17-02-11 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘मन्सा सेवा द्वारा आत्माओं को अंचली देने की सेवा करते बहुतकाल से तीव्र पुरूषार्थ कर एवररेडी रहो तो माला का मणका बन जायेंगे’’
आज स्नेह के सागर अपने स्नेही बच्चों से मिलने आये हैं। बच्चों ने याद किया मेरे बाबा आ जाओ तो बाप कहते हैं मेरे स्नेही बच्चे स्नेह में ऐसा आकर्षण है जो हर बच्चे ने बाप को अपना बनाया और बाप ने हर बच्चे को मेरे बच्चे कहते अपने में समाया। कमाल है बच्चों ने कहा मेरे बाबा तो मेरे शब्द में इतना स्नेह भरा हुआ है जो बाप ने भी कहा मेरे बच्चे स्नेह क्या से क्या बना देता है। हर बच्चे के मस्तक में आज स्नेह की लहरें लहरा रही हैं यह देख बापदादा हर्षित हो रहे हैं। स्नेह ही दिल को अपना बनाने वाला साधन है। तो हर एक बच्चे के अन्दर आज स्नेह की लहरें लहराती हुई देख-देख बापदादा भी खुश हो रहे हैं।
अभी-अभी 5 मिनट के लिए एक ड्रिल बापदादा सबको करा रहे हैं। अपने मन्सा शक्ति से सृष्टि में जो भी आपके भक्त वा अनेक दु:खी अशान्त आत्मायें आपको याद कर रही हैं हे हमारे पूर्वज हमें थोड़े समय के लिए भी शान्ति दे दो जरा सा सुख की अंचली दे दो बचाओ ऐसी आत्माओं को यहाँ बैठे हुए इमर्ज करो आवाज सुनने आ रहा है! बचाओ बचाओ तो ऐसी आत्माओं को अपने मन्सा शक्ति द्वारा सुख शान्ति की किरणें पहुंचाओ। यह मन्सा सेवा सारे दिन में बार-बार करते रहो क्योंकि बाप के साथ आप बच्चे भी विश्व सेवक हो। सारा दिन वाणी द्वारा जैसे सेवा के निमित्त बनते हो ऐसे ही बीच-बीच में मन्सा सेवा का भी अभ्यास करते चलो। इसमें आपका अपना भी फायदा है क्योंकि अगर आपका मन सदा सेवा में बिजी रहेगा तो आपके पास जो बीच-बीच में माया फालतू संकल्प वा व्यर्थ संकल्प करती है उससे बच जायेंगे। मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। अभी बापदादा पूछते हैं कैसे हो? तो क्या जवाब देते हो? पुरूषार्थ है लेकिन कभी कभी...! सदा का पुरूषार्थ नहीं चल रहा है। तो बापदादा अभी सभी बच्चों का यह रिकार्ड देखने चाहते हैं यह कभी-कभी का शब्द समाप्त हो जाए। क्या यह हो सकता है कभी-कभी समाप्त हो जाये? समय पर तैयार हो जायेंगे? हो रहे हैं होना ही है.. इसके बजाए अभी एवररेडी बन सकते हैं? क्यों? एवररेडी रहने का अभ्यास मायाजीत मनजीत जगतजीत यह संस्कार भी बहुत समय से बनायेंगे तब अन्त समय भी यह बहुतकाल का अभ्यास विजयी बनाकर आपको विशेष माला का मणका बनायेगी। पास विद ऑनर बनेंगे। पास नहीं पास विद ऑनर। तो बोलो यह हिम्मत है ना! पास विद ऑनर तो होना है ना? जो द्वापर से लेके अब तक पूज्य बनते हैं अर्थात् माला के मणके बनते हैं तो अपने को माला के मणके बनाने का शुद्ध संकल्प है ना!
बापदादा भी रोज अमृतवेले अपने माला के मणकों को देखते और विशेष मिलन मनाते हैं। तो आप सभी अपने को माला के मणकों में समझते हो। है तो दूसरी माला भी 16 हजार की लेकिन फिर भी सेकण्ड माला हो गई। विशेष माला जो गायन और पूज्यनीय योग्य बनती है वह पहली माला है। तो आज बापदादा उन मणकों को देख रहे थे क्योंकि ब्रह्मा बाप के साथ विशेष राज्य अधिकारी साथी वही बनते हैं। तो आज ब्रह्मा बाप अपने अब के तीव्र पुरूषार्थी और भविष्य के राज्य अधिकारी तख्त पर तो दो ही बैठते हैं लेकिन राज्य के साथी उन्हों की पहली माला है। तो अपने को चेक किया है। बापदादा के साथ तो चलेंगे क्योंकि अभी आप सबकी रिटर्न जरनी है। जब जाना ही है बाप के साथ जाना है अकेला नहीं जाना है। तो साथ जाने वाले नजदीक के मणके कौन होंगे? जो बहुतकाल के तीव्र पुरूषार्थी होंगे। पुरूषार्थी नहीं कब-कब वाले नहीं। बहुतकाल के बाप समान ही राज्य अधिकारी बनेंगे। तो क्या समझते हो? तीव्र पुरूषार्थ है? जो समझते हैं मैं पुरूषार्थी की लाइन में हूँ वह हाथ उठायेंगे। तीव्र पुरूषार्थी बड़ा हाथ उठाओ छोटा हाथ उठाते हैं। अच्छा बहुत उठा रहे हैं। फिर लम्बा हाथ उठाओ ऐसे नहीं। अच्छा।
बापदादा तो रोज बच्चों का चार्ट देखते हैं। मैजारिटी तीव्र पुरूषार्थी भी हैं लेकिन कभी-कभी का शब्द भी साथ में लगा देते हैं। लेकिन बाप क्यों कह रहे हैं? अटेन्शन प्लीज सूक्ष्म संकल्प में भी हलचल नहीं हो। अचल अडोल शुद्ध संकल्पधारी बहुत समय से बनना ही है। कई बच्चे बहुत मीठी-मीठी रूहरिहान करते हैं कहते हैं बाबा हम तैयार हो ही जायेंगे। क्योंकि समय जितना नजदीक आयेगा हालतें हलचल में आयेंगी तो वैराग्य तो आटोमेटिकली आ जायेगा। लेकिन आपका टीचर कौन हुआ? समय या बाप? समय तो आपकी रचना है। तो बाप अभी इशारा दे रहा है कि बहुत समय का तीव्र पुरूषार्थ अन्त में पास विद ऑनर बनायेगा। पास तो सभी होंगे लेकिन पास विद ऑनर बनने वाला बहुत समय का लगातार तीव्र पुरूषार्थ करने वाला आवश्यक है। इसलिए आज की तारीख नोट कर दो अगर अब भी कभी-कभी समाथिंग हो जायेंगे कर ही लेंगे यह शब्द आगे भी चलते रहे... बाप का प्यार तो सदा ही है। लास्ट दाने पर भी बाप का प्यार है। क्यों? दिल से मेरा बाबा तो कहा आज की बड़ीब ड़ी आत्मायें मेरा बाबा नहीं कहती लेकिन वह मेरा बाबा तो मानता है इसलिए बाप का प्यार तो उससे भी है। बच्चों से प्यार तो बाप का सदा ही है लास्ट तक भी है लास्ट वाले तक भी है। स्नेह ने ही आपको बाप का बनाया है। बापदादा ने यह भी कहा है कि स्नेह मैजारिटी बच्चों का है और रहेगा लेकिन सिर्फ स्नेह नहीं शक्ति भी चाहिए। तीव्र पुरूषार्थ भी चाहिए। इसलिए अब तो शिवरात्रि भी आई कि आई बाप के अवतरण के साथ बच्चों का भी अवतरण है ही। तो बापदादा चाहते हैं कि इस शिवरात्रि पर हर बच्चा अपने को साधारण पुरूषार्थ के बजाए तीव्र पुरूषार्थी बनाने का बनने का संकल्प करे। हो सकता है? शिवरात्रि पर दृढ़ संकल्प अपने आपसे करे। लिखे नहीं क्लास में बताने की भी जरूरत नहीं लेकिन बाप से दिल में संकल्प करे कि शिवरात्रि पर हम कभी-कभी शब्द अपने पुरूषार्थ के डिकस्नरी से निकाल देंगे। हो सकता है? जो समझते हैं क्या बड़ी बात है। सोचा और हुआ हिम्मत रखते हैं वह हाथ उठाओ। अच्छा। खुश कर दिया।
बापदादा का तो बच्चों में फेथ है ना। तो अभी से ही पदम पदमगुणा ऐसे बच्चों को मुबारक दे रहे हैं। वाह बच्चे वाह! हिम्मत वाले हैं। आपकी हिम्मत और बाप की मदद तो होगी ही। अभी एक बात करना। जो अपने मन को बिजी रखने के लिए जैसे पहले बाप ने कहा सेकण्ड में स्टाप बिन्दू हूँ बिन्दू लगाना है और सबको बिन्दू रूप में देखना है। जब देखेंगे ही बिन्दू तो और कोई भी संकल्प नहीं चलेगा। मन्सा सेवा का अटेन्शन रखना इतनी दु:खी आत्माओं को चिल्ला रही हैं उन्हों को किरणें देने की सेवा में भी एकस्ट्रा मन को लगाना। मन्सा सेवा बहुत श्रेष्ठ सेवा है। दु:खियों का भी फायदा और आपका अपना भी फायदा। डबल फायदा है। जैसे वाचा से सेवा करते हो और सेवा बढ़ती भी जाती है दिल से करते हो संख्या भी बढ़ती जाती है सेन्टर भी बढ़ते जाते हैं वाचा की सेवा मैजारिटी की ठीक है। सभी की नहीं मैजारिटी की। ऐसे अभी मन से विशेष आत्माओं को अंचली देने की सेवा भी करते रहो। मन को फ्री नहीं छोड़ो। कोई न कोई सेवा में मन से शक्तियां देने की मुख से वाणी की सेवा कर्म में गुणों से सेवा सम्बन्ध सम्पर्क में खुशी देने की सेवा इस भिन्न-भिन्न सेवाओं में मन को बिजी रखो क्योंकि सारे विश्व में रिचेस्ट आत्मायें कौन सी हैं? आप ही हो ना! कितने खज़ाने मिले हैं? तो हर खज़ाने से सेवा करो। खज़ाने को जितना सेवा में लगायेंगे उतने खज़ाने बढ़ते जायेंगे इसलिए अभी जैसे स्व की सेवा का अटेन्शन देते हो ऐसे अपने दु:खी आत्मायें अपने भक्तों की मन्सा द्वारा किरणें देने की सेवा भी अटेन्शन देके सारे दिन में करो बहुत चिल्लाते हैं आपको सुनने नहीं आता। मैजारिटी हर घर में कोई न कोई दु:ख का कारण है। ऐसे दु:खियों को सुख देने वाला कौन? बोलो कौन है? आप ही तो हो। तो इस मन्सा सेवा को सारे दिन में चेक करो कितना समय जैसे स्व के प्रति देते हो वैसे मन्सा सेवा के प्रति कितना समय दिया? रहमदिल हो ना। तो दु:खियों पर रहम करो। आपका गीत भी है ना ओ माँ बाप दु:खियों पर रहम करो। बापदादा को बहुत आवाज सुनने पड़ते हैं। आप लोगों को कम सुनाई देते हैं लेकिन अभी सुनो। कहाँ जायेंगे वह। आपके ही तो भाई बहिन हैं। तो अपना भी फायदा करो मन को बिजी रखो और दु:खियों का दु:ख हरण करो। चिल्लाते हैं दिल चिल्लाती है। बापदादा तो सुनते हैं तो बच्चों को याद करते हैं ओ मेरे लाडले बच्चे सिकीलधे बच्चे अब रहमदिल धारण करो। अपने ब्राह्मणों में भी एक दो के सहयोगी बनो। चाहे कैसा भी संस्कार है लेकिन आपका काम क्या है? संस्कार से टक्कर खाना या उनको भी संस्कार के टक्कर से छुड़ाना। आपका भी टाइटल है ना दु:ख हर्ता सुख कर्ता। बाप के साथी हो ना। बाप के साथी क्या संकल्प किया है? इस विश्व को दु:ख अशान्ति से बदल सुख शान्ति स्थापन करनी ही है। करनी है ना! हाथ उठाओ। करनी है? कि सिर्फ देखना है हो रहा है लेकिन अभी बदलना है। चाहे ब्राह्मण आत्मा हो देखते नहीं रहो यह कर रहे हैं लेकिन उन्हों को भी वाणी और मन्सा संकल्प द्वारा परिवर्तन करो करना नहीं चाहिए! बापदादा सुनता रहता है बापदादा तक बात दे दी जब बात दे दी तो खुद बाप के डायरेक्शन पर चलो जिम्मेवार बापदादा है उनके साथी मुरब्बी बच्चे निमित्त बने हुए बच्चे। तो सदा अपने मन को व्यर्थ संकल्पों के बजाए अब दु:खी आत्माओं को चाहे ब्राह्मण हैं या कोई भी हैं ड्रिस्टर्ब आत्मा को सहयोग दो। सहयोगी बनो। अच्छा।
अभी आज जो पहले बारी आये हैं वह उठो। सभी ने देखा। बापदादा पहले बारी आने वालों का सभा के बीच बर्थ डे मना रहे हैं। फिर भी चाहे कनेक्शन में भी हो लेकिन बाप से मिलन मनाने आये हैं तो यहाँ ब्राह्मण परिवार में बर्थ डे मना रहे हैं। बापदादा को खुशी है जो पहले से कनेक्शन में हैं उनके लिए नहीं कहते लेकिन मधुबन में पहले बारी आये हैं इसके लिए ब्राह्मणों के बीच उन्हों की सेरीमनी कर रहे हैं। इतने सभी ब्राह्मणों की मुबारक मिल रही है। लेकिन आगे के लिए यह सोचना कि स्थापना के समय के बाद तो देरी से यहाँ पहुंचे हैं ना इसलिए बाकी जो समय बचा हुआ है उसमें तीव्र पुरूषार्थ कर समय को व्यर्थ नहीं करना लेकिन एक सेकण्ड में 10 मिनट का काम करना। अटेन्शन देना। अपना पुरूषार्थ तीव्र कर जितना आगे बढ़ने चाहो उतना बढ़ सकते हो। यह आप सभी को सभी ब्राह्मणों की तरफ से बाप की तरफ शुभ भावना शुभ कामना है। अच्छा।
सेवा का टर्न यू.पी. बनारस पश्चिम नेपाल का है:- अच्छा जो पहले बारी आये हैं वह बैठ जाओ। अच्छा। यू.पी. की टीचर्स आगे-आगे खड़ी हैं। अच्छा है। यू.पी. में चारों ओर के भगत बहुत आते हैं। तो यू.पी. वालों को जो भी हो सके भक्तों को सन्देश जरूर दो। सन्देश देना आपका काम है बाकी भाग्य बनाना कितना भाग्य बनाते हैं वह उनके हाथ में है लेकिन आपको उल्हना नहीं दें कि हमको आपने हमारा बाप आया और हमारा बाप वर्सा देने आये हैं यह सन्देश नहीं दिया। हमको कुछ तो वर्सा ले लेते। इसीलिए यू.पी. वालों को जब भी ऐसे करते भी हो बाप के पास समाचार आते हैं लेकिन फिर भी जहाँ तक हो सकता है वहाँ तक सन्देश देने का पाठ आप लोगों के लिए सहज है। और यू.पी. से ब्रह्मा बाप का जगत अम्बा का बहुत प्यार रहा है। जितना ब्रह्मा बाबा यू.पी. में आये हैं इतना बाम्बे में भी आये हैं लेकिन यू.पी. में भी आये हैं। तो जिस जगह ब्रह्मा बाप के पांव पड़े वह स्थान कितना भाग्यवान है। लखनऊ और कानपुर दोनों ही इस भाग्य के अधिकारी बने हैं। बाम्बे भी बना है लेकिन अभी यू.पी. का टर्न है। डायरेक्ट माँ और बाप के शिक्षा की बूंदे यू.पी. में पड़ी हैं। अभी यू.पी. को आगे क्या करना है? वाणी द्वारा मेलों में सेवा तो करते हो लेकिन अभी के समय अनुसार जो बापदादा कहता आया है पहले भी कि वारिस और नामीग्रामी माइक नामीग्रामी का अर्थ यह है कि उनके कहने का प्रभाव सुनने वालों का पड़ने वाला हो ऐसे माइक तैयार करो। ऐसे वारिसों का ग्रुप हर सेन्टर कितने सेन्टर हैं यू.पी. में बहुत हैं ना। तो इतने वारिस निकालने चाहिए। हिसाब करना कितने सेन्टर हैं और कितने वारिस बने हैं। और जितने बनने चाहिए उतने बने हैं या बनाने हैं। अगर बनाने हैं तो समय पर कोई भरोसा नहीं है जल्दी से जल्दी वारिस और माइक जिनकी आवाज से अनेक आत्माओं के भाग्य की रेखा खुल जाए क्योंकि आपने तो बहुत सेवा की जो पुराने हैं उन्होंने तो बहुत सेवा की। अभी सेवा कराओ। करने वाले तैयार करो। कर सकते हैं ना! हाथ उठाओ टीचर्स। अच्छा। टीचर्स भी बहुत हैं। तो इतने ही तैयार करो। हर एक सेन्टर चाहे छोटा चाहे बड़ा सेन्टर की लिस्ट में है उनको जरूर अपना सबूत देना है क्योंकि समय पर कोई भरोसा नहीं है। कब भी क्या भी हो सकता है। इसलिए बापदादा सभी जो भी जोन आते हैं नहीं भी आये हैं सभी जोन को यही कहते हैं कि अभी आगे बढ़ो। क्लासेज तो चलते रहते हैं संख्या भी बढ़ती रहती है लेकिन अभी निमित्त बनने वाले बनाओ और बनाने के लिए बापदादा ने देखा है हर जोन में ऐसी आत्मायें हैं जो निमित्त बन सकती हैं। तो यू.पी. एक तो भक्तों का कल्याण करो भक्त भक्त कहलाने वाले भले थोड़े हैं लेकिन भक्त भी हैं। उन्हों को भक्ति का फल दिलाओ। बहुत मेहनत करते हैं। बाकी अच्छा है। हर एक जोन बापदादा ने देखा कि अपने पुरूषार्थ में बढ़ भी रहे हैं लेकिन अभी भी बढ़ने की मार्जिन हैं। अच्छी- अच्छी बाप की लाडली बच्चियां हैं डायरेक्ट ब्रह्मा बाप की पालना लेने वाली हैं। कर रहे हो ऐसे नहीं नहीं कर रहे हो। कर भी रहे हो लेकिन थोड़ी और स्पीड बढ़ाओ। अच्छा सेवा का टर्न है यज्ञ सेवा अर्थात् अपने भाग्य बनाने की सेवा। क्योंकि आपके पास कितने भी स्टूडेन्ट आवें लेकिन यज्ञ में कितने इकठ्ठे होते हैं। इतने ब्राह्मणों की यज्ञ सेवा करना पुण्य कितना है। तो सेवा करने आते हो लेकिन वास्तव में कहें पुण्य जमा करने आते हो। बापदादा को खुशी होती है कि यह भी चांस पुण्य बनाने का साधन है। तो सेवा अच्छी कर रहे हो ना। वैसे सभी जोन अच्छी करते हैं बापदादा के पास कोई रिपोर्ट नहीं आती है। अच्छे हो और अच्छी सेवा करते हो। सहज हो जाता है। ठीक करते हैं ना सेवा। सभी दादियां भी आप लोगों को मुबारक देती हैं।
पाण्डव भी कितने आते हैं। पाण्डव भी कम नहीं हैं। कई ऐसी सेवायें हैं जो पाण्डव ही कर सकते हैं। इसलिए पाण्डवों को भी बापदादा और सर्व मधुबन निवासी मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।
10 विंग्स आई हैं:- अच्छा खड़े रहो। आपके झण्डे और बोर्ड बापदादा ने देखा इसलिए नीचे कर लो। बापदादा ने देखा है कि जो भी वर्ग आये हैं। जब से वर्ग बने हैं तब से सेवा का उमंग हर एक वर्ग में अच्छा है। हर एक ने अपनी जिम्मेवारी समझी है कि हमको करना ही है। इसलिए हर एक वर्ग सेवा करके अपनी संख्या सेन्टरों पर बढ़ा रहे हैं। रिपोर्ट तो बाप के पास आती ही हैं। अभी एक बात कि जो भी वर्ग हैं वह विशेष आत्मायें जो निमित्त बनी हैं जिसको विशेष निमित्त आत्मायें कहते हैं उसकी सेवा करके हर जोन में एक दिन स्थान फिक्स करके सब तरफ के जो निमित्त आत्मायें निकली हैं उनका संगठन करो। पहला जोन में संगठन करो फिर मधुबन में देखेंगे। लेकिन पहले जिस जोन के ज्यादा सेवाधारी करने वाले हैं उस जोन में सब जोन के दिन मुकरर करके विशेष आत्माओं का मिलन करो। एक दो को देख करके भी उत्साह आता है यह भी करते हैं हम भी करते हैं और सेवा को बढ़ायें। तो उमंग उत्साह दिलाने के लिए पहले जिस जोन में विशेष वर्ग की सेवा हो वहाँ हर कोई जहाँ भी राय करके फिक्स करो वहाँ पहले इकठ्ठे करो फिर मधुबन में बुलायेंगे। यह नहीं किया है। तो पता पड़े कितने माइक तैयार हुए हैं। कितने सहयोगी तैयार हुए हैं। और कितने आपस में एक दो को मदद कर सकते हैं। एक जोन वर्ग दूसरे वर्ग में भी सहयोगी बन सकता है। तो उमंग आयेगा एक दो को देख करके समाचार सुनते उमंग आयेगा। मधुबन के पहले वहाँ ही इकठ्ठे करो फिर देखेंगे। ठीक है। यह ठीक लगता है हाथ उठाओ। आप सभी को इकठ्ठा उठाया है बापदादा हर वर्ग को अलग-अलग मुबारक दे रहे हैं। बापदादा खुश है आपके उमंग उत्साह को देख बापदादा खुश है। ठीक है। अच्छा।
(हर वर्ग वालों से बापदादा ने हाथ उठवाये)
बिजनेस विंग:- बापदादा ने आपको देखा भी आपको और मुबारक भी दी और सर्विस का प्लैन भी दिया तो आप सबको स्पेशल मुबारक हो।
एज्युकेशन विंग:- तो खास आप लोगों को भी बापदादा उमंग उत्साह की मिठाई खिला रहा है।
यूथ विंग:- यूथ ऐसा ग्रुप तैयार करो यह बहिनें भी हैं ना। ऐसा ग्रुप तैयार करो जो कुछ समय से या जब से आये हैं तब से जो मर्यादायें हैं उसमें कायदे प्रमाण चले हैं कितने मर्यादाओं पर चले हैं वह एक-एक का रिकार्ड हो। ऐसा छोटा ग्रुप बनाओ जो सरकार के सामने उन्हों को हाजिर करें कि यह यूथ मर्यादा पूर्वक हैं। तो सेवा हो जाए।
धार्मिक विंग पोलिटीशियन विंग:- अच्छा यह भी आये हैं।
स्पोर्टस विंग:- आपने सुना अभी क्या करना है? तो वह करना। फिर बापदादा इसकी रिजल्ट देख फिर मधुबन में बुलायेंगे। बाकी सभी वर्ग बापदादा ने सुनाया कि अच्छी सेवा में आगे बढ़ रहा है और प्लैन अच्छे-अच्छे बना रहे हैं उसकी मुबारक हो।
महिला वर्ग:- महिला वर्ग में कितने कमल पुष्प घर गृहस्थ में रहते कमल पुष्प समान रहने वाले हैं वह कितने निकाले हैं शुरू से लेके। सेन्टर पर कितनी महिलायें सेवा से निकली हैं वह लिस्ट निकाली है? इसकी हेड कौन है? (चक्रधारी बहन) अच्छा। कितने परिवार निकले वह हर जोन से लिस्ट लेकर फिर बताना जरूर क्योंकि लोगों में तो अभी तक यही है कि पता नहीं घर छोड़ना पड़ेगा। अभी पहले से कम है लेकिन कहाँ-कहाँ अभी भी है। तो कितने सेवा से बने हैं उसकी रिजल्ट निकालना क्योंकि गवर्मेन्ट में हर एक वर्ग की अलग-अलग डिपार्टमेन्ट होती है तो वह पूछते भी हैं कि आपके वर्ग ने क्या रिजल्ट निकाली। इसलिए यह रिजल्ट होनी चाहिए निकालनी चाहिए। हर एक जोन अपने-अपने सेन्टर्स में जो भी निकले हैं वह इन्हों को इकठ्ठा करके दे तो इन्हों को मदद मिल जाए। ठीक है।
ग्राम विकास विंग:- ग्राम विकास सबसे अच्छी सेवा है क्योंकि ग्राम वाले इतना ऐश आराम में नहीं होते। अपने काम में ज्यादा बिजी रहते हैं तो आप लोग उन्हों को विशेष खुशी का अनुभव कराओ। भाषण तो करते ही हैं लेकिन ग्राम वाले अनुभव करें तो हमें जो भी ग्राम सेवा में हैं उन्होंने खुशी बहुत दी है। हम सुखी भी रहते और खुश भी रहते ऐसा रिकार्ड निकाले कितने गांव में सर्विस की उसमें कितनों ने अनुभव किया। क्योंकि अनुभव जो करते हैं वह भूलते नहीं हैं। अनुभव करो और कराओ तो यह रिजल्ट निकालना कितने गांव में कितनी आत्मायें खुश हुई और कनेक्शन में रहती हैं। अच्छा है।
कल्चरल विंग:- कल्चरल वाले अपने कल्चरल वालों की सेवा तो अच्छी कर रहे हैं। बापदादा ने देखा कि कई कल्चरल वाली आत्मायें यज्ञ के सहयोग में आई हैं और अपना सेवा का पार्ट भी बजा रही हैं। दूसरे लोगों को भी अपने अनुभवों से लाते रहते हैं। सेवा में आगे बढ़ रहे हैं। तो बहुत अच्छा है। जो बाप ने कहा था स्थापना के समय तो आपके पास कल्चरल वाले भी अनुभवी बन औरों को अनुभव सुनायेंगे। तो वह कर भी रहे हो और आगे भी करते रहना। जो आवाज फैल जाए तो ब्रह्माकुमार-कुमारियां सेवा कर कल्चरल वालों को कैरेक्टर बिल्डिंग बनाने का भी अनुभवी बनाते हैं। अच्छे-अच्छे आ रहे हैं जो आगे बढ़ रहे हैं और दूसरों को भी अनुभव सुनाके आगे बढ़ा रहे हैं इसलिए बढ़ते रहो बढ़ाते रहो।
स्पार्क:- स्पार्क विंग भी अपना-अपना कार्य कर रही है। बापदादा ने देखा कि हर एक अपने वर्ग की सेवा में आत्माओं को अनुभवी बना रहे हैं उनको अच्छे-अच्छे विचारों से उनकी बुद्धि बहुत अच्छी बना रहे हैं और धारणा भी लोगों को कराते हैं इसलिए हर एक विंग के लिए बाबा ने कहा तो सेवा कर रहे हो साथी बना रहे हो और और अधिक साथी बनाके ऐसा ग्रुप तैयार करो संगठन तैयार करो जो संगठन गवर्मेन्ट के सामने जाए और उनको अपना कार्य और रिजल्ट सुनाये। हर एक वर्ग की अपने-अपने गवर्मेन्ट की शाखा है तो उन्हों की भी सेवा हो और लोगों की भी सेवा हो।
अच्छा –
डबल विदेशी भाई बहिनें - 80 देशों के 750 भाई बहिनें हैं:- विदेशियों का बापदादा ने इस समय के प्रोग्रामस देखे तो बहुत एक एक ग्रुप से प्यार से मेहनत बहुत अच्छी की। और मधुबन के वायुमण्डल में कईयों के अनुभव भी अच्छे अपने तीव्र पुरूषार्थ की उमंग-उत्साह वाले थे इसलिए बापदादा ने इस समय का ग्रुप का जो ट्रेनिंग देने वाले और ट्रेनिंग लेने वाले दोनों में उमंग-उत्साह देखा और एक समय में कितने लाभ लिये। एक परिवार का मिलना और कहाँ भी इतने ग्रुप मिले कोई स्थान नहीं मधुबन के सिवाए। तो इन्होंने अच्छी चतुराई की मधुबन में ही प्रोग्राम बना दिया। तो बापदादा खुश है कईयों के परिवर्तन के अनुभव भी बापदादा ने सुनें। यहाँ की धरनी में जो भी कुछ शिक्षा मिलती है उनकी महसूसता जल्दी हो जाती है। वायुमण्डल है ना। तो वायुमण्डल भी मिला संगठन भी मिला कितने समय के बाद एक-एक ग्रुप मिलते हैं सारे। रहना संग बापदादा और अपनी रिफ्रेशमेंट तो यह बापदादा को बहुत अच्छा लगा। लेकिन जितने यहाँ फायदे मिले हैं लाभ मिले हैं उतना ही प्रैक्टिकल में करके आप निमित्त बनो औरों को भी उमंग-उत्साह बढ़ाने के लिए। बन सकते हो क्योंकि प्लैन जो बनाये हैं बापदादा ने थोड़े में सुने हैं अच्छे लगे हैं। करने का तरीक भी अच्छा है। तो बाप को खुशी है कि डबल फारेनर्स अच्छी अपने ऊपर भी अटेन्शन दे रहे हैं और अब तो एक चन्दन का वृक्ष हो गया है। भिन्न-भिन्न देश की टालियां मधुबन में आई लेकिन यहाँ आने से एक चन्दन का वृक्ष बन गये। तो बाप ने देखा जो भी आये हैं उनका ब्राह्मण कलचर बहुत अच्छा बना है चल रहा है और बनता रहेगा यह भी निश्चय है और निश्चित है। ड्रामा में भी निश्चित है ओम् शान्ति। जो मुख्य टीचर्स हैं उन्हों को बापदादा स्पेशल मुबारक दे रहे हैं। तो मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो।
