31-12-06 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"नये वर्ष की नवीनता -
‘‘दृढ़ता और परिवर्तन शक्ति से कारण व समस्या शब्द को विदाई दे निवारण व
समाधान स्वरूप बनो"
आज नवयुग रचता बापदादा
अपने चारों ओर के बच्चों से नया वर्ष और नवयुग दोनों की मुबारक देने आये हैं। चारों
ओर के बच्चे भी मुबारक देने पहुंच गये हैं। क्या सिर्फ नये वर्ष की मुबारक देने आये
हो वा नवयुग की भी मुबारक देने आये हो? जैसे नये वर्ष की खुशी होती है और खुशियां
देते हैं। तो आप ब्राह्मण आत्माओं को नवयुग भी इतना याद है? नवयुग नयनों के सामने आ
गया है? जैसे नये वर्ष के लिए दिल में आ रहा है कि आया कि आया, ऐसे ही अपने नवयुग
के लिए इतना अनुभव करते हो कि आया कि आया? उस नवयुग की स्मृति इतनी समीप आती है? वह
अपने शरीर रूपी ड्रेस चमकती हुई सामने नज़र आ रही है? बापदादा डबल मुबारक देते हैं।
बच्चों के मन में, नयनों में नवयुग की सीन सीनरियां इमर्ज हैं, कितना अपने नवयुग
में तन-मन-धन-जन श्रेष्ठ है, सर्व प्राप्तियों के भण्डार हैं। खुशी है कि आज पुरानी
दुनिया में हैं और अभी-अभी अपने राज्य में होंगे! याद है अपना राज्य? जैसे आज डबल
कार्य के लिए आये हो, पुराने को विदाई देने और नये वर्ष को बधाई देने आये हैं। तो
सिर्फ पुराने वर्ष को विदाई देने आये हो वा पुरानी दुनिया के पुराने संस्कार, पुराने
स्वभाव, पुरानी चाल उसको भी विदाई देने आये हो? पुराने वर्ष को विदाई देना तो सहज
है, लेकिन पुराने संस्कार को विदाई देना भी इतना सहज लगता है? क्या समझते हो? माया
को भी विदाई देने आये हो वा वर्ष को विदाई देने आये हैं? विदाई देना है ना! कि थोड़ा
प्यार है माया से? थोड़ा-थोड़ा रखने चाहते हो?
बापदादा आज चारों ओर
के बच्चों से पुराने संस्कार स्वभाव से विदाई दिलाने चाहते हैं। दे सकते हो? हिम्मत
है कि सोचते हो कि विदाई देने चाहते हैं लेकिन फिर माया आ जाती है! क्या आज के दिन
दृढ़ संकल्प की शक्ति से पुराने संस्कार को विदाई दे नये युग के संस्कार को, जीवन को
बधाई देने की हिम्मत है? है हिम्मत? जो समझते हैं हो सकता है, हो सकता है, वा होना
ही है, है हिम्मत वाले? जो समझते हैं हिम्मत है वह हाथ उठाओ। हिम्मत है? अच्छा
जिन्होंने नहीं उठाया है वह सोच रहे हैं? डबल फॉरेनर्स ने उठाया हाथ, जिसमें हिम्मत
है वह हाथ उठाओ, सभी नहीं। अच्छा, डबल फॉरेनर्स तो होशियार हैं। डबल नशा है इसीलिए।
देखना, बापदादा हर मास रिजल्ट देखेगा। बापदादा को खुशी है कि हिम्मत वाले बच्चे
हैं। चतुराई से जवाब देने वाले बच्चे हैं। क्यों? क्योंकि जानते हैं कि एक कदम हमारी
हिम्मत का और हजारों कदम बाप की मदद का तो मिलना ही है। अधिकारी हो। हजार कदम मदद
के अधिकारी हो। सिर्फ हिम्मत को माया हिलाने की कोशिश करती है। बापदादा देखते हैं
कि हिम्मत अच्छी रखते हैं, बापदादा दिल से मुबारक भी देते हैं लेकिन हिम्मत रखते
फिर साथ में अपने अन्दर ही व्यर्थ संकल्प उत्पन्न कर लेते, कर तो रहे हैं, होना तो
चाहिए, करेंगे तो जरूर, पता नहीं.... पता नहीं का संकल्प आना यह हिम्मत को कमज़ोर कर
देता है। तो तो आ जाता है ना, करते तो हैं, करना तो है.. आगे उड़ना तो है..। यह
हिम्मत को हिला देते हैं। तो नहीं सोचो, करना ही है। क्यों नहीं होगा! जब बाप साथ
है, तो बाप के साथ में तो-तो नहीं आ सकता।
तो इस नये वर्ष में
नवीनता क्या करेंगे? हिम्मत के पांव को मजबूत बनाओ। ऐसी हिम्मत का पांव मजबूत बनाओ
जो माया खुद हिल जाये लेकिन पांव नहीं हिले। तो नये वर्ष में नवीनता करेंगे, या जैसे
कभी हिलते कभी मजबूत रहते, ऐसे तो नहीं करेंगे ना! आप सभी का कर्तव्य वा आक्यूपेशन
क्या है? अपने को क्या कहलाते हो? याद करो। विश्व कल्याणी, विश्व परिवर्तक, यह आपका
आक्यूपेशन है ना! तो बापदादा को कभी-कभी मीठी-मीठी हंसी आती है। विश्व परिवर्तक
टाइटिल तो है ना! विश्व परिवर्तक हो? या लण्डन परिवर्तक, इण्डिया परिवर्तक? विश्व
परिवर्तक हो ना, सभी? चाहे गांव में रहते हैं चाहे लण्डन या अमेरिका में रहते हैं
लेकिन विश्व कल्याणकारी हो ना? हो तो कांध हिलाओ। पक्का ना! कि 75 परसेन्ट हो। 75
परसेन्ट विश्व कल्याणी और 25 परसेन्ट माफ है, ऐसे? चैलेन्ज क्या है आपकी? प्रकृति
को भी चैलेन्ज की है कि प्रकृति को भी परिवर्तन करना ही है। तो अपना आक्यूपेशन याद
करो। कभी-कभी अपने लिए भी सोचते हो - करना तो नहीं चाहिए लेकिन हो जाता है। तो
विश्व परिवर्तक, प्रकृति परिवर्तक, स्व परिवर्तक नहीं बन सकते? तो शक्ति सेना क्या
सोचते हो? इस वर्ष में अपना आक्यूपेशन विश्व परिवर्तक का स्व प्रति वा अपने
ब्राह्मण परिवार प्रति, क्योंकि पहले तो चैरिटी बिगन्स एट होम है ना! तो अपने
आक्यूपेशन का प्रैक्टिकल स्वरूप प्रत्यक्ष करेंगे ना। स्व परिवर्तन जो स्वयं भी
चाहते हो और बापदादा भी चाहते हैं, जानते तो हो ना! बापदादा पूछते हैं कि आप सभी
बच्चों का लक्ष्य क्या है? तो एक ही जवाब देते हैं मैजारिटी कि बाप समान बनना है।
ठीक है ना! बाप समान बनना ही है ना, कि देखेंगे, सोचेंगे...! तो बाप भी यही चाहते
हैं कि इस नये वर्ष में 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं अब 71 वर्ष में कोई कमाल करके
दिखाओ। सब इतनी सेवा के उमंग में भिन्न-भिन्न प्रोग्राम बनाते रहते हैं, सफल भी होते
रहते हैं, बापदादा को खुशी भी होती है कि मेहनत जो करते हैं उसकी सफलता मिलती है।
व्यर्थ नहीं जाती है लेकिन किसलिए सेवा करते? तो क्या जवाब देते हैं? बाप को
प्रत्यक्ष करने के लिए। तो बाप आज बच्चों से प्रश> पूछते हैं, कि बाप को प्रत्यक्ष
तो करना ही है, करेंगे ही। लेकिन बाप को प्रत्यक्ष करने के पहले स्व को प्रत्यक्ष
करो। बोलो, शिव शक्तियां यह वर्ष स्व को प्रत्यक्ष शिव शक्ति के रूप में करेंगे?
करेंगे? जनक बोलो? करेंगे? (करना ही है) साथी, पहली लाइन दूसरी लाइन टीचर्स। टीचर्स
हाथ उठाओ जो इस वर्ष में करके दिखायेंगे। करेंगे नहीं, करके दिखाना ही है। अच्छा -
सभी टीचर्स ने उठाया या कोई ने नहीं उठाया। अच्छा - मधुबन वाले। करना ही है, करना
पड़ेगा। मधुबन वाले क्योंकि मधुबन तो नजदीक है ना। तारीख नोट कर देना, 31 तारीख है।
टाइम भी नोट करना (9 बजकर 20 मिनट)। और पाण्डव सेना, पाण्डवों को क्या दिखाना है!
विजयी पाण्डव। कभी कभी के विजयी नहीं, है ही विजयी पाण्डव। हैं? दिखाना है इस वर्ष
में, कि कहेंगे क्या करें? माया आ गई ना, चाहते नहीं थे आ गई! बापदादा ने पहले भी
कहा है माया अपना लास्ट टाइम तक आना बन्द नहीं करेगी। लेकिन माया का काम है आना और
आपका काम क्या है? विजयी बनना। तो यह नहीं सोचो, चाहते थोड़ेही हैं लेकिन माया आ जाती
है। हो जाता है। अब यह शब्द बापदादा इस वर्ष के साथ, इन शब्दों को विदाई दिलाने
चाहते हैं।
12 बजे इस वर्ष को
विदाई देंगे ना। तो जो घण्टे बजाओ ना, आज जब घण्टे बजाओ तो किसका घण्टा बजायेंगे?
