07-03-2005 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"सम्पूर्ण पवित्रता का
व्रत रखना और मैं-पन को समर्पित करना ही शिव जयन्ती मनाना है"
आज विशेष शिव बाप अपने
सालिग्राम बच्चों का बर्थ डे मनाने आये हैं। आप बच्चे बाप का जन्म दिन मनाने आये हो
और बापदादा बच्चों का बर्थ डे मनाने आये हैं क्योंकि बाप का बच्चों से बहुत प्यार
है। बाप अवतरित होते ही यज्ञ रचते हैं और यज्ञ में ब्राह्मणों के बिना यज्ञ सम्पन्न
नहीँ होता है। इसलिए यह बर्थ डे अलौकिक है, न्यारा और प्यारा है। ऐसा बर्थ डे जो
बाप और बच्चों का इकठ्ठा हो यह सारे कल्प में न हुआ है, न कभी हो सकता है। बाप है
निराकार, एक तरफ निराकार है दूसरे तरफ जन्म मनाते हैं। एक ही शिव बाप है जिसको अपना
शरीर नहीँ होता इसलिए ब्रह्मा बाप के तन में अवतरित होते हैं, यह अवतरित होना ही
जयन्ती के रूप में मनाते है। तो आप सभी बाप का जन्म दिन मनाने आये हो वा अपना मनाने
आये हो? मुबारक देने आये हो वा मुबारक लेने आये हो? यह साथ-साथ का वायदा बच्चों से
बाप का है। अभी भी संगम पर कम्बाइण्ड साथ है, अवतरण भी साथ है, परिवर्तन करने का
कार्य भी साथ है और घर परमधाम में चलने में भी साथ-साथ है। यह है बाप और बच्चों के
प्यार का स्वरूप।
शिव जयन्ती भगत भी
मनाते है लेकिन वह सिर्फ पुकारते हैं, गीत गाते हैं। आप पुकारते नहीं, आपका मनाना
अर्थात् समान बनना। मनाना अर्थात् सदा उमंग-उत्साह से उडते रहना। इसीलिए इसको उत्सव
कहते है। उत्सव का अर्थ ही है उत्साह में रहना। तो सदा उत्सव अर्थात् उत्साह में
रहने वाले हो ना! सदा है या कभी-कभी है? वैसे देखा जाए तो ब्राह्मण जीवन का श्वास
ही है - उमंग-उत्साह। जैसे श्वास के बिना रह नहीँ सकते हैं, ऐसे ब्राह्मण आत्माये
उमंग-उत्साह के बिना ब्राह्मण जीवन में रह नहीँ सकते हैं। ऐसे अनुभव करते हो ना?
देखो विशेष जयन्ती मनाने के लिए कहाँ-कहाँ से, दूर-दूर से भाग करके आये हैं। बापदादा
को अपने जन्म दिन की इतनी खुशी नहीँ है जितनी बच्चों के जन्म दिन की है। इसलिए
बापदादा एक-एक बच्चे को पदमगुणा खुशी की थालियां भर- भर के मुबारक दे रहे है।
मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
बापदादा को आज के दिन
सच्चे भगत भी बहुत याद आ रहे हैं। वह व्रत रखते हैं एक दिन का और आपने व्रत रखा है
सारे जीवन में सम्पूर्ण पवित्र बनने का। वह खाने का व्रत रखते हैं. आपने भी मन के
भोजन व्यर्थ संकल्प, निगेटिव संकल्प, अपवित्र संकल्पो का व्रत रखा है। पक्का व्रत
रखा है ना? यह डबल फोरेनेर्स आगे आगे बैठे हैं। यह कुमार बोलो, कुमारों ने व्रत रखा
