14-03-06 प्रात:मुरली ओम् शान्ति
"बापदादा" मधुबन
‘‘परमात्म मिलन की अनुभूति
के लिए उल्टे मैं पन को जलाने की होली मनाओ, दृष्टि की पिचकारी द्वारा
सर्व आत्माओं को सुख,
शान्ति, प्रेम, आनन्द का रंग लगाओ’’
आज होलीएस्ट बाप अपने
होली बच्चों से मिलन मना रहे हैं। चारों ओर के होली बच्चे दूर बैठे भी समीप हैं।
बापदादा ऐसे होली अर्थात् महान पवित्र बच्चों के मस्तक पर चमकता हुआ भाग्य का सितारा
देख रहे हैं। ऐसे महान पवित्र सारे कल्प में और कोई नहीं बनता। इस संगमयुग पर
पवित्रता का व्रत लेने वाले भाग्यवान बच्चे भविष्य में डबल पवित्र शरीर से भी
पवित्र और आत्मा भी पवित्र बनते हैं। सारे कल्प में चक्र लगाओ चाहे कितनी भी महान
आत्मायें आये हैं लेकिन शरीर भी पवित्र और आत्मा भी पवित्र,ऐसा पवित्र न धर्म आत्मा
बने हैं, न महात्मा बने हैं। बापदादा को आप बच्चों के ऊपर नाज़ है वाह! मेरे महान
पवित्र बच्चे वाह! डबल पवित्र, डबल ताजधारी भी कोई नहीं बनता, डबल ताजधारी भी आप
श्रेष्ठ आत्मायें बनती हैं। अपना वह डबल पवित्र डबल ताजधारी स्वरूप सामने आ रहा है
ना। इसलिए आप बच्चों की जो इस संगमयुग में प्रैक्टिकल जीवन बनी है, उस एक-एक जीवन
की विशेषता का यादगार दुनिया वाले उत्सव के रूप में मनाते रहते हैं। आज भी आप सभी
स्नेह के विमान में होली मनाने के लिए पहुँच गये हो। होली मनाने आये हो ना!आप सभी
ने अपने जीवन में पवित्रता की होली मनाई है, हर आध्यात्मिक रहस्य को दुनिया वालों
ने स्थूल रूप दे दिया है। क्योंकि बाडी कान्सेस हैं ना। आप सोल कान्सेस वाले हैं,
आध्यात्मिक जीवन वाले हैं और वह बाडी कान्सेस वाले हैं। तो सब स्थूल रूप ले लिया।
आपने योग अग्नि द्वारा अपने पुराने संस्कार स्वभाव को भस्म किया, जलाया और दुनिया
वाले स्थूल आग में जलाते हैं। क्यों? पुराने संस्कार जलाने के बिना न परमात्म संग
का रंग लग सकता, न परमात्म मिलन का अनुभव कर सकते। तो आपके जीवन की इतनी वैल्यु है
जो एक-एक कदम आपका उत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्यों? आपने पूरा संगमयुग
उत्साह उमंग की जीवन बनाई है। आपकी जीवन का यादगार एक दिन का उत्सव मना लेते हैं।
तो सभी की ऐसी सदा उत्साह, उमंग, खुशी की जीवन है ना! है या कभी-कभी है? सदा उत्साह
है वा कभी-कभी है? जो समझते हैं कि सदा उत्साह में रहते हैं, खुशी में रहते हैं,
खुशी हमारे जीवन का विशेष परमात्म गिफ्ट है, ऐसे अनुभव होता है? कुछ भी हो जाए
लेकिन ब्राह्मण जीवन की खुशी, उत्साह, उमंग जा नहीं सकता। बापदादा हर बच्चे का चेहरा
सदा खुशनुम: देखने चाहते हैं क्योंकि आप जैसा खुशनसीब न कोई बना है, न बन सकता है।
भिन्न-भिन्न वर्ग वाले बैठे हो तो ऐसा अनुभवी मूर्त बनने का स्व प्रति प्लैन बनाया
है?