दिन का, वर्ष का या माया की विदाई का घण्टा बजाना। दो बातें हैं - एक तो परिवर्तन
शक्ति, उसकी कमज़ोरी है। प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो, ऐसे करेंगे, ऐसे करेंगे, ऐसे
करेंगे...। बापदादा भी खुश हो जाते हैं, बहुत अच्छे प्लैन बनाये हैं लेकिन परिवर्तन
शक्ति की कमी होने के कारण कुछ परिवर्तन होता है, कुछ रह जाता है। और दूसरी कमी है
- दृढ़ता की। संकल्प अच्छे अच्छे करते हो, आज भी देखो कितने कार्ड, कितने अंजाम,
कितने वायदे देखे, बापदादा ने देखा है। बहुत पत्र अच्छे-अच्छे आये हैं। (कार्ड पत्र
आदि सब स्टेज पर सजे हुए रखे हैं) तो करेंगे, दिखायेंगे, होना ही है, बनना ही है,
पदम-पदमगुणा यादप्यार, सब बापदादा के पास पहुंचा है, आप जो सम्मुख बैठे हो, उन्हों
के दिल का आवाज भी बाप के पास पहुंचा। लेकिन अभी बापदादा इन दो शक्तियों के ऊपर
अण्डरलाइन करा रहा है। एक दृढ़ता की कमी आ जाती है। कमी का कारण, अलबेलापन, दूसरे को
देखने का। हो जायेगा, कर तो रहे हैं, करेंगे, जरूर करेंगे...। बापदादा यही चाहते
हैं कि इस वर्ष एक शब्द को विदाई दो - सदा के लिए। बतायें, बोलें? देनी पड़ेगी। इस
वर्ष बापदादा कारण शब्द को विदाई दिलाने चाहते हैं, निवारण हो, कारण खत्म। समस्या
खत्म, समाधान स्वरूप। चाहे स्वयं का कारण हो, चाहे साथी का कारण हो, चाहे संगठन का
कारण हो, चाहे कोई सरकमस्टांश का कारण हो, ब्राह्मणों की डिक्शनरी में कारण शब्द,
समस्या शब्द परिवर्तन हो, समाधान और निवारण हो जाए क्योंकि बहुतों ने आज अमृतवेले
भी बापदादा से रूहरिहान में यही बातें की, कि नये वर्ष में कुछ नवीनता करें। तो
बापदादा चाहते हैं कि यह नया वर्ष ऐसा मनाओ जो यह दो शब्द समाप्त हो जाएं। पर-उपकारी।
स्वयं कारण बनते हैं या दूसरा कोई कारण बनता है, लेकिन पर-उपकारी आत्मा बन, रहमदिल
आत्मा बन, शुभ भावना, शुभ कामना के दिल वाले बन सहयोग दो, स्नेह लो।
तो इस नये वर्ष को
क्या नाम देंगे? पहले हर वर्ष को नाम देते थे, याद है ना? तो बापदादा इस वर्ष को
श्रेष्ठ शुभ संकल्प, दृढ़ संकल्प, स्नेह सहयोग संकल्प वर्ष - यह नाम नहीं, लेकिन ऐसा
देखने चाहते हैं। दृढ़ता की शक्ति, परिवर्तन की शिक्त को सदा साथी बनाओ। कोई कुछ भी
निगेटिव दे लेकिन जैसे आप दूसरों को कोर्स कराते हो निगेटिव को पॉजिटिव में बदली करो,
तो क्या आप स्वयं निगेटिव को पॉजिटिव में चेन्ज नहीं कर सकते? दूसरा परवश होता है,
परवश पर रहम किया जाता है। आपके जड़ चित्र, आपके ही चित्र है ना। भारत में डबल
फॉरेनर्स के भी चित्र हैं ना, जो पूजे जाते हैं? दिलवाला मन्दिर में तो अपना चित्र
देखा है ना! बहुत अच्छा। जब आपके जड़चित्र रहमदिल हैं, कोई भी चित्र के आगे जाते हैं
तो क्या मांगते हैं? दया करो, कृपा करो, रहम करो, मर्सी, मर्सी... | तो सदा पहले
अपने ऊपर रहम करो, फिर ब्राह्मण परिवार के ऊपर रहम करो, अगर कोई परवश है, संस्कार
के वश है, कमज़ोर है, उस समय बेसमझ हो जाता है, तो क्रोध नहीं करो। क्रोध की रिपोर्ट
ज्यादा आती है। क्रोध नहीं तो उसके बाल बच्चों से बहुत प्यार है। रोब, रोब क्रोध का
बच्चा है। तो जैसे परिवार में होता है ना, बड़े बच्चों से प्यार कम हो जाता है और
पोत्रे धोत्रों से प्यार ज्यादा होता है। तो क्रोध बाप है और रोब और उल्टा नशा, नशे
भी भिन्नभिन्न होते हैं, बुद्धि का नशा, ड्युटी का नशा, सेवा के कोई विशेष कर्तव्य
का नशा, यह रोब होता है। तो दयालु बनो, कृपालु बनो। देखो, नये वर्ष में एक दो का
मुख मीठा भी करते हैं, बधाई देंगे, तो मुख मीठा भी कराते हैं ना! तो सारा वर्ष
कडुवापन नहीं दिखाना। वह मुख मीठा करते आप सिर्फ मुख मीठा नहीं कराते लेकिन आपका
मुखड़ा भी मीठा हो। सदा अपना मुखड़ा रूहानियत के स्नेह का हो, मुस्कराने का हो।
कडुवापन नहीं। मैजारिटी जब बापदादा से रूहरिहान करते हैं ना तो अपनी सच्ची बात सुना
देते हैं और तो कोई सुनता ही नहीं है। तो मैजारिटी की रिजल्ट में और विकारों से
क्रोध या क्रोध के बाल बच्चे की रिपोर्ट ज्यादा है। तो बापदादा इस नये वर्ष में इस
कडुवाइस को निकालने चाहते हैं। कईयों ने अपना वायदा भी लिखा है कि चाहते नहीं हैं
लेकिन आ जाता है। तो बापदादा ने कारण सुनाया कि दृढ़ता की कमी है। बाप के आगे संकल्प
द्वारा वचन भी लेते हैं, लेकिन दृढ़ता ऐसी शक्ति है जो दुनिया वाले भी कहते हैं शरीर
चला जाए लेकिन वचन नहीं जाए। मरना पड़े, झुकना पड़े, बदलना पड़े, सहन करना पड़े, लेकिन
वचन में दृढ़ रहने वाला हर कदम में सफलतामूर्त है क्योंकि दृढ़ता सफलता की चाबी है।
चाबी है सभी के पास, लेकिन समय पर गुम हो जाती है।
तो क्या विचार है? नया
वर्ष नवीनता करनी ही है - स्व के, सहयोगियों के और विश्व के परिवर्तन की। पीछे वाले
सुन रहे हैं? तो करना है ना, यह नहीं सोचना पहले तो बड़े करेंगे ना, हम तो छोटे हैं
ना। छोटे समान बाप। हर एक बच्चा बाप के अधिकारी है, चाहे पहले बारी भी आये हो लेकिन
मेरा बाबा कहा तो अधिकारी है। श्रीमत पर चलने के भी अधिकारी और सर्व प्राप्तियों के
भी अधिकारी। टीचर्स आपस में प्रोग्राम बनाना, फारेन वाले भी बनाना, भारत वाले भी
मिलकर बनाना। बापदादा प्राइज देंगे, कौन सा जोन, चाहे फॉरेन हो चाहे इण्डिया हो,
कौन सा जोन नम्बरवन लेता है, उसको गोल्डन कप देंगे। सिर्फ अपने को नहीं बनाना,
साथियों को भी बनाना क्योंकि बापदादा ने देखा कि बच्चों के परिवर्तन बिना विश्व का
परिवर्तन भी ढीला हो रहा है। और आत्मायें नये-नये प्रकार के दु:ख के पात्र बन रही
हैं। दु:ख अशान्ति के नये नये कारण बन रहे हैं। तो बाप अभी बच्चों के दु:ख की पुकार
सुनते हुए परिवर्तन चाहते हैं। तो हे मास्टर सुखदाता बच्चे, दु:खियों पर रहम करो।
भक्त भी भक्ति कर करके थक गये हैं। भक्तों को भी मुक्ति का वर्सा दिलाओ। रहम आता है
कि नहीं? अपनी ही सेवा में, अपनी ही दिनचर्या में बिजी हैं? निमित्त हो, ऐसे नहीं
बड़े निमित्त हैं, एक एक बच्चा जिसने मेरा बाबा कहा है, माना है वह सब निमित्त हैं।
तो नये वर्ष में एक दो को गिफ्ट भी देते हैं ना। तो आप भक्तों की आश पूरी करो उसको
गिफ्ट दिलाओ। दु:खियों को दु:ख से छुड़ाओ, मुक्तिधाम में शान्ति दिलाओ - यह गिफ्ट
दो। ब्राह्मण परिवार में हर आत्मा को दिल के स्नेह और सहयोग की गिफ्ट दो। आपके पास
गिफ्ट का स्टॉक है? स्नेह है? सहयोग है? मुक्ति दिलाने की शक्ति है? जिसके पास
स्टॉक बहुत है, वह हाथ उठाओ। है स्टॉक। स्टॉक कम है? पहली लाइन वालों के पास स्टॉक
कम है क्या? यह बृजमोहन हाथ नहीं उठा रहा है। स्टॉक तो है ना, स्टॉक है? सभी ने
उठाया? स्टॉक है? तो स्टॉक रखके क्या कर रहे हो? जमा करके रखा है! टीचर्स स्टॉक है
ना? तो दो ना, फ्राकदिल बनो। मधुबन वाले क्या करेंगे? है स्टॉक, मधुबन में है?
मधुबन में तो चारों ओर स्टॉक भरा हुआ है। तो अभी दाता बनो, जमा नहीं करो सिर्फ। दाता
बनो, देते जाओ। ठीक है।
अच्छा - बापदादा
देखेंगे, हर सप्ताह, हर जोन, अपनी रिजल्ट ओ.के. या ओ.के. में लाइन लगाकर भेजे। अगर
नहीं हैं ओ.के. तो, और कुछ नहीं लिखना, पत्र कोई नहीं पढ़ेगा। बहुत लम्बे पत्र भेजते
हैं तो पढ़ने की फुर्सत नहीं होती है इसलिए सिर्फ ओ.के. लिखें और ओ.के. नहीं हैं, तो
बीच में लाइन लगा दें, बस। उसी से पता पड़ जायेगा कि अभी मार्जिन है। जोन नहीं तो हर
एक सेन्टर लिखे, सभी सेवा में, भक्तों की, दु:खियों की, ब्राह्मणों की आपसी, तीनों
सेवा में ओ.के. या लाइन। परिवर्तन शक्ति, दृढ़ता की शक्ति अच्छी तरह से यूज करना।
अच्छा।
सेवा का टर्न, दिल्ली,
आगरा का है:-
अच्छा है, देखो स्थापना के कार्य में निमित्त पहले दिल्ली बनी, बाम्बे भी साथ में
थोड़ा-थोड़ा बनी, लेकिन दिल्ली स्थापना के कार्य में निमित्त बनी तो स्थापना वाले
गोल्डन कप लेने में भी निमित्त बनेंगे? बनेंगे? इस बारी बापदादा गोल्डन कप बनवा रहे
हैं, कितने लेते हैं वह देखेंगे। लेकिन दिल्ली को नम्बरवन जाना ही है, ऐसे है ना!