है, पक्का? कच्चा नहीँ। माया सुन रही है। सब झण्डिया हिला रहे है ना तो माया देख रही
है, झण्डियां हिला रहे हैं। जब व्रत रखते हैं - पवित्र बनना ही है, तो व्रत रखना
अर्थात् श्रेष्ठ वृत्ति बनाना। तो जैसी वृत्ति होती है वैसे ही दृष्टि, कृति स्वत:
ही बन जाती है। तो ऐसा व्रत रखा है ना? पवित्र शुभ वृत्ति, पवित्र शुभ दृष्टि, जब
एक दो को देखते हो तो क्या देखते हो? फेस को देखते हो या भृकुटी के बीच चमकती हुई
आत्मा को देखते हो? कोई बच्चे ने पूछा कि जब बात करना होता है, काम करना होता है तो
फेस को देख करके ही बात करनी पड़ती है, आंखो के तरफ ही नज़र जाती है, तो कभी-कभी फेस
को देख करके थोडा वृत्ति बदल जाती है। बापदादा कहते है आंखो के साथ-साथ भृकुटी भी
है, तो भृकुटी के बीच आत्मा को देख बात नहीं कर सकते हैं! अभी बापदादा सामने बैठे
बच्चों के आंखो में देख रहे है या भृकुटी में देख रहे है, मालूम पडता है? साथ-साथ
ही तो है। तो फेस में देखो लेकिन फेस में भृकुटी में चमकता हुआ सितारा देखो। तो यह
व्रत लो, लिया है लेकिन और अटेन्शन दौ। आत्मा को देख बात करना है, आत्मा से आत्मा
बात कर रहा है। आत्मा देख रहा है। तो वृत्ति सदा ही शुभ रहेगी और साथ-साथ दूसरा
फायदा है जैसी वृत्ति वैसा वायुमण्डल बनता है। वायुमण्डल श्रेष्ठ बनाने से स्वयं के
पुरुषार्थ के साथ-साथ सेवा भी हो जाती है। तो डबल फायदा है ना! ऐसी अपनी श्रेष्ठ
वृत्ति बनाओ जो कैसा भी विकारी, पतित आपके वृत्ति के वायुमण्डल से परिवर्तन हो जाए।
ऐसा व्रत सदा स्मृति में रहे. स्वरूप में रहे।
आजकल बापदादा ने बच्चों
का चार्ट देखा, अपने वृत्ति से वायुमण्डल बनाने के बजाए कहाँ-कहाँ, कभी-कभी दूसरों
के वायुमण्डल का प्रभाव पड़ जाता है। कारण क्या होता? बच्चे रूहरिहान में बहुत
मीठी-मीठी बातें करते हैं, कहते हैं इसकी विशेषता अच्छी लगती है, इनका सहयोग बहुत
अच्छा मिलता है, लेकिन विशेषता प्रभु की देन है। ब्राह्मण जीवन में जो भी प्राप्ति
है, जो भी विशेषता है, सब प्रभु प्रसाद है, प्रभु देन है। तो दाता को भूल जाए, लेवता
को याद करे! प्रसाद कभी किसका पर्सनल गाया नहीँ जाता, प्रभु प्रसाद कहा जाता है।
फलाने का प्रसाद नहीँ कहा जाता है। सहयोग मिलता है, अच्छी बात है लेकिन सहयोग दिलाने
वाला दाता तो नहीँ भूले ना! तो पक्का-पक्का बर्थ डे का व्रत रखा है? वृत्ति बदल गई
है? सम्पन्न पवित्रता, यह सच्चा-सच्चा व्रत लेना वा प्रतिज्ञा करना। चेक करो -
बड़े-बड़े विकार का व्रत तो रखा है लेकिन छोटे-छोटे उनके बाल-बच्चों से मुक्त हैं?