आज मधुबन के जो भी हैं ऊपर वाले नीचे वाले और यह जो बाहर रहते हैं लेकिन मधुबन में पढ़ाई पढ़ते हैं वह सब उठो कितने आये हैं:-
(राजू भाई को मुरली टाइप करते हुए देखकर) आप भी उठो ना। इतना काम करते हैं देखो बड़े में बड़ी सेवा तो यह करते हैं सभी ब्राह्मणों को फौरन पहुंच जाता है। आपको मुबारक हो विशेष मुबारक हो।
मधुबन वाले अगर नहीं होते तो आपकी मेहमान निवाजी कौन करता। आराम से आते हो खाते हो पीते हो रिफ्रेश होते हो तो मधुबन वालों के लिए ताली बजाओ। बापदादा जानते हैं कि जगह कम होने के कारण मधुबन वालों को थोड़ा दूर बैठकर सुनना पड़ता है। यह भी सेवा है मधुबन वालों की यह भी सेवा है। दूसरों को सुख देना सुखदाता हो गये ना। तो मधुबन वालों का काम है सुख देना और सुख लेना। क्योंकि जो भी आते हैं उन्हों के अनुभवों से आप अनुभव सुनाते हो उस अनुभव से एक दो को फायदा हो जाता है। कई फायदे होते हैं लेकिन टाइम कम होने के कारण सुनाते कम हैं। लेकिन मधुबन वालों का टाइटल क्या हुआ? सुख देना और सुख लेना। सुखदाता के बच्चे फालो फादर करने वाले हैं। अच्छा-
मिलन तो सबका हुआ। बहुत तैयारी करके आते हैं। हर वर्ग बहुत तैयारी करके आते हैं बापदादा जानते हैं लेकिन टाइम को भी देखना पड़ता है। तो सभी को अभी तीव्र पुरूषार्थी बनने की एडवांस में बहुत बहुत पदम गुणा मुबारक पहले से दे रहे हैं। अभी शिव रात्रि पर चाहे यहाँ आने वाले चाहे घरों में बैठकर सेन्टर पर बैठ सुनने वाले या मुरली द्वारा सुनने वाले सभी मुरली तो सुनते होंगे ना। इस बारी जो आये हैं उसमें मुरली रेग्युलर जो सुनते हैं कोई हैं जो मुरली नहीं सुनते वह हाथ उठाओ। कोई नहीं। अच्छा। वह उठो जो नहीं पढ़ते या सुनते हैं। थोड़े हैं। कोई बात नहीं लेकिन अभी बाकी जो भी समय मिला है उसमें बाप का महावाक्य परमधाम से बापदादा आता है सूक्ष्मवतन से ब्रह्मा बाबा आता है और आके महावाक्य उच्चारण करते हैं इसलिए मुरली कभी भी एक दिन भी मिस नहीं करना। अपना बापदादा का दिलतख्त छूट जायेगा। इसलिए जो भी मुरली मिस करते हैं वह समझें हम तीन तख्त के मालिक नहीं दो तख्त के मालिक भी यथाशक्ति बनेंगे। इसलिए मुरली मुरली मुरली। क्योंकि मुरली में रोज के डायरेक्शन होते हैं चार ही सबजेक्ट के डायरेक्शन होते हैं तो रोज के डायरेक्शन लेने हैं ना। तो जो भी मिस करता हो कारणे-अकारणे वह अपना प्रोग्राम बनावे कि कैसे मुरली सुनें। कोई न कोई सैलवेशन बनायें। आजकल साइंस के साधन आपके लिए निकले हैं। ब्रह्मा बाप में प्रवेशता के 100 साल पहले यह साइंस निकली है आपके काम में भी आनी है इसलिए उसको यूज करो फायदा उठाओ।
अच्छा सामने बैठे हुए या कहाँ भी सुनने वाले बच्चों को बापदादा की दिल व जान सिक व प्रेम से यादप्यार और नमस्ते।
दादियों से:- (दादी जानकी जी से) सेवा दिल से करती हो विशेष सेवा करती हो। जहाँ दिल होती है ना वहाँ अनुभव होता है। ऊपर ऊपर से वाणी चलाई तो अनुभव दिल से लगना वह कम होता है। आपकी सेवा का फल भी निकलता है। तो यह वरदान है। (गुल्जार दादी बहुत अच्छी है) अच्छे तो हर एक हैं। यह सब अच्छे हैं।
मोहिनी बहन और उनके डाक्टर से:- बापदादा ने सुना। सोचो कम। हंसती हैं लेकिन सोचती भी है। चेहरा तो लाल है लेकिन सोचना थोड़ा-थोड़ा यह तबियत को इफेक्ट करता है। सिर्फ सोचो बाबा अच्छा कर लेगा। अभी डबल डाक्टर बनो। ासिंगल तो बहुत हैं। डबल डाक्टर। प्रेम तो है डबल डाक्टर बनें। आप कार्ड छपाते हो ना उसके पीछे खाली होता है तो आप मन की भी बीमारी का लिखके और उसमें एड्रेस लिखो जो सेन्टर नजदीक हो वहाँ मेडीटेशन वरके मन को दुरूस्त करो। क्योंकि डाक्टर का नाम पढ़के भी उन्हों को आता है कि डाक्टर कहता है तो करना है। तो आप घर बैठे सेवा कर सकते हो डबल डाक्टर बन जायेंगे। आप नहीं करेंगे करायेंगे दूसरे। तो बहुत सहज है। जो भी आवे एड्रेस पूछें तो दे देना। कार्ड छपाके रख दो ऐसे डबल डाक्टर। दवा और दुआ दोनों से अभी फर्क पड़ेगा। दोनों ही मिलेंगी बाबा की तरफ से।
यह डबल डाक्टर बनने की सौगात।
परदादी से:- आपकी विशेषता है जो शक्ल सदा हंसमुख रहती है। (बाबा की बेटी हूँ) डबल बेटी हो। लौकिक भी और अलौकिक भी पारलौकिक भी। तीनों हो।
(तीनों भाईयों से) आपस में तीनों मिलते रहते हो? (थोड़ा-थोड़ा) थोड़ा-थोड़ा नहीं। फोन में भी मुलाकात कर सकते हो। फारेन में यह अच्छा है कोई भी कार्य फोन में बहुत अच्छा मीटिंग पूरी हो जाती है। तो उन्हों की विधि देखो आपस में मिलते रहो। फोन में भी मीटिंग कर सकते हो।
भूपाल भाई से:- चारों तरफ यज्ञ की ठीक रखवाली हो रही है। ध्यान रखो चक्कर लगाते रहो।
इन्दौर के वी.आई पीज से:- अपने घर में आने में मजा आता है ना। अपने घर में आये हो दूसरी जगह नहीं आये हो। यह परमात्मा का घर है तो बच्चे का भी घर हुआ ना। तो अपने घर में आये हो। हमेशा अपने को बेफिकर बादशाह बनाके रखना। फिकर नहीं करना बेफिकर बादशाह। काम तो होते ही रहेंगे लेकिन खुद को बेफिकर बादशाह बनाना। सवेरे उठकर बाप को याद करेंगे ना तो सारा दिन अच्छा बीतेगा। उठते आंख खुलते मेरा बाबा याद करना।
धार्मिक नेताओं से:- आप लोगों को देख औरों में भी उमंग आयेगा। क्यों इन्हों को क्या मिला। और आपका अनुभव अनेकों को अनुभव करायेगा। निमित्त बनेंगे। (ट्रिनीडेड के ब्रह्मदेव स्वामी जी गीता का भगवान सिद्ध करेंगे) अभी मुरली पढ़ना।
सोलार प्रोजेक्ट का नक्शा बापदादा को दिखाया:- निश्चयबुद्धि होकर करो। सभी मिलकर एक ही संकल्प करो होना ही है। (रमेश भाई से) आपको कहा था ना कि यह सभी ब्राह्मणों को पता हो। आर्टिकल सब नहीं पढ़ते हैं।
15-11-05 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“सच्चे दिल से बाप व परिवार के स्नेही बन मेहनत मुक्त बननेका वायदा करो और फायदा लो”
आज बापदादा अपने चारों ओर के श्रेष्ठ स्वराज्य अधिकारी, स्वमानधारी बच्चों को देख रहे हैं। बाप ने बच्चोंको अपने से भी ऊँचा स्वमान दिया है। हर एक बच्चे को पाँव में गिरने से छुड़ाए सिर का ताज बना दिया। स्वयं कोसदा ही प्यारे बच्चों का सेवाधारी कहलाया। इतनी बड़ी अथॉरिटी का स्वमान बच्चों को दिया। तो हर एक अपने कोइतना स्वमानधारी समझते हैं? स्वमानधारी का विशेष लक्षण क्या होता है? जितना जो स्वमानधारी होगा उतना हीसर्व को सम्मान देने वाला होगा। जितना स्वमानधारी उतना ही निमार्कण, सर्व का स्नेही होगा। स्वमानधारी की निशानीहै - बाप का प्यारा साथ में सर्व का प्यारा। हद का प्यारा नहीं, बेहद का प्यारा। जैसे बाप सर्व के प्यारे हैं, चाहे एकमास का बच्चा है, चाहे आदि रत्न भी है लेकिन हर एक मानता है मैं बाबा का, बाबा मेरा। यह निशानी है सर्व केप्यारेपन की, श्रेष्ठ स्वमान की, क्योंकि ऐसे बच्चे फालो फादर करने वाले हैं। देखो बाप ने हर वर्ग के बच्चों को, छोटेबच्चों से लेके, बुजुर्ग समान बच्चों को स्वमान दिया। यूथ को विनाशकारी से विश्वकल्याणकारी का स्वमान दिया।महान बनाया। प्रवृत्ति वालों को महात्मायें, बड़े-बड़े जगतगुरू उनसे भी ऊँचा, प्रवृत्ति में रहते, पर-वृत्ति वाले महात्माओंका भी सिर झुकाने वाला बनाया। कन्याओं को शिव शक्ति स्वरूप का स्वमान याद दिलाया, बनाया। बुजुर्ग बच्चोंको ब्रह्मा बाप की हमजिन्स अनुभवी का स्वमान दिया। ऐसे ही स्वमानधारी बच्चे हर आत्मा को ऐसे स्वमान से देखेंगे।सिर्फ देखेंगे नहीं लेकिन सम्बन्ध-सम्पर्क में आयेंगे। क्योंकि स्वमान देहअभिमान को मिटाने वाला है। जहाँ स्वमानहोगा वहाँ देह का अभिमान नहीं होगा। बहुत सहज साधन है, देह अभिमान को मिटाने का - सदा स्वमान में रहना।सदा हर एक को स्वमान से देखना। चाहे प्यादा है, 16 हजार की माला में लास्ट नम्बर भी है लेकिन लास्ट नम्बरमें भी ड्रामानुसार बाप द्वारा कोई न कोई विशेषता है। स्वमानधारी विशेषता को देख स्वमान देते हैं। उनकी दृष्टि में,वृत्ति में, कृति में, हर एक की विशेषता समाई हुई होती है। जो भी बाप का बना वह विशेष आत्मा है, चाहे नम्बरवारहै लेकिन दुनिया के कोटों में कोई है। ऐसे अपने को सभी विशेष आत्मा समझते हो? स्वमान में स्थित रहना है। देह-अभिमान में नहीं, स्वमान।
बाप को हर एक बच्चे से प्यार क्यों है? क्योंकि बाप जानते हैं मेरे को पहचान, मेरे बने हैं ना। चाहे आज इस मेलेमें भी पहली बार आये हैं, फिर भी बाबा कहा, तो बाप के प्यार के पात्र हैं। बापदादा को चारों ओर के सर्व बच्चे सर्वसे प्यारे हैं। ऐसे ही फालो फादर। कोई भी अप्रिय नहीं, सर्व प्रिय हैं। देखो, जो भी बच्चे मेरा बाबा कहते हैं, तोमेरापन किसने लाया? स्नेह ने। जो भी यहाँ बैठे हैं, वह समझते हो कि स्नेह ने बाप का बना लिया। बाप का स्नेहचुम्बक है, स्नेह के चुम्बक से बाप के बन गये। दिल का स्नेह, कहने मात्र स्नेह नहीं। दिल का स्नेह इस ब्राह्मणजीवन का फाउण्डेशन है। मिलने क्यों आते हो? स्नेह ले आया है ना! जो भी सभी बैठे हैं, आये हैं, क्यों आये हो?स्नेह ने खींचा ना। स्नेह भी कितना है? 100 परसेन्ट है वा कम है?जो समझते हैं स्नेह में हम 100 परसेन्ट हैं,वह हाथ उठाओ। स्नेह में 100 परसेन्ट। थोड़ा भी कम नहीं? अच्छा। तो इतना ही स्नेह आपस में ब्राह्मणों में है?इसमें हाथ उठायें? इसमें परसेन्टेज है। जैसे बाप का सभी से स्नेह है, ऐसे ही बच्चों का भी सर्व से स्नेह, सर्व केस्नेही। दूसरे की कमज़ोरी को देखो नहीं। अगर कोई संस्कार के वशीभूत है, तो फालो किसको करना है? वशीभूतवाले को? आप वशीभूत मन्त्र देने वाले हो, वशीभूत से छुड़ाने वाला मन्त्र, छुड़ाने वाले हो ना! या देखने वाले हो?कि दिखाई दे देता है? अगर कोई खराब चीज़ दिखाई भी देती है, तो क्या करते हैं? देखते रहते हैं या किनारा करलेते हैं? क्योंकि बापदादा ने देखा कि जो दिल के स्नेही हैं, बाप के दिल के स्नेही, सर्व के स्नेही अवश्य होंगे। दिलका स्नेह बहुत सहज विधि है सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने की। चाहे कोई कितना भी ज्ञानी हो, लेकिन अगरदिल का स्नेह नहीं है तो ब्राह्मण जीवन में रमणीक जीवन नहीं होगी। रूखी जीवन होगी। क्योंकि ज्ञान में स्नेह बिनाअगर ज्ञान है तो ज्ञान में प्रश्नउठते हैं क्यों, क्या! लेकिन स्नेह ज्ञानसहित है तो स्नेही सदा स्नेह में लवलीन रहतेहैं। स्नेही को मेहनत करनी नहीं पड़ती याद करने की। सिर्फ ज्ञानी है, स्नेह नहीं है तो मेहनत करनी पड़ती है। वहमेहनत का फल खाता, वह मुहब्बत का फल खाता। ज्ञान है बीज लेकिन पानी है स्नेह। अगर बीज को स्नेह का पानीनहीं मिलता तो फल नहीं निकलता है।तो आज बापदादा सर्व बच्चों के दिल का स्नेह चेक कर रहे थे। चाहे बाप से, चाहे सर्व से। तो आप सभी अपनेको क्या समझते हैं? स्नेही हैं? हैं स्नेही? जो समझते हैं दिल के स्नेही हैं, वह हाथ उठाओ। सर्व के स्नेही? सर्वके स्नेही? अच्छा - बाप के तो दिल के स्नेही हैं, सर्व के स्नेही हैं? सर्व के? हर एक समझता है - यह मेरा भाई-बहन है? हर एक समझता है यह मेरा है? समझता है? कि कोई-कोई समझता है? जैसे बाप के स्नेह में सभी हाथउठाते हैं, हाँ बाप के स्नेही हैं ऐसे आप हर एक के लिए हाथ उठायेंगे, कि हाँ यह सर्व के स्नेही हैं? यह सर्टीफिकेटमिलेगा? क्योंकि बापदादा ने पहले भी कहा था कि सिर्फ बाप से सर्टीफिकेट नहीं लेना है, ब्राह्मण परिवार से भीलेना है क्योंकि इस समय बाप धर्म और राज्य दोनों साथ-साथ स्थापन कर रहे हैं। राज्य में सिर्फ बाप नहीं होंगे,परिवार भी होगा। बाप के भी प्यारे, परिवार के भी प्यारे।ज्ञानी बने हो लेकिन साथ में स्नेही भी जरूरी है। स्वमान में रहना और सम्मान देना, यह दोनों जरूरी हैं। बापने ब्राह्मण जन्म लेते ही हर एक बच्चे को सम्मान दिया, तब तो ऊँचे बनें। इस एक जन्म में सम्मान देना है और साराकल्प उसकी प्रालब्ध सम्मान प्राप्त होता है। आधाकल्प राज्य अधिकारी का सम्मान मिलता है, आधाकल्प भक्ति मेंभक्तों द्वारा सम्मान मिलता है। लेकिन इसका, सारे कल्प का आधार है इस एक जन्म में सम्मान देना, सम्मान लेना।
देखो आज इस सीजन का पहला मिलन है। चारों ओर से सब बच्चे स्नेह से इकट्ठे हुए हैं। तो जो पहले बारी आयेँ हैं, वह हाथ उठाओ। बहुत आये हैं। पहले बारी आये हैं और पहला चांस लिया है, तो पहले चांस लेने वालों कोमुबारक है। सभी को अपने परिवार में वृद्धि देख करके खुशी होती है ना। वाह हमारे भाई! वाह हमारी बहिनें पहुँचगये! बापदादा को भी बहुत खुशी होती है। बिछुड़े हुए बच्चे फिर से अपना अधिकार लेने के लिए पहुँच गये हैं। तोसभी खुश हैं या बहुत-बहुत-बहुत खुश हैं? बहुत-बहुत खुश।अच्छा-डबल फारेनर्स भी आये हुए हैं। होशियार हैं डबल फारेनर्स। कोई भी टर्न छोड़ते नहीं हैं। अच्छा है।चांस लेने वाले को चांसलर कहते हैं। तो चांस लेने में होशियार हैं। डबल फारेनर्स को विशेष बापदादा एक बात कीविशेष मुबारक देते हैं। कौन सी? जो कहाँ-कहाँ बिखर गये, देश भी बदल गया, धर्म भी कईयों का बदल गया,कल्चर भी बदल गया लेकिन बदलते हुए पहचानने की आँख बहुत तेज निकली, जो भिन्न होते भी पहचानने मेंहोशियार निकले। पहचान लिया, बाप को अपना बना दिया। परिवार को अपना बना लिया। ब्राह्मण कल्चर को अपनाबना लिया। तो होशियार निकले ना! और बापदादा सदा यह विशेषता देखते हैं कि बाप से भी प्यार है लेकिन सेवा सेभी बहुत प्यार है। सेवा से प्यार होने के कारण बहुत बिजी होते हो ना! डबल सेवा करते हो। डबल भी नहीं, तीनसेवा करते हो, एक लौकिक जॉब, एक ज्ञान की सेवा और साथ में बापदादा ने मैजारिटी को देखा है कि सेन्टर मेंभी कर्मणा सेवा में सहयोगी बनते हैं। तो बापदादा जब देखते हैं तीनों तरफ की सेवा में बच्चे बिजी रहते हैं, खुश होतेहैं और दिल ही दिल में मुबारक देते रहते हैं। अभी-अभी भी बापदादा देख रहे हैं चारों ओर विदेश में कोई रात में,कोई दिन में मिलन मना रहे हैं। अच्छी पुरूषार्थ की गति को बढ़ाने के लिए आपको दादी भी अच्छी मिली है। है नाऐसे? जरा सी कोई कमी देखती है, फौरन क्लास पर क्लास कराती है। किसी भी बच्चे को, चाहे देश वाले चाहेविदेश वालों को, किसी भी सबजेक्ट में मेहनत लगती है, उसका मूल कारण है दिल का स्नेह। स्नेह माना लवलीन।याद करना नहीं पड़ता, याद भुलाना मुश्किल होता। अगर मेहनत करनी पड़ती है तो कारण है दिल के स्नेह कोचेक करो। कहाँ लीकेज तो नहीं है? चाहे लगाव कोई व्यक्ति से, चाहे व्यक्ति की विशेषता से, चाहे कोई साधन से,सैलवेशन से, एकस्ट्रा सैलवेशन, कायदे प्रमाण सैलवेशन ठीक है, लेकिन एकस्ट्रा सैलवेशन से भी प्यार होता है,लगाव होता है। वह सैलवेशन याद आती रहेगी। उसकी निशानी है - कहाँ भी लीकेज होगी तो सदा जीवन में किसी भी कारण से सन्तुष्टता की अनुभूति नहीं होगी। कोई न कोई कारण असन्तुष्टता का अनुभव करायेंगे। और सन्तुष्टताजहाँ होगी उसकी निशानी सदा प्रसन्नता होगी। सदा रूहानी गुलाब के मुआफिक मुस्कराता रहेगा, खिला हुआरहेगा। मूड आफ नहीं होगी, सदा डबल लाइट। तो समझा मेहनत से अभी बच जाओ। बापदादा को बच्चों कीमेहनत नहीं अच्छी लगती। आधाकल्प मेहनत की है, अभी मौज करो। मुहब्बत में लवलीन हो, अनुभव के मोती ज्ञानसागर के तले में अनुभव करो। सिर्फ डुबकी लगाकर निकल नहीं आओ सागर से, लवलीन रहो।सभी ने वायदा तो किया है ना! कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे? किया है, वायदा किया है? साथ चलेंगे या पीछे-पीछे आयेंगे? जो साथ चलने के लिए तैयार हैं वह हाथ उठाओ। तैयार हैं, सोचकर उठाओ, तैयार हैं अर्थात् बापसमान हैं। कौन साथ चलेगा? समान साथ चलेगा ना! तो चलेंगे? एवररेडी? पहली लाइन एवररेडी? एवररेडी?कल चलने के लिए आर्डर करें, चलेंगे? अच्छा प्रवृत्ति वाले चलेंगे? बच्चे नहीं याद आयेंगे? मातायें चलेंगी? मातायेंतैयार हैं? याद नहीं आयेगी? टीचर्स को सेन्टर याद आयेगा, जिज्ञासु याद आयेंगे? नहीं याद आयेगा? अच्छा।सभी निर्मोही हो गये हो? फिर तो बहुत अच्छी बात है। फिर तो मेहनत नहीं करनी पड़ेगी ना।
आज बापदादा सभी को चाहे सम्मुख बैठे हैं, चाहे दूर बैठे भी बाप के दिल में बैठे हैं, सभी को आज का दिन मेहनत मुक्त बनाने चाहते हैं। बनेंगे? ताली तो बजा दी, बनेंगे? कल से कोई दादियों के पास नहीं आयेगा। मेहनतनहीं करायेंगे? मौज से मिलेंगे। जोनहेड के पास नहीं जायेंगे, कम्पलेन नहीं करेंगे, कम्पलीट। ठीक है? अभी हाथ उठाओ। देखो सोच के हाथ उठाना, ऐसे नहीं उठा लेना। पहली लाइन नहीं उठा रही है। आप लोगों ने उठाया। कोई कम्पलेन नहीं। कोई मेरा मेरा नहीं, कोई मेरा नहीं। मैं भी नहीं, मेरा भी नहीं, खत्म। देखो वायदा तो किया है,अच्छा है मुबारक हो लेकिन क्या है, वायदे का फायदा नहीं उठाते हो। वायदा बहुत जल्दी कर लेते हो लेकिन फायदा उठाने के लिए रोज एक तो रियलाइजेशन दूसरा रिवाइज करो, वायदे को रोज रिवाइज करो क्या वायदा किया?अमृतवेले मिलने के बाद वायदा और फायदा दोनों के बैलेन्स का चार्ट बनाओ। वायदा क्या किया? और फायदा क्या उठा रहे हैं? रियलाइज करो, रिवाइज करो, बैलेन्स हो जायेगा तो ठीक हो जायेगा।बापदादा को पता है मीटिंग वालों ने वायदा किया है। मीटिंग वाले उठो। अच्छा पक्का वायदा किया? या फाइल के लिए वायदा किया? फाइल के लिए किया या फाइनल किया? फाइनल किया? ताली बजाओ। अच्छी तरह सेबजाओ। बहुत अच्छा किया, बैठ जाओ। देखो, इतने भी फाइनल हो जायेंगे तो पीछे नम्बर तो जरूर फाइनल होजायेंगे क्योंकि आप विशेष सेवा के आधारमूर्त निमित्त हो और सेवा की सफलता स्व सेवा से ही होती है। स्व की सेवाविश्व की सेवा का आधार है। तो इतने सब वायदा और फायदा उठाने वाले ही हैं, तो आपका निमित्त भाव औरों कोभी सहयोग देगा। बार-बार रियलाइज करना। दिल से रियलाइज करना, क्या करना है, क्या नहीं करना है। `ना’ को 21 जन्म के लिए आलमाइटी गवर्मेन्ट की सील लगा देना। और हाँ जी, हाँ जी करते रहना। मास्टर सर्वशक्तिमानहैं, जो चाहे वह कर सकते हैं, इतनी अथॉरिटी बाप द्वारा मिली हुई है। पहले कोई भी संकल्प, बोल, कर्म करने केपहले बाप समान है या नहीं? यह चेक करो फिर प्रैक्टिकल में लाओ। जब आपका विवेक हाँ करें, हाँ जी तभी प्रैक्टिकलमें लाओ। समान बनना है तो समान करना भी है। चलना भी है। बापदादा तो हर बच्चे को बहुत-बहुत बड़ी बड़ीउम्मीदों से देखते हैं कि यही बनने हैं, बने थे और अवश्य बनना ही है। सिर्फ दो शब्द याद रखना - निमित्त औरनिमार्कण। इसमें मैं, मेरा दोनों ही खत्म हो जायेगा। निमित्त हूँ और निमार्कण बनना ही है।
आप जो 70 वर्ष मना रहे हो, यह समाचार भी सुना। विदेश भी तैयारी कर रहे हैं और देश वाले भी कर रहे हैं।यही मीटिंग की ना! तो बापदादा इस 70वें वर्ष को किस विधि से मनाने चाहते हैं। सभी को उमंग है ना मनाने का?उमंग है? माताओं को है, डबल विदेशियों को है? मनाना है? सेवा का प्रोग्राम तो आप बनाते ही हो और बनायेंगेभी, इसमें तो होशियार हो। बापदादा ने देखा है प्लैन बहुत अच्छे अच्छे बनाते हैं बापदादा को पसन्द हैं। बापदादाक्या चाहते हैं? बापदादा सिर्फ एक शब्द चाहता है - एक शब्द है - सफल करो, सफल बनो। जो भी खज़ाने हैं,शक्तियाँ हैं, संकल्प हैं, बोल हैं, कर्म भी शक्ति है, यह समय भी खज़ाना है, शक्ति है, खज़ाना है। सबको सफलकरना है। चाहे स्थूल धन, चाहे अलौकिक खज़ाने, सबको सफल करना है। सफलतामूर्त का सर्टिफिकेट लेना हीहै। सफल करो और सफल कराओ। अगर कोई असफल करता है, तो बोल द्वारा शिक्षा द्वारा नहीं, अपने शुभभावना,शुभकामना और सदा शुभसम्मान देने द्वारा सफल कराओ। सिर्फ शिक्षा नहीं दो, अगर शिक्षा देनी भी पड़ती हैलेकिन क्षमा और शिक्षा, क्षमा रूप बनकर शिक्षा दो। मर्सीफुल बनो, रहमदिल बनो। आपका मर्सीफुल रूप अवश्यशिक्षा का फल दिखायेगा। देखो आजकल साइंस वाले भी पहले आपरेशन करते हैं, लेकिन पहले क्या करते हैं?पहले सुला देते हैं। पीछे काटते हैं, पहले ही नहीं काटते हैं,टिंचर भी लगाते हैं, पहले फूँक देते हैं फिरटिंचर लगातेहैं। तो आप भी पहले मर्सीफुल बनो, फिर शिक्षा दो तो प्रभाव डालेगी नहीं तो क्या होता है? आप शिक्षा देने लगतेहो वह पहले ही आपसे ज्यादा शिक्षक है। तो शिक्षक, शिक्षक की शिक्षा नहीं मानता। जो प्वाइंट आप देंगे, ऐसे नहींकरो, ऐसे करो, उसके पास कट करने की 10 प्वाइंट होंगी। इसीलिए क्षमा और शिक्षा साथ-साथ हो, तो इस70वें वर्ष का थीम है - सफल करो, सफल कराओ। सफलतामूर्त बनो। सब सफल करो। डबल लाइट बनना है नातो सफल कर लो। संस्कार को भी सफल करो। जो ओरीज्नल आपके आदि संस्कार, देवताई संस्कार, अनादिसंस्कार आत्मा के उसको इमर्ज करो। उल्टे संस्कारों का संस्कार करो। आदि अनादि संस्कार इमर्ज करो। अभीसभी की कम्पलेन विशेष एक ही रह गई है, संस्कार नहीं बदलते, संस्कार नहीं बदलते। तो 70वें वर्ष में कुछ तोकमाल करेंगे ना। तो यह परिवर्तन की विशेषता दिखाओ। ठीक है ना।70वें वर्ष में करना है ना? करना है, करेंगे?करेंगे या हुआ ही पड़ा है? सिर्फ निमित्त बनना है। अच्छा|बापदादा सभी बच्चों को देख गीत गाते हैं - वाह! बच्चे वाह! अच्छा - अभी क्या करना है?
