01-10-2023
प्रात:मुरली ओम् शान्ति 31.12.95 "बापदादा" मधुबन
“फरिश्ता बनकर बापदादा की
छत्रछाया और प्यार की अनुभूति करो''
आज विश्व को सच्चे
डायमण्ड समान चमकाने वाले, प्रकृति को भी डायमण्ड समान चमकाने वाले, विश्व की
आत्माओं में से अपने डायरेक्ट बच्चों को डायमण्ड बनाने वाले, साथ-साथ नये वर्ष के
साथ नव युग, नये विश्व स्थापन करने वाले बाप डायमण्ड बनने वाले बच्चों को देख रहे
हैं। साकार स्वरूप में भी बापदादा के सामने कितने डायमण्ड चमक रहे हैं और विश्व के
कोने-कोने में चारों ओर चमकते हुए डायमण्ड देख रहे हैं। आत्मा सभी के मस्तक में
चमकती हुई डायमण्ड कितनी अच्छी लगती है! सामने से चमकती हुई आत्मा डायमण्ड और इतने
संगठित रूप में चारों ओर डायमण्ड ही डायमण्ड देखने में दृश्य कितना प्यारा लगता है!
तो ये संगठन किसका है? डायमण्ड्स का है ना? चाहे नम्बरवार हैं फिर भी चमक रहे हैं।
चमकते हुए डायमण्ड की सभा बाप के सामने है। आप भी क्या देख रहे हो? डायमण्ड देख रहे
हो ना कि शरीर देख रहे हो? 63 जन्म शरीर को ही देखा लेकिन अभी शरीर में चमकता हुआ
डायमण्ड दिखाई देता है याछिपा हुआ है इसलिए कभी दिखाई देता है, कभी छिप जाता है?
डायमण्ड जुबली है, तो
जुबली में क्या होता है? क्या सजाते हैं? आजकल वैरायटी लाइट्स की सजावट ज्यादा होती
है। आप लोग भी वृक्ष में यहाँ-वहाँ लाइट लगाते हो ना? वो तो एक दिन के लिए जुबली
मनायेंगे या क्रिसमस मनायेंगे या कोई भी उत्सव मनायेंगे लेकिन आप क्या मना रहे हो?
डायमण्ड दिवस कहते हो या डायमण्ड वर्ष कहते हो? (डायमण्ड वर्ष) डायमण्ड वर्ष मना रहे
हो - पक्का? अगर यही सभी का दृढ़ संकल्प है कि डायमण्ड वर्ष मना रहे हैं, तो आपके
मुख में गुलाब-जामुन हो। तो मनाना अर्थात् बनना। तो सारा वर्ष डायमण्ड बनेंगे कि
थोड़ा-थोड़ा दाग़ लगेगा? बापदादा तो बच्चों का उमंग-उत्साह देख पद्मगुणा डबल मुबारक
देते हैं। आज डबल है ना, एक नया वर्ष और दूसरा डायमण्ड जुबली - दोनों का संगठन है।
तो डायमण्ड वर्ष में बापदादा यही विशेषता देखना चाहते हैं कि हर बच्चे को जब देखो,
जिसे देखो तो चमकता हुआ डायमण्ड ही दिखाई दे। मिट्टी के अन्दर वाला डायमण्ड नहीं,
चमकता हुआ डायमण्ड। तो सारे वर्ष के लिए ऐसे डायमण्ड बन गये? क्योंकि संकल्प तो आज
करना है ना कि डायमण्ड बनेंगे भी और देखेंगे भी। चाहे वो दूसरी आत्मा काला कोयला भी
हो, एकदम तमोगुणी आत्मा हो लेकिन आप क्या देखेंगे? कोयला देखेंगे या डायमण्ड?
डायमण्ड देखेंगे, अच्छा। तो आपकी दृष्टि पड़ने से उसका भी कालापन कम होता जायेगा।
डायमण्ड जुबली में यही सेवा करनी है ना? अमृतवेले से लेकर रात तक जितनों के भी
सम्बन्ध-सम्पर्क में आओ तो डायमण्ड बन डायमण्ड देखना है। ये पक्का किया है या
डायमण्ड जुबली मनाना है तो हर स्थान पर सिर्फ दो तीन फंक्शन किया और डायमण्ड जुबली
हो गई? फंक्शन करो, निमंत्रण दो, जगाओ, ये तो करना ही है और कर भी रहे हैं लेकिन
सिर्फ फंक्शन नहीं करने हैं, इस डायमण्ड जुबली में डायमण्ड बन डायमण्ड देखना,
डायमण्ड बनाना, ये रोज़ का फंक्शन है। तो रोज़ फंक्शन करेंगे या दो-चार दिन, सप्ताह
करेंगे?
