ओम् शान्ति।
यह गीत तो बच्चों ने बहुत बार सुना है। यह तो रक्षाबंधन का उत्सव वा गीत भक्तिमार्ग
में मनाते गाते आते हैं। अब यह है ज्ञान मार्ग। बाप बच्चों को कहते हैं बच्चे इस
माया रावण पर जीत पाने से तुम जगत जीत अर्थात् जगत के मालिक बनेंगे। तुम बच्चे जानते
हो कि मेहनत ही 5 विकारों पर जीत पाने की है। इसमें भी काम विकार है बड़ा शत्रु।
पवित्रता के कारण ही मारामारी हंगामा आदि होता है। ऊंच ते ऊंच बाप ही माया पर जीत
पहनाए जगत का मालिक बना सकते हैं। यह तो बच्चे जानते हैं। बेहद बाप का वर्सा पाने
हमको पवित्र जरूर बनना है। जिस्मानी पढ़ाई भी पवित्रता में ही पढ़ी जाती है। यह है
रूहानी पढ़ाई। इसमें बर्तन सोने का अर्थात् पवित्र चाहिए, जिसमें ज्ञान धन ठहर सके।
पवित्र बनने में टाइम लगता है क्योंकि अभी सबका बर्तन ठिक्कर का बन गया है। बाप
समझाते हैं अब तुम्हें पवित्र बन वापिस जाना है। जितना-जितना ज्ञान योग की धारणा
होती जायेगी, उतना बुद्धि पवित्र होती जायेगी क्योंकि अब बुद्धि में है कि हमको
वापिस लौटना है। आइरन एज से कॉपर एज में आना है, फिर सिल्वर एज में, फिर गोल्डन एज
में आना है। यह पढ़ाई ऐसी है जो चलते-चलते फिर माया का वार हो जाता है। सब तो
पवित्र रह नहीं सकते। माया बड़े तूफान में लाती है। आइरन एज से कॉपर एज तक आते-आते
माया के तूफान घेर लेते हैं तो बुद्धि फिर आइरन एजेड बन जाती है और गिर पड़ते हैं।
गिरना और चढ़ना यह तो है जरूर। चढ़कर फिर कॉपर एज, सिल्वर एज, गोल्डन एजेड में आना
है। पढ़ते-पढ़ते ज्ञान सुनते-सुनते पिछाड़ी में हमारी वह गोल्डन एज बुद्धि बनेगी तब
हम शरीर छोड़ देंगे। इस समय गिरना चढ़ना बहुत होता है। टाइम लगता है। जब बुद्धि
गोल्डन एजेड बन जाती है फिर राज्य अधिकारी बनते हैं। गाया भी हुआ है - पवित्रता की
राखी बांधने से राजतिलक मिलेगा। सो तुम बच्चे जानते हो - हमको राजाई प्राप्त करने
के लिए पवित्रता की प्रतिज्ञा करनी है। ज्ञान और योग की धारणा करने में कितना समय
लगता है। गोल्डन एज से आइरन एज तक आने में तो 5 हजार वर्ष लगते हैं। अब तो पढ़ना है
- सो तो इस एक जन्म में ही होना है। जितना ऊंच पढ़ते जायेंगे, खुशी बढ़ती जायेगी।
हम राजधानी स्थापन कर रहे हैं, बुद्धि योग-बल और ज्ञानबल से। हर बात में बल होता
है। थोड़ा पढ़ने में थोड़ा बल, जास्ती पढ़ने में जास्ती बल मिलता है। बड़ा पद मिलता
है। यह भी ऐसे है। कम पढ़ने से पद भी कम मिलता है। बाप ने समझाया है - यह ब्राह्मण
धर्म बहुत छोटा है। ब्राह्मण ही देवता सूर्यवंशी चन्द्रवंशी बनते हैं। अभी
पुरूषार्थ कर रहे हैं। तुम ऐसे समझो - अजुन हम कॉपर एज तक पहुँचे हैं। फिर सिल्वर,
