19-10-11 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन


‘‘फॉलो फादर कर ब्रह्मा बाप समान व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प के विजयी, कर्मातीत बन मुक्ति का गेट खोलने के निमित्त बनो, इस दीवाली पर हर एक आपस में मिलकर संस्कार मिलन की रास का संकल्प करो

आज बापदादा अपने चारों ओर के मीठे-मीठे प्यारे-प्यारे बच्चों को देख रहे हैं। सभी बड़े प्यार से अपनी याद दे रहे हैं। इतना प्यार सिर्फ बाप को ही करते हैं। यह परमात्म प्यार सिर्फ अभी प्राप्त होता है। हर एक बच्चा प्यार में लवलीन है। बाप भी हर बच्चे को प्यार का रेसपान्ड दे रहे हैं। वाह बच्चे वाह! चाहे सम्मुख हैं, चाहे दूर हैं लेकिन हर एक बच्चा बाप के दिल में समाया हुआ है। सबके दिल में यह गीत बज रहा है इतना प्यार करेगा कौन! यह बाप और बच्चों का आत्मिक प्यार हर बच्चे को देह से न्यारा और बाप का प्यारा बनाने वाला है और यह प्यार अभी ही बच्चों को प्राप्त होता है। यह प्यार बच्चों को क्या से क्या बनाने वाला है। यह प्यार सिर्फ इस एक जन्म में प्राप्त होता है। बाप भी बच्चों का स्नेह देख बच्चों के स्नेह में समा जाता है।

आज बापदादा हर एक के मस्तक में तीन भाग्य देख रहे हैं। एक बाप के स्वरूप में प्राप्त वर्से का भाग्य, दूसरा शिक्षक के रूप में श्रेष्ठ शिक्षा का भाग्य और तीसरा सतगुरू के रूप में वरदानों का भाग्य। हर एक का मस्तक इन तीनों भाग्य से चमक रहा है। बापदादा भी अपने भाग्यशाली बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। चाहे सम्मुख बैठे हैं, चाहे दूर बैठे हैं लेकिन दिल में नजदीक हैं। ऐसे बच्चों और बाप का प्यार सारे कल्प में इस समय ही प्राप्त होता है। यह प्यार का अनुभव औरों को भी करा रहे हो। अभी कोई-कोई लोग समझते हैं कि इन ब्राह्मण आत्माओं को कुछ मिला है। क्या मिला है, उसका स्पष्टीकरण होता जा रहा है। बाप ने देखा अब इस प्लैटिनम जुबली का चारों ओर प्रभाव है और बच्चों ने भी दिल से सेवा की है और आगे भी प्लैन बनाया है। तो बापदादा भी चारों ओर के बच्चों को मुबारक दे रहे हैं वाह बच्चे वाह! यह 75 वर्ष अपने-अपने पुरूषार्थ अनुसार करते निर्विघ्न बनके; बनाके पहुंच गये हो। अभी बाप बच्चों से क्या चाहते हैं? बाप को सदा हर बच्चे में यही आशा है कि हर बच्चा बाप समान बन जाए। जैसे ब्रह्मा बाप विजयी बने, ऐसे हर बच्चा सदा विजयी बने। इसके लिए जैसे ब्रह्मा बाप ने क्या किया? फॉलो फादर। तो आप सभी भी हर कदम उठाते पहले चेक करो कि यह कदम ब्रह्मा बाप ने किया? ब्रह्मा बाप ने हर बच्चे प्रति चाहे जानते थे कि यह बच्चा कमज़ोर है, पुरूषार्थ में भी, सेवा में भी लेकिन कमज़ोर के ऊपर और ही रहम और कल्याण की भावना रही। ऐसे ही बापदादा सभी बच्चों को भी यही कहते अपने परिवार के हरेक भाई या बहन प्रति शुभ भावना, शुभ कामना, रहम और कल्याण की दृष्टि से उनके भी सहयोगी बनो। बापदादा ने पहले भी सुनाया कि प्यार की सबजेक्ट में हर एक बच्चा यथा शक्ति पास है। प्यार के कारण ही आगे बढ़ रहे हैं। अभीबापदादा बच्चों के प्यार को देख खुश है। प्यार की सबजेक्ट के कारण हर एक बच्चा नम्बरवार चल रहा है। अभी बापदादा चाहते हैं कि प्यार में कुछ कुर्बानी भी की जाती है। बाप से प्यार है इसलिए कौन सी कुर्बानी करनी है? जो बापदादा चाहता है वह समझ तो गये हो, समझते हो ना बाप क्या चाहता है? समझते हो? कांध हिलाओ। समझते हो? तो करना है इसकी भी हिम्मत है ना! है हिम्मत हाथ उठाओ। हिम्मत है? अच्छा। तो हिम्मते बच्चे मददे बाप है ही।

अभी बापदादा चाहते हैं, रिजल्ट में देखा तो अभी तक सम्पूर्ण पवित्रता के हिसाब से व्यर्थ संकल्प भी अपवित्रता का बीज है। तो बापदादा ने देखा यह व्यर्थ संकल्प चलना, यह मैजारिटी बच्चों में अब भी संस्कार रहा हुआ है। एक व्यर्थ संकल्प और दूसरा व्यर्थ समय यह मैजारिटी बच्चों में अब भी दिखाई देता है। और व्यर्थ संकल्प का आधार है मन, जो मनमनाभव होने नहीं देता क्योंकि बापदादा ने काफी समय से इशारा दे दिया है कि जो कुछ होना है वह अचानक होना है। तो अचानक के हिसाब से बापदादा ने चेक किया मैजारिटी बच्चों में यह व्यर्थ संकल्प का संस्कार है। तो जब ब्रह्मा बाप व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प के विजयी बन कर्मातीत हुए तो फॉलो फादर।

बापदादा ने देखा कि मन है तो आपकी रचना, आप मन के रचता हो तो मन को चलाने वाले हो। मन की कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर के मालिक हो लेकिन फिर भी मन कहाँ धोखा दे देता है। है आपकी रचना, मेरा है ना! लेकिन कन्ट्रोलिंग पावर कम होने के कारण धोखा दे देता है। मन को घोड़ा भी कहा जाता है लेकिन आपके पास श्रीमत की लगाम है। है ना लगाम! तो कभी भी अगर मन वेस्ट संकल्प की तरफ ले जाता, लगाम को टाइट करने से अपने को व्यर्थ संकल्प की थोड़ी भी अपवित्रता को खत्म कर सकते हो। मन के मालिक बन, जैसे ब्रह्मा बाप ने रोज़ मन की चेकिंग की, ऐसे रोज़ चेक करो और व्यर्थ संकल्प को समाप्त करो। तो आज बापदादा यही चाहता है कि इस व्यर्थ संकल्पों को समाप्त करो। बुरे संकल्प कम हैं, व्यर्थ ज्यादा हैं लेकिन इसमें टाइम बहुत जाता है। मन के मालिक बन मन को ऐसे बिजी करो जो और तरफ आकर्षित हो आपकी लगाम को ढीला नहीं करे। हो सकता है यह? आज बापदादा व्यर्थ संकल्प के समाप्ति का सबको संकल्प दे रहे हैं। हो सकता है? हाथ उठाओ जो समझते हैं व्यर्थ संकल्प भी समाप्त, सेरीमनी मनायेंगे। व्यर्थ समय भी बचाना है। समय और संकल्प दोनों को बचाना है क्योंकि बापदादा सबका चार्ट देखते हैं। तो चार्ट में यह कमी मैजारिटी में देखने आई। मन के मालिक ही विश्व के मालिक बनने हैं। जैसे बाप ब्रह्मा मनजीत बन विश्व का मालिक बन गया, अभी तो आपके लिए, बच्चों के लिए आवाह्न कर रहे हैं, आपकी एडवांस पार्टी भी आवाह्न कर रही है। सुनाया था चार बजे एडवांस पार्टी वाले भी वतन में आते हैं, तो पूछते हैं कब मुक्ति का गेट खोलेंगे? किसको खोलना है? आप सभी मुक्ति का गेट खोलने वाले हो ना! आपका सम्पूर्ण बनना अर्थात् मुक्ति का गेट खुलना। तो बापदादा से एडवांस पार्टी रूहरिहान करती है कब तक? तो बाप आपसे पूछते हैं कब तक? तो क्या जवाब देंगे? पहली लाइन वाले बोलो, कब तक? हर कार्य के लिए डेट फिक्स करते हो ना! तो इस कार्य की डेट कब तक? ब्रह्मा बाप तो फरिश्ते रूप में आवाह्न कर रहे हैं। बता सकते हो डेट? बोलो, डेट फिक्स कर सकते हैं? अभी डेट फिक्स है? पाण्डव हाथ उठाओ, डेट फिक्स है? नहीं है। क्यों? दीदी कहती है बाबा हम लोगों को लगन थी घर जाना है, घर जाना है, घर जाना है। दादी कहती है हमको लगन थी कर्मातीत होना है, कर्मातीत होना है..। तो आप सभी का तो दीदी दादी से प्यार है ना। है तो सभी से क्योंकि जो भी एडवांस पार्टी में गये हैं उन सभी से आपका प्यार तो है। अभी उसके प्रश्न का उत्तर दो। तो आपस में रूहरिहान कर अब कुछ जवाब तैयार करना। करेंगे?

आज तो डबल फारेनर्स के मिलन का दिन है ना! तो डबल फारेनर्स भी आपस में राय करके डेट बताना और भारत वाले भी इस पर चर्चा करके बताना। है जवाब। हाँ बोलो, बोलो...। जो बोले वह हाथ उठाओ। (मोहनी बहन न्युयार्क - बाबा डेट आप फिक्स करिये, हम लोग एवररेडी हैं) नहीं आप फिक्स करो ना। तैयार आपको होना है ना। बाप तो कहेगा कि इस दीवाली पर दीवाली करो। एवररेडी। एवररेडी? कहेंगे जल्दी है। इसलिए कहते हैं आप बताओ। (डा.निर्मला बहन ने कहा - बाबा एक साल दो) अच्छा, इसमें शामिल हो, यह कह रही है एक साल। जो समझते हैं एक साल वह हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। अच्छा। एक साल वालों का नाम नोट करो। अच्छा है। दूसरे सब मुस्कराते हैं। बोलो। (निर्वैर भाई ने कहा - नाउ और नेवर, आज अभी होना है) तो ताली बजाओ। अच्छा, बहुत अच्छा। तो अभी अभी सभी अपने मन में यह प्रामिस करो कि कभी भी व्यर्थ संकल्प नहीं आने देंगे। यह हो सकता है? अभी से कहते हैं नाउ आर नेवर, तो कम से कम यह सब प्रामिस करते हैं कि अभी से न व्यर्थ संकल्प, न व्यर्थ समय गंवायेंगे? इसमें जो तैयार हैं वह हाथ उठाओ। मैजारिटी ने उठाया है। जो समझते हैं कि टाइम लगेगा वह हाथ उठाओ। कोई नहीं। वह थोड़े हैं जो कहते हैं, हाथ उठा रहे हैं थोड़े थोड़े। अच्छा तो इस दीवाली पर यह एक दृढ़ संकल्प करना, जिन्होंने मैजारिटी ने हाथ उठाया है वह स्वाहा करना इसीलिए आप सबकी तरफ से दृढ़ संकल्प के लिए आज केक काटेंगे। पसन्द है ना! आज का केक इस दृढ़ संकल्प का सूचक है क्योंकि सभी चाहते हैं, अज्ञानी भी चाहते हैं कि अब कुछ होना चाहिए, अब कुछ होना चाहिए लेकिन ताकत नहीं है। आप बच्चों में तो संकल्प को पूर्ण करने की ताकत है। फॉलो फादर है ना। ब्रह्मा बाप का जन्म ही दृढ़ संकल्प से हुआ है। करना है, सोचेंगे नहीं, क्या करूं, क्या नहीं करूं, करना है। उस एक दृढ़ संकल्प ने इतने बच्चों का भविष्य बनाया। एक ब्रह्मा बाप ने कितनी हिम्मत रखी। आधा हिस्सा मिला और यज्ञ रचा। यज्ञ के ब्राह्मण रचे और अब देश विदेश की आत्मायें पहुंच गई हैं, एक ब्रह्मा बाप के दृढ़ संकल्प के कारण। तो दृढ़ संकल्प क्या नहीं कर सकता। यह तो एक्जैम्पुल है आपके आगे। संकल्प करते हो बहुत अच्छे अच्छे संकल्प बाप के पास पहुंचते हैं लेकिन उसमें दृढ़ता कम होती है। कोई बात सामने आई ना तो दृढ़ता कम हो जाती है। दृढ़ता सफलता की चाबी है।

देखो, दिल्ली वालों ने दृढ़ संकल्प किया, करना ही है। हो गया ना! सोचेंगे, देखेंगे, यह नहीं किया। सबका दृढ़ संकल्प, निमित्त बनें जैसे निमित्त बनें यह बच्ची, बच्चे, लेकिन सबका सहयोग और दृढ़ संकल्प उसने प्रैक्टिकल सफलता लाई। इसमें सबने साथ दिया और एकमत हुए। हाँ ना, हाँ ना नहीं, एक दृढ़ मत हुई तो दृढ़ता में इतनी शक्ति है। जो कार्य आरम्भ करते हैं उसमें पहले दृढ़ संकल्प का बीज डालो, उसका फल निकलना ही है। यह इतना 75 वर्ष कैसे बीता, ब्रह्मा बाप और बच्चों के साथ ने दृढ़ संकल्प से 75 वर्ष पूरे किये। उमंग-उत्साह से बढ़ते बढ़ाते रहे, तब यह 75 वर्ष पूरे किये। अभी यह संकल्प करो आज व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प समाप्त करना ही है। जब व्यर्थ समाप्त हो जायेगा तो सदा श्रेष्ठ संकल्प का खज़ाना कमाल दिखायेगा।

तो आज डबल फारेनर्स का विशेष मिलन दिवस है। बापदादा खुश है डबल विदेशी बच्चे चारों ओर डबल सेवा अच्छी कर रहे हैं। एक स्वयं का पुरूषार्थ और दूसरा आत्माओं की सेवा, दोनों बात में अच्छी हिम्मत रख आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा इस डबल सेवा की मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो, मुबारक हो। आज विशेष इन्हों का दिन है, तो इन्हों को मुबारक दे रहे हैं। मुबारक आपको भी है, भारत वालों को भी मुबारक हैं। जैसे दिल्ली में निमित्त बने ना यह बृजमोहन, आशा निमित्त बनें और इन्हों के साथ मददगार थी गुप्त रूप में गुल्जार बच्ची। और एकमत हाँ जी, हाँ जी करने में सारी दिल्ली में उमंग रहा और प्रैक्टिकल किया। हाँ ना नहीं किया। करना ही है। तो यह एक मत होना अर्थात् सफलता। सफलता आप बच्चों का हर एक का जन्म सिद्ध अधिकार है। उसको यूज़ करो। अलबेले नहीं बनो। हो जायेगा, कर लेंगे, यह नहीं सोचो। करना ही है, यह है ब्राह्मणों की भाषा। तो बापदादा वैसे तो सभी बच्चों पर खुश है लेकिन आज दिल्ली वालों ने भी कमाल दिखाई, बापदादा ने देखा कि गवर्मेन्ट के विशेष लोग जो निमित्त हैं उनको अच्छी तरह से सन्देश पहुंच गया कि ब्रह्माकुमारियां जिसके लिए समझते थे, यह क्या करेंगी। कुछ गलत फहमी भी थी लेकिन यह 75 वर्ष का सुनके अभी यह समझते हैं कि यह जो चाहें वह कर सकते हैं इसलिए जो भी निमित्त हैं गवर्मेन्ट में उन्हों तक आवाज अच्छा पहुंचा है, यह कमाल है एकमत की।

तो बापदादा डबल विदेशियों को देख खुश है, वृद्धि भी कर रहे हैं और डबल सेवा की तरफ से अटेन्शन अच्छा है। सिर्फ बापदादा यह इशारा फिर भी दे रहा है कि आपस में संस्कार मिलन की रास करो। यह नहीं सोचो, सेन्टर तो अच्छा चल रहा है, सर्विस तो अच्छी हो रही है लेकिन जब एक परिवार है, प्रभु परिवार है, लौकिक परिवार नहीं प्रभु परिवार है। प्रभु परिवार का अर्थ ही है एक दो में शुभ भावना, कल्याण की भावना। एक दो में यही संकल्प रहे कि हम सभी साथ-साथ एक दो को आगे बढ़ाते मुक्ति का गेट खोलके साथ जाना ही है। इसलिए हरसेन्टर में ऐसा वायुमण्डल हो जो समझ में आवे यह 8 नहीं, 10 नहीं लेकिन 10 ही एक हैं। अभी संस्कार मिलन की रास हर एक अपने मन में दीवाली में संकल्प करो। एक भी आत्मा एक दो से दूर नहीं हो, सब एक हो। तो इस दीवाली पर संस्कार मिलन की रास करना। मन में दृढ़ संकल्प करना कि एक भी मेरे से भारी नहीं हो, सब हल्के। संस्कार नहीं मिलते हैं तो भारी होते हैं। तो बाप समझते हैं कि इस संकल्प से गेट का दरवाजा खोलने के लिए जल्दी तैयार हो जायेंगे। चेक करो कोई भी हमारे से नाराज़ नहीं, लेकिन भारी भी नहीं होना चाहिए। हो सकता है यह? हो सकता है? कांध हिलाओ हो सकता है। हो सकता है हाथ उठाओ। तो इस दीवाली पर अच्छी रौनक हो जायेगी।