इस वर्ष में बापदादा
की विशेष यही सभी बच्चों के प्रति शुभ आशा कहो वा श्रेष्ठ श्रीमत कहो कि डायमण्ड के
बिना और कुछ नहीं बनना है। कुछ भी हो जाये डायमण्ड में दाग़ नहीं लगाना। अगर किसी
भी विघ्न के वश हो गये या स्वभाव के वश हो गये तो दाग़ लग गया। विघ्न तो आने चाहिए
ना! विघ्न-विनाशक टाइटल है तो विघ्न आयेंगे तब तो विनाश होंगे? अगर कोई विजयी कहे
कि दुश्मन नहीं आवे लेकिन मैं विजयी हूँ तो कोई मानेगा? नहीं। तो विघ्न तो आयेंगे,
चाहे प्रकृति के, चाहे आत्माओं के, चाहे अनेक प्रकार की परिस्थितियों के विघ्न
आयेंगे लेकिन आप डायमण्ड ऐसे पावरफुल हो जो दाग़ का प्रभाव नहीं पड़े। ये हो सकता
है?
यह डायमण्ड जुबली
वर्ष महान् वर्ष है। जैसे कोई विशेष मास मनाते हैं ना, तो ये डायमण्ड जुबली वर्ष
महान् वर्ष है। बापदादा इस वर्ष में सभी को चलता-फिरता फरिश्ता देखना चाहते हैं। कई
कहते हैं कि आत्मा को देखने की कोशिश तो करते हैं लेकिन आत्मा बहुत छोटी बिन्दी है
ना तो शरीर दिखाई दे देता है। तो बापदादा कहते हैं चलो बिन्दी खिसक जाती है लेकिन
फरिश्ता रूप तो लम्बा-चौड़ा शरीर है, वो तो बिन्दी नहीं है ना! फरिश्ता माना लाइट
का आकार। तो फरिश्ते स्वरूप में स्थित होकर हर कर्म करो। ऐसा नहीं है कि फरिश्ता
रूप में कर्म नहीं कर सकते हो। कर सकते हो कि साकार चाहिये? क्योंकि साकार शरीर से
बहुत जन्मों का प्यार है। तो भूलना चाहते हैं लेकिन भूल नहीं पाते। तो बाप कहते हैं
अच्छा अगर आपको शरीर को ही देखने की आदत पड़ गई है तो कोई हर्जा नहीं, अभी लाइट का
शरीर देखो। शरीर ही चाहिए तो फरिश्ता भी शरीरधारी है। और आप सभी कहते भी हो कि
शिवबाबा और ब्रह्मा बाबा से बहुत प्यार है। तो प्यार का अर्थ है समान बनना। तो जैसे
ब्रह्मा बाबा फरिश्ता रूप है, ऐसे ब्रह्मा बाप समान फरिश्ता स्वरूप में स्थित होकर
हर कर्म करो क्योंकि जब डायमण्ड जुबली मना रहे हो, स्थापना के 60 वर्ष सम्पन्न हुए,
तो विशेष स्थापना के निमित्त शिव बाप तो है लेकिन निमित्त ब्रह्मा बाबा बना। आप भी
अपने को शिव कुमार और शिव कुमारी नहीं कहते हो। ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी कहते
हो। तो ब्रह्मा बाप के स्थापना के कार्य की जुबली मना रहे हो। तो जिसकी जुबली मनाई
जाती है उसको क्या दिया जाता है? (गिफ्ट) तो आप सभी गिफ्ट देंगे? कि ये गुलाब का
पुष्प ले आकर देंगे और कहेंगे कि गिफ्ट हो गई। कोई हाथी ले आयेगा, कोई घोड़ा ले
आयेगा, ये गिफ्ट तो है मनोरंजन। ये मनोरंजन भी अच्छा है। सभी देखकरके खुश होते हैं।
आज घोड़ा नाच रहा है, आज कोई मनुष्य नाच रहा है, खिलौने देखकर खुश होते हैं। वो भले
लाना लेकिन ब्रह्मा बाप को दिल पसन्द गिफ्ट कौन-सी देंगे? देखो, किसी को भी गिफ्ट
दी जाती है तो देखा जाता है इसको क्या पसन्द है? देखते हैं कि यह ये पसन्द करेगा या
नहीं करेगा? तो ब्रह्मा बाप को क्या प्रिय है? कौन-सी गिफ्ट उसको अच्छी लगती है?
