ओम् शान्ति।
बच्चों ने गीत की लाईन सुनी। यह स्कूल अथवा युनिवर्सिटी है, कौन सी? गॉड फादरली
युनिवर्सिटी। गॉड फादर पढ़ाते हैं, भगवानुवाच। गॉड फादर कहा जाता है बेहद के बाप
को। लौकिक फादर को गॉड नहीं कहेंगे। एक गॉड को ही सब मनुष्य मात्र गॉड फादर कहते
हैं। वह है बेहद का फादर। इस सारे सृष्टि को रचने वाला गॉड फादर है। लौकिक बच्चों
को भी फादर होता है, जिसको बाबा कहा जाता है। यह है बेहद का पारलौकिक बाप। लौकिक
बाबा तो यहाँ बहुत हैं। हरेक को अपने बच्चे होते हैं। तो बेहद के बाप से जरूर कोई
वर्सा मिलना चाहिए। यहाँ तुम तकदीर बनाकर आये हो, बाप से बेहद सुख का वर्सा लेने।
यहाँ कौन पढ़ाते हैं? भगवानुवाच। वहाँ मनुष्य बैरिस्टरी, इन्जीनियरी, डॉक्टरी आदि
पढ़ाते हैं, यहाँ तो बेहद का बाप आकर पढ़ाते हैं। तो तुम यहाँ तकदीर बनाकर आये हो।
तुमको मनुष्य से देवता बनाया जाता है।
तुम जानते हो भारत में ही देवी-देवताओं का राज्य होता है। भारत ही प्राचीन पुराने
ते पुराना खण्ड है। 5 मुख्य खण्ड हैं, पहला नम्बर है भारत। जब भारतवासी भारत खण्ड
नई दुनिया में थे तो देवी-देवता राज्य करते थे। लक्ष्मी-नारायण का राज्य था तब यह
भारत नया था, सिर्फ भारतखण्ड ही था। उस समय और कोई धर्म नहीं था। देवी-देवतायें
पवित्र थे। यथा राजा रानी लक्ष्मी-नारायण पवित्र थे, भारत बहुत धनवान था, हीरे
तुल्य था। अब तो भारत बहुत कंगाल है। कौड़ी तुल्य है। स्वर्ग में लड़ाई झगड़ा कुछ
भी नहीं था। वाइसलेस भारत था। इस समय, जबकि कलियुग है तो भारत अपवित्र है। कितना
दु:ख है। अब इस भारत को फिर से स्वर्ग कौन बनाते हैं? बाप समझाते हैं तुम तकदीर
जगाकर आये हो, मनुष्य से देवता बनने, जो बेहद का बाप ही बनाते हैं। मनुष्य कोई
सद्गति नहीं दे सकते। पतित मनुष्य किसको पावन बना नहीं सकते। स्वर्ग में कभी ऐसे नहीं
कहेंगे कि पतित-पावन आओ क्योंकि वहाँ सब पवित्र थे। भारत सदा सुखी था फिर से भारत
को सदा सुखी बनाना बाप का ही काम है। भारत शिवालय था। परमपिता परमात्मा को शिव कहा
जाता है। उसकी जयन्ती भारत में मनाते हैं। शिव परमात्मा जो सबका बाप है वही आकर सबको
दु:ख से छुड़ाते हैं। उस बाप को सब भूले हुए हैं। शान्ति दाता, सुख दाता वह एक ही
बाप है। भारत स्वर्ग था। पवित्र थे तो शान्ति भी थी, तो सुख भी था। प्योरिटी, पीस,
प्रासपर्टी थी। संन्यासी भी भारत को मदद देने लिए संन्यास करते हैं कि पवित्रता की
ताकत मिले। सभी विकारी मनुष्य जाकर उनको माथा टेकते हैं। संन्यासी पवित्रता की मदद
से भारत को थामते हैं। भारत जैसा सुखी पवित्र खण्ड कोई होता नहीं। ऊंचे ते ऊंचा
भारत खण्ड ही गाया जाता है। फिर से भारत को नया बाप ही बनाते हैं। कोई भी मनुष्य को
भगवान नहीं कहा जा सकता है। न सबमें ईश्वर है। परन्तु सबमें 5 शैतान हैं। इन 5
विकारों को मिलाकर रावण कहा जाता है। इस समय रावण का राज्य है। सभी विकारी पतित
हैं। सतयुग में पवित्र गृहस्थ धर्म था। सम्पूर्ण निर्विकारी थे। भारत में देवी-देवता
राज्य करते थे। अब ड्रामा अनुसार फिर भारत पुराना बना है। नई सृष्टि सो पुरानी जरूर
बनेगी। भारत में एक वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी का राज्य था, उनको स्वर्ग कहा जाता है।
जो स्थापन करता है बेहद का बाबा, इन माताओं द्वारा। शिव शक्ति सेना मातायें हैं ना।
जगत अम्बा भी गाई हुई है। मनुष्य नहीं जानते कि ऊंचे ते ऊंच कौन है। सबसे ऊंचे ते
ऊंच है परमपिता परमात्मा। फिर है ब्रह्मा विष्णु शंकर। परमपिता परमात्मा का क्या
पार्ट है? वह आकर भारत को पतित से पावन बनाते हैं। ब्रह्मा द्वारा पावन दुनिया की
स्थापना करते हैं। तुम ब्रह्माकुमार कुमारियां राखी बाँधते हो कि हम भारत को पवित्र
बनायेंगे। हे बाबा हम आपकी श्रीमत पर चल पवित्र बन भारत को पवित्र बनाए फिर राज्य
करेंगे। बाप आकर ब्रह्मा द्वारा स्थापना कराते हैं। ब्रह्मा, प्रजापिता सबका बाप