बापदादा खुश होते
हैं, आज फलाना वर्ग, फलाना वर्ग आये हैं, वेलकम। मुबारक हो आये हैं। सेवा का उमंग
उत्साह अच्छा है। लेकिन पहले स्व का प्लैन, बापदादा ने देखा है प्लैन्स सभी वर्ग
वाले एक दो से आगे बनाते हैं और बहुत अच्छे बनाते हैं, साथ-साथ स्व उन्नति का प्लैन
बनाना बहुत आवश्यक है।बापदादा यही चाहते हैं हर वर्ग स्व-उन्नति के प्रैक्टिकल
प्लैन बनाये और नम्बर लेवे। जैसे संगठन में इकट्ठे होते हो, चाहे फॉरेन वाले, चाहे
देश वाले मीटिंग करते हो, प्लैन बनाते हो, बापदादा उसमें भी राजी है लेकिन जैसे
उमंग-उत्साह से संगठित रूप में सेवा का प्लैन बनाते हो ऐसे ही इतने ही उमंग-उत्साह
से स्व-उन्नति का नम्बर और अटेन्शन देके बनाना है। बापदादा सुनने चाहते हैं कि इस
मास में इस वर्ग वालों ने स्व-उन्नति का प्लैन प्रैक्टिकल में लाया है? जो भी वर्ग
वाले आये हैं वह हाथ उठाओ। सब वर्ग वाले। अच्छा इतने आये हैं, बहुत आये हैं। सुना
है 5-6 वर्ग आये हैं। बहुत अच्छा भले आये। अभी एक लास्ट टर्न रहा हुआ है, बापदादा
ने होम वर्क तो दे ही दिया था। बापदादा तो रोज रिजल्ट देखते हैं, आप समझेंगे बापदादा
हिसाब लेगा लास्ट टर्न में, लेकिन बापदादा रोज देखते हैं, अभी भी और 15 दिन हैं। इस
15 दिन में हर वर्ग वाले जो आये हैं वह भी, जो नहीं भी आये हैं उन वर्ग के निमित्त
बने हुए बच्चों को बापदादा यही इशारा देते हैं कि हर वर्ग अपने स्व-उन्नति का कोई
भी प्लैन बनाओ, कोई विशेष शक्ति स्वरूप बनने का वा विशेष कोई गुणमूर्त बनने का वा
विश्व कल्याण प्रति कोई न कोई लाइट-माइट देने का हर एक वर्ग आपस में निश्चित करो और
फिर चेक करो कि जो भी वर्ग के मेम्बर हैं, मेम्बर बने बहुत अच्छा किया है लेकिन हर
मेम्बर नम्बरवन होना चाहिए। सिर्फ नाम नोट हो गया फलाने वर्ग के मेम्बर हैं
नहीं,फलाने वर्ग के स्व उन्नति के मेम्बर हैं। यह हो सकता है जो वर्ग के निमित्त
हैं वह उठो। हाँ जो भी वर्ग हैं जो निमित्त हैं, निमित्त वाले उठो। फॉरेन वाले भी
उठो। फॉरेन में जो निमित्त हैं वह उठो। फॉरने वाले जो4-5 निमित्त हैं वह उठो।
बापदादा को तो सभी बहुत शक्तिशाली मूर्तें लगती हैं। बहुत अच्छी मूर्तें हैं। तो आप
सभी समझते हो 15 दिन में कुछ करके दिखायेंगे। हो सकता है? बोलो, हो सकता है? (पूरा
पुरूषार्थ करेंगे) और बोलो, क्या हो सकता है?(प्रशासक वर्ग ने प्लैन बनाया है कि
कोई भी गुस्सा नहीं करेंगे) उनकी इन्क्वायरी भी करते हो?आप बहनें (टीचर्स से)
हिम्मत रखते हैं - 15 दिन में इन्क्वायरी करके रिजल्ट बता सकते हैं। फॉरेन वाले तो
हाँ कर रहे हैं। आप क्या समझती हो, हो सकता है? भारत वाले बताओ हो सकता है। बापदादा
को तो आप सभी की सूरतें देख लगता है कि रिजल्ट अच्छी है।लेकिन अगर 15 दिन भी