सेवा का टर्न इन्दौर जोन का है:- बहुत सेवाधारी आये हैं। संगठन अच्छा है। जो सेवा की, दिल के स्नेह सेसेवा की है, उसका प्रत्यक्ष फल भी खुशी अनुभव की? खुशी मिली? सेवा का फल है, प्रत्यक्षफल है खुशी औरभविष्य सेवा का फल पुण्य जमा हुआ। पुण्य का खाता बढ़ गया। तो वर्तमान भी फल मिला और भविष्य भी जमा होगया। अच्छा है हर जोन को चांस मिलता है, विशेष चांस मिलने से वायुमण्डल का फायदा, यज्ञ सेवा के पुण्य काखाता और सेवा से सर्व ब्राह्मणों से सम्बन्ध-सम्पर्क का ईश्वरीय प्यार का नाता बढ़ता है। तो बहुत अच्छा कर रहे हैंऔर कल से तो समाप्ति भी शुरू हो जायेगी। तो बहुत अच्छा किया, सेवा का बल सदा के लिए भरके जाना। अच्छाहै। मातायें भी हैं, कुमारियाँ भी हैं, सब सेवाधारी हैं। पाण्डव तो हैं ही हैं। पाण्डव हाथ उठाओ। पाण्डव ज्यादा हैं। मातायें हाथ उठाओ। कुमारियाँ हाथ उठाओ।जो सेवा का चांस लिया है, तो जो वायदा करके जा रहे हो उसका फायदा विशेष सेवा के रिटर्न में देते रहना।वायदे का फायदा उठाना। सिर्फ वायदा नहीं, फायदा। अच्छा।
इन्दौर-नडियाद होस्टल की कुमारियाँ भी हैं:- नडियाद की थोड़ी हैं। नडियाद की कुमारियाँ ठीक हैं।स्व-उन्नति, सेवा की उन्नति दोनों ही हो रही है? अच्छा है, कुमारियाँ ट्रेनिंग करती हैं और भी ट्रेनिंग की कुमारियाँ आई हैं ना। नडियाद वाली भी आगे आ जाओ। अच्छा। इन सभी कुमारियों ने चाहे नडियाद में हैं, चाहे मधुबन मेंहैं, अभी तो मधुबन की हैं ना। तो सभी ने लक्ष्य पूरा रखा है? लक्ष्य क्या रखा है? सफलतामूर्त बनने का। समस्यानहीं बनना है, समाधानमूर्त बनना है। वायुमण्डल के प्रभाव में नहीं आना है। अपने वायुमण्डल का प्रभाव डालना है,इतनी ताकत भरी है ? आपको वायुमण्डल की मदद नहीं मिले तो क्या करेंगी? अपना वायुमण्डल दिखायेंगी? इतनीताकत है? फिर तो ताली बजाओ, मुबारक हो। बहुत अच्छा, देखो आपका चित्र तो इसमें आ रहा है, यह फोटोनिकल रहा है। तो बापदादा हर मास आपके निमित्त से रिपोर्ट लेगा। मुबारक भी देगा। क्योंकि सफलतामूर्त, सफलताके अधिकारी हैं। तो सफलता के अधिकारी बनना है ना। अच्छा है, एक बात की तो मुबारक है अभी, कि हिम्मत रखकरके आ गई हो। तो आपकी हिम्मत के कदम पर बापदादा की पदमगुणा मदद है ही है। दिलशिकस्त नहीं होना,दिलखुश। अगर कोई भी समस्या आवे ना, तो उसी समय बाप के आगे रख देना, अपने दिल में नहीं रखना। बाबाआप लो, हम तो समाधान स्वरूप हैं। ठीक है? अच्छी हिम्मत वाली हो, और हिम्मत सदा रखती रहना। अच्छा।
कटक में बहुत अच्छा मेगा प्रोग्राम रहा, पुरी में भी बहुत अच्छा प्रोग्राम रहा:- प्रोग्राम तो सब अच्छे कर रहे हो, सन्देश का जो कार्य करना है वह सन्देश तो सबको पहुँच रहा है, सबको पतापड़ता है कि ब्रह्माकुमारियाँ भी हैं और ब्रह्माकुमारियाँ यह कार्य करने चाहती हैं, यह भी मालूम पड़ता जाता है। लेकिनबापदादा की जो पुराने-पुराने बड़े-बड़े सेन्टर चल रहे हैं, उनके प्रति जो शुभ आशा है वह अभी तक पूर्ण नहीं कीहै। यह बापदादा का उलाहना है। वारिस क्वालिटी वा सेवा से भी ऐसे पुरूषार्थ में तीव्र क्वालिटी, वह बापदादा केसामने और अधिक आनी चाहिए। वी.आई.पी. भी आते हैं लेकिन वी.आई.पी. भी वी.वी.आई.पी. बन जायें, वी.आई.पी.,वी.आई.पी. नहीं रहें, आई.पी., आई.पी. नहीं रहें, ब्राह्मण जीवन का अनुभव करें। क्वान्टिटी तो हो रही हैं अभीक्वालिटी का गुलदस्ता हर एक जोन में निकलना चाहिए। हर एक जोन को चारों ओर के ऐसे उम्मींदवार आत्माओंकी विशेष पालना कर समीप सम्बन्ध में लाना है। प्लैन तो बनाते हो अभी इस प्लैन को तीव्र गति दो। क्योंकि कम-से-कम अपने राज्य के पहले जन्म की पावरफुल संख्या, कभी-कभी आने वाले, कभी-कभी नियम वाले नहीं, पक्के जोविन करने वाले वन तारीख, वन जन्म में आने वाले हों, ऐसा गुलदस्ता तैयार करो। चाहे प्रजा भी बने लेकिन प्रजाभी विशेष होगी। प्रजा भी मालिक का अधिकार रखेगी क्योंकि पहले जन्म की शोभा पहले जन्म का भभका तो अलगहोता है ना। तो हर एक जोन अपनी रिजल्ट निकाले, प्रोग्राम तो बहुत किया है, उसकी मुबारक हो। बापदादा उसकोअच्छा समझते हैं, सफल करते हैं, उमंग-उत्साह में आते हैं, और बड़ों-बड़ों के सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हैं, यहअच्छा कर रहे हैं लेकिन रिजल्ट निकालो। कम-से-कम डेढ लाख, लाख आते हैं उनमें से कुछ तो विन करने वाले हों। तो ऐसा प्रोग्राम बनाओ और पुराने सेन्टर वारिस क्वालिटी नये-नये निकालो, जो पुराने हैं उनको तो मुबारकमिलती है, नये-नये वारिस क्वालिटी तैयार करो। रॉयल फैमिली, रॉयल सम्बन्ध-सम्पर्क वाले भी तो चाहिए ना।अच्छा।
अभी एक मिनट, एक मिनट मशहूर है ना! तो एक मिनट जो सभी ने मेहनत मुक्त का वायदा किया है, किया हैना ? किया है? फोटो निकालो। तो अभी एक मिनट के लिए अपने दिल से इस वायदे को दृढ़ता का अण्डरलाइनलगाओ। अपने मन में पक्का करो। अच्छा।
सर्व चारों ओर के स्वमानधारी बच्चों को, सदा बाप के दिल के स्नेही, सर्व के स्नेही श्रेष्ठ आत्माओं को, सदामेहनत मुक्त, जीवनमुक्त अनुभव करने वाले तीव्र पुरूषार्थी बच्चों को सदा वायदा और वायदे का फायदा लेने वाले,बैलेन्स रखने वाले ब्लिसफुल बच्चों को, सदा मौज में रहने वाले, मौज में औरों को भी रहाने वाले, ऐसे संगमयुगी श्रेष्ठ भाग्य के अधिकारी बच्चों को बापदादा का यादप्यार और दिलाराम के दिल की दुआयें स्वीकार हों। यादप्यारऔर नमस्ते।
दादियों से:- ठीक है ना। सभी आप लोगों को देखकर खुश होते हैं। बाप और बच्चों, दोनों को देखकर खुशहोते हैं। दोनों समान। सभी के सिकीलधे हो। सभी का दादियों से विशेष प्यार है ना! बहुत प्यार है। क्योंकि जोनिमित्त बनते हैं, तो निमित्त बनने वालों के ऊपर जिम्मेवारी भी होती है, तो स्नेह भी इतना होता है क्योंकि सबके प्यारऔर दुआओं की उनके जीवन में लिफ्ट मिल जाती है। आप भी जो निमित्त बनते हो उन्हों को भी लिफ्ट मिलती हैलेकिन लिफ्ट की गिफ्ट को कायम रखें तो बहुत फायदा हो सकता है। यह एकस्ट्रा वरदान मिलता है। किसी भीकार्य के लिए, ईश्वरीय कार्य में, यज्ञ सेवा में, विशेष निमित्त बनता है उसको दुआयें और प्यार दोनों की लिफ्ट मिलतीहै। प्यार एक ऐसी चीज़ है जो क्या से क्या बना देती है। आज दुनिया में भी किसी से पूछो क्या चाहिए? कहेंगे प्यारचाहिए। शान्ति चाहिए, वह भी प्यार से मिलेगी। तो प्यार, आत्मिक प्यार सबसे श्रेष्ठ है।(फ्रांस वालों ने बहुत याद दी है ) बापदादा भी बच्चों को विशेष सेवा में परिवर्तन की मुबारक देते हैं। (मार्क नेबहुत मेहनत की है) खास मुबारक हो, ताली बजाओ। देखो जो पुराना गवर्मेन्ट का रिकार्ड था, कल्ट का, वह सभीजगह मिट जायेगा। अच्छी हिम्मत रखी। हिम्मत की मदद मिलती है। योग किया ना दिल से, तो योग का फल मिला,बल मिला। बापदादा भी खुश है। परिवार भी खुश है तब तालियां बजाई ना।
दादी जी से बाबा पूछ रहा है:- तबियत खराब है, बुखार है क्या? यह तो बहादुर है, देखो ठण्डा है या गर्महै? खेल दिखा रही है। तबियत की कमज़ोरी हो जाती है। अभी तो ताकत आ रही है। सभी को कहो मैं ठीक हूँ।बोलो, ठीक हूँ। (मैं बिल्कुल ठीक हूँ) सभी का प्यार है ना।देखो साकारअव्यक्त हुए और व्यक्त में निमित्त बनाया।ऐसे टाइम पर निमित्त बनना, कितनी हिम्मत की बात है। ऐसे टाइम पर हिम्मत दिखाने वाले को सारे आयु तक मददमिलती है। अच्छा।
31-03-11 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘दृढ़ संकल्प द्वारा टेन्शन फ्री का एक्जैम्पुल बन सबके आधारमूर्त बनो मन्सा शक्ति द्वारा दु:खी आत्माओं को खुशी का वरदान दो’’
आज ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर अपने कोटों में कोई कोई में भी कोई बच्चों के भाग्य की रेखायें देख रहे हैं। हर एक के मस्तक से चमकती हुई दिव्य चमकते हुए सितारे की चमक देख रहे हैं। नयनों से स्नेह की रेखा देख रहे हैं। मुख से ज्ञान की रेखा देख रहे हैं। दिल में दिलाराम के लवलीन की रेखा देख रहे हैं। हाथों में ज्ञान के खज़ानों की रेखा देख रहे हैं। पांव में हर कदम में पदम की रेखा देख रहे हैं। हर एक बच्चा इन रेखाओं में नम्बरवार सम्पन्न है। ऐसा भाग्य आपके बिना और किसका भी नहीं है। आपका इतना श्रेष्ठ भाग्य हर बच्चे से चमकता हुआ दिखाई दे रहा है। और यह भाग्य अविनाशी बन जाता है क्यों? क्योंकि देने वाला अविनाशी बाप है। इस संगमयुग पर ही ऐसा श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त होता है जो भविष्य में भी चलता रहता है। यह संगमयुग सर्व प्राप्तियों का युग है जो जितना अपना भाग्य जमा करता है उतना अनेक जन्म भाग्य का फल होता रहता है। इस संगमयुग की महिमा आप बच्चे ही जानते हैं। संगमयुग की प्राप्तियां सारे कल्प में श्रेष्ठ से श्रेष्ठ हैं।
बापदादा देख रहे हैं हर एक बच्चा इस संगमयुग की प्राप्तियों से कितना सम्पन्न है। आप सभी भी सर्व प्राप्तियों के अनुभव में सदा रहते हो या कभी कभी? अविनाशी बाप है तो प्राप्तियां भी अविनाशी हैं बापदादा हर बच्चे को किस रूप में देखने चाहते हैं जानते हो ना! बापदादा यही चाहते हैं कि हर बच्चा स्वराज्य अधिकारी राजा बनें। स्व के ऊपर अर्थात् कर्मेन्द्रियों के ऊपर मन-बुद्धि-संस्कार के ऊपर राजा बन राज्य करे। भविष्य में तो राज्य अधिकारी बनेंगे लेकिन अभी स्वराज्य अधिकारी राजा बनें। कोई भी कर्मेन्द्रियां अपने कन्ट्रोल में हों क्योंकि बाप द्वारा सर्व शक्तियों का खज़ाना प्राप्त हुआ है। तो बापदादा हर एक बच्चे को स्वराज्य अधिकारी राजा रूप में देखने चाहते हैं। तो आप सभी स्वराज्य अधिकारी बने हो? मन बुद्धि के ऊपर रूलिंग पावर कन्ट्रोलिंग पावर आ गई है? अधीनता तो नहीं है? अधिकारी हैं। जब बापदादा को साथ में रखते हैं अकेले नहीं बनते हैं बाप को सदा साथी बनाके रखते हैं तो यह मन बुद्धि संस्कार किसी की भी ताकत नहीं जो कन्ट्रोल में नहीं रहे। इसीलिए बापदादा शक्तियों को सदा कहते हैं कि अपने कौन से स्वरूप को याद रखो जो कभी भी बाप का साथ भूल नहीं जाए? वह है हम शिवशक्ति हैं। शिव और शक्ति साथ है। यह स्मृति मायाजीत प्रकृतिजीत स्वत: बना देती हैं क्योंकि बापदादा ने सुना दिया है कि वर्तमान समय प्रकृति अपना कार्य करती रहती है क्योंकि प्रकृति को भी मनुष्य आत्मायें तंग करते हैं तो प्रकृति भी तंग करती है। आजकल देखते हो कि प्रकृति कहाँ न कहाँ अपना कार्य करती रहती है लेकिन आप प्रकृतिजीत बन प्रकृति को भी सतोप्रधान बना रहे हो। लोग तो प्रकृति की हलचल देख डरते हैं कि कल क्या होगा! लेकिन आप जानते हो कि अच्छे ते अच्छा होगा क्योंकि अभी यह संगमयुग सृष्टि चक्र का अमृतवेला चल रहा है। तो अमृतवेले के बाद क्या होता है? सवेरा। अंधकार खत्म हो रोशनी आ जाती तो आपको खुशी है कि अभी हमारा राज्य सुखमय संसार जहाँ प्रकृति भी सुखमई है वह राज्य आया कि आया। खुशी है ना! जिस राज्य में दु:ख अशान्ति का नामनिशान नहीं होगा क्योंकि अभी संगम पर आप प्रकृतिजीत बन रहे हो। तो सभी को खुशी है ना किसकी? बोलो हमारा राज्य आने वाला है। यह खुशी है? जो इस खुशी में रहते हैं वह हाथ उठाओ। बहुत अच्छा। आप तो खुश रहते हो इसकी मुबारक हो लेकिन ऐसी खुशी अपनी खुशी आपके भाई बहिन जो दु:खी अशान्त हैं उसको अपने बाप द्वारा ली हुई किरणों द्वारा खुशी की किरणें पहुंचाते हो? बापदादा ने कहा था कि ऐसी मन्सा सेवा करने का टाइम हर एक को अपने दिनचर्या में फिक्स करना है। जैसे और कार्य के लिए टाइम फिक्स किया हुआ है ऐसे अपनी खुशी की खुराक द्वारा दु:खी आत्माओं को मन्सा शक्ति द्वारा थाेडा बहुत वरदान देकरके उन्हों को भी खुश करो तो जिन्होंने अपना टाइम मन्सा सेवा के लिए फिक्स किया है वह हाथ उठाओ। अच्छा जिन्होंने भी नहीं किया है। हैं थोडे लेकिन इसका टाइम फिक्स करना है क्योंकि अपने ही भाई बहन हैं ना। तो तरस पड़ता है ना! कि तरस नहीं पड़ता है? पड़ता है ना! और बापदादा सभी को देखने चाहते हैं कि संगम की जो विशेष दो बातें हैं जो अमूल्य हैं एक संकल्प शक्ति और दूसरा संगम का समय क्योंकि संगम के समय में एक जन्म में अनेक जन्म की प्रालब्ध बनानी है।
तो आजकल बापदादा ने देखा है कि बहुतों के अशुद्ध संकल्प कम चलते हैं लेकिन व्यर्थ संकल्प आते जाते हैं। तो इस एक जन्म के मूल्य के अनुसार व्यर्थ संकल्प अभी फिनिश होने चाहिए क्योंकि संगमयुग के महत्व के हिसाब से एक सेकण्ड कई कीमती समय का अधिकार दिलाता है इसलिए हर एक को इन दोनों बातों का समय और संकल्प दोनों के मूल्य को जान समय को और संकल्प को सफल करो। जैसे स्थूल खज़ाने को सफल करते हो जानते हो कि एक जन्म में सफल करने से अनेक जन्म उनकी प्राप्ति जमा होती है। ऐसे इन दोनों बातों को अटेन्शन दे सफल कर सफलता मूर्त बनो।
बापदादा हर बच्चे को आज विशेष एक वरदान दे रहे हैं हर एक बच्चा आज से अपने को टेन्शन फ्री बना सकते हो? दृढ़ संकल्प करो कि आज से अटेन्शन नो टेन्शन। बापदादा बच्चों को जब टेन्शन में देखते हैं ना तो सोचते हैं अभी अभी इस बच्चे का फोटो निकालके भेजें। तो खुद ही समझ जायेगा कि मैं क्या बन गया! बापदादा मनजीत जगतजीत बनाने चाहते हैं। टेन्शन किसमें मन में ही तो आता है ना! तो आप तो राजा हो ना स्वराज्य अधिकारी हो ना! क्या मन आपका है या मन मालिक है? आप क्या कहते हो? सारा दिन मेरा मन कहते हो ना! मालिक तो नहीं है ना! कौन हिम्मत रखता है बाप का वरदान सहज मिलेगा लेकिन सिर्फ थाेडा अटेन्शन रखना पड़ेगा। बाप के वरदान की मदद का अनुभव करके देखना। सभी का चेहरा जब भी देखो तो कैसा दिखाई देगा? टेन्शन फ्री कमल पुष्प समान वा खिला हुआ गुलाब पुष्प मिसल।
बापदादा ने देखा कि जो पहले काम दिया था परसेन्टेज लिखने का। सभी स्थानों से कुछ कुछ समाचार आया है। यहाँ भी रिजल्ट निकाली है। अटेन्शन दिया उसकी मुबारक बापदादा दे रहे हैं लेकिन अभी बापदादा यही चाहते हैं कि समय प्रमाण अभी वाणी द्वारा सुनने का समय भी कम मिलेगा इसलिए मन्सा द्वारा और अपने चेहरे और चलन द्वारा सर्विस करो। अभी का अभ्यास आगे आने वाले समय में कार्य में आयेगा। तो आज से टेन्शन फ्री का संकल्प कर सकते हो? कर सकते हो? कर सकते हो? हाथ उठाओ। टेन्शन फ्री। अच्छा सभी का फोटो निकालो। बहुत अच्छा। तो जो आत्मायें सरकमस्टांश के प्रमाण बहुत टेन्शन में रहते हैं आजकल दुनिया में टेन्शन बहुत बढ़ रहा है तो आपका टेन्शन फ्री का अनुभव और टेन्शन फ्री की चलन और चेहरा उन्हों के आगे एक आधारमूर्त बनेगा। अगर आज दुनिया में चक्र लगाओ या समाचार सुनो तो क्या दिखाई देता है? टैम्प्रेरी अपने को खुश करने के साधन बनाते रहते हैं। तो टेन्शन वालों को टेन्शन फ्री का एक्जैम्पुल दिखाओ तो उनको भी सहारा दिखाई दे। तो संकल्प किया अपने मन में संकल्प किया कि टेन्शन फ्री रहेंगे? किया? दृढ़ किया या साधारण किया? जहाँ दृढ़ता होती है वहाँ सफलता हुई पड़ी है। करेंगे नहीं करना ही है। पसन्द है? इसमें हाथ उठाओ। बापदादा ने एक बात देखी है कि हाथ उठाके बहुत खुश कर देते हैं। हाथ उठाके खुश तो किया लेकिन अभी क्या करेंगे? दृढ़ संकल्प साधारण संकल्प उसमें रात दिन का फर्क है। करेंगे और करना ही है। तो इस सीजन का इस वर्ष की इस सीजन का आज लास्ट डे है लेकिन अगली सीजन में बापदादा हर एक छोटा बड़ा सेन्टर काफी टाइम है बीच में अगले वर्ष की सीजन में कारण नहीं लेकिन निवारण स्वरूप देखने चाहते हैं। तो कितना हिम्मत और उमंग है कि ब्राह्मण परिवार में टेन्शन का नामनिशान नहीं हो। हो सकता है? हर एक अपने से पूछे हो सकता है? यह खुशखबरी बापदादा सुनने चाहते हैं।
बापदादा ने देखा कि चाहना सब रखते हैं करेंगे लेकिन जब समस्या आती है तो समस्या अपना बना देती है। फिर बहुत मीठी बातें करते हैं यह हो जाता है ना यह तो होगा ना! यह तो चलता है ना! बापदादा को बहुत मीठी मीठी बातें सुनाते हैं। सबका कारण राजा बन जाओ बस। स्वराज्य अधिकारी बन जाओ। तो आज बापदादा सभी बच्चों को चाहे सामने बैठे हैं चाहे दूर बैठे दिल में बैठे हैं। आप तो आंखों के सामने हैं लेकिन बापदादा जो दूर बैठे हैं उनको दिल में देख रहे हैं।
बापदादा को पता है कि आज के दिन मधुबन में भी छोटी छोटी गीता पाठशालायें लग गई हैं। बच्चे आये हैं बापदादा बहुत बहुत बहुत नीचे बैठने वालों को कहाँ कहाँ बैठने वालों को सबसे पहले दिल का दुलार और यादप्यार दे रहे हैं। (आज शान्तिवन में 28 हजार से भी अधिक भाई बहिनें पहुंचे हुए हैं) बापदादा ने देखा कि बच्चों को थोड़ी तकलीफ तो देखनी पड़ी है लेकिन यह तकलीफ खुशी में अनुभव नहीं करते हैं। फिर भी आराम से सोने के लिए तीन पैर पृथ्वी तो मिली है ना। जो पटरानी बने हैं उन बच्चों को बापदादा विशेष यादप्यार दे रहे हैं। अच्छा जो आज पहले बारी मधुबन में आये हैं या बापदादा से मिलने आये हैं वह उठो। आज पहले बारी आने वाले बच्चों को बापदादा नये ब्राह्मण परिवार में आने की अपने तरफ से और ब्राह्मण परिवार की तरफ से बहुत-बहुत बधाई दे रहे हैं क्योंकि फिर भी टूलेट आये हो लेकिन आ तो गये। बापदादा और परिवार को देख तो लिया। बापदादा समझते हैं कि आप चाहो तो आज आने वालों को विशेष वरदान है कि अगर दिल से चाहो तो लास्ट सो फास्ट फास्ट सो आगे आ सकते हो। बापदादा और परिवार का आप सब आत्माओं से प्यार है। सहयोगी बनेंगे स्नेह देंगे और आपको आगे बढ़ायेंगे। चांस देंगे। इसीलिए आज आने वालों को आगे बढ़ने का चांस बहुत अच्छा ड्रामा में मिल सकता है। सारा परिवार जहाँ से भी आये हो तो वह परिवार आपका सहयोगी बनेगा आप सहज योगी बनना। अच्छा।
सेवा का टर्न राजस्थान और भोपाल जोन का है:- अच्छा बापदादा देख रहे हैं कि जो जोन सेवा पर आये हैं उनके ही ज्यादा नई आत्मायें भी आई हुई हैं। अच्छा है। राजस्थान वाले तो आधा क्लास है। राजस्थान की धरनी ब्रह्मा बाप को बहुत पसन्द आई जो राजस्थान में ही मधुबन बनाया है। राजस्थान की सेवा बापदादा ने देखा कि हर स्थान में अभी वृद्धि अच्छी हो रही है। नई नई आत्माओं को बाप का सन्देश देने के प्रोग्रामस भी अच्छे हो रहे हैं। लेकिन बापदादा सभी को यही कहते हैं हर एक सेवाकेन्द्र यज्ञ स्नेही वारिस ऐसा ग्रुप बनावे जो स्वयं भी आगे बढ़ते जायें औरों को भी यज्ञ स्नेही बनाये। अगले वारी भी बापदादा ने यह कहा यज्ञ स्नेही सेवा स्नेही और सफल करने में सदा आगे से आगे बढ़ने वाले वृद्धि हो रही है अच्छा है सन्देश देने का कार्य भी देने में हर एक उमंग उत्साह में है। अभी बापदादा यही देखने चाहते हैं कि स्व और सेवा दोनों का बैलेन्स करने वाले हर एक सेन्टर से ज्यादा में ज्यादा आगे आने चाहिए। सिर्फ सेवा नहीं स्व और सेवा क्योंकि अब स्व परिवर्तन का समय इतना ज्यादा नहीं है इसीलिए पहले स्व साथ में सेवा। हर एक सेवाकेन्द्र निर्विघ्न सब साथी निर्विघ्न सिर्फ टीचर नहीं लेकिन सारा क्लास निर्विघ्न और स्व परिवर्तन का अटेन्शन रखने वाले हो। तो यह वृद्धि करो। एक एक की बातों को सुनो और उनको उमंग-उत्साह के पंख लगाओ जो बापदादा को निर्विघ्न सेन्टर का समाचार दे सको। बाकी बापदादा ने देखा राजस्थान भी आगे बढ़ रहा है बढ़ता रहेगा। बापदादा हर एक बच्चे को आगे बढ़ने की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।
भोपाल जोन:- अच्छा यह भी जोन अपने परिवर्तन और सेवा की वृद्धि में अच्छा आगे बढ़ रहा है। बापदादा को खुशी है कि हर एक बच्चा स्व के प्रति भी प्लैन बना रहे हैं और प्रैक्टिकल में भी ला रहे हैं। और बाबा की शुभ आशा है कि सदा आगे बढ़ते रहेंगे। हर एक जोन में देखा जाता है कि अभी उमंग-उत्साह है इसलिए सेवा में अपने अपने स्थान में वृद्धि कर रहे हैं। बापदादा आगे के लिए भी मुबारक दे रहे हैं बढ़ते चलो उड़ते चलो उड़ाते चलो। अच्छा।
डबल विदेशी भाई बहिनें:- फॉरेनर्स को टाइटिल दिया है डबल फॉरेनर्स। फॉरेनर्स नहीं डबल फॉरेनर्स। तो प्रैक्टिकल में देखा जाता है कि जैसे टाइटिल दिया है ना डबल फॉरेनर्स ऐसे ही मैजारिटी को डबल नशा रहता है क्या डबल नशा रहता है? कि हम डबल उमंग उत्साह में रहने वाले हैं और बापदादा देखते हैं उमंग उत्साह अच्छा रहता है। बापदादा खुश है कि कहाँ एक लण्डन की स्थापना हुई और आज डबल फॉरेनर्स ने काफी स्थानों पर सेवा कर सभी को बापदादा का या ब्राह्मण परिवार का बनाया है और बनाने का लक्ष्य अच्छा है इसलिए प्रूफ है। पहले अपने टर्न में आते थे लेकिन अभी मैजारिटी हर टर्न में पहुंचते हैं और बापदादा को खुशी है कि फॉरेन के बच्चों को देख भारतवासियों को उमंग आता है कि यह भारतवासियों से आगे बढ़ रहे हैं। फॉरेन वाले आगे बढ़ रहे हैं और हम पीछे रह नहीं जाएं। भारतवासियों को भी उमंग आता है और पुरूषार्थ में भी देखा गया तो अभी पेपर्स तो आते हैं फॉरेन वालों के पास लेकिन एक विशेषता है कि वह सच्ची दिल से बोल देते हैं। अन्दर नहीं रखते हैं और उसका समाधान सच्ची दिल से करते रहते हैं। यह बापदादा को खुशी है कि साफ दिल तो हजूर हाजिर हो जाता है। अच्छी रिजल्ट देख बापदादा मुबारक भी दे रहे हैं और वरदान भी दे रहे हैं कि सदा आगे बढ़ते रहेंगे। टीचर्स भी अच्छी मेहनत कर रही हैं। बापदादा को खुशी होती है कि सबसे ज्यादा मधुबन का फायदा फारेन वाले उठा रहे हैं। तो बापदादा देखते हैं कि फॉरेन के छोटे छोटे स्थानों पर भी आवाज बुलन्द करने की सेवा करना आरम्भ कर दिया है। तो सेवा की मुबारक हो स्व परिवर्तन की मुबारक हो। उड़ते चलो और उड़ाते चलो। अच्छा।
चारों ओर के देश और विदेश के बच्चों को बापदादा पुरूषार्थ में सहज आगे बढ़ने और बढ़ाने की खास मुबारक दे रहे हैं। अभी जो समय आने वाला है उसके लिए बापदादा ने डायरेक्शन दे दिये हैं कि तीव्र पुरूषार्थी बन सेकण्ड में बिन्दु लगाने फुलस्टॉप लगाने का अभ्यास अति आवश्यक है। इस बात को हल्का नहीं करो। अचानक कुछ न कुछ होना ही है इसलिए बाप की शुभ आशा है कि हर एक बच्चा साथ है साथ चलेंगे साथ राज्य करेंगे ब्रह्मा बाप के साथ शिवबाबा साक्षी हो जायेगा। साथी बनने वाले हो तो बापदादा समान बनना ही है। अच्छा - हर एक बच्चे को बापदादा की तरफ से इस वर्ष की मुबारक है और आगे वर्ष की भी मुबारक है कि सदा बाप समान बनना ही है। अच्छा।
मोहिनी बहन से:- संकल्प किया मुझे करना है तो कर लिया यह आपकी ताकत है। समझ जाओ होना ही है।
दादी जानकी से:- प्यार है प्यार आपका पहुंचता है। (सभी दादियों से) बापदादा आप सभी को देख करके खुश होता है क्यों? क्यों खुश होता है? क्योंकि यज्ञ रक्षक बन यज्ञ को चलाने में आगे बढ़ रहे हो। सब निमित्त हैं ना। (निर्मला बहन से) अच्छा किया।
(रूकमणि दादी) बापदादा जानते हैं कि सभी अपनी तबियतों को चला रहे हैं लेकिन आप निमित्त हो ना। तो निमित्त तो चलायेंगे ही तो हर एक निमित्त समझ खुद भी चले और यज्ञ को भी चलाये। जिम्मेवार ग्रुप है। समझा। सब एक एक जिम्मेवार है।
परदादी से:- आपकी कमरे में बैठे बैठे सहयोग की किरणें यज्ञ में फैलती है। सदा खुश रहती है इसलिए चेहरा सदा खुशनुमा है। खुश है खुशनसीब है।
डा अशोक मेहता से:- अभी ठीक है! कमज़ोरी खत्म हो रही है? (अभी आपरेशन करना शुरू किया है) जितना चलेंगे ना उतना अच्छा होता जायेगा। और अच्छा पार्ट बजाया लेकिन एक बात ध्यान में रखना कि बुद्धि को सदैव बाप के साथ लगाके रखना। बुद्धि में और बातों का प्रभाव नहीं पड़े क्योंकि यह बुद्धियोग की ही कमाई है। एकदम जो बीता सो बीता उसका चिंतन वर्णन नहीं। उसमें से भी नुकसान से भी फायदा उठाना क्योंकि बाप की निमित्त आत्मा हो ना। तो आप में बाप दिखाई देवे। सब यही कहे कि जैसे बाप है यह बाप समान है। ऐसे हो सकता है? अपनी बुद्धि को बहुत खुश न्यारा और प्यारा तो कमाल हो जायेगी परिवार में एक्जैम्पुल बन जायेंगे। अच्छा है जो किया वह अच्छा अभी अच्छे ते अच्छा।
आचार्य प्रमोद क्रिष्णम जी से:- अपना परिवार देखा। अपना ही घर है अपना ही परिवार है। अपने घर में आये हो। बाप को खुशी है कि बच्चा अपने घर में पहुंच गया।
पुनीत इस्सर:- (महाभारत में दुर्योधन का पार्ट बजाया है) देखो आज अपने परिवार में पहुंच गये हो। यह परिवार अच्छा लगता है ना! (अद्भुत) तो ऐसा ही आपको बनके बनाना है। बहुत लक्की है जो मधुबन में पहुंच जाते हैं ना जो मधुबन पहुंचते हैं उनका लक सदा ही खुला हुआ रहता है। बहुत अच्छा। (महाभारत में दुर्योधन का पार्ट बजाया है) अभी बदल गये अभी दुर्योधन नहीं अभी बाप के कार्य का साथी बन गये। यह भी साथी बन गये।
बापदादा से अलग-अलग वी.आई पी मिल रहे हैं:- (भगवती प्रसाद मिनिस्टर उत्तरप्रदेश धनंजय मुण्डे एम.एल.ए.महाराष्ट्र तथा परिवार)
1) अपना घर लगता है तो अपने घर में आती रहो। बापदादा का वरदान यही है सदा खुश रहो और खुशी बांटों।
2) देखो जितना सहयोगी बनते जायेंगे उतना योगी बनते जायेंगे। सेवा में सहयोगी बनते जाओ तो योगी बन जायेंगे। पढ़ाई जरूर पढ़ो। ईश्वरीय पढ़ाई में एक्यूरेट।
3) जैसे चल रहे हो वैसे चलते आगे बढ़ते जाओ अच्छे हो बढ़ते रहो।
4) अपना घर समझकर सहयोगी हो सहयोगी योगी तो कर्मयोगी बन पार्ट बजा रहे हो और बजाते रहेंगे। कर्मयोगी यह शब्द याद रखो। कर्म कितना भी करो लेकिन योगी। योग नहीं छोड़ना। यह भी कर्मयोगी।
5) देखो मुरली से प्यार है इसका अर्थ है बाप से भी प्यार है। तो बाप से प्यार है वर्से के अधिकारी बनना। बनेंगी।
6) अभी इस कार्य को समझ तो गये हो अभी इसमें जितना सहयोगी बनेंगे उतना योग लगता रहेगा। मेहनत नहीं लगेगी क्योंकि सहयोग आगे बढ़ाता है। तो कर्मयोगी। सिर्फ कर्म नहीं योग भी। तो कर्मयोगी आत्मा हूँ यही याद रखना।
निरमा ग्रुप के करसन भाई और युगल से:- बापदादा ने देखा कि डबल पार्ट अच्छा बजा रहे हो। मुरली और याद इसको भी चला रहे हो और अपने कार्य में भी आगे बढ़ रहे हो। इसको कहा जाता है कर्मयोगी। कर्म भी योग भी अच्छा। कर्मयोगी बच्चा है।
टॉलीवुड (हैदराबाद) के मेगा स्टार - चिरंजीवी भाई और युगल सुरेखा बहन:- अभी यहाँ भी सेवा और योग इसमें भी हीरो बनना है। यहाँ हीरो के साथ जीरो भी बनना है। और यह साथी है। दोनों साथ हैं। एकमत हो गये ना। तो एकमत होने में बहुत सहज हो जाता है बहुत सुखी। यह याद रखो सिर्फ हीरो नहीं जीरो। बस आगे बढ़ेंगे सिर्फ यह शब्द नहीं भूलना ‘मेरा बाबा’। मेरा कहने से सारा वर्सा मिल जायेगा। तो एक दो से आगे आप अपनी रीति से यह अपनी रीति से।
आशीष गुप्ता अपना पीस आफ माइन्ड चैनल शुरू कर रहे हैं:- आप भी कराने वाले नहीं करने वाले बनना। साथी हो ना। जो भी शुभ कार्य होता है उसमें साथी बनना बड़ा पुण्य होता है। तो सिर्फ चलाने वाले नहीं आप भी साथी बन के सभी को उत्साह में लाना। आपका काम है उत्साह दिलाना। आप सिर्फ निमित्त हो। आप शुभ भावना रखो बस। शुभ भावना रखना तो आता है ना। आपकी शुभ भावना अनेकों को शुभ भावना बिठायेगी। अच्छा।
15-11-11 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन
‘‘अभी बातों को न देख तीव्र पुरूषार्थ कर ब्रह्मा बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बनो, निर्विघ्न और एवररेडी रह 108 की माला तैयार करो’’
आज सर्वशक्तिवान बाप अपने मास्टर सर्वशक्तिवान बच्चों को सर्व शक्तियों का खज़ाना देने आये हैं। सर्वशक्तियों का खज़ाना कितना सहज प्राप्त होता है। एक सेकण्ड में जाना मेरा बाबा, बाबा ने कहा मेरे बच्चे, इतने में ही खज़ानों के मालिक बन गये। तो हर एक बच्चे के पास सर्व खज़ाने सदा साथ हैं ना! नशा है जो बाप का खज़ाना वह मेरा खज़ाना। अभी चेक करो बाप ने तो हर बच्चे को सर्व खज़ाने दिये हैं। एक भी कम नहीं। लेकिन वह सर्व खज़ाने हर एक के पास सदा साथ हैं वा कोई कोई खज़ाना है और कोई खज़ाना कम है? बापदादा ने तो दिये लेकिन हर एक के पास सर्व खज़ाने सदा ही हैं और सर्व खज़ाने समय पर कार्य में लाते रहते हो? मालिक होके आर्डर करो तो समय पर खज़ाना अनुभव में आता है? बापदादा ने चारों ओर के बच्चों के सेवा का उमंग देखा भी, सुना भी। चारों ओर अच्छे उमंग उत्साह से यह 75 वर्ष की जयन्ती मना रहे हैं, चैलेन्ज कर रहे हैं, अब परिवर्तन हुआ कि हुआ। चैलेन्ज बहुत अच्छी कर रहे हैं। बापदादा बच्चों के उमंग उत्साह को देख-देख खुश होते हैं और गीत क्या गाते? वाह बच्चे वाह! साथ-साथ बापदादा ने देखा चैलेन्ज तो बहुत अच्छी कर रहे हैं उमंग उत्साह से लेकिन साथ में बच्चों की स्वयं में सर्व धारणाओं का सफलता का स्वरूप भी देखा। आप सब भी अपने सम्पन्न और सफलता का स्वरूप जानते हैं क्योंकि सारे निमित्त बने हुए बच्चे सदा सम्पन्न और सफलतामूर्त बन गये हैं कि बनना है? क्योंकि सुखमय संसार का आधार स्वरूप आप बच्चे हो। तो बापदादा ने सर्व बच्चों की रिजल्ट देखी। जो आप आधारमूर्त हो, सिर्फ थोड़े से बच्चे नहीं, सर्व बच्चों का चैलेन्ज है कि हम सुखमय संसार लाने के निमित्त हैं।
