31-12-2005 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"नये वर्ष में अपने पुराने
संस्कारों को योग अग्नि में भस्म कर ब्रह्मा बाप समान त्याग, तपस्या और सेवा
में नम्बरवन बनो"
आज बापदादा चारों ओर
के चाहे सम्मुख हैं, चाहे दूर बैठे दिल के समीप हैं, सर्व को तीन मुबारक दे रहे
हैं। एक नवजीवन की मुबारक है, दूसरी नवयुग की मुबारक है और तीसरी आज के दिन वर्ष की
मुबारक है। आप सभी भी नये वर्ष की मुबारक देने और मुबारक लेने आये हो। वास्तव में
सच्ची दिल के खुशी की मुबारकें आप ब्राह्मण आत्मायें लेते भी हो, देते भी हो। आज के
दिन का महत्व है। विदाई भी है और बधाई भी है। विदाई और बधाई का संगमयुग है। आज के
दिन को कहेंगे संगम का दिन है। संगम की महिमा बहुत बड़ी है। आप सभी जानते हो कि
संगमयुग की महिमा के कारण आजकल पुराने और नये वर्ष के संगम को कितना धूमधाम से मनाते
हैं। संगमयुग की महिमा के कारण ही इस पुराने नये वर्ष के संगम की महिमा है। जहाँ दो
नदियां मिलती हैं, संगम होता है, उनकी भी महिमा है। जहाँ नदी सागर का संगम होता है
उसकी भी महिमा है। लेकिन सबसे बड़ी महिमा इस संगमयुग की है, पुरूषोत्तम युग की है,
जहाँ आप ब्राह्मण भाग्यवान आत्मायें बैठे हो। यह नशा है ना! अगर आपसे कोई पूछे आप
किस समय पर हो? क्या कलियुग में रहते हो, सतयुग में रहते हो? तो क्या फलक से कहेंगे?
हम इस समय पुरूषोत्तम संगमयुग में रहते हैं। आप कलियुगी नहीं हो, संगमयुगी हो। और
इस संगमयुग की विशेष महिमा क्यों है? क्योंकि भगवान और बच्चों का मिलन होता है, मेला
होता है, मिलन होता है, जो किसी भी युग में नहीं होता। तो मेला मनाने आये हो ना! आप
कहाँ-कहाँ से आये हो मिलन मेला मनाने के लिए। कभी स्वप्न में भी सोचा था कि ड्रामा
में मुझ आत्मा का ऐसा भी भाग्य नूंधा हुआ है। था और है - आत्मा का परमात्मा से मिलने
का। बाप भी हर एक बच्चे के भाग्य को देख हर्षित होते हैं। वाह! भाग्यवान बच्चे वाह!
अपने भाग्य को देख दिल में अपने प्रति वाह! मैं वाह! वाह! मेरा भाग्य वाह ! वाह!
मेरा बाबा वाह! वाह! मेरा ब्राह्मण परिवार वाह! यह वाह, वाह के गीत ऑटोमेटिक दिल
में गाते रहते हो ना।
तो आज इस संगम के समय
अपने अन्दर सोच लिया है कि किस-किस बातों को विदाई देनी है? सोचा है सभी ने? सदाकाल
के लिए विदाई देनी है क्योंकि सदाकाल के लिए विदाई देने से सदाकाल की बधाईयाँ मना
सकेंगे। ऐसी बधाई दो जो आपके चेहरे को देख जो भी आत्मा सामने आये वह भी बधाईयां
प्राप्त कर खुश हो जाए। जो दिल से बधाई देते हैं वा लेते हैं वह सदा ही कैसे दिखाई
देते हैं? संगमयुगी फरिश्ता। सभी का यही पुरूषार्थ है ना - ब्राह्मण सो फरिश्ता और
फरिश्ता सो देवता। क्योंकि बाप को सब प्रकार के संकल्प वा जो भी कुछ प्रवृत्ति का,
कर्म का बोझ है वह दे दिया है ना। बोझ दिया है या थोड़ा सा रह गया है? क्योंकि थोड़ा
भी बोझ फरिश्ता बनने नहीं देगा और जब बाप आये हैं बच्चों का बोझ लेने के लिए तो बोझ
देना मुश्किल है क्या! मुश्किल है या सहज है? जो समझते हैं बोझ दे दिया है वह हाथ
उठाओ। दे दिया है? देखना सोच के हाथ उठाना। बोझ दे दिया है? अच्छा। दे दिया है?