बाप के दिल पसन्द गिफ्ट है चलता-फिरता फरिश्ता स्वरूप। तो फरिश्ता समान बन जाओ।
फरिश्ते रूप में कोई भी विघ्न आपको प्रभाव नहीं डालेगा। आपके संकल्प, वृत्ति, दृष्टि
- सब डबल लाइट हो जायेंगे। तो गिफ्ट देने के लिए तैयार हो? (हाँ जी) देखना आपका टेप
भी हो रहा है। अच्छी बात है गोल्डन दुनिया को लाने के लिए फरिश्ते बनेंगे तो जैसे
हीरा चमकता है ऐसे आपका फरिश्ता रूप चमकेगा। ये अभ्यास अच्छी तरह से करते रहो।
अमृतवेले उठते स्मृति
में लाओ - मैं कौन? फरिश्ता हूँ। संकल्प तो करते हो और चाहते भी हो, फिर भी जब अपनी
रिजल्ट देखते हो वा लिख करके भी देते हो, तो मैजॉरिटी कहते हो कि जितना चाहते हैं
उतना नहीं हुआ। 50 परसेन्ट हुआ, 60 परसेन्ट हुआ। तो डायमण्ड जुबली में भी ऐसे
परसेन्टेज़ में होंगे या फुल में होंगे? क्या होगा? डबल फारेनर्स बोलो परसेन्टेज़
होगी? हाँ या ना? थोड़ा-थोड़ा छुट्टी दें! शक्तियों में परसेन्टेज होगी? हाँ उमंग
से नहीं करते, सोच के करते हैं। डबल विदेशी या भारत वाले अगर परसेन्टेज़ के बिना
फुल पास हो गये तो ब्रह्मा बाबा पता है क्या करेगा? (शाबास देंगे) बस, सिर्फ शाबास
दे देगा! और क्या करेगा? रोज़ आपको अमृतवेले अपनी बाहों में समा लेगा। आपको महसूसता
होगी कि ब्रह्मा बाबा की बाहों में, अतीन्द्रिय सुख में झूल रहे हैं। बड़ी-बड़ी भाकी
मिलेगी। ब्रह्मा बाबा का बच्चों के साथ बहुत प्यार है ना, तो अमृतवेले भाकी मिलेगी
और सारा दिन क्या मिलेगा? जैसे चित्रों में दिखाते हैं ना, कि जब तूफान आया, पानी
बढ़ गया तो सांप छत्रछाया बन गया। उन्हों ने तो श्रीकष्ण के लिए स्थूल बात दिखा दी
है लेकिन वास्तव में ये है रुहानी बात। तो जो फरिश्ता बनेगा उसके सामने अगर कोई भी
परिस्थिति आई या कोई भी विघ्न आया तो बाप स्वयं आपकी छत्रछाया बन जायेंगे। करके देखो
क्योंकि ऐसे ही बापदादा नहीं कहते हैं। अच्छा।
जिन बच्चों की
डायमण्ड जुबली है वो हाथ उठाओ। अभी डायमण्ड जुबली वालों से बापदादा बात करते हैं,
आप लोगों ने 14 वर्ष में योग तपस्या की तो विघ्न कितने आये लेकिन आपको कुछ हुआ? तो
बापदादा छत्रछाया बना ना, कितनी बड़ी-बड़ी बातें हुई। सारी दुनिया, मुखी, नेतायें,
गुरु लोग सब एन्टी हो गये, एक ब्रह्माकुमारियाँ अटल रही, प्रैक्टिकल में बेगरी लाइफ
भी देखी, तपस्या के समय भिन्न-भिन्न विघ्न भी देखे। बन्दूक भी आई तो तलवारें भी आई,
सब आया लेकिन छत्रछाया रही ना। कोई नुकसान हुआ? जब पाकिस्तान हुआ तो लोग हंगामें
में डरकर सब छोड़कर भाग गये। और आपका टेनिस कोर्ट सामान से भर गया क्योंकि जो अच्छी