डबल फारेनर्स, बापदादा दिल में रोज़ डबल फारेनर्स को इमर्ज करते हैं, क्यों? क्यों इमर्ज करते हैं? क्योंकि डबल फारेनर्स निमित्त बने हैं सारे विश्व में बाप का नाम बाला करने के लिए। किस बात पर? कि जब यह भारतवासी नहीं हैं, फारेनर्स हैं इन्होंने अपना भाग्य बना लिया तो हम क्यों रह जाएं। यह प्रेरणा इस दिल्ली के प्रोग्राम से भारत में अच्छी फैली है इसलिए बापदादा सेवा के निमित्त आप सभी को इमर्ज करते हैं। भारत को जगायेंगे, जगा रहे हैं और आगे भी ऐसे वी.आई.पी तैयार करेंगे जो भारत को जगायेंगे। उनका अनुभव भारत वालों को जगायेगा। बापदादा को याद है शुरू-शुरू में बहुत वी.आई.पीज ले आते थे। प्रोग्राम्स करते थे। अभी यह सेवा नहीं है। ऐसे वी.आई.पी तैयार करो जो स्टेज पर अपना अनुभव सुनायें। अभी ज्यादा कल्चरल दिखाया, अनुभव भी सुनाया लेकिन थोड़ा टाइम था, अभी ऐसे वी.आई.पी लाओ जो भारत वालों की तकदीर को जगाये। अभी भी जो फारेनर्स और भारत की सेवा इकठ्ठी की उसका भी प्रभाव अच्छा रहा। अब मिल करके ऐसी सेवा को बढ़ाते चलो। और मुख्य बात अपने को हर एक चाहे भारतवासी चाहे फारेनर्स जल्दी जल्दी ऐसे सम्पन्न बनाओ जो आप सबकी सम्पन्नता मुक्ति का गेट खोल दे। अच्छा।

(90 देशों से 2400 डबल विदेशी आये हैं, उसमें 600 नये भाई बहिनें आये हैं) मुबारक हो। बापदादा को खुशी है कि बिछुड़े हुए बच्चे आज अपने परिवार और बाप से मिल रहे हैं। तो बहुत अच्छा अभी सभी को तीव्र पुरूषार्थी बनना पड़े क्योंकि थोड़े समय में नम्बर आगे लेना है। तो तीव्र पुरूषार्थी बन आगे से आगे बढ़ते चलो। फिर भी मुबारक है जो पहुंच गये हैं। बापदादा एक एक को देख हर्षित हो रहे हैं। अभी बहुत सहज याद की यात्रा द्वारा अपने को सम्पन्न बनाके आगे से आगे बढ़ने का प्रयत्न करेंगे और आगे हो सकते हैं, पीछे आने वाले भी पीछे नहीं रहना, आगे बढ़ना। अच्छा।

(ग्लोबल हॉस्पिटल के 20 साल पूरे हुए हैं) हॉस्पिटल ने अनेक आत्माओं को परिवार में लाया है। आबू की हॉस्पिटल के बाद लोगों में यह वायब्रेशन जो था यह पता नहीं क्या करते हैं, अभी यह सोचते हैं कि यह डबल सेवा कर रहे हैं। शरीर के लिए भी और आत्मा के लिए भी डबल पार्ट बजा रहे हैं इसके लिए जहाँ भी सेवा कर रहे हो तो सेवा की मुबारक है, मुबारक है। बापदादा को अच्छा लगता है कि डबल डाक्टर बने हैं, डबल सेवाधारी बने हैं। अभी हर एक और भी आगे बढ़ते रहना। अच्छा। अच्छा है सेवा में अच्छे हैं। अच्छा –

चारों ओर के चाहे सामने बैठे हैं, चाहे कहाँ भी बैठे हैं लेकिन सबका अटेन्शन मधुबन में हैं। बापदादा को देख रहे हैं, मैजारिटी तो देख ही रहे हैं। बापदादा भी सभी बच्चों को, चारों ओर के बच्चों को सदा हर्षित रहने वाले, सदा डबल पुरूषार्थी, डबल पुरूषार्थी अर्थात् स्व के पुरूषार्थ में भी और सेवा के पुरूषार्थ में, ऐसे डबल पुरूषार्थी और डबल निश्चय और नशे में रहने वाले, सदा बाप के साथ रहने वाले, सदा आपस में भी कल्याण और रहम की शुभ भावना में रहने वाले, एक-एक बच्चे को नाम सहित बापदादा दिल की याद प्यार दे रहे हैं।

लेकिन आज की बात व्यर्थ संकल्प की समाप्ति की भूल नहीं जाना। बापदादा के पास रिकार्ड तो पहुंच ही जाता है। बापदादा देखेंगे कितने तीव्र पुरूषार्थी बच्चे हैं और एक दो को भी उमंग उत्साह दे आगे बढ़ाने वाले हैं। अगर कोई गलत भी करता है तो उसके प्रति वह गलत करता है, और आप उसकी गलती का मन में संकल्प करते हो, यह करता है, यह करता है, यह करता है... यह भी खत्म करो। उनको सहयोग दो, श्रेष्ठ भावना दो, ऐसी सेवा करते सारे संगठन को श्रेष्ठ संकल्प वाले बनाना ही है। कोई सेन्टर पर कभी भी कोई एक दो के प्रति कोई भी और भावना नहीं हो, शुभ भावना, शुभ कामना, ठीक है ना! बहुत अच्छा। अभी सभी बच्चों को बापदादा मुबारक के साथ दिल का यादप्यार भी साथ में दे रहे हैं।

दादी जानकी जी से: विदेश और देश दोनों को रिफ्रेश करने का अच्छा पार्ट बजाया। निमित्त तो आप हो ना। बनाने वाला बाप है।

मोहिनी बहन:- तबियत ठीक है, चलाती चलो। क्योंकि ज्यादा चल गई है, थोड़ा टाइम लगेगा, लेकिन बाप की नज़र है। (आपका वरदान है) वरदान तो बाबा है ही वरदाता। अच्छा है, सभी मिलके चला रहे हो तो बापदादा एक एक के ऊपर राज़ी है। कहाँ भी कैसे भी चला रहे हैं। अच्छा है।

(गुल्जार दादी सब कुछ करते गुप्त रहती है) उसका भी गुप्त पार्ट था। गुप्त नम्बर आगे होता है, पता है।

निर्वैर भाई से:- बापदादा तो खुश है। बाप तो सभी बच्चों के साथ है। मदद है।

बृजमोहन भाई से:- अच्छा किया, दिल्ली ने नाम बाला किया। अच्छा किया, निमित्त बनते हैं कोई लेकिन सबका साथ, सबका उमंग यह इकठ्ठा हो गया तो चारचांद लग गये। और किसी का भी ना शब्द नहीं निकला। (शान्ति बहन से) शरीर को चलाना अच्छा आता है। समय पर काम निकालना, यह अच्छा किया। लेकिन मदद भी कोई लेवे। बाप की मदद तो है लेकिन समय पर लेवे। अच्छा किया। सभी में उमंग आ जायेगा अभी।

दिल्ली वाले मिलकर करेंगे, कमाल तो करना ही है। हिम्मत रखी ना। हिम्मत से सबकी मदद, बाप की भी मदद। सभी ने अच्छा किया, अपने-अपने स्थान पर अच्छा किया। तो दिल्ली को मुबारक हो।

परदादी से:- ब्रह्मा बाप को देखना हो तो इसमें देखो। अच्छा है। बहुत अच्छी हिम्मत और उमंग उत्साह में रहती हो इसलिए बीमार नहीं लगती हो। (रूकमणी बहन से) अच्छा सम्भालती है। आप सम्भालने वालों को भी मुबारक हो।

विदेश की बड़ी मुख्य बहिनों से:- (बापदादा को मुबारक दी) आपको भी हो। आप नहीं होते तो यह कैसे आगे बढ़ते। अभी वी.आई.पीज लाओ। पहले आप वी.आई.पीज लाते थे। अभी वहाँ सेवा करके उन्हों को तैयार करो क्योंकि आजकल लोगों को अखबार में समाचार बहुत मिलता है। सामने थोड़े से आते हैं लेकिन अखबारें कई घरों में समाचार पहुंचाती हैं। वी.आई.पी का समाचार अखबार जरूर डालते हैं। (विदेश में 40 वर्ष की सेवा का मनाया) सभी ने मिलके किया तो लोगों के मन में आया कि यह कोई छोटी संस्था नहीं है। विदेश में भी जहाँ तहाँ मुस्लिम स्टूडेन्ट हैं, उनका थोड़ा आवाज बुलन्द करो। उनका आना चाहिए कि मुस्लिम भी आते हैं। सेन्टर हैं लेकिन छिपे हुए हैं। अभी बुद्धिष्ठ की सर्विस नहीं हुई है, बुद्धिष्ठ का कोई ऐसा सैम्पुल नहीं है, वह भी होना चाहिए। (श्रीलंका, चाइना में हैं) अभी स्टेज पर नहीं आये हैं। (वजीहा ने याद दी है) वजीहा को बहुत बहुत याद देना।

रमेश भाई से:- (पैर का आपरेशन अच्छा हो गया) आप ठीक रहते हैं ना, तो जो मुख्य निमित्त हैं वह ठीक रहते हैं तो सबको खुशी होती है। अच्छा किया टाइम के पहले करा लिया, यह ठीक है और सभी की आपको शुभ भावना बहुत है। हर एक जो भी निमित्त हैं, उन्हों की आपको आशीर्वाद बहुत है। (बाम्बे में भी ऐसी सेवा हो उसके लिए प्रेरणा दो) हाँ हो जायेगा, क्या बड़ी बात है। अभी एक एक्जैम्पुल (दिल्ली में) हुआ तो सब प्रेरणा लेंगे, करेंगे।


22-03-13   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


भगवान और भाग्य की स्मृति से सदा हर्षित रहो, हर्षित बनाओ, व्यर्थ बातों को होली कर होली बनो

आज बापदादा सर्व बच्चों के भाग्य को देख हर्षित हो रहे हैं। सबसे बड़ा भाग्य सभी के मस्तक में चमकता हुआ सितारा, चमकता हुआ दिखाई दे रहा है। सबका मस्तक चमक रहा है। साथ में सबके मुख में ज्ञान वाणी की चमक दिखाई दे रही है। सबके होठों में मुस्कुराहट कितनी सुन्दर चमक रही है। हर एक के दिल में दिलाराम बाप की लवलीन मूर्त की झलक दिखाई दे रही है। सभी के हाथों में ज्ञान के खज़ानों की चमक दिखाई दे रही है। हर एक के कदम में (पाँव में)पदम की झलक दिखाई दे रही है। बोलो, इतने बड़े भाग्य, कितनी झलक से चमक रहे हैं। सोचो, इतना बड़ा भाग्य कैसे बना। स्वयं भाग्य विधाता बाप ने भाग्य बनाया है। खुद भाग्य विधाता ने आपका भाग्य बनाया है। तो अपने भाग्य को देख हर्षित होते रहते हो ना! वाह भाग्य। और रोज अमृतवेले अपने भाग्य को देखते रहते हो ना! संगमयुग है ही भाग्य बनाने वाला।

आज बापदादा एक शब्द बच्चों से वापस लेने चाहते हैं। तैयार हैं। तैयार हैं? हाथ उठाओ, देंगे। फिर वापस नहीं लेंगे। हाथ उठाओ, अच्छी तरह से सोच समझ के हाथ उठाओ। बापदादा को कई बच्चे कहते हैं शक्ति स्वरूप या खुशमिजाज रहते तो हैं लेकिन कभी-कभी। यह कभी-कभी का शब्द बापदादा को पसन्द नहीं है क्योंकि हर बच्चे से बाप का अति प्यार है। तो कभी-कभी शब्द बाप को पसन्द नहीं, सदा बाप समान दिखाई दे। ऐसे भी बच्चे हैं लेकिन बाप चाहते हैं हर बच्चा सदा खुशी में उड़ता रहे। सदा रूहानियत में मुस्कराता रहे, दूसरों को भी मुस्करादे। आपको पसन्द है, सदा पसन्द है या कभी-कभी? जिसको सदा शब्द पसन्द है और प्रैक्टिकल है, वह हाथ उठाओ। पीछे वाले हाथ हिलाओ क्योंकि आज होली मनाने आये हो ना। होली का अर्थ ही है जो हो चुका वह हो ली। भविष्य सदा श्रेष्ठ है और रहेगा। हर एक बच्चे ने संकल्प किया है हम बापके साथ हैं, बाप के साथ ही रहेंगे। बापदादा भी खुश होते हैं। बापदादा को भी अकेला नहीं अच्छा लगता सब बच्चों के साथ अच्छा लगता है। बापदादा ने कई बार कहा है खुशी कब गंवाना नहीं और सुनाया भी है खुशी जैसी करामत और कोई में नहीं है। जानते हो ना और जो भी वस्तु होती है वह देने से कम होती है, लेकिन खुशी किसको भी दो तो कम होगी या बढ़ेगी? तो ऐसी खुशी जो सदा बढ़ती रहती है उसको कभी नही छोड़ना। आपका चेहरा कोई भी देखे सदा खुशमिजाज। बाते तो आती हैं, कलियुग का अर्थ ही क्या है! कलियुग क्यों कहते हो। कलह-कलेष होगा तब तो कलियुग कहते हो ना। लेकिन हमें उसमें क्या करना है? परिवर्तन। बातों में नहीं आना लेकिन बातों को परिवर्तन कर सेवा के लिए सदा एवररेडी रहना। तो सदा अपना भाग्य याद रहता है ना? भगवान और भाग्य, इससे सदा हर्षित चेहरा, जो हर्षित चेहरे को देख और भी हर्षित हो जाएं।

तो बापदादा आज सभी बच्चों को यही याद दिलाते हैं कि सदा हर्षित रहो और हर्षित बनाओ। सभी बच्चे मधुबन में पहुँचे हैं बापदादा ने देखा कि टेंट में भी सोना पड़ा है। लेकिन टेंट में सोने वाले हाथ उठाओ। जो टेंट में सोये हैं वह हाथ उठाओ। बहुत थोड़े हैं, पीछे वाले हैं। अच्छा। तो टेंट में रहते खुशी गुम हुई कि खुशी रही? टेंट वाले हाथ उठाओ, खुश रहे? बाहर भी बैठे हैं। बच्ची ने चक्कर लगाया तो कहाँ-कहाँ रहे हैं। लेकिन बापदादा उन्हों को कहते हैं कि बापदादा के दिल में रहते हो। दिलाराम और आपकी दिल दिलाराम आपके साथ सोया है। देखो किसको आने की ना तो नहीं कर सकते। वेलकम करनी पड़ती है। लेकिन टेंट वालों को कोई तकलीफ हुई, जिसको तकलीफ हुई है वह हाथ उठाओ। कोई नहीं हाथ उठा रहा है। तो सबके तरफ से टेंट वालों को पदमगुणा सुख और शान्ति की दुनिया में हक मिलेगा। अच्छे हिम्मत वाले हैं। बापदादा ने देखा बाप से प्यार है, उस प्यार में तकलीफ अनुभव नहीं हुई। बाकी हुई तो होगी। बापदादा खुश है, भले आये, जी आये, अपने घर में भले आये।

अभी यह कमाल करना, यह भी सहनशक्ति की कमाल की उसके लिए थैंक्स। लेकिन आगे के लिए हर एक को बाप से प्यार है, बाप का भी बच्चों से प्यार है तो बाप समझते हैं कि हर बच्चा कम से कम ब्रह्मा बाप समान त्याग, तपस्या और सेवा, यह मंजूर है। बह्मा बाप को फॉलो करना है, तैयार हैं, इसमें दो-दो हाथ उठाओ। बहुत अच्छा। मुबारक है।

अभी सभी मिलकर यह दृढ संकल्प करो, तैयार तो हैं ना, घड़ी-घड़ी हाथ नहीं उठवाते हैं। बापदादा को निश्चय है कि बच्चे अच्छे हैं, चाहे थोड़ा पुरुषार्थ में कभी-कभी विघ्न आते भी हैं लेकिन बाबा और मैं कम्बाइन्ड हैं, कम्बाइन्ड रहेंगे, यह पक्के निश्चयबुद्धि हैं। ठीक बोला। कांध ऐसे करो। जो भी अपने- अपने स्थान से आये हैं, उन एक-एक बच्चे को नाम लेके उनकी सूरत आगे लाके बापदादा वरदान दे रहे हैं सदा कोई भी बात आवे ना जो कायदे प्रमाण होनी नहीं चाहिए लेकिन आ जाए तो जो ऐसी बात आये, उसको उस समय ही अपने दिल से निकाल बाप को दे दो। बाप आपे ही सम्भाल लेगा। देना तो आता है ना। आता है देना? इसमें काँध हिलाओ देना आता है। लेना आता है देना भी आता है?
तो आज होली, होली मनाने आये हो ना! होली का अर्थ क्या है? होली। जो ऐसी बात होती है हो ली। दिल में नहीं रखो। तो होली की सौगात यही है जो व्यर्थ बात आवे, होली करना। सदा होली करना और होली बनना। वह हिन्दी वह इंगलिश। दो अक्षर हैं। हो ली करना और होली बनना। अपने दिल में वायदा करो कि हम कभी भी खुशी नहीं गंवायेंगे। कर सकते हो? खुशी नहीं गंवायेंगे जो कर सकते हैं वह हाथ उठाओ। जिन्होंने भी वायदा किया उन्हों को बापदादा की तरफ से दिल की मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है। अच्छा। होली का क्या बनाया है! कुछ बनाया है?