मुबारक हो। दे दिया है तो बहुत मुबारक हो। और जिन्होंने नहीं दिया है वह किसलिए रखा
है? बोझ से प्रीत है क्या? बोझ अच्छा लगता है? देखो बापदादा हर बच्चे को क्या कहते
हैं? ओ मेरे बेफिकर बादशाह बच्चे। तो बोझ का फिकर होता है ना! तो बोझ लेने के लिए
बाप आये हैं क्योंकि 63 जन्म से बाप देख रहे हैं बोझ उठाते-उठाते सभी बच्चे बहुत
भारी हो गये हैं। इसलिए जब बाप बच्चों को प्यार से कह रहे हैं बोझ दे दो। फिर भी
क्यों रख लिया है? अच्छा लगता है बोझ? सबसे सूक्ष्म बोझ है पुराने संस्कार का।
बापदादा ने हर बच्चे के इस वर्ष का, क्योंकि वर्ष पूरा हो रहा है ना, तो इस वर्ष का
चार्ट देखा। आप सबने भी अपना-अपना वर्ष का चार्ट चेक किया होगा? तो बापदादा ने क्या
देखा कि कई बच्चों को इस पुराने संसार की आकर्षण कम हुई है? पुराने सम्बन्ध की भी
आकर्षण कम हुई है लेकिन पुराने संस्कार, उसका बोझ मैजारिटी में रहा हुआ है। किसी न
किसी रूप में चाहे मन्सा अशुद्ध संकल्प नहीं लेकिन व्यर्थ संकल्प का संस्कार अभी भी
परसेन्ट में दिखाई देता है। वाचा में भी दिखाई देता है। सम्बन्ध-सम्पर्क में भी कोई
न कोई संस्कार अभी भी दिखाई देता है।
तो आज बापदादा सभी
बच्चों को मुबारक के साथ-साथ यही इशारा देते हैं कि यह रहा हुआ संस्कार समय पर धोखा
देता भी है और अन्त में भी धोखा देने के निमित्त बन जायेगा। इसीलिए आज संस्कार का
संस्कार करो। हर एक अपने संस्कार को जानता भी है, छोड़ने चाहता भी है, तंग भी है,
लेकिन सदा के लिए परिवर्तन करने में तीव्र पुरूषार्थी नहीं हैं। पुरूषार्थ करते हैं
लेकिन तीव्र पुरूषार्थी नहीं हैं। कारण? तीव्र पुरूषार्थ क्यों नहीं होता? कारण यही
है, जैसे रावण को मारा भी लेकिन सिर्फ मारा नहीं, जलाया भी। ऐसे मारने के लिए
पुरूषार्थ करते हैं, थोड़ा बेहोश भी होता है संस्कार, लेकिन जलाया नहीं तो बेहोशी से
बीच-बीच में उठ जाता है। इसके लिए पुराने संस्कार का संस्कार करने के लिए इस नये
वर्ष में योग अग्नि से जलाने का दृढ़ संकल्प का अटेन्शन रखो। कहते हैं ना क्या करना
है इस नये वर्ष में? सेवा की तो बात अलग है लेकिन पहले स्वयं की बात है - योग लगाते
हो, बापदादा बच्चों को योग में अभ्यास करते हुए देखते हैं। अमृतवेले भी बहुत
पुरूषार्थ करते हैं लेकिन योग तपस्या, तप के रूप में नहीं करते हैं। प्यार से याद
जरूर करते हैं, रूहरिहान भी बहुत करते हैं, शक्ति भी लेने का अभ्यास करते हैं लेकिन
याद को इतना पावरफुल नहीं बनाया, जो जो संकल्प करो विदाई, तो विदाई हो जाए। योग को
योग अग्नि के रूप में कार्य में नहीं लगाते। इसलिए योग को पावरफुल बनाओ। एकाग्रता
की शक्ति विशेष संस्कार भस्म करने में आवश्यक है। जिस स्वरूप में एकाग्र होने चाहो,
जितना समय एकाग्र होने चाहो, ऐसी एकाग्रता संकल्प किया और भस्म। इसको कहा जाता है
योग अग्नि। नामनिशान समाप्त। मारने में फिर भी लाश तो रहता है ना। भस्म होने के बाद
नामनिशान खत्म। तो इस वर्ष योग को पावरफुल स्टेज में लाओ। जिस स्वरूप में रहने चाहो
मास्टर सर्वशक्तिवान, आर्डर करो, समाप्त करने की शक्ति आपके आर्डर से नहीं माने, यह
हो नहीं सकता। मालिक हो। मास्टर कहलाते हो ना? तो मास्टर आर्डर करे और शक्ति हाजिर
नहीं हो तो क्या वह मास्टर है? तो बापदादा ने देखा कि पुराने संस्कार का कुछ न कुछ
अंश अभी भी रहा हुआ है और वह अंश बीच-बीच में वंश भी पैदा कर देता है, जो कर्म तक
भी काम हो जाता है। युद्ध करनी पड़ती है। तो बापदादा को बच्चों का समय प्रमाण युद्ध
का स्वरूप भाता नहीं है। बापदादा हर बच्चे को मालिक के रूप में देखने चाहता। आर्डर
करो जी हजूर।
तो सुना इस वर्ष स्व
के प्रति क्या करना है? शक्तिशाली, बेफिकर बादशाह क्योंकि सभी का लक्ष्य है, किसी
से भी पूछो तो क्या कहते हैं? हम विश्व का राज्य प्राप्त करेंगे, राज्य अधिकारी
बनेंगे। अपने को राजयोगी कहलाते हैं। प्रजायोगी है क्या? कोई है सारी सभा में जो
प्रजायोगी हो? है? जो प्रजा योगी हो राजयोगी नहीं हो। टीचर्स कोई है? आपके सेन्टर
पर कोई प्रजायोगी है? कहलाते तो सब राजयोगी हैं। हाथ कोई नहीं उठाता प्रजा योगी
में। अच्छा नहीं लगता ना। और बाप को भी फखुर है। बापदादा फखुर से कहते हैं कि संगम
पर भी हर बच्चा राजा बच्चा है। कोई बाप ऐसे फलक से नहीं कह सकता कि मेरा एक-एक बच्चा
राजा है। लेकिन बापदादा कहते हैं कि हर एक बच्चा स्वराज्य अधिकारी राजा है।
प्रजायोगी में तो हाथ नहीं उठाया ना, तो राजा हो ना! लेकिन ऐसा ढीलाढाला राजा नहीं
बनना जो आर्डर करो और आवे नहीं। कमज़ोर राजा नहीं बनना। पीछे वाले कौन हो? जो समझते
