19-03-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - घड़ी-घड़ी
बाप और वर्से को याद करो, बाप रूहानी सर्जन तुम्हें निरोगी बनने की एक ही दवा बताते
- बच्चे, मुझे याद करो''
प्रश्नः-
अपने आपसे कौन-सी
बातें करो तो बहुत मजा आयेगा?
उत्तर:-
अपने
आपसे बातें करो - इन आंखों से जो कुछ देखते हैं यह तो सब खत्म हो जाना है। बस, हम
और बाबा ही रहेंगे। मीठा बाबा हमको स्वर्ग का मालिक बना देते हैं। ऐसी-ऐसी बातें करो।
एकान्त में चले जाओ तो बहुत मजा आयेगा।
ओम् शान्ति।
परमपिता शिव भगवानुवाच। मीठे-मीठे बच्चों को पुरूषोत्तम संगमयुग कदम-कदम पर याद रहना
चाहिए। यह भी तुम बच्चे ही जानते हो, सो भी नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार। यह बुद्धि
में याद रहे - हम अभी पुरूषोत्तम संगमयुग पर पुरूषोत्तम बन रहे हैं। और यह जो रावण
का पिंजड़ा है, उनसे बाबा हमको छुटकारा दिलाने आया है। जैसे कोई पंछी को पिंजड़े से
निकाला जाता है तो वह बहुत खुश होकर उड़कर सुख पाते हैं। तुम बच्चे भी जानते हो यह
रावण का पिंजड़ा है, अनेक प्रकार के दु:ख ही दु:ख हैं। अब बाप आये हैं इस पिंजड़े
से निकालने के लिए। हैं तो मनुष्य ही। शास्त्रों में लिख दिया है देवताओं और असुरों
की लड़ाई लगी फिर देवताओं ने जीता। अब लड़ाई की तो बात ही नहीं। तुम अभी असुर से
देवता बन रहे हो। आसुरी रावण अर्थात् 5 विकारों पर तुम जीत पाते हो, न कि रावण
सम्प्रदाय पर। 5 विकारों को ही रावण कहा जाता हैं। बाकी किसको जलाने आदि की बात नहीं
है। तुम बच्चे बड़े खुश होते हो। अभी हम ऐसी दुनिया में जा रहे हैं, जहाँ न गर्मी
है, न सर्दी। सदैव बसन्त ऋतु ही रहती है। सतयुग स्वर्ग की बसन्त ऋतु अब आती है। यह
बसन्त ऋतु तो थोड़े समय के लिए आती है। वह बसन्त ऋतु तो तुम्हारे लिए आधाकल्प के
लिए आती है, वहाँ गर्मी आदि होती नहीं है। गर्मी से भी मनुष्यों को दु:ख होता है।
मर पड़ते हैं। इन सभी दु:खों की बातों से छूटने के लिए हमको अविनाशी सर्जन बहुत सहज
दवाई देते हैं। उस सर्जन के पास जायेंगे तो अनेक दवाइयाँ आदि याद आयेंगी। यहाँ इस
सर्जन के पास तो कोई दवाई नहीं। उनको सिर्फ याद करने से सब रोग छूट जाते हैं और
दवाई आदि कुछ भी नहीं है।
बच्चे कहते थे आज सेमीनार करेंगे - चार्ट कैसे लिखना चाहिए? बाबा को कैसे याद करना
चाहिए? इस पर सेमीनार करेंगे। अब बाप तो तकलीफ नहीं देते हैं कि बैठकर लिखो। कागज
खराब करो। जरूरत ही नहीं रहती। बाप तो सिर्फ कहते हैं बुद्धि में बाप को याद करो।
अज्ञान काल में बाप को याद करने के लिए चार्ट बनाया जाता है क्या! इसमें लिखापढ़ी
करने की कोई जरूरत नहीं। बाप को कहते हैं - बाबा, हम आपको भूल जाते हैं। कोई सुने
तो क्या कहेंगे? कहते भी हैं हम जीते जी बाप के बने हैं। क्यों बने हैं? बाप से
विश्व की बादशाही का वर्सा लेने। फिर ऐसे बाप को तुम भूलते क्यों हो? ऐसा बाप, जिससे
इतना भारी वर्सा मिलता है उनको तुम याद नहीं कर सकते हो! इतना बार तुमने वर्सा लिया
है फिर भी भूल जाते हो। बाप से वर्सा लेना है तो याद भी करना है, दैवीगुण भी धारण
करने हैं। लिखना क्या है? यह तो हर एक अपनी दिल से पूछे, नारद का भी मिसाल है। खुद
