20-10-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘सन्तुष्टमणि बन विश्व में सन्तुष्टता की लाइट फैलाओ, सन्तुष्ट रहो और सबको सन्तुष्ट करो’’
आज बापदादा अपने सदा सन्तुष्ट रहने वाले सन्तुष्ट मणियों को देख रहे हैं। एक-एक सन्तुष्टमणि की चमक से चारों ओर कितनी सुन्दर चमक चमक रही है। हर एक सन्तुष्टमणि कितनी बाप की प्यारी हर एक की प्यारी अपनी भी प्यारी है। सन्तुष्टता सर्व को प्यारी है। सन्तुष्टता सदा सर्व प्राप्ति सम्पन्न है क्योंकि जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ अप्राप्त कोई वस्तु नहीं। सन्तुष्ट आत्मा में सन्तुष्टता का नेचरल नेचर है। सन्तुष्टता की शक्ति स्वत: और सहज चारों ओर वायुमण्डल फैलाती है। उनका चेहरा उनके नयन वायुमण्डल में भी सन्तुष्टता की लहर फैलाते हैं। जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ और विशेषतायें स्वत: ही आ जाती हैं। सन्तुष्टता संगम पर विशेष बाप की देन है। सन्तुष्टता की स्थिति परस्थिति के ऊपर सदा विजयी है। परस्थिति बदलती रहती है लेकिन सन्तुष्टता की शक्ति सदा प्रगति को प्राप्त करती रहती है। कितनी भी परिस्थिति सामने आये लेकिन सन्तुष्टमणि के आगे हर समय प्रकृति एक पपेटशो माफिक दिखाई देती है माया और प्रकृति का पपेट शो। इसलिए सन्तुष्ट आत्मा कभी परेशान नहीं होती। परिस्थिति का शो मनोरंजन अनुभव होता है। यह मनोरंजन अनुभव करने के लिए अपने स्थिति की सीट सदा साक्षीदृष्टा में स्थित रहने वाली यह मनोरंजन अनुभव करती है। दृष्य कितना भी बदलता लेकिन साक्षी दृष्टा की सीट पर स्थित रहने वाली सन्तुष्ट आत्मा साक्षी हो हर परिस्थिति को स्व स्थिति से बदल देती है। तो हर एक अपने को चेक करे कि मैं सदा सन्तुष्ट हूँ? सदा? सदा हैं वा कभी कभी हैं?
बापदादा हमेशा हर शक्ति के लिए खुशी के लिए डबल लाइट बन उड़ने के लिए यही बच्चों को कहते कि सदा शब्द सदा याद रहे। कभी-कभी शब्द ब्राह्मण जीवन के डिक्शनरी में है ही नहीं क्योंकि सन्तुष्टता का अर्थ ही है सर्व प्राप्ति। जहाँ सर्व प्राप्ति है वहाँ कभी-कभी शब्द है ही नहीं। तो सदा अनुभूति करने वाले हो वा पुरूषार्थ कर रहे हो? हर एक ने अपने आपसे पूछा चेक किया? क्योंकि आप सभी विशेष बाप के स्नेही सहयोगी लाडले मीठे मीठे स्व-परिवर्तक बच्चे हो। ऐसे हो ना? है ऐसे? जैसे बाप देख रहे हैं ऐसे ही अपने को अनुभव करते हो? हाथ उठाओ जो सदा कभी-कभी नहीं सदा सन्तुष्ट रहते हैं। सदा शब्द याद है ना। थोड़ा धीरे धीरे उठा रहे हैं। अच्छा। बहुत अच्छा। थोड़े थोड़े उठा रहे हैं और सोच-सोच के उठा रहे हैं। लेकिन बापदादा ने बार-बार अटेन्शन खिंचवाया है कि अब समय और स्वयं दोनों को देखो। समय की रफ्तार और स्वयं की रफ्तार दोनों को चेक करो। पास विद आनर तो होना ही है ना। हर एक सोचो कि मैं बाप की राजदुलारी या राजदुलारा हूँ। अपने को राजदुलारा समझते हो ना! रोज़ बापदादा आपको क्या याद प्यार देते हैं? लाडले। तो लाडला कौन होता है? लाडला वही होता है जो फॉलो फादर करता है और फॉलो करना बहुत बहुत बहुत सहज है कोई मुश्किल नहीं है। एक ही बात को फॉलो किया तो सहज सर्व बातों में फॉलो हो ही जायेगा। एक ही लाइन है जो बाप हर रोज़ याद दिलाते हैं। वह याद है ना? अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो। एक ही लाइन है ना और याद करने वाली आत्मा जिसको बाप का खज़ाना मिल गया वह सेवा के बिना रह ही नहीं सकता क्योंकि अथाह प्राप्ति है अखुट खज़ाने हैं। दाता के बच्चे हैं वह देने के बिना रह नहीं सकते और मैजॉरिटी आप सबको टाइटिल क्या मिला है? डबल फारेनर्स। तो टाइटिल ही डबल है। बापदादा को भी आप सबको देख खुशी होती है और सदा ऑटोमेटिक गीत गाते रहते कि वाह मेरे बच्चे वाह! अच्छा है भिन्न-भिन्न देश से कौन से विमान में आये हो? स्थूल में तो किसी भी विमान में आये हो लेकिन बापदादा कौन सा विमान देख रहे हैं? अति स्नेह के विमान में अपने प्यारे-प्यारे घर में पहुंच गये हो। बापदादा हर बच्चे को आज विशेष यही वरदान दे रहे हैं कि हे लाडले प्यारे बच्चे सदा सन्तुष्टमणि बन विश्व में सन्तुष्टता की लाइट फैलाओ। सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना। कई बच्चे कहते हैं सन्तुष्ट रहना तो सहज है लेकिन सन्तुष्ट करना यह थोड़ा मुश्किल लगता है। बापदादा जानते हैं अगर हर एक आत्मा को सन्तुष्ट करना है तो उसकी विधि बहुत सहज साधन है अगर कोई आपसे असन्तुष्ट होता है या असन्तुष्ट रहता है तो वह भी असन्तुष्ट लेकिन आपको भी उसकी असन्तुष्टता का प्रभाव कुछ तो पड़ता है ना। व्यर्थ संकल्प तो चलता है ना। जो बापदादा ने शुभ भावना शुभ कामना का मन्त्र दिया है अगर अपने आपको इस मन्त्र में स्मृति स्वरूप रखो तो आपके व्यर्थ संकल्प नहीं चलेंगे। अपने को जानते हुए भी कि यह ऐसा है यह वैसा है लेकिन अपने को सदा न्यारा उसके वायब्रेशन से न्यारा और बाप का प्यारा अनुभव करो। तो आपके न्यारे और बाप के प्यारे पन की श्रेष्ठ स्थिति के वायब्रेशन अगर उस आत्मा को नहीं भी पहुंचे तो वायुमण्डल में फैलेगा जरूर। अगर कोई परिवर्तन नहीं होता और आपके अन्दर भी उसी आत्मा का प्रभाव पड़ता रहता व्यर्थ संकल्प के रूप में तो वायुमण्डल में सबके संकल्प फैलते हैं। इसलिए आप न्यारा बन बाप का प्यारा बन उस आत्मा के भी कल्याण के प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखो। कई बार बच्चे कहते हैं कि उसने गलती की ना तो हमको भी फोर्स से कहना पड़ता है थोड़ा अपना स्वभाव भी मुख भी फोर्स वाला हो जाता है। तो उसने गलती की लेकिन आपने जो फोर्स दिखाया क्या वह गलती नहीं है? उसने और गलती की आपने अपने मुख से जो फोर्स से बोला जिसको क्रोध का अंश कहेंगे तो वह राइट है? क्या गलत गलत को ठीक कर सकता है? आजकल के समय अनुसार अपने बोल को फोर्सफुल बनाना यह भी विशेष अटेन्शन रखो क्योंकि जोर से बोलना या तंग होके बोलना वह तो बदलता नहीं लेकिन यह भी दूसरे नम्बर के विकार का अंश है। कहा जाता है - मुख से बोल ऐसे निकले जैसे फूलों की वर्षा हो रही है। मीठा बोल मुस्कराहट चेहरा मीठी वृत्ति मीठी दृष्टि मीठा सम्बन्ध-सम्पर्क यह भी सर्विस का साधन है। इसलिए रिजल्ट देखो अगर मानो कोई ने गलती की गलत है और आपने समझाने के लक्ष्य से और कोई लक्ष्य नहीं है लक्ष्य आपका बहुत अच्छा है कि इसको शिक्षा दे रहे हैं समझा रहे हैं लेकिन रिजल्ट में क्या देखा गया है? वह बदलता है? और ही आगे के लिए आगे आने से डरता है। तो जो लक्ष्य आपने रखा वह तो होता नहीं है इसलिए अपने मन्सा संकल्प और वाणी अर्थात् बोल और सम्बन्ध-सम्पर्क सदा मीठा मधुरता अर्थात् महान बनाओ क्योंकि वर्तमान समय लोग प्रैक्टिकल लाइफ देखने चाहते हैं अगर वाणी से सेवा करते हो तो वाणी की सेवा से प्रभावित हो नज़दीक तो आते हैं यह तो फायदा है लेकिन प्रैक्टिकल मधुरता महानता श्रेष्ठ भावना चलन और चेहरे को देख स्वयं भी परिवर्तन के लिए प्रेरणा ले लेते हैं और जैसे जैसे आगे समय की हालातें परिवर्तन होनी हैं तो ऐसे समय पर आप सबको चेहरे और चलन से ज्यादा सेवा करनी पड़ेगी। इसलिए अपने आपको चेक करो - आत्माओं के प्रति शुभ भावना शुभ कामना की वृत्ति और दृष्टि के संस्कार नेचर और नेचरल हैं?
बापदादा हर एक बच्चे को माला का मणका विजयी माला का मणका देखने चाहते हैं। तो आप सभी भी अपने को समझते हो कि हम माला के मणके बनने ही वाले हैं। कई बच्चे सोचते हैं कि 108 की माला में तो जो निमित्त बने हुए बच्चे हैं वही आयेंगे लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा है यह तो 108 का गायन भक्ति की माला का है लेकिन अगर आप हर एक विजयी दाना बनेंगे तो बापदादा माला के अन्दर बहुत लड़ी लगा देगा। बाप के दिल की माला में आप हर एक विजयी बच्चों को स्थान है यह बाप की गैरन्टी है। सिर्फ स्वयं को मन्सा-वाचा-कर्मणा और चलन चेहरे में विजयी बनाओ। है पसन्द है, बनेंगे? बापदादा की गैरन्टी है विजय माला का मणका बनायेंगे। कौन बनेंगे? अच्छा तो बापदादा माला के अन्दर माला बनाने शुरू कर देंगे। डबल फारेनर्स को पसन्द है ना! विजयी माला में लाना बाप का काम है लेकिन आपका काम है विजयी बनना। सहज है ना! कि मुश्किल है? मुश्किल लगता है? जिसको मुश्किल लगता है वह हाथ उठाओ। लगता है? थोड़े-थोड़े कोई-कोई हैं। बापदादा कहता है - जब बापदादा कहते हो तो बाबा कहने से क्या बाप का वर्सा नहीं मिलेगा! जब सभी वर्से के अधिकारी हो और कितना सहज बाप ने वर्सा दिया सेकण्ड की बात है आपने माना जाना मेरा बाबा और बाप ने क्या कहा? मेरा बच्चा। तो बच्चा तो स्वत: ही वर्से के अधिकारी है। बाबा कहते हो ना सभी एक ही शब्द बोलते हो मेरा बाबा। है ऐसे? मेरा बाबा है? इसमें हाथ उठाओ। मेरा बाबा है तो मेरा वर्सा नहीं है? जब मेरा बाबा है तो मेरा वर्सा भी बंधा हुआ है और वर्सा क्या है? बाप समान बनना। विजयी बनना। बापदादा ने देखा कि डबल फारेनर्स में मैजारिटी हाथ में हाथ लेके चलेंगे। हाथ में हाथ देना चलना यह फैशन है। तो अभी भी बाप कहते हैं बाप शिवबाबा का हाथ क्या है? यह हाथ तो है नहीं तो शिवबाबा का हाथ पकड़ा तो हाथ कौन सा है? श्रीमत बाप का हाथ है। तो जैसे स्थूल में हाथ में हाथ देकर चलना पसन्द आता है तो श्रीमत के हाथ में हाथ देके चलना यह क्या मुश्किल है! ब्रह्मा बाप को देखा प्रैक्टिकल सबूत देखा कि हर कदम श्रीमत प्रमाण चलने से सम्पूर्ण फरिश्तेपन की मंज़िल में पहुंच गया ना! अव्यक्त फरिश्ता बन गया ना। तो फॉलो फादर हर एक श्रीमत उठने से लेकर रात तक हर कदम की श्रीमत बापदादा ने बता दी है। उठो कैसे चलो कैसे कर्म कैसे करो मन में संकल्प क्या-क्या करो और समय को कैसे श्रेष्ठ बिताओ। रात को सोने तक श्रीमत मिली हुई है। सोचने की भी जरूरत नहीं यह करूं या नहीं करूं फॉलो ब्रह्मा बाप। तो बापदादा का जिगरी प्यार है बापदादा एक बच्चे को भी विजयी नहीं बनें राजा नहीं बनें यह नहीं देखने चाहते। हर एक बच्चा राजा बच्चा है। स्वराज्य अधिकारी है। इसलिए अपना स्वराज्य भूल नहीं जाना। समझा।
बापदादा ने कई बार इशारा दिया है कि समय अचानक और नाज़ुक आ रहा है इसलिए एवररेडी अशरीरीपन का अनुभव आवश्यक है। कितना भी बिजी हो लेकिन बिजी होते हुए भी एक सेकण्ड अशरीरी बनने का अभ्यास अभी से करके देखो। आप कहेंगे हम बहुत बिजी रहते हैं अगर मानो कितने भी बिजी हो आपको प्यास लगती है क्या करेंगे? पानी पि्ायेंगे ना! क्योंकि समझते हो प्यास लगी है तो पानी पीना जरूरी है। ऐसे बीच-बीच में अशरीरी आत्मिक स्थिति में स्थित रहने का अभ्यास भी जरूरी है क्योंकि आने वाले समय में चारों ओर की हलचल में अचल स्थिति की आवश्यकता है। तो अभी से बहुतकाल का अभ्यास नहीं करेंगे तो अति हलचल समय अचल कैसे रहेंगे! सारे दिन में एक-दो मिनट निकालके भी चेक करो कि समय प्रमाण आत्मिक स्थिति द्वारा अशरीरी बन सकते हैं? चेक करो और चेंज करो। सिर्फ चेक नहीं करना चेंज भी करो। तो बार-बार इस अभ्यास को चेक करने से रिवाइज़ करने से नेचरल स्थिति बन जायेगी। बापदादा से स्नेह है इसमें तो सभी हाथ उठाते हैं। हैं ना स्नेह! फुल स्नेह है फुल कि अधूरा? अधूरा तो नहीं है ना। तो स्नेह है तो वायदा क्या है? क्या वायदा किया है? साथ चलेंगे? अशरीरी बन साथ चलेंगे कि पीछे-पीछे आयेंगे? साथ चलेंगे? और थोड़ा टाइम साथ रहेंगे भी वतन में थोड़ा। और फिर ब्रह्मा बाप के साथ फर्स्ट जन्म में आयेंगे। है यह वायदा? है ना? हाथ नहीं उठवाते हैं ऐसे सिर हिलाओ। हाथ उठाते थक जायेंगे ना। जब साथ चलना ही है पीछे नहीं रहना है तो बाप भी साथ किसको लेके जायेंगे? बाप समान को साथ लेके जायेंगे। बाप को भी अकेला जाना पसन्द नहीं है बच्चों के साथ जाना है। तो साथ चलने के लिए तैयार है ना! कांध हिलाओ। हैं? सभी चलेंगे? अच्छा सभी चलने के लिए तैयार हैं? जब बाप जायेंगे तब जायेंगे ना। अभी नहीं जायेंगे अभी तो फॉरेन में जाना है ना लौट के। बाप आर्डर करेगा नष्टोमोहा स्मृति लब्धा का बेल बजायेगा और साथ चल पड़ेंगे। तो तैयारी है ना! स्नेह की निशानी है साथ चलना। अच्छा।
बापदादा हर एक बच्चे को दूर से भी नजदीक अनुभव कर रहा है। जब साइंस के साधन दूर को नजदीक कर सकता है देख सकता है बोल सकता है तो बापदादा भी दूर बैठे हुए बच्चों को सबसे नजदीक देख रहे हैं। दूर नहीं हो दिल में समाये हुए हो। तो बापदादा विशेष टर्न के अनुसार आये हुए बच्चों को अपने दिल में नयनों में समाते हुए एक-एक को साथ चलने वाले साथ रहने वाले साथ राज्य करने वाले देख रहे हैं। तो आज से सारे दिन में बार-बार कौन सी ड्रिल करेंगे? अभी अभी एक सेकण्ड में आत्म-अभिमानी अपने शरीर को भी देखते हुए अशरीरी स्थिति में न्यारा और बाप का प्यारा अनुभव कर सकते हो ना! तो अभी एक सेकण्ड में अशरीरी भव! अच्छा। (ड्रिल) ऐसे ही बीच-बीच में सारे दिन में कैसे भी एक मिनट निकाल इस अभ्यास को पक्का करते चलो।
बाकी बच्चों ने चाहे विदेश वालों ने चाहे देश वालों ने दोनों ने मिलकर जो भी प्लैन प्रोग्राम बनाये तो बापदादा ने देखा भी सुना भी। बापदादा ने बीच-बीच में आपके प्रोग्रामस के बीच में चक्कर लगाकर देखा भी। तो बापदादा खुश है कि सभी ने मिलकर जो भविष्य तीव्र पुरूषार्थ परिवर्तन का प्लैन बनाया है वह बापदादा को पसन्द है। लेकिन जो प्लैन बनाये हैं वह दूसरे साल में उसको प्रैक्टिकल में लाने वालों को बापदादा विशेष एक गुप्त सौगात देंगे। तो आगे बढ़ो इस बारी के दोनों के संगठन में पर-उपकार सहयोगी बनने का उमंग अच्छा देखा गया। डबल विदेशियों को बापदादा ने पहले भी कहा है कि अभी डबल विदेशी के बजाए डबल तीव्र पुरूषार्थी कहो। बापदादा आप सब बच्चों को इस विश्व की स्टेज पर हीरो पार्ट बजाने वाला विश्व के आगे हीरो दिखाने चाहते हैं। सभी उमंग- उत्साह से आये भी हैं और पत्र भी बहुत आये हैं हर एक ग्रुप ने भी अपना याद निशानियां भेजी है। बापदादा ने देखा है जिन्होंने भी यादप्यार या ईमेल या पत्र भेजे हैं उन सबको बापदादा नाम सहित सम्मुख देख पदमगुणा यादप्यार दे रहे हैं। चाहे दूर हैं लेकिन दिल में समाये हुए हैं। और सभी ब्राह्मण परिवार को खुशी होती है कि एक ही समय 100 देशों के इकट्ठे हुए हैं। यह संगठन कितना अच्छा लगता है। कहाँ-कहाँ से आये और अपने घर और परिवार बापदादा से भी मिलन मनाया। इसलिए बापदादा डबल फॉरेनर्स का टर्न है विशेष देखो डबल फॉरेनर्स का अलग टर्न बनाया है तो विशेष उड़ना पड़ेगा। चलना नहीं उड़ना। और डबल तीव्र पुरूषार्थी नाम ही आपका यह है डबल तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप। वैसे भी वैरायटी चीजे अच्छी लगती हैं तो यह भी वैरायटी देशों से एक स्थान में संगठन का दृश्य भी बहुत अच्छा लग रहा है। अभी आप तो देख नहीं सकते बाप तो देख रहे हैं ना। अच्छा टी.वी. में देख रहे हैं। साइंस आप लोगों की सेवा के लिए पुरूषार्थ के लिए निकली है और आप सम्पन्न हो जायेंगे तो साइंस समाप्त हो जायेगी। रिफाइन होके फिर हमारे राज्य में आयेगी। साइंस के साधन आप सबकी सेवा करेंगे लेकिन निर्विघ्न। जिन्होंने भी निमित्त बनके प्लैन बनाया प्रैक्टिकल लाये वह निमित्त टीचर्स उठके खड़े हो यहाँ ही। जो सेवा में फॉरेनर्स टीचर्स निमित्त बनें वह उठो। तो बापदादा निमित्त बने हुए सर्विसएबुल ग्रुप को विशेष यादप्यार दे रहे हैं। जी हाजिर किया उसके लिए बहुत-बहुत मुबारक है। अच्छा।
अभी जो भी डबल पुरूषार्थी फॉरेनर्स पाण्डव आये हैं पाण्डव सेना उठो। डबल फॉरेनर्स पाण्डव सेना। देखो पाण्डवों की विशेषता क्या गाई हुई है? पाण्डवों की विशेषता यही गाई हुई है कि वह विजयी तब बनें जब बाप का साथ लिया। पाण्डवपति का साथ लेने से विजयी बन गये। तो पाण्डव यही याद रखना कि हम पाण्डवपति के साथी हैं साथ भी हैं साथी भी हैं। तो आपका टाइटल क्या है? साधारण पाण्डव नहीं विजयी पाण्डव। कभी भी पाण्डवों का नाम लेंगे ना तो यही प्रसिद्ध है विजयी पाण्डव। तो वही हो ना। कितने बार विजय प्राप्त की है? अनेक बार विजयी बने हो और अनेक बार बनते रहेंगे। संगठन अच्छा है।
अभी सभी चाहे देश की चाहे विदेश की सभी शिव शक्तियां उठो। देखो शिव शक्तियों का झुण्ड बड़ा है और आपकी विशेषता क्या है? शिव शक्तियों की विशेषता क्या है? देखो आप लोगों का इतना बाप से सम्बन्ध है जो यादगार में भी शिव शक्ति कहते हैं। बाप से नाता सारा आधाकल्प भी शिव शक्ति के नाम से गाया जाता है और अब भी शिव बाप के साथ हो और साथी भी हो। बापदादा जब भी सर्विसएबुल बच्चों को या बच्चियों को देखते हैं तो फखुर आता है वाह! मेरे विश्व परिवर्तक साथी वाह! तो सबसे मिले ना। यह तो समय पर कुछ तो बदली होता ही है।
बापदादा को तन को भी चलाना तो पड़ेगा ना। देखना तो पड़ेगा। फिर भी बापदादा दोनों को समाने का पार्ट बच्ची ने भी अच्छा बजाया है। 40 वर्ष पार्ट बजाने को हो रहा है अभी 39 वर्ष हुए हैं कमाल है अव्यक्त पार्ट की। बापदादा इन दोनों को (आओ नीलू और हंसा) और साथी भी हैं लेकिन इन दोनों ने शरीरों की नब्ज को जानकर अच्छा शरीर को चलवाना सिखाया। और साथी भी हैं साथी भी हाथ उठाओ। शरीर के नब्ज को जानकर योगयुक्त होकर चलाने का बहुत अच्छा पार्ट बजाया और बजाते रहना। अच्छा। अभी भारत की जो विशेष निमन्त्रण पर आई वह उठो पाण्डव भी आये हैं जो पाण्डव विशेष निमन्त्रण पर आये वह भी उठो। अच्छा। भारत वाले तो अपने को भी और बाप भी समझते हैं कि इन आत्माओं का भी विशेष पार्ट है जो पालना ली भी है और पालना दे भी रहे हैं और जो भी पालना के निमित्त बनते हैं उन्हों को एकस्ट्रा भाग्य भी मिलता है चाहे पाण्डव हैं चाहे शक्तियां हैं लेकिन विशेष पार्ट बजाने वालों के विशेष भाग्य की लकीर मस्तक में चमकती है। बापदादा अब भारत की सीजन में होमवर्क पूछेगा कौन सा ज़ोन नम्बरवन हुआ? ज़ोन सेन्टर नहीं। कौन सा ज़ोन? चाहे मधुबन मधुबन भी इस रेस में है। नम्बरवन कौन है? यह होमवर्क जो दिया उसकी रिजल्ट पूछेंगे। चाहे अभी थोड़ा समय है लेकिन परिवर्तन आने में लाने में कोई देरी नहीं लगती। सिर्फ दृढ़ संकल्प हो मधुबन वालों को भी चांस है नम्बर लेने का। बाकी अच्छा है बापदादा खुश है डबल लॉटरी मिल गई। संगठन भी और इतने कहाँ कहाँ से 100 देशों से आये हुए हैं तो एक ही समय इतने परिवार से मिलना और बाप से भी मिलना प्रोग्रामस भी बनाना तो लकी हो। अच्छा। तो सबसे मिले ना। कहेंगे नहीं मिले? सबसे मिल लिया ना।
आप सबकी शुभ भावना और शुभ दुआओं से यह रथ भी चल रहा है। आप सबके स्नेह की जो खुराक है वह पार्ट को चला रही है। बच्ची चलते फिरते कहती है कि कहावत है - रास्ते चलते ब्राह्मण फंस गया। तो मैं भी फंस नहीं गई लेकिन निमित्त बन गई। लेकिन थोड़ा सा देखना भी पड़ता है। आप लोग तो सन्तुष्ट है ना। सन्तुष्ट हैं? सिर्फ ग्रुप-ग्रुप से नहीं मिल सकते। बापदादा भी इस पार्ट को देखके मुस्कराते रहते हैं दादी ने हिम्मत से निमित्त बनाया।
अच्छा। ड्रिल तो याद है ना। भूल तो नहीं गये हैं क्योंकि बापदादा जानते हैं आगे का समय अति हाहाकार का होगा। आप सबको सकाश देनी पड़ेगी और सकाश देने में ही आपका अपना तीव्र पुरूषार्थ हो जायेगा। थोड़े समय में सकाश द्वारा सर्व शक्तियां देनी पड़ेंगी और जो ऐसे नाजुक समय में सकाश देंगे जितनों को देंगे चाहे बहुतों को चाहे थोड़ों को उतने ही द्वापर और कलियुग के भक्त उनके बनेंगे। तो संगम पर हर एक भक्त भी बना रहे हैं क्योंकि दिया हुआ सुख और शान्ति उनके दिल में समा जायेगा और भक्ति के रूप में आपको रिटर्न करेंगे। अच्छा।
चारों ओर के बापदादा के नयनों के नूर विश्व के आधार और उद्धार करने वाली आत्मायें मास्टर दु:ख हर्ता सुख कर्ता विश्व परिवर्तक बच्चों को बहुत-बहुत दिल का स्नेह दिल का यादप्यार और पदम-पदम वरदान स्वीकार हो। अच्छा।
दादियों से:- सब खुश हुए ना। अच्छा। अभी करना क्या है?