हैं राजयोगी हैं वह हाथ उठाओ। ऊपर भी बैठे हैं, (गैलरी में, आज हॉल में 18 हजार
भाई-बहनें बैठे हैं) बापदादा देख रहे हैं, हाथ उठाओ ऊपर वाले। तो अभी यह लास्ट टर्न
में शुरू हो जायेगा। तो तीन मास बापदादा देते हैं, ठीक है देवें। होमवर्क देंगे।
क्योंकि यह बीच-बीच का होमवर्क भी लास्ट पेपर में जमा होगा। तो तीन मास में हर एक
अपना चार्ट चेक करना तो मैं मास्टर सर्वशक्तिवान होकर किसी भी कर्मेन्द्रिय को, किसी
भी शक्ति को जब आर्डर करें, जो आर्डर करें वह प्रैक्टिकल में आर्डर माना या नहीं
माना? कर सकते हो? पहली लाइन वाले कर सकते हो? हाथ उठाओ। अच्छा। तीन मास कोई भी
पुराना संस्कार वार नहीं करे। अलबेले नहीं बनना, रॉयल अलबेलापन नहीं लाना, हो जायेगा।
बापदादा से बहुत मीठी मीठी बातें करते हैं, कहते हैं बाबा आप फिकर नहीं करो, हो
जाऊँगा। बापदादा क्या करेगा? सुनकर मुस्कुरा देता है। लेकिन बापदादा इन तीन मास में
अगर ऐसी बात की तो मानेगा नहीं। मंजूर है। हाथ उठाओ। दिल से हाथ उठाना, सभा के कारण
हाथ नहीं उठाना। करना ही है, चाहे कुछ भी सहन करना पड़े, कुछ छोड़ना पड़े, कोई हर्जा
नहीं। करना ही है। पक्का? पक्का? पक्का? टीचर्स करना है? अच्छा, यह ताज वाले बच्चे
क्या करेंगे? ताज तो अच्छा पहन लिया है? करना पड़ेगा। अच्छा। देखना बच्चे हाथ उठा रहे
हैं। अगर नहीं करेंगे तो क्या करें? वह भी बता दो। फिर बापदादा की सीजन में एक बार
आने नहीं देंगे क्योंकि बापदादा देख रहे हैं कि समय आपका इन्तजार कर रहा है। आप समय
का इन्तजार करने वाले नहीं हो, आप इन्तजाम करने वाले हो, समय आपका इन्तजार कर रहा
है। प्रकृति भी, सतोप्रधान प्रकृति आपका आह्वान कर रही है। तो तीन मास में अपनी
शक्तिशाली स्टेज में रहे हुए संस्कार को परिवर्तन करना। अगर तीन मास अटेन्शन रखा ना
तो उसका आगे भी अभ्यास हो जायेगा। एक बारी विधि आ गई ना परिवर्तन की तो काम में
आयेगा बहुत। समय का आप इन्तजार नहीं करो, कब विनाश होगा, कब विनाश होगा, सब
रूहरिहान में पूछते हैं, बाहर से नहीं बोलते लेकिन अन्दर बात करते हैं पता नहीं कब
विनाश होगा, दो साल में होगा 10 साल में होगा, कितना साल में होगा? आप क्यों समय का
इन्तजार करो, समय आपका इन्तजार कर रहा है। बाप से पूछते हैं तारीख बता दो, थोड़ा सा
वर्ष बता दो, 10 वर्ष लगेंगे, 20 वर्ष लगेंगे, कितना वर्ष लगेंगे?
बापदादा बच्चों से
प्रश्न पूछते हैं कि आप सब बाप समान बन गये हो? पर्दा खोलें कि पर्दा खोलेंगे तो
कोई कंघी कर रहा है, कोई फेस को क्रीम लगा रहा है, अगर एवररेडी हो, संस्कार समाप्त
हो गये तो बापदादा को पर्दा खोलने में क्या देरी लगेगी। एवररेडी तो हो जाओ ना! हो
जायेंगे, हो जायेंगे कहके बाप को बहुत समय खुश किया है। अभी ऐसा नहीं करना। होना ही
है, करना ही है। बाप समान बनना है इसमें तो सभी हाथ उठा देते हैं, उठाने की जरूरत
नहीं। ब्रह्मा बाप ने देखो साकार में तो ब्रह्मा बाप को फालो करना है ना! ब्रह्मा
बाप ने त्याग, तपस्या और सेवा लास्ट घड़ी तक साकार रूप में प्रैक्टिकल दिखाया। अपनी
ड्युटी शिव बाप द्वारा महावाक्य उच्चारण की ड्युटी लास्ट दिन तक निभाई। याद है ना?
लास्ट मुरली। तीन शब्द का वरदान, याद है? जिसको याद है वह हाथ उठाओ। अच्छा सभी को
याद है, मुबारक हो। त्याग भी लास्ट दिन तक किया, अपना पुराना कमरा नहीं छोड़ा। बच्चों
ने कितना प्यार से ब्रह्मा बाप को कहा लेकिन बच्चों के लिए बनाया, स्वयं नहीं यूज
किया। और सदा अढ़ाई तीन बजे उठकर स्वयं प्रति तपस्या की, संस्कार भस्म किये तब
कर्मातीत अव्यक्त बने, फरिश्ता बने। जो सोचा वह करके दिखाया। कहना, सोचना और करना
तीनों समान। फालो फादर। लास्ट तक अपने कर्तव्य में पूर्ण रहे, पत्र भी लिखे, कितने
पत्र लिखे? सेवा भी नहीं छोड़ी। फॉलो फादर। अखण्ड महादानी, महादानी नहीं, अखण्ड
महादानी का प्रैक्टिकल रूप दिखाया, अन्त तक। लास्ट तक बिना आधार के तपस्वी रूप में
बैठे। अभी बच्चे तो आधार लेते हैं ना, बैठने का। लेकिन ब्रह्मा बाप ने आदि से अन्त
तक तपस्वी रूप रखा। आंखों में चश्मा नहीं डाला। यह सूक्ष्म शक्ति है। निराधार। शरीर
पुराना है, दिन-प्रतिदिन प्रकृति हवा पानी दूषित हो रहा है इसलिए बापदादा आपको कहते
नहीं हैं, क्यों आधार लेते हो, क्यों चश्मा पहनते हो, पहनो भले पहनो, लेकिन
शक्तिशाली स्थिति जरूर बनाओ। सारी विश्व का कार्य समाप्त किया है? बापदादा आपसे
प्रश्न पूछता है, आप सभी सन्तुष्ट हो कि विश्व कल्याण का कार्य पूरा हो गया है? है,
जो समझते हैं कि विश्व कल्याण का कार्य समाप्त हो गया है, वह हाथ उठाओ। एक भी नहीं?