सेवा का टर्नयू.पी. बनारस, पश्चिम नेपाल का है:- भले पधारे अपने घर में। सभी सदा यह संकल्प करना कि मुझे ब्रह्मा बाप समान बनना ही है। फॉलो ब्रह्मा बाबा। कोई भी कार्य ऐसा हो उसमें चेक करो ब्रह्मा बाप ने किया। आपकी वह 10 पॉइंट्स निकली हुई हैं। उस 10 पॉइंट्स में देखना कि ब्रह्मा बाप ने क्या-क्या किया! और फॉलो ब्रह्मा बाप करना। तो जो भी ग्रुप आये हैं बापदादा हर ग्रुप को विशेष मुबारक दे रहे हैं। बापदादा ने देखा हर ग्रुप को उमंग-उत्साह बहुत है, हम करके दिखायेंगे और हर ग्रुप में ऐसी शक्ति है जो करके दिखा सकते हैं। बापदादा हर ग्रुप को बहुत-बहुत-बहुत-बहुत बधाईयां देते हैं। और यह भी वरदान देते हैं कि हर ग्रुप हर सेवा की सबजेक्ट में आगे से आगे बढ़ते रहेंगे। यह बढ़ने का वरदान बापदादा सभी ग्रुप को दे रहे हैं। आये लास्ट हैं लेकिन जायेंगे फास्ट। हिम्मत है ना! अच्छे हैं, बापदादा देख रहे हैं उमंग उत्साह वाले हैं। बापदादा खुश है कि हर एक ग्रुप यहाँ से विशेष उमंग उत्साह भर के जा रहे हैं और यह उमंग उत्साह कायम रहेगा तो कमाल करके ही दिखायेंगे। बापदादा सभी ग्रुप को उम्मीदवार विजयी रूप में देख रहे हैं। एक-एक को बापदादा अपने शुभ भावना और शुभकामना का वरदान दे रहे हैं।

पांच विंग्सग्राम विकास, मेडिकल, ट्रांसपोर्ट, एडमिनिस्ट्रेर, यूथ ग्रुप आये हैं:-

बापदादा ने देखा कि हर एक विंग बड़े उमंग उत्साह से सेवा में आगे बढ़ रहे हैं। और सेवा में सफलता भी मिल रही है इसलिए उम्मीदवार बनके जितनी सेवा की है, वह अच्छी की है और आगे भी अच्छे ते अच्छी उमंग उत्साह से अभी वारिस निकालो। अभी वह लिस्ट नहीं आई है। जब से विंग्स शुरू हुए हैं तब से लेके अच्छे-अच्छे सम्बन्ध सम्पर्क में आये हैं, उसकी बापदादा मुबारक दे रहे हैं। लेकिन वारिस क्यालिटी अगर कोई निकली है तो वह बापदादा के आगे लाना। सेवा अच्छी है यह बापदादा ने देखा। सेवा में कोई पीछे नहीं हटता, आगे-आगे बढ़ रहे हैं और बापदादा खुश भी होते हैं। बिजी हो गये हैं, हर एक अपना प्रोग्राम कुछ न कुछ बना भी रहे हैं। अभी भी शिवरात्रि पर जहाँ-जहाँ प्रोग्राम किये हैं वहाँ अच्छे हुए हैं, रिजल्ट अच्छी है। बड़े भी किये हैं तो छोटे भी किये हैं। दिल्ली और बॉम्बे बड़े प्रोग्राम दिल से किये हैं। बापदादा उनको मुबारक दे रहे हैं।

निजार भाई से:- अच्छा कर रहे हो। रिजल्ट बापदादा को अच्छी लगती है और आगे भी जो प्लैन बना रहे हो वह अच्छे हैं, रिजल्ट अच्छी है। उमंग उत्साह से कर रहे हो, करते रहो। निमित्त तो बने हैं। कराने वाला भले बाप है लेकिन निमित्त बनके करने वाले को भी बापदादा की याद प्यार मिलती है।

डबल विदेशी 65 देशों से 800 भाई बहिनें आये हैं:- डबल विदेशियों को डबल मुबारक हो। बापदादा विदेशियों पर एक बात पर बहुत खुश है। विदेशी मधुबन का लाभ बड़ी अच्छी रीति से लेते हैं। चाहे दूर हैं लेकिन मधुबन का लाभ लेने का प्लैन अच्छा बनाते हैं। सब रिफ्रेश भी हो जाते, सर्विस के प्लैन भी बनाते और सर्विस में उमंग उत्साह भी अच्छा दिलाते हैं। बापदादा ने रिजल्ट सुनी। बापदादा को अच्छा लगा। ग्रुप को अटेन्शन देके रिफ्रेश अच्छा किया है और ऐसे ही करते बढ़ाते चलो। भिन्न-भिन्न देशों के मधुबन में आके सर्विस प्लैन और अवस्थाओं में उमंग उत्साह मिलन का मिलन भी और स्व-उनति की लहर भी अच्छी दिखाई दे रही है इसलिए बापदादा को डबल पुरुषार्थी, डबल विदेशी नहीं डबल पुरुषार्थी अच्छे लगते हैं। ऐसे ही प्लैन बनाते विदेश में होते भी मधुबन के नजदीक बनने का जो प्लैन बनाते हो वह बहुत अच्छा है, मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। बापदादा ने देखा कि विदेश भी सेवा में कम नहीं है। इन्डिया जैसे भिन्न-भिन्न प्रोग्राम से आगे बढ़ रही है ऐसे विदेशी भी हर साल जो प्रोग्राम बनाते हैं वह बहुत अच्छा बनाते हैं और बना हुआ प्लैन प्रैक्टिकल में भी लाते हैं इसलिए बापदादा सब इन्डियन भाई बहिनों की तरफ से आपको विशेष मुबारक दे रहे हैं।

इस ग्रुप में 2000 टीचर्स बहिनें आई हैं - सभी पीछे मुड़कर देखो, हाथ हिलाओ। अच्छा है। टीचर्स निमित्त बनी हैं सर्विस को आगे से आगे बढ़ाने के लिए। तो बापदादा ने देखा मैजारिटी सेवा के प्लैन बनाते भी हैं लेकिन हर जोन को मिलके एक दो प्रोग्राम जरूर करने चाहिए। इससे क्या होता। एक दो में मिलने का भी चान्स अच्छा बनता और एक दो को सहयोगी बनने का भी चान्स हो जाता है। बाकी कर रहे हैं सेवा, ऐसे नहीं है कि नहीं कर रहे हैं, कर रहे हैं और करते रहेंगे। बापदादा अभी यह चाहते हैं हर एक जोन मिलकर के बड़ा प्रोग्राम करे। छोटे-छोटे तो करते रहते हैं लेकिन सबको पता हो कि इस तरफ भी सेवा चल रही है। कोई न कोई प्रोग्राम बनाते रहो आगे बढ़ते चलो। टीचर्स को बापदादा अपना साथी कहते हैं। जैसे बाप वैसे टीचर्स भी बाप समान आगे से आगे बढ़ती चलें, बढ़ाती चलें।

सभा में कुछ मेहमान वी.आई.पी. बैठे हैं, उसमें विशेष भ्राता अन्ना हजारे भी आये हैं:- अपने घर में पहुँच गये, अच्छा है, सम्मुख आने से देखा, सुना, उससे नजदीक आये और आगे भी नजदीक आते रहेंगे। अच्छा किया। सबका सुना भी, सुनाया भी। बापदादा विशेष याद देते हैं, सभी की। यह निमित्त है लेकिन सभी को बापदादा दिल का प्यार और अपने घर में आने की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

चारों ओर के तरफ सब बच्चे देख भी रहे हैं, सुन भी रहे हैं। बापदादा को खुशी होती है कि यह साइन्स के साधन बच्चों को सुख का अनुभव करा रहे हैं इसलिए बापदादा ने बच्चों को पहले ही कहा था कि यह साइन्स आपको बहुत सहयोग देगी। तो दे रही है और, और भी आग देती रहेगी। बाबा देखते हैं कैसे सभी सम्मुख देखने की कोशिश करते हैं और उन्हों को अनुभव होता भी जाता है इसलिए साइन्स वालों को भी मुबारक हो, जो आप बच्चों को सैलवेशन मिल गई है। सब देखते भी हैं, सुनते भी हैं। मैजारिटी इसका लाभ उठा रहे हैं इसलिए बापदादा बच्चों का उमंग-उत्साह देख खुश है। सभी जहाँ भी बच्चे रहते हैं, उन सबको आज के होली की मुबारक हो, मुबारक हो और होली है, होली रहेंगे और होली दुनिया स्थापन कर रहे हैं, उसमें सभी खुश होंगे। सभी एक-एक बच्चे को दूर बैठे नजदीक अनुभव करने वालों को बहुत-बहुत यादप्यार और जो साइन्स के साधन से मुक्त होकर बैठे हैं और कुछ न कुछ तरीके अपनाते हैं उन्हों को भी बहुत बहुत यादप्यार। सब बच्चे दूर बैठे भी बाप के नजदीक हैं, देख रहे हैं और बापदादा भी देख रहे हैं इसलिए होली की मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है।

दादियों से:- हर एक लाडला है। हर एक दिल के अधिकारी हैं, अधिकार ले रहे हैं।

(दादी जानकी ने भाकी पहनी) सभी को प्यार।

मोहिनी बहन:- अच्छा कर रही है, हिम्मत अच्छी है। जहाँ हिम्मत है वहाँ मदद है ही।

रूकमणि बहन से:- बहुत बहादुर है अच्छा किया है। उनकी पालना की रिजल्ट अच्छी है। जो हुआ सो ड्रामा। आयु भी बड़ी हो गई थी।

विद्या बहन (कानपुर) से:- बहुत हिम्मत करके आई है, अच्छा किया। हिसाब-किताब पूरा हुआ। सेवा के निमित्त बनी हुई हो। अच्छा है। ड्रामा हुआ, ड्रामा से कोई फिक्र नहीं होता, बेफिक्र।

सुन्दरलाल भाई (दिल्ली हरीनगर) से:- आदि से निमित्त बने हो। बेफिक्र रहना। थोड़ा फिक्र आता है। यहाँ आये हो चेक कराओ, हो सकता है आपरेशन नहीं भी करना पड़े।

(तीनों भाईयों ने बापदादा को गुलदस्ता दिया) बाबा ने देखा बाम्बे और दिल्ली दोनों की सेवा अच्छा रही। जो लक्ष्य था वह ठीक रहा।

(हैदराबाद में भी अच्छी सेवा हुई है) हैदराबाद वालों को मुबारक भेजना, टोली भेजना। और जो सेवाधारी बच्चा है (जस्टिस ईश्वरैया भाई) वह अच्छा है, नाम अच्छा है उनका।

(साइंस के साधन तो अच्छे हैं लेकिन विघ्न भी आते हैं) अपना राज्य तो नहीं है, यह थोड़ा बहुत तो होता है। मिलके कोई साधन बना दो। बने हैं तो जरूर आगे बढ़ेगा। सभी को उमंग उत्साह और सेवा का बढ़ाओ। छोटे छोटे सेंटर हैं, बड़े भी हैं।

(सेवा में नवीनता क्या हो) नयापन यह लाओ जो आने वाले हैं उन्हों को नजदीक लाओ, कम से कम स्टूडेंट तो बने, कभी-कभी आने वाले सम्पर्क खुद बढ़ावे। दिल होवे हम जायें, ऐसी रिजल्ट आने वालों की होनी चाहिए। अभी आये अच्छा है, अच्छा है चले जाते हैं। अभी नजदीक लाओ। कम से कम स्टूडेंट नहीं बनें लेकिन आने वाले मिलने वाले सुनने वाले तो बनें, कम से कम मुरली तो सुनें।

(परमात्मा आ गया, क्या यह टॉपिक रख सकते हैं) रख सकते हैं लेकिन कोई बात देके फिर। ऐसे नहीं बाप आ गया आ गया। किस कारण से कहते हैं। (इनर पीस, हारमनी टॉपिक रख सकते हैं) वह तो कोई भी टॉपिक रख सकते हो। फिर भी आपस में बैठो। कई टॉपिक आपस में बैठकर निकाल सकते हो।

नई बेबसाइड बनाई गई है, जिसमें इन्टरनेट पर कोई भी कोर्स कर सकते हैं:- सभी ने पास किया है तो भले चलाओ। अच्छा किया बापदादा खुश है। जो भी किया फायदा है।

(11 हजार मुरमुरे पर ओम् शान्ति लिखा हुआ है, उसकी माला बापदादा को दी)

ओम् शान्ति।


02-11-04   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


स्व-उपकारी बन अपकारी पर भी उपकार करो, सर्व शक्ति, सर्व गुण सम्पन्न सम्मान दाता बनो

आज स्नेह के सागर अपने चारों ओर के स्नेही बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। चाहे साकार रूप में सन्मुख हैं, चाहे स्थूल रूप में दूर बैठे है लेकिन स्नेह, सभी को बाप के पास बैठे हैं - यह अनुभव करा रहा है। हर बच्चे का स्नेह बाप को समीप अनुभव करा रहा है। आप सभी बच्चे भी बाप के स्नेह में सम्मुख पहुँचे हो। बापदादा ने देखा कि हर एक बच्चे के दिल में बापदादा का स्नेह समाया हुआ है। हर एक के दिल में मेरा बाबाइसी स्नेह का गीत बज रहा है। स्नेह ही इस देह और देह के सम्बन्ध से न्यारा बना रहा है। स्नेह ही मायाजीत बना रहा है। जहाँ दिल का स्नेह है वहाँ माया दूर से ही भाग जाती है। स्नेह की सबजेक्ट में सर्व बच्चे पास हैं। एक है स्नेह, दूसरा है सर्वशक्तिवान बाप द्वारा सर्वशक्तियों का खज़ाना।

तो आज बापदादा एक तरफ तो स्नेह को देख रहे हैं, दूसरे तरफ शक्ति सेना की शक्तियों को देख रहे हैं। जितना स्नेह समाया हुआ है उतना ही सर्व शक्तियां भी समाई हुई है? बापदादा ने सभी बच्चो को एक जैसी सर्व शक्तियाँ दी है, मास्टर सर्वशक्तिवान बनाया है। किसको सर्वशक्तिवान, किसको शक्तिवान नहीं बनाया है  हाजिर कहे, जिस भी शक्ति का आह्वान करो, जैसा समय, जैसी परिस्थिति वैसे शक्ति कार्य में लगा सको। ऐसे अधिकारी आत्मायें बने हो? क्योंकि बाप ने वर्सा दिया और वर्से को आपने अपना बनाया, अपना बनाया है ना! तो अपने पर अधिकार होता है। जिस समय जिस विधि से आवश्यकता हो, उस समय कार्य में लग जाए। मानो समाने के शक्ति की आपको आवश्यकता है और आर्डर करते हो समाने की शक्ति को, तो आपका आर्डर मान जी हाजिर हो जाती है? हो जाती है तो कांध हिलाओ, हाथ हिलाओ। कभी-कभी होती है या सदा होती है? समाने की शक्ति हाजिर होती है लेकिन 10 बारी समा लिया और 11 वें बारी थोडा नीचे ऊपर होता है? सदा और सहज हाजिर हो जाए, समय बीतने के बाद नहीं आवे, करने तो यह चाहते थे लेकिन हो गया, यह ऐसा नहीं हो। इसको कहा जाता है सर्व शक्तियों के अधिकारी। यह अधिकार बापदादा ने तो सबको दिया है, लेकिन देखने में आता है कि सदा अधिकारी बनने में नम्बरवार हो जाते हैं। सदा और सहज हो, नेचुरल हो, नेचर हो, उसकी विधि है, जैसे बाप को हजूर भी कहा जाता है, कहते हैं हजूर हाजिर है। हाजिर हजूर कहते हैं। तो जो बच्चा हजूर की हर श्रीमत पर हाजिर हजूर कर चलता है उसके आगे सर्व शक्तियाँ भी हजूर हाजिर करती है। हर आज्ञा में जी हाजिर, हर कदम में जी हाजिर। अगर हर श्रीमत में जी हाजिर नहीं हैं तो हर शक्ति भी हर समय हाजिर हक नहीं कर सकती है। अगर कभी-कभी बाप की श्रीमत वा आज्ञा का पालन करते हैं, तो शक्तियां भी आपका कभी-कभी हाजिर होने का आर्डर पालन करती है। उस समय अधिकारी के बजाए अधीन बन जाते हैं। तो बापदादा ने यह रिजल्ट चेक की, तो क्या देखा? नम्बरवार हैं। सभी नम्बरवन नहीं है, नम्बरवार हैं और सदा सहज नहीं हैं। कभी- कभी सहज हो जाते, कभी थोडा मुश्किल शक्ति इमर्ज होती है।