तो बापदादा सभी बच्चों से पूछते हैं कि सुखमय संसार लाने के निमित्त बने हुए बच्चे सम्पूर्ण सम्पन्न आधारमूर्त बन गये हैं? जो बापदादा की बच्चों में आशा है हर बच्चा सफलतामूर्त हो, क्योंकि आप लोगों ने बाप के साथी बन संकल्प किया है और बड़े खुशी से चैलेन्ज की है, परिवर्तन हुआ कि हुआ। तो अपने से पूछो विश्व परिवर्तन के निमित्त बच्चे स्व सम्पन्न और सम्पूर्ण कहाँ तक बने हैं? क्योंकि राज्य स्थापन होना है तो पहले राज्य के निमित्त बनी हुई आत्मायें निमित्त बनेंगी उसके बाद दूसरे निमित्त बन सकते हैं। तो बापदादा ने देखा कि अब सम्पूर्ण बनने में कुछ मार्जिन रही हुई है। सेवा तो की लेकिन सेवा की रिजल्ट में आपके साथी कितने बने? हिसाब निकालो कि जो सुनते हैं वह समीप कितने आते हैं? बापदादा बच्चों की हिम्मत पर खुश है लेकिन अभी सर्विस की रिजल्ट में और तीव्रता लानी है। हर समय आत्माओं को इतना समीप सम्बन्ध में लाओ, खुश बहुत होते हैं अभी ब्रह्माकुमारियों के कर्तव्य को जानने में बहुत नजदीक आये हैं लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा वर्सा आत्माओं को बाप द्वारा मिलना है, तो बाप को जानें, समय को जानें, स्वमान को जानें तब वर्से के अधिकारी बनें। अभी बाप आया है, बाप वर्सा दे रहा है, यह बुद्धि में आये तब वर्सा लेके राज्य अधिकारी बनें।
चारों ओर यह आवाज फैले जो गीत गाते हो हमारा बाबा आ गया। अब बापदादा यह रिजल्ट देखने चाहते हैं। परिवर्तन हुआ है, सर्विस का लाभ हुआ है, मेहनत का फल मिला है लेकिन अभी बाप तक नहीं पहुंचे हैं, इसका कोई प्लैन बनाओ। बाप की प्रत्यक्षता कैसे हो? राजधानी में राज्य करने वाले भी निर्विघ्न बने हैं? अब परिवर्तन का बटन ड्रामा दबाये, एवररेडी? एवररेडी हैं? बटन दबायें? क्या समझते हैं, बटन दबायें? एवररेडी हैं? क्योंकि सब तैयार चाहिए, राज्य अधिकारी भी, रॉयल फैमिली भी, रॉयल प्रजा भी और साधारण प्रजा तो कोई बड़ी बात नहीं। तो बापदादा आज बच्चों से रिजल्ट पूछते हैं। क्या समझते हो? बापदादा को बटन दबाने में तो देरी नहीं लगेगी। तो पहली लाइन क्या समझती है? शक्तियां क्या समझती हैं? पाण्डव क्या समझते हैं? जवाब दो। हाँ पाण्डव जवाब दो। दबायें बटन? एवररेडी हैं? (बाबा आप मालिक हैं, आपको संकल्प आता है कि दबायें तो दबा दीजिये) बापदादा बच्चों से पूछते हैं क्यों? क्योंकि बाप को तो राज्य में आना नहीं है। ब्रह्मा बाप को आना है। (यहाँ बापदादा से मिलते रहें, यह बहुत अच्छा लगता है) यह बात तो अच्छी है लेकिन बाप समान बनके बाप के साथ जीवन का अनुभव करें यह भी चाहिए ना। वह है? तैयार हैं? सिर्फ आप नहीं, राजधानी है। आप राज्य किस पर करेंगे? राजधानी तो चाहिए ना! (साथी हैं) सब तैयार हैं? (बिल्कुल तैयार हैं) सम्पन्न बनने में तैयार हैं? अच्छा सभी सोच रहे हैं कोई बात नहीं।
बापदादा जानते हैं कि अभी भी रेडी हैं एवररेडी बनना पड़े। जो बापदादा ने दो बातें कही थी कि सेकण्ड में फुलस्टाप लगाने वाले बच्चे चाहिए। व्यर्थ संकल्पों का नाम निशान न रहे। जिसको भी सन्देश देते हो वह सन्देश सुन परिवर्तन करने के उमंग उत्साह में आ जाएं। अब बापदादा यह रिजल्ट चाहते हैं। इसके लिए बापदादा बच्चों को राय देते हैं, आज्ञा भी करते हैं, कि सेवा करते हो लेकिन जिनकी भी सेवा करते हो, एक ही समय पर तीन रूपों और तीन रीति से सेवा करो। तीन रूप नॉलेजफुल, पावरफुल और लवफुल, इन तीनों रूपों से सेवा करो और तीनों रीति से सेवा करो, वह तीन रीति है मन्सा-वाचा-कर्मणा एक ही समय, सिर्फ वाणी से सेवा नहीं लेकिन वाणी के साथ मन्सा सेवा भी साथ-साथ हो। पावरफुल माइन्ड हो। तो अभी आवश्यकता एक ही समय मन्सा पावरफुल हो, जिससे आत्माओं की भी मन्सा परिवर्तन हो जाए। वाणी द्वारा सारी नॉलेज स्पष्ट हो जाए और कर्मणा द्वारा, कर्म द्वारा सेवा से वह आत्मायें अनुभव करें कि सचमुच हम अपने परिवार में पहुंच गये हैं। परिवार की फीलिंग आने से नजदीक के साथी बन जायें। तो बापदादा अभी एक ही समय तीन रूप की सेवा इकठ्ठी चाहते हैं। हो सकता है? हो सकता है? हाथ उठाओ, हो सकता है? अभी बापदादा ने रिजल्ट में देखा वाणी द्वारा नॉलेजफुल बनते हैं लेकिन परिवार के साथी बनें, इसमें अभी टाइम लगता है। तो बापदादा ने देखा कि समय की चैलेन्ज वे साथ अभी सेवा में ऐसी सेवा करो जो एक ही समय तीनों सेवा द्वारा प्राप्ति का अनुभव करें।
तो सभी मिलने के लिए उमंग-उत्साह से पहुंच गये हैं तो बापदादा बच्चों का उमंग देख खुश है। अभी अटेन्शन देना है, सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने में क्योंकि कम से कम 108 की माला तैयार कर सको, कर सकते हो? 108 की माला तैयार है? तैयार है? क्योंकि राजधानी में राज्य अधिकारी तो वही बनेंगे ना। लिस्ट अभी निकाल सकते हो 108 रत्नों की? निकाल सकते हो? निकाल सकते हैं? हाँ जी नहीं कहते हैं? 108 राज्य अधिकारी, फिर 16 हजार 108 राज्य अधिकारी के साथी। फिर उसके बाद है नम्बरवार। तो बापदादा अभी समय प्रमाण, समय को समीप लाने वाले बच्चों से यही चाहते हैं कि 108 की माला एवररेडी हो, बाप समान हो। हैं ना इतना, पहली लाइन निकाल सकती है 108, हाँ या ना करो ना! साकार में जब ब्रह्मा बाप थे तो कई बार ट्रायल की लेकिन फाइनल नहीं हो सकी, लेकिन अब तो 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो इस 75 वर्ष की जुबिली में कोई तो नवीनता करेंगे ना! तो नवीनता यही करो जो हर एक अपने को 108 की माला के मणके बनाये, जो गिनती में आये हाँ 108 की माला तो बन गई क्योंकि जब पहले राज्य अधिकारी बनें तब तो पीछे राज्य के सम्पर्क वाले बनें। उनको भी तो जगह चाहिए ना! तो बापदादा का कहने का यही सार है कि अभी हर एक को अपना तीव्र पुरूषार्थ कर और दृढ़ संकल्प करना है कि मुझे बाप समान बनना ही है क्योंकि बापदादा ने सुना दिया है कि अचानक परिवर्तन होना है। उसके पहले कम से कम जो सेवा के निमित्त बने हुए हैं, ज़ोन हेडस साथ में सेन्टर इन्चार्ज, साथ में उनके नजदीक के साथी पाण्डव, सेन्टर हेड नहीं बनते लेकिन कोई न कोई विशेष कार्य के निमित्त बने हुए जिनको विशेष आत्मा की नज़र से देखते हैं, उन पाण्डवों को भी अभी तीव्र पुरूषार्थ कर स्व परिवर्तन की झलक बाहर स्टेज पर लानी पड़ेगी। इसके लिए एवररेडी हैं? जो समझते हैं कि यह कार्य तो करना ही है, अपने को बाप समान, ब्रह्मा बाप समान फॉलो फादर करना ही है, करना है? हाथ उठाओ। हाथ तो इतने उठाते हैं खुश कर देते हैं। अच्छा करते हैं। लेकिन हाथ के साथ दृढ़ संकल्प भी करो। दृढ़ता की शक्ति बहुत सहयोग देती है।
तो बापदादा खुश है, हाथ उठाने में होशियार सभी हैं लेकिन अभी दृढ़ता को प्रैक्टिकल में लायेंगे। होशियार हैं ना बच्चे, दृढ़ता करते भी हैं लेकिन फिर दृढ़ता भिन्न-भिन्न रूप में बदल जाती है। यह हो गया, यह हो गया। यह नहीं होता तो वह नहीं होता। इस बहाने में बहुत होशियार हैं। तो अभी बापदादा क्या चाहते हैं? अभी हरेक को बाप समान बनना है, मन्सा वाचा कर्मणा, सम्बन्ध सम्पर्क में आपको जो भी देखे, जो भी मिले वह यही कहे वाह परिवर्तन वाह! बापदादा को भी अच्छा लगता है जो बच्चे निमित्त बने हुए हैं उनको देखकरके भी खुशी होती है और मिलन में भी बहुत खुशी होती है।
तो आज क्या संकल्प किया? बनना ही है। ब्रह्मा बाप समान बनना ही है। बनना है नहीं, बनना ही है। कोई भी बातें आयें, बात के बजाए बाप को आगे रखो। तो सभी दूर बैठे हुए बच्चे नजदीक सामने बैठे हुए बच्चे दोनों को बापदादा देख देख हर्षित हो रहे हैं। सभी बच्चे प्लैन बहुत अच्छा बनाते हैं, अमृतवेले बहुत मीठी मीठी बातें करते हैं सब। मैजारिटी इतनी मीठी बातें करते हैं जो बाप भी बातें सुन कुर्बान हो जाते हैं। लेकिन पता है फिर क्या होता? जब कर्म के क्षेत्र में आते हैं, सम्बन्ध में आते हैं, सेवा में आते हैं, तो जो बातें आती हैं उसमें थोड़ा थोड़ा बदल जाते हैं। अमृतवेले का जो उमंग उत्साह है वह कर्म करते, सम्बन्ध में आते थोड़ा थोड़ा बदल जाता है।
अभी बापदादा एक कार्य देते हैं, करने के लिए तैयार हो ना! कांध हिलाओ। हाथ उठाओ। बापदादा का संकल्प है कि एक मास के लिए अपने को दृढ़ संकल्प के आधार से बाप समान स्थिति में स्थित कर सकते हो? एक मास, कर सकते हैं? कि ज्यादा है? जो समझते हैं एक मास दृढ़ता से, दृढ़ता को साथी बनाना बाप को सदा सामने रखना, ब्रह्मा बाप को नयनों में समाये रखना और ब्रह्मा बाप ने क्या किया, मन्सा वाचा कर्मणा वही करना है। चाहे कोई ने प्रैक्टिकल में देखा या नहीं देखा लेकिन नॉलेज तो है ना! कोई भी कर्म करने के पहले यह चेक करना पहले, ब्रह्मा बाप का यह संकल्प रहा, यह बोल रहा, यह कर्म रहा, यह संबंध रहा, यह सम्पर्क रहा? पहले सोचो पीछे करो। हो सकता है? हाथ उठाओ इसमें। हो सकता है? लम्बा हाथ उठाओ। मातायें लम्बा हाथ उठाओ, यहाँ एक्सरसाइज करती हो ना तो हाथ लम्बा उठाओ। आगे वाले भी उठायेंगे ना? सब मधुबन वाले इसमें नम्बरवन आना। आगे आगे मधुबन वाले बैठे हैं ना। मधुबन में सिर्फ शान्तिवन नहीं, जो भी हैं एक मास निर्विघ्न, हर सेन्टर भी निर्विघ्न, गुजरात की टीचर्स हाथ उठाओ। गुजरात की टीचर्स समझती हैं हो सकता है, इसमें लम्बा हाथ उठाओ। ऐसे ऐसे नहीं करो लम्बा उठाओ। हो सकता है? अच्छा। शान्तिवन निवासी हाथ उठाओ। थोड़े हैं। जो भी बैठे हैं, पीछे भी बैठे हैं। तो मधुबन के 4-5 स्थान जो भी हैं वह करेंगे? करेंगे हाथ उठाओ? मधुबन वाले दो हाथ उठाओ। गुजरात वाले जिज्ञासु भी, निमित्त टीचर्स भी, निमित्त भाई भी सभी हाथ उठाओ, करेंगे। बड़ा हाथ उठाओ। पीछे वालों का हाथ दिखाई नहीं देता है, अच्छा, गुजरात वाले खड़े हो जाओ। गुजरात तो बहुत आया है। आधा हाल तो गुजरात है। (गुजरात 15 हजार है, बाकी 3 हजार हैं) गुजरात वालों को बापदादा और परिवार की तरफ से बहुत-बहुत मुबारक है, मुबारक है। जैसे अभी तालियां बजाई ना, वैसे ही एक मास के बाद रिजल्ट में गुजरात नम्बरवन आयेगा! अच्छा है। संख्या तो बहुत अच्छी है। बापदादा खुश होते हैं कि बच्चों को बाप से और मधुबन से दिल का प्यार है। बहुत अच्छा है, अभी गुजरात कमाल करके दिखाना। इस एक मास की रिजल्ट में नम्बरवन आके दिखाना। वैसे नम्बरवन सबको आना है। मधुबन वाले नम्बरवन आयेंगे ना, हाथ उठाओ। कुछ भी हो जाए, क्या भी परिस्थिति हो जाए, परिस्थिति आयेगी, माया सुन रही है ना, तो माया अपना रूप तो दिखायेगी लेकिन माया का काम है आना और आपका काम है विजय पाना। यह नहीं कहना, यह हो गया, वह हो गया, यह नहीं करना। आयेगा, होगा, यह तो बापदादा पहले ही सुना देता है क्योंकि माया सुन रही है, वह बहुत चतुर है लेकिन आप, माया कितनी भी चतुर हो आप तो सर्वशक्तिवान के साथी हो, माया क्या करेगी।
बापदादा देख रहे हैं, टी.वी. में देख रहे हैं तो सभी नम्बरवन लाना। कोई टू नम्बर नहीं बनना, वन नम्बर। अच्छा।
सेवा का टर्न गुजरात का है:- तो गुजरात वाले जैसे समीप हैं ना, सबसे समीप कौन है? गुजरात ही समीप है। तो यही पुरूषार्थ का लक्ष्य रखना कि हमें राज्य के अधिकारी, परिवार के नजदीक आना ही है। पुरूषार्थ क्या है? बाप को फॉलो करो। और दृढ़ता को नहीं भूलना। जहाँ दृढ़ता है वहाँ सफलता है ही है। तो गुजरात तो बापदादा को भी प्यारा लगता है। एक विशेषता के कारण बापदादा को प्यारा लगता है, कभी भी किस समय भी बुलाओ, आवश्यकता हो तो गुजरात हाजिर हो जाता है। नजदीक का फायदा उठाते हैं। ऐसे ही सदा बाप को फॉलो करने वाले नजदीक रहना। जो बाप ने किया वह करते रहना। फॉलो फादर। अच्छा।
चार विंग्स आई हैं:- (समाज सेवा, महिला, एडमिनिस्ट्रेटर, यूथ) जो भी वर्ग हैं उनकी रिजल्ट बापदादा के पास आती हैं और बापदादा ने देखा है कि जबसे वर्गीकरण के रूप की सेवा आरम्भ हुई है तो चारों ओर सेवा वृद्धि को प्राप्त हुई है क्योंकि बापदादा ने देखा है कि हर वर्ग यह सदा सोचता है कि हमारे वर्ग में कोई नवीनता होनी चाहिए, जो समाचार सबको मिलता रहे इसलिए जिम्मेवारी होने के कारण और हर एक को अलग अलग वर्ग होने के कारण सर्विस का चांस अच्छा मिला है। तो बापदादा हर एक का नाम नहीं लेता लेकिन चारों ही वर्ग को कह रहे हैं, कि सेवा हो रही है, अच्छी कर रहे हो और जिम्मेवारी भी अपनी समझते हो लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा है तो हर वर्ग अपने जो विशेष आत्मायें निकली हैं क्योंकि हर वर्ग की निकली हैं, यह बापदादा जानते हैं लेकिन उन्हों का एक बारी संगठन करो। जैसे हर ज़ोन में कोई विशेष आत्मायें निकली हो, उनमें से चुनके एक बारी सभी वर्गो के विशेष 10-15-20 हर एक वर्ग के ऐसे चुनो और उन्हों का प्रोग्राम करो, यहाँ आबू में, तो नजर में आवे सर्विस की रिजल्ट क्या है और वह भी संगठन देख करके उमंग उत्साह में आयें। इस वर्ग से यह आ रहे हैं, यह आ रहे हैं, एक दो को देख करके भी उमंग में आवे, तो यह अभी प्रोग्राम बनाना। सबके 15-20 हो उनके लिए ऐसे कार्यक्रम रखो और उन्हों को इकठ्ठा करो। ठीक लगता है यह क्योंकि बापदादा उन्हों को अभी अनुभव के आधार से स्पीकर बनाने चाहता है। आप जो भाषण करो, उसके साथ ऐसे अनुभवी आत्मायें अनुभव सुनायें तो प्रभाव पड़ता है। तो अभी यह सेवा करना, उन हर एक जो भी वर्ग है, उन्होंने अच्छे अच्छे निमित्त निकली आत्माओं के फायदे का लाभ का किताब छपाया है, जिसने छपाया है वह हाथ उठाओ। अपने अपने वर्ग के अच्छे अच्छे अनुभवी, उनके अनुभवों का किताब छपाया है तो वह हाथ उठाओ। कोई ने नहीं छपाया है? (यूथ और एज्यूकेशन का छपा है) सभी का छपना चाहिए क्योंकि कोई भी आते हैं तो लाइब्रेरी में ऐसे ऐसे किताब होने चाहिए जो कोई भी फ्री होके पढ़े और हर वर्ग का पढ़ने से प्रभाव पड़ता है, कई समझते हैं कि कर्म करते हुए, ड्युटी सम्भालते हुए कुछ हो नहीं सकता है, तो उन्हों को उमंग उत्साह आवे तो जब यह बने हैं तो हम भी बन सकते हैं। तो ऐसा किताब निकालो और अपने अपने जो भी सेन्टर्स हैं वहाँ सब जगह में जहाँ लाइब्रेरी हो वहाँ रखो। तो यह काम करना, बाकी बापदादा समाज सेवा की भी जो मीटिंग की थी वह सुना है, सन्देशी ने पढ़ा है, बापदादा ने सुना है। और युवा वर्ग का भी समाचार सुना, जो निकाला वह बापदादा ने सुना और अच्छा है, कोई न कोई प्रोग्राम एक दो के पीछे करते चलो। हर एक वर्ग को करना चाहिए। युवा करता है, एज्यूकेशन भी करते हैं, और बाकी करते होंगे लेकिन यह कुछ ज्यादा करते हैं। समाज सेवा वालों का समाचार बच्ची ने पढ़कर सुनाया, प्लैन जो सोचा है वह बहुत अच्छा। तो बापदादा को वर्गो की सेवा अच्छी लगती है इसलिए करते चलो। कोई भी वर्ग ऐसा नहीं रह जाए जो आपको उल्हना देवे, हम तक तो सन्देश ही नहीं पहुंचा। कोई भी ऐसा, आप लोग सोचो कोई वर्ग ऐसा रह गया हो तो उस वर्ग की सेवा भी करनी चाहिए क्योंकि आजकल अपने कामों में, समस्याओं में ज्यादा बिजी होते जाते हैं। तो जगाना तो पड़ेगा ना। बाप आया और बच्चों को पता भी नहीं पड़े, तो यह तो उल्हना मिलेगा ना इसलिए सन्देश देना आपका काम है, उल्हना नहीं मिले, अपने मोहल्ले में भी, ऐसे नहीं सुनते नहीं है, सन्देश जरूर सबको पहुंचना चाहिए। कोई उल्हना नहीं दे। आप लोगों को पता है पहले पहले जब बच्चे सेवा में गये, तो ब्रह्माकुमारियों को सफेद साड़ियां देख करके वह दरवाजा बन्द कर देते थे, दूर से ही दरवाजा बन्द कर देते थे, सफेद साड़ी गृहस्थियों को अच्छी नहीं लगती, इसलिए बच्चों ने सेवा कैसे शुरू की। उनके पोस्ट बाक्स में डाल आते थे। क्योंकि पोस्ट तो निकालेंगे तो पोस्ट से सन्देश मिल जाता था। पहले पहले जब सर्विस आरम्भ हई थी तो बहुत मेहनत से शुरू हुई, अभी तो बहुत अच्छा, सहज है। अभी तो समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियों जैसा प्रोग्राम अच्छी तरह से कोई नहीं कर सकते हैं। अभी काफी फर्क हो गया है। आप लोगों ने ही किया है ना। वर्गो ने मोहल्लों में जगह जगह पर किया है, तो बापदादा सभी वर्गो को पदम पदम गुणा मुबारक दे रहे हैं। और तेज करो। सभी वर्ग वालों को बहुत बहुत मुबारक हो।
(मधुबन में प्लैटेनिम जुबली में 325 सन्त महामण्डलेश्वर आये, उनका सम्मेलन बहुत अच्छा हुआ, नेपाल और कानपुर, लखनऊ में भी बहुत अच्छे प्रोग्राम हुए) नेपाल में भी बापदादा ने देखा कि इतने भावना वाले हैं जो बहिनों को देखकरके छोड़ते ही नहीं हैं। अभी इतना प्रभाव है। अभी बापदादा ने देखा बच्चों ने, चाहे नेपाल है, चाहे विदेश है चाहे देश है, सभी जगह के निमित्त सेवाधारियों ने सेवा का फैलाव अच्छा किया है, कोई भी जगह पर सेवा कम नहीं है, सेवा विस्तार में आ गई है। काफी सेवा का विस्तार हुआ है उसके लिए बापदादा देश विदेश सभी को बहुत बहुत बधाई दे रहे हैं। लेकिन विशेष बाप जैसे तीव्र पुरूषार्थी बच्चों की संख्या देखने चाहते हैं, उसके ऊपर थोड़ा सा टीचर्स या निमित्त बनी हुई साथी बहनें, थोड़ा अटेन्शन देंगी तो वह वृद्धि होनी चाहिए। है, हर एक सेन्टर पर निकले हैं, लेकिन जितने निकलने चाहिए उतने अभी निकलने चाहिए। एक सेवा में विशेष पुरूषार्थी निकलने चाहिए और दूसरा सेन्टर्स अभी निर्विघ्न होने चाहिए। पहले बापदादा अपना संकल्प सुनावे, पहले मधुबन चाहे नीचे, चाहे ऊपर निर्विघ्न बनना चाहिए। जनक, मधुबन वालों का क्लास कराना। जनक को बापदादा कह रहे हैं, मधुबन के चार ही स्थान वाले इकठ्ठे करो और एक मास का जो बापदादा ने हाथ उठवाया है वह और पक्का कराओ। जो भी दिल में हैं, वह निकालें। निकालते कम हैं, दिल में रखते हैं। मधुबन ऐसे होना चाहिए जैसे दर्पण में सब फरिश्ते दिखाई दें। आप तैयार करना फिर बापदादा मधुबन वालों की रिजल्ट देखने आयेंगे क्योंकि मधुबन का वायब्रेशन ऐसे पावरफुल होना चाहिए जो जो भी वी.आई.पी आते हैं या साधारण आते हैं, ऐसे लगे जैसे कहाँ पहुंच गये हैं, ऐसा तो कहाँ देखा नहीं। एकदम वातावरण में अलौकिकता, न्यारापन हो। ऐसे ही सब सेन्टर, ज़ोन वाले अभी तक एक ने भी यह रिजल्ट नहीं दी है कि हमारा ज़ोन निर्विघ्न है। बापदादा ने कहा था लेकिन अभी तक एक भी ज़ोन ने समाचार नहीं दिया है क्योंकि बापदादा देख रहे हैं कि समय की गति फास्ट हो रही है। तो बच्चों के पुरूषार्थ की गति भी फास्ट होना चाहिए। अच्छा।
(मधुबन के सन्त सम्मेलन का समाचार बापदादा को सुनाया) अभी जिस जिस सेन्टर से आये, उसकी पीठ हो रही है? कनेक्शन रखा है। हर एक सेन्टर में वह कनेक्शन में आये? क्योंकि सेन्टर वाले भी उनको कनेक्शन में लावें। अच्छा किया।
कैड ग्रुप:- अच्छा है, इन सभी ने इलाज करके अपने को ठीक किया है। जिन्होंने इलाज द्वारा दिल को ठीक किया है वह हाथ उठाओ। कितने हैं गिनती करो। (150) अच्छा है। प्रैक्टिकल है ना। तो प्रैक्टिकल देखकर अच्छा लगता है। तो औरों को भी सन्देश देके आप समान बनाते रहो क्योंकि आजकल तो हार्ट की तकलीफ बहुत है। तो अपने अड़ोसी पड़ोसियों को सुनाओ अपना अनुभव। अच्छा मुबारक हो। दवाइयों से छूट गये, मुक्ति मिल गई और जीवनमुक्ति भी मिल गई। डबल प्राप्ति हो गई इसकी मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा। अच्छी सर्विस की है, प्रैक्टिकल एक्जैम्पुल है तो सर्विस की रिजल्ट है।
325 डबल विदेशी भाई बहिनें आये हैं:- (वजीहा बहन से) यह बच्ची भी आ गई है, कमाल है पैदा होते ही बहुत स्नेही सहयोगी सर्विसएबुल बनी। तकलीफ हुई है पास्ट जन्म के कारण लेकिन बापदादा बच्ची को सेवा और सहयोग और निर्माण का सर्टीफिकेट देते हैं।
अच्छा है डबल विदेशी, एक बात बाप को विदेशियों की बहुत अच्छी लगती है। यह डबल भाग्य एक बारी में बना देते हैं। अपनी मीटिंग्स भी कर देते हैं, बापदादा से भी मिल लेते हैं और आगे देश की सेवा में भी साथी बन जाते हैं। यह तरीका जो बनाया है ना यह बापदादा को बहुत अच्छा लगता है क्योंकि कहाँ भी इतने इकठ्ठे हो नहीं सकते जितने मधुबन में इकठ्ठे होते हैं। टर्न बाई टर्न भी आते हैं लेकिन जो भी लेन देन करनी है वह मधुबन के वायुमण्डल में करते हैं, हर साल करते हैं। यह विधि बापदादा को पसन्द है और परिवार से मिल लेते हैं। बहुत अच्छा है विदेश में अभी बापदादा ने देखा है कि जो बापदादा ने कहा कि आसपास कोई छोटे स्थान भी नहीं रहने चाहिए, तो बापदादा ने रिजल्ट में देखा है कि अभी छोटे छोटे स्थानों में भी आसपास वृद्धि हो रही है। इसलिए बापदादा सेवा की मुबारक दे रहे हैं और निर्विघ्न बनने की जो आपस में रूहरिहान करते हैं वह भी अच्छी है, अभी सिर्फ जयन्ती बच्ची को काम है कि हर मास हर सेन्टर की रिजल्ट पूछती रहे, जो मधुबन से रिफ्रेशमेंट ली वह कायम है या कोई पेपर है? साथी बना दे भले किसको। करते रहते हैं। एक एक सेन्टर का करना, ऐसे नहीं जहाँ कुछ होता हो वह नहीं, लेकिन जहाँ नहीं होता है उन्हों से भी। क्योंकि दूर रहते हैं ना। अटेन्शन है, बापदादा ने देखा है अटेन्शन है लेकिन और भी थोड़ा बढ़ा देना। अच्छा, सभी फारेनर्स उड़ता पंछी सदृश्य उड़ते रहते हैं? फरिश्ता, फरिश्ता बनके इस दुनिया में रहते हुए भी फरिश्ता लोक में उड़ते रहते हैं! पुरूषार्थ में नम्बरवन हैं लेकिन अटेन्शन खींचने से परिवर्तन हो जाता है। वृद्धि भी अच्छी हो रही है, पुरूषार्थ में भी अटेन्शन देते हैं फिर थोड़ा थोड़ा हो भी जाता है तो बाप ने देखा है कि जनक बच्ची का अटेन्शन फारेन के तरफ अच्छा रहता है, मधुबन में रहते भी फारेन की सेवा में कमी नहीं करती है। इसके लिए मुबारक हो। हर एक अपने ज़ोन जैसे यहाँ रहते वह विदेश में कर सकती है, वैसे हर एक ज़ोन इन्चार्ज अपने ज़ोन की इतनी सम्भाल करते रहें, हर एक सेन्टर का रिकार्ड पूछते रहने से पता पड़ेगा कि कैसे है, कम से कम हर मास में एक दो बारी जो जोन हैं उसको अपने सेवाकेन्द्रों का पता करना चाहिए, चाहे अपने साथी बना दो। एक दो नहीं कर सकेंगे लेकिन अपने साथी बना दो वह साथी आपको रिपोर्ट देवे। अभी समय नाजुक आ रहा है ना इसलिए अटेन्शन थोड़ा ज्यादा चाहिए। अच्छा। फारेन वालों को बापदादा दिल से मुबारक और पुरूषार्थ में चढ़ती कला की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।
अभी बापदादा दूर वालों को भी सामने देख रहे हैं और बापदादा एक तो सर्व बच्चों को यह 75 वर्ष के जुबिली की, पुरूषार्थ कर इस जुबिली तक पहुंचे हैं इसकी मुबारक बहुत बहुत दे रहे हैं। हर एक का इसमें सहयोग है, चाहे पीछे आये हैं चाहे आगे आये हैं लेकिन सबके सहयोग से यहाँ तक पहुंचे हैं और बापदादा जगह जगह के प्रोग्राम की सफलता देख, सेवा के सफलता की भी मुबारक दे रहे हैं। बापदादा अभी सभी बच्चों को एक ही श्रेष्ठ संकल्प सुनाने चाहते हैं कि अभी स्वयं भी निर्विघ्न रहो और अपने साथियों को, सम्बन्ध में आने वालों को भी निर्विघ्न बनाओ। समय को समीप लाओ। दु:ख और अशान्ति बापदादा बच्चों का देख नहीं सकता। अभी अपना राज्य जल्दी से जल्दी धरनी पर लाओ। बापदादा को हर बच्चा प्यारा है, लास्ट नम्बर बच्चा जो है वह भी प्यारा है क्योंकि कमज़ोर है ना। तो कमज़ोर पर और ही रहम ज्यादा आता है। आप सभी भी कैसी भी स्थिति वाला, स्वभाव वाला हो लेकिन हमारा है, जैसे बाप हमारा है, वैसे परिवार हमारा है, तो उसके स्वभाव संस्कार न देख उनको और ही सहयोग दो, सदभावना दो, शुभ भावना दो। अच्छा सामने वाले बच्चों को या दूर बैठे देखने वाले बच्चों को बापदादा एक एक बच्चे को अपने सामने देख दृष्टि भी दे रहे हैं और मुबारक भी दे रहे हैं। अच्छा।
आप सभी को तो बहुत मुबारक मिल गई। सभी की मुबारक आपको भी मिली ना। अच्छा।
नीलू बहन ने बापदादा को नेपाल का समाचार सुनाया:- एक एक को मुबारक देना। सेवा अच्छी कर रहे हैं। लगन से कर रहे हैं, उसका फल तो निकलेगा ना।
मोहिनी बहन से:- अपने को चलाना आ गया? (सीढ़ी नहीं चढ़ सकती हूँ) पैदल ज्यादा करो। अगर पैदल कर सकती हो तो पैदल करने से टांगों में ताकत आयेगी। थोड़ी थोड़ी सीढ़ी चढ़के देखो। पैदल करके फिर तीन चार सीढ़ी चढ़ो तो फर्क आ जायेगा।
रूकमणि दादी से:- आदि रत्नों में हो, तीव्र पुरूषार्थ है, बहुत अच्छा। दिल्ली तो सबके दिल में हैं। क्योंकि सबको राज्य तो वहाँ ही आके करना है। तो दिल्ली को ऐसा करो जो निर्विघ्न कोई विघ्न नहीं, ऐसा बनाओ। सब मिल करके आपस में ऐसा प्रोग्राम बनाओ जो कोई भी बात हो, उसी समय खत्म। अच्छा।
दादी जानकी से:- (बाबा आप बहुत अच्छी अच्छी बातें सुनाते हैं) सुनायें नहीं तो सम्पन्न कैसे बनें। अभी तो बापदादा चाहते हैं जल्दी जल्दी सम्पन्न बनें।
(दादी जानकी अभी मधुबन में बैठकर सेवा करेंगी) यह रह भी नहीं सकती है। कुछ समय एक जगह भले रहे, चक्र भी लगाये, रहे भी। कुछ टाइम रहने दो।
परदादी से:- देखो, इसकी कमाल है भले आयु बढ़ती जाती है, बीमारी भी है लेकिन शक्ल नहीं बदलती है। शक्ल में सयानापन है। अच्छी है।
डा.निर्मला बहन से:- दोनों तरफ अच्छा सम्भालती है। जैसे यह सम्भालती है वैसे आप भी सम्भालती हो।
तीनों भाईयों से: अभी जैसे दादियों के ऊपर अटेन्शन है ऐसे आप तीनों पाण्डवों के ऊपर भी अटेन्शन है। तो कोई न कोई मिलने का प्रोग्राम कहाँ भी हो, फोन पर भी मीटिंग कर सकते हो। जैसे विदेश वाले करते हैं ना। तो आप भी समझो हम जिम्मेवार हैं। कोई भी बात हो, मीटिंग फोन में भी करके फैंसला दो। टाइम नहीं लगे। जल्दी जल्दी करेंगे ना तो निर्विघ्न होता जायेगा। ठीक है। (रमेश भाई से) तबियत ठीक है? अच्छा है, जिम्मेवारी का ताज बापदादा और परिवार ने दिया है। कर भी रहे हो लेकिन थोड़ा जल्दी जल्दी आपस में मिलकर विचारों की लेन देन करो। जब यहाँ आते हो तब बैठते हो ना। वहाँ भी फोन से कर सकते हो। फारेन वाले करते हैं ना। मतलब कोई भी समस्या हो उसको जल्दी सुलझाओ। लम्बा नहीं करो। यह आवे तो करें, नहीं, करके पूरा करो।
(दादी जानकी जी अभी मधुबन में रहें तो सब यहाँ आयेंगे, विदेश में भले जाये) यहाँ भी कहाँ कहाँ आवश्यकता होती है, यहाँ भी आवश्यकता तो है।
आशा बहन से:- दिल्ली ठीक है ना! क्योंकि दिल्ली में सभी को राज्य में आना है तो दिल्ली को तो पावरफुल बनाना है। (ओ.आर.सी में प्रेजीडेट आई थी, उनका एलबम बापदादा को दिखा रहे हैं)
02-02-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन
‘‘अब स्मृति स्वरूप अनुभव की अथॉरिटी बनो, ज्वालामुखी योग द्वारा सबको लाइट माइट की किरणों का सहयोग दो’’
आज बापदादा अपने सामने या चारों तरफ के अपने छोटे से संसार को देख हर्षित हो रहे हैं क्योंकि यह संसार है छोटा लेकिन अति प्यारा है क्योंकि यह संसार की एक-एक आत्मा श्रेष्ठ आत्मा हैं। कोटों में कोई आत्मायें हैं। बाप के वर्से के अधिकारी आत्मायें हैं। बापदादा हर बच्चे को देख खुश होते हैं कि यह एक-एक बच्चा राजा बच्चा है। बापदादा ने हर एक बच्चे को स्वराज्य अधिकारी और विश्व राज्य अधिकारी बनाया है। इस समय सभी स्वराज्य अधिकारी हैं अर्थात् मन-बुद्धि, संस्कार, कर्मेन्द्रियों के राजा हैं। कर्मेन्द्रियों के वश नहीं हैं। मन के भी मालिक हैं। तो ऐसे ही आप हर एक बच्चा अपने को मन के मालिक, संस्कारों के भी मालिक समझते हो? ऐसे तो नहीं कभी आप मन के मालिक होते वा कभी मन आपका मालिक होता! क्योंकि कहते ही हो मेरा मन, मैं मन नहीं कहते हो। तो मेरे के आप मालिक हो। चेक करो कभी मन तो मालिक नहीं बन जाता? क्योंकि इस समय बापदादा ने हर एक को स्वराज्य अधिकारी के सीट पर बिठाया है। अब के स्वराज्यधारी हो और भविष्य का राज्य तो आपका है ही। डबल राज्य अधिकारी हो। बापदादा देखते हैं हर बच्चा स्वराज्य अधिकारी के साथ स्वमानधारी भी है। तो मैं स्वमानधारी आत्मा हूँ, इस स्मृति में बैठो तो देखो कितने स्वमानों की लिस्ट आपके सामने आती है। अनेक स्वमान की माला सामने आ जाती है ना!
