24-10-10   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘समय की रफ्तार प्रमाण अभी विशेष स्वभाव-संस्कार परिवर्तन करने में तीव्रता लाओ मन्सा द्वारा आत्माओं को भिन्न-भिन्न किरणें दो’’

आज चारों ओर के परमात्म तख्तनशीन भ्रकुटी तख्तनशीन और विश्व के तख्तनशीन बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। यह परमात्म दिलतख्त सिर्फ आप ब्राह्मणों के लिए ही है। भ्रकुटी का तख्त तो सबके पास है लेकिन परमात्म तख्त सिर्फ ब्राह्मण आत्माओं के ही भाग्य में है। यह परमात्म तख्त विश्व का तख्त दिलाता है। तो तीनों तख्त के अधिकारी आत्मायें आप ब्राह्मण ही हो। यह परमात्म तख्त कितना श्रेष्ठ है और कोई युग में परमात्म तख्त प्राप्त नहीं होता। यह परमात्म तख्त गाया भी जाता है परमात्म तख्त के अधिकारी भक्ति मार्ग में भी माला के मणकों के रूप में गाये और पूजे जाते हैं। कोटों में कोई के रूप में गाये जाते हैं। बड़ी भावना से एक-एक मणके को कितनी ऊंची दृष्टि से देखते रहते हैं। तो आप सबको फखुर है ना! है फखुर? कि हमारे सिवाए कोई भी इस तख्त का अनुभव नहीं कर सकते हैं। लेकिन आप सबका ब्राह्मणों का जन्म सिद्ध अधिकार है। आपके लिए यह तख्त गले का हार है। तो इतना नशा भगवान के दिलतख्त के अधिकारी यह नशा और खुशी सबको सदा स्मृति में रहती है? हम कौन हैं! इसका निश्चय और नशा रहता है?

बापदादा तो ऐसे तीन तख्त के अधिकारी बच्चों को देख खुश होते हैं वाह मेरे श्रेष्ठ अधिकारी बच्चे वाह! बच्चे कहते वाह बाबा वाह! और बाप कहते वाह बच्चे वाह! स्वयं बाप भी ऐसे बच्चों की महिमा गाते हैं। तो नशा है हम कौन हैं? जितना निश्चय होगा उतना ही नशा होगा। और निश्चय का नशा आपके चेहरे और चलन से दिखाई दे रहा है। जिसको निश्चय है उसको नशा जरूर होता है। बापदादा भी अभी हर बच्चे द्वारा चेहरे और चलन से आत्माओं को अनुभव कराने चाहते वाणी द्वारा तो अनुभव करने लगे हैं अभी अनुभव करने का कार्य शुरू हो गया है। पहले सुनते थे सोचते थे अभी आप ब्राह्मण आत्माओं की स्थिति का प्रभाव अनुभव करने लगे हैं। तो अपने आपको चेक करो कि मैं सारे दिन में कितना समय परमात्म दिलतख्त पर रहता हूँ? क्योंकि यह दिलतख्त विश्व का राज्य प्राप्त कराने का आधार है। क्योंकि इस दिलतख्त के आधार से जितना समय आप दिलतख्त के अधिकारी रहते हो उतना ज्यादा समय भविष्य में राज्य घराने में अधिकारी बनते हो। तो चेक करना जबसे मैं ब्राह्मण बना कितना समय दिलतख्तनशीन बना इसके आधार से तख्त पर तो नम्बरवार बैठेंगे लेकिन सदा राज्य फैमिली में घराने में अधिकारी बनेंगे। चेक किया है कभी? दिलतख्त से उतर तो नहीं जाते हो? अपना हिसाब निकालना क्योंकि इसके आधार से आप सदा राज्य घराने में आयेंगे। चेक करना कि तख्त को छोड़ कभी मिट्टी में पांव तो नहीं रखते! 63 जन्म का संस्कार देहभान रूपी मिट्टी में पांव रखा। एक है देहभान और दूसरा है देह-अभिमान। देह-अभिमान की मिट्टी गहरी है लेकिन देहभान यह भी मिट्टी है। लोग भी कहते हैं जब मनुष्य चला जाता है और जलाते हैं तो यही कहते हैं मिट्टी मिट्टी में मिल गई। तो चेक करो मिट्टी में पांव तो नहीं जाता! देहभान में आना अर्थात् मिट्टी में पांव रखना।

बापदादा ने आप श्रेष्ठ आत्माओं के लिए तीन तख्त दिये हैं क्योंकि लाडले हो ना। सिकीलधे भी हो लाडले भी हो। तो जो लाडला बच्चा होता है उसको झूले में या गोदी में रखते हैं। मिट्टी में पांव रखने नहीं देते। तो बापदादा ने जो तीन तख्त के अधिकारी हैं उन्हों के लिए कितने भिन्न-भिन्न झूले दिये हैं। कभी शान्ति के झूले में झूलो कभी सुख के झूले में झूलो कभी प्रेम के झूले में झूलो। तख्त और झूले इसी में ही पांव रखना है। कई बच्चे पूछते हैं हम भविष्य में कहाँ आयेंगे? क्या बनेंगे? तो बाप कहते हैं जितता समय से आये हो उतने समय में चेक करो कि मेरा पांव जितना समय हुआ है उतना ही समय झूलों में या तख्त पर रहा है? उतना ही भविष्य में रॉयल घराने में रहेंगे। रॉयल प्रजा में भी नहीं आयेंगे रॉयल घराने में ही आयेंगे। तो यह हिसाब हर एक अपने आप अपना निकालो। दूसरे को नहीं देखना अपना हिसाब निकालना। हर एक चाहता क्या है? रॉयल घराने राज्य घराने में ही रहें। तो अब भी जितना समय मिलता है क्योंकि समाप्ति तो अचानक होनी है। तो जब तक समाप्ति हो तब तक अब भी चेक करेंगे तो जितना समय ज्यादा बाप की गोदी में तख्त पर झूले में रहेंगे उतना समय रॉयल फैमिली में रॉयल घराने में भाग्य प्राप्त करेंगे।

बापदादा तो हर बच्चे को सारा समय 21 जन्म ही रॉयल घराने में चाहे सूर्यवंशी चाहे चन्द्रवंशी दोनों युग में रॉयल फैमिली में रहने का अधिकार दे रहा है। लेकिन अधिकार लेना यह हर बच्चे के ऊपर अधिकार है। ब्रह्मा बाप से प्यार है तो ब्रह्मा बाप का भी आप बच्चों से प्यार है। ब्रह्मा बाप आप बच्चों को साथ-साथ रॉयल घराने में देखने चाहता है। आप क्या समझते हो - ब्रह्मा बाप के आसपास रॉयल घरानों में रहने वाले हो या थोड़ा समय रहेंगे? फिर दूर तो नहीं जाने चाहते ना! सुनाया आधार है संगमयुग का। बापदादा का बच्चों से इतना प्यार है जो जैसे अभी कहते हो साथ रहेंगे साथ चलेंगे अभी ब्रह्मा बाप और ब्राह्मण साथ हैं चाहे अव्यक्त रूप में हैं लेकिन साथ हैं।

अभी बापदादा ने देखा कि बच्चों को माया भी अब तक छोड़ती नहीं है उनका भी प्यार है। और आजकल दो रूपों में विशेष माया भी चांस लेती है। दो रूप में आती है - एक व्यर्थ संकल्प और दूसरा कहीं-कहीं कभीव भी यह भी लहर है जो मैंने किया वा सोचा मैं ही राइट हूँ मैं कम नहीं हूँ। यह लहर फैली हुई है - मैं ही राइट हूँ लेकिन जो कनेक्शन में आते हैं या निमित्त बने हुए हैं वह भी आपके विचार को साथ देते हैं! दूसरों की भी वेरीफिकेशन मिलनी चाहिए। यह व्यर्थ संकल्प टाइम वेस्ट करते हैं। इसलिए बापदादा रोज की मुरली मनन करने के लिए सेवा करने के लिए होमवर्क में रोज देते हैं। अगर मनन करो या मनन करते-करते मगन हो जाओ तो यह रोज का होमवर्क मन को बिजी करने का साधन है। सुनना और मनन करना या मगन हो जाना यह बापदादा रोज का होमवर्क इसीलिए देता है। जैसे बच्चों को होमवर्क इतना ज्यादा दे देते हैं जो उनकी बुद्धि करने में बिजी रहे। ऐसे रोज की मुरली उसमें चार ही सबजेक्ट का होमवर्क है। मन्सा का भी है वाणी का भी है कर्म का भी अटेन्शन और दिव्यता का इशारा होमवर्क है। तो होमवर्क में बिजी रहेंगे तो व्यर्थ संकल्प के आने की मार्जिन नहीं रहेगी। इस विधि को अपनाते रहेंगे तो व्यर्थ संकल्प स्वत: ही आपसे विदाई ले जायेंगे क्योंकि बापदादा ने देखा याद की यात्रा पर सभी का नम्बरवार अटेन्शन है वाचा सेवा में भी अटेन्शन है। लेकिन अभी अपने संस्कार या दूसरों के संस्कार को परिवर्तन करना यह स्वभाव संस्कार जिसको रॉयल रूप में आप कहते हो नेचर मेरी नेचर है भाव नहीं है नेचर है यह धारणा की सबजेक्ट अभी भी रॉयल रूप में आती रहती है। तो बापदादा आजकल यही इशारा देते हैं कि जो भी धारणाओं में कमी होती है उसको अभी विशेष अटेन्शन दो।

बापदादा ने पहले भी कहा है कि अभी धारणा में यह मुख्य धारणा का अटेन्शन दो कोई भी बात हो गई तो चेक करो सेकण्ड में फुलस्टॉप दे सकते हो! कि चाहते फुलस्टॉप हैं लेकिन हो जाता है क्वेश्चनमार्क? फुलस्टॉप नहीं आधा फुलस्टॉप लगता है और मात्रा बन जाता है। आगे चलकर ऐसे सरकमस्टांश आयेंगे जो आपको सेकण्ड में फुलस्टॉप लगाना पड़ेगा। उस समय क्वेश्चन मार्क आश्चर्य मार्क को ठीक करने लगो इतना समय नहीं मिलेगा। सेकण्ड में फुलस्टॉप की आवश्यकता होगी इसका अभ्यास काफी समय पहले का चाहिए तब समय पर विजयी बन सकेंगे। तो हलचल के समय जब संस्कार स्वभाव का पेपर हो उसके लिए अभी से ऐसे समय में अभ्यास करो तो बहुत समय का अभ्यास आगे चल आपका बहुत सहयोगी बनेगा।

तो बापदादा अमृतवेले चक्कर लगाते हैं तो हर एक के पुरूषार्थ को चेक करते हैं। क्या चार ही सबजेक्ट में पुरूषार्थ तीव्र है वा साधारण है? तो क्या देखा? समय की रफ्तार प्रमाण अभी पुरूषार्थ में सदा तीव्र पुरूषार्थ की आवश्यकता है। तो बापदादा इशारा दे रहा है समय तीव्रगति से समीपता के नजदीक आ रहा है। उस हिसाब से अभी विशेष स्वभाव और संस्कार के परिवर्तन में तीव्रगति चाहिए।

अभी बापदादा सभी बच्चों को समान बनाने चाहते हैं। आपका लक्ष्य भी है बाप समान बनना ही है। इसके लिए सबसे सहज साधन है ब्रह्मा बाप को फॉलो करो। टैली करो जो भी कर्म करो पहले टैली करो मिलान करो। ब्रह्मा बाप का यह कर्म या बोल या संकल्प है? कहा भी जाता है पहले सोचो फिर करो। बोलने के पहले तोलो फिर बोलो। तो सुना बापदादा अभी क्या चाहते हैं? आप भी चाहते तो हो जब रूहरिहान करते हो ना तो बापदादा बहुत मीठीमीठी बातें सुनते हैं। उमंग की बातें भी बहुत अच्छी करते हो यह करके दिखायेंगे यह करना ही है यह होना ही है! संकल्प बहुत उमंग के होते हैं लेकिन कर्म तक आने में कुछ बदल जाते हैं कुछ होते हैं। बाकी बापदादा भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवा के प्लैन जो बनाते हो वह सब पसन्द करते हैं। प्रोग्रामस भी जहाँ तहाँ अच्छे चल रहे हैं लेकिन अभी जितना वाचा द्वारा या भिन्न-भिन्न विधियों द्वारा कर रहे हो सफलता भी है बापदादा खुश भी है सिर्फ अभी मन्सा द्वारा अनेक आत्माओं को सुख की किरण शान्ति की किरण खुशी की किरण प्रेम की किरण पहुंचाना यह सेवा भी साथ-साथ करो। अपने ही संस्कार परिवर्तन या दूसरों के संस्कार को सहयोग देना इसमें टाइम कईयों का ज्यादा जाता है। तो मन्सा सेवा द्वारा भिन्न-भिन्न किरणें आत्माओं को देना इसका अटेन्शन आगे चलके बहुत आवश्यकता पड़ेगी उसके ऊपर भी ध्यान देते रहो। जो बच्चे समझते हैं कि यह सेवा मैं करता रहता हूँ वह हाथ उठाओ। अच्छा। कर रहे हैं उन्हों को मुबारक है और जो नहीं कर रहे हैं उनको करना चाहिए क्योंकि आगे चलके सरकमस्टांश ऐसे बनेंगे जो सुनने और सुनाने वाले दोनों का मेल मुश्किल हो जायेगा इसलिए दोनों सेवा अभी से जितना हो सके उतनी आदत डालो। मन बिजी भी रहेगा तो मनमनाभव होना सहज हो जायेगा। मन बिजी होने से संस्कार स्वभाव को सहज परिवर्तन करने में मदद मिलेगी।

आज खास डबल फारेनर्स के मिलन का दिन है बापदादा को खुशी है वाह डबल फारेनर्स वाह! बापदादा को खुशी है कि विश्व के कोने- कोने में जो बाप के कल्प पहले वाले बच्चे छिपे हुए हैं तो विश्व की सेवा में डबल फारेनर्स निमित्त बने हैं और बापदादा ने सुना कि हर एक अपनी-अपनी एरिया में गांव-गांव या शहरों में जो रहे हुए हैं उसमें पहुंचने का प्लैन बनाते रहते हैं। इसकी मुबारक हो मुबारक हो। नहीं तो जब समाप्ति होनी होगी हालतें बदलेंगी तो आप सबको चाहे भारत चाहे विदेश बहुत-बहुत-बहुत उल्हनें मिलेंगे कि हमारा बाप आया और आपने हमें बताया भी नहीं। सन्देश तो देते बहुत उल्हनें मिलेंगे। इसलिए अभी कर रहे हैं और ज्यादा कोई कोना रह नहीं जाये इसका प्रयत्न करना। बाकी बापदादा डबल फारेनर्स या देश वाले दोनों बच्चे जो चारों ओर अपना पुरूषार्थ कर रहे हैं उन्हों को देख खुश है बहुत बहुत खुश है। क्यों? क्यों खुश है? अभी देश में विदेश में यह प्लैन बना रहे हैं बापदादा को पसन्द है किसी भी साधन से सन्देश पहुंचना चाहिए। यह साइंस वास्तव में आप लोगों के लिए बहुत समय पर मददगार है। साधन दिनप्रतिदिन नये नये निकलते रहते हैं उसको कार्य में निर्विघ्न बन लगाते जाओ। बापदादा जहाँ भी मीटिंग करते हो सर्विस बढ़ाने की वह सुनते हैं और खुश होते हैं कि बच्चों की बुद्धि अभी आलराउण्ड जा रही है साधनों को सेवा में लगाने के लिए। इसीलिए जो भी आप प्लैन बनाते हो वह बापदादा सुनते हैं चक्कर लगाते हैं ना! आप कहाँ भी मीटिंग करो चाहे दिल्ली में करो देश में किसी भी शहर में करो चाहे विदेश में कहाँ भी करो बापदादा सब सुनते रहते हैं। बापदादा के पास भी साधन है। इसके लिए बापदादा फारेन के एक-एक देश से जो भी आये हैं हर एक को क्या देते हैं? बहुत-बहुत प्यार दे रहे हैं। सिर्फ अभी थोड़ी तीव्रता लाओ। प्लैन को प्रैक्टिकल में नई नई बातें लाते रहो। यह सब देखो आपका यह यज्ञ आरम्भ होने के थोड़े वर्ष पहले यह सब इन्वेन्शन शुरू हुई हैं। साइन्स भी आपकी सेवा की मददगार है। खूब लाभ उठाओ आपके लिए ही निकली है। दिनप्रतिदिन देखो कितनी नई-नई बातें अभी अभी निकल रही हैं। यह ड्रामा आपको सहयोग दे रहा है। साधन आपको सहयोग दे रहा है।

अच्छा। सभी सदा खुश तो हो ना! सदा खुश हैं? जो सदा खुश रहता है वह हाथ उठाओ सदा खुश। कोई बात हो जाए तो भी खुश? बातें आती हैं ना तो भी खुश रहते हो? रहते हो? बड़ा हाथ उठाओ। वेलकम करते हो ना! घबराते नहीं हो वेलकम करते हो। अनुभवी बनाते हैं। यह विघ्न अनुभव की अथॉरिटी को बढ़ाते हैं। माया आ गई माया आ गई यह नहीं कहो यह पेपर है माया-माया कहते माया को आगे बढ़ाते हो। पेपर है। माया को तो आप जान गये हो कितने वर्षों से जान गये हो। माया क्या है? इसलिए माया से घबराओ नहीं पेपर समझके खुशी-खुशी से पेपर दो और अनुभव की क्लास में आगे बढ़ो। यह क्लास बढ़ाना है मूंझना नहीं है क्या करूं कैसे करूं क्या क्यों यह ब्राह्मणों का सोचने का काम नहीं है। त्रिकालदर्शी हो क्या क्यों कैसे यह उठ ही नहीं सकता। पेपर आया अनुभव की क्लास में आगे बढ़े। खुश हो। अभी तो अनुभवी बन गये हो और बनते रहेंगे। अच्छा।

फॉरेन की टीचर्स हाथ उठाओ। सभी को जो भी निमित्त बने हैं सभी को बापदादा टीचर्स माना बाप समान क्योंकि बाप जैसे रोज मुरली चलाते हैं ऐसे आप भी मुरली चलाने के तख्तनशीन हो। तो बाप के साथी हो। तो साथी के स्वरूप में बापदादा आप सभी टीचर्स को चाहे इण्डिया की हो चाहे फारेन की हो लेकिन सभी टीचर्स को खास क्या दे रहे हैं? शाबास बच्चे शाबास! अच्छा। अभी जो भी आज यहाँ हाल में बैठे हैं कहाँ के भी हो लेकिन दुबारा जब मधुबन में आयेंगे बाप से मिलेंगे तो बापदादा क्या देखने चाहता है? कहें? कोई न कोई जो कुछ पुरूषार्थ में खुद समझो कि यह नहीं होना चाहिए समझते तो सभी हैं कि यह नहीं होना चाहिए वह परिवर्तन करके आयेंगे! करेंगे? यह अपने आपको देखना क्योंकि दूसरा कोई देख नहीं सकता। तो यह करने के लिए कौन तैयार हैं? दोदो हाथ उठाओ। बिन्दी लगा दिया ना। फिर बापदादा उन्हों को चाहे छोटी चाहे मोटी गिफ्ट देंगे। परिवर्तन सेरीमनी मनायेंगे। पसन्द है ना! पसन्द है? अपने-अपने क्लासेज वालों को भी कहना जितने भी परिवर्तन करें उतना अच्छा है। समय को समीप लायेंगे। अच्छा।

80 देशों से 2200 डबल विदेशी आये हैं:- तो बापदादा हर एक बच्चे को दिल के प्यार की गिफ्ट दे रहे हैं। जो फर्स्ट टाइम आये हैं वह उठो। आप सबको अपने आध्यात्मिक जन्म दिन की मुबारक हो मुबारक हो क्योंकि आप हर एक परिवार की शोभा हो श्रृंगार हो। इसीलिए बापदादा यही चाहते कि भले लेट आये हो लेकिन टूलेट के पहले आये हो इसकी विशेष परिवार को आपके आने की खुशी है। आ गये हमारे बिछुड़े हुए परिवार के साथी आ गये। अभी समय अनुसार आपको तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा। स्लो पुरूषार्थ ढीला पुरूषार्थ नहीं करना तीव्र पुरूषार्थ करेंगे तो लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट आ सकते हैं। करेंगे ना! करेंगे? अच्छा है। बहुत बहुत परिवार की तरफ से बापदादा की तरफ से बहुत-बहुत-बहुत यादप्यार लेते रहना और बढ़ते रहना। अच्छा।

मीडिया से कनेक्टेड:- अच्छा है मीडिया एक साधन है साधनों को सेवा में लगाना यह आपका काम है। बाकी बापदादा ने सुना अच्छी मीटिंग्स की हैं और बापदादा भी चाहता है कि मीडिया द्वारा कोने-कोने में सन्देश पहुंचे। उल्हना नहीं मिले। अच्छा किया अच्छा करते रहेंगे और चारों ओर आत्माओं को अपने पिता का पैगाम मिलता रहेगा। बापदादा ने देखा जो भी प्रोग्राम चला रहे हो यह भी चला रहे हैं ना प्रोग्राम। (निजार भाई से) यह भी अच्छा है और जो आजकल जगह-जगह पर भविष्य का सन्देश देने के प्रोग्राम बना रहे हो वह भी अच्छे चल रहे हैं रिजल्ट कुछ न कुछ निकल रही है। मुबारक हो। अच्छा।

जो भी पत्र फोन जिन्हों के भी याद प्यार या सन्देश बापदादा के प्रति आये हैं उन सभी बच्चों को बापदादा अपने नयनों में समाते हुए यादप्यार या सर्विस समाचार या मन का पुरूषार्थ का समाचार दिया है उन सबको बापदादा मन्सा द्वारा इमर्ज कर सुख की शान्ति की खुशी की किरणें दे रहे हैं। चाहे कोई ने यहाँ नहीं भेजा है लेकिन दिल में भी संकल्प किया वह संकल्प भी बाप के पास पहुंच गया है। चारों ओर के हिम्मते बच्चे मददे बाप मीठे-मीठे बच्चों को बापदादा यादप्यार दे रहे हैं। और इस वर्ष अपने प्रति या सेवाकेन्द्र प्रति या विश्व की आत्माओं प्रति कोई न कोई ऐसा प्लैन बनाना जो सेवा का बल और फल सर्व आत्माओं को प्राप्त हो जाए। चारों ओर के बच्चों को बापदादा का विशेष दिल का याद और प्यार स्वीकार हो। ओम् शान्ति।

मुन्नी बहन से:- अच्छा है यह जन्म दिन सेवा के लिए मनाया। तो सेवा के लिए मनाया है सेवा का रिटर्न सभी तरफ से आपको सेवा का बल और सेवा का फल मिलता रहेगा। अभी फिनिस करो। बस हो गया। अच्छा मनाया।

दादी जानकी से:- बाप नचा रहे हैं आप नाच रही हो। टाइम पर तो उठाता है ना।

मोहिनी बहन से:- हर एक अच्छे से अच्छा है। (बाबा शरीर का हिसाब कब तक?)जल्दी जल्दी चुक्तू हो रहा है चुक्तू हो जायेगा। थोड़ा टाइम लगता है पिछला हिसाब है ना। अभी का तो है नहीं पिछला है। पिछले को पीछे करते जायेंगे।

दादियों से:- सभी महारथी हैं। अच्छे हैं और अच्छे रहेंगे। रूकमणि दादी से:- (दादी है) हाँ शुरू की है निमित्त है।

परदादी से:- अच्छा है सबके आगे एक हिसाब किताब हंसी खुशी से चुक्तू करने का सैम्पुल हो। बीमार नहीं हो सैम्पुल हो। सब आपको देखकर हिम्मत में आ जाते हैं आप सैम्पुल हो।

रमेश भाई से:- अपनी तबियत की अभी सम्भाल करना। ऐसे नहीं चलाओ थोड़ा ध्यान देके टाइम निकालके भी तबियत को थोड़ा ठीक कर दो। जो भागदौड़ की है ना थोड़ा आराम से तबियत को ठीक कर दो। काम में आगे चलना है। आगे जिम्मेवारी उठानी है यज्ञ को चलाना है। तो शरीर को ठीक करो विशेष ध्यान रखो। शरीर तो पुराने हैं। (निर्वैर भाई) यह भी ध्यान तो रखता है। रखना चाहिए लेकिन सेवा में कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। प्रोग्राम ऐसे बनाने चाहिए। ठीक है। (बृजमोहन भाई) तीनों निमित्त हो। तीनों ही निमित्त हैं। अपने को जिम्मेवार समझते हो ना। (रमेश भाई) पेपर को फेस किया इसकी मुबारक हो। बहुत अच्छा पार किया।

डबल विदेशी भाई बहिनों ने बापदादा को गुलदस्ता और माला भेंट की):- यहाँ के थे यहाँ पहुंच गये। बहुत अच्छा। अच्छा पार्ट बजा रहे हो। सभी अपना-अपना पार्ट बजा रहे हैं। अच्छा। विदेश की बड़ी मुख्य बहिनों से:- यह भी ग्रुप अच्छा है। निमित्त बनके एक दो को सहयोग देते आगे बढ़ रहे हैं। भारत के पक्के हैं ना अनुभवी हैं इसीलिए निमित्त बने। निर्विघ्न चल रहा है ना। कोई मुश्किल तो नहीं? सेट हो गये हैं। कायदे कानून में भी सेट हो गये हैं। (चक्रधारी बहन से) इसका चल रहा है। बहुत अच्छा। चाहे भारत के हैं लेकिन जहाँ भी गये हो वहाँ मिक्स हो गये हो। भारत और विदेश का फर्क नहीं है यह अच्छा है और भारत के अनुभवी होने के कारण हैन्डालिंग भी अच्छी मिलती है। बापदादा खुश है। (भारत में भी सेवा के चांस मिलते हैं) चांस मिलते हैं एक ही बात है कहाँ भी सेवा करो। बापदादा खुश है आगे बढ़ रहे हैं गांव-गांव में जो बढ़ रहे हो बहुत अच्छा है। जहाँ सेन्टर नहीं है वहाँ सेन्टर या किसी भी रीति से सन्देश पहुंचाओ।



15-11-10   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘स्व-परिवर्तन की गति को तीव्र कर संस्कार-स्वभाव के समाप्ति का समारोह मनाओ हर संकल्प बोल और कर्म में ब्रह्मा बाप को कापी करो’’

आज बापदादा सभी के मस्तक पर तीन भाग्य की चमकती हुई निशानियां देख रहे हैं। एक है बाप द्वारा पालना का भाग्य दूसरा है शिक्षक रूप में शिक्षा का भाग्य तीसरा है सतगुरू द्वारा वरदानों का भाग्य। तीनों भाग्य चमकता हुआ देख रहे हैं। हर एक का मस्तक तीनों भाग्य से चमक रहा है। ऐसा भाग्य और कोई के मस्तक में चमकता हुआ दिखाई नहीं देता है। लेकिन आप सबका मस्तक भाग्य से चमक रहा है। आप सभी भी अपने भाग्य को देख रहे हो ना! बापदादा ने देखा भाग्य तो सबको मिला है लेकिन भाग्य की चमक सभी की एक जैसी नहीं है। कोई की चमक बहुत तेज है कोई की चमक थोड़ी कम दिखाई देती है। वैसे बापदादा ने सभी को एक साथ एक जैसा ही भाग्य दिया है। पढ़ाई एक ही पढ़ाते हैं। पालना एक जैसी दी है और वरदान भी एक जैसे दिये हैं। आदि रत्न वा पीछे आने वाले सभी को एक ही मुरली द्वारा पालना मिलती है पढ़ाई मिलती है। वरदान भी एक ही सभी को मिलते हैं। आदि रत्नों की मुरली अलग नहीं होती एक ही होती है। लेकिन नम्बरवार चमकता हुआ भाग्य दिखाई दे रहा है। बाप के प्यार की पालना सभी को एक जैसी मिल रही है। हर एक के मुख से यही निकलता ‘‘मेरा बाबा’’ चाहे आगे आने वाले चाहे पीछे आने वाले लेकिन हर एक अपने अधिकार से कहते मेरा बाबा। किसी से भी पूछो बाप से प्यार मिला है? तो फलक से कहते मेरे को बाप का प्यार सबसे ज्यादा मिलता है। यह मेरा बाबा दिल से कहने वाले क्या फलक से कहते हैं? कि मेरा प्यार सबसे ज्यादा है। बाबा का प्यार पहले मेरे से है क्योंकि प्यार ही बाप की पालना है। इस मेरा बाबा मानने से आप बाबा के बन गये और बाप आपका बन गया।

आज आप सभी आये हो तो प्यार के प्लेन में आये हो। प्यार ने खींच के सभी को यहाँ लाया है। सभी प्यार से आराम से पहुंच गये। यह परमात्म प्यार सिर्फ अभी संगम पर प्राप्त होता है। देव आत्माओं का प्यार प्राप्त होता है लेकिन परमात्म प्यार इस एक जन्म में प्राप्त होता है। तो बापदादा भी ऐसे पात्र आत्माओं को देख क्या कहते हैं? वाह बच्चे वाह! आप ही कोटों में कोई पात्र बने हैं और हर कल्प आप ही पात्र बनेंगे। ऐसा नशा चलते फिरते रहता है ना! आपकी दिल भी यह गीत गाती है वाह मेरा भाग्य! यह गीत गाते रहते हो ना! बाप को भी खुशी होती है कि यह सभी बच्चे अधिकारी हैं। अपने को कोई भी परमात्म प्यार में कम नहीं समझते। प्यार में सब पास हैं। बापदादा पूछते हैं कि सबसे ज्यादा प्यार किसका है? तो कौन कहेंगे? सब जानते हैं कि हमारा प्यार कम नहीं है बाप भी कहते हैं कि प्यार की सबजेक्ट में सभी पास हैं तब मेरा बाबा कहते हैं। कितना प्यार है वह हर एक जानता है। तो बापदादा ने देखा कि प्यार में तो सब पास हैं लेकिन अभी समय के प्रमाण स्व परिवर्तन उसकी भी आवश्यकता है। सिर्फ स्व परिवर्तन विशेष सुनाया भी था कि इस समय स्व परिवर्तन में विशेष संस्कार परिवर्तन स्वभाव परिवर्तन उसकी आवश्यकता है।

अभी नया वर्ष शुरू हुआ है तो स्व परिवर्तन की गति फास्ट चाहिए। करते भी हो अटेन्शन भी है लेकिन गति अभी फास्ट चाहिए। बापदादा को याद है पहले भी बाप से वायदा किया कि नये वर्ष में स्व परिवर्तन संस्कार परिवर्तन करना ही है लेकिन बापदादा ने देखा कि संस्कार परिवर्तन में जितना फास्ट पुरूषार्थ चाहिए उसकी गति और फास्ट चाहिए। आप सभी क्या समझते हो कि समय प्रमाण जितनी फास्ट गति चाहिए उस अनुसार हर एक का तीव्र पुरूषार्थ है या और होना चाहिए? क्योंकि समय अनुसार समय में परिवर्तन फास्ट हो रहा है तो आपका भी तीव्र परिवर्तन तब होगा जो संकल्प किया और हुआ अयथार्थ संकल्प ऐसा समाप्त होना चाहिए जैसे कोई कागज पर बिन्दी लगाओ। कितने में लगेगी? अयथार्थ अर्थात् फालतू संकल्प इतना फास्ट परिवर्तन होना चाहिए। क्या ऐसी गति जो बापदादा चाहते हैं यह कर सकते हो? है हिम्मत? जो समझते हैं कि अब से इतनी रफ्तार से बिन्दी लगा सकते हैं हिम्मते बच्चे मददे बाप वह हाथ उठाओ। बापदादा बच्चों का दृढ़ संकल्प देख मुबारक देते हैं। बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि दृढ़ संकल्प के संकल्प हैं - करना ही है।

तो आज की सभा में सभी ने यह दृढ़ संकल्प किया है ना! आपने देखा दादियों ने देखा सभी ने हाथ मैजारिटी ने उठाया। देखा! तो कल से स्वभाव संस्कार समाप्ति की सेरीमनी मनानी चाहिए। मनायें? जिन्होंने हाथ उठाया वह हाथ उठाओ सेरीमनी मनायें? इसकी सेरीमनी तो बहुत धूमधाम से मनाना। जैसे लक्ष्य हिम्मत का रखा है वैसे लक्षण भी हिम्मत का रखेंगे तो कोई बड़ी बात नहीं है। जब लक्ष्य ही है बाप समान बनने का तो अभी लक्ष्य और लक्षण एक करना है। फालो ब्रह्मा बाप। जो भी संकल्प बोल कर्म करो पहले ब्रह्मा बाप से मिलाओ। कॉपी करो। दुनिया में कॉपी करना मना है लेकिन बापदादा कहते हैं ब्रह्मा बाप को कॉपी करो। निराकार बाप के लिए तो कहेंगे उसको देह नहीं तो देहभान क्या है! लेकिन ब्रह्मा बाप देहधारी रहे हैं। वास्तव में देखो आप जो सरेन्डर हुए सरेन्डर होने वाले हाथ उठाओ जो सरेन्डर हैं वह हाथ उठाओ। जब सरेन्डर किया तो क्या संकल्प किया? तन मन धन सब बाप आपका। ऐसे किया ना! किया? किया था? इसमें हाथ उठाओ। तो अभी सरेन्डर किया मेरा नहीं तन भी मेरा नहीं धन भी मेरा नहीं जैसे ब्रह्मा बाप ने बाप को सेवार्थ शरीर दे दिया तो ब्रह्मा बाप जानते थे कि यह शरीर मेरा नहीं सेवार्थ है। तो जब आपने तन मन धन तीनों अर्पण किया तो आपका शरीर बाप के सेवार्थ निमित्त है। जैसे ब्रह्मा बाप का शरीर सेवा अर्थ रहा। तो आपका शरीर आपका नहीं है सेवार्थ है। तो यह जो संस्कार हैं देह अभिमान वा देहभान का यह होना चाहिए? अगर यह स्मृति में रखो कि यह तन विश्व सेवा अर्थ है मेरा नहीं है बाप ने आपको सेवार्थ दिया है। तो देहभान वा देह अभिमान देह अभिमान ज्यादा नुकसान करता है। देहभान उससे हल्का है लेकिन दोनों जब दे दिया फार्म भरते हो तो क्या लिखते हो? टीचर्स फार्म भराती हो ना तो क्या भराती हो? कि यह मेरा जीवन अभी सेवा प्रति है। सभी ने जो भी ब्राह्मण बने हैं उन सभी का बाप से वायदा है तन मन धन बाप का मेरा नहीं। तो यह संस्कार जो पैदा होते हैं वह देह भान या देह अभिमान में होते हैं इसलिए जो आज भी वायदा किया है संस्कार समाप्ति का क्योंकि जो विघ्न डालते हैं बाप को प्रत्यक्ष करने में सभी को उमंग यह है बापदादा सुनते रहते हैं कहते भी रहते हो कि बाप को प्रत्यक्ष करना है अभी तक ब्रह्माकुमारियाँ ब्रह्माकुमार प्रत्यक्ष हुए हैं भगवान बाप आ गया यह बाप की प्रत्यक्षता गुप्त है। पुरूषार्थ कर रहे हैं लेकिन यह प्रत्यक्ष आवाज फैले हमारा बाप आ गया भगवानुवाच है न कि ब्रह्माकुमारियों के वाच हैं। अभी यह प्रत्यक्षता होनी ही है यह स्वभाव संस्कार परिवर्तन होना आप एक-एक के चेहरे और चलन से प्रत्यक्ष होगा। बाप को प्रत्यक्ष करना है कर रहे हैं लेकिन सबके कानों में यह आवाज गूंजे भगवान आ गया बाप आ गया होना है ना! हाथ उठाओ होना है होना है? हाथ तो बहुत अच्छा उठाया। बापदादा खुश है कि सभी के मन में लगन है और होना ही है। इसके लिए जैसे कल से संस्कार स्वभाव को परिवर्तन करेंगे वैसे ही उसका साधन है कि हर एक जो भी ब्राह्मण हैं हर ब्राह्मण को अपने चार्ट में शुभ भावना शुभ कामना का विशेष अटेन्शन रखना होगा। जैसे दुनिया वालों को काम दिया कि कितना समय शुभ भावना कामना रख सकते हैं उनको कहा रख सकते हैं और आप तो रख ही सकते हैं। किसी भी समय किसका भी स्वभाव संस्कार तब सामना करता है जब शुभ भावना शुभ कामना उस आत्मा प्रति उस समय नहीं है। तो आप भी अगर अमृतवेले से यह संकल्प करो कि मुझे हर आत्मा प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखनी ही है तो जो संकल्प किया परिवर्तन करना ही है वह पूरा कर सकेंगे। बातें आयेंगी बातों का काम है आना माया है ना! और आपका काम है विजय प्राप्त करना। तो कल आपस में ग्रुप बनाके जो निमित्त हैं उन्हों को आपस में रूहरिहान कर जो संकल्प किया है उसको आगे प्रैक्टिकल में कैसे लायें उस पर रूहरिहान करना। फिनिस बिन्दी लगा देना। हाथ तो उठाया है ना! आगे वालों ने हाथ उठाया। तो आपको निमित्त बनना पड़ेगा। जैसे ब्रह्मा बाप के आगे कितने संस्कार वाले पहले-पहले आये आदि में ब्रह्मा बाप ने कितने संस्कारों का खेल देखा। लेकिन बाप के सहयोग से आगे बढ़ते औरों को भी बढ़ाते रहे जिसकी रिजल्ट आज कितनी संख्या हो गई है। हिलाने वाली बातें आते भी अचल रहे। उसका परिणाम कितने सेन्टर खुले कितने प्रोग्राम हो रहे हैं।