अटेन्शन रखने का पुरूषार्थ करेंगे तो यह अभ्यास आगे भी काम में आयेगा। अभी ऐसे
मीटिंग करना जो जिसको लक्ष्य लेना हो किसी भी गुण का, किसी भी शक्ति रूप का, इसमें
बापदादा नम्बर देंगे। बापदादा तो देखते रहते हैं। नम्बरवन वर्ग स्व सेवा में
कौन-कौन हैं? क्योंकि बापदादा ने देखा कि प्लैन बहुत अच्छे बनते हैं लेकिन सेवा और
स्व-उन्नति दोनों अगर साथ-साथ नहीं हैं तो सेवा के प्लैन में जितनी सफलता चाहिए,
उतनी नहीं होती है। इसलिए समय की समीपता को सामने देखते हुए सेवा और स्व-उन्नति को
कम्बाइन्ड रखो। सिर्फ स्व-उन्नति भी नहीं चाहिए, सेवा भी चाहिए लेकिन स्व-उन्नति की
स्थिति से सेवा में सफलता अधिक होगी। सेवा के या स्व-उन्नति के सफलता की निशानी है
- स्वयं भी दोनों में स्वयं से भी सन्तुष्ट हो और जिनकी सेवा करते हैं, उन्हों को
भी सेवा द्वारा सन्तुष्टता का अनुभव हो। अगर स्व को वा जिनकी सेवा के निमित्त हैं
उन्हों को सन्तुष्टता का अनुभव नहीं होता तो सफलता कम, मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है।
आप सभी जानते हो कि
सेवा में वा स्व-उन्नति में सफलता सहज प्राप्त करने की गोल्डन चाबी कौन-सी है?
अनुभव तो सभी को है। गोल्डन चाबी है - चलन चेहरे, सम्बन्ध सम्पर्क में निमित्त भाव,
निर्मान भाव, निर्मल वाणी। जैसे ब्रह्मा बाप और जगदम्बा को देखा लेकिन अभी कहाँ-कहाँ
सेवा की सफलता में परसेन्टेज होती है उसका कारण, जो चाहते हैं, जितना करते हैं,
जितना प्लैन बनाते हैं, उसमें परसेन्टेज क्यों हो जाती है? बापदादा ने मैजारिटी में
कारण देखा है कि सफलता में कमी का कारण है एक शब्द,वह कौन सा? ‘‘मैं’’। मैं शब्द
तीन प्रकार से यूज होता है। देही-अभिमानी में भी मैं आत्मा हूँ, मैं शब्द आता है।
देह-अभिमान में भी मैं जो कहता हूँ, करता हूँ वह ठीक है, मैं बुद्धिवान हूँ, यह हद
की मैं, मैं देह अभिमान में भी मैं आता है और तीसरी मैं जब कोई दिलशिकस्त हो जाता
है तो भी मैं आता है। मैं यह कर नहीं सकता, मेरे में हिम्मत नहीं। मैं यह सुन नहीं
सकता, मैं यह समा नहीं सकता.. तो बापदादा तीनों प्रकार के मैं, मैं के गीत बहुत
सुनते रहते हैं। ब्रह्मा बाप ने, जगत अम्बा ने जो नम्बर लिया उसकी विशेषता यही रही
- उल्टे मैं पन का अभाव रहा, अविद्या रही। कभी ब्रह्मा बाप ने यह नहीं कहा मैं राय
देता हूँ, मैं राइट हूँ, बाबा, बाबा.. बाबा करा रहा है, मैं नहीं करता। मैं नहीं
होशियार हूँ, बच्चे होशियार हैं। जगत अम्बा का भी स्लोगन था याद है, पुरानों को याद
होगा। जगत अम्बा यही कहती हुक्मी हुक्म चलाए रहा। मैं नहीं, चलाने वाला बाप चला रहा
है। करावनहार बाप करा रहा है। तो पहले सभी अपने अन्दर से यह अभिमान और अपमान की मैं