वैसे भी देखो जीवन में प्रवृत्ति वालों का बच्चों से ज्यादा पोत्रे- धोत्रे से
प्यार होता है। माताओं का प्यार होता है ना। तो बड़े बड़े रूप से तो जीत लिया लेकिन
छोटे-छोटे सूक्ष्म स्वरूप में वार तो नहीं करते? जैसे कई कहते हैं - आसक्ति नहीं है
लेकिन अच्छा लगता है। यह चीज ज्यादा अच्छी लगती है लेकिन आसक्ति नहीं है। विशेष
अच्छा क्यों लगता? तो चेक करो छोटे-छोटे रूप में भी अपवित्रता का अंश तो नहीँ रह गया
हैं? क्योंकि अंश से कभी वंश पैदा हो सकता है। कोई भी विकार चाहे छोटे रूप में, चाहे
बड़े रूप में आने का निमित्त एक शब्द का भाव है, वह एक शब्द है - “मैं”। बॉडीकानसेस
का मैं। इस एक मैं शब्द से अभिमान भी आता है और अभिमान अगर पूरा नहीँ होता तो क्रोध
भी आता है क्योंकि अभिमान की निशानी है - वह एक शब्द भी अपने अपमान का सहन नहीँ कर
सकता, इसलिए क्रोध आ जाता। तो भगत तो बलि चढाते हैं लेकिन आप आज के दिन जो भी हद का
मैं पन हो, उसको बाप को देकर समर्पित करो। यह नहीँ सोचो करना तो है, बनना तो है...
तो तो नहीँ करना। समर्थ हो और समर्थ बन समाप्ति करो। कोई नई बात नहीँ हैं, कितने
कल्प, कितने बार सम्पूर्ण बने हो, याद है? कोई नई बात नहीँ हैं। कल्प- कल्प बने हो,
बनी हुई बन रही है, सिर्फ रिपीट करना है। बनी को बनाना है, इसलिए कहा जाता है बना
बनाया ड़ामा। बना हुआ है सिर्फ अभी रिपीट करना अर्थात् बनाना है। मुश्किल है कि सहज
है? बापदादा समझते है संगमयुग का वरदान है - सहज पुरुषार्थ। इस जन्म में सहज
पुरुषार्थ के वरदान से 21 जन्म सहज जीवन स्वत: ही प्राप्त होगी। बापदादा हर बच्चे
को मेहनत से मुक्त करने आये हैं। 63 जन्म मेहनत की, एक जन्म परमात्म प्यार, मुहब्बत
से मेहनत से मुक्त हो जाओ। जहाँ मुहब्बत है वहाँ मेहनत नहीँ, जहाँ मेहनत है वहाँ
मुहब्बत नहीँ। तो बापदादा सहज पुरुषार्थी भव का वरदान दे रहा है और मुक्त होने का
साधन है - मुहब्बत, बाप से दिल का प्यार। प्यार में लवलीन और महामन्त्र है - मनमना
भव का मन्त्र। तो यन्त्र को काम में लगाओ। काम में लगाना तो आता है ना। बापदादा ने
देखा संगमयुग में परमात्म प्यार द्वारा, बापदादा द्वारा कितनी शक्तियां मिली हैं,
गुण मिले हैं, ज्ञान मिला है, खुशी मिली है, इन सब प्रभु देन को, खज़ानों को समय पर
कार्य में लगाओ।
तो बापदादा क्या चाहते
हैं, सुना? हर एक बच्चा सहज पुरुषार्थी, सहज भी, तीव्र भी। द्रढ़ता को यूज करो। बनना
ही है, हम नहीँ बनेंगे तो कौन बनेगा। हम ही थे, हम ही हैं और हर कल्प हम ही होंगे।
इतना दृढ निच्च्य स्वयं में धारण करना ही है। करेंगे नहीँ कहना, करना ही हैं। होना
ही है। हुआ पड़ा है।
बापदादा देश विदेश के
बच्चों को देख खुश है। लेकिन सिर्फ आप सामने सम्मुख वालों को नहीँ देख रहे हैं, चारों
ओर के देश और विदेश के बच्चों को देख रहे हैं। मैजारिटी जहाँ-तहॉ से बर्थ डे की
मुबारक आई हैं, कार्ड भी मिले हैं, ई-मेल भी मिलै हैं, दिल का संकल्प भी मिला है।
बाप भी बच्चों के गीत गाते हैं, आप लोग गीत गाते हो ना - बाबा आपने कर दी कमाल, तो
बाप भी गीत गाते हैं मीठे बच्चों ने कर दी कमाल। बापदादा सदा कहते हैं कि आप तो
सन्मुख बैठे हो लेकिन दूर वाले भी बापदादा के दिल पर बैठे हैं। आज चारो ओर बच्चों
के संकल्प में है - मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। बापदादा के कानो में आवाज
पहुंच रहा है और मन में संकल्प पहुंच रहे हैं । यह निमित्त कार्ड हैं, पत्र हैं
लेकिन बहुत बडे हीरे से भी ज्यादा मूल्यवान गिफ्ट हैं। सभी सुन रहे हैं, हर्षित हो
रहे हैं। तो सभी ने अपना बर्थ डे मना लिया। चाहे दो साल का हो, चाहे एक साल का हो,
चाहे एक सप्ताह का हो, लेकिन यज्ञ की स्थापना का बर्थ डे है। तो सभी ब्राह्मण यज्ञ
निवासी तो हैं ही। इसलिए सभी बच्चों को बहुत-बहुत दिल का यादप्यार भी है, दुआयें भी
हैं, सदा दुआओं में ही पलते रहो, उड़ते रहो। दुआयें देना और लेना सहज है ना! सहज है?