बापदादा हर एक बच्चे को बाप समान देखने चाहते हैं। नम्बरवार नहीं देखने चाहते हैं और आप सभी का लक्ष्य भी है बाप समान बनने का। समान बनने का लक्ष्य है वा नम्बरवार बनने का लक्ष्य है? अगर पूछेंगे तो सब कहेंगे समान बनना है। तो चेक करो - एक सर्व शक्तियाँ हैं? सर्व पर अण्डरलाइन करो। सर्व गुण है? बाप समान स्थिति है? कभी स्वयं की स्थिति, कभी कोई परस्थिति विजय तो नहीं प्राप्त कर लेती' पर स्थिति अगर विजय प्राप्त कर लेती है तो उसका कारण जानते हो ना? स्थिति कमज़ोर है तब परिस्थिति वार कर सकती है। सदा स्व स्थिति विजयी रहे, उसका साधन है – सदा स्वमान और सम्मान का बैलेन्स। स्वमानधारी आत्मा स्वत: ही सम्मान देने वाला दाता है। वास्तव में किसी को भी सम्मान देना, देना नहीं है, सम्मान देना मान लेना है। सम्मान देने वाला सबके दिल में माननीय स्वत: ही बन जाता है। ब्रह्मा बाप को देखा - आदि देव होते हुए, ड़ामा की फर्स्ट आत्मा होते हुए सदा बच्चों को सम्मान दिया। अपने से भी ज्यादा बच्चों का मान आत्माओं द्वारा दिलाया। इसलिए हर एक बच्चे के दिल में ब्रह्मा बाप माननीय बने। तो मान दिया या मान लिया? सम्मान देना अर्थात् दूसरे के दिल में दिल के स्नेह का बीज बोना। विश्व के आगे भी विश्व कल्याणकारी आत्मा हैं, यह तब अनुभव करते जब आत्माओं को स्नेह से सम्मान देते हो।

तो बापदादा ने वर्तमान समय में आवश्यकता देखी सम्मान एक दो को देने की। सम्मान देने वाला ही विधाता आत्मा दिखाई देता है। सम्मान देने वाले ही बापदादा की श्रीमत (शुभ भावना, शुभ कामना) मानने वाले आज्ञाकारी बच्चे हैं। सम्मान देना ही ईश्वरीय परिवार का दिल का प्यार है। सम्मान वाला स्वमान में सहजही स्थित हो सकता है। क्यों? जिन आत्माओं को सम्मान देता है उन आत्माओं द्वारा जो दुआयें दिल की मिलती है, वह दुआओं का भण्डार स्वमान सहज और स्वतः ही याद दिलाता है। इसलिए बापदादा चारों ओर के बच्चों को विशेष अण्डरलाइन करा रहे हैं - सम्मान दाता बनो।

बापदादा के पास जो भी बच्चा जैसा भी आया, कमज़ोर आया, संस्कार के वश आया, पापों का बोझ लेके आया, कड़े सस्कार लेकर आया, बापदादा ने हर बच्चे को किस नजर से देखा! मेरा सिकीलधा लाडला बच्चा है, ईश्वरीय परिवार का बच्चा है। तो सम्मान दिया और आप स्वमानधारी बन गये। तो फॉलो फादर। अगर सहज सर्वगुण सम्पन्न बनना चाहते हो तो सम्मान दाता बनो। समझा! सहज है ना? सहज है या मुश्किल है? टीचर्स क्या समझती हैं, सहज है? कोई को देना सहज है, कोई को मुश्किल है या सभी को देना सहज है? आपका टाइटल है - सर्व उपकारी। अपकार करने वाले पर भी उपकार करने वाले। तो चेक करो - सर्व उपकारी दृष्टि, वृत्ति, स्मृति रहती है? दूसरे पर उपकार करना, स्वयं पर ही उपकार करना है। तो क्या करना है? सम्मान देना है ना! अलग- अलग बातों में धारणा करने के लिए जो मेहनत करते हो, उससे छूट जायेंगे क्योकि बापदादा देख रहे हैं, कि समय की गति तीव्र हो रही है। समय इन्तजार कर रहा है, तो आप सभी को इन्तजाम करना है। समय का इन्तजार समाप्त करना है। क्या इन्तजाम करना है? अपने सम्पूर्णता और समानता की गति तीव्र करनी है। कर रहे हैं नहीं, तीव्रगति को चेक करो - तीव्रगति है?

बाकी स्नेह से नये-नये बच्चे भी पहुँचे हैं, बापदादा नये-नये बच्चों को देख खुश होते हैं। जो पहले बारी आये हैं वह हाथ उठाओ। बहुत हैं। भले पधारे बाप के घर में, अपने घर में, मुबारक हो।

सेवा का टर्न – कर्नाटक:- कर्नाटक वाले उठो। सेवा के गोल्डन चांस की मुबारक हो। देखो पहला नम्बर लिया है तो पहला नम्बर ही रहना है ना! पुरुषार्थ में, विजयी बनने में सबसे पहला नम्बर लेने वाले। दूसरा नम्बर नहीं लेना, पहला नम्बर। है हिम्मत! हिम्मत है? तो हिम्मत आपकी और हजार गुणा मदद बाप की। अच्छा चांस लिया है। अपने पुण्य का खाता बहुत-बहुत जमा कर लिया। अच्छा कर्नाटक ने मेगा प्रोग्राम किया है? नहीं किया है, क्यों? क्यों नहीं किया? कर्नाटक को सबमें पहला नम्बर लेना चाहिए। (बैंगलोर में करेंगे) अच्छा, जिन्होंने भी बडा प्रोग्राम किया है वह उठो। कितने प्रोग्राम हो गये हैं? (8 - 10 हो चुके हैं) तो बापदादा बड़े प्रोग्राम की बडी मुबारक दे रहे हैं। जोन कितने हैं! हर एक जोन को बडा प्रोग्राम करना चाहिए क्योकि आपके शहर में उल्हना देने वाले उल्हना नहीं देगे। बडे प्रोग्राम में आप एडवरटाइज भी बडी करते हो ना, चाहे मीडिया द्वारा, चाहे पोस्टर, होर्डिग आदि भिन्न-भिन्न साधन अपनाते हो तो उल्हना कम हो जायेगा। बापदादा को यह सेवा पसन्द है लेकिन लेकिन है। प्रोग्राम तो बड़े किये उसकी तो मुबारक है ही लेकिन हर प्रोग्राम से कम से कम 108 की माला तो तैयार होनी चाहिए। वह कहाँ हुई है? कम से कम 108, ज्यादा से ज्यादा 16 हजार। लेकिन इतनी जो एनर्जी लगाई, इतना सम्पत्ति लगाई, उसकी रिजल्ट कम से कम 1०8 तो तैयार हों। सबकी एड्रेस तो आपके पास रहनी चाहिए। बड़े प्रोग्राम में जो भी लाने वाले हैं, उन्हों के पास उनका परिचय तो रहता ही है तो उन्हों को फिर से समीप लाना चाहिए। ऐसे नहीं कि हमने कर लिया, लेकिन जो भी कार्य किया जाता है उसका फल तो निकलना चाहिए ना। तो हर एक बड़े प्रोग्राम करने वालो को यह रिजल्ट बापदादा को देनी है। चाहे भिन्न-भिन्न सेन्टर पर जाये, किस शहर का भी हो वहाँ जाए, लेकिन रिजल्ट निकलनी चाहिए। ठीक है ना, हो तो सकता है ना! थोडा अटेंशन देगे तो निकल आयेगे 18 तो कुछ भी नहीं हैं। लेकिन रिजल्ट बापदादा देखने चाहते हैं, कम से कम स्टूडेंट तो बने। सहयोग में आगे आवे, कौन-कौन कितने निकालते हैं, वह बापदादा इस सीजन में रिजल्ट देखने चाहते हैं। ठीक है ना? पाण्डव ठीक है? तो देखेंगे नम्बरवन कौन है? कितने भी निकालो, निकालो जरूर। क्या है, प्रोग्राम हो जाते हैं लेकिन आगे का सम्पर्क वह थोडा अटेंशन कम हो जाता है और निकालना कोई मुश्किल नहीं है। बाकी बापदादा बच्चों की हिम्मत देख खुश हैं। समझा। अच्छा -

इन्दौर हॉस्टल तथा सभा में उपस्थित सभी कुमारियों से:- बहुत कुमारियाँ आई हैं, जितनी भी कुमारियाँ आई हैं, उनमें से हैण्डस कितने निकलेंगे? कुमारियाँ बापदादा के राइट हैण्डस बन सकती हैं। गोल्डन चांस है। तो कितनी संख्या है! मालूम है, कितनी कुमारियाँ हैं। (5 -6 सौ) इन्हों का नाम नोट करना और यह रिजल्ट देखना कि इतनी सारी कुमारियों में से राइट हैण्ड कितनी बनीं! हाथ उठाओ, सेंटर पर रहने वाली नहीं उठाओ। जो राइट हैण्ड बनेगी वह हाथ उठाओ। इन्हों का वीडियो निकालो। क्योकि आप लोगों को मालूम है कि सेंटर खोलने के निमंत्रण बहुत है लेकिन हैण्डस कम हैं। तो आपकी तो माँगनी है। इसलिए कुमारियों को जल्दी से जल्दी सेवा के राइट हैण्ड बनना चाहिए। जो छोटी-छोटी है उनकी बात छोड़ो, लेकिन जो सेवा कर सकती हैं उन्हों को समय के प्रमाण जल्दी तैयार हो जाना चाहिए। दहेज आपका तैयार है, सेन्टर दहेज है, वर तो है ही और दहेज भी तैयार है। तो तैयारी करो। करेगी ना! हाँ, बडी-बड़ी तो निकल सकती है। जो समझती है जल्द से जल्दी निकल सकती है, वह हाथ उठाओ। देखो, कितनी कुमारियाँ हाथ उठा रही हैं। वीडियो निकल रहा है। अच्छा - मुबारक हो, इनएडवास मुबारक हो। अच्छा।

सभी तरफ से जो भी स्नेही बच्चे बापदादा को दिल में याद कर रहे हैं, वा पत्र, ईमेल द्वारा याद भेजी है, उन चारों ओर के बच्चों को बापदादा दूर नहीं देख रहे हैं लेकिन दिलतख्त पर देख रहे हैं। सबसे समीप दिल है। तो बापदादा दिल से याद भेजने वालों को और याद भेजी नहीं लेकिन याद में हैं, उन सबको भी दिलतख्तनशीन देख रहे हैं। रेसपान्ड दे रहे हैं। दूर बैठे भी नम्बरवन तीव्र पुरुषार्थी भव।

अच्छा - अभी सभी एक सेकण्ड में, एक सेकण्ड एक मिनट नहीं, एक सेकण्ड में मैं फरिश्तासो देवता हूँ” - यह मंसा ड़िल सेकण्ड में अनुभव करो। ऐसी ड़िल दिन में एक सेकण्ड में बार-बार करो। जैसे शारीरिक ड़िल शरीर को शक्तिशाली बनाती, वैसे यह मन की ड़िल मन को शक्तिशाली बनाने वाली है। मै फरिश्ता हूँ, इस पुरानी दुनिया, पुरानी देह, पुराने देह के सस्कार से न्यारी फरिश्ता आत्मा हूँ। अच्छा -

चारों ओर के अति स्नेही, सदा स्नेह के सागर में लवलीन आत्माओं को, सदा सर्व शक्तियों के अधिकारी श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा बाप समान बनने बाले बाप के प्यारे आत्माओं को, सदा स्वमान में रहने वाली हर आत्मा को सम्मान देने वाली, सर्व के माननीय माननेवाली आत्माओं को, सदा सर्व उपकारी आत्माओं को बापदादा का दिल का यावधार और दिल की दुआयें स्वीकार हो। और साथ-साथ विश्व के मालिक आत्माओं को नमस्ते।

दादिजी से:- सम्मान देने में नम्बरवन पास है। अच्छा है, सब दादियों से मधुबन की रौनक है। (सभा से) इन सभी को दादियों से रौनक अच्छी लगती है ना। जैसे दादियों की रौनक से मधुबन में रौनक हो जाती है, ऐसे आप सभी दादी नहीं, दीदियाँ और दादे तो हो। तो सभी दीदियाँ और सभी दादायें, सभी को यह सोचना है, करना है, जहाँ भी रहते हो उस स्थान में रौनक हो। जैसे दादियों से रौनक है, वैसे हर स्थान में रौनक हो क्योकि दादी के पीछे दीदियाँ तो हो ना, कम नहीं हो। दादे भी हैं, दीदियाँ भी है। तो किसी भी सेंटर पर रूखापन नहीं होना चाहिए, रौनक होनी चाहिए। आप एक-एक विश्व में रौनक करने वाली आत्मायें हो। तो जिस भी स्थान पर हो वह रौनक का स्थान नजर आवे। ठीक है ना? क्योंकि दुनिया में हद की रौनक है और आप एक एक से बेहद की रौनक है। स्वय खुशी, शान्ति और अतीन्द्रिय सुख की रौनक में होंगे तो स्थान भी रौनक में आ जायेगा क्योंकि स्थिति से स्थान में वायुमण्डल फैलता है। तो सभी को चेक करना है - कि जहाँ हम रहते हैं, वहाँ रौनक है? उदासी तो नहीं है? सब खुशी में नाच रहे हैं? ऐसे है ना! आप दादियों का तो यही काम है ना! फॉलो दीदियाँ और दादायें। अच्छा।

आज इस वर्ष के इन्डियन सीजन का आदि है। तो आप सभी आदि में आ गये हैं। अच्छा है। बापदादा ने यह हाल आपके लिए ही बनाया है। आप नहीं होते हो ना तो हाल की रौनक नहीं होती है। (बाबा आते हैं तो रौनक हो जाती है) बाबा आवे और यह नहीं हों तो! (दादी को रौनक चाहिए, अच्छा है।

ओम शान्ति ।


03-02-06   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


"परमात्म प्यार में सम्पूर्ण पवित्रता की ऐसी स्थिति बनाओ जिसमें व्यर्थ का नामनिशान न हो"

आज बापदादा चारों ओर के अपने प्रभु प्यारे बच्चों को देख रहे हैं। सारे विश्व के चुने हुए कोटों में से कोई इस परमात्म प्यार के अधिकारी बनते हैं। परमात्म प्यार ने ही आप बच्चों को यहाँ लाया है। यह परमात्म प्यार सारे कल्प में इस समय ही अनुभव करते हो। और सभी समय आत्माओं का प्यार, महान आत्माओं का, धर्म आत्माओं का प्यार अनुभव किया लेकिन अभी परमात्म प्यार के पात्र बन गये। कोई आपसे पूछे परमात्मा कहाँ है? तो क्या कहेंगे? परमात्म बाप तो हमारे साथ ही है। हम उनके साथ रहते हैं। परमात्मा भी हमारे बिना रह नहीं सकता और हम भी परमात्मा के बिना रह नहीं सकते। इतना प्यार अनुभव कर रहे हो। फलक से कहेंगे वह हमारे दिल में रहता और हम उनके दिल में रहते। ऐसे अनुभवी हैं ना! हैं अनुभवी? क्या दिल में आता? अगर हम नहीं अनुभवी होंगे तो कौन होगा! बाप भी ऐसे प्यार के अधिकारी बच्चों को देख हर्षित होते हैं। परमात्म प्यार की निशानी - जिससे प्यार होता है उसके पीछे सब कुर्बान करने के लिए सहज तैयार हो जाते हैं। तो आप सब भी जो बाप चाहते हैं कि हर एक बच्चा बाप समान बन जाए, हर एक के चेहरे से बाप प्रत्यक्ष दिखाई दे, ऐसे बने हो ना? बापदादा की दिलपसन्द स्थिति जानते हो ना। बाप के दिलपसन्द स्थिति है ही सम्पूर्ण पवित्रता। इस ब्राह्मण जन्म का फाउण्डेशन भी सम्पूर्ण पवित्रता है। सम्पूर्ण पवित्रता की गुण को तो जानते हो? संकल्प और स्वप्न में भी रिंचक मात्र अपवित्रता का नामनिशान न हो। बापदादा आजकल के समय की समीपता प्रमाण बार-बार अटेन्शन खिंचवा रहे हैं कि सम्पूर्ण पवित्रता के हिसाब से व्यर्थ संकल्प, यह भी सम्पूर्णता नहीं है। तो चेक करो व्यर्थ संकल्प चलते हैं? किसी भी प्रकार के व्यर्थ संकल्प सम्पूर्णता से दूर तो नहीं करते? जितना-जितना पुरूषार्थ में आगे बढ़ते जाते हैं, उतना रॉयल रूप के व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ समय तो समाप्त नहीं कर रहे हैं? रॉयल रूप में अभिमान और अपमान व्यर्थ संकल्प के रूप में वार तो नहीं करते? अगर अभिमान रूप में कोई भी परमात्म देन को अपनी विशेषता समझते हैं तो उस विशेषता का भी अभिमान नीचे ले आता है। विघ्न रूप बन जाता है और अभिमान भी सूक्ष्म रूप में यही आता, जो जानते भी हो - मेरापन आया, मेरा नाम, मान, शान होना चाहिए। यह मेरापन अभिमान का रूप ले लेता है। यह व्यर्थ संकल्प भी सम्पूर्णता से दूर कर लेते हैं क्योंकि बापदादा यही चाहते हैं - स्वमान, न अभिमान, न अपमान। यही कारण बनते हैं व्यर्थ संकल्प आने के।