बापदादा ने बच्चों के स्वमानों की माला हर बच्चे को डाली है। स्वमान सुनते ही आपके सामने भी अपने स्वमान स्मृति में आ गये! याद करो, अनादि स्वरूप में आपका स्वमान कितना बड़ा है! चले गये अनादि स्वरूप में? हर एक का स्वमान है एक तो बाप के साथ-साथ है चमकती हुई आत्मा, बाप के साथ के कारण विशेष चमकती हुई दिखाई दे रही है। देख रहे हो? जैसे आकाश में भी यहाँ कोई-कोई सितारा विशेष चमकता है, ऐसे बाप के साथ-साथ होने कारण चमकती हुई आत्मा हो। याद आया अपना अनादि स्वरूप? सेकण्ड में अपने अनादि स्वरूप में स्थित हो सकते हो? अभी एक सेकण्ड में उस अनादि स्वरूप में एक सेकण्ड के लिए स्थित हो जाओ। कितना नशा चढ़ता है! आगे बढ़ो, इस सृष्टि चक्र के आदि में आ गये! यह ड्रिल करो सतयुग आदि में अपना स्वरूप देखो, कितना श्रेष्ठ सुख स्वरूप है। कितना सर्व प्राप्ति स्वरूप है। दु:ख का नामनिशान नहीं है। प्रकृति कितनी सुन्दर सतोगुणी है। अनुभव करो अपने देवता स्वरूप का। देख रहे हो अपना स्वरूप? कोई भी राजा हो, महात्मा हो, नेता हो ऐसा सर्व प्राप्ति स्वरूप कोई देखा! तो एक सेकण्ड के लिए अपने देवता स्वरूप में स्थित हो जाओ। अपने स्वमान में मजा आता है ना! हम सो देवता ... बापदादा यह ड्रिल करा रहा है। फिर नीचे आओ कौन सा युग आ गया? द्वापर में भी आपका स्वमान पूज्य का है। पूज्य स्वरूप है। अपने पूज्य स्वरूप को देख रहे हो? कितने सभी भावना से कायदे प्रमाण पूजा करते हैं। ऐसे कायदे प्रमाण पूजा और किसी की भी नहीं होती। चाहे धर्म पितायें आये, चाहे गुरू बनें, नेतायें बनें, अभिनेतायें बनें लेकिन ऐसी कायदे प्रमाण पूजा किसकी नहीं होती। तो अपना स्वमान देखा, अनुभव किया? अब आओ संगम में, सब चक्र लगा रहे हो? पीछे वाले चक्र लगा रहे हो! हाथ उठाओ। देखो अपना स्वमान क्योंकि स्वराज्य अधिकारी हो ना! तो संगम पर स्वयं भगवान, आपकी जीवन में स्वयं मालिक आप बच्चों में पवित्रता की विशेषता भरता है। जो पवित्रता आपके सर्व अविनाशी सुखों की खान है। और बनाने वाला कौन? स्वयं भगवान। वह तो अभी भी प्रत्यक्ष प्रमाण आपको पवित्रता की जायदाद बाप से प्राप्त हो गई है। अब चेक करो - पवित्रता सर्व प्राप्तियों का आधार है, पवित्रता से आप सभी मास्टर सर्वशक्तिमान बन गये। तो चेक करो सर्वशक्तियां प्राप्त हैं? कोई-कोई बच्चे कहते हैं बाप ने तो सर्व शक्तियां दी लेकिन कोई-कोई समय जिस शक्ति की आवश्यकता होती है वह थोड़ा टाइम के बाद आती है। बात पूरी हो जाती है फिर आती है। इसका कारण क्या? वरदान में बाप ने दी फिर भी समय पर नहीं आती है उसका कारण क्या? अपने मास्टर सर्वशक्तिमान के स्मृति की सीट पर नहीं होते हो, कोई भी किसका आर्डर मानते हैं तो सीट वाले का आर्डर मानते हैं। तो जब भी आप कोई भी शक्ति का आर्डर करते हो, पहले यह देखो स्मृति की सीट पर हैं? स्वमान के सीट पर हैं? स्मृति की सीट पर स्थित हो जाओ तो सर्व शक्तियां आपके पास समय पर बंधी हुई हैं आने के लिए क्योंकि सर्वशक्तिमान बाप ने आपको मास्टर सर्वशक्तिमान बनाया है। तो इतने पावरफुल स्वमानधारी बन चल रहे हो ना? अपने स्वमान देखे? संगम के बाद कहाँ जायेंगे? रिटर्न जरनी करेंगे ना! इसलिए बापदादा यही चाहते हैं कि हर एक सारे दिन में यह एक्सरसाइज़ करते रहें। समय निकालो बार-बार यह स्वमान की माला पहनाने से, अनुभव करने से जो बापदादा ने स्वराज्य अधिकारी बनाया है, वह हो नहीं सकता कि स्वमान आपके आर्डर पर नहीं चले। सिर्फ सीट पर सेट रहो।
बापदादा ने देखा सभी अटेन्शन रखते हैं लेकिन नियमित रूप से अपनी दिनचर्या सेट करो। बीच-बीच में यह अपने स्वमान के स्मृति स्वरूप में स्थित रहो। जैसे ट्रैफिक कन्ट्रोल करते हो ऐसे यह स्वमान की स्मृति आदिकाल से रिटर्न जरनी तक की, बीच-बीच में टाइम फिक्स करो। यह चलते फिरते भी कर सकते हो क्योंकि मन को सीट पर बिठाना है। बापदादा ने देखा, पहले भी कहा है योग सब लगाते हो लेकिन अब आवश्यकता किसकी है? समय की हालतों को देख पहले भी सुनाया अब ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है, जिससे डबल काम होगा। एक तो अपने पुराने संस्कार का संस्कार हो जायेगा, अभी संस्कारों को मारते हो लेकिन जलाते नहीं हो। मारने के बाद फिर भी कभी-कभी वह जाग जाते हैं। जैसे रावण को सिर्फ मारा नहीं, जलाया। ऐसे आप भी अपने पुराने संस्कारों को जो बीच-बीच में तीव्र पुरूषार्थ में कमी कर देते हैं, उसके लिए ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है। एक स्वयं के लिए और दूसरा ज्वालामुखी योग द्वारा औरों को भी लाइट रूप होने के कारण, माइट रूप होने के कारण उन्हों को भी अपनी किरणों द्वारा सहयोग दे सकते हो। तो अभी सभी ने योग को ज्वालामुखी योग में परिवर्तन किया? समय अनुसार अभी आत्माओं को आपके सहयोग की आवश्यकता है। बाकी बापदादा तो अमृतवेले हर बच्चे को स्नेह देते हैं।
बापदादा देखते हैं लक्ष्य बहुत अच्छा रखते हैं, हिम्मत भी रखते हैं लेकिन सारा दिन उसी अटेन्शन में रहें, जैसे अमृतवेले रहता है, वह कम हो जाता है। कारण क्या होता है? यह जो कर्म में लगते हो, कर्मयोगी बन कर्म करना, इसमें अन्तर पड़ जाता है। आप सिर्फ योग लगाने वाले नहीं हो, योगी जीवन वाले हो। तो जीवन सदा रहती है, कभी-कभी नहीं। तो बापदादा अभी क्या चाहते हैं? प्यार में तो बहुत करके पास हैं, प्यार की सबजेक्ट में बाप ने देखा मैजारिटी बाप के साथ मेरा बाबा, मेरा बाबा कह प्यार का अनुभव करते हैं। प्यार में तो मैजारिटी पास हैं, अब किसमें पास होना है? बाप समान बनने में। सभी क्या चाहते हैं? बाप समान बनना है कि बाप बाप रहेगा आप बच्चे हैं, तो बाप समान तो बनना पड़ेगा। प्यार माना क्या? प्यार वाला जो कहे वह करना ही है। तो सभी बाप के प्यारे हो, बाप का प्यार आपसे है, इसमें हाथ उठाओ। प्यार है अच्छा, प्यार है? तो अभी बापदादा यही चाहते हैं कि जैसे प्यार है, ऐसे यह लक्ष्य रखो कि हमें बाप समान बनना ही है, इसमें हाथ उठाओ। तो निश्चय रखते हैं, हाथ तो बहुत अच्छा उठाते हैं। बापदादा देख रहे हैं।
बापदादा चाहता है एक-एक बच्चा ऐसा खुशनुमा, खुशनसीब दिखाई दे, चेहरे से चलन से क्योंकि समय प्रमाण अभी आपका चेहरा बहुत सेवा करेगा। आवश्यकता पड़ेगी। इसके लिए बापदादा चाहता है कि अभी से लक्ष्य रखो जैसे अभी यह 75 वर्ष के कारण सबको उमंग है सेवा करने का। ऐसे उमंग हो चेहरे से सेवा करने का क्योंकि दिनप्रतिदिन समय नाज़ुक आना ही है। तो ऐसे समय पर आपका चेहरा आत्माओं को चियरफुल बना दे।
बापदादा ने आज अमृतवेले चक्र लगाया, तो क्या देखा? बैठते सभी अपने रूचि से भी हैं लेकिन सबसे बड़ी अथॉरिटी है अनुभव की। तो देखा बैठते हैं लेकिन अनुभव की अथॉरिटी, स्मृति में बैठते हैं लेकिन स्मृति स्वरूप अनुभव हो। अनुभव की अथॉरिटी का आनंद वह थोड़ा समय होता है। सोचते हैं मैं बापदादा के तख्तनशीन हूँ लेकिन स्वरूप के स्मृति स्वरूप अनुभवी मूर्त, अनुभव में खो जाये उसका अभी और भी आगे बढ़ाना होगा क्योंकि अनुभव की अथॉरिटी सबसे बड़े ते बड़ी है। स्मृति स्वरूप रहना इसको कहा जाता है अनुभव। तो अनुभव में खो जाना जो स्वरूप की स्मृति रखते हैं उस स्वरूप की अनुभूति में रहना इसकी और आवश्यकता है क्योंकि अनुभव कभी भी भूलता नहीं है। किसी को भी आप किसी के अनुभव द्वारा सुनाने की कोशिश करते हो क्योंकि अनुभव का प्रभाव पड़ता है। तो स्वयं को जो स्वरूप स्मृति में रखते हो उसके स्वरूप की अनुभूति में खो जाये, अनुभव अपने पुरूषार्थ में भी बहुत मदद करता है। तो बापदादा ने देखा अनुभव की अथॉरिटी में नम्बरवार हैं। तो अभी इस अनुभव की अथॉरिटी के अभ्यास के ऊपर और अटेन्शन दो। अनुभव स्वरूप की स्थिति सदा समाई हुई रहती है, उसकी शक्ल, चलन सेवा करती है।
तो आज बापदादा बच्चों का रिकार्ड देख रहे थे। तो एक तो ज्वालामुखी योग के ऊपर और अटेन्शन दो जिससे स्वभाव संस्कार परिवर्तन में सहयोग मिलेगा। संस्कार अभी भी जिसको आप नेचर कहते हो वह अभी भी अपना कार्य बीच-बीच में कर लेती है। बाकी बापदादा खुश है, किस बात पर? जानते हो, किस बात पर बापदादा खुश है? जानते हो? आजकल की मुरलियां सुनते हुए बापदादा ने देखा अपने दिनचर्या में अटेन्शन ज्यादा गया है। अटेन्शन बढ़ा है तो टेन्शन संस्कारों का कम होता जायेगा। बापदादा ने पहले भी कहा जब भी टेन्शन आवे ना, ए लगा दो, एड कर दो ए अटेन्शन। चलना तो सबको है ही। यह तो वायदा है ही पक्का। साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे। तो सभी खुश है? कि कभी-कभी खुश है? जो समझते हैं हम सदा खुश हैं, कभी-कभी नहीं, सदा खुश हैं, देखो सोचके हाथ उठाओ। अच्छा। हाथ भी सोचके उठा रहे हैं। खुशी अपनी चीज़ है। अपनी चीज़ क्यों जाये? तो अभी क्या करेंगे? आगे चलना तो है ही। तो अभी आगे क्या करेंगे?
हर सेन्टर निर्विघ्न, व्यर्थ संकल्प रहित हो सकता है? हो सकता है? कि इसके लिए समय चाहिए? अभी तक बापदादा के पास कोई सेन्टर ने यह रिपोर्ट नहीं दी है कि हमारा सेन्टर सदा निर्विघ्न है। साथी भी। सिर्फ स्वयं नहीं, साथी भी निर्विघ्न। वह भी टाइम आना है। हो जायेगा क्योंकि बनना तो बच्चों को ही है और कोई एक्जैम्पुल में आयेंगे जो पीछे तीव्र पुरुषार्थी बन आगे जायेंगे लेकिन मैजारिटी तो आपको ही आगे जाना है। बापदादा ने देखा मुरली से प्यार मैजारिटी का है लेकिन जैसे जगत अम्बा ने प्रत्यक्ष जीवन में दिखाया कि जो बाप ने कहा वह करना ही है, लक्ष्य रखा और पुरूषार्थ के तरफ अटेन्शन भी दिया। आपकी दीदी दादियां जो एडवांस पार्टी में भी गई हैं उन्होंने भी अटेन्शन दिया, अभी आप लोगों का इन्तजार कर रहे हैं। पूछती हैं वह कि समाप्ति का गेट कब खोलेंगे? एक दो तो नहीं खोलेगा ना! तो अभी पुरूषार्थ करो कि समय को, गेट खुलने के समय को समीप लाओ। सम्पन्न बनना अर्थात् समीप लाना।
अच्छा। सभी चारों ओर के बच्चों को बापदादा दिल का स्नेह दे रहे हैं। साथ-साथ जो बापदादा ने दो मास का कार्य दिया है, उसकी भी स्मृति दिला रहे हैं क्यों? बहुत करके यह व्यर्थ संकल्प पुरूषार्थ को तीव्र के बजाए साधारण कर देते हैं इसलिए चारों ओर के बच्चों को बापदादा यादप्यार के साथ यह भी स्मृति दिला रहे हैं कि अब संगम का समय कितना श्रेष्ठ सुहावना हैं, इस संगम के समय ही सर्व खज़ाने बाप द्वारा प्राप्त होते हैं, संगम का एक- एक सेकण्ड महान है इसलिए संगम के समय का मूल्य सदा अपने बुद्धि में रखो। संगम का एक सेकण्ड प्राप्ति कितना कराता है। आपसे कोई पूछे आपको क्या मिला है, तो क्या जवाब देंगे? अप्राप्त नहीं कोई वस्तु हम ब्राह्मणों के दिल में। पाना था वो पा लिया। अब उसको कार्य में लगाते हुए तीव्र पुरूषार्थी बन समय को समीप लाओ। अच्छा। बापदादा देखते हैं सभी को उमंग भी आता है और यह उमंग सदा आगे बढ़ाते रहो। अच्छा।
सेवा का टर्न पंजाब ज़ोन का है:- आधा हाल तो पंजाब है। अच्छा है। पंजाब वालों ने पंजाब में सेवा का चांस लेकरके सेवास्थान और स्टूडेन्ट अच्छे बनाये हैं। पंजाब में एक विशेषता यह है कि सभी को सन्देश पहुंचाने में अच्छा पुरूषार्थ किया है और पंजाब के जो वी.आई.पीज हैं उन्हों को भी सम्बन्ध-सम्पर्क में लाया है इसलिए बापदादा पंजाब की सेवा में सेवाधारी बच्चों के ऊपर खुश है। हिम्मत, टीचर्स भी हिम्मत वाली हैं। संख्या भी टीचर्स की बहुत है। अभी पंजाब वारिस क्वालिटी लायेगा। ठीक है ना! एक्जैम्पुल आप लाना। पहला नम्बर आप ले लो। कोई सहयोगी को, जिनका आवाज अनेकों को उमंग दिलाये, ऐसे वारिस क्वालिटी तैयार करके बाप के सामने लाना। ला सकते हैं। ऐसी कोई बात नहीं है मुश्किल, सहज है। तो अब क्या करेंगे? वारिस लायेंगे ना! लायेंगे? निमित्त टीचर्स अच्छी हैं, कर सकती हैं। अभी नम्बर ले लेना। पहले पंजाब वारिस लाये, सब देखेंगे। अभी और भी सीजन है आगे तो इस वर्ष की सीज़न में कोई ऐसा लाओ जो पंजाब नम्बरवन हो जाए। कोई बड़ी बात नहीं, सिर्फ संकल्प करने की बात है। तो अच्छे हैं, स्टूडेन्ट भी अच्छे हैं। बापदादा ने देखा कि स्टूडेन्ट भी उमंग-उत्साह वाले हैं। जहाँ उमंग-उत्साह है वहाँ सफलता है ही है। तो बापदादा पंजाब के शेर कहते हैं ना। तो पंजाब के शेर बच्चों पर खुश है। अभी जाके प्लैन बनाना कि नम्बरवन पंजाब वारिस लावे, यह अभी मार्जिन है। अच्छा है। यह चांस जो मिलता है इसमें भी शक्ति भर जाती है। बापदादा को खुशी होती है एक ही ज़ोन आलराउण्ड सेवा के निमित्त बनता है। चांस भी मिलता है और भाग्य भी बनता है। अभी तक जो भी ज़ोन सेवा करते हैं, बापदादा ने देखा बहुत करके सन्तुष्ट करके ही जाते हैं। ठीक है? रिपोर्ट ठीक है ना! अच्छा है। बापदादा खुश है। अच्छा।
चार विंग्स की मीटिंग है-: (स्पार्क, मीडिया, स्पोर्ट, रिलीजस):- अच्छा यह चार ही विंग सर्विस के लिए बहुत मददगार हैं भी और आगे भी बन सकते हैं क्योंकि चार ही विंग्स अनेकों को कनेक्शन में ला सकते हैं। चाहे मीडिया है तो मीडिया अभी तो घर-घर में सन्देश पहुंचाने का प्लैन अच्छा बना रहे हैं। बापदादा खुश है कि एक दो सहयोगी बन कर रहे हैं, आगे बढ़ गये हैं, बढ़ भी रहे हैं। तो बापदादा अभी मीडिया द्वारा यही चाहते हैं कि सन्देश यह मिले कि अब समय प्रमाण हर एक आत्मा को अपने बाप से वर्सा लेने की प्रेरणा आवे। सुनते तो हैं लेकिन कितने वारिस निकले, मीडिया द्वारा कितने वारिस अभी तक भी निकले हैं, वह लिस्ट आनी चाहिए। बापदादा ने सुना है प्रभाव अच्छा है और स्टूडेन्ट बढ़ते भी हैं लेकिन लिस्ट निकालो, हर एक सेन्टर पर, हर एक ज़ोन में कितने मीडिया सेवा से निकले हैं। ऐसे ही जो भी वर्ग हैं वह अभी लिस्ट निकालो, कईयों ने आज लिस्ट दी भी है कनेक्शन में आने वालों की, वी.आई.पी. हैं वह लिस्ट दी भी है लेकिन उन्हों का संगठन करके उन्हों को उमंग उत्साह देके आगे बढ़ाओ। कनेक्शन में तो आते हैं लेकिन आगे के लिए ऐसा प्रोग्राम बनाओ जो वह भी समझे तो हमको आगे क्या करना है। सुना, लेकिन आगे बढ़ना है उसका स्पष्टीकरण थोड़ा सुनाओ। और लिस्ट निकालो कितने इस वर्ग के तरफ से एड होते हैं। होते हैं लेकिन पता नहीं पड़ता है। बाकी बापदादा सभी विंग्स को मुबारक दे रहे हैं क्योंकि हर एक विंग यह कोशिश करती है कि सेवा की वृद्धि हो और वृद्धि के प्लैन भी अच्छे बनाती है। चार ही वर्ग अपनी-अपनी सेवा अच्छी कर रहे हैं क्योंकि विंग्स अभी समझते हैं हम जिम्मेवार हैं। कोशिश भी अच्छी करते हैं विंग्स इसीलिए बापदादा खुश है और इसी रीति से जैसे अटेन्शन देकरके विंग्स के कार्य में लगे हुए हो ऐसे और भी आगे बढ़ते रहो, मुबारक बापदादा देते हैं। बढ़ रहे हैं बढ़ते रहो। चार ही विंग्स के लिए बापदादा कह रहे हैं। कोई भी विंग कमज़ोर नहीं है अपने हिसाब से आगे ही बढ़ रही है। बाकी बापदादा ने जो काम दिया है वह तो ध्यान पर होगा ही। कोई ऐसे समझदार वी.आई.पी. हर विंग से आते हैं उन्हें तैयार करो। ऐसे समझदार हिम्मत वाले का एक ग्रुप बनाओ जो वह भिन्न-भिन्न वर्ग वाले ग्रुप मिल करके एक-एक बात को स्पष्ट करे। यह काम जरूर करो। यह काम आगे वाले कर सकते हैं, हिम्मत दिला सकते हैं। अभी प्रैक्टिकल में आवाज निकले कि ब्रहमाकुमारियां क्या चाहती हैं। इस 75 वर्ष की सर्विस ने सभी को ब्रह्माकुमारीज़ का महत्व स्पष्ट किया है। आवश्यक है, कर सकती हैं, यहाँ तक आये हैं, सब वर्ग का सहयोग है। लेकिन परमात्मा आया है, ब्रह्माकुमारियों तक पहुंचे हैं। परमात्मा आ गया अभी यह समझ में आता भी है जिस समय सुनते हैं उस समय नशा चढ़ता है लेकिन मैदान में आवे वह हिम्मत अभी आ रही है। आयेगी। आनी तो है ही। अभी आने की हिम्मत आई है, कोई भी प्रोग्राम आप देखेंगे डल नहीं जाता है, सक्सेस जाता है, पहले नाम सुनके ही भागते थे ना। अभी समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियां कार्य अच्छा कर रही हैं और विधिपूर्वक करते हैं। इतना अटेन्शन गया है। बापदादा चार ही विंग के नाम भी देखे, जिन्होंने दिये हैं, कनेक्शन में तो अच्छे हैं लेकिन उन्हों को थोड़ा सामने लाओ। उन्हों का प्रोग्राम करो। प्लैन दो उन्हों को क्या कर सकते हैं हम। धरनी तैयार हुई है अभी फल निकलना है इसलिए बापदादा खुश हैं। मेहनत करते हो उस पर खुश हैं। तो चार ही विंग्स को मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा पुरूषार्थ कर रहे हो। अच्छा।
डबल विदेशी सभी मुख्य भाई बहिनें आये हैं:- डबल विदेशियों को टाइटल दिया है मधुबन का श्रृंगार हैं। मधुबन में रौनक कर देते हैं और फर्क भी अच्छा लाया है। बापदादा पुरूषार्थ और परिवर्तन दोनों ही देख करके खुश है। पहले व्हाई व्हाई करते थे, अभी वाह! वाह! करते हैं। चेंज अच्छी लाई है। अभी कोई बात में मुश्किल नहीं लगता। कोई भी बात, नियम, बापदादा का जो मुरली में डायरेक्शन जाता है वह करने में एवररेडी हैं और सहयोग भी अच्छा है। स्नेही है लेकिन सहयोगी भी अच्छे हैं। बापदादा रिकार्ड देखते हैं तो गुप्त सहयोगी भी अच्छे- अच्छे निकले हैं। तो दिल के भी बड़े हैं। छोटी दिल वाले नहीं हैं। तो बापदादा खुश है, सेवा भी चारों ओर की अच्छी चल रही है। बापदादा को दो चीज़ चाहिए, एक सेवा की वृद्धि हो और दूसरा निर्विघ्न हो। तो देखा इन दोनों बातों में अभी काफी फर्क आ गया है। और यह तो बापदादा को बहुत अच्छा लगता है कि मधुबन में सब निमित्त बने हुए इकठ्ठे हो जाते हैं। एक तो मधुबन का श्रृंगार बन जाते हैं दूसरा जो परिवर्तन किया है वह कहाँ न कहाँ से आते हैं तो पता भी पड़ता है, अनुभव सुनते भी हैं उससे भी प्रभाव पड़ता है कि जब विदेशी कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं। उमंग आता है। अभी जो बापदादा चाहते हैं ज्वालामुखी योग हो, इसमें विदेशी नम्बरवन लो क्योंकि विदेशियों के संस्कार हैं जो लक्ष्य रखते हैं ना वह पूरा करते हैं। दो बातों में नम्बर लो - एक व्यर्थ समाप्ति और दूसरा सर्विस में निर्विघ्न। प्यार तो सारे परिवार का भी है। सिर्फ बापदादा का नहीं है लेकिन सारे परिवार का भी डबल विदेशियों से प्यार है। अभी दोनों बातों में विदेश नम्बरवन जाके दिखाये। जायेंगे। कोई बड़ी बात नहीं है। बापदादा चक्र भी लगाते हैं विदेश में। अमृतवेले भी चक्र लगाते हैं। इसमें अभी अनुभव स्वरूप बनके बैठना, इसमें और अटेन्शन क्योंकि अनुभव की अथॉरिटी बहुत बड़ी है। लक्ष्य अच्छा रखके बैठते हैं लेकिन उसका प्रभाव सुबह की ताकत का कर्मयोग में भी पड़े, सेन्टर के वायुमण्डल में भी पड़े, यह थोड़ा एडीशन चाहिए। बाकी बापदादा खुश है। हिम्मत नहीं छोड़ते हैं, हिम्मत रखते हैं और एक दो को भी हिम्मत देके चला रहे हैं और बाप भी मदद करते हैं। तो विदेश वाले नहीं लेकिन अपना जो देश है परमधाम, उसके अच्छे अनुभव करके बस समय को समीप करना है, इसमें पान का बीड़ा उठाओ। पहले हम करके दिखायेंगे। निमित्त बनके दिखायेंगे। अच्छा है। बापदादा खुश तो है, तो नहीं खुश है।
टीचर्स को देख करके खुश हो रहे हैं। हिम्मत रखके, हिम्मत रखाके आगे बढ़ाते हैं। और जो सभी विशेष टीचर्स इकठ्ठी होती हैं यह दृश्य बापदादा को बहुत अच्छा लगता है। सभी बातें स्पष्ट हो जाती हैं। उमंग-उत्साह भरके भी जाते हो और आपको देख करके यहाँ उमंग उत्साह आता है वह भी करते हैं। अच्छा है, एक-एक रत्न को बापदादा विशेष दिल का प्यार और साथ में प्यार के साथ में मन के उमंग-उत्साह की लहर भी दे रहे हैं। अच्छा।
सभी ने अपने लिए यादप्यार लिया कि सिर्फ वर्ग वाले या डबल विदेशियों ने लिया। सबको बापदादा देखता है, नज़र दौड़ाता है तो नज़र से यादप्यार देते हैं। अच्छा।
आज पहली बार आने वाले उठो। पहले बारी आये हो तो कमाल करो। क्या कमाल करो? पहले नम्बर का पुरूषार्थ करो। लास्ट से फास्ट और फर्स्ट होके दिखाओ। हो सकता है, कोई रत्न ऐसे भी निकलने हैं तो आप ही दिखाओ। बापदादा की मदद सभी को है। तीव्र पुरूषार्थ, आने से ही साधारण पुरूषार्थ नहीं, तीव्र पुरूषार्थ करो। करना ही है, बनना ही है। आगे जाना ही है। यह दृढ़ संकल्प रखो और ऐसे कोई एक्जैम्पुल निकलने भी हैं। बापदादा को खुशी है कि समय से पहले तो आ गये। वर्से के अधिकारी तो बन गये। अच्छा। बापदादा खुश है, आये, भले आये, आपका सीज़न था लेकिन अभी आगे से आगे जाके दिखाओ। हम पीछे आये हैं यह नहीं सोचो, आगे जा सकते हो। बापदादा की, ड्रामा की मदद मिलेगी। अच्छा है। देखो, कितने आते हैं। आधा क्लास तो पहले बारी का आता है। बापदादा को खुशी है कि बाप को पहचान तो लिया। वर्से के अधिकारी बन तो गये। अच्छा। सभी को बापदादा और सारे परिवार की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
मोहिनी बहन से:- संगठन है ना उसमें थोड़ा उमंग आ जाता है। उमंग आने से थोड़ा जबरदस्ती भी कर लेती हो, वह थोड़ा नहीं करो। सम्भालो अपने को। बाकी मदद है, ऐसी कोई बात नहीं है। ठीक हो जायेंगी। अपनी तबियत को देख करके कदम उठाओ। निश्चिंत रहो।
दादी जानकी से:- बहुत अच्छा सभी को रिफ्रेश कर रही हो। करना ही है। (कराने वाला करा रहा है) वह तो है ही लेकिन आप कर रही हो, यह करना ही है। ठीक है। अच्छा पार्ट बजा रही है। (हंसा बहन से) यह भी अच्छा पार्ट बजा रही है, सभी खुश हैं।
परदादी से:- आप भी एक एक्जैम्पुल हो। आपको देख करके सबको ब्रह्मा बाप याद आ जाता है। ठीक है। तकलीफ तो नहीं है। ऐसे ही चलते चलो। ठीक है, ठीक रहेंगी।
रमेश भाई से:- अच्छा है लेकिन साथ में तबियत का भी ठीक रखो। टू मच में नहीं जाओ क्योंकि आगे बहुत काम करना है। सिर्फ स्टूडियो का काम नहीं है, और भी बहुत काम करने हैं इसीलिए तबियत का भी ध्यान रखो। (सोलार का काम चल रहा है) सोलार के लिए जैसे आप अखबार के लिए लेते हो, ऐसे इसके लिए नहीं ले सकते? जो बड़ी-बड़ी फर्म है, जैसे वह एडवरटाइज़ का लेते हो वैसे यह भी कई ऐसे कनेक्शन वाले हैं जिन्हों को पता ही नहीं है, उन्हों के पास जाके ले सकते हो क्योंकि यह सेवा है कोई खाने-पीने का तो काम नहीं है। कोई अपने खाने के लिए अपने रहने के लिए नहीं लेते, यह सेवा भाव है। तो यह करके देखो, जो परिचित हों।
निर्वैर भाई ने सुनाया कि किचन भी तैयार हो रहा है- हो जायेगा।
तीनों भाईयों से:- जिम्मेवारी समझके आपस में राय करके अगर कोई भी राय पर थोड़ा सा फर्क भी होता है तो एक-दो को स्पष्ट करके, मिलके एक राय करके इन्हों के (दादियों के) आगे रखो। यह जिम्मेवारी समझो।
मीटिंग में सेवा के लिए क्या लक्ष्य रखें:- सेवा के लिए अभी फर्क यह करो कि दूसरे आपको निमन्त्रण देवें। ऐसे कई लोग हैं जिनकी आप लोगों ने सेवा की है और वह कर सकते हैं। अभी यह समझो कि वह स्टेज देवे और आप जाके सेवा करो। अपनी स्टेज पर तो बहुत किया और रिजल्ट भी अच्छी है। अभी थोड़ा चेंज करके देखो।
(क्या घर घर में सन्देश पहुंचाने का साधन मीडिया ही है) वह तो मीडिया ही है। थोड़ा कायदेमुजीब हो, इतना जो टी. वी. का लिया है, उसमें इतना कर रहे हैं, उसका रिजल्ट क्या! (आधे नये भाई बहिनें टी.वी से ही आते हैं) अच्छा है वह सबको मालूम होना चाहिए। नहीं तो समझते हैं पता नहीं क्या हो रहा है। उसका समाचार थोड़ा होना चाहिए। वह रिजल्ट सबको पता पड़े। तो उमंग आयेगा ना। पता नहीं पड़ता है, चल रहे हैं, चल रहे हैं। (बृजमोहन भाई ने पूछा गीता के भगवान के लिए)- वह तो आपको काम दिया ना। पहले चार पांच जो विशेष हों, जिनका थोड़ा सा नाम हो, चार पांच को पहले इकठ्ठा करो, चार पांच निकल सकते हैं, उन्हों को तैयार करके उन्हों से मीटिंग करो कि आप क्या समझते हैं। हम जो चाहते हैं वह कैसे हो सकता है, उनको ही निमित्त बनाओ। चार पांच तो हैं अभी भी। तबियत का ध्यान रखो।
विदेश की बड़ी बहिनों से:- अच्छा है एक दो से उत्साह मिलता है, थोड़ा सा उन्हों के प्रति ध्यान देते हैं तो ठीक हो जाता है। चक्र लगाओ या लगवाओ। चक्र लगवाते रहो तो उन्हों को उमंग आयेगा और और आगे बढ़ेंगे। बाकी निर्विघ्न हैं यह समाचार अच्छा है। अभी इकठ्ठे भी होंगे, इकठ्ठे होंगे तो ऐसी-ऐसी जो खुशखबरी है ना वह सभी को सुनाओ। तो उन्हों को यह सुनाओ जैसे कहाँ के 8 सेन्टर हैं, वह सब अच्छे चल रहे हैं तो यह भी अच्छा है ना। हिम्मत है ना। यह समाचार सबको सुनाओ।
गायत्री ने फूल भेजे हैं, सारे परिवार ने याद भेजी है:- दो चार परिवार बहुत लकी हैं। जैसे वह (वजीहा बहन) बीमार है, लेकिन लास्ट आई है फास्ट जा रही है। ऐसे अच्छे निकले हैं। अच्छा है, आप सभी देखो इन्डियन ही हैं। सब इन्डिया के हैं। हेड तो आप ही हो ना।
31-12-12 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
"इस नये वर्ष में हर एक सन्तुष्टमणि बन सन्तुष्टता की शक्ति द्वारा समस्या प्रूफ़, समाधान स्वरूप बनो"
आज बापदादा अपने चारों ओर सन्तुष्ट मणियों को देख रहे हैं। हर एक की लाइट बहुत अच्छी चमक रही है क्योंकि सन्तुष्टता की शक्ति बहुत श्रेष्ठ है। जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ और शक्तियाँ भी आ जाती हैं। सन्तुष्टता की शक्ति किसी भी प्रकार की समस्या को सहज समाप्त कर सकती है। जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ कोई अप्राप्त शक्ति नहीं, सन्तुष्टता की शक्ति कैसा भी वायुमण्डल हो, कैसा भी सरकमस्टांश हो उनको सहज परिवर्तन कर सकती है। सन्तुष्टता माया और प्रकृति की हलचल को परिवर्तन कर देती है। तो हर एक अपने को देखे कि हम सन्तुष्टमणि बने हैं? कोई भी मनुष्यात्मा की परिस्थिति को परिवर्तन कर वायुमण्डल परिवर्तन कर सकते हैं?