कहते हैं बड़ा भक्त था। तुम भी जानते हो जन्म-जन्मान्तर के हम पुराने भक्त हैं। हम
मीठे बाप को याद कर कितना खुश होते हैं। जो जितना याद करते हैं वही लक्ष्मी-नारायण
को वरने लायक बनेंगे। कोई गरीब का बच्चा जाकर साहूकार की गोद लेता है तो कितना खुश
होता है। बाप को और प्रापर्टी को ही याद करते हैं। यहाँ तो बहुत हैं जिनको बेहद के
बाप का बच्चा बन राजाई लेने का भी अक्ल नहीं आता है। वन्डरफुल बात है। जो बाप
स्वर्ग का मालिक बनाते हैं, उनको याद नहीं कर सकते हैं। बाप बच्चों को एडाप्ट करते
हैं। ऐसे बाप को याद न करना यह तो वन्डरफुल बात है। घड़ी-घड़ी बाप और प्रापर्टी याद
आनी चाहिए।
बाप कहते हैं - मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों, तुमने बुलाया ही है एडाप्ट करने के लिए।
बाप को बुलाया जाता है ना। बाप ही स्वर्ग की स्थापना करते हैं। स्वर्ग का वर्सा देते
हैं। तुम पुकारते भी हो - बाबा, हम पतितों को आकर गोद में लो। आपेही कहते हो हम
पतित, कंगाल, छी-छी, वर्थ नाट ए पेनी हैं। बेहद के बाप को तुम भक्ति मार्ग में
पुकारते रहते हो। अब बाप कहते हैं भक्ति मार्ग में भी तुमको इतना दु:ख नहीं था। अभी
मनुष्यों को कितना दु:ख है। बाप आया है तो जरूर विनाश का भी समय होगा। तुम जानते हो
इस लड़ाई के बाद फिर कितने जन्म, कितने वर्ष, लड़ाई का नाम ही नहीं रहेगा। कभी
लड़ाई लगेगी नहीं। न कोई दु:ख रोग आदि का नाम होगा। अभी तो कितनी ढेर बीमारियाँ
हैं। बाप कहते हैं - मीठे बच्चों, हम तुमको सभी दु:खों से छुड़ा देंगे। तुम याद ही
करते हो - हे भगवान्, आकर दु:ख हरो, सुख-शान्ति दो। यह दो चीजें हर एक मांगते हैं।
यहाँ है अशान्ति। शान्ति के लिए जो राय देते हैं उन्हों को प्राइज़ मिलती रहती है।
बिचारों को मालूम ही नहीं कि शान्ति किसको कहा जाता है। शान्ति तो मीठे बाप के
सिवाए और कोई द्वारा मिल न सके। कितनी तुम मेहनत करते हो - समझाने की। फिर भी समझते
ही नहीं। तुम गवर्मेन्ट को भी लिख सकते हो - मुफ्त क्यों पैसे बरबाद करते हो? शान्ति
का सागर तो एक ही बाप है, वही विश्व में शान्ति स्थापन करते हैं। गवर्मेन्ट के
हेड्स को अच्छे-अच्छे काग़ज पर रॉयल्टी से चिट्ठी लिखनी चाहिए। कोई अच्छा कागज
देखकर समझते हैं कि शायद यह किसी बड़े आदमी की चिट्ठी है। बोलो, विश्व में शान्ति
जो तुम कहते हो, आगे कब हुई है, जो फिर उस प्रकार मिले? जरूर कभी मिली होगी। तुमको
मालूम है, तुम तिथि तारीख सब लिख सकते हो। बाप ने ही आकर विश्व में शान्ति-सुख
स्थापन किया था। वह सतयुग का समय था। यह लक्ष्मी-नारायण हैं डिनायस्टी की निशानी।
ब्रह्मा और तुम ब्राह्मणों के पार्ट का किसको पता नहीं है। मुख्य पार्ट तो ब्रह्मा
का है ना। वही रथ बनते हैं। जिस रथ द्वारा बाप इतना कार्य करते हैं। नाम ही है
पद्मापद्म भाग्यशाली रथ। विचार करो - कैसे किसको समझायें? मनुष्यों को कितना नशा
है। अब तुमको बाप का ही परिचय देना है। ज्ञान तो है ही सिर्फ ज्ञान सागर बाप के पास।
वह जब आये तब आकर दे, तब तक ज्ञान तो कोई दे न सके। भक्ति तो सब भक्त करते ही रहते
हैं। ज्ञान एक ही बाप देते हैं। ज्ञान का स्थाई पुस्तक कोई बनता नहीं। ज्ञान तो कानों