को समाप्त कर आगे बढ़ो। नेचुरल हर बात में बाबा बाबा निकले। नेचुरल निकले क्योंकि
बाप समान बनने का संकल्प तो सभी ने लिया ही है। तो समान बनने में सिर्फ इस एक रॉयल
मैं को जला दो। अच्छा क्रोध भी नहीं करेंगे। क्रोध क्यों आता है? मैं पन आता है।
तो होली मनाने आये
हो, होली मनाने आये हो ना? तो पहले होली कौन सी मनाते हैं? जलाने की। वैसे बहुत
अच्छे हो, बहुत योग्य हो। बाप की आशाओं के दीपक हो, सिर्फ यह थोड़ा सा मैं को कट कर
दो। दो मैं कट करो, एक मैं रखो। क्यों? बापदादा देख रहे हैं, आपके ही अनेक भाई बहिनें,
ब्राह्मण नहीं अज्ञानी आत्मायें, अपनी जीवन से हिम्मत हार चुकी हैं। अभी उन्हों को
हिम्मत के पंख लगाने पड़ेंगे। बिल्कुल बेसहारे हो गये हैं, नाउम्मीद हो गये हैं। तो
हे रहमदिल, कृपा दया करने वाले विश्व की आत्माओं के इष्ट देव आत्मायें अपनी शुभ
भावना, रहम की भावना, आत्म भावना द्वारा उन्हों की भावना पूर्ण करो।आपको वायब्रेशन
नहीं आता दु:ख, अशान्ति का। निमित्त आत्मायें हो, पूर्वज हो, पूज्य हो, वृक्ष के तना
हो, फाउण्डेशन हो। सब आपको ढूँढ रहे हैं, कहाँ गये हमारे रक्षक। कहाँ गये हमारे
इष्ट देव। बाप को तो बहुत पुकारें सुनने आती हैं। अब स्व-उन्नति द्वारा भिन्न-भिन्न
शक्तियों की सकाश दो। हिम्मत के पंख लगाओ। अपने दृष्टि द्वारा, दृष्टि ही आपकी
पिचकारी है, तो अपनी दृष्टि की पिचकारी द्वारा सुख का रंग लगाओ, शान्ति का रंग लगाओ,
प्रेम का रंग लगाओ, आनंद का रंग लगाओ। आप तो परमात्म संग के रंग में आ गये। और
आत्माओं को भी थोड़ा सा आध्यात्मिक रंग का अनुभव कराओ। परमात्म मिलन का मंगल मेले का
अनुभव कराओ। भटकती हुई आत्माओं को ठिकाने की राह बताओ।
तो स्व-उन्नति के
प्लैन बनायेंगे, इसमें स्वयं के चेकर बनकर चेक करना, यह रॉयल मैं तो नहीं आ रही है
क्योंकि आज होली मनाने आये हो। तो बापदादा यही संकल्प देते हैं तो आज देह-अभिमान और
अपमान की जो मैं आती है, दिलशिकस्त की मैं आती है, इसको जलाके ही जाना, साथ नहीं ले
जाना। कुछ तो जलायेंगे ना। आग जलायेंगे क्या! ज्वालामुखी योग अग्नि जलाओ। जलाने आती
है? हाँ ज्वालामुखी योग, आता है? कि साधारण योग आता है? ज्वालामुखी बनो। लाइट माइट
हाउस। तो यह पसन्द है? अटेन्शन प्लीज, मैं को जलाओ। बापदादा जब मैं-मैं का गीत सुनता
है ना तो स्विच बन्द कर देता है। वाह! वाह! के गीत होते हैं तो आवाज बड़ा कर देते
हैं। क्योंकि मैं-मैं में खिंचावट बहुत होती है। हर बात में खिंचावट करेंगे, यह नहीं,
यह नहीं, ऐसा नहीं, वैसा नहीं। तो खिंचावट होने के कारण तनाव पैदा हो जाता है।
बापदादा को लगाव,तनाव और स्वभाव, उल्टा स्वभाव। वास्तव में स्वभाव शब्द बहुत अच्छा
है। स्वभाव, स्व का भाव। लेकिन उसको उल्टा कर दिया है। न बात की खिंचावट में करो, न