गोल्डन एज तक आना है। पिछाड़ी में बच्चे भी ढेर हो जाते हैं ना। सारा मदार है -
पवित्रता पर। जितना याद में रहेंगे उतना बल मिलेगा। बाप से प्रतिज्ञा की है - हम
पवित्र बन भारत को पवित्र बनायेंगे। बच्चे राखी बांधने जाते हो तो भी समझाना होता
है। आज से 5 हजार वर्ष पहले भी पतित से पावन बनने के लिए हम यह राखी बांधने आये थे।
तो राखी बंधन तो एक दिन की बात नहीं। पिछाड़ी तक चलता रहेगा। प्रतिज्ञा करते रहेंगे।
पढ़ाई पर ध्यान देते रहेंगे। तुम जानते हो ज्ञान और योग से आइरन एज से हमें गोल्डन
एज में जाना है। तमोप्रधान से सतोप्रधान होना है। यह बातें और कोई नया समझ न सके
इसलिए तुम्हारी 7 रोज़ की भट्ठी मशहूर है। पहले नब्ज देखनी पड़ती है। जब तक बाप का
परिचय नहीं हुआ है, निश्चय नहीं बैठा है तब तक समझेंगे नहीं। तुम्हारे द्वारा परिचय
पाते जायेंगे। झाड़ वृद्धि को पाता रहेगा। स्वराज्य स्थापन होने में समय लगता है।
जब तक तुम गोल्डन एज में न आओ तब तक सृष्टि का विनाश हो नहीं सकता। वह समय आयेगा
बहुत ढेर बच्चे हो जायेंगे। अभी रक्षाबंधन पर बड़े-बड़े आदमियों पास जायेंगे। उनको
भी समझाना पड़े। पतित-पावन बाप इस पतित दुनिया को पावन बनाने इस संगम पर ही आते
हैं। बरोबर भारत पावन था, अभी तो पतित है। महाभारत लड़ाई सामने खड़ी है। भगवान बाप
कहते हैं बच्चे माया रावण तुम्हारा बड़ा दुश्मन है। वह तो जिस्मानी छोटे-छोटे
दुश्मन है। भारत का सबसे बड़ा दुश्मन रावण है, इसलिए पवित्रता की राखी बांधनी है।
प्रतिज्ञा करनी है हे बाबा भारत को श्रेष्ठाचारी बनाने के लिए हम पवित्र रहेंगे। औरों
को भी बनाते रहेंगे। अभी सब रावण से हार खाये हुए हैं। भारत में ही रावण को जलाते
रहते हैं। आधाकल्प रावण का राज्य चला है। यह तुमको समझाना पड़े। समझाने बिगर राखी
बांधना कोई काम का नहीं। यह कहानी तुम ही जानते हो। और कोई ऐसे नहीं कहेंगे कि 5
हजार वर्ष पहले भी बाप ने कहा था कि पवित्र बनेंगे तो सतयुग में नर से नारायण का पद
पायेंगे। यह सत्य-नारायण की वा अमरनाथ की कथा तुम ही सुना सकते हो। समझाना पड़ता है
- भारत पवित्र था। सोने की चिड़िया थी। अभी तो पतित है। लोहे की चिड़िया कहेंगे।
बाप का परिचय देकर बोलो कि मानते हो बरोबर बाप ब्रह्मा द्वारा वर्सा देते हैं? बाप
कहते हैं अब मुझे याद करो। 84 जन्म पूरे होते हैं। माया से हार खाई है। अब फिर माया
पर जीत पानी है। बाप ही आकर कहते हैं बच्चे अब पवित्र बनो। बच्चे कहते हैं - हाँ
बाबा। हम आपके मददगार जरूर बनेंगे। पवित्र बनकर भारत को पवित्र जरूर बनायेंगे। बोलो,
हम कोई आपसे पैसे लेने नहीं आये हैं। हम तो बाप का परिचय देने आये हैं। तुम सब बाप
के हमजिन्स हो ना। बाप आकर मैसेज देते हैं। राय देते हैं हे बच्चों और सबका बुद्धि
