ओम् शान्ति।
कौन आया? बाप आया। किसके पास? बच्चों के पास। बच्चे किसके पास आये हैं? बाप कहते
हैं मेरे पास। अब तुम सम्मुख बैठे हो। जानते हो बाप बहुत रहमदिल है। बाप जानते हैं
कि इन हमारे बच्चों को माया ने बहुत दु:खी पतित किया है। यह बच्चे नहीं जानते। बाप
जानते हैं तो बाप को तरस पड़ता है ना। ऩफरत नहीं आयेगी। बाप कहते हैं मैंने तुमको
सुख के सम्बन्ध में भेजा था। पांच हजार वर्ष की बात है। फिर ड्रामा अनुसार माया ने
तुमको दु:खी किया। पहले तुम सतोप्रधान थे, फिर रजो, तमो में आये हो। यह मैं जानता
हूँ। तुम मेरे बच्चे हो। मुझे ही आना होता है तुम बच्चों को पावन बनाने,
राज्य-भाग्य देने। बच्चे भी समझते हैं बरोबर बाप आया है। प्रेम का सागर, शान्ति का
सागर है। हमको सुख-शान्ति की दुनिया में ले जाते हैं। बाप जानते हैं यह माया ही सबका
बड़े ते बड़ा दुश्मन है इसलिए मैं आया हूँ। परन्तु हूँ मैं विचित्र इसलिए मुझे
पहचानते नहीं। आगे समझते थे कि श्रीकृष्ण ने आकर राजयोग सिखाया, स्वर्ग का मालिक
बनाया था। परन्तु कब और कैसे बनाया - यह नहीं जानते। अभी बाप को बहुत रहम आता है
क्योंकि जानते हैं बच्चे माया अर्थात् 5 भूतों के वश हो पड़े हैं। परवश हैं, उनको
अब लिबरेट करता हूँ। बाप कहते हैं बच्चे अब मेरे कारण वा इस भारत अथवा सारे
युनिवर्स के कारण तुम मेरी मत पर चलो। मुझे याद करो और रहम दिल भी बनो। सबको बाप का
परिचय दो। जज लोग भी गॉड का कसम उठवाते हैं। परन्तु क्यों? यह कोई नहीं जानते। गॉड
है कौन? सिर्फ गॉड कह देते हैं। फादर शब्द भी है। जब कसम उठवाते हैं तो उनको समझ
में ही नहीं आता है। कह देते हैं गॉड फादर का कसम उठाओ। परन्तु फादर को तो जानते ही
नहीं। अब तुम बच्चे जानते हो वह गॉड फादर है। कसम उठाते हैं क्योंकि समझते हैं अगर
हम कुछ उल्टा कर्म करेंगे तो बाप सज़ा देंगे। जैसे घर में बच्चे उल्टा काम करते हैं
तो उनको डर रहता है बाप थप्पड़ न मारे। वह कसम गॉड का उठाते हैं। परन्तु जानते नहीं
कि गॉड कौन है? कैसे सज़ा देंगे? क्रिश्चियन लोग बाइबिल उठायेंगे। कोई गीता उठायेंगे।
समझते हैं गीता का भगवान श्रीकृष्ण था। तो श्रीकृष्ण को सामने रख क्षमा मांगते हैं।
समझते हैं अगर हम झूठ बोलेंगे तो वह दण्ड देंगे। अब ट्रूथ तो बाप को कहेंगे।
क्राइस्ट को सारी दुनिया ट्रूथ नहीं कहती। सदा ट्रूथ तो है गॉड फादर परन्तु उसको
जानते नहीं। जब बाप आये बच्चों को जन्म दे, तब बच्चे बाप को जानें। अभी तुम बच्चे
जानते हो बाबा ने अपना बनाया है। इस माता द्वारा रचा है। उनको आदि देव भी कहा जाता
है। वास्तव में आदि देवी भी है। अगर मम्मा को आदि देवी कहें तो उनसे बड़ी आदि देवी
