआ सो ड्रामा।
विघ्न तो पड़ते रहेंगे। बच्चों को भी माया जोर से तूफान में लायेगी। परन्तु हाथ नहीं
छोड़ना है। माया अजगर है। अच्छे-अच्छे लाल को भी खा लेगी। कल्प पहले भी हुआ था। जो
तीखे विशालबुद्धि बच्चे हैं वह हर बात को समझ सकते हैं। विचार सागर मंथन करेंगे -
हम ऐसे-ऐसे किसको समझायें, दान करें। बाबा रूप-बसन्त है। तुम भी रूप-बसन्त हो। बाबा
कहते हैं मैं स्टार हूँ, मेरे में ये पार्ट भरा हुआ है। हर एक आत्मा में पार्ट भरा
हुआ है। यह बातें साइन्स घमण्डी समझ न सकें। वह रिकॉर्ड घिस जाये, टूट-फूट जाये, यह
आत्मा स्टार इमार्टल है, जिसमें इमार्टल पार्ट भरा हुआ है। इसका कभी एण्ड (अन्त) नहीं
होता। एण्ड नहीं तो आदि भी नहीं, चलता आता है। इस ड्रामा के राज़ को भी तुम समझते
जाते हो। तुम हो - नैनहीन अन्धों की लाठी। उन्हों को रास्ता बताना है। अभी सबकी
वानप्रस्थ अवस्था है। वाणी से परे जाना है। बाबा कहते हैं मैं सबको ले जाऊंगा इसलिए
जितना हो सके बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। इसको रूहानी यात्रा कहा जाता
है। बाबा कहते हैं - हे राही बच्चे, थक मत जाना। बाप और रचना को याद करना है। रचना
का मालिक बनना है। यह तो अति सहज है। हमेशा शिवबाबा को याद करते रहो। मोटर चलाते भी
बुद्धि का योग कहाँ रहना चाहिए? बाबा अपना मिसाल बताते हैं - हम नारायण की पूजा करने
बैठता था तो बुद्धि और तरफ चली जाती थी। फिर अपने को चमाट मारता था। तो अभी भी
बुद्धि दौड़ती है। पुरुषार्थ करते-करते उनकी याद में शरीर छोड़ना है। मनुष्य भक्ति
करते हैं कि श्रीकृष्ण की याद में हम शरीर छोड़ें तो कृष्णपुरी पहुँच जायें। परन्तु
श्रीकृष्ण तो सभी का बाप नहीं है। सभी का बाप तो एक परमपिता परमात्मा है। सबका
सद्गति दाता राम बाप ही आकर सब की सद्गति करते हैं। मुक्ति तो सबको मिल जाती है फिर
जो भी आते हैं पहले उनको सुख देखना है जरूर। नई आत्मा ऊपर से आती है इसलिए उनका मान
होता है। भल किसमें भी प्रवेश करती है तो उनका नाम बाला हो जाता है। तुम बच्चे जानते
हो राजधानी स्थापन हो रही है। हम सो देवी-देवता बन रहे हैं। सिर्फ तुम ब्राह्मण ही
संगमयुग पर हो, बाकी सब हैं कलियुग में। यहाँ आने वाले मानते जायेंगे बरोबर कलियुग
का अन्त है। दुनिया बदल रही है इसलिए ही यह महाभारी महाभारत लड़ाई है। तुम्हारे
द्वारा सबको नॉलेज मिलती है। माताओं को लिफ्ट देने बाप आते हैं क्योंकि माताओं पर
अत्याचार बहुत होते हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद, प्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मोस्ट बील्वेड बाप को याद करने का पुरुषार्थ कौन कितना करते हैं, यह
साक्षी हो देखते, स्वयं 8 घण्टे तक बाप की याद में रहने का अभ्यास करना है।
2) बाप समान रूप बसन्त बन विचार सागर मंथन कर ज्ञान दान देना है। अन्धों की लाठी
बनना है।