अपने तरफ कोई को खिंचाओ। वह भी बहुत परेशानी करता है। कोई कितना भी आपको कहे, लेकिन
अपने तरफ नहीं खींचो। न बात को खीचों, न अपने तरफ खींचो, खिंचावट खत्म। बाबा, बाबा
और बाबा। पसन्द है ना! तीन बातें या एक मैं को छोड़कर जाना यहाँ, साथ नहीं लेके जाना,
ट्रेन में बोझ हो जायेगा। आपका गीत है ना - मैं बाबा की, बाबा मेरा। है ना। तो एक
मैं रखो, दो मैं खत्म। तो होली मना ली, जला दिया। संकल्प में। अभी तो संकल्प करेंगे।
संकल्प किया? हाथ उठाओ। किया या थोड़ा-थोड़ा रहेगा। थोड़ा-थोड़ा छुट्टी देवें। हाँ थोड़े
की छुट्टी दें? जो समझते हैं थोड़े थोड़े की छुट्टी होनी चाहिए वह हाथ उठाओ। थोड़ा तो
रहेगा ना,नहीं रहेगा? आप तो बहुत बहादुर हो। मुबारक हो। खुशी में नाचो, गाओ। तनाव
में नहीं। खींचातान में नहीं। अच्छा। आज होली है ना। इसीलिए बापदादा भी जलाने का
कहता है। अभी क्या करना है?
सेवा का टर्न
राजस्थान का है, साथ में भोपाल वाले भी सहयोगी हैं:- बापदादा को एक बात की खुशी है
कि जिस जोन का टर्न होता है, वह जी भरके आ जाते हैं। अच्छा है। चांस मिलता है और
चांस लेना यह बहुत अच्छी बात है। एकस्ट्रा सेवा और याद का वायुमण्डल, मदद मिलती है।
अपने जीवन की कहानी में यह दिन विशेष प्राप्ति के सदा याद रखना। मधुबन में जितने भी
दिन रहे, कोई विघ्न आया?जिसको कोई विघ्न आया हो वह हाथ उठाओ। मातायें भी। अगर नहीं
आया तो जमा खाता कितना किया? विघ्न नहीं आया इसकी मुबारक हो लेकिन आपको जमा का चांस
मिला। गोल्डन चांस। कितना जमा किया, वह चेक किया? एकस्ट्रा कमाई जमा हुई? जिसकी हुई
वह हाथ उठाओ। जमा हुई? अब यह दिन गोल्डन दिन जमा के दिन सदा अपने जीवन में विशेष
यादगार रखना। कभी भी कोई विघ्न आये भी तो यह दिन याद करना। बिना ट्रेन के टिकेट के
(बुद्धि द्वारा) मधुबन में पहुँच जाना। क्योंकि यहाँ बापदादा के कर्म का वायुमण्डल
है। कैच करना आपका काम है। लेकिन मधुबन अर्थात् बापदादा के कर्म के किरणों का
वायुमण्डल है। इतने बड़े-बड़े महारथी है, जो एडवांस पार्टी में भी गये हैं, उन्हों के
भी कर्म की रेखायें मधुबन में वायुमण्डल के रूप में हैं। इसलिए गोल्डन चांसलर बने
हो। चांसलर नहीं, गोल्डन चांसलर बने हो। कमाल तो करनी ही है ना राजस्थान को भी।
राजस्थान की आत्मा ने कमाल की है लेकिन आबू के वायुमण्डल ने कमाल की। ज्ञान सरोवर
के निमित्त राजस्थान का गवर्नर बना। था राजस्थान का लेकिन वायुमण्डल मधुबन का लगा।
फिर भी आधा लाभ तो राजस्थान को भी मिलेगा। अब ऐसे सहयोगी निकालो जो स्वयं आफर करे
सहयोग की। क्योंकि राजस्थान से यहाँ आने के लिए कोई बहाना नहीं है। कितना भी बड़ा
वी.आई.पी हो अगर बड़ा वी.आई.पी है तो राजस्थान से प्लेन में भी आना मुश्किल नहीं,