अच्छा - साक्षी होके हिसाब किताब चुक्तू कर रही है।
परदादी से:- देखो सबकी प्यारी और न्यारी आत्मा हो। सभी आप लोगों को चाहे बेड पर भी हो तो भी आप सबके साथ दिल का स्नेह बहुत है। बेड पर नहीं हो सभी के दिल में हो। अच्छा।
विदेश की बड़ी बहिनों से:- (एक बुक बापदादा को दी) मेहनत अच्छी की है। अच्छा रॉयल बनाया है किसको भी देने के लिए अच्छी गिफ्ट बन गई। अच्छी मेहनत भी की है मुहब्बत भी दिखाई है। डबल विदेशियों को पालना दे रहे हो यह भी बहुत अच्छी हिम्मत रख करके आगे बढ़ रहे हो और बढ़ते रहेंगे। अच्छा संगठन भी आपस में अच्छा किया है। बापदादा खुश है। उमंग-उत्साह भरने का एक साधन है नवीनता चाहिए ना सबको। अच्छा है सिर्फ इसको पीठ करते रहना। जिससे सबमें उमंग आवे हम भी पार्ट लें हम भी करके दिखाये। हो जायेगा।
(सुदेश बहन ने लण्डन का समाचार सुनाया) बापदादा की मुबारक है, मुबारक है।
मनमोहिनी काम्पलेक्स विभाग के कन्ट्रक्शन के निमित्त भाई:- आप ब्राह्मणों के लिए बापदादा की तरफ से आप बच्चों की तरफ से परिवार के लिए मनमोहिनी वन में भवन बन रहे हैं बापदादा को खुशी है कि सबके सहयोग से ब्राह्मण आत्माओं को आराम से रहने अपने को रिफ्रेश करने के लिए सभी प्यार से बना भी रहे हैं और सहयोग भी दे रहे हैं तो कुछ बन गया है और कुछ बन रहा है तो सबके सहयोग से ब्राह्मणों के लिए जितना बनाओ उतना कम होता जाता है क्योंकि ब्राह्मण बढ़ते रहते हैं और बढ़ते ही रहने हैं। इसलिए आप सबके बूंद-बूंद से यह कम्पलीट हो रहा है। खुशी होती है ना हमारे भाई बहिन आयेंगे आराम से रहेंगे और सफलता को प्राप्त करेंगे। आप सबको खुशी है वाह हमारा घर बढ़ता जा रहा है। तो अपना घर देख करके कितनी खुशी होती है। अभी तो हद का वैराग्य होने दो फिर देखो आपके पास कितनी आत्मायें दुआयें लेने सुख शान्ति लेने के लिए आती हैं। तो आप सुख दाता उन्हों को शरीर के आराम का सुख भी देंगे ना तो यह तो बढ़ता रहेगा और आप बढ़ाते रहेंगे। वर्तमान समय यह है फिर और भी बढ़ेगा बनेगा कि बहुत हो गया? आप तो आवाहन कर रहे हो ना जो भी आवे अंचली तो ले ले। दुआयें कितनी निकलेंगी। खुशी है हमारा घर बन रहा है कि मधुबन का घर बन रहा है? आपका बन रहा है ना। बहुत अच्छा। मेहनत करने वाले भी अच्छी मेहनत प्यार से कर रहे हैं। अच्छा।
मनोहर दादी की याद दी:- आप सबको अपनी प्यारी दादी मनोहर इन्द्रा याद है ना। सदा अपना पार्ट अच्छे ते अच्छा बजाया है तो अभी भी सबके स्नेह और शुभ संकल्प से अपना पार्ट बजा रही है और बजाती रहेगी। हर एक का फिक्स पार्ट है। वह तो वतन में मौज मना रही है इस शरीर में नहीं है लेकिन वतन में मौज मना रही है। उसके दिल की आश पूरी हो रही है। अच्छा।
15-11-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘सच्ची साफ दिल से परमात्म स्नेही बन हर प्राप्ति के अनुभव की अथॉरिटी बनो’’
आज बापदादा अपने चारों ओर के अपनी सच्ची दिल साफ दिल के स्नेह से भोलानाथ बापदादा को अपना बनाने वाले बच्चे स्नेही बच्चे देख रहे हैं। ऐसे दिल के स्नेही बच्चों को देख बापदादा भी गीत गाते वाह! मेरे स्नेही बच्चे वाह! यह परमात्म स्नेह सिर्फ इस संगम पर ही अनुभव कर सकते हैं। तो ऐसे स्नेही बच्चे जो दिल से बाप को याद करते हैं वह सदा ही बाप की याद में बाप के दिलतख्तनशीन बनते हैं। बापदादा ऐसे स्नेही बच्चों को विशेष अमृतवेले कोई न कोई विशेष वरदान देते हैं क्योंकि स्नेह देने वाले दिल के स्नेही बच्चे बापदादा को भी अपने तरफ खींच लेते हैं क्योंकि दिल का सच्चा स्नेह है और जीवन में अगर स्नेह नहीं तो जीवन मौज में नहीं रहती। आप सभी अनुभवी हैं कि बाप का नि:स्वार्थ अविनाशी स्नेह हर एक बच्चे को कितना प्यारा है। तो परमात्म स्नेह इस ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन है। इसलिए आप सब स्नेह के पात्र और स्नेह के अनुभवी बच्चे हैं। ज्ञान है लेकिन ज्ञान के साथ परमात्म स्नेह भी आवश्यक है क्योंकि जहाँ स्नेह है वहाँ सब कुछ अनुभव करना सहज हो जाता है। स्नेह की शक्ति बहुत ही बाप के नजदीक ले आती है। स्नेह की शक्ति सदा ऐसे अनुभव कराती है जैसे बाप के वरदान का हाथ सदा अपने सिर पर अनुभव करते। स्नेह बाप का सदा ही छत्रछाया बन जाता है। स्नेही सदा अपने को बाप के साथी समझते हैं। स्नेही आत्मा सदा रमणीक रहती है। सूखे नहीं रहते रमणीक रहते हैं। स्नेही आत्मा सदा निश्चित और निश्चिंत रहते हैं। स्नेही सदा अपने को बाप को याद करने में सहज योगी का अनुभव करते हैं। ज्ञान बीज है लेकिन बीज के साथ स्नेह पानी है अगर बीज में पानी नहीं मिलता तो फल की प्राप्ति का अनुभव नहीं हो सकता। ज्ञान के साथ-साथ यह परमात्म स्नेह सदा सर्व प्राप्तियों का फल अनुभव कराता है। स्नेह में प्राप्तियों का अनुभव बहुत सहज होता है। सिर्फ ज्ञान है लेकिन स्नेह नहीं है तो फिर भी क्यों क्या के क्वेश्चन्स उठ सकते हैं लेकिन स्नेह है तो सदा स्नेह के सागर में लवलीन रहते हैं। स्नेही आत्मा को एक बाप ही संसार है सदा श्रीमत का हाथ मस्तक में अनुभव करते हैं। अविनाशी स्नेह सारा कल्प स्नेही बना देता है। तो हर एक अपने आपको चेक करो कि सदा दिल के स्नेह का अनुभवी हैं वा बीच में कोई स्नेह में लीकेज तो नहीं है? अगर कोई भी आत्मा की तरफ प्रभावित हैं चाहे उनकी विशेषता पर चाहे विशेष गुण पर प्रभावित है तो परमात्म प्यार के अन्दर अविनाशी के बदले लीकेज हो जाता है। इसलिए हर एक अपने आपको चेक करे कि लीकेज वाले सदा के स्नेही सदा बाप के साथी सदा बाप के हाथ का वरदान माथे पर हो यह अनुभव नहीं कर सकते हैं इसलिए ज्ञानी तू आत्मा प्रिय हैं लेकिन ज्ञान के साथ-साथ सच्ची दिल अविनाशी बाप का स्नेह आवश्यक है। अगर ज्ञान के साथ स्नेह बाप के साथ थोड़ा भी कम है सच्ची दिल साफ दिल का स्नेह थोड़ा भी कम है तो कहाँ-कहाँ मेहनत करनी पड़ती है। पुरूषार्थ में युद्ध करनी पड़ती है। इसलिए निरन्तर याद निरन्तर लव में लीन होने वाली आत्मा सदा ही पहाड़ को भी राई बनाने वाली होती है क्योंकि स्नेह में प्राप्तियां स्पष्ट अनुभव होती हैं और जहाँ मुहब्बत है वहाँ मेहनत कम अगर मुहब्बत अथवा स्नेह कम तो मेहनत लगती है।
तो बापदादा आज चारों ओर के बच्चों को सच्ची दिल से बाप के स्नेही मेहनत से मुक्त सदा ही स्नेह के सागर में समाये हुए कहाँ तक हैं वह चेक कर रहे थे। ज्ञान बीज है लेकिन बीज को स्नेह का पानी आवश्यक है। नहीं तो सहज फल प्राप्तियों का फल अनुभवों का फल कम अनुभव होता। तो आजकल बापदादा हर बच्चे को हर प्राप्ति के अनुभवी मूर्त देखने चाहते हैं। अपने आपको चेक करो हर शक्ति का हर प्राप्ति का हर गुण का अनुभव है? अगर अनुभव की अथॉरिटी है तो कोई भी परिस्थिति अनुभव की अथॉरिटी के आगे कुछ भी प्रभाव नहीं डाल सकती। सभी बच्चे जानते हैं ज्ञान की समझ से मैं आत्मा हूँ जानते भी हैं बोलते भी है लेकिन चलते फिरते हर समय आत्मा स्वरूप की अनुभूति है? ज्ञान की हर प्वांइट अनुभव कर रहे हैं? अनुभवी मूर्त कभी भी किसी भी परिस्थिति में अचल अडोल रहते हैं। हलचल में नहीं आते क्योंकि अथॉरिटीज़ तो बहुत हैं लेकिन सबसे बड़े में बड़ी अथॉरिटी अनुभव है। अगर अनुभव की अथॉरिटी है तो हर शक्ति हर ज्ञान की प्वाइंट हर गुण अपने आर्डर में होंगे। आह्वान करो जिस समय जिस शक्ति का वो सेकण्ड में सहयोगी बनेगी। अगर अनुभव की अथॉरिटी कम है तो मेहनत करनी पड़ती है। अनुभवी मास्टर सर्वशक्तिवान है। तो मास्टर आर्डर करे और शक्ति समय पर काम में नहीं आवे मेहनत करनी पड़े समय लगाना पड़े तो मास्टर सर्वशक्तिवान कैसे हुए! तो हर सबजेक्ट ज्ञान की हर प्वाइंट का अनुभवी हूँ याद की शक्ति का क्या एक सेकण्ड में मेरा बाबा मीठा बाबा याद किया और समा गये ऐसा अनुभव है? जिस समय जो धारणा आवश्यक है उस समय वह धारणा कार्य में लगा सकते हैं? कि कार्य समाप्त हो जाए फिर सोच में आवे इसको अनुभवी अथॉरिटी मूर्त नहीं कहेंगे। मालिक शक्तिवान है तो हर शक्ति हर गुण आर्डर में है? तो हर एक अपने आपको देखो कि अनुभव की अथॉरिटी के तख्त पर वा सीट पर सदा रहते हैं? अनुभव की सीट पर सेट रहने वाले अर्थात् संकल्प किया और हुआ मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। समय नहीं लगाना पड़ेगा। हर श्रीमत से जीवन नेचुरल सहज सम्पन्न होगा क्योंकि पहले सुनाया सच्ची दिल साफ दिल पर बापदादा भी स्नेही आत्मा पर लवलीन आत्मा पर हाजिर हो जाते हैं। जो हर श्रीमत पर हाजिर होता है तो बाप भी कहते हैं मैं भी हजूर हाजिर हूँ। आप जी हजूर करो तो हजूर सदा हाजिर है। सहज याद तो ब्राह्मण जीवन का नेचरल गुण है।
तो सभी जो भी पहली बार भी आये हैं या बहुतकाल से बाप के बन गये हैं तो हर शक्ति हर गुण नेचरल नेचर बनी हैं? जैसे हर एक में कोई न कोई नेचर नेचरल होती है। जो कभी-कभी कोई-कोई बच्चे कुछ भी हो जाता है जो ब्राह्मण जीवन के योग्य नहीं है तो क्या कहते हैं? मेरा भाव नहीं था लेकिन नेचर है। जैसे वह कमज़ोर नेचर नेचरल हो गई है ऐसे हर शक्ति ब्राह्मण आत्मा की नेचरल नेचर है। यह जो कमज़ोर नेचर बनी है वह तो देह- अभिमान की निशानी है। तो समझा ज्ञानी तू आत्मा के साथ बाप से दिल का स्नेह सब सहज कर देता है। स्नेह भी ब्राह्मण जीवन में सहयोग देता है और स्नेह याद मुश्किल नहीं कराता भूलना मुश्किल होता है। स्नेही को भूलना मुश्किल होता है याद करना नेचर होती है।
तो बापदादा वर्तमान समय आप एक-एक बच्चे को अभी किस रूप में देखने चाहते हैं? क्योंकि समय की रफ्तार अचानक के खेल दिखा रही है इसलिए बापदादा हर बच्चे को बाप समान देखने चाहते हैं। हर बच्चे की सूरत में बाप की मूर्त प्रत्यक्ष हो। हर बच्चे के नयनों में रूहानियत का नशा हो। हर चेहरे पर सर्व प्राप्तियों की मुस्कराहट हो हर चलन में निश्चय का नशा हो। सभी आने वाले निश्चयबुद्धि हैं ना! निश्चयबुद्धि हैं हाथ उठाओ। अच्छा। मुबारक हो। लेकिन निश्चय बुद्धि की निशानी क्या गाई जाती है? निश्चयबुद्धि के पीछे क्या कहा जाता है? निश्चयबुद्धि क्या? विजयी। निश्चयबुद्धि की निशानी विजयी। तो सदा निश्चयबुद्धि की निशानी क्या हुई? सदा विजयी वा कभी-कभी विजयी? सदा विजयी होगा ना! तो अभी समय प्रमाण निश्चयबुद्धि का प्रत्यक्ष प्रमाण सदा विजयी आत्मा कोशिश शब्द नहीं चाहता तो हूँ कोशिश तो करता हूँ होना तो चाहिए उसके मुख से सदा विजय का प्रत्यक्ष प्रमाण दिखाई दे।
बापदादा ने देखा सभी बच्चे पुरूषार्थी तो हैं लेकिन बीच-बीच में अलबेलापन पुरूषार्थ को तीव्र बनाने के बजाए बीच-बीच में ढीला कर देता है। फिर बापदादा को भी बहुत मीठी-मीठी बातें सुनाते हैं। क्या कहते? अपने आपसे पूछो क्या कहते हैं? हो जायेगा होना ही है समय पर पहुंच जायेंगे। तो यह अलबेलापन समय पर जो वायदा किया है कि बाबा हम साथ है और साथ चलेंगे हाथ में हाथ देके चलेंगे सिवाए समान के साथ कैसे चलेंगे? एक बात में बापदादा को विशेष खुशी होती है किस बात की? सभी बच्चे जो भी चलते रहते हैं वा उड़ते रहते हैं दोनों बाप के प्यार में अच्छी मार्क्स ले रहे हैं सम्पूर्ण बनने में सम्पन्न बनने में अलग बात है लेकिन बाप से प्यार है प्यार की मार्क्स अच्छी हैं। अभी समान बनने में मार्क्स लेनी है। जो बाप के बोल वह बच्चों के बोल जो बाप के कर्म वही बच्चों के कर्म समान बनने के लिए सिर्फ एक शब्द सहज प्रैक्टिकल में लाओ कहना सहज है वह एक शब्द है ‘‘बापदादा करावनहार है’’ एक करावन शब्द आत्म अभिमानी बनने में भी सहज है मैं आत्मा भी इन कर्मेन्द्रियों की करावनहार हूँ और हर कदम में हर कार्य में करावनहार बाप है मैं निमित्त हूँ क्योंकि विघ्न पड़ता है दो शब्दों का एक मैं दूसरा मेरा करावनहार शब्द से मैं-मेरा समाप्त हो जाता है। मैं निमित्त हूँ निमित्त बनाने वाला करा रहा है मैंपन नहीं। तो सुना बापदादा क्या चाहता है? एक तो सच्ची दिल साफ दिल का स्नेह। भोलानाथ बाप सच्ची दिल पर बहुत सहज राजी हो जाते हैं। जब भोलानाथ राजी तो धर्मराज काजी आंख भी नहीं उठा सकते। धर्मराज को भी बाय-बाय करके चले जायेंगे। वह भी आप बापसमान बच्चों को नमस्ते करेगा झुकेगा। आप ऐसे बाप के प्यारे हो लेकिन सिर्फ चेक करना कोई स्नेह में लीकेज नहीं हो। अपने देहभान वा दूसरे की कोई भी विशेषता की लीकेज खत्म। अनुभवीमूर्त। अच्छा।
आज पहली बारी कौन आये हैं वह खड़े हो जाओ। अच्छा आधा क्लास तो पहले बारी का है बहुत अच्छा बैठ जाओ। फिर भी बापदादा खुश होते हैं कि लेट का बोर्ड तो लग गया है लेकिन टूलेट का नहीं लगा है। इसलिए आये पीछे हैं लेकिन तीव्र पुरूषार्थी बन आगे जाना है। अगर इस संगम के समय को एक-एक सेकण्ड सफल करेंगे तो सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है लेकिन अटेन्शन प्लीज़। सेकण्ड भी व्यर्थ न जाये। अटेन्शन को भी अण्डरलाइन करके चलना पड़े। ऐसे उमंग है जो पहले बारी आने वाले हैं वह हिम्मत रखते हैं कि हम आगे जायेंगे? वह हाथ उठाओ। टी.वी. में दिखा लो हिसाब-किताब पूछेंगे। फिर भी बापदादा आप सभी के ऊपर यही शुभ संकल्प रखते हैं कि पीछे आते भी आगे जाकर दिखायेंगे। दिखायेंगे ना! जितने सारे उठे उतने ताली बजाओ। अच्छा उमंग है उमंग में ही चलते रहना।
सभी बच्चों की अमृतवेले बापदादा रूहरिहान बहुत अच्छी-अच्छी सुनते हैं। रोज़ मैजारिटी बतायें क्या कहते हैं? मैजारिटी यही वायदा करते हैं आज से जो यह कमज़ोरी है ना वह आगे नहीं आयेगी लक्ष्य रखते हैं लेकिन लक्ष्य को लक्षण में लाना उसमें टाइम लगा देते हैं। झाटकू नहीं होते हैं सोचा और किया अब ऐसी तीव्र रफ्तार बनाओ। सोचना और करना दोनों एक हो। सोचा आज और करना दिन लगा देते हैं मास भी लगा देते हैं और उस मास के अन्दर अचानक कुछ हो जाए तो क्या गति होगी? बापदादा को एक-एक बच्चे से विशेष प्यार है तो बापदादा यही चाहते कि सब बाप समान बन साथ रहते हैं अभी साथ चलें अपने घर में साथ चलें और राज्य करने में फर्स्ट जन्म में साथ आयें। पसन्द है हाथ उठाओ। आपकी सीट बुक कर ले। कर लें कि सोचेंगे? सोचेंगे या बुक कर लें? जो समझते हैं बुक होना ही है वह हाथ उठाओ। बुक होना ही है वाह! यह तो वी.आई.पी भी हाथ उठा रहे हैं। कमाल है मुबारक है।
अच्छा जो टीचर्स आई हैं वह हाथ उठाओ। टीचर्स से बापदादा क्या चाहते हैं? पता है? टीचर्स से बापदादा यही चाहते हैं कि आपके फीचर्स से बापदादा वा फ्युचर दिखाई दे। साधारण नहीं दिखाई दे फ्युचर दिखाई दे या बापदादा दिखाई दे। हो सकता है? हो सकता है? अच्छा इसमें जो भी आई हो वह एक मास के बाद मधुबन में बापदादा के पास अपने इस विशेषता की रिजल्ट लिखना क्योंकि आप निमित्त बनी हुई हो तो निमित्त बने हुए के ऊपर जिम्मेवारी भी होती है आपकी शक्ल कभी भी एक मास में चिंता वाली वा व्यर्थ चिंतन वाली बनीं या एक मास जो बापदादा चाहते हैं वैसे ही फीचर्स रहे? नो प्राब्लम ठीक है? नो प्राब्लम कि थोड़ी-थोड़ी आ जायेगी। आने नहीं देना। प्राब्लम का दरवाजा बन्द। डबल लॉक लगाना। डबल लॉक है - याद और सेवा। मन्सा सेवा सदा हाजिर है ऐसे नहीं चांस ही नहीं मिला बड़ी बहन ने मेरे को चांस ही नहीं दिया मन्सा के लिए कोई नहीं रोकता। रात को भी जाग करके कर सकती हो मन्सा सेवा सकाश दो आह्वान करो आत्माओं का बिचारे दु:खी आत्मायें हैं सहारा दो। तो एक मास की रिजल्ट सभी टीचर्स नयी पुरानी सभी टीचर्स जो नहीं भी आई हैं वह भी एक मास की रिजल्ट या लिखना नो प्राब्लम। या कारण लिखना कितना दिन प्राब्लम आई। बस डिटेल नहीं लिखना यह हुआ यह हुआ वह नहीं लिखना। ठीक है करना है हाथ उठाओ जो करेंगे। अच्छा बहुत अच्छा। यहाँ भी बैठे हैं। अच्छा - मधुबन वाले ज्ञान सरोवर पाण्डव भवन हॉस्पिटल वाले सब हाथ उठाओ। अच्छा। तो सभी रिजल्ट लिखेंगे। सभी लिखना। मधुबन वालों की अप्लीकेशन पहुंच गई है। अच्छा - इस बारी सेवा में दो ज़ोन हैं।
राजस्थान और इन्दौर ज़ोन की सेवा का टर्न है:- दोनों ही ज़ोन सेवा तो अच्छी कर रहे हैं लेकिन बापदादा की एक बात अभी भी रही हुई है। वह तो जानते हैं ना। राजस्थान में कितने अच्छे-अच्छे वारिस निकले हैं। राजस्थान है ही राजाओं का स्थान इसीलिए नाम है राजस्थान। तो कितने भविष्य के राज्य अधिकारी निकाले हैं? हर सेन्टर अभी तक कितने राज्य अधिकारी निकाले हैं वह अपने पास नोट किया है? तो हर एक सेन्टर राज्य अधिकारी बनने वाले विशेष आत्माओं की संख्या लिखना। सेवा कर रहे हैं सेवा के प्लैन भी सोचते हैं लेकिन अभी समय के प्रमाण एक तो अपने-अपने एरिया की आत्माओं का उल्हना पूरा करो। जहाँ सेन्टर की एरिया होती है वहाँ आसपास भी मेहनत करके सभी को सिर्फ सन्देश नहीं दो लेकिन बापदादा से कम से कम वर्सा तो दिलाओ। ऐसा उल्हना नहीं हो कि बाप आया हमें वर्सा दिलाने से वंचित किया। तो अभी चारों ओर यह सेवा जल्दी से जल्दी पूरी करनी चाहिए। निमित्त एक ज़ोन है लेकिन बापदादा सभी ज़ोन को कह रहे हैं। कोई एरिया कोई गांव कोई कॉलोनी वंचित न रह जाए। सभी लास्ट में आपके गुण गाये वाह! आपने हमें बाप का परिचय तो दिया यह पुण्य का खाता अभी तीव्र गति से जमा करना चाहिए। तो राजस्थान क्या करेगा? कितने समय में अपना उल्हना पूरा करेंगे? कितना समय चाहिए? सोचेंगे? प्लैन बनाना हर एक को बांटके जल्दी से जल्दी यह प्लैन बनाओ। कोई कोई ज़ोन कर भी रहा है और सफलता मिल रही है। अच्छा है निमित्त टीचर्स बापदादा टीचर्स को अमृतवेले विशेष दृष्टि देते हैं क्योंकि टीचर्स बाप की गद्दी के अधिकारी हैं। लेकिन दृष्टि कहाँ तक कार्य में लगाते हो वह हर एक खुद जानते हैं क्योंकि विशेष रूप से बापदादा का निमित्त टीचर्स से प्यार है। तो दृष्टि लो और दृष्टि दो। अच्छा - साथी भी बहुत आये हैं सेवा का उमंग बापदादा ने देखा है है उमंग है लेकिन अभी कुछ ऐसी आत्मायें निकालो जो आपकी सर्विस के हैण्ड बन जायें। बाकी अच्छा है वृद्धि भी हो रही है यह जो भी सभी उठे हैं वह इसी ज़ोन के हैं हाथ उठाओ। साथी बनके आये हो अच्छा।
इन्दौर वाले उठो हाथ हिलाओ। इन्दौर सर्विस तो कर रहे हैं लेकिन ऐसे साथी निकालो जो आपके मददगार होके सदा आपके साथ सेवा का पार्ट बजाते रहे। बीच-बीच में सहयोगी बनते हैं सेवा में साथी भी बनते हैं लेकिन सदा के साथी तैयार करो जिससे आपके साथी बनकर जल्दी जल्दी सबको सन्देश दे सकें। बाकी बापदादा खुश है वृद्धि भी कर रहे हैं लेकिन विधि को और थोड़ा फास्ट करो। नई नई आत्मायें बढ़ भी रही है यह देखकर बाबा खुश भी होते हैं लेकिन रफ्तार अभी और तेज करो स्व पुरूषार्थ और सेवा का पुरूषार्थ और तीव्र गति में लाओ। बाकी एक-एक बच्चे दोनों ही ज़ोन के बापदादा को एक दो से प्यारे हैं। अभी आत्माओं को जैसे आपने बाप के प्यार का अनुभव किया है ऐसे उन आत्माओं को भी बाप के प्यार का थोड़ा बहुत अनुभव तो कराओ। वंचित नहीं रह जाएं क्योंकि आप आत्मायें विश्व कल्याणी हो। तो विश्व अभी कितना बड़ा रहा हुआ है। हर एक अपने ज़ोन के कल्याणी तो बनो ज़ोन में कोई भी वंचित नहीं रह जाए। ऐसा प्लैन हर एक ज़ोन मिलके बनाओ फास्ट सर्विस। सेवा की सीज़न बनाओ। वंचित आत्माओं को थोड़ा-बहुत बाप के प्यार की अंचली तो दिलाओ। रहम आत्मा है ना! आत्माओं पर रहम आता है? आता है रहम? तो अनुभव कराओ। जितने भी भाई या बहिनें आई हैं वह अपना फर्ज समझो हमें जितना भी हो सके उतना आत्माओं को जैसे हम तृप्त हुए हैं ऐसे तृप्त आत्मायें बनायें। अभी पुण्य इकठ्ठा करने की मशीनरी लगाओ। समझा। कितने उठे हैं एक-एक दो चार को भी तैयार करे सन्देश दो वह समाचार लिखें कि हमको फलाने ने बाप के प्यार का रास्ता दिलाया। अपने ही सेन्टर पर यह सेवा का समाचार दो। बापदादा यही चाहते हैं कि उल्हना नहीं रह जाए। बाकी तो सभी एक दो से अच्छे ते अच्छे हैं अच्छे ते अच्छे रहेंगे। बापदादा का विशेष इस ज़ोन को भी मुबारक है मुबारक है लेकिन अभी गति को थोड़ा तीव्र करो। बापदादा तो लोगों के दु:ख की आहें सुनते हैं ना। जब आत्मायें बच्चों के दु:ख की आहें बाप को सुनाई देती हैं तो बताओ बाप को कितना तरस पड़ता है। आप भी रहमदिल आत्मायें कल्याणकारी आत्मायें अभी दु:खियों का आवाज सुनो। हे विश्व कल्याणी आत्माओं का कल्याण करो। अच्छा बहुत अच्छा।
डबल विदेशी:- अच्छा फॉरेन वाले उठो। फॉरेन वाले भी चतुर हैं बहुत। हर ग्रुप में फॉरेन वालों की अबसेन्ट नहीं है। हर ग्रुप में अपना पार्ट बजाते रहते हैं और बापदादा और ब्राह्मण परिवार आप सबकी हिम्मत को देख खुश होते हैं। अभी तो बापदादा ने डबल फॉरेनर्स नाम बदलके कौन सा नाम रखा है? डबल पुरूषार्थी। तो सभी का डबल अर्थात् तीव्र पुरूषार्थ है ना! जो समझते हैं हमारा तीव्र पुरूषार्थ है वह हाथ उठाओ। हाथ हिलाओ। अच्छा मैजारिटी हैं मुबारक हो। तीव्र पुरूषार्थ की मुबारक हो। अभी तीव्र पुरूषार्थी तो हो लेकिन अभी तीव्र सेवाधारी यह भी पार्ट बजाओ क्योंकि स्व पुरूषार्थ के साथ सेवा का पुरूषार्थ भी अभी तीव्र करना है क्योंकि सेवा का चांस अभी है आगे चलके सेवा करने चाहो तो चांस नहीं मिलेगा। सिवाए मन्सा सेवा के। इसलिए सम्बन्ध-सम्पर्क की सेवा और वाणी की सेवा करने का चांस अभी है। जितनी कर सको उतनी डबल ट्रिबल करो। फॉरेन के साथ बापदादा भारत को भी कह रहा है। हर एक को अपना स्वयं का और सेवा का रिकार्ड देना ही है। अपने आप ही चेक करो जितना हो सकता है उतना स्वयं प्रति वा सेवा के प्रति अटेन्शन है? बाकी अच्छा है अभी फॉरेन काफी संस्कारों में अपने अनादि आदि संस्कार कहो उसमें आ गये हैं। अभी ब्राह्मण कल्चर के आदती हो गये हैं। संस्कारों के भी और स्थूल कल्चर के भी। तो मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है।
अच्छा। अभी एक सेकण्ड में अपने मन के बुद्धि के मालिक बन मन बुद्धि को परमधाम में एकाग्र कर सकते हो? अभी एक मिनट बापदादा देखने चाहते हैं सभी एकाग्र हो परमधाम निवासी बन जाओ। (ड्रिल)
ऐसी प्रैक्टिस समय पर बहुत काम में आयेगी। अभी नाजुक समय नजदीक आ रहा है इसलिए यह एकाग्रता का अभ्यास बहुत-बहुत-बहुत आवश्यक है। इसको हल्का नहीं करना। एक सेकण्ड में क्या से क्या हो जायेगा इसलिए बापदादा पहले से ही इशारा दे रहा है। अच्छा।
चारों ओर के तीव्र पुरूषार्थी आत्माओं को सदा सच्ची दिल के बाप के स्नेही दिलाराम के बच्चों को सदा स्वयं और सेवा में आगे से आगे उड़ने वाले उड़ती कला के बच्चों को सदा अमृतवेले से रात तक हर श्रीमत को जीवन में लाने वाले बाप समान बच्चों को बापदादा का यादप्यार, दिल के वरदान स्वीकार हो साथ साथ बापदादा की देश विदेश के सभी बच्चों को दिल में समाते हुए नमस्ते।
दादियों से :- अच्छा है तीनों ही मिलके साथी बनाके चलते चलो। साथी तो चाहिए ना। ऐसे ऐसे साथी तो चाहिए। (अंकल आंटी की याद दी) उन्हों को सच्चे दिल की याद है सच्ची दिल से बापदादा का भी पदमगुणा यादप्यार। अच्छे निमित्त है अन्त तक निमित्त बने हैं, बने रहेंगे।
शान्तामणि दादी से:- बापदादा आपको हिम्मते बच्चे मददे बाप की अधिकारी बच्ची समझते हैं। अच्छी हिम्मत करती है, मुरली सुनाती है, बापदादा सुनते हैं।
परदादी से:- वाह! यह बापदादा के दिलतख्त पर बैठी रहती है। सुन रही है। सुनने में अच्छी है। आपको देखके आपकी सूरत से बाप दिखाई देता है। बाप की जो शक्तियां हैं, गुण हैं वह आपके जीवन से दिखाई देता है। समझा। बहुत अच्छा है। आदि रत्न हैं देखो दोनों ही आदि रत्न हैं। आपकी सूरत भी सेवा करती है, दोनों की। बहुत अच्छा।
30-11-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘फुलस्टाप लगाकर सम्पूर्ण पवित्रता की धारणा कर, मन्सा सकाश द्वारा सुख-शान्ति की अंचली देने की सेवा करो’’
आज बापदादा चारों ओर के महान बच्चों को देख रहे हैं। क्या महानता की? जो दुनिया असम्भव कहती है उसको सहज सम्भव कर दिखाया वह है पवित्रता का व्रत। आप सभी ने पवित्रता का व्रत धारण किया है ना! बापदादा से परिवर्तन का दृढ़ संकल्प का व्रत लिया है। व्रत करना अर्थात् वृत्ति द्वारा परिवर्तन करना। क्या वृत्ति परिवर्तन की? संकल्प किया हम सब भाई-भाई हैं इस वृत्ति परिवर्तन द्वारा कितनी बातों में भक्ति में भी व्रत लेते हैं लेकिन आप सबने बाप से दृढ़ संकल्प किया क्योंकि ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन है पवित्रता और पवित्रता द्वारा ही परमात्म प्यार और सर्व परमात्म प्राप्तियां हो रही हैं। महात्मा जिसको कठिन समझते हैं असम्भव समझते हैं और आप पवित्रता को स्वधर्म समझते हो। बापदादा देख रहे हैं कई अच्छे अच्छे बच्चे हैं जिन्होंने संकल्प किया और दृढ़ संकल्प द्वारा प्रैक्टिकल में परिवर्तन दिखा रहे हैं। ऐसे चारों ओर के महान बच्चों को बापदादा बहुत-बहुत दिल से दुआयें दे रहे हैं।
आप सभी भी मन वचन कर्म वृत्ति दृष्टि द्वारा पवित्रता का अनुभव कर रहे हो ना! पवित्रता की वृत्ति अर्थात् हर एक आत्मा प्रति शुभ भावना शुभ कामना। दृष्टि हर एक आत्मा को आत्मिक स्वरूप में देखना स्वयं को भी सहज सदा आत्मिक स्थिति में अनुभव करना। ब्राह्मण जीवन का महत्व मन वचन कर्म की पवित्रता है। पवित्रता नहीं तो ब्राह्मण जीवन का जो गायन है सदा पवित्रता के बल से स्वयं भी स्वयं को दुआ देते हैं क्या दुआ देते? पवित्रता द्वारा सदा स्वयं को भी खुश अनुभव करते और दूसरों को भी खुशी देते। पवित्र आत्मा को तीन विशेष वरदान मिलते हैं - एक स्वयं स्वयं को वरदान देता जो सहज बाप का प्यारा बन जाता। 2-वरदाता बाप का नियरेस्ट और डियरेस्ट बच्चा बन जाता इसलिए बाप की दुआयें स्वत: प्राप्त होती हैं और सदा प्राप्त होती हैं। तीसरा - जो भी ब्राह्मण परिवार के विशेष निमित्त बने हुए हैं उन्हों द्वारा भी दुआयें मिलती रहती। तीनों की दुआओं से सदा उड़ता रहता और उड़ाता रहता। तो आप सभी भी अपने से पूछो अपने को चेक करो तो पवित्रता का बल और पवित्रता का फल सदा अनुभव करते हो? सदा रूहानी नशा दिल में फलक रहती है? कभी-कभी कोई कोई बच्चे जब अमृतवेले मिलन मनाते हैं रूहरिहान करते हैं तो मालूम है क्या कहते हैं? पवित्रता द्वारा जो अतीन्द्रिय सुख का फल मिलता है वह सदा नहीं रहता। कभी रहता है कभी नहीं रहता क्योंकि पवित्रता का फल ही अतीन्द्रिय सुख है। तो अपने से पूछो मैं कौन हूँ? सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति में रहते वा कभी-कभी? अपने को कहलाते क्या हो? सभी अपना नाम लिखते तो क्या लिखते हो? बी.के. फलाना.. बी.के. फलानी। और अपने को मास्टर सर्वशक्तिवान कहते हो। सब हैं ना! मास्टर सर्वशक्तिवान हैं? जो समझते हैं हम मास्टर सर्वशक्तिवान हैं सदा कभी-कभी नहीं वह हाथ उठाओ। सदा? देखना सोचना सदा हैं? डबल फारेनर्स नहीं हाथ उठा रहे हैं थोड़े उठा रहे हैं। टीचर्स उठाओ हैं सदा? ऐसे ही नहीं उठाओ जो सदा हैं वह सदा वाली उठाओ। बहुत थोड़े हैं। पाण्डव उठाओ पीछे वाले बहुत थोड़े हैं। सारी सभा नहीं हाथ उठाती। अच्छा मास्टर सर्वशक्तिवान हैं तो उस समय शक्तियां कहाँ चली जाती? मास्टर हैं इसका अर्थ ही है मास्टर तो बाप से भी ऊंचा होता है। तो चेक करो - अवश्य प्युरिटी के फाउण्डेशन में कुछ कमज़ोर हो। क्या कमज़ोरी है? मन में अर्थात् संकल्प में कमज़ोरी है बोल में कमज़ोरी है या कर्म में कमज़ोरी है या स्वप्न में भी कमज़ोरी है क्योंकि पवित्र आत्मा का मन-वचन-कर्म सम्बन्ध-सम्पर्क स्वप्न स्वत: शक्तिशाली होता है। जब व्रत ले लिया वृत्ति को बदलने का तो कभी कभी क्यों? समय को देख रहे हो समय की पुकार भक्तों की पुकार आत्माओं की पुकार सुन रहे हो और अचानक का पाठ तो सबको पक्का है तो फाउण्डेशन की कमज़ोरी अर्थात् पवित्रता की कमज़ोरी। अगर बोल में भी शुभ भावना शुभ कामना नहीं पवित्रता के विपरीत है तो भी सम्पूर्ण पवित्रता का जो सुख है अतीन्द्रिय सुख उसका अनुभव नहीं हो सकता क्योंकि ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य ही है असम्भव को सम्भव करना। उसमें जितना और उतना शब्द नहीं आता। जितना चाहिए उतना नहीं है। तो कल अमृतवेले विशेष हर एक अपने को दूसरे को नहीं सोचना दूसरे को नहीं देखना लेकिन अपने को चेक करना - कितनी परसेन्टेज़ में पवित्रता का व्रत निभा रहे हैं? चार बातें चेक करना - एक वृत्ति दूसरा - सम्बन्ध-सम्पर्क में शुभ भावना शुभ कामना यह तो है ही ऐसा नहीं। लेकिन उस आत्मा प्रति भी शुभ भावना। जब आप सबने अपने को विश्व परिवर्तक माना है है सभी? अपने को समझते हैं कि हम विश्व परिवर्तक हैं? हाथ उठाओ। इसमें उठाते हैं। इसमें तो बहुत अच्छे हाथ उठाये हैं मुबारक हो इसमें भी। लेकिन बापदादा एक आप सभी से प्रश्न पूछते हैं? पूछें? प्रश्न पूछें? जब आप विश्व परिवर्तक हो तो विश्व परिवर्तन में यह प्रकृति 5 तत्व भी आ जाते हैं उन्हों को परिवर्तन कर सकते और अपने को या साथियों को परिवार को परिवर्तन नहीं कर सकते? विश्व परिवर्तक अर्थात् आत्माओं को प्रकृति को सबको परिवर्तन करना। तो अपना वायदा याद करो सभी ने बाप से वायदा कई बार किया है लेकिन बापदादा यही देख रहे हैं कि समय बहुत फास्ट आ रहा है सबकी पुकार बहुत बढ़ रही है तो पुकार सुनने वाले और परिवर्तन करने वाले उपकारी आत्मायें कौन हैं? आप ही हो ना!
बापदादा ने पहले भी सुनाया है पर उपकारी वा विश्व उपकारी बनने के लिए तीन शब्द को खत्म करना पड़ेगा - जानते तो हो। जानने में तो होशियार हो बापदादा जानता है सभी होशियार हैं। एक पहला शब्द है पराचिंतन परदर्शन और तीसरा है परमत इन तीनों ही पर शब्द को खत्म कर पर उपकारी बनेंगे। जो विघ्न रूप बनता है वह यह तीन शब्द याद है ना! नई बात नहीं है। तो कल चेक करना अमृतवेले बापदादा भी चक्कर लगाता है देखेंगे क्या कर रहे हो? क्योंकि अभी आवश्यकता है समय प्रमाण पुकार प्रमाण हर एक दु:खी आत्मा को मन्सा सकाश द्वारा सुख शान्ति की अंचली देना। कारण क्या है? बापदादा कभी-कभी बच्चों को अचानक देखते हैं क्या कर रहे हैं? क्योंकि बच्चों से प्यार तो है ना और बच्चों के साथ जाना है अकेला नहीं जाना है। साथ चलेंगे ना! चलेंगे! चलेंगे! साथ चलेंगे? यह आगे वाले नहीं उठा रहे हैं? नहीं चलेंगे? चलना है ना! बापदादा भी बच्चों के कारण एडवांस पार्टी भी आपकी दादियां आपके विशेष पाण्डव आप सबका इन्तजार कर रहे हैं उन्होंने भी दिल में पक्का वायदा किया है कि हम सब साथ में चलेंगे। थोड़े नहीं सबके सब साथ चलेंगे। तो कल अमृतवेले अपने को चेक करना कि किस बात की कमी है? क्या मन्सा की वाणी की वा कर्मणा में आने की। बापदादा ने एक बारी सभी सेन्टर्स का चक्कर लगाया। बतायें क्या देखा? कमी किस बात की है? तो यही दिखाई दिया कि एक सेकण्ड में परिवर्तन कर फुलस्टाप लगाना इसकी कमी है। जब तक फुलस्टाप लगाओ तब तक पता नहीं क्या क्या हो जाता है। बापदादा ने सुनाया है कि एक लास्ट टाइम की लास्ट एक घड़ी होगी जिसमें फुलस्टाप लगाना पड़ेगा। लेकिन देखा क्या? लगाना फुलस्टाप है लेकिन लग जाता है क्वामा दूसरों की बातें याद करते यह क्यों होता यह क्या होता इसमें आश्चर्य की मात्रा लग जाती। तो फुलस्टाप नहीं लगता लेकिन क्वामा आश्चर्य की निशानी और क्यूं क्वेश्चन की क्यू लग जाती। तो इसको चेक करना। अगर फुलस्टाप लगाने की आदत नहीं होगी तो अन्त मते सो गति श्रेष्ठ नहीं होगी। ऊंची नहीं होगी। इसलिए बापदादा होमवर्क दे रहे हैं कि खास कल अमृतवेले चेक करना और चेंज करना पड़ेगा। एक सप्ताह फुलस्टाप सेकण्ड में लगाने का बार-बार अभ्यास करो और 18 जनवरी में जनवरी का मास सभी को बाप समान बनने का उमंग आता है तो 18 जनवरी में सभी को अपनी चिटकी लिख करके बाक्स में डालना है कि 18 तारीख तक क्या रिजल्ट रही? फुलस्टाप लगा वा और मात्रायें लग गई? पसन्द है? पसन्द है? कांध हिलाओ क्योंकि बापदादा का बच्चों से बहुत प्यार है अकेला नहीं जाने चाहता तो क्या करेंगे? अभी फास्ट तीव्र पुरूषार्थ करो। अभी ढीला-ढाला पुरूषार्थ सफलता नहीं दिला सकेगा।
प्युरिटी को पर्सनैलिटी, रीयल्टी, रॉयल्टी कहा जाता है। तो अपनी रॉयल्टी को याद करो। अनादि रूप में भी आप आत्मायें बाप के साथ अपने देश में विशेष आत्मायें हो। जैसे आकाश में विशेष सितारे चमकते हैं ऐसे आप अनादि रूप में विशेष सितारा चमकते हो। तो अपने आदिकाल की रॉयल्टी याद करो। फिर सतयुग में जब आते हैं तो देवता रूप की रॉयल्टी याद करो। सभी के सिर पर रॉयल्टी की लाइट का ताज है। अनादि आदि कितनी रॉयल्टी है। फिर द्वापर में आओ तो भी आपके चित्रों जैसी रॉयल्टी और किसकी नहीं है। नेताओं के अभिनेताओं के धर्म आत्माओं के चित्र बनते हैं लेकिन आपके चित्रों की पूजा और आपके चित्रों की विशेषता कितनी रॉयल है। चित्र को देख कर ही सब खुश हो जाते हैं। चित्रों द्वारा भी कितनी दुआयें लेते हैं। तो यह सब रॉयल्टी पवित्रता की है। पवित्रता ब्राह्मण जीवन का जन्म सिद्ध अधिकार है। पवित्रता की कमी समाप्त होना चाहिए। ऐसे नहीं हो जायेगा उस समय वैराग्य आ जायेगा तो हो जायेगा बातें बहुत अच्छी-अच्छी सुनाते हैं। बाबा आप फिक्र नहीं करो हो जायेगा। लेकिन बापदादा को इस जनवरी मास में स्पेशल पवित्रता में हर एक को सम्पन्न करना है। पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं व्यर्थ संकल्प भी अपवित्रता है। व्यर्थ बोल व्यर्थ रूप बोल का जिसको कहते हैं क्रोध का अंश रोब संस्कार ऐसे बनाओ जो दूर से ही आपको देख पवित्रता के वायब्रेशन लें क्योंकि आप जैसी पवित्रता जो रिजल्ट में आत्मा भी पवित्र शरीर भी पवित्र डबल पवित्रता प्राप्त है। जब भी कोई भी बच्चा पहले आता है तो बाप का वरदान कौन सा मिलता है? याद है? पवित्र भव योगी भव। तो दोनों बात को एक पवित्रता और दूसरा फुलस्टाप योगी। पसन्द है? बापदादा अमृतवेले चक्र लगायेंगे सेन्टरों के भी चक्र लगायेंगे। बापदादा तो एक सेकण्ड में चारों ओर का चक्र लगा सकता। तो इस जनवरी अव्यक्ति मास का कोई नया प्लैन बनाओ। मन्सा सेवा मन्सा स्थिति और अव्यक्त कर्म और बोल इसको बढ़ाओ। तो 18 जनवरी को बापदादा सभी की रिजल्ट देखेंगे। प्यार है ना 18 जनवरी को अमृतवेले से प्यार की ही बातें करते हो। सभी उल्हना देते हैं बाबा अव्यक्त क्यों हुआ? तो बाप भी उल्हना देता है कि साकार में होते बाप समान कब तक बनेंगे?