बापदादा हर बच्चे को डबल मालिकपन के निश्चय और नशे में देखने चाहते हैं। डबल मालिकपन क्या है? एक तो बाप के खज़ानों के मालिक और दूसरा स्वराज्य के मालिक। दोनों ही मालिकपन क्योंकि सभी बालक भी हो और मालिक भी हो। लेकिन बापदादा ने देखा बालक तो सभी हैं ही क्योंकि सभी कहते हैं मेरा बाबा। तो मेरा बाबा अर्थात् बालक हैं ही। लेकिन बालक के साथ दोनों प्रकार के मालिक। तो मालिकपन में नम्बरवार हो जाते हैं। मैं बालक सो मालिक भी हूँ। वर्से का खज़ाना प्राप्त है इसलिए बालकपन का निश्चय और नशा रहता है लेकिन मालिकपन का प्रैक्टिकल में निश्चय का नशा उसमें नम्बरवार हो जाते हैं। स्वराज्य अधिकारी मालिक, इसमें विशेष विघ्न डालता है मन। मन के मालिक बन कभी भी मन के परवश नहीं हो। कहते हैं स्वराज्य अधिकारी हैं, तो स्वराज्य अधिकारी अर्थात् राजा हैं, जैसे ब्रह्मा बाप ने हर रोज चेकिंग कर मन के मालिक बन विश्व के मालिक का अधिकार प्राप्त कर लिया। ऐसे यह मन बुद्धि राजा के हिसाब से तो मन्त्री हैं, यह व्यर्थ संकल्प भी मन में उत्पन्न होते हैं, तो मन व्यर्थ संकल्प के वश कर देता है। अगर आर्डर से नहीं चलाते तो मन चंचल बनने के कारण परवश कर लेता है। तो चेक करो। वैसे भी मन को घोड़ा कहते हैं, क्योंकि चंचल है ना। और आपके पास श्रीमत का लगाम है। अगर श्रीमत का लगाम थोड़ा भी ढीला होता है तो मन चंचल बन जाता है। क्यों लगाम ढीला होता? क्योंकि कहाँ न कहाँ साइडसीन में देखने लग जाते हैं। और लगाम ढीला होता तो मन को चांस मिलता है। तो मैं बालक सो मालिक हूँ, इस स्मृति में सदा रहो। चेक करो खज़ाने का भी मालिक तो स्वराज्य का भी मालिक, डबल मालिक हूँ? अगर मालिकपन कम होता है तो कमज़ोर संस्कार इमर्ज हो जाते हैं। और संस्कार को क्या कहते हो? मेरा संस्कार ऐसा है, मेरी नेचर ऐसी है, लेकिन क्या यह मेरा है? कहने में तो ऐसे ही कहते हो, मेरा संस्कार। यह मेरा है? राइट है कहना मेरा संस्कार? राइट है? मेरा है? कि रावण की जायदाद है? कमज़ोर संस्कार रावण की जायदाद है, उसको मेरा कैसे कह सकते हैं। मेरा संस्कार कौन सा है? जो बाप का संस्कार वह मेरा संस्कार। तो बाप का संस्कार कौन सा है? विश्व कल्याण। शुभ भावना, शुभ कामना। तो कोई भी कमज़ोर संस्कार को मेरा संस्कार कहना ही रांग है। और मेरा संस्कार अगर मानो दिल में बिठाया है, अशुद्ध चीज़ बिठा दी है दिल में। मेरी चीज़ से तो प्यार होता है ना। तो मेरा समझने से अपने दिल में जगह दे दी है। इसीलिए कई बार बच्चों को युद्ध बहुत करनी पड़ती है क्योंकि अशुभ और शुभ दोनों को दिल में बिठा दिया है तो दोनों क्या करेंगे? युद्ध ही तो करेंगे! जब यह संकल्प में आता है, वाणी में भी आता है, मेरा संस्कार। तो चेक करो यह अशुभ संस्कार मेरा संस्कार नहीं है। तो संस्कार परिवर्तन करना पड़े।

बापदादा हर एक बच्चे को पदम-पदमगुणा भाग्यवान चलन और चेहरे में देखने चाहते हैं। कई बच्चे कहते हैं भाग्यवान तो बने हैं लेकिन चलते-फिरते भाग्य इमर्ज हो, वह मर्ज हो जाता है और बापदादा हर समय, हर बच्चे के मस्तक में भाग्य का सितारा चमकता हुआ देखने चाहते हैं। कोई भी आपको देखे तो चेहरे से, चलन से भाग्यवान दिखाई दे तब आप बच्चों द्वारा बाप की प्रत्यक्षता होगी क्योंकि वर्तमान समय मैजारिटी अनुभव करने चाहते हैं, जैसे आजकल की साइन्स प्रत्यक्ष रूप में दिखाती है ना! अनुभव कराती है ना! गर्म का भी अनुभव कराती है, ठण्डाई का भी अनुभव कराती है तो साइलेन्स की शक्ति से भी अनुभव करने चाहते हैं। जितना-जितना स्वयं अनुभव में रहेंगे तो औरों को भी अनुभव करा सकेंगे। बापदादा ने इशारा दिया ही है कि अभी कम्बाइन्ड सेवा करो। सिर्फ आवाज से नहीं, लेकिन आवाज के साथ अनुभवीमूर्त बन अनुभव कराने की भी सेवा करो। कोई न कोई शान्ति का अनुभव, खुशी का अनुभव, आत्मिक प्यार का अनुभव..., अनुभव ऐसी चीज़ है जो एक बारी भी अनुभव हुआ तो छोड़ नहीं सकते हैं। सुनी हुई ची ज भूल सकती है लेकिन अनुभव की चीज़ भूलती नहीं है। वह अनुभव कराने वाले के समीप लाती है।

सभी पूछते हैं कि अभी आगे के लिए क्या नवीनता करें? तो बापदादा ने देखा सर्विस तो सभी उमंग-उत्साह से कर रहे हो, हर एक वर्ग भी कर रहा है। आज भी बहुत वर्ग इकट्ठे हुए है नाक| मेगा प्रोग्राम भी कर लिया, सन्देश तो दे दिया, अपना उलाहना निकाल लिया, इसकी मुबारक हो। लेकिन अब तक यह आवाज नहीं फैला है कि यह परमात्म ज्ञान है। ब्रह्माकुमारियाँ कार्य अच्छा कर रही हैं, ब्रह्माकुमारियों का ज्ञान बहुत अच्छा है लेकिन यही परमात्म ज्ञान है, परमात्म कार्य चल रहा है यह आवाज फैले। मेडीटेशन कोर्स भी कराते हो, आत्मा का परमात्मा से कनेक्शन भी जोड़ते हो लेकिन अब परमात्म कार्य स्वयं परमात्मा करा रहा है, यह बहुत कम अनुभव करते हैं। आत्मा और धारणायें यह प्रत्यक्ष हो रहा है, अच्छा कार्य कर रहे हैं, अच्छा बोलते हैं, अच्छा सिखाते हैं, यहाँ तक ठीक है। नॉलेज अच्छी है इतना भी कहते हैं लेकिन परमात्म नॉलेज है... यह आवाज बाप के नजदीक लायेगा और जितना बाप के नजदीक आयेंगे उतना अनुभव स्वत: ही करते रहेंगे। तो ऐसा प्लैन और भाषणों में ऐसा कुछ जौहर भरो, जिसमें परमात्मा के नजदीक आ जायें। दिव्यगुणों की धारणा इसमें अटेन्शन गया है, आत्मा का ज्ञान देते हैं, परमात्मा का ज्ञान देते हैं, यह कहते हैं लेकिन परमात्मा आ चुका है, परमात्म कार्य स्वयं परमात्मा चला रहा है, यह प्रत्यक्षता चुम्बक की तरह समीप लायेगी। आप लोग भी समीप तब आये जब समझा बाप मिला है, बाप से मिलना है। स्नेही मैजॉरिटी बनते हैं, वह क्या समझके? कार्य बहुत अच्छा है। जो कार्य कर रही हैं ब्रह्माकुमारियाँ, वह कार्य कोइ और कर नहीं सकता, परिवतर्न् कराती हैं। लेकिन परमात्मा बोल रहा है, परमात्मा से वर्सा लेना है, इतना नजदीक नहीं आते। क्योंकि अभी जो पहले समझते नहीं थे कि ब्रह्माकुमारियाँ क्या करती हैं, क्या इन्हों की नॉलेज है, वह समझने लगे हैं। लेकिन परमात्म प्रत्यक्षता, अगर समझ सकते कि परमात्मा का ज्ञान है तो रूक सकते हैं क्या। जैसे आप भागकर आ गये हो ना, ऐसे भागेंगे। तो अभी ऐसा प्लैन बनाओ, ऐसे भाषण तैयार करो, ऐसे परमात्म अनुभूति के प्रैक्टिकल सबूत बनो। तभी बाप की प्रत्यक्षता प्रैक्टिकल में दिखाई देगी। अभी अच्छा है यहाँ तक पहुंचे हैं, अच्छा बनना है, वह लहर परमात्म प्यार की अनुभूति से होगी। तो अनुभवी मूर्त बन अनुभव कराओ। अच्छा। अभी डबल मालिकपन की स्मृति से समर्थ बन समर्थ बनाओ। अच्छा अभी क्या करना है?

सेवा का टर्न पंजाब जोन का है:- हाथ हिलाओ। अच्छा है जिस भी जोन को टर्न मिलता है वह खुली दिल से आ जाते हैं। अच्छा चांस ले लेते हैं। बापदादा को भी खुशी होती है कि हर एक जोन सेवा का चांस अच्छा ले लेते हैं। पंजाब को सभी कामन रीति से शेर कहते हैं, पंजाब शेर। और बापदादा कहते हैं शेर अर्थात् विजयी। तो सदा पंजाब वालों को अपने मस्तक के बीच विजय का तिलक अनुभव करना है। विजय का तिलक मिला हुआ है। यह सदा स्मृति रहे हम ही कल्प कल्प के विजयी हैं। थे, हैं और कल्प-कल्प बनेंगे। अच्छा है। पंजाब भी वारिस क्वालिटी को बाप के आगे लाने का प्रोग्राम बना रहे हैं ना! अभी बापदादा के आगे वारिस क्वालिटी लाई नहीं है। स्नेही क्वालिटी लाई है, सभी जोन ने स्नेही सहयोगी क्वालिटी लाई है लेकिन वारिस क्वालिटी नहीं लाये हैं। तैयारी कर रहे हैं ना! सब प्रकार के चाहिए ना। वारिस भी चाहिए, स्नेही भी चाहिए, सहयोगी भी चाहिए, माइक भी चाहिए, माइट भी चाहिए। सब प्रकार के चाहिए। अच्छा है, सेन्टरों में वृद्धि तो हो रही है। हर एक उमंग-उत्साह से सेवा में वृद्धि कर भी रहे हैं, अभी देखेंगे कि किस जोन में यह प्रत्यक्ष होता है - परमात्मा आ चुका है। बाप को प्रत्यक्ष कौन सा जोन करता है, वह बापदादा देख रहे हैं। फॉरेन करेगा? फॉरेन भी कर सकता है। पंजाब नम्बर ले लो। ले लो अच्छा है। सब सहयोग देंगे आपको। बहुत समय से प्रयत्न कर रहे हैं, यही है, यही है, यही है, यह आवाज फैलाने का। अभी है यह भी है, यही है नहीं है। तो पंजाब क्या करेगा? यह आवाज आ जाये यही है, यही है...। ठीक है टीचर्स? कब तक करेंगे? इस साल में करेंगे? नया साल शुरू हुआ है ना! तो नये साल में कोई नवीनता होनी चाहिए ना! यह भी है, यह तो बहुत सुन लिया। जैसे आपके मन में बस बाबा, बाबा, बाबा स्वत: याद रहता है ऐसे उनके मुख से निकले हमारा बाबा आ गया। वह भी सभी मेरा बाबा, मेरा बाबा, यह आवाज चारों कोनों से निकले, लेकिन शुरूआत तो एक कोने से होगी ना। तो पंजाब कमाल करेगा? क्यों नहीं करेंगे। करना ही है। बहुत अच्छा। इन एडवांस मुबारक हो। अच्छा।

इस ग्रुप में 6 वर्गो की मीटिंग चल रही है:- (साइंस एण्ड इंजीनियर विंग, बिजनेस विंग, धार्मिक प्रभाग, समाज सेवा प्रभाग, मीडिया प्रभाग, सुरक्षा प्रभाग) सभी उठो। (सभी अपने-अपने प्रभाग का बैनर दिखा रहे हैं) अच्छा सब बिजी हो गये हो तो सेवा में बिजी रहने की मुबारक हो। हर एक अपनी-अपनी विधि अपना रहे हैं। देखो, साइस्ं इंजनियर का बैनर देख रहे हैं, लेकिन कमाल यह है जैसे साइंस प्रत्यक्ष प्रमाण दिखा रही है, ऐसे साइलेन्स पावर। ऐसा प्रैक्टिकल में अनुभव फैलाओ जो हर एक के मुख से निकले कि साइंस तो साइंस है लेकिन साइलेन्स अपरमअपार है क्योंकि धर्मवाले आरै साइंसवाले दोनों को प्रैक्टिकल में साइलेन्स का चमत्कार नहीं लेकिन साइलेन्स का कार्य सिद्ध करके दिखाना पड़ेगा। धर्म वालों को प्रैक्टिकल में एक परमात्मा है और परमात्मा का कार्य चल रहा है यह सिद्ध करके दिखाना पड़ेगा। अनेक तरफ से बुद्धि हटकर एक तरफ लग जाए। एकाग्र बुद्धि हो जाए। जो भी विंग हैं, बापदादा ने कह दिया कि काम तो सभी कर रहे हैं, प्लैन भी अच्छे अच्छे बनाते हैं लेकिन अभी समय की रफ्तार तेज जा रही है तो समय के प्रमाण अभी ऐसा कोई प्लैन बनाओ जो सबकी बुद्धि में परमात्मा के सिवाए कुछ सूझे नहीं, मैजारिटी के मुख से बाबा, बाबा निकले। प्लैन भी अच्छे बनाये हैं, बापदादा ने सुने हैं। लेकिन अभी फास्ट करना पड़ेगा। साइन्स भी देखो, समय को, चीजों को बिल्कुल सूक्ष्म बनाती जाती है ना। तो साइलेन्स पावर कितना शक्तिशाली बना रही है यह अनुभव कराओ। जो भी वर्ग आये हैं, सभी को बापदादा मुबारक दे रहे हैं। वैसे तो मीडिया और मेडिकल यह भी आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा ने सुना तो मीडिया भी विस्तार को प्राप्त कर रही है लेकिन मीडिया के लिए भी सुनाया था तो जिसके हाथ में अखबार आये, जिसके रेडियो का स्विच खुले, टी.वी. का स्विच खुले, आवाज आये हमारा बाबा आ गया। ऐसे नहीं और वर्ग नहीं कर रहे हैं, सब कर रहे हैं लेकिन बापदादा देख रहे हैं लेकिन कौन सा वर्ग नम्बरवन निमित्त बनता है। कौन सा जोन नम्बरवन निमित्त बनता है। चलो और तो छोड़ो लेकिन जहाँ भी प्रोग्राम करते हैं वह प्रोग्राम वाले ही सभी कहें कि बाबा आ गया, यह तो शुरू हो कि आप कहेंगे, हम अभी पुरूषार्थ कर रहे हैं, सम्पन्न बन जायेंगे जल्दी जल्दी तो यह कार्य भी हो जायेगा क्योंकि कनेक्शन है, आपका सम्पन्न बनना और प्रत्यक्षता का झण्डा लहरना। तो बापदादा ने सुनाया कि अभी वेस्ट थॉट्स यह अभी भी चलते हैं, रॉयल रूप में भी चलते, साधारण रूप में भी चलते हैं, सभी मन के मालिक बन जायें, परमात्म बालक सो मालिक। अच्छा मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