जो समझते है सहज है, वह हाथ उठाओ। झण्डियां हिलाओ। तो दुआयें छोडते तो नहीं? सबसे
सहज पुरुषार्थ ही है - दुआयें देना, दुआयें लेना। इसमें योग भी आ जाता, ज्ञान भी आ
जाता, धारणा भी आ जाती, सेवा भी आ जाती। चारों ही सबजैक्ट आ जाती है दुआयें देने और
लेने में ।
तो डबल फारेनर्स दुआयें
देना और लेना सहज है ना! सहज है? 2० साल वाले जो आये है वह हाथ उठाओ। आपको तो 2०
साल हुए हैं लेकिन बापदादा आप सबको पदम गुणा मुबारक दे रहे हैं । कितने देशों के आये
है? (69 देशों के) मुबारक हो 69 वाँ बर्थ डे मनाने के लिए 69 देशों से आये हैं ।
कितना अच्छा है। आने में तकलीफ तो नहीँ हुई ना। सहज आ गये ना! जहाँ मुहब्बत है वहाँ
कुछ मेहनत नहीँ। तो आज का विशेष वरदान क्या याद रखेगें? सहज पुरुषार्थी। सहज कार्य
जल्दी-जल्दी किया ही जाता है। मेहनत का काम मुश्किल होता है ना तो टाइम लगता है। तो
सभी कौन हो? सहज पुरुषार्थी। बोलो, याद रखना। अपने देश में जाके मेहनत में नहीँ लग
जाना। अगर कोई मेहनत का काम आवे भीं तो दिल से कहना, बाबा, मेंरा बाबा, तो मेहनत
खत्म हो जायेगी। अच्छा। मना लिया ना! बाप ने भी मना लिया. आपने भी मना लिया। अच्छा।
डबल विदेशी 6 ग्रुप
में अलग अलग भट्टियाँ कर रहे हैं
कुमारियोंसे - एक-एक कुमारी 1०० ब्राह्मणों से उत्तम है। तो चेक करना जो गायन है हर
एक कुमारी को कम से कम 1०० ब्राह्मण जरूर बनाने पड़ेगे। बनायेंगे? बनाना है। हाँ तो
हाथ हिलाओ। कितने समय में बनायेंगे? समय नजदीक है ना, तो आप बताओ कितना समय चाहिए?
रिजल्ट भेजनी पडेगी। (एक साल में) एक साल! आपको एक साल कलियुगी दुनिया में रहना है!