तो आज थोड़ा सा विशेष अटेन्शन खिंचवा रहे हैं। प्यार भी कर रहे हैं सिर्फ अटेन्शन नहीं खिंचवा रहे हैं प्यार भी है क्योंकि बाप यही चाहते हैं कि मेरा एक बच्चा भी रह नहीं जाए। हर कर्म की श्रीमत चेक करना अमृतवेले से लेके रात तक जो भी हर कर्म की श्रीमत मिली है वह चेक करना। मजबूत है ना! साथ चलना है ना! चलना है! हाथ उठाओ। चलना है? अच्छा। टीचर्स? अच्छा। पीछे वाले हाथ उठाओ। कुर्सा वाले हाथ उठाओ पाण्डव हाथ उठाओ। तो समान बनेंगे तब तो हाथ में हाथ देकर चलेंगे ना। करना ही है बनना ही है यह दृढ़ संकल्प करो। 15- 20 दिन यह दृढ़ता रहती है फिर धीरे-धीरे थोड़ा अलबेलापन आ जाता है। तो अलबेलापन को खत्म करो। ज्यादा में ज्यादा देखा है एक मास फुल उमंग रहता है दृढ़ता रहती है फिर एक मास के बाद थोड़ा थोड़ा अलबेलापन शुरू हो जाता है। तो अभी यह वर्ष समाप्त होगा तो क्या समाप्त करेंगे? वर्ष समाप्त करेंगे कि वर्ष के साथ जो भी जिस संकल्प में भी धारणा में भी कमज़ोरी है उसको समाप्त करेंगे? करेंगे ना! हाथ नहीं उठाते हैं? तो ऑटोमेटिक दिल में यह रिकार्ड बजना चाहिए अब घर चलना है। सिर्फ चलना नहीं है लेकिन राज्य में भी आना है। अच्छा जो पहली बारी आये हैं बापदादा से मिलने वह हाथ उठाओ।
तो पहली बारी आने वालों को विशेष मुबारक दे रहे हैं। लेट आये हो, टूलेट में नहीं आये हो। लेकिन तीव्र पुरूषार्थ का वरदान सदा याद रखना, तीव्र पुरूषार्थ करना ही है। करेंगे, गे गे नहीं करना, करना ही है। लास्ट सो फास्ट और फर्स्ट आना है। अच्छा। अभी क्या करना है?
सेवा का टर्न पंजाब जोन का है, (पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तरांचल)- अच्छा है, यह चांस जो मिलता है वह अच्छा लगता है? स्पेशल है और पंजाब का अर्थ ही है जैसे स्थूल नदियां कहते हैं पावन करती हैं तो पंजाब के पतित-पावन बच्चे, पंजाब को पावन आत्मायें बनाने में तो फर्स्ट नम्बर होंगे ना। देखो पंजाब की एक बात की विशेषता है - तो पहले-पहले आदि जो भाषण किया है, वह महात्मा के निमन्त्रण पर किया है। याद है ना! बच्ची (दादी जानकी) को याद है। और कहाँ भी महात्माओं की स्टेज पर भाषण का निमन्त्रण मिले, पहला पहला, यह नहीं हुआ है। तो जब पंजाब शेर कहा जाता है, तो शेर का काम तो किया। सभी साधू सन्त के बीच में ललकार की, तो पंजाब शेर तो हुआ ना। अभी भी बच्चे ने (अमीरचन्द भाई ने) लिस्ट दी है, जो बापदादा ने कहा था वी.आई.पी हर एक के सम्बन्ध में कितने कितने है, वह हर वर्ग वाले लिस्ट देवे तो बापदादा को बच्चे की लिस्ट मिली, लिस्ट दी है, ताली बजाओ। अच्छा है। अभी इन सभी को लिस्ट देखी अच्छी है, लेकिन इन्हों की पीठ करो, वी.आई.पी के वी.आई.पी नहीं रहें, पहली स्टेज में तो लाया है लेकिन दूसरी स्टेज है हर कार्य में समय प्रति समय स्नेही सहयोगी बनें। और फिर उसके आगे ब्राह्मण परिवार के साथी बनें, परिवार का अपने को समझें। कहाँ कहाँ के वी.आई.पी आगे बढ़े हैं, बापदादा उन्हों को मुबारक भी दे रहे हैं लेकिन जितनी सेवा इस ज्ञान सरोवर शुरू होते हुई है, जितने वर्ग बने हैं, जितना समय और जितनी सेवा हुई है, उस प्रमाण वी.आई.पी. घरू बन जायें, फोन करो पहुंच जायें, हाँ जी, हाँ जी करें, साथी तो बनें। अभी हर वर्ग यह लक्ष्य रखे सहज सहयोगी बनें, ऐसे नहीं मान देवें, खास सीट देवें तभी आवें। थोड़ा होमली बनाओ। अपने सेन्टर पर, आबू में नहीं आ सकते हैं मानो, तो अपने जोन में भी जो बड़े बड़े सेन्टर हैं उसमें उन्हों को बुलाओ। कम से कम तीन मास या 6 मास में उनसे मिलते रहो, होमली बनाते जाओ। तो समय पर जब यह हालतें बदलेंगी तो समय पर काम में तो आवें। तो सभी वर्ग वाले सुन रहे हैं। कहाँ कहाँ बने भी हैं लेकिन थोड़े बने हैं। तो पंजाब वाले शेर हो, हाँ दोनों हाथ उठाओ। सब शेर हैं। तो पहला नम्बर आप करना, पंजाब के वी.आई पी होमली बन जायें। महात्मायें भी होमली बन जायें। निमन्त्रण पर नहीं आवे खुद कहें हम आयेंगे। अच्छी हैं, वृद्धि तो की है पंजाब में। बापदादा का भी पंजाब से प्यार है क्यों प्यार है? जम्मू कश्मीर उसको भी अपना बनाया है लेकिन थोड़ा और जम्मू कश्मीर का नाम मशहूर है, चाहे पाकिस्तान में, चाहे अमेरिका में.. सबकी नज़र जम्मू कश्मीर पर है। तो वहाँ कोई जलवा निकालो, ऐसे नहीं कि वहाँ की बहिनें करें, आप सहयोग देकर उसमें कुछ ऐसा वन्डरफुल बात करके दिखाओ। थोड़ा अटेन्शन दो नाम बाला हो जायेगा। जिस पर झगड़ा है वहाँ शान्ति का झण्डा फहराओ। ठीक है। संख्या तो बहुत है, एक निर्विघ्न बनो और दूसरा सेवा में शान्ति का झण्डा लहराओ। सबको दिखाई दे झण्डा कि हाँ अशान्ति के स्थान में शान्ति का झण्डा लहर रहा है। ठीक है। अच्छा।
डबल फारेनर्स: अभी डबल विदेशी नहीं अभी डबल तीव्र पुरूषार्थी। ठीक है ना। डबल है? डबल पुरूषार्थी हैं? अच्छा है, आप सबका नाम भी कि इतने देशों के आते हैं, इतने देशों में सेवाकेन्द्र हैं, यह सुनके भी सभी खुश हो जाते हैं। भले अपने अपने देशों में झण्डा नहीं लहराया है, एक लण्डन में झण्डा है, एक ही लण्डन में झण्डा है और कोई देश में है? है हाथ उठाओ। खुली रीति से झण्डा लगा हुआ है? कोई एतराज़ नहीं, अच्छा। कितने देशों में है? 10-12 देशों में होगा? तो यह भी अच्छा है। लेकिन बापदादा को खुशी है कि कई आत्माओं के दिल में तो झण्डा लहराया है। तो आपको देखके खुश होते हैं कि यह वर्ल्ड के सेवाधारी हैं, सिर्फ भारत के सेवाधारी नहीं, विश्व के सेवाधारी हैं। जो टाइटल है ना विश्व सेवाधारी। तो सिर्फ भारत नहीं लेकिन विश्व के कोने कोने में है और अभी तो अच्छी सेवा बढ़ा रहे हैं ना। मुस्लिम देशों में भी सेवा अच्छस है। बापदादा ने समाचार सुना है अच्छा है। कराची का भी प्लैन बनाया है, अच्छा है। जो होगा ड्रामा अच्छे ते अच्छा होगा। जो नये नये शहरों में जो बच्चे रहे हुए हैं वहाँ अभी सेवा के उमंग उत्साह में है और सबसे हिम्मत वाली आपकी एक बच्ची है, वह हिम्मत वाली है। बापदादा उनको रोज़ अमृतवेले वरदान देता है और बच्ची भी एक्यूरेट है। क्या नाम है? (वजीहा) ऐसा काम करके दिखाओ, हिम्मत वाली है, डरती नहीं है। और देखो अपने घर वालों को भी युक्ति से ठीक किया, होशियार है और नैरोबी वालों ने भी बहुत अच्छा पुरूषार्थ किया। उन्हों की विशेषता, नैरोबी के साइड की विशेषता यह है कि बहनें कम हो जाती हैं तो जो स्टूडेन्ट निकले हैं वह सेन्टर सम्भालते हैं यह भी विशेषता है। तो सबकी विशेषता इकट्ठी करके हर एक अपने अपने स्थान को विशेष बनाओ। बाकी अच्छा है डबल पुरूषार्थी अच्छा पुरूषार्थ करके बढ़ रहे हैं लेकिन बाबा चार्ट देखेगा। जो कहा है ना समाचार, वह चार्ट देखेगा सम्पूर्ण पवित्रता का। अच्छा है। लक्ष्य सबका बहुत अच्छा है लेकिन बीच में अलबेलेपन की माया बहुत आती है। अभी उसकी विदाई करना। अलबेलेपन की विदाई और फुलस्टाप का आह््वान। ठीक है ना, करेंगे ना। अलबेलापन नहीं दिखाना। बापदादा ने अलबेलेपन के बहुत खेल देख लिये हैं। अभी सेकण्ड में फुलस्टाप का खेल दिखाना। सबसे जो हिसाब में भी देखो, सबसे सहज फुलस्टाप है। पेन्सिल रखो फुलस्टाप आ गया। अच्छा। डबल विदेशी सदा टर्न लेते रहते हैं यह बहुत अच्छा है, लेते रहना। अच्छा।
दिल वाले, कैड ग्रुप: अच्छा नया कोई प्लैन बनाया है? (गुप्ता जी से) अच्छा, कार्य तो चल रहा है। अभी कोशिश कर रहे हो, गवर्मेन्ट द्वारा आफीशल सबको यह मालूम पड़े कि बिना खर्चे के हार्ट ठीक हो सकती है। पहले सब देखते हैं एक क्वेश्चन पूछते हैं, बापदादा से भी एक क्वेश्चन पूछा है, बतायें। कहते हैं कि ब्राह्मण बच्चों की हार्ट क्यों ठीक नहीं करते, वह क्यों वहाँ जाते? उन्हों की भी ट्रायल करो ना, यह है उन्हों की भी गलती है क्योंकि नियमों पर नहीं चलते, जो परहेज बताई जाती है दूसरे परहेज पूरी करते हैं और ब्राह्मण जो हैं वह अपना घर समझके परहेज कम करते हैं लेकिन ब्राह्मणों में भी ऐसा कोई विशेष एक्जैम्पुल बनाओ जो ब्राह्मण भी समझें कि हम भी कर सकते हैं। बाकी काम अच्छा है, आवाज पहुंचा है लेकिन आवाज थोड़ा बड़ा करो तो चारों ओर फैले। शुभ भावना शुभ कामना भी कार्य कर रही है। हर एक वर्ग को, आगे से आगे जाना है। अच्छा है। और आगे बढ़ो और बढ़ाते चलो। अच्छा।
चारों ओर के महान पवित्र आत्माओं को बापदादा का विशेष दिल की दुआयें, दिल का प्यार और दिल में समाने की मुबारक हो। बापदादा जानते हैं कि जब भी पधरामनी होती है तो ईमेल या पत्र भिन्न-भिन्न साधनों से चारों ओर के बच्चे यादप्यार भेजते हैं और बापदादा को सुनाने के पहले कोई देवे, उसके पहले ही सबके यादप्यार पहुंच जाते हैं क्योंकि ऐसे जो सिकीलधे याद करने वाले बच्चे हैं उनका कनेक्शन बहुत फास्ट पहुंचता है, आप लोग तीन चार दिन के बाद सम्मुख मिलते हो लेकिन उन्हों का यादप्यार जो सच्चे पात्र आत्मायें हैं उनका उसी घड़ी बापदादा के पास यादप्यार पहुंच जाता है। तो जिन्होंने भी दिल में भी याद किया, साधन नहीं मिला, उन्हों का भी यादप्यार पहुंचा है, और बापदादा हर एक बच्चे को पदम पदम पदम गुणा यादप्यार का रेसपान्ड दे रहे हैं।
बाकी चारों ओर अभी दो शब्द की लात-तात लगाओ - एक सम्पूर्ण पवित्रता, सारे ब्राह्मण परिवार में फैलानी है। जो कमज़ोर हैं उसको सहयोग देके भी बनाओ। यह बड़ा पुण्य है। छोड़ नहीं दो, यह तो है ही ऐसा, यह तो बदलना ही नहीं है, यह श्राप नहीं दे दो, पुण्य का काम करो। बदलके दिखायेंगे, बदलना ही है। उनकी उम्मीदें बढ़ाओ, गिरे हुए को गिराओ नहीं, सहारा दो, शक्ति दो। तो चारों ओर खुशनसीब खुशमिजाज, खुशी बांटने वाले बच्चों को बहुत-बहुत यादप्यार और नमस्ते।
दादियों से: (दादियों की सेवा साथी बहनें ब्राह्मणियों से बापदादा मिल रहे हैं): आप सब भी राज़युक्त हो ना! आप जो निमित्त हो तो आप भी ऐसा अपना रूप बनाओ स्थिति बनाओ जो सब समझें कि दादी के तरफ से इन्हों से भी कुछ मिला। सिर्फ प्रोग्राम मिला नहीं लेकिन इन्हों से भी कुछ मिला आप दृष्टि से तो दे सकते चेहरे से भी दे सकते हैं। चेहरे और चलन से सेवा में नम्बरवन। हो सकता है? सभी को बापदादा विशेष प्यार करता है। (यह तीनों हाथ नहीं उठाती हैं) बाबा जब कहता है तो हाथ उठाना चाहिए इससे याद रहता है। आज आप चार ही लाडले हो इनकी भी (मोहिनी बहन मुन्नी बहन की) ब्राह्मणियां कहाँ हैं उनको भी बुलाओ। देखो आप सबको ड्युटी बहुत अच्छी मिली हुई है सभी से परिचित हो जाती हो। कोई भी सभी से परिचित नहीं होता है लेकिन आप लोगों की ड्युटी ऐसी है जो सारे ब्राह्मण परिवार से परिचित हो जाती हो। कोई भी नाम लेगा नीलू हंसा प्रवीणा लीला रूकमणि... तो कहेंगे हाँ जानते हैं नाम। तो आप लोग एक सैम्पुल हो तो सैम्पुल देखकर सौदा होता है। तो जो भी निमित्त हो सभी समझो हम एक्जैम्पुल है। दादियों की एक्जैम्पुल। कहेंगी यह भी ऐसी है जैसे मोहजीत की कहानी सुनी है ना कहते हैं गेट वाला भी मोहजीत तो अन्दर क्या होगा। तो आप निमित्त हो ना यह भी एक वरदान है यह ड्युटी मिलना यह भी एक वरदान है कितने नजदीक हो। तो नजदीक का फायदा तो उठाना चाहिए। तो अच्छा है। बापदादा को खुशी है आप लोगों को देखके। आप सब ठीक हो सिर्फ थोड़ा और दादियों का गुण धारण करते जाओ। अच्छा।
परदादी से:- आपकी शक्ल तो सेवा करती है। आपको देख करके ब्रह्मा बाप बहुत याद आता सबको। क्योंकि फॉलो किया है और बच्चों में यह भासना नहीं आयेगी लेकिन आपने फॉलो किया है। फिर भी मधुबन निवासी तो हो गई। मधुबन निवासी। बहुत अच्छा सम्भाल भी अच्छी कर रही हैं। इन्हों को भी सर्टीफिकेट है अच्छा प्यार से कर रही हैं।
शान्तामणि दादी से: (आंख का आपरेशन कराया है) यह तो ठीक हो जायेगी। लेकिन हिम्मत है। आप सबकी हिम्मत को देखकर औरों में भी हिम्मत आती है क्योंकि बीज फाउण्डेशन बहुत अच्छा है फीलिंग में नहीं आते। बीमारी की फीलिंग नहीं है। अपनी मस्ती में रहते। पढ़ाई पर अटेन्शन है। सेवा पर अटेन्शन है। उसकी दुआयें मिल रही हैं। डाक्टर्स भी बहुत खुश होते हैं क्योंकि चिल्लाते नहीं है ना हाय हाय नहीं करते।
निर्वेर भाई ने हैदराबाद एकडेमी में चल रहे निर्माण कार्य के बारे में बापदादा को सुनाया: जो कार्य रहा हुआ है उसमें यह जो भी आन्ध्रप्रदेश के हैं उसकी टीचर्स को भी इकठ्ठा करो क्योंकि धन जायेगा ना तो मन भी जायेगा सभी सहयोग देवें कुछ कम हुआ तो यज्ञ तो है ही लेकिन अगर उनका धन नहीं पड़ता है तो मन भी नहीं जाता। इसलिए उन्हों का संगठन इकठ्ठा करो और हर एक को उमंग दिलाओ। बाकी रहा हुआ कार्य समाप्त करना है उसमें जो अंगुली दे वह अवश्य दे। तो सबको इकठ्ठा करो आन्ध्रप्रदेश थोड़ा आगे आये। अच्छा है अभी तो टर्न आयेगा ना आन्ध्र प्रदेश का। उसमें भी आप विशेष आन्ध्रप्रदेश का संगठन करो और हर मास में या 6 मास में कोई न कोई जाये या कोई मीटिंग बुलाओ तो जब सब ज़ोन मिल रहे हैं तो यह भी मिलें ना तो वह अच्छा हो जाये। ठीक है ना।
रमेश भाई से: तबियत ठीक है। (बाम्बे का समाचार सुनाया) सेन्टर्स तो सब सेफ हैं। फिर भी बाम्बे बाप का है। बाप का परिवार है लेकिन जो बाप ने कहा फुलस्टाप और तपस्या इसको जरूर बढ़ाना है। यह तो कुछ भी नहीं है घर से बाहर नहीं निकल सकेंगे खिड़की नहीं खोल सकेंगे तो क्या करेंगे? इससे भी बहुत कुछ होना है।
बृजमोहन भाई से:- (ओ.आर.सी. के सिन्धी सम्मेलन का समाचार सुनाया) कनेक्शन तो हुआ अभी उनकी पीठ करना। अभी और कनेक्शन में लाना। यह जो फिल्म वाला है वह आपके काम आ सकता है। यह (सिन्धी) रह नहीं जावें फिर भी बाप का अवतरण हुआ है तो रह नहीं जावे। आपका अपना काम है सन्देश देना यह नहीं कहें कि हमको नहीं सुनाया। (आशा बहन से) थोड़ा मेहनत करनी पड़ती है। बाप से मुहब्बत है इसलिए मेहनत नहीं लगती। (अभी ओ.आर.सी. सेवा में दौड़ रहा है) चारों ओर दौड़ना चाहिए। जो भी ज़ोन थोड़े कमज़ोर हैं आपस में नहीं मिलते वहाँ कोई न कोई हर मास जाना चाहिए संगठन करना चाहिए। (दादी जानकी ने कहा इसमें गुल्जार दादी का भी सहयोग चाहिए) एक दो का सहयोग तो चाहिए।
8 बड़ी बहनों ने 5 दिन मौन भट्ठी की है वे बापदादा के सामने आई:- अच्छा यह फरिश्ते आये हैं। फरिश्ते हो ना। यह फरिश्तों की महफिल है। अच्छा स्व में उमंग उत्साह रख के किया ना तो उसकी बहुत बहुत मुबारक है। थोड़े हैं आयेंगे नहीं आयेंगे नहीं सोचा। करना ही है। तो 8 रत्न हो गये। तो 8 रत्नों को देखके सभी को उमंग आयेगा। यह जनवरी मास का जो प्रोग्राम बनायेंगे ना उसमें कोई न कोई ऐसी बात रखो जो सबको उमंग आवे। और उसकी पीठ करें। आप तो खुद जिम्मेवार थे ना तो आपने अपनी जिम्मेवारी सम्भाली। लेकिन दूसरों को पुल करना पड़ेगा। और वायुमण्डल ऐसे हो जाये जैसे मधुबन में प्रैक्टिकल फर्क पड़ जाये। हर एक को सेन्टर में ऐसा वायुमण्डल बनाना है जो गायन है ना घर घर में मन्दिर। तो घर घर में चैतन्य फरिश्तों का मन्दिर हो। बाकी बापदादा खुश है आप लोगों ने हिम्मत करके किया यह अच्छा किया। तो बापदादा कहेंगे हिम्मते ग्रुप। एक्जैम्पुल बनें। अच्छा लगा ना बहुत अच्छा लगा सहज भी लगा। मेहनत नहीं करनी पड़ी। उठना भी अच्छा नहीं लगता होगा। तो ऐसे घूम जाओ (ताली बजाओ) देखो इन्होंने किस बात की हिम्मत रखी? और बापदादा और परिवार भी सहयोगी बना इन्होंने 5 दिन फुलस्टाप लगाने की भट्ठी की। और 5 ही दिन लगातार कोई भी मिस नहीं हुआ। आदि शुरू भी की और अन्त तक आपके सामने हैं। तो यह पुरूषार्थ अच्छा किया ऐसे आप लोग भी ग्रुप ग्रुप बनाके अन्दर ही अन्दर पुरूषार्थ करना। चलो दो जने हो सेन्टर पर कोई एक सखी को साथी बना दो और अपने बड़े को सुना दो तो क्या है भट्ठी करेंगे ना विशेष नियम बनायेंगे तो उसकी मदद मिलेगी। तो बापदादा को अच्छा लगा। अभी सहज पुरूषार्थ हो गया ना। अभी वहाँ जाके भूल नहीं जाना। बातों में नहीं आ जाना। फुलस्टाप में नम्बरवन लेना। दूसरों को करायेंगे भी और अपना अनुभव भी सुनायेंगे। अच्छा।
विशेष खुशखबरी:-आप सबके मनपसन्द ‘‘ब्रह्माकुमारीज़ अवेकिंग प्रोग्राम’’ वर्तमान समय आस्था संस्कार और जागरण चैनल्स पर निम्न प्रकार से आ रहा है आप स्वयं भी देखें और अपने स्नेह सम्पर्क वालों को भी अवश्य बतायें:
आस्था चैनल पर: सायं - 7.10 से 7.40 तक
आस्था इन्टरनेशनल - यू.के. - 8.40 BST, यू.एस.ए. और कैनाडा - 8.40 ET
संस्कार चैनल पर - रात्रि - 9.50 से 10.20 तक
जागरण चैनल पर - प्रात: 4.00 से 5-45 तक
15-12-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘एक राज्य एक धर्म लॉ एण्ड आर्डर की स्थापना के समय स्वयं का परिवर्तन कर विश्व परिवर्तक बनो’’
आज बापदादा अपने चारों ओर के राजदुलारे बच्चों को देख रहे हैं। यह परमात्म दुलार कोटों में कोई को प्राप्त होता है। परमात्म दुलार में बापदादा ने हर एक बच्चे को तीन तख्त का मालिक बनाया है। पहला स्वराज्य अधिकार का भ्रकुटी का तख्त दूसरा बापदादा का दिलतख्त और तीसरा है विश्व के राज्य अधिकार का तख्त यह तीन तख्त बाप ने अपने स्नेही दुलारे बच्चों को दिया है। तो यह तीनों तख्त सदा स्मृति में रहने से हर एक बच्चे को रूहानी नशा रहता है। तो सभी बच्चे बाप द्वारा प्राप्त वर्से को देख खुशी में रहते हैं ना! दिल में स्वत: यह गीत बजता ही रहता है वाह बाबा वाह! और वाह मेरा भाग्य वाह! जो स्वप्न में भी नहीं था वह प्रैक्टिकल जीवन में मिल गया। तख्त के साथसाथ बापदादा ने इस संगम पर डबल ताज द्वारा उड़ती कला का अनुभवी भी बनाया है।
तो बापदादा चारों ओर के बच्चों की यह डबल ताजधारी प्युरिटी की रॉयल्टी, डबल ताजधारी देख रहे हैं। बापदादा ने आज चारों ओर के बच्चों के पुरूषार्थ की रफ्तार को चेक किया क्योंकि समय की रफ्तार को तो आप सभी भी देख और जान रहे हो। तो बापदादा देख रहे थे कि जो हर एक को बाप द्वारा राज-भाग का वर्सा मिला है, अपने राज्य का, फ्युचर प्राप्ति का, तो फ्युचर में जो आप सबके संस्कार नैचुरल और नेचर होगी वह अब से बहुतकाल के संस्कार अनुभव होने चाहिए क्योंकि यह नया संसार आप सबके नये संस्कार द्वारा ही नया संसार बन रहा है। तो जो नये संसार की विशेषतायें हैं उसको भी अनुभव तो करते हो ना। हमारे राज्य में क्या होगा, नशा है ना। दिल कहती है ना कि हमारा राज्य, हमारा नया संसार आया कि आया। तो बापदादा देख रहे थे नये संसार की जो विशेषतायें हैं वह बच्चों में पुरूषार्थी जीवन में कहाँ तक इमर्ज हैं! जानते तो हो, कि नये संस्कार और नया संसार की विशेषतायें क्या होंगी। सभी की बुद्धि में नये संसार की विशेषतायें इमर्ज हैं ना! जानते हो ना! गाते भी हो, जानते भी हो, पहली विशेषता, चेक करना एक-एक विशेषता मेरे में कहाँ तक इमर्ज है? मुख्य विशेषता है - एक राज्य, तो जैसे वहाँ एक राज्य स्वत: ही होता है, दूसरा कोई राज्य नहीं, ऐसे अपने संगम की जीवन में देखो कि आपके जीवन में भी एक राज्य है? कि कभी-कभी दूसरा राज्य भी होता है? अगर चलते-चलते स्व के राज्य के साथ-साथ माया का भी राज्य चलता है तो क्या एक राज्य के संस्कार होंगे? एक राज्य से दूसरा भी राज्य तो नहीं चलता? परमात्मा की श्रीमत का राज्य है या कभी कभी माया का भी दबाव है? दिल में माया का राज्य तो नहीं होता? तो यह चेक करो। इस बातों से अपने चार्ट को चेक करो। अभी संगम पर एक परमात्मा का राज्य है या माया का भी दबाव हो जाता है? चेक किया? अभी अभी चेक करो, चार्ट तो देखते रहते हो ना अपना। तो अगर अभी तक भी दो राज्य है तो एक राज्य के अधिकारी कैसे बनेंगे? क्या श्रीमत के साथ माया की मत भी मिक्स हो जाती है क्या? ऐसे ही एक धर्म - एक राज्य भी होगा तो एक धर्म भी होगा। धर्म अर्थात् धारणा। तो आपकी विशेष धारणा कौन सी है? पवित्रता की धारणा। तो चेक करो - सदा मन, वचन, कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में सम्पूर्ण और सदा पवित्रता की नेचर नैचुरल बनी है? जैसे वहाँ अपने राज्य में पवित्रता का स्वधर्म स्वत: ही होगा, ऐसे ही इस समय पवित्रता की धारणा नैचुरल और नेचर बन गई है? क्योंकि जानते हो कि आपका अनादि स्वरूप और आदि स्वरूप पवित्रता है। तो चेक करो - कि एक धर्म अर्थात् पवित्रता नैचुरल है? जो नेचर होती है वह न चाहते भी काम कर लेती है क्योंकि कई बच्चे जब रूहरिहान करते हैं तो क्या कहते हैं? बहुत मीठी-मीठी बातें करते हैं, कहते हैं चाहता नहीं हूँ, चाहती नहीं हूँ, लेकिन कभी मन्सा में, कभी वाचा में कोई न कोई अपवित्रता का अंश इमर्ज हो जाता है? संस्कार बहुत जन्मों का है ना इसीलिए हो जाता है। तो एक धर्म का अर्थ है पवित्रता की धारणा नेचर और नैचुरल हो। चाहे वाणी में भी आवेश आ जाता है, कहते हैं क्रोध नहीं था थोड़ा सा आवेश आ गया। तो आवेश क्या है? क्रोध का ही तो बच्चा है। तो एक धर्म के संस्कार कब नैचुरल बनेंगे? तो चेक करो लेकिन चेक के साथ बाप द्वारा मिली हुई शक्तियों द्वारा चेन्ज करो। अभी फिर भी बापदादा पहले से ही अटेन्शन खिंचवा रहे हैं कि अभी फिर भी चेक करके चेन्ज करने का तीव्र पुरूषार्थ करेंगे तो मार्जिन है लेकिन कुछ समय के बाद अचानक टूलेट का बोर्ड लगना ही है। फिर नहीं कहना कि बाबा ने तो बताया ही नहीं। इसलिए अभी पुरूषार्थ का समय तो गया लेकिन तीव्र पुरूषार्थ का समय अभी भी है तो चेक करो लेकिन सिर्फ चेक नहीं करना, चेन्ज करो साथ में। कई चेक करते हैं लेकिन चेन्ज करने की शक्ति नहीं है। चेक और चेन्ज दोनों साथ-साथ होना चाहिए क्योंकि आप सबका स्वमान वा आप सबकी महिमा क्या है? टाइटिल क्या है? मास्टर सर्वशक्तिवान। है, मास्टर सर्वशक्तिवान है या शक्तिवान है? जो कहते हैं मास्टर सर्वशक्तिवान हैं, वह हाथ उठाओ। अच्छा। तो मास्टर सर्वशक्तिवान मुबारक हो लेकिन मास्टर सर्वशक्तिवान और चेन्ज नहीं कर सकें तो क्या कहा जायेगा? अपने ही संस्कार को, नेचर को परिवर्तन करने चाहे भी और नहीं कर सके तो क्या कहेंगे? अपने से पूछो मास्टर शक्तिवान, या मास्टर सर्वशक्तिवान? मास्टर सर्वशक्तिवान ने संकल्प किया - करना ही है और हुआ पड़ा है। होगा देखेंगे.... यह होता नहीं है। तो अभी समय के प्रमाण रिजल्ट यह होनी है कि जो सोचा तो संकल्प और स्वरूप बनना साथसाथ हो।
अभी नया वर्ष, अव्यक्त वर्ष आने वाला ही है। 40 वर्ष अव्यक्त पालना का हो रहा है। तो अव्यक्ति पालना और व्यक्त रूप की पालना को 72 वर्ष हो चुके हैं। तो क्या दोनों बाप की पालना का रिटर्न बापदादा को नहीं देंगे! सोचो - पालना क्या और प्रैक्टिकल क्या है? बापदादा ने देखा अभी भी अलबेलापन और रॉयल आलस्य, रॉयल आलस्य है - हो जायेगा, बन ही जायेंगे, पहुंच ही जायेंगे और अलबेलापन है कर तो रहे हैं, तो तो.. यह तो होना ही है, यह तो करना ही है, कहने और करने में अन्तर हो जाता है। बापदादा एक दृश्य देख करके मुस्कराता रहता है कि क्या कहते? यह हो जाये ना, यह कर लो ना, तो बहुत अच्छा मैं आगे बढ़ सकता हूँ। दूसरे को बदलने की वृत्ति रहती है लेकिन स्व परिवर्तन की वृत्ति कहाँ कहाँ कम हो जाती है। अभी दूसरे को देखना यह वृत्ति चेन्ज करो। अगर देखना है तो विशेषता देखो, यह तो होता ही है, यह तो चलता ही है, यह भी तो करते हैं... यह भावना कम करो। अपने को देखो, बाप को सामने रखो, बाकी तो कोई भी है, चाहे महारथी है, चाहे बीच वाला है, पुरूषार्थ में कोई न कोई कमी को परिवर्तन कर ही रहे हैं। इसलिए सी फादर, सी डबल फादर, ब्रह्मा बाप को देखो, शिव बाप को देखो। जब बाप ने आपको अपने दिलतख्त पर बिठाया है और आपने भी अपने दिलतख्त पर बाप को बिठाया है, आपका स्लोगन भी है सी फादर। सी सिस्टर, सी ब्रदर यह स्लोगन है ही नहीं। कुछ न कुछ कमी सबमें अभी रही हुई है लेकिन अगर दूसरे को देखना है तो विशेषता देखो, जो कमी वह निकाल रहे हैं अपने से, उसको नहीं देखो। दूसरी बात - तो अपने राज्य में, याद है ना अपना राज्य। कल तो था और कल फिर होने वाला है। आपकी बुद्धि में, नयनों में अपना राज्य स्पष्ट आ गया ना। कितने बार राज्य किया है? गिनती किया है? अनेक बार राज्य किया है। कहने से ही सामने आ जाता है। अपना राज्य अधिकारी रूप और श्रेष्ठ राज्य, तो जैसे अपने राज्य में लॉ एण्ड आर्डर स्वत: ही चलता है। सब नॉलेजफुल संस्कार वाले हैं, जानते हैं लॉ क्या है, आर्डर क्या है, ऐसे अभी अपने जीवन में देखो, बाप के आर्डर में चलते हो या कभी माया का भी आर्डर चल जाता है? कभी परमत, मनमत, श्रीमत के सिवाए चलता तो नहीं? और लॉ क्या है? लॉ है बेफिकर बादशाह, कोई फिकर नहीं क्योंकि सर्व प्राप्तियां हैं। ऐसे ही चेक करो संगम के श्रेष्ठ जन्म में भी सर्व प्राप्तियां हैं जो बाप ने दी है, यह भगवान का जैसे प्रसाद होता है ना, तो प्रसाद का कितना महत्व रखते हैं। तो बाप की जो भी प्राप्तियां हैं, वह प्रभु प्रसाद प्राप्त है, प्रभु प्रसाद का महत्व है! वर्सा भी है, अधिकार भी है और प्रसाद भी है। तो चेक करो - लॉ और आर्डर दोनों में सम्पन्न हैं?