से त्याग करो, तुम नंगे (अशरीरी) आये थे। पहले-पहले तुमने स्वर्ग में पार्ट बजाया।
तुम गोरे अर्थात् पवित्र थे। फिर काम चिता पर बैठने से अभी काले बन गये हो। भारत
गोल्डन एजड था। अभी भारत को आइरन एजेड कहा जाता है। अभी फिर काम चिता से उतर ज्ञान
चिता पर बैठना है। बाप कहते हैं मामेकम् याद करो। पवित्रता का प्रण करो। एक बाप के
बच्चे हम भाई-बहन हैं। तुम भी बच्चे हो, परन्तु समझते नहीं हो। बी.के. बनेंगे तब ही
शिवबाबा से वर्सा ले सकते हो। यह है ही पतित भ्रष्टाचारियों की दुनिया। एक भी
श्रेष्ठाचारी नहीं है। सतयुग में एक भी भ्रष्टाचारी नहीं होता। यह बेहद की बात है।
सारी श्रेष्ठाचारी दुनिया की स्थापना करना, एक बाप का ही काम है। हम ब्रह्माकुमार
कुमारियां बाप से वर्सा लेते हैं। पवित्रता की प्रतिज्ञा करते हैं। जो पवित्रता की
गैरन्टी करते हैं उनका फोटो निकाल हम एलबम बनाते हैं। पावन बने बिगर पावन दुनिया
में जाने का सर्टीफिकेट मिल न सके। बाप ही आकर लायक बनाए सर्टीफिकेट देते हैं। सर्व
का पतित-पावन, सद्गति दाता एक ही बाप है। पतित लायक नहीं हैं ना। भारत ही
इनसालवेन्ट दु:खी हो पड़ा है क्योंकि पतित है। सतयुग में पावन थे, तो भारत सुखी था।
अब बाप कहते हैं पावन बनो। आर्डीनेंस निकालो, जो पावन बनने चाहते हैं उनको नंगन नहीं
किया जाए। पुरूष लोग विकार के लिए बहुत तंग करते हैं, इसलिए मातायें भारत को
श्रेष्ठ बनाने में मदद नहीं कर सकती हैं। इस पर प्रोब बनाना चाहिए। परन्तु वह ताकत
अजुन बच्चों में आई नहीं है। जब गोल्डन स्टेज में आयेंगे तब वह फलक होगी, किसको
समझाने की। बच्चों को दिन-प्रतिदिन प्वाइंट्स बहुत मिलती रहती है। बच्चे समझते हैं
बड़ी ऊंची चढ़ाई है। माँ-बाप को फालो करना पड़े। मात-पिता तो कहते हैं। वह बाप है,
तो यह माता हो गई। परन्तु मेल है इसलिए माता को कलष दिया जाता है। तुम भी मातायें
हो, पुरूष भाई हैं। भाई बहन को, बहन भाई को पवित्रता की प्रतिज्ञा कराते हैं। माताओं
को आगे बढ़ाया जाता है। वो लोग माताओं को उठा रहे हैं। आगे थोड़ेही प्रेजीडेंट,
प्राइममिनिस्टर आदि फीमेल बनती थी। आगे तो राजाओं का राज्य था। आगे कोई नई
इन्वेन्शन निकालते थे तो राजा को जाकर बोलते थे। वह फिर उनको बढ़ाने के लिए
डायरेक्शन देते थे। यहाँ तो है ही प्रजा का राज्य। कोई मानेंगे, कोई नहीं मानेंगे।
मेहनत करनी पड़ती है। तुम जानते हो श्री कृष्ण का गीता में नाम डाल बड़ी भूल कर दी
है। हमारी बात को एक मानेंगे दूसरे नहीं मानेंगे। आगे चलकर तुम्हारे में ताकत आयेगी।
आत्मा कहती है हमको गोल्डन एज में जाना है। बुद्धि का ताला अब खुला है। ज्ञान को
अच्छी रीति अब समझ सकते हैं। आखरीन पिछाड़ी में सब समझेंगे जरूर। अबलाओं पर