तो कैसे कहते हो विनाश होगा? काम तो पूरा किया नहीं।
सभी पूछते हैं नये
वर्ष में क्या करें? क्वेश्चन है। बापदादा कहते हैं सन्देश देने के मेगा प्रोग्राम
तो बहुत किये हैं, बापदादा मुबारक देते हैं, किया है अच्छा किया है लेकिन सन्देश
दिया है, अनुभव नहीं कराया है। इसके लिए जैसे अभी जहाँ-तहाँ एक दो को उमंग-उत्साह
दिलाते या उमंग-उत्साह देख करके भी उमंग-उत्साह से किया है, रिजल्ट भी अच्छी है
लेकिन अब ऐसा प्लैन बनाओ जिसमें रॉयल प्रजा तो बन जाये। रॉयल प्रजा अर्थात् नजदीक
कनेक्शन में आने वाले। सम्बन्ध-सम्पर्क में हैं, पहले तो 9 लाख तैयार करो, अभी 9
लाख हो गये हैं? हुए हैं? 9 लाख हुए हैं? कौन लिस्ट निकालता है? (लिस्ट अभी आयेगी,
पिछले साल की 8 लाख 12 हजार है) लेकिन 9 लाख अगर तैयार हुए हैं तो किस प्रकार के
तैयार हुए हैं, क्या नजदीक रॉयल प्रजा के योग्य हैं? यह भी तो चेक करना पड़ेगा ना।
अच्छा, अभी पोतामेल निकालना। एक तो 9 लाख पहले जन्म की प्रजा, रॉयल फैमिली तो चाहिए
ना। अगर विनाश कल कर दें तो रॉयल प्रजा तैयार है? है तैयार? कि तैयार करना पड़ेगा?
ऐसे मिलायेंगे तो मिल भी जायेंगे 9 लाख, लेकिन क्वालिटी भी चाहिए, संबंध सम्पर्क
वाले मिलायेंगे तो 9 लाख हो जायेगा। लेकिन बापदादा कहते हैं पहले जन्म वाली प्रजा
तो अच्छे नम्बर वाली होगी ना। क्योंकि उन्हों को भी सब वन वन नम्बर मिलना है, वन
नम्बर तारीख वन होगी, संवत वन होगा, राजाई वन होगी, तो ऐसी क्वालिटी पहले यह चेक करो
9 लाख तैयार हैं? रॉयल प्रजा तैयार है? रॉयल फैमिली तो तैयार होनी चाहिए। है भी,
थोड़ा सिर्फ इस वर्ष में संस्कार को खत्म करना। बापदादा का यह संकल्प है कि हर
सेन्टर इस योग अभ्यास का आफीशल प्रोग्राम अपने अपने सेन्टर में रखे और लक्ष्य रखे
एक ही तारीख पर देश विदेश का समय मिलाकर अखबार में निकले कि ब्रह्माकुमारियों के
इतने सेन्टर्स में एक ही समय यह प्रोग्राम होना है। और एम रखो सिर्फ कामेन्ट्री से
योग नहीं कराओ, अनुभव कराओ। अनुभव पक्का बनाती है। एक ही समय पर हर सेन्टर पर एक ही
प्रोग्राम हो। और हर एक सेन्टर अनुभव क्या किया, वह रिजल्ट लिखे। चाहे 3 दिन का
प्रोग्राम कराओ चाहे एक दिन का कराओ लेकिन इकट्ठे चारों ओर जैसे थर्ड सण्डे सभी जगह
रखते हो ना, अभी अनुभव कराने का प्रोग्राम चारों ओर एक समय लक्ष्य एक हो, लक्ष्य एक
समय एक और चारों ओर हो। तो देश वाले भी समझेंगे कि यह विश्व में पीस के लिए इतना
इक्ट्ठा एक समय प्रोग्राम रखा है। लक्ष्य रखो अनुभवी बनाने का। सिर्फ सुनकर चले नहीं
जायें, कुछ अनुभव करके जायें। आप लोग भी बाप के बने कैसे? कुछ न कुछ अनुभव किया,
चाहे प्यार किया, चाहे टोली खाके भी प्यार का अनुभव किया। बहनों के व्यवहार का
अनुभव किया, बहनों के मुस्कराने का, आजयान (खातिरी) करने का अनुभव किया, कुछ न कुछ
अनुभव किया तभी बने हो। तो ऐसे अनुभवी बनाओ, अभी अखण्ड सेवा करो। बहुत सेवा रही हुई
है। अच्छा।
आज के दिन मुबारक तो
एक दो को दे दी ना। दूसरा क्या करते हैं? गिफ्ट देते हैं। बापदादा के पास भी कितनी
गिफ्ट आई है, कार्ड आये हैं बहुत, सुन्दर-सुन्दर गिफ्ट भेजी है, आप लोग उठकर देखना।
तो वास्तव में जो भी आपके पास आये खाली नहीं जाये। चाहे मन्सा से शक्ति देने की
गिफ्ट दो। चाहे वाणी द्वारा ज्ञान की गिफ्ट दो, कर्म द्वारा गुणों की गिफ्ट दो।
लेकिन हर एक जो भी सम्बन्ध सम्पर्क में आते हैं उनको गिफ्ट जरूर दो। खाली हाथ नहीं
भेजो, आप मास्टर दाता हो, मास्टर दाता के पास आवे और खाली हाथ जावे, यह नहीं हो।
अखण्ड महादानी बनो। अखण्ड कह रहे हैं, कोई न कोई सेवा करते रहो चाहे मन्सा करो, चाहे
वाणी करो, चाहे कर्म करो, चाहे सम्बन्ध सम्पर्क से करो। अखण्ड सेवाधारी। कई बच्चों
को बाप से रूहरिहान करते कई बच्चे सुनाते हैं कि अमृतवेले सुस्ती का वायब्रेशन थोड़ा