बापदादा देख रहे थे कि एक बात की मैजारिटी को समय पर जो शक्ति मिली है परिवर्तन करने की, वह परिवर्तन शक्ति समय पर कार्य में लगायें तो कोई मेहनत नहीं। देखो, सभी को अनुभव है कि अगर कभी भी, किसी भी प्रकार की हार होती है, माया से तो सभी भाषण में कहते हो, क्लास भी कराते हो तो यही कहते हो कि दो शब्द गिराने वाले भी हैं, चढ़ाने वाले भी हैं, वह दो शब्द जानते हैं, सबके मन में आ गया है। वह दो शब्द है मैं, मेरा। भाषण में कहते हो ना, क्लास भी कराते हो ना। बापदादा क्लास भी सुनते हैं, क्या कहते हैं? अभी इन दो शब्दों को परिवर्तन शक्ति द्वारा जब भी मैं शब्द बोलो तो मैं फलानी या फलाना, या ब्राह्मण हूँ लेकिन मैं कौन? जो बापदादा ने स्वमान दिये हैं, जब भी मैं शब्द बोलो तो कोई न कोई स्वमान साथ में बोलो, यानी बुद्धि में लाओ। मैं शब्द बोला और स्वमान याद आ जाये। मेरा शब्द बोला बाबा याद आ जाये। मेरा बाबा। यह नैचुरल स्मृति हो जाए, यह परिवर्तन कर लो बस। और दूसरी बात बहुत करके जब सम्बन्ध सम्पर्क में आते हो तो दो शब्द द्वारा माया आती है, एक भाव और दूसरी भावना। तो जब भी भाव शब्द बोलते हो सोचते हो तो आत्मिक भाव, भाव शब्द बोलते ही आत्मिक भाव पहले याद आवे और भावना तो शुभ भावना याद आये। शब्द का अर्थ परिवर्तन कर लो। आपका टाइटिल क्या है? विश्व परिवर्तक। विश्व परिवर्तक क्या यह शब्द परिवर्तन नहीं कर सकते? तो समय पर परिवर्तन शक्ति को यूज़ करके देखो। पीछे आता है, जब बीत जाता है और मन को अच्छा नहीं लगता है, खुद ही अपना मन सोचता है लेकिन समय तो बीत चुका ना। इसलिए अब तीव्रगति की आवश्यकता है, कभी कभी नहीं। ऐसे नहीं सोचो बहुत समय तो ठीक रहता हूँ लेकिन बापदादा ने सुना दिया है कि अन्तिम घड़ी का कोई भरोसा नहीं। अचानक के खेल होने हैं। कई बच्चे बाप को भी बहुत मीठी-मीठी बातें सुनाते हैं, कहते हैं समय थोड़ा और अति में जायेगा ना, तो वैराग्य तो होगा, तो वैराग्य के समय आपेही रफ्तार तेज हो जायेगी। लेकिन बापदादा ने कह दिया है कि बहुत समय का पुरूषार्थ चाहिए। अगर थोड़े समय का पुरूषार्थ होगा तो प्रालब्ध भी थोड़े समय की मिलेगी, फुल 21 जन्म की प्रालब्ध नहीं बनेगी। तीन शब्द बापदादा के सदा याद रखो - एक अचानक, दूसरा एवररेडी और तीसरा बहुतकाल। यह तीनों शब्द सदा बुद्धि में रखो। कब और कहाँ भी किसकी भी अन्तिम काल हो सकता है। अभी अभी देखो कितने ब्राह्मण जा रहे हैं, उन्हों को पता था क्या, इसीलिए बहुतकाल के पुरूषार्थ से फुल 21 जन्म का वर्सा प्राप्त करना ही है, यह तीव्र पुरूषार्थ स्मृति में रखो। फर्स्ट नम्बर, फर्स्ट जन्म, अपने राज्य का। क्या सोचा है? फर्स्ट जन्म में आना है ना। मजा किसमें होगा? फर्स्ट जन्म में या कोई में भी?जो समझता है कि अपने राज्य के फर्स्ट जन्म में श्रीकृष्ण के साथ-साथ हमारा भी पार्ट हो, वह हाथ उठाओ। अच्छा पार्ट फर्स्ट में? हाथ देख करके तो खुश हो गये। ताली बजाओ। लेकिन फर्स्ट जन्म में आओ उसकी मुबारक है। लेकिन कहें क्या... नहीं कहें, आना ही है फर्स्ट, फिर दूसरी बात क्यों कहें। अच्छा है, जितने भी आये हैं फर्स्ट जन्म में आना ही है। ताली तो बजा दी, फर्स्ट जन्म और फर्स्ट स्टेज भी। तो फर्स्ट स्टेज बनानी ही है, यह जिसका दृढ़ संकल्प है, फास्ट जाना ही है, चाहे कुछ भी विघ्न हो लेकिन विघ्न, विघ्न नहीं रहे, विघ्न विनाशक के आगे विजय का रूप बदल जाये क्योंकि आप सभी विघ्न विनाशक हो। टाइटिल क्या है? विघ्न विनाशक। तो आवे भी, खेल खेलने आयेगा लेकिन आप दूर से ही जान जाओ, रॉयल रूप में आयेगा लेकिन आप विघ्न विनाशक दूर से ही जान जायेंगे कि यह क्या खेल हो रहा है, इसलिए बापदादा भी यही चाहते हैं कि सब बच्चे साथ चलें। पीछे नहीं रहे। बापदादा को बच्चों के बिना मजा नहीं आता है। तो दृढ़ता को कभी भी कमज़ोर नहीं करना। करना ही है। गे गे नहीं करना, करेंगे देखेंगे, हो जायेगा...देख लेना, यह बातें नहीं करना। दृढ़ता सफलता की चाबी है, इस चाबी को कभी भी गंवाना नहीं। माया भी चतुर है ना, वह चाबी को ढूंढ लेती है, इसलिए इस चाबी को अच्छी तरह से सम्भालके रखो।
तो अभी चेक करना - अपने राज्य के संस्कार अभी से धारण करने ही हैं। गे गे नहीं करना, एक गे गे, दूसरा तो तो कहते हो..यह शब्द ब्राह्मण डिक्शनरी से निकाल दो। चलो, कोई की भी कोई कमज़ोरी देखते भी हो, पुरूषार्थी तो सब हैं, नहीं तो ब्राह्मण जीवन से चले जाते, पुरूषार्थी हैं तब तो ब्राह्मण जीवन में चल रहे हैं ना, मानो कई ऐसे कहते हैं मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ लेकिन दूसरे करते हैं ना तो वह सामने विघ्न बन जाता है। यह नहीं करे ना, यह बदले ना, लेकिन बाप ने पहले से ही स्लोगन दिया है, हमको बदलके उनको बदलाना है। मुझे बदलना है। वह बदले तो मैं बदलूं, नहीं। सुनाया भाव और भावना को चेंज करो। भाव आत्मा का, और भावना, शुभ भावना। आप करके देखो, थक नहीं जाओ। शुभ भावना बहुत रखके देखी, बदलता नहीं है, बदलना ही नहीं है। आप ब्राह्मणों के मुख से यह श्ब्द बोलना, बदलना नहीं है तो क्या यह वरदान हुआ। ब्राह्मण क्या वरदान देते हैं। जो सहारा दे सको, सहारा दो शुभ भावना का, नहीं तो किनारा करो। दिल में नहीं रखो। शुभ भावना की दुआ दो, और शब्द नहीं दो। एक यह करते हैं, दूसरा, दूसरा शब्द बतायें क्या कहते हैं? क्योंकि आज बापदादा ने अच्छी तरह से चेंकिग की, दूसरा क्या करते हैं? यह तो चलता ही है, यह भी तो करता है ना, तो मैंने किया तो क्या हुआ। वह कुएं में गिर रहा है और आप भी गिरके देख रहे हो क्या यह समझदारी है! अभी एक बात 18 जनवरी तक बापदादा पुरूषार्थ के लिए होमवर्क दे रहा है - करेंगे? करेंगे, हाथ उठाओ। कुछ भी हो जाए, बदलना पड़े, समाना पड़े, किनारा करना पड़े, लेकिन बदलेंगे। हाथ उठाया। पक्का? कि कहेंगे मैंने बहुत कोशिश की, नहीं हुआ, यह जवाब नहीं देना क्योंकि अभी अचानक के खेल बहुत होने हैं। और बापदादा चाहता है एक बच्चा भी पीछे नहीं रह जाए, साथ चले। इसलिए एक तो अगर कोई नहीं बदलता है, शुभ भावना रखी और कोई नहीं बदलता है तो आप अपने को बदलो, उसने यह कहा, उसने यह किया इसीलिए मुझे भी करना पड़ा, यह नहीं। करते सिखाने के भाव से हो, लेकिन देखते कमी को हो। इसीलिए भाव और भावना आत्मिक भाव, शुभ भावना। और यह शब्द यह तो होता ही रहता है, यह तो करते ही हैं ना, चल ही रहा है ना तो मैंने किया तो क्या हुआ... तो क्या बाप जब चलेंगे तो आप कहेंगे यह भी रह रहे हैं ना, मैं भी रह जाता हूँ, इसमें क्या है। तो सी फादर, और भाव और भावना दोनों का परिवर्तन। जब 5 तत्वों के प्रति आप शुभ भावना रखते हो और ब्राह्मण परिवार के प्रति शुभ भावना नहीं रख सकते, यह तो होता ही है, यह तो चलता ही है, यह शब्द समाप्त करो। मुझे बदलके दिखाना है। मैं बदलूंगा, और भी बदलेगा, अवश्य बदलेगा। इस निश्चय और शुभ भावना से चलो फिर देखो जल्दी जल्दी अपना राज्य आ जायेगा। तो यह 18 तारीख को दो बातें सदा के लिए धारण कर ली, यह बापदादा नहीं कहता है कि लिखकर सिर्फ भेजो, प्रतिज्ञा करने की फाइल लिखत वाले बापदादा के पास बहुत फाइल पड़े हैं वतन में। प्रतिज्ञा नहीं, दृढ़ता का संकल्प के रूप में यह दो बातें धारण करनी हैं। ठीक है टीचर्स? करनी है ना। अच्छा। मातायें हाथ उठाओ, करेंगी? बड़ा हाथ उठाओ। पाण्डव हाथ उठाओ। पाण्डव। पाण्डव भी उठा रहे हैं, ठीक है। बापदादा तो रोज़ देखता रहेगा। बापदादा को देखने में देरी नहीं लगती है। ठीक है ना। अच्छा।
टीचर्स जो भी आई हैं, मुरली तो सबके पास जायेगी, ऐसे नहीं सिर्फ जो आये हो, उनके लिए ही है, देश विदेश दोनों बच्चों, सर्व बच्चों के प्रति है। अभी बहुत आप लोगों का काम बढ़ना है। यह नहीं सेवा कर ली, भाषण कर ली, वर्ग को चला लिया। नहीं बहुत सेवा रही हुई है। अभी तो मन्सा द्वारा सकाश देने का काम करना है। जैसे शुरू-शुरू में शिव बाप ब्रह्मा में प्रवेश हुआ तो घर बैठे कैसे सकाश दी। किसको साक्षात्कार हुआ, किसको आवाज आया फलाने स्थान पर जाओ, किसे प्रेरणा आई सुन करके मुझे जाना ही है, भाग कर आई ना और जो शुरू में आये वह कितने पक्के हैं। याद करते हो ना, दादी को, दूसरी भी दादियों को याद करते हो ना। तो जो शुरू में हुआ वह अभी अन्त में भी रिपीट होना है। इसलिए अपनी मन्सा शक्ति को मन्सा सेवा को बढ़ाओ। उस समय भाषण आपका कोई नहीं सुनेगा, कोर्स कोई नहीं करेगा, हालतें ही गम्भीर होंगी। मन्सा सकाश देने की सेवा करनी पड़ेगी। इसीलिए अभी अभ्यास करो। अमृतवेले सिर्फ नहीं, भले कर्म कर रहे हो लेकिन बीच-बीच में माइण्ड को कन्ट्रोल करके सब तरफ से, एकाग्र हो करके सकाश दे सकता हूँ या नहीं दे सकता हूँ, इसकी ट्रायल करो। बहुत आवश्यकता होगी, आखिर दुख हर्ता सुख कर्ता आपके चित्र भी बनते हैं। तो क्या चैतन्य में नहीं बनेंगे? अन्तर्मुखी होके बीच बीच में 5 मिनट निकालो। अमृतवेला सिर्फ नहीं है, दिन रात यह अभ्यास चाहिए। रात को आंख खुलती है ट्रायल करो, फिर जाके भले सो जाओ। लेकिन थोड़ा टाइम ट्रायल करो और काम के लिए भी तो उठते हो ना। तो यह अभ्यास भी करो। तभी आपकी पूजा होगी। नहीं तो आपकी पूजा नाममात्र होगी। बड़े-बड़े मन्दिर नहीं बनेंगे, चालू मन्दिर बनेंगे। सुना। अच्छा।
अभी बापदादा का समाचार तो सुना, आज अच्छी तरह से चेक किया। चेक करने में बापदादा को टाइम नहीं लगता है। अच्छा। अभी अभी अपने मन को एकाग्र कर सकते हो? कर सकते हो कि विचार आयेगा टाइम हो गया है, थक गये हैं, खाने की भूख लग रही है, नहीं। नहीं, ऐसे बापदादा जानते हैं, बाप से स्नेह बहुत है बच्चों का। यह सर्टीफिकेट स्नेह का बापदादा भी देता है, आप अभी जो सभी आये हैं वह किस विमान में आये हो? आपको पता है भले ट्रेन में आये हो, या प्लेन से आये हो लेकिन आप लोग एक विचित्र विमान से आये हो, वह पता है, वह है स्नेह का विमान। स्नेह के विमान से आये हो ना। चाहे ट्रेन हो चाहे कुछ भी हो लेकिन बाप से स्नेह है इसीलिए आये हो। अभी सिर्फ जिस समय थोड़ा बहुत आता है ना, माया का खेल होता है उस समय बाप के स्नेह में खो जाओ, दिखाई नहीं दो माया को। बापदादा ने शुरू-शुरू में ट्रांस द्वारा बहुत नजारे दिखाये थे कि अन्तिम समय जब कोई हलचल होगी सब वृत्तियां बाहर आयेंगी, खराब वृत्तियां भी तो सहारा देने की वृत्तियां भी। तो बापदादा ने शुरू-शुरू में बच्चों को दिखाया था कि कई बुरी दृष्टि वाले पीछे आते हैं लेकिन उन्हों को लाइट ही दिखाई देती है। मनुष्य दिखाई नहीं देता लाइट ही दिखाई देती, फरिश्ता रूप ही दिखाई देता। ऐसे आपका एकाग्रता का अभ्यास होते भी आप ऐसे सामने बैठे हो लेकिन उनको दिखाई नहीं देगा। लाइट लाइट ही दिखाई देगी। ऐसे होना है। लेकिन अभ्यास अब से करो। फरिश्ता। अच्छा। अभी तीन मिनट मन की एकाग्रता का अभ्यास करो। यह ड्रिल करो। अच्छा।
सेवा का टर्न भोपाल जोन का है:- अच्छा भोपाल वाले भी अच्छी संख्या में पहुंच गये हैं। अभी भोपाल वालों ने नवीनता क्या सोची? जो कर चुके वह तो सभी कर ही रहे हैं। लेकिन नवीनता क्या करेंगे? बापदादा ने अगले टर्न में भी कहा कि अभी वी.आई.पीज की सेवा तो की है, सभी जोन ने की है, सभी वर्गो ने की है, लेकिन अभी बापदादा सम्बन्ध में आने वाले वी.आई.पीज जो माइक बनकर औरों को अपने आवाज से परिवर्तन करें, उन्हों को नजदीक लाओ। 6 मास में 12 मास में एक बारी आये या 4-5 बारी आये, भाषण भी किया, सम्बन्ध-सम्पर्क में भी आये, लेकिन ऐसे माइक जिनकी आवाज से अनेकों का कल्याण हो जाए, उन्हों को वारिस क्वालिटी बनाओ। नामीग्रामी भी हो। लेकिन आजकल के लोग जो हैं बाहरमुखी हैं ना, तो वह बाहर का शो भी देखने चाहते हैं, तो कोई ऐसा प्लैन बनाओ जो लगातार चलता रहे और ऐसी वारिस क्वालिटी निकालो, क्योंकि वर्गीकरण शुरू हुए भी कितना वर्ष हो गया!हो गया है ना! तो अभी उन्हों को इतना नजदीक लाओ जो वारिस क्वालिटी हो। अभी वी.आई.पी की लाइन में हैं, सहयोगी हैं, सेवा भी करते हैं लेकिन वारिस क्वालिटी नहीं हैं। तो ऐसा सहयोगी बनें, जो जिस समय जो कार्य करने की आवश्यकता है, जो उनकी क्वालिफिकेशन है, उस क्लालिफिकेशन के कार्य में हाँ जी, हाँ जी करें। कनेक्शन अच्छे जोड़े हैं, बापदादा इस बात में खुश है लेकिन अभी वह भी एवररेडी सेवाधारी बनें। ऐसी क्वालिटी वाले सभी वर्ग वाले इकट्ठे करो, बापदादा के पास ले आना है, यह नहीं। लेकिन किसी भी स्थान पर उन्हों का संगठन इकठ्ठा करो। कहाँ भी करो, जहाँ सभी को थोड़ा आने में सहज हो सके, और उनका स्पेशल कोई न कोई प्रोग्राम रखते रहो। प्रोग्राम होता है तो जाते हो, मिलते हो, सहयोग भी देते हैं लेकिन थोड़ा होमली बन जाएं, जो समय पर सहयोगी बन सकें। शुरू शुरू में भोपाल वालों ने सर्विस की है, वी.आई.पीज के कनेक्शन बनाये हैं, लेकिन अभी इसी विधि की सर्विस करके दिखाओ। ब्राह्मण तो बन रहे हैं, अभी सभी क्लास में ब्राह्मणों की वृद्धि हो रही है, यह तो अच्छा है। क्लासेज सब अच्छे हैं लेकिन अभी ऐसे व्यक्ति, सर्विसएबुल निकलें जिसकी आवाज वा परिचय सुनके सेवा हो जाए और समय पर वह रेडी रहे। कर सकते हो, अभी करके दिखाओ। लिस्ट तो देते हैं कि इतने वी.आई.पी हैं लेकिन संगठन इकठ्ठा करेंगे तो होंगे! वह संगठन भी दिखाई दे, एक दो को देख करके भी उमंग आता है, सोचते हैं, यह भी आते हैं, यह भी आते हैं... उमंग आता है। तो अभी जो भी जोन आते हैं, वर्ग भी आते हैं, अभी पहले थोड़े मुख्य-मुख्य स्थान के इकट्ठे करो सिर्फ मधुबन में इकट्ठे हों नहीं, किसी भी स्थान पर इकट्ठे करके उन्हों को स्नेह और सहयोग में और आगे बढ़ाओ। क्या करेंगी टीचर्स? टीचर्स करके दिखायेंगी ना! क्या नहीं कर सकते हो। एक एक चाहे छोटी हो, चाहे बड़ी हो, अगर दृढ़ संकल्प हो तो छोटी भी कमाल कर सकती है। सिर्फ दृढ़ संकल्प हो, करना ही है। अभिमान से आगे नहीं बढ़ना है लेकिन स्वमान से आगे बढ़ना है। बापदादा जिस भी बच्चे को जिस भी जोन को देखते हैं तो उसी दृष्टि से देखते हैं कि यह हर एक बच्चा होवनहार है। कोई नये बच्चे भी अन्दर ही अन्दर सेवा की बहुत अच्छी कमाल कर रहे हैं, बापदादा के पास समाचार भले नहीं आये लेकिन बापदादा जानते हैं। तो कमाल करके दिखाना, शुरू में बहुत अच्छी सेवा की, आरम्भ किया था, बापदादा को याद है, अब कोई कमाल करके दिखाओ। करेंगे ना, करेंगे? अच्छा है। संख्या तो बढ़ रही है लेकिन अभी क्वालिटी बढ़ाओ। अच्छा।
सेवा का गोल्डन चांस तो हर ज़ोन को बहुत अच्छा मिलता है। बाप भी खुश हो जाते और आप सब भी खुशी से चांस लेते हो। अच्छा है बापदादा खुश है, वृद्धि को देखके खुश है।
एज्युकेशन और एडमिनिस्ट्रेटर विंग:- (शिक्षा एवं प्रशासक वर्ग): अच्छा है, एज्युकेशन के लिए गवर्मेन्ट भी समझती है, कि जीवन के लिए एज्युकेशन आवश्यक है और आजकल मैजारिटी समझने लगी है कि एज्युकेशन में स्प्रीचुअल्टी जरूरी है। अभी वायुमण्डल चेंज हो गया है। पहले कहते थे यह तो बड़े बूढ़ों का काम है स्प्रीचुअल बनना। अभी समझते हैं कि एज्युकेशन में अगर आध्यात्मिकता नहीं है तो परिवर्तन नहीं हो सकता है। इसीलिए अभी दुनिया का इम्प्रेशन बदलता जा रहा है। इसीलिए जहाँ तक हो सके हर एक शहर वाले छोटे बड़े स्कूल कालेजेस या भिन्न-भिन्न एज्युकेशन जहाँ भी चलती हैं, उसमें ट्रायल करके वहाँ अपना पार्ट लो। कई बच्चे, अपने माँ बाप को बदल सकते हैं। स्कूलों में हर एक स्थान में सेवा होनी चाहिए, स्कूल के कारण टीचर्स और माँ बाप दोनों ही आपके कनेक्शन में आ जायेंगे। आज बच्चे प्राब्लम है और बच्चे की चलन में माँ बाप वा टीचर थोड़ा भी फर्क देखते हैं तो वह समझते हैं कि यह बहुत अच्छी बात है। तो कहाँ-कहाँ तो करते हैं लेकिन सब तरफ होना चाहिए। किसी को भी अगर सहयोग चाहिए, भाषण करने वाले का या प्रोग्राम बनाने का, तो एक दो से मदद ले सकते हो। और आप डिपार्टमेंट चेक करो, कहाँ-कहाँ हो सकता है, कहाँ कोई मदद दे सकते हैं, करा सकते हैं, थोड़ा फैलाओ। कहाँ कहाँ फैलाते हैं, लेकिन चारों ओर गांव में भी फैलाओ। कोई कोई गांव में तो फैला रहे हैं। एज्युकेशन डिपार्टमेंट बहुत कुछ कर सकता है। दुनिया की रीति से भी अगर बच्चे एज्युकेट बनते हैं तो दुनिया को भी फायदा है और आप लोगों का भी पुण्य इकठ्ठा हो जायेगा। अच्छा है, कर भी रहे हो, बापदादा सुनते हैं लेकिन चारों ओर आवाज फैले कि ब्रह्माकुमारियों की आध्यात्मिक नॉलेज जरूरी है, यह आवाज फैले। आवाज फैलाने वाला ग्रुप तैयार करो। जो भी वर्ग बनाये हैं, सभी वर्ग अपनी-अपनी रीति से आवश्यक हैं। आवाज फैला सकते हैं। जहाँ भी जायें, एज्युकेशन में जाये, डाक्टरी में जायें, मिनस्ट्री में जायें, कहाँ भी जाये, किस भी वर्ग में जायें तो यह आवाज सुनें कि इस वर्ग में भी आवश्यक है, इस वर्ग में भी आवश्यक है, ऐसे आवाज फैल जाये। थोड़ा थोड़ा अभी शुरू हुआ है कि ब्रह्माकुमारियां जो कर सकती हैं वह और कोई नहीं कर सकता है, थोड़ा फैला है। मैनेजमेंट के लिए भी अभी समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियां जो मैनेजमेंट करती हैं वह और कोई नहीं कर सकता, ऐसे हर वर्ग हर स्थान में यह आवाज फैलाओ। जहाँ भी जाएं वहाँ यही सुनें कि ब्रह्माकुमारियों का कार्य अच्छा है, तभी तो अच्छा बनेंगे। अच्छा है। बाकी जो कर रहे हो वह अच्छा कर रहे हो आगे और अच्छा करते चलो, फैलाते चलो। अच्छा।
डबल विदेशी:- सभी डबल विदेशी उठो, यूथ भी उठो। आप सबकी तरफ से डबल पुरूषार्थी बच्चों को मुबारक दे रहे हैं। आप सभी मधुबन के श्रृंगार बन जाते हो। तो मधुबन के श्रृंगार को मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अभी सभी ने यह संकल्प अच्छा किया है जो हर टर्न में कोई न कोई हाजिर होता है। बापदादा खुश होते हैं। अभी पहले-पहले कोई भी प्रोग्राम बड़ा होता था किसी भी देश में तो पहले स्टेज पर वी.आई.पी विदेश के आते थे, अभी स्पीकर वी.आई.पी नहीं आते हैं, ब्राह्मण आते हैं वह तो खुशी की बात है, अपने घर का श्रृंगार आता है। लेकिन बापदादा ने सुना तो प्रोग्राम बनाया है, विदेशी देश में आके सेवा करें, बनाया है ना! यह सामने खड़ा है ना, (निजार भाई) प्लैन बनाया है? अच्छा किया है क्योंकि शुरू शुरू में बापदादा के महावाक्य हैं कि विदेश वाले इन्डिया के कुम्भकरण को जगायेंगे। तो अभी यह भी कोशिश करो, कि जो भी बड़े प्रोग्राम होते हैं, उसमें स्पीकर भी आने चाहिए। वी.आई भी। तो अच्छा प्लैन बनाया है। अपने ब्राह्मण तो आते हैं लेकिन वी.आई. पी अपना अनुभव आके सुनाये - हमको क्या मिला है। यह भी हो जायेगा। अभी कनेक्शन में तो बहुत हैं।
बाकी डबल पुरूषार्थी हैं ना। जो समझते हैं कि हम डबल पुरूषार्थी हैं, वह हाथ उठाओ। डबल पुरूषार्थी! डबल!डबल पुरूषार्थी? मैजारिटी तो उठा रही है, कोई-कोई नहीं उठा रहा है। तो ढीला नहीं करना इसको। अभी डबल पुरूषार्थी का टाइटल मिला है ना। फिर आपको टाइटिल मिलेगा, फरिश्ता पुरूषार्थी क्योंकि जैसे आते हो, तो फ्लाय करके आते हो ना! ऐसे ही स्थिति में भी फरिश्ता अर्थात् उड़ती कला वाले। चढ़ती कला, चलती कला नहीं, उड़ती कला। अटेन्शन है, सेवा भी बढ़ रही है। अभी ऐसा ग्रुप बनाओ जो सदा एकरस एकाग्र रहे, कभी कभी शब्द नहीं आवे। सदा शब्द हो, ऐसा ग्रुप बनाओ। सदा शब्द इतना पक्का हो, जो कभी-कभी क्या होता है, उस पुरूषार्थ में अन्जान हो जाए। चलते फिरते सदा शब्द प्रैक्टिकल हो, हर सबजेक्ट में। ऐसा ग्रुप विदेश में भी बना सकते हैं, देश में भी बना सकते हैं। रेस करो, चाहे छोटा ग्रुप बने, बड़ा ग्रुप बने, लेकिन कहाँ भी ऐसा ग्रुप बनाके दिखाओ। बनायेंगे! डबल पुरूषार्थी बच्चों की आदत है - जो सोचते हैं वह करके दिखाते हैं। तो यह करके दिखाओ। है हिम्मत? हिम्मत है? टीचर बताओ। जनक बताओ, है? अभी सोच रहे हैं। सोचो। भले सोचो, ट्रायल करो और फिर सभी के तरफ से बापदादा उस ग्रुप को सौगात देंगे। कोई भी बनाये, चाहे देश, चाहे विदेश, सदा नो प्राबलम का आवाज हो। अच्छा।
अच्छा - चारों ओर के बच्चों की यादप्यार जो भिन्न-भिन्न भेजते रहते हैं, वह बापदादा को जरूर मिलती है और बापदादा भी उन बच्चों को दिल में समाते हुए समीप इमर्ज करते हैं। आजकल कई बच्चे अपने अपने पिछले जन्मों के हिसाब-किताब चुक्तू करने में लगे हुए हैं। उन्हों का भी यादप्यार बापदादा के पास पहुंचता है। जैसे अंकल, (अंकल स्टीवनारायण) फर्स्ट वी.आई.पी निमित्त बना। तो बापदादा और सर्व परिवार जो जानते हैं, उनकी सकाश अवश्य बच्चे तक पहुंचती है। सभी अपने दिल की याद दे रहे हैं। ऐसे ही कई बच्चे बाबा बाबा कहके अपना हिसाब किताब चुक्तू कर भी रहे हैं और सकाश लेते हुए चल भी रहे हैं। तो जो भी देश में या विदेश में शरीर का हिसाब चुक्तू कर रहे हैं, उन सब विशेष बच्चों को बापदादा का प्यार दुआयें, सदा मिल रही हैं और मिलती रहेंगी। साथ-साथ चारों ओर के पत्र, आजकल तो पत्रों से भी फास्ट साधन निकल गये हैं, तो जिन्होंने भी याद भेजी है, उन सब बच्चों को एक एक को नाम और उनकी विशेषताओं सहित बापदादा यादप्यार दे रहे हैं। साथ साथ बांधेली गोपिकायें उन्हों के भी दिल के आवाज बहुत आते हैं लेकिन बापदादा ऐसे लवली बच्चों को याद करते हैं कि कमाल है, बंधन में रहते भी दिल से ब्रंधनमुक्त हैं। अपनी कमाई गुप्त रूप में भी कड़े बंधन में भी कर रही हैं, वह सोते हैं, यह कमाई करती हैं। यह बांधेलियों के चरित्र विचित्र होते हैं। बापदादा चारों ओर के ऐसे बंधन वाली सच्ची गोपिकाओं को भी यादप्यार दे रहे हैं। उन्हों का स्पेशल टाइम होता है और बापदादा उसी टाइम पर उन्हों को किरणें देते हैं। अच्छा।
चारों ओर के लवली और लक्की दृढ़ संकल्प वाले बच्चों को सोचा और किया, करेंगे, देखेंगे नहीं, सोचा और किया, सदा अपने को नष्टोमोहा में, सिर्फ संबंध का मोह नहीं, अपने देहभान और देह अभिमान का भी मोह नहीं। ऐसे नष्टोमोहा एवररेडी बच्चों को सदा श्रीमत में हाथ में हाथ देते, साथ उड़ने वाले और साथ में ब्रह्मा बाप के साथ अपने राज्य में आने वाले ऐसे तीव्र पुरूषार्थी उड़ती कला वाले बच्चों को बापदादा का बहुत-बहुत दुआयें और यादप्यार स्वीकार हो और बालक सो मालिक बच्चों को नमस्ते।
दादियों से:-(दादी जानकी वा मोहिनी बहन ने बापदादा को भाकी पहनी) निमित्त यह दो बनी लेकिन सबको भाकी पड़ गई।
शान्तामणि दादी:- अच्छा है भले बेड पर हो लेकन सबके दिल में याद हो क्योंकि आदि रत्न हो ना। आदि रत्न अमूल्य रत्न हैं गिनती के रत्न हैं। सभी को दादियां बहुत याद हैं ना।
ग्राम विकास प्रभाग की ओर से पूरे गुजरात में 18 दिसम्बर से 29 दिसम्बर 2008 तक ‘‘शास्वत यौगिक खेती जागृति अभियान’’ निकाल रहे हैं जिसकी लाचिंग का कार्यक्रम कल नदी पर रखा था: -
बापदादा ने समाचार सुना कि गांव की सेवा करने वाले बहुत अच्छा प्रत्यक्ष स्वरूप दिखा रहे हैं। खेती में जो भिन्न-भिन्न प्रकार की खाद डालते हैं, वह खाद न डाल कर योगबल से, बिना खाद डाले फल या सब्जी बहुत अच्छी बनाते हैं और प्रैक्टिकल ट्रायल करके दिखाई है और प्रैक्टिकल में चेक भी कराया है। तो जो योग से फल या फूल या अनाज़ पैदा होता है, वह बीमारियां नहीं पैदा करता है। बीमारियों के कीटाणु खत्म हो जाते हैं योगबल से। तो यह प्रैक्टिकल सबूत कई जगहों पर दिखाया है और जो निमित्त वी.आई. पी हैं, उन्होंने भी माना है कि योगबल से अगर कोशिश करें तो यह वृद्धि को प्राप्त हो सकता है, तो यह बहुत अच्छा प्रत्यक्ष सबूत है, तो प्रत्यक्ष सबूत देख करके सब मानने के लिए तैयार हो ही जाते हैं। तो यह भी ब्राह्मण परिवार की अच्छी सबूत दिखाने वाली सेवा है। कई स्थानों में किया है ना। वह आये हुए हैं, कहाँ हैं गांव सेवा वाले। ग्राम विकास वाले उठो।
यहाँ आबू में भी ऐसी खेती कर रहे हैं। तो खेती से क्या निकाला? अभी क्या तैयार किया है? (अभी पपीता निकाला है, चना और मटर तैयार हो रहे हैं) तो अच्छा है ना। अपनी भी कमाई हुई, योग किया। चाहे किसी भी कारण से लगातार योग किया होगा ना! तो अपना भी फायदा और लोगों का भी फायदा। अच्छी बात है। प्रैक्टिकल कभी क्लास में दिखाना, जो भी निकला है, (पपीता वा चना) वह सबको दिखाना। अच्छा है अगर ऐसे ही आवाज फैलता जायेगा तो बुलाने के बिना ही सब आयेंगे। निमन्त्रण छपाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुबारक हो, बहुत अच्छी सेवा है।
18 जनवरी तक के लिए विशेष होमवर्क
1) अव्यक्ति पालना और व्यक्त रूप की पालना का रिटर्न रायल आलस्य और अलबेलेपन से मुक्त बनो।
2) दूसरों को बदलने की वृत्ति का परिवर्तन कर स्वयं को परिवर्तन करो। आत्मिक भाव और शुभ भावना को धारण करो।
3) दूसरों की कमियों को देखने के बजाए विशेषता देखो सी डबल फादर।
31-12-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘अव्यक्त बापदादा’’ मधुबन ‘‘इस नये वर्ष में परिवर्तन शक्ति के वरदान द्वारा निगेटिव को पॉजिटव में परिवर्तन कर संकल्प श्वांस समय को सफल करो सफलतामूर्त बनो’’
आज नव जीवन देने वाले बाप अपने चारों ओर के नव जीवन धारण करने वाले बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। यह नव जीवन है ही नव युग बनाने के लिए। लोग नव वर्ष मनाते हैं और आप सभी नव जीवन वाले बच्चे सभी आत्माओं को बधाईयां भी देते हो और साथ में यही खुशखबरी देते हो नव युग आया कि आया। आप सभी बच्चों को तो बाप ने वर्से के रूप में गोल्डन दुनिया की गिफ्ट दे दी है। जिस गोल्डन दुनिया में अनेक गोल्डन सौगातें है ही हैं। आप सभी को यही नशा है ना कि यह गोल्डन दुनिया की सौगात तो हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। आज की दुनिया में कोई किसको कितनी भी बड़े ते बड़ी सौगात दे, तो बड़े ते बड़ा क्या देंगे, ताज वा तख्त। लेकिन आपके गोल्डन दुनिया की गिफ्ट के आगे वह क्या चीज़ है? कोई बड़ी चीज़ है! आपके दिल में खुशी है कि हमारे बाप ने हमें सबसे ऊंचे ते ऊंची नव युग की गिफ्ट दे दी है। निश्चय है और निश्चित है। यह भावी कोई टाल नहीं सकता। यह अटल निश्चय सदा स्मृति में रहता है! सदा रहता है वा कभी-कभी कम हो जाता है? जन्म सिद्ध अधिकार है तो जन्म सिद्ध अधिकार कभी टल नहीं सकता।