बापदादा भी आज विशेष अपने सन्तुष्टमणि आत्माओं को देख बहुत खुश हो रहे हैं। बापदादा ने देखा यहाँ सेवा में, साथियों में सन्तुष्टता की शक्ति वायुमण्डल को परिवर्तन कर लेती है। तो अपने को ऐसे सन्तुष्टमणि अनुभव करते हो? जो समझते हैं सन्तुष्टता की शक्ति है और समय पर कार्य में लगाते सफलता का अनुभव भी होता है, वह हाथ उठाओ। अच्छा। लम्बा हाथ उठाओ। हाथ तो बहुत अच्छे उठाते हो। बापदादा भी सभी के हाथों को देख ख़ुश है। लेकिन यह चेक करो कि कोई भी साथियों में हलचल होती है, उस समय यह शक्ति परिवर्तन करती है? उसकी रिजल्ट पहले अपने-अपने स्थानों को शक्तिशाली बनाने में सक्सेस है?
बापदादा ने देखा कई स्थानों में अभी भी सहनशक्ति से स्थानों को सदा निर्विघ्न बनाने में आवश्यकता की आवश्यकता है! बापदादा ने कार्य दिया था कि हर एक स्थान अर्थात् सेवाकेन्द्र जोन निर्विघ्न की रिपोर्ट देवे। याद है? है याद! उसी हिसाब से समय की आवश्यकता अनुसार अभी हर स्थान निर्विघ्न होना आवश्यक है। चाहे सेवास्थान है, चाहे अपने प्रवृत्ति में हैं, हर स्थान निर्विघ्न सन्तुष्टता की शक्ति से सम्पन्न हो। समय की रफ्तार तो देख रहे हो। तो बापदादा ने देखा सन्तुष्टता की शक्ति चाहे स्वयं में, चाहे संगठन में अभी अटेंशन देने की आवश्यकता है।
ब्रह्मा बाप चारों ओर चक्कर लगाते हैं। सबसे सहज साधन सम्पूर्ण बनने का जानते हो कौन सा है? फॉलो फादर। आदि से लेके अन्त तक ब्रह्मा बाप ने सन्तुष्टता की शक्ति से हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त की। तो बापदादा आज सभी को विशेष इशारा दे रहे हैं, हर एक सन्तुष्टमणि बन सन्तुष्टता की शक्ति को विशेष कार्य में लगाते जाओ।
अब नया वर्ष आ रहा है इसमें हर एक को यह चेक करना है कि सन्तुष्टता की शक्ति से स्वयं भी सन्तुष्ट, साथी भी सन्तुष्ट रह, जो बापदादा चाहते हैं वैसे ही सन्तुष्ट रहे? कोई भी समस्या सन्तुष्टता से समाप्त हुई? क्योंकि दुनिया में दिन प्रतिदिन असन्तुष्टता बढ़नी ही है, उसके लिए अपने को देखे कि मैं सारा दिन सन्तुष्टमणि रही या रहा? इसका सहज साधन है फॉलो ब्रह्मा फादर क्योंकि आजकल दुनिया में असन्तुष्टता बढ़नी ही है।
बाकी बापदादा ने सभी बच्चों को नये वर्ष के लिए विशेष अमृतवेले सहज वरदान के रूप में वरदान देने का प्लैन बनाया है। सब पूछते हैं ना नये वर्ष में क्या होगा? तो बापदादा का विशेष दृढ़ सकल्प वालों को पुरुषार्थ में सहयोग प्राप्त होगा, तो यह नये वर्ष की गिफ्ट सहज हो जायेगा। अमृतवेले का यह वरदान पसन्द है? पसन्द है! करते तो हो लेकिन बापदादा की तरफ से विशेष सहयोग स्नेह शक्ति प्राप्त होगी। ठीक है! ठीक है? क्योंकि बापदादा ने देखा सबको लगन अच्छी है। कुछ करना है, यह लगन अच्छी है लेकिन जो बीच में कोई न कोई सरकमस्टांश आते हैं उसके लिए इस वर्ष में सन्तुष्टता की शक्ति विशेष कार्य में लगाना। चेक करना तो आगे स्वत: ही बढ़ते जायेंगे। अच्छा।
सभी जगह-जगह से आये हैं। चारों ओर भी मधुबन में लगन से याद करते रहते हैं। तो आप क्या बनेंगे? सन्तुष्टमणि। पसन्द है! सन्तुष्टमणि बनना पसन्द है, तो हाथ हिलाओ। अगर हर एक सन्तुष्ट रहेगा तो चारों ओर क्या होगा! वाह वाह! का गीत बजेगा। तो आप सभी कौन हो? कौन हो? सन्तुष्टमणि हो सभी! सन्तुष्टमणि हैं? कि थोड़ा- थोड़ा हैं। कहो, हम नहीं बनेंगे तो कौन बनेगा! बापदादा चक्र लगाये तो क्या देखेंगे? हर स्थान पर सन्तुष्टमणियों की लाइट चमक रही है क्योंकि बापदादा को चारों ओर चक्र लगाने में देरी नहीं लगती है। तो यह वर्ष चारों ओर सन्तुष्टमणियों की लाइट कितनी चमक रही है, यह रिजल्ट देखेंगे।
इस वर्ष अपने में समस्या प्रूफ, समाधान स्वरूप की विशेष रिजल्ट देखनी है। चारों ओर के बच्चे मैजारिटी मधुबन में मन से पहुंचे हुए हैं। बापदादा देख रहे हैं, चारों ओर के बच्चे कितने लगन से मन द्वारा मधुबन में पहुचे हैं। आप साकार में पहुचे हैं, चारों ओर के बच्चों को बापदादा भी विशेष यादप्यार दे रहे हैं। और विशेष सन्तुष्टता की शक्ति का वरदान चारों ओर के बच्चों को दे रहे हैं। सन्तुष्ट रहना, सन्तुष्ट करना और सन्तुष्टता की शक्ति से विश्व में भी सन्तुष्टता का वायब्रेशन फैलाना। अच्छा। सभी खुश हैं? हैं खुश तो दो-दो हाथ उठाओ। बापदादा भी बच्चों को मधुबन में देख खुश है। कुछ भी होवे ना, कोई भी ऐसी प्रॉब्लम छोटी-मोटी आवे ना तो आप मधुबन में पहुंच जाना, मन से, तन से नहीं मन से। बापदादा बच्चों के मन में एकस्ट्रा खुशी की खुराक भर देंगे। अच्छा है, मधुबन में आना अर्थात् पुरुषार्थ में आगे कदम बढ़ाना। अभी भी चेक करना मधुबन में आये तो कितना अपने में आगे बढ़ने में सहयोग लिया? मधुबन में सहज सारा दिन क्या याद रहता है? बाबा, बाबा, बाबा..। सुनते हैं तो भी बाबा की बातें, चलते हैं तो मधुबन का पावन स्थान, खाते हैं तो ब्रह्मा भोजन, पावरफुल क्योंकि यहाँ विशेष ड्यूटी वालों को याद दिलाया जाता है इसलिए मधुबन में आना अर्थात् अपने में ज्ञान, योग, धारणा और सेवा में कदम को आगे बढ़ाना। तो सभी ने मधुबन का यह सब फायदा उठाया है? उठाया है! फायदा उठाया है? क्योंकि यहाँ तो कोई जिम्मेवारी है ही नहीं। अपने को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी है? अच्छा।
सेवा का टर्न, दिल्ली आगरा का है:- दिल्ली वाले उठो। (सभी के हाथ में कैण्डल है) दिल्ली वाले लाइट माइट का रूप बनके आये हैं। अच्छा हॉल में रौनक हो गई है। अच्छा। देहली वालों को तो राजधानी तैयार करनी है क्योंकि सभी को राज्य तो करना है ना, तख्त पर भले नहीँ बैठें, लेकिन होंगे तो राज्य अधिकारी। अच्छा है, दिल्ली वालों को सर्विस का उमंग तो अच्छा है। अभी दिल्ली को नम्बरवन निर्विघ्न जोन यह रिजल्ट देनी है। उमंग तो अच्छा है लेकिन अभी प्रूफ देना है। दिल्ली वाले करेंगे ना! हाथ उठाओ क्योंकि अभी तक बापदादा को किसी भी जोन से रिजल्ट नहीं आई है। तो इसमें भी नम्बरवन लेगी ना दिल्ली। हाँ टीचर्स हाथ उठाओ। तो लेंगे? थोड़ा ढीला-ढाला उठाया। भाईयों ने उठाया। अच्छा। भिन्न-भिन्न स्थान पर बैठे हैं। अच्छा है बापदादा ने देखा सेवा का उमंग सभी जोन में है और इस वर्ष में चारों ओर सभी ने यथा शक्ति प्रोग्राम भी अच्छे किये हैं। सेवा का उमंग उत्साह चारों ओर है और यह सेवा का उमंग बढ़ाते जायेंगे तो क्या होगा? भारत महान बन जायेगा। अच्छा। दिल्ली वालों को मुबारक हो।
डबल विदेशी:- हाथ उठाओ। बहुत अच्छा। बापदादा ने देखा कि मधुबन का फायदा फॉरेन वालों ने बहुत अच्छा उठाया है। चाहे रिट्रीट की, चाहे कोई भी प्रोग्राम किये लेकिन संगठन में जो एक दो को सहयोग और हिम्मत मिली उसकी रिजल्ट अच्छी है इसीलिए बापदादा डबल फरिनर्स को 100 बार फायदा उठाने की मुबारक दे रहे हैं। और डबल फॉरिनर्स को बापदादा ने क्या टाइटल दिया! डबल पुरुषार्थी। डबल फॉरिनर नहीं लेकिन डबल पुरुषार्थी हैं। जब भी कोई डबल कहे ना तो कहो डबल फॉरिनर्स ही नहीं, डबल पुरुषार्थी भी हैं। और अपने को चेक करना। बापदादा जानते हैं अटेंशन है और विशेष अटेंशन दिलाया भी जाता है इसीलिए बापदादा को अच्छा लगता है चाहे देरी से आये हैं, लेकिन पुरुषार्थ में पीछे नहीं हैं। आगे जा रहे हैं और आगे जाते रहेंगे। यह भी बापदादा देख रहे हैं। बापदादा खुश है इसकी ताली बजाओ।
ज्युरिस्ट और आई.टी. वालों की मीटिंग है:- बापदादा ने पहले भी कहा है कि सभी वर्ग सेवा अच्छी कर रहे हैं, ज्युरिस्ट हैं कोई भी हैं लेकिन जब से वर्ग बने हैं, जिम्मेवारी मिली है तो देखा गया है कि जिम्मेवारी अलग-अलग मिलने से पुरुषार्थ भी अच्छा कर रहे हैं और प्रोग्राम्स भी बापदादा सुनते रहते हैं कि प्रोग्राम्स जो भी वर्ग कर रहे हैं उसकी रिजल्ट सब वर्ग की अच्छी निकल रही है। तो ज्युरिस्ट की भी सेवा अच्छी चल रही है। बापदादा खुश होते हैं कि हर एक का अटेंशन सेवा के तरफ भी अच्छा रहता है, कुछ करना है, कुछ करना है और कर भी रहे हैं। तो ज्युरिस्ट की सेवा भी जगह-जगह पर हो रही है, होती रहेगी। बहुत अच्छा। अच्छा।
अभी सेवा के प्रति तो बापदादा ने सभी को मुबारक दे दी, चाहे कोई भी वर्ग है। अभी बापदादा हर एक के पुरुषार्थ में प्रोग्रेस यह चाहते हैं, उसके लिए बापदादा ने सुनाया कि हर जोन अपने जोन को निर्विघ्न बनावे। अभी इसकी रिजल्ट नहीं आई है। सिर्फ अपना सेन्टर नहीं, जोन निर्विघ्न होना चाहिए। ऐसा प्लैन बनाओ जो हर जोन में कोई भी पुरुषार्थ में कमज़ोर नहीं रह जाए। जैसे अभी साथी हो, वैसे पुरुषार्थ में भी अच्छे ते अच्छे साथी बनके चलें क्योंकि आप निर्विघ्न बनेंगे तो उसका वायुमण्डल विश्व में फैलेगा। सारी विश्व परिवर्तन होनी है। अच्छा।
चारों ओर को बापदादा ने यादप्यार तो दे ही दिया है लेकिन इस वर्ष में पुरुषार्थ में चारों ओर सब तरफ नम्बरवन हो, ऐसा अभी एक दो के सहयोगी बन ऐसी रिजल्ट निकालो। जो भी जोन देखो नम्बरवन हो। यह हो सकता है? हो सकता है? दादियाँ सुनाओ, हो सकता है? हाँ बोलो, हो सकता है? (हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा, हम ही तो करेंगे) हाथ उठाओ, डबल पुरुषार्थी बनेंगे! जहाँ भी जो सुन रहे हैं, देख रहे हैं सब यह संकल्प करो करना ही है और जो बहादुर होंगे वह तो कहेंगे बाबा बड़ी बात क्या है, हुआ ही पड़ा है। (पावर आफ फ्यूचर की सेवा भी निजार भाई और पार्टी अच्छी कर रहे हैं) भारत भी कर रहा है, फॉरिन भी कर रहा है। उमंग सभी को है लेकिन निर्विघ्न यह रिपोर्ट आवे हर जोन निर्विघ्न है, नम्बरवन पुरुषार्थी है क्योंकि आपका वायब्रेशन दुनिया तक जाये। आप लोग अगर पुरुषार्थ में आगे जायेंगे तो उसका वायब्रेशन दुनिया के दु:खी लोगों तक पहुँचेगा। आजकल तो कितना दुःख बढ़ रहा है! कारण ही ऐसे बनते हैं जो दु:ख ही दुःख फैल जाता है। अच्छा -
सभी को याद है, अगले वर्ष क्या करना है? तो ऐसा पुरुषार्थ करके आगे बढ़ो और आगे बढ़ाओ। अच्छा। (ईश्वरीय सेवा के लिए कोई नया प्लैन) वह बतायेंगे, ठीक है। अच्छा है। अच्छा।
दादियों से:- (इस बार टीचर्स संगठन में भी यही रूहरिहान हुई कि संगठन को पावरफुल कैसे बनायें)
मोहिनी बहन से:- अभी भी इसका पार्ट है और सहयोग भी है। अभी ठीक है? हो जायेगा। कोई विचार नहीं करो, ठीक हो जायेगा। थोड़ा बीच में होता है ना। अभी डायरेक्शन ठीक मिला है ना तो ठीक हो जायेगा। खुश तो है ना। थोड़ा हलचल हुई है इसलिए होता है, ठीक हो जायेगा। बीमारी बढ़ गई है ना तो उसमें थोड़ा बहुत होता है। अभी थोड़ा लगातार एक-एक को ठीक करते जाएं बस, हो जायेगा। फिर भी ठीक है। तैयार हो जायेगी तो फिर दौड़ेगी। (कल इनका जन्म दिन है, 72 वर्ष)
तीनों भाईयों से:- तीनों मिलकर ऐसा प्रोग्राम बनाओ जो मधुबन सदा ही निर्विघ्न रहे। सब सन्तुष्ट भी रहें, त्यागी भी रहें, सन्तुष्ट भी रहें, दोनों ही। ध्यान दे रहे हो और भी थोड़ा देते चलो। तीनों ही आपस में राय करके एक विचार वाले हो जाओ। तीनों में एक ही लहर हो। विचार भिन्न-भिन्न होते हैं, लेकिन विचारों को भी मिलाना होता है। तो तीनों का एक विचार हो, यह एक दो में मिलते, एक जैसे संकल्प करो। अच्छा है। जैसे बहनें आपस में है ना, ऐसे भाई भी एकमत हों। जो भी जिसकी मत हो विचार लो लेकिन एक हो करके चलो।
बापदादा ने सभी बच्चों को नये वर्ष 2013 की बधाईयाँ दी
चारों ओर के बच्चों को नये वर्ष की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। इस नये वर्ष में कुछ न कुछ नवीनता अपने में लानी है। जो अभी तक परिवर्तन नहीं किया हो, मुश्किल लगता हो वह इस नये वर्ष में करके समाचार लिखना। अपने को निर्विघ्न बनाना और दूसरों को भी निर्विघ्न बनाने में सहयोगी बनना। सब सन्तुष्टमणियाँ, चमकती रहें, ऐसे बापदादा देखने चाहते हैं।
अच्छा - चारों ओर के बच्चों को बहुत-बहुत-बहुत यादप्यार और परिवर्तन मनाने की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
ओम् शान्ति।
18-01-10 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘ब्रह्मा बाप समान नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप बनने के लिए, मन का टाइमटेबल बनाकर कर्म करते कर्मयोगी अशरीरी बनने का अभ्यास करो’’
आज चारों ओर के बच्चों में विशेष स्नेह समाया हुआ है। आज के दिन को कहते ही हैं स्मृति दिवस। बापदादा ने अमृतवेले से चारों ओर देखा, चाहे देश में, चाहे विदेश में सभी बच्चों के दिल में बाप के स्नेह की तस्वीर दिखाई दी। और बाप के दिल में भी हर एक बच्चे के स्नेह की तस्वीर समाई हुई थी। आज के दिन को विशेष स्नेह का, स्मृति का दिवस कहते हो। बापदादा ने अमृतवेले से भी पहले बच्चों के तरफ से अनेक स्नेह के मोतियों की मालायें देखी। हर एक बच्चे के दिल में आटोमेटिक यह गीत बज रहा है - मेरा बाबा, ब्रह्मा बाबा, मीठा बाबा। और बापदादा के दिल में यह गीत बज रहा है मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे। आज हर एक के अन्दर और शक्तियों के सिवाए स्नेह की शक्ति ज्यादा समाई हुई है। यह परमात्म स्नेह, ईश्वरीय स्नेह सिर्फ संगमयुग पर ही अनुभव होता है। यह परमात्म स्नेह जो अनुभवी जाने, हर एक बच्चे को सहजयोगी बना देता है। बापदादा ने देखा सर्व बच्चों में स्नेह का अनुभव बहुत-बहुत समाया हुआ है। आप सबका जन्म का आधार स्नेह है। ऐसा कोई भी बच्चा नहीं दिखाई देता, और शक्तियां कम भी हों लेकिन बाप का स्नेह या निमित्त बनी हुई विशेष आत्माओं के स्नेह का अनुभव मैजारिटी सभी के दिल में, चेहरे में दिखाई देता है। अभी आप सबको आज विशेष यहाँ तक किसने पहुंचाया? किस विमान में आये? ट्रेन में आये या विमान में आये? सबकी सूरत में स्नेह के प्लेन से पहुंच गये। कुछ भी करना पड़ा लेकिन स्नेह के प्लेन में सभी पहुंच गये हो।
आज के दिन को स्मृति दिवस कहा जाता है लेकिन स्मृति दिवस के साथ-साथ समर्थी दिवस भी कहा जाता है। आज के दिन को ताजपोशी का दिन भी कहा जाता है क्योंकि आज के दिन बापदादा ने विशेष ब्रह्मा बाप ने निमित्त बने हुए महावीर बच्चों को विश्व सेवा का ताज पहनाया। बाप, ब्रह्मा बाप खुद अननोन हुए और बच्चों को विश्व सेवा के स्मृति का तिलक दिया। बच्चों को करनहार बनाया और स्वयं करावनहार बनें। अपने समान फरिश्ते रूप का वरदान देकर लाइट का ताज पहनाया और बापदादा ने जो ताज, तिलक का वरदान दिया, उसी प्रमाण बच्चों का कर्तव्य देख खुश है। बच्चों ने सेवा का वरदान कार्य में लाया, यह देख बापदादा खुश है। अभी तक जो पार्ट बजाया है और आगे भी बजाना है, उसकी पदमगुणा ब्रह्मा बाप विशेष मुबारक दे रहे हैं। वाह बच्चे वाह! विदेश में भी चक्कर लगाया तो क्या देखा? हर बच्चा स्नेह में समाया हुआ है। जो बाप द्वारा समार्थियाँ मिली हैं क्योंकि यह दिन विशेष स्नेह से समार्थियों का वरदान प्राप्त करने का दिन है। बापदादा ने देखा कोई-कोई बच्चे बहुत अच्छे लगन में याद में, सेवा में लगे हुए हैं। अमृतवेला बहुत अच्छी रीति से अनुभव करते हैं। अशरीरीपन का भी अनुभव करते हैं लेकिन जब कर्मयोगी बनने का समय आता है तो दोनों काम योगी का भी और कर्म का भी, दो काम इकठ्ठा करने में फर्क पड़ जाता है। पुरूषार्थ करते हैं कि कर्म और योग का बैलेन्स हो लेकिन जैसे अमृतवेले शक्तिशाली अवस्था का अनुभव करते हैं, वैसे कर्म में फर्क पड़ जाता है, मेहनत करनी पड़ती है और बापदादा ने सभी बच्चों को कह दिया है कि विश्व का विनाश अचानक होना है, अगर सारा दिन अटेन्शन के बजाए, किसी भी धारणा की कमी होने के कारण कर्मयोगी की स्टेज में फर्क आता है तो विश्व के विनाश की डेट तो बापदादा अनाउन्स नहीं करेंगे लेकिन अपना जीवन काल समाप्त कब होना है, यह मालूम है? कोई को मालूम है कि मेरा मृत्यु फलानी डेट पर होना है, है मालूम? वह हाथ उठाओ। अचानक कुछ भी हो सकता है, कोई प्रकृति का कारण बनता है तो कितने का मृत्यु साथ में हो जाता है। तो विश्व के डेट के संकल्प से अलबेला नहीं बनना। आपकी जगदम्बा का स्लोगन था - तो कभी भी कब नहीं कहो, अब। कल कुछ भी हो जाए लेकिन मुझे एवररेडी रहना ही है। तो इतनी तैयारी सबके अटेन्शन में है? अपना कर्मों का हिसाब चुक्तू किया है? चार ही सबजेक्ट ज्ञान, योग, सेवा और धारणा, चार ही तरफ, चारों में ऐसी तैयारी है? पूरा बेहद के वैराग्य का अनुभव चेक किया है? अपनी दिल में यह चेक किया है कि एवररेडी हैं? नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप क्योंकि ब्रह्मा बाप ने भी स्वयं को पुरूषार्थ करके ऐसा बनाया जो अनुभवी बच्चों ने देखा, कोई भी तरफ यह वातावरण नहीं था, कोई हिसाब किताब का, अचानक अशरीरी बनने का अभ्यास अशरीरी बनाकर उड़ गये। कोई ने समझा कि ब्रह्मा बाप जाने वाले हैं! लेकिन नष्टोमोहा, बच्चों के हाथ में हाथ होते कहाँ आकर्षण रही? फरिश्ता बन गये। बच्चों को फरिश्ते बनाने का तिलक दे गये। इसका कारण बहुत समय अशरीरीपन का अभ्यास रहा। कई अनुभवी बच्चे जो साथ रहे हैं उन्होंने अनुभव किया, कर्म करते करते ऐसे अशरीरी बन जाते। तो यह जो कर्मयोग में अन्तर पड़ जाता है, इसका कारण कर्म करते यह स्मृति में इमर्ज नहीं होता, मैं आत्मा हूँ, यह तो सब जानते ही हैं लेकिन मैं आत्मा, कौन सी आत्मा हूँ? मैं करावनहार आत्मा हूँ और यह कर्मेन्द्रियां करनहार हैं, यह करावनहार का स्वमान कर्म करते स्मृति स्वरूप में रहे, चाहे कर्मेन्द्रियों से कर्म कराना है लेकिन मैं करावनहार हूँ, मालिक हूँ, इस सीट पर अगर सेट है तो कोई भी कर्मेन्द्रिय आर्डर में रहेगी। बिना सीट पर सेट होते कोई किसका नहीं मानता। तो करावनहार आत्मा हूँ, यह कर्मेन्द्रियां करनहार हैं, करावनहार नहीं है। जैसे ब्रह्मा बाप का अनुभव सुना कि ब्रह्मा बाप ने शुरू में यह अभ्यास किया जो रोज़ समाप्ति के समय इन कर्मेन्द्रियों की राज दरबार लगाते थे। पुराने बच्चों ने वह डायरी देखी होगी तो रोज दरबार लगाते थे और करावनहार मालिक बन हर कर्मेन्द्रियों का समाचार लेते थे, देते थे। इतना अटेन्शन शुरू में ही ब्रह्मा बाप ने भी किया तो आपको भी करावनहार मालिक समझ, क्योंकि आत्मा राजा है यह कर्मेन्द्रियां साथी हैं। तो यह चेक करना चाहिए कि आज के दिन विशेष मन-बुद्धि संस्कार, स्वभाव कहो संस्कार कहो इन्हों का क्या हाल रहा?और फौरन चेक करने से कर्मेन्द्रियों को अटेन्शन रहता है कि हमारा राजा हमारा हालचाल लेगा, तो आत्मा राजा करनहार कर्मेन्द्रियों से करावनहार बन चेक करो। नहीं तो देखा गया है कई बच्चे कहते हैं कि हम कर्मेन्द्रियों को आर्डर करते हैं लेकिन फिर हो जाता है। पुरूषार्थ करते हैं लेकिन कोई-कोई संस्कार या स्वभाव आर्डर में नहीं रहते। उसका कारण इसी अपने स्वमान की सीट पर सेट नहीं रहते। बिना सीट पर बैठने के आर्डर कितना भी करो तो आर्डर मानने वाले मानते नहीं हैं। तो कर्म करते अपने करावनहार मालिकपन की सीट पर सेट रहो। कई बच्चे यह भी बापदादा से रूहरिहान करते कि बाबा आपने हमें सर्व शक्तिवान बनाया, शक्तिवान भी नहीं सर्वशक्तिवान का वरदान हर एक बच्चे को ब्राह्मण जन्म लेते हुए दिया है, याद है अपने जन्म का वरदान! हर एक बच्चे को बाप ने मास्टर सर्वशक्तिवान भव का वरदान दिया है। किसने वरदान दिया? आलमाइटी अथॉरिटी ने। लेकिन कम्पलेन करते हैं कि जिस समय जो शक्ति चाहिए वह आती नहीं है। आर्डर नहीं मानती है। वह क्यों? जब आलमाइटी अथॉरिटी का वरदान है, उससे बड़ा कोई नहीं। तो वरदान के स्थिति में स्थित रहकरके अगर आर्डर करो तो हो नहीं सकता कि आप आर्डर करो और शक्ति नहीं मानें। एक तो आत्मा मालिक है, सर्वशक्तिवान का वरदान मिला हुआ है, उस स्वरूप में स्थित होके मालिक हूँ, वरदान है, दोनों स्वरूप की स्मृति के स्थिति में रहके आर्डर करो। शक्ति आपका नहीं मानें असम्भव क्योंकि वरदान और बाप के प्रापर्टी का अधिकार संगमयुग पर आप सबको सर्वशक्तिवान का टाइटिल मिला है सिर्फ उस स्थिति में स्थित नहीं रहते। सदा नहीं रहते। कभी-कभी आ जाता है। यह कभी शब्द अपने ब्राह्मण डिक्शनरी से निकाल दो। अभी अभी हाजिर। आप कहते हो ना कि बाबा आपको हम याद करते हैं तो आप हाजिर हो जाते हैं। है अनुभव? हाथ उठाओ। अनुभव है? अभी देखो, हाथ तो उठा रहे हो। बाप हाजिर हो जाता। हजूर हाजिर हो जाता, तो यह शक्ति क्या है? यह शक्तियां भी आपको बाप के प्रापर्टी में मिली हैं। तो मालिक बनके आर्डर करो। मालिक बनके आर्डर नहीं करते हो, शक्ति खो जाती है ना तो उसी स्थिति में रहते हुए आर्डर करते हो, तो मालिक ही नहीं है आर्डर क्यों मानें!
तो बापदादा अभी क्या चाहते हैं? पता है ना! बाप अभी यही चाहते हैं कि मेरा एक-एक बच्चा कर्म करते हुए भी राजा बच्चा बन, स्वराज्य अधिकारी बन स्वराज्य की सीट को नहीं छोड़े। तो राजा सारा दिन राजा ही होता है ना! कि कभी राजा होता है कभी नहीं। तख्त पर बैठना या नहीं बैठना वह अलग बात है लेकिन घर में भी रहते मैं राजा हूँ, यह तो नहीं भूलता। तो कर्मयोगी और अमृतवेले के यथार्थ योग शक्तिशाली स्थिति उसमें फर्क नहीं पड़ना चाहिए। डबल काम है लेकिन आप कौन हो? आप तो विश्व के परिवर्तक हो, विश्व कल्याणकारी हो। इसलिए बाप यही चाहते कि चलते-फिरते राजापन नहीं भूलो, सीट को नहीं छोड़ो। बिना सीट के कोई आर्डर नहीं मानता। आजकल देखो सीट के पीछे कितना कुछ करते हैं? अपना हक लेने के लिए कितना प्रयत्न करते। अपना हक कोई छोड़ने नहीं चाहता। तो आप अपना परमात्म हक मैं कौन! हर समय जो काम करते हो तो काम करते भी अपने मन का टाइमटेबल बनाके रखो। यह काम करते हुए मन का स्वमान क्या रहेगा? आज के दिन कौन सा लक्ष्य रखूंगा? हर काम के टाइम जो भी अपने स्वमान की लिस्ट है, भले भिन्न-भिन्न टाइमटेबल बनाओ जैसे स्थूल कर्म का टाइमटेबल फिक्स करते हो वैसे मन का टाइमटेबल फिक्स करो। मालूम तो है इस समय यह काम करना है, उसके साथ स्वमान कौन सा रखना है? मालिकपन का अधिकार किस स्वमान के रूप में रखना है, यह मन का टाइमटेबल बनाओ। टाइमटेबल बनाने आता है ना! माताओं को आता है? मातायें अपना आपेही प्रोग्राम बनाओ। अच्छा खाना बनाना है उस समय कौन सा स्वमान अपनी बुद्धि में इमर्ज रखना है। बहुत माला है स्वमान की। इतनी बड़ी माला है जो स्वमान गिनती करते जाओ और माला में समा जाओ। तो अभी बहुतकाल का भी कोई बच्चे कहते हैं, अभी तक तो विनाश का कुछ दिखाई नहीं देता है। अभी तो डेट फिक्स नहीं है, कर लेंगे, हो जायेगा, यह अलबेलापन है। सन्देश देने में भी विश्व कल्याणकारी हैं, तो कई बच्चे समझते हैं अभी समय पड़ा है, आगे चलवे सन्देश दे देंगे, लेकिन नहीं। जिनको पीछे सन्देश देंगे वह भी आपको उल्हना देंगे क्या उल्हना देंगे? आपने पहले क्यों नहीं बताया तो हम भी कुछ कर लेते थे, अभी आपने लास्ट में बताया। तो हम तो सिर्फ पहचान कर अहो प्रभू तेरी लीला अपार है, यही कह सकेंगे। पद तो पा नहीं सकेंगे। क्यों? बहुत समय का भी सहयोग चाहिए। आप सभी वारिस बैठे हो ना! जो अपने को समझते हैं हम वारिस हैं, वह हाथ उठाओ, वारिस हैं? अच्छा, वारिस हैं तो आपको फुल वर्सा पाना है या थोड़ा? सभी कहेंगे फुल वर्सा पाना है। तो फुल वर्सा है 21 जन्म पूरे, आदि से अन्त तक रॉयल प्रजा नहीं, रॉयल फैमिली में आना। राज्य फैमिली में आना। तख्त पर तो एक ही बैठेंगे ना। युगल बैठेंगे। लेकिन वहाँ की सभा जब भी लगती है तो रॉयल फैमिली के विशेष निमित्त आत्मायें वह ताजधारी बनके बैठते हैं। बिना ताज नहीं बैठते हैं। और हर कार्य में सलाह, राय देने वाले ऐसे नहीं कि सिर्फ वह राज्य करेगा, साथ में राय से ही करते हैं इसलिए अगर सम्पूर्ण वर्सा लेना है तो पहले जन्म से लेके अन्त तक 21 जन्म पूरे आधे भी नहीं, बीच में तो जाना नहीं है, अकाले मृत्यु तो होना नहीं है। तो पूरा वर्सा लेना है कि थोड़े में खुश होना है? आपकी मातेश्वरी जगत अम्बा सदा यह लक्ष्य रखती थी बापदादा ने जो श्रीमत, चाहे मन्सा चाहे वाचा चाहे कर्मणा, जो भी श्रीमत दी वह हमें करना ही है। ऐसे पूरा वर्सा लेने वाले यही लक्ष्य बुद्धि में रखो कि अचानक एवररेडी और बहुत समय, तीनों ही शब्द साथ में याद रखो। इसलिए बापदादा के सभी आशाओं के दीपक बच्चों प्रति यही वरदान है कि सदा यह तीनों ही शब्द याद रखकर सभी आशाओं के दीपक बनने का प्रत्यक्ष सबूत दिखाओ।
बापदादा ने देखा बच्चों ने भिन्न-भिन्न प्रकार के कोर्स बनाये हैं। अच्छा है। बापदादा मुबारक देते हैं लेकिन अब समय प्रमाण कोर्स के बजाए फोर्स का कोर्स कराओ। ऐसा फोर्स का कोर्स कराओ जो वह आत्मायें बाप के सिर्फ स्नेही-सहयोगी नहीं बनें लेकिन हर श्रीमत को पालन करने वाली फोर्स, सर्व फोर्स भरने वाली आत्मा बनें। समीप का रत्न बनें। यह हो सकता है? अभी फोर्स का कोर्स कराओ। क्योंकि बापदादा देख रहे हैं कि अभी प्रकृति हलचल में आ गई इसलिए कोई न कोई कारण प्रकृति की हलचल अपना प्रभाव दिखा रही है और दिखाती रहेगी। जो ख्याल ख्वाब में बातें नहीं हैं वह प्रैक्टिकल देखते चलेंगे। तो प्रकृति को भी सतोप्रधान बनाना है। अभी तो अपने-अपने प्रभाव डाल रही है, इसलिए समय प्रति समय नई-नई बातें होती रहती हैं। लेकिन आप सब तो वारिस हो ना!सिर्फ स्नेही सहयोगी नहीं वारिस, फुल अधिकारी। है? वारिस हैं ना! वारिस है! डबल फारेनर्स भी वारिस हैं ना!वारिस है? फुल वर्सा लेने वाले। अधूरा नहीं। पाण्डव फुल वर्सा लेने वाले हो?