आजकल कितने प्रोग्राम हो रहे हैं? हुए हैं ना! यह सारी रिजल्ट ब्रह्मा बाप की हिम्मत पहले अकेला ब्रह्मा बाप था आप पीछे आये हो लेकिन अकेला हिम्मत रख आगे बढ़ा। रिजल्ट में प्रैक्टिकल प्रमाण आप सब साथी हो। तो है ना हिम्मत! ब्रह्मा बाप ने अकेला हिम्मत रखी आप तो बहुत साथी हैं। तो फालो फादर। सभी अपने को ब्रह्मा बाप के बच्चे साथी बच्चे समझते हो ना साथ हैं साथ चलेंगे और ब्रह्मा बाप के साथ राज्य में आयेंगे। तो अभी समय है जैसे ब्रह्मा बाप ने हिम्मत रखी रिजल्ट देख रहे हो तो इतने संगठन में हिम्मत का पांव रखो तो क्या नहीं हो सकता है! कल्प कल्प हुआ है होना ही है।

तो अभी बाप क्या चाहता है वह सुनाया। सिर्फ आप सभी एक बात करो वह एक बात है साधारण पुरूषार्थ को तीव्र पुरूषार्थ में परिवर्तन करो। बापदादा ने देखा कि कहाँ कहाँ अलबेलापन हो ही जाना है विजय तो हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है ऐसे ज्ञान के हिसाब से निश्चित है लेकिन अलबेलेपन में भी यही शब्द आते हैं हमारी विजय तो है ही हुई पड़ी है। कोई काम रूका नहीं है होना ही है। एक है पुरूषार्थ के यह शब्द दूसरे अलबेलेपन के भी यही शब्द है। कोई काम रूकना नहीं है होना ही है.. तो यह अलबेलापन है यह भी संस्कार चेक करना। अलबेलेपन की निशानी है कि उनके जीवन में छोटी-छोटी बातों में थकावट दिखाई देगी। शक्ल में वह खुशी की झलक नहीं दिखाई देगी सेवा से पुण्य बन रहा है तो चेहरे पर खुशी होनी चाहिए। किसी न किसी प्रकार की थकावट का कारण कोई न कोई बात का अलबेलापन है। जब करना ही है तो खुशी से करो। चेहरा आपकी सेवा करे चलन आपकी सेवा करे। तो आज मैजारिटी का संस्कार समाप्ति का हाथ देख बापदादा बार-बार मुबारक दे रहा है।

अच्छा - इस ग्रुप में जो पहली बार आये हैं वह उठो। देखा कितने हैं? बहुत हैं। हाथ हिलाओ। जो पहली बार आये हैं उनको अपने बाप से मिलने की मुबारक हो। तो विशेष समय प्रमाण अभी आपको तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा और बापदादा का यह कहना है कि जो तीव्र पुरूषार्थ करेगा ढीला ढाला नहीं वह लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट हो जायेगा। ऐसी कमाल करना। चांस है। ऐसे नहीं समझो हम तो आये लास्ट हैं नहीं फास्ट जा सकते हो। लेकिन हर समय तीव्र पुरूषार्थ करना ही है। बदलना ही है। गे-गे नहीं करना देखेंगे सोचेंगे.. गे-गे नहीं करना। अच्छा है अपना घर दाता का घर अच्छा लगा ना! तो सभी भाई बहिनें भी आपका स्वागत करते हैं। अच्छा।

अभी चारों ओर के ब्राह्मण बच्चों को बापदादा का स्नेह भरा यादप्यार स्वीकार हो बापदादा जानते हैं दूर बैठे भी कई बच्चे देख भी रहे हैं मिलन भी मना रहे हैं उन चारों ओर के बच्चों को बापदादा यही कहते जैसे अभी सभी मैजारटी ने हाथ उठाया संस्कार समाप्त अभी आप सभी भी मिलकर एक ही संकल्प रूपी हाथ उठा ही रहे हो कि हम सब मिलकर समाप्ति के समय को समीप लाने के लिए यह संकल्प कर रहे हैं और चारों ओर सम्पूर्ण समय होने पर ब्रह्मा बाप शिव बाप दोनों को प्रत्यक्ष करेंगे कि हमारा बाप आ गया। सबके मुख पर बाप की प्रत्यक्षता हो जाए अभी इस वर्ष में यही दृढ़ संकल्प रखो कि बाप को प्रत्यक्ष करना ही है। आधा काम तो किया है बच्चों को बाप ने विश्व के आगे प्रत्यक्ष किया है अभी बच्चों का कार्य है भगवान आ गया यह आवाज विश्व के एक एक बच्चे तक पहुंचे। तो सभी को बापदादा देख हर एक को दिल का स्नेह दिल का प्यार दिल के उमंग उत्साह सहित यादप्यार दे रहे हैं। अच्छा।

सेवा का टर्न कर्नाटक जोन का है:- सेवा का चांस लेना अर्थात् बाप के समीप आने का चांस मिलना। देखो सेवा के कारण कितने लोगों को आने का चांस मिलता है। सबकी दुआयें आप निमित्त टीचर्स को मिलती हैं क्योंकि सेवा की हिम्मत रखी और चांस इतनों को मिला। बापदादा ने देखा कि नये नये भी पहले बारी बहुत आये हैं जो पहले बारी आये हैं कर्नाटक वाले वह लम्बा हाथ उठाओ। पहले बारी भी बहुत आये हैं। अच्छा है। कर्नाटक की वृद्धि अच्छी है अभी जैसे वृद्धि हुई है वैसे तीव्र पुरूषार्थ की विधि उसकी भी चारों ओर लहर फैलाओ। नम्बर ले लो। संस्कार समाप्ति का नम्बर ले लो। ले सकते हो? जो समझते हैं हम पहला नम्बर ले सकते हैं वह हाथ उठाओ। अच्छा है। ऐसा आपस में संगठन करके प्रोग्राम बनाओ सब एक हैं। भिन्न-भिन्न स्थान हैं लेकिन हैं एक। यह कमाल करके दिखाओ। है ना हिम्मत? हिम्मत है? तो बापदादा के पास समाचार तो आता रहता है। तो मधुबन में हर मास अपने परिवर्तन का समाचार लिखना। लिखेंगे ना! हर मास का। बीती सो बीती अब नम्बरवन होके दिखाओ। अच्छा है। बापदादा ने देखा सेवा अच्छी है अभी संगठन देखना चाहते हैं। एक्जैम्पुल बनो। रेडी। रेडी हैं? हाथ उठाओ। आप देखना एक मास में रिजल्ट आयेगी। अच्छा बहुत-बहुत विशेष यादप्यार।

कैड ग्रुप:- अच्छा - नाम ही दिलवाले हैं तो दिल वाले तो सदा दिल में समाये हुए हो। अच्छा किया है आप दिल के निमित्त एक्जैम्पुल बने हो औरों के भी लेकिन कितना ऊंचा भाग्य बनाने के निमित्त बनते हो। तो बापदादा को पसन्द है कि दिल वाले औरों की भी सेवा अच्छी करते हैं। जो निमित्त बने हैं अपना समाचार सुनाकर औरों को भी बाप का बनाने के ऐसे निमित्त बनने का चांस लेने वालों को बापदादा मुबारक देते हैं। सबको यही मुबारक है कि आगे बढ़ते चलो और औरों को भी बढ़ाते चलो। बाकी बापदादा को यह सेवा पसन्द है। सिर्फ बीमारी की नहीं परमात्म दिल में समाने का भी चांस मिलता है तो बढ़ते रहो औरों को भी आगे बढ़ाते रहो।

डबल विदेशी:- बापदादा को अच्छा लगता है हर ग्रुप में विदेशी भी आते ही हैं। तो बापदादा ने देखा कि विदेशियों को जैसे डबल फारेनर्स का टाइटिल देते हैं वैसे डबल प्यार है। बाबा कहने से खुशी में झूमते हैं। सेवा भी करते हैं डबल सेवा भी करते उस गवर्मेन्ट की भी और आलमाइटी गवर्मेन्ट की भी। ऐसे बाबा से प्यार भी बहुत अच्छा है। फर्क भी बहुत अच्छा आ रहा है। अभी सभी परमात्म कलचर के हो गये हैं। फारेन कलचर नहीं परमात्म कलचर वाले। सहज हो गये हैं। पहले सोचते थे यह कलचर कैसे बदले लेकिन अभी बाबा ने देखा है कि ऐसे समझते हैं कि हमारा पहले यही कलचर था वही कलचर बन गया। सहज मुश्किल नहीं लगता है क्यों? क्योंकि हर कल्प में आप बाप के बने हैं वह कल्प पहले वाला अपना हक ले रहे हैं। बहुत अच्छा। पुरूषार्थ में भी आगे बढ़ रहे हो यह बाबा को बहुत खुशी है। आप भी डबल खुशी में रहते हो? डबल खुशी है? हाथ उठाओ। अच्छा लगता है बेहद का बाप बेहद का संगठन हो जाता है। तो बाप को भी खुशी है कि जगह जगह से सभी अपने बेहद के घर में पहुंच जाते हैं। अच्छी रिजल्ट है और आगे भी अच्छी रिजल्ट होनी ही है। निश्चित है। इसलिए आने की मुबारक हो मुबारक हो। अच्छा।

मोहिनी बहन से:- हिसाब चुक्तू कर रही है हो जायेगा।

ईशू दादी से:- यह ठीक है! मौज में उड़ रही हैं।

दादी जानकी:- आपको रहम बहुत है। (जल्दी जल्दी हो जाए) हो जायेगा आपका संकल्प फैल रहा है। अभी मधुबन फारेन में याद आयेगा। अभी थोडी सेवा ज्यादा की है। हो जायेगा। दादी भी देखती रहती है सभी के साथ अनुभव करती है। अच्छा है।

जयन्ती बहन से:- (जयन्ती बहन ने विदेश का समाचार सुनाया) अच्छा है यह भी हिस्सा बाकी है आपका सुन करके उनको जो खुशी मिलती है वह खुशी की लहर एक से अनेक तक पहुंचती है। पार्ट अच्छा मिला है चक्कर लगाते रहो सेवा करते रहो। इस बारी फारेन वालों ने इन्डिया में भी सेवा अच्छी की है चांस लिया है। अच्छा किया है।

रमेश भाई से:- तबियत ठीक है। सभी को याद का रिटर्न देना। एक एक को कहना आपको लाख गुणा यादप्यार।

तीनों भाईयों से:- अच्छा आप सभी भी आपस में बैठ यज्ञ प्रति भविष्य क्या क्या करना है बढ़ाना है वह प्लैन बनाओ। सिर्फ डिपार्टमेंट का नहीं टोटल यज्ञ या चारों ओर क्या क्या वृद्धि करनी है निर्विघ्न और सभी निर्विकल्प कैसे बनें यह प्लैन आपस में सोचो आगे क्या करना है। जो रूट में चल रहे हैं वह तो चल रहे हैं लेकिन आगे क्या करना है ऐसे मीटिंग करो। अच्छा।

परदादी से:- आपको देख करके सभी खुश होते हैं। क्यों? (बाबा की बेटी हूँ) अच्छा है तबियत कैसी भी है लेकिन खुश रहती हो यह खुशी देख करके खुश होते हैं।



30-11-10   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘हर घण्टे मन की एक्सरसाइज कर उसे शक्तिशाली बनाओ जब बाबा ही संसार है तो संस्कार भी बाप जैसे बनाओ’’

आज बापदादा सभी बच्चों को एक देशी जो ओरीज्नल सबका देश है जानते हो ना एक देश कितना प्यारा है! बापदादा भी उसी देश से सर्व बच्चों से मिलने आये हैं। बच्चों को बाप से मिलने की खुशी है और बाप को बच्चों से मिलने की खुशी है। आज बापदादा सभी बच्चों के स्वरूपों को विशेष 5 रूपों को देख रहे हैं इसलिए 5 मुखी ब्रह्मा का भी गायन है। तो अपने 5 रूपों को जानते हो ना! पहला सभी का ज्योति बिन्दु रूप आ गया आपके सामने! कितना चमकता हुआ प्यारा रूप है। दूसरा देवता रूप वह रूप भी कितना प्यारा और न्यारा है। तीसरा रूप मध्य में पूज्यनीय रूप चौथा रूप ब्राह्मण रूप संगमवासी वह भी कितना महान है और पांचवा रूप फरिश्ता रूप। यह 5 ही रूप कितने प्यारे हैं। बापदादा आज बच्चों को मन की एक्सरसाइज सिखाते हैं क्योंकि मन बच्चों को कभी-कभी अपने तरफ खींच लेता है। तो आज बापदादा मन को एकरस बनाने की एक्सरसाइज सिखा रहा है। सारे दिन में इन 5 रूपों की एक्सरसाइज करो और अनुभव करो जो रूप सोचो उसका मन में अनुभव करो। जैसे ज्योतिबिन्दू कहने से ही वह चमकता रूप सामने आ गया! ऐसे 5 ही रूप सामने लाओ और उस रूप का अनुभव करो। हर घण्टे में 5 सेकण्ड इस ड्रिल में लगाओ। अगर सेकण्ड नहीं तो 5 मिनट लगाओ। हर एक रूप सामने लाओ अनुभव करो। मन को इस रूहानी एक्सरसाइज में बिजी करो तो मन एक्सरसाइज से सदा ठीक रहेगा। जैसे शरीर की एक्सरसाइज शरीर को तन्दरूस्त रखती है ऐसे यह एक्सरसाइज मन को शक्तिशाली रखेगा। एक सेकण्ड भी मन में उस रूप को लाओ समझते हो सहज है ना यह कि मुश्किल लगता है? मुश्किल नहीं लगेगा क्यां कि यह एक्सरसाइज आपने अनेक बार की हुई है। हर कल्प की है। अपना ही रूप सामने लाना यह मुश्किल नहीं होता। एक-एक रूप के सामने आते ही हर रूप की विशेषता का अनुभव होगा। कभी-कभी कई बच्चे कहते हैं कि हम इन्हीं रूप में अनुभव करने चाहते लकिन मन दूसरे तरफ चला जाता। जितना समय जहाँ मन लगाते चाहते हैं उतना समय के बजाए व्यर्थ अयथार्थ संकल्प भी आ जाते हैं। कभी मन में अलबेलापन भी आ जाता तो बापदादा हर घण्टे 5 सेकण्ड या 5 मिनट इस एक्सरसाइज में अनुभव कराने चाहते हैं। 5 मिनट करके मन को इस तरफ चलाओ। चलना तो अच्छा होता है ना! फिर अपने काम में लग जाओ क्योंकि कार्य तो करना ही है। कार्य के बिना तो चलना नहीं है। यज्ञ सेवा विश्व सेवा तो सभी कर रहे हो और करनी ही है। यह 5 मिनट की ड्रिल करने के बाद जो अपना कार्य है उसमें लग जाओ। ऐसा कोई है जिसको चाहे 5 सेकण्ड लगाओ चाहे 5 मिनट लगाओ लेकिन कोई ऐसा है जिसको इतना टाइम भी नहीं मिलता है! है कोई हाथ उठाओ। जिसको 5 मिनट भी नहीं हैं। कोई नहीं है। है कोई? सब निकाल सकते हैं। तो बार-बार यह एक्सरसाइज करो तो कार्य करते भी यह नशा रहेगा क्योंकि बाप का मन्त्र भी है मनमनाभव। इसी मन्त्र को मन के अनुभव से मन यन्त्र बन जायेगा मायाजीत बनने में क्योंकि बापदादा ने बता दिया है कि जितना समय आगे बढ़ेगा उस अनुसार एक सेकण्ड में स्टॉप लगाना होगा। तो यह एक्सरसाइज करने से मनमनाभव होने में मदद मिलेगी क्योंकि बापदादा ने देखा कि जो भी भाषण करते हो या किसको भी सन्देश देते हो तो क्या कहते हो? हम विश्व को परिवर्तन करने वाले हैं । तो जब विश्व को परिवर्तन करना है तो पहले अपने मन को ऐसा शक्तिशाली बनाओ जो जिस समय जो संकल्प करने चाहे वही मन संकल्प कर सकता है। सेकण्ड में आर्डर करो जैसे इस शरीर की और कर्मेन्द्रियों को आर्डर करते हो ऊपर हो नीचे हो तो करती हैं ना! ऐसे मन व्यर्थ अयथार्थ से बच जाये मन के मालिक हो मेरा मन कहते हो ना! तो मेरा मन इतना आर्डर में रहे उसके लिए यह मन की एक्सरसाइज बताई।

बापदादा ने देखा हर एक बच्चा यही चाहता है कि हमें मन जीत जगतजीत बनना है इसलिए आने वाले समय के पहले यह अभ्यास जहाँ चाहे वहां मन सहज टिक जाए। ता आज बापदादा यही चाहते हैं कि हर बच्चा ऐसा शक्तिशाली बने जो जो संकल्प करे वही मन बुद्धि संस्कार आर्डर में हो। जिसका यह अभ्यास होगा वह जगतजीत अवश्य बनेगा। बापदादा से परिवार से प्यार तो सबका है। जितना बच्चों का बाप से प्यार है उससे ज्यादा बाप का बच्चों से प्यार है। तो बच्चों ने चतुराई अच्छी की है मेरा बाबा मेरा बाबा कहकर मेरा बना लिया है। हर एक बच्चा यही निश्चय से कहता ‘‘मेरा बाबा’’। और बाप भी कहता मेरा बच्चा। इस मेरे शब्द ने कमाल कर दिया। हर एक के दिल में कितना उमंग आता है मेरा बाबा प्यारा बाबा और बाप भी बार-बार कहते मेरे बच्चे। कोई भी माया का वार हो क्योंकि आधाकल्प माया को अपना बनाया है ना! तो माया का भी आप लोगों से प्यार तो होगा ना! तो वह बार-बार आने की कोशिश करती है लेकिन जो दिल से मेरा बाबा कहता है तो बाप का सहयोग मिलता है। एक बार दिल से कहा मेरा बाबा तो हजार बार बाप बंधा हुआ है शक्तिशाली सहयोग देने के लिए। अनुभव है ना! सिर्फ समय पर इस अनुभव को प्रैक्टिकल में लाओ।

बापदादा बच्चों की एक बात देखकर दिल में बच्चों के ऊपर मुस्कराता है। जानते हो कौन सी बात? सभी कहते हैं कि बाबा ही मेरा संसार है कहते हैं ना बाप ही हमारा संसार है! कहते हो जो कहता है बाप ही मेरा संसार है वह हाथ उठाओ। अच्छा बाप ही संसार है। दूसरा तो कोई संसार नहीं है ना! संसार दूसरा नहीं है लेकिन दूसरा क्या है! संस्कार। जब बाप ही मेरा संसार है दूसरा कोई संसार है ही नहीं। संसार नहीं है लेकिन संस्कार कैसे पैदा हो जाता? आजकल बापदादा समय प्रमाण संस्कार शब्द को मिटाने चाहते हैं। मिट सकता है? मिट सकता है? जो समझते हैं कि संस्कार विघ्न रूप नहीं बन सकता यह दृढ़ संकल्प कर सकते हैं दृढ़ पुरूषार्थ द्वारा आज भी दृढ़ पुरूषार्थ कर सकते हैं कि खत्म करना ही है। करेंगे सोचेंगे देखेंगे.. यह नहीं। करना ही है। संस्कार का काम है आना और बच्चों का काम है समाप्त करना ही है। है हिम्मत? है हिम्मत? पहले भी हाथ उठाया था लेकिन चेक करो जो संकल्प किया वह हो रहा है? जो समझते हैं कि बाप ने कहा बाप का कार्य है लक्ष्य देना और बच्चों का कार्य है जो बाप ने कहा वह करना ही है। इसकी भी एक डेट फिक्स करो जैसे भक्त लोगों ने डेट फिक्स की है शिवरात्रि तो मनानी है। तो इसकी डेट भी फिक्स करो। अच्छा सबकी इकठ्ठा नहीं हो तो पहले एक-एक अपने लिए तो डेट फिक्स कर सकते हैं ना! कर सकते हैं! कर सकते हैं तो हाथ उठाओ। तो किया! कर सकते हैं तो किया? डबल विदेशी डेट फिक्स किया! अच्छा सामने वाले किया फिक्स! जो डेट फिक्स की ना वह बापदादा को लिखके देना। बापदादा भी बच्चों को पेपर पास करने की बहादुरी तो देंगे ना। फिर गीत गायेंगे वाह बच्चे वाह! सेरीमनी मनायेंगे जिसने संकल्प किया और उसी अनुसार प्रैक्टिकल किया उसकी सेरीमनी मनायेंगे क्योंकि फर्क तो आता रहेगा ना! जो डेट फिक्स करेंगे उसमें आगे बढ़ने के लिए समीप तो आयेंगे ना। फर्क तो होना शुरू होगा। तो जिसका डेट अनुसार सम्पन्न होगा उसकी बापदादा सेरीमनी मनायेंगे। अन्दर जो करेंगे तो देखने वाले भी वेरीफाय करेंगे क्योंकि सम्पर्क में तो आयेंगे ना! संस्कार किसी न किसी के साथ निकलता है ना! क्योंकि बापदादा ने देखा कि हर एक बच्चे को यह शुद्ध नशा तो है कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। मास्टर तो हो ना? जब सर्वशक्तिवान हैं तो संकल्प को पूरा करना यह भी शक्ति है ना! अच्छा। जो आज पहली बारी आये हैं वह उठो। देखो कितने आये हैं। बापदादा मुबारक देते हैं। मधुबन में आने की मुबारक है मुबारक है मुबारक है। बापदादा फिर भी ऐसे समझते हैं कि टूलेट का बोर्ड लगने के पहले आ गये हो इसलिए सारे परिवार की बापदादा की तो है सारे परिवार की भी आप सभी में यही शुभ आशा है कि सदा डबल पुरूषार्थ कर लास्ट आते हुए भी फास्ट जा सकते हो। है हिम्मत! जो आज आये हैं उन्हों में यह हिम्मत है! कि लास्ट आते भी फास्ट जाकर फर्स्ट आ जाओ। फर्स्ट नम्बर में। एक फर्स्ट नहीं फर्स्टक्लास में फर्स्ट आओ हो सकता है! जो समझते हैं हम फास्ट जाके फर्स्ट हो सकते हैं वह हाथ उठाओ। अपने में निश्चय है? अच्छा। पीछे वाले हाथ ऊंचा करो हो सकता है तो! अच्छा। थोड़े हैं। फिर भी सारा परिवार और बापदादा आपको सहयोग देके आगे बढ़ाने चाहते हैं इसलिए जिस भी सेन्टर के तरफ से आये हो उस सेन्टर पर यह अपना वायदा बार-बार याद करना। हो सकता है असम्भव नहीं है है सम्भव लेकिन डबल अटेन्शन। अगर लास्ट और फास्ट जाके दिखायेंगे तो सेन्टर पर आपका तीव्र पुरूषार्थ का दिन मनायेंगे। फंक्शन करेंगे। सभी के दिल में उमंग तो है कि जल्दी से जल्दी बाप समान बनके ही दिखायें। बापदादा भी अमृतवेले जब बच्चे बाप से बातें करते हैं तो खुश होते हैं। वाह बच्चे वाह! और बाप हर बच्चे को चाहे पुराना है चाहे नया है हर बच्चे को बहुत-बहुत दिल की दुआयें देते हैं। एक कदम आपका हजार कदम बाप की मदद का क्योंकि अब समय का परिवर्तन फास्ट गति में जा रहा है। अच्छा।

सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा जोन का है:- बापदादा ने सुना कि देहली शुरू से लेके सेवा की नई-नई बातें करती आई है। की है ना! देहली ने की है। तो अभी कोई नई इन्वेन्शन निकालो सेवा की। जो भाषण चलते हैं प्रोग्राम चलते हैं वह भी अच्छे हैं क्योंकि उससे वृद्धि होती है और सम्बन्ध में आते हैं। जो अभी चल रहे हैं वह भी अच्छे हैं लेकिन अभी यह प्रोग्राम्स बहुत समय चले हैं। अभी कोई नई बात निकालो जो सेवा में करने वालों को नया उमंग नया उत्साह आये। करेंगे ना! अच्छा है। सभी उत्साह में लाकर सभी को उसमें बिजी करो। यह जो बड़े प्रोग्राम होते हैं उसमें भाषण करने वाले तो बिजी होते हैं लेकिन दूसरे सिर्फ साथ देते हैं। वह भी है जरूरी लेकिन ऐसा कोई कार्य निकालो जिसमें हर एक क्वालिटी वाले खुद करके बिजी रहें क्योंकि देहली को ही राजधानी बनना है। तो देहली वालों को ऐसी कोई इन्वेन्शन निकालनी चाहिए। ठीक है! ठीक है सभी करेंगे? हाथ उठाओ। अच्छा है। कोई भी निकाल सकते हैं। नये भी निकाल सकते हैं। अगर दूसरे कोई को भी कोई संकल्प आवे तो वह भी यहाँ हेड आफिस में मधुबन आफिस में लिख सकते हैं। सबको चांस है। अच्छा। देहली वाले पुरूषार्थ में भी नम्बरवन लें। बापदादा ने बहुत समय से यह कहा है कि कोई भी सेन्टर चाहे देश चाहे विदेश सेन्टर उसके कनेक्शन में सेन्टर निर्विघ्न 6 मास रह कोई भी विघ्न नहीं आये। निर्विघ्न। अगर नम्बरवन बनेगा तो उसकी भी निर्विघ्न भव की डे मनायेंगे। अभी 6 मास कह रहे हैं 6 मास का अभ्यास होगा तो आगे भी आदत हो जायेगी। लेकिन इनाम लेने के लिए 6 मास का टाइम देते हैं। तो देहली क्या नम्बर लेगा? पहला नम्बर। बापदादा को खुशी है। सारे पारि वार को भी खुशा है। सन्तष्टुता का बोलबाला हो। चाहे सेवा में चाहे जो नियम बने हुए हैं उस नियम में तो देखेंगे बापदादा ने कहा है लेकिन अभी तक नाम नहीं आया है। जोन नहीं तो जो भी बड़े सेन्टर हैं उसके कनेक्शन वाले सेन्टर इतना भी करेंगे तो बापदादा देखेंगे। अभी जल्दी जल्दी कदम को आगे करना क्यों? अचानक क्या भी हो सकता है। तारीख नहीं बतायेंगे। अच्छा देहली वाले बैठ जाओ।

आगरा सबजोन:- आगरा को ऐसा कोई कार्य या सेवा करनी है जो जैसे गवर्मेन्ट की लिस्ट में आगरा मशहूर है ऐसे आगरा वालों कोई न कोई ऐसी सेवा ढूंढो जो आलमाइटी गवर्मेन्ट में भी मशहूर हो। तो जैसे आगरा में ताज हैं वैसे कुछ करो। है उम्मींद है! उम्मींद है उसकी मुबारक हो। क्या करेंगे? लेकिन कितने समय में करेंगे। (मेला करेंगे मेगा प्रोग्राम करेंगे) मेगा प्रोग्राम तो सभी कर रहे हैं लेकिन कोई नई इन्वेन्शन निकालो जो किसी जोन ने नहीं किया हो। क्योंकि आगरा सभी का देखने लायक है। तो जैसे आजकल की गवर्मेन्ट का ताज है ना। अगर प्रोप्रोगण्डा होती है तो आगरा उसमें मशहूर है ना। ऐसा कोई कार्य करो। सोचना अमृतवेले बैठना और सोचना तो कोई न कोई टाचिंग आ जायेगी। ठीक है टीचर्स हाथ उठाओ। बहुत हैं। तो कमाल करना। बाकी बापदादा सभी बच्चों को यही कहते हैं कोई नवीनता करो अभी। जो चल रहा है समय अनुसार वह नवीनता है लेकिन अभी और नवीनता इन्वेन्शन करो कोई भी जोन करे लेकिन नया निकालो। बाकी बापदादा को हर एक बच्चा प्यारा भी है और बापदादा हर एक बच्चे की विशेषता भी जानते हैं। हर एक की विशेषता है जरूर लेकिन कोई कार्य में लगाते हैं कोई की छिप जाती है इसलिए बाप कहते हैं हर बच्चा बाप को प्यारा है सिकीलधा है और बाप यही चाहते कि उड़ते रहो उड़ाते रहो।

मीटिंग में आये हुए भाई बहिनों से:- मीटिंग वाले अर्थात् जिम्मेवार निमित्त आत्मायें। निमित्त आत्माओं की तरफ सबका प्यार है और आप सभी का आधार हैं। जो पुरूषार्थ की लहर निमित्त बनने वालों की होती है उसे सब फॉलो करते हैं। तो अभी निमित्त में बापदादा की एक आशा है और सभी आशा के दीपक हैं। तो बापदादा यही आशा रखते हैं कि अभी चेहरे और चलन से ऐसे लगना चाहिए कि यह आत्मायें सभी के आगे एक सैम्पुल हैं। जैसे अभी सभी मानते हैं कहते हैं अगर कदम पर कदम रखना है तो ब्रह्मा बाप के लिए इशारा करते हैं। ऐसे जो निमित्त हैं उन्हों के लिए इशारा करें अगर देखना हो तो इस आत्मा को देखो। बाप समान दृष्टान्त बनें। हो सकता है? हो सकता है कि अभी टाइम चाहिए? तो बापदादा की इस ग्रुप पर यह आशा है क्योंकि पहले जो लक्ष्य रखे बाप समान बनने का बापदादा ऐसा एक्जैम्पुल चाहते हैं। हो सकता है? करना ही है ना! तो यह इस ग्रुप को लक्ष्य रखना है जो हम करेंगे वह सब करेंगे यह आशीर्वाद लेनी है। निमित्त बनना है।

डबल विदेशी भाई बहिनों से:- डबल विदेशी हमेशा अनुभव करते हैं कि हम ब्राह्मण परिवार और बापदादा के विशेष सिकिलधे हैं क्यों! जितना ही देश के हिसाब से दूर हैं उतना ही बापदादा के दिल के नजदिक हैं। यह विशषता है बाबा जब कहते हैं तो बाबा कहने में ही सबकी शक्ल ऐसी प्यार में लवलीन हो जाती है जो बाप भी देख-देख हर्षित होते हैं और एक बात की विशेषता है कि जो भी भारत के नियम हैं उसको पालन करने में हिम्मत रखते हैं। शुरू में भारत का कलचर है यह फील करते थे लेकिन अभी बापदादा ने देखा कि अभी यह कहते हैं कि हम भी पहले भारत के थे। भारत का नशा राजधानी है ना भारत वह अच्छा दिल में बैठ गया है। पूछते रहते हैं हम यह तो नहीं थे जो गये हैं उनके लिए पूछते हैं हम भी ऐसे थे क्या! भारत के बाप भारत के परिवार से प्यार है। सेवा भी अब तक अच्छी की है और आजकल देखा है कि अपने आसपास जहाँ सेवा नहीं है वहाँ भी करने का लक्ष्य रखा है और रिजल्ट में कई जगह सक्सेस भी हुए हैं। ऐसे है ना! कर रहे हैं ना सेवा? हाथ उठाओ जो सेवा आसपास की कर रहे हैं अच्छा है। बापदादा खुश है। अच्छा –

चारों ओर के बच्चे बाप के दिल के दुलारे हैं हर एक बच्चा यही लक्ष्य बार-बार स्मृति में लाते हैं और लाना है कि हमें तीव्र पुरूषार्थ कर बाप को प्रत्यक्ष करना है। जो सबकी दिल कहे मेरा बाबा आ गया। ऐसा उमंग और उत्साह का संकल्प आजकल बापदादा के पास पहुंच रहा है। यह उमंग उत्साह मैजारिटी के दिल में आ गया है। बापदादा की यही आश है कि अभी जल्दी से जल्दी सबको यह सन्देश पहुंचाना है कोई वंचित नहीं रहे। कुछ न कुछ वर्सा ले लें। च्ाहे जीवनमुक्ति का नहीं तो प्यार से मुक्ति का वर्सा तो ले लें क्योंकि बाप को सबको वर्सा देना है। जितनों को वर्सा दिलायेंगे उतना आपको भी अपने राज्य में राज्य अधिकारी बनने का वर्सा मिलेगा। सभी तरफ के हर बच्चे को बापदादा का बहुत-बहुत प्यार और दुआयें स्वीकार हो। अच्छा।

दादी जानकी:- (बाबा संस्कार बनाने पड़ेंगे क्या!) बने पड़े हैं। आपको दोनों तरफ देखना है। तबियत को भी देखना जरूरी है और सेवा को भी देखना जरूरी है। आप सेवा को देखते ज्यादा हो (बाबा करा रहे हैं) करा रहे हैं लेकिन आपको आगे चलके बहुत कुछ करना है। (बाबा मधुबन में ही बैठ जाऊं) वह भी टाइम आयेगा। दोनों तरफ देखो।

रमेश भाई से:- तबियत की सम्भाल करो अभी बहुत काम करना है । जितना गवर्नमेंट आगे जा रही है इतना आपका काम भी आगे जाना है इसलिए तबियत को ठीक रखो और बाप भी दादियां भी आपके साथ मददगार हैं। कोई भी बात हो मदद ले लो। (मीटिंग कम होती है) मीटिंग भले करो लेकिन जब सभी फ्री हों तब मीटिंग हो ना इसलिए सभी आपस में मिलके यह भी डेट बना दो। मधुबन में ग्रुप आने के पहले ग्रुप जाने के बाद सोच लो कब मीटिंग करनी है। एक दो में राय करके डेट बना दो कभी कुछ हो तो बदली कर लो।