तो आज आप सभी अलग-अलग स्थानों से नया वर्ष मनाने आये हो। लेकिन यह नया वर्ष भी मना रहे हो तो इस नये वर्ष का लक्ष्य क्या रखा है? इस नये वर्ष में क्या विशेष करना है? इस नये वर्ष की विशेषता है कि बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बनना ही है। कुछ भी पुरूषार्थ करना पड़े लेकिन निश्चित है कि बाप समान बनना ही है। बोलो, सबके मन में यही पक्का संकल्प है ना! है? कांध हिलाओ। बाप भी यही चाहते हैं कि हर एक बच्चा बाप समान बने। बाप तो बाप है लेकिन बच्चे बाप से भी ऊंचे हैं। तो बाप समान बनने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बाप को फॉलो करना पड़े। सोचो, बाप, ब्रह्मा बाप सम्पूर्ण कैसे बना? उनकी क्या विशेषता रही? सम्पूर्णता का विशेष आधार क्या रहा? ब्रह्मा बाप ने अपना हर समय सफल किया। श्वांस-श्वांस, सेकण्ड-सेकण्ड सफल किया। तो बाप समान बनने के लिए इस वर्ष का लक्ष्य क्या रखेंगे?सफल करना है और सफलतामूर्त बनना ही है। सफलता हमारे गले का हार है। सफलता हमारे बाप का वर्सा है। तो इस लक्ष्य से चेक करना - हर दिन अपने आपको चेक करना है कि सफलतामूर्त बन समय, श्वांस, खज़ाने, शक्तियां, गुण सब सफल किया? क्योंकि अभी की सफलता से भविष्य भी जमा होता है। 21 जन्म जो भी सफल अभी किया, उसका फल जमा होता है। जानते हो ना, पहले भी सुनाया है कि अगर आप समय सफल करते हो तो भविष्य में भी आपको राज्य भाग्य का फुल समय, राज्य भाग्य की प्राप्ति होती है। श्वांस सफल करते हो तो 21 जन्म स्वस्थ रहेंगे। कभी भी कोई भी स्वास्थ्य में कमी नहीं रहेगी और साथ में जो खज़ाने जमा करते हो, सबसे बड़ा खज़ाना है ज्ञान का, ज्ञान का अर्थ है समझ। तो ज्ञान का खज़ाना सफल करने से भविष्य में आप ऐसे समझदार बन जाते हैं जो आपको कोई वजीरों की राय नहीं लेनी पड़ती है। स्वयं ही राज्य अखण्ड, अटल चलाते हो और आपके राज्य में कोई विघ्न नहीं। निर्विघ्न अखण्ड, अटल है। यह है ज्ञान का खज़ाना जमा करने का फल। एक जन्म सफल किया और अनेक जन्म सफलता का फल खाते हो। ऐसे ही शक्तियां जो प्राप्त हैं उनको स्व प्रति वा दूसरों के प्रति सफल करते हो तो भविष्य में आपके राज्य में सर्व शक्तियां हैं, कभी शक्ति कम नहीं होती। कोई भी शक्ति की कमी नहीं है। ऐसे ही अगर गुण दान करते हो तो आपका अन्तिम जन्म, 84 जन्म जो जड़ चित्र बनाते हैं उसमें लास्ट तक आपकी महिमा क्या करते हैं? सर्वगुण सम्पन्न। तो एक-एक सफलता की प्राप्ति के अनेक जन्म के अधिकारी बन जाते हो। तो इस वर्ष क्या करना है? लक्ष्य रखना है एक श्वांस, एक सेकण्ड भी असफल नहीं हो। जमा करना है। जमा का समय एक छोटा सा जन्म और फल का समय 21 जन्म, तो इस वर्ष में बाप समान बनने का लक्ष्य है? सभी को लक्ष्य है कि बाप समान बनना ही है? बनना नहीं है, बनना ही है। बनना ही है अण्डरलाइन। अच्छा। बच्चे भी बनेंगे? छोटे छोटे बच्चे भी बनेंगे। अच्छा लगता है बच्चों का ताज। (सभी बच्चों ने ताज पहना हुआ है) बहुत अच्छा लगता है। तो इस वर्ष का लक्ष्य भी रखा और साथ में बाप को फॉलो करने का मन्त्र, सफल कर सफलता मूर्त बनना है। इसके लिए ज्यादा मेहनत करने की बापदादा बच्चों को तकलीफ भी नहीं देते हैं, बहुत सहज विधि बताते हैं, सहज विधि क्या है? जो भी संकल्प करो, पहले चेक करो बाप का यह संकल्प रहा! बोल बोलते हो चेक करो, बाप समान बनना है ना! तो संकल्प, बोल और कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क पहले सोचो, चेक करो बाप का यह रहा? और ऐसा ही स्वरूप बनो। ब्रह्मा बाप को फॉलो करो। फॉलो फादर तो गाया हुआ है ना! कई बच्चे बहुत अच्छे अच्छे खेल दिखाते हैं। पता है कौन से खेल दिखाते हैं? फॉलो नहीं करते लेकिन क्या कहते हैं? चाहता तो नहीं था, हो गया। पहले सोच के, सिर्फ सोचो नहीं स्वरूप बनो। अगर स्वरूप बन जायेंगे तो यह नहीं कहेंगे सोचा नहीं था लेकिन हो गया। करने वाला, सोचने वाला आप श्रेष्ठ आत्मायें हो, मालिक हो। हो गया का अर्थ है कर्मेन्द्रियों के ऊपर कन्ट्रोल नहीं।
तो इस वर्ष में यही स्लोगन याद रखना बाप समान करना ही है, बनना ही है। मुश्किल तो नहीं है ना? जैसे बाप ने किया वैसे करना है। कापी करना तो सहज है ना, सोचने की जरूरत ही नहीं है। और निश्चित है कि आप सभी को जैसे बाप, ब्रह्मा बाप फरिश्ता बना तो निश्चित है फरिश्ता सो देवता बनना ही है। तो आपको भी फरिश्ता सो देवता बनना ही है। कई बच्चे कहते हैं कि चलते-चलते आपोजीशन बहुत होती है, तो आपोजीशन के कारण पोजीशन से नीचे आ जाते हैं। लेकिन याद करो बाप समान बनना है तो स्थापना के आदि में ब्रह्मा बाप ने कितने आपोजीशन को पोजीशन में परिवर्तन किया?हर बात नई, चैलेन्ज थी। अभी तो बहुत जमाना बदल गया है लेकिन अकेला ब्रह्मा बाप कितना स्वमान की सीट पर बैठ पोजीशन द्वारा आपोजीशन का सामना किया। जहाँ पोजीशन है वहाँ आपोजीशन कुछ नहीं कर सकती। पहले क्या कहते थे? धमाल कर रहे हैं और अभी क्या कहते हैं? कमाल कर रहे हैं। इतना फर्क हो गया। कारण क्या? ब्रह्मा बाप ने स्वयं स्वमान की सीट और दृढ़ निश्चय के शस्त्रों द्वारा आपोजीशन को समाप्त किया। तो आप इस वर्ष में क्या करेंगे? समान बनना है ना, तो सदा अगर आपोजीशन होती भी है तो स्वमान की सीट पर बैठ जाओ तो आपोजीशन, पोजीशन में बदल जाये। है हिम्मत? ब्रह्मा बाप समान बनना ही है, उसमें तो हाथ उठाया, लेकिन इतनी हिम्मत है? पहले स्व के परिवर्तन का, फिर है अनेक सम्बन्ध-सम्पर्क वाली आत्मायें और फिर विश्व की आत्मायें। इन सबको अपने मन्सा शुभ भावना, शुभ कामना द्वारा, दृढ़ संकल्प द्वारा परिवर्तन करना।
तो इस वर्ष में बापदादा विशेष एक शक्ति का वरदान भी दे रहे हैं। मेरा बाबा दिल से कहेंगे तो शक्ति हाजिर, ऐसे ही मेरा बाबा नहीं, दिल से कहा, अधिकार रखा, मेरा बाबा और शक्ति आपके आगे हाजिर हो जायेगी। वह कौन सी शक्ति? परिवर्तन की शक्ति। परिवर्तन की शक्ति में विशेष निगेटिव को पॉजिटिव में चेंज करो। निगेटिव संकल्प, निगेटिव चलन को देखते हुए पॉजिटिव में चेंज करो। पॉजिटिव देखना, बोलना, करना, सिर्फ शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा सहज हो जायेगा क्योंकि यह आपोजीशन आयेगी, लेकिन आपके परिवर्तन की शक्ति आपको सहज सफलता दिलायेगी। तो समझा इस वर्ष का विशेष वरदान परिवर्तन शक्ति को दृढ़ संकल्प से कार्य में लगाना। कर सकते हो ना परिवर्तन?चैलेन्ज है आपकी, याद है ना! विश्व परिवर्तक हो ना! जब टाइटिल ही विश्व परिवर्तक का है तो क्या स्व को परिवर्तन करना मुश्किल है क्या! दिल में कोई भी मुश्किल बात आये, वैसे मुश्किल बात नहीं होती लेकिन आप बना देते हो। मास्टर सर्वशक्तिवान उसके आगे मुश्किल क्या है? लेकिन आप एक गलती करते हो और मुश्किल बना देते हो। जैसे देखो अचानक यहाँ अंधकार हो जाता है तो अगर कोई गलती से अंधकार को भगाने लगे तो अंधकार भागेगा? सही विधि है आप रोशनी का स्विच ऑन करो तो अंधकार सेकण्ड में भाग जायेगा। तो आप भी यह गलती करते हो जो बात हो गई ना, उसके क्यूं, क्या, कब कैसे... इस क्यू क्यूं में चले जाते हो। छोटी सी बात बड़ी कर देते हो और बड़ी बात तो मुश्किल होती है। छोटी बात कर लो तो सहज हो जाये। बाप ने कोई भी शक्ति को कार्य में लगाने की विधि बहुत सहज बताई है - अपने मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, इस स्मृति की सीट पर बैठ जाओ, अगर इस सीट पर बैठेंगे तो अपसेट नहीं होंगे। बिना सीट के अपसेट होते हैं, सीट है तो अपसेट नहीं होंगे। 63 जन्म के संस्कार इमर्ज हो जाते हैं। 63 जन्म क्या रहा? अभी अभी सेट, अभी अभी अपसेट। तो सदा स्वमान की सीट पर सेट रहो। और इस वर्ष में क्या करेंगे? नये वर्ष में गिफ्ट तो सबको देंगे ना। तो कौन सी गिफ्ट देंगे? बधाई भी देंगे और साथ में गिफ्ट क्या देंगे? गिफ्ट तो आपके पास बहुत है। जितना देने चाहो उतना दे सकते हो। स्थूल गिफ्ट तो अल्पकाल के लिए चलेगी लेकिन आप अविनाशी बाप समान बनने वाले अविनाशी गिफ्ट दो। मन्सा द्वारा शक्तियों की गिफ्ट दो, वाचा द्वारा ज्ञान की गिफ्ट दो और कर्मणा द्वारा गुणों की गिफ्ट दो। है ना सबके पास? है तो कांध हिलाओ। खज़ाने बहुत हैं ना, कम तो नहीं हैं ना। कोई से भी कार्य में आओ, कार्य में तो आना पड़ेगा ना। उसको खूब इस वर्ष में सौगातें दो। लेकिन अविनाशी सौगात। सुनाया ना कोई को भी खाली जाने नहीं दो, चाहे मन्सा की सौगात दो, चाहे वाणी की, चाहे कर्म की। इसके लिए आपको सदा एक अटेन्शन रखना पड़ेगा, हर समय मन्सा में शक्तियों का स्टाक इमर्ज रखना पड़ेगा, कितनी शक्तियां हैं? लिस्ट तो है ना! वाचा के कारण सदा मन में मनन शक्ति, ज्ञान को मनन करने की शक्ति, स्मृति में रखनी पड़ेगी। चलन में, चेहरे में, कर्म में, गुणों का स्वरूप बनना पड़ेगा। सदा अपने को गुणमूर्त, ज्ञान मूर्त, शक्ति स्वरूप इमर्ज रखना पड़ेगा। ऐसे नहीं शक्तियां तो हैं ही, ज्ञान तो है ही... लेकिन स्वरूप बनना पड़ेगा। हर एक को ईश्वरीय परिवार की दृष्टि वृत्ति से देखना पड़ेगा। इस वर्ष जब समान बनना ही है, उसमें हाथ उठा लिया है, बापदादा के वतन में सबका हाथ दिखाई दे देगा। वहाँ यह छोटी टी.वी. नहीं है, बहुत बड़ी है। एक सेकण्ड में सर्व सेन्टर्स की रिजल्ट को देख सकते हैं। तो बापदादा आपका जो उमंग है, बाप समान बनना ही है, इसके लिए खुश है। खुशनसीब हो, खुश चेहरे वाले हो, कभी रोब का चेहरा नहीं बनाना। सदा खुश, कोई भी आपको चाहे जितना भी काम में बिजी हो, गलती को ठीक कर रहे हो, समझा रहे हो लेकिन रोब का चेहरा, बोल नहीं हो। इस वर्ष में यह परिवर्तन करके दिखाओ। प्राइज़ देंगे। सारे वर्ष में जो सदा मुस्कराता रहेगा, कोई भी बात आये, कई भाई बहिनें कहते हैं, रूहरिहान तो करते हैं ना सभी, तो कहते हैं अगर रोब से नहीं कहेंगे ना तो समझेगा नहीं। बदलेगा ही नहीं। पहले ही आपने भावना रख दी कि यह बदलेगा ही नहीं तो उसको आपका वायबे्रशन पहले ही पहुंच गया। इसलिए इस वर्ष में क्रोध या बाल-बच्चा इसको विदाई देनी है। हो सकता है? रोब भी नहीं। बाप पूछता है जो भी समय प्रति समय क्रोध करते हैं, काम बनाने के लिए, सुधारने के लिए, लेकिन वह सुधरता है? क्रोध करने से कोई सुधरा है? वह लिस्ट बताओ। और ही चिढ़ जाता है, सुधरता नहीं है। आपोजीशन करता है मन में। अगर बड़ा है तो मन में आपोजीशन करता है, बोल तो सकता नहीं और छोटा है तो रोने लग जाता है। तो इस वर्ष क्या-क्या करना है, वह सारा सुना रहे हैं। पसन्द है? करना है? अभी हाथ उठाओ। करना है? यह टी.वी. वाले यह फोटो निकालो। हाथ उठाओ, थोड़ा खड़ा रखो। टी.वी. वाले निकाल रहे हैं।
बापदादा हर एक से जो भी बातें सुनाई हैं, इस वर्ष करनी है, हर मास की लास्ट तारीख, हर एक अपना पोतामेल, जो वरदान मिलता है छोटा सा, इसमें ओ.के. लिखो। अगर जो भी बातें सुनाई, इन सभी बातों में दो बातें हुई, दो बातें नहीं हुई, अगर नहीं हुई तो ओ.के. के बीच में लाइन लगाना। बस इतना रिजल्ट लिखना, बड़ा कागज नहीं लिखना। अगर बड़ा कागज लिखेंगे तो पढ़ने वाले का आधा टाइम तो इसमें जायेगा। इसलिए ओ.के. लिखना छोटी सी चिटकी होगी ना तो सहज पढ़ सकेंगे। तो ओ.के लिखना और लाइन लगाना, सहज है ना! विशेष यह क्रोध का भूत जो है वह इस वर्ष भगाना है। रोब भी नहीं, कई आंखों से भी क्रोध करते हैं, देखा है? चेहरे से भी क्रोध करते हैं। तो क्या करेंगे? कुछ तो तलाक देंगे ना। देंगे? मधुबन वाले देंगे? मधुबन वाले हाथ उठाओ। अच्छा इतने बैठे हैं। अच्छा यहाँ बैठे हैं। तो पहले मधुबन वालों को बापदादा कहते हैं इसमें पहले मैं, पहले मधुबन से विदाई देंगे और मधुबन का प्रभाव सेन्टर पर भी आटो-मेटिकली जायेगा। मधुबन बीज है, तना है। लेकिन आप सबकी परमानेंट एडे्रस कौन सी है? मधुबन है ना। तो आप समझ रहे हो सिर्फ मधुबन निवासी करेंगे। आप सभी मधुबन निवासी हो। क्योंकि परमानेंट एड्रेस आपकी मधुबन है, यह तो सेवा के लिए भिन्न-भिन्न स्थान पर गये हैं। फारेन में जाने वाले अपने जन्म के गांव को भूलते हैं? बापदादा ने देखा है फारेन से जो जिन्हों के इन्डिया में गांव हैं, स्थान हैं, उन्होंने फारेन में रहते भी अपने जन्म भूमि, चाहे गांव है, चाहे शहर है लेकिन सेन्टर स्थापन किया है, बापदादा उन बच्चों को बहुत-बहुत पुण्य आत्मा का टाइटिल देते हैं। कमाल की है और फिर पूछते भी रहते हैं कोई तकलीफ तो नहीं, ठीक है। यह है पुण्य आत्मा का कर्तव्य। परिवार है। एक परिवार है। दो परि-वार नहीं हैं, एक परिवार है। आज आप लण्डन में जाते हो, कोई भी कारण से, तो आप क्या कहेंगे? हमारा सेन्टर है कि कहेंगे लण्डन वालों का है? हमारा है ना! हमारा भाव का अर्थ यह नहीं कि वहाँ जाके रह जाओ। वह तो बाबा ने हर एक को अपनी सेवा का स्थान दे दिया है। तो सुना क्या करना है? मधुबन वाले और सभी को अपना सर्टीफिकेट लेना है। अच्छा। बहुत काम दे दिया है ना लेकिन बापदादा आपका साथी है, जहाँ भी मुश्किल आवे ना बस दिल से कहना, बाबा, मेरा बाबा, मेरा साथी आ जाओ, मदद करो। तो बाबा भी बंधा हुआ है। सिर्फ दिल से कहना। क्योंकि समय और स्वयं दोनों को देखना है। समय चैलेन्ज कर रहा है और आप माया को चैलेन्ज करो क्या करेगी।
तो समय के प्रमाण बापदादा देख रहे थे कि समय की रफ्तार इस समय तीव्र है। तो समय को सामना कौन करेगा?आप ही तो करेंगे। बापदादा ने देखा कि दु:खियों की पुकार, भक्तों की पुकार, समय की पुकार इतना सुनते कम हैं। बिचारे हिम्मतहीन हैं, उन्हों को पंख लगाओ तो उड़ तो सकें। हिम्मत के पंख, उमंग-उत्साह के पंख लगाओ। अच्छा।
बापदादा ने सब तरफ के आये हुए कार्ड, ईमेल, मुबारकें स्वीकार भी की और यहाँ भी देखी। आपके दिल की मुबा-रकें बापदादा के लिए हीरों से भी पदमगुणा ज्यादा बापदादा ने स्वीकार की। दूर बैठे हुए बच्चे बाप के तो दिल के सामने हैं। बापदादा जब दृष्टि देते हैं तो सिर्फ इस हाल में नहीं देते, बापदादा के सामने सभी स्थान के बच्चे, दिल के सामने हाजिर होते हैं। तो पदमगुणा बधाईयां भी हैं और गोल्डन गिफ्ट तो बापदादा ने सभी बच्चों को अधिकारी बना ही दिया है। जिस गोल्डन गिफ्ट में अनेक गिफ्ट समाई हुई हैं। जो सोचो वह हाजिर। यहाँ के हिसाब से तो 12 बजे न्यु ईयर शुरू होगा और हमारे लिए तो सदा नयनों में, दिल में क्या याद रहता है? गोल्डन वर्ल्ड, अभी अभी आया कि आया। ऐसे लगता है ना! आज यहाँ हैं बस थोड़े ही समय में अपनी दुनिया में जायेंगे। अच्छा, अभी बोलो।
सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा का है:- बहुत अच्छा, सुन्दर दृश्य दिखाई दे रहा है। सेवा का पुण्य जमा करने से मन खुशी में नाचता रहता है ना! अच्छा। टीचर्स भी बहुत हैं। टीचर्स हाथ हिलाओ। अच्छा है, संगठन अच्छा है। अभी दिल्ली क्या करेगी? पहले भी सुनाया कि यह मेला करना, प्रोग्राम करना, यह अभी कामन हो गया है। रीति प्रमाण हो गया है, सीजन खत्म होती है और वर्गो का प्रोग्राम चालू होता है। लेकिन अभी बापदादा ने दो बातों का इशारा दिया है वी.आई.पी की सेवा अच्छी की है, समय पर सहयोगी भी बन जाते हैं, अच्छा सहयोग भी देते हैं लेकिन अभी ऐसे सह- योगी से वारिस बनाओ। वैसे दिल्ली में भी जो बहुत समय की वारिस क्वालिटी निकली है लेकिन पहले, अभी माइक भी हो और वारिस क्वालिटी भी हो, सहयोगी नहीं, सहयोगी तो बनायेंगे ही, बन रहे हैं लेकिन वारिस क्वालिटी। अभी चारों ओर से माइक भी हो, मददगार भी हो, लेकिन वारिस क्वालिटी हो। भले गुप्त रहे लेकिन वारिस गुप्त रहते भी प्रत्यक्ष है ही। ऐसा कोई ग्रुप कहाँ से भी निकले, किसी वर्ग का भी हो, देश का हो, विदेश का हो, कहाँ के भी हो लेकिन ऐसी क्वालिटी की चलो माला नहीं, कंगन तो बनाओ। और वैसे भी जो पहले जमाने में फटाफट वारिस निकले हैं, वैसे अभी और सब क्वालिफिकेशन हैं लेकिन वारिस क्वालिटी हर श्रीमत, हर डायरेक्शन पर मन से गुप्त रूप से भी चलने वाले। बापदादा की यह आशा है कि ऐसे कोई निमित्त बनें जो भिन्न-भिन्न स्थान से भी ग्रुप बनावें। यह नवीनता कोई भी सेन्टर है या वर्ग है, करके दिखावे। सहयोगी हैं बापदादा जानते हैं, समय पर सहयोग दे देते हैं लेकिन वारिस हो। चाहे गुप्त हो। दिल्ली क्या करेगी? ऐसा कंगन तैयार करेगी? बापदादा माला नहीं कह रहे हैं कंगन बनाके लाये। इस वर्ष में कोई कमाल करके दिखाओ ना। चाहे फारेन से निकले, चाहे भारत से निकले, हो सकता है ना! हो सकता है! टीचर्स बोलो हो सकता है? हाथ उठाओ। दिल्ली वाले। वाह! बापदादा मुबारक देते हैं। हिम्मत अच्छी रखी, अभी हिम्मत की मुबारक देते हैं और जब प्रैक्टिकल करेंगे ना तो फिर कौन सी मुबारक देंगे? वाह! मुरबी बच्चे वाह! कोई भी करे, बाम्बे करे, महाराष्ट्र करे, आंध्र करे, कोई भी करे, मधुबन करे, ठीक है ना! अच्छा है, दिल्ली में ब्रह्मा बाप की, ब्रह्मा बाप के साथ शिव बाप तो है ही लेकिन विशेष ब्रह्मा बाप की दिल्ली, बाम्बे, कलकत्ता, कलकत्ता वाले भी कर सकते हैं, शुरू से बापदादा उम्मीदें रखे हुए है। अच्छा। अभी कमाल करके दूसरे वर्ष आओ तो तैयारी करके आना। ठीक है? सभी पाण्डव हाथ उठाओ। देखो कितने पाण्डव हैं। तो दिल्ली के पाण्डव कमाल करके आयेंगे ना! करेंगे? बापदादा हमेशा बार-बार दिल्ली का नाम कहता है और सभी के लिए इतने जो भी ब्राह्मण हैं, उनके लिए दिल्ली में दरबार बनायेंगे ना। राज्य करेंगे ना। राज्य सभा दिल्ली में होगी ना। तो दिल्ली वालों को दिल्ली को बहुत तैयार करना पड़ेगा। सभी को महल देंगे ना। महल मिलेगा दिल्ली में। अच्छा देखेंगे कमाल। कोई नवीनता करो ना। अभी सभी देख चुके हैं बार-बार फंक्शन होता है, मेला होता है, अच्छा।
ज्युरिस्ट विंग कलचरल विंग और मीडिया विंग वाले आये हैं:- पहले ज्युरिस्ट वाले उठो। ज्युरिस्ट का काम है लॉ एण्ड आर्डर को मजबूत बनाना। तो आप सभी इस पुरानी दुनिया में बैठ नई दुनिया का जो लॉ एण्ड आर्डर है उसको बना रहे हो। प्लैन अच्छे बनाये हैं। लेकिन अभी ऐसा चारों ओर क्योंकि इस डिपार्टमेंट में भी भिन्न-भिन्न स्थान के साथी हैं सब तरफ के मिलके करते हैं तो ऐसा वायुमण्डल वाणी द्वारा भाषणों द्वारा वायुमण्डल बनाओ जो कई लोग आपके साथी बनके पहले यह सहयोग दें कि अशान्ति के समय में हम शान्ति बनाके रखेंगे। शान्ति स्थापक बन आपके साथी बनें। ऐसी साइन कराओ। जगह जगह पर अपनी सेवा द्वारा लिखाओ कि हम शान्त रहेंगे लॉ एण्ड आर्डर में चलेंगे और दूसरों को भी चलायेंगे। ऐसी लिस्ट तैयार करो और वह गवर्मेन्ट को दिखाओ तो हम क्या कर रहे हैं? और उन्हों के ग्रुप प्रैक्टिकल में लॉ एण्ड आर्डर में चल रहे हैं या नहीं उसका बीच बीच में चेक करो ऐसा सहयोगी ग्रुप चाहे यूथ हो चाहे बुजुर्ग हो चाहे बच्चे हो लेकिन समझदार बच्चे संख्या इकट्ठी करो और इन्हों का समय प्रति समय यात्रा निकालने की बात नहीं है लेकिन कहाँ न कहाँ जहाँ स्थान बड़ा हो वहाँ उन्हों का संगठन करते रहो और ऐसा संगठन तैयार करो जिसमें सब वर्ग वाले हों। तो गवर्मेन्ट देखे कि यह क्या कार्य कर रहे हैं। गवर्मेन्ट चाहती है लेकिन कर नहीं पाती है आप करके दिखाओ। अच्छा है। संगठन अच्छा है और करते भी रहते हो लेकिन अभी थोड़ा बुलन्द आवाज करो। फिर भी जो निमित्त बनते हैं उनको बापदादा दिल से मुबारक देते हैं करते चलो बढ़ते चलो बढ़ाते चलो। अभी गवर्मेन्ट के कानों में थोड़ा कानों को हिलाओ। जितने वर्ग हैं अपने अपने सेवा द्वारा उन्हों को प्रत्यक्ष प्रुफ दिखाओ। अपनी उलझन में बिजी रहते हैं तो उनको थोड़ा जगाओ। बाकी जो भी कर रहे हैं वह अच्छा है लेकिन अभी और अच्छे ते अच्छा करो। बाकी बापदादा का विशेष यादप्यार भी ग्रुप को है और मुबारक भी है।
मीडिया विंग:- मीडिया वालों ने थोड़ा-थोड़ा अभी लोगों के कान खोले हैं। अभी सुनना अच्छा लगता है कोई-कोई बनना शुरू भी किया है लेकिन जितने सुनते हैं उतने ही अगर बन जायें तो क्या हो जायेगा? बापदादा साकार में भी कहते थे कि मीडिया कमाल कर सकती है लेकिन अभी अव्यक्त रूप में देख रहे हैं थोड़ा देरी से किया है लेकिन देर में भी दुरस्त है। आवाज फैलाने का साधन घर बैठे यह मीडिया ही कर सकती है क्योंकि आजकल मनुष्य आत्मायें समय होते भी यही बहाना देते हैं अच्छा है लेकिन टाइम नहीं मिलता। तो यह बहाना भी मीडिया वाले समाप्त कर सकते हैं। सिर्फ अच्छा लगा नहीं अच्छा बनाके दिखाओ। शुरू हुआ है प्रभाव अच्छा है मेहनत भी अच्छी की है लेकिन आवाज थोड़ा अभी और बड़ा करो। नये-नये प्लैन बनाओ। ऐसे भी निकालो जो आपको सहयोग दे आवाज फैलाने में। ऐसे भी तैयार करो और साथ में भिन्न-भिन्न स्टेशन से आवाज फैलाओ। ऐसे भी साथी तैयार करो। कर सकते हैं। बाकी फैला रहे हैं मेहनत की है मेहनत की मुबारक है लेकिन और बढ़ाओ। सब रीति से साथी बनाओ। कोई कराने वाला कोई करने के निमित्त बनने वाला बाकी अच्छा है। मीडिया के कई प्रकार सेवा के हैं तो भिन्न भिन्न प्रकार से आवाज फैलता रहे। सम्बन्ध-सम्पर्क में लाते रहो। तो मीडिया डिपार्टमेंट को भी बापदादा जितना किया है अच्छा किया है मुबारक दे रहे हैं। बापदादा तो सुनके खुश के देख करके खुश होते हैं क्योंकि तरस पड़ता है दु:खी आत्माओं का दु:ख देखकर तरस पड़ता है। फिर भी बच्चे हैं ना सगे है या लगे हैं लेकिन हैं तो बच्चे इसलिए और प्लैन बढ़ाते चलो। अच्छा।
कल्चरल विंग:- कल्चरल और कल्चर दोनों मिलते हैं। तो कल्चरल द्वारा कल्चर बन जाए यही सेवा कर रहे हैं। बापदादा हर एक वर्ग का उमंग उत्साह देखते भी हैं हर एक अपने अपने विधि से सेवा को बढ़ा तो रहे हैं लेकिन अभी निमित्त कल्चरल है लेकिन बनाना क्या है? कल्चर। जब मनुष्य आत्माओं का कल्चर बदल जायेगा तो अभी तो आप कल्चरल दिखाते हो लेकिन कल्चर बदलने से वह भी अपने कार्य में रहते खुशी की डांस शुरू कर देंगे। जैसे आप डांस करके दिखाते हो ना तो कहाँ भी रहे कुछ भी करें लेकिन मन में खुशी का डांस करें। घर-घर में डांस हो। लक्ष्य तो अच्छा है और लक्ष्य को लेके सेवा को बढ़ाते भी चलते हो लेकिन बाबा चाहता है अभी देखना चाहता है कौन कंगन तैयार करके लाता है। कौन सा वर्ग इसमें चाहे नम्बरवन होवे चाहे नम्बरवन में सहयोगी हो। अभी कुछ नवीनता चाहता है क्योंकि बीज डाला है। सभी वर्गो ने बीज तो अच्छा डाला है लेकिन अब फल दिखाई दे। कम से कम 9 लाख से और बढ़ना चाहिए ना। तो अच्छा है सभी बच्चे भिन्न-भिन्न वर्ग के कारण जिम्मेवार तो बने हैं। अटेन्शन भी गया है अभी वृद्धि थोड़ा जल्दी करो कयोंकि समय की पुकार बहुत है दु:ख अशान्ति बहुत बढ़ रही है भय बढ़ रहा है। और आप खुशी की डांस करो भयभीत से बचाओ। अच्छा है। हर एक सेवा के क्षेत्र में बिजी भी रहता है यह भी अच्छा है। इसी-लिए बढ़ते चलो अपने साथियों को जो कल्प कल्प वाले हैं उन्हों को ढूंढके निकालो। अच्छा। बहुत अच्छा है और अच्छा रहेगा और बढ़ता रहेगा।
इन्टरनेशनल यूथ और चिल्ड्रेन रिट्रीट चल रही है:- बच्चों को आगे करो। बापदादा ने बच्चों का भी समाचार सुना, अच्छा है अगर बच्चे स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन के लिए तैयार हो रहे हैं तो बापदादा को खुशी है कि बच्चे सुभान अल्ला बच्चे हैं। लेकिन जो वायदा किया है ना, बापदादा ने देखा है जो लिखा है, जो कमल का फूल बनाया है वह आगे दिखाओ। गवर्मेन्ट भी यूथ ग्रुप को परिवर्तन करते हुए देखना चाहती है क्योंकि यूथ में एक विशेषता होती है, यूथ ग्रुप जो चाहे, अगर मन से संकल्प करे, तो कर सकती है। चाहे उल्टे में लग जाये, चाहे सुल्टे में लेकिन आप यूथ ग्रुप कमाल करने वाले हो। धमाल नहीं, कमाल। तो गवर्मेन्ट भी यूथ ग्रुप पसन्द करती है और बाप के आगे अपने वायदे भी इस कमल पुष्प के अन्दर अच्छे लिखे हैं अभी इन वायदों को, परिवर्तन को सदा अमृतवेले बापदादा से रूहरिहान करते, बापदादा को रिजल्ट सुनाते रहना और जिस भी सेवास्थान पर हो वहाँ अपने टीचर को वायदा और फायदा, जो वायदा किया, उसका फायदा कितना है वह रिजल्ट देते रहना। टीचर्स बापदादा के पास आपेही पहुंचाती रहेंगी। बाकी बापदादा ने सुना तो ट्रेनिंग की रूपरेखा बहुत अच्छी बनाई है और सबने रूचि से किया, इसके लिए यूथ ग्रुप को बापदादा पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। पक्के रहना, कच्चा नहीं बनना। कच्चा होता है तो उसको चिæडिया खा जाती है, पक्के को नहीं खाती है। तो सदा उड़ते रहना, फरिश्ते बनके। इस देह रूपी धरनी पर पांव नहीं रखना, उड़ते रहना। अच्छा है, कुमारियां भी हिम्मत वाली हैं। भट्ठी करने वाले नहीं, भट्ठी में जो सुना वह करके दिखाने वाले। ऐसे हो ना। हाथ उठाओ जो करके दिखायेगा। करके दिखाने वाले, अच्छा। बहुत अच्छा। जैसे फारेन कहते हैं ना वैसे फौरन करने वाले। बापदादा खुश है। बच्चों के ऊपर भी खुश है। बच्चों ने भी अपने उमंग उत्साह से समय भी दिया है और प्रॉमिस भी किया है। अच्छा। मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
डबल विदेशी:- डबल तीव्र पुरूषार्थी। अभी डबल फारेनर नहीं डबल तीव्र पुरूषार्थी। डबल फारेनर्स की विशेषता है वह हाथ में हाथ देके ज्यादा चलते हैं। तो आप सभी ने बापदादा को पक्का हाथ में हाथ देना अर्थात् साथी बनाना फ्रैंण्ड बनाना लवली फ्रैंण्ड तो फ्रैंण्ड बनाया है? फ्रैंण्ड का नाता जल्दी याद आता है कोई भी मुश्किल आती है ना तो बाप को नहीं बतायेंगे फ्रैंण्ड को बतायेंगे तो आपने खुदा को दोस्त बनाया है। है ना खुदा दोस्त है! अच्छा है बापदादा को फारेनर्स को देख खुशी होती है क्योंकि कारण क्या है? बाप का एक नाम फारेन वालों ने सिद्ध किया विश्व पिता विश्व कल्याणकारी। पहले भारत कल्याणकारी थे लेकिन विदेश ने बाप का विश्व कल्याणकारी नाम प्रत्यक्ष किया है। पहले विश्व की सेवा सिर्फ मन्सा द्वारा करते थे अभी निमित्त बने हैं विश्व की सब तरह से सेवा करने के। और देखो कोने-कोने में बिछुड़े हुए बच्चे कितने वाह वाह! बच्चे निकल आये। और आपको नशा होगा तो हम हर कल्प के साथी हैं। थे भी हैं भी और होंगे भी। है ना! नशा है ना! देखो बाप की नज़र आपको कोने कोने में होते भी पहचान लिया बाप ने भी पहचाना आपने भी पहचाना। लोग बिचारे आयेगा आयेगा आयेगा करते और आप क्या कहते? आ गये। गीत गाते हो ना मेरा बाबा आ गया। तो बहुत अच्छा सबको बाप दिल का दुलार यादप्यार और दिल की दुआयें विशेष दे रहे हैं। अच्छा सिन्धी ग्रुप भी आ गया है। बापदादा विशेष आप दोनों को मुबारक दे रहे हैं कि निमित्त बन अभी फास्ट चलने का संकल्प अच्छा किया है तो विशेष मुबारक मुबारक हो। अभी फास्ट ही रहना ढीला नहीं बनना एक दो को मदद करके उड़ना। हाँ ताली बजाओ। इस एक वर्ष में कितने बार आये हो आये हो ना अच्छा लगा। अभी औरों को भी निमित्त बनाओ क्योंकि बापदादा सिन्ध में आया है तो सिन्ध वालों को तो आगे होना चाहिए।
अच्छा - आज तो 12 बजाना है ना। आप सभी भी 12 का इन्तजार कर रहे हो। अच्छा है। बाप के साथ बच्चों का मिलना वा मनाना कितना अच्छा है। अच्छा।
जो पहली बारी आये हैं वह उठकर खड़े हो जाओ। तो पहली बारी आने वालों को अपना जन्म दिन मनाने की मुबारक हो। अभी जैसे पहले बारी आये हो ऐसे ही नम्बर भी पहला लेना है। बापदादा का वायदा है कि भले अभी लास्ट में आये हैं लेकिन अभी लेट का बोर्ड लगा है टूलेट का नहीं लगा है। तो कोई भी लास्ट इज फास्ट और फास्ट इज फर्स्ट ले सकते हो। यह नहीं समझो तो हम तो बहुत देरी से आये हैं लेकिन अगर अभी भी डबल तीव्र पुरूषार्थ लक्ष्य और लक्षण दोनों समान बनायेंगे लक्ष्य ऊंचा और लक्षण कम तो फर्स्ट नहीं हो सकते। लेकिन अगर लक्ष्य और लक्षण समान बनाते चलेंगे तो आप एक्जैम्पुल बन सकते हो लास्ट और फर्स्ट का। इसीलिए पुरूषार्थ का लक्ष्य रखो। फिर अगर टूलेट का बोर्ड लग गया तो फर्स्ट नम्बर नहीं आ सकेंगे। बापदादा खुश है फिर भी हिम्मत रखकर उमंग उत्साह से सम्मुख पहुंच गये। और अभी भी सदा कहाँ भी रहो लेकिन मर्यादापूर्वक चलते चलो और बाप के दिल के समीप रहो तो बहुत थोड़े समय में भी अनुभव कर सकते हो। अभी गोल्डन चांस है कोई भी कर सकता है। चाहे भारत में हैं चाहे विदेश में हैं। तो समझा डबल ट्रिपल पुरूषार्थ करना पड़ेगा। सदा बाप के साथ कम्बाइन्ड रहना पड़ेगा। कोई भी मुश्किल आये बोझ आवे तो बाप को देने आता है तो बेफिकर बादशाह बन उड़ते रहेंगे। दिल में बोझ नहीं रखो। कई बच्चे कहते हैं एक मास हो गया है 15 दिन हो गये हैं चलता ही रहता है और उस 15 दिन में अगर आपका काल आ जाए तो? उसी समय बोझ बाप को दे दो देना आता है? देना जरूर सीखो। लेना तो आता है देना भी सीखो। तो क्या करेंगे? देना सीखा है? बापदादा आया ही किसलिए है? बच्चों का बोझ लेने के लिए। कौन है जो इतनी हिम्मत रखता है वह हाथ उठाओ। शरीर का हाथ उठा रहे हो या मन का हाथ उठा रहे हो? मन का हाथ उठाना। अच्छा। बापदादा ऐसे बच्चों को पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।