चीज़ लगती थी, वो छोड़ें कैसे, उससे प्यार होता है ना, तो जो सिन्धी लोग उस समय
एन्टी थे वो गाली भी देते थे और सामान भी दिया। जो बढ़िया-बढ़िया चीज़ें थी वो हाथ
जोड़कर देकर गये कि आप ही यूज़ करो। तो दुनिया वालों के लिए हंगामा था और
ब्रह्माकुमारियों के लिए पांच रूपये में सब्जियों की सारी बैलगाड़ी थी। पांच रुपये
में सब्जियाँ। आप कितने मज़े से सब्जियाँ खाते थे। तो दुनिया वाले डरते थे और आप
लोग नाचते थे। तो प्रैक्टिकल में देखा कि ब्रह्मा बाप, दादा - दोनों ही छत्रछाया बन
कितना सेफ्टी से स्थापना का कार्य किया। तो जब इन्हों को अनुभव है तो क्या आप अनुभव
नहीं कर सकते? पहले आप। जो चाहे, जितना चाहे इस डायमण्ड वर्ष में छत्रछाया का और
ब्रह्मा बाप के प्यार का प्रैक्टिकल अनुभव कर सकते हो। ये इस वर्ष को वरदान अर्थात्
सहज प्राप्ति है। ज्यादा पुरुषार्थ नहीं करना पड़ेगा। पुरुषार्थ से थक जाते हो ना।
जब कोई पुरुषार्थ करके थक जाता है तो उस समय बापदादा उसका चेहरा देखते हैं, रहम भी
बहुत आता है। तो अभी क्या करेंगे? क्या बनेंगे? फरिश्ता। फरिश्ता रूप में चलना-फिरना,
यही डायमण्ड बनना है क्योंकि जो बहुत कीमती, मूल्यवान, बेदाग़ डायमण्ड होता है उसकी
निशानी क्या होती है? उसे लाइट के आगे रखो तो चमकेगा और जब चमकता है तो उससे किरणें
निकलती हैं, उसमें भिन्न-भिन्न रंग दिखाई देते हैं। तो जब आप रीयल डायमण्ड बनेंगे,
फरिश्ता बन जायेंगे तो आपके फरिश्ते स्वरूप से ये अष्ट शक्तियाँ दिखाई देंगी। जैसे
वो रंग किरणों के रूप में दिखाई देते हैं, ऐसे आप डायमण्ड अर्थात् फरिश्ता रूप बनो
तो चलते-फिरते आप द्वारा अष्ट शक्तियों के किरणों की अनुभूति होगी। कोई को आपसे
सहनशक्ति की फीलिंग आयेगी, कोई को आपसे निर्णय करने के शक्ति की फीलिंग आयेगी, कोई
से क्या, कोई से क्या शक्तियों की फीलिंग आयेगी। आप जितना ज्यादा अभ्यास करेंगे,
मानो अभी कल से नया वर्ष भी शुरू होगा और डायमण्ड जुबली भी शुरू होगी तो कल से
अर्थात् पहला मास जो जनवरी है, उस एक मास में आप फरिश्ता रूप में अभ्यास करेंगे और
दूसरा मास आयेगा उसमें आपका अभ्यास और बढ़ेगा, तीसरे मास में और बढ़ेगा और
जितना-जितना बढ़ता जायेगा ना उतना-उतना आप द्वारा औरों को महसूसता होगी। समझा? तो
ये है ब्रह्मा बाप की गिफ्ट। सभी देंगे या कोई-कोई देगा?
अच्छा, मधुबन वाले भी
गिफ्ट देंगे ना! मधुबन वाले तो हाँ जी में होशियार हैं। (ज्ञान सरोवर में भी मुरली
सुन रहे हैं) ज्ञान सरोवर वाले फरिश्ते बन जायेंगे और ये जो ट्रांसलेट कर रहे हैं,
माइक वाले, लाइट वाले, सभी को डबल लाइट, फरिश्ता बनना है। मुश्किल तो नहीं लगता है?