परदादी से:- बीमारी को हजम कर लेती है। सभी को खुशी होती है। बहुत अच्छा है। शरीर को भी साक्षी होकर चला रही हो। अच्छा है। बापदादा खुश है। (रूकमणी बहन से) पार्ट अच्छा बजा रही है। कभी तंग नहीं होती है। यह विशेषता है भी सदा औरों को भी सिखाओ।



15-12-10   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘मेरे को तेरे में परिवर्तन कर बेफिकर बादशाह बनो सेकण्ड में व्यर्थ को बिन्दी लगाने के अभ्यासी बन हर संकल्प और समय को सफल करो’’

आज चारों ओर के अपने बेफिक्र बादशाह बच्चों को देख रहे हैं। ऐसी बेफिक्र बादशाहों की सभा अभी ही दिखाई देती है क्योंकि अभी ही बाप फिक्र लेके बेफिक्र बादशाह बनाते हैं इसलिए यह सभा इस समय ही आपकी दिखाई देती है। अब सभी सवेरे से उठते तो बेफिक्र स्थिति में स्थित होते हैं खाते पीते कर्म करते कोई फिक्र नहीं। सोते हैं तो भी बेफिक्र ऐसे बादशाह और बेफिक्र उठो सोओ ऐसे अनुभव करते हो? क्योंकि आप सबने बाप को फिकर देके फखुर ले लिया इसलिए बेफिक्र बादशाह बन गये। अगर चलते हुए कोई फिकर आ जाता है तो फिकर क्या बना देता है? फखुर है तो आपके मस्तक में लाइट की चमक चमकती है। अगर फिकर आ जाता है तो बोझ की टोकरी आ जाती है। बताओ आपको लाइट की चमक अच्छी लगती है वा बोझ की टोकरी? बेफिकर बादशाह स्वयं को भी प्रिय लगते और जो ऐसी स्थिति में उड़ते तो उनकी चमकती हुई लाइट देख दूसरों को कितना प्यार आता है। इसलिए बापदादा सदा बच्चों को बेफिक्र बादशाह स्थिति में रहना यह स्मृति स्वरूप में टिकाते रहते हैं इसलिए आप लोगों का चित्र भी भक्त लोग डबल ताजधारी दिखाते हैं। एक लाइट का ताज और दूसरा विकारों को जीतने का बादशाहपन का ताज डबल ताज दिखाते हैं इसलिए बापदादा यही सदा हर बच्चों को शिक्षा देते हैं सदा मौज में रहना बहुत सहज है। क्या सहज है? सिर्फ हद का मेरापन बाप को दे दो। मेरे से तेरा किया तो बेफिकर बादशाह बन गये। एक ही शब्द का अन्तर है तेरा मेरा। ते और मे इस शब्द के अन्तर में बेफिकर बादशाह बन जाते। सहज है ना! बने हो ना बेफिकर बादशाह? कि अभी फिकर रहता है? अगर कभी भी फखुर के बजाए फिकर आता है तो अन्तर सिर्फ तेरे के बजाए मेरा मानने से फिकर आता है। तो सभी का लक्ष्य क्या प्रैक्टिकल है कि फिकर दे दिया या बीच-बीच में फखुर छोड़के फिकर में आ जाते! फिकर आता है कि बेफिकर ही रहते हो? जो सदा बेफिकर बादशाह रहता है वह हाथ उठाओ। बेफिकर बादशाह पक्का कि कभी-कभी! बेफिकर बादशाह हाथ ऊंचा उठाओ। कभी-कभी वाले भी हैं। सेवा का फिकर वह अलग बात है। लेकिन वह फिकर औरों को भी बेफिकर बनाने का साधन है। अपने संस्कार से अगर फिकर आता है तो उसको उस समय ही मेरे के बजाए तेरे में चेंज कर दो। बाप को फिकर दे दो और फखुर ले लो क्योंकि बाप आया ही है बच्चों का फिकर लेके फखुर देने। तो चेक करो मेरे में कभी-कभी बहुत समय का संस्कार इमर्ज तो नहीं होता? क्योंकि बापदादा कुछ समय से बच्चों को यह बता रहे हैं कि वर्तमान समय के प्रमाण कभी भी कुछ भी हो सकता है और कभी भी हो सकता है इसलिए हर एक बच्चे को अपने को यह अटेन्शन देना है कि एक सेकण्ड में बिन्दी लगाने चाहो तो लगा सकते हो? मानो कोई भी व्यर्थ संकल्प आ जाता तो बिन्दी द्वारा एक सेकण्ड में व्यर्थ को समाप्त कर सकते हो? इतना अभ्यास है? कि उस समय समय के सरकमस्टांश प्रमाण पुरूषार्थ करके व्यर्थ को मिटाने की आवश्यकता पड़ेगी! लगाओ बिन्दी और लग जाए क्वेश्चन मार्क क्यों क्या कैसे... उस समय यह सोचते रहे तो आने वाले समय में जो लक्ष्य है बाप के साथ चलेंगे बाप तो सेकण्ड में बिन्दू है और सेकण्ड भी बिन्दू है और फुलस्टाप भी बिन्दु ही है। इतना अभ्यास है? इसके लिए अब से इस अभ्यास के अभ्यासी होंगे तो बाप समान श्रीमत का हाथ में हाथ देते हुए अपने घर पहुंच जायेंगे। इसलिए बापदादा ने पहले भी सुनाया तो बातों का अटेन्शन अण्डरलाइन करो। दो बातें कौन सी? एक संकल्प का खज़ाना और दूसरा समय का खज़ाना खज़ाने तो बहुत मिले हैं ज्ञान का खज़ाना शक्तियों का खज़ाना योग द्वारा जो भी मुख्य सम्पन्न बनने की युक्तियां हैं सब प्राप्त कराई है। क्योंकि यह संगम का समय सारे कल्प में अमूल्य विशेष समय है इस समय ही जितनी प्राप्ति करने चाहो उतनी कर सकते हो क्योंकि यह एक जन्म महान जन्म है। एक जन्म में अनेक जन्मों का प्रालब्ध बनाने का है। संगमयुग का समय एक सेकण्ड भी गंवाना नहीं है। एक सेकेण्ड का कनेक्शन अनेक जन्मों के साथ है। जमा करने का एक वर्ष अनेक वर्षों की प्राप्ति का है इसलिए इस समय की वैल्यु सेकण्ड या मिनट नहीं एक घण्टा भी महान है। एक सेकण्ड भी महान है। और संकल्प इस संगम के जन्म का विशेष आधार है। देखो जो योग लगाते हो तो मनमनाभव कहते हो और यह आधार है फाउण्डेशन का। मन का काम ही है संकल्प करना संकल्प द्वारा ही याद के यात्रा की अनुभूति करते हो। एक दो में भी खास भिन्न-भिन्न संकल्प देके अभ्यास कराते हो ना! तो सब चेक करो - समय की रफ्तार सारे दिन में चलते फिरते कर्म करते सम्बन्ध में आते अमूल्य रूप से रहा? क्योंकि समय अमूल्य है। संकल्प सर्वशक्तिवान बनाता है।

तो बापदादा बार-बार कहते हैं हे बापदादा के लाडले दिल में बसने वाले बच्चे अब व्यर्थ खाते को समाप्त करो। सफल करो। सफल करना ही सफलता है। एक सेकण्ड गया यह नहीं सोचो। हर सेकण्ड हर संकल्प सफल हुआ इतना अटेन्शन अपने ऊपर रखना ही है। इतना फुलस्टॉप लगाने की चेकिंग करो। अलबेले नहीं बनना। बापदादा ने कहा था लेकिन हमने समझा नहीं समय को सोचा नहीं इतना समय फास्ट जा रहा है जायेगा। अभी अलबेलापन बापदादा हर एक से लेने चाहते हैं। यह नहीं सुनने चाहते कि मैंने समझा नहीं सोचा नहीं। अभी वर्ष भी नया आने वाला है तो इस नये वर्ष में शुरू होने के पहले ब्राह्मण संसार से अलबेलापन साथ में आलस्य आलस्य भी भिन्न-भिन्न प्रकार का है इसका अभी जो समय पड़ा है वर्ष में इसमें अभ्यास शुरू करो और जब नया वर्ष शुरू होगा तो बापदादा को हिम्मत रख संकल्प करना और इसको विदाई देना। वर्ष के साथ इसको भी विदाई दे देना। दे सकते हो! दे सकते हो? जो दे सकता है वह हाथ उठाओ। (सभी ने हाथ उठाया) वाह! बच्चे वाह! हाथ उठाने में तो बापदादा को खुश बहुत करते हो। बापदादा ने देखा है कि बहुत बच्चों को हाथ उठाने का रिटर्न करना याद रहता है। और कोई याद रखने में भी अलबेले हो जाते हैं। बापदादा से रूहरिहान बहुत अच्छी करते हैं। हो जायेगा बाबा आप देखना अभी होगा अभी होगा...। बापदादा भी ऐसे अलबेले बच्चों का सुनके मुस्करा देता है और क्या करे! अच्छा है सोचते हैं करना है करना है करना है.. यह बहुत सोचते हैं लेकिन कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं उसमें चेकिंग में फिर क्या कहेंगे! अलबेले हो जाते हैं।

तो आज चारों ओर के बच्चों को बापदादा ने सुना तो जो अपने देश में अपने स्थानों में देखते रहते हैं वह भी अच्छा दिखाई देता है सुनाई भी देता है। तो बापदादा सम्मुख आने वाले बच्चों को और अपने स्थानों पर सुनने वाले देखने वाले बच्चों को यही कहते अभी पुरूषार्थ को संकल्प को और संगम के समय को अण्डरलाइन लगाओ। सभी बच्चे प्यार में तो मैजारिटी पास हैं। प्यार के आधार पर अपने को अच्छा प्रोग्रेस कर रहे हैं। प्यार के कारण बाप के प्यार का रेसपान्ड मिलने के कारण आगे बढ़ भी रहे हैं लेकिन बाप समझते हैं जैसे प्यार में अनुभवी बन आगे बढ़ रहे हो ऐसे ही याद की सबजेक्ट में अनेक जन्मों के विकर्म विनाश करने में और अटेन्शन दो। क्यों? विकर्म विनाश होंगे तो साथ-साथ चलेंगे नहीं तो पीछे-पीछे आयेंगे और बाप समझता है कि प्यार का रेसपान्ड यह है जो प्यार वाली आत्मा कहे वह करना ही है। बाप चाहता है जब बच्चों का प्यार बाप से है तो साथ रहें। राजधानी में भी ब्रह्मा बाबा के साथ राजधानी में आयें। राजधानी में आना अर्थात् रॉयल फैमली में आये। तख्त पर नहीं बैठे लेकिन रॉयल फैमिली के साथी तो बनें। बापदादा ने पहले भी कहा है इसकी परख कैसे करो! जबसे आप आये हो जितनी आयु आपकी है ज्ञान की उतने समय में अगर आप बापदादा के दिलतख्तनशीन रहे हैं तो जो ज्यादा समय दिलतख्त पर रहे हैं मिट्टी में पांव नहीं रखा है वह उस अनुसार रॉयल फैमिली में नजदीक सम्बन्ध में रहेंगे। रॉयल फैमिली वाले रहेंगे। तो प्यार है तो प्यार वाले साथ में निभाने में पीछे नहीं रहते। जो दिलतख्तनशीन हैं वह द्वापर कलियुग के भी संबंध में रहेंगे। नजदीक रहेंगे। इसलिए प्यार निभाने वाले सदा दिलतख्तनशीन रहो और जन्म-जन्म का हक लो इसलिए बापदादा हर बच्चे को प्यार करते हैं। बाबा ने सर्टीफिकेट दिया कि प्यार की सबजेक्ट में मैजारिटी पास हैं। अब सब सबजेक्ट में पास होना ही है। पास होना है पास रहना है। अच्छा।

पहले बारी जो बच्चे आये हैं वह उठो। पहले बारी आये! आधा क्लास तो नया है। आये हैं बापदादा आने वालों का स्वागत कर रहे हैं। फिर भी मुबारक हो। पहले बार आने की मुबारक हो। भले लेट आये हो लेकिन फिर भी टूलेट के पहले आये हो। अभी यह अटेन्शन रखना कि थोड़े समय में तीव्र पुरूषार्थी बन अपना भविष्य जितना बढ़ाने चाहो तीव्र पुरूषार्थ द्वारा आगे बढ़ सकते हो क्योंकि फिर भी अभी भी पुरूषार्थ करने की मार्जिन है। जितना आगे बढ़ने चाहो उतना आगे बढ़ सकते हो। बापदादा और यह दैवी परिवार आपको साथ-साथ आगे बढ़ने का वायब्रेशन देंगे इसलिए आगे बढ़ो हिम्मत रखो। हिम्मत आपकी और मदद बापदादा और परिवार की आगे बढ़ो। ठीक है ना! हाँ करो आगे बढ़ो। अच्छा।

सेवा का टर्न गुजरात जोन का है:- गुजरात उठो। हाथ हिलाओ। गुजरात की संख्या ही इस हॉल में आधे हॉल से भी ज्यादा है। अच्छा है। जो गुजरात से पहले बारी आये हैं वह खड़े रहो। अच्छा जो पहले बारी आये हैं उसमें भी गुजरात ज्यादा है। अच्छा - मुबारक हो।

अभी गुजरात के रेग्युलर आने वाले और टीचर्स उठो। अच्छा। गुजरात सर्विस में तो आगे बढ़ रहे हैं। अभी किसमें नम्बर लेना है? संख्या में तो नम्बर ले लिया अभी निर्विघ्न जो बापदादा कहते हैं अभी किसी जोन का रिजल्ट में नाम नहीं आया है। सबका लक्ष्य है लेकिन अभी तक इस बात में नम्बर नहीं लिया है। बापदादा ने देखा कि यह नम्बर लेना लक्ष्य रखते हैं लेकिन प्रैक्टिकल में अभी प्लैन ही बना रहे हैं। और अभी हर एक समझे कि हमें नम्बर लेना है। लेना है? लेना है तो मुख्य इतने लोग जो उठे हैं वह अपने-अपने सेन्टर को एक-एक अपने एरिया को अटेन्शन देकर नई दुनिया में जाने की तैयारी कर सकते हो ना! वहाँ तो राजा प्रजा सब्ा एक होंगे निर्विघ्न होंगे। लेकिन संस्कार वहाँ तो नहीं भरेंगे यहाँ ही भरना है। तो बापदादा सभी को छोटा जोन है या बड़ा जोन है यह रिजल्ट देखने चाहते हैं। बोलो निमित्त बनी हुई दादियां या दादे यह पहला इनाम कौन लेगा? गुजरात लेगा? कब तक? 6 मास चाहिए? 6 मास... जल्दी करेंगे मुबारक हो। दादियां बोलो पहला नम्बर कब दिखाई देगा? दिखाई देगा ना!

मधुबन वाले उठो मधुबन वाले अच्छा। हाथ हिलाओ। मधुबन वाले हाथ उठाओ। शान्तिवन या ऊपर पाण्डव भवन है जो तीन स्थान हैं ऊपर के और एक है नीचे शान्तिवन और पांचवा हॉस्पिटल भी है तो 5 पाण्डव हो गये। तो पहले मधुबन वाले करेंगे? हाथ उठाओ जो करेंगे। मिलाना जानते हो ना! मधुबन वाले तो लकी हैं थोड़ा बहुत संगठन को पक्का करके साथी बनाओ। और कोई में साथी नहीं बनाना इसमें एक दो को साथी बनाके पहला नम्बर मधुबन लेना चाहिए। लेंगे! अभी ऐसे हाथ करो। बीती सो बीती जो भी हुआ सबने देखा सुना और मधुबन वालों को तो बहुत गोल्डन चांस है। मधुबन में सब आ गये। तो मधुबन वाले अगर मिलके यह नहीं पाण्डव भवन अलग है या कोई और स्थान अलग है नहीं मधुबन माना सब एक है। तो मधुबन वाले समझते हैं करेंगे! हाथ उठाओ जो करेंगे। सभी ने उठाया जो समझते हैं करना क्या बड़ी बात है बापदादा है दादियां हैं तो बड़ी बात तो है नहीं। दादियां क्या समझती हैं! मधुबन वाले तो नम्बरवन। अच्छा है बाबा ने सबको यह करके दिखाने का सबको कहा हुआ है लेकिन मधुबन मधुबन तो मधुबन है। गुजरात ने कहा है करके दिखायेंगे। अच्छा है। सब वायब्रेशन देना हो जायेगा कोई बड़ी बात नहीं है। विघ्न का नाम निशान नहीं। चलो बात हुई कोई लेनदेन किया खत्म। कुछ समय पहले जब दादी थी तो एक बारी सभी ने पाठ पक्का किया था हाँ जी का। ना शब्द नहीं हाँ जी बहुत अच्छा। मधुबन जायेगा पहला नम्बर। बापदादा को मधुबन का फखुर है ना! हर एक जोन का फखुर है अभी मधुबन सामने आया है लेकिन बापदादा सभी जोन को कहते हैं हाँ जी मीठी आत्मा यह सबका पाठ पक्का है। पक्का है ना? इनाम तो मधुबन को लेना चाहिए। एक सेकण्ड में बीती को बीती कर सकते हो! चलो पुरूषार्थी हैं हो भी गया लेकिन बीती को बीती कर उड़ो। उड़ने वाले पीछे को छोड़ देते हैं तभी उड़ते हैं। तो बहुत अच्छा।

अभी गुजरात कोई नवीनता करे। बापदादा ने दिल्ली वालों को भी कहा नवीनता करो अभी। बापदादा को समाचार मिला तो अभी यूथ ने विदेश और देश मिलके जो आरम्भ किया है उसमें अच्छी रिजल्ट हो सकती है। अभी तो इन्वेन्शन शुरू की है लेकिन भारत या विदेश दोनों ही मिलकर और भी कमाल कर सकते हैं। अभी तो आरम्भ किया है लेकिन दिल्ली वालों ने हिम्मत अच्छी रखी। शुरू किया है अभी विश्व में यह फैल जाए तो विदेश और देश मिलकर एक ब्राह्मण परिवार बना है और विश्व के आगे विश्व को भी एक बनायेंगे। शुरू तो हो गया है अभी मुस्लिम लोग भी आगे तो बढ़ रहे हैं। लेकिन अब ऐसा बड़ा प्रोग्राम बनाओ जिसमें मुख्य देशों से आयें और विश्व में यह प्रसिद्ध हो तो सब एक पिता के बच्चे आपस में भाई बहन हैं ब्रदरहुड सिस्टरहुड यह आवाज फैलता रहे। एक ही स्टेज पर सब तरफ के लोगों का विशेष अनुभव हो। प्लैन तो बना रहे हैं सभी। अभी बेहद में जा ही रहे हैं। सबको मालूम हो तो यह एक गॉड फैमिली है यह प्रसिद्ध हो। बाकी तो सभी जो भी आते हो सेवा भी कर रहे हो स्व पुरूषार्थ भी कर रहे हो और गॉडली कार्य है यह भी दुनिया के लिए प्रसिद्ध हो जायेगा। एक फैमिली है। अच्छा।

गुजरात वालों ने संकल्प तो किया है बहुत अच्छा है अभी कुछ नवीनता भी करो। हर जोन कुछ नया-नया प्लैन बनाये। सिर्फ मधुबन या बड़े शहर बनावें सबके प्लैन में कोई न कोई विशेषता होती है वह सब विशेषतायें मिलाके एक ऐसा प्लैन बनाओ जो सब समझें हमारा प्रोग्राम है। एडीशन जो भी करने चाहे वह अपना विचार दे सकते हैं। सिर्फ आवाज अभी जल्दी फैलाओ। उन्हों को भी टाइम तो मिले जो रहे हुए हैं कुछ तो वर्सा पाये ना। अन्त में आयेंगे तो क्या पायेंगे! इसलिए सोचो जल्दी-जल्दी कुछ न कुछ वर्सा पा लें। नहीं तो आपको उल्हना देंगे हमको लास्ट में क्यों बताया कुछ वर्सा तो लेने देते। मुक्ति का वर्सा तो मिलेगा ही सभी को लेकिन जीवनमुक्ति का वर्सा। अच्छा।

गुजरात की 50 कन्यायें समार्पित हुई हैं:- अच्छा शक्ति मिली! समार्पित होना अर्थात् जो बापदादा ने कहा वह किया। तो संकल्प किया बापदादा का कहना और हमारा करना यह संकल्प किया? हाँ हाथ उठाओ। आगे चलकर समर्पण समारोह तो किया लेकिन अभी आगे कौन सी ट्रेनिंग करेंगी या समर्पण करेंगी। कोई भी विघ्न को निर्विघ्न बनाने के निमित्त बनेंगी! यह ताकत आई ना? समर्पण में यह भी तो हुआ ना। तो समर्पण किया इसमें भी नम्बर लेना। निर्विघ्न रहेंगे और निर्विघ्न स्थान को बनायेंगे। नम्बर लेंगे। अच्छा है। एक कदम तो उठाया है अभी आगे कदम बढ़ाते ही रहना। अच्छा है। आगे-आगे बढ़ते रहेंगे और बढ़ाते रहेंगे। अच्छा। अभी आप मुख खोलो और गुलाबजामुन खाओ बापदादा भी समर्पण की टोली खिलाते हैं।

डबल विदेशी:- डबल विदेशी अर्थात् डबल पुरूषार्थी डबल तीव्र पुरूषार्थी। बापदादा ने देखा उमंग उत्साह बहुत है। कैसे भी हो लेकिन मैजारिटी मधुबन में हर साल में पहुंच जाते हैं। परिवार और बापदादा से सम्मुख मिलन का उमंग बहुत है। चाहे कैसे भी जमा करें लेकिन बापदादा ने देखा है कि इन्हों की टिकेट जमा करने के भिन्न-भिन्न तरीके बहुत अच्छे हैं। कैसे भी करके हर साल मैजारिटी पहुंच जाते हैं। विदेश को भी इन्डिया बना दिया है। प्यार है मधुबन के वायुमण्डल से और बापदादा का भी यह उमंग उत्साह और इन्हों के भिन्न-भिन्न जमा करने का तरीका देखकर बहुत दिल में प्यार आता है वाह विदेशी वाह! पहले बड़ी बात लगती थी लेकिन अभी ऐसे ही आते हैं हर ग्रुप में जैसे और ग्रुप आता है इन्डिया का ऐसे कोई ग्रुप का नहीं जिसमें विदेशी नहीं आयें। तो यह है मधुबन के या सारे विश्व के परिवार से प्यार। बापदादा से तो प्यार है ही। बापदादा को भी जैसे दिल से सब कहते मेरा बाबा क्योंकि बापदादा अमृतवेले भी विदेश में चक्र लगाता है। बापदादा को आने जाने में कितना समय लगता? वहाँ भी चक्र लगाते हैं बापदादा देखते हैं कैसे हैं? लगन है मगन बनने में पुरूषार्थ अच्छा है। अभी एक लगन मैजारिटी विदेश वालों की देखा है जैसे इन्डिया में रहे हुए स्थान रह नहीं जाए ऐसे विदेश में भी अभी बढ़ता जाता है जितना हो सकता है उतना चक्र लगाते भी सेवा करते रहते हैं। अभी कितने देश हैं! अभी विदेश के कितने देशों में सेन्टर हैं? (137 देशों में सेवा चल रही है) कितने सालों में इतने बनें! (लण्डन वाले 2011 में 40 साल मनायेंगे) अच्छा है ताली बजाओ। (स्पेन मैक्सिकों आदि कई जगह में 30 वर्ष का मना रहे हैं) अच्छा है आप सबको भी सुनकर खुशी होती है ना। क्यों? कोई भी देश चाहे इन्डिया का चाहे विदेश का कम से कम बाप आया है यह सन्देश भी पहुंच जाए ऐसा नहीं कहे कि मेरा बाप आया मेरे को सन्देश भी नहीं दिया। चाहे इन्डिया में चाहे विदेश में चलो काफी समय नहीं आवें लेकिन सन्देश तो सबको मिले भगवान आ गया। भगवान आया और वर्सा देके चला गया इसमें रह नहीं जायें। सन्देश देना आपका काम है चलना उनका काम है। लेकिन सन्देश पहुंचाना यह आपका काम है जो जहाँ रहते हैं। अभी जैसे साइंस के साधन बढ़ते जाते हैं बहुत जल्दी से जल्दी कोई भी बात फैल जाती है ऐसे प्लैन बनाओ जो सब तक सन्देश तो पहुंच जाए। हो सकता है! हो सकता है? मुश्किल है? नहीं। तो अभी लिस्ट निकालो भारत में कितने तक सन्देश पहुंचा है विदेश में कहाँ तक पहुंचा है! कोई साधन निकालो चाहे साइंस के साधन चाहे वैसे भी सम्बन्ध रखने का साधन लेकिन उल्हना न मिले। अभी तो कई देश निकलेंगे जहाँ सन्देश नहीं पहुंचा है। बहुत अच्छे साधन निकल रहे हैं लेकिन उनको यूज कैसे करें वह प्लैन बनाना पड़े। अच्छा।

चारों ओर के बच्चों को बापदादा अभी मुबारक दे रहे हैं। हर दिन हर घण्टे आगे बढ़ने की मुबारक हो। समय आपका इन्तजार कर रहा है आप समय का इन्तजार नहीं करना। आप समय को जितना समीप लाने चाहो समाप्ति को उतना समाप्ति को समीप ला सकते हो। समय आने पर तैयार होना यह आप ब्राह्मणों का संकल्प नहीं हो आप समय को समीप लाओ। समय बाप को कहता अभी ब्राह्मण आत्मायें मुझ समय को समीप लायें। प्रकृति भी बाप को कहती अभी समाप्ति को समीप लावे। तो बापदादा क्या जवाब दे? क्या जवाब दे? समय आया कि आया यह कहें! आपकी तरफ से यह जवाब दें? क्या जवाब दें? बोलो। क्या जवाब दें? अभी समाप्ति को समीप लाना अर्थात् स्वयं को सम्पन्न सम्पूर्ण बनाना क्योंकि बापदादा अकेले नहीं जायेगा बच्चों सहित जायेगा। तो डेट फिक्स करना। कब तक? काम तो दिया है अब आपस में राय करना। बापदादा जवाब क्या दे प्रकृति को! प्रकृति बहुत परेशान है। दु:खी आत्मायें बहुत मन में चिल्ला रही हैं। मन्सा सेवा अभी ज्यादा बढ़ाओ। करते हैं मन्सा सेवा लेकिन लगातार बढ़ती रहे वह और बढ़ाओ क्योंकि प्रकृति और दु:खी आत्मायें बाप के पास आती हैं चिल्लाती हैं। तो आप उन्हों को कुछ शान्ति या सुख की अनुभूति कराओ। वह एक सेकण्ड की शान्ति भी चाहते हैं थोड़ी शान्ति दे दो। जैसे भूखा होता है तो समझता है कि कुछ भी मिल जाए थोड़ा भी मिल जाए तो अभी मन्सा सेवा को भी बढ़ाओ। वाचा की तो चल रही है बापदादा खुश है। अच्छा बापदादा ने जो होमवर्क दिया वह याद रखना और रखवाना। अच्छा।

बापदादा के दिलतख्तनशीन बच्चों को विश्व कल्याण के कर्तव्य में सदा आगे बढ़ने वालों को बापदादा दृष्टि देते हुए दिल का प्यार और मुबारक मुबारक हो.. दे रहे हैं। हर एक बच्चा दूर बैठे भी सम्मुख अनुभव कर रहे हैं और बापदादा सभी बच्चों को दिल में समाते हुए सभी बच्चों से नमस्ते नमस्ते कर रहे हैं।

दादियों से:- (बाबा का फोर्स सभी को प्रेर रहा है जल्दी सबको सन्देश मिल जायेगा) पहुंच रहा है लेकिन यह जो संस्कार हैं ना सुनते हुए फोर्स आता है लेकिन संस्कार बीच में पर्दा लगा देता है। बाप तो कर रहा है लेकिन सभी संगठन में यह वायदा करें कि हम सब मिलकरके करके दिखायेंगे और रोज अपना एक दो को जो साथ में रहते हैं सब मिल करके लेन-देन करके सोयें तो हमारा आज का दिन सम्पन्न हुआ।

मोहनी बहन से:- हो जायेगा। यह तो बीच में थोड़ी ही गलती की इसलिए बढ़ गया। थोड़ा सा खाने पीने का ध्यान रखो जो डायरेक्शन मिले उस अनुसार करो हो जायेगा। (बाबा शरीरों को जवान बना दो ना) यह ड्रामा के हाथ में है बाबा के हाथ मे नहीं। (बापदादा के हाथ में ही है) वह टैम्प्रेरी काम चलाने के लिए।

परदादी से:- देखो यह खुश रहती है।

रमेश भाई से:- जो आपने प्लैन बनाया है वह ठीक है। कर सकते हो! बैठकर अपना प्लैन बनाकर शुरू कर सकते हो। और नई-नई इन्वेन्शन जो निकल रही है ना वह क्या-क्या निकल रही है हम लोगों को उससे क्या फायदा हो सकता है। जो चल रहा है वह तो चल रहा है नवीनता निकालो।

शान्ति बहन से:- बीमारी में स्वयं को चलाना यह अच्छा आ गया है। कोई बैठ जावे मैं तो बीमार हूँ मैं तो बीमार हूँ नहीं आपको चलाना आ गया है। (बाबा आपको थैंक्स) आपको भी थैंक्स जो शरीर को चलाना आ गया है।

गोलो भाई शान्तिवन में सोलार लगवा रहे हैं:- अभी डर निकल गया है ना आगे क्या होगा कैसे होगा वह डर नहीं है ना। क्योंकि सभी का संकल्प है सबका उमंग है तो होना चाहिए इसलिए सभी का संकल्प ला रहा है।



31-12-10   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘पुराने वर्ष को विदाई देने के साथ पुराने संस्कारों को विदाई दे निर्विघ्न रहने का दृढ़ संकल्प लो और रहमदिल मास्टर दाता बन मन्सा सेवा द्वारा दु:खी अशान्त आत्माओं को सहारा दो’’

आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को नया वर्ष और नई दुनिया की मुबारक देने सूक्ष्म वतन से स्थूल वतन में मुबारक देने आये हैं। सभी बच्चे भी स्नेह और प्यार से अपने मधुबन घर में पहुंच गये हैं। दुनिया वाले तो सिर्फ न्यु वर्ष मनाते हैं जो एक दिन का होता है आप लोग नई दुनिया का संगम पर सदा मनाते रहते हो। आपके सामने नई दुनिया नयनों में सदा समाई हुई है। याद करो और पहुंच जाओ। आंखों में समाई हुई है ना! अनुभव होता है कि अभी-अभी संगम पर हैं आज संगम पर हैं और कल अपने राज्य में गये कि गये! ऐसे नयनों में स्पष्ट दिखाई देती है। दुनिया वाले तो एक दो को एक दिन की मुबारक देते हैं लेकिन आपको बापदादा ने गिफ्ट में गोल्डन वर्ल्ड दी है जो काफी समय चलने वाली है। ऐसी नयनों में समाई हुई है जो एक सेकण्ड में पहुंच सकते हो। सबके सामने अपनी गोल्डन दुनिया नयनों में समाई हुई है। एक सेकण्ड में पहुंच सकते हो ना! आज संगम में हैं कल राज्य अधिकारी बन राज्य करेंगे।

अभी समय अनुसार जानते हो कि आप पूर्वज के भक्त लोग दु:खी और अशान्त होने के कारण आप पूर्वज आत्माओं को कितना पुकार रहे हैं। आवाज सुनने आता है कैसे दु:ख अशान्ति से पुकार रहे हैं? हमें शान्ति दे दो सुख दे दो खुशी दे दो। आवाज सुनने आता है? दो दो ... तो अभी आप आत्माओं को रहमदिल कल्याणकारी दाता के बच्चे रूप में आत्माओं को मन्सा सेवा द्वारा देने का कार्य करना है। बापदादा को तो बड़ा तरस पड़ता है इन दु:खी अशान्त आत्माओं पर। आपको भी तरस पड़ता है ना! (खांसी आई) आज ब्रह्मा बाप की खांसी आ गई है। तो आपको भी आत्माओं के ऊपर तरस पड़ रहा है ना! अभी इस वर्ष में क्योंकि आज के दिन वर्ष नया आ भी रहा है और पुराना वर्ष जाने वाला भी है। तो जाने वाले वर्ष में आपने क्या प्लैन बनाया है? वर्ष तो जायेगा लेकिन आप सबने अपने लिए वर्ष के साथ क्या विदाई देंगे? जैसे वर्ष विदाई लेगा वैसे आप अपनी जीवन में क्या विदाई देंगे? और नया क्या भरेंगे? सदा के लिए विदाई देंगे वा थोड़े समय के लिए? क्योंकि बापदादा ने इशारा दिया है कि अब तक जो पुराने संस्कार रहे हुए हैं उन संस्कारों को मन में देखकर जानकर समाप्त करना ही है। बापदादा को यह पुराने संस्कार पुरूषार्थ में विघ्न रूप दिखाई देते हैं। बच्चे एक तरफ कहते हैं बाबा ही मेरा संसार है फिर पुराने संस्कार कहाँ से आये? संसार ही बाप है तो यह पुराने संस्कार जो पुरूषार्थ में विघ्न डालते हैं यह खत्म होना चाहिए ना! अमृतवेले जब सब रूहरिहान करते हैं तो बाप ने देखा सब अपना पोतामेल देते हैं तो अब तक पुराने संस्कार ही पुरूषार्थ को ढीला करते हैं। तो आज के दिन वर्ष को विदाई देते हुए इन संस्कारों को भी विदाई दे सकते हो? दे सकते हो? हाथ उठाओ। देना पड़ेगा। हाथ उठाना तो बहुत सहज है लेकिन मन का हाथ उठाना है। उठा रहे हैं। पुराने संस्कार को सदा के लिए.. हाथ उठा रहे हो। फिर से उठाओ। अच्छा। बापदादा को मैजारिटी बच्चों ने हाथ उठाकर खुश कर दिया। बापदादा को यही खुशी है कि हिम्मत वाले बच्चे हैं। जहाँ हिम्मत है वहाँ बापदादा का सदा सहयोग है। तो अभी जब हाथ उठाया है तो हर छोटा बड़ा बाप के स्थान सदा के लिए निर्विघ्न हो गये ना! क्योंकि बापदादा के पास जो रिजल्ट आती है उसका कारण पुराने संस्कार होते हैं। तो आज संस्कार संकल्प से समाप्त किया अर्थात् निर्विघ्न भव का वरदान लिया। लिया? वरदान लिया? हिम्मत का फल तो मिलता है ना! और बापदादा का वरदान मिला हुआ है कि एक कदम बच्चों के हिम्मत का और अनेक कदम बाप की मदद के हैं ही है। तो यह संकल्प आज से याद रखना हमने पुराने संस्कार दे दिये। अगर मानो आपके पास वापस आये तो क्या करेंगे? क्या करेंगे? वापस दी हुई चीज अपने पास नहीं रखी जाती है क्योंकि दे दी अर्थात् मेरी नहीं। तो जब मेरी नहीं तो अपने पास कैसे रख सकते? बाप को दिया तो बाप को ही देंगे ना। पक्का है ना दे दिया ना! पक्का? अभी दो-दो हाथ उठाओ। पक्का। पीछे वाले भी उठा रहे हैं।