डबल विदेशी:- बापदादा कहते हैं कि डबल फॉरेनर्स सबसे पहले तो मधुबन का बहुत बढ़िया श्रृंगार हैं। कितना अच्छा लगता है। देश विदेश एक मत होके एकाग्र बुद्धि से विश्व सेवा कर रहे हैं। एक ही स्टेज पर सब इन्टरनेशनल हैं, काले भी तो गोरे भी, सांवले भी, सब प्रकार के एक स्टेज पर बैठते हैं। और सब एक बाप दूसरा न कोई, है? दूसरा है? व्यर्थ संकल्प हैं तो भी दूसरा है। आज बापदादा सब संकल्प की विधि को एक शुभ संकल्प बनाने चाहते हैं क्योंकि मन के संकल्प में बहुत समय से जो कमज़ोरी चलती है वह बहुत कारण से मन बुद्धि को भी सहयोगी बना देता है और मन बुद्धि में जो भी संकल्प चलता रहता है कमज़ोरी का, वह संस्कार बन जाता है। क्योंकि बहुत समय चलता है ना तो वह संस्कार का रूप हो जाता है। लेकिन मेरा संस्कार अभी कभी नहीं कहना, अगर मेरा संस्कार कहेंगे ना तो बापदादा और ब्राह्मण समझेंगे कि इसको रावण की जायदाद से प्यार है। तो डबल विदेशियों ने तो विदाई दे दी है ना! दे दी? व्यर्थ स्टॉप। समर्थ बाप, समर्थ हम, व्यर्थ खत्म। ठीक है ना - फारेनर्स की एक विशेषता है जो बाप को अच्छी लगती है, वह क्या है? अन्दर नहीं रखते हैं, सब बोल देते हैं, छिपाते नहीं है, मैजारिटी। मैजारिटी ऐसे हैं। और जो संकल्प किया दृढ़, उसको प्रैक्टिकल में लाने की भी आदत है इसीलिए डबल फॉरेनर्स शुरू करो दृढ़ संकल्प, वेस्ट खत्म, बेस्ट। ठीक है? करेंगे डबल फॉरेनर्स? करेंगे? आप में संस्कार रूप में भी है, जो संकल्प किया वह करके दिखाते हो। तो सारे फॉरेन में वेस्ट का नाम निशान न हो, न वेस्ट टाइम, न वेस्ट बोल, न वेस्ट संकल्प, न वेस्ट कर्म, न वेस्ट सम्बन्ध-सम्पर्क। ठीक है? पसन्द है? अच्छा। तो कब रिजल्ट यह आयेगी? एक्जैम्पुल बनेंगे ना! तो कब तक रिजल्ट आयेगी? कब तक यह रिजल्ट आयेगी? तीन मास में या साल में? क्या सोचती हैं? टीचर्स क्या सोचती हैं? (दादी जानकी कह रही हैं अभी शिवरात्रि आ रही है, अभी-अभी करेंगे, बाबा ने कहा, हो गया) अच्छा है देखो दृढ़संकल्प रखेंगे, करना ही है, कुछ भी हो जाए, करना ही है। (सभी कह रहे हैं शिवजयन्ती तक हो जायेगा) मुबारक हो लाख, लाख मुबारक हो। बहुत अच्छा आप सभी के मुख में गुलाबजामुन। अच्छा। जो भी उमंग-उत्साह से आगे बढ़ने चाहे वह बढ़ सकता है। ऐसे नहीं डबल फारेनर्स ने हाथ उठाया और आप सभी क्या करेंगे? इन्डिया वाले क्या करेंगे? नम्बरवन तो लेना चाहते हैं ना! सभी के दिल में यह उमंग आना चाहिए कि हमने कहा नहीं है लेकिन करके दिखायेंगे। तो इन्डिया वाले ऐसे करेंगे? हिम्मत दिखायेंगे? हिम्मत दिखायेंगे?पहली लाइन हाथ नहीं उठा रही है। हाँ मधुबन वाले भी करेंगे? मधुबन वाले बड़ा हाथ उठाओ।

मधुबन वालों के लिए बापदादा कहते हैं जो चुल पर सो दिल पर, मधुबन वालों को बहुत बड़ी लिफ्ट है। लिफ्ट पर अगर चढ़ने चाहो तो बहुत जल्दी सम्पन्न बन सकते हो। लोग तो मधुबन में आते हैं, आप मधुबन में रहते हैं। सिर्फ अलबेले नहीं बनना बस। लिफ्ट को छोड़कर सीढ़ी नहीं चढ़ो, लिफ्ट में चढ़ो। बाकी बापदादा मधुबन वालों को हर सीजन की मुबारक देते हैं। सेवा अच्छी करते हैं। लेकिन.. लेकिन है। कहें लेकिन वाला, कि प्राइवेट कहें? मधुबन वाले समझदार बहुत हैं, समझ तो गये हैं अन्दर में, इसीलिए कहते नहीं हैं। देखो, मधुबन वालों को हर साल, हर सीजन में सम्मुख मुरली सुनने का मिलता है, औरों को नहीं मिलता है। तो मधुबन वाले सभी को मुस्कराके मिलते अपने चेहरे से बाप को प्रत्यक्ष कर सकते हैं। जो मेरा बाबा कहते हैं ना, वह मेरे बाबा का चेहरे से चलन से दिखाई दे। कर भी रहे हैं, ऐसे नहीं है नहीं कर रहे हैं, कर रहे हैं। अभी और थोड़ा फास्ट करना है, बाकी कर भी रहे हैं। मधुबन का नाम सुनके जहाँ भी जाते हो ना, मधुबन वाले हैं, मधुबन वाले हैं। देखो, कितना रिगार्ड से देखते हैं। मधुबन से प्यार है, तो मधुबन निवासियों से भी प्यार है। तो अच्छा आज तो मिल लिया ना मधुबन वालों से। आज किसने कहा था मधुबन वालों से मिलना है, तो बापदादा मिला ना। तो बापदादा मिला? अच्छा।

सभी तरफ के सर्व रूहानी, गुलाब बच्चों को सदा बाप के अति प्यारे और देहभान से अतिन्यारे, बापदादा के दिल के दुलारे बच्चों को, सदा एक बाप, एकाग्र मन और एकरस स्थिति में स्थित रहने वाले बच्चों को, चारों ओर के भिन्न-भिन्न समय पर भिन्न-भिन्न स्थान में रहते भी साइंस के साधनों से मधुबन में पहुँचने वाले, सम्मुख देखने वाले, सभी लाडले, सिकीलधे, कल्प-कल्प के परमात्म प्यार के पात्र अधिकारी बच्चों को बापदादा का यादप्यार और दिल की दुआयें, पदम-पदम गुणा स्वीकार हो और साथ में डबल मालिक बच्चों को बापदादा की नमस्ते।

दादी जी से:- मधुबन का हीरो एक्टर है, सदा जीरो याद है। शरीर भले नहीं चलता, थोड़ा धीरे-धीरे चलता लेकिन सभी का प्यार और दुआयें चला रही हैं। बाप की तो हैं ही लेकिन सभी की हैं। सभी दादी को बहुत प्यार करते हो ना! देखो सभी यही कहते हैं कि दादियां चाहिए, दादियां चाहिए, दादियां चाहिए...। तो दादियों की विशेषता क्या है? दादियों की विशेषता है बाप की श्रीमत पर हर कदम उठाना। मन को भी बाप की याद और सेवा में समर्पण करना। आप सभी भी ऐसे ही कर रहे हो ना! मन को समर्पण करो। बापदादा ने देखा है, मन बड़ी कमाल करके दिखाता है। कमाल क्या करता है? चंचलता करता है। मन एकाग्र हो जाए, जैसे झण्डा ऊपर करते हो ना, ऐसे मन का झण्डा शिव बाबा, शिवबाबा में एकाग्र हो जाए, आ रहा है, समय समीप आ रहा है। कभी-कभी बापदादा बच्चों के संकल्प बहुत अच्छे-अच्छे सुनते हैं। सबका लक्ष्य बहुत अच्छा है। अच्छा। दादियाँ बहुत थोड़ी सी रह गई हैं। गिनी चुनी हुई दादियां रह गई हैं। दादियों से प्यार है ना सबको। अच्छा। (सब दादियाँ ऐसे ही चलती रहें) अभी तो हैं ही ना, अभी तो क्वेश्चन ही नहीं। अच्छा। देखो हाल की शोभा कितनी अच्छी है। माला लगती है ना! और माला के बीच में मणके बैठे हैं। अच्छा।


31-12-05   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


"नये वर्ष में अपने पुराने संस्कारों को योग अग्नि में भस्म कर ब्रह्मा बाप समान त्याग, तपस्या और सेवा में नम्बरवन बनो"

आज बापदादा चारों ओर के चाहे सम्मुख हैं, चाहे दूर बैठे दिल के समीप हैं, सर्व को तीन मुबारक दे रहे हैं। एक नवजीवन की मुबारक है, दूसरी नवयुग की मुबारक है और तीसरी आज के दिन वर्ष की मुबारक है। आप सभी भी नये वर्ष की मुबारक देने और मुबारक लेने आये हो। वास्तव में सच्ची दिल के खुशी की मुबारकें आप ब्राह्मण आत्मायें लेते भी हो, देते भी हो। आज के दिन का महत्व है। विदाई भी है और बधाई भी है। विदाई और बधाई का संगमयुग है। आज के दिन को कहेंगे संगम का दिन है। संगम की महिमा बहुत बड़ी है। आप सभी जानते हो कि संगमयुग की महिमा के कारण आजकल पुराने और नये वर्ष के संगम को कितना धूमधाम से मनाते हैं। संगमयुग की महिमा के कारण ही इस पुराने नये वर्ष के संगम की महिमा है। जहाँ दो नदियां मिलती हैं, संगम होता है, उनकी भी महिमा है। जहाँ नदी सागर का संगम होता है उसकी भी महिमा है। लेकिन सबसे बड़ी महिमा इस संगमयुग की है, पुरूषोत्तमयुग की है, जहाँ आप ब्राह्मण भाग्यवान आत्मायें बैठे हो। यह नशा है ना ! अगर आपसे कोई पूछे आप किस समय पर हो? क्या कलियुग में रहते हो, सतयुग में रहते हो? तो क्या फलक से कहेंगे? हम इस समय पुरूषोत्तम संगमयुग में रहते हैं। आप कलियुगी नहीं हो, संगमयुगी हो। और इस संगमयुग की विशेष महिमा क्यों है? क्योंकि भगवान और बच्चों का मिलन होता है, मेला होता है, मिलन होता है, जो किसी भी युग में नहीं होता। तो मेला मनाने आये हो ना ! आप कहाँ-कहाँ से आये हो मिलन मेला मनाने के लिए। कभी स्वप्न में भी सोचा था कि ड्रामा में मुझ आत्मा का ऐसा भी भाग्य नूंधा हुआ है। था और है - आत्मा का परमात्मा से मिलने का। बाप भी हर एक बच्चे के भाग्य को देख हर्षित होते हैं। वाह! भाग्यवान बच्चे वाह! अपने भाग्य को देख दिल में अपने प्रति वाह! मैं वाह! वाह! मेरा भाग्य वाह ! वाह! मेरा बाबा वाह ! वाह ! मेरा ब्राह्मण परिवार वाह ! यह वाह, वाह के गीत ऑटोमेटिक दिल में गाते रहते हो ना।

तो आज इस संगम के समय अपने अन्दर सोच लिया है कि किस-किस बातों को विदाई देनी है? सोचा है सभी ने? सदाकाल के लिए विदाई देनी है क्योंकि सदाकाल के लिए विदाई देने से सदाकाल की बधाईयाँ मना सकेंगे। ऐसी बधाई दो जो आपके चेहरे को देख जो भी आत्मा सामने आये वह भी बधाईयां प्राप्त कर खुश हो जाए। जो दिल से बधाई देते हैं वा लेते हैं वह सदा ही कैसे दिखाई देते हैं? संगमयुगी फरिश्ता। सभी का यही पुरूषार्थ है ना- ब्राह्मण सो फरिश्ता और फरिश्ता सो देवता। क्योंकि बाप को सब प्रकार के संकल्प वा जो भी कुछ प्रवृत्ति का, कर्म का बोझ है वह दे दिया है ना। बोझ दिया है या थोड़ा सा रह गया है? क्योंकि थोड़ा भी बोझ फरिश्ता बनने नहीं देगा और जब बाप आये हैं बच्चों का बोझ लेने के लिए तो बोझ देना मुश्किल है क्या! मुश्किल है या सहज है? जो समझते हैं बोझ दे दिया है वह हाथ उठाओ। दे दिया है? देखना सोच के हाथ उठाना। बोझ दे दिया है? अच्छा। दे दिया है? मुबारक हो। दे दिया है तो बहुत मुबारक हो। और जिन्होंने नहीं दिया है वह किसलिए रखा है? बोझ से प्रीत है क्या? बोझ अच्छा लगता है? देखो बापदादा हर बच्चे को क्या कहते हैं? ओ मेरे बेफिकर बादशाह बच्चे। तो बोझ का फिकर होता है ना! तो बोझ लेने के लिए बाप आये हैं क्योंकि 63 जन्म से बाप देख रहे हैं बोझ उठाते-उठाते सभी बच्चे बहुत भारी हो गये हैं। इसलिए जब बाप बच्चों को प्यार से कह रहे हैं बोझ दे दो। फिर भी क्यों रख लिया है? अच्छा लगता है बोझ? सबसे सूक्ष्म बोझ है पुराने संस्कार का। बापदादा ने हर बच्चे के इस वर्ष का, क्योंकि वर्ष पूरा हो रहा है ना, तो इस वर्ष का चार्ट देखा। आप सबने भी अपना-अपना वर्ष का चार्ट चेक किया होगा? तो बापदादा ने क्या देखा कि कई बच्चों को इस पुराने संसार की आकर्षण कम हुई है? पुराने सम्बन्ध की भी आकर्षण कम हुई है लेकिन पुराने संस्कार, उसका बोझ मैजारिटी में रहा हुआ है। किसी न किसी रूप में चाहे मन्सा अशुद्ध संकल्प नहीं लेकिन व्यर्थ संकल्प का संस्कार अभी भी परसेन्ट में दिखाई देता है। वाचा में भी दिखाई देता है। सम्बन्ध-सम्पर्क में भी कोई न कोई संस्कार अभी भी दिखाई देता है। तो आज बापदादा सभी बच्चों को मुबारक के साथ-साथ यही इशारा देते हैं कि यह रहा हुआ संस्कार समय पर धोखा देता भी है और अन्त में भी धोखा देने के निमित्त बन जायेगा। इसीलिए आज संस्कार का संस्कार करो। हर एक अपने संस्कार को जानता भी है, छोड़ने चाहता भी है, तंग भी है, लेकिन सदा के लिए परिवर्तन करने में तीव्र पुरूषार्थी नहीं हैं। पुरूषार्थ करते हैं लेकिन तीव्र पुरूषार्थी नहीं हैं। कारण? तीव्र पुरूषार्थ क्यों नहीं होता? कारण यही है, जैसे रावण को मारा भी लेकिन सिर्फ मारा नहीं, जलाया भी। ऐसे मारने के लिए पुरूषार्थ करते हैं, थोड़ा बेहोश भी होता है संस्कार, लेकिन जलाया नहीं तो बेहोशी से बीच-बीच में उठ जाता है। इसके लिए पुराने संस्कार का संस्कार करने के लिए इस नये वर्ष में योग अग्नि से जलाने का दृढ़ संकल्प का अटेन्शन रखो। कहते हैं ना क्या करना है इस नये वर्ष में? सेवा की तो बात अलग है लेकिन पहले स्वयं की बात है योग लगाते हो, बापदादा बच्चों को योग में अभ्यास करते हुए देखते हैं। अमृतवेले भी बहुत पुरूषार्थ करते हैं लेकिन योग तपस्या, तप के रूप में नहीं करते हैं। प्यार से याद जरूर करते हैं, रूहरिहान भी बहुत करते हैं, शक्ति भी लेने का अभ्यास करते हैं लेकिन याद को इतना पावरफुल नहीं बनाया, जो जो संकल्प करो विदाई, तो विदाई हो जाए। योग को योग अग्नि के रूप में कार्य में नहीं लगाते। इसलिए योग को पावरफुल बनाओ। एकाग्रता की शक्ति विशेष संस्कार भस्म करने में आवश्यक है। जिस स्वरूप में एकाग्र होने चाहो, जितना समय एकाग्र होने चाहो, ऐसी एकाग्रता संकल्प किया और भस्म। इसको कहा जाता है योग अग्नि। नामनिशान समाप्त। मारने में फिर भी लाश तो रहता है ना। भस्म होने के बाद नामनिशान खत्म। तो इस वर्ष योग को पावरफुल स्टेज में लाओ। जिस स्वरूप में रहने चाहो मास्टर सर्वशक्तिवान, आर्डर करो, समाप्त करने की शक्ति आपके आर्डर से नहीं माने, यह हो नहीं सकता। मालिक हो। मास्टर कहलाते हो ना ? तो मास्टर आर्डर करे और शक्ति हाजिर नहीं हो तो क्या वह मास्टर है? तो बापदादा ने देखा कि पुराने संस्कार का कुछ न कुछ अंश अभी भी रहा हुआ है और वह अंश बीच-बीच में वंश भी पैदा कर देता है, जो कर्म तक भी काम हो जाता है। युद्ध करनी पड़ती है। तो बापदादा को बच्चों का समय प्रमाण युद्ध का स्वरूप भाता नहीं है। बापदादा हर बच्चे को मालिक के रूप में देखने चाहता। आर्डर करो जी हजूर।