जायेंगे नहीं, जाना ही है राइट बोल रहे हैं तो हाथ उठाओ। जाना ही है कि देखेंगे,
सोचेंगे, गे गे वाले तो नहीं हैं? बहादुर हैं। देखो, बापदादा और आपकी मम्मा ने
डायरेक्ट दिल्ली और बाम्बे की पालना की है। और जगह गये हैं तो थोड़ा-थोड़ा लेकिन
दिल्ली और बाम्बे में डायरेक्ट बापदादा, माँ ने पालना दी है। तो दिल्ली वालों को नशा
है ना? तो इसमें भी नम्बरवन, क्या नहीं हो सकता है! दृढ़ निश्चय, निश्चित विजयी बना
देता है। दृढ़ता को यूज कम करते हो, देखेंगे, करेंगे, हो जायेगा, यह गे गे आ जाती
है। अच्छा है, दिल्ली वालों को एक्जैम्पुल बनना चाहिए, जो एक्जैम्पुल बनता है उसको
फाइनल एक्जाम में एक्स्ट्रा मार्क्स मिल जाती हैं। तो मार्क्स लेने वाले हो ना। हो?
टीचर्स लेंगी? अच्छा। अभी क्या पत्र आयेगा? ओ.के. का या लाइन वाला? लाइन वाला नहीं
भेजना। ओ.के. भेजेंगे क्योंकि दिल्ली के ऊपर सबकी नज़र तो है ही। सभी ब्राह्मणों को
यही है कि दिल्ली में ही राज्य करना है। तो आपको दिल्ली को तो पहले पूरा करना पड़ेगा
ना। अच्छा है। अच्छा और क्या दिल्ली वाले करेंगे? कोई नया प्लैन बनाया है? क्योंकि
दिल्ली और बाम्बे दोनों आदि से अभी तक कोई न कोई नवीनता के निमित्त बनते आये हैं।
तो अभी भी दिल्ली वाले शार्टकट और सफलता ज्यादा, ऐसा कोई प्लैन निकालो, जो सभी करके
दिखावें, कर सकें। शार्ट भी हो और सफलता मूर्त भी हो। अच्छा आधी सभा तो दिल्ली लग
रही है। संख्या भी बहुत है। तो गोल्डन कप लेने वाले हो ना। बापदादा नाम रख दे पहला
नम्बर। रखें? पीछे वाले, सहयोग सबको देना पड़ेगा। पहले है स्व परिवर्तन, फिर है
साथियों का परिवर्तन, साथी माना आपस में 4-5 नहीं, दिल्ली निवासी साथी, फिर है
विश्व परिवर्तन, सहयोग देना। तो अच्छा है। एक दो को सहयोग देते हुए, दिल का स्नेह
देते हुए बढ़ाते चलो, उड़ाते चलो। अच्छा है, हिम्मत है दिल्ली में। हिम्मत है लेकिन
संगठित रूप में हिम्मत प्रत्यक्ष करके दिखाओ। सबकी नज़र दिल्ली के ऊपर जाती है। अच्छा
है। सेवा का शौक रखा है, इसकी मुबारक है। अपने पुण्य का खाता जमा कर लिया है। अच्छा।
सिन्धी ग्रुप:-
सिन्धी ग्रुप उठो। आप
लोगों को एक स्पेशल नशा है, है नशा? अच्छा नशा, बुरा नहीं अच्छा नशा है कि बापदादा
को भी सिन्ध में आना पड़ा, तो सिन्धियों का कुछ भाग्य है ना। आदि रत्न, आदि स्थापना
सिंध में हुई और यह ग्रुप बड़ा अच्छा बनाया है। जैसे सोचा है, तो बापदादा ने देखा कि
हर वर्ष संगठन रूप में अच्छा ग्रुप बनकर आता है। विशेष एक दो को उमंग दिलाने वाले
अच्छे हैं। अब आपका ग्रुप क्या करेगा? विशेष सिन्धी ग्रुप क्या करेगा? क्या करेंगे?
कोई कमाल करके दिखाओ ना। सिन्धी सम्मेलन तो करते रहते हो। आपका ग्रुप अच्छा है। और
इस ग्रुप का एक-एक विशेष कार्य अर्थ निमित्त बन सकता है क्योंकि मैजारिटी युगल,
युगल हैं, अकेले कम हैं। तो जहाँ युगल युगल आते हैं, एकमत हैं, वह सेवा बहुत अच्छी
कर सकते हैं। एक्जैम्पुल हैं ना। आप लोगों ने छोड़ा नहीं है, परिवार में रहते हैं,
एकमत होके चलते हैं तो आपके थोड़े से बोल भी सेवा कर सकते हैं। अभी अपना ग्रुप थोड़ा
बढ़ाओ। अभी छोटा भी नहीं है, बीच का है, अभी थोड़ा और बढ़ाओ। उमंग उल्हास में लाओ। जैसे
एक वर्ष में एक बारी आते हो ऐसे और नामीग्रामी जो सेवा के निमित्त बन सकें, ऐसे और
भी अपने ग्रुप में एड करो। (दादी जानकी ने सुनाया कि यह दादाराम, दादा रत्नचन्द का
मोस्टली परिवार है जो सारे विश्व में फैला हुआ है) हाँ यह प्रसिद्ध परिवार है और
देखो दोनों परिवार के जो निमित्त बनें, एक रत्नचन्द की विशेषता - कुछ नहीं सोचा,
स्वाहा। उमंग-उत्साह दिखाया। ब्रह्मा बाप को फॉलो किया। तो आज उसका परिवार उसकी
दुआओं से बहुत अच्छा चल रहा है और राम सावित्री दिल से सेवा के निमित्त बनें। समय
पर गुप्त सहयोगी बनें, उसकी दुआयें परिवार को हैं। काम उसने किया और नाम परिवार को
दिया है। यह उन्हों का त्याग है। उसके त्याग का भाग्य आपको प्राप्त हो रहा है।
संगठन अच्छा है, आपका ग्रुप बापदादा को पसन्द है। अच्छा। मुबारक हो। सभी परिवार की
तरफ से भी बापदादा की तरफ से भी मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा।
डबल विदेशी बच्चों की
रिट्रीट चल रही है:-
आज नवयुग रचता बापदादा
अपने चारों ओर के बच्चों से नया वर्ष और नवयुग दोनों की मुबारक देने आये हैं। चारों
ओर के बच्चे भी मुबारक देने पहुंच गये हैं। क्या सिर्फ नये वर्ष की मुबारक देने आये
हो वा नवयुग की भी मुबारक देने आये हो? जैसे नये वर्ष की खुशी होती है और खुशियां
देते हैं। तो आप ब्राह्मण आत्माओं को नवयुग भी इतना याद है? नवयुग नयनों के सामने आ
गया है? जैसे नये वर्ष के लिए दिल में आ रहा है कि आया कि आया, ऐसे ही अपने नवयुग
के लिए इतना अनुभव करते हो कि आया कि आया? उस नवयुग की स्मृति इतनी समीप आती है? वह
अपने शरीर रूपी ड्रेस चमकती हुई सामने नज़र आ रही है? बापदादा डबल मुबारक देते हैं।
बच्चों के मन में, नयनों में नवयुग की सीन सीनरियां इमर्ज हैं, कितना अपने नवयुग
में तन-मन-धन-जन श्रेष्ठ है, सर्व प्राप्तियों के भण्डार हैं। खुशी है कि आज पुरानी
दुनिया में हैं और अभी-अभी अपने राज्य में होंगे! याद है अपना राज्य? जैसे आज डबल
कार्य के लिए आये हो, पुराने को विदाई देने और नये वर्ष को बधाई देने आये हैं। तो
सिर्फ पुराने वर्ष को विदाई देने आये हो वा पुरानी दुनिया के पुराने संस्कार, पुराने
स्वभाव, पुरानी चाल उसको भी विदाई देने आये हो? पुराने वर्ष को विदाई देना तो सहज
है, लेकिन पुराने संस्कार को विदाई देना भी इतना सहज लगता है? क्या समझते हो? माया
को भी विदाई देने आये हो वा वर्ष को विदाई देने आये हैं? विदाई देना है ना! कि थोड़ा
प्यार है माया से? थोड़ा-थोड़ा रखने चाहते हो?