बापदादा को यही खुशी है कि कलियुग में रहते भी जो बाप द्वारा प्राप्ति हुई है उसका अनुभव अब संगम पर करेंगे। दुनिया के लिए कलियुग है लेकिन आपके लिए संगमयुग अर्थात् सर्व प्राप्तियों का युग है। परमात्म प्राप्तियां सर्व शक्तियां सर्व गुण सर्व ज्ञान का खज़ाना जो प्राप्त है उसका प्रैक्टिकल अनुभव करेंगे। तो आज के दिन बापदादा जिन्होंने भी हाथ उठाया है उन सभी बच्चों को चाहे यहाँ सम्मुख बैठे हैं चाहे दूर बैठे देश विदेश में सुन रहे हैं उन सभी बच्चों को बहुत दिल से क्या दे रहे हैं? मुबारक तो दे रहे हैं लेकिन मुबारक के साथ सभी के मस्तक के ऊपर हाथ रख रहे हैं। आप भी बापदादा भी मन ही मन में डांस कर रहे हैं वाह बच्चे वाह! अभी आप भी मन में डांस कर रहे हो। बोलो हाँ जी।

अभी देखना टीचर्स। जो भी टीचर्स हैं वह हाथ उठाओ। फारेन की टीचर्स भी हैं ना! बापदादा को तो हर एव बच्चे का यह दृढ़ संकल्प सुन खुशी है कि अभी जो बापदादा चाहते हैं कि बाप समान बच्चों ने लक्ष्य रखा है सम्पन्न सम्पूर्ण बनने का उसमें यह निर्विघ्न रहने का दृढ़ संकल्प सम्पन्न समय को भी समीप लायेगा। बापदादा को यह भी खुशी है कि सभी बच्चों ने जो संकल्प किया है वह सम्पन्न करेंगे और जो दुनिया वाले दु:खी हैं अशान्त हैं उसकी मन्सा सेवा कर उन्हों को भी कुछ न कुछ सहारा देते रहेंगे क्योंकि बापदादा को बच्चों का पुकारना चिल्लाना सहन नहीं होता। है तो आपका भी परिवार ना! तो बहुत बढ़ रहा है दु:ख अशान्ति तो अब रहमदिल बनो। यह संकल्प भी साथ में करो कि चलते फिरते अमृतवेले आत्माओं की मन्सा सेवा भी अवश्य करेंगे यह संकल्प ले सकते हो? जैसे यह संकल्प लिया तो संस्कार को समाप्त करेंगे सदा के लिए सदा के लिए लिया है ना! थोड़े समय के लिए तो नहीं। तो जैसे संस्कार को समाप्त कर बाप समान बनेंगे ऐसे दाता के बच्चे बन मास्टर दाता स्वरूप से मन्सा सेवा भी करनी है। इसके लिए तैयार हो? मन्सा सेवा करने के लिए तैयार हो? हाथ उठाओ मन्सा सेवा भी करेंगे? सारे दिन में जो भी टाइम मिले उसमें मन्सा सेवा जरूर करना क्योंकि आप बच्चों को ही सुखमय संसार लाना है। बाप ने आप बच्चों को इसी सेवा के लिए राइटहैण्ड बनाया है। हाथ से दिया जाता है ना। तो आप बाप के राइट हैण्ड हैं। तो बापदादा आप राइट हैण्ड अर्थात् हाथों द्वारा सभी को यह सेवा दिलाने चाहता कि कुछ न कुछ देते रहो। वह चिल्ला रहे हैं दो-दो और आप दु:खियों को सुख दे परेशान को कुछ शक्ति दे करके पुण्य का काम करो। अभी आप बच्चे जो अपने आपको जाना बाप को जाना वर्से के अधिकारी बने तो दूसरों को भी बनाओ क्योंकि अभी सभी मुक्ति चाहते हैं। सभी को मुक्ति में भेज आप बाप के वरदान से राज्य अधिकारी बनेंगे इसलिए बाप यही हर बच्चे को संकल्प दे रहे हैं निर्विघ्न भव सेवाधारी भव। जो बच्चे बाप के बन गये हैं उन बच्चों को संगमयुगी ब्राह्मण जीवन का मजा अनुभव हो रहा है और होता ही रहेगा। जो अपने को चाहे नये आये हैं चाहे पुराने भी हैं लेकिन अपने को समझते हैं बाप के वर्से के अधिकारी हैं अतीन्द्रिय सुख में झूलते रहते हैं और आगे भी जो संकल्प किया है संस्कार पर विजयी बनने का संकल्प लिया है वह सभी आत्मायें कोटों में कोई बने हैं या कोई में भी कोई बने हैं? बच्ची ने कहा है ना जनक ने 108 की माला 16 हजार की माला का खास मिलन करो। तो आप जो समझते हैं कि हम 16 हजार या 108 इस माला में आने ही वाले हैं वह हाथ उठाओ।

नये नये भी उठा रहे हैं। मुबारक हो। निश्चयबुद्धि विजयी होते हैं। बापदादा भी जानते हैं कि जो निश्चयबुद्धि हैं वह आगे जा सकते हैं जायेंगे। अच्छा यहाँ बैठे हैं ना सामने। हाथ उठाओ जो पहली बारी आये हैं। सभी की तरफ से बापदादा आप लोगों को मुबारक दे रहे हैं। निश्चय जो किया है ना वह अमृतवेले सदा इसको रिवाइज करते रहना। अच्छा। बापदादा को बच्चों को देख खुशी होती है कि समय टूलेट के पहले अपने वर्से के अधिकारी बन गये। इसीलिए सर्व परिवार यहाँ आये हुए या अपने-अपने सेन्टरों पर रहने वाले सभी बच्चों की तरफ से भी बापदादा आप सबको मुबारक दे रहे हैं। अभी आप कमाल करना एक हिम्मत है बोलें? हिम्मत है? आप लोग पहले से ही निर्विघ्न रहना। निश्चय और नशा में नम्बरवन जाना। बापदादा को खुशी होती है कि पुराने तो पुराने हैं लेकिन नये थोड़े समय में कमाल दिखायेंगे। अच्छा।

अभी बापदादा चाहे नये हैं चाहे पुराने हैं सभी को एक सेकण्ड का कार्य देते हैं। सभी अभी-अभी एक सेकण्ड में अपने आपको और सभी संकल्पों से दूर कर एक सेकण्ड में अपने को बिन्दू रूप में स्थित कर सकते हैं। करेंगे? एक सेकण्ड में मैं बिन्दू हूँ कोई संकल्प नहीं बिन्दू हूँ। जिसने सेकण्ड में अपने को बिन्दू स्थिति में स्थित किया वह हाथ उठाओ। सेकण्ड में लगाया। अच्छा। अभी यह प्रैक्टिस 15 दिन सारे दिन में हर घण्टे में एक सेकण्ड में बिन्दू लगाओ यह प्रैक्टिस हर एक करना और वहाँ वातावरण में रहकर अपने कार्य में रहते चेक करना कि एक सेकण्ड में बिन्दू रूप में सफलता मिली? क्योंकि यहाँ तो वायुमण्डल भी है लेकिन अपने-अपने स्थान में रहते सेकण्ड में बिन्दू स्वरूप में स्थित हो सकते हैं यह अभ्यास करना क्योंकि बापदादा ने बता दिया है जितना आगे चलते जायेंगे उतना यह एक सेकण्ड में बिन्दू स्थिति में स्थित होने की आवश्यकता पड़ेगी। इसलिए अपने आपको ही चेक करना और अपने-अपने स्थान में रिपोर्ट टीचर को लिखकर देना। फिर टीचर्स द्वारा चाहे यहाँ हैं या नहीं भी हैं सभी के क्लासेज में यह होमवर्क है इसकी रिजल्ट बापदादा के पास आयेगी तो देख लेंगे इससे पता पड़ेगा कि आप 108 या 16 हजार की माला उसके अधिकारी हैं सेकण्ड में रोज की दिनचर्या में कितना सफल हुए उससे पता पड़ेगा कि आप किस योग्य हैं। क्योंकि अभी हाथ उठवायेंगे कौन अपने को समझते हैं प्रैक्टिकल धारणा में कि मैं 108 या 16 हजार की माला में आयेंगे। आप सिर्फ रिजल्ट लिखना उससे समझ जायेंगे क्योंकि दादियां मानो नाम देती हैं तो कोई समझेंगे हम भी आ सकते हैं ना इसलिए इस रिपोर्ट से पता पड़ जायेगा।

बापदादा पूछते हैं कि सदा सेकण्ड में जो रूप अनुभव करने चाहो वह कर सकते हो? सेकण्ड में? 5 स्वरूप जो सुनाये थे वह भी जब चाहो तो सेकण्ड में वह स्वरूप बन सकते हो? यह प्रैक्टिस करके अपने आपका मालूम पड़े कि मैं जो चाहूं उस स्थिति में सेकण्ड में रह सकता हूँ या टाइम लगता है। बाकी बापदादा खुश है कि हाथ उठाने में मैजारिटी हाथ उठाते हैं। अभी यह हाथ उठाया है लेकिन अभ्यास करते-करते यह ऐसा हो जायेगा जैसे अभी द्वापर कलियुग के अभ्यास में देह अभिमान में आना नेचरल हो गया है ऐसे जिस स्वरूप में भी स्थित होने चाहो वह ऐसा ही इजी हो जाए क्योंकि समय ऐसा आने वाला है जिसमें आपको इस अभ्यास की आवश्यकता पड़ेगी। तो यह अभ्यास हर एक अपने-अपने कार्य में होते करते रहो और रिजल्ट अपनी निमित्त टीचर्स को देते रहो। तो इस वर्ष की समाप्ति में यह प्रैक्टिस करते रहना। अपने आपेही करो अपना टीचर भी आप बनो लेकिन रिजल्ट दिखाने के लिए अपना चार्ट देते रहेंगे तो अटेन्शन जायेगा। ऐसा अनुभव करो जैसे हाथ को जहाँ चाहो ठहरे ठहरा सकते हो ना! ऐसे मन को जिस स्थिति में रहाने चाहो उस स्थिति में रहे। महामन्त्र भी यादगार में मनमनाभव है। मन की ड्रिल इसमें सफलता कितनी है वह अपना आप ही अनुभव करो।

बापदादा यही चाहते हैं कि एक-एक बच्चा अभी संगमयुग का सुख संगमयुग की प्राप्तियां हर प्राप्ति के अनुभवी बनें। अपने आपको चेक करना हर प्राप्ति हर शक्ति हर ज्ञान के राज़ को योग की हर विधि को धारणा में भी हर धारणा में अनुभवी बना हूँ? अपनी सारी चेकिंग करते रहो और आगे से आगे बढ़ाते रहो। तो आज बापदादा चेकिंग और प्राप्ति इसको चेक करने के लिए कह रहे हैं। कोई भी प्राप्ति में कम हो गये तो ड्रामानुसार परीक्षायें भी समय अनुसार वही आयेंगी इसलिए सब सबजेक्ट में सम्पन्न और सम्पूर्ण की चेकिंग करो और चेंज करो।

तो आज के दिन बापदादा आप सबके साधारण स्वरूप में भी आपके भविष्य का रूप प्राप्तियों का रूप देख रहे हैं। अच्छा। सभी तरफ के सिकीलधे बापदादा के दिलतख्तनशीन बापदादा के फरमानवरदार आज्ञाकारी तीव्र पुरूषार्थी बच्चों को बापदादा का बहुत-बहुत दिल का प्यार और बापदादा की मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो। बापदादा को भी बच्चों को देख खुशी होती है वाह वाह वाह! मेरे बच्चे वाह!

सेवा का टर्न इन्दौर जोन का है:- सभी इन्दौर निवासी सेवा और याद में लगे हुए हैं। बापदादा को खुशी है कि हर एक अपने-अपने पुरूषार्थ और प्राप्ति के अनुभव से आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ते रहेंगे। हिम्मत अच्छी है इसलिए जहाँ हिम्मत है वहाँ हिम्मत का फल और हिम्मत का बल दोनों ही प्राप्त होता है। अभी आगे बापदादा यही चाहते हैं कि हर जोन कोई न कोई सेवा या अपनी स्थिति निर्विघ्न और पुरूषार्थ तीव्र करने वाले बाप के प्यारे हैं और आगे भी बाप के प्यारे बन बढ़ते रहेंगे। अच्छा है। इन्दौर की यही विशेषता है जो गवर्मेन्ट वहाँ की गवर्मेन्ट के पास कनेक्शन अच्छा है। अभी उन्हों को गवर्मेन्ट के निमित्त बने हुए कनेक्शन वाले उन्हों को सेवा में सहयोगी बनाओ। है भी कनेक्शन अच्छा उन्हों से सेवा कराओ। ऐसे कार्य के अर्थ साथी बनाओ जो उन्हों के सहयोग से लोगों के ऊपर प्रभाव पड़े सर्विस में साथी बनाओ। इच्छुक हैं लेकिन थोड़ा आगे बढ़ाओ। घरू बनाओ उन्हों को। आ सकते हैं। बाकी संख्या तो बहुत है। इन्दौर से जो आज पहली बार आये हो वह हाथ ऊंचा करो। इन्दौर वाले ऊंचा हाथ उठाओ। बाकी अच्छा है हर एक जोन अपने-अपने सेवा में सफलता पा रहे हैं और पाते रहेंगे। बापदादा हर बच्चे को देख खुश है। आगे बढ़ रहे हैं बढ़ते रहेंगे।

ज्युरिस्ट विंग:- अच्छा है ज्युरिस्ट विंग अपना कार्य कर भी रहे हैं और आगे भी करेंगे। अच्छा है। पहले भी ज्युरिस्ट विंग को बापदादा ने इशारा दिया था तो ऐसे कोई ज्युरिस्ट निकालो जो आपस में ग्रुप बनाके यह सिद्ध करे कि गीता का भगवान परमात्मा हो सकता है। ऐसे कोई ग्रुप बनाओ। जैसे धर्म वालों को कहा था तो थोड़ा-थोड़ा कोशिश तो की ऐसे ज्युरिस्ट विंग भी ऐसा ग्रुप बनाये जो सिद्ध करे कि गीता का भगवान कौन है? हो सकता है ना! हो सकता है? क्योंकि अब यह दो बातें दुनिया में प्रसिद्ध होनी चाहिए एक गीता का भगवान और दूसरा सर्वव्यापी नहीं है। यह दो बातें धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो जाएं। जैसे अभी दुनिया में यह प्रसिद्ध हो गई है कि वास्तव में ब्रह्माकुमारियाँ मन की शान्ति मन की उलझन मेडीटेशन से दूर कर रही हैं। अभी धीरे-धीरे कोई भी मन में अशान्ति वाला समझता है कि ब्रह्माकुमारियों के पास इसका साधन अच्छा है। धीरे-धीरे प्रसिद्ध होता जा रहा है ऐसे यह दो बातें अथॉरिटी वालों के पास प्रसिद्ध हो जाएं। एक दो अगर सैटिस्फाय हो जाए और ऐसा बेफिकर होके कहे कि यह बात समझने की है तो धीरे-धीरे यह बात फैलती जाए। भाषण तो अभी कहते ही हैं कि ब्रह्माकुमारियों का भाषण प्वाइंट टू प्वाइंट होते हैं। सुनने आते हैं समझने लगे हैं। लेकिन मुख्य बात अभी इसका आवाज होना चाहिए। यह दो विशेष बातें हैं। इससे यह सिद्ध हो सकता है कि इनको यह सिखाने वाला कौन! तो ऐसा पुरूषार्थ करो जो सिद्ध हो जाए कि कोई अथ्ाॉरिटी है जो इन्हों को सिखाने वाला है। बाकी अच्छा है जब से यह वर्ग बनाये हैं तब से हर एक ने अपनी सेवा की जिम्मेवारी अच्छी उठाई है। हर एक वर्ग अपने-अपने सेवा में लगे हुए हैं इसलिए इस सेवा के निमित्त बने हुए बच्चों को बापदादा दिल से प्यार दे रहा है सदा आगे बढ़ते चलो। बाप को प्रत्यक्ष करने का नया-नया प्लैन बनाते रहो। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनें:- डबल विदेशियों को बापदादा की विशेष यादप्यार। बापदादा ने देखा कि गुप्त ही गुप्त में सेवा की वृद्धि अच्छी कर रहे हैं इसलिए बापदादा समझते हैं कि बाप से दिल का प्यार और नॉलेज का महत्व अच्छा हर एक बच्चे के अन्दर बढ़ रहा है इसलिए विदेशी बच्चे वृद्धि भी अच्छी कर रहे हैं और पुरूषार्थ में भी पहले से दिनप्रतिदिन आगे बढ़ रहे हैं। इसीलिए बापदादा दिल का प्यार और दिल में हिम्मत आगे बढ़ा रहे हैं। सन्तुष्ट है बापदादा। सेवा वृद्धि में कर रहे हैं आगे भी करते रहेंगे। बापदादा को चारों ओर के बच्चों की सेवा में वृद्धि प्राप्त हो रही है। अभी आगे क्या करना है? हर एक जैसे पुरूषार्थ में सेवा में आगे बढ़ रहे हैं वैसे अभी याद की सबजेक्ट में और आगे गुह्य अनुभवों को बढ़ाते चलो। कर्मयोगी का पाठ भी अच्छा बजा रहे हैं उसमें भी याद की यात्रा को और बढ़ाना है। याद की सबजेक्ट में और थोड़ा पावरफुल अनुभव को बढ़ाना यह एक दो को उमंग बढ़ाके इसमें नम्बरवन लेना है। बाकी रिजल्ट में वृद्धि में अच्छा है। अटेन्शन दिया है कि आसपास वालों को अटेन्शन खिंचवायें इसके लिए बापदादा सभी विदेश के बच्चों को मुबारक दे रहे हैं।

डबल विदेशी - चिल्ड्रेन रिट्रीट:- अच्छा सभी बच्चों को बहुतृबहुत याद और प्यार। (छोटे बच्चों ने गीत गाया) अच्छा उमंग उत्साह में हैं। अभी वहाँ जाके और सेवा भी करना और खुशी और योग दोनों को बढ़ाना। अच्छा है।

यूथ रिट्रीट - अच्छा है यूथ का परिवर्तन गवर्मेन्ट भी देखने चाहती है। तो यूथ वाले यह ग्रुप बनाओ। चाहे इन्डिया वाले भी मिलाओ लेकिन यह विशेषता दिखाओ कि संसार में तो दु:ख बढ़ रहा है लेकिन हमारे में शिवबाबा द्वारा खुशी बढ़ रही है। पवित्रता बढ़ रही है। कुछ भी हो जाए जो संकल्प लिया है कि खुद भी सदाचारी बन दुनिया में सदाचार फैलायेंगे उसी में खुद भी आगे बढ़ रहे हैं और दूसरों को भी यह अपनी जीवन बताके आप समान श्रेष्ठाचारी बना रहे हैं। तो यह देख गवर्मेन्ट भी खुश होती है कि इन कुमारों ने यूथ ने अपनी जीवन अच्छी बनाई है और आगे बढ़ाते भी जायेंगे। तो अभी धीरे-धीरे यूथ का भी प्रभाव गवर्मेन्ट तक भी पहुंच रहा है। तो जो दुनिया नहीं कर सकी वह आप करके दिखा रहे हो। दिखाते रहना आवाज फैलाना। अच्छा है। बापदादा को भी यूथ ग्रुप भविष्य कितना ऊंचा बना सकती वह देख खुशी होती है। बढ़ रहे हो बढ़ते चलो और बढ़ाते चलो।

इन्दौर होस्टेल की कुमारियां:- इन्दौर की कुमारियों ने भी प्रोग्रेस अच्छी की है। सेवाकेन्द्र में भी मददगार बनती हैं। बापदादा कुमारियों को देख खुश होते हैं कि यह कुमारियां खुद अपने को तो बचाया लेकिन औरों को भी दिनप्रतिदिन साथ दे उमंग हुल्लास में लाती रहती हैं इसलिए कुमारियां विश्व के आगे एक्जैम्पुल हैं। आप समान बनाती चलो। अपने को सेवा के निमित्त बनाती चलो। आपकी अच्छी प्रगति देख औरों में भी उमंग आता है। तो बाबा को अच्छा लगता है अच्छी हैं अच्छी बनाते आगे बढ़ती चलो।

दादियों से:- (पुराने साल के साथ सब कमी कमज़ोरियां भी परिवर्तन करेंगे) अभी देखेंगे कि अंश मात्र भी नहीं रहें। वह हर एक महसूस करे कि यह तो बदल गये हैं पूरे। यह देखने चाहते हैं सभी।

परदादी से:- यह मुस्कराती रहती है। भले बेड पर है लेकिन मुस्कराती अच्छा है। ऐसे ही सभी सदा मुस्कराते रहो। ठीक है तबियत। चलाना आ गया है। इसको भी चलाना आ गया है। अच्छी हिम्मत है। रूहानी हिम्मत है।

(मनमोहिनी वन में स्टुडियो बनाना है उसका नक्शा रमेश भाई ने बापदादा को दिखाया) अच्छा बनाया है शुरू करो लेकिन सम्भालना पड़ेगा। सभी साथ हैं हो जायेगा।

अच्छा - आज नया वर्ष शुरू हो रहा है तो सभी मधुबन के जो भी स्थान हैं चाहे ज्ञान सरोवर चाहे पाण्डव भवन चाहे यहाँ के शान्तिवन के जो भी निवासी हैं उन्हों को भी बापदादा खास यादप्यार दे रहे हैं क्योंकि जो पास रहते हैं वह सदा सेवा द्वारा अपने को आगे बढ़ा रहे हैं और बढ़ाते रहना क्योंकि वायुमण्डल यहाँ का आनंद लेने के लिए वायुमण्डल का सुख लेने के लिए बाहर से आके अनुभव करते हैं तो यहाँ रहने वाले ऐसे वायुमण्डल में रहने वाले कितने भाग्यवान हैं। बापदादा यही चाहते हैं कि हर एक बच्चा सदा बाप समान सबको खुशी दे और खुशी ले। यहाँ के वायुमण्डल का लाभ जो धारण करने चाहे वह कर सकते हैं। तो बापदादा आज रहने वाले भाग्यवान बच्चों को देख रहे हैं और खुश हो रहे हैं कि मिले हुए भाग्य को अपने कार्य में लगाकर आगे बढ़ते रहेंगे। बापदादा को सभी बच्चों को चाहे सेवाधारी चाहे समार्पित दोनों को देखकर खुशी होती है कि वाह बच्चे वाह! अपने प्राप्त हुए भाग्य को सदा सामने रखते हुए अतीन्द्रिय सुख में झूलते रहो और झुलाते रहो। बापदादा को हर एक के भाग्य पर नाज़ है। कॉमन बात नहीं है ड्रामानुसार यह भाग्य प्राप्त होना भी आपके जीवन का एक बहुत बहुत बड़े में बड़ी प्राप्ति है। बापदादा हर बच्चे को उड़ती कला वाला देखने चाहते हैं। उड़ रहे हैं लेकिन और उड़ती कला में आगे बढ़ो और औरों को साथियों को भी आगे बढ़ाओ। सबको नाम सहित विशेष नये वर्ष की बापदादा मुबारक दे रहे हैं।

हैदराबाद के वी.आई.पीज से:- बापदादा ने देखा कि यह ग्रुप जो आया है भाग्यवान ग्रुप है। आते ही उड़ती कला का अनुभव कर रहे हैं। धीरे धीरे चलने वाले नहीं उड़ान उड़ने वाले। भाग्य लेके ही आये हैं। बहुत अच्छा। अपने घर में पहुंच गये हैं। अपने परिवार में पहुंच गये हैं। कल्प पहले वाला भाग्य इन्हों को था अपना कल्प पहले वाला भाग्य आपने ले लिया। अच्छे हैं। अभी हैदराबाद को ऐसा बनाओ जो बापदादा दृष्टान्त देवे कि वी.आई.पी सर्विस अगर देखना हो तो हैदराबाद में देखो। अच्छा है।

नये वर्ष 2011 के शुभ आगमन पर बापदादा ने सभी बच्चों को बधाईयां दी

सभी को नये वर्ष की मुबारक हो। सारा साल निर्विघ्न और खुशमिजाज रहना। अपनी चलन और चेहरे से सबको खुशी और मुस्कराहट सिखाना। सदा उड़ना और उड़ाना। चलना नहीं उड़ना। उड़ती कला सर्व को प्रिय है। तो उड़ते उड़ते सन्देश देना। सब आपको देखकरके खुशी के झूले में झूलने लगे। हैपी हैपी हैपी न्यु ईयर।



18-01-11   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘ब्रह्मा बाप समान जीवन में रहते जीवनमुक्त स्थिति की मजा लो स्नेह की सौगात मनजीत जगतजीत बनकर दो’’

आज का दिन विशेष ब्रह्मा बाप के अव्यक्त होने का स्मृति का दिन है। सभी बच्चों के नयनों में ब्रह्मा बाप का स्नेह समाया हुआ है। आज चार बजे से भी पहले बच्चों का स्नेह वतन में पहुंच गया। ब्रह्मा बाप से मिलन मनाने और स्नेह की अपने दिल के स्नेह की निशानियां मालायें ब्रह्मा बाप के पास पहुंच गई। हर एक माला के खुशबू में बच्चों का स्नेह समाया हुआ था। हर एक बच्चे के नयन और मुस्कराहट दिल की बातें बोल रही थी। ब्रह्मा बाप भी हर एक को स्नेह का रिटर्न दे रहे थे। बाप देख रहे हैं कि अभी भी हर बच्चा नयनों की भाषा में अपने दिल का स्नेह दे रहे हैं क्योंकि यह परमात्म स्नेह हर बच्चे को सहज बाप का बनाने वाला है। यह अलौकिक स्नेह मेरा बाबा के अनुभव से अपना बनाने वाला है। यह स्नेह बाप के खज़ानों का मालिक बनाने वाला है क्योंकि बच्चों ने कहा मेरा बाबा तो मेरा बाबा कहना और सर्व खज़ानों के मालिक बनना। यह स्नेह देह का भान सेकण्ड में भुलाकर देही अभिमानी बना देता है। सिवाए बाप के और कुछ भी आत्मा को आकर्षित नहीं करता। इस दिन का बहुत बड़ा महत्व है। सिर्फ स्मृति दिवस नहीं लेकिन समर्थी दिवस है क्योंकि इस दिन बाप ने बच्चों को विश्व सेवा के लिए स्वयं करावनहार बन बच्चों को करनहार बनाने का तिलक दिया। सन शोज फादर का करनहार निमित्त बनाया। सेवा में सफलता का साधन स्वयं करावनहार बना और बच्चों को करनहार बनाया क्योंकि सेवा में सफलता का साधन मैं करनहार हूँ करावनहार करा रहा है यह स्मृति वा यह स्थिति बहुत आवश्यक है क्योंकि 63 जन्म की स्मृति मैं पन देह अभिमान में ले आती है। करावनहार करा रहा है मैं निमित्त करनहार हूँ इस स्मृति से ही अपने को निमित्त समझने से देह अभिमान समाप्त हो जाता है। तो बच्चों को इसीलिए करनहार बनाया स्वयं करावनहार बनें। करनहार बनने से स्वत: ही निमित्त हैं निर्माण बन जाते हैं। अभी भी बापदादा बच्चों को सेवा में निमित्त बन करने के कारण बाप ने देखा कि जो सेवाधारी हैं उन्हों के मस्तक में सेवा का फल सितारा चमक रहा है। मैजारिटी बच्चों की सेवा को देख बापदादा खुश है इसलिए ऐसे बच्चों को विशेष ब्रह्मा बाप वाह बच्चे वाह! कहके मुबारक दे रहे हैं।

ब्रह्मा बाप विशेष खुश भी हो रहे हैं और आगे भी सेवा को निमित्त बन आगे बढ़ाने के लिए मुबारक दे रहे हैं। अभी भी ब्रह्मा बाप बच्चों को आप समान फरिश्ता स्थिति में रहने के लिए इशारे दे रहे हैं। बापदादा ने देखा है कि बच्चों का अटेन्शन है कि सदा जैसे ब्रह्मा बाप जीवन में रहते जीवनमुक्त थे इतनी जिम्मेवारी होते भी इतने बड़े परिवार को सम्भालना सभी को योगी जीवन वाला बनाना इतनी सेवा की जिम्मेवारी सम्भालना सेवा में सदा आगे बढ़ाना सब कुछ जिम्मेवारी होते भी जीवनमुक्त के मजे में रहा इसलिए भक्ति मार्ग में ब्रह्मा का आसन कमल आसन दिखाते हैं। जीवनमुक्त बन अभी जीवनमुक्त का मजा लिया और आप सभी बच्चों को भी ऐसा ही बनाया। अभी भी आप बच्चों को फरिश्ता बनने की भिन्न-भिन्न युक्तियां बताए आप समान बनाने चाहते हैं।

बापदादा ने देखा लक्ष्य हर बच्चे का अच्छा है कोई से भी पूछते हैं आपका लक्ष्य क्या है तो क्या कहते हो? याद है क्या कहते हो? बाप समान बनना ही है। तो बाप समान क्या बनेंगे? इसी जीवन में जीवनमुक्त जीवन का सैम्पुल बनेंगे। बापदादा ने देखा है जो होमवर्क देते हैं उसमें अटेन्शन तो देते हैं अनुभव भी करते हैं लेकिन सदा नहीं करते हैं। अभी भी जो काम दिया था उसकी रिपोर्ट कई बच्चों ने पुरूषार्थ कर एक-एक मास अटेन्शन दिया है। कई जोन की रिपोर्ट एक मास की रिजल्ट में अच्छी भी आई है। जिन्होंने रिपोर्ट भेजी है जिस जोन वालों ने भेजी है उसको बापदादा वाह बच्चे वाह! कह करके मुबारक दे रहे हैं लेकिन बापदादा अभी क्या चाहता है? अभी बापदादा हर बच्चे से यही चाहता है कि अभी कभी-कभी ठीक रहते हैं लेकिन बाप सदा चाहता है। योगी भी अच्छे बने हैं लेकिन सदा योगी बनाने चाहते हैं। आजकल बापदादा ने बच्चों को काम भी दिया था सदा रहने के लिए हर घण्टे अपने ऊपर कोई न कोई युक्ति रखो जो कभी-कभी को बदल सदा शब्द आ जाए। अभी बापदादा यही चाहते हैं जैसे कहावत है मन जीते जगतजीत मन को जो संकल्प दो वही करे। क्यों? जैसे और कर्मेन्द्रियां जब चाहो जैसे चाहो वैसे करती हैं ना! ऐसे ही मन को भी जो आर्डर करो वही करे। अभ्यास करते हो लेकिन कभीव भी नहीं भी करते हैं। बापदादा अभी यही चाहते हैं कि मन को शक्तियों की लगाम से जैसे चलाने चाहो वैसे चलाओ। जो गायन है मन जीते जगतजीत वह किसका गायन है? आप बच्चों का ही तो गायन है। हर कल्प किया है तभी गायन है क्योंकि जैसे और कर्मेन्द्रियों को मेरी कहते हो वैसे ही मन को भी मेरा कहते हो। मेरा कहना अर्थात् मालिक बनो। मन में जो संकल्प करने चाहो जितना समय वह संकल्प करने चाहो वह बंधा हुआ है क्योंकि मेरा है। तो बापदादा इस स्नेह के दिन यही होमवर्क देने चाहते हैं कि जो संकल्प करने चाहो वही चले अगर आप शुद्ध संकल्प करने चाहते हो तो व्यर्थ संकल्प शुद्ध संकल्प व्यर्थ को खत्म कर दे। चाहो योग लगाना और संस्कार के कारण व्यर्थ संकल्प चलें या योग की सिद्धि नहीं मिले यह कन्ट्रोल होना चाहिए। अगर एक घण्टा योग लगाने चाहते हो तो मन डिस्टर्ब नहीं करे। आत्मा मालिक है मन मालिक नहीं है मन तो आत्मा का साथी है। तो साथी को प्यार से आर्डर करो मनजीत बनो क्योंकि बापदादा के पास बहुत बच्चों का समाचार आता है - व्यर्थ संकल्प समय प्रति समय आते हैं। नहीं चाहते हैं तो भी आते हैं। तो क्या यह मालिक कहेंगे! तो ब्रह्मा बाप से स्नेह है ना तो बाप आज स्नेह में अपने दिल की चाहना सुना रहे हैं कि अभी मनजीत जगतजीत बनना ही है। तो ब्रह्मा बाप को यह स्नेह की सौगात देंगे? स्नेह में क्या दिया जाता है? गिफ्ट दी जाती है ना! तो आज ब्रह्मा बाप बच्चों से यह सौगात देने के लिए कह रहे हैं। तैयार हैं? तैयार हैं? हाथ उठाओ। तो अभी जब भी आर्डर करे तो आज के दिन से व्यर्थ संकल्प आने नहीं देना कर सकते हो? आज दो घण्टा चार घण्टा योग की स्टेज में कर्म भी करो योग भी लगाओ कर सकते हो? कर सकते हो करेंगे? चलो अभी बीती सो बीती लेकिन अब आर्डर करें कि आज के दिन व्यर्थ संकल्प को फुलस्टॉप तो करना पड़ेगा ना।

आज योग में यही लक्ष्य रखो उसी प्रमाण सारे दिन का पुरूषार्थ करना पड़ेगा ना! बाप से स्नेह में जो बाप कहे वह करना है। संकल्प व्यर्थ बन्द इसकी युक्ति है ब्रह्मा बाप के स्नेह को दिल से याद करो। चाहे साकार में देखा चाहे नहीं देखा लेकिन बुद्धिबल द्वारा तो सभी ने देखा है ना! देखा है या नहीं देखा है? जो कहते हैं मैंने बाबा का प्यार देखा मैंने ब्रह्मा बाप की पालना देखी तो क्या उसी से चल रहा हूँ वह हाथ उठाओ। अच्छा। हाथ उठाके तो खुश कर दिया। बापदादा को खुशी है हिम्मत तो रखी है ना। लेकिन जब भी कोई ताकत कम हो जाए ना तो सदा बाप के सम्बन्ध कितने सम्बन्ध हैं कभी बाप कभी बच्चा भी बन जाता है। कभी बाप तो कभी सखा भी बन जाते हैं इसलिए या संबंध याद करो या प्राप्तियां याद करो। प्राप्तियां और संबंध जैसे आज दिल से याद कर रहे हो ना! ऐसे याद करने से प्यार पैदा हो जायेगा। आज भी सबके दिल में ब्रह्मा बाप का प्यार आ रहा है ना! तो जब कुछ नीचे ऊपर हो तो सम्बन्ध और प्राप्तियां याद करना। बाप हर बच्चे के साथ सहयोगी है सिर्फ आप याद करना। तो समझा आज क्या करना है? मनजीत जगतजीत जो गायन है वह स्वरूप धारण करना है। आर्डर से चलाओ। अभी थोड़ा फ्री छोड़ दिया है ना तो वह अपना काम करता है। अभी अटेन्शन दो। मन मेरे आर्डर में चले न कि आप मन के आर्डर में चलो। चाहते हो ज्ञान की बातों का रमण करें और आ जाती फालतू बात। तो क्या हुआ? मन मालिक बना या आप मालिक बनें? तो सभी ने यह होमवर्क समझा! मन जीत बनना है। जो आर्डर करें वह मानेगा जरूर मानेगा अटेन्शन देना पड़ेगा बस। मातायें या टीचर्स हो सकता है? हो सकता है? टीचर्स हाथ उठाओ। टीचर्स हाथ उठा रहे हैं। अगर समझते हैं हो सकता है तो हाथ हिलाओ। पहली लाइन तो हिलाओ। भाई हाथ हिलाओ। वाह! फिर तो ब्रहमा बाप को स्नेह की सौगात दी इसकी मुबारक हो मुबारक हो।