यह हो जाती है। यह बड़ी गुह्य बातें हैं। जो विशालबुद्धि हैं वही इन बातों को समझ
सकते हैं। कहते भी हैं बाप पतित को पावन बनाने वाला है। अच्छा, पावन दुनिया कौन सी
है? क्या मुक्ति को पावन दुनिया कहें वा जीवन्मुक्ति को पावन दुनिया कहें? यह कोई
जानते नहीं हैं। गाते तो बहुत हैं। उन्हों की बुद्धि में सिर्फ यह है कि परमात्मा
आता है। परन्तु उनका रूप आदि नहीं जानते। फिर कहते हैं सर्वव्यापी है।
बाप बहुत रहमदिल है, प्यार का सागर है। तो बच्चों को भी रहम करना चाहिए। प्यार
करना चाहिए। बाप बहुत रहम करते हैं, उनको कहा जाता है मर्सीफुल। बाप कहते हैं तत्वों
सहित सारी सृष्टि पर मैं मर्सीफुल हूँ। नॉलेजफुल हूँ। प्यार में भी फुल हूँ। बहुत
प्यारा बनाता हूँ। जैसे श्रीकृष्ण कितना प्यारा है! उनके घराने में सब प्यारे हैं।
वास्तव में डिनायस्टी हमेशा राजा की कही जाती है। किंग एडवर्ड की राजाई कहेंगे।
प्रिन्स आफ वेल्स की नहीं कहेंगे। प्रिन्स फिर किंग हो जाता है। तो यह भी ऐसे है।
क्रिश्चियन का कनेक्शन श्रीकृष्ण की राजधानी से बहुत है। वह क्रिश्चियन लोग
श्रीकृष्ण की राजधानी से बहुत कमाते हैं। पहले श्रीकृष्ण की राजधानी को अपने हाथ
में ले लेते हैं। फिर देते हैं। श्रीकृष्ण की कहें अथवा लक्ष्मी-नारायण की राजधानी
थी ना। अब वे क्रिश्चियन श्रीकृष्ण को विश्व की राजधानी दे देंगे। कितना वण्डरफुल
राज़ है! अब वो ही श्रीकृष्ण की राजधानी को मदद भी दे रहे हैं। आखरीन सारी राजधानी
श्रीकृष्ण को देकर जाते हैं इसलिए श्रीकृष्ण के मुख में मक्खन दिया है। ऐसे नहीं,
मक्खन का कोई गोला है। दो बन्दर आपस में लड़ते हैं तो माखन श्रीकृष्ण को मिल जाता
है। भाई नहीं लड़ते हैं, बन्दर लड़ते हैं। पांच विकार भी बन्दर में मशहूर हैं। अभी
तुम श्रीकृष्ण की डिनायस्टी बना रहे हो। विश्व के मालिकपने का माखन तुमको मिलना है।
लेन-देन का अथवा कर्मों का हिसाब-किताब कैसा है! क्रिश्चियन के भी कर्म देखो,
राजधानी लेकर फिर वापस देना है। आपस में कितना लड़ते हैं! राजाई का मक्खन फिर भी
तुमको मिलना है। तुम प्रिन्स-प्रिन्सेज बन जाते हो। तुम बच्चों को भी बड़ा रहम-दिल
प्यार का सागर बनना है। ऩफरत नहीं लानी है। दुनिया में तो एक दो के लिए ऩफरत रखते
हैं। यथा राजा-रानी तथा प्रजा नम्बरवार ऩफरत रखते हैं। आपस में लड़ेंगे-मरेंगे।
बाप बहुत अच्छी रीति समझाते हैं, इसमें घृणा की कोई बात नहीं। यह तो ड्रामा बना
हुआ है। हर एक मनुष्य अपने को नीच पापी कहते हैं। मन्दिरों में जाकर अपने ऊपर ऩफरत
करते हैं। महात्मा को पवित्र समझ उनके चरणों में गिरते हैं। आप पावन हो हम पतित
हैं। इन सब बातों को तो बाप ही जानते हैं।