तो सुना इस वर्ष स्व के प्रति क्या करना है? शक्तिशाली, बेफिकर बादशाह क्योंकि सभी का लक्ष्य है, किसी से भी पूछो तो क्या कहते हैं? हम विश्व का राज्य प्राप्त करेंगे, राज्य अधिकारी बनेंगे। अपने को राजयोगी कहलाते हैं। प्रजायोगी है क्या? कोई है सारी सभा में जो प्रजायोगी हो? है? जो प्रजा योगी हो राजयोगी नहीं हो। टीचर्स कोई है? आपके सेन्टर पर कोई प्रजायोगी है? कहलाते तो सब राजयोगी हैं। हाथ कोई नहीं उठाता प्रजा योगी में। अच्छा नहीं लगता ना। और बाप को भी फखुर है। बापदादा फखुर से कहते हैं कि संगम पर भी हर बच्चा राजा बच्चा है। कोई बाप ऐसे फलक से नहीं कह सकता कि मेरा एक-एक बच्चा राजा है। लेकिन बापदादा कहते हैं कि हर एक बच्चा स्वराज्य अधिकारी राजा है। प्रजायोगी में तो हाथ नहीं उठाया ना, तो राजा हो ना! लेकिन ऐसा ढीलाढाला राजा नहीं बनना जो आर्डर करो और आवे नहीं। कमज़ोर राजा नहीं बनना। पीछे वाले कौन हो? जो समझते हैं राजयोगी हैं वह हाथ उठाओ। ऊपर भी बैठे हैं, (गैलरी में, आज हॉल में 18 हजार भाई-बहनें बैठे हैं) बापदादा देख रहे हैं, हाथ उठाओ ऊपर वाले। तो अभी यह लास्ट टर्न में शुरू हो जायेगा। तो तीन मास बापदादा देते हैं, ठीक है देवें। होमवर्क देंगे। क्योंकि यह बीच-बीच का होमवर्क भी लास्ट पेपर में जमा होगा। तो तीन मास में हर एक अपना चार्ट चेक करना तो मैं मास्टर सर्वशक्तिवान होकर किसी भी कर्मेन्द्रिय को, किसी भी शक्ति को जब आर्डर करें, जो आर्डर करें वह प्रैक्टिकल में आर्डर माना या नहीं माना? कर सकते हो? पहली लाइन वाले कर सकते हो? हाथ उठाओ। अच्छा। तीन मास कोई भी पुराना संस्कार वार नहीं करे। अलबेले नहीं बनना, रॉयल अलबेलापन नहीं लाना, हो जायेगा। बापदादा से बहुत मीठी मीठी बातें करते हैं, कहते हैं बाबा आप फिकर नहीं करो, हो जाऊँगा। बापदादा क्या करेगा? सुनकर मुस्कुरा देता है। लेकिन बापदादा इन तीन मास में अगर ऐसी बात की तो मानेगा नहीं। मंजूर है। हाथ उठाओ। दिल से हाथ उठाना, सभा के कारण हाथ नहीं उठाना। करना ही है, चाहे कुछ भी सहन करना पड़े, कुछ छोड़ना पड़े, कोई हर्जा नहीं। करना ही है। पक्का? पक्का? पक्का? टीचर्स करना है? अच्छा, यह ताज वाले बच्चे क्या करेंगे? ताज तो अच्छा पहन लिया है? करना पड़ेगा। अच्छा। देखना बच्चे हाथ उठा रहे हैं। अगर नहीं करेंगे तो क्या करें? वह भी बता दो। फिर बापदादा की सीजन में एक बार आने नहीं देंगे क्योंकि बापदादा देख रहे हैं कि समय आपका इन्तजार कर रहा है। आप समय का इन्तजार करने वाले नहीं हो, आप इन्तजाम करने वाले हो, समय आपका इन्तजार कर रहा है। प्रकृति भी, सतोप्रधान प्रकृति आपका आह्वान कर रही है। तो तीन मास में अपनी शक्तिशाली स्टेज में रहे हुए संस्कार को परिवर्तन करना। अगर तीन मास अटेन्शन रखा ना तो उसका आगे भी अभ्यास हो जायेगा। एक बारी विधि आ गई ना परिवर्तन की तो काम में आयेगा बहुत। समय का आप इन्तजार नहीं करो, कब विनाश होगा, कब विनाश होगा, सब रूहरिहान में पूछते हैं, बाहर से नहीं बोलते लेकिन अन्दर बात करते हैं पता नहीं कब विनाश होगा, दो साल में होगा 10 साल में होगा, कितना साल में होगा? आप क्यों समय का इन्तजार करो, समय आपका इन्तजार कर रहा है। बाप से पूछते हैं तारीख बता दो, थोड़ा सा वर्ष बता दो, 10 वर्ष लगेंगे, 20 वर्ष लगेंगे, कितना वर्ष लगेंगे?

बापदादा बच्चों से प्रश्न पूछते हैं कि आप सब बाप समान बन गये हो? पर्दा खोलें कि पर्दा खोलेंगे तो कोई कंघी कर रहा है, कोई फेस को क्रीम लगा रहा है, अगर एवररेडी हो, संस्कार समाप्त हो गये तो बापदादा को पर्दा खोलने में क्या देरी लगेगी। एवररेडी तो हो जाओ ना! हो जायेंगे, हो जायेंगे कहके बाप को बहुत समय खुश किया है। अभी ऐसा नहीं करना। होना ही है, करना ही है। बाप समान बनना है इसमें तो सभी हाथ उठा देते हैं, उठाने की जरूरत नहीं। ब्रह्मा बाप ने देखो साकार में तो ब्रह्मा बाप को फालो करना है ना! ब्रह्मा बाप ने त्याग, तपस्या और सेवा लास्ट घड़ी तक साकार रूप में प्रैक्टिकल दिखाया। अपनी ड्युटी शिव बाप द्वारा महावाक्य उच्चारण की ड्युटी लास्ट दिन तक निभाई। याद है ना? लास्ट मुरली। तीन शब्द का वरदान, याद है? जिसको याद है वह हाथ उठाओ।

अच्छा सभी को याद है, मुबारक हो। त्याग भी लास्ट दिन तक किया, अपना पुराना कमरा नहीं छोड़ा। बच्चों ने कितना प्यार से ब्रह्मा बाप को कहा लेकिन बच्चों के लिए बनाया, स्वयं नहीं यूज किया। और सदा अढ़ाई तीन बजे उठकर स्वयं प्रति तपस्या की, संस्कार भस्म किये तब कमार्कतीत अव्यक्त बने, फरिश्ता बने। जो सोचा वह करके दिखाया। कहना, सोचना और करना तीनों समान। फालो फादर। लास्ट तक अपने कर्तव्य में पूर्ण रहे, पत्र भी लिखे, कितने पत्र लिखे? सेवा भी नहीं छोड़ी। फॉलो फादर। अखण्ड महादानी, महादानी नहीं, अखण्ड महादानी का प्रैक्टिकल रूप दिखाया, अन्त तक। लास्ट तक बिना आधार के तपस्वी रूप में बैठे। अभी बच्चे तो आधार लेते हैं ना, बैठने का। लेकिन ब्रह्मा बाप ने आदि से अन्त तक तपस्वी रूप रखा। आंखों में चश्मा नहीं डाला। यह सूक्ष्म शक्ति है। निराधार। शरीर पुराना है, दिनप्रतिदिन प्रकृति हवा पानी दूषित हो रहा है इसलिए बापदादा आपको कहते नहीं हैं, क्यों आधार लेते हो, क्यों चश्मा पहनते हो, पहनो भले पहनो, लेकिन शक्तिशाली स्थिति जरूर बनाओ। सारी विश्व का कार्य समाप्त किया है? बापदादा आपसे प्रश्न पूछता है, आप सभी सन्तुष्ट हो कि विश्व कल्याण का कार्य पूरा हो गया है? है, जो समझते हैं कि विश्व कल्याण का कार्य समाप्त हो गया है, वह हाथ उठाओ। एक भी नहीं? तो कैसे कहते हो विनाश होगा? काम तो पूरा किया नहीं।

सभी पूछते हैं नये वर्ष में क्या करें? क्वेश्चन है। बापदादा कहते हैं सन्देश देने के मेगा प्रोग्राम तो बहुत किये हैं, बापदादा मुबारक देते हैं, किया है अच्छा किया है लेकिन सन्देश दिया है, अनुभव नहीं कराया है। इसके लिए जैसे अभी जहाँ तहाँ एक दो को उमंग उत्साह दिलाते या उमंग-उत्साह देखकरके भी उमंग-उत्साह से किया है, रिजल्ट भी अच्छी है लेकिन अब ऐसा प्लैन बनाओ जिसमें रॉयल प्रजा तो बन जाये। रॉयल प्रजा अर्थात् नजदीक कनेक्शन में आने वाले। सम्बन्ध-सम्पर्क में हैं, पहले तो 9 लाख तैयार करो, अभी 9 लाख हो गये हैं? हुए हैं? 9 लाख हुए हैं? कौन लिस्ट निकालता है? (लिस्ट अभी आयेगी, पिछले साल की 8 लाख 12 हजार है) लेकिन 9 लाख अगर तैयार हुए हैं तो किस प्रकार के तैयार हुए हैं, क्या नजदीक रॉयल प्रजा के योग्य हैं? यह भी तो चेक करना पड़ेगा ना। अच्छा, अभी पोतामेल निकालना। एक तो 9 लाख पहले जन्म की प्रजा, रॉयल फैमिली तो चाहिए ना। अगर विनाश कल कर दें तो रॉयल प्रजा तैयार है? है तैयार? कि तैयार करना पड़ेगा? ऐसे मिलायेंगे तो मिल भी जायेंगे 9 लाख, लेकिन क्वालिटी भी चाहिए, संबंध सम्पर्क वाले मिलायेंगे तो 9 लाख हो जायेगा। लेकिन बापदादा कहते हैं पहले जन्म वाली प्रजा तो अच्छे नम्बर वाली होगी ना। क्योंकि उन्हों को भी सब वन वन नम्बर मिलना है, वन नम्बर तारीख वन होगी, संवत वन होगा, राजाई वन होगी, तो ऐसी क्वालिटी पहले यह चेक करो 9 लाख तैयार हैं? रॉयल प्रजा तैयार है? रॉयल फैमिली तो तैयार होनी चाहिए। है भी, थोड़ा सिर्फ इस वर्ष में संस्कार को खत्म करना। बापदादा का यह संकल्प है कि हर सेन्टर इस योग अभ्यास का आफीशल प्रोग्राम अपने अपने सेन्टर में रखे और लक्ष्य रखे एक ही तारीख पर देश विदेश का समय मिलाकर अखबार में निकले कि ब्रह्माकुमारियों के इतने सेन्टर्स में एक ही समय यह प्रोग्राम होना है। और एम रखो सिर्फ कामेन्ट्री से योग नहीं कराओ, अनुभव कराओ। अनुभव पक्का बनाती है। एक ही समय पर हर सेन्टर पर एक ही प्रोग्राम हो। और हर एक सेन्टर अनुभव क्या किया, वह रिजल्ट लिखे। चाहे 3 दिन का प्रोग्राम कराओ चाहे एक दिन का कराओ लेकिन इकट्ठे चारों ओर जैसे थर्ड सण्डे सभी जगह रखते हो ना, अभी अनुभव कराने का प्रोग्राम चारों ओर एक समय लक्ष्य एक हो, लक्ष्य एक समय एक और चारों ओर हो। तो देश वाले भी समझेंगे कि यह विश्व में पीस के लिए इतना इक्ù एक समय प्रोग्राम रखा है। लक्ष्य रखो अनुभवी बनाने का। सिर्फ सुनकर चले नहीं जायें, कुछ अनुभव करके जायें। आप लोग भी बाप के बने कैसे? कुछ न कुछ अनुभव किया, चाहे प्यार किया, चाहे टोली खाके भी प्यार का अनुभव किया। बहनों के व्यवहार का अनुभव किया, बहिनों के मुस्कराने का, आजयान (खातिरी) करने का अनुभव किया, कुछ न कुछ अनुभव किया तभी बने हो। तो ऐसे अनुभवी बनाओ, अभी अखण्ड सेवा करो। बहुत सेवा रही हुई है। अच्छा।

आज के दिन मुबारक तो एक दो को दे दी ना। दूसरा क्या करते हैं? गिफ्ट देते हैं। बापदादा के पास भी कितनी गिफ्ट आई है, कार्ड आये हैं बहुत, सुन्दर-सुन्दर गिफ्ट भेजी है, आप लोग उठकर देखना। तो वास्तव में जो भी आपके पास आये खाली नहीं जाये। चाहे मन्सा से शक्ति देने की गिफ्ट दो। चाहे वाणी द्वारा ज्ञान की गिफ्ट दो, कर्म द्वारा गुणों की गिफ्ट दो। लेकिन हर एक जो भी सम्बन्ध सम्पर्क में आते हैं उनको गिफ्ट जरूर दो। खाली हाथ नहीं भेजो, आप मास्टर दाता हो, मास्टरदाता के पास आवे और खाली हाथ जावे, यह नहीं हो। अखण्ड महादानी बनो। अखण्ड कह रहे हैं, कोई न कोई सेवा करते रहो चाहे मन्सा करो, चाहे वाणी करो, चाहे कर्म करो, चाहे सम्बन्ध सम्पर्क से करो। अखण्ड सेवाधारी। कई बच्चों को बाप से रूहरिहान करते कई बच्चे सुनाते हैं कि अमृतवेले सुस्ती का वायब्रेशन थोड़ा होता है। उठते जरूर हैं लेकिन पावरफुल शक्तिशाली रूप से स्व के प्रति वा विश्व के प्रति शक्ति देना, वह थोड़ा सा थकावट की रेखा होती है। उस समय ऐसे नहीं समझो हम अपने सेन्टर के योग के कमरे में बैठे हैं, बाबा के कमरे में बैठे हैं, क्लास रूम में बैठे हैं, लेकिन ऐसे समझो विश्व की स्टेज पर बैठे हैं। हीरो पार्टधारी हैं और स्टेज पर बैठे हैं। अगर हीरो पार्टधारी थका हुआ पार्ट बजायेगा तो कैसा बजायेगा? वायुमण्डल कैसे फैलेगा? तो अमृतवेला भी पावरफुल बनाओ। नियम अच्छा निभाते हो लेकिन सुनाया ना अभी, योग सर्वशक्तियों से पावरफुल हो, योग अग्नि हो। ज्वालामुखी हो। तो यह तीन मास विशेष अमृतवेला भी नोट करना। बातें बहुत अच्छी-अच्छी करते हैं, प्यार के स्वरूप में भी होते हैं लेकिन ज्वालारूप कम होता है। अभी संस्कार का अंश मात्र भी नहीं रहे तब कहेंगे ज्वाला रूप योगी तू आत्मा। और साथ-साथ इस नये वर्ष में जो भी खज़ाने हैं, ज्ञान का खज़ाना, शक्तियों का, गुणों का, श्रेष्ठसंकल्प का खज़ाना, एक तो सफल करो और दूसरा जमा करो। जमा भी करो, सफल भी करो। क्योंकि आपका टाइटल है, वरदान है सफलता के सितारे। है ना आपका टाइटल सफलता के सितारे? सभी फलक से कहते हो सफलता हमारे गले का हार है। सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। तो सफलतामूर्त हो, सफल करो और जमा भी करो। सेवा कितनी भी करते हो लेकिन जमा का खाता हुआ या नहीं हुआ। उसकी निशानी या उसकी गोल्डन चाबी है - निमित्तभाव और निमार्कणभाव, निर्मल वाणी। तीनों हैं? तीनों में से एक भी कम है, तो सेवा कितनी भी करो जमा का खाता नहीं होता। बहुत थोड़ा, नाम मात्र। तो बापदादा ने यह भी चेक किया तो सेवा तो बहुत करते लेकिन जमा का खाता जितना होना चाहिए उतना नहीं उसका कारण, कारण तो समझते हो ना! एक तो तीन विशेषतायें, निमित्तभाव, मैंपन का भाव मिक्स हो जाता है। मैंपन आया, जमा नहीं हुआ। कितनी भी मेहनत करो, रात दिन भागदौड़, दिमाग चलाओ लेकिन निमित्तभाव, निमार्कणस्वभाव, निर्मलवाणी, यह तीन नहीं है तो जमा नहीं। बहुत में बहुत 5 परसेन्ट जमा होता है। तो यह भी चेक करना तो जमा हुआ? बापदादा बहुत सहज रास्ता बताते हैं, किसीसे भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हो, चाहे लौकिक, चाहे अलौकिक पहले अपने शुभ भावना, शुभ कामना की वृत्ति को चेक करो और किससे भी मिलते हो, तो सदा आत्मा को देख करके बात करो, आत्मा से बात करते हैं, कोई अलौकिक परिवार से बात करते हो, खुशी होनी चाहिए यह कल्प पहले वाली, हर कल्प भाग्य बनाने वाली कोटों में कोई आत्मा है। उस भाव से देखो। चाहे प्यादा हो, लेकिन है तो कोटों में कोई। मेरा बाबा तो कहता है। चाहे क्रोधी भी हो, स्वभाव अच्छा नहीं हो, लेकिन आप अपना स्वभाव श्रेष्ठ रखो। आप श्रेष्ठ आत्मा के रूप में देखो, श्रेष्ठ आत्मा के स्वरूप में देखो। तभी कार्य अच्छा होगा, जमा होगा। तो होमवर्क बहुत मिला है इस वर्ष का। सभी पूछते हैं ना क्या करें, क्या करें, क्या करें। बहुत होम वर्क मिला है। फिर बापदादा नम्बरवन सब होम वर्क में पास उसको सौगात देंगे। चाहे हजार भी हों तो भी देंगे, तैयार करायेंगे सौगात। करेंगी ना? लेकिन सर्टीफिकेट लेंगे, ऐसे नहीं आप कहेंगे बाबा मान जायेगा, नहीं। साथियों से सर्टीफिकेट भी लेंगे। पहले मन का सर्टीफिकेट फिर ब्राह्मण परिवार के साथियों का सर्टीफिकेट और तीसरा है बाप का सर्टीफिकेट। तो लेंगे ना सर्टीफिकेट। हिम्मत है ना। जो समझते हैं हम सर्टीफिकेट लेकर ही छोड़ेंगे, दृढ़निश्चय है, यह तो यूथ भी उठा रहा है। यूथ ग्रुप भी उठा रहा है। अच्छा है।