स्पेशल प्लेन। अभी करके दिखाना। टीचर्स तो बहुत हैं, बहुत अच्छी-अच्छी टीचर्स हैं।
बापदादा तो एक-एक की विशेषता देख रहे हैं। अभी अपनी विशेषता से विशेष स्नेही सहयोगी
या वारिस क्वालिटी निकालो। जैसे दिल्ली वालों ने प्रेजीडेंट को सेवा में सहयोगी
बनाया है। समीप सहयोगी नहीं लेकिन सेवा में सहयोगी बनाया है। उनकी दिल में यह है कि
ब्रह्माकुमारियाँ जो कार्य कर रही हैं वह बहुत अच्छा है। लेकिन थोड़ा-थोड़ा सहयोगी
बनाया है, अभी ज्यादा बनाओ। ऐसे ही आन्ध्र प्रदेश का निमित्त बना, ऐसे कोई निमित्त
बनाओ, किसी भी कार्य प्रति निमित्त बनाओ। कोई बना है निमित्त? अच्छा। गोल्डन चांस
को भूलना नहीं। समय प्रति समय याद रखना। चाहे भोपाल चाहे राजस्थान। भोपाल वालों ने
निमित्त बनाया है? (आज मध्य प्रदेश का गवर्नर आया था) आया बहुत अच्छा, लेकिन कोई
कार्य में सहयोगी बने, या सहयोगी बनाओ या स्नेही बनाओ या वारिस बनाओ। तीनों में से
कुछ बनाओ। सभी को बापदादा कहते हैं, सब जोन को। जो भी आगे आवे। अभी वारिस की लिस्ट
नहीं आई है। स्नेहियों की लिस्ट आती है वारिस की लिस्ट नहीं आई है। अच्छा।
1000 डबल विदेशी 60
देशों से आये हैं:- डबल विदेशी मधुबन के श्रृंगार हो। बापदादा देख करके खुश होते
हैं कि अनेक देश, अनेक भाषायें, अनेक कल्चर अभी क्या हो गया? एक ब्राह्मण कल्चर।
पसन्द है? ब्राह्मण कल्चर पसन्द है? कि थोड़ा मुश्किल लगता है? मुश्किल नहीं लगता?
जब स्थापना हुई, बोर्डिंग की तो ब्रह्मा बाप कहते थे सभी को मिलाकर एक चंदन का
वृक्ष बनाना है। तो सब तरफ के विदेशी अभी ब्राह्मण वृक्ष का एक पत्ता बन गये हैं।
सेवा अर्थ भिन्न-भिन्न देश में हो लेकिन कहाँ के हो? परमानेंट एड्रेस कौन सी है?
मधुबन, पक्का? अच्छे हैं। बापदादा ने समाचार सुना कि कैसे स्व के प्रति भी और सेवा
के प्रति भी भिन्न-भिन्न ग्रुप बना करके पुरूषार्थ अच्छा किया है। यह कुमारों का
ग्रुप है।
माताओं की भी रिट्रीट
चल रही है ना। आई.टी. ग्रुप वाले हाथ उठाओ। समाचार सुना है बापदादा ने हिम्मत बहुत
अच्छी रखी है। सब अपने हैं, सब अपना है। यह हिम्मत बहुत अच्छी रखी है। अभी बापदादा
देखेंगे कि यह आई.टी. ग्रुप अपने साधनों द्वारा प्रत्यक्षता का झण्डा कहाँ-कहाँ
लहराते हैं। और शिवशक्तियाँ मातायें क्या कमाल दिखाती हैं। कुमार क्या जलवा दिखाते
हैं। अच्छा है। सभी अलग अलग ग्रुप में पुरूषार्थ की अच्छी-अच्छी बातें निकालते हो,
सिर्फ बापदादा एक शब्द को अण्डरलाइन करने चाहता हैं, वह है दृढ़ रहना। दृढ़ पुरूषार्थी
रहना। ढीला नहीं करना। कितना भी कोई हिलावे हिलना नहीं, अचल रहना, अडोल रहना। दृढ़ता
ब्राह्मण जीवन का हिम्मत का हाथ है। और जहाँ हिम्मत है वहाँ सफलता है ही है। बहुत