अच्छा है बापदादा से स्नेह बहुत सहयोग देता है। मेरा बाबा कहा दिल से तो मेरा बाबा कहा तो मैं कौन? बाप का सिकीलधा बच्चा। सभी कितने बारी कहते हो मेरा बाबा मेरा बाबा कितने बार कहते हो? बाप सुनता है ना सब नोट करता है। डबल फॉरेनर्स भी सुन रहे हैं ना। बापदादा ने देखा कि फुल सीजन में डबल फॉरेनर्स ने हाजिरी भरी है। मधुबन में हर टाइम हाजिर रहे हैं। अभी भी 350 से हैं। अपने टर्न में भी आते हैं लेकिन हर टर्न में भी थोड़े-थोड़े कहाँ न कहाँ से आते हैं। तो अभी यह रिजल्ट बापदादा भी देखते रहेंगे और आप सब भी साक्षी होकर अपने आपकी रिजल्ट देखते रहना। यही याद रखना कि बापदादा को मालिक बनने का वायदा किया है। बापदादा अभी बच्चों को कम से कम एक एक जोन को तो यह कार्य दे सकते हैं कि यह जोन इस सप्ताह या 15 दिन रिजल्ट दे कि व्यर्थ संकल्प नहीं लेकिन जो विषय मन को दिया वह किया या नहीं किया? यह मंजूर है टीचर्स? मंजूर है? जोन को कार्य देवें? हाथ उठाओ। टीचर्स। महाराष्ट्र है ना। तो महाराष्ट्र को तो महान काम देंगे ना। बापदादा को हर एक जोन के लिए प्यार है और सदा यह निश्चय रखते हैं कि यह बच्चे बाप ने कहा और बच्चों ने किया। ऐसा है? महाराष्ट्र जो बाप ने कहा वह किया ऐसा है? महाराष्ट्र वाले हाथ उठाओ। बहुत हैं। पौना क्लास है। तो हर एक जोन बाप के आज्ञाकारी हैं कांध हिला रहे हैं सभी। बाप को भी निश्चय है कि यह मेरे बच्चे हैं ही निश्चयबुद्धि।

बापदादा यही चाहते हैं कि जो रोज के महावाक्य सुनते हो वह होम वर्क है। अगर रोज की मुरली जो बाप ने कहा और बच्चों ने किया तो उसको कहा जाता है बाप के सिकीलधे बच्चे आज्ञाकारी बच्चे। क्या करना है वह रोज की मुरली पढ़ लो। क्योंकि बापदादा ने देखा है मैजारिटी बच्चे मुरली से प्यार रखते हैं। अगर कोई नहीं भी रखता हो तो बापदादा को कोई बच्चा कहे बाबा आपसे मेरा बहुत प्यार है लेकिन बाप का प्यार किससे है? मुरली से। मुरली के लिए कितना दूर से आते हैं। कोई टीचर ऐसा होगा जो इतना दूर से पढ़ाई पढ़ाने आये। तो जब बाप का प्यार मुरली से है तो जो मेरा बाबा कहता है उसका पहला प्यार बाप के साथ बाप की मुरली से होना चाहिए। देखो ब्रह्मा बाप ने एक दिन भी मुरली मिस नहीं की। चाहे बाम्बे भी जाते रहे कारणे अकारणे तो मुरली लिखते थे और मातेश्वरी वह मुरली सुनाती थी। लास्ट डे तबियत थोड़ी ढीली थी सवेरे का क्लास नहीं कराया लेकिन शाम को क्लास कराने के बाद अव्यक्त हुए। तो ब्रह्मा बाप का प्यार किससे हुआ? मुरली से। जो कोई समझते हैं कि मेरा बाबा से प्यार है तो बाप का जिससे प्यार रहा बच्चे का रहना चाहिए ना! इसलिए आप समझते हो कि मुरली पढ़ना या क्लास में पढ़ो अगर मजबूरी है बहाना नहीं है सही कारण है तो किससे सुनो। जो समझते हैं कि मुरली का इतना महत्व रखूंगा वह हाथ उठाओ। अच्छा यहाँ तो सब दिखाई दे रहा है बाप आप पीछे वालों को भी देख रहा है। अच्छा बहुत अच्छा। बाप बीच-बीच में पेपर लेगा। आज किसने मुरली नहीं सुनी वह टीचर लिखके भेजे। पसन्द तो है ना। अच्छा।

आज ब्रह्मा बाप हर बच्चों से मिलकर बहुत-बहुत नयनों द्वारा हर बच्चे को स्नेह से नयनों द्वारा स्नेह दे रहे हैं। अच्छा –

चारों ओर से बच्चों द्वारा सन्देश आये हैं। चारों ओर के आये हुए प्यार के मीठे-मीठे भाव या भिन्न-भिन्न शब्दों की याद चारों ओर से भिन्न-भिन्न पत्र आये हैं सभी को बापदादा रेसपान्ड कर रहे हैं हर बच्चा स्नेह में बाप के दिल में समाया हुआ है और यह अविनाशी स्नेह सदा बाप का और बच्चों का अनादि अविनाशी है और सारा संगमयुग यह बाप बच्चों का मिलन निश्चित ही है। अच्छा।

महाराष्ट्र बाम्बे आन्ध्र प्रदेश:- (14 हजार आये हैं):- सभी को विशेष बापदादा का स्नेही दिन पर स्नेह है और सदा यह स्नेह अमर रहेगा। बाकी आने वाले तो सब उठे ही हैं टर्न बाई टर्न आने का जो चांस मिलता है वह पसन्द है ना! पसन्द है? कोई का भी उल्हना नहीं रह सकता। हर जोन को टर्न मिलता है। तो यह सिस्टम पसन्द है? पसन्द है? यह सिस्टम पसन्द है ना! अच्छा है। देखा गया हर एक जोन खुली दिल से अपने तरफ के साथी ले आते हैं। यज्ञ सेवा का चांस भी है और मिलने का चांस भी है। यह यज्ञ सेवा चाहे थोड़े से दिन मिलते हैं लेकिन यज्ञ सेवा करके जाने के बाद आपके जीवन में यज्ञ की आकर्षण अनुभव हो जाती है इसलिए परिवार क्या है यहाँ इतना परिवार इकठ्ठा होता है जोन में भी इतना परिवार इकठ्ठा नहीं होगा लेकिन मधुबन में आना बापदादा से मिलना साथ में परिवार से भी मिलना होता है। एक बार यज्ञ सेवा की तो सदा यज्ञ नयनों में आता रहेगा। देखी हुई चीज और सुनी हुई चीज में फर्क हो जाता है ना। मधुबन हर एक बच्चे का घर है। यह तो सेवा अर्थ भिन्न-भिन्न स्थान में भेजा गया है क्योंकि विश्वसेवक बनना है ना। उल्हना नहीं रह जाए हमको पता नहीं पड़ा हमारा बाप आया वर्सा देके गया और हमें पता नहीं पड़ा यह उल्हना रह नहीं जाए इसीलिए बापदादा हर समय यही कहते अड़ोसी-पड़ोसी गांवगांव एरिया-एरिया में यह सन्देश जरूर दो कि आपका बाप आ गया मानें न मानें उन्हों का अपना भाग्य है लेकिन उल्हना नहीं रह जाए। सन्देश देना आपका काम है मानना भाग्य बनाना वह उन्हों के हाथ में है। लेकिन आपके तरफ से कोई उल्हना नहीं रहना चाहिए। तो बहुत अच्छा है महाराष्ट्र में सेवा का विस्तार बहुत अच्छा है। इसके लिए बापदादा टीचर्स या सेवा करने वालों को विशेष मुबारक दे रहा है। जैसा नाम है वैसे ही काम है विस्तार किया है। बाकी नये-नये प्लैन जैसे अभी दिल्ली वाले प्लैन बना रहे हैं बाप ने ही कहा और प्रैक्टिकल में ला रहे हैं ऐसे महाराष्ट्र भी कोई न कोई नया प्लैन वही नहीं लेकिन कोई नये रूप से सेवा का प्लैन बनाए और चारों ओर आवाज फैलाये। महाराष्ट्र में तो फैला रहे हैं लेकिन चारों ओर फैलाने के लिए कोई न कोई प्लैन बनाओ। जिससे भिन्नभिन्न देश में आपके द्वारा सेवा का आवाज जाये। अच्छा लगता है। बिजी रहना अर्थात् मायाजीत बनना। तो बापदादा खुश है महाराष्ट्र पर। टीचर्स भी खुश हैं ना! अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनें:- डबल विदेशी जब सुनते हैं तो दिल में सबके बहुत प्यार होता है। ब्राह्मण परिवार में भी प्यार की लहर घूम जाती है। कितना भी दूर हो लेकिन दूर को दिल के स्नेह से नजदीक बनाना यह डबल विदेशियों की विशेषता है। सेवा भी फैला रहे हैं। यह भी समाचार बापदादा सुनते रहते हैं। अभी-अभी कोई भी संख्या रह नहीं जाए उल्हना नहीं दे हमको तो सन्देश मिला नहीं। तो बापदादा ने देखा कि अभी फॉरेन वाले इन्डिया वालों से मिलके चारों ओर सन्देश देने में अच्छे प्रैक्टिकल ला रहे हैं। कोई भी धर्म रहना नहीं चाहिए। सन्देश देना चाहिए और फॉरेन की सेवा शुरू से वायुमण्डल में फैलने का साधन यह है जो शुरू में ही सब एक स्टेज पर एक समय में इकठ्ठे बैठते थे क्रिश्चियन भी मुस्लिम भी है जो भी सभी हैं भिन्न-भिन्न वह सब एक समय स्टेज पर इकठ्ठे बैठते थे तो यह सर्व का पिता है इसका प्रत्यक्ष स्वरूप दिखाई देता है तो कोई भी ऐसे रहना नहीं चाहिए। ऐसे ही भारत में भी विदेश में भी। कोई भी चाहे शाखायें हैं लेकिन सन्देश जरूर पहुंचना चाहिए क्योंकि अभी समय भी सबका दिमाग थोड़ा बदल रहा है। दु:ख अशान्ति की लहर विदेश में भी फैल रही है। भारत में तो है ही। इसलिए अभी सुनने की इच्छा बढ़ रही है। अभी देखो निमन्त्रण देते हैं तो आपका हॉल तो भर जाता है लेकिन और भी रह जाते हैं। तो लोगों की चाहना भी बढ़ रही है इसलिए खूब सेवा फैलाओ। चांस भी मिल रहे हैं तो विदेश वालों को सेवा का उमंग उत्साह है यह दिनप्रतिदिन देखने में आता है। लेकिन बाप चाहे गांव से कोई आये हैं चाहे विदेश से चाहे कहाँ से भी आये हो सभी को बापदादा यही कहता है कि सेवा खूब करो। कभी भी समय बदल सकता है। जो चाहो सेवा करने लेकिन कर भी नहीं पाओ ऐसा समय भी आने वाला है। इसलिए जो करना है वह अब करो। कब नहीं अब। बापदादा हमेशा कहते हैं कि कल पर नहीं छोड़ो। आज पर भी नहीं अब। क्योंकि समय पांचों तत्व बाप के पास आते हैं हमको बताओ कब तक दु:ख चलेगा! खुद दु:खी हो रहे हैं तो क्या करेंगे? मनुष्यात्माओं को भी दु:खी करेंगे ना। इसलिए जो भी आये हैं उसको संकल्प करना है कि जैसे ब्राह्मण जीवन आवश्यक है वैसे अभी के समय अनुसार हर एक को सेवा भी जरूरी है। करो या कराओ। तो डबल फॉरेनर्स को देख सारा परिवार भी खुश और स्वयं भी खुश और बापदादा भी खुश। बाकी जो बापदादा ने होमवर्क दिया मनजीत जगतजीत बनना ही है। आपका ही गायन है उसको रिपीट करना है। अच्छा।

कलकत्ता के भाई बहिनों ने फूलों का श्रृंगार किया है:- अच्छा है मेहनत बहुत करनी पड़ती है लेकिन यह मेहनत आपकी दिल का स्नेह फूलों में दिखाई देता है। चाहे हाथ से मेहनत करो चाहे उत्साह दिलाने की मेहनत करो लेकिन मेहनत का बल और मेहनत का फल मिलता जरूर है। तो बहुत-बहुत स्नेह बापदादा खास कलकत्ते वालों को दे रहे हैं क्योंकि ब्रह्मा बाप में प्रवेशता भी कलकत्ता में ही हुई है। इसलिए कलकत्ता वाले ही निमित्त बने हैं स्नेह का रेसपान्ड देने के लिए। अच्छे प्यार से करते हैं इसकी मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो। आप सबको भी पसन्द आता है ना! परिवर्तन तो चाहिए ना। तो यह अपना स्नेह प्रत्यक्ष रूप में करते हैं। अच्छा।

अभी जो बच्चे सम्मुख है या दूर बैठे भी देख रहे हैं बापदादा ने सुना कि अभी तो चारों ओर यह कोशिश की है कि हर एक देश में सेन्टर पर भी जाके देखते हैं सुनते हैं चाहे रात का कितना भी बजता है तो भी देखते हैं यह भी साइंस का साधन आपके लिए ही निकले हैं और आपको ही लाभ हो रहा है। अगर साइंस द्वारा विनाश होगा तो भी आपके राज्य के लिए कर रहे हैं। तो चारों ओर के स्नेही बच्चों को विशेष ब्रह्मा बाप का यादप्यार दिल का दुलार दिल का प्यार स्वीकार हो।

दादियों से:- भाग्य सेवा के बिना रहने नहीं देता। जिसका जितना भाग्य है वह भाग्य उसको ले ही जाता है। भाग्य है ना। अच्छा है अभी समय जो भी भाग्यवान हैं उन्हों को ला रहा है। बाप ने कह दिया है ना तो समय अचानक होना है तो समय कोई न कोई आत्माओं को जगाता ही रहेगा। बहुत अच्छा।

परदादी से:- (बेटी बाप से मिल रही है) अभी तो बाप समान बनने वाली है। अभी सेवा शुरू करेंगी। इसको सेवा कराओ बिजी रखो। इतने सब आते हैं उनमें से कोई न कोई को अनुभव सुनाती रहे सेवा करती रहे। बहुत अच्छा।

निर्मला दीदी से:- (तबियत नीचे ऊपर रहती है) समझ गई हो क्यों होती है क्यों का कारण समझ लो तो उस कारण को आने नहीं दो। जानती तो हो ज्ञानी तू आत्मा हो। जान जाओ और उससे किनारा करो आने नहीं दो।

तीनों भाईयों से:- पाण्डवों से मिलते रहते हैं यह बहुत अच्छा है और आप तीनों को सेवा का ध्यान नये नये प्लैन और क्या साधन हो जिससे जल्दी से जल्दी सबको कोई भी तरफ रह नहीं जाये यह प्लैन बनाओ। भले जो हैं सेन्टर जोन भी बनाते हैं लेकिन आप लोगों की भी बुद्धि चलनी चाहिए क्या नवीनता सेवा में करें और साथ-साथ सारे यज्ञ जो चल रहे हैं उनका बीच-बीच में चक्कर लगाओ। सब स्थान में सर्विस का उमंग-उत्साह दिलाओ। कई जोन तो सेवा में करते रहते हैं कई स्थान ऐसे हैं जो कभी भी बड़े प्रोग्राम नहीं करते हैं उन्हों को उमंग दिलाके निमित्त बनाओ क्योंकि आपस में जब मिलते हो तो यहाँ ही प्लैन पहले बना लो। फिर कहाँ-कहाँ है हर एक अपने नजदीक जो भी हैं उसमे चक्कर लगाके करो। मतलब समझो सेवा की जिम्मेवारी आप लोगों को कराना है। कराने के साथ करना भी पड़ता है। तो ठीक है। प्लैन आपका सुना था ठीक है।

जैसे निमित्त बने हो और तो कोई नहीं आते हैं आप ही आते हो ना। तो निमित्त हो तो निमित्त में धारणा भी सिखाओ और प्यार भी दो। प्यार कोई ऐसा प्यार नहीं जो आवश्यकता किसकी हो उसको दिलाना या देना यह भी प्यार है। ऐसे निमित्त बनो। ठीक है ना। (रमेश भाई से) तबियत ठीक हो जायेगी। ज्यादा सोचो नहीं। जो हो रहा है उसका एक सेकण्ड में प्लैन सोचो बस। यह हो यह हो नहीं। एक सेकण्ड में प्लैन बनाओ। अभी कहा ना तो टाइम जो है वह हर चीज में कम दो थोड़े में फाइनल करो। क्योंकि आजकल टाइम की वैल्यु है एक-एक ब्राह्मण की वैल्यु है।

अफ्रीका में रिट्रीट सेन्टर बन रहा है नक्शा बापदादा को दिखाया:- सभी जो भी निमित्त बच्चे बने हैं उनका उमंग यहाँ तक पहुंच रहा है। बापदादा खुश है जितने सेन्टर बढ़ेंगे उतने बिछुड़े हुए बच्चे अपना भाग्य बनायेंगे। तो आप उद्घाटन नहीं कर रहे हो लेकिन अनेकों के भाग्य खुलने के निमित्त बने हो।

हंसा बहन से:- समाचार जो लिखा वह मिला अभी जो आज काम कहा है ना कितना सोचो क्या सोचो यह काम करना इसमें नम्बरवन जाना।

हैदराबाद शान्ति सरोवर के कोर कमेटी मेम्बर्स प्रति अव्यक्त बापदादा के महावाक्य-

आप सभी सेवा के प्रति निमित्त बने हो। यह सेवा विश्व सेवा है। सिर्फ हैदराबाद की नहीं है लेकिन विश्व की सेवा है। तो विश्व की सेवा करने से आत्मा में खुशी होती है क्योंकि पुण्य का काम कर रहे हो ना। तो जहाँ पुण्य होता है वहाँ दुआयें मिलती हैं। वह दुआयें अपनी जीवन के लिए बहुत ऊंचा उड़ाती हैं। तो बापदादा को समाचार मिला कि यह सब सेवा के निमित्त हैं। तो बहुत अच्छा करते चलो और दुआयें लेते चलो क्योंकि दुआयें मिलना इस कार्य के लिए बहुत बड़ी प्राप्ति सूक्ष्म में होती है। इसलिए जो भी जहाँ सेवा करते हैं वह सेवा नहीं समझो लेकिन अपना पुण्य जमा कर रहे हैं और पुण्य जमा होने से आटोमेटिकली आपको सेवाभाव का फल मिलता है बल मिलता है। तो खुशी-खुशी से आ»ान करते चलो और उन आत्माओं के प्रति भी शुभ भावना करते चलो जो भी आवे वो मालामाल होके जाये। ऐसी शुभ भावना शुभ कामना से सेवा में आगे बढ़ते जाओ। बढ़ते जाओ बढ़ाते जाओ तो सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार मिलेगा। लेकिन शुभ भावना और शुभ कामना सेवा की रखेंगे तो सेवा से बल मिलता है। आपको भी खुशी होगी और जिस कार्य के प्रति करते हो उस कार्य में आने वाली आत्माओं को भी खुशी की प्राप्ति होगी। तो बहुत अच्छा जो भी सेवा करते हो बापदादा के यज्ञ की सेवा करते हो। यज्ञ की सेवा करने में बहुत पुण्य है। बहुत अच्छे हैं। आगे बढ़ते चलो और औरों को भी बढ़ाते चलो। अच्छा अच्छा है सभी जहाँ भी हैं अच्छे हैं आगे बढ़ते चलो बढ़ाते चलो।

विदाई के समय - गीत गाया - अभी छोड़कर नहीं जाओ दिल अभी भरा नहीं...

दिल तो भरने वाला है ही नहीं। सदा साथ हैं साथ रहेंगे साथ चलेंगे। (84 जन्म ही बाबा के साथ रहेंगे) रहना। अच्छा ही है। ब्रह्मा बाप की तरफ से सभी को बहुत-बहुत प्यार। (बाबा आपको जाने का मन करता है) ड्रामा में है। अच्छा।



02-02-11   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘अपने भाग्य और प्राप्तियों को स्मृति में रख सदा हर्षित व सन्तुष्ट रहो दृष्टि वृत्ति और प्रवृत्ति द्वारा सन्तुष्टता का अनुभव कराओ’’

आज बापदादा सभी बच्चों को देख खुश हो रहे हैं। हर एक बच्चा परमात्म प्यार द्वारा पहुंच गये हैं। तो आज बापदादा हर एक बच्चे के मस्तक में भाग्य की रेखायें देख रहे हैं। ऐसा भाग्य और इतना बड़ा भाग्य सारे कल्प में किसी को प्राप्त नहीं है क्योंकि आपको भाग्य देने वाला स्वयं भाग्य दाता है। हर एक के मस्तक में पहले तो चमकता हुआ सितारा का भाग्य चमक रहा है। मुख में मधुर वाणी की रेखा चमक रही है। होठों पर मधुर मुस्कान की रेखा चमक रही है। दिल में दिलाराम बाप के लवलीन की रेखा चमक रही है। हाथों में सर्व खज़ानों के श्रेष्ठता की रेखा चमक रही है। पांव में हर कदम में पदम की रेखा चमक रही है। अभी सोचो ऐसा भाग्य और किसका हुआ है! इसलिए आपके यादगार चित्रों का भी भाग्य वर्णन होता रहता है। और यह भाग्य स्वयं भाग्यविधाता ने हर एक बच्चे का बनाया है।

बापदादा हर बच्चे का भाग्य देख हर बच्चे को मुबारक दे रहे हैं - वाह बच्चे वाह! और यह भाग्य इस संगम पर ही मिलता है और चलता है। संगमयुग का सुख सब युगों से श्रेष्ठ है। सतयुग का भाग्य भी संगम के पुरूषार्थ की प्रालब्ध है इसलिए संगमयुग की प्राप्ति सतयुग की प्रालब्ध से भी ज्यादा है। अपने भाग्य में खो जाओ। कुछ भी होता रहे अपना भाग्य स्मृति में लाओ तो क्या निकलता है? वाह मेरा भाग्य! क्योंकि स्वयं भाग्य दाता आपका बाप है। तो भाग्य दाता द्वारा हर एक को अपना भाग्य मिला है। जानते हो कि हम इतने भाग्यवान हैं कि कभी-कभी जानते हो सदा नशा रहता है? दुनिया वाले तो देखकर पूछते हैं आपको क्या मिला है? और आप लोग उत्तर क्या देते हो? जो पाना था वह पा लिया। पा लिया है हाथ उठाओ। पा लिया है अच्छा। पा लिया है? फलक से कहते हो कोई अप्राप्त वस्तु ही नहीं है ना फखुर? और मिला कैसे? सिर्फ बाप को जाना माना अपना बनाया तो भाग्य मिल गया। इस भाग्य को जितना स्मृति में लाते रहेंगे उतना हर्षित होते रहेंगे। भाग्यवान आत्मा का चेहरा सदा हर्षित रहेगा। रहेगा नहीं रहता है। उनकी दृष्टि उनकी वृत्ति और उनकी प्रवृत्ति सदा सन्तुष्ट आत्मा बन स्वयं भी सन्तुष्ट रहेगी और दूसरों को भी सन्तुष्ट बनायेगी। तो आप सबको सन्तुष्टता का नशा रहता है? क्योंकि सन्तुष्टता का आधार है सर्व प्राप्ति। अप्राप्ति असन्तुष्टता का आधार है। तो आप क्या अनुभव करते हो? अप्राप्त कोई वस्तु है कि सर्व प्राप्ति है? प्राप्ति का नशा है? है सदा है या कभी-कभी है? वैसे तो यही कहते हो पा लिया जो पाना था। तो जहाँ सर्व प्राप्ति है वहाँ असन्तुष्टता का नाम नहीं है।

तो बापदादा आज देश विदेश कितने देशों से सभी बच्चे आके इकठ्ठे हुए हैं लेकिन सबसे दूर से आने वाला कौन? क्या अमेरिका वाले दूर से आये हैं? अमेरिका वाले दूर से आये हैं ना! और बाप कहाँ से आया है? अमेरिका तो इसी लोक में है लेकिन बापदादा कहाँ से आये हैं? परमधाम से ब्रह्मा बाप भी सूक्ष्मवतन से आये हैं। तो कौन दूर से आया? सबसे दूर कौन? यह है बाप और बच्चों के प्यार का नजारा। आपने कहा मेरा बाबा और बाप ने कहा मेरा बच्चा। सिर्फ एक को जानने से कितना वर्सा मिल गया। दुनिया वाले सुख के लिए शान्ति के लिए ढूंढ रहे हैं - कहाँ शान्ति मिलेगी कहाँ सुख मिलेगा और आपकी जीवन ही सुख शान्ति सम्पन्न हो गई। अभी बापदादा कहते हैं पूछते हैं बापदादा क्या चाहते हैं? तो बापदादा हर बच्चे से यही चाहते हैं कि हर एक बच्चा सदा स्वराज्य अधिकारी बनके रहे। कभी-कभी नहीं क्योंकि अभी के स्वराज्य अधिकार का वरदान बाप ने इस संगमयुग के लिए पूरा दिया है थोड़ा नहीं कभी-कभी वाला नहीं सदा। तो सोचो सदा के लिए स्वराज्य अधिकारी बन रहते हो? क्योंकि बापदादा ने सुनाया कि इन सभी कर्मेन्द्रियों के मन बुद्धि संस्कार के भी मालिक हो। सबके लिए मेरा शब्द बोलते हो मैं नहीं बोलते हो मेरा बोलते हो। तो मन बुद्धि संस्कार मेरा है तो मेरे के ऊपर सदा अधिकार रहता है। ऐसे मन बुद्धि संस्कार के ऊपर पूरा ही अधिकारी हो इसको कहा जाता है स्वराज्यधारी। जो आर्डर करो उसी प्रमाण यह कार्य करने के लिए निमित्त हैं। लेकिन इसके लिए चलते फिरते कार्य करते मालिकपन का नशा होना चाहिए। निश्चय और नशा।

अब तो आत्माओं को मन्सा द्वारा भी सेवा देने का समय है। चिल्लाते रहते हे पूर्वज हमें थोड़ा सा सुख शान्ति की किरणें दे दो। तो हे पूर्वज दु:खियों की पुकार सुनाई देती है ना! बापदादा ने इशारा दे दिया है कि कुछ भी आपदा अचानक आनी है इसके लिए सेकण्ड में फुलस्टाप। वह प्रैक्टिस भी कर रहे हो क्योंकि उस समय पुरूषार्थ का समय नहीं होगा अभ्यास करें लगाओ फुलस्टाप और हो जाए आश्चर्य की मात्रा इसलिए पुरूषार्थ का समय अभी मिला हुआ है। उस समय प्रैक्टिकल करने का समय है तो अभी से इस अभ्यास को कर भी रहे हैं बापदादा रिजल्ट देखते हैं अटेन्शन में है कर भी रहे हैं लेकिन और भी अटेन्शन को अण्डरलाइन करो। देखो पुरूषार्थ कितना सहज है मैं भी बिन्दी लगाना भी बिन्दी है सिर्फ अटेन्शन देना है।

बापदादा विशेष बच्चों को सौगात देते हैं बच्चे मैं आपके सदा साथ हूँ। बाबा कहा और बच्चों के लिए बाप सदा हाजिर है। जो कहा गया है हजूर हाजर है सर्वव्यापी नहीं है लेकिन बच्चों के आगे हजूर हाजर है। तो सदा विजयी बनना जहाँ भगवान साथ है वहाँ विजयी बनना क्या मुश्किल है। विजय आपका जन्म सिद्ध अधिकार है। सिर्फ मेरा बाबा कहा तो विजयी है ही। इसलिए सदा विजयी बनना जो याद में रहता उसके लिए अति सहज है। मुश्किल नहीं। जहाँ भगवान है वहाँ विजय है ही। तो आज बापदादा सभी बच्चों को देख खुश हो रहे हैं कि कितने स्नेह से कौन से साधन से आये हैं? ट्रेन में या प्लेन में वह तो शरीर के द्वारा पहुंच गये हैं लेकिन दिल से तो प्यार आपको यहाँ लाया है। है हिम्मत आपकी मदद बाप की है ही। अभी बापदादा यही चाहते हैं कि हर बच्चा हर कर्म में अपने स्वराज्य की सीट पर स्थित रहे। अच्छा।

आज पहले बारी कौन आये हैं वह हाथ उठाओ। खड़े हो जाओ। बहुत हैं। अच्छा जैसे पहले बारी आये हो वैसे पहला नम्बर जाना है ना। जाना है? बाबा का वरदान है कि जो हिम्मत रखेगा उसको बाप की मदद भी मिलेगी और हिम्मत से जितना भी आगे बढ़ने चाहो वह चांस है क्योंकि टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है। याद में रहो और जो प्राप्त हुआ है उससे औरों की सेवा करो। जितनी सेवा करेंगे उतनी दुआयें मिलेंगी और वह दुआयें आपको आगे बढ़ाती रहेंगी। सन्देश देते जाओ बाकी हर एक की तकदीर। लेकिन आप सन्देश दे दो। पुण्य अपना जमा करते रहो। तो पुण्य आपको आगे बढ़ाता रहेगा। अच्छा है।

अच्छा यह कराची से आये हैं क्या! तो देखो आदि स्थान से आये हो। जहाँ स्थापना हुई उस आदि स्थान से आये हो। बापदादा का यही वरदान है कि सदा आदि रत्न बन जो अनुभव किया है सदा खुश रहने का सदा डबल लाइट रहने का वह औरों को भी अनुभव कराते रहो। बाकी बापदादा ने देखा निश्चय अचल है। आगे बढ़ सकते हो। बढ़ भी रहे और बढ़ भी सकते हो जितना चाहो उतना आगे बढ़ने का वरदान ले सकते हो। अच्छा। यह साथ में आये हैं। खुश हो ना! खुशी यहाँ से लेके जाना। इतनी खुशी लेके जाना जो कभी खुशी कम नहीं हो। और आपको खुश देख करके और भी खुश हो जायेंगे। तो क्या बांटेंगे जाके। कहाँ भी जाते हैं तो बांटते हैं ना। तो आप क्या बांटेंगे? खुशी बांटना अविनाशी खुशी। जिसको खुशी प्राप्त होगी वह भी सदा खुश हो जायेंगे। जो भी आयेंगे बापदादा तो खुश है ही लेकिन आप भी खुशी लेके जा रहे हो खुशी ले जा रहे हो इतनी खुशी जमा की? की है ना। तो खूब बांटना। अपना अनुभव सुनायेंगे ना तो सुनाना हम कहाँ से आये हैं। खुशी के स्थान से आये हैं आपके लिए भी खुशी लाये हैं। अच्छा है। बहुत आते हैं आजकल आधा क्लास तो पहले बारी वालों का होता है। आप सभी पहले बारी आये हो अच्छा। बहुत अच्छा। बापदादा सारे परिवार के साथ आपको अपने घर में पहले बारी आने की मुबारक दे रहे हैं। बस यह याद रखना मेरा बाबा मेरा बाबा भूलना नहीं क्योंकि बाबा से वर्सा मिलता है। जो अप्राप्त वस्तु है वह प्राप्त होती है। अच्छा। सब खुश हो रहे हैं हमारे भाई अपने घर में आ गये। (ताली बजाओ) अच्छा।

सेवा का टर्न - ईस्टर्न जोन (आसाम उड़ीसा बंगाल बिहार) नेपाल तामिलनाडु बांगला देश (टोटल 17 हजार आये हैं) सभी जो सेन्टर पर रहने वाले हैं वह खड़े रहो बाकी बैठ जाओ। बहुत अच्छा। यह जोन सबसे बड़ा जोन है। और एडीशन वाले जोन वह भी कम नहीं हैं इसलिए अभी जो भी टीचर्स आई हैं या सेन्टर पर रहने वाले आये हैं उन्हों को विशेष बापदादा मुबारक दे रहे हैं। सेवाधारी अपनी सेवा का चैतन्य चित्र साथ में लाये हैं। बापदादा खुश है क्योंकि देखा गया है कि हर एक ने अपने-अपने स्थान में वृद्धि करने का लक्ष्य अच्छा रखा है। मेहनत तो की है लेकिन मेहनत का फल भी मिल रहा है इसकी मुबारक है। अभी क्या करना है? अभी जो बापदादा ने पहले भी कहा है कि वारिस क्वालिटी और ऐसे माइक जिनका प्रभाव दुनिया पर पड़ता है ऐसे माइक और वारिस जितना बड़ा जोन है इतने ही बड़े दोनों ही प्रकार के निकालो। किसी भी वर्ग वाले हों लेकिन आपका बड़ा जोन है तो बड़े जोन से मिलकर ऐसी संख्या मधुबन घर में आनी चाहिए। अभी ऐसे तैयार करो जो वह आपके जोन का नम्बर सामने आवे। करते तो होंगे यह बाप जानता है कि जो भी निमित्त हैं वह सेवा के बिना रह नहीं सकते लेकिन यहाँ तक पहुंचें यह रिजल्ट बापदादा देखने चाहते हैं। बाकी आप तो हो ही अच्छे ते अच्छे क्योंकि बाप के गद्दी के मालिक बन गये। बाबा टीचर्स को गुरूभाई कहते हैं। तो हे गुरूभाई अभी हर एक स्थान से आने चाहिए। ठीक है ना! अच्छा है पुरूषार्थ कर रहे हो और सफलता मिलनी ही है। कोई बड़ी बात नहीं है। कोई बड़ा प्रोग्राम करो जिससे कनेक्शन बढ़े। आजकल बापदादा जो भी जोन सेवा कर रहे हैं उनकी रिजल्ट सुनते हैं तो सहज ही वृद्धि भी हो रही है और माइक भी तैयार हो रहे हैं इसलिए इस जोन में भी सफलता हुई पड़ी है। अच्छा।