बापदादा आज चारों ओर
के बच्चों से पुराने संस्कार स्वभाव से विदाई दिलाने चाहते हैं। दे सकते हो? हिम्मत
है कि सोचते हो कि विदाई देने चाहते हैं लेकिन फिर माया आ जाती है! क्या आज के दिन
दृढ़ संकल्प की शक्ति से पुराने संस्कार को विदाई दे नये युग के संस्कार को, जीवन को
बधाई देने की हिम्मत है? है हिम्मत? जो समझते हैं हो सकता है, हो सकता है, वा होना
ही है, है हिम्मत वाले? जो समझते हैं हिम्मत है वह हाथ उठाओ। हिम्मत है? अच्छा
जिन्होंने नहीं उठाया है वह सोच रहे हैं? डबल फॉरेनर्स ने उठाया हाथ, जिसमें हिम्मत
है वह हाथ उठाओ, सभी नहीं। अच्छा, डबल फॉरेनर्स तो होशियार हैं। डबल नशा है इसीलिए।
देखना, बापदादा हर मास रिजल्ट देखेगा। बापदादा को खुशी है कि हिम्मत वाले बच्चे
हैं। चतुराई से जवाब देने वाले बच्चे हैं। क्यों? क्योंकि जानते हैं कि एक कदम हमारी
हिम्मत का और हजारों कदम बाप की मदद का तो मिलना ही है। अधिकारी हो। हजार कदम मदद
के अधिकारी हो। सिर्फ हिम्मत को माया हिलाने की कोशिश करती है। बापदादा देखते हैं
कि हिम्मत अच्छी रखते हैं, बापदादा दिल से मुबारक भी देते हैं लेकिन हिम्मत रखते
फिर साथ में अपने अन्दर ही व्यर्थ संकल्प उत्पन्न कर लेते, कर तो रहे हैं, होना तो
चाहिए, करेंगे तो जरूर, पता नहीं.... पता नहीं का संकल्प आना यह हिम्मत को कमज़ोर कर
देता है। तो तो आ जाता है ना, करते तो हैं, करना तो है.. आगे उड़ना तो है..। यह
हिम्मत को हिला देते हैं। तो नहीं सोचो, करना ही है। क्यों नहीं होगा! जब बाप साथ
है, तो बाप के साथ में तो-तो नहीं आ सकता।
तो इस नये वर्ष में
नवीनता क्या करेंगे? हिम्मत के पांव को मजबूत बनाओ। ऐसी हिम्मत का पांव मजबूत बनाओ
जो माया खुद हिल जाये लेकिन पांव नहीं हिले। तो नये वर्ष में नवीनता करेंगे, या जैसे
कभी हिलते कभी मजबूत रहते, ऐसे तो नहीं करेंगे ना! आप सभी का कर्तव्य वा आक्यूपेशन
क्या है? अपने को क्या कहलाते हो? याद करो। विश्व कल्याणी, विश्व परिवर्तक, यह आपका
आक्यूपेशन है ना! तो बापदादा को कभी-कभी मीठी-मीठी हंसी आती है। विश्व परिवर्तक
टाइटिल तो है ना! विश्व परिवर्तक हो? या लण्डन परिवर्तक, इण्डिया परिवर्तक? विश्व
परिवर्तक हो ना, सभी? चाहे गांव में रहते हैं चाहे लण्डन या अमेरिका में रहते हैं
लेकिन विश्व कल्याणकारी हो ना? हो तो कांध हिलाओ। पक्का ना! कि 75 परसेन्ट हो। 75
परसेन्ट विश्व कल्याणी और 25 परसेन्ट माफ है, ऐसे? चैलेन्ज क्या है आपकी? प्रकृति
को भी चैलेन्ज की है कि प्रकृति को भी परिवर्तन करना ही है। तो अपना आक्यूपेशन याद
करो। कभी-कभी अपने लिए भी सोचते हो - करना तो नहीं चाहिए लेकिन हो जाता है। तो
विश्व परिवर्तक, प्रकृति परिवर्तक, स्व परिवर्तक नहीं बन सकते? तो शक्ति सेना क्या
सोचते हो? इस वर्ष में अपना आक्यूपेशन विश्व परिवर्तक का स्व प्रति वा अपने
ब्राह्मण परिवार प्रति, क्योंकि पहले तो चैरिटी बिगन्स एट होम है ना! तो अपने
आक्यूपेशन का प्रैक्टिकल स्वरूप प्रत्यक्ष करेंगे ना। स्व परिवर्तन जो स्वयं भी
चाहते हो और बापदादा भी चाहते हैं, जानते तो हो ना! बापदादा पूछते हैं कि आप सभी
बच्चों का लक्ष्य क्या है? तो एक ही जवाब देते हैं मैजारिटी कि बाप समान बनना है।
ठीक है ना! बाप समान बनना ही है ना, कि देखेंगे, सोचेंगे...! तो बाप भी यही चाहते
हैं कि इस नये वर्ष में 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं अब 71 वर्ष में कोई कमाल करके
दिखाओ। सब इतनी सेवा के उमंग में भिन्न-भिन्न प्रोग्राम बनाते रहते हैं, सफल भी होते
रहते हैं, बापदादा को खुशी भी होती है कि मेहनत जो करते हैं उसकी सफलता मिलती है।
व्यर्थ नहीं जाती है लेकिन किसलिए सेवा करते? तो क्या जवाब देते हैं? बाप को
प्रत्यक्ष करने के लिए। तो बाप आज बच्चों से प्रश> पूछते हैं, कि बाप को प्रत्यक्ष
तो करना ही है, करेंगे ही। लेकिन बाप को प्रत्यक्ष करने के पहले स्व को प्रत्यक्ष
करो। बोलो, शिव शक्तियां यह वर्ष स्व को प्रत्यक्ष शिव शक्ति के रूप में करेंगे?
करेंगे? जनक बोलो? करेंगे? (करना ही है) साथी, पहली लाइन दूसरी लाइन टीचर्स। टीचर्स
हाथ उठाओ जो इस वर्ष में करके दिखायेंगे। करेंगे नहीं, करके दिखाना ही है। अच्छा -
सभी टीचर्स ने उठाया या कोई ने नहीं उठाया। अच्छा - मधुबन वाले। करना ही है, करना
पड़ेगा। मधुबन वाले क्योंकि मधुबन तो नजदीक है ना। तारीख नोट कर देना, 31 तारीख है।
टाइम भी नोट करना (9 बजकर 20 मिनट)। और पाण्डव सेना, पाण्डवों को क्या दिखाना है!
विजयी पाण्डव। कभी कभी के विजयी नहीं, है ही विजयी पाण्डव। हैं? दिखाना है इस वर्ष
में, कि कहेंगे क्या करें? माया आ गई ना, चाहते नहीं थे आ गई! बापदादा ने पहले भी
कहा है माया अपना लास्ट टाइम तक आना बन्द नहीं करेगी। लेकिन माया का काम है आना और
आपका काम क्या है? विजयी बनना। तो यह नहीं सोचो, चाहते थोड़ेही हैं लेकिन माया आ जाती
है। हो जाता है। अब यह शब्द बापदादा इस वर्ष के साथ, इन शब्दों को विदाई दिलाने
चाहते हैं।
12 बजे इस वर्ष को
विदाई देंगे ना। तो जो घण्टे बजाओ ना, आज जब घण्टे बजाओ तो किसका घण्टा बजायेंगे?
दिन का, वर्ष का या माया की विदाई का घण्टा बजाना। दो बातें हैं - एक तो परिवर्तन
शक्ति, उसकी कमज़ोरी है। प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो, ऐसे करेंगे, ऐसे करेंगे, ऐसे
करेंगे...। बापदादा भी खुश हो जाते हैं, बहुत अच्छे प्लैन बनाये हैं लेकिन परिवर्तन
शक्ति की कमी होने के कारण कुछ परिवर्तन होता है, कुछ रह जाता है। और दूसरी कमी है
- दृढ़ता की। संकल्प अच्छे अच्छे करते हो, आज भी देखो कितने कार्ड, कितने अंजाम,
कितने वायदे देखे, बापदादा ने देखा है। बहुत पत्र अच्छे-अच्छे आये हैं। (कार्ड पत्र
आदि सब स्टेज पर सजे हुए रखे हैं) तो करेंगे, दिखायेंगे, होना ही है, बनना ही है,
पदम-पदमगुणा यादप्यार, सब बापदादा के पास पहुंचा है, आप जो सम्मुख बैठे हो, उन्हों
के दिल का आवाज भी बाप के पास पहुंचा। लेकिन अभी बापदादा इन दो शक्तियों के ऊपर
अण्डरलाइन करा रहा है। एक दृढ़ता की कमी आ जाती है। कमी का कारण, अलबेलापन, दूसरे को
देखने का। हो जायेगा, कर तो रहे हैं, करेंगे, जरूर करेंगे...। बापदादा यही चाहते
हैं कि इस वर्ष एक शब्द को विदाई दो - सदा के लिए। बतायें, बोलें? देनी पड़ेगी। इस
वर्ष बापदादा कारण शब्द को विदाई दिलाने चाहते हैं, निवारण हो, कारण खत्म। समस्या
खत्म, समाधान स्वरूप। चाहे स्वयं का कारण हो, चाहे साथी का कारण हो, चाहे संगठन का
कारण हो, चाहे कोई सरकमस्टांश का कारण हो, ब्राह्मणों की डिक्शनरी में कारण शब्द,
समस्या शब्द परिवर्तन हो, समाधान और निवारण हो जाए क्योंकि बहुतों ने आज अमृतवेले
भी बापदादा से रूहरिहान में यही बातें की, कि नये वर्ष में कुछ नवीनता करें। तो
बापदादा चाहते हैं कि यह नया वर्ष ऐसा मनाओ जो यह दो शब्द समाप्त हो जाएं। पर-उपकारी।