होता है। उठते जरूर हैं लेकिन पावरफुल शक्तिशाली रूप से स्व के प्रति वा विश्व के
प्रति शक्ति देना, वह थोड़ा सा थकावट की रेखा होती है। उस समय ऐसे नहीं समझो हम अपने
सेन्टर के योग के कमरे में बैठे हैं, बाबा के कमरे में बैठे हैं, क्लास रूम में बैठे
हैं, लेकिन ऐसे समझो विश्व की स्टेज पर बैठे हैं। हीरो पार्टधारी हैं और स्टेज पर
बैठे हैं। अगर हीरो पार्टधारी थका हुआ पार्ट बजायेगा तो कैसा बजायेगा? वायुमण्डल
कैसे फैलेगा? तो अमृतवेला भी पावरफुल बनाओ। नियम अच्छा निभाते हो लेकिन सुनाया ना
अभी, योग सर्वशक्तियों से पावरफुल हो, योग अग्नि हो। ज्वालामुखी हो। तो यह तीन मास
विशेष अमृतवेला भी नोट करना। बातें बहुत अच्छी-अच्छी करते हैं, प्यार के स्वरूप में
भी होते हैं लेकिन ज्वालारूप कम होता है। अभी संस्कार का अंश मात्र भी नहीं रहे तब
कहेंगे ज्वाला रूप योगी तू आत्मा। और साथ-साथ इस नये वर्ष में जो भी खज़ाने हैं,
ज्ञान का खज़ाना, शक्तियों का, गुणों का, श्रेष्ठ संकल्प का खज़ाना, एक तो सफल करो और
दूसरा जमा करो। जमा भी करो, सफल भी करो। क्योंकि आपका टाइटल है, वरदान है सफलता के
सितारे। है ना आपका टाइटल सफलता के सितारे? सभी फलक से कहते हो सफलता हमारे गले का
हार है। सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। तो सफलतामूर्त हो, सफल करो और जमा भी करो।
सेवा कितनी भी करते हो लेकिन जमा का खाता हुआ या नहीं हुआ। उसकी निशानी या उसकी
गोल्डन चाबी है - निमित्त भाव और निर्मान भाव, निर्मल वाणी। तीनों हैं? तीनों में
से एक भी कम है, तो सेवा कितनी भी करो जमा का खाता नहीं होता। बहुत थोड़ा, नाम मात्र।
तो बापदादा ने यह भी चेक किया तो सेवा तो बहुत करते लेकिन जमा का खाता जितना होना
चाहिए उतना नहीं उसका कारण, कारण तो समझते हो ना! एक तो तीन विशेषतायें, निमित्त
भाव, मैं-पन का भाव मिक्स हो जाता है। मैं-पन आया, जमा नहीं हुआ। कितनी भी मेहनत करो,
रात दिन भागदौड़, दिमाग चलाओ लेकिन निमित्त भाव, निर्मान स्वभाव, निर्मल वाणी, यह
तीन नहीं है तो जमा नहीं। बहुत में बहुत 5 परसेन्ट जमा होता है। तो यह भी चेक करना
तो जमा हुआ? बापदादा बहुत सहज रास्ता बताते हैं, किसी से भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आते
हो, चाहे लौकिक, चाहे अलौकिक पहले अपने शुभ भावना, शुभ कामना की वृत्ति को चेक करो
और किससे भी मिलते हो, तो सदा आत्मा को देख करके बात करो, आत्मा से बात करते हैं,
कोई अलौकिक परिवार से बात करते हो, खुशी होनी चाहिए यह कल्प पहले वाली, हर कल्प
भाग्य बनाने वाली कोटों में कोई आत्मा है। उस भाव से देखो। चाहे प्यादा हो, लेकिन
है तो कोटों में कोई। मेरा बाबा तो कहता है। चाहे क्रोधी भी हो, स्वभाव अच्छा नहीं
हो, लेकिन आप अपना स्वभाव श्रेष्ठ रखो। आप श्रेष्ठ आत्मा के रूप में देखो, श्रेष्ठ
आत्मा के स्वरूप में देखो। तभी कार्य अच्छा होगा, जमा होगा। तो होमवर्क बहुत मिला
है इस वर्ष का। सभी पूछते हैं ना क्या करें, क्या करें, क्या करें। बहुत होम वर्क
मिला है। फिर बापदादा नम्बरवन सब होम वर्क में पास उसको सौगात देंगे। चाहे हजार भी
हों तो भी देंगे, तैयार करायेंगे सौगात। करेंगी ना? लेकिन सर्टीफिकेट लेंगे, ऐसे नहीं
आप कहेंगे बाबा मान जायेगा, नहीं। साथियों से सर्टीफिकेट भी लेंगे। पहले मन का
सर्टीफिकेट फिर ब्राह्मण परिवार के साथियों का सर्टीफिकेट और तीसरा है बाप का
सर्टीफिकेट। तो लेंगे ना सर्टीफिकेट। हिम्मत है ना। जो समझते हैं हम सर्टीफिकेट
लेकर ही छोड़ेंगे, दृढ़ निश्चय है, यह तो यूथ भी उठा रहा है। यूथ ग्रुप भी उठा रहा
है। अच्छा है। डबल फारेनर्स भी उठा रहे हैं। यह सामने वाले नहीं उठा रहे हैं। हाथ
लम्बा उठाओ, करके दिखायेंगे। फिर तो बहुत सौगातें तैयार करनी पड़ेंगी। आपकी तैयारी
के पीछे सौगात तो कुछ भी नहीं है। पहले तो परमात्म दिलतख्त मिलेगा। लेकिन सौगात
देंगे। अच्छा। अभी क्या करना है?