तो बापदादा की आशा का दीपक हूँ। तो यही याद रखो - स्मृति दिवस पर हर एक बच्चा चाहे आये हैं, चाहे अभी नहीं आये हैं, चाहे दूर बैठे दिल में समाये हुए हैं, हर एक को बापदादा की यह आज्ञा - बनना और मानना है कि मुझे कभी शब्द नहीं कहना है। अभी-अभी, कल भी किसने देखा, आज। जो करना है वह करना ही है, सोचना नहीं। सोचेंगे, करेंगे, हो जायेगा, यह बाप को भी दिलासा देते हैं। बाबा आप ख्याल नहीं करो हम समय पर ठीक हो जायेंगे। लेकिन बापदादा यही चाहते कि अभी-अभी कोई भी पेपर आ जाए तो हर एक बच्चा फुल पास हो जाए। हो सकता है? हो सकता है? फुल पास होना है? अच्छा। आज जो पहली बार आये हैं वह उठो। पहले बारी आने वालों को बापदादा आने की बहुत-बहुत मुबारक दे रहे हैं और वरदान दे रहे हैं कि तीव्र पुरूषार्थी बन आप चाहो तो आगे से आगे आ सकते हो। यह वरदान प्रैक्टिकल में लाने चाहे तो बापदादा का वरदान है। इसके लिए पहले आने वालों के लिए बापदादा खुशखबरी सुना रहे हैं कि लास्ट सो फास्ट, फास्ट सो फर्स्ट, यह दिल खुश मिठाई खा लो।
बापदादा को यह खुशी है कि फिर भी टू लेट के बोर्ड के पहले आ गये, यह बहुत खुशी की बात है। आप लोग अगर आगे गये तो हम सब खुश होंगे यह नहीं कहेंगे कि आप क्यों, हम क्यों नहीं, नहीं। पहले आप। अच्छा - बैठ जाओ, दिलखुश मिठाई खाई!
सेवा का टर्न इन्दौर ज़ोन का है:- इन्डोर का अर्थ ही है, लकीर के अन्दर रहने वाले। तो बापदादा को हर एक ज़ोन की सेवा का उमंग उत्साह देख खुशी होती है और चांस भी सभी अच्छी तरह से लेते रहते हैं क्योंकि जानते हो कि सेवा का मेवा मिलता है। कौन सा मेवा मिलता है? सभी की आशीर्वाद मिलती है। लोग तो समझते हैं एक ब्राह्मण को खिलाया, बहुत पुण्य जमा हुआ। लेकिन आप कितने ब्राह्मणों को खिलाते हो। कितना पुण्य और सभी सच्चे ब्राह्मण हैं। तो आप सभी ने सेवा का मेवा खाया? खाया? तो तन्दरूस्त हो ना! मेवा खाने से तन्दरूस्त बनते हैं। तो अच्छा है। हर ज़ोन में देखा गया कि संख्या बढ़ती जाती है लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा है कि संख्या बढ़ रही है, यह तो बहुत अच्छा। सन्देश मिला, बाप का पैगाम मिला और बाप के बने इसके लिए बहुत-बहुत मुबारक हो लेकिन अभी समय अनुसार पहले भी बाप ने कहा है कि वारिस बनाओ। इन्दौर ने पक्के वारिस, क्योंकि बापदादा उन वारिसों का पेपर लेंगे। पहले नाम भेजो फिर बापदादा देखेंगे कि वारिस क्वालिटी कहाँ तक वारिसपन निभा रही हैं। और दूसरा बापदादा ने कहा अनुभवी नामीग्रामी जिनका अनुभव सुनकर औरों को उमंग आवे, मैं भी बनूं, वह माइक क्वालिटी भी तैयार करनी है। तो किया, काम किया? इन्दौर ने किया? अभी बापदादा के पास लिस्ट नहीं आई है। अच्छा। (छतीसगढ़ की पूरी गवर्मेन्ट यहाँ आई, वह अभी माइक बनकर अच्छी सेवा कर रहे हैं) अच्छा है। यह सारे इन्दौर के हैं। काफी संख्या है। अच्छा है। अच्छा। बापदादा की इन्दौर में एक विशेष उम्मींद है क्योंकि यह ब्रह्मा बाप के अन्तिम समय पर खुद बापदादा ने इन्दौर सेन्टर खुलवाया है, इसलिए आज स्मृति दिवस मना रहे हैं तो इन्दौर को कोई ऐसी बात करनी है जो अभी तक न्यारी और प्यारी हो। सभी ज़ोन पुरूषार्थ कर रहे हैं अच्छा, बापदादा के पास समाचार तो सबका आता भी है। लेकिन बापदादा अभी फास्ट आगे बढ़ने का जो चाहना रखते हैं, निर्विघ्न ज़ोन, हर ज़ोन में जितने भी सेवाकेन्द्र हैं, उपसेवाकेन्द्र हैं लेकिन हर एरिया निर्विघ्न सेवाकेन्द्र हो। हर एक में तीव्र पुरूषार्थ की लहर हो। तो नम्बर इन्दौर ले लेवे। इसमें नम्बरवन कोई भी ज़ोन ने रिपोर्ट नहीं दी है कि सारा ज़ोन निर्विघ्न है। पुरूषार्थ कर रहे हैं लेकिन चारों ओर चाहे गीता पाठशाला हो लेकिन निर्विघ्न हो। यह रिर्पोट बापदादा चाहते हैं। अच्छा।
मेडिकल विंग:- इस विंग में प्रैक्टिकल डाक्टर्स कितने हैं? डाक्टर्स हाथ उठाओ। अच्छा इतने डाक्टर्स हैं क्योंकि बापदादा ने देखा कि समय प्रमाण डाक्टर्स की सेवा और आगे बढ़ेगी क्योंकि आजकल के समय में चिंता और भय फैला हुआ है। तो डाक्टर्स यह तो डबल डाक्टर्स होंगे ही। डाक्टर्स जो डबल डाक्टर हैं वह हाथ उठाओ। मन के भी तन के भी। क्योंकि आजकल मन का रोग और बढ़ता जायेगा इसलिए डबल डाक्टर्स की सेवा और बढ़ती जायेगी। प्रकृति की हलचल के कारण नये-नये रोग निकलते हैं तो ऐसे समय पर डबल डाक्टर्स की आवश्यकता है। तो आप सभी एवररेडी हो, कहाँ भी बुलावा हो तो सेवा दे सकते हो? जो सेवा दे सकते हैं वह हाथ उठाओ। बहुत अच्छा। नाम नोट करके देना क्योंकि निमन्त्रण तो आते हैं तो समय निकालेंगे? निकालेंगे? जो समय के लिए भी तैयार हैं वह हाथ उठाओ। अच्छा। बहिनें कम उठा रही हैं। सेवाकेन्द्र चलाना है। इनका नाम नोट करके देना। बापदादा डाक्टर्स की महिमा करते हैं क्यों महिमा करता है? क्योंकि डाक्टर्स भी बापदादा के समान दु:ख लेके सुख तो दे देते हैं। लेकिन अल्पकाल के लिए देते हैं। बाप सदाकाल के लिए देते हैं इसीलिए कहा कि डबल डाक्टर होंगे और समय निकालेंगे तो आप लोगों को आगे चल करके डबल डाक्टर्स की वैल्यु होगी। बापदादा ने सुना कि डाक्टर्स को फुर्सत नहीं होती है लेकिन डाक्टर्स हर एक बिजी होते भी बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं। पहले भी बापदादा ने सुनाया कि हर एक डाक्टर अपना कार्ड तो छपाते हो। छपाते हो ना कार्ड? तो एक तरफ तो अपना परिचय देते हो और दूसरा तरफ खाली होता है, तो उस खाली तरफ आप मन की दवाई के लिए फलानी एड्रेस है, यह अगर कार्ड जितने भी पेशेन्ट हैं उनको दो तो आपकी घर बैठे सेवा हो जायेगी। क्योंकि डाक्टर्स का सभी मानते हैं। कोई कितना भी कहेगा नहीं यह नहीं खाओ फिर भी खाते रहेंगे। लेकिन डाक्टर्स अगर कहेंगे कि यह हो जायेगा, यह हो जायेगा। तो कर लेते हैं। मजबूरी से करें या प्यार से करें लेकिन करते हैं इसीलिए बापदादा कहते हैं कि डाक्टर्स बहुत सेवा कर सकते हैं और अच्छा है। देखा गया है तो प्रोग्राम करते रहते हैं लेकिन थोड़ा और तेजी से होना चाहिए। आपके भिन्न-भिन्न ज़ोन के डाक्टर्स अपने ज़ोन में ऐसा प्रोग्राम बनाओ जो वहाँ ही प्रोग्राम इकठ्ठा होके करते रहें तो आप बहुत सेवा कर सकते हो। बापदादा को डाक्टर्स की सेवा आवश्यक लगती है क्योंकि यह तो बीमारियां बढ़नी ही हैं। मन की बीमारी तो चारों ओर फैली हुई है तो आप लोगों के आक्युपेशन के डर से सभी मान सकते हैं। अच्छा है। बापदादा को पसन्द है इस वर्ग की सेवा और जोरशोर से बढ़ाओ। अच्छा।
डबल विदेशी:- (40 देशों से आये हैं): आज तो विशेष सेरीमनी मनाने भी आये हैं। बापदादा को खुशी है कि मधुबन में सेरीमनी मनाने के निमित्त सभी को उमंग-उत्साह आता है। हाथ उठाओ जो सेरीमनी मनाने आये हैं? अच्छा। जिनकी सेरीमनी है वह हाथ उठाओ। दो हाथ उठाओ। बहुत अच्छा किया। निमन्त्रण देने का, आबू की यात्रा कराने का यह चांस बहुत अच्छा लिया क्योंकि बापदादा की पधरामणी सिन्ध में हुई। फाउण्डेशन सिन्ध है। तो सिन्ध वाले अपना हक रखते हैं कि हम तो सिन्धी हैं। अच्छा है यह भी एक विधि है सभी को यात्रा कराने की। तो बापदादा विशेष मुबारक दे रहे हैं। अच्छा लगा ना। अपना घर। अच्छा लगा? क्योंकि यहाँ देखा होगा किसी भी कमरे में किसका नाम नहीं। क्योंकि यह बाप का घर है। तो आप बाप के बच्चे कहाँ आये हो? अपने घर में।
(हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री सामने बैठे हैं)
यह भी अभी आये हैं ना? तो कहाँ आये हो? अपने घर में आये हो। अपने परिवार में आये हो। बापदादा यही कहते हैं कि राज्य और आध्यात्मिकता अगर दोनों मिलकर विशेष बापू गांधी जी के संकल्प को पूर्ण करने चाहें तो कर सकते हैं। सहज कर सकते हैं और करते जा रहे हैं। बापदादा को खुशी है कि किसी न किसी संग के साथ अभी नेताओं में भी नाम फैल रहा है। तीनों शक्तियां साइंस, आध्यात्मिकता और राज्य सत्ता, तीनों ही सत्तायें मिलकरके एक संकल्प करें, सहयोगी बनें तो हम बापू गांधी जी और बापू का भी बापू परमात्मा दोनों बाप की आशायें पूर्ण करेंगे तो बहुत सहज हो जायेगा। अच्छा।
डबल विदेशी - विदेश में भी भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवायें चल रही हैं और चलती रहेंगी। बापदादा ने देखा कि नये-नये प्लैन बनाते रहते हैं और प्रैक्टिकल में कर भी रहे हैं, फारेन वाले इन्डिया वालों को अपना अनुभव सुनाके सेवा कर रहे हैं और इन्डिया वाले फारेन वालों को अपने अनुभव सुना करके देश विदेश में आवाज फैला रहे हैं, अभी भी प्रोग्राम कर रहे हैं ना। अच्छा है। अभी दूसरा नम्बर है। (अभी सर्व इन्डिया प्रोग्राम चेन्नई में है) बापदादा के पास सभी का उमंग उत्साह का पत्र और यादप्यार एडवांस में मिली है, जो भी करते हैं, आरम्भ करते हैं तो पहले छोटा होता है फिर बढ़ता जाता है क्योंकि आजकल के समय में सभी को आवश्यकता लगती है, तीन सत्ता होते भी धर्म सत्ता भी है, आध्यात्मिकता अलग है, धर्म सत्ता अलग है लेकिन सत्ता तो है। तो भी जो चाहते हैं वह नहीं हो रहा है। तो सभी सोचने लगते हैं कि कमी किसकी है? तीन तो काम कर रही हैं, तो भी जो चाहते हैं वह नहीं हो रहा है। तो अभी चाहते हैं लेकिन समय का बहाना देते हैं। समय नहीं हैं। क्या करें, क्या नहीं करें... लेकिन ऐसे अगर एक दो ग्रुप अपने को सहयोगी बनायें तो बापदादा का वरदान है कि भारत स्वर्ग बनना ही है। दोनों बापू की आशायें पूर्ण होनी ही है। तो फारेन वाले भी मन्सा सेवा से सहयोगी हैं ना! बापदादा ने देखा कि वृद्धि सब धर्मो में हो रही है, एक धर्म नहीं सिर्फ हिन्दू नहीं लेकिन मुस्लिम, बुद्धिष्ठ सब धर्म, क्रिश्चियन, सब धीरे धीरे आध्यात्मिकता में रूची ले रहे हैं। पहले देखो ब्रह्माकुमारियों का नाम सुनके डरते थे, विनाश-विनाश क्या कहती हैं। और अभी क्या कहते हैं? अभी कहते हैं बताओ विनाश कब होगा, कैसे होगा और क्या करें? इसलिए होना तो है ही यह तो गैरन्टी है। आप सबको गैरन्टी है ना चाहे विदेश वाले चाहे भारत वाले गैरन्टी है ना, आपका सहयोग है ही है। होना ही है। ताली बजाओ। सभी को उमंग अच्छा है। और निमित्त बनी हुई आत्मायें चाहे पाण्डव, चाहे शक्तियां दोनों में उमंग उत्साह है। सिर्फ अभी बापदादा ने जो इशारा दिया पुरूषार्थ को तीव्र करो। पुरूषार्थ नहीं, पुरूषार्थ का समय गया अभी तीव्र पुरूषार्थ का समय है। और कभी-कभी पर नहीं ठहरो, अभी। अभी करना है, अभी बनना है। तो होना ही है। अच्छा।
कलकत्ता वालों ने आज फूलों का श्रृंगार किया है:- बापदादा ने देखा कि दिल से करते हैं। श्रृंगार करना कोई बड़ी बात नहीं है, आपसे भी अच्छे करने वाले हैं लेकिन आपको बाप से प्यार है, बाप की पहचान थोड़ी बहुत है इसलिए जो भी श्रृंगार करते हो ना, उसमें सिर्फ काम नहीं लेकिन प्यार भी है। तो जहाँ प्यार है वहाँ प्यार की खुशबू सबको अच्छी लगती है। और हर साल आते हैं। अपनी ड्युटी समझकर नहीं, लेकिन अपना काम समझ करके करते हैं। तो मुबारक हो आप सबको। निमित्त बने हुए उमंग हुल्लास दिलाते हैं। बहुत अच्छा करते हो। स्मृति दिवस आता है और कलकत्ता को याद करते हैं, विशेषता है। मुबारक हो। अच्छा।
चारों ओर के तीव्र पुरूषार्थी सदा उमंग उत्साह से कदम आगे बढ़ाने वाले जो सच्ची दिल से करते हैं उनके मस्तक पर विजय का तिलक बापदादा देख रहे हैं, सभी को निश्चय है, नशा है तो हम विजयी हैं, विजयी थे और विजयी रहेंगे, इसलिए हर एक के मस्तक में बापदादा विजय का तिलक देख रहे हैं। चारों ओर के स्नेही भी हैं, आज अमृतवेले से बहुत-बहुत स्नेह की मालायें बापदादा के पास आई और बापदादा आप सभी बच्चों को रिटर्न में सदा विजयी बनने की माला डाल रहे हैं। तो चारों ओर के बच्चे देख भी रहे हैं क्योंकि साइंस ने यह सब साधन आपके लिए भी बनाये हैं, जो कहाँ भी बैठे देख सकते हो, सुन सकते हो, तो बापदादा देख रहे हैं, जगह-जगह पर कैसे देख भी रहे हैं और सुन भी रहे हैं, तो चारों ओर के बच्चों को बापदादा स्मृति दिवस की यादप्यार दे रहे हैं। बापदादा के दिल में हर बच्चा समाया हुआ है और हर बच्चे की दिल में बाप समाया है, बाप की दिल में बच्चा समाया है, तो मुबारक हो, मुबारक हो और मुबारक के साथ नमस्ते भी।
दादियों से:- मुरब्बी बच्चों का पार्ट बजा रही हो, इसको देख बापदादा खुश है। (मोहिनी बहन से) हिम्मत वाली हो और हिम्मत ही आपकी विशेष दवाई है।
दादी रतनमोहिनी से:- यह भी अच्छी है, हर कार्य में हाँ जी, हाँ जी हाँ जी मिलाके चल रही हो और चलती रहेंगी।
चेन्नई में सर्व इन्डिया प्रोग्राम होने जा रहा है, सभी ने खास याद दी है:- मूल बात तो है कि गवर्नर हाउस मिला है और वह भी इन्ट्रेस्टेट है यह सेवा का सबूत है इसीलिए बापदादा सभी बच्चों को एक बीना के साथ सभी निमित्त बच्चों को लाख गुणा पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं और निजार बच्चा भी उमंग वाला है। चाहता है और क्या-क्या करूं, प्लैन बनाता रहता है उसको भी विशेष याद देना। गवर्नर सहयोगी तो है लेकिन जैसे पांव आगे बढ़ाना होता है ना तो पहले एक पांव बढ़ाया जाता है और आगे बढ़ना होता है तो दूसरा पांव बढ़ाया जाता है तो स्नेही और सहयोगी है ल्ोकिन अभी इस प्रोग्राम की रिजल्ट में और पांव आगे बढ़ाके आप लोगों का साथी बन जाये। अभी स्नेही है, सहयोगी है, सेवा का महत्व समझता है, अभी महत्व तक है अभी और दूसरा कदम आगे बढ़ाना है।
माननीय मुख्य मंत्री भ्राता प्रो.प्रेमकुमार धूमल, हिमाचल प्रदेश:- बहुत अच्छा किया जो संकल्प को सम्पूर्ण पूरा किया। अपना घर समझते हो ना! क्योंकि बाप का घर है तो बाप का घर अपना घर। जब भी चाहे, जब चाहे थोड़ी रेस्ट लेनी हो ना तो अपने घर आ जाओ। आप भी खुश हो ना। आप भी आते रहना। अभी सिर्फ इनके साथ आये हैं, नहीं। वैसे भी आते रहना।
30-11-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘फुलस्टाप लगाकर सम्पूर्ण पवित्रता की धारणा कर, मन्सा सकाश द्वारा सुख-शान्ति की अंचली देने की सेवा करो’’
आज बापदादा चारों ओर के महान बच्चों को देख रहे हैं। क्या महानता की? जो दुनिया असम्भव कहती है उसको सहज सम्भव कर दिखाया वह है पवित्रता का व्रत। आप सभी ने पवित्रता का व्रत धारण किया है ना! बापदादा से परिवर्तन का दृढ़ संकल्प का व्रत लिया है। व्रत करना अर्थात् वृत्ति द्वारा परिवर्तन करना। क्या वृत्ति परिवर्तन की? संकल्प किया हम सब भाई-भाई हैं इस वृत्ति परिवर्तन द्वारा कितनी बातों में भक्ति में भी व्रत लेते हैं लेकिन आप सबने बाप से दृढ़ संकल्प किया क्योंकि ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन है पवित्रता और पवित्रता द्वारा ही परमात्म प्यार और सर्व परमात्म प्राप्तियां हो रही हैं। महात्मा जिसको कठिन समझते हैं असम्भव समझते हैं और आप पवित्रता को स्वधर्म समझते हो। बापदादा देख रहे हैं कई अच्छे अच्छे बच्चे हैं जिन्होंने संकल्प किया और दृढ़ संकल्प द्वारा प्रैक्टिकल में परिवर्तन दिखा रहे हैं। ऐसे चारों ओर के महान बच्चों को बापदादा बहुत-बहुत दिल से दुआयें दे रहे हैं।
आप सभी भी मन वचन कर्म वृत्ति दृष्टि द्वारा पवित्रता का अनुभव कर रहे हो ना! पवित्रता की वृत्ति अर्थात् हर एक आत्मा प्रति शुभ भावना शुभ कामना। दृष्टि हर एक आत्मा को आत्मिक स्वरूप में देखना स्वयं को भी सहज सदा आत्मिक स्थिति में अनुभव करना। ब्राह्मण जीवन का महत्व मन वचन कर्म की पवित्रता है। पवित्रता नहीं तो ब्राह्मण जीवन का जो गायन है सदा पवित्रता के बल से स्वयं भी स्वयं को दुआ देते हैं क्या दुआ देते? पवित्रता द्वारा सदा स्वयं को भी खुश अनुभव करते और दूसरों को भी खुशी देते। पवित्र आत्मा को तीन विशेष वरदान मिलते हैं - एक स्वयं स्वयं को वरदान देता जो सहज बाप का प्यारा बन जाता। 2-वरदाता बाप का नियरेस्ट और डियरेस्ट बच्चा बन जाता इसलिए बाप की दुआयें स्वत: प्राप्त होती हैं और सदा प्राप्त होती हैं। तीसरा - जो भी ब्राह्मण परिवार के विशेष निमित्त बने हुए हैं उन्हों द्वारा भी दुआयें मिलती रहती। तीनों की दुआओं से सदा उड़ता रहता और उड़ाता रहता। तो आप सभी भी अपने से पूछो अपने को चेक करो तो पवित्रता का बल और पवित्रता का फल सदा अनुभव करते हो? सदा रूहानी नशा दिल में फलक रहती है? कभी-कभी कोई कोई बच्चे जब अमृतवेले मिलन मनाते हैं रूहरिहान करते हैं तो मालूम है क्या कहते हैं? पवित्रता द्वारा जो अतीन्द्रिय सुख का फल मिलता है वह सदा नहीं रहता। कभी रहता है कभी नहीं रहता क्योंकि पवित्रता का फल ही अतीन्द्रिय सुख है। तो अपने से पूछो मैं कौन हूँ? सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति में रहते वा कभी-कभी? अपने को कहलाते क्या हो? सभी अपना नाम लिखते तो क्या लिखते हो? बी.के. फलाना.. बी.के. फलानी। और अपने को मास्टर सर्वशक्तिवान कहते हो। सब हैं ना! मास्टर सर्वशक्तिवान हैं? जो समझते हैं हम मास्टर सर्वशक्तिवान हैं सदा कभी-कभी नहीं वह हाथ उठाओ। सदा? देखना सोचना सदा हैं? डबल फारेनर्स नहीं हाथ उठा रहे हैं थोड़े उठा रहे हैं। टीचर्स उठाओ हैं सदा? ऐसे ही नहीं उठाओ जो सदा हैं वह सदा वाली उठाओ। बहुत थोड़े हैं। पाण्डव उठाओ पीछे वाले बहुत थोड़े हैं। सारी सभा नहीं हाथ उठाती। अच्छा मास्टर सर्वशक्तिवान हैं तो उस समय शक्तियां कहाँ चली जाती? मास्टर हैं इसका अर्थ ही है मास्टर तो बाप से भी ऊंचा होता है। तो चेक करो - अवश्य प्युरिटी के फाउण्डेशन में कुछ कमज़ोर हो। क्या कमज़ोरी है? मन में अर्थात् संकल्प में कमज़ोरी है बोल में कमज़ोरी है या कर्म में कमज़ोरी है या स्वप्न में भी कमज़ोरी है क्योंकि पवित्र आत्मा का मन-वचन-कर्म सम्बन्ध-सम्पर्क स्वप्न स्वत: शक्तिशाली होता है। जब व्रत ले लिया वृत्ति को बदलने का तो कभी कभी क्यों? समय को देख रहे हो समय की पुकार भक्तों की पुकार आत्माओं की पुकार सुन रहे हो और अचानक का पाठ तो सबको पक्का है तो फाउण्डेशन की कमज़ोरी अर्थात् पवित्रता की कमज़ोरी। अगर बोल में भी शुभ भावना शुभ कामना नहीं पवित्रता के विपरीत है तो भी सम्पूर्ण पवित्रता का जो सुख है अतीन्द्रिय सुख उसका अनुभव नहीं हो सकता क्योंकि ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य ही है असम्भव को सम्भव करना। उसमें जितना और उतना शब्द नहीं आता। जितना चाहिए उतना नहीं है। तो कल अमृतवेले विशेष हर एक अपने को दूसरे को नहीं सोचना दूसरे को नहीं देखना लेकिन अपने को चेक करना - कितनी परसेन्टेज़ में पवित्रता का व्रत निभा रहे हैं? चार बातें चेक करना - एक वृत्ति दूसरा - सम्बन्ध-सम्पर्क में शुभ भावना शुभ कामना यह तो है ही ऐसा नहीं। लेकिन उस आत्मा प्रति भी शुभ भावना। जब आप सबने अपने को विश्व परिवर्तक माना है है सभी? अपने को समझते हैं कि हम विश्व परिवर्तक हैं? हाथ उठाओ। इसमें उठाते हैं। इसमें तो बहुत अच्छे हाथ उठाये हैं मुबारक हो इसमें भी। लेकिन बापदादा एक आप सभी से प्रश्न पूछते हैं? पूछें? प्रश्न पूछें? जब आप विश्व परिवर्तक हो तो विश्व परिवर्तन में यह प्रकृति 5 तत्व भी आ जाते हैं उन्हों को परिवर्तन कर सकते और अपने को या साथियों को परिवार को परिवर्तन नहीं कर सकते? विश्व परिवर्तक अर्थात् आत्माओं को प्रकृति को सबको परिवर्तन करना। तो अपना वायदा याद करो सभी ने बाप से वायदा कई बार किया है लेकिन बापदादा यही देख रहे हैं कि समय बहुत फास्ट आ रहा है सबकी पुकार बहुत बढ़ रही है तो पुकार सुनने वाले और परिवर्तन करने वाले उपकारी आत्मायें कौन हैं? आप ही हो ना!
बापदादा ने पहले भी सुनाया है पर उपकारी वा विश्व उपकारी बनने के लिए तीन शब्द को खत्म करना पड़ेगा - जानते तो हो। जानने में तो होशियार हो बापदादा जानता है सभी होशियार हैं। एक पहला शब्द है पराचिंतन परदर्शन और तीसरा है परमत इन तीनों ही पर शब्द को खत्म कर पर उपकारी बनेंगे। जो विघ्न रूप बनता है वह यह तीन शब्द याद है ना! नई बात नहीं है। तो कल चेक करना अमृतवेले बापदादा भी चक्कर लगाता है देखेंगे क्या कर रहे हो? क्योंकि अभी आवश्यकता है समय प्रमाण पुकार प्रमाण हर एक दु:खी आत्मा को मन्सा सकाश द्वारा सुख शान्ति की अंचली देना। कारण क्या है? बापदादा कभी-कभी बच्चों को अचानक देखते हैं क्या कर रहे हैं? क्योंकि बच्चों से प्यार तो है ना और बच्चों के साथ जाना है अकेला नहीं जाना है। साथ चलेंगे ना! चलेंगे! चलेंगे! साथ चलेंगे? यह आगे वाले नहीं उठा रहे हैं? नहीं चलेंगे? चलना है ना! बापदादा भी बच्चों के कारण एडवांस पार्टी भी आपकी दादियां आपके विशेष पाण्डव आप सबका इन्तजार कर रहे हैं उन्होंने भी दिल में पक्का वायदा किया है कि हम सब साथ में चलेंगे। थोड़े नहीं सबके सब साथ चलेंगे। तो कल अमृतवेले अपने को चेक करना कि किस बात की कमी है? क्या मन्सा की वाणी की वा कर्मणा में आने की। बापदादा ने एक बारी सभी सेन्टर्स का चक्कर लगाया। बतायें क्या देखा? कमी किस बात की है? तो यही दिखाई दिया कि एक सेकण्ड में परिवर्तन कर फुलस्टाप लगाना इसकी कमी है। जब तक फुलस्टाप लगाओ तब तक पता नहीं क्या क्या हो जाता है। बापदादा ने सुनाया है कि एक लास्ट टाइम की लास्ट एक घड़ी होगी जिसमें फुलस्टाप लगाना पड़ेगा। लेकिन देखा क्या? लगाना फुलस्टाप है लेकिन लग जाता है क्वामा दूसरों की बातें याद करते यह क्यों होता यह क्या होता इसमें आश्चर्य की मात्रा लग जाती। तो फुलस्टाप नहीं लगता लेकिन क्वामा आश्चर्य की निशानी और क्यूं क्वेश्चन की क्यू लग जाती। तो इसको चेक करना। अगर फुलस्टाप लगाने की आदत नहीं होगी तो अन्त मते सो गति श्रेष्ठ नहीं होगी। ऊंची नहीं होगी। इसलिए बापदादा होमवर्क दे रहे हैं कि खास कल अमृतवेले चेक करना और चेंज करना पड़ेगा। एक सप्ताह फुलस्टाप सेकण्ड में लगाने का बार-बार अभ्यास करो और 18 जनवरी में जनवरी का मास सभी को बाप समान बनने का उमंग आता है तो 18 जनवरी में सभी को अपनी चिटकी लिख करके बाक्स में डालना है कि 18 तारीख तक क्या रिजल्ट रही? फुलस्टाप लगा वा और मात्रायें लग गई? पसन्द है? पसन्द है? कांध हिलाओ क्योंकि बापदादा का बच्चों से बहुत प्यार है अकेला नहीं जाने चाहता तो क्या करेंगे? अभी फास्ट तीव्र पुरूषार्थ करो। अभी ढीला-ढाला पुरूषार्थ सफलता नहीं दिला सकेगा।
प्युरिटी को पर्सनैलिटी, रीयल्टी, रॉयल्टी कहा जाता है। तो अपनी रॉयल्टी को याद करो। अनादि रूप में भी आप आत्मायें बाप के साथ अपने देश में विशेष आत्मायें हो। जैसे आकाश में विशेष सितारे चमकते हैं ऐसे आप अनादि रूप में विशेष सितारा चमकते हो। तो अपने आदिकाल की रॉयल्टी याद करो। फिर सतयुग में जब आते हैं तो देवता रूप की रॉयल्टी याद करो। सभी के सिर पर रॉयल्टी की लाइट का ताज है। अनादि आदि कितनी रॉयल्टी है। फिर द्वापर में आओ तो भी आपके चित्रों जैसी रॉयल्टी और किसकी नहीं है। नेताओं के अभिनेताओं के धर्म आत्माओं के चित्र बनते हैं लेकिन आपके चित्रों की पूजा और आपके चित्रों की विशेषता कितनी रॉयल है। चित्र को देख कर ही सब खुश हो जाते हैं। चित्रों द्वारा भी कितनी दुआयें लेते हैं। तो यह सब रॉयल्टी पवित्रता की है। पवित्रता ब्राह्मण जीवन का जन्म सिद्ध अधिकार है। पवित्रता की कमी समाप्त होना चाहिए। ऐसे नहीं हो जायेगा उस समय वैराग्य आ जायेगा तो हो जायेगा बातें बहुत अच्छी-अच्छी सुनाते हैं। बाबा आप फिक्र नहीं करो हो जायेगा। लेकिन बापदादा को इस जनवरी मास में स्पेशल पवित्रता में हर एक को सम्पन्न करना है। पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं व्यर्थ संकल्प भी अपवित्रता है। व्यर्थ बोल व्यर्थ रूप बोल का जिसको कहते हैं क्रोध का अंश रोब संस्कार ऐसे बनाओ जो दूर से ही आपको देख पवित्रता के वायब्रेशन लें क्योंकि आप जैसी पवित्रता जो रिजल्ट में आत्मा भी पवित्र शरीर भी पवित्र डबल पवित्रता प्राप्त है। जब भी कोई भी बच्चा पहले आता है तो बाप का वरदान कौन सा मिलता है? याद है? पवित्र भव योगी भव। तो दोनों बात को एक पवित्रता और दूसरा फुलस्टाप योगी। पसन्द है? बापदादा अमृतवेले चक्र लगायेंगे सेन्टरों के भी चक्र लगायेंगे। बापदादा तो एक सेकण्ड में चारों ओर का चक्र लगा सकता। तो इस जनवरी अव्यक्ति मास का कोई नया प्लैन बनाओ। मन्सा सेवा मन्सा स्थिति और अव्यक्त कर्म और बोल इसको बढ़ाओ। तो 18 जनवरी को बापदादा सभी की रिजल्ट देखेंगे। प्यार है ना 18 जनवरी को अमृतवेले से प्यार की ही बातें करते हो। सभी उल्हना देते हैं बाबा अव्यक्त क्यों हुआ? तो बाप भी उल्हना देता है कि साकार में होते बाप समान कब तक बनेंगे?