से ही सुनना होता है। यह किताब आदि जो तुम रखते हो यह सब टैप्रेरी हैं। यह भी सब
खत्म हो जायेंगे। तुम नोट्स लिखते हो यह भी खत्म हो जाने हैं। यह सिर्फ अपने
पुरूषार्थ के लिए हैं। बाप कहते हैं टॉपिक्स की लिस्ट बनाओ तो याद आयेगा परन्तु यह
तो जानते हो यह पुस्तक आदि कुछ भी नहीं रहेंगे। तुम्हारी बुद्धि में सिर्फ याद ही
चल पड़ेगी। आत्मा बिल्कुल बाप जैसी भरपूर हो जाती है। बाकी जो भी पुरानी चीजें इन
आंखों से देखते हो, वह भी खत्म हो जायेंगी। पिछाड़ी में कुछ भी रहना नहीं है।
बाप अविनाशी सर्जन है। आत्मा भी अविनाशी है। एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।
दिन-प्रतिदिन जो भी शरीर मिलता है, छी-छी ही मिलता है। अभी तुम बच्चे जानते हो हम
श्रेष्ठाचारी बन रहे हैं। बाप ही बनाते हैं। साधू-सन्त आदि थोड़ेही बनाते हैं। बाप
तुमको श्रेष्ठाचारी बनाते हैं। बाबा कहते - मीठे बच्चे, मैं तुम्हें अपने नयनों पर
बिठाकर ले जाऊंगा। आत्मा भी यहाँ नयनों पर बैठती है। बाप कहते हैं हे आत्मायें तुम
सबको निहाल कर ले जाऊंगा। बाकी थोड़ा समय है। अब मेहनत करो। अपनी दिल से पूछो - मैं
स्वीट बाबा को कितना याद करता हूँ? हीर-रांझा का विकार के लिए लव नहीं था। शारीरिक
प्यार था। याद करते थे और सामने आ जाता था। दोनों आपस में मिल जाते थे। बाप कहते
हैं तुम भी ऐसे बनो। वह है एक जन्म के आशिक-माशूक, तुम हो जन्म-जन्मान्तर के। यह
बातें इस समय ही होती हैं। आशिक-माशूक का अक्षर भी स्वर्ग में नहीं है। वह भी
पवित्र रहते हैं। मन्सा में ही ख्याल आते हैं, सामने देखा और खुश हुए। तुम बच्चों
को देखने की तो कोई चीज़ नहीं। इस समय तुम सिर्फ अपने को आत्मा समझो और माशुक बाप
को याद करो। आत्मा समझ बाप को बहुत खुशी से याद करना है। बाप समझाते रहते हैं भक्ति
मार्ग में तुम ऐसे आशिक थे, माशुक पर कुर्बान जाते थे। आप आयेंगे तो हे माशुक हम
तुम पर वारी जायेंगे। अब माशुक आया हुआ है, सबको गोरा बनाने। जो जैसा है ऐसा बनाने
की कोशिश करते हैं। तुम गोरा बनते हो तो शरीर भी गोरा बनेगा। आत्मा में ही खाद पड़ती
है। अब तुम मुझे याद करो तो खाद निकल जायेगी। यहाँ तुम बच्चे आते हो, एकान्त बहुत
अच्छी है। पादरी लोग भी पैदल करते हैं, एकदम साइलेन्स में रहते हैं। माला हाथ में
रहती है। कोई को देखते भी नहीं हैं। धीरे-धीरे चलते जाते हैं। वो लोग क्राइस्ट को
याद करते रहेंगे। बाप को तो जानते ही नहीं। मेरे लिए तो कह देते नाम-रूप से न्यारा
है। अब बिन्दी है तो देखेंगे क्या! बिन्दी को कैसे याद करें, किसको पता नहीं। तुमको
अभी मालूम पड़ा है तो तुम यहाँ आते हो। मधुबन का तो गायन है। यह है सच्चा-सच्चा
मधुबन, जहाँ तुम आते हो। जितना हो सके तुम एकान्त में याद में रहो। किसको भी देखो
नहीं। ऊपर छतें तो पड़ी हैं। बाबा की याद में सवेरे छत पर चले जाओ, बड़ा मजा आयेगा।
कोशिश करो रात को एक-दो बजे जागने की। तुम नींद को जीतने वाले मशहूर हो। रात को
जल्दी सो जाओ। फिर 1-2 बजे उठकर छत पर एकान्त में याद की यात्रा करते रहो। बहुत जमा
करना है। बाप को याद करते बाप की महिमा करने लग जाओ। आपस में भी यही राय करते रहो।
बाबा कितना मीठा है, उनको याद करने से ही पाप कटेंगे। यहाँ बहुत जमा कर सकते हैं।