डबल विदेशी:- बापदादा को यह बहुत अच्छा लगता है जो मधुबन में आके आपस में भी मिलते बाप से भी मिलते और सर्विस की लेन देन भी करते बाबा ने पहले भी कहा है कि यह साधन बापदादा को अच्छा लगता है। कितने देशों से आये हैं? (76 देशों से आये हैं) तो यहाँ मधुबन में आके आप कितने देशों से मिलते हैं? इण्डिया के देश जितने भी आये हैं उतनों को नाम लो तो बहुत हो जायेंगे। तो आपसे इण्डिया वाले खुश हो जाते और आप इण्डिया वालों को देखके खुश हो जाते। दोनों का मिलन अच्छा हो जाता है। आपस में मिलना अर्थात् उमंग भरना। और तो कहाँ इतना बड़ा परिवार इकठ्ठा देख नहीं सकते मधुबन में ही इतना बड़ा परिवार देखते हो। तो दिल में क्या आता है? वाह बाबा और वाह मेरा ईश्वरीय परिवार! और बापदादा को कितनी खुशी होती है अपने बच्चों को देख। वैसे तो अमृतवेले बापदादा सभी तरफ चक्र लगाते हैं उनके लिए चक्र लगाना क्या बड़ी बात है। और बापदादा ने यह भी कह दिया है कि चार बजे के मिलन की विशेषता यह भी है कि 4 बजे बापदादा सभी बच्चों को सहज ही वरदान देते हैं। वरदान दाता का पार्ट अमृतवेले होता है विशेष। जो भी वरदान चाहिए वह बापदादा दे देते हैं। ट्रायल करके देखना। लेकिन आप सभी भी वरदान लेने के लिए अलर्ट रहना। अगर अलर्ट नहीं रहे तो बापदादा चक्र लगाके चला जायेगा और आप सोचते रहेंगे। इसलिए अमृतवेले का महत्व देते तो हैं लेकिन और अटेन्शन देना। बापदादा ने देखा है कि समय अनुसार सेवा भी बढ़ रही है और सेवा के कारण बाप से वरदान लेना उससे दूर रह नहीं सकते। बाकी डबल फारेनर्स मैजारिटी पुरूषार्थ करते भी हैं फिर भी अटेन्शन को अन्डरलाइन करना। बाकी बापदादा मधुबन में कैसे भी पहुंच जाते हो उसकी विशेष सभी बच्चों को मुबारक दे रहे हैं। बापदादा ने सुना कि जो बापदादा ने संस्कार के ऊपर इशारा दिया है उसके ऊपर समझते हैं कि हमें करना ही है और करने के लिए रोज अमृतवेले जैसे स्वमान रखते हैं उसके साथ-साथ कोई एक भिन्न-भिन्न प्रकार से एक संस्कार के ऊपर अटेन्शन दो आज के दिन इस संस्कार के ऊपर विशेष अटेन्शन देना है और फिर रात्रि को जब बापदादा को अपने सारे दिन का चार्ट देते हो उस समय उस संस्कार की रिजल्ट भी विशेष सुनाओ तो विशेष अटेन्शन हो जायेगा किसी न किसी संस्कार के ऊपर अटेन्शन रखना है तो जैसे याद के ऊपर अटेन्शन देते हो उसके साथ-साथ उसी समय यह भी रिजल्ट बापदादा को दो। अगर मानो आप चाहते हो लेकिन उस दिन आपके सामने कोई संस्कार मिटाने का कार्य नहीं हुआ तो अपने आपको बाप की मुबारक देना और रोज ऐसे बाप की मुबारक विशेष इस संस्कार प्रति लेते जाना तो संस्कार कार्य में आने में कमी पड़ती जायेगी। तो जैसे योग के बारे में चेक करते हो वैसे संस्कार के लिए रोज आता नहीं है कभी-कभी आता है जो पुरूषार्थी हैं उनका बाईचांस पेपर आता है बाकी रोज नहीं आता है। लेकिन चेकिंग रोज होगी तो यह भी अटेन्शन टेन्शन को खत्म करता जायेगा। क्योंकि बापदादा ने देखा है फॉरेन वालों में से कोई-कोई बच्चे कोई कार्य शुरू करते हैं तो अटेन्शन देते हैं। तो अटेन्शन देने वाले ही मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। बाबा का भी वरदान है। समझा। अभी इसके पीछे लग जायेंगे ना रोज चेकिंग करेंगे ना रिजल्ट तो संस्कार स्वयं ही ढीला हो जायेगा। और जो बापदादा चाहता है कि संस्कार की सबजेक्ट में नम्बरवन जाओ जो संस्कार चाहते हो वही कार्य में लगे। हो जायेगा। अटेन्शन में आया है ना तो हो जायेगा। लेकिन अटेन्शन देना ऐसे नहीं हो जायेगा लेकिन अटेन्शन देना पड़ेगा। संगठन में ही यह संस्कार निकलते हैं क्यों? आपके चित्रों में जो पूजा करते हैं वह आपके संस्कार कितने अच्छे गाते हैं। तो बने हैं तभी तो वर्णन करते हैं। अपना देवताई चित्र इमर्ज करो क्या गाते हैं? ऐसे देवता तो बनना ही है ना। अच्छा। बाकी सब डबल विदेशी पुरूषार्थ में सफलता का अनुभव करते रहते हैं ना! करते हैं? हाथ उठाओ जो सफलता अनुभव करते हैं। वाह! हाथ तो अच्छे उठा रहे हैं। तो लक्ष्य रखेंगे अभी इसके पीछे अटेन्शन देना ही है। इसमें भी नम्बर लेना ही है। तो आपको देख औरों को भी उमंग आयेगा क्योंकि आप निमित्त हो ना। और निमित्त वालों को बापदादा की विशेष मदद भी मिलती है। बाकी बाबा खुश है कि सेन्टर्स वृद्धि को प्राप्त होते रहते हैं। पुरूषार्थ की तरफ अटेन्शन है लेकिन अभी परिवर्तन के निमित्त बनने वाले बनो तो आपको देख औरों को भी परिवर्तन शक्ति का उमंग आयेगा। बाकी बापदादा खुश है कि पुरूषार्थ में नम्बरवार तो होते ही हैं वह तो अन्डरस्टुड है लेकिन पुरूषार्थ की तरफ अटेन्शन है और बढ़ाना है। बाकी बापदादा की रोज यादप्यार तो मिलती रहती है। देखो घर बैठे भी बापदादा की यादप्यार एक दिन भी मिस नहीं होता अगर रोज विधिपूर्वक मुरली पढ़ते हैं तो। एक दिन भी यादप्यार मिस नहीं करते। मिलती है ना! मिलती है? यादप्यार मिलती है रोज। सभी को मिलती है ना? यह है बापदादा के प्यार की निशानी। मुरली मिस तो यादप्यार भी मिस। सिर्फ मुरली नहीं मिस की लेकिन बापदादा का यादप्यार वरदान सब मिस किया। मुरली तो पढ़ भी लेंगे लेकिन जो समय फिक्स है बापदादा की यादप्यार लेने का वह तो मिस हुआ ना। तो उमंग है इस पर बापदादा खुश भी है। अच्छा मुरली मिस करने वाले हैं? डबल फॉरेनर्स में हैं कोई है जो मुरली मिस करता हो? कारण से? नहीं है। नहीं मिस करते। एक ने उठाया है। अभी मिस नहीं करना मुरली मिस नहीं करना। चाहे फोन द्वारा सुनो। पढ़ नहीं सकते हैं तो कैसे भी सुनो जरूर। हाजिरी जरूर लगाओ। अच्छा। बाकी जो भी सभा में आये हैं नये भी हैं पुराने भी हैं तो यह पक्का पक्का पक्का नोट करो मुरली नहीं मिस करनी है। क्योंकि बाप रोज परमधाम से आते हैं कितना दूर से आते हैं बच्चों के लिए आता है ना! जैसे बाप मुरली मिस नहीं करते ऐसे बच्चों को भी मुरली मिस नहीं करना है। अच्छा।

अभी जो मधुबन में आता है ना तो जैसे फार्म भरते हैं उसमें यह भी लिखो कि मुरली रोज सुनी या कितने दिन मिस किया? मंजूर है? जिसको मंजूर है वह हाथ उठाओ। मधुबन वाले भी हाथ उठाओ। किसी भी कारण से मुरली मिस नहीं करनी है। जैसे खाना नहीं मिस करते हो तो यह भी भोजन है ना। वह शरीर का भोजन यह आत्मा का भोजन। अच्छा लगा। जो नये भी आये हैं आने को तो मिला है ना। उन्हों को भी यह नियम पालन करना है। जैसे और नियम हैं वैसे यह भी नियम है। ब्राह्मण माना मुरली सुनने वाला सेवा करने वाला। अच्छा। जो भी जोन आये हैं वह एक-एक अलग उठाओ।

तामिलनाडु:- यह सेवा के लिए आये हैं। बहुत अच्छा। सेवा माना मेवा खाना।

नेपाल:- बहुत अच्छा। सेवा के लिए इतने आना यह बापदादा को बहुत अच्छा लगा। सेवा में आना अर्थात् यज्ञ से प्यार है। जो भी आये हैं सबको बापदादा यही मुबारक देते हैं कि सभी यज्ञ स्नेही यज्ञ सहयोगी आत्मायें हैं।

बंगाल:- अच्छा है बापदादा ने देखा कि जो भी सभी आये हैं वह अच्छी संख्या में अच्छे उमंग उत्साह में आये हैं। सदा यज्ञ स्नेही और यज्ञ सेवक बनके ही रहना। चाहे तन से चाहे मन से चाहे धन से यज्ञ किसने रचा? बाप ने रचा। किसके लिए रचा? बच्चों के लिए रचा। अगर आप ब्राह्मण नहीं होते तो यज्ञ नहीं रचा जाता। तो सभी ने सेवा अच्छी की है ना। निमित्त बने हुए द्वारा सर्टीफिकेट भी मिल रहा है सभी को। बहुत अच्छी सेवा की है और आगे भी करते रहेंगे अमर हैं।

बिहार:- नाम ही बिहार है देखो नाम कितना अच्छा है। बिहार माना जहाँ सदा बहार है। अच्छा।

उड़ीसा:- हर एक ने संख्या अच्छी लाई है। बापदादा जो भी जोन आये हैं सभी की संख्या देख करके खुश है कि सेवा से प्यार है। सदा आगे बढ़ते रहना बढ़ रहे हो बढ़ते रहना।

आसाम:- बापदादा ने देखा कि एक दो से सब आगे हैं। जो भी आये हैं एक दो से आगे उमंग उत्साह वाले हैं। सेवा का पुण्य तो पुण्य कमाने वाली आत्मायें हो क्योंकि सेवा से दुआयें मिलती हैं। तो सेवा नहीं की लेकिन पुण्य जमा करके जा रहे हो। अच्छा।

बांगला देश:- थोड़े हैं। जितनों ने भी सेवा की उतनों ने यह यज्ञ स्नेह का यज्ञ सेवा का अपने ऊपर स्टैम्प लगा दिया। टाइटल ही यह है यज्ञ स्नेही। अच्छा। बहुत अच्छा किया।

झारखण्ड:- भले थोड़े हैं लेकिन सेवा से तो प्यार है ना। तो जितने भी हैं उन्होंने अपना भविष्य बनाया। बनाते रहना। जितनी यज्ञ सेवा करेंगे उतना जमा करेंगे। ज्यादा सेवा ज्यादा जमा। अच्छा।

अभी आप तो सम्मुख बैठे हो लेकिन आपसे ज्यादा संख्या बापदादा के आगे भिन्न-भिन्न स्थानों की बापदादा देख रहे हैं। आप सम्मुख हो वह दूर बैठे भी दिल में समाये हुए हैं। आप तो हो ही तब तो चलके पहुंचे हो ना। लेकिन बापदादा ने देखा कि दूर बैठे भी प्यार से सुनते हैं। और देखते भी सब अच्छा हैं। बापदादा ने शुरू में कहा था यह साइंस आपके काम में आयेगी। तो देखो दूर बैठे भी नजदीक अनुभव करने वाला यह साइंस का साधन है। विनाश में भी मदद करेगी वह भी जरूरी है और आपको यहाँ भी ब्राह्मण लाइफ में गोल्डन चांस दिया है। तो साइंस वाले भी आपके मददगार हैं। उन्हों को बुरा नहीं समझना यह क्या करते हैं। नहीं। जिसका जो काम है वह तो करना पड़ेगा। बाकी साइंस भी आपके मददगार है भी और आगे भी बनती रहेगी। अच्छा।

यह जो मीटिंग्स वगैरा करने वाले सभी आगे बैठे हैं विदेश की टीचर्स हैं निमित्त हैं। बापदादा सुनते सब हैं चक्र जरूर लगाते हैं और चक्र लगाते सार समझ जाते हैं। जिस समय आपकी आवश्यक बात फाइनल की होती है उस समय बापदादा चक्र लगाते सुन लेता है और मुबारक भी देते हैं लेकिन आप बिजी बहुत होते हो। बाकी बापदादा को अच्छा लगता है क्योंकि छोटे बड़े सेन्टर विस्तार से फैले हुए हैं और भाषायें भी भिन्न-भिन्न हैं तो सारे फॉरेन को भिन्न-भिन्न इण्डिया में भी भाषायें तो हैं लेकिन फॉरेन में भी भिन्न-भिन्न भाषायें होते हुए भी सबको मिलाके एक कर रहे हैं और हो रहे हैं सबको अच्छा भी लगता है इसलिए बापदादा खुश है। आओ मीटिंग करो और सबको एक नियम में एक रसम में एक जैसा करो। बापदादा को एक बात की खुशी है तो पहले कल्चर कल्चर है इण्डियन कल्चर है यह आवाज आता था लेकिन अभी यह आवाज नहीं हैं। सभी ब्राह्मण कल्चर के हो गये हैं इसलिए मुबारक हो। मेहनत की है। इण्डिया वाले भी बहुत कोन्फेरेंस करते हैं और मीटिंग्स भी करते हैं।

बापदादा सभी बच्चों से खुश है लेकिन रोज रात्रि को अपने को बापदादा का यादप्यार देना और मुबारक देना बापदादा की मुबारक रोज अपने को देना बापदादा देता है और आप अपने आपको देना। बापदादा छोड़ते नहीं हैं चाहे इण्डिया है चाहे विदेश है जैसे अमृतवेले चक्र लगाते हैं ऐसे रात को गुडनाइट भी सबसे करते हैं। इसलिए अपने आपको मुबारक देके सोना। अच्छा।

अभी सभी तरफ के बच्चों को बापदादा यादप्यार के साथ मुबारक भी दे रहे हैं। सदा उमंग उत्साह में आगे बढ़ भी रहे हो और बढ़ते रहना। कभी अपना उमंग-उत्साह किसी भी कारण से किसी भी बात से कम नहीं करना। बात बात हो जाती है लेकिन पुरूषार्थ और बाप का प्यार वह अपना है इसीलिए कभी भी अपने बुद्धि को बाप के बिना और कोई बातों में बिजी नहीं करना। बाप और बाप की मुरली और बाप द्वारा सर्विस जो मिली है वह सर्विस करते रहना। अच्छा। अभी क्या कहें साथ तो रहना है ना। तो छुट्टी लेते हैं यह भी नहीं कह सकते। साथ रहेंगे साथ चलेंगे और साथ आयेंगे। अच्छा। अभी समाप्ति।

मोहिनी बहन से:- यह जो अचानक होता है उसमें कोई न कोई थकावट होती है चाहे बुद्धि की थकावट चाहे शरीर की थकावट आराम से रहो। ज्यादा भाग दौड़ रूचि हो तो करो नहीं तो नहीं। कभी अकेले भी हो जाते हैं तो चक्र लगाने चाहते हैं लेकिन पहले अपनी तबियत को ठीक करो। ज्यादा अटेन्शन रखो। अभी जल्दी-जल्दी होने लगे हैं। रेस्ट करो। दिमाग की रेस्ट रखो। वह रेस्ट कोई बड़ी बात नहीं है दिमाग की रेस्ट हो।

दादी रतन मोहिनी जी ने दुबई वालों की याद दी:- सभी को याद देना।

परदादी से:- देखा अपना जोन कितना बड़ा है। (बाबा बैठा है) लेकिन निमित्त तो आप हैं। स्थापना तो की हैं ना। कहेंगे तो परदादी का जोन है। सभी मानते हैं।

आंटी अंकल ने याद दी है:- बापदादा तीनों चारों जो सेवा में रहते हैं और खास अंकल को दिल की बहुत बहुत बहुत मुबारक दे रहे हैं। (आंटी की भी तबियत ठीक नहीं रहती है) देखो आप भी अपनी सम्भाल करो सेवा करो लेकिन अपनी भी सम्भाल करो क्योंकि आप एक यज्ञ की स्पेशल निमित्त आत्मा हो। कोई भी अभी तक पोजीशन में रहते हुए ज्ञान में नहीं आया है लेकिन आप पहला युगल हो जो फारेन से जो सेवा में ऊंच मर्तबा होते हुए भी परिवार को भी ले आये। सिर्फ दोनों नहीं आये लेकिन पूरे परिवार सहित आये इसीलिए आप दोनों स्पेशल हो। तो बापदादा कितना कहे हजार बारी लाख बारी बहुत-बहुत प्रेम से याद भी करते और अभी भी बहुत बहुत बहुत बहुत यादप्यार दे रहे हैं।

प्रीतम बहन की तबियत खराब है कुलदीप बहन ने याद दी है:- अभी चलने दें यही इशारा ठीक है। बापदादा भी मददगार है।

दादी जानकी से:- टाइम पर ठीक हो गई ना। यह है बाप की मदद। (हंसा बहन से) सेवा अच्छी करती हो इसको भी बापदादा मुबारक देते हैं। दूसरी कहाँ है? (प्रवीणा बहन) दोनों को बापदादा मुबारक देते हैं कि टाइम पर मेहनत करके ठीक कर दिया सभी को लाभ मिला। कोई वाचिंत नहीं रहा क्लास मिला। तो यह सम्भालने वालों को मुबारक।

नीलू बहन से:- इतने वर्ष रथ को चलाना समय पर सेवा का चांस दिलाना यह भी मुबारक है। बापदादा ने देखा रथ की भी कमाल है। जो 42 वर्ष रथ से सेवा ली दिलाने वाला तो बापदादा ही है लेकिन निमित्त रथ की जो सेवा के टाइम हाजिर रहा है एक टाइम भी मिस नहीं किया है। सरल स्वभाव होने के कारण रथ को चलाना आता है। (दादी जानकी से) यह भी सेवा की बहुत बहुत उमंग उत्साह वाली है इसीलिए सेवा के टाइम ठीक कर लेती है। (बाबा ठीक कर देता है यह भी बाबा की....) चतुराई है।

जब ब्रह्मा बाबा इतनी बड़ी आयु होते हुए चलाया अभी भी चला रहा है। कब तक चलाता वह तो ड्रामा में देखते जाते हैं। सब बापदादा की कमाल देखते जाओ और दुनिया की धमाल सुनते जाओ। आपको तो कोई फुरना नहीं बेफिकर बादशाह हो। जो होगा अच्छा होगा आप ब्राह्मणों के लिए। आपको तो यही है संगम अमृतवेला हो रहा है। अमृतवेले के बाद क्या आता है? दिन आता है ना! तो दिन तो आना ही है। क्या होगा! यह संकल्प भी नहीं है। दिन आना ही है। अपना राज्य होना ही है। निश्चित है। तो निश्चित बात कभी बदल नहीं सकती।

कुंज दादी से : - हाँ सभी हिसाब चुक्तू कर रहे हैं। ठीक है ना। हो रहा है ठीक? अच्छा। ठीक हो जायेगा। आराम से बैठो। आराम करो। दिमाग को भी आराम और शरीर को भी आराम। दोनों आराम आजकल चाहिए क्योंकि दिमाग की हलचल शरीर पर असर करती है। ठीक हो जायेंगी। हो ही जायेंगी।

डा. अशोक मेहता ने याद दी उनकी हार्ट सर्जरी होनी है:- अच्छा है हिम्मत वाला है। हिम्मत मदद देती भी है दिलाती भी है। तो हिम्मत हारने वाला नहीं है। बाकी थोड़ा बहुत जो होगा वह ठीक हो जायेगा लेकिन थोड़ा रेस्ट जरूर करे। ऐसे जो भी होता है उसमें थोड़ा समय रेस्ट का जरूर चाहिए। हॉस्पिटल में जाना ही है नहीं। थोड़ी रेस्ट करने से आगे के लिए मदद मिलती है। नहीं तो थकावट फिर कुछ न कुछ अपना जलवा दिखाती है। थोड़े दिन रेस्ट जरूर करे।

रमेश भाई ने कहा आज ऊषा का जन्म दिन है:- उसको कभी-कभी वतन में बुलाते हैं खुश है कोई तकलीफ नहीं है।

पीछे बैठे हुए बच्चों को बापदादा अपने दिल में देख रहे हैं। हाल में भले पीछे हो लेकिन प्यार में नजदीक और दिल में भी नजदीक हो।

कुछ वी.आई पीज बापदादा से मिल रहे हैं:- कहाँ भी कोई भी कार्य कर रहे हो लेकिन अपनी जीवन में खुशी कभी नहीं गंवाना। सदा खुश मिजाज क्योंकि खुशी है कहते हैं खुशी जैसी कोई खुराक नहीं तो जीवन की जीने की जीते तो बहुत हैं लेकिन मजे से जीना जीवन का मजा लेना वह खुशी है तो। खुशी नहीं तो कभी कैसा कभी कैसा। (आपका आशीर्वाद चाहिए) उसके लिए जब भी आंख खुले ना चाहे बिस्तर पर ही हो लेकिन आंख खुले तो परमात्मा से गुडमोर्निंग करना। यह तो कर सकते हो ना। बस सवेरे सवेरे अगर परमात्मा को याद करेंगे सारा दिन आपका अच्छा हो जायेगा। और इसमें मेहनत भी नहीं है। उठना तो है ही। सिर्फ गुडमोर्निंग शिवबाबा। आप निमित्त हो ना। तो आप लोगों को देख करके दूसरों में भी खुशी आयेगी। क्योंकि जीवन में कुछ तो प्राप्ति चाहिए। तो सबसे बड़ी खुशी है। खुशी कभी नहीं गंवाना। पैसा चला जाए लेकिन खुशी नहीं जाये। पैसा आ जायेगा खुशी से पैसा डबल हो जायेगा। आते रहो। जहाँ भी रहते हो ना फोन से सम्पर्क करते रहो। जब कोई ऐसी प्राबलम आये तो जो सुनो वरदान सुनो उस पर सोचो।

2) सदा सवेरे-सवेरे शिवबाबा से गुडमोर्निंग करो। कहते हैं ना सवेरे जिसकी शक्ल देखेंगे सारा दिन वैसा होगा। तो सदा खुश रहना। कोई भी बात आवे उसको खुशी से हटाना।

डबल विदेशी आर. सी. ओ. मीटिंग के भाई बहिनों से:- (आज 25 साल पूरे हुए) मुबारक हो। 25 साल मीटिंग करते रहे हो। तो जो मीटिंग करते हो उस मीटिंग का प्रैक्टिकल करने में सफलता मिलती रहती है ना! सफलता है ना। क्योंकि कुछ भी करते हैं उसकी रिजल्ट अच्छे ते अच्छी होनी चाहिए। तो आप जो करते हो टाइम देते हो संगम का टाइम बहुत कीमती है। तो उसकी रिजल्ट चेक करो कि रिजल्ट कितनी निकली। रिजल्ट से खुशी होती है। आपने कहा और हुआ। क्योंकि ज्ञान माना करना और होना साथ-साथ। तो इतने टाइम में जो भी किया है किया तो अच्छा ही है यह तो बाप भी समझते हैं कि जो निमित्त बने हुए हैं उनसे कार्य जो भी होता है वह अच्छा ही होता है। तभी तो आप लोगों को निमित्त बनाया है नहीं तो निमित्त नहीं बनाते और भावना भी है जो हर साल समझते हैं करें। तो जो भी करो उसकी रिजल्ट देखो। प्राबलम तो होती है लेकिन प्राबलम हल हो जाए। प्राब्लम प्राब्लम नहीं रहे हल होना यह सफलता है। तो यह तो हुआ कि अच्छा हुआ है तब इतना वर्ष चला है नहीं तो खत्म हो जाती ना। चलती आई है बाकी कोई बात कैसी भी होती है उसकी परवाह नहीं लेकिन चलता रहा है तो जरूर कोई न कोई सफलता मिली है। तो चलाते रहो लेकिन जितना टाइम आप सब महारथियों ने दिया है आपका टाइम भी तो वैल्युबुल है ना। उतना रिजल्ट में लाते रहो। एक बारी में नहीं भी होता है थोड़ा टाइम भी लगता है उसका कोई हर्जा नहीं लेकिन यह चेक जरूर करो कि समय के अनुसार कितने महारथी हैं सभी। सभी का टाइम कितना वैल्युबुल है उस अनुसार रिजल्ट है? और रिजल्ट को बार-बार उन्हों के आगे दोहराओ। यह रह गया है यह हमको पूरा करना है तभी दूसरे वर्ष मीटिंग करो और उसके लिए प्लैन बनाके करना ही है। यह अटेन्शन जरूरी है। बाकी बापदादा को अच्छा लगता है आपस में आप मिलते हो यह भी अच्छा है। क्योंकि बहुत समय दूर रहते हो ना तो मधुबन में आके मिलते हो यह अच्छा है। नुकसान नहीं है फायदा ही है। बापदादा खुश है करते चलो।

विदेश सेवा को 40 वर्ष हुआ है:- वृद्धि भी अच्छी हुई है। जो मेहनत की है उससे फल निकला है इसलिए आगे बढ़ते चलो। बापदादा खुश है। (दिल्ली में बड़ा प्रोग्राम होने वाला है) जहाँ तक हो सके उसमें विदेश और इण्डिया मिलाके करो तो अच्छा है। (वन गाड वन फैमिली प्रोग्राम रखा है) शुरू-शुरू में लण्डन में इस बात का प्रभाव पड़ा था तो इनकी स्टेज में काला-गोरा भिन्न-भिन्न धर्म वाले सब इकठ्ठे बैठते हैं। इन्हों में वह भेदभाव नहीं है सब मिलके एक को मानते हैं। यह प्रभाव बहुत अच्छा होता है। अभी जैसे सेवा भी सभी तरफ हो रही है ना तो अभी यह इम्प्रेशन अच्छा है तो यह सबको मानते हैं। जो कहते हैं गाड इज वन वह यह वन करते हैं। प्रोग्राम दिल्ली में है ना तो उसमें स्टेज पर सब होने चाहिए। जैसे (बेहरीन में) सब ड्रेस वाले आये ना उसी ड्रेस में आवे। जहाँ जो भी ड्रेस है लेकिन स्टेज पर इकठ्ठा दिखाई दे। (गायत्री बहन से) आप भी तो मेहनत करते हो ना निमित्त तो बनते हो। बाप तो है ही साथी।



17-02-11   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘मन्सा सेवा द्वारा आत्माओं को अंचली देने की सेवा करते बहुतकाल से तीव्र पुरूषार्थ कर एवररेडी रहो तो माला का मणका बन जायेंगे’’

आज स्नेह के सागर अपने स्नेही बच्चों से मिलने आये हैं। बच्चों ने याद किया मेरे बाबा आ जाओ तो बाप कहते हैं मेरे स्नेही बच्चे स्नेह में ऐसा आकर्षण है जो हर बच्चे ने बाप को अपना बनाया और बाप ने हर बच्चे को मेरे बच्चे कहते अपने में समाया। कमाल है बच्चों ने कहा मेरे बाबा तो मेरे शब्द में इतना स्नेह भरा हुआ है जो बाप ने भी कहा मेरे बच्चे स्नेह क्या से क्या बना देता है। हर बच्चे के मस्तक में आज स्नेह की लहरें लहरा रही हैं यह देख बापदादा हर्षित हो रहे हैं। स्नेह ही दिल को अपना बनाने वाला साधन है। तो हर एक बच्चे के अन्दर आज स्नेह की लहरें लहराती हुई देख-देख बापदादा भी खुश हो रहे हैं।

अभी-अभी 5 मिनट के लिए एक ड्रिल बापदादा सबको करा रहे हैं। अपने मन्सा शक्ति से सृष्टि में जो भी आपके भक्त वा अनेक दु:खी अशान्त आत्मायें आपको याद कर रही हैं हे हमारे पूर्वज हमें थोड़े समय के लिए भी शान्ति दे दो जरा सा सुख की अंचली दे दो बचाओ ऐसी आत्माओं को यहाँ बैठे हुए इमर्ज करो आवाज सुनने आ रहा है! बचाओ बचाओ तो ऐसी आत्माओं को अपने मन्सा शक्ति द्वारा सुख शान्ति की किरणें पहुंचाओ। यह मन्सा सेवा सारे दिन में बार-बार करते रहो क्योंकि बाप के साथ आप बच्चे भी विश्व सेवक हो। सारा दिन वाणी द्वारा जैसे सेवा के निमित्त बनते हो ऐसे ही बीच-बीच में मन्सा सेवा का भी अभ्यास करते चलो। इसमें आपका अपना भी फायदा है क्योंकि अगर आपका मन सदा सेवा में बिजी रहेगा तो आपके पास जो बीच-बीच में माया फालतू संकल्प वा व्यर्थ संकल्प करती है उससे बच जायेंगे। मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। अभी बापदादा पूछते हैं कैसे हो? तो क्या जवाब देते हो? पुरूषार्थ है लेकिन कभी कभी...! सदा का पुरूषार्थ नहीं चल रहा है। तो बापदादा अभी सभी बच्चों का यह रिकार्ड देखने चाहते हैं यह कभी-कभी का शब्द समाप्त हो जाए। क्या यह हो सकता है कभी-कभी समाप्त हो जाये? समय पर तैयार हो जायेंगे? हो रहे हैं होना ही है.. इसके बजाए अभी एवररेडी बन सकते हैं? क्यों? एवररेडी रहने का अभ्यास मायाजीत मनजीत जगतजीत यह संस्कार भी बहुत समय से बनायेंगे तब अन्त समय भी यह बहुतकाल का अभ्यास विजयी बनाकर आपको विशेष माला का मणका बनायेगी। पास विद ऑनर बनेंगे। पास नहीं पास विद ऑनर। तो बोलो यह हिम्मत है ना! पास विद ऑनर तो होना है ना? जो द्वापर से लेके अब तक पूज्य बनते हैं अर्थात् माला के मणके बनते हैं तो अपने को माला के मणके बनाने का शुद्ध संकल्प है ना!

बापदादा भी रोज अमृतवेले अपने माला के मणकों को देखते और विशेष मिलन मनाते हैं। तो आप सभी अपने को माला के मणकों में समझते हो। है तो दूसरी माला भी 16 हजार की लेकिन फिर भी सेकण्ड माला हो गई। विशेष माला जो गायन और पूज्यनीय योग्य बनती है वह पहली माला है। तो आज बापदादा उन मणकों को देख रहे थे क्योंकि ब्रह्मा बाप के साथ विशेष राज्य अधिकारी साथी वही बनते हैं। तो आज ब्रह्मा बाप अपने अब के तीव्र पुरूषार्थी और भविष्य के राज्य अधिकारी तख्त पर तो दो ही बैठते हैं लेकिन राज्य के साथी उन्हों की पहली माला है। तो अपने को चेक किया है। बापदादा के साथ तो चलेंगे क्योंकि अभी आप सबकी रिटर्न जरनी है। जब जाना ही है बाप के साथ जाना है अकेला नहीं जाना है। तो साथ जाने वाले नजदीक के मणके कौन होंगे? जो बहुतकाल के तीव्र पुरूषार्थी होंगे। पुरूषार्थी नहीं कब-कब वाले नहीं। बहुतकाल के बाप समान ही राज्य अधिकारी बनेंगे। तो क्या समझते हो? तीव्र पुरूषार्थ है? जो समझते हैं मैं पुरूषार्थी की लाइन में हूँ वह हाथ उठायेंगे। तीव्र पुरूषार्थी बड़ा हाथ उठाओ छोटा हाथ उठाते हैं। अच्छा बहुत उठा रहे हैं। फिर लम्बा हाथ उठाओ ऐसे नहीं। अच्छा।

बापदादा तो रोज बच्चों का चार्ट देखते हैं। मैजारिटी तीव्र पुरूषार्थी भी हैं लेकिन कभी-कभी का शब्द भी साथ में लगा देते हैं। लेकिन बाप क्यों कह रहे हैं? अटेन्शन प्लीज सूक्ष्म संकल्प में भी हलचल नहीं हो। अचल अडोल शुद्ध संकल्पधारी बहुत समय से बनना ही है। कई बच्चे बहुत मीठी-मीठी रूहरिहान करते हैं कहते हैं बाबा हम तैयार हो ही जायेंगे। क्योंकि समय जितना नजदीक आयेगा हालतें हलचल में आयेंगी तो वैराग्य तो आटोमेटिकली आ जायेगा। लेकिन आपका टीचर कौन हुआ? समय या बाप? समय तो आपकी रचना है। तो बाप अभी इशारा दे रहा है कि बहुत समय का तीव्र पुरूषार्थ अन्त में पास विद ऑनर बनायेगा। पास तो सभी होंगे लेकिन पास विद ऑनर बनने वाला बहुत समय का लगातार तीव्र पुरूषार्थ करने वाला आवश्यक है। इसलिए आज की तारीख नोट कर दो अगर अब भी कभी-कभी समाथिंग हो जायेंगे कर ही लेंगे यह शब्द आगे भी चलते रहे... बाप का प्यार तो सदा ही है। लास्ट दाने पर भी बाप का प्यार है। क्यों? दिल से मेरा बाबा तो कहा आज की बड़ीब ड़ी आत्मायें मेरा बाबा नहीं कहती लेकिन वह मेरा बाबा तो मानता है इसलिए बाप का प्यार तो उससे भी है। बच्चों से प्यार तो बाप का सदा ही है लास्ट तक भी है लास्ट वाले तक भी है। स्नेह ने ही आपको बाप का बनाया है। बापदादा ने यह भी कहा है कि स्नेह मैजारिटी बच्चों का है और रहेगा लेकिन सिर्फ स्नेह नहीं शक्ति भी चाहिए। तीव्र पुरूषार्थ भी चाहिए। इसलिए अब तो शिवरात्रि भी आई कि आई बाप के अवतरण के साथ बच्चों का भी अवतरण है ही। तो बापदादा चाहते हैं कि इस शिवरात्रि पर हर बच्चा अपने को साधारण पुरूषार्थ के बजाए तीव्र पुरूषार्थी बनाने का बनने का संकल्प करे। हो सकता है? शिवरात्रि पर दृढ़ संकल्प अपने आपसे करे। लिखे नहीं क्लास में बताने की भी जरूरत नहीं लेकिन बाप से दिल में संकल्प करे कि शिवरात्रि पर हम कभी-कभी शब्द अपने पुरूषार्थ के डिकस्नरी से निकाल देंगे। हो सकता है? जो समझते हैं क्या बड़ी बात है। सोचा और हुआ हिम्मत रखते हैं वह हाथ उठाओ। अच्छा। खुश कर दिया।