तो आज थोड़ा सा विशेष अटेन्शन खिंचवा रहे हैं। प्यार भी कर रहे हैं सिर्फ अटेन्शन नहीं खिंचवा रहे हैं प्यार भी है क्योंकि बाप यही चाहते हैं कि मेरा एक बच्चा भी रह नहीं जाए। हर कर्म की श्रीमत चेक करना अमृतवेले से लेके रात तक जो भी हर कर्म की श्रीमत मिली है वह चेक करना। मजबूत है ना! साथ चलना है ना! चलना है! हाथ उठाओ। चलना है? अच्छा। टीचर्स? अच्छा। पीछे वाले हाथ उठाओ। कुर्सा वाले हाथ उठाओ पाण्डव हाथ उठाओ। तो समान बनेंगे तब तो हाथ में हाथ देकर चलेंगे ना। करना ही है बनना ही है यह दृढ़ संकल्प करो। 15- 20 दिन यह दृढ़ता रहती है फिर धीरे-धीरे थोड़ा अलबेलापन आ जाता है। तो अलबेलापन को खत्म करो। ज्यादा में ज्यादा देखा है एक मास फुल उमंग रहता है दृढ़ता रहती है फिर एक मास के बाद थोड़ा थोड़ा अलबेलापन शुरू हो जाता है। तो अभी यह वर्ष समाप्त होगा तो क्या समाप्त करेंगे? वर्ष समाप्त करेंगे कि वर्ष के साथ जो भी जिस संकल्प में भी धारणा में भी कमज़ोरी है उसको समाप्त करेंगे? करेंगे ना! हाथ नहीं उठाते हैं? तो ऑटोमेटिक दिल में यह रिकार्ड बजना चाहिए अब घर चलना है। सिर्फ चलना नहीं है लेकिन राज्य में भी आना है। अच्छा जो पहली बारी आये हैं बापदादा से मिलने वह हाथ उठाओ।
तो पहली बारी आने वालों को विशेष मुबारक दे रहे हैं। लेट आये हो, टूलेट में नहीं आये हो। लेकिन तीव्र पुरूषार्थ का वरदान सदा याद रखना, तीव्र पुरूषार्थ करना ही है। करेंगे, गे गे नहीं करना, करना ही है। लास्ट सो फास्ट और फर्स्ट आना है। अच्छा। अभी क्या करना है?
सेवा का टर्न पंजाब जोन का है, (पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तरांचल)- अच्छा है, यह चांस जो मिलता है वह अच्छा लगता है? स्पेशल है और पंजाब का अर्थ ही है जैसे स्थूल नदियां कहते हैं पावन करती हैं तो पंजाब के पतित-पावन बच्चे, पंजाब को पावन आत्मायें बनाने में तो फर्स्ट नम्बर होंगे ना। देखो पंजाब की एक बात की विशेषता है - तो पहले-पहले आदि जो भाषण किया है, वह महात्मा के निमन्त्रण पर किया है। याद है ना! बच्ची (दादी जानकी) को याद है। और कहाँ भी महात्माओं की स्टेज पर भाषण का निमन्त्रण मिले, पहला पहला, यह नहीं हुआ है। तो जब पंजाब शेर कहा जाता है, तो शेर का काम तो किया। सभी साधू सन्त के बीच में ललकार की, तो पंजाब शेर तो हुआ ना। अभी भी बच्चे ने (अमीरचन्द भाई ने) लिस्ट दी है, जो बापदादा ने कहा था वी.आई.पी हर एक के सम्बन्ध में कितने कितने है, वह हर वर्ग वाले लिस्ट देवे तो बापदादा को बच्चे की लिस्ट मिली, लिस्ट दी है, ताली बजाओ। अच्छा है। अभी इन सभी को लिस्ट देखी अच्छी है, लेकिन इन्हों की पीठ करो, वी.आई.पी के वी.आई.पी नहीं रहें, पहली स्टेज में तो लाया है लेकिन दूसरी स्टेज है हर कार्य में समय प्रति समय स्नेही सहयोगी बनें। और फिर उसके आगे ब्राह्मण परिवार के साथी बनें, परिवार का अपने को समझें। कहाँ कहाँ के वी.आई.पी आगे बढ़े हैं, बापदादा उन्हों को मुबारक भी दे रहे हैं लेकिन जितनी सेवा इस ज्ञान सरोवर शुरू होते हुई है, जितने वर्ग बने हैं, जितना समय और जितनी सेवा हुई है, उस प्रमाण वी.आई.पी. घरू बन जायें, फोन करो पहुंच जायें, हाँ जी, हाँ जी करें, साथी तो बनें। अभी हर वर्ग यह लक्ष्य रखे सहज सहयोगी बनें, ऐसे नहीं मान देवें, खास सीट देवें तभी आवें। थोड़ा होमली बनाओ। अपने सेन्टर पर, आबू में नहीं आ सकते हैं मानो, तो अपने जोन में भी जो बड़े बड़े सेन्टर हैं उसमें उन्हों को बुलाओ। कम से कम तीन मास या 6 मास में उनसे मिलते रहो, होमली बनाते जाओ। तो समय पर जब यह हालतें बदलेंगी तो समय पर काम में तो आवें। तो सभी वर्ग वाले सुन रहे हैं। कहाँ कहाँ बने भी हैं लेकिन थोड़े बने हैं। तो पंजाब वाले शेर हो, हाँ दोनों हाथ उठाओ। सब शेर हैं। तो पहला नम्बर आप करना, पंजाब के वी.आई पी होमली बन जायें। महात्मायें भी होमली बन जायें। निमन्त्रण पर नहीं आवे खुद कहें हम आयेंगे। अच्छी हैं, वृद्धि तो की है पंजाब में। बापदादा का भी पंजाब से प्यार है क्यों प्यार है? जम्मू कश्मीर उसको भी अपना बनाया है लेकिन थोड़ा और जम्मू कश्मीर का नाम मशहूर है, चाहे पाकिस्तान में, चाहे अमेरिका में.. सबकी नज़र जम्मू कश्मीर पर है। तो वहाँ कोई जलवा निकालो, ऐसे नहीं कि वहाँ की बहिनें करें, आप सहयोग देकर उसमें कुछ ऐसा वन्डरफुल बात करके दिखाओ। थोड़ा अटेन्शन दो नाम बाला हो जायेगा। जिस पर झगड़ा है वहाँ शान्ति का झण्डा फहराओ। ठीक है। संख्या तो बहुत है, एक निर्विघ्न बनो और दूसरा सेवा में शान्ति का झण्डा लहराओ। सबको दिखाई दे झण्डा कि हाँ अशान्ति के स्थान में शान्ति का झण्डा लहर रहा है। ठीक है। अच्छा।
डबल फारेनर्स: अभी डबल विदेशी नहीं अभी डबल तीव्र पुरूषार्थी। ठीक है ना। डबल है? डबल पुरूषार्थी हैं? अच्छा है, आप सबका नाम भी कि इतने देशों के आते हैं, इतने देशों में सेवाकेन्द्र हैं, यह सुनके भी सभी खुश हो जाते हैं। भले अपने अपने देशों में झण्डा नहीं लहराया है, एक लण्डन में झण्डा है, एक ही लण्डन में झण्डा है और कोई देश में है? है हाथ उठाओ। खुली रीति से झण्डा लगा हुआ है? कोई एतराज़ नहीं, अच्छा। कितने देशों में है? 10-12 देशों में होगा? तो यह भी अच्छा है। लेकिन बापदादा को खुशी है कि कई आत्माओं के दिल में तो झण्डा लहराया है। तो आपको देखके खुश होते हैं कि यह वर्ल्ड के सेवाधारी हैं, सिर्फ भारत के सेवाधारी नहीं, विश्व के सेवाधारी हैं। जो टाइटल है ना विश्व सेवाधारी। तो सिर्फ भारत नहीं लेकिन विश्व के कोने कोने में है और अभी तो अच्छी सेवा बढ़ा रहे हैं ना। मुस्लिम देशों में भी सेवा अच्छस है। बापदादा ने समाचार सुना है अच्छा है। कराची का भी प्लैन बनाया है, अच्छा है। जो होगा ड्रामा अच्छे ते अच्छा होगा। जो नये नये शहरों में जो बच्चे रहे हुए हैं वहाँ अभी सेवा के उमंग उत्साह में है और सबसे हिम्मत वाली आपकी एक बच्ची है, वह हिम्मत वाली है। बापदादा उनको रोज़ अमृतवेले वरदान देता है और बच्ची भी एक्यूरेट है। क्या नाम है? (वजीहा) ऐसा काम करके दिखाओ, हिम्मत वाली है, डरती नहीं है। और देखो अपने घर वालों को भी युक्ति से ठीक किया, होशियार है और नैरोबी वालों ने भी बहुत अच्छा पुरूषार्थ किया। उन्हों की विशेषता, नैरोबी के साइड की विशेषता यह है कि बहनें कम हो जाती हैं तो जो स्टूडेन्ट निकले हैं वह सेन्टर सम्भालते हैं यह भी विशेषता है। तो सबकी विशेषता इकट्ठी करके हर एक अपने अपने स्थान को विशेष बनाओ। बाकी अच्छा है डबल पुरूषार्थी अच्छा पुरूषार्थ करके बढ़ रहे हैं लेकिन बाबा चार्ट देखेगा। जो कहा है ना समाचार, वह चार्ट देखेगा सम्पूर्ण पवित्रता का। अच्छा है। लक्ष्य सबका बहुत अच्छा है लेकिन बीच में अलबेलेपन की माया बहुत आती है। अभी उसकी विदाई करना। अलबेलेपन की विदाई और फुलस्टाप का आह््वान। ठीक है ना, करेंगे ना। अलबेलापन नहीं दिखाना। बापदादा ने अलबेलेपन के बहुत खेल देख लिये हैं। अभी सेकण्ड में फुलस्टाप का खेल दिखाना। सबसे जो हिसाब में भी देखो, सबसे सहज फुलस्टाप है। पेन्सिल रखो फुलस्टाप आ गया। अच्छा। डबल विदेशी सदा टर्न लेते रहते हैं यह बहुत अच्छा है, लेते रहना। अच्छा।
दिल वाले, कैड ग्रुप: अच्छा नया कोई प्लैन बनाया है? (गुप्ता जी से) अच्छा, कार्य तो चल रहा है। अभी कोशिश कर रहे हो, गवर्मेन्ट द्वारा आफीशल सबको यह मालूम पड़े कि बिना खर्चे के हार्ट ठीक हो सकती है। पहले सब देखते हैं एक क्वेश्चन पूछते हैं, बापदादा से भी एक क्वेश्चन पूछा है, बतायें। कहते हैं कि ब्राह्मण बच्चों की हार्ट क्यों ठीक नहीं करते, वह क्यों वहाँ जाते? उन्हों की भी ट्रायल करो ना, यह है उन्हों की भी गलती है क्योंकि नियमों पर नहीं चलते, जो परहेज बताई जाती है दूसरे परहेज पूरी करते हैं और ब्राह्मण जो हैं वह अपना घर समझके परहेज कम करते हैं लेकिन ब्राह्मणों में भी ऐसा कोई विशेष एक्जैम्पुल बनाओ जो ब्राह्मण भी समझें कि हम भी कर सकते हैं। बाकी काम अच्छा है, आवाज पहुंचा है लेकिन आवाज थोड़ा बड़ा करो तो चारों ओर फैले। शुभ भावना शुभ कामना भी कार्य कर रही है। हर एक वर्ग को, आगे से आगे जाना है। अच्छा है। और आगे बढ़ो और बढ़ाते चलो। अच्छा।
चारों ओर के महान पवित्र आत्माओं को बापदादा का विशेष दिल की दुआयें, दिल का प्यार और दिल में समाने की मुबारक हो। बापदादा जानते हैं कि जब भी पधरामनी होती है तो ईमेल या पत्र भिन्न-भिन्न साधनों से चारों ओर के बच्चे यादप्यार भेजते हैं और बापदादा को सुनाने के पहले कोई देवे, उसके पहले ही सबके यादप्यार पहुंच जाते हैं क्योंकि ऐसे जो सिकीलधे याद करने वाले बच्चे हैं उनका कनेक्शन बहुत फास्ट पहुंचता है, आप लोग तीन चार दिन के बाद सम्मुख मिलते हो लेकिन उन्हों का यादप्यार जो सच्चे पात्र आत्मायें हैं उनका उसी घड़ी बापदादा के पास यादप्यार पहुंच जाता है। तो जिन्होंने भी दिल में भी याद किया, साधन नहीं मिला, उन्हों का भी यादप्यार पहुंचा है, और बापदादा हर एक बच्चे को पदम पदम पदम गुणा यादप्यार का रेसपान्ड दे रहे हैं।
बाकी चारों ओर अभी दो शब्द की लात-तात लगाओ - एक सम्पूर्ण पवित्रता, सारे ब्राह्मण परिवार में फैलानी है। जो कमज़ोर हैं उसको सहयोग देके भी बनाओ। यह बड़ा पुण्य है। छोड़ नहीं दो, यह तो है ही ऐसा, यह तो बदलना ही नहीं है, यह श्राप नहीं दे दो, पुण्य का काम करो। बदलके दिखायेंगे, बदलना ही है। उनकी उम्मीदें बढ़ाओ, गिरे हुए को गिराओ नहीं, सहारा दो, शक्ति दो। तो चारों ओर खुशनसीब खुशमिजाज, खुशी बांटने वाले बच्चों को बहुत-बहुत यादप्यार और नमस्ते।
दादियों से: (दादियों की सेवा साथी बहनें ब्राह्मणियों से बापदादा मिल रहे हैं): आप सब भी राज़युक्त हो ना! आप जो निमित्त हो तो आप भी ऐसा अपना रूप बनाओ स्थिति बनाओ जो सब समझें कि दादी के तरफ से इन्हों से भी कुछ मिला। सिर्फ प्रोग्राम मिला नहीं लेकिन इन्हों से भी कुछ मिला आप दृष्टि से तो दे सकते चेहरे से भी दे सकते हैं। चेहरे और चलन से सेवा में नम्बरवन। हो सकता है? सभी को बापदादा विशेष प्यार करता है। (यह तीनों हाथ नहीं उठाती हैं) बाबा जब कहता है तो हाथ उठाना चाहिए इससे याद रहता है। आज आप चार ही लाडले हो इनकी भी (मोहिनी बहन मुन्नी बहन की) ब्राह्मणियां कहाँ हैं उनको भी बुलाओ। देखो आप सबको ड्युटी बहुत अच्छी मिली हुई है सभी से परिचित हो जाती हो। कोई भी सभी से परिचित नहीं होता है लेकिन आप लोगों की ड्युटी ऐसी है जो सारे ब्राह्मण परिवार से परिचित हो जाती हो। कोई भी नाम लेगा नीलू हंसा प्रवीणा लीला रूकमणि... तो कहेंगे हाँ जानते हैं नाम। तो आप लोग एक सैम्पुल हो तो सैम्पुल देखकर सौदा होता है। तो जो भी निमित्त हो सभी समझो हम एक्जैम्पुल है। दादियों की एक्जैम्पुल। कहेंगी यह भी ऐसी है जैसे मोहजीत की कहानी सुनी है ना कहते हैं गेट वाला भी मोहजीत तो अन्दर क्या होगा। तो आप निमित्त हो ना यह भी एक वरदान है यह ड्युटी मिलना यह भी एक वरदान है कितने नजदीक हो। तो नजदीक का फायदा तो उठाना चाहिए। तो अच्छा है। बापदादा को खुशी है आप लोगों को देखके। आप सब ठीक हो सिर्फ थोड़ा और दादियों का गुण धारण करते जाओ। अच्छा।
परदादी से:- आपकी शक्ल तो सेवा करती है। आपको देख करके ब्रह्मा बाप बहुत याद आता सबको। क्योंकि फॉलो किया है और बच्चों में यह भासना नहीं आयेगी लेकिन आपने फॉलो किया है। फिर भी मधुबन निवासी तो हो गई। मधुबन निवासी। बहुत अच्छा सम्भाल भी अच्छी कर रही हैं। इन्हों को भी सर्टीफिकेट है अच्छा प्यार से कर रही हैं।
शान्तामणि दादी से: (आंख का आपरेशन कराया है) यह तो ठीक हो जायेगी। लेकिन हिम्मत है। आप सबकी हिम्मत को देखकर औरों में भी हिम्मत आती है क्योंकि बीज फाउण्डेशन बहुत अच्छा है फीलिंग में नहीं आते। बीमारी की फीलिंग नहीं है। अपनी मस्ती में रहते। पढ़ाई पर अटेन्शन है। सेवा पर अटेन्शन है। उसकी दुआयें मिल रही हैं। डाक्टर्स भी बहुत खुश होते हैं क्योंकि चिल्लाते नहीं है ना हाय हाय नहीं करते।
निर्वेर भाई ने हैदराबाद एकडेमी में चल रहे निर्माण कार्य के बारे में बापदादा को सुनाया: जो कार्य रहा हुआ है उसमें यह जो भी आन्ध्रप्रदेश के हैं उसकी टीचर्स को भी इकठ्ठा करो क्योंकि धन जायेगा ना तो मन भी जायेगा सभी सहयोग देवें कुछ कम हुआ तो यज्ञ तो है ही लेकिन अगर उनका धन नहीं पड़ता है तो मन भी नहीं जाता। इसलिए उन्हों का संगठन इकठ्ठा करो और हर एक को उमंग दिलाओ। बाकी रहा हुआ कार्य समाप्त करना है उसमें जो अंगुली दे वह अवश्य दे। तो सबको इकठ्ठा करो आन्ध्रप्रदेश थोड़ा आगे आये। अच्छा है अभी तो टर्न आयेगा ना आन्ध्र प्रदेश का। उसमें भी आप विशेष आन्ध्रप्रदेश का संगठन करो और हर मास में या 6 मास में कोई न कोई जाये या कोई मीटिंग बुलाओ तो जब सब ज़ोन मिल रहे हैं तो यह भी मिलें ना तो वह अच्छा हो जाये। ठीक है ना।
रमेश भाई से: तबियत ठीक है। (बाम्बे का समाचार सुनाया) सेन्टर्स तो सब सेफ हैं। फिर भी बाम्बे बाप का है। बाप का परिवार है लेकिन जो बाप ने कहा फुलस्टाप और तपस्या इसको जरूर बढ़ाना है। यह तो कुछ भी नहीं है घर से बाहर नहीं निकल सकेंगे खिड़की नहीं खोल सकेंगे तो क्या करेंगे? इससे भी बहुत कुछ होना है।
बृजमोहन भाई से:- (ओ.आर.सी. के सिन्धी सम्मेलन का समाचार सुनाया) कनेक्शन तो हुआ अभी उनकी पीठ करना। अभी और कनेक्शन में लाना। यह जो फिल्म वाला है वह आपके काम आ सकता है। यह (सिन्धी) रह नहीं जावें फिर भी बाप का अवतरण हुआ है तो रह नहीं जावे। आपका अपना काम है सन्देश देना यह नहीं कहें कि हमको नहीं सुनाया। (आशा बहन से) थोड़ा मेहनत करनी पड़ती है। बाप से मुहब्बत है इसलिए मेहनत नहीं लगती। (अभी ओ.आर.सी. सेवा में दौड़ रहा है) चारों ओर दौड़ना चाहिए। जो भी ज़ोन थोड़े कमज़ोर हैं आपस में नहीं मिलते वहाँ कोई न कोई हर मास जाना चाहिए संगठन करना चाहिए। (दादी जानकी ने कहा इसमें गुल्जार दादी का भी सहयोग चाहिए) एक दो का सहयोग तो चाहिए।
8 बड़ी बहनों ने 5 दिन मौन भट्ठी की है वे बापदादा के सामने आई:- अच्छा यह फरिश्ते आये हैं। फरिश्ते हो ना। यह फरिश्तों की महफिल है। अच्छा स्व में उमंग उत्साह रख के किया ना तो उसकी बहुत बहुत मुबारक है। थोड़े हैं आयेंगे नहीं आयेंगे नहीं सोचा। करना ही है। तो 8 रत्न हो गये। तो 8 रत्नों को देखके सभी को उमंग आयेगा। यह जनवरी मास का जो प्रोग्राम बनायेंगे ना उसमें कोई न कोई ऐसी बात रखो जो सबको उमंग आवे। और उसकी पीठ करें। आप तो खुद जिम्मेवार थे ना तो आपने अपनी जिम्मेवारी सम्भाली। लेकिन दूसरों को पुल करना पड़ेगा। और वायुमण्डल ऐसे हो जाये जैसे मधुबन में प्रैक्टिकल फर्क पड़ जाये। हर एक को सेन्टर में ऐसा वायुमण्डल बनाना है जो गायन है ना घर घर में मन्दिर। तो घर घर में चैतन्य फरिश्तों का मन्दिर हो। बाकी बापदादा खुश है आप लोगों ने हिम्मत करके किया यह अच्छा किया। तो बापदादा कहेंगे हिम्मते ग्रुप। एक्जैम्पुल बनें। अच्छा लगा ना बहुत अच्छा लगा सहज भी लगा। मेहनत नहीं करनी पड़ी। उठना भी अच्छा नहीं लगता होगा। तो ऐसे घूम जाओ (ताली बजाओ) देखो इन्होंने किस बात की हिम्मत रखी? और बापदादा और परिवार भी सहयोगी बना इन्होंने 5 दिन फुलस्टाप लगाने की भट्ठी की। और 5 ही दिन लगातार कोई भी मिस नहीं हुआ। आदि शुरू भी की और अन्त तक आपके सामने हैं। तो यह पुरूषार्थ अच्छा किया ऐसे आप लोग भी ग्रुप ग्रुप बनाके अन्दर ही अन्दर पुरूषार्थ करना। चलो दो जने हो सेन्टर पर कोई एक सखी को साथी बना दो और अपने बड़े को सुना दो तो क्या है भट्ठी करेंगे ना विशेष नियम बनायेंगे तो उसकी मदद मिलेगी। तो बापदादा को अच्छा लगा। अभी सहज पुरूषार्थ हो गया ना। अभी वहाँ जाके भूल नहीं जाना। बातों में नहीं आ जाना। फुलस्टाप में नम्बरवन लेना। दूसरों को करायेंगे भी और अपना अनुभव भी सुनायेंगे। अच्छा।
विशेष खुशखबरी:-आप सबके मनपसन्द ‘‘ब्रह्माकुमारीज़ अवेकिंग प्रोग्राम’’ वर्तमान समय आस्था संस्कार और जागरण चैनल्स पर निम्न प्रकार से आ रहा है आप स्वयं भी देखें और अपने स्नेह सम्पर्क वालों को भी अवश्य बतायें:
आस्था चैनल पर: सायं - 7.10 से 7.40 तक
आस्था इन्टरनेशनल - यू.के. - 8.40 BST, यू.एस.ए. और कैनाडा - 8.40 ET
संस्कार चैनल पर - रात्रि - 9.50 से 10.20 तक
जागरण चैनल पर - प्रात: 4.00 से 5-45 तक
24-03-09 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘बापदादा द्वारा मिले हुए खज़ानों को स्वयं में समाकर कार्य में लगाओ अनुभव की अथॉरिटी बनो’’
आज चारों ओर के सर्व खज़ाने जमा करने वाले सम्पन्न बच्चों को देख रहे हैं। साथ-साथ हर एक बच्चे ने कहाँ तक सर्व खज़ाने जमा किया है उसकी रिजल्ट देख रहे थे। खज़ाने तो बापदादा द्वारा बहुत अविनाशी प्राप्त हुए हैं। सबसे पहले बड़े ते बड़ा खज़ाना है ज्ञान धन जिससे मुक्ति और जीवनमुक्ति की प्राप्ति हुई है। पुरानी देह और पुरानी दुनिया से मुक्त जीवनमुक्त स्थिति और मुक्तिधाम में जाने की सभी बच्चों को प्राप्त है। साथ में एक ज्ञान का खज़ाना नहीं लेकिन योग का भी खज़ाना है जिससे सर्व शक्तियों की प्राप्ति होती है। साथ-साथ धारणा करने का खज़ाना जिससे सर्व गुणों की प्राप्ति होती है। साथ साथ सेवा का खज़ाना जिससे दुआओं का खज़ाना खुशी का खज़ाना प्राप्त होता है। साथ-साथ सबसे बड़े ते बड़ा खज़ाना वर्तमान संगमयुग का है समय का है क्योंकि सारे कल्प में यह संगम का समय अमूल्य खज़ाना है। इस संगम के समय का एक एक संकल्प वा एक एक घड़ी बहुत अमूल्य है क्योंकि संगम समय पर ही बापदादा और बच्चों का मधुर मिलन होता है और कोई भी युग में परमात्म बाप और परमात्म बच्चों का मिलन नहीं होता। साथ-साथ संगम समय ही है जिसमें बापदादा द्वारा सर्व खज़ाने प्राप्त होते हैं। खज़ाना जमा होने का समय संगमयुग ही है और कोई भी युग में जमा का खाता जमा करने की बैंक ही नहीं है। सिर्फ एक संगमयुग है जिसमें जितना खज़ाने जमा करने चाहो उतना कर सकते हो और इस संगम समय का जो महत्व है वह यही है कि एक जन्म में अनेक जन्मों के लिए खज़ाना जमा कर सकते हैं। इसलिए यह छोटे से युग का बहुत महत्व है और खज़ाने भी बापदादा द्वारा प्राप्त सभी बच्चों को होता है। बाप सभी को देते हैं लेकिन खज़ाने को जमा करने में हर एक बच्चा अपने पुरूषार्थ अनुसार करता है। बाप देने वाला भी एक है और एक जैसा सबको देता है एक ही समय पर देता है लेकिन धारण करने में क्या देखा कि बाप ने एक जैसा दिया लेकिन धारण करने में हर एक का अपना अपना पुरूषार्थ रहा क्योंकि खज़ाने को धारण करने के लिए एक तो अपने पुरूषार्थ से प्रालब्ध बना सकते हैं दूसरा सदा स्वयं सन्तुष्ट रहना और सर्व को सन्तुष्ट करना सन्तुष्टता की विशेषता से खज़ाना जमा कर सकते हो और तीसरा सेवा से क्योंकि सेवा से सर्व आत्माओं को खुशी की प्राप्ति होती है तो खुशी का खज़ाना प्राप्त कर सकते हो। अपना पुरूषार्थ और सर्व को सन्तुष्ट करने का पुरूषार्थ और तीसरा सेवा का पुरूषार्थ। इन तीनों प्रकार से खज़ाने जमा कर सकते हो। खज़ाने जमा करने में विशेष सम्बन्ध-सम्पर्क में आने में एक तो निमित्त भाव निर्माण भाव नि:स्वार्थ भाव हर आत्मा प्रति शुभ भावना और शुभ कामना रखने की आवश्यकता है। अगर सेवा में वा सम्बन्ध-सम्पर्क में यह सब है तो पुण्य का खाता और दुआओं का खाता बहुत सहज जमा कर सकता है।
तो बापदादा सबके पोतामेल देख रहे थे तो क्या देखा? चारों ओर के बच्चों में नम्बरवार देखा। बाप एक है एक ही समय पर देते हैं लेकिन जमा करने में तीन प्रकार के बच्चे देखे - एक बच्चे तो जमा हुआ खज़ाना खाया जमा भी किया और खाके खत्म कर देते हैं। दूसरे खाया जमा किया और जमा करने में अटेन्शन देके बढ़ाया भी। खज़ाने बढ़ाने का साधन क्या है? बढ़ाने का साधन है जो खज़ाने मिले वह समय पर जो परिस्थिति आती है उस परिस्थिति अनुसार कार्य में लगाना। जो कार्य में लगाते हैं स्थिति द्वारा परिस्थिति को बदल सकते हैं उसका जमा होता है। जो कार्य में नहीं लगाते तो जमा नहीं होता है। तो हर एक अपने आपसे पूछो कि समय पर अपने प्रति वा दूसरों के प्रति कार्य में लगाते हो! जितना कार्य में लगायेंगे उतना बढ़ता जायेगा क्योंकि कार्य में लगाने से अनुभव होता जाता है। तो अनुभव की अथॉरिटी एड होती जाती है। तो चेक करो अपने आपसे पूछो कि यह सारे खज़ाने जमा हैं? और बढ़ाने का साधन समय पर कार्य में लगाते हैं? अनुभव की अथॉरिटी बढ़ती जाती है? क्योंकि अथॉरिटीज में सबसे ज्यादा अनुभव की अथॉरिटी सबसे ज्यादा गाई जाती है। तो हर एक को अपना खाता बढ़ाना है। चेक करना है क्योंकि अभी समय है चेक करके अभी भी खज़ाने बढ़ा सकते हो। अभी चांस है फिर चांस भी खत्म हो जायेगा। चाहेंगे खज़ाना बढ़ायें लेकिन बढ़ा नहीं सकेंगे।
बापदादा ने देखा खज़ाना मिलता है खुशी-खुशी से अपने में समाने का प्रयत्न भी करते हैं लेकिन खज़ाना जब मिलता है मुरली द्वारा ही खज़ाने मिलते हैं तो दो प्रकार के बच्चे हैं - एक सुनने वाले और दूसरे हैं समाने वाले। कई बच्चे सुनके बहुत खुश होते हैं लेकिन सुनना और समाना दोनों में बहुत फर्क है। समाने वाले अनुभवी बनते जाते हैं क्योंकि समाया हुआ समय पर कार्य में लगाते खज़ाने को बढ़ाते रहते हैं। सुनने वाले वर्णन करते हैं बहुत अच्छा सुनाया बहुत अच्छी बात बोली बाबा ने लेकिन समाने के बिना समय पर काम में नहीं ला सकते हैं। तो आप सभी चेक करो समाने वाले हैं थोड़ा भी अगर कम होगा भरपूर नहीं होगा तो हलचल होगी। लेकिन समाया हुआ फुल होगा तो हलचल नहीं होगी। इसलिए आज बापदादा ने सबके खज़ाने चेक किया। सुनाया ना - कि तीन प्रकार के बच्चे हैं अभी अपने आपको चेक करो मैं कौन? खज़ाने को बढ़ाना अर्थात् समय पर कार्य में लगाना। जितना कार्य में लगाते जाते उतना खज़ाना बढ़ता जाता है क्योंकि जो भी खज़ाना है खज़ाने का मालिक खज़ाने को कार्य में लाता है। खज़ाना अपने को कार्य में नहीं लगाता। तो आप सभी को सर्व खज़ाने बाप ने वर्से में दिया है। तो बाप के खज़ाने को अपना खज़ाना बनाना यह हर एक को अपना अटेन्शन देना है क्योंकि जितना खज़ाना भरपूर होगा उतना ही भरपूर अवस्था में अचल अडोल होंगे।
बापदादा यही चाहता है कि एक एक बच्चा सम्पन्न हो कम नहीं हो क्योंकि यह चांस बाप द्वारा अविनाशी खाता जमा होना यह सिर्फ अभी हो सकता है। इसीलिए कहा हुआ भी है अभी नहीं तो कभी नहीं। यह संगम समय के लिए ही गायन है। भविष्य में तो जो जमा किया है उसका फल प्राप्त करेंगे लेकिन प्राप्ति का समय सिर्फ अब है। तो हर एक को अपना खाता देखना है। जिसका जितना भण्डारा भरपूर है उसके नयनों से चलन से चेहरे से मालूम होता है उसकी चलन और चेहरा ऐसे लगेगा जैसे खिला हुआ गुलाब का पुष्प। बापदादा हर एक के चलन और चेहरे से देखता रहता कि कितना हर्षित कितना खुशमिजाज़ रहता है! नयनों से रूहानियत, चेहरे से मुस्कराहट और कर्म से हर एक गुण सभी को अनुभव होता है। तो हर एक अपने आपको चेक करे।
बापदादा की हर एक बच्चे में यही शुभ भावना है कि हर एक बच्चा अनेक आत्माओं को ऐसा खज़ानों से सम्पन्न बनावे। आज विश्व की आत्मायें सभी यही चाहती हैं कि कुछ न कुछ आध्यात्मिक शक्ति मिल जाए। और आध्यात्मिक शक्ति के दाता आप ब्राह्मण आत्मायें ही हैं क्योंकि होलीएस्ट हाइएस्ट और रिचेस्ट आप आत्मायें ही हैं। होलीएस्ट भी सब आत्माओं से ज्यादा आप हो। आप आत्माओं की पूजा जैसे विधिपूर्वक होती है वैसे और किसकी भी नहीं होती। अभी लास्ट जन्म में भी आप आत्माओं की पूजा और कोई भी धर्मपिता वा महान आत्मायें जो निमित्त बनी हैं उन्हों की नहीं है। विधिपूर्वक पूजा भले यादगार बनाते हैं लेकिन विधिपूर्वक पूजा नहीं होती। और आप जैसा खज़ाना रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड आप ब्राह्मण आत्माओं का एक जन्म का खज़ाना गैरन्टी 21 जन्म चलना ही है क्योंकि बाप द्वारा बाप का वर्सा मिला है। तो जैसे बाप अविनाशी है वैसे ही बाप द्वारा मिला हुआ खज़ाना भी अविनाशी हो जाता है। इसलिए रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड होलीएस्ट इन दी वर्ल्ड।
तो सभी अपने को ऐसे विशेष सेवाधारी समझते हो ना! आज के समय अनुसार विश्व की आत्माओं को आवश्यकता किस चीज़ की है जानते हो ना! आज विश्व को खुशी शक्ति और स्नेह की आवश्यकता है। आत्मिक स्नेह चाहते हैं लेकिन आप ब्राह्मण आत्मायें अभी समय अनुसार दाता बनो। मन्सा से शक्तियां दो वाचा से ज्ञान दो और कर्मणा से गुणदान दो। ब्रह्मा बाप ने अन्त में तीन शब्द सभी बच्चों को सौगात में दिये याद है ना - इन तीन शब्दों को अगर सेवा में लगाओ तो बहुत आत्माओं को सन्तुष्ट कर सकते हो। वह तीन शब्द हैं - निराकारी निरहंकारी और निर्विकारी। तो मन्सा द्वारा निराकारी वाचा द्वारा निरहंकारी और कर्मणा द्वारा निर्विकारी। यह तीनों शब्द सेवा में लगाओ। अभी विश्व को आपके शक्ति द्वारा थोड़ा सा दिल का आनंद सुख की प्राप्ति हो सब निराश हैं और आप विश्व के लिए आशाओं के सितारे हो और बापदादा सभी बच्चों को बाप के आशाओं के सितारे देखते हैं। सिर्फ उम्मीदों के सितारे नहीं लेकिन आशायें पूर्ण करने वाले आशाओं के सितारे हो।
बापदादा के पास बच्चों का स्नेह सदा पहुंचता है और सबसे सहज पुरूषार्थ कौन सा है? भिन्न भिन्न पुरूषार्थ हैं लेकिन सबसे सहज पुरूषार्थ स्नेह है