स्वयं कारण बनते हैं या दूसरा कोई कारण बनता है, लेकिन पर-उपकारी आत्मा बन, रहमदिल
आत्मा बन, शुभ भावना, शुभ कामना के दिल वाले बन सहयोग दो, स्नेह लो।
तो इस नये वर्ष को
क्या नाम देंगे? पहले हर वर्ष को नाम देते थे, याद है ना? तो बापदादा इस वर्ष को
श्रेष्ठ शुभ संकल्प, दृढ़ संकल्प, स्नेह सहयोग संकल्प वर्ष - यह नाम नहीं, लेकिन ऐसा
देखने चाहते हैं। दृढ़ता की शक्ति, परिवर्तन की शिक्त को सदा साथी बनाओ। कोई कुछ भी
निगेटिव दे लेकिन जैसे आप दूसरों को कोर्स कराते हो निगेटिव को पॉजिटिव में बदली करो,
तो क्या आप स्वयं निगेटिव को पॉजिटिव में चेन्ज नहीं कर सकते? दूसरा परवश होता है,
परवश पर रहम किया जाता है। आपके जड़ चित्र, आपके ही चित्र है ना। भारत में डबल
फॉरेनर्स के भी चित्र हैं ना, जो पूजे जाते हैं? दिलवाला मन्दिर में तो अपना चित्र
देखा है ना! बहुत अच्छा। जब आपके जड़चित्र रहमदिल हैं, कोई भी चित्र के आगे जाते हैं
तो क्या मांगते हैं? दया करो, कृपा करो, रहम करो, मर्सी, मर्सी... | तो सदा पहले
अपने ऊपर रहम करो, फिर ब्राह्मण परिवार के ऊपर रहम करो, अगर कोई परवश है, संस्कार
के वश है, कमज़ोर है, उस समय बेसमझ हो जाता है, तो क्रोध नहीं करो। क्रोध की रिपोर्ट
ज्यादा आती है। क्रोध नहीं तो उसके बाल बच्चों से बहुत प्यार है। रोब, रोब क्रोध का
बच्चा है। तो जैसे परिवार में होता है ना, बड़े बच्चों से प्यार कम हो जाता है और
पोत्रे धोत्रों से प्यार ज्यादा होता है। तो क्रोध बाप है और रोब और उल्टा नशा, नशे
भी भिन्नभिन्न होते हैं, बुद्धि का नशा, ड्युटी का नशा, सेवा के कोई विशेष कर्तव्य
का नशा, यह रोब होता है। तो दयालु बनो, कृपालु बनो। देखो, नये वर्ष में एक दो का
मुख मीठा भी करते हैं, बधाई देंगे, तो मुख मीठा भी कराते हैं ना! तो सारा वर्ष
कडुवापन नहीं दिखाना। वह मुख मीठा करते आप सिर्फ मुख मीठा नहीं कराते लेकिन आपका
मुखड़ा भी मीठा हो। सदा अपना मुखड़ा रूहानियत के स्नेह का हो, मुस्कराने का हो।
कडुवापन नहीं। मैजारिटी जब बापदादा से रूहरिहान करते हैं ना तो अपनी सच्ची बात सुना
देते हैं और तो कोई सुनता ही नहीं है। तो मैजारिटी की रिजल्ट में और विकारों से
क्रोध या क्रोध के बाल बच्चे की रिपोर्ट ज्यादा है। तो बापदादा इस नये वर्ष में इस
कडुवाइस को निकालने चाहते हैं। कईयों ने अपना वायदा भी लिखा है कि चाहते नहीं हैं
लेकिन आ जाता है। तो बापदादा ने कारण सुनाया कि दृढ़ता की कमी है। बाप के आगे संकल्प
द्वारा वचन भी लेते हैं, लेकिन दृढ़ता ऐसी शक्ति है जो दुनिया वाले भी कहते हैं शरीर
चला जाए लेकिन वचन नहीं जाए। मरना पड़े, झुकना पड़े, बदलना पड़े, सहन करना पड़े, लेकिन
वचन में दृढ़ रहने वाला हर कदम में सफलतामूर्त है क्योंकि दृढ़ता सफलता की चाबी है।
चाबी है सभी के पास, लेकिन समय पर गुम हो जाती है।
तो क्या विचार है? नया
वर्ष नवीनता करनी ही है - स्व के, सहयोगियों के और विश्व के परिवर्तन की। पीछे वाले
सुन रहे हैं? तो करना है ना, यह नहीं सोचना पहले तो बड़े करेंगे ना, हम तो छोटे हैं
ना। छोटे समान बाप। हर एक बच्चा बाप के अधिकारी है, चाहे पहले बारी भी आये हो लेकिन
मेरा बाबा कहा तो अधिकारी है। श्रीमत पर चलने के भी अधिकारी और सर्व प्राप्तियों के
भी अधिकारी। टीचर्स आपस में प्रोग्राम बनाना, फारेन वाले भी बनाना, भारत वाले भी
मिलकर बनाना। बापदादा प्राइज देंगे, कौन सा जोन, चाहे फॉरेन हो चाहे इण्डिया हो,
कौन सा जोन नम्बरवन लेता है, उसको गोल्डन कप देंगे। सिर्फ अपने को नहीं बनाना,
साथियों को भी बनाना क्योंकि बापदादा ने देखा कि बच्चों के परिवर्तन बिना विश्व का
परिवर्तन भी ढीला हो रहा है। और आत्मायें नये-नये प्रकार के दु:ख के पात्र बन रही
हैं। दु:ख अशान्ति के नये नये कारण बन रहे हैं। तो बाप अभी बच्चों के दु:ख की पुकार
सुनते हुए परिवर्तन चाहते हैं। तो हे मास्टर सुखदाता बच्चे, दु:खियों पर रहम करो।
भक्त भी भक्ति कर करके थक गये हैं। भक्तों को भी मुक्ति का वर्सा दिलाओ। रहम आता है
कि नहीं? अपनी ही सेवा में, अपनी ही दिनचर्या में बिजी हैं? निमित्त हो, ऐसे नहीं
बड़े निमित्त हैं, एक एक बच्चा जिसने मेरा बाबा कहा है, माना है वह सब निमित्त हैं।
तो नये वर्ष में एक दो को गिफ्ट भी देते हैं ना। तो आप भक्तों की आश पूरी करो उसको
गिफ्ट दिलाओ। दु:खियों को दु:ख से छुड़ाओ, मुक्तिधाम में शान्ति दिलाओ - यह गिफ्ट
दो। ब्राह्मण परिवार में हर आत्मा को दिल के स्नेह और सहयोग की गिफ्ट दो। आपके पास
गिफ्ट का स्टॉक है? स्नेह है? सहयोग है? मुक्ति दिलाने की शक्ति है? जिसके पास
स्टॉक बहुत है, वह हाथ उठाओ। है स्टॉक। स्टॉक कम है? पहली लाइन वालों के पास स्टॉक
कम है क्या? यह बृजमोहन हाथ नहीं उठा रहा है। स्टॉक तो है ना, स्टॉक है? सभी ने
उठाया? स्टॉक है? तो स्टॉक रखके क्या कर रहे हो? जमा करके रखा है! टीचर्स स्टॉक है
ना? तो दो ना, फ्राकदिल बनो। मधुबन वाले क्या करेंगे? है स्टॉक, मधुबन में है?
मधुबन में तो चारों ओर स्टॉक भरा हुआ है। तो अभी दाता बनो, जमा नहीं करो सिर्फ। दाता
बनो, देते जाओ। ठीक है।
अच्छा - बापदादा
देखेंगे, हर सप्ताह, हर जोन, अपनी रिजल्ट ओ.के. या ओ.के. में लाइन लगाकर भेजे। अगर
नहीं हैं ओ.के. तो, और कुछ नहीं लिखना, पत्र कोई नहीं पढ़ेगा। बहुत लम्बे पत्र भेजते
हैं तो पढ़ने की फुर्सत नहीं होती है इसलिए सिर्फ ओ.के. लिखें और ओ.के. नहीं हैं, तो
बीच में लाइन लगा दें, बस। उसी से पता पड़ जायेगा कि अभी मार्जिन है। जोन नहीं तो हर
एक सेन्टर लिखे, सभी सेवा में, भक्तों की, दु:खियों की, ब्राह्मणों की आपसी, तीनों
सेवा में ओ.के. या लाइन। परिवर्तन शक्ति, दृढ़ता की शक्ति अच्छी तरह से यूज करना।
अच्छा।
सेवा का टर्न, दिल्ली,
आगरा का है:-
अच्छा है, देखो स्थापना के कार्य में निमित्त पहले दिल्ली बनी, बाम्बे भी साथ में
थोड़ा-थोड़ा बनी, लेकिन दिल्ली स्थापना के कार्य में निमित्त बनी तो स्थापना वाले
गोल्डन कप लेने में भी निमित्त बनेंगे? बनेंगे? इस बारी बापदादा गोल्डन कप बनवा रहे
हैं, कितने लेते हैं वह देखेंगे। लेकिन दिल्ली को नम्बरवन जाना ही है, ऐसे है ना!
जायेंगे नहीं, जाना ही है राइट बोल रहे हैं तो हाथ उठाओ। जाना ही है कि देखेंगे,
सोचेंगे, गे गे वाले तो नहीं हैं? बहादुर हैं। देखो, बापदादा और आपकी मम्मा ने
डायरेक्ट दिल्ली और बाम्बे की पालना की है। और जगह गये हैं तो थोड़ा-थोड़ा लेकिन
दिल्ली और बाम्बे में डायरेक्ट बापदादा, माँ ने पालना दी है। तो दिल्ली वालों को नशा
है ना? तो इसमें भी नम्बरवन, क्या नहीं हो सकता है! दृढ़ निश्चय, निश्चित विजयी बना
देता है। दृढ़ता को यूज कम करते हो, देखेंगे, करेंगे, हो जायेगा, यह गे गे आ जाती
है। अच्छा है, दिल्ली वालों को एक्जैम्पुल बनना चाहिए, जो एक्जैम्पुल बनता है उसको
फाइनल एक्जाम में एक्स्ट्रा मार्क्स मिल जाती हैं। तो मार्क्स लेने वाले हो ना। हो?