बापदादा का तो बच्चों में फेथ है ना। तो अभी से ही पदम पदमगुणा ऐसे बच्चों को मुबारक दे रहे हैं। वाह बच्चे वाह! हिम्मत वाले हैं। आपकी हिम्मत और बाप की मदद तो होगी ही। अभी एक बात करना। जो अपने मन को बिजी रखने के लिए जैसे पहले बाप ने कहा सेकण्ड में स्टाप बिन्दू हूँ बिन्दू लगाना है और सबको बिन्दू रूप में देखना है। जब देखेंगे ही बिन्दू तो और कोई भी संकल्प नहीं चलेगा। मन्सा सेवा का अटेन्शन रखना इतनी दु:खी आत्माओं को चिल्ला रही हैं उन्हों को किरणें देने की सेवा में भी एकस्ट्रा मन को लगाना। मन्सा सेवा बहुत श्रेष्ठ सेवा है। दु:खियों का भी फायदा और आपका अपना भी फायदा। डबल फायदा है। जैसे वाचा से सेवा करते हो और सेवा बढ़ती भी जाती है दिल से करते हो संख्या भी बढ़ती जाती है सेन्टर भी बढ़ते जाते हैं वाचा की सेवा मैजारिटी की ठीक है। सभी की नहीं मैजारिटी की। ऐसे अभी मन से विशेष आत्माओं को अंचली देने की सेवा भी करते रहो। मन को फ्री नहीं छोड़ो। कोई न कोई सेवा में मन से शक्तियां देने की मुख से वाणी की सेवा कर्म में गुणों से सेवा सम्बन्ध सम्पर्क में खुशी देने की सेवा इस भिन्न-भिन्न सेवाओं में मन को बिजी रखो क्योंकि सारे विश्व में रिचेस्ट आत्मायें कौन सी हैं? आप ही हो ना! कितने खज़ाने मिले हैं? तो हर खज़ाने से सेवा करो। खज़ाने को जितना सेवा में लगायेंगे उतने खज़ाने बढ़ते जायेंगे इसलिए अभी जैसे स्व की सेवा का अटेन्शन देते हो ऐसे अपने दु:खी आत्मायें अपने भक्तों की मन्सा द्वारा किरणें देने की सेवा भी अटेन्शन देके सारे दिन में करो बहुत चिल्लाते हैं आपको सुनने नहीं आता। मैजारिटी हर घर में कोई न कोई दु:ख का कारण है। ऐसे दु:खियों को सुख देने वाला कौन? बोलो कौन है? आप ही तो हो। तो इस मन्सा सेवा को सारे दिन में चेक करो कितना समय जैसे स्व के प्रति देते हो वैसे मन्सा सेवा के प्रति कितना समय दिया? रहमदिल हो ना। तो दु:खियों पर रहम करो। आपका गीत भी है ना ओ माँ बाप दु:खियों पर रहम करो। बापदादा को बहुत आवाज सुनने पड़ते हैं। आप लोगों को कम सुनाई देते हैं लेकिन अभी सुनो। कहाँ जायेंगे वह। आपके ही तो भाई बहिन हैं। तो अपना भी फायदा करो मन को बिजी रखो और दु:खियों का दु:ख हरण करो। चिल्लाते हैं दिल चिल्लाती है। बापदादा तो सुनते हैं तो बच्चों को याद करते हैं ओ मेरे लाडले बच्चे सिकीलधे बच्चे अब रहमदिल धारण करो। अपने ब्राह्मणों में भी एक दो के सहयोगी बनो। चाहे कैसा भी संस्कार है लेकिन आपका काम क्या है? संस्कार से टक्कर खाना या उनको भी संस्कार के टक्कर से छुड़ाना। आपका भी टाइटल है ना दु:ख हर्ता सुख कर्ता। बाप के साथी हो ना। बाप के साथी क्या संकल्प किया है? इस विश्व को दु:ख अशान्ति से बदल सुख शान्ति स्थापन करनी ही है। करनी है ना! हाथ उठाओ। करनी है? कि सिर्फ देखना है हो रहा है लेकिन अभी बदलना है। चाहे ब्राह्मण आत्मा हो देखते नहीं रहो यह कर रहे हैं लेकिन उन्हों को भी वाणी और मन्सा संकल्प द्वारा परिवर्तन करो करना नहीं चाहिए! बापदादा सुनता रहता है बापदादा तक बात दे दी जब बात दे दी तो खुद बाप के डायरेक्शन पर चलो जिम्मेवार बापदादा है उनके साथी मुरब्बी बच्चे निमित्त बने हुए बच्चे। तो सदा अपने मन को व्यर्थ संकल्पों के बजाए अब दु:खी आत्माओं को चाहे ब्राह्मण हैं या कोई भी हैं ड्रिस्टर्ब आत्मा को सहयोग दो। सहयोगी बनो। अच्छा।

अभी आज जो पहले बारी आये हैं वह उठो। सभी ने देखा। बापदादा पहले बारी आने वालों का सभा के बीच बर्थ डे मना रहे हैं। फिर भी चाहे कनेक्शन में भी हो लेकिन बाप से मिलन मनाने आये हैं तो यहाँ ब्राह्मण परिवार में बर्थ डे मना रहे हैं। बापदादा को खुशी है जो पहले से कनेक्शन में हैं उनके लिए नहीं कहते लेकिन मधुबन में पहले बारी आये हैं इसके लिए ब्राह्मणों के बीच उन्हों की सेरीमनी कर रहे हैं। इतने सभी ब्राह्मणों की मुबारक मिल रही है। लेकिन आगे के लिए यह सोचना कि स्थापना के समय के बाद तो देरी से यहाँ पहुंचे हैं ना इसलिए बाकी जो समय बचा हुआ है उसमें तीव्र पुरूषार्थ कर समय को व्यर्थ नहीं करना लेकिन एक सेकण्ड में 10 मिनट का काम करना। अटेन्शन देना। अपना पुरूषार्थ तीव्र कर जितना आगे बढ़ने चाहो उतना बढ़ सकते हो। यह आप सभी को सभी ब्राह्मणों की तरफ से बाप की तरफ शुभ भावना शुभ कामना है। अच्छा।

सेवा का टर्न यू.पी. बनारस पश्चिम नेपाल का है:- अच्छा जो पहले बारी आये हैं वह बैठ जाओ। अच्छा। यू.पी. की टीचर्स आगे-आगे खड़ी हैं। अच्छा है। यू.पी. में चारों ओर के भगत बहुत आते हैं। तो यू.पी. वालों को जो भी हो सके भक्तों को सन्देश जरूर दो। सन्देश देना आपका काम है बाकी भाग्य बनाना कितना भाग्य बनाते हैं वह उनके हाथ में है लेकिन आपको उल्हना नहीं दें कि हमको आपने हमारा बाप आया और हमारा बाप वर्सा देने आये हैं यह सन्देश नहीं दिया। हमको कुछ तो वर्सा ले लेते। इसीलिए यू.पी. वालों को जब भी ऐसे करते भी हो बाप के पास समाचार आते हैं लेकिन फिर भी जहाँ तक हो सकता है वहाँ तक सन्देश देने का पाठ आप लोगों के लिए सहज है। और यू.पी. से ब्रह्मा बाप का जगत अम्बा का बहुत प्यार रहा है। जितना ब्रह्मा बाबा यू.पी. में आये हैं इतना बाम्बे में भी आये हैं लेकिन यू.पी. में भी आये हैं। तो जिस जगह ब्रह्मा बाप के पांव पड़े वह स्थान कितना भाग्यवान है। लखनऊ और कानपुर दोनों ही इस भाग्य के अधिकारी बने हैं। बाम्बे भी बना है लेकिन अभी यू.पी. का टर्न है। डायरेक्ट माँ और बाप के शिक्षा की बूंदे यू.पी. में पड़ी हैं। अभी यू.पी. को आगे क्या करना है? वाणी द्वारा मेलों में सेवा तो करते हो लेकिन अभी के समय अनुसार जो बापदादा कहता आया है पहले भी कि वारिस और नामीग्रामी माइक नामीग्रामी का अर्थ यह है कि उनके कहने का प्रभाव सुनने वालों का पड़ने वाला हो ऐसे माइक तैयार करो। ऐसे वारिसों का ग्रुप हर सेन्टर कितने सेन्टर हैं यू.पी. में बहुत हैं ना। तो इतने वारिस निकालने चाहिए। हिसाब करना कितने सेन्टर हैं और कितने वारिस बने हैं। और जितने बनने चाहिए उतने बने हैं या बनाने हैं। अगर बनाने हैं तो समय पर कोई भरोसा नहीं है जल्दी से जल्दी वारिस और माइक जिनकी आवाज से अनेक आत्माओं के भाग्य की रेखा खुल जाए क्योंकि आपने तो बहुत सेवा की जो पुराने हैं उन्होंने तो बहुत सेवा की। अभी सेवा कराओ। करने वाले तैयार करो। कर सकते हैं ना! हाथ उठाओ टीचर्स। अच्छा। टीचर्स भी बहुत हैं। तो इतने ही तैयार करो। हर एक सेन्टर चाहे छोटा चाहे बड़ा सेन्टर की लिस्ट में है उनको जरूर अपना सबूत देना है क्योंकि समय पर कोई भरोसा नहीं है। कब भी क्या भी हो सकता है। इसलिए बापदादा सभी जो भी जोन आते हैं नहीं भी आये हैं सभी जोन को यही कहते हैं कि अभी आगे बढ़ो। क्लासेज तो चलते रहते हैं संख्या भी बढ़ती रहती है लेकिन अभी निमित्त बनने वाले बनाओ और बनाने के लिए बापदादा ने देखा है हर जोन में ऐसी आत्मायें हैं जो निमित्त बन सकती हैं। तो यू.पी. एक तो भक्तों का कल्याण करो भक्त भक्त कहलाने वाले भले थोड़े हैं लेकिन भक्त भी हैं। उन्हों को भक्ति का फल दिलाओ। बहुत मेहनत करते हैं। बाकी अच्छा है। हर एक जोन बापदादा ने देखा कि अपने पुरूषार्थ में बढ़ भी रहे हैं लेकिन अभी भी बढ़ने की मार्जिन हैं। अच्छी- अच्छी बाप की लाडली बच्चियां हैं डायरेक्ट ब्रह्मा बाप की पालना लेने वाली हैं। कर रहे हो ऐसे नहीं नहीं कर रहे हो। कर भी रहे हो लेकिन थोड़ी और स्पीड बढ़ाओ। अच्छा सेवा का टर्न है यज्ञ सेवा अर्थात् अपने भाग्य बनाने की सेवा। क्योंकि आपके पास कितने भी स्टूडेन्ट आवें लेकिन यज्ञ में कितने इकठ्ठे होते हैं। इतने ब्राह्मणों की यज्ञ सेवा करना पुण्य कितना है। तो सेवा करने आते हो लेकिन वास्तव में कहें पुण्य जमा करने आते हो। बापदादा को खुशी होती है कि यह भी चांस पुण्य बनाने का साधन है। तो सेवा अच्छी कर रहे हो ना। वैसे सभी जोन अच्छी करते हैं बापदादा के पास कोई रिपोर्ट नहीं आती है। अच्छे हो और अच्छी सेवा करते हो। सहज हो जाता है। ठीक करते हैं ना सेवा। सभी दादियां भी आप लोगों को मुबारक देती हैं।

पाण्डव भी कितने आते हैं। पाण्डव भी कम नहीं हैं। कई ऐसी सेवायें हैं जो पाण्डव ही कर सकते हैं। इसलिए पाण्डवों को भी बापदादा और सर्व मधुबन निवासी मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

10 विंग्स आई हैं:- अच्छा खड़े रहो। आपके झण्डे और बोर्ड बापदादा ने देखा इसलिए नीचे कर लो। बापदादा ने देखा है कि जो भी वर्ग आये हैं। जब से वर्ग बने हैं तब से सेवा का उमंग हर एक वर्ग में अच्छा है। हर एक ने अपनी जिम्मेवारी समझी है कि हमको करना ही है। इसलिए हर एक वर्ग सेवा करके अपनी संख्या सेन्टरों पर बढ़ा रहे हैं। रिपोर्ट तो बाप के पास आती ही हैं। अभी एक बात कि जो भी वर्ग हैं वह विशेष आत्मायें जो निमित्त बनी हैं जिसको विशेष निमित्त आत्मायें कहते हैं उसकी सेवा करके हर जोन में एक दिन स्थान फिक्स करके सब तरफ के जो निमित्त आत्मायें निकली हैं उनका संगठन करो। पहला जोन में संगठन करो फिर मधुबन में देखेंगे। लेकिन पहले जिस जोन के ज्यादा सेवाधारी करने वाले हैं उस जोन में सब जोन के दिन मुकरर करके विशेष आत्माओं का मिलन करो। एक दो को देख करके भी उत्साह आता है यह भी करते हैं हम भी करते हैं और सेवा को बढ़ायें। तो उमंग उत्साह दिलाने के लिए पहले जिस जोन में विशेष वर्ग की सेवा हो वहाँ हर कोई जहाँ भी राय करके फिक्स करो वहाँ पहले इकठ्ठे करो फिर मधुबन में बुलायेंगे। यह नहीं किया है। तो पता पड़े कितने माइक तैयार हुए हैं। कितने सहयोगी तैयार हुए हैं। और कितने आपस में एक दो को मदद कर सकते हैं। एक जोन वर्ग दूसरे वर्ग में भी सहयोगी बन सकता है। तो उमंग आयेगा एक दो को देख करके समाचार सुनते उमंग आयेगा। मधुबन के पहले वहाँ ही इकठ्ठे करो फिर देखेंगे। ठीक है। यह ठीक लगता है हाथ उठाओ। आप सभी को इकठ्ठा उठाया है बापदादा हर वर्ग को अलग-अलग मुबारक दे रहे हैं। बापदादा खुश है आपके उमंग उत्साह को देख बापदादा खुश है। ठीक है। अच्छा।

(हर वर्ग वालों से बापदादा ने हाथ उठवाये)

बिजनेस विंग:- बापदादा ने आपको देखा भी आपको और मुबारक भी दी और सर्विस का प्लैन भी दिया तो आप सबको स्पेशल मुबारक हो।

एज्युकेशन विंग:- तो खास आप लोगों को भी बापदादा उमंग उत्साह की मिठाई खिला रहा है।

यूथ विंग:- यूथ ऐसा ग्रुप तैयार करो यह बहिनें भी हैं ना। ऐसा ग्रुप तैयार करो जो कुछ समय से या जब से आये हैं तब से जो मर्यादायें हैं उसमें कायदे प्रमाण चले हैं कितने मर्यादाओं पर चले हैं वह एक-एक का रिकार्ड हो। ऐसा छोटा ग्रुप बनाओ जो सरकार के सामने उन्हों को हाजिर करें कि यह यूथ मर्यादा पूर्वक हैं। तो सेवा हो जाए।

धार्मिक विंग पोलिटीशियन विंग:- अच्छा यह भी आये हैं।

स्पोर्टस विंग:- आपने सुना अभी क्या करना है? तो वह करना। फिर बापदादा इसकी रिजल्ट देख फिर मधुबन में बुलायेंगे। बाकी सभी वर्ग बापदादा ने सुनाया कि अच्छी सेवा में आगे बढ़ रहा है और प्लैन अच्छे-अच्छे बना रहे हैं उसकी मुबारक हो।

महिला वर्ग:- महिला वर्ग में कितने कमल पुष्प घर गृहस्थ में रहते कमल पुष्प समान रहने वाले हैं वह कितने निकाले हैं शुरू से लेके। सेन्टर पर कितनी महिलायें सेवा से निकली हैं वह लिस्ट निकाली है? इसकी हेड कौन है? (चक्रधारी बहन) अच्छा। कितने परिवार निकले वह हर जोन से लिस्ट लेकर फिर बताना जरूर क्योंकि लोगों में तो अभी तक यही है कि पता नहीं घर छोड़ना पड़ेगा। अभी पहले से कम है लेकिन कहाँ-कहाँ अभी भी है। तो कितने सेवा से बने हैं उसकी रिजल्ट निकालना क्योंकि गवर्मेन्ट में हर एक वर्ग की अलग-अलग डिपार्टमेन्ट होती है तो वह पूछते भी हैं कि आपके वर्ग ने क्या रिजल्ट निकाली। इसलिए यह रिजल्ट होनी चाहिए निकालनी चाहिए। हर एक जोन अपने-अपने सेन्टर्स में जो भी निकले हैं वह इन्हों को इकठ्ठा करके दे तो इन्हों को मदद मिल जाए। ठीक है।

ग्राम विकास विंग:- ग्राम विकास सबसे अच्छी सेवा है क्योंकि ग्राम वाले इतना ऐश आराम में नहीं होते। अपने काम में ज्यादा बिजी रहते हैं तो आप लोग उन्हों को विशेष खुशी का अनुभव कराओ। भाषण तो करते ही हैं लेकिन ग्राम वाले अनुभव करें तो हमें जो भी ग्राम सेवा में हैं उन्होंने खुशी बहुत दी है। हम सुखी भी रहते और खुश भी रहते ऐसा रिकार्ड निकाले कितने गांव में सर्विस की उसमें कितनों ने अनुभव किया। क्योंकि अनुभव जो करते हैं वह भूलते नहीं हैं। अनुभव करो और कराओ तो यह रिजल्ट निकालना कितने गांव में कितनी आत्मायें खुश हुई और कनेक्शन में रहती हैं। अच्छा है।

कल्चरल विंग:- कल्चरल वाले अपने कल्चरल वालों की सेवा तो अच्छी कर रहे हैं। बापदादा ने देखा कि कई कल्चरल वाली आत्मायें यज्ञ के सहयोग में आई हैं और अपना सेवा का पार्ट भी बजा रही हैं। दूसरे लोगों को भी अपने अनुभवों से लाते रहते हैं। सेवा में आगे बढ़ रहे हैं। तो बहुत अच्छा है। जो बाप ने कहा था स्थापना के समय तो आपके पास कल्चरल वाले भी अनुभवी बन औरों को अनुभव सुनायेंगे। तो वह कर भी रहे हो और आगे भी करते रहना। जो आवाज फैल जाए तो ब्रह्माकुमार-कुमारियां सेवा कर कल्चरल वालों को कैरेक्टर बिल्डिंग बनाने का भी अनुभवी बनाते हैं। अच्छे-अच्छे आ रहे हैं जो आगे बढ़ रहे हैं और दूसरों को भी अनुभव सुनाके आगे बढ़ा रहे हैं इसलिए बढ़ते रहो बढ़ाते रहो।

स्पार्क:- स्पार्क विंग भी अपना-अपना कार्य कर रही है। बापदादा ने देखा कि हर एक अपने वर्ग की सेवा में आत्माओं को अनुभवी बना रहे हैं उनको अच्छे-अच्छे विचारों से उनकी बुद्धि बहुत अच्छी बना रहे हैं और धारणा भी लोगों को कराते हैं इसलिए हर एक विंग के लिए बाबा ने कहा तो सेवा कर रहे हो साथी बना रहे हो और और अधिक साथी बनाके ऐसा ग्रुप तैयार करो संगठन तैयार करो जो संगठन गवर्मेन्ट के सामने जाए और उनको अपना कार्य और रिजल्ट सुनाये। हर एक वर्ग की अपने-अपने गवर्मेन्ट की शाखा है तो उन्हों की भी सेवा हो और लोगों की भी सेवा हो।

अच्छा –

डबल विदेशी भाई बहिनें - 80 देशों के 750 भाई बहिनें हैं:- विदेशियों का बापदादा ने इस समय के प्रोग्रामस देखे तो बहुत एक एक ग्रुप से प्यार से मेहनत बहुत अच्छी की। और मधुबन के वायुमण्डल में कईयों के अनुभव भी अच्छे अपने तीव्र पुरूषार्थ की उमंग-उत्साह वाले थे इसलिए बापदादा ने इस समय का ग्रुप का जो ट्रेनिंग देने वाले और ट्रेनिंग लेने वाले दोनों में उमंग-उत्साह देखा और एक समय में कितने लाभ लिये। एक परिवार का मिलना और कहाँ भी इतने ग्रुप मिले कोई स्थान नहीं मधुबन के सिवाए। तो इन्होंने अच्छी चतुराई की मधुबन में ही प्रोग्राम बना दिया। तो बापदादा खुश है कईयों के परिवर्तन के अनुभव भी बापदादा ने सुनें। यहाँ की धरनी में जो भी कुछ शिक्षा मिलती है उनकी महसूसता जल्दी हो जाती है। वायुमण्डल है ना। तो वायुमण्डल भी मिला संगठन भी मिला कितने समय के बाद एक-एक ग्रुप मिलते हैं सारे। रहना संग बापदादा और अपनी रिफ्रेशमेंट तो यह बापदादा को बहुत अच्छा लगा। लेकिन जितने यहाँ फायदे मिले हैं लाभ मिले हैं उतना ही प्रैक्टिकल में करके आप निमित्त बनो औरों को भी उमंग-उत्साह बढ़ाने के लिए। बन सकते हो क्योंकि प्लैन जो बनाये हैं बापदादा ने थोड़े में सुने हैं अच्छे लगे हैं। करने का तरीक भी अच्छा है। तो बाप को खुशी है कि डबल फारेनर्स अच्छी अपने ऊपर भी अटेन्शन दे रहे हैं और अब तो एक चन्दन का वृक्ष हो गया है। भिन्न-भिन्न देश की टालियां मधुबन में आई लेकिन यहाँ आने से एक चन्दन का वृक्ष बन गये। तो बाप ने देखा जो भी आये हैं उनका ब्राह्मण कलचर बहुत अच्छा बना है चल रहा है और बनता रहेगा यह भी निश्चय है और निश्चित है। ड्रामा में भी निश्चित है ओम् शान्ति। जो मुख्य टीचर्स हैं उन्हों को बापदादा स्पेशल मुबारक दे रहे हैं। तो मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो।

आज मधुबन के जो भी हैं ऊपर वाले नीचे वाले और यह जो बाहर रहते हैं लेकिन मधुबन में पढ़ाई पढ़ते हैं वह सब उठो कितने आये हैं:-

(राजू भाई को मुरली टाइप करते हुए देखकर) आप भी उठो ना। इतना काम करते हैं देखो बड़े में बड़ी सेवा तो यह करते हैं सभी ब्राह्मणों को फौरन पहुंच जाता है। आपको मुबारक हो विशेष मुबारक हो।

मधुबन वाले अगर नहीं होते तो आपकी मेहमान निवाजी कौन करता। आराम से आते हो खाते हो पीते हो रिफ्रेश होते हो तो मधुबन वालों के लिए ताली बजाओ। बापदादा जानते हैं कि जगह कम होने के कारण मधुबन वालों को थोड़ा दूर बैठकर सुनना पड़ता है। यह भी सेवा है मधुबन वालों की यह भी सेवा है। दूसरों को सुख देना सुखदाता हो गये ना। तो मधुबन वालों का काम है सुख देना और सुख लेना। क्योंकि जो भी आते हैं उन्हों के अनुभवों से आप अनुभव सुनाते हो उस अनुभव से एक दो को फायदा हो जाता है। कई फायदे होते हैं लेकिन टाइम कम होने के कारण सुनाते कम हैं। लेकिन मधुबन वालों का टाइटल क्या हुआ? सुख देना और सुख लेना। सुखदाता के बच्चे फालो फादर करने वाले हैं। अच्छा-

मिलन तो सबका हुआ। बहुत तैयारी करके आते हैं। हर वर्ग बहुत तैयारी करके आते हैं बापदादा जानते हैं लेकिन टाइम को भी देखना पड़ता है। तो सभी को अभी तीव्र पुरूषार्थी बनने की एडवांस में बहुत बहुत पदम गुणा मुबारक पहले से दे रहे हैं। अभी शिव रात्रि पर चाहे यहाँ आने वाले चाहे घरों में बैठकर सेन्टर पर बैठ सुनने वाले या मुरली द्वारा सुनने वाले सभी मुरली तो सुनते होंगे ना। इस बारी जो आये हैं उसमें मुरली रेग्युलर जो सुनते हैं कोई हैं जो मुरली नहीं सुनते वह हाथ उठाओ। कोई नहीं। अच्छा। वह उठो जो नहीं पढ़ते या सुनते हैं। थोड़े हैं। कोई बात नहीं लेकिन अभी बाकी जो भी समय मिला है उसमें बाप का महावाक्य परमधाम से बापदादा आता है सूक्ष्मवतन से ब्रह्मा बाबा आता है और आके महावाक्य उच्चारण करते हैं इसलिए मुरली कभी भी एक दिन भी मिस नहीं करना। अपना बापदादा का दिलतख्त छूट जायेगा। इसलिए जो भी मुरली मिस करते हैं वह समझें हम तीन तख्त के मालिक नहीं दो तख्त के मालिक भी यथाशक्ति बनेंगे। इसलिए मुरली मुरली मुरली। क्योंकि मुरली में रोज के डायरेक्शन होते हैं चार ही सबजेक्ट के डायरेक्शन होते हैं तो रोज के डायरेक्शन लेने हैं ना। तो जो भी मिस करता हो कारणे-अकारणे वह अपना प्रोग्राम बनावे कि कैसे मुरली सुनें। कोई न कोई सैलवेशन बनायें। आजकल साइंस के साधन आपके लिए निकले हैं। ब्रह्मा बाप में प्रवेशता के 100 साल पहले यह साइंस निकली है आपके काम में भी आनी है इसलिए उसको यूज करो फायदा उठाओ।

अच्छा सामने बैठे हुए या कहाँ भी सुनने वाले बच्चों को बापदादा की दिल व जान सिक व प्रेम से यादप्यार और नमस्ते।

दादियों से:- (दादी जानकी जी से) सेवा दिल से करती हो विशेष सेवा करती हो। जहाँ दिल होती है ना वहाँ अनुभव होता है। ऊपर ऊपर से वाणी चलाई तो अनुभव दिल से लगना वह कम होता है। आपकी सेवा का फल भी निकलता है। तो यह वरदान है। (गुल्जार दादी बहुत अच्छी है) अच्छे तो हर एक हैं। यह सब अच्छे हैं।

मोहिनी बहन और उनके डाक्टर से:- बापदादा ने सुना। सोचो कम। हंसती हैं लेकिन सोचती भी है। चेहरा तो लाल है लेकिन सोचना थोड़ा-थोड़ा यह तबियत को इफेक्ट करता है। सिर्फ सोचो बाबा अच्छा कर लेगा। अभी डबल डाक्टर बनो। ासिंगल तो बहुत हैं। डबल डाक्टर। प्रेम तो है डबल डाक्टर बनें। आप कार्ड छपाते हो ना उसके पीछे खाली होता है तो आप मन की भी बीमारी का लिखके और उसमें एड्रेस लिखो जो सेन्टर नजदीक हो वहाँ मेडीटेशन वरके मन को दुरूस्त करो। क्योंकि डाक्टर का नाम पढ़के भी उन्हों को आता है कि डाक्टर कहता है तो करना है। तो आप घर बैठे सेवा कर सकते हो डबल डाक्टर बन जायेंगे। आप नहीं करेंगे करायेंगे दूसरे। तो बहुत सहज है। जो भी आवे एड्रेस पूछें तो दे देना। कार्ड छपाके रख दो ऐसे डबल डाक्टर। दवा और दुआ दोनों से अभी फर्क पड़ेगा। दोनों ही मिलेंगी बाबा की तरफ से।

यह डबल डाक्टर बनने की सौगात।

परदादी से:- आपकी विशेषता है जो शक्ल सदा हंसमुख रहती है। (बाबा की बेटी हूँ) डबल बेटी हो। लौकिक भी और अलौकिक भी पारलौकिक भी। तीनों हो।

(तीनों भाईयों से) आपस में तीनों मिलते रहते हो? (थोड़ा-थोड़ा) थोड़ा-थोड़ा नहीं। फोन में भी मुलाकात कर सकते हो। फारेन में यह अच्छा है कोई भी कार्य फोन में बहुत अच्छा मीटिंग पूरी हो जाती है। तो उन्हों की विधि देखो आपस में मिलते रहो। फोन में भी मीटिंग कर सकते हो।

भूपाल भाई से:- चारों तरफ यज्ञ की ठीक रखवाली हो रही है। ध्यान रखो चक्कर लगाते रहो।

इन्दौर के वी.आई पीज से:- अपने घर में आने में मजा आता है ना। अपने घर में आये हो दूसरी जगह नहीं आये हो। यह परमात्मा का घर है तो बच्चे का भी घर हुआ ना। तो अपने घर में आये हो। हमेशा अपने को बेफिकर बादशाह बनाके रखना। फिकर नहीं करना बेफिकर बादशाह। काम तो होते ही रहेंगे लेकिन खुद को बेफिकर बादशाह बनाना। सवेरे उठकर बाप को याद करेंगे ना तो सारा दिन अच्छा बीतेगा। उठते आंख खुलते मेरा बाबा याद करना।

धार्मिक नेताओं से:- आप लोगों को देख औरों में भी उमंग आयेगा। क्यों इन्हों को क्या मिला। और आपका अनुभव अनेकों को अनुभव करायेगा। निमित्त बनेंगे। (ट्रिनीडेड के ब्रह्मदेव स्वामी जी गीता का भगवान सिद्ध करेंगे) अभी मुरली पढ़ना।

सोलार प्रोजेक्ट का नक्शा बापदादा को दिखाया:- निश्चयबुद्धि होकर करो। सभी मिलकर एक ही संकल्प करो होना ही है। (रमेश भाई से) आपको कहा था ना कि यह सभी ब्राह्मणों को पता हो। आर्टिकल सब नहीं पढ़ते हैं।



02-03-11   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘इस बर्थ डे पर सभी एक दो को उमंग-उत्साह दिलाते सहयोगी बनते व्यर्थ संकल्प के अक का फूल अर्पण करो मास्टर सर्वशक्तिवान के स्वमान की सीट पर रह इसमें नम्बरवन का इनाम लो’’

आज आप सभी और साथ में चारों ओर के सर्व बच्चे अमृतवेले से लेके बड़े स्नेह भरी मुबारकें अपने प्रेम और खुशी की दे रहे हैं। तो बाप भी आप सभी सिकीलधे बच्चों को इस जयन्ती की मुबारकें देने आये हैं। एक-एक बच्चा बाप के लिए अति प्यारा दिल का दुलारा है। तो बापदादा अपने बाहों की माला से आप सबको मुबारकें दे रहे हैं। बापदादा देख रहे हैं आप तो सामने मुबारक दे भी रहे हो ले भी रहे हो। लेकिन चारों ओर के बच्चे कई स्थानों में मुबारकें दे रहे हैं और बाप भी देश विदेश सब तरफ के बच्चों को अति स्नेह पूर्वक मुबारकें दे रहे हैं।

बापदादा देख रहे हैं हर बच्चा खुशनुमा सूरत से प्यार के सागर में लहरा रहे हैं। बाप को खुशी है कि बाप अकेला नहीं आता है बच्चों के साथ ही आते हैं क्योंकि बाप आते ही हैं यज्ञ रचने। तो यज्ञ में कौन होते हैं? ब्राह्मण। इसलिए बाप अकेले नहीं आते लेकिन साथ बच्चों के आये हैं क्योंकि यही जयन्ती सब जयन्तियों से वन्डरफुल है। सारे कल्प में यह एक ही जयन्ती है जो बाप और बच्चों का साथ में जन्म होता है इसलिए इस जयन्ती को कहा ही जाता है हीरे तुल्य जयन्ती। बाप भी विशेष आदि रत्न बच्चों को विशेष मुबारक दे रहे हैं। तो आप सभी आज मुबारक देने आये हो वा लेने भी आये हो! बाप का कहना ही है साथ रहेंगे साथ उड़ेंगे साथ आयेंगे और ब्रह्मा बाप के साथ राज्य करेंगे। साथ रहने का वायदा है। आप भी क्या कहते हो? हम भी जहाँ बाप वहाँ साथ-साथ होंगे। यह है बच्चों का बाप से बाप का बच्चों से वायदा। कहाँ भी शरीर द्वारा रहते हैं लेकिन दिल में सदा बाप साथ है इसीलिए बाप को दिलाराम कहते हैं। यहाँ यादगार भी दिलवाला मन्दिर है। तो सभी के दिल में साथ में दिलाराम है ना! और बाप सदा बच्चों को कहते हैं कभी भी अकेले नहीं बनना। सदा साथ हैं साथ रहना ही है। अकेले होंगे तो माया अपना चांस लेती है और साथ है तो स्वयं लाइट हाउस साथ है उसके आगे माया दूर से ही भाग जाती नजदीक भी नहीं आ सकती है इसलिए बच्चों का बाप से बाप का बच्चों से सदा साथ का वायदा है। आप सभी का भी वायदा है ना! साथ हैं साथ रहेंगे। अच्छा लगता है ना साथ में। हाँ भले हाथ उठाओ।

बापदादा ने देखा हर बच्चा अमृतवेले बाप से बहुत दिल की बातें करते हैं। वैसे तो समय नहीं मिलता लेकिन अमृतवेले हर एक बहुत मीठी-मीठी दिल की बातें करते हैं और बाप भी हर एक बच्चे को दिल की बातें सुनकर सब बातों का उत्तर भी देते हैं। सभी को एक बात की बहुत खुशी है कि हम दिल से कहते मेरा बाबा तो बाप हाजर हो जाते। हजूर हाजर हो जाते। इसमें सिर्फ दिल की बात है। और कुछ करने की जरूरत नहीं दिल से कहा मेरा बाबा हजूर हाजर।

तो आज चारों ओर से बापदादा के कानों में मीठा गीत बज रहा था। कौन सा गीत? मेरा बाबा प्यारा बाबा मीठा बाबा। और बापदादा भी बच्चों के स्नेह में समाये हुए थे समाये हुए हैं। अभी बापदादा आपके स्नेह के दिव्य कर्तव्य को देख आपके भक्त वह भी कम बुद्धि वाले नहीं हैं। उन्होंने भी आपके यादगार की कॉपी बहुत अच्छी बनाई है। द्वापर में आये पहला पहला जन्म वैसे भी सतोप्रधान होता है क्योंकि परमधाम से आत्मा आती है। तो भक्तों के तरफ भी आज दृष्टि गई। तो कॉपी बड़ी युक्तियुक्त की है क्योंकि आपके शुरू-शुरू वाले विशेष भक्त जैसा आपका प्रैक्टिकल कर्म है वैसे ही उन्होंने भी यादगार की कॉपी अच्छी बनाई है। लेकिन आपका प्रैक्टिकल है उन्हों का यादगार है। जैसे आपने व्रत लिया कौन सा व्रत लिया? पवित्रता का। तो वह भी व्रत लेते हैं व्रत की कॉपी की है लेकिन आपका व्रत एक जन्म में लेने से अनेक जन्म वह व्रत चलता है। वह एक दिन के लिए पवित्र भी रहते और खान-पान भी शुद्ध रखते हैं। आपका 21 जन्मों का व्रत उन्हों का अल्पकाल के लिए है। ऐसे ही जागरण आप रोशनी में आये तो सारे विश्व के अन्दर अंधकार मिटाया। आधाकल्प अंधकार आ नहीं सकता। मन का अंधकार मिटाया और बाहर प्रकृति का दु:ख अंधकार मिटाया। वह भी कॉपी की है जागरण करते हैं। और बात आप बाप के ऊपर बलिहार गये बलि चढ़ गये। पूर्ण सरेन्डर हो गये तो उन्होंने भी कॉपी की है लेकिन अपने को नहीं करते अपने को बलि नहीं चढ़ाते हैं किसको चढ़ाते हैं? जानते हो ना! बकरे को चढ़ाते हैं। बकरे को क्यों ढूंढ़ा और किसको नहीं ढूंढा। सब हंस रहे हैं जानते हो। जो बाप आप बच्चों को बार-बार इशारा देता है मैं पन छोड़ निमित्त भाव धारण करो तो उन्होंने भी बकरे को ढूंढा है क्योंकि वह भी में में करता है। तो भक्तों की बुद्धि कमाल की तो है ना! आपके भक्त हैं ना। बाप के आपके भक्त हैं। इसीलिए बाप आपके भक्तों को भी जो सच्ची दिल से करते हैं उनको कुछ न कुछ फल दे देते। भक्ति का फल वह भी सदा सच्चे और सात्विक रहते हैं खुश रहते हैं। दु:ख में दु:खी नहीं होते हैं क्योंकि भक्ति सच्ची दिल से करते हैं। तो बाप भी आजकल आप बच्चों को यही इशारा देते हैं कि मैंपन नहीं लाओ। मैं जो कहता हूँ वही हो। मैं ही ठीक कहता हूँ वही होना चाहिए। यह मैं मैं एक साधारण है मैं शरीरधारी हूँ देहधारी हूँ लेकिन एक है साधारण मैं और दूसरी है महीन मैं उसमें बाप की देन को भी मैंने किया मैंने बोला मैं करता हूँ बाप की विशेषताओं में भी मैंपन आ जाता है। ज्ञान की समझ विशेषताओं की समझ उसमें भी महीन मैंपन आ जाता है। तो बाप इशारा देते रहते हैं कि मैं और मेरा सदा मेरा बाबा उसी तरफ दिल का लगाव हो। हद का मेरा मेरा नाम मेरा शान इसको समाप्त कर मैं बाबा का बाबा मेरा कितनी खुशी होती है। भगवान मेरा हो गया और क्या चाहिए! तो एक है साधारण मेरा एक है महीन मेरा। यह महीन मेरा मैला कर देती है और मेरा बाबा मालामाल कर देता है।

तो आज बर्थ डे मनाने आये हो। अपना भी बर्थ डे मनाने आये हो ना। बाप बच्चों के बिना कुछ नहीं करता। इसीलिए आज बाप बच्चों के जन्म उत्सव की मुबारक देने आये हैं वाह मेरे बच्चे वाह! अभी एक बात कहूं तैयार हैं! कहें? करना पड़ेगा। हाथ उठाओ करेंगे? डबल फारेनर्स करेंगे? टीचर्स करेंगे? अच्छा। तो आज बापदादा जैसे यादगार में शिव परमात्मा की यादगार में अक के फूल चढ़ाते हैं गुलाब के नहीं और कोई फूल नहीं चढ़ाते अक के फूल चढ़ाते हैं। तो आज बापदादा आपको कौन सी बात अर्पण करो वह होमवर्क देने चाहते हैं। तैयार हो ना! अच्छा।

यह तो बच्चों का बाप को बहुत अच्छा लगता है हाँ जी सब करते हैं। तो आज बर्थ डे पर बाप का यह संकल्प है कि सभी एक दो को उमंग उत्साह दिलाते हुए एक दो के सहयोगी बनते हुए व्यर्थ संकल्प का अक का फूल अर्पण करो। व्यर्थ संकल्प न करना है न सुनना है और न संग में आकर व्यर्थ संकल्पों के संग का रंग लगाना है क्योंकि व्यर्थ संकल्प जहाँ होगा वहाँ याद का संकल्प ज्ञान के मधुर बोल जिसको मुरली कहते हो वह शुद्ध संकल्प स्मृति में नहीं रहेंगे। चाहे मुरली सुनते भी हो पढ़ते भी हो वह तो आवश्यक है। ब्राह्मणों का नियम है लेकिन सुनने तक रहेगी। मन में मनन नहीं चलेगा। सोचेंगे कहेंगे आज की मुरली बहुत अच्छी थी। सोच रही हूँ क्या थी। वरदान भी बहुत अच्छा था लेकिन याद आ जायेगा...। व्यर्थ संकल्प मन बुद्धि को अपने तरफ आकर्षित करने वाले हैं। पता है आपको क्या कहते हैं बाप के आगे? बाबा इन्ट्रेस्टेड समाचार तो सुनना चाहिए ना। नॉलेजफुल बनना होता है लेकिन व्यर्थ बातें पद की प्राप्ति में नुकसान कर देंगी। तो क्या आप सभी व्यर्थ संकल्प का बाप से वायदा करते हो? आप कहेंगे हम तो नहीं चाहते लेकिन वह आ जाते हैं। चाहते नहीं हैं लेकिन आ जाते हैं। तो बाप को दृढ़ संकल्प से देने से पहले देना आता है? बाप को दे दिया। दी हुई चीज अगर आपके पास वापस भी आ जाए तो दी हुई चीज आप रखेंगे कि वापस करेंगे? अगर दी हुई चीज आप अपने पास रखते हो तो आपका टाइटिल क्या होगा? तो बाप को एक बार अपनी रूचि से दृढ़ता से दे दो। और चेक करो बार-बार दी हुई चीज हमारे पास वापस तो नहीं आई! दूसरे की चीज अपनी बनाना इसको अच्छा नहीं मानते हैं। तो रोज आराम के पहले आराम बाद में करना पहले चेक करना - आज सारे दिन में कोई भी व्यर्थ संकल्प आया तो नहीं? किया तो नहीं? दी हुई चीज वापस तो नहीं ले ली?