अत्याचार होते हैं। यह शास्त्रों में है कि द्रोपदी के चीर उतारे थे। तो उस समय याद
करने सिवाए और कर ही क्या सकेंगे। अन्दर में शिवबाबा को याद करेंगे तो वह पाप नहीं
लगता है। परवश है। हाँ, बचने की कोशिश करनी है। हर एक का कर्म बन्धन अलग-अलग है।
कोई तो एकदम स्त्री को मार भी देते हैं, तो समझा जाता है कि वह वहाँ अच्छा पद पा
लेंगी। कर ही क्या सकते। पवित्र रहने की युक्ति बाप अच्छी रीति समझाते हैं।
ब्रह्माकुमार कुमारी भाई बहन हो गये, विकार की दृष्टि जा नहीं सकती। बाप कहते हैं
अगर इस प्रतिज्ञा को तोड़ेंगे तो बड़ी चोट लगेगी। बुद्धि भी कहती है - बेहद के बाप
का मानेंगे नहीं तो चोट खायेंगे, गिर पड़ेंगे। घड़ी-घड़ी फिर गिरते रहेंगे तो हार
खा लेंगे। यह बॉक्सिंग है ना। यह सब गुप्त बातें हैं। यहाँ मुख्य है - पवित्रता और
पढ़ाई। और कोई पढ़ाई नहीं। भक्ति मार्ग के अथाह धन्धे हैं। भक्त लोग भक्ति करते भी
कह देते हैं - भगवान तो कण कण में है। अभी तुम्हें नॉलेज मिली है। आगे तो तुम भी
कहते थे भगवान सर्वव्यापी है, जहाँ देखो तू ही तू है। सब भगवान की लीला है। भगवान
भिन्न-भिन्न रूप धारण कर लीला कर रहा है। अच्छा कण कण में क्या लीला करेंगे? बेहद
के बाप की ग्लानी कर देते हैं। यह भी खेल है तब बाप को आना पड़ता है। बच्चों को खुशी
होनी चाहिए। बाप का डायरेक्शन मिलता है - तुमको पवित्र बनना है, अगर पवित्र दुनिया
में चलना चाहते हो तो। ऐसे नहीं स्वर्ग में तो जायेंगे ना, फिर क्या पद पायेंगे। वह
कोई पुरूषार्थ नहीं। पुरूषार्थ करना है राजा-रानी बनने के लिए। ड्रामा के राज़ को
कोई समझते नहीं है। अभी तुम जानते हो कल्प-कल्प हम बाप से वर्सा लेते हैं। बाबा आते
हैं। चित्र भी देखो कितने अच्छे बने हुए हैं। बड़े चित्रों के आगे ले आना है। तुम
सब सर्जन हो - शिवबाबा अविनाशी गोल्डन सर्जन है। तुम भी नम्बरवार सर्जन हो। अभी कोई
सम्पूर्ण गोल्डन एजेड बना नहीं है। तुमको सर्विस करनी है। समझाने समय हर एक की नब्ज
देखनी है। महारथी जो हैं वह अच्छी नब्ज देखेंगे। तुमको पूरा गोल्डन एजेड बनना है।
अभी बने नहीं हैं। बनने में टाइम लगता है। माया के तूफान बहुत तंग करते हैं। यह सब
बातें समझ की होती हैं। बाप से पूरा वर्सा लेना है और बहुत सच्चाई से चलना है।
अन्दर कोई खराबी नहीं होनी चाहिए। माया हैरान करती है क्योंकि योग नहीं है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप से प्रतिज्ञा कर फिर तोड़नी नहीं है, पवित्रता और पढ़ाई से आत्मा
को गोल्डन एजेड बनाना है।
2) और सबका बुद्धि से त्याग कर अशरीरी बनने का अभ्यास करना है। योगबल से माया के
तूफानों पर विजय पानी है।