टीचर्स लेंगी? अच्छा। अभी क्या पत्र आयेगा? ओ.के. का या लाइन वाला? लाइन वाला नहीं
भेजना। ओ.के. भेजेंगे क्योंकि दिल्ली के ऊपर सबकी नज़र तो है ही। सभी ब्राह्मणों को
यही है कि दिल्ली में ही राज्य करना है। तो आपको दिल्ली को तो पहले पूरा करना पड़ेगा
ना। अच्छा है। अच्छा और क्या दिल्ली वाले करेंगे? कोई नया प्लैन बनाया है? क्योंकि
दिल्ली और बाम्बे दोनों आदि से अभी तक कोई न कोई नवीनता के निमित्त बनते आये हैं।
तो अभी भी दिल्ली वाले शार्टकट और सफलता ज्यादा, ऐसा कोई प्लैन निकालो, जो सभी करके
दिखावें, कर सकें। शार्ट भी हो और सफलता मूर्त भी हो। अच्छा आधी सभा तो दिल्ली लग
रही है। संख्या भी बहुत है। तो गोल्डन कप लेने वाले हो ना। बापदादा नाम रख दे पहला
नम्बर। रखें? पीछे वाले, सहयोग सबको देना पड़ेगा। पहले है स्व परिवर्तन, फिर है
साथियों का परिवर्तन, साथी माना आपस में 4-5 नहीं, दिल्ली निवासी साथी, फिर है
विश्व परिवर्तन, सहयोग देना। तो अच्छा है। एक दो को सहयोग देते हुए, दिल का स्नेह
देते हुए बढ़ाते चलो, उड़ाते चलो। अच्छा है, हिम्मत है दिल्ली में। हिम्मत है लेकिन
संगठित रूप में हिम्मत प्रत्यक्ष करके दिखाओ। सबकी नज़र दिल्ली के ऊपर जाती है। अच्छा
है। सेवा का शौक रखा है, इसकी मुबारक है। अपने पुण्य का खाता जमा कर लिया है। अच्छा।
सिन्धी ग्रुप:-
सिन्धी ग्रुप उठो। आप लोगों को एक स्पेशल नशा है, है नशा? अच्छा नशा, बुरा नहीं
अच्छा नशा है कि बापदादा को भी सिन्ध में आना पड़ा, तो सिन्धियों का कुछ भाग्य है
ना। आदि रत्न, आदि स्थापना सिंध में हुई और यह ग्रुप बड़ा अच्छा बनाया है। जैसे सोचा
है, तो बापदादा ने देखा कि हर वर्ष संगठन रूप में अच्छा ग्रुप बनकर आता है। विशेष
एक दो को उमंग दिलाने वाले अच्छे हैं। अब आपका ग्रुप क्या करेगा? विशेष सिन्धी
ग्रुप क्या करेगा? क्या करेंगे? कोई कमाल करके दिखाओ ना। सिन्धी सम्मेलन तो करते
रहते हो। आपका ग्रुप अच्छा है। और इस ग्रुप का एक-एक विशेष कार्य अर्थ निमित्त बन
सकता है क्योंकि मैजारिटी युगल, युगल हैं, अकेले कम हैं। तो जहाँ युगल युगल आते
हैं, एकमत हैं, वह सेवा बहुत अच्छी कर सकते हैं। एक्जैम्पुल हैं ना। आप लोगों ने
छोड़ा नहीं है, परिवार में रहते हैं, एकमत होके चलते हैं तो आपके थोड़े से बोल भी सेवा
कर सकते हैं। अभी अपना ग्रुप थोड़ा बढ़ाओ। अभी छोटा भी नहीं है, बीच का है, अभी थोड़ा
और बढ़ाओ। उमंग उल्हास में लाओ। जैसे एक वर्ष में एक बारी आते हो ऐसे और नामीग्रामी
जो सेवा के निमित्त बन सकें, ऐसे और भी अपने ग्रुप में एड करो। (दादी जानकी ने
सुनाया कि यह दादाराम, दादा रत्नचन्द का मोस्टली परिवार है जो सारे विश्व में फैला
हुआ है) हाँ यह प्रसिद्ध परिवार है और देखो दोनों परिवार के जो निमित्त बनें, एक
रत्नचन्द की विशेषता - कुछ नहीं सोचा, स्वाहा। उमंग-उत्साह दिखाया। ब्रह्मा बाप को
फॉलो किया। तो आज उसका परिवार उसकी दुआओं से बहुत अच्छा चल रहा है और राम सावित्री
दिल से सेवा के निमित्त बनें। समय पर गुप्त सहयोगी बनें, उसकी दुआयें परिवार को
हैं। काम उसने किया और नाम परिवार को दिया है। यह उन्हों का त्याग है। उसके त्याग
का भाग्य आपको प्राप्त हो रहा है। संगठन अच्छा है, आपका ग्रुप बापदादा को पसन्द है।
अच्छा। मुबारक हो। सभी परिवार की तरफ से भी बापदादा की तरफ से भी मुबारक हो, मुबारक
हो। अच्छा।
डबल विदेशी बच्चों की
रिट्रीट चल रही है:-
(बच्चे गीत गा रहे
हैं - बाबा का बच्चों से, बच्चों का बाबा से प्यार है ना) अच्छा है। जैसे बच्चे
उमंग-उत्साह में अपना प्रोग्राम यहाँ कर रहे हो, वैसे अपने-अपने शहरों में भी बच्चों
का ग्रुप बढ़ाओ। जो बच्चा ज्यादा में ज्यादा बच्चों का ग्रुप तैयार करेंगे, उसको
प्राइज देंगे। बापदादा को भी बच्चे अच्छे लगते हैं क्योंकि बच्चे दिल के सच्चे हैं।
अच्छा - कभी क्रोध तो नहीं करते बच्चे, कभी-कभी करते हो? थोड़ा थोड़ा करते हो? तो इस
वर्ष अपने अपने सेन्टर में अपनी रिजल्ट लिखाना फिर वह टीचर लिख करके भेजेगी कि इन
बच्चों ने सारा साल क्रोध नहीं किया। और बहुत अच्छा पुरूषार्थ किया फिर प्राइज देंगे।
अच्छा।
डबल विदेशी:-
फारेनर्स वृद्धि भी कर रहे हैं और भिन्न-भिन्न देश जो रहे हुए हैं, उसमें
उमंग-उत्साह से बढ़ रहे हैं, यह बापदादा को खुशी है कि प्रैक्टिकल रहमदिल बन आत्माओं
के ऊपर रहम कर रहे हैं। सेवा का उमंग भी है और सेवा का प्रत्यक्ष रूप भी दिखा रहे
हैं। अभी डबल तीव्र पुरूषार्थ कर गोल्डन कप फॉरेन वाले लेवें। ले सकते हैं। सभी की
तरफ से ईमेल आयेगा आपके पास, ओ.के. ओ.के, ज्यादा नहीं आयेगा। पढ़ना पड़ता है ना आपको।
(दादी जानकी को), बस सिर्फ ओ.के. बाप भी ओ.के. वालों को गुप्त में बहुत स्नेह की
दुआओं की वर्षा करते हैं। वाह! बच्चे वाह! का गीत गाते हैं। चाहे भारत वाले, चाहे
विदेश वाले लेकिन कोई-कोई बच्चे गुप्त रीति से तीव्र पुरूषार्थ कर रहे हैं और
बापदादा के पास लिस्ट भी है, भारत में भी है विदेश में भी है लेकिन बापदादा अभी
बहुतकाल देखने चाहता है, कर रहे हैं लेकिन बहुतकाल चाहिए। तो बहुतकाल बापदादा नोट
कर रहे हैं, कि बहुतकाल के तीव्र पुरूषार्थी कौन कौन हैं। बीच-बीच में अगर ढीले हो
जाते हैं तो बहुतकाल तो कट हो जाता है ना इसीलिए बापदादा लिस्ट निकाल रहा है, अभी
थोड़े हैं। बनना तो सबको है। भारत वालों को भी बनना है, विदेश वालों को भी बनना है
लेकिन कोई कोई गुप्त अच्छे है। बापदादा गिनती करते रहते हैं, कितने बच्चे हैं ऐसे।
अभी बहुतकाल पर अटेन्शन रखो। क्योंकि बहुतकाल के विजयी बहुतकाल का फुल आधा कल्प के
राज्यभाग्य के अधिकारी बनेंगे। अगर बीच बीच में किया, आधा समय किया, पौना समय किया
तो प्राप्ति राज्य भाग्य की भी इतनी होगी। इसीलिए बापदादा डबल विदेशियों को विशेष
थैंक्स भी देते हैं अटेन्शन है, लेकिन बीच बीच में टेन्शन भी आ जाता है। अभी टेन्शन
खत्म, अटेन्शन। ऐसी लिस्ट में आ जाओ, बहुतकाल के तीव्र पुरूषार्थी। कभी-कभी वाले नहीं,
लगातार। ठीक है ना। हैं, बापदादा देखते हैं कि उम्मींदवार सितारे हैं। प्रैक्टिकल
स्टेज पर आ जायेंगे। ठीक है ना। है ना ऐसे! उम्मींदवार सितारे हैं ना। बाप की आशाओं
के सितारे बच्चे हैं। अच्छा। मुबारक हो, मुबारक हो।
इन्टरनेशनल यूथ ग्रुप:-
यूथ ग्रुप की विशेषता यह प्रसिद्ध है कि यूथ जो चाहे वह कर सकते हैं। तो इस वर्ष आप
यूथ ग्रुप क्या संकल्प पूरा करेंगे? जो बापदादा ने कहा है - वह यूथ ग्रुप करके
दिखायेंगे! करेंगे? निवारण स्वरूप। कारण नहीं, निवारण स्वरूप। समाधान स्वरूप। आपस
में लेन-देन करते रहते हैं ना। तो यह लक्ष्य रखके जाओ कि बहुतकाल समाधान स्वरूप बनके
ही उड़ना है। कारण आयेंगे लेकिन आप यूथ में ताकत है कारण को निवारण में चेंज करना।
क्या करें, कारण है ना, यह यूथ नहीं बोल सकता। शक्तिवान हो। तो ठीक है यह होम वर्क
करेंगे! करेंगे होमवर्क? अच्छा रिजल्ट लिखते रहना। ओ.के. ओ.के. की रिजल्ट लिखना।
अच्छा है। बापदादा को यूथ ग्रुप में बहुत अच्छी आशायें हैं। कर रहे हैं, प्लैन बना
रहे हैं अब प्रैक्टिकल में करके दिखाओ, जो भी आपको देखे कहे यह तो फरिश्ता है।
फरिश्ता फरिश्ता दिखाई दो। फरिश्ते की चाल उड़ती कला। नीचे ऊपर नहीं। उड़ने वाले और
उड़ाने वाले। कमज़ोर को भी उड़ाने वाले। नीचे आने वाले नहीं। तो ऐसा प्लैन बनाया है!
ऐसा सोचा है? कोई कमाल करके दिखाना। बाकी अच्छा है हर वर्ष मिलते हो, यह बहुत अच्छा।
उमंग उल्हास बढ़ता है। अभी की रिजल्ट भी सुनी है, कुछ बनाया है ना, चिटकियां लिखी
हैं, वह भी सुना है। यह अच्छा बनाया है। अच्छा पुरूषार्थ किया है। अभी सभी की यह
चिटकी नीचे गिरे कि अच्छे ते अच्छे हैं। परसेन्टेज नहीं, अच्छे ते अच्छे। हो सकता
है बड़ी बात नहीं है। अच्छा। (सबने वायदा किया है कि बाबा की आश पूरा करेंगे, विदेश
और भारत में साथ-साथ सेवा करेंगे, ऐसा संकल्प है, इसका प्लान बनायेंगे) अच्छा है।
अच्छा - मधुबन के आप सभी श्रृंगार हो। देखो आप जब आते हो मधुबन में तो कितना मधुबन
सज जाता है। मधुबन में आना अच्छा लगता है ना कि मुश्किल लगता है? मेहनत लगती है?
लगती है मेहनत या खुशी होती है?
अच्छा। अभी हर एक अपने
को मन के मालिक अनुभव कर एक सेकण्ड में मन को एकाग्र कर सकते हो? आर्डर कर सकते हो?
