ओम् शान्ति।
मीठे-मीठे बच्चों ने गीत सुना। अब हम मात-पिता को पतित-पावन तो कहते ही हैं। बच्चे
जानते हैं कि जन्म-जन्मान्तर के पापों की गठरी उतरनी है, कैसे? सिर्फ मात-पिता को
याद करने से। पुकारते शिवबाबा को ही हैं। ऊंच ते ऊंच ज्ञान बाप समझाते रहते हैं।
बच्चे वर्सा लेते हैं बाप से। परन्तु जब तक एडाप्ट न करे, मुख वंशावली न बने तो
बच्चे कैसे कहलावे। भक्ति मार्ग वाले तो सिर्फ गाते हैं, तुम यहाँ सम्मुख बैठे हो।
बाप कहते हैं अब मैं आया हूँ तुम्हारी जन्म-जन्मान्तर की गठरी को उतारने की राय देने,
श्रीमत पर चलाने। यह बाबा नहीं कहते, शिवबाबा कहते हैं - मेरे लाडले सिकीलधे बच्चे,
समझते हो बरोबर पतित-पावन बाप ही पापों की गठरी उतारने का मार्ग अथवा पतित से पावन
बनाने का मार्ग बताते हैं। जैसे सुभाष मार्ग नाम रखते हैं ना। यह है पतित से पावन
बनने का मार्ग। बाप कहते हैं - मीठे-मीठे बच्चे, मैं तुमको मार्ग बताने आया हूँ।
मनुष्य पुकारते रहते हैं - हे पतित-पावन आओ और आकर पतित से पावन बनाने का मार्ग
बताओ। तुम्हें अभी वह मार्ग कौन बताते हैं? मोस्ट बील्वेड बाप। साधू आदि साधना करते
हैं मुक्ति में जाने लिए, परन्तु जा नहीं सकते। जब दुनिया पतित होती है तब पावन
दुनिया का मार्ग बताने बाप को आना पड़ता है। कोई भी मनुष्य मुक्ति-जीवनमुक्ति का
मार्ग बता न सके। तो श्रीमत पर चलना चाहिए। सब संग तोड़ना है। सर्व धर्मानि परित्यज,
मामेकम्... देह के जो भी सब धर्म हैं, सभी छोड़ अपने को आत्मा समझो। मैं फलाना हूँ,
यह मेरी मिलकियत है - यह सब छोड़ अपने को आत्मा समझो और निरन्तर पुरुषार्थ करो, मेरे
को याद करो। मैं शुभ मार्ग बताता हूँ। इन जैसा शुभ मार्ग कोई होता नहीं है। अब यह
दु:ख का नाटक पूरा होता है। अभी भी यह दु:ख का पार्ट बजाना चाहते हो क्या? तो और ही
दु:खी होंगे। यहाँ कोई भी मनुष्य सुखी नहीं है। अकाले मृत्यु आदि कितनी दु:ख की बातें
हैं। कोई एक विरला बड़ी आयु वाले हैं, बाकी तो रोगी बन पड़ते हैं।
बाप कहते हैं मैं गाइड बनकर आया हूँ। अब मात-पिता को याद करो। श्रीमत पर चलने से
तुम्हारे ऊपर कितनी आशीर्वाद होती है जो तुम सब भाग्यशाली बन जाते हो। बाप कहते हैं
तुम विश्व का मालिक बनने वाले हो। बेहद के बाप से विश्व का मालिकपना लेना कोई कम
बात थोड़ेही है! पैसे के लिए कितना ठगी आदि करते हैं। यहाँ ऐसी कोई बात नहीं। बाप
कहते हैं मुझे याद करो तो सदैव के लिए निरोगी बन जायेंगे। 21 जन्म के लिए कितना भारी
वर्सा देते हैं! ऐसे बाप से भक्ति मार्ग में प्रतिज्ञा करते आये हो। तुम पर कुर्बान
जायेंगे, फिर आपसे स्वर्ग का वर्सा लेंगे। अब तुम जानते हो - हम अपने मोस्ट बील्वेड
बाप के पास बैठे हैं। बाप निराकार, निरहंकारी गाया हुआ है। कितना ऊंच ते ऊंच बाप
है। जब भक्ति पूरी होती है तब भक्ति मार्ग का फल देने लिए मैं आता हूँ। वह भी बताते