सेवा का टर्न,
ईस्टर्न, नेपाल और तामिलनाडु ज़ोन का है:-
बापदादा ने देखा है
कि जिस भी ज़ोन को टर्न मिलता है, बड़े उमंग-उत्साह से और बहुत बड़ी संख्या में इकट्ठे
होते हैं, खुशी होती है, गोल्डन चांस मिलता है ना। तो देखो कितने हैं? आधा लश्कर
हाल में वही है। तीनों ज़ोन मिलाकर 5 हजार है। देखो एरिया भी बहुत बड़ी है। 3-4
स्टेट अलग-अलग एक ही ज़ोन में हैं। 7 स्टेट का एक ज़ोन। अच्छा कितने भी हो लेकिन
ईस्टर्न ज़ोन की विशेषता है कि सूर्य ईस्ट से ही निकलता है। निकलता है ना? और ज्ञान
सूर्य की प्रवेशता भी ईस्ट से हुआ है। अच्छा अभी बाकी क्या रहा है? एक काम रह गया
है। जब दो बातें कर ली हैं, सूर्य भी उदय हुआ, ज्ञान सूर्य भी उदय हुआ लेकिन
प्रत्यक्षता का झण्डा ईस्टर्न से होना चाहिए। हाँ उसके लिए कुछ करो। ऐसा प्लैन बनाओ
जो प्रत्यक्षता का झण्डा आरम्भ ही ईस्टर्न से हो, फैलेगा तो विश्व में ही। यहाँ
बैठकर मीटिंग करना, क्या करें, हर एक ज़ोन समझता है हम निमित्त बनेंगे, प्रत्यक्षता
का झण्डा फहराने के लिए। करो सब प्रयत्न करो लेकिन बापदादा कहते ईस्टर्न को नम्बरवन
जाना चाहिए। जायेंगे? प्रत्यक्ष करना पड़ेगा। आवाज फैलाना पड़ेगा। अच्छा है। कर सकते
हैं। एक-एक स्टेट में ग्रुप बनाओ, जो मन वाणी कर्म सम्बन्ध संपर्क में तीव्र
पुरूषार्थी हो। फिर उन्हों का संगठन करो, एक दो में राय लो-दो तो हो जायेगा। करना
तो पड़ेगा। तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा। ऐसे नहीं ठीक चल रहा है, जिज्ञासु आ रहे
हैं, नहीं। लेकिन प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने का विशेष प्रोग्राम करना पड़ेगा। यह
मेगा प्रोग्राम नहीं कह रहे हैं, वह तो किया बहुत अच्छा हुआ। लेकिन प्रत्यक्षता का
झण्डा हो। बहुत स्टेट हैं, मिलके कर सकते हो। करेंगे पीछे वाले? जो भी आये हैं
करेंगे? कितने टाइम में करेंगे? प्लैन तो बनाओ। बापदादा प्लैन देखेगा ना। दिल्ली
वाले भी सोचते हैं कि दिल्ली से प्रत्यक्षता का झण्डा हो। धरनी तो है। लेकिन प्लैन
बनाओ। कैसे प्रत्यक्षता का झण्डा लहरायेंगे। उसके लिए क्या सोचा है? प्रोग्राम तो
करते हो, वह तो करना ही है लेकिन यह आवाज कोई भी रेडियो खोले, कोई भी टी.वी. का
स्विच खोले तो यह आवाज आवे ‘‘हमारा शिवबाबा आ गया’’। तब कहेंगे प्रत्यक्षता का झण्डा
लहराया। अच्छा मीडिया वाले सोच रहे हैं कि हम करेंगे, कोई भी करो लेकिन सभी रेडियो
में, चाहे विदेश में, चाहे देश में जहाँ भी खोलें स्विच यही आवाज आवे। इसको कहते
हैं प्रत्यक्षता का झण्डा। कौन करेगा? विदेश करेगा, विदेश में होगा? करो, कोई भी करो,
फर्स्ट प्राइज़ लो। यह धूम मचनी चाहिए, आ गया, आ गया, आ गया। अच्छा है संख्या तो
बहुत है, अभी करना कमाल। नम्बर तो फर्स्ट लेना अच्छा है ना। सेकण्ड थर्ड में क्या
मजा। फर्स्ट। अच्छा। बहुत अच्छा पार्ट बजा रहे हैं। बापदादा ने देखा है सहयोगी एक
दो के बहुत अच्छे हैं। समाचार मिलता है, जहाँ भी प्रोग्राम होता है वहाँ एक दो के
सहयोगी बनके कार्य सफल कर देते हैं इसकी बापदादा विशेष मुबारक दे रहे हैं। अभी जलवा
दिखाओ। एक गीत है ना आप लोगों का – जलवा देखा वह तेरा हो गया। अभी यह गीत मुख से
गावें, दुनिया गावे। अच्छा।
ज्युरिस्ट विंग:
अच्छा। प्लैन बना रहे
हैं? (गीता का भगवान सिद्ध करेंगे) प्लैन बहुत अच्छा है लेकिन गीता का भगवान सिद्ध
करने के लिए पहले आपस में राय करो, प्वाइंटस निकालो, यह अच्छा है लेकिन कोई ऐसे
अथॉरिटी वालों को भी साथ में मिलाओ। उनको पहले सैटिस्फाय करके उन्हों को साथी बनाओ।
दो चार ऐसे साथी हों जो इस बात को सिद्ध करने में साथी बनें। गीता की अथॉरिटी रखने
वालों को साथी बनाओ। (इसके लिए दो जज तैयार हैं) अच्छा है, प्लैन बनाओ, फिर दिखाना।
डबल विदेशी 45 देशों
से आये हैं:-
अच्छा बच्चे भी हैं, यूथ भी हैं। डबल विदेशी को बापदादा टाइटल देते हैं डबल तीव्र
पुरूषार्थी क्योंकि विदेशियों के संस्कार हैं जो सोचते हैं वह करते हैं, चाहे उल्टा
हो, चाहे सुल्टा हो। करने में हिम्मत रखते हैं। तो इसी हिम्मत को आध्यात्मिक
पुरूषार्थ में और सेवा में कार्य में लगाओ। बापदादा ने देखा है कि प्लैन को
प्रैक्टिकल लाने में लक्ष्य अच्छा रखते हैं। तो हो सकता है कि इन्डिया को जगाने के
लिए पहले आवाज़ विदेश से निकले। विदेश का आवाज़ इन्डिया में आवे यह भी हो सकता है
ना! बापदादा को याद है पहले शुरू शुरू में जब इन्डिया में बड़े प्रोग्राम होते थे तो
विदेश का कोई न कोई अथॉरिटी वाला आता था और वह भाषण करता था अखबारों में आता था। अभी