है। जगत अम्बा है सबकी माता। भारतवासी गाते हैं तुम मात-पिता हम बालक तेरे... बाप
स्वयं आकर पढ़ाते हैं, यही कृपा करते हैं, जिससे हम भविष्य में बहुत सुख देखेंगे।
यहाँ तो बहुत दु:ख है इसलिए इनको नर्क कहा जाता है। डीटी वर्ल्ड सो फिर डेविल
वर्ल्ड बनती है। डीटी वर्ल्ड में दूसरा कोई खण्ड नहीं रहता है। बेहद का बाप ही आकर
बच्चों को बेहद वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी समझाते हैं, जो और कोई समझा न सके।
तुम बच्चे बेहद के बाप से प्रतिज्ञा करते हो - हे बाबा, आप आये हो भारत को
स्वर्ग बनाने, हम श्रीमत पर चल भारत को स्वर्ग अथवा श्रेष्ठ बनाए फिर उन पर राज्य
करेंगे, इसको राजयोग की शिक्षा कहा जाता है। संन्यासियों का है हठयोग, घरबार छोड़
देते हैं। तुमको छोड़ना नहीं है। इस पुरानी दुनिया को भूलना है। तुम अब नई दुनिया
में जाने वाले हो। बाप गाइड बनकर आये हैं। वह है लिबरेटर, सबको दु:खों से छुड़ाने
वाला। शिवबाबा का भारत है बर्थप्लेस। सोमनाथ का मन्दिर भी यहाँ है। मनुष्य यह भूल
गये हैं कि भारत बड़ा तीर्थ है। सभी मनुष्यों का बाप, जो सुख-शान्ति देते हैं, उनका
बर्थ प्लेस है। सबको भारत में आकर शिव के मन्दिर में शिव को नमन करना चाहिए। सबसे
श्रेष्ठ मत है भगवान की। श्री श्री शिवबाबा बेहद का सुख देने वाला है। सुख मिलता है
बाप से। विनाश सामने खड़ा है। इस महाभारी लड़ाई द्वारा सुखधाम शान्तिधाम के गेट
खुलने वाले हैं। तुम बी.के. भारत को स्वर्ग बनाने के लिए तन-मन-धन से सेवा कर रहे
हो। जैसे गाँधी की मत पर सबने तन-मन-धन से सेवा कर फॉरेन के राज्य को भगा दिया।
परन्तु अब बहुत दु:ख है। अब इस रावण पर जीत पानी है। आधाकल्प रावण राज्य, आधाकल्प
राम-राज्य। द्वापर से लेकर देह-अभिमान में आने से बाप को भूल जाते हैं और बाप को न
जानने कारण लड़ते झगड़ते रहते हैं। तो भारतवासी जब दु:खी हो जाते हैं तब ही बाप आते
हैं बच्चों की किस्मत जगाने। यहाँ अन्धश्रद्धा की कोई बात नहीं। यह तो पढ़ाई है।
बाप ही आकर सारी नॉलेज देते हैं क्योंकि वह नॉलेजफुल है। कहते हैं मेरे में सारे
चक्र का ज्ञान है। सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था फिर राम सीता का राज्य था,
शेर बकरी इकट्ठे जल पीते थे। यथा राजा रानी तथा प्रजा थे। धर्म का उपकार था। अब तो
घर-घर में दु:ख है। बाप आकर सभी को सुखी बनाते हैं। तुम भारत माता शक्ति सेना हो।
यह मन्दिर तुम्हारा है। अब तुम राजयोग में बैठे हो, इसको राजयोग की पढ़ाई कहा जाता
है। तुमको गॉड फादर पढ़ाते हैं।
बाप ही आकर तुम माताओं द्वारा सबकी किस्मत जगाते हैं। वन्दना की जाती है परमपिता
परमात्मा की। देवताओं की भी वन्दना करते हैं। पतित मनुष्य संन्यासियों की भी वन्दना
करते हैं। तुम माताओं के लिए कहा जाता है वन्दे मातरम्। तुम माताओं द्वारा ही भारत
स्वर्ग बनता है। पवित्रता बिगर सुख मिल नहीं सकता। जो बाप का बनेंगे, बाप को याद
करेंगे, और संग तोड़ एक संग जोड़ेंगे - वही शिवबाबा के पास चले जायेंगे। भारत में
ही बाप अवतार लेते हैं। तुम कितने दु:खी थे! कितने बच्चे आये हैं यहाँ सुख पाने के
लिए! तुम सबकी रूहानी सोशल सर्विस करते हो। तुम हो गुप्त सेना, जो रावण पर जीत पाकर
स्वर्ग के मालिक बनते हो। निराकार बाप निराकार आत्माओं से बात करते हैं। आत्मा
आरगन्स द्वारा सुनती है। आत्मा में 84 जन्मों के संस्कार हैं। पहले वाले 84 जन्म
लेते हैं, पिछाड़ी वाले कम लेंगे। भारत सिरताज था। भारत ही कंगाल बना है, फिर
सिरताज बन रहा है। यह वही लड़ाई है जो 5 हजार वर्ष पहले लगी थी, जिससे भारत स्वर्ग
बना था। तुम्हारी है राजयोग की पढ़ाई। संन्यासियों का है हठयोग। तुम बच्चों को
पुरानी दुनिया को भूल एक बाप को याद करना है। योग अग्नि से ही तुम्हारे पाप कट
जायेंगे और कोई पावन बनने का उपाय नहीं है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।