हैं - मेरे सच्चे-सच्चे भक्त कौन हैं! जो पहले-पहले पूज्य थे, भगवान-भगवती थे, फिर
ऊपर से नीचे आये हैं, सतो-रजो-तमो में आते-आते अब बिल्कुल ही जड़जड़ीभूत हो गये
हैं। तुम जानते हो हम सो विश्व के मालिक थे। भारत की बड़ी महिमा है इसलिए सब भारत
को मदद करते हैं। जानते हैं भारत पहले बहुत साहूकार था। अब गरीब हो गया है तो सबको
तरस पड़ता है। भारत को बहुत गरीब समझकर मदद करते हैं। कोई बहुत साहूकार होते हैं और
फिर गरीब बन पड़ते हैं तो उनको दान देने लिए सबकी दिल होती है। बाप कहते हैं
भारतवासी कितने मूँझे हुए हैं। शिव जयन्ती मनाते हैं, परन्तु जानते नहीं कि शिवबाबा
कब आया, क्या आकर किया। जरूर बाप वर्सा लेकर आया होगा। स्वर्ग का मालिक बनाया होगा।
कहते हैं मैं बच्चों को सदा सुखी बनाकर, तख्त देकर वानप्रस्थ में चला जाता हूँ। मैं
कोई तमन्ना नहीं रखता हूँ। विश्व का राज्य पाने लिए मैं मालिक नहीं बनता हूँ। ऐसे
बील्वेड बाप को कैसे पकड़ना चाहिए। हाथ से पकड़ने की बात नहीं। बुद्धि से पकड़ने की
बात है। सबको अपने घर गृहस्थ में भी रहना है। बच्चों की पालना भी करनी है। यह है
बेहद का संन्यास। देह सहित जो कुछ है उनको छोड़ना है। यहाँ हरेक चीज़ जड़जड़ीभूत
तमोप्रधान है। दु:ख देने वाली है। तत्व भी दु:ख देते हैं। बरसात न पड़ी फेमन हो जाता
है। बाढ़ आ जाती है। वहाँ तो यह तत्व आदि सब तुम्हारे ऑर्डर में रहेंगे। पाँच तत्व
भी तुम्हारी अवज्ञा नहीं करेंगे।
अभी तुम बच्चे बाप से दुआयें ले रहे हो। दुआयें मिलेगी श्रीमत पर। बाप की श्रीमत
पर मददगार बनो फिर मुझे याद करो। परन्तु रहो कमल फूल समान। बस, याद से ही तुम इस
भारत को स्वर्ग बना देंगे। बाप कहते हैं तुम सिर्फ पवित्र बनो। ऐसे नहीं कि सब
मनुष्य अंगुली देंगे। जो कल्प पहले श्रीमत पर बाप के मददगार बने हैं, वही बनेंगे।
यह फ़खुर होना चाहिए हम परमपिता परमात्मा के राइट हैण्ड बनते हैं! राइट हैण्ड बनने
से पूरा राइटियस बन जायेंगे। विजय माला में पिरो जायेंगे। है बहुत सहज। इसमें कोई
हठयोग आदि नहीं कराते हैं। नाटक पूरा हुआ, 84 जन्मों का पार्ट पूरा हुआ। अभी छी-छी
कपड़ा छोड़ना है। अब मुझे याद करते-करते शान्तिधाम में आ जायेंगे। पहले वहाँ निवास
करेंगे फिर तुमको सुख के सम्बन्ध में भेज देंगे। बरोबर हम आत्मायें वहाँ से आती
हैं। वह स्वीट होम तो सब भूल गये हैं। मनुष्य काशी कलवट खाते हैं। समझते हैं यहाँ
दु:ख है, हम जाते हैं शिव के पास। परन्तु शिव-बाबा के पास पहुँच नहीं सकते। यहाँ तो
तुम बच्चों को पढ़ाते हैं। तुम कमाई करते हो। पहले बाबा के बच्चे बनते हो। बाबा
पढ़ाना शुरू करते हैं फिर तुमको वापिस ले जाते हैं फिर स्वर्ग में भेज देते हैं।
प्रजापिता ब्रह्मा तो जरूर यहाँ चाहिए ना। तो तुम समझा सकते हो - हम हैं
ब्रह्माकुमार कुमारियाँ। ब्रह्मा है शिवबाबा का बच्चा। शिवबाबा हमारा दादा है। वर्सा