मनुष्य गॉड फादर के नाम पर कसम उठवाते हैं लेकिन वह भी झूठा कसम हो जाता क्योंकि
गॉड फादर को जानते नहीं। अगर गॉड फादर कह कसम उठायें तो बुद्धि में आये कि उनसे तो
हमको वर्सा मिलना चाहिए। स्वर्ग क्या होता है, यह किसी को पता नहीं है। अरे तुम तो
कहते हो फलाना मरा, स्वर्गवासी हुआ। तो कहाँ गया। कुछ भी समझते नहीं। बाप को कोई के
लिए भी ऩफरत नहीं है। सबके लिए प्यार है।
अभी तुम बच्चे सम्मुख हो। बच्चों को ख़ास, बाकी जनरल समझाते हैं। तुम बच्चों को
पढ़ाकर जीवन्मुक्ति देता हूँ और सबको मुक्तिधाम में ले जाते हैं। मेरा सब पर प्यार
है। उस गवर्मेन्ट के तो अनेक प्लैन्स बनते रहते हैं। बाबा कहते हैं मेरा एक ही
प्लैन है। पतित मनुष्य को पावन देवी-देवता बनाना। मनुष्य कहते भी हैं पतित-पावन आओ।
फिर उनको न जानने के कारण कह देते हम ही पतित-पावन हैं। तो बाप समझाते हैं पहले तो
बड़े ते बड़े चीफ जस्टिस की सर्विस करो। उन्हें समझाना चाहिए आत्मा का बाप तो एक
है, उनका कसम तुम क्यों उठवाते हो? क्या कसम उठाने समय श्रीकृष्ण याद आता है?
क्रिश्चियन से पूछो कि क्राइस्ट याद आता है या गॉड फादर? जानते हो कि पाप करेंगे तो
दण्ड भोगना पड़ेगा। परन्तु बाप दण्ड कभी नहीं देता। वह करनकरावनहार है। धर्मराज
द्वारा सजा दिलाते हैं। गॉड तो मोस्ट बील्वेड बाप है। वह झूठे कलंक लगाते हैं कि
बाप ही सुख-दु:ख देते हैं। तो क्या बेरहम हैं? गाते भी हैं मर्सीफुल। बाप कहते हैं
मैं कैसे बेरहमी करुँगा। माया ने तुम्हारे पर बेरहमी की है। मैं तो उनसे छुड़ाता
हूँ। माया ने तुमको श्रापित किया है। यह भी खेल है। सुखधाम को दु:खधाम होना ही है।
भारत ही सुखधाम था, अब दु:खधाम है। बाबा फिर सुखधाम का मालिक बनाते हैं। परन्तु ऐसे
थोड़ेही दु:खधाम का मालिक खुद ही बनायेंगे। बच्चे कहते हैं बाबा प्यार का सागर है।
बाबा आपकी श्रीमत पर चल हम अपने को पावन बनायेंगे। अपने पर रहम करेंगे। जितना टीचर
से पढ़ेंगे उतना अपने ऊपर रहम करेंगे। नहीं तो नापास हो पड़ेंगे। अब तुम्हारी बुद्धि
में अच्छी रीति नॉलेज है। तुम जानते हो नॉलेजफुल, मर्सीफुल, पतित से पावन बनाने वाला
एक ही बाप है तो उनकी मत पर चलना पड़े। अपनी मत माना रावण की मत। श्रीमत पर न चल
अपनी मत पर वा किसी मनुष्य की मत पर चलते हैं तो धोखा खा लेते हैं। श्रीमत पर
कदम-कदम चलें तो बेड़ा पार है। चढ़ाई बहुत ऊंची है। माया के तूफान किस्म-किस्म से
आते हैं। परन्तु बाप को कोई पर ऩफरत नहीं है। बच्चों को भी ऐसा बनना चाहिए। अजामिल
जैसे पापी तो सभी हैं। एक गीत में भी है ना कि मैं एक छोटा सा बच्चा हूँ। जैसे कहते
हैं ना कि मैं एक मास का बच्चा हूँ। पुराने बच्चे तो आपके बहुत हैं जिनको आप पावन