यह चांस भी यहाँ अच्छा मिलता है। घर में तो तुम कर नहीं सकेंगे। फुर्सत ही कहाँ रहती
है। दुनिया का वायब्रेशन वातावरण बहुत खराब रहता है। वहाँ इतनी याद की यात्रा नहीं
होगी। अब इसमें लिखने की भी क्या बात है। आशिक-माशुक लिखते हैं क्या! अन्दर में देखो
हमने किसको दु:ख तो नहीं दिया? कितने को याद दिलाया? यहाँ हम आते हैं जमा करने तो
यहाँ कोशिश करो, ऊपर छतों पर एकान्त में जाकर बैठो। खजाना जमा करो। यह समय है ही जमा
करने का। 7 रोज़ 5 रोज आते हो, मुरली सुनकर जाए एकान्त में बैठो। यहाँ तो घर में
बैठे हो। बाप को याद करो तो कुछ तुम्हारा जमा हो जाए। बहुत मातायें बांधेलियां हैं।
याद करती हैं - शिवबाबा बंधन से छुड़ाओ। विकार के लिए कितना मारते हैं। खेल दिखाया
है ना - द्रोपदी के चीर हरे। तुम सब द्रोपदियां हो ना। तो बाप को याद करते रहना है।
बाबा युक्ति तो बहुत बतलाते हैं। इसमें स्नान आदि की भी बात नहीं रहती। हाँ पाखाना
(लेट्रीन में) जाना होता तो स्नान जरूरी है। मनुष्य तो स्नान के समय भी किसी देवता
या भगवान् को याद करते हैं। मुख्य बात है ही याद की। ज्ञान तो बहुत मिला हुआ है। 84
के चक्र का ज्ञान है। अपने अन्दर में बैठकर देखो। अपने से पूछो - ऐसा मीठा-मीठा बाबा
जो हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं उनको सारे दिन में कितना याद किया? मन भागता तो
नहीं? कहाँ भागेगा, दुनिया तो है नहीं। यह सब खत्म हो जाना है, हम और बाबा ही रहने
वाले हैं। ऐसे-ऐसे अन्दर में बातें करो तो फिर बहुत मज़ा आयेगा। यहाँ जो भी आते हैं
वह बहुत पुराने भक्त हैं, जो नहीं आते वह समझो कि आजकल के भक्त हैं। वह देरी से
आयेंगे। शुरू से भक्ति करने वाले जरूर बाप से वर्सा पाने आयेंगे। यह गुप्त मेहनत
है। जो धारणा नहीं करते हैं उनसे कुछ भी मेहनत होती नहीं। यहाँ तुम आते ही हो
रिफ्रेश होने। अपने से मेहनत करो। एक हफ्ते में तुम इतना माल इकट्ठा कर सकते हो जो
वहाँ 12 मास में नहीं। यहाँ 7 रोज़ में सारी कसर निकाल सकते हो। बाबा राय देते हैं।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) एकान्त में बैठ
बाप को याद कर कमाई जमा करनी है। अपने अन्दर चेक करना है - याद के समय मन भागता तो
नहीं है? हम कितना समय स्वीट बाप को याद करते हैं?
2) सदा इसी खुशी
में रहना है कि हमें बाबा ने रावण के पिंजड़े से मुक्त कर दिया, अभी हम ऐसी दुनिया
में जा रहे हैं जहाँ न गर्मी है, न सर्दी। जहाँ सदा ही बसन्त ऋतु है।
वरदान:-
मेरे को तेरे
में परिवर्तन कर बेफिक्र बादशाह बनने वाले खुशी के खजाने से भरपूर भव
जिन बच्चों ने सब कुछ तेरा
किया वही बेफिकर रहते हैं। मेरा कुछ नहीं, सब तेरा है...जब ऐसा परिवर्तन करते हो तब
बेफिकर बन जाते हो। जीवन में हर एक बेफिकर रहना चाहता है, जहाँ फिकर नहीं वहाँ सदा
खुशी होगी। तो तेरा कहने से, बेफिकर बनने से खुशी के खजाने से भरपूर हो जाते हो। आप
बेफिकर बादशाहों के पास अनगिनत, अखुट, अविनाशी खजाने हैं जो सतयुग में भी नहीं होंगे।
स्लोगन:-
खजानों
को सेवा में लगाना अर्थात् जमा का खाता बढ़ाना।
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