दादे से मिलता है। वह है स्वर्ग का रचयिता। उनसे ही स्वर्ग का वर्सा मिलना है इसलिए
बाबा की मत पर चलना है। उनसे आशीर्वाद लेनी है। आज्ञाकारी बच्चे ही आशीर्वाद लेने
के हकदार हैं। बाप कहते हैं कपूत नहीं लेकिन सपूत बनो। बाबा का हाथ पूरा पकड़ लो।
तुमको बहुत आराम से ले जाते हैं। सब आत्माओं को पंख मिल जाते हैं। तुम जितना बाप को
याद करेंगे उतना उड़ने के पंख मिलते जायेंगे। सजा खाने वाले थोड़ेही ऊंच पद पायेंगे।
श्रीमत पर चलो फिर सजा के लायक नहीं बनेंगे। पास विद आनर होने के लिए पुरुषार्थ करना
चाहिए। मम्मा-बाबा के ऊपर भी जीत पानी होती है। बाप बार-बार कहते हैं - बच्चे, बाप
से मुख नहीं मोड़ना। कोई सेन्टर स्थापन करते, खूब सेवायें करते, कोई फिर चलते-चलते
रूठ जाते हैं, सम्पूर्ण तो कोई बने नहीं हैं। कोई न कोई खिट-खिट होती है। परन्तु कभी
भी बाप को छोड़ना नहीं है। बाबा, हम आपके हैं, आपसे वर्सा लेते हैं। गृहस्थ व्यवहार
को भी सम्भालना है। यह कोई वह संन्यास नहीं है। तुमने बच्चों को रचा है तो उनकी
पालना भी करनी है। उनमें भी कपूत और सपूत जरूर होंगे। कपूत बच्चे सबको तंग करेंगे।
बाप कहते हैं तुम सबको पारलौकिक बाप का परिचय दो। बोलो - ओ गॉड फादर कहते हो, फिर
सर्वव्यापी कैसे हो सकता है? कहते ही हैं पतित-पावन, गॉड फादर... तो जरूर पतित
दुनिया है और पावन दुनिया भी है। सभी आत्माओं का बाप वह एक है। अभी तुम जानते हो हम
उस बाप के सामने बैठे हैं जो हमको पतित से पावन बनाकर आशीर्वाद देते हैं - चिरन्जीवी
रहो। वहाँ तुमको काल खा नहीं सकता। तो बाप कहते हैं श्रीमत पर चलो। सबको सुख दो।
बाप आये ही हैं सबको सुखी बनाने। सुख और शान्ति दोनों वर्सा देते हैं। वहाँ तो माया
ही नहीं, तो दु:ख कहाँ से आया? यहाँ तो एक दो में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। बाप आये
हैं - सुखधाम-शान्तिधाम का मालिक बनाने। उसके लिए तुम पढ़ते हो। बाप ने सभी प्रबन्ध
रखे हैं। है तो सब बच्चों का ही। बाप कहते हैं मैं तुम्हारा सर्वेन्ट हूँ। बच्चे
कहते हैं - शिव बाबा, हमारे नाम पर मकान बना लेना। अच्छा, जो हुक्म। बाप भी कहते
हैं जो हुक्म बच्चों का। शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा ही तुम्हारे लिए बनवा रहे हैं। सब
कुछ शिवबाबा ही करते हैं। बाबा ने कहा है चिट्ठी भी लिखो तो शिवबाबा केयर ऑफ ब्रह्मा।
यह आदत पड़ जानी चाहिए। शिवबाबा को याद करने से कितने पाप कटते हैं। बाबा युक्तियाँ
बताते रहते हैं। शिवबाबा केयर ऑफ ब्रह्मा। बहुत सहज है ना। नाम ही है सहज राजयोग और
सहज ज्ञान। बाप है ज्ञान का सागर, नॉलेजफुल... सारी सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज़
बताते हैं। यह भी सेकेण्ड की बात है। अब भारत-वासियों पर राहू की दशा बदलकर बृहस्पति
की दशा बैठती है।
बाप कहते हैं बच्चे दुआयें ले लो तो तुम्हारे पाप की गठरी उतरे। मामेकम् याद करने