बहुत समय से ऐसे विशेष सभा के बीच में नहीं आये हैं। अलग आये हैं। रिट्रीट होता है
प्रोग्राम भी चलता है लेकिन जैसे पहले विशेष आत्मायें संगठन में बोलती थी, ऐसा अच्छा
होता है। अभी 70 साल का प्रोग्राम बनायेंगे ना, उसमें कोशिश करो। क्योंकि अखबार वाले
इन्ट्रेस्ट से लेते हैं। बाकी वृद्धि अच्छी हो रही है, प्रोग्राम्स भी अच्छे कर रहे
हो उसकी मुबारक है। पहले संख्या वहाँ भी प्रोग्राम में कम आती थी, अभी संख्या अच्छी
आती है। और अच्छे-अच्छे वारिस क्वालिटी भी निकल रही है। लेकिन तीन मास में विदेश
वाले नम्बरवन लेंगे? फर्स्ट नम्बर लेंगे? जो लेंगे वह हाथ उठाओ। तीन सर्टीफिकेट लेने
पड़ेंगे। हिम्मत रखो। विदेशियों के लिए सोचते हैं इन्हों का कल्चर अलग है लेकिन
विदेश वाले इन्डिया से भी आगे नम्बर ले सकते हैं। महान तपस्वी बनने में नम्बरवन। हो
सकता है ना! होना ही है। हो सकता है। क्योंकि विदेशियों में दृढ़ता का संस्कार है,
अभी इसमें सिर्फ दृढ़ता का संस्कार यूज़ करो, हो जायेगा। ठीक है ना। नम्बरवन लेना है
ना। अच्छा। विदेशी हर टर्न में आते हैं तो सभा सज जाती है, इन्टरनेशनल हो जाती है
ना। बहुत अच्छा।
अच्छा यह सामने वाला
ग्रुप (सिन्धी ग्रुप) क्या करेगा? लाइन में तो अच्छे खड़े हो, वृद्धि भी अच्छी कर रहे
हो इसकी तो मुबारक है, अच्छा, बापदादा पूछते हैं कुछ समय पहले इसी ग्रुप ने कहा था,
कि हम एक-एक एक ऐसा तैयार करके लायेंगे, याद है? एक-एक ने एक को तैयार किया है, अपने
से भी आगे? जिसने किया है वह हाथ उठाओ और यहाँ तक लाया है वह हाथ उठाओ। अच्छा।
निभाया है, मुबारक हो, उसकी बहुत बहुत मुबारक हो लेकिन अभी और भी लाना पड़ेगा। वृद्धि
तो चाहिए ना और जहाँ सिन्ध में बाप आया, वहाँ के देश वाले हमजिन्स को तो जगाना है
ना। तरस तो पड़ता है ना। फलक से आप कहते हो ना, शिवबाबा आया तो सिन्ध में ना। तो करना,
कमाल करके दिखाना। अच्छे अच्छे हैं, कर सकते हैं। क्या कहते हैं? (अभी नहीं करेंगे
तो कभी करेंगे, बाबा की बहुत बहुत दुआयें हैं तो जरूर करेंगे) ब्राह्मण परिवार में
टोटल कितने सिन्धी होंगे? हिसाब में तो थोड़े हैं। (इस ग्रुप में 32 आये हैं) अभी कम
से कम 100 के करीब तो लाओ। 100 नहीं ला सकते हो? (108 लायेंगे) छोटे बच्चे, छोटे
बच्चों को अपने दोस्तों को लाओ। बापदादा खुश है। हिम्मत रख रहे हैं और मदद भी मिल
रही है। इसलिए आप भी खुश, बाप भी खुश।
कलचरल विंग:-
क्या प्लैन बनाया है?
कोई ऐसे निकालो जिसका आवाज़ फैले। हर एक ग्रुप को माइक, माइट वाला तैयार करना है।
हो जायेगा। क्योंकि आजकल तो बहुत चारों ओर कलचरल बहुत अच्छा चलता है, सभी का
इन्ट्रेस्ट भी है। सिर्फ ऐसा आवाज फैलाने वाला कोई निमित्त बनेगा तो अनेकों का
कल्याण हो जायेगा। बाकी अच्छा है प्रोग्राम बनाते रहते हो, करते रहते हो, जितना
प्यार से करते हैं उतना अच्छा ही होता है, रिजल्ट भी अच्छी। अभी ऐसा कोई माइक
निकालके लाना, जिसकी आवाज सुन करके अनेकों का कल्याण हो। बहुत अच्छा और आगे बढ़ते चलो।
इन्टरनेशनल यूथ ग्रुप:-
अच्छा यूथ वाले भी
आवाज़ फैलाने के लिए प्रोग्राम अच्छे बना रहे हैं। और स्व पुरूषार्थ के लिए भी अच्छे
प्रोग्राम बना रहे हैं। बापदादा ने समाचार सुना है, खुशखबरी भी सुनी कि परिवर्तन
किया है और आगे भी परिवर्तन कायम रखेंगे। फरिश्ता स्वरूप के धारणा के समीप आ रहे
हैं। तो जो अपने में परिवर्तन किया, वह वहाँ जाके भी रहेगा या थोड़ा-थोड़ा कम हो
जायेगा? रहेगा। जो समझते हैं सदा रहेगा, वह हाथ उठाओ। क्योंकि बापदादा ने रिजल्ट
सुनी है, कि परिवर्तन रीयलाइजेशन अच्छी की है और यूथ ग्रुप ऐसा हो जाए सदा के लिए
तो बहुत विश्व में नाम करेंगे। अच्छा उमंग-उत्साह दिखाया है। बापदादा बच्चों की
हिम्मत और उमंग-उत्साह पर खुश है लेकिन सदा शब्द याद रखना। ब्राह्मण आत्मायें जो
चाहे वह कर सकती हैं। और अभी तो बापदादा ने होम वर्क दे दिया है, देखेंगे, कितने
यूथ ग्रुप इसमें नम्बर लेते हैं, प्राइज लेते हैं। लेंगे ना प्राइज? अच्छा। (33 देशों
के 150 यूथ ने भाग लिया है) अच्छा है। हर वर्ष करते रहते हैं यह बहुत अच्छा है। आगे
बढ़ रहे हैं यह भी अच्छा। अच्छी मेहनत की है।
इन्टरनेशनल चिल्ड्रेन
ग्रुप: (बच्चों
ने गीत गाया बाबा आपने कमाल कर दिया) आप भी कमाल करके दिखाना। बाप ने कमाल की, अभी
आपको करनी है। बैठ जाओ।
तामिलनाडु जोन भी सेवा
में आया है:-
अच्छा है, है छोटा लेकिन शक्ति अच्छी है। तामिलनाडु ने एक ऐसा वी.आई.पी निकाला,
निकाला तो तामिलनाडु ने, जो आज प्रेजीडेंन्ट है वह कनेक्शन में तो तामिलनाडु से आया,