बना रहे हो। तो मुझ छोटे बच्चे को भी पावन बनाओ। तो कहते हैं कि श्रीमत पर चलो तो
पुराने से भी अच्छी रीति आगे जा सकते हो। लिफ्ट भी तो मिलती है। देरी से आने से
तुमको शक्तियों से योगदान मिलता है। शक्तियाँ भी नम्बरवार हैं। ऐसे नहीं कहा जाता
है कि तुम शक्तियों से बुद्धियोग लगाओ। नहीं, शक्तियों से तुम शंखध्वनि सुनो।
बुद्धियोग बाबा से लगाना है। बाबा को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। ढिंढोरा
पिटवाना है। यहाँ कोई अन्धश्रद्धा की बात नहीं। कॉलेज में कोई अन्धश्रद्धा नहीं हो
सकती। यह है गॉड फादरली युनिवर्सिटी। नॉलेजफुल गॉड फादर बैठ बच्चों को पढ़ाते हैं।
तुम्हारी एम ऑब्जेक्ट है कि हम मनुष्य से देवता बनेंगे। वह मनुष्य से बैरिस्टर बनते
हैं तो बुद्धियोग बैरिस्टर के साथ रहता है। डॉक्टर के साथ नहीं रहता। यह भी कॉलेज
है, न कि अन्धश्रद्धा। एम ऑब्जेक्ट है। गॉड फादर हमको पढ़ाते रहते हैं। गीता में भी
भगवानुवाच है परन्तु भगवान कौन है? - यह गीता वाले भी नहीं जानते। यह ब्रह्मा भी
कहते हैं - हम भी गीता पढ़ते थे। अभी के मनुष्य शास्त्रों को मानते नहीं। गीता को
उठाने से उनकी बुद्धि चली जाती है श्रीकृष्ण की तरफ। उनको सब धर्म वाले नहीं मानेंगे।
गीता है सर्वशास्त्रमई शिरोमणी शिवबाबा की गाई हुई। गॉड फादर कहते हैं वह है स्वर्ग
का रचयिता। तो बाप से तुमको स्वर्ग का वर्सा मिलना चाहिए या फादर के घर जाना है!
भगवान पास जाना चाहते हैं। सब मुक्ति ही चाहते हैं। वह लोग जीवन्मुक्ति से क्या जानें।
बाप कहते हैं मैं तो पढ़ाता हूँ। मैं फिर सर्वव्यापी कैसे होऊंगा। सर्वव्यापी कहने
से मुख ही मीठा नहीं होता। तो बच्चे, यह बातें अच्छी रीति धारण करो और बहुत मीठे बनो।
कोई से ऩफरत नहीं करनी चाहिए। सर्जन लोग होते हैं, किसको कैसी भी गन्दी बीमारी होती
है तो भी उनको तरस पड़ता है और शफा देते हैं। समझते भी हैं कुछ खराब काम किया है,
उसका यह कर्मभोग है। बाप कहते हैं माया की प्रवेशता होने से मनुष्यों से विकर्म ही
होते हैं और पतित बन जाते हैं। पांच विकारों को खराब समझते हैं तब तो संन्यासी भी
भागते हैं। पवित्रता का मान बहुत है। यह तो समझते हो हम पहले देवताओं को नमन करते
हैं, पीछे संन्यासियों को किया है क्योंकि वे भी पावन बनते हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद, प्यार और गुडमार्निग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अच्छी रीति पढ़कर, श्रीमत पर चल पावन बन अपने आप पर रहम करना है। कभी
भी बेरहमी नहीं बनना है।
2) किसी से भी ऩफरत या घृणा नहीं करनी है। बाप समान प्यार का सागर बनना है।