अच्छी रौनक लग जाती है मधुबन में। कोई सुनते भी हैं ना तो अच्छा लगता है ना उन्हों
कोकि यह विश्व कल्याणकारी हैं। सिर्फ भारत कल्याणकारी नहीं हैं। इसलिए मुबारक हो,
मुबारक हो,मुबारक हो।
6 विंग्स आई हैं (ग्राम
विकास, स्पोर्ट, ट्रांसपोर्ट, महिला, प्रशासक, स्पार्क ग्रुप) विंग्स को काम दे दिया,
अभी 15 दिन के बाद फिर देखेंगे। अच्छा बच्चे भी आये हैं, (5 विकारों की मल्लयुद्ध
दिखाई है) अच्छा। स्पोर्ट विंग है। माया के खेल को तो जान गये हो ना। उसमें तो
बहादुर हो ना। खेल वाले हमेशा बहादुर होते हैं। तो मायाजीत में भी बहादुर हो ना। कभी
हार खाना नहीं है। बापदादा के गले का हार बनना है। हार नहीं खाना है। ऐसे पक्के हो
ना। बहादुर हो? बहादुर हैं वाह! बहुत अच्छा। अच्छा। तो मायाजीत का भी सिखाती हो ना
अच्छा। बैठ जाओ। अच्छा। अब क्या करेंगे?
अभी एक सेकण्ड में
अपने मन से सब संकल्प समाप्त कर एक सेकण्ड में बाप के साथ परमधाम में ऊँचे ते ऊँचे
स्थान, ऊँचे ते ऊँचा बाप, उनके साथ ऊँची स्थिति में बैठ जाओ। और बाप समान मास्टर
सर्वशक्तिवान बन विश्व की आत्माओं को शक्तियों की किरणें दो। अच्छा।
चारों ओर के होलीएस्ट,
हाइएस्ट बच्चों को सर्व विश्व कल्याणकारी विशेष आत्माओं का, सर्व पूवर्ज और पूज्य
आत्माओं को, सर्व बाप के दिलतख्तनशीन बच्चों को बापदादा का यादप्यार और दिल की दुआयें
सहित, दिल की दुलार और नमस्ते। दूर-दूर से आये हुए पत्र, कार्ड ईमेल, कम्प्युटर
द्वारा सन्देश बापदादा को मिले और बापदादा उन बच्चों को सम्मुख देख पदमगुणा
यादप्यार दे रहे हैं। होली की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।
दादियों से:-
बहुत अच्छा बर्थ डे
की भी बहुत-बहुत मुबारक हो, साथ-साथ होली की भी मुबारक हो। डबल होली बनने की मुबारक।
(दादी जी से) अच्छा है प्रकृतिजीत तो बन गई ना। प्रकृति को चलाने आ गया है। मालिक
बन के प्रकृति को चला रही हो, और सभी को खुश कर रही हो। आप खुश रहती हैंना इसीलिए
सब आपको देख करके खुश होते हैं। सभा को देख सभी खुश होते हैं। (आज सभा में 21 हजार
भाई बहिनें हैं) इतना बड़ा परिवार देखकर सभी खुश होते हैं। अच्छा है, कल्प में एक
बारी ही पहचान से मिलते हो। 5 हजार वर्ष के बाद आपस में मिले हैं और हर कल्प मिलते
रहेंगे। मौज ही मौज हैना। कितनी मौज की जीवन जी रहे हो! आप जैसा मौज की जीवन बिताने
वाला और कोई नहीं। मौजों का युग है। मौज की जीवन है और सदा सभी को मौज का अनुभव
कराने वाले हो। अच्छा।
तीनों बड़े भाईयों
से:- अच्छा है
चारों ओर कार्य को देखते रहो। अपने को निमित्त जान सबको सन्तुष्टता की लहर फैलाते
रहो। सन्तुष्टता बाप के समीपता का अनुभव कराती है। तो चारों ओर सन्तुष्टता की लहर
अच्छी तरह से फैलाओ।