तो अच्छा जैसे एक निकाला ना ऐसे अभी और निमित्त बनाओ। उसका आवाज़ भी कुछ तो काम कर
रहा है ना तो ऐसे अगर निमित्त बनाते रहेंगे तो छोटा सुभान अल्ला हो जायेगा। वैसे
संख्या तो काफी है, अच्छी संख्या है। टोटल कितने हैं (12 हजार भाई बहिनें हैं) अच्छा
है, छोटा भले हो लेकिन कमाल तो अच्छी की है ना, तो बापदादा को अच्छा लगता है। प्लैन
बनाते जाओ, करते जाओ। सेवा में भी सहयोग अच्छा दिया है। गोल्डन चांस लिया है और
गोल्डन दुनिया लाने के निमित्त बनना ही है। बहुत अच्छा। अच्छा।
चारों ओर के बच्चों
के कार्ड, पत्र और ईमेल द्वारा भिन्न-भिन्न साधनों द्वारा मुबारक के समाचार पहुंचे
हैं, बापदादा, जिन्होंने भी मुबारक भेजी है, उन सभी को पदम-पदम गुणा मुबारक दे रहे
हैं। बापदादा तो दूर बैठे बच्चों को सम्मुख ही देख रहे हैं। कितने उमंग उत्साह से
अपने अपने स्थानों पर बैठे हैं, सुन रहे हैं, यह देख करके बापदादा भी खुश है, बच्चे
भी खुश हैं, और मुबारक ले रहे हैं, दे रहे हैं। बापदादा ने समाचार सुना कि रात को
भी दिन बना देते हैं। तो ऐसे बच्चों को कितने बार दिल की दुआयें और प्यार दें। उमंग
उत्साह अच्छा है और अच्छे ते अच्छा रहेगा। अभी दूर बैठे वाले सभी अपने को प्राइज़
में नम्बरवन बनाना। अच्छा।
जो पहली बार आये हैं
वह उठो, अच्छा है बापदादा सभी बच्चों को देख देख हर्षित हो रहे हैं। जो नये आये हैं
वह और ही लास्ट सो फास्ट, फर्स्ट जाके दिखाना। अच्छा है, वृद्धि तो हो रही है। हर
टर्न में नये-नये आते हैं। अभी सिर्फ अमर रहना औरों को भी अमर बनाना, अमरभव का
वरदान सदा अपने आपको देते रहना। अच्छा। मातायें ज्यादा हैं, संगम पर माताओं का टर्न
है। पाण्डव भी कम नहीं हैं, अच्छे हैं। अच्छा, पाण्डव बैठ जाओ, मातायें खड़ी रहो।
मातायें ज्यादा हैं। अच्छा। आज तो सभी को बैठना ही है।
चारों ओर के सदा
उमंग-उत्साह में आगे बढ़ने वाले, सदा हिम्मत से बापदादा की पदमगुणा मदद के पात्र
बच्चों को, सदा विजयी रत्न हैं, हर कल्प में विजयी बने थे, अब भी हैं और हर कल्प
में विजयी हैं ही हैं। ऐसे विजयी बच्चों को सदा एक बाप दूसरा न कोई, न संसार की
आकर्षण, न संस्कार की आकर्षण, दोनों आकर्षण से मुक्त रहने वाले, सदा बाप समान बच्चों
को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
दादियों से:-
(दादी जी से) सबको
दृष्टि द्वारा, अपने योगयुक्त स्थिति द्वारा सन्तुष्ट कर देती हो। सभी थोड़े टाइम
में भी खुश होके जाते हैं। यह बहुतकाल की जो कमाई जमा की है ना, उसका फल मिल रहा
है। (हजारों से मिलती है) अच्छा पार्ट बजा रही हो। (मोहिनी बहन ठीक होती जा रही है)
होना ही है। (परदादी से) आपका ज़ोन सबसे बड़ा है। और अच्छा ज़ोन बड़ा भाग्यशाली है। (बेटी
किसकी हूँ) नशा है इसको। और सब आपको देखकर खुश हो जाते हैं। आपकी खुशी को देखकर सब
खुश हो जाते हैं। आपको मूर्ति के रूप में देखते हैं। बहुत अच्छा। (शान्तामणी दादी
से) सभी अपना-अपना अच्छा पार्ट बजा रहे हैं। कुछ भी नहीं करो ना, आप लोगों की हाजिरी
सब कुछ करती है। बाप का रूप देखने में आता है ना आप द्वारा तो सभी खुश हो जाते हैं।
(मनोहर दादी ने मौन धारण किया है) बहुत भाषण किये हैं, सर्विस में ऑलराउन्ड में इनका
नाम पहले था, बापदादा ने मुरलियों में भी वर्णन किया है। थोड़ा ट्रीटमेंट करा लो ठीक
हो जायेंगी, ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है। सब याद तो करते हैं ना, आपका विशेष पार्ट कोई
नहीं बजा सकता, हिस्ट्री कोई नहीं सुनाता है जैसे आप सुनाती हो, तो अपना पार्ट बजाओ।
सब ठीक हो जायेगा, कोई बात नहीं। (रतनमोहिनी दादी से) यह चक्र लगाने वाली चक्रवर्ती
है, अच्छा पार्ट बजा रही है, क्योंकि आदि रत्न है ना, आदि रत्न की वैल्यु होती है।
आप लोगों का हाजिर होना ही बापदादा की याद दिलाता है।
2006 वर्ष के
शुभ-आगमन पर रात्रि 12 बजे प्यारे अव्यक्त बापदादा ने नये वर्ष की सब बच्चों को
बधाईयाँ दी।
सभी बच्चों ने
बहुत-बहुत प्यार से नये वर्ष को मनाया। मनाया भी और साथ में बापदादा से वायदा भी
किया कि संस्कार मिटायेंगे भी। तो मिटाना भी है और सभी को शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना,
श्रेष्ठ वायब्रेशन से मिलाना भी है। मिटाना, मिलाना और मनाना। सभी बातें हुई। अभी
खूब सारा साल हर्षित रहना और सभी को हर्षित करना। मैं सन्तुष्ट आत्मा हूँ, सन्तुष्ट
रहना और सन्तुष्ट करना। यही मनाना है, यही बाप का प्यार है, यही दुआयें हैं। यही
यादप्यार है। सभी को नमस्ते।