चलो, आपके मुख में गुलाबजामुन। तो 6 मास में 5० बनाना, एक साल में 1००, तो 6 मास
में 5०, 6 मास के बाद रिपोर्ट भेजना, पसन्द है? क्या नहीँ कर सकते हो, जो चाहो वह
कर सकते हो। अच्छा है कुमारियोँ का ग्रुप अच्छा है। बापदादा कुमारियोँ को देख विशेष
खुश होता है क्योंकि कुमारियां सेवा में सहयोगी नम्बरवन बन सकती हैं। अच्छा। बहुत
अच्छा किया है।
कुमार ग्रुप - (गीत
गाया - मै बाबा का, बाबा मेरा) अच्छा है, कुमार, डबल कुमार हो गये हो। एक दुनिया के
हिसाब से भी कुमार हो और इस ब्राह्मण जीवन में भी ब्रह्माकुमार हो। तो डबल कुमार
हो। तो डबल काम करना पडेगा। करेंगे? हुआ ही पड़ा है। दृढ़ संकल्प किया और सफलता हुई
पडी है। अच्छा। सभी ने बहुत अच्छे बैनर बनाये हैं। (हर ग्रुप अपना- अपना बैनर
बापदादा को दिखा रहा है)
माताओं से - बहुत
अच्छा। बापदादा देख रहे हैं माताओं में बहुत अच्छा उमंग-उत्साह है। इसलिए बापदादा
ने माताओं को ही निमित्त बनाया है। बहुत अच्छा बापदादा को पसन्द है।
अधर कुमार - अधर
कुमार भी कमाल करेंगे। हर एक अधरकुमार अपना परिवर्तन का अनुभव सुनाकर सभी को बाप के
समीप का बना सकते हैं क्योंकि दुनिया वाले समझते हैं कि अधरकुमार जीवन बहुत मुश्किल
है लेकिन आप सभी नं मुश्किल को सहज बनाया है। बस सिर्फ अपना अनुभव सुनाते जाओ, ऐसे
मुश्किल को मिटा सकते हो। एक शब्द का अन्तर करने से, गृहस्थी से ट्रस्टी बनने से
मुश्किल से सहज हो जाता है। तो ऐसे अधरकुमार सेवा में सफलता प्राप्त है और होती
रहेगी। अच्छा।
युगलों से - (बैनर
दिखा रहे है) लक्ष्मी-नारायण का सिम्बल अच्छा बनाया है। आप तो विजयी रत्नो में हैं।
साथ रहते न्यारे और प्यारे। युगलों को बापदादा कहते हैं यह कमल पुथ समान न्यारे और
प्यारे हैं । रहते भी साकार में आपस में परिवार में रहते लेकिन मन से सदा बाप के
साथ रहते हैं । बहुत अच्छा। सभी डबल फारेनर्स ने रिफ्रेशमेंट अच्छी ली है, अभी ली
हुई रिफ्रेशमेंट औरो को देनी है। मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
सेन्टर वासी - (बैनर
- प्रेम और दया की ज्योति जगा कर रखेंगे) बहुत अच्छा संकल्प लिया है। अपने पर भी दया
दृष्टि, साथियोँ के ऊपर भी दया दृष्टि और सर्व के ऊपर भी दया दृष्टि। ईश्वरीय लव
चुम्बक है, तो आपके पास ईश्वरीय लव का चुम्बक है। किसी भी आत्मा को ईश्वरीय लव के
चुम्बक से बाप का बना सकते हो। बापदादा सेन्टर पर रहने वालों को विशेष दिल की दुआयें
देते हैं, जो आप सभी ने विश्व में नाम बाला किया है। कोने-कोने में ब्रह्माकुमारीज
का नाम तो फैलाया है ना! और बापदादा को बहुत अच्छी बात लगती है कि जैसे डबल विदेशी
हो, वैसे डबल जॉब करने वाले हो। मैजारिटी लौकिक जॉब भी करते हैं तो अलौकिक जॉब भी
करते हैं और बापदादा देखते हैं, बापदादा की टीवी. बहुत बडी है, ऐसी बड़ी टी.वी. यहाँ
नहीँ है। तो बापदादा देखते हैं कैसे फटाफट क्लास करते, नाश्ता खड़े-खड़े करते, जॉब
में टाइम पर पहुंचते, कमाल करते हैं। बापदादा देखते-देखते दिल का प्यार देते रहते
हैं। बहुत अच्छा, सेवा के निमित्त बने हो और निमित्त बनने की गिफ्ट बाप सदा विशेष
दृष्टि देते रहते है। बहुत अच्छा लक्ष्य रखा हैं, अच्छे हो, अच्छे रहेंगे, अच्छे