इस वर्ष का होमवर्क बापदादा ने दे दिया है। वर्ष को इस विधि से मनाना। और बापदादा ने जो इस तारीख के लिए होमवर्क दिया था वह भी बापदादा ने देखा और सुना। सिर्फ जो संकल्प किया है उसमें दृढ़ रहना। अलबेलापन नहीं लाना। बापदादा ने सुनाया था अलबेलेपन के शब्द कौन से हैं? एक गे गे और दूसरा तो तो... करना तो है यह दोनों शब्द अल-बेलेपन के हैं। तो जो भी संकल्प किया है उसमें अभी तो अपनी साइन की है लेकिन उसमें दृढ़ संकल्प की गवर्मेन्ट की स्टैम्प लगाना जो कोई नहीं मिटा सकता। दृढ़ता अपने जन्म का सबसे बड़ा गिफ्ट समझना। अच्छा।
सदा दृढ़ता सफलता की चाबी को सम्भालके रखना क्योंकि यह चाबी माया को भी बहुत प्यारी है। इसीलिए दिल की डिब्बी में इस चाबी को सम्भालके रखना। दृढ़ता ही सफलता की चाबी है और सफलता बाप के समान बनने का सहज साधन है। सदा निश्चय और निश्चित भावी है स्वराज्य अधिकारी और विश्व राज्य अधिकारी यह दोनों निश्चित है। ऐसे नशे में फखुर में सदा उड़ते रहो। इस वर्ष की जैसे आज विदाई और बधाई मनायेंगे ना ऐसे रोज़ अपने अन्दर की कम-जोरियों को विदाई दो और बापदादा से विशेष बधाईयां लो। यह संगमयुग विदाई और बधाई का है। तो संगमयुग का हर दिन बधाईयों के पात्र बनते जाओ। बापदादा को हर बच्चा दिल का दुलारा है। चाहे नम्बरवार है नम्बरवन नहीं है लेकिन नम्बरवार है तो भी बापदादा का हर कल्प का सिकीलधा बच्चा है इसीलिए अपने सिकीलधे बनने के भाग्य को सदा याद रखो। छोटी सी बात है सिर्फ कोई भी मुश्किल आवे दिल से आर्डर करो मेरा बाबा बाप अवश्य बंधा हुआ है लेकिन दिल में और बातें नहीं रखना मेरा बाबा भी कहो और दिल में कमज़ोरी भी हो तो बाप सहयोग नहीं देगा। दिल साफ मुराद हांसिल। किचड़े वाली दिल में बाप नहीं आता। और स्नेह से याद करो। सिर्फ ज्ञान के आधार से याद नहीं करो सुनाया था ज्ञान है बीज और स्नेह है पानी। सिर्फ ज्ञान से जाना लेकिन दिल के प्यार का अनुभव नहीं किया प्यार से बाप को याद नहीं किया तो प्रैक्टिकल फल नहीं निकलता अर्थात् अनुभव नहीं होता। अनुभवी स्वरूप है फल लेकिन पानी नहीं देते तो सूखा गन्ना हो जाता। भले कोर्स कराओ भाषण करके आओ और इनाम भी लेके आओ दिन में चार चार भाषण करो लेकिन दिल का स्नेह नहीं क्योंकि बाप से दिल के स्नेह की निशानी है हर ब्राह्मण परिवार से भी स्नेह। स्नेह नहीं तो माया के विघ्न ज्यादा आते हैं क्योंकि पानी डाला ही नहीं तो फल कैसे मिलेगा। कई बच्चे कहते हैं ज्ञान तो समझ गये हैं बाबा से सर्व संबंध भी हैं लेकिन अनुभव नहीं होता। अनुभव है फल सूखा ज्ञानी नहीं बनो स्नेही बाप का स्नेही परिवार का स्नेही स्वत: ही बन जाता है क्योंकि बाप समान है ना। तो बाप का लास्ट बच्चे से भी दिल का प्यार है। हर एक को स्नेह की वृत्ति से देखते। तो सिर्फ ज्ञानी नहीं बनो भाषण वाले नहीं भासना स्वरूप बनो। अपने आपसे पूछो बाप से दिल का स्नेह है? कि जिस समय आवश्यकता है उस समय का स्नेह है! वह हो गये ज्ञानी भक्त। तो इस वर्ष क्या करेंगे? स्नेह का वायुमण्डल एक एक को देखके चाहे कमज़ोर है लेकिन पुरूषार्थी तो है ना! परिवार का तो है ना। गिरे हुए को गिराओ नहीं उमंग-उत्साह बढ़ाओ। स्नेह का वायुमण्डल बनाओ। अच्छा।
यादप्यार तो बापदादा ने चारों ओर के बच्चों को दे ही दिया है। चारों ओर के बच्चे अब बापदादा के होमवर्क को प्रैक्टिकल में करके सबूत देने वाले सपूत बच्चे का अपना प्रभाव दिखायेंगे। तो चारों ओर के बच्चों को बहुत-बहुत दिल का दुलार और दिल की पदमगुणा यादप्यार स्वीकार हो। और ऐसे लायक बच्चे श्रेष्ठ बच्चों को बापदादा का नमस्ते।
दादियों से:- बहुत प्यार भी है और उम्मीदें भी हैं जो चाहे वह कर सकते हो। जैसे आप सबकी दादी निमित्त बनी ना। कोई कहे ना कहे लेकिन निमित्त पालना के बनी तो आटोमेटिक याद आती है। बापदादा की तो बात छोड़ो लेकिन दादी तो आप जैसे ही थी। लेकिन करके दिखाया। सबसे बड़ा पेपर दादी ने ब्रह्मा बाप के अव्यक्त होने के टाइम दिया। ऐसे वायुमण्डल अचानक और इतनी हिम्मत रखना और सभी को मददगार बनाना यह तो कमाल की ना। भले साथ तो सबने दिया लेकिन निमित्त तो बनी। दादी की विशेषता क्या रही? दिल साफ मुराद हांसिल। किसी की भी बात दिल में नहीं रखी। और अलबेलापन देखते भी उसको उमंग दिलाया। अलबेला है छोड दो नहीं। हिम्मत दिलाई। तो सभी के दिल से निकलता है मेरी दादी। दिल से कहते हैं ना सभी मेरी दादी। इसलिए आप लोग भी ग्रुप बनाओ जो लक्ष्य रखे चलो बाप समान तो बनना ही है लेकिन कम से कम दादी के समान भासना दे। ऐसा ग्रुप चाहिए। एक नहीं। एक दो के साथी बन ऐसा प्रत्यक्ष स्वरूप दिखाना। फिर बापदादा उस ग्रुप को विशेष गिफ्ट देंगे। क्या देंगे वह नहीं बतायेंगे। लेकिन देंगे। लेना ही है। ऐसी रूहरिहान करो। मीटिंग करते हैं वह भी जरूरी है लेकिन ऐसे उमंग उत्साह की रूहरिहान भी करो तभी ठीक है। ग्रुप बनाना ही है। जैसे देखो यह 6-7 अपना टाइम निकालके अन्तर्मुखी रही ना (बहनों ने भट्ठी की थी) निकल गया ना टाइम प्रैक्टिकल करके दिखाया ना। तो क्या नहीं हो सकता। और उसका प्रभाव भी है प्रैक्टिकल में सबूत भी है। तो यह जरूरी है। आप तो (दादी जानकी से) रूहरिहान करने में होशियार हैं। एक दो के सहयोगी तो हैं ही। मतलब कुछ नवीनता करके दिखाओ जैसे चल रहा है वैसे चल रहा है नहीं। इससे समय समीप आयेगा। अभी देखो भय में भी चिल्ला रहे हैं लम्बा कर रहे हैं जो करना है कर लेवे नहीं कोई न कोई कारण बनके ठण्डा हो जाता है। इसलिए यह करना है यह साल शुरू होगा तो प्लैन बनाना।
दादी जानकी ने बापदादा को अंकल आंटी की याद दी:- जैसे बापदादा ने आज कहा ना वी.आई.पी हो माइक भी हो और वारिस भी हो ऐसा प्रैक्टिकल निमित्त बना और परिवार का भी कल्याण किया और रत्न भी ऐसे निकाले।
बड़े भाईयों से:- एक अकेला ब्रह्मा बाप ने कमाल करके दिखाई ना। तो आप तो कितने हो। हो जायेगा हुआ पड़ा है सिर्फ निमित्त बना रहे हैं। निमित्त बनने वाले को ही प्राप्ति होती है विशेष। साधारण तो सबको होती है लेकिन जो निमित्त बनता है उसको विशेष प्राप्ति होती है। तो इन्हों को (दादियों को) कहा है आपस में रूहरिहान करो। मीटिंग भले करो लेकिन रूहरिहान भी करो। टाइम निकालना पड़ेगा वह तो चलता ही रहेगा। अपने टाइम को सेट करना पड़ेगा। अच्छा
2008 की विदाई 2009 की बधाई - रात्रि 12 बजे के बाद बापदादा ने सभी बच्चों को नये वर्ष की बधाईयां दी:-
सभी ने नया वर्ष मनाया और इस साल का हर दिन स्व-परिवर्तन और विश्व परिवर्तन के रूप से मनाते रहना। हर दिन नया परिवर्तन। हर दिन नई सेवा हर दिन सदा उमंग और उत्साह एक दिन भी चिंता चिंतन का नहीं हमेशा उमंग उत्साह से दिन और रात बिताना इस नये वर्ष में हर दिन कुछ न कुछ नया स्व के प्रति या विश्व के प्रति सेवा के प्रति करना ही है ऐसा दृढ़ संकल्प कर समय को समीप लाते हुए सम्पूर्ण बाप समान बन उड़ना है और उड़ाना है। गुड नाइट। अच्छा।
18-01-09 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘40 वर्ष की अव्यक्त पालना का रिटर्न - 4 बातें - शुभचिंतक बनो शुभचिंतन करो शुभ वृत्ति से शुभ वायुमण्डल बनाओ तथा (0) जीरो और हीरो की स्मृति में रहो’’
आज बापदादा चारों ओर के अपने सेवा के साथी बच्चों से मिलने आये हैं। आदि सेवा के साथी और साथ में और भी सेवा के साथी बन बहुत अच्छी सेवा की वृद्धि कर रहे हैं तो बापदादा अपने साथियों को देख खुश हो रहे हैं। और दिल में गीत गा रहे हैं वाह! मेरे विश्व परिवर्तन सेवा के साथी वाह! आज अमृतवेले से चारों ओर स्नेह की मालायें बापदादा को डाल रहे थे। तीन प्रकार की मालायें थी एक थी बाप समान बनने के उमंग-उत्साह की दूसरी थी अति बिछुडी हुई बंधन वाली बांधेली गोपिकाओं की उन्हों की मालायें तो थी लेकिन चमकते हुए अति अमूल्य आंसुओं की माला भी थी। एक-एक आंसू मोती समान चमक रहे थे और तीसरी माला कुछ-कुछ बच्चों की उल्हनों की थी।
आज अमृतवेले से लेके सभी में विशेष स्नेह समाया हुआ दिखाई दे रहा था। बापदादा ने विराट रूप जैसे बांहें पसार सब बच्चों को बांहों में समा लिया। वैसे आज का दिन स्नेह के साथ सर्व पावर्स की विल देने का भी था। एक बच्ची को हाथ में हाथ मिलाके विल पावर्स की विल सभी बच्चों को शक्ति सेना और पाण्डव, कई बच्चे पाण्डव भी और शक्तियां भी, बापदादा ने देखा, गुप्त रूप से अन्तर्मुखी बन पुरूषार्थ में तीव्र गति से चल रहे हैं। बाहर से दिखाई नहीं देते हैं लेकिन पुरूषार्थी अच्छे हैं। बापदादा ने देखा आज का विशेष रूप स्नेह का सबजेक्ट सभी के चेहरे चमका रहे थे। ज्ञानी तू आत्मा बच्चे तो हैं लेकिन स्नेह की सबजेक्ट आवश्यक है क्योंकि स्नेही मेहनत कम और मुहब्बत के अनुभव में सहज रहते हैं। स्नेह की शक्ति कैसी भी पहाड़ जैसी समस्या हो, पहाड़ को भी रूई बना देते हैं। पहाड़ को भी पानी जैसा हल्का बना देते हैं। स्नेह एक छत्रछाया है। छत्रछाया के कारण वह सदा सेफ रहता है। सहज होता है। स्नेह से परमात्मा वा भगवान को भी अपना दोस्त बना देते हैं। जो यादगार है खुदा दोस्त का। खुदा को दोस्त बनाके कोई भी समस्या दोस्ती के नाते से सहज कर देते हैं। बाप को अपना साथी बना देते हैं। ज्ञान बीज है, लेकिन प्रेम का पानी बीज में फल लगा देता है, प्राप्ति के फल। तो ऐसे बाप के स्नेही बच्चे बाप को याद करना मेहनत नहीं समझते हैं लेकिन भूलना मुश्किल समझते हैं। स्नेही कभी स्नेह को भूल नहीं सकता। मेरा बाबा कहा, दिल के स्नेह से और सर्व खज़ानों की चाबी मिल जाती है। तो दोनों बापदादा ऐसे स्नेही, जिनके आगे बापदादा भी हजूर हाजिर हो जाता है। याद तो सब करते हैं लेकिन कोई थोड़ी थोड़ी मेहनत से करते हैं और कोई सदा स्नेह के सागर में लवलीन रहते हैं। दुनिया वाले कहते हैं आत्मा परमात्मा में लीन हो जाती लेकिन आत्मा परमात्मा के प्यार में लव लीन हो जाती है। लीन नहीं होती लवलीन होती।
तो आज का दिन मुहब्बत में लवलीन का है। मेहनत समाप्त हो मुहब्बत के रूप में बदल जाती है। तो बापदादा ने सभी बच्चों की रिजल्ट भी देखी, होमवर्क मैजारिटी ने किया है। बाप समान बनने का लक्ष्य बार-बार रिवाइज भी किया, रियलाइज़ भी किया। 75 परसेन्ट बच्चों की रिजल्ट अच्छी रही। और यह बाप समान बनना ही है, कुछ भी तूफान आये, है ही कलियुग का समाप्ति का समय, तो तूफान तो आयेंगे, परिवर्तन का समय है ना, लेकिन आप बच्चों के लिए तूफान क्या है!तूफान, तूफान नहीं लेकिन तोहफा है क्योंकि बापदादा के वरदान का हाथ सभी पुरूषार्थी बच्चों के माथे पर है। जिन्होंने दृढ़ संकल्प अर्थात् दृढ़ता की चाबी कार्य में लगाई उन्हों की अभी की रिजल्ट प्रमाण सफलता भी प्राप्त की है लेकिन सदाकाल के लिए तूफान को तोहफा बनाए, समस्या को समाधान रूप दे आगे बढ़ते चलो। तो बापदादा अभी की रिजल्ट में खुश है। जो योग तपस्या की है उसमें लक्ष्य दृढ़ रखा है, बनना ही है।
40 वर्ष अव्यक्त पालना के पूरे हुए हैं। तो 40 वर्ष में पहले क्या आता - बिन्दू, जीरो। तो जीरो याद दिलाता कि मैं हीरो, सच्चा हीरो, महान हीरो हूँ और हीरो पार्टधारी बन हर कार्य हीरो समान करना है। तो जीरो, हीरो यह सदा याद रहे और बाकी जो चार हैं, उसमें चार बातें नेचुरल जीवन में करनी है, दृढ़ता पूर्वक करनी हैं, करेंगे? तैयार हैं? कुछ भी पेपर आवे लेकिन चार बातें अपने जीवन में करनी ही है। पक्का? पक्का? पक्का? पीछे वाले, पक्के हैं ना! कच्चे को माया खा जाती है इसीलिए पक्का रहना। एक बात - सदा शुभचिंतक, कोई की कमज़ोरी देख वा सुन रहमदिल बन शुभ चिंतक बन उनको सहयोग देना ही है। कमज़ोरी को नहीं देखना है लेकिन सहयोग देना ही है। इसको कहते हैं शुभ चिंतक। पक्का रहेगा ना! सहारे दाता, रहमदिल बन सहयोग दो। उससे किनारा या घृणा नहीं करना, क्षमा करना। परवश के ऊपर कभी घृणा नहीं की जाती है। सहारा दिया जाता है। तो शुभ चिंतक और दूसरा है शुभ चिंतन। आजकल बापदादा देखते हैं - मैजारिटी बच्चों में कभी-कभी व्यर्थ संकल्प बहुत चलता है, इसमें अपनी जमा हुई शक्तियां व्यर्थ चली जाती हैं, इसलिए शुभ चिंतन की, स्वमान का कोई न कोई अपना टाइटिल मन को होमवर्क दे दो, मन का टाइमटेबल बनाओ, कर्म का तो टाइमटेबल बनाते हो लेकिन मन का टाइमटेबल बनाओ। स्वमान, अमृतवेले मिलन मनाने के बाद मन को दे दो लेकिन जैसे सुनाया है कि 12-13 बारी सभी को टाइम मिलता है, उसमें रियलाइज भी करो, रिवाइज भी करो तो मन बिजी रहने से व्यर्थ संकल्प में समय नहीं जायेगा, मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, हर समय संगमयुग जो मौज का युग है, उसी मौज में रहेंगे। तो दूसरा सुनाया - शुभचिंतन। चेक करो और चेंज करो। तीसरा है - शुभ वृत्ति। अशुभ वृत्ति वायुमण्डल भी अशुद्ध फैलाती है इसीलिए शुभ वृत्ति। और चौथा है हर एक को यह जिम्मेवारी लेनी है कि मुझे, मेरा काम है खास, दूसरे को नहीं देखना है, मेरा काम है शुभ वायुमण्डल बनाना। जैसे कभी भी वायुमण्डल में बदबू होती है तो क्या करते हो? खुशबू फैलाते हो ना! बदबू सहन नहीं होती, कोई न कोई खुशबू का साधन अपनाते हो, ऐसे साधारण वायुमण्डल वा अशुभ वायुमण्डल बदलना ही है। चाहे छोटा है, चाहे नया है, लेकिन सबकी जिम्मेवारी है। दृढ़ संकल्प करना है मुझे शुभ वायुमण्डल बनाना ही है। यह प्रतिज्ञा प्रत्यक्षता करेगी। प्रतिज्ञा करते हो, बापदादा खुश होता है लेकिन प्रतिज्ञा में कभी-कभी दृढ़ता नहीं होती है इसीलिए सफलता जो चाहते हो, जितनी चाहते हो उतनी नहीं होती। सारे विश्व का, प्रकृति का, आत्माओं का, आत्माओं में ब्राह्मण आत्मायें भी आ जाती हैं, हर एक अपने सेवास्थान का ऐसा वायुमण्डल दृढ़ता से बनाओ, कुछ त्याग करना पड़े तो कर लो, त्याग करे तो मैं करूं, नहीं। सिस्टम ठीक हो तो... तो तो नहीं करो। मुझे तो करना ही है। विश्व परिवर्तक स्वमान है ना! सभी विश्व परिवर्तक हो ना! हाथ उठाओ। अच्छा विश्व परिवर्तक। बहुत अच्छा। तो पहले बापदादा देखने चाहते हैं, है भी होगा भी लेकिन इस वर्ष में बापदादा छोटे या बड़े सेवाकेन्द्र का चक्कर लगावे तो वायुमण्डल कैसा हो? जैसे आज का दिन स्नेह और शक्ति का है, ऐसे गांव-गांव का सेन्टर, बड़ा सेन्टर का वायुमण्डल चैतन्य मन्दिर हो। निगेटिव को पॉजिटिव बनाना इसमें पहले मैं। पहले आप नहीं करना, पहले मैं, क्योंकि बापदादा और एडवांस पार्टी और आजकल तो प्रकृति भी इन्तजार कर रही है। इन्तजाम करने वाले आप हो, आपको इन्तजार नहीं करना है, इन्तजाम करना है।
आज चारों ओर भय फैला हुआ है, सबके दिल में एक ही संकल्प है मैजारिटी दुनिया वालों के, कल क्या होगा!आपको पता है कल क्या होगा! तो परिवर्तन करने में पहले मैं निमित्त बनूंगा, यह संकल्प कौन करता है? इसमें हाथ उठाओ। करना पड़ेगा। करना पड़ेगा। बदलना पड़ेगा। रक्षक बनना पड़ेगा। कुछ छोड़ना पड़ेगा और प्यार लेना पड़ेगा। मन का हाथ उठाया या यह हाथ उठाया! किसने मन का हाथ उठाया। क्योंकि मन बदला तो विश्व बदला। तो इस वर्ष में क्या स्लोगन होगा? क्या स्लोगन होगा? ‘‘नो प्राबलम’’। विजय का झण्डा दिल में लहरेगा। और सभी खुशी की डांस सदा मन में करेंगे, मन की डांस है खुशी। तो हर समय खुशी की डांस करेंगे। और दाता के बच्चे हो तो जो भी आवे हर एक को कोई न कोई गुण की गिफ्ट दो। तो एक सेकण्ड में वह दृढ़ संकल्प, दाता का संकल्प लिफ्ट बन जायेगा और सेकण्ड में परमधाम, सूक्ष्मवतन, स्थूल मधुबन साकार वतन, जहाँ चाहेंगे वहाँ बिना मेहनत के सेकण्ड में पहुंच जायेंगे। कोई भी सामने आये उसको खाली हाथ नहीं भेजना, कोई न कोई गुण की, चेहरे से, चलन से, मुख से गुण की सौगात के बिना नहीं मिलना।
तो इस वर्ष का हर मास रिजल्ट अपने पास भी रखना और यज्ञ में टीचर द्वारा ओ.के. का कार्ड भेजना, लम्बा पत्र नहीं भेजना, ओ.के. का कार्ड भेजना। कार्ड भी लम्बा नहीं भेजना, जो दुनिया में कार्ड चलता है वह नहीं, टीचर द्वारा जो वरदान का कार्ड मिलता है वह भेजना। गुणों की सौगात, शक्तियों की सौगात कितनी है? लिस्ट गिनती करो तो कितनी बड़ी लिस्ट है। और जितना देंगे उतनी कम नहीं होगी बढ़ती जायेगी। जैसे कहते हैं ना छू मन्त्र, तो यह शिव मन्त्र कभी कोई गुण आपसे कम नहीं होगा, और ही बढ़ेगा क्योंकि कहावत है दे दान छूटे ग्रहण। अच्छा।
इस बारी जो पहले बारी आये हैं वह उठके खड़े हों। अच्छा है - (एम.पी. के राज्यपाल सामने बैठे हैं) इस संगठन में पधारे हो, अच्छा है। बापदादा आप सभी को, आने वालों को यह वरदान दे रहे हैं कि सदा बाप से गुडमॉर्निंग और गुडनाइट जरूर करना। क्योंकि पहले-पहले आंख खुलते ही बाप को देखेंगे तो सारा दिन अच्छा होगा। तो पहले बारी आने वाले बच्चों को बापदादा का पदमगुणा यादप्यार और बधाई हो। अच्छा। आज टर्न किसका है?
सेवा का टर्न इन्दौर ज़ोन का है:- अच्छा निशानी अच्छी रखी है (सबके हाथ में कमल का फूल है) अच्छा। इन्दौर कहेंगे ना इसको इन्दौर का अर्थ क्या है? इन डोर अर्थात् अन्तर्मुखी। यह जो निशानी रखी है इस निशानी अनुसार सदा कमल पुष्प समान न्यारे और बाप के प्यारे। अन्तर्मुखी सदा सुखी। अन्तर्मुखी सदा बाप के दिलतख्तनशीन हैं। अन्तर्मुखी सदा सर्व के प्यारे होते हैं। अच्छा अन्दाज भी काफी आया है मुबारक हो। यज्ञ सेवा का गोल्डन चांस मिलना यह बहुत बड़ा पुण्य जमा करने का है हर कदम यज्ञ सेवा करना अर्थात् अपना पुण्य जमा करना। तो इन 10-15 दिन में हर कदम सेवा किया तो कितने पदम बने? यज्ञ सेवा महान सेवा है। और बापदादा ने देखा है कि जो भी ज़ोन यह गोल्डन चांस लेता है वह बहुत सिक व प्यार से सेवा करते हैं। रिजल्ट वेरी गुड होती है। तो आप सबकी भी रिजल्ट अच्छी है और अच्छे ते अच्छी रहेगी। अभी यह बात याद रखना कि मैं कौन! कमल। कमल जल में रहते न्यारा रहता वैसे कोई भी समस्या या कोई भी वायुमण्डल में रहते न्यारा और प्यारा क्योकि समय तो दु:ख का है भय का है लेकिन आपके लिए सदा मन में खुशी के नगाड़े बजते रहते हैं। सदा खुश रहते हो ना! हाथ उठाओ। खुशी को नहीं छोड़ना। खुशी गई तो जीवन बेकार। नीरस जीवन अच्छी नहीं। इसलिए सदा खुश रहना है रहना है ना और खुशी बांटनी है। इतनी खुशी हो जो बांटों भी और खुश रहो भी क्योंकि बाप का ब्राह्मण बच्चा बनना अर्थात् खुशनसीब बनना खुशकिस्मत बनना। अपना खुशनसीब का टाइटिल सदा याद रखना क्योंकि बाप मिला अर्थात् सर्व प्राप्तियों का भण्डार मिला। तो कहावत है भण्डारा भरपूर सब दु:ख दूर तो क्या करेंगे! खुश ही रहेंगे ना! अच्छी सेवा भी कर रहे हो। सेवा करना अर्थात् वरदान प्राप्त करना। तो सेवा में सफलतामूर्त हैं ना! कांध हिलाओ। टीचर्स सफलतामूर्त हैं ना! कहो सफलता तो हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। बोलो। सफलता हमारे गले का हार है। अच्छा।
मेडिकल विंग:- अच्छा मेडिकल और मेडीटेशन दोनों का ग्रुप है क्योंकि डबल डाक्टर हैं ना मेडीटेशन द्वारा बाप से मिलाना और मेडिकल द्वारा दु:ख दूर करना। टैम्प्रेरी है लेकिन करते तो है ना। जैसे बाप दु:ख हर्ता है ना तो डाक्टर्स या मेडिकल डिपार्टमेंट भी थोड़े समय के लिए पेशेन्ट का दु:ख तो दूर कर देते हैं। लेकिन अभी तो आप सभी उसको मेडीटेशन सिखाके यह भी पुण्य कमाने वाले मेडिकल डिपार्टमेंट हो। सभी डबल सेवा करते हो। हाथ उठाओ जो डबल सेवा करते हैं डबल डाक्टर हैं। सिंगल डाक्टर तो बहुत हैं लेकिन आप डबल सेवाधारी डबल काम करने वाले हो। बापदादा को अच्छा लगा। इस सेवा द्वारा भी कई खुश होंगे खुशनसीब बनेंगे। बापदादा ने देखा कि यह बाम्बे की हॉस्पिटल भी बहुत सेवा के निमित्त है। आबू की तो पहले ही है लेकिन वह बीच में शहर में होने कारण ज्यादा सेवा करने का चांस है। अच्छा कर रहे हो और आगे बढ़ते रहेंगे आगे बढ़ने का चांस और वरदान दोनों है। अच्छा है। अभी नया प्लैन बनाया है ना कोई। बनाया है? अच्छा बनाते चलो परिवर्तन विश्व का करते चलो उड़ते चलो और उड़ाते चलो। अच्छा।
यूथ ग्रुप:- आजकल की गवर्मेन्ट का भी युवा के लिए बहुत उमंग है संकल्प है क्योंकि युवा की विशेषता है जो चाहेगा जो सोचेगा वह करके ही दिखाता है। युवा की डबल शक्ति है शारीरिक भी और मन की भी। युवा संगठित होके जो चाहे वह कर सकते हैं पाण्डव गवर्मेन्ट भी देख रही है कि युवा चारों ओर खास अपने स्कूल साथियों की सेवा अच्छी कर रहे हैं। बापदादा के पास युवा वर्ग की रिपोर्ट आती रहती है। अभी एडीशन यह करो कि इस वर्ष में जो भी ब्राह्मणों की मर्यादायें हैं एक एक मर्यादा को पूर्ण रीति से मन्सा से वाचा से कर्मणा से और सम्बन्ध-सम्पर्क से चारों ही रूप में पालन करने वाला हो - ऐसा ग्रुप तैयार करो इस वर्ष में कोई भी मर्यादा भंग न हो। ऐसा ग्रुप बनाओ आपस में बनाओ। जो ओटे सो अर्जुन। पसन्द है? कौन करेगा? आप करेंगे? हाथ उठाओ। करेंगे? सभी युवा करेंगे? कितने हैं? (400) आपस में ग्रुप ग्रुप में पक्का करो फिर गवर्मेन्ट को दिखायेंगे कि यह मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। गवर्मेन्ट भी चाहती है लेकिन कर नहीं पाती है आप करके दिखाओ। एक्जैम्पुल बनके दिखाओ। होमवर्क मिल गया ना। बापदादा यही चाहते हैं कि चारों ओर के ब्राह्मण आत्मायें इस वर्ष में कमाल करके दिखायें। व्यर्थ संकल्प की धमाल भी नहीं हो। शुद्ध संकल्प इतना जमा करो जो व्यर्थ को आने का समय नहीं मिले। है ना खज़ाना। शुद्ध संकल्प का इतना खज़ाना इकठ्ठा है? है हाथ उठाओ। शक्तियां भी हैं अच्छा है शक्तियां भी एक्जैम्पुल बनें और पाण्डव भी एक्जैम्पुल बनें। अच्छा। बापदादा खुश है।
सिक्युरिटी विंग:- सिक्युरिटी वाले हैं आप भी डबल सिक्युरिटी वाले हो ना! एक तो जो हंगामा करने वाले हैं उनसे सिक्युरिटी करते हो दूसरे जो बिचारे चाहना रखते हैं कि हम सदा सुख में रहे शान्ति में रहे उनकी भी सिक्युरिटी करो उन्हों को मनमनाभव का मन्त्र देकर शिव मन्त्र देकरके कम से कम खुश रहें खुशी की सिक्युरिटी खुशी गंवायें नहीं यह सिक्युरिटी का रास्ता बताओ। तो डबल सिक्युरिटी करो तो कितनी आपको आशीर्वाद मिलेगी। दु:खी को सुखी करना गमगीन को खुश करना तो आशीर्वाद मिलेगी और ऐसा हर एक के घर को छोटा सा मन्त्र दो जो खुशी नहीं गंवाये हर घर में खुशी हो जितनी यह सेवा करेंगे तो डबल सिक्युरिटी वाले बन जायेंगे। फैलाओ। हर स्थान पर यह रेसपान्सिबिल्टी दो हैं तो सब स्थान वाले अपने देश में पहले यह सिक्युरिटी का काम करो गांव गांव बड़े बड़े स्थान खुशनुमा हो जायें। तो करेंगे? करेंगे? अच्छा।
अभी सभी सदा जो चार बातें सुनाई और पांचवा जीरो और हीरो सुनाया तो इन बातों का मनन करते हुए मग्न अवस्था में रहने वाले ब्राह्मण सो फरिश्ता आत्मायें देवता बनना तो आपका जन्म सिद्ध अधिकार है फरिश्ता सो देवता है ही तो सदा स्नेह के लव में लीन लवलीन रहने वाले सदा दृढ़ता के संकल्प की चाबी को मन में बुद्धि में स्मृति्ा में रखने वाले क्योंकि इस चाबी के पीछे माया बहुत चक्कर लगाती है। तो मन और बुद्धि से सदा समर्थ रहने वाले चारों ओर के बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
दादियों से:-(दादी जानकी से) चक्कर लगाकर आई बहुत अच्छा। जो कर रहे हैं बहुत अच्छा। बाबा को चित्र याद आया कि जगदम्बा बीच में खड़ी है झण्डा लहरा रहे हैं और पीछे सब शक्तियां साथ में खड़ी है। तो अभी वह चित्र बापदादा विश्व के आगे दिखाना चाहता है। सारे ब्राह्मणों से शक्ति सेना ऐसी तैयार करो जो निमित्त बनें चक्कर लगाते हुए वायुमण्डल को पावरफुल बनाये और दृढ़ संकल्प करे तो हम यह दृढ़ संकल्प रखते हैं कि हम वायुमण्डल को बदलके दिखायेंगे। यह झण्डा उठायें। ऐसा ग्रुप निकालो जो चक्कर लगाके वायुमण्डल को ठीक करे अपनी स्थिति वाणी और संग से। ऐसा ग्रुप तैयार करके दिखाओ। तो बापदादा को चित्र याद आया तो यह प्रैक्टिकल होना चाहिए। ऐसे नहीं कहना समय नहीं मिलता। कोई नहीं कहेगा समय नहीं मिलता। समय मिलेगा अगर शुभ भावना है तो ऐसा ग्रुप बापदादा को बनाके देना।
परदादी से: सेवा कर रही हो मन्सा सेवा से सकाश बहुत दे रही हो। सेवा में बिजी रहती हो।
कलकत्ता वालों ने फूलों का श्रृंगार किया है:- अच्छा हमेशा करते हैं।
(डाक्टर अशोक मेहता जी और योगिनी बहन से) दोनों ने हिम्मत अच्छी रखी और समय पर पहुंचाया (दादी गुल्जार को कल बाम्बे से मधुबन लेकर आये) इसकी मुबारक हो। जो ड्युटी दी वह की।
अव्यक्त बापदादा से –
मध्यप्रदेश के राज्यपाल महामहिम बलराम जाखड़ जी मिल रहे हैं: बहुत अच्छा देखो यह भी आपका भाग्य है जो ऐसे संगठन में पहुंचे हो। अभी बापदादा यही कहते हैं कि जो इस संगठन में मेडीटेशन सिखाते हैं ना मेडीटेशन तीन घण्टे का है। तो यह जरूर करना। देखो तीन घण्टा अलग अलग देना है। अगर बिजी हो तो छुट्टी के दिन दो। अच्छा है। क्योंकि बाप के पास आये हो तो बाप सौगात तो देंगे ना। आशीर्वाद यह है कि मेडीटेशन द्वारा सदा खुश रहेंगे। खुशी कभी नहीं गंवाना। कभी भी कोई बात आवे कहो बाबा शिवबाबा। वह बात बाप को दे दो आप खुश रहो।
05-02-09 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘अव्यक्त बापदादा’’ मधुबन ‘‘सेवा करते डबल लाइट स्थिति द्वारा फरिश्तेपन की अवस्था में रहो अशरीरी बनने का अभ्यास करो’’
आज बापदादा चारों ओर के बच्चों के तीन रूप देख रहे हैं - जैसे बाप के तीन रूप जानते हो, ऐसे बच्चों के भी तीन रूप देख रहे हैं। जो इस संगमयुग का लक्ष्य और लक्षण है, पहला स्वरूप ब्राह्मण, दूसरा फरिश्ता, तीसरा देवता। ब्राह्मण सो फरिश्ता, फरिश्ता सो देवता। तो वर्तमान समय अभी विशेष क्या लक्ष्य सामने रहता है? क्योंकि फरिश्ता बनने के बिना देवता नहीं बन सकते। तो वर्तमान समय और स्वयं के पुरूषार्थ प्रमाण अभी लक्ष्य यही है फरिश्ता। संगमयुग के सम्पन्न स्वरूप फरिश्ता सो देवता बनना है। फरिश्ते की परिभाषा जानते भी हो, फरिश्ता अर्थात् पुरानी दुनिया के सम्बन्ध, संस्कार, संकल्प से हल्का हो। पुराने संस्कार सबमें हल्के हों। सिर्फ अपने संस्कार स्वभाव संसार में हल्कापन नहीं, लेकिन फरिश्ता अर्थात् सर्व के सम्बन्ध में आते सर्व के स्वभाव संस्कार में हल्कापन। इस हल्केपन की निशानी क्या है? वह फरिश्ता आत्मा सर्व के प्यारे होंगे। कोई कोई के प्यारे नहीं, सर्व के प्यारे। जैसे बाप, ब्रह्मा बाप को हर एक समझता है मेरा है। मेरा बाबा कहते हैं। ऐसे फरिश्ता अर्थात् सर्व के प्रिय। कई बच्चे सोचते हैं कि ब्रह्मा बाबा तो ब्रह्मा ही था, लेकिन आप सबने आप समान ब्राह्मण आत्माओं में देखा कि आप सबकी प्यारी दादी, जिसको सभी प्यार से अनुभव करते रहे कि मेरी दादी है। सर्व तरफ स्वभाव, संस्कार और इस पुराने संसार में रहते न्यारी और प्यारी, सब हक से कहते हमारी दादी। तो कारण क्या? स्वयं स्वभाव, संस्कार में हल्के। सबको मेरापन अनुभव कराया। तो एक्जैम्पुल रहा। जगत अम्बा का भी देखा लेकिन कई सोचते हैं वह तो जगत अम्बा थी ना। लेकिन दादी आप ब्राह्मण परिवार जैसी साथी थी। उनके मुख से सदैव अगर पुरूषार्थ सुनते वा पूछते तो उनके मुख में एक ही शब्द रहा - ‘‘अब कर्मातीत बनना है।’’ कर्मातीत की लगन में औरों को भी यही शब्द बार-बार याद दिलाती रही। तो हर ब्राह्मण का अभी लक्ष्य और लक्षण विशेष यही रहना चाहिए, है भी लेकिन नम्बरवार है। यही लगन हो अब फरिश्ता बनना ही है। फरिश्ता अर्थात् इस देह, साकार देह से न्यारा, सदा लाइट के देहधारी। फरिश्ता अर्थात् इस कर्मेन्द्रियों के राजा।