तो आज बर्थ डे की सौगात देने की हिम्मत है ना! है हिम्मत? हाथ उठाओ हिम्मत है। तो जहाँ हिम्मत है वहाँ बापदादा भी आपको सौगात देगा। आप दिल से मेरा बाबा दयालु कृपालु बाबा आप यह चीज ले लो। अगर दिल से कहेंगे तो बाप एकस्ट्रा गिफ्ट देगा। क्योंकि हिम्मत आपकी एकस्ट्रा मदद बाप देगा। जहाँ हिम्मत है वहाँ बाप की मदद अवश्य है ही यह तो अनुभव किया है ना क्योंकि बापदादा काफी समय से सूचना दे रहा है कि अब तीव्र पुरूषार्थ का रास्ता है तीन बिन्दु लगाना। बिन्दु हूँ बाप बिन्दु को याद करना है और बीती को बिन्दू लगाना फुलस्टाप बिन्दू है। जिसको बापदादा कहते हैं मनन करो बिन्दू बनना है बिन्दू देखना है और बिन्दू लगाना है इसलिए बिन्दु का बहुत महत्व है। आजकल के जमाने में भी बिन्दु का महत्व है। देखो पैसे गिनती करते हैं ना। आजकल सबका प्यार सबसे ज्यादा किससे है? पैसा। तो पैसा बढ़ता कैसे है? बिन्दू लगाते जाओ 10 को बिन्दू लगाओ 100 हो जायेगा। दूसरी बिन्दू लगाओ तो 1000 हो जायेगा। तो बिन्दू का महत्व है लेकिन असली बिन्दू कौन सा है वह भूल गये हैं। तो आज बाप को जन्म दिन की सौगात दी? दी? दिल से दी? क्यों क्या तो नहीं करेंगे। कैसे करूं क्यों करूं? यह कै कै की भाषा खराब है। क्यों करूं कैसे करूं क्यों क्यों कै कै नहीं करना। तो सौगात देने के लिए खुशी-खुशी से हाथ उठाया है या संगठन में मजबूरी से? क्योंकि मजबूरी से करने वाले का सदा नहीं होगा कभीव भी होगा। दिल से करने वाला करना ही है बनना ही है। सौगात दे दी देनी ही है। ऐसा खुशी-खुशी से संकल्प करेंगे तो आप सर्वशक्तिवान बाप के बच्चे मास्टर सर्वशक्तिवान के लिए क्या बड़ी बात है! सीट पर रहना मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सदा सेट रहना। भूलना नहीं। स्वमान है ना यह। स्वमान अपना छोड़ा नहीं जाता है। स्वमान के पीछे तो लड़ते हैं। तो इसीलिए आज बाप को प्यार आया कि छोटी सी बातों में अपना स्वमान परमात्मा द्वारा मिला हुआ स्वमान लोगों द्वारा मिला हुआ स्वमान उसमें भी कितना नशा रहता है यह परमात्मा द्वारा स्वमान मिला है मास्टर सर्वशक्तिवान। जो चाहे वह कर सकते हैं। है ना हिम्मत? कांध हिलाओ। हाथ नहीं हिलाओ कांध हिलाओ। हिम्मत है? टीचर्स। आपको कराना पड़ेगा ध्यान देना पड़ेगा। आप करेगी और अटेन्शन दिलाके करायेंगी। निमित्त हो ना। फिर देखेंगे कौन सा क्लास किसका क्लास नम्बर लेता है? फिर अच्छा इनाम देंगे। कौन सा इनाम देंगे वह नहीं बताते हैं। बढ़िया इनाम देंगे। क्लास का क्लास कोशिश करना। ऐसे नहीं एक ने किया नहीं। मैजारिटी करें।

तो आज बापदादा को एक-एक बच्चे के प्रति प्यार आ रहा है कि नम्बरवन में आवे। टू में भी नहीं। पहली राज गद्दी पर नहीं बैठेंगे तख्त पर तो दो बैठेंगे। लेकिन पहली राजधानी पहले राज घराने के सम्बन्ध में आवे। दो नम्बर तो हो गये लेकिन राज्य करना है राज्य अधिकारी बनना है तो पहले राज्य में आवे। तो बापदादा का यही बच्चों से प्यार है कि एक-एक बच्चा कोई न कोई विशेषता में नम्बरवन आवे। नम्बरवार नहीं नम्बरवन। है उमंग? नम्बरवन में आना है कि जो मिले सो अच्छा? अच्छा अच्छा नहीं करना। बाप की आशा है एक-एक बच्चा कोई न कोई कमाल में नम्बरवन आवे। चार सबजेक्ट हैं कोई न कोई सबजेक्ट में नम्बरवन बनना ही है। बनना ही है यह अन्डरलाइन करो। चलो ज्यादा मेहनत नहीं देते कोई न कोई सबजेक्ट में नम्बरवन। यह तो सहज है ना। बाकी आज के दिन एक-एक बच्चा जो भी मिलन मना रहे थे अमृतवेले। बड़ा खुशनुमा खुशी में हँसता हुआ खुशनुमा दिखाई दे रहा था। और बाप ने भी हर बच्चे को सदा उड़ती कला का वरदान दिया। चलती कला नहीं उड़ती कला। तो बापदादा का आज यह वरदान याद रखना। बापदादा ने आपके और अपने जयन्ती पर क्या वरदान दिया? उड़ती कला भव। आपने भी सारा दिन उत्सव शिवरात्रि उत्सव दिल में मनाया है ना। तो सभी अच्छे हैं अच्छे रहेंगे अच्छे ते अच्छा राज्य पद प्राप्त करेंगे। सभी अच्छे हैं ना! बाप तो अच्छा ही देखता है। अच्छा।

चारों ओर के चाहे सम्मुख बैठे हैं चाहे अपने-अपने स्थान पर बैठ मना रहे हैं सभी को बापदादा भी देखकर हर्षित हो रहे हैं और बच्चे भी बाप का मिलन देख खुश हो रहे हैं। लेकिन आज का संकल्प रखना सदा खुश। कभी-कभी वाला नहीं सदा खुश। कोई भी देखे आपके चेहरे को देख सोचे यह बहुत भाग्यवान आत्मा दिखाई देती है। आपका भाग्य चलन और चेहरे से दिखाई दे। ऐसे नहीं सिर्फ मन में बहुत है नहीं। आपका भाग्यवान चेहरा खुशनुमा चेहरा औरों को परिचय करायेगा। चेहरा बोलेगा कुछ है। आपका चेहरा सर्विस करे। बाप तक लावे। खुशनुमा रहना यह भी सेवा का साधन है। तो चारों ओर के बच्चों को आपके भी बर्थ डे की पदमगुणा मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो। अच्छा।

सेवा का टर्न इन्दौर जोन का है:- अच्छा। यह सब इन्दौर के हैं। इन्दौर वाले हिला रहे हैं! (5 स्वरूपों की निशानी हाथ में है) यह अच्छा बनाया है। हर एक को अलग देखने से मालूम होता है कि अपने टर्न पर यज्ञ से प्यार है क्योंकि बाप ने भी पहले आते ही यज्ञ रचा। यज्ञ का सदा आगे बढ़ना भरपूर रखना यही यज्ञ के प्यारे बच्चों का काम है। जैसे सेन्टर का चारों ओर से ध्यान रखते हैं ऐसे ही यज्ञ का ध्यान रखना हर एक बच्चे का कर्तव्य है। बापदादा ने अभी तक देखा कि इस टर्न लेने में सभी पास हुए हैं। कोई की भी कमी नहीं रही है। तो जैसे टर्न के टाइम यज्ञ का ध्यान रखा अनुभव किया अभी अपने सेन्टर पर रहते भी हर एक यज्ञ रक्षक है यज्ञ निवासी रहने वाले सिर्फ नहीं हर एक ब्राह्मण बच्चा यज्ञ प्यारा है यज्ञ रक्षक है। ऐसे अपने को जिम्मेवार समझकर सदा चलना। यह टर्न पूरा हुआ लेकिन वहाँ रहते भी ध्यान हो पूछते रहो। जैसे अभी टर्न में खरीददारी करके भी आते हो ना। ऐसे सदा यज्ञ का ब्राह्मण माना ही यज्ञ रक्षक। तो इतना हर एक ब्राह्मण को ध्यान रखना है। पहले यज्ञ फिर सेन्टर। अटेन्शन देते तो हैं बापदादा जानते हैं कौन-कौन किस प्रकार से अटेन्शन दे रहे हैं और बढ़ रहे हैं। बापदादा सिर्फ इशारा दे रहा है बाकी कर भी रहे हो आगे करते भी रहेंगे। आपका यह यज्ञ स्थान सभी आत्माओं को यज्ञ प्रसाद देने वाला है। तो आप सभी कौन हो? यज्ञ रक्षक कि सेन्टर रक्षक? यज्ञ रक्षक। बापदादा के साथी हो। बापदादा यज्ञ रक्षक है ना। आपका टाइटल क्या है? यज्ञ रक्षक हो ना। अच्छा कर रहे हो और भी अच्छा करते रहेंगे। तन मन धन सेवा चार चीजें हैं। तो यज्ञ रक्षक अर्थात् जैसे चार सबजेक्ट हैं ज्ञान योग धारणा सेवा। ऐसे यह भी चार सबजेक्ट हैं। बाकी बाबा के पास रिजल्ट आती रहती है। बापदादा सब रिजल्ट देखते हैं इन्ट्रेस्ट से देखते हैं। हर बच्चा क्या क्या करत भये..। अच्छा है। बापदादा के पास रिपोर्ट नहीं है लेकिन आगे के लिए भी इशारा दे रहे हैं। अच्छा।

यह क्या कमाल दिखा रहे हैं? कोई न कोई कमाल तो करते हैं ना! बापदादा ने सुना है कि सर्विस में भिन्न-भिन्न प्रोग्राम भिन्न-भिन्न विधियां निकालते हैं और उसको प्रैक्टिकल में ला रहे हैं। यह रिजल्ट तो सुनी। पास हो ना इसमें पास हो? हाथ उठाओ। नया-नया प्लैन बनाते हैं और उसको प्रैक्टिकल में लाते हैं। अच्छा है। ऐसे प्रैक्टिस करके अपने में फिर सभी को उस तरीके का अनुभव कराने के लिए कोई साधन बनाओ। अच्छा। बापदादा मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो मुबारक हो।

डबल विदेशी भाई बहिनें 60 देशों से 1100 आये हैं:- विदेशी बच्चों को भारतवासी देख के बहुत खुश होते हैं क्योंकि बाप का टाइटिल है विश्व कल्याणकारी। सिर्फ भारत कल्याणकारी नहीं तो जब देखते हैं ना तो विदेशी भी अभी इन्डियन संस्कार वाले हो गये हैं क्योंकि सतयुग में राज्य करने वाले हो ना। अधिकारी बनने वाले हो। तो जो बाप का परमात्म कल्चर है वह आपका बन गया है। इसके लिए खुश होते हैं कि हमारे ही भाई कहाँ से कहाँ चले गये भारत से सेवा के लिए चले गये। लेकिन हैं भारतवासी बीज। बीज आपका फॉरेन का नहीं है। पहला असली बीज भारत का है। इसीलिए कहाँ-कहाँ से निकलके भारत का एक कल्चर हो गया है। इन्डियन कल्चर नहीं परमात्म कल्चर। और सब खुशी-खुशी से। बापदादा ने देखा यहाँ इन्डिया में आके इन्डिया का खाना बनाना भी सीख जाते हैं। सामान लेके जाते हैं। तो बीज आपका वही है सिर्फ सेवा के प्रति इतनी भाषायें कौन सीखेगा! एक बारी में कितने देशों से आते हैं अभी इतनी भाषायें कौन सीखेगा? इसीलिए आपको भेजा है सेवा के लिए। असली भारत के हैं और भारत के कल्चर के बन गये हैं क्योंकि भारत में यहाँ परमात्म कल्चर चल रहा है। इन्डियन कल्चर नहीं परमात्म कल्चर। लेकिन बहुत खुशी से सीखते भी हो और चलाते भी हो। परिवर्तन करने में अपने को अच्छा निमित्त बनाया है। तो इसकी मुबारक। हमारे थे हमारे बन गये। याद है ना! भान आता है ना! हम इन्डियन नहीं लेकिन परमात्म कल्चर के थे और अभी लास्ट में आके बने हैं। चार-पांच जन्म सेवा के लिए वहाँ लिये हैं। जो यहाँ आते हैं वह बाबा के थे बाबा के बन गये। यज्ञ के थे यज्ञ के बन गये। कोई-कोई पूछते हैं हम थे कि नहीं थे। बाप कहते हैं सभी थे। अच्छे-अच्छे सर्विसएबुल बच्चे निकले हैं। बापदादा को संगठन मधुबन में करना यह बहुत अच्छी रीति लगती है। परिवार तो देखो कितना है। बड़े परिवार सुखी परिवार। वैसे अगर परिवार बड़ा होता है तो दु:ख होता है लेकिन सुखी परिवार बड़ा परिवार अच्छा लगता है। अच्छा लगता है ना परिवार। परिवार देखके खुशी होती है? थे ही यहाँ के ना। अच्छा। आज स्वहेज भी तो मनायेंगे ना क्योंकि अवतरण का दिन है ना।

दादियों से:- (दादी जानकी 4 दिन के लिए गुजरात टुअर पर जा रही हैं) हिम्मत है ना। संकल्प किया हुआ पड़ा है। (बाबा अंगुली पर नचा रहा है) इसीलिए चल रही हो। अच्छा।

मोहिनी बहन से:- इसको तो चलना ही है। साथ निभाना ही है। बेफिकर। सोचो नहीं। अच्छा है अच्छा होना है। सब अच्छा हो जायेगा। बस।

ईशू दादी से:- यह भी साथी है। (बापदादा ने अंगुली से सबके मस्तक पर तिलक दिया) बधाई का तिलक सभी को मिला। (टी.वी. पर देख रहे हैं) वह भी खुश हो रहे हैं।

(अंकल आंटी ने बहुत-बहुत मुबारक दी है) आप बाप की तरफ से तिलक देना। बाप दे रहा है वह तिलक अनुभव करे।

(प्रीतम बहन के भोग निमित्त कुलदीप बहन और परिवार आया है) उसने भी अच्छा पार्ट बजाया और सबकी दिल से सेवा की। परिवार लक्की परिवार है। जो निमित्त बाप था वह बचपन से परिवार कर बहुत हितकारी था। एक साइकिल पर 4 जने बिठाके मुरली सुनने आते थे। इतना लौकिक परिवार को प्यार कोई नहीं करता बहुत अच्छा उसका वरदान भी परिवार को है।

कुंज दादी ने याद दी है अहमदाबाद हॉस्पिटल में हैं:- उसको फर्क नहीं पड़ता है बार-बार होता है तो उसका कारण क्या? बड़ी उम्र तो कईयों की है। उसका इलाज हो रहा है? क्योंकि सर्विस वाली है ना। बाकी थोड़ा पूछ करके इसको थोड़ा चुस्त कर दो अभी बहुत टाइम बेड पर रही है। अच्छा।

सभी बापदादा के सिकीलधे सर्विसएबुल विश्व में चमकते हुए सितारे आज आपको भी बर्थ डे की मुबारक दे रहे हैं। बाप के साथ हैं साथ रहेंगे साथ चलेंगे साथ राज्य करेंगे। ब्रह्मा बाप का बहुत प्यार है। अकेला नहीं करेगा। तो सभी को पर्सनल एक एक को मुबारक हो। अच्छा।

बापदादा ने अपने हस्तों से झण्डा फहराया और सबको शिव जयन्ती की मुबारक दी

आप सबके तो दिल में बापदादा समाया हुआ है। लेकिन औरों को पता देने के लिए आपका बाप आ गया जो वर्सा लेना हो मुक्ति का या जीवनमुक्ति का आके ले लो यह खबर देने के लिए यह झण्डा लहराया जाता है। यह झण्डा लहराना भी विश्व की सेवा है। आकर्षण तो हो सब गीत गावें। आप सिर्फ नहीं गाओ। सब यह गीत गायें हमारा बाबा आ गया। अभी सेवा जल्दी जल्दी करो। समय कम है सेवा अभी रही हुई है। आपके पड़ोसी को भी पता नहीं भाग्य नहीं बनाया तो अडोसी-पड़ोसी सबको यह सन्देश दे दो आपका बाप आ गया। अभी जहाँ रहते हो ना वहाँ देखना हमारे आस पास कितने हैं जिनको बाप का पता नहीं किसी भी तरीके से नहीं आते हाथ में पर्चा नहीं लेते तो पोस्ट बाक्स में डाल दो सन्देश दे दो उल्हना नहीं रहे हमको पता क्यों नहीं दिया। कैसे भी किसी द्वारा भी यह सन्देश जरूर पहुंचाओ। सेवा सभी की रही हुई है। आपके मोहल्ले में सबको सन्देश मिला। नहीं मिला है तो कर लो। अचानक सब हो जायेगा फिर याद आयेगा हमने नहीं किया हमने नहीं किया। कर लो। समझा। जरूर करना। अच्छा।



16-03-11   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘मन्सा द्वारा प्रकृति को सतोगुणी बनाने की सेवा करो शुभ भावना शुभकामना रख संस्कार मिलन की रास करो और अपने पुराने संस्कारों को जलाकर प्रभु के संग का रंग लगाते सच्ची होली मनाओ’’

आज होलीएस्ट बाप अपने बच्चों से होली मनाने आये हैं। आप सभी भी होली मनाने आये हैं। चारों ओर के दूर बैठे हुए बच्चे भी दूर बैठे भी होली मनाने बैठे हैं। आप सभी कौन से रंग की होली मनाने आये हैं! जानते हैं सबसे श्रेष्ठ रंग है परमात्म संग का रंग। यह रंग सदा श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनाने वाला है। जैसे बाप ऊंचे ते ऊंचा है ऐसे यह परमात्म संग ऊंचे ते ऊंचा बनाने वाला है। हर एक बच्चे के मस्तक में चमकता हुआ भाग्य का सितारा देख रहे हैं। यह भाग्य का सितारा सारे कल्प में आप भाग्यशाली बच्चों के सिवाए और कोई प्राप्त नहीं कर सकता। वह श्रेष्ठ भाग्य है कि आप बच्चे ही डबल पवित्र अर्थात् होली बनते हो। वैसे धर्मात्मायें भी हैं लेकिन वह शरीर से पवित्र नहीं बनते हैं। आप ब्राह्मण आत्माओं का भविष्य में आत्मा भी पवित्र बनती और शरीर भी पवित्र बनता है। इनकी निशानी डबल पवित्र तो डबल ताज प्राप्त होता है। सारे कल्प में डबल ताजधारी आप संगमयुग में बाप के संग के रंग से डबल पवित्र बनते हो। संगमयुग का परमात्म संग डबल पवित्र बना देता है। तो आपकी होली बाप के साथ रहने से बाप को कम्बाइन्ड बनाने से डबल पवित्र बन जाते हो। सदा दिल में बाप का संग रहता है। यह रंग कितना श्रेष्ठ है जो इतना श्रेष्ठ बना देता है। लोग तो स्थूल रंग से होली मनाते हैं लेकिन आप बाप के संग के रंग से होली बन जाते हो। वह भी डबल होली। तो आपकी होली दुनिया से न्यारी परमात्मा की प्यारी है। तो नशा रहता है ना कि हमारी होली प्रभु संग के रंग के कारण आधाकल्प ऐसा पवित्र बनाती है जो अब तक भी आपके चित्र कायदे प्रमाण पूजे जाते हैं और कोई के भी चित्र ऐसे प्रेम पूर्वक पूजे नहीं जाते हैं। आप स्वयं अपने चित्रों को देख रहे हो। और भी पूजे जाते हैं लेकिन इतना समय और ऐसे विधिपूर्वक पूजा नहीं होती। आप सदा उमंग और उत्साह में रहते हो। रहते हो ना! उमंग- उत्साह में रहते हो? हाथ उठाओ। रहते हो कभी कभी या सदा? जो कहते हैं हम सदा उमंग-उत्साह में रहते भी हैं और दूसरे को भी उमंग-उत्साह दिलाते हैं वह हाथ उठाओ। कभी कभी नहीं सदा। सदा शब्द को अण्डरलाइन करते हो ना! लेकिन आपका यादगार जो भी आपकी स्थिति रही है उसका यादगार आपके भक्त उत्सव के रूप में मनाते हैं। आपने प्रभू के संग का रंग लगाया तो वह भी रंग लगाते हैं लेकिन बॉडीकान्सेस हैं ना तो स्थूल रंग लगा देते हैं। जिस रंग में खर्चा भी बहुत और फिर रिजल्ट भी कुछ अच्छी कुछ नहीं अच्छी ऐसे मनाते हैं। लेकिन आपके उत्साह का यादगार उत्सव जरूर मनाया है। आप परमात्मा का बनने के लिए पहले अपने पुराने संस्कारों को जलाते हो और फिर प्रभु के संग का रंग लगने से सदा मनाते रहते हो। वह भी पहले जलाते हैं फिर मनाते हैं लेकिन आपका मनाना और उन्हों के मनाने में रात दिन का अन्तर है। वह बॉडीकान्सेस आप आत्म अभिमानी। वह देह भान में आप आत्मिक भान में।

आपको बापदादा का डायरेक्शन है होली अर्थात् बीती सो बीती। यह भी कहते हैं हो ली लेकिन अर्थ को प्रैक्टिकल में नहीं ला सकते। आप सब हो ली अर्थात् बीती सो बीती करते हो। करते हो ना! कि कभी कभी करते हो? क्योंकि बीती को याद करने से व्यर्थ संकल्प बहुत चलते हैं। समय भी व्यर्थ जाता है। जो बहुत समय के संस्कार हैं वह न चाहते भी जब चलते हैं तो इस संगमयुग का एक-एक मिनट जो एक जन्म में 21 जन्म की प्रालब्ध बनाता है वह एक-एक संकल्प एक-एक मिनट कितना वैल्युबुल है। एक सेकण्ड नहीं गया लेकिन अनेक जन्म की प्रालब्ध में फर्क पड़ जाता है। बापदादा ने पहले भी कहा है कि संगम समय का समय और संकल्प कभी भी व्यर्थ नहीं गंवाना है। अगर सदा प्रभु रंग में रंगे हुए हो अर्थात् बाप को सदा का साथी बनाके रहते हो तो संगमयुग के एक-एक संकल्प और समय माना एक-एक मिनट को सफल कर सकते हो। तो चेक करो अपने को कि एक- एक मिनट एक-एक संकल्प सफल होता है? या व्यर्थ भी जाता है? क्योंकि एक मिनट नहीं 21 जन्म का कनेक्शन हर मिनट और हर संकल्प का है। इतनी वैल्यु है। तो अपनी दिल में सोचो कि इतनी वैल्यु सदा रहती है! इस संगम के समय के लिए कहा हुआ है - ‘‘अब नहीं तो कब नहीं।’’ इतनी वैल्यु सदा स्मृति में रहे। तो आप सभी ने आज होली मनाई अर्थात् सदा बाप के संग का रंग लगाया। तो सारा दिन चेक किया कि बाप का रंग लगा हुआ रहा? परमात्म संग में रहे या और भी कहाँ समय वा संकल्प गया? चेक किया? कांध हिलाओ हाथ नहीं ऐसे करो।

बापदादा सदा ही इशारा देते हैं कि अपने मन के शुभ सतोगुणी संकल्प द्वारा प्रकृति को भी सतोगुणी बनाते रहो। तो वह मन्सा सेवा याद रहती है? क्योंकि अभी प्रकृति बड़े रूप में अपना कार्य करने वाली है। यह तो छोटी सी बात है लेकिन प्रकृति को मनुष्यात्मायें तंग करती हैं तो वह भी तंग करना शुरू करती है इसलिए बाप कहते हैं जैसे मायाजीत बनने का अटेन्शन रखते हो। रखते हो ना! माया से वायदा है आपका काम है आना और हमारा काम है विजय प्राप्त करना। किया है ना वायदा सभी ने? किया है? मायाजीत बनना है ना! ऐसे ही प्रकृति जीत भी बनना है क्योंकि आपको राज्य करना है ना। आपका राज्य आ रहा है ना! नशा है ना! लोग तो बिचारे सोचते हैं क्या होगा डरते हैं। लेकिन आप को पता है तो अभी संगमयुग अमृतवेला चल रहा है। तो अमृतवेले के बाद क्या आता है? सवेरा। उस सवेरे में ही हमारा राज्य आना है। है ना नशा! हमारा राज्य है कि केवल महारथियों के लिए राज्य है? आप सबका राज्य है। आपको ाचिंता नहीं क्या होगा? अच्छे ते अच्छा होगा। तो आपके राज्य में प्रकृति भी सतोप्रधान होनी है। तो प्रकृति को तमोगुणी से सतोगुणी कौन बनायेगा? कि प्रकृति जैसी भी हो चलेगी? आपके राज्य में चलेगा? चलेगा? हाँ करो या ना करो। नहीं चलेगी? तो प्रकृति को सतोगुणी कौन बनायेगा? आप ही बनायेंगे ना! इसलिए अभी अचानक का पहला दृश्य छोटा है यह शुरू हुआ है। अभी तो बड़े-बड़े आने हैं और अचानक ही आने हैं। जो सोच में नहीं होगा वही होना है।

बापदादा ने तो बहुत समय से अचानक का पाठ पढ़ाया है। लेकिन अभी प्रत्यक्ष रूप में देख करके अभी अपना काम शुरू करो। घबराओ नहीं। कहानी सुनाते हैं ना - चारों ओर आग लगी लेकिन परमात्मा के बच्चे सेफ रहे। तो अभी भी बच्चे तो सेफ हैं ना! पेपर तो आने ही हैं लेकिन आपका डबल काम है। एक तो निर्भय होके सामना करो दूसरा अपने भक्त और अपने दु:खी भाई-बहिनों की सेवा भी कौन करेगा? आप प्रभु के संग में रंग लगे हुए हो तो जो परमात्मा के संग के रंग में प्राप्त किया है वह अपने भाई बहिनों को भक्तों को खूब प्यार से दिल से बांटो। दु:ख के समय कौन याद आता है? फिर भी परमात्मा चाहे समझें चाहे नहीं समझें लेकिन मजबूरी से भी हे बाप हे परमात्मा कहेंगे जरूर। तो आप परमात्म बच्चों को अभी दु:खियों का सहारा बनना है। उन्हों को शुभ भावना शुभ कामना द्वारा बाप द्वारा प्राप्त हुई किरणों द्वारा सहारा बनो। फिर भी आपका परिवार है ना! तो परिवार में एक दो को सहयोग देते हैं ना! तो नाम ही है सह योग श्रेष्ठ योग। वही साधन है सहारा देने का। सन्देश भी भेजा था कि समय फिक्स करो। ऐसे नहीं हो जायेगा जैसे ट्राफिक कन्ट्रोल अमृतवेला निश्चित है तो करते हो ना। ऐसे अपने कार्य प्रमाण यह मन्सा सेवा भी अभी के समय प्रमाण अति आवश्यक है। तो समय निकाला े रहमदिल बनो। कल्याणकारी बनो। आपका स्वमान क्या है? विश्व कल्याणकारी। तो रहम आता है? कि हो जायेगा? इसमें अलबेले नहीं बनना क्योंकि जिन्हों को आप सकाश देंगे वही आपके भक्त बनेंगे इसलिए क्या करना है? है अटेन्शन है? जो समझते हैं हमारा अटेन्शन है और बढ़ेगा वह हाथ उठाओ। नीचे-ऊपर कर रहे हैं। यहाँ देखने आ रहे हैं। (टी.वी. में) अगर इतने सभी ने अपने स्वमान को प्रैक्टिकल में लाया तो आत्मायें अभी भी संगम पर आपके दिल से गीत गायेंगे वाह परमात्म बच्चे वाह! हमें सहारा दिया। आपके लिए अभी का सहारा आधाकल्प आपके गीत गाते रहेंगे। आप उसके पूर्वज हो जायेंगे। पूर्वज हो। झाड़ में कहाँ बैठे हैं ब्राह्मण। नीचे बैठे हैं ना! तो पूर्वज हो ना! आवाज सुनने आता है भक्तों का? थोड़ा अपने को सावधान करो दु:खियों का सहारा बनना ही है तो आवाज सुनने आयेगी।

तो सभी ने होली तो मनाई आपकी तो सारा संगम ही होली है। परमात्मा के संग के रंग में ही रहते हो। यादगार मनाते हैं एक दो दिन लेकिन आप तो पूरा संगम प्रभु के संग में रहने वाले हो। नशा है ना! लोग बिचारे मांगते रहते हैं हे प्रभु यह कर दो वह कर दो लेकिन आपको 21 जन्म की गैरन्टी मिली है कभी दु:ख का स्वप्न में भी कोई दृश्य नहीं आयेगा। संकल्प में भी दु:ख की लहर नहीं आयेगी। तो सदा हर एक को अगर राज्य लेना है तो अभी अपने परिवार सतयुग का साथी और रॉयल प्रजा साधारण प्रजा सब अभी बना सकते हो। 21 जन्म की गैरन्टी है। थोड़ी सी सेवा करो समय निकालो क्योंकि आपके पास संकल्प शक्ति तो है ही। सिर्फ जो बाप से मिला है वह अपने भाई-बहिनों को भी दो।

बापदादा ने पहले भी कहा था तो अपना सदा यह चेक करो कि मुझे ब्राह्मण परिवार के बीच संस्कार मिलन की रास करनी है। बापदादा ने कहा था वह रास कब करेंगे उसकी डेट भी फिक्स करो। फिक्स हो सकती है? हो सकती है? पहली लाइन बताओ। हाथ उठाओ। हो सकती है? पाण्डव भी उठाओ। पाण्डवों के बिना गति नहीं है। अच्छा। तो अभी लास्ट टर्न है एक टर्न रहा हुआ है। उसमें हर एक अपने लिए क्या दृढ़ संकल्प है वह फिक्स करके लिखना। कितना समय लगेगा जो ब्राह्मण परिवार में कहाँ भी कभी भी संस्कार अपना कार्य नहीं करे। चाहे मेरा संस्कार चाहे दूसरे का संस्कार भी मेरे को प्रभाव नहीं डाले। यह डेट फिक्स हो सकती है? हो सकती है? हाथ उठाओ। अच्छा सभी का फोटो निकाला! क्योंकि जैसे यह अचानक सीन देखी ना। ऐसे सब अचानक ही होना है इसलिए बापदादा तैयारी तो देखेंगे ना! जब दूसरों को शुभ भावना शुभ कामना देते हो बापदादा ने देखा यह दूसरों की सेवा का प्रोग्राम भी बनाया था तो अगर हर आत्मा के प्रति स्ादा शुभ भावना और शुभ कामना रखो नम्बरवार तो होना ही है। आपकी माला यादगार एक नम्बर सब हैं क्या? नम्बरवार हैं लेकिन माला में तो पिरोये हैं ना! नम्बर क्यों मिला? भिन्न-भिन्न संस्कार हैं लेकिन हमको संस्कार देखने के बजाए शुभ भावना शुभ कामना रखनी है। आखिर भी ब्राह्मण परिवार है ना। कैसा भी है परिवार तो मेरा है ना! जैसे मेरा बाबा कहते हो वैसे मेरा परिवार भी है। तो अच्छा है मैजारिटी ने हाथ उठाया है। तो सभी का उमंग-उत्साह है तब तो हाथ उठाया है ना! तो एक दो को सहयोगी बन शुभ भावना शुभ कामना की दृष्टि वृत्ति स्मृति रखने से यह रास होना कोई बड़ी बात नहीं। इस पर जो बहुत अच्छा नम्बर लेगा डेट पर प्रैक्टिकल करके दिखायेगा उनको न्यारा और प्यारा इनाम मिलेगा। इनाम अभी नहीं बतायेंगे। लेकिन बापदादा इनाम देंगे। क्यों? सेवा करने का टाइम निकालना है ना। तो यह संस्कार की खिटखिट समय अपने तरफ खींच लेती है इसलिए समय की अभी आवश्यकता है। ठीक है ना! यह सभी मधुबन वाले हैं ना! पसन्द है ना! क्योंकि मधुबन वासी विशेष हैं। बापदादा का भी मधुबन निवासियों प्रति दिल का प्यार है। और मधुबन वालों का भी है। यह भी बाबा कहते बाप से प्यार है और रहेगा। मिट नहीं सकता है। अमर है इसमें। तब तो मधुबन वासी बने हैं ना! कहाँ &