बनायेंगे।
आई. टी. ग्रुप
सेवा का कोई नया प्लैन बनाया है? (व्रह्माकुमारीज वेबसाइट को और अच्छा बवनाना है,
जो विश्व में वापदादा को प्रत्यक्ष करने की सेवा में यूज किया जा सके) जो बनाया है,
वह प्रैक्टिकल करके रिजल्ट लिखना। जैसे अफ्रीका वालो ने रिजल्ट लिखी ना, ऐसे आप लोग
भी रिजल्ट भेजना। मुबारक हो बनाया, उमंग है, उत्साह है। जहाँ उमंग-उत्साह है, वहाँ
सफलता है ही है। बहुत अच्छा किया।
सेवा का टर्न –
राजस्थान और यु. पी. जोन
अच्छा है, रूहानी लश्कर है। बहुत अच्छा, सेवा दिल से की भी है और सभी को सन्तुष्ट
भी किया है। तो जो सन्तुष्ट करता है उसको दिल से जो सन्तुष्टता की लहरे पहुचती हैं,
उससे बहुत खुशी होती है। तो बहुत खुशी मिली है ना। आपने स्थूल सेवा की और सभी भाई
बहिनों ने आपको खुशी की सौगात दी है। सन्तुष्टता सबसे बडी खुशी की खुराक है। सारा
ग्रुप सन्तुष्टमणियोँ का हो गया। सन्तुष्ट करने वाले सन्तुष्टमणि। सन्तुष्टमणियोँ
को बापदादा और सारे परिवार की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
अच्छा - भारत की
मातायें देख रही है, हमारा नाम नहीँ लिया बाबा ने। बापदादा कहते है कि जहाँ भी
मातायें होती है ना, तो माताओं की विशेषता है कि उस स्थान का भण्डारा और भण्डारी
भरपूर होती है। माताओं को वरदान है, फुरी- फुरी (बूंद-बूंद) तलाब भरने का। तो मातायें
बहुत भाग्यवान है, बाप की भण्डारी भर देती है। भण्डारा भी भर जाता है। इसलिए माताओं
को बहुत-बहुत मुबारक है। अच्छा - भाई भी कम नहीं है। देखो जहाँ भाई हैं ना, वहाँ
सेवा को चार चाँद लग जाते हैं। भाइयोँ द्वारा आलराउण्ड सेवा होती है। भण्डारा भरपूर
तो करते ही है, लेकिन सेवा बढाने के निमित्त विशेष भाई निमित्त बनते हैं। तो सेवा
की रौनक बढाने वाले भाई हैं। इसलिए बापदादा सभी माताओं को, सभी भाइयोँ को बहुत-बहुत
मुबारक दे रहे हैं। भले पधारे अपने घर में। देखो हाल की रौनक कौन बढाता है ' आप
बच्चे जब आते हैं तो डायमण्ड हाल, डायमण्ड बन जाता है। अच्छा दृश्य लगता है। अच्छा
है दादी को डायमण्ड हाल बहुत पसन्द आ गया है। अच्छा, नचाती अच्छा है। खुश हो जाते
हो ना, जब दादी आके नचाती है तो खुश हो जाते हैं। बहुत अच्छा। अभी एक सेकण्ड में
ड्रिल कर सकते हो? कर सकते हो ना। अच्छा।
चारों ओर के सदा
उमंग-उत्साह में रहने वाले श्रेष्ठ बच्चों को, सदा सहज पुरुषार्थी संगमयुग के सर्व
बरदानी बच्चों को, सदा बाप और मैं आत्मा इसी स्मृति से मैं बोलने वाले, मैं आत्मा,
सदा सर्व आत्माओं को अपने वृत्ति से वायुमण्डल का सहयोग देने वाले ऐसे मास्टर
सर्वशक्तिवान बच्चों को बापदादा का यादप्यार, दुआयें, मुबारक और नमस्ते।
दादियोंसे:-
आप सबसे मधुबन की रौनक है। विशेष आज बाप के साथ उसी समय अवतरण तो आपका भी है। विशेष
आप सबका है, आदि रत्नो का आदि समय में अवतरण है। तो आप लोगों को विशेष मुबारक है।
हैपी बर्थ डे है। एक गीत है ना - आप मधुबन की रौनक हैं। आदि से कुछ तो चल गये,
लेकिन आप अमर हो। (बाबा की दुआयें है, सबकी दुआयें है) यह अच्छा है, ऊपर ही हाथ जाता
है नीचे नहीं जाता है। अच्छा है। दादियोँ को देखकर सभी खुश होते हो ना!