बापदादा ने पहले भी सुनाया कि सारे सृष्टि चक्र के अन्दर एक ही बापदादा है जो फलक से कहते हैं कि मेरा एक एक बच्चा राजा बच्चा है। स्वराज्य अधिकारी है। तो फरिश्ता अर्थात् स्वराज्य अधिकारी। ऐसा स्वराज्य अधिकारी आत्मा, लाइट के स्वरूपधारी। कोई भी ऐसे लाइट के डबल हल्केपन की स्थिति में स्थित होंके अगर कोई को भी मिलते हैं तो उनके मस्तक में आत्मा ज्योति का भान चलते फिरते भी दिखाई देगा। अभी यह तीव्र पुरूषार्थ का लक्ष्य और लक्षण सदा इमर्ज रखो। जैसे ब्रह्मा बाप में देखा अगर कोई भी मिलता, दृष्टि लेता तो बात करते-करते क्या दिखाई देता? और लास्ट में अनुभव किया कि ब्रह्मा बाप ज्यादा बात करते-करते भी मीठी अशरीरी स्थिति में स्थित हो जाता। दूसरे को भी चाहे कितना भी सर्विस समाचार हो, लेकिन सेकण्ड में अशरीरीपन का अनुभव कराते रहे और बार-बार कोई भी मुरली में चेक करो, बार-बार मैं अशरीरी आत्मा हूँ, आत्मा का पाठ एक ही मुरली में कितने बार याद दिलाता रहा। तो अभी समय अनुसार छोटी-छोटी विस्तार की बातें, स्वभाव-संस्कार की बातें अशरीरी अवस्था से दूर कर देती हैं। अभी परिवर्तन चाहिए।
बापदादा ने देखा सेवा में रिजल्ट अच्छी हो रही है, सेवा के लिए मैजारिटी को उमंग-उत्साह है, प्लैन भी बनाते रहते हैं लेकिन सेवा के साथ, सन्देश देना यह भी आवश्यक है और बापदादा ने आज भी भिन्न-भिन्न वर्ग की, भिन्न-भिन्न स्थान की सेवा की अच्छी रिजल्ट देखी लेकिन अशरीरीपन का वायुमण्डल मेहनत कम और प्रभाव ज्यादा डालता है। सुना हुआ अच्छा तो लगता है, लेकिन वायुमण्डल से अशरीरीपन की दृष्टि से अनुभव करते हैं और अनुभव भूलता नहीं है। तो फरिश्तेपन की धुन अभी सेवा में विशेष एडीशन करो। कोई न कोई शान्ति का, खुशी का, सुख का, आत्मिक प्रेम का अनुभव कराओ। चलन में प्यार प्रेम और जो खातिरी करते हो, सम्बन्ध से, परिवार से वह तो अनुभव करके जाते हैं लेकिन अतीन्द्रिय सुख की फीलिंग, शान्ति का रूहानी नशा अभी वायुमण्डल और वायब्रेशन द्वारा विशेष अटेन्शन में रखो। विशेष अनुभव कराओ, कोई न कोई अनुभव कराओ। जैसे सिस्टम में प्रभावित होके जाते हैं ऐसी सिस्टम परिवार के प्यार की और कहाँ भी नहीं मिलती, ऐसे अभी कोई न कोई शक्ति का, कोई न कोई प्राप्ति का अनुभव करके जायें। अभी 70-72 वर्ष पूरे हो रहे हैं, इस समय में रिजल्ट में क्या देखा! मेहनत की है, लेकिन अभी तक ब्रह्माकुमारियां काम कर रही हैं, ब्रह्माकुमारियों का ज्ञान अच्छा है। देने वाला कौन! चलाने वाला कौन! सोर्स कौन! बाबा शब्द आप सबका सुन करके कहते भी हैं बाबा है इन्हों का, लेकिन मेरा वही बाबा है, बाप की प्रत्यक्षता अभी गुप्त रूप में है। बाबा बाबा कहते हैं, लेकिन मेरा बाबा, मैं बाबा का, बाबा मेरा, यह कोटों में कोई निकलता है।
तो संगमयुग का लक्ष्य क्या है? हम सब आत्माओं का बाप आ गया, वर्सा तो बाप द्वारा मिलेगा ना! वह प्रभाव फरिश्ता अवस्था से वायुमण्डल फैलेगा। इन्हों की दृष्टि से लाइट मिलती है, इन्हों की दृष्टि में रूहानियत की लाइट नज़र आती है, तो अभी तीव्र पुरूषार्थ का यही लक्ष्य रखो मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ, चलते फिरते फरिश्ता स्वरूप की अनुभूति को बढ़ाओ। अशरीरीपन के अनुभव को बढ़ाओ। सेकण्ड में कोई भी संकल्पों को समाप्त करने में, संस्कार स्वभाव में डबल लाइट। कई बच्चे कहते हैं हम तो हल्के रहते हैं लेकिन हमको दूसरे जानते नहीं हैं। लेकिन ऐसे डबल लाइट फरिश्ता, डबल लाइट उसकी लाइट छिप सकती है। छोटी सी स्थूल लाइट टार्च हो या माचिस की तीली हो लाइट कहाँ भी जलेगी, छिपेगी नहीं और यह तो रूहानी लाइट है तो अपने वायुमण्डल से उन्हों को अनुभव कराओ कि यह कौन हैं! चाहे जगदम्बा चाहे दादी ने कहा नहीं कि मुझे जानते नहीं हैं। अपने वायुमण्डल से सर्व की प्यारी। इसीलिए दादी का मिसाल देते हैं क्योंकि ब्रह्मा बाप के लिए भी सोचते हैं ब्रह्मा बाबा में तो शिवबाबा था, शिव बाप के लिए भी सोचते कि वह तो है ही निराकार, न्यारा और निराकार, हम तो स्थूल शरीरधारी हैं। इतने बड़े संगठन में रहने वाले हैं, हर एक के संस्कार के बीच में रहने वाले हैं, संस्कार को मिलाना अर्थात् फरिश्ता बनना। संस्कार को देख कई बच्चे दिलशिकस्त भी हो जाते हैं, बाबा बहुत अच्छा, ब्रह्मा बाप बहुत अच्छा, ज्ञान बहुत अच्छा, प्राप्तियां बहुत अच्छी, लेकिन संस्कार स्वभाव मिलाना अर्थात् सर्व के प्यारे बनना। कोई कोई के प्यारे नहीं, क्योंकि कई बच्चे कहते हैं कि कोई कोई से प्यार विशेषता को देख करके भी हो जाता है। इनका भाषण बहुत अच्छा है, इसमें फलानी विशेषता बहुत अच्छी है, वाणी बहुत अच्छी है, फरिश्ता बनने में यह विघ्न आता है। प्यारा भले बनाओ, लेकिन मैं आत्मा न्यारी हूँ, न्यारी स्टेज से प्यारा बनाओ। विशेषता से प्यारा नहीं। यह इसका गुण मुझे बहुत अच्छा लगता है ना वह धारण भले करो लेकिन इसके कारण सिर्फ प्यारा बनना वह रांग है। फरिश्ता सभी का प्यारा। हर एक कहे मेरा, अपनापन, ऐसी फरिश्ते अवस्था में विघ्न दो चीज़ें डालती हैं। एक तो देह भान, वह तो नेचुरल सबको अनुभव है, 63 जन्म का फिर फिर देहभान प्रगट हो जाता है और दूसरा है देह अभिमान, देह भान और देह अभिमान, ज्ञान में जितना आगे जाते हैं, तो स्वयं के प्रति भी कभी कभी देह अभिमान आ जाता है, वह अभिमान नीचे गिराता है, देह- अभिमान क्या आता है? जो भी कोई विशेषता है ना, उस विशेषता के कारण अभिमान रहता है, मैं कोई कम हूँ, मेरा भाषण सबको पसन्द आता है। मेरी सेवा का प्रभाव पड़ता है, कोई भी कला मेरी हैंडलिंग बहुत अच्छी है, मेरा कोर्स कराना बहुत अच्छा। कोई न कोई ज्ञान में आगे बढ़ने में, सेवा में आगे बढ़ने में यह अभिमान अपने प्रति भी आता और दूसरे के गुण या कला, या विशेषता प्रति भी प्यार हो जाता। लेकिन याद कौन आयेगा? देहभान ही याद आयेगा ना, फलाना बुद्धि का बहुत अच्छा है, मेरी हैंडलिंग बहुत अच्छी है, यह अभिमान सेवा वा पुरूषार्थ में आगे बढ़ने वालों को अभिमान के रूप में आता है। तो यह भी चेक करना है, और अभिमान वाले को अभिमान है इसको चेक करने का साधन है, अभिमान वाले को जरा भी कोई ने अपमान किया, उसके विचार का, उसकी राय का, उसकी कला का, उसकी हैंडलिंग का अपमान बहुत जल्दी महसूस होगा। और अपमान महसूस हुआ, उसकी और सूक्ष्म निशानी क्रोध का अंश पैदा होता है, रोब। वह फरिश्ता बनने नहीं देता। तो वर्तमान समय के हिसाब से बापदादा फिर से इशारा दे रहा है, अपना संगमयुग का लास्ट स्वरूप फरिश्ता अब जीवन में प्रत्यक्ष करो, साकार में लाओ। फरिश्ता बनने से अशरीरी बनना बहुत सहज हो जायेगा। अपनी चेकिंग करो, सूक्ष्म रूप में भी लगाव कोई विशेषता या अपनी या और किसकी, अभिमान तो नहीं है? कई बच्चों की छोटी सी बात भी होगी ना, तो अवस्था नीचे ऊपर हो जाती है। दिलखुश, चेहरा खुश उसके बजाए या चिंतन वाला चेहरा या चिंता वाला चेहरा, और चलते चलते दिलशिकस्त भी हो जाते। दिलखुश के बजाए दिलशिकस्त। तो समझा, अब अपने संगमयुग की लास्ट स्टेज फरिश्तेपन के संस्कार इमर्ज करो। जैसे ब्रह्मा बाप को देखा, फॉलो फादर करना है ना। बात करते करते लास्ट में कई बच्चों को अनुभव है, सुनाने आये समाचार लेकिन समाचार से परे, आवाज से परे स्थिति का अनुभव किया हुआ देखा है। बातों का समाचार सुनाने, बहुत प्लैन बनाकर आते यह बताऊंगा, यह बताऊंगा, यह पूछूंगा लेकिन सामने आते क्या बोलना था वही भूल जाता। तो यह है फरिश्ता अवस्था। तो क्या आज पाठ पक्का किया? मैं कौन? फरिश्ता। किसी बातों से, किसी विशेषताओं से, अपनी विशेषता से, देह अभिमान से परे डबल लाइट फरिश्ता क्योंकि फरिश्ता बनने के बिना देवता का ऊंचा पद नहीं मिलेगा। सतयुग में तो आ जायेंगे, क्योंकि बच्चे बने हैं, वर्सा तो मिलेगा लेकिन श्रेष्ठ पद नहीं। जो वायदा है सदा साथ रहेंगे, साथ साथ राज्य करेंगे, तख्त पर भले नहीं बैठे लेकिन राज्य अधिकारी बनें, वहाँ की राज्य सभा देखी है ना। जो भी राज्य सभा के अधिकारी हैं, वह तिलक और ताजधारी, राज्य तिलक, राज्य की निशानी ताज। तो बहुत समय से स्वराज्य अधिकारी, बीच-बीच में नहीं। बहुत समय के स्वराज्य अधिकारी तख्त पर भले नहीं बैठे लेकिन रॉयल फैमिली के अधिकारी बन जाते हैं। अच्छा।
अच्छा आज जो पहली बारी आये हैं वह उठो। अच्छा। पौनी सभा तो उठी हुई है। अच्छा जो भी पहली बारी आये हैं उन सभी को बाप से साकार में मिलने की, पहले बारी की जन्म की मुबारक हो। बापदादा का सभी आये हुए बच्चों को यही वरदान है कि आये, टूलेट के समय हैं लेकिन नये आये हुए बच्चों प्रति एक विशेष वरदान है कि कभी भी यह संकल्प नहीं करना कि हम आगे कैसे जा सकते? टूलेट आने वालों को अभी तो लेट में आये हो टूलेट में नहीं आये हो। और अभी आप सबको विशेष बापदादा और निमित्त बने हुए ब्राह्मण परिवार के भाई बहिनों की विशेष सहयोग की भावना है कि अगर आप थोड़े समय को एक एक सेकण्ड को सफल करने का, क्योंकि थोड़े समय में बहुत पाना है, एक सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं गंवाना, कर्मयोगी बनके चलना, कर्म नहीं छोड़ना है लेकिन कर्म में योग एड करते, कर्म और योग का बैलेन्स रखना है। तो बैलेन्स रखने वाले को ब्लैसिंग एकस्ट्रा मिलती है। तो जो भी लेट में आये हो, टूलेट अभी आगे लगना है, आपको चांस है, थोड़े समय में बहुत पुरूषार्थ कर सकते हो। बापदादा वरदान देते हैं कि हिम्मते बच्चे मददे बाप है ही।
सेवा का टर्न गुजरात का है:- अच्छा गुजरात के जो नये पहली बारी आये हैं वह उठो। जो बाप से पहले बारी मिलने आये हैं गुजरात के, हाथ हिलाओ। (गुजरात से 6 हजार आये हैं) अच्छा हुआ, आ तो गये। अपना मधुबन बापदादा का मधुबन तो देखा। इसकी भी मुबारक हो। अच्छा। अभी सभी गुजरात के उठो। बापदादा शुरू से गुजरात को मधुबन का कमरा समझते हैं। सबसे नजदीक सहयोगी, स्नेही और अभी वर्तमान समय बापदादा ने देखा रिजल्ट में तो जो बापदादा ने होमवर्क दिया था, कि हर एक जोन आपस में मिलके जोन को निर्विघ्न बनाने का प्रोग्राम बनाके और निर्विघ्न बनाओ, तो बापदादा ने देखा सभी जोन अपने अपने रूप में करते होंगे लेकिन गुजरात ने हर मास में रिकार्ड दिखाया, हर मास में टापिक और समाचार की लेन देन इससे संगठन में उमंग आता है। अलग अलग पुरूषार्थ करते हैं ना उससे अगर संगठन में नियम प्रमाण, कायदेमुजीब प्रोग्राम रखते हैं तो उससे अटेन्शन अच्छा होता है। निर्विघ्न बने या नहीं बनें वह रिजल्ट अभी आनी चाहिए कि इस प्रोग्राम चलते किस किस में अन्तर आया है, क्लास चले, यह तो मुबारक है। टापिक निकाली है यह भी मुबारक है लेकिन प्रैक्टिकल में अन्तर क्या आया है, वह रिजल्ट अभी आनी चाहिए। बाकी बापदादा मुबारक देते हैं कि होमवर्क को बुद्धि में रख पुरूषार्थ किया है, तो पुरूषार्थ का बाबा बधाई दे रहा है। ऐसे ही छोटे छोटे ग्रुप बनाओ, जैसे देखा है बापदादा ने तो यह वर्गीकरण का जो ग्रुप बनाते हैं, तो ग्रुप टर्न बाई टर्न आपस में भी मिलते रहते और छोटा ग्रुप होने के कारण आपस में लेन देन कर सकते हैं, बाकी वर्गीकरण वाले भी बहुत आये हैं। उन्हों को भी बापदादा यही कह रहे हैं, कि जैसे सर्विस के प्लैन बनाते हो, रिजल्ट में बापदादा ने देखा, तीन चार की रिजल्ट भी आई है लेकिन जैसे सेवा का प्लैन बनाते हो और उसको प्रैक्टिकल में करते हो, और प्रैक्टिकल में जो सहयोगी बने हैं, सहयोगी कम बने हैं, स्नेही बने हैं, तो जैसे वह रिजल्ट निकालते हो, वैसे हर वर्ग को धारणा के लिए अपने वर्ग को निर्विघ्न बनाने के लिए भी अटेन्शन देना चाहिए। कोई कोई करते हैं, धारणा का प्वाइंट भी रखते हैं लेकिन रिजल्ट किया नहीं किया, वृद्धि है या नहीं है, परिवर्तन हुआ या नहीं हुआ, वह रिजल्ट भी आनी चाहिए। क्या रिजल्ट रही? परिवर्तन का कोई ऐसा दृष्टान्त दिखाना चाहिए। जैसे सेवा पर अटेन्शन देते हो तो सेवा वृद्धि को तो पाई है ना, बापदादा खुश है लेकिन अभी धारणा के ऊपर अटेन्शन और चाहिए। क्योंकि अन्त में सेवा चाहेंगे तो भी नहीं कर सकेंगे, अभी कर ली सो कर ली, उस समय फरिश्ता लाइफ या अशरीरी बनने का सेकण्ड में बिन्दु लगाने का यही काम में आना है। और अचानक होना है। इसका अभ्यास अगर सेवा भी की, लेकिन इसका अभ्यास कम होगा, सेवा में ही लगे रहे, सेवा में लगना है लेकिन दोनों का बैलेन्स चाहिए। बापदादा बार-बार इशारा दे रहा है कि अचानक होना है और ऐसी सरकमस्टांश में होना है इसीलिए बाप को उल्हना कोई नहीं दे कि आपने बताया नहीं। बार-बार भिन्न-भिन्न ईशारे दे रहे हैं। सेवा का फल मिलता है, सेवा की मार्क्स, क्योंकि चार सबजेक्ट हैं ना तो सेवा की सबजेक्ट की मार्कस मिलेंगी लेकिन और तीन सबजेक्ट, अगर एक सबजेक्ट में आपने मार्कस ले ली और तीन में कम ली तो नम्बर क्या मिलेगा? चार ही में फर्स्ट नम्बर आना चाहिए। यह बापदादा की हर बच्चों के प्रति शुभ आश है। तो बाप की आशाओं के सितारे कौन हैं? हाथ उठाओ। बाप की आशाओं के सितारे हो तो बापदादा की यही सबसे बड़ी आश है कि चार ही सबजेक्ट में नम्बर अच्छा हो। नहीं तो पास विद आनर में नहीं आयेंगे। महारथी उसको कहा जाता है जो चार ही सबजेक्ट में अच्छे नम्बर ले। कहने में भले महारथी महारथी आता है, लेकिन अगर नम्बर नहीं लेते तो बापदादा के उम्मीदों के तारे हैं, आशाओं के तारे नहीं। तो बनना क्या है? उम्मीदों के सितारे? आशाओं के सितारे, सफलता के सितारे। तो गुजरात अच्छा लक्ष्य तो रखा है। लेकिन रिजल्ट बापदादा को भेज देना क्योंकि आपको देख करके फिर औरों को भी उमंग आयेगा, कि इस संगठन से फायदा क्या हुआ। प्लैन तो अच्छा है और रेग्युलर करते आये हैं, इसकी मुबारक भी है। ठीक है। मुबारक भी है और होमवर्क भी है। दोनों है। अच्छा।
इस ग्रुप में 5 वर्ग की मीटिंग है:- (बिजनेस महिला समाज सेवा ट्रांसपोट और ग्राम विकास) अच्छा सभी ने अपनी निशानी रखी है। अभी जिसने जो कुछ निशानियां बनाई है ना, उसका एक एक सामने आवे। बोर्ड है या सिम्बल है। एक दो आ जाओ। सब आगे आओ। यह भी अच्छा है। अभी ऐसे सामने फेश करो। अच्छा। अच्छा किया है। यह भी एक एकस्ट्रा उमंग-उत्साह भरने का साधन है। अभी प्लेन किसने नहीं देखा हो तो प्लेन तो देख लिया। (ट्रांसपोर्ट वालों ने फ्लैक्स पर प्लेन बनाया है) अपने प्लेन में तो चढ़ते हो ना! इसमें तो टिकेट खर्च करनी पड़ेगी और आपका प्लेन, मन और बुद्धि का प्लेन सेकण्ड में कहाँ से कहाँ तीन लोकों में पहुंच सकता है। मेहनत अच्छी की है। अच्छा।
सभी को खुशी होती है ना, अच्छा कौन से विंग्स हैं। अच्छा बिजनेस वाले हाथ उठाओ। अच्छा यह बिजनेस वाले और ट्रांसपोर्ट, ट्रांसपोर्ट दोनों ही ट्रांसपोर्ट ने हाथ उठाया। दोनों ही उठाओ। अच्छा। महिलायें। अच्छा। इनकी निशानी बता रही है। बाबा की अभी एक बात प्रैक्टिकल में लाना रह गई है, वह ग्रुप कहाँ भी इकठ्ठा करो। मानों जोन में इकठ्ठा करो या दो तीन जोन जो नजदीक हैं उसमें जो वी.आई.पी स्नेही, आया गया वह नहीं लेकिन स्नेही है कनेक्शन में है और रिलेशन रख रहा है, रिलेशन यह है, जो रोज मुरली सुनने नहीं भी आता है, तो फोन में भी सुनता रहे, वरदान सुने, स्लोगन सुने, और जो लास्ट में मुरली का सार होता है, वह चलते फिरते फोन में भी सुने, कनेक्शन रखे। ऐसे नहीं 6 मास के बाद बुलाओ तो आ गया। कनेक्शन में रहे तो रिलेशन पक्का होगा। कनेक्शन ऐसा होता है जो खींचता है। जब वर्गीकरण होगा तब आयेगा, एक साल के बाद उसको रिलेशन नहीं कहा जाता। नजदीक का रिलेशन हो, अपनी प्रेजन्ट मार्क तो डाले। फोन में ही डाले, लेकिन मैं हूँ, यह प्रेजन्ट मार्क तो डाले। और जितना हो सके उतना जोन या दो तीन जोन मिलके, जहाँ नजदीक पड़ता हो आने जाने में, 6 मास में 3 मास में एक संगठन तो करो। और एक दो में पहले अपने अपने जोन में करो, दो तीन नजदीक वाले मिलके करो और फिर एक बारी सबको इकठ्ठा एक स्थान पर करें तो परिचय भी हो जावे ना, कौन कौन अनुभव कर रहा है, मानों डाक्टर्स हैं, अभी देखें तो इतने बड़े बड़े डाक्टर्स भी अभ्यास कर रहे हैं तो प्रभाव तो पड़ता है ना। ऐसे ही सभी वर्ग वालों को एक दो को देख करके प्रभाव पड़ता है। यह भी चल रहे हैं, यह भी चल रहे हैं और एक दो का अनुभव सुनते हैं तो भी प्रभाव पड़ता है। तो अभी दूसरा टर्न आपका आवे उसमें यह रिजल्ट बताना। कितने बार संगठन किया, कहाँ कहाँ किया, कितने आये, उसकी रिजल्ट। यह तो सहज है ना। सहज है या मुश्किल है? सब वर्ग करेंगे ना। दूसरे भी सुनेंगे। अच्छा।
डबल विदेशी भाई बहिनें:- (80 देशों से आये हैं) अच्छा है, यह जो प्रोग्राम बनाया है, मधुबन में सबका संगठन हो, यह बापदादा को बहुत पसन्द है क्योंकि मधुबन में आने से परिवार कितना बड़ा है! सेवायें चारों ओर कैसे हो रही हैं! भारत वाले फारेन की सेवा से लाभ उठाते कि फारेन में यह कर रहे हैं, हम भी करें और फारेन वाले इन्डिया के समाचार सुनकर अपने स्थान में जहाँ हो सकता है, वहाँ फायदा लेते हैं और फारेन के फारेन में मिलना, मुश्किल है, मधुबन में डबल फायदा है। बापदादा से मिलना भी हो जाता और परिवार से मिलना भी हो जाता। तो अभी कुछ समय से कायदे प्रमाण मधुबन में मीटिंग या छोटे छोटे संगठन यह बापदादा को बहुत पसन्द आया और प्लैन भी अच्छे- अच्छे बनाते रहे हो और प्रैक्टिकल में भी कर रहे हो, इसकी भी हर साल वृद्धि देखक्र बापदादा चारों ओर के डबल फारेनर्स को बधाईयां देते हैं, बधाईयां देते हैं। और अभी जितना-जितना संगठन होता रहा है ना, तो उससे एक दो का अनुभव सुनने से कईयों को अनुभव द्वारा भी बल मिलता है। मानों कोई दिलशिकस्त हो जाता है तो दूसरे का अनुभव सुनता, तो यह सदा खुशमिजाज रहता है इसकी शक्ल कभी मुरझाये नहीं, दिलखुश। तो एक दो का अनुभव सुनने से उल्हास में आ जाते। एक दो का अनुभव कम नहीं होता है, हर एक को ड्रामानुसार कोई न कोई विशेषता बाप द्वारा मिली हुई है। तो वह अनुभव सुनने से उमंग आता है, यह कर सकता है तो मैं क्यों नहीं कर सकता! कभी भी दिल छोटी नहीं करना। बड़ी दिल, बड़ा बाबा। छोटा बाबा है क्या, बड़े ते बड़ा बाबा है, तो बच्चों की दिल सदा बड़ी। बापदादा का स्लोगन है बड़ी दिल सच्ची दिल, साफ दिल तो हर मुराद हांसिल। जो भी किचड़ा आवे ना, किचड़े की दुनिया है ना, तो कभी वायुमण्डल में किचड़ा उड़के आ जाता है लेकिन किचड़ा अपने पास नहीं रखो। जैसे स्थूल कमरे में सोते हो और किचड़ा हो जाए तो क्या होता है, सफाई नहीं करो तो मच्छर हो जाते हैं, फिर बीमारियां होती हैं, तो यह भी अगर मन में कोई भी बात रख ली, निकाला नहीं तो वह वृद्धि को पाती रहती। बस बाबा, मेरा बाबा कहो तो हाजिर बाबा, बंधा हुआ है। बच्चा, बाप का बच्चा, भगवान का बच्चा, याद करे मेरा बाबा और बाबा हाजर नहीं हो, यह हो नहीं सकता। आपके पास बाप को बांधने की रस्सी है! क्या है? दिल का प्यार। कईयों को बाप से प्यार है, नहीं है यह नहीं कहेंगे, लेकिन दो प्रकार का प्यार है - एक है नॉलेज के आधार से, मैं आत्मा हूँ, शरीर तो हूँ ही नहीं और आत्मा का बाप परमात्मा ही है और परमात्मा ज्योति के सिवाए और कोई सबका परमात्मा हो ही नहीं सकता। तो बाप बाप तो है, ज्योति स्वरूप है, सहयोग देता है, लेकिन हर समय दिल के स्नेह से मेरा बाबा निकले ऑटोमेटिकली। साथी बनाया जाता है समय के लिए, आईवेल के लिए साथी काम में आता है, तो आपने बाप को कम्बाइन्ड रखा है, साथी बनाया है तो समय पर साथ लो। स्नेह से याद करो, एक है नॉलेज के आधार से स्नेह, एक है दिल के प्यार से स्नेह। तो चेक करो दिल का प्यार है? प्यार वाले को भूलना मुश्किल है। रिवाजी चीज़ देखो, सुगर वालों को मीठा मना है, और उसका प्यार है मीठे से, तो मीठा याद आता है, भूलता है? डाक्टर की दवाई करेंगे लेकिन मीठा खायेंगे। तो चीज़ से प्यार है तो कहने से भी नहीं छोड़ते हैं और यह तो बाप है, सर्व प्राप्ति का अनुभव कराने वाला है। सभी सुन रहे हैं ना। भले निमित्त फारेनर्स हैं लेकिन सभी सुन रहे हैं, तो अभी चेक करो कि दिल का प्यार है? खुदा को दोस्त बनाया है? दोस्त किसलिए बनाते हैं? बाप से भी दोस्त से ज्यादा प्यार होता है। तो खुदा दोस्त बनाया है ना! कोई भी बात आवे, बाबा आप सम्भालो। छोटे बच्चे बन जाओ, बड़े नहीं बनो। तो बाप ले लेगा। प्यार की रस्सी से ऐसा बांधके रखो जो हिल नहीं सके। समझा! सभी ने समझा ना! कई बार कहते हैं बाबा आज मुझे बाबा भूल गया। बापदादा को सुनके कितना आश्चर्य लगता होगा! भूल गया! 63 जन्म भूले, अभी भी भूल गये। एक जन्म और छोटा सा जन्म! 21 फुल जन्म भूल गये, अभी भी भूलना रहा हुआ है क्या? इसीलिए अभी माया की चतुराई को समझ जाओ। माया की कभी-कभी खातिरी भी कर देते हैं। कहते हैं हम समय पर तैयार हो जायेंगे। अभी तो टाइम पड़ा है ना थोड़ा! अभी टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है ना! हम हो जायेंगे और माया भी सहारा देकरके, खातिरी देकरके चाय पानी पीती रहती है। बाप को फॉलो फादर करने के बजाए, माया को फॉलो कर लेते हैं। पुरूषार्थी हैं ना, सम्पूर्ण थोड़ेही बने हैं, यह तो होता ही है ना! यह है माया के फॉलोअर बनना। तो अभी बापदादा कभी भी चक्र लगाने आये तो सदा शक्ल देखे तो कैसी शक्ल देखे! कभी कभी शक्ल अच्छी नहीं होती है। सोच में, सोच बहुत करते हैं। क्या करूं, यह करूं, नहीं करूं, फायदा होगा, ठीक होगा, सोचते बहुत हैं। बाप को फॉलो करो, ब्रह्मा बाप पहुंच गया ना! ज्यादा सोचते क्यों हो? सिर्फ फॉलो फादर। व्यर्थ संकल्प आते हैं, लहर आ जाती है। यह सिर्फ फारेनर्स को नहीं सुना रहे हैं, सबको सुना रहे हैं।
(विदेश के डेविड भाई से) बापदादा ने देखा भी और जाना भी कि बच्चे को उमंग-उत्साह बहुत है। अभी उमंग- उत्साह को प्रैक्टिकल में लाने में सहयोगी बन करके सहयोग लेते रहेंगे सहयोग देते रहेंगे तो आगे जा सकते हो। उमंग उत्साह कभी ढीला नहीं करना बातें आयेंगी। लेकिन उमंग उत्साह के पंख ढीले नहीं करना। उड़ते रहना। पंख है उड़ने के लिए। उमंग-उल्हास जरा भी कम हुआ तो ऊंचा उड़ नहीं सकते। बात चली जाती है लेकिन खुशी नहीं जाये उमंग उत्साह नहीं जाये। बाकी बापदादा ने देखा उमंग अच्छा है अब सदा कायम रखना। जम्प दे सकते हो।
फिलीपीन्स की सहानी बहन से - यह तो पुरानी है। अच्छे हैं। सेवा करके साथ लाई है। अच्छे हैं सुना ना उमंग-उत्साह कब नहीं छोड़ना। उड़ते रहना। कोई भी बात आये आप उड़ जाओ बात नीचे रह जायेगी आप ऊपर हो जायेंगी। अच्छा।
चारों ओर के दिलखुश, दिल सच्ची, दिल साफ वालों को हर संकल्प, मुराद हांसिल। इसका अर्थ है जो भी संकल्प किया उसकी सफलता प्राप्त होना। तो ऐसे तीनों विशेषता, बड़ी दिल, साफ दिल और सच्ची दिल वाले, ऐसे चारों ओर के बच्चों को बापदादा देख पदमगुणा से भी ज्यादा खुश होते हैं और ऑटोमेटिक गीत बजता है, वाह! वाह मेरे बच्चे वाह! सदा मुबारक के पात्र बच्चे वाह! सदा बाप को साथी बनाके चलने वाले, हाथ में हाथ मिलाके, हाथ है श्रीमत, तो सदा हाथ में हाथ मिलाके उड़ने वाले, चलना तो खत्म हुआ, उड़ने वाले, श्रीमत को हर कदम में ब्रह्मा बाप को फॉलो करने वाले और सोचो नहीं, करूं नहीं करूं, ठीक होगा, नहीं होगा, पता नहीं पसन्द आयेगा, नहीं आयेगा। फॉलो करो, ब्रह्मा बाप ने क्या किया, जो बाप ने किया वह राइट है, सोचने की जरूरत नहीं। फॉलो करना तो सहज है ना। सोचने की क्या जरूरत। फिर माथा भारी हो जाता है। फिर कहते हैं आज मुझे पता नहीं क्या हुआ है, भारी भारी हो गया है। क्योंकि कोई न कोई बात पर सोचने लग जाते हैं।
तो सभी चारों ओर के बच्चों को बापदादा के दिल की दुआयें और पदमगुणा बधाईयां हो। जो शिव रात्रि पर अपनी सेवा में रहेंगे, उन्हों को अभी से शिवरात्रि आपके बर्थ डे की दुआयें और मुबारक दे रहे हैं और आने वाले अथवा जो पत्र ईमेल भेजते हैं उन्हों का सेकण्ड से भी कम समय में बापदादा के पास पहुंच जाता है। उन्हों को भी और बापदादा की प्यासी आत्मायें, बांधेलियां जो मार को भी गले का हार बना देती हैं, ऐसी आत्माओं को भी यादप्यार और नये-नये स्नेही आत्मायें जो अभी निकल रही हैं, लेकिन कम। स्नेही और सहयोगी डबल होना चाहिए। तो चारों ओर के सभी युवा, वृद्ध, बच्चे, मातायें, पाण्डव, सभी को इनएडवांस आपके, बाप के बर्थ डे की मुबारक हो। अच्छा।
दादियों से:- सभी नम्बरवन हैं ना! कभी भी नम्बरवार में नहीं आना नम्बरवन। बाप के बनके नम्बरवार हो गये तो क्या बड़ी बात है! नम्बरवन। नम्बरवन आओ लेकिन निमित्त और निर्माण बन नम्बरवन। (निर्मलशान्ता दादी की याद दी है)
दादी शान्तामणि से:- हिम्मत में नम्बरवन है इसीलिए बापदादा हिम्मते बच्चे मददे बाप खुश होते हैं।
रमेश भाई से:- (रमेश भाई का आज 75 वां जन्म दिन है) जन्म दिन की मुबारक हो। अच्छा है। इस जन्म दिन पर कुछ न कुछ बापदादा को देना है जो भी जो समझो अच्छा।
डबल विदेशी बड़ी बहिनों से:- देखो ड्रामानुसार जो निमित्त बने हुए हैं, सब भारत के ही हैं। (जयन्ती बहन से) इसका भी भारत में जन्म हुआ, डायरेक्ट ब्रह्मा बाप द्वारा भारत में जन्म हुआ। पहले पहले सेवास्थान पर बाबा ने भेजा। तो सब देखो, क्योंकि आपका फाउण्डेशन पक्का है ना, पालना भी तो ली है ना। चाहे पीछे आई लेकिन पालना डायरेक्ट ली है, यह भाग्य है। आप (जयन्ती बहन) और रजनी, रजनी का भी भाग्य है। फोन पर भी मुरली सुनती थी। (मुरली भाई) पार्ट दोनों बजाये लेकिन इस तरफ चला तो बहुत मजबूत है। (गायत्री बहन ने भी याद भेजी है)
(सभी बड़ी बहनों से) अच्छा है संगठन में शोभता है। और जब आप सब आते हो तो अच्छा लगता है ना। कई फायदे हैं, बाप से मिलना, आपस में लेन देन करना और सर्विस की नवीनता लाना। यह बहुत अच्छा है क्योंकि अपने-अपने यहाँ सेवा तो करते हो लेकिन एक दो के अनुभव सुनने से उमंग आता है। बापदादा खुश है।
सरला दीदी से: ठीक है ना। हिम्मत अच्छी रखी है मेहनत की है फल निकल आयेगा। अच्छा है।
डाक्टर अशोक मेहता तथा रथ की (दादी गुल्जार की) सेवा करने वाली सभी बहिनों से:- अच्छा है रथ को तैयार कर दिया इसकी मुबारक हो। सभी दिल से दुआयें दे रहे हैं आपको। अच्छा है। और डॉक्टर्स की भी सेवा हो जाती है। वह भी समीप आ रहे हैं। बहुत अच्छा। यह सब सेवा बहुत अच्छी करती हैं मुबारक हो। अच्छा। मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो।
विदाई के समय:- हर एक बाप का बच्चा बाप को प्यारे ते प्यारा है। इसीलिए सिर्फ विधिपूर्वक सभी को तो बिठा नहीं सकते, लेकिन आप सभी स्टेज पर भी हो, स्टेज से भी नजदीक दिल में बैठे हो। थोड़ा सा रखना पड़ता है थोड़ा। लेकिन एक एक बाप को प्यारा है, एक दो से प्यारा है। तो बापदादा की नज़र सिर्फ नजदीक नहीं जाती है, लास्ट तक जा रही है। एक एक समझे हम बाबा के सामने बैठे हैं। बापदादा सम्मुख सामने बैठने की दृष्टि दे रहा है। अच्छा।
22-02-09 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘बर्थ डे पर फास्ट सो फर्स्ट डिवीजन में आने की गिफ्ट लेने के लिए हर श्वांस संकल्प समर्थ हो दिल बड़ी और सच्ची हो तो हर जरूरत पूरी होगी’’
आज जीरो बाप अपने हीरो बच्चों से मिलने आये हैं। आज का दिन आप सभी भी बाप का और बाप के साथ अपना भी बर्थ डे मनाने आये हैं। तो बापदादा सर्व बच्चों को चाहे सम्मुख बैठे हैं, चाहे दूर बैठे दिल के नजदीक बैठे हैं, चारों ओर के बच्चों को सर्व सम्बन्ध से मुबारक दे रहे हैं। उसमें भी विशेष तीन मुबारक बाप, शिक्षक और सतगुरू के रूप की तीन बधाईयां पालना, पढ़ाई और वरदानों की चारों ओर के बच्चों को विशेष दे रहे हैं। सभी बच्चों को मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