की प्रैक्टिस करो। उठते-बैठते, चलते-फिरते बाप कहते हैं मुझ मोस्ट बील्वेड बाप को
याद करो। तुमको कैसा वर्सा देता हूँ! तो माँ-बाप से दुआयें लेने के लायक बनना चाहिए।
इसने (ब्रह्मा ने) भी लौकिक बाप की बहुत दुआयें ली है। बाप की बहुत सेवा की है।
पिछाड़ी में कहा काशी में निवास कराओ। अच्छा बाबा चलो। वहाँ बिठाकर नौकर-चाकर सब
दिये। वहाँ ही उनकी मनोकामना पूरी हुई। बाबा की आशीर्वाद मिली ना। सबकी सर्विस की
तो आशीर्वाद मिली। माँ-बाप की आशीर्वाद आगे बढ़ाती है। अभी है बेहद की बात इसलिए
सपूत बच्चे बन आशीर्वाद लेनी है। तो श्रीमत पर चलते रहो और सबको मार्ग बताओ।
भारतवासी स्वर्ग के मालिक बने थे। अभी बाबा आया है वर्सा देने। कहते हैं सिर्फ मुझ
बाप को याद करो और किसके नाम-रूप में नहीं फँसना है। देही अभिमानी बन बाप को याद करो
तो बेड़ा पार हो जायेगा। तुम मात-पिता हम बालक तेरे... अब वह मात-पिता सामने बैठे
हैं। बाबा बरोबर आप कल्प पहले आये थे। कल्प-कल्प भी आप ऐसे आते हो। यह हम जानते हैं
और कोई नहीं जानते हैं। तुम 84 जन्म के चक्र को जान गये हो। अभी बाप से आशीर्वाद
लेने में भूल न करो। यह बड़ी जबरदस्त आशीर्वाद है। बाप तुम बच्चों को विश्व का
मालिक बनाकर खुद निर्वाणधाम में बैठ जाते हैं। यह खुद इस सृष्टि का सुख नहीं लेते
हैं। अच्छा! बाप कहते हैं विस्तार से क्या सुनाऊं। थोड़ी-सी बात सिर्फ समझ लो - तुम
बाप को याद करना भूल जाते हो। गाँठ बाँध लो। मनुष्य कोई बात याद करने लिए गाँठ बाँध
लेते हैं तो भूलता नहीं है। तो यह भी भूलना नहीं है।
सेन्टर खोलने वालों को कितनी आशीर्वाद मिलती है! स्वर्ग के फाउण्डर को सब कितना
याद करते हैं! ओ गॉड फादर, मर्सी ऑन मी। वह है सर्व का सद्गतिदाता, शान्ति दाता.....।
बाप कैसे बैठ बच्चों की सेवा करते हैं। कितना ऊंच ते ऊंच बनाते हैं। कोई को भी पता
नहीं पड़ता कि बाप इन्हों को क्या बनाते हैं। बाप बच्चों की सेवा में उपस्थित है,
बहुत निरहंकारी है, बच्चे किस्म-किस्म के हैं तो भी कहते हैं भावी ऐसी बनी हुई है।
बाप कहते हैं मेरी एक्ट हू-ब-हू कल्प पहले मुआफिक चलती है। गाँधी अथवा नेहरू भी
चाहते थे कि वन ऑलमाइटी अथॉरिटी गवर्मेन्ट हो। अब यह कार्य बाप कर रहे हैं।
आहिस्ते-आहिस्ते जानते जायेंगे। परन्तु टू लेट होते जायेंगे। कर्मातीत अवस्था हुई
तो यह शरीर नहीं रहेगा। पिछाड़ी में आने वालों को बहुत अच्छा पुरुषार्थ करना पड़ेगा
और ऐसे भी पिछाड़ी में आने वाले बहुत तीखे जाते हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद, प्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की श्रीमत पर पूरा चल बाप का राइट हैण्ड बन पूरा राइटियस बनना
है। बाप का पूरा मददगार बनना है।
2) मात-पिता की आशीर्वाद आगे बढ़ाती है इसलिए आज्ञाकारी बन आशीर्वाद लेनी है।
बाप समान निरहंकारी बनना है।