63 जन्म इस शरीर से प्यार है, तो मुश्किल नहीं होगा? जो दृढ़ निश्चय रखते हैं तो
निश्चय की विजय कभी टल नहीं सकती। चाहे पांच ही तत्व या आत्मायें कितना भी सामना करें
लेकिन वो सामना करेंगे और आप समाने की शक्ति से उस सामना को समा लेंगे क्योंकि अटल
निश्चय है। ये 60 वर्ष जो स्थापना के चले इसमें भी आदि से कमाल ब्रह्मा बाप और
अनन्य बच्चों का रहा। कभी निश्चय में हलचल नहीं हुई। विजय हुई पड़ी है, यही बोल सदा
ब्रह्मा बाप के रहे।
तो आज विशेष ब्रह्मा
बाप ने सभी बच्चों को विशेष मुबारक और बहुत-बहुत प्यार दिया। जितने भी हो, चाहे चार
लाख हो, चाहे 14 लाख हो, लेकिन ब्रह्मा बाप की भुजायें इतनी बड़ी हैं जो 14 लाख भी
एक साथ भुजाओं में समा सकते हैं इसीलिये परम आत्मा का भक्ति मार्ग में विराट रूप
दिखाते हैं, जिसमें सब समाये हुए हैं। तो सभी ब्रह्मा बाप की भुजाओं में समाये हुए
हो। कुछ भी हो, जैसे छोटा बच्चा क्या करता है, अगर कोई उसको कुछ भी कहता है या कुछ
भी होता है तो वह माँ या बाप की बाहों में समा जायेगा। ऐसे होता है ना! तो आप भी ऐसे
करो। बच्चे हो ना कि अभी बड़े हो गये हो? 100 साल का भी बाप के आगे तो छोटा बच्चा
ही है। तो आपको भी कुछ भी हो ना, बस ब्रह्मा बाप की बाहों में समा जाओ, बस। ये तो
सहज है ना? अच्छा।
चारों ओर के चमकते
हुए सच्चे डायमण्ड्स को, सदा निश्चय और दृढ़ संकल्प द्वारा स्वयं को सच्चा डायमण्ड
बनाए औरों को बनाने वाले, सदा बापदादा के समान डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप में स्थित
होने वाले श्रेष्ठ आत्मायें, सदा बाप और सेवा दोनों में बिज़ी रहने वाले मायाजीत सो
विश्व के राज्य-भाग्य जीत, ऐसे संगमयुगी डायमण्ड्स को बापदादा का याद-प्यार और
नमस्ते।
वरदान:-
सदा सेफ्टी के
स्थान पर रह निर्भय और निश्चिंत रहने वाले बापदादा के दिलतख्तनशीन भव
बापदादा का दिलतख्त
सर्वश्रेष्ठ स्थान है। जो सदा बाप के दिलतख्तनशीन रहते हैं वो ही सेफ रहते हैं। उनके
पास माया आ नहीं सकती। ऐसी दिलतख्तनशीन आत्मा निर्भय है, निश्चिंत है - यह निश्चित
है, अटल है। तो दिलतख्त पर बैठ जाओ। इसी नशे में रहो कि अभी हम बापदादा के
दिलतख्तनशीन हैं और अनेक जन्म राज्य तख्तनशीन बनेंगे। इस रूहानी नशे में रहने से
दु:ख की लहर आ नहीं सकती।
स्लोगन:-
बुद्धि पर किसी भी प्रकार का बोझ न हो तब कहेंगे डबल लाइट फरिश्ते।
इस मास की सभी मुरलियाँ
(ईश्वरीय महावाक्य) निराकार परमात्मा शिव ने ब्रह्मा मुखकमल से अपने ब्रह्मावत्सों
अर्थात् ब्रह्माकुमार एवं ब्रह्माकुमारियों के सम्मुख 18-1-1969 से पहले उच्चारण की
थी। यह केवल ब्रह्माकुमारीज़ की अधिकृत टीचर बहनों द्वारा नियमित बीके विद्यार्थियों
को सुनाने के लिए हैं।