आज इस विशेष जन्म को भक्त भी मनाते हैं लेकिन आप बच्चे जानते हो कि यह बर्थ डे बाप और बच्चों के अविनाशी स्नेह का जन्म दिन है। आदि से लेके बाप और बच्चे साथ हैं, साथ में विश्व परिवर्तन के कार्य में भी बाप बच्चों के साथ है, क्योंकि बहुत-बहुत बाप और बच्चों का स्नेह है। अभी भी साथ हैं और अपने घर जाना है तो भी साथ जाना है। बाप बच्चों के सिवाए नहीं जा सकता और बच्चे बाप के सिवाए नहीं जा सकते क्योंकि दिल के स्नेह का साथ है। घर के बाद जब राज्य में आयेंगे तो भी ब्रह्मा बाप के साथ-साथ राज्य करेंगे। तो सर्व जन्मों से यह जन्म सबसे प्यारा और न्यारा है। इस जन्म की जो वैल्यु है वह सारे कल्प में 84 जन्म में नहीं है, ऐसा स्नेही और साथ वाला विशेष यह हीरे तुल्य जन्म है। तो आप सभी अपना जन्म दिन मनाने आये हो या बाप का मनाने आये हो! कि बाप बच्चों का मनाने आये हैं और बच्चे बाप का मनाने आये हैं? चारों ओर भक्त भी शिव जयन्ती वा शिवरात्रि कहके मनाते हैं, बड़े प्यार से मनाते हैं बापदादा भक्तों को देख करके भक्तों को भी भक्ति का फल देते हैं। लेकिन आपका मनाना और भक्तों का मनाना फर्क है। वह रात्रि मनाते हैं और आप अमृतवेला मनाते हैं, अमृतवेला श्रेष्ठ वेला है। अमृतवेले ही बापदादा हर एक बच्चे को वरदानों से झोली भर देते हैं। सभी की वरदानों से झोली भरी हुई है ना! रोज वरदान वरदाता बाप से मिलता ही है। कितने वरदान आप एक एक बच्चे को बापदादा द्वारा मिले हैं, वह वरदानों से झोली भरी हुई है ना। तो सभी बड़े उमंग-उत्साह से पहुंच गये हैं। बापदादा भी बच्चों को देख बहुत-बहुत खुश हो रहे हैं और गीत गाते रहते वाह बच्चे वाह! बच्चे कहते वाह बाबा वाह! और बाप कहते वाह बच्चे वाह! क्योंकि जो भी बाप के बच्चे बने हैं वह सभी कोटों में कोई आत्मायें हैं। विश्व में कितनी कोट आत्मायें हैं लेकिन उनमें से आप बच्चों ने जिसको बाप कहते हैं लक्की और लवली बच्चे हैं उन कोटों में से कोई आप बच्चे हो। नशा है कि हमें कल्प कल्प के कोटों में कोई बच्चे हैं। कितने भी बड़े-बड़े मर्तबे वाले आत्मायें वर्तमान समय भी हैं लेकिन बाप को पहचान बाप का बर्थ डे मनाने वाले चारों ओर के पहचानने वाले बच्चे कोटों में कोई हैं। तो यह खुशी है कि हम कोटों में भी कोई हैं। नशा है! हाथ उठाओ। अविनाशी नशा है ना! कभी कभी वाला तो नहीं? सदा है और सदा ही रहेगा। माया पेपर तो लेती है, अनुभव है ना! माया का भी परमात्म बच्चों से ज्यादा प्यार है। लेकिन बच्चे जानते हैं कि माया का परमात्म बच्चों से आदि से अब तक सम्बन्ध है। माया और परमात्म बच्चे दोनों का आपस में कनेक्शन है, माया का काम है आना और आप बच्चों का काम क्या है? माया को दूर से भगाना। आने नहीं देना कि आने भी देते हो? नहीं। दूर से ही भगाओ। आने देते तो फिर उसकी आदत पड़ जाती है आने की। वह भी समझती है आने तो देते हैं ना, चलो। लेकिन बाप देखते हैं कि कई कई बच्चे माया को आने तो देते ही लेकिन खातिरी भी कर लेते, चाय पानी भी पिला लेते, पता है, कौन सी खातिरी करते हैं? माया के प्रभाव में आके यही सोचते कि अभी तो टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है, अभी तो समय पड़ा है। पुरूषार्थ कर रहे हैं, पहुंच जायेंगे। तो माया भी समझती है एक तो आने दिया, दूसरा यह तो हमारे को साथ दे रहे हैं, खातिरी कर रहे हैं, तो जो माया को पहचान लेते हैं क्योंकि कोई कोई बच्चे पहचानने में भी गलती कर लेते हैं, माया की मत है वा बाप की मत है, न पहचानने के कारण माया के प्रभाव में आ जाते हैं। लेकिन बापदादा अपने लक्की महावीर विजयी बच्चों को कहते हैं आने नहीं दो, अब आवे और फिर भगाओ, इसमें समय नहीं लगाओ क्योंकि समय कम है और आपका जो वायदा है, विश्व परिवर्तक बन विश्व सेवक बन विश्व की आत्माओं को बाप का परिचय दे मुक्ति का वर्सा दिलायेंगे, वह कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है। उस कार्य को समाप्त करने में समय लगाना, अगर माया को भगाने में समय लगायेंगे तो विश्व परिवर्तक का जो वायदा है वह पूरा कैसे करेंगे! बाप के साथी हैं ना, जन्म से ही वायदा किया है, साथ रहेंगे अब भी, साथ चलेंगे…इसलिए अभी जो बाप से शक्तियां मिली हैं उस शक्तियों के आधार से माया को दूर से भगाओ। इसमें टाइम नहीं लगाओ। देखो, 70 वर्ष पुरूषार्थ करते रहे हो, अभी माया का आना और भगाना, अभी इसका समय नहीं है क्योंकि जानते भी हो, नॉलेजफुल तो हो ना। सारे ड्रामा की नॉलेज है, इसीलिए नॉलेजफुल बच्चे अभी समय किसमें लगाना है, दो खज़ाने बहुत जमा करने हैं। कौन से दो खज़ाने?एक संकल्प और दूसरा समय। दोनों खज़ाने महान हैं और आप सब जानते हो क्योंकि नॉलेजफुल बाप के नॉलेजफुल बच्चे हो। मास्टर नॉलेजफुल हैं ना। फुल? पुल नहीं, कोई कोई नॉलेजपुल हैं, नॉलेजफुल नहीं हैं। आप कौन हो? नॉलेजफुल हो, हाथ उठाओ। नॉलेजफुल कि नॉलेजपुल। सभी नॉलेजफुल हैं? हाथ उठाया, अच्छा। वाह! फुल नॉलेज आ गई है। माया को भगाने की नॉलेज है? पीछे वालों को है? अच्छा। झण्डियां तो हिला रहे हैं। माताओं को है?मातायें नॉलेजफुल हैं? डबल फारेनर्स, डबल फारेनर्स भी झण्डियां हिला रहे हैं। अच्छा, देखो कितना अच्छा दृश्य लगता है। झण्डियां तो अच्छी लग रही हैं। तो नॉलेजफुल अर्थात् माया को दूर से भगाने वाले। तो ऐसे हो? क्योंकि बापदादा ने पहले ही कह दिया है कि खज़ाने जमा करने की बैंक सिर्फ इस समय संगमयुग में है फिर सारा कल्प जमा करने की बैंक नहीं मिलेगी। जो अब जमा किया, वह काम में लगता रहेगा। लेकिन जमा करने की बैंक अब संगमयुग पर खुलती है। इसीलिए क्या कहते हो आप, सभी को सन्देश में सुनाते हो ना, अब नहीं तो कब नहीं। तो आप सबको याद है ना! अब नहीं तो कब नहीं। सदा याद रहता है यह? क्योंकि संगमयुग का जन्म सबसे है छोटा सा लेकिन अमूल्य जन्म है। इस जन्म का मूल्य सारा कल्प चलता है। तो चेक करते हो, हमारा जमा का खाता कितना है? जितना चाहते हो उतना जमा होता है? क्योंकि बापदादा ने पहले ही कह दिया है कि अभी चलने का समय समाप्त हुआ। उड़ने का समय है। पुरूषार्थ का समय पूरा हुआ लेकिन अभी तीव्र पुरूषार्थ का समय है। वह भी थोड़ा है। इसलिए बापदादा डबल विदेशियों को टाइटिल दिया है डबल तीव्र पुरूषार्थी। बोलो, डबल तीव्र पुरूषार्थी हो, हाथ उठाओ। डबल तीव्र पुरूषार्थी, पास। अच्छा। बापदादा तो जन्म की मुबारक के साथ आपको बधाई भी देते हैं। पदम पदम गुणा बधाईयां हो, बधाईयां हो, बधाईयां हो।
बापदादा ने देखा जो बापदादा ने होमवर्क दिया था, ओ.के. का। वह कई बच्चों ने अटेन्शन दिया है। लेकिन 100 मार्क्स बहुत थोड़ों के हैं। 50 परसेन्ट वाले ज्यादा हैं। लेकिन बापदादा यही चाहते हैं, सुनाये क्या चाहते हैं? बापदादा की यही हर एक आशाओं के दीपक, आशायें सम्पन्न करने वाले महावीर बच्चों की यही बाप की आशा है कि समय अनुसार अगर अब से बहुतकाल का चार्ट तीव्र पुरूषार्थ का जमा नहीं किया तो तीन शब्द बापदादा समय प्रति समय याद दिलाता है एक अचानक, दूसरा एवररेडी और तीसरा बहुत समय का खाता जमा क्योंकि बापदादा चाहते हैं कि अपने राज्य में, अभी तो खुशी है ना अपना राज्य आया कि आया। जैसे अभी सन्देश देते हो बाप आया है, ऐसे यह भी खुशखबरी सुनाते हो कि अपना दैवी राज्य सुख शान्तिमय राज्य आया कि आया। जब सबको यह सन्देश देते हो तो अपना पुरूषार्थ भी तीव्र बहुत समय का जमा करने वाला अपने राज्य में अन्त तक फर्स्ट जन्म से 21 जन्म फुल राज्य भाग्य के अधिकारी बनें। यह हिसाब बहुतकाल से स्मृति में रखो क्योंकि मजा नये घर में है। अगर दो तीन जन्म के बाद आये, दो तीन मास मकान को हो जाएं तो क्या कहेंगे, नया है या 3 मास हो गया है। तो बापदादा चाहते हैं कि एक एक बापदादा का लाडला बच्चा वाह वाह बच्चा, बाप के दिलतख्तनशीन बच्चा, पहले जन्म में ब्रह्मा बाप के साथी होके आये। पसन्द है! पसन्द है? पसन्द है? अच्छा। तो क्या करना पड़ेगा? करना भी तो पड़ेगा ना। पसन्द तो है, बाप को भी पसन्द है लेकिन करना क्या पड़ेगा? अब से, चलो बीती सो बीती, बापदादा माफ कर देंगे, बीती। अब से बर्थ डे की सौगात बाप को क्या देंगे? कुछ तो सौगात देंगे ना बाप को। बाप का जन्म दिन मनाने आये हो, तो बाप को सौगात क्या देंगे? जो बाप की आशा है हर एक बच्चे में, लास्ट में फास्ट हो सकते हैं। जो पहले बारी आये हैं वह हाथ उठाओ। अच्छा।
तो बापदादा सभी लास्ट आने वाले बच्चों को, पहले बारी आने की पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। लेकिन एक भाग्य भी बता रहे हैं, भाग्य बनाने की मार्जिन है क्योंकि टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है। अगर कोई लास्ट भी फास्ट पुरूषार्थ करे लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हैं, फर्स्ट नम्बर नहीं, वह तो प्रसिद्ध हो गये हैं, लेकिन फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हैं। पसन्द है? आने वाले नये बच्चों को पसन्द है? चांस है, बापदादा सीट दे देंगे लेकिन कुछ करना भी तो पड़ेगा। एक-एक श्वांस, एक-एक संकल्प अटेन्शन, हर श्वांस, हर संकल्प समर्थ हो। व्यर्थ न हो क्योंकि आप सबका चाहे पहले वालों का, चाहे पीछे वालों का लेकिन टाइटिल क्या है? समर्थ बच्चे हैं, कमज़ोर बच्चे नहीं। बापदादा यादप्यार क्या देते हैं? रोज़ का यादप्यार लाडले, सिकीलधे, दिलतख्तनशीन बच्चे, इसलिए बाप यह गोल्डन चांस दे रहा है लेकिन वाले लो। बाप देगा, बंधा हुआ है। है कोई तीव्र पुरूषार्थी। चांस है। टूलेट का बोर्ड लग गया फिर फिनिश। लेकिन बापदादा को जन्म की सौगात क्या देगी? जन्म उत्सव मनाने आये हो ना! बापदादा ने तो आप बच्चों के जन्म दिन पर आप सब बच्चों को विशष सौगात दी है कि 90 परसेन्ट आपका तीव्र पुरूषार्थ आज से अन्त तक अगर है तो 10 परसेन्ट बापदादा बढ़ा के देगा। मंजूर है। अभी व्यर्थ खत्म। जैसे देखो सतयुग के देवतायें आते हैं ना, तो उन्हों को पता नहीं यहाँ की भाषा क्या बोलते हैं। पुरूषार्थ शब्द कहेंगे ना, तो वो कहेंगे पुरूषार्थ क्या, क्योंकि प्रालब्ध वाले हैं ना। ऐसे आप तीव्र पुरूषार्थियों को स्वप्न में वा संकल्प में वा प्रैक्टिकल कर्म में व्यर्थ क्या होता है, उसकी समाप्ति हो। है हिम्मत? 10 परसेन्ट बाप ग्रेस में देंगे। है मंजूर। हाथ उठाओ। कितना परसेन्ट पक्का? 100 परसेन्ट, नहीं 101 परसेन्ट, क्योंकि बापदादा को बच्चों के बिना, बच्चों के साथ के बिना अच्छा नहीं लगता। बाप समझते हैं जब मेरा बाबा कह दिया, बाबा ने कह दिया मेरा बच्चा, तो बाप समान तो बनना पड़े। अभी दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। आप लोगों ने किताब छपाया है ना। सफलता की चाबी है दृढ़ संकल्प। तो संकल्प को कामन नहीं करो। आप हो कौन? अगर यहाँ का प्रेजीडेंट रिवाजी चलन चले तो अच्छा लगेगा, और आप कौन हो? आप तो तीन तख्त के निवासी हो। सबसे बड़ा तख्त बापदादा का दिलतख्त। तो दिलतख्त वाले पहले जन्म के साथी तो बनेंगे। भले तख्त पर एक बैठेगा लेकिन रॉयल फैमिली राज्य अधिकारी तो बन सकते हो। तो साथ निभाने वाले, घर तक तो साथ चलेंगे। बापदादा कैसे भी ले जायेंगे। वाया ले जाये या डायरेक्ट ले जाये लेकिन ले तो जायेंगे। तो क्या फिर घर में बैठ जायेंगे, ब्रह्मा बाप चला जायेगा और आप बैठ जायेंगे, अच्छा लगेगा? राजयोगी हो ना! क्या टाइटिल देते हो अपने को और दूसरे को भी क्या सिखाते हो? राजयोग या प्रजा योग? चाहे रॉयल प्रजा भी हो लेकिन प्रजायोगी तो नहीं हो। राजयोगी हो। तो सभी को बाप की आप सब बच्चों के प्रति दी हुई सौगात याद रहेगी? कब तक? अन्त तक। बापदादा ने देखा पुरूषार्थ बहुत करते हैं, बापदादा जब देखते हैं बच्चे मेहनत बहुत कर रहे हैं तो बच्चों की मेहनत देखकर बाप को अच्छा नहीं लगता है। इसीलिए मुहब्बत में रहो तो मेहनत खत्म हो जायेगी। मेरा बाबा, तो और मेरा खत्म। जब मेरा बाबा कहा तो अनेक मेरा उसमें खत्म हो गया ना। एक खिलौना लाते हो ना एक में एक, एक में एक होता है। एक में 10- 12 समा जाते हैं, खिलौना बताते हो तो एक मेरा बाबा, मेरा बाबा कहने वाले हो ना। मेरा बाबा है ना! महारथियों का बाबा तो नहीं। मेरा बाबा। जब मेरा बाबा है तो हद का मेरा तेरे में समा लो। मेरे के बजाए तेरा कहो, कितना फर्क है। मेरा और तेरा कितना फर्क है? मे और ते। एक शब्द का फर्क है। तो पक्का है ना मेरा बाबा। पक्का है, कितना परसेन्ट? 100 परसेन्ट, 100 एक? ऐसे एक अंगुली उठाओ। जो 101 कहते हैं, वह उठाओ। बापदादा देख रहे हैं। टी.वी. में भी देख रहे हैं।
तो अभी शिवरात्रि शिवजयन्ती मनाते हैं तो इसमें विशेष तीन बातें मनाते हैं। कमाल तो बापदादा यह विधियां यह उत्सव मनाने वाले जो कापी की है उसको भी बधाईयां दे रहे हैं। विशेष 3 बातें मनाते हैं एक तो व्रत पालन करते हैं। आप लोगों को कापी किया है लेकिन अल्पकाल का। आप लोग भी जब से बाप के बने तो दो व्रत धारण किये। एक पवित्रता का सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं ब्रह्माचारी। कई बच्चे क्या करते? मुख्य बड़े बड़े विकारों का व्रत तो रख देते लेकिन छोटे छोटे जो हैं ना उसको छोड़ देते हैं लेकिन छोटे महा-बलि हो जायेंगे। छोटे कम नहीं होते। समय पर धोखा देने वाले छोटे होते हैं। जैसे चूहा होता है ना है तो छोटा लेकिन काटने में नम्बरवन है। फूंक भी देता है तो काटता भी है जो पता ही नहीं पड़े। तो छोटे छोटे विकार कई बच्चे क्रोध को समझते हैं यह तो होता ही है करना ही पड़ता है। तो क्या उसको सम्पूर्ण आत्मा कहेंगे? बाल बच्चों सहित छोटे मोटे सहित व्रत धारण किया कि हम सदा के लिए पवित्र रहेंगे। किया है ना वायदा? कि एक ब्रह्मचर्य का व्रत लिया है? आपका टाइटिल क्या है? सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादा पुरूषोत्तम यही टाइटिल है ना? कि थोड़ी थोड़ी मर्यादा कम। तो जो समझते हैं कि हमने मेरा बाबा कहा मेरा बाबा में सबने हाथ उठाया जब मेरा बाबा कहा तो बाप समान तो बनना पड़ेगा ना। बस एक मात्रा का फर्क करो जहाँ मेरा आवे ना वहाँ तेरा याद रखो। एक शब्द का फर्क याद रखने से तीन तख्त के निवासी बनेंगे। तो एक व्रत सदा के लिए पवित्रता मर्यादा पुरूषोत्तम का आपने सदा के लिए धारण किया वह एक दिन के लिए करते हैं कापी तो की है लेकिन आटे में नमक समान की है। फिर भी की तो है। बुद्धिवान तो हैं ना! और दूसरा व्रत रखते हैं खानपान का। तो आप सबने भी शुद्ध भोजन का व्रत रखा है ना। कापी तो की है ना। आपने भी पूरा किया है या कभी थक जाते तो कहते अच्छा कुछ खा लो। ऐसे तो नहीं? थक जाओ या तंग हो यूथ वाले क्या करते हैं? जो कुमार हैं वह हाथ उठाओ। कुमार। अच्छा। बहुत अच्छा। कुमारियां हाथ उठाओ। फारेनर्स में कुमारियां लाइट वाली कुमारियां हैं (सिर पर छोटा बल्ब लगाया है) कुमारों ने पूरा व्रत निभाया है कि कभी थक जाते हैं? कुमार जो आते ही अभी भी विधि पूर्वक खानपान का व्रत निभाते हैं वह हाथ उठाओ। पास हैं अच्छा मुबारक हैं। आपको पदमगुणा मुबारक हैं। मेहनत तो थोड़ी लगती है लेकिन बाप के प्यार में यह मेहनत नहीं मुहब्बत है। तो देखो कापी तो की है ना। व्रत रखते हैं एक दिन के लिए। और आप व्रत रखते हो जीवन के लिए। एक जीवन का व्रत सदा आपेही चलता है। फिर मेहनत नहीं करनी पड़ती। एक जन्म छोटा सा इसमें मेहनत जरूर है त्याग है। त्याग का भाग्य बनता है और साथ में क्या करते हैं? जागरण। आपने कौन सा जागरण किया है? वह नींद का त्याग करते हैं आपने भी अज्ञान की नींद का त्याग किया है कि अज्ञान की नींद को बिना समय के नींद को आने नहीं देंगे। झुटके नहीं खायेंगे। ऐसे ऐसे नहीं। ऐसे। लिया है ना व्रत यह भी। कईयों की आदत होती है ऐसे ऐसे करने की। बापदादा कहते हैं त्याग किया दृढ़ संकल्प किया तो फिर फिर दृढ़ संकल्प ढीला क्यों करते हो? स्क्रू टाइट करना नहीं आता है? इसको टाइट करने का स्क्रू ड्राइवर है प्रतिज्ञा। अभी जो कार्य रहा हुआ है कौन सा रहा हुआ है? बोलो। प्रत्यक्षता का। इसका ही पुरूषार्थ कर रहे हो ना। मेरा बाबा आ गया यह झण्डा क्यों लहराते हो? कोई भी कार्य करते हो झण्डा लहराते हो। आज भी झण्डा लहरायेंगे ना। किसका झण्डा लहरायेंगे? बापदादा का सेवा का बर्थ डे का झण्डा लहरायेंगे। जैसे झण्डा लहराते हो तो जब तक पूरा खुले नहीं तब तक खोलते रहते हो। समाप्ति झण्डे की तब तक होती है जब तक फूल नहीं बरसा है। तो आप भी प्रत्यक्षता क्या चाहते हो? बाप की प्रत्यक्षता हो। तो जितनी जागरण की व्रत लेने की प्रतिज्ञा पक्की करेंगे तो प्रत्यक्षता जल्दी से जल्दी होगी। तो प्रत्यक्षता चाहते हो ना! तो समय को समीप लाने वाले कौन? आप सब हो ना! समय को समीप लाने वाले आप सच्चे सेवाधारी बच्चे हो। विश्व परिवर्तक बच्चे हो। तो बर्थ डे की सौगात मंजूर है! देना भी लेना भी दोनों बताई। सिर्फ देनी नहीं है लेनी भी है। हाथ उठाओ जो दोनों करेंगे। जो दोनों करेंगे? अच्छा। बहुत अच्छा। अच्छा। यह आपका चित्र इसमें आ रहा है। (टी.वी.में) तो जो कुछ थोड़ा फेल होगा ना उसको यह चित्र भेज देंगे। फिर से हाथ उठाओ। यहाँ निकल रहा है। अच्छा। अच्छा है तो मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
बापदादा के पास चारों ओर से पदम पदमगुणा मुबारकें पहुंच गई हैं। हर एक दिल में कहता वा पत्र में लिखता वा ईमेल करता तो हमारी मुबारक सबसे पहले हो। तो बापदादा कहते हैं कि बापदादा ने सबकी मुबारक पहले पहले स्वीकार की है। नम्बर नहीं लगाया है सबकी इकट्ठी दिल की मुबारक स्वीकार कर ली। देखो दूर वाले जो देख रहे हैं वह भी ताली बजा रहे हैं। और चारों ओर मुबारक मुबारक के गीत बज रहे हैं दिल में। यह गीत नहीं दिल के गीत बिना मेहनत के खुशी हुई और स्टार्ट हो जाते हैं। खुशी दिल के गीतों की चाबी है। वाह बाबा मीठा बाबा कहा यह चाबी है। है ना चाबी? कभी कभी चाबी नहीं। सदा खुश। बापदादा को कोई भी बच्चे का चेहरा बोल या कर्म थोड़ा भी चिंतन वाला चिंता वाला व्यर्थ संकल्प वाला दुविधा वाला चेहरा देखते हैं ना तो अच्छा नहीं लगता। भगवान के बच्चे अगर सदा खुश नहीं रहेंगे तो कौन रहेंगे! आप ही हो ना। चेहरा कभी भी चिंता वाला नहीं शुभचिंतन। जब चिंता आवे ना किसी भी प्रकार की तो बाप मेरे कम्बाइण्ड है चिंता बाप को दे दो शुभचिंतक आप बन जाओ। क्योंकि बापदादा सदा हर्षित रहते हैं ना तो बच्चे मुरझाये हुए हों किसके बच्चे हैं? भगवान के। चेहरा कभी भी चाहे पहाड़ आ जाए लेकिन पहाड़ को भी आप रूई बना सकते हो। बाप के साथ अपने को जोड़ लो तो क्या हो जायेगा? जो पहाड़ है वह रूई हो जायेगा क्योंकि सर्वशक्तिवान को साथ कर दिया ना। आप भले कमज़ोर हो लेकिन सर्वशक्तिवान आपके साथ कम्बाइण्ड है तो समय पर काम में लगाओ। कहने तक नहीं काम में लगाओ। तो सदा खुशनुमा चेहरा और दिल सदा खुशनसीब। बापदादा चैलेन्ज करे कि अगर खुशनसीब खुशनुमा चेहरा देखना हो तो भगवान के सेन्टरों पर देखो करें चैलेन्ज। करें चैलेन्ज? कभी मुरझाना नहीं पड़ेगा। क्यों मुरझायें? कोई कमी हो तो मुरझाओ। क्या कमी है? खुशी की खुराक मानों आपको कमी है कोई भी हेल्थ की वेल्थ की तो खुशी के लिए क्या कहते हैं? खुशी जैसा कोई खज़ाना नहीं। तो वेल्थ हुआ ना। है वेल्थ आपके पास। खुशी है? हाथ उठाओ। खुशी है ना! तो वेल्थ है। और खुशी जैसा कोई भोजन नहीं खुशी जैसी कोई खुराक ही नहीं है चाहे 36 प्रकार की भोजन हो लेकिन खुशी नहीं तो सूखा। और खुशी है तो सूखी रोटी 36 प्रकार का सुख देगी और बाप का वायदा भी है जो सच्ची दिल साफ दिल बड़ी दिल। तीन बातें याद रखो सच्ची दिल साफ दिल बड़ी दिल यह तीनों बातें अगर याद रहें तो कोई भी समय दुनिया की हालतें कैसी भी हों लेकिन तीन ही बातें याद हैं तो आप सबको दाल रोटी बाप खिलायेगा। दो चार सब्जी नहीं खिलायेगा। दाल रोटी खिलायेगा। दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ। अनुभव किया है ना! पुराने जो पहले पहले आये हैं उन्होंने अनुभव कर लिया है। कभी भूखे रहे? और ही जो गुड़ है ना उसको बोर्नवीटा बनाके बापदादा हाथ से खिलाता था। और बापदादा के हाथ से रोटी खाते सबका पेट भर गया। बोर्नवीटा बनाने आता है नहीं आता?कैसी भी हालत हो यह गुड़ सब्जी नहीं हो दाल नहीं हो यह बोर्नवीटा बहुत सुख देता है बनाने सीख जाओ। सभी यहाँ सीख के जाना। आईवेल में यह बोर्नवीटा बहुत काम में आयेगा। लेकिन चार बातें याद करना। ऐसे नहीं एक भी बात कम होगी तो ढूंढना पड़ेगा सहज नहीं मिलेगा। इसलिए चेक करो चार ही बातें हैं - सच्चाई तन की मन की धन की सम्बन्ध सम्पर्क की दिल की सच्चाई दिल बड़ी। दिल बड़ी होती है तो जो भी इच्छा होती है जरूरत होती है वह पूर्ण हो ही जाती है। करके देखो। जहाँ दिल बड़ी है ना वहाँ सब इच्छायें हो जाती हैं। दिल छोटी करेंगे तो सब क्रियेशन छोटी हो जाती। बाप राजी तो क्या कमी है। तो पुरूषार्थ करो। तो फिर मुबारक की तालियां बजाओ।
सेवा का टर्न कर्नाटक ज़ोन का है 8 हजार कर्नाटक से आये हैं:- अच्छा। टीचर्स भी काफी है। सभी टीचर्स को बापदादा खास बर्थ डे की मुबारक दे रहे हैं। क्यों खास दे रहे हैं? क्यों? क्योंकि ऐसे योग्य बनाया है जो यज्ञ सेवा के योग्य हो सके क्योंकि यज्ञ सेवा का चाहे 10 दिन है चाहे 11 दिन हैं लेकिन अगर यज्ञ सेवा अपने विधि पूर्वक विधान पूर्वक किया तो यज्ञ की सेवा के 11 दिन 11 जन्म प्राप्त होता है। इसलिए यज्ञ सेवा का पुण्य वर्तमान समय जैसे अभी आपको खुशी हो रही है ना है ना खुशी एकस्ट्रा खुशी। मधुबन में पहुंचना अर्थात् एकस्ट्रा खुशी का खज़ाना मिलना। तो ऐसे योग्य बनाकर लाये हैं पुरूषार्थ कराया है इसीलिए टीचर्स को मुबारक हो। और मातायें मातायें हाथ उठाओ ज़ोन वाली मातायें भी बहुत हैं। माताओं को भी मुबारक है क्यों? क्योंकि मातायें मधुबन तो सम्भालते हैं लेकिन सेन्टर्स भी सम्भालती हैं। बापदादा आदि से कहते हैं कि जहाँ सेन्टर पर मातायें हैं वहाँ भण्डारा और भण्डारी सदा भरती रहती है। अच्छा उन्हों को विशेष मुबारक। और पाण्डव जो अधरकुमार हैं वह हाथ उठाओ। अधरकुमार देखो आपकी भी एक विशेषता है जैसे माताओं की विशेषता है वैसे अधरकुमारों की भी विशेषता है। क्यों? क्या विशेषता है? क्योंकि जो दोनों आते हैं एक दो के साथी हैं कोई विघ्न नहीं है एक मत हैं। नहीं तो दो मत में फिर भी खिटखिट होती है लेकिन जब दोनों एक मत हो जाते हैं तो अधरकुमार सेवा में बहुत आगे जाते हैं। समय निकाल सकते हैं। यूथ भी समय निकालते हैं लेकिन अधरकुमार डबल काम करते हैं। कौन सा डबल काम करते हैं? एक जो विश्व की सेवा है उसमें समय ज्यादा दे सकते हैं और दूसरा अपने धन को भी जितना चाहें उतना सफल कर सकते हैं क्योंकि दोनों राजी हैं। तो अधरकुमार जितना अपना जमा करना चाहें सफल करना चाहें उतना कर सकते हैं क्यों कारण? कोई विघ्न नहीं। मन का विघ्न और बात है लेकिन सम्बन्ध का विघ्न नहीं। इसीलिए आप लोगों का भी यज्ञ में विशेष पार्ट है। और अधरकुमार कुमारियों को देख वृद्धि बहुत जल्दी होती है। प्रैक्टिकल देखते हैं ना कि सब वर्ग वाले आते हैं परिवार में भी रहते हैं सब कुछ करते हुए भी अपना भाग्य बना सकते हैं पहले जो वायुमण्डल था कि घरबार छुड़ाते हैं डर था और अभी समझते हैं कि डबल काम कर सकते हैं और मदद मिलती है। समझा। अच्छा।
80 देशों के 1200 डबल विदेशी आये हैं:- डबल फारेनर नहीं कहो डबल तीव्र पुरूषार्थी। पसन्द है ना टाइटिल। डबल फारेनर्स तो कामन है। वह तो बहुत डबल फारेनर हैं। बापदादा को फारेनर्स के लिए खुशी होती है कि फारेनर्स मधुबन का श्रृंगार बन गये हैं। देखो इण्डिया के भिन्न भिन्न देशों से आते हैं तो फारेनर्स कम क्यों हो इसमें भी अच्छी रेस की है। 80 देश तो आ गये हैं। तो बापदादा एक बात में मैजारिटी को देख करके खुश है कि जो भी आते हैं वह अभी एक कल्चर वाले हो गये हैं। सभी एक ब्राह्मण कल्चर वाले हैं। हैं ना! हाथ उठाओ। अभी विदेश की कल्चर वाले नहीं सब ब्राह्मण कल्चर वाले। आये थे तो भिन्न भिन्न कल्चर वाले आये थे लेकिन कल्चर को भी पार कर लिया यह बड़ी दीवार थी लेकिन इस बड़ी दीवार को क्रास कर लिया है अभी लगता ही नहीं है कि यह कोई अलग हैं। अभी उठके देखे टी.वी. में सब ब्राह्मण कल्चर वाले। अच्छा लगता है ना एक ही कल्चर। जैसे शुरू में बच्चे आये थे तो भिन्न भिन्न वृक्ष की टालिंयां आई थी अपने अपने घरों से अपने वालों के साथ आये थे। लेकिन बापदादा ने शुरू में ही कहा कि आप भिन्न भिन्न वृक्ष की डालियां आई हो लेकिन यहाँ एक चंदन के बृक्ष मे समा जायेंगी। एक चंनद का वृक्ष बनेगा। आदि में आने वाले बच्चे आदि रत्न एक चंदन का वृक्ष बनें तब तो चंदन की खुशबू फैलाई। विदेश तक भी पहुंची ना। तब तो आये। तो विदेशी भी भिन्न भिन्न कल्चर में आये लेकिन अभी एक कल्चर। पसन्द है ना!पसन्द है हाथ उठाओ। कभी मुश्किल तो नहीं लगता। हाँ काम काज में रंगीन डे्रस पहनते हो वह तो एलाउ है बापदादा को फारेनर्स की एक बात और भी अच्छी लगती है कौन सी? जो सेवा के निमित्त हैं सेन्टर सम्भालते हैं उन्हों की विशेषता है। खाना भी अपना तैयार करते क्लास भी कराते जिज्ञासु भी सम्भालते और बाहर का जॉब भी करते भारत के बच्चे जब शुरू में गये तो क्या देखा? विशेषता देखी वहाँ ही क्लास पूरा हुआ सात दिन का आटा गूंद के रखेंगे ब्रेड बनाके रखेंगे क्लास पूरा हुआ जो कुछ दूध में डालने की भिन्न भिन्न चीज़ें अच्छी मिलती है वह खाके और भागे। तो सब काम फुर्त बनके किया और वृद्धि की पहले सिर्फ एक लण्डन था लण्डन वाले हाथ उठाओ। लण्डन वाले एक से अनेक हो गये ना। इसीलिए बापदादा ने टाइटिल दिया है डबल पुरूषार्थी। और फारेन की सेवा ने और धर्म वाले भी तैयार किये हैं। क्रिश्चियन तो हैं ही लेकिन मुस्लिम देश में भी कितने छिपे हुए बच्चे निकले हैं और आगे बढ़ रहे हैं। और तरीके से कर रहे हैं। बापदादा ने बच्ची को याद किया था। क्या नाम था? जो सेन्टर खोल रही है - (वजीहा बहन)। और नैरोबी वाले भी अच्छी कर रहे हैं। वह भी निकाल रहे हैं। तो टाइटिल पसन्द है ना। डबल पुरूषार्थी। हैं? डबल पुरूषार्थ है। अच्छा। निमित्त बनी हुई टीचर्स ने मेहनत अच्छी की है। इसलिए बापदादा सभी निमित्त टीचर्स को भी विशेष बधाई दे रहे हैं। अभी तो मेहनत का फल खा रहे हैं। पहले भी सुनाया है कि बापदादा का विश्व कल्याणकारी का टाइटिल विदेश सेवा से हुआ है। तो विशेष अलग अलग देश से पधारे हुए बच्चों को अपने देश वासियों सहित जो ब्राह्मण परिवार के हैं उस सहित पदम पदमगुणा मुबारक बर्थ डे की हो। और विशेष बापदादा को यह पसन्द है कि सब इकट्ठे होके विशेष मीटिंग करते हैं आर.सी.ओ. एन सी ओ जो भी हैं आपस में इकट्ठे होके सारे वर्ष का प्लैन बनाते हैं और मधुबन के वायुमण्डल में बापदादा और विशेष निमित्त ब्राह्मणों की शुभ भावना शुभ कामना लेके जाते हैं तो इसकी रिजल्ट बहुत अच्छी है। बापदादा जो चाहता था कभी चाहता था लेकिन अभी वह रिजल्ट सामने आ रही है। इसकी भी मुबारक हो। तो बापदादा वाह बच्चे वाह! लवली बच्चे वाह! लक्की बच्चे वाह! वाह वाह का गीत गाके मुबारक दे रहे हैं।
वर्ग वाले जो भी आये हों वर्ग वाले जो वर्ग वाले अपनी मीटिंग कर रहे हैं ना। मीटिंग भले करो मीटिंग करना चाहिए। क्योंकि बापदादा ने जो कहा है वह अभी किया नहीं है। इसलिए मीटिंग करनी चाहिए और जैसे बापदादा ने कहा कोई भी स्थान पर इकट्ठे करो मालूम तो पड़े कि वर्गीकरण के कनेक्शन वाले सहयोगी स्नेही कितने निकले हैं और कौन से निकले हैं? बाकी अच्छा है चला रहे हो चलाते रहो। अच्छा।
चारों ओर के बापदादा के दिलतख्तनशीन बच्चों को चारों ओर के तीव्र पुरूषार्थी बच्चों को चारों ओर के बापदादा ने जो गिफ्ट दी उस गिफ्ट को स्वीकार करने वाले और जो बच्चों ने ê