एक सेकण्ड में अपने स्वीट होम में पहुंच जाओ। एक सेकण्ड में अपने राज्य स्वर्ग में
पहुंच जाओ। मन आपका आर्डर मानता है वा हलचल करता है? मालिक अगर योग्य है, शक्तिवान
है, तो मन नहीं माने, हो नहीं सकता। तो अभी अभ्यास करो एक सेकण्ड में सभी अपने
स्वीट होम में पहुंच जाओ। यह अभ्यास सारे दिन में बीच-बीच में करने का अटेन्शन रखो।
मन की एकाग्रता स्वयं को भी और वायुमण्डल को भी पावरफुल बनाती है। अच्छा।
चारों ओर के अति सर्व
के स्नेही, सर्व के सहयोगी श्रेष्ठ आत्माओं को, चारों ओर के विजयी बच्चों को, चारों
ओर के परिवर्तन शक्तिवान बच्चों को, चारों ओर के सदा स्वयं को प्रत्यक्ष कर बाप को
प्रत्यक्ष करने वाले बच्चों को, सदा समाधान स्वरूप विश्व परिवर्तक बच्चों को बापदादा
का यादप्यार और दिल की दुआयें स्वीकार हों। साथ में सभी बच्चों को जो बाप के भी
सिरताज हैं, ऐसे सिरताज बच्चों को बापदादा की नमस्ते।
दादियों से:- (दादी
जी से):- सभी
आपका मुस्कराता हुआ चेहरा देखना चाहते हैं। देखो सभी मुस्करा रहे हैं, आपको देखकरके
सब मुस्करा रहे हैं। अच्छा है, सभी को दिल से स्नेह दिया है, इसलिए सभी के दिल का
स्नेह है और स्नेह आपको लिफ्ट माफिक आगे बढ़ा रहा है। सीढ़ी नहीं चढ़ने वाली हो, लिफ्ट
में पहुंच जाओगी। सब दादियों को देखकर खुश होते हैं ना। क्योंकि दादियों ने
नि:स्वार्थ सेवा की है। हर एक को दिल की दुआओं से पालना की है। चाहे साथ रहते हैं,
चाहे दूर रहते हैं, लेकिन दुआओं की, स्नेह की, एक सेकण्ड की दुआओं की दृष्टि या
दुआओं भरा संकल्प पालना कर देता है। तो आप सभी को दिल होती है ना दादियों की दृष्टि
मिले, दादियों की दृष्टि मिले। तो यह विशेषता जो दादियों ने आपको दी, उससे आप भी
सेकण्ड में किसी को स्नेह देकर खुश कर दो। कैसा भी कोई हो लेकिन स्नेह दिल का,
सिर्फ बोल का नहीं, बाहर का नहीं लेकिन दिल का स्नेह किसी को भी स्नेही बना सकता
है। जैसे दादियां जल्दी से दिलशिकस्त नहीं होती - यह तो बदलना ही नहीं है, यह तो
होना ही नहीं है। सदा शुभ उम्मीदें रखती हैं, बापदादा को फॉलो किया। बापदादा के पास
पहले बारी जब आप आये तो कैसे आये थे, 63 जन्म के पाप इकट्ठे किये हुए आये, लेकिन
बापदादा ने आशाओं के दीपक समझ चमकता हुआ सिताराबना दिया। न घृणा रखी, न दिलशिकस्त
हुए, ऐसे आप भी इस वर्ष किसी से भी न दिलशिकस्त होना, न थकना, स्नेह और सहयोग देते
रहना। पॉजिटिव में परिवर्तन करते रहना, निगेटिव नहीं देखना। तो देखना इस वर्ष में
ही समय को समीप ले आयेंगे। ऐसा वायुमण्डल बनाओ। कहाँ भी किसी के प्रति कोई भाव और
नहीं, शुभ भावना शुभ कामना। गिरे हुए परवश आत्माओं को अपना सहयोग देके उठाओ। सब उठके
उड़ेंगे। सबको नज़र आयेंगे फरिश्ते ही फरिश्ते घूम रहे हैं। यह साक्षात्कार होना है।
अनुभव करेंगे पता नहीं कहाँ फरिश्तों का झुण्ड सृष्टि पर आ गया है हमको उठाने के
लिए। एक दो को देखो ही फरिश्ते स्वरूप में। यह फलाना है, फलाना है नहीं, फरिश्ता
है। ठीक है। दादियों से यह सीखो। शुभ भावना, शुभ कामना दो, स्टाक है आपके पास,
लेकिन देने में दाता कम बनते हो। निगेटिव न देखो, न सुनो, न बोलो, न सोचो।
उमंग-उत्साह के पंखों से उड़ते रहो और उड़ाते रहो। अच्छा है ना, दादियां स्टेज पर आती
हैं, सबके चेहरे मुस्कराने लगते हैं। अच्छा। (दादी बाबा को कह रही हैं - बाबा सबका
आपसे बहुत प्यार है) आपसे भी सबका हजारगुणा ज्यादा प्यार है।
तीनों बड़े भाईयों
से:- मधुबन के
बिना तो गति ही नहीं है। आपसे भी पाण्डवों से, ऐसे उन्हों को फीलिंग आये, यह दादियों
को फॉलो करने वाले हैं। फॉलो बाप को करते हैं लेकिन निमित्त आप सबसे फीलिंग आवे कि
यह हमको देने वाले हैं, सहयोग देने वाले हैं, दिल का स्नेह देने वाले हैं। कभी भी
कोई दिलशिकस्त हो, तो समझें यह हमको सहयोग देने वाले हैं। अभी इस रूप को प्रत्यक्ष
करो। अन्दर होगा लेकिन अभी प्रत्यक्ष करो। ठीक है ना। कमाल करेंगे, पाण्डव कम थोड़ेही
हैं। पाण्डवों का गायन भी विशेष है। साथी पाण्डव दिखाये गये हैं। शक्तियों को मैदान
में दिखाया गया है लेकिन पाण्डव साथी दिखाये गये हैं। साथ देने वाले और साथ रहने
वाले, बाप के साथ रहने वाले और सर्व को साथ देने वाले। ठीक है। (रमेश भाई से) तबियत
ठीक है, सम्भाल करो। (गोलक भाई से) अथक है ना या थक जाते हो। खिटखिट होती है लेकिन
खिटखिट को खुशी के रूप में परिवर्तन करो। माला है ना। नम्बरवन और लास्ट कुछ तो
अन्तर होगा ना, सब एक जैसे तो नहीं होंगे। ठीक है। ठीक चल रहा है।
2006 वर्ष की विदाई
और 2007 की बधाई
(रात्रि 12 बजे के
बाद बापदादा ने सभी बच्चों को नये वर्ष की बधाई वा मुबारक दी)
सभी को नये वर्ष की
पदम-पदमगुणा बधाईयां भी हों, दिल की दुआयें भी हैं और दिलाराम के दिल की यादप्यार
भी है। सदा इस वर्ष में उड़ते रहना और उड़ाते रहना। सभी आत्माओं को अपने मन की कामनायें
पूर्ण करने वाले दाता के बच्चे मास्टर दाता बन सुख, शान्ति, प्यार, दुआयें देते रहना
और हर एक को बाप का परिचय देते हुए मुक्ति का वर्सा देते रहना। अच्छा - विदाई और
बधाई के संगम का विशेष यादप्यार।
(बच्चे गीत गा रहे हैं - बाबा का बच्चों से, बच्चों का बाबा से प्यार है ना) अच्छा
है। जैसे बच्चे उमंग-उत्साह में अपना प्रोग्राम यहाँ कर रहे हो, वैसे अपने-अपने शहरों
में भी बच्चों का ग्रुप बढ़ाओ। जो बच्चा ज्यादा में ज्यादा बच्चों का ग्रुप तैयार
करेंगे, उसको प्राइज देंगे। बापदादा को भी बच्चे अच्छे लगते हैं क्योंकि बच्चे दिल
के सच्चे हैं। अच्छा - कभी क्रोध तो नहीं करते बच्चे, कभी-कभी करते हो? थोड़ा थोड़ा
करते हो? तो इस वर्ष अपने अपने सेन्टर में अपनी रिजल्ट लिखाना फिर वह टीचर लिख करके
भेजेगी कि इन बच्चों ने सारा साल क्रोध नहीं किया। और बहुत अच्छा पुरूषार्थ किया
फिर प्राइज देंगे। अच्छा।
डबल विदेशी:-
फारेनर्स वृद्धि भी कर रहे हैं और भिन्न-भिन्न देश जो रहे हुए हैं, उसमें
उमंग-उत्साह से बढ़ रहे हैं, यह बापदादा को खुशी है कि प्रैक्टिकल रहमदिल बन आत्माओं
के ऊपर रहम कर रहे हैं। सेवा का उमंग भी है और सेवा का प्रत्यक्ष रूप भी दिखा रहे
हैं। अभी डबल तीव्र पुरूषार्थ कर गोल्डन कप फॉरेन वाले लेवें। ले सकते हैं। सभी की
तरफ से ईमेल आयेगा आपके पास, ओ.के. ओ.के, ज्यादा नहीं आयेगा। पढ़ना पड़ता है ना आपको।
(दादी जानकी को), बस सिर्फ ओ.के. बाप भी ओ.के. वालों को गुप्त में बहुत स्नेह की
दुआओं की वर्षा करते हैं। वाह! बच्चे वाह! का गीत गाते हैं। चाहे भारत वाले, चाहे
विदेश वाले लेकिन कोई-कोई बच्चे गुप्त रीति से तीव्र पुरूषार्थ कर रहे हैं और
बापदादा के पास लिस्ट भी है, भारत में भी है विदेश में भी है लेकिन बापदादा अभी
बहुतकाल देखने चाहता है, कर रहे हैं लेकिन बहुतकाल चाहिए। तो बहुतकाल बापदादा नोट
कर रहे हैं, कि बहुतकाल के तीव्र पुरूषार्थी कौन कौन हैं। बीच-बीच में अगर ढीले हो
जाते हैं तो बहुतकाल तो कट हो जाता है ना इसीलिए बापदादा लिस्ट निकाल रहा है, अभी
थोड़े हैं। बनना तो सबको है। भारत वालों को भी बनना है, विदेश वालों को भी बनना है
लेकिन कोई कोई गुप्त अच्छे है। बापदादा गिनती करते रहते हैं, कितने बच्चे हैं ऐसे।
अभी बहुतकाल पर अटेन्शन रखो। क्योंकि बहुतकाल के विजयी बहुतकाल का फुल आधा कल्प के
राज्यभाग्य के अधिकारी बनेंगे। अगर बीच बीच में किया, आधा समय किया, पौना समय किया
तो प्राप्ति राज्य भाग्य की भी इतनी होगी। इसीलिए बापदादा डबल विदेशियों को विशेष
थैंक्स भी देते हैं अटेन्शन है, लेकिन बीच बीच में टेन्शन भी आ जाता है। अभी टेन्शन
खत्म, अटेन्शन। ऐसी लिस्ट में आ जाओ, बहुतकाल के तीव्र पुरूषार्थी। कभी-कभी वाले नहीं,
लगातार। ठीक है ना। हैं, बापदादा देखते हैं कि उम्मींदवार सितारे हैं। प्रैक्टिकल
स्टेज पर आ जायेंगे। ठीक है ना। है ना ऐसे! उम्मींदवार सितारे हैं ना। बाप की आशाओं
के सितारे बच्चे हैं। अच्छा। मुबारक हो, मुबारक हो।
इन्टरनेशनल यूथ ग्रुप:-
यूथ ग्रुप की विशेषता
यह प्रसिद्ध है कि यूथ जो चाहे वह कर सकते हैं। तो इस वर्ष आप यूथ ग्रुप क्या
संकल्प पूरा करेंगे? जो बापदादा ने कहा है - वह यूथ ग्रुप करके दिखायेंगे! करेंगे?