निर्वेर भाई, रमेश
भाई से:-
अच्छा है, पाण्डवों के बिना भी गति नहीँ है। चाहे पाण्डव चाहे शक्तियां सबका संगठन,
संगठन बना रहा है।
डबल विदेशी बडी
बहेनोंसे:-
सभी ने मेहनत अच्छी की है। ग्रुप-ग्रुप बनाया है ना तो मेहनत अच्छी की है। और यहाँ
वायुमण्डल भी अच्छा है, संगठन की भी शक्ति है, तो सबको रिफ्रेशमेंट अच्छी मिल जाती
है और आप निमित्त बन जाते हो। अच्छा है। दूर-दूर रहते हैं ना, तो संगठन की जो शक्ति
होती है वह भी बहुत अच्छी है। इतना सारा परिवार इकट्ठा होता है तो हर एक की विशेषता
का प्रभाव तो पडता है। अच्छा प्लैन बनाया है। बापदादा खुश है। सबकी खुशबू आप ले लेते
हो। वह खुश होते हैं आपको दुआयें मिलती हैं । अच्छा है, यह जो सभी इकट्ठे हो जाते
हो यह बहुत अच्छा है, आपस में लेन देन भी हो जाती है और रिफ्रेशमेंट भी हो जाती है।
एक दो की विशेषता जो अच्छी पसन्द आती है, उसको यूज करते है, इससे सगठन अच्छा हो जाता
है। यह ठीक है।
जयन्ती बहन से:-
अभी थोडा-थोड़ा सेवा में पार्ट लिया क्योंकि खुशी मिलेगी। सबकी दुआयें, वह भी दवा का
काम करेगी। बहुत अच्छा।
डा. निर्मला बहन श्री
लंका जा रही हैं, वहाँ रिट्रीट है अच्छा है उन्हों को रिफ्रेशमेंट चाहिए।
काठमांडू नेपाल की
किरन बहन से:-
प्रकृतिजीत
हो, शिव शक्ति हो, यह थोडा बहुत हिसाब-किताब है, सब चला जायेगा। मजबूत रहना और सभी
नेपाल निवासियो को याद देना, घबराना नहीँ।
बापदादा ने अपने हस्तों
से शिव ध्वज फहराया और 69वीं शिव जयन्ती की बधाइयां दी
आप सबके दिल में तो
बाप की याद का झण्डा लहरा ही रहा है। अभी सारे विध में जो कोने-कोने में सेवा कर रहे
हो, उसकी सफलता निकलनी है जो चारों ओर से यही आवाज आयेगा “मेरा बाबा” आ गया। यही
है, यही है, यही है। वह दिन भी दूर नहीँ है, आना ही है, होना ही है, हुआ ही पडा है।
ऐसे ऐसे माइक तैयार हो रहे हैं। आप माइट देगे और वह माइक बापदादा को प्रत्यक्ष
करेंगे। करना है ना। (बापदादा कोई वी.आई.पी. माइक को सभा में देखकर बोले) यह माइक
बैठी है ना। बढिया माइक है। ऐसें माइक निकालेंगे जो आपको सिर्फ दृष्टि देनी पडेगी।
वही दिन आ रहा है, आ रहा है, आ रहा है। अच्छा। ओम शान्ति।