निवारण स्वरूप। कारण नहीं, निवारण स्वरूप। समाधान स्वरूप। आपस में लेन-देन करते रहते
हैं ना। तो यह लक्ष्य रखके जाओ कि बहुतकाल समाधान स्वरूप बनके ही उड़ना है। कारण
आयेंगे लेकिन आप यूथ में ताकत है कारण को निवारण में चेंज करना। क्या करें, कारण है
ना, यह यूथ नहीं बोल सकता। शक्तिवान हो। तो ठीक है यह होम वर्क करेंगे! करेंगे
होमवर्क? अच्छा रिजल्ट लिखते रहना। ओ.के. ओ.के. की रिजल्ट लिखना। अच्छा है। बापदादा
को यूथ ग्रुप में बहुत अच्छी आशायें हैं। कर रहे हैं, प्लैन बना रहे हैं अब
प्रैक्टिकल में करके दिखाओ, जो भी आपको देखे कहे यह तो फरिश्ता है। फरिश्ता फरिश्ता
दिखाई दो। फरिश्ते की चाल उड़ती कला। नीचे ऊपर नहीं। उड़ने वाले और उड़ाने वाले। कमज़ोर
को भी उड़ाने वाले। नीचे आने वाले नहीं। तो ऐसा प्लैन बनाया है! ऐसा सोचा है? कोई
कमाल करके दिखाना। बाकी अच्छा है हर वर्ष मिलते हो, यह बहुत अच्छा। उमंग उल्हास बढ़ता
है। अभी की रिजल्ट भी सुनी है, कुछ बनाया है ना, चिटकियां लिखी हैं, वह भी सुना है।
यह अच्छा बनाया है। अच्छा पुरूषार्थ किया है। अभी सभी की यह चिटकी नीचे गिरे कि
अच्छे ते अच्छे हैं। परसेन्टेज नहीं, अच्छे ते अच्छे। हो सकता है बड़ी बात नहीं है।
अच्छा। (सबने वायदा किया है कि बाबा की आश पूरा करेंगे, विदेश और भारत में साथ-साथ
सेवा करेंगे, ऐसा संकल्प है, इसका प्लान बनायेंगे) अच्छा है। अच्छा - मधुबन के आप
सभी श्रृंगार हो। देखो आप जब आते हो मधुबन में तो कितना मधुबन सज जाता है। मधुबन
में आना अच्छा लगता है ना कि मुश्किल लगता है? मेहनत लगती है? लगती है मेहनत या खुशी
होती है?
अच्छा। अभी हर एक अपने
को मन के मालिक अनुभव कर एक सेकण्ड में मन को एकाग्र कर सकते हो? आर्डर कर सकते हो?
एक सेकण्ड में अपने स्वीट होम में पहुंच जाओ। एक सेकण्ड में अपने राज्य स्वर्ग में
पहुंच जाओ। मन आपका आर्डर मानता है वा हलचल करता है? मालिक अगर योग्य है, शक्तिवान
है, तो मन नहीं माने, हो नहीं सकता। तो अभी अभ्यास करो एक सेकण्ड में सभी अपने
स्वीट होम में पहुंच जाओ। यह अभ्यास सारे दिन में बीच-बीच में करने का अटेन्शन रखो।
मन की एकाग्रता स्वयं को भी और वायुमण्डल को भी पावरफुल बनाती है। अच्छा।
चारों ओर के अति सर्व
के स्नेही, सर्व के सहयोगी श्रेष्ठ आत्माओं को, चारों ओर के विजयी बच्चों को, चारों
ओर के परिवर्तन शक्तिवान बच्चों को, चारों ओर के सदा स्वयं को प्रत्यक्ष कर बाप को
प्रत्यक्ष करने वाले बच्चों को, सदा समाधान स्वरूप विश्व परिवर्तक बच्चों को बापदादा
का यादप्यार और दिल की दुआयें स्वीकार हों। साथ में सभी बच्चों को जो बाप के भी
सिरताज हैं, ऐसे सिरताज बच्चों को बापदादा की नमस्ते।
दादियों से:- (दादी
जी से):- सभी
आपका मुस्कराता हुआ चेहरा देखना चाहते हैं। देखो सभी मुस्करा रहे हैं, आपको देखकरके
सब मुस्करा रहे हैं। अच्छा है, सभी को दिल से स्नेह दिया है, इसलिए सभी के दिल का
स्नेह है और स्नेह आपको लिफ्ट माफिक आगे बढ़ा रहा है। सीढ़ी नहीं चढ़ने वाली हो, लिफ्ट
में पहुंच जाओगी। सब दादियों को देखकर खुश होते हैं ना। क्योंकि दादियों ने
नि:स्वार्थ सेवा की है। हर एक को दिल की दुआओं से पालना की है। चाहे साथ रहते हैं,
चाहे दूर रहते हैं, लेकिन दुआओं की, स्नेह की, एक सेकण्ड की दुआओं की दृष्टि या
दुआओं भरा संकल्प पालना कर देता है। तो आप सभी को दिल होती है ना दादियों की दृष्टि
मिले, दादियों की दृष्टि मिले। तो यह विशेषता जो दादियों ने आपको दी, उससे आप भी
सेकण्ड में किसी को स्नेह देकर खुश कर दो। कैसा भी कोई हो लेकिन स्नेह दिल का,
सिर्फ बोल का नहीं, बाहर का नहीं लेकिन दिल का स्नेह किसी को भी स्नेही बना सकता
है। जैसे दादियां जल्दी से दिलशिकस्त नहीं होती - यह तो बदलना ही नहीं है, यह तो
होना ही नहीं है। सदा शुभ उम्मीदें रखती हैं, बापदादा को फॉलो किया। बापदादा के पास
पहले बारी जब आप आये तो कैसे आये थे, 63 जन्म के पाप इकट्ठे किये हुए आये, लेकिन
बापदादा ने आशाओं के दीपक समझ चमकता हुआ सिताराबना दिया। न घृणा रखी, न दिलशिकस्त
हुए, ऐसे आप भी इस वर्ष किसी से भी न दिलशिकस्त होना, न थकना, स्नेह और सहयोग देते
रहना। पॉजिटिव में परिवर्तन करते रहना, निगेटिव नहीं देखना। तो देखना इस वर्ष में
ही समय को समीप ले आयेंगे। ऐसा वायुमण्डल बनाओ। कहाँ भी किसी के प्रति कोई भाव और
नहीं, शुभ भावना शुभ कामना। गिरे हुए परवश आत्माओं को अपना सहयोग देके उठाओ। सब उठके
उड़ेंगे। सबको नज़र आयेंगे फरिश्ते ही फरिश्ते घूम रहे हैं। यह साक्षात्कार होना है।
अनुभव करेंगे पता नहीं कहाँ फरिश्तों का झुण्ड सृष्टि पर आ गया है हमको उठाने के
लिए। एक दो को देखो ही फरिश्ते स्वरूप में। यह फलाना है, फलाना है नहीं, फरिश्ता
है। ठीक है। दादियों से यह सीखो। शुभ भावना, शुभ कामना दो, स्टाक है आपके पास,
लेकिन देने में दाता कम बनते हो। निगेटिव न देखो, न सुनो, न बोलो, न सोचो।
उमंग-उत्साह के पंखों से उड़ते रहो और उड़ाते रहो। अच्छा है ना, दादियां स्टेज पर आती
हैं, सबके चेहरे मुस्कराने लगते हैं। अच्छा। (दादी बाबा को कह रही हैं - बाबा सबका
आपसे बहुत प्यार है) आपसे भी सबका हजारगुणा ज्यादा प्यार है।
तीनों बड़े भाईयों
से:- मधुबन के
बिना तो गति ही नहीं है। आपसे भी पाण्डवों से, ऐसे उन्हों को फीलिंग आये, यह दादियों
को फॉलो करने वाले हैं। फॉलो बाप को करते हैं लेकिन निमित्त आप सबसे फीलिंग आवे कि
यह हमको देने वाले हैं, सहयोग देने वाले हैं, दिल का स्नेह देने वाले हैं। कभी भी
कोई दिलशिकस्त हो, तो समझें यह हमको सहयोग देने वाले हैं। अभी इस रूप को प्रत्यक्ष
करो। अन्दर होगा लेकिन अभी प्रत्यक्ष करो। ठीक है ना। कमाल करेंगे, पाण्डव कम थोड़ेही
हैं। पाण्डवों का गायन भी विशेष है। साथी पाण्डव दिखाये गये हैं। शक्तियों को मैदान
में दिखाया गया है लेकिन पाण्डव साथी दिखाये गये हैं। साथ देने वाले और साथ रहने
वाले, बाप के साथ रहने वाले और सर्व को साथ देने वाले। ठीक है। (रमेश भाई से) तबियत
ठीक है, सम्भाल करो। (गोलक भाई से) अथक है ना या थक जाते हो। खिटखिट होती है लेकिन
खिटखिट को खुशी के रूप में परिवर्तन करो। माला है ना। नम्बरवन और लास्ट कुछ तो
अन्तर होगा ना, सब एक जैसे तो नहीं होंगे। ठीक है। ठीक चल रहा है।
2006 वर्ष की विदाई
और 2007 की बधाई
(रात्रि 12 बजे के
बाद बापदादा ने सभी बच्चों को नये वर्ष की बधाई वा मुबारक दी)
सभी को नये वर्ष की
पदम-पदमगुणा बधाईयां भी हों, दिल की दुआयें भी हैं और दिलाराम के दिल की यादप्यार
भी है। सदा इस वर्ष में उड़ते रहना और उड़ाते रहना। सभी आत्माओं को अपने मन की कामनायें
पूर्ण करने वाले दाता के बच्चे मास्टर दाता बन सुख, शान्ति, प्यार, दुआयें देते रहना
और हर एक को बाप का परिचय देते हुए मुक्ति का वर्सा देते रहना। अच्छा - विदाई और
बधाई के संगम का विशेष यादप्यार।