डबल फारेनर्स भी उठा रहे हैं। यह सामने वाले नहीं उठा रहे हैं। हाथ लम्बा उठाओ, करके दिखायेंगे। फिर तो बहुत सौगातें तैयार करनी पड़ेंगी। आपकी तैयारी के पीछे सौगात तो कुछ भी नहीं है। पहले तो परमात्म दिलतख्त मिलेगा। लेकिन सौगात देंगे। अच्छा। अभी क्या करना है?

सेवा का टर्न, ईस्टर्न, नेपाल और तामिलनाडु जोन का है:- बापदादा ने देखा है कि जिस भी जोन को टर्न मिलता है, बड़े उमंग-उत्साह से और बहुत बड़ी संख्या में इकट्ठे होते हैं, खुशी होती है, गोल्डन चांस मिलता है ना। तो देखो कितने हैं? आधा लश्कर हाल में वही है। तीनों जोन मिलाकर 5 हजार है। देखो एरिया भी बहुत बड़ी है। 3-4 स्टेट अलग-अलग एक ही जोन में हैं। 7 स्टेट का एक जोन। अच्छा कितने भी हो लेकिन ईस्टर्न जोन की विशेषता है कि सूर्य ईस्ट से ही निकलता है। निकलता है ना? और ज्ञान सूर्य की प्रवेशता भी ईस्ट से हुआ है। अच्छा अभी बाकी क्या रहा है? एक काम रह गया है। जब दो बातें कर ली हैं, सूर्य भी उदय हुआ, ज्ञान सूर्य भी उदय हुआ लेकिन प्रत्यक्षता का झण्डा ईस्टर्न से होना चाहिए। हाँ उसके लिए कुछ करो। ऐसा प्लैन बनाओ जो प्रत्यक्षता का झण्डा आरम्भ ही ईस्टर्न से हो, फैलेगा तो विश्व में ही। यहाँ बैठकर मीटिंग करना, क्या करें, हर एक जोन समझता है हम निमित्त बनेंगे, प्रत्यक्षता का झण्डा फहराने के लिए। करो सब प्रयत्न करो लेकिन बापदादा कहते ईस्टर्न को नम्बरवन जाना चाहिए। जायेंगे? प्रत्यक्ष करना पड़ेगा। आवाज फैलाना पड़ेगा। अच्छा है| कर सकते हैं। एक-एक स्टेट में ग्रुप बनाओ, जो मन वाणी कर्म सम्बन्ध संपर्क में तीव्र पुरूषार्थी हो। फिर उन्हों का संगठन करो, एक दो में राय लो-दो तो हो जायेगा। करना तो पड़ेगा। तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा। ऐसे नहीं ठीक चल रहा है, जिज्ञासु आ रहे हैं, नहीं। लेकिन प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने का विशेष प्रोग्राम करना पड़ेगा। यह मेगा प्रोग्राम नहीं कह रहे हैं, वह तो किया बहुत अच्छा हुआ। लेकिन प्रत्यक्षता का झण्डा हो। बहुत स्टेट हैं, मिलके कर सकते हो। करेंगे पीछे वाले? जो भी आये हैं करेंगे? कितने टाइम में करेंगे? प्लैन तो बनाओ। बापदादा प्लैन देखेगा ना। दिल्ली वाले भी सोचते हैं कि दिल्ली से प्रत्यक्षता का झण्डा हो। धरनी तो है। लेकिन प्लैन बनाओ। कैसे प्रत्यक्षता का झण्डा लहरायेंगे। उसके लिए क्या सोचा है? प्रोग्राम तो करते हो, वह तो करना ही है लेकिन यह आवाज कोई भी रेडियो खोले, कोई भी टी.वी. का स्विच खोले तो यह आवाज आवे ‘‘हमारा शिवबाबा आ गया’’। तब कहेंगे प्रत्यक्षता का झण्डा लहराया। अच्छा मीडिया वाले सोच रहे हैं कि हम करेंगे, कोई भी करो लेकिन सभी रेडियो में, चाहे विदेश में, चाहे देश में जहाँ भी खोलें स्विच यही आवाज आवे। इसको कहते हैं प्रत्यक्षता का झण्डा। कौन करेगा? विदेश करेगा, विदेश में होगा? करो, कोई भी करो, फर्स्ट प्राइज लो। यह धूम मचनी चाहिए, आ गया, आ गया, आ गया। अच्छा है संख्या तो बहुत है, अभी करना कमाल। नम्बर तो फर्स्ट लेना अच्छा है ना। सेकण्ड थर्ड में क्या मजा। फर्स्ट। अच्छा। बहुत अच्छा पार्ट बजा रहे हैं। बापदादा ने देखा है सहयोगी एक दो के बहुत अच्छे हैं। समाचार मिलता है, जहाँ भी प्रोग्राम होता है वहाँ एक दो के सहयोगी बनके कार्य सफल कर देते हैं इसकी बापदादा विशेष मुबारक दे रहे हैं। अभी जलवा दिखाओ। एक गीत है ना आप लोगों का जलवा देखा वह तेरा हो गया। अभी यह गीत मुख से गावें, दुनिया गावे। अच्छा।

ज्युरिस्ट विंग: अच्छा| प्लैन बना रहे हैं? (गीता का भगवान सिद्ध करेंगे) प्लैन बहुत अच्छा है लेकिन गीता का भगवान सिद्ध करने के लिए पहले आपस में राय करो, प्वाइंटस निकालो, यह अच्छा है लेकिन कोई ऐसे अथॉरिटी वालों को भी साथ में मिलाओ। उनको पहले सैटिस्फाय करके उन्हों को साथी बनाओ। दो चार ऐसे साथी हों जो इस बात को सिद्ध करने में साथी बनें। गीता की अथॉरिटी रखने वालों को साथी बनाओ। (इसके लिए दो जज तैयार हैं) अच्छा है, प्लैन बनाओ, फिर दिखाना।

डबल विदेशी 45 देशों से आये हैं:- अच्छा बच्चे भी हैं, यूथ भी हैं। डबल विदेशी को बापदादा टाइटल देते हैं डबल तीव्र पुरूषार्थी क्योंकि विदेशियों के संस्कार हैं जो सोचते हैं वह करते हैं, चाहे उल्टा हो, चाहे सुल्टा हो। करने में हिम्मत रखते हैं। तो इसी हिम्मत को आध्यात्मिक पुरूषार्थ में और सेवा में कार्य में लगाओ। बापदादा ने देखा है कि प्लैन को प्रैक्टिकल लाने में लक्ष्य अच्छा रखते हैं। तो हो सकता है कि इन्डिया को जगाने के लिए पहले आवाज विदेश से निकले। विदेश का आवाज इन्डिया में आवे यह भी हो सकता है ना! बापदादा को याद है पहले शुरू शुरू में जब इन्डिया में बड़े प्रोग्राम होते थे तो विदेश का कोई न कोई अथॉरिटी वाला आता था और वह भाषण करता था अखबारों में आता था। अभी बहुत समय से ऐसे विशेष सभा के बीच में नहीं आये हैं। अलग आये हैं। रिट्रीट होता है प्रोग्राम भी चलता है लेकिन जैसे पहले विशेष आत्मायें संगठन में बोलती थी, ऐसा अच्छा होता है। अभी 70 साल का प्रोग्राम बनायेंगे ना, उसमें कोशिश करो। क्योंकि अखबार वाले इन्ट्रेस्ट से लेते हैं। बाकी वृद्धि अच्छी हो रही है, प्रोग्राम्स भी अच्छे कर रहे हो उसकी मुबारक है। पहले संख्या वहाँ भी प्रोग्राम में कम आती थी, अभी संख्या अच्छी आती है। और अच्छे-अच्छे वारिस क्वालिटी भी निकल रही है। लेकिन तीन मास में विदेश वाले नम्बरवन लेंगे? फर्स्ट नम्बर लेंगे? जो लेंगे वह हाथ उठाओ। तीन सर्टीफिकेट लेने पड़ेंगे। हिम्मत रखो। विदेशियों के लिए सोचते हैं इन्हों का कल्चर अलग है लेकिन विदेश वाले इन्डिया से भी आगे नम्बर ले सकते हैं। महान तपस्वी बनने में नम्बरवन। हो सकता है ना! होना ही है। हो सकता है। क्योंकि विदेशियों में दृढ़ता का संस्कार है, अभी इसमें सिर्फ दृढ़ता का संस्कार यूज करो, हो जायेगा। ठीक है ना। नम्बरवन लेना है ना। अच्छा। विदेशी हर टर्न में आते हैं तो सभा सज जाती है, इन्टरनेशनल हो जाती है ना। बहुत अच्छा।

अच्छा यह सामने वाला ग्रुप (सिन्धी ग्रुप) क्या करेगा? लाइन में तो अच्छे खड़े हो, वृद्धि भी अच्छी कर रहे हो इसकी तो मुबारक है, अच्छा, बापदादा पूछते हैं कुछ समय पहले इसी ग्रुप ने कहा था, कि हम एक-एक एक ऐसा तैयार करके लायेंगे, याद है? एक-एक ने एक को तैयार किया है, अपने से भी आगे? जिसने किया है वह हाथ उठाओ और यहाँ तक लाया है वह हाथ उठाओ। अच्छा। निभाया है, मुबारक हो, उसकी बहुत बहुत मुबारक हो लेकिन अभी और भी लाना पड़ेगा। वृद्धि तो चाहिए ना और जहाँ सिन्ध में बाप आया, वहाँ के देश वाले हमजिन्स को तो जगाना है ना। तरस तो पड़ता है ना। फलक से आप कहते हो ना, शिवबाबा आया तो सिन्ध में ना। तो करना, कमाल करके दिखाना। अच्छे अच्छे हैं, कर सकते हैं। क्या कहते हैं? (अभी नहीं करेंगे तो कभी करेंगे, बाबा की बहुत बहुत दुआयें हैं तो जरूर करेंगे) ब्राह्मण परिवार में टोटल कितने सिन्धी होंगे? हिसाब में तो थोड़े हैं। (इस ग्रुप में 32 आये हैं) अभी कम से कम 100 के करीब तो लाओ। 100 नहीं ला सकते हो? (108 लायेंगे) छोटे बच्चे, छोटे बच्चों को अपने दोस्तों को लाओ। बापदादा खुश है। हिम्मत रख रहे हैं और मदद भी मिल रही है। इसलिए आप भी खुश, बाप भी खुश।

कलचरल विंग:- क्या प्लैन बनाया है? कोई ऐसे निकालो जिसका आवाज फैले। हर एक ग्रुप को माइक, माइट वाला तैयार करना है। हो जायेगा। क्योंकि आजकल तो बहुत चारों ओर कलचरल बहुत अच्छा चलता है, सभी का इन्ट्रेस्ट भी है। सिर्फ ऐसा आवाज फैलाने वाला कोई निमित्त बनेगा तो अनेकों का कल्याण हो जायेगा। बाकी अच्छा है प्रोग्राम बनाते रहते हो, करते रहते हो, जितना प्यार से करते हैं उतना अच्छा ही होता है, रिजल्ट भी अच्छी। अभी ऐसा कोई माइक निकालके लाना, जिसकी आवाज सुन करके अनेकों का कल्याण हो। बहुत अच्छा और आगे बढ़ते चलो।

इन्टरनेशनल यूथ ग्रुप :- अच्छा यूथ वाले भी आवाज फैलाने के लिए प्रोग्राम अच्छे बना रहे हैं। और स्व पुरूषार्थ के लिए भी अच्छे प्रोग्राम बना रहे हैं। बापदादा ने समाचार सुना है, खुशखबरी भी सुनी कि परिवर्तन किया है और आगे भी परिवर्तन कायम रखेंगे। फरिश्ता स्वरूप के धारणा के समीप आ रहे हैं। तो जो अपने में परिवर्तन किया, वह वहाँ जाके भी रहेगा या थोड़ा-थोड़ा कम हो जायेगा? रहेगा। जो समझते हैं सदा रहेगा, वह हाथ उठाओ। क्योंकि बापदादा ने रिजल्ट सुनी है, कि परिवर्तन रीयलाइजेशन अच्छी की है और यूथ ग्रुप ऐसा हो जाए सदा के लिए तो बहुत विश्व में नाम करेंगे। अच्छा उमंग-उत्साह दिखाया है। बापदादा बच्चों की हिम्मत और उमंग-उत्साह पर खुश है लेकिन सदा शब्द याद रखना। ब्राह्मण आत्मायें जो चाहे वह कर सकती हैं। और अभी तो बापदादा ने होम वर्क दे दिया है, देखेंगे, कितने यूथ ग्रुप इसमें नम्बर लेते हैं, प्राइज लेते हैं। लेंगे ना प्राइज? अच्छा। (33 देशों के 150 यूथ ने भाग लिया है) अच्छा है। हर वर्ष करते रहते हैं यह बहुत अच्छा है। आगे बढ़ रहे हैं यह भी अच्छा। अच्छी मेहनत की है।

इन्टरनेशनल चिल्ड्रेन ग्रुप: (बच्चों ने गीत गाया बाबा आपने कमाल कर दिया) आप भी कमाल करके दिखाना। बाप ने कमाल की, अभी आपको करनी है। बैठ जाओ।

तामिलनाडु जोन भी सेवा में आया है:- अच्छा है, है छोटा लेकिन शक्ति अच्छी है। तामिलनाडु ने एक ऐसा वी.आई.पी निकाला, निकाला तो तामिलनाडु ने, जो आज प्रेजीडेंन्ट है वह कनेक्शन में तो तामिलनाडु से आया, तो अच्छा जैसे एक निकाला ना ऐसे अभी और निमित्त बनाओ। उसका आवाज भी कुछ तो काम कर रहा है ना तो ऐसे अगर निमित्त बनाते रहेंगे तो छोटा सुभान अल्ला हो जायेगा। वैसे संख्या तो काफी है, अच्छी संख्या है। टोटल कितने हैं (12 हजार भाई बहिनें हैं) अच्छा है, छोटा भले हो लेकिन कमाल तो अच्छी की है ना, तो बापदादा को अच्छा लगता है। प्लैन बनाते जाओ, करते जाओ। सेवा में भी सहयोग अच्छा दिया है। गोल्डन चांस लिया है और गोल्डन दुनिया लाने के निमित्त बनना ही है। बहुत अच्छा। अच्छा। चारों ओर के बच्चों के कार्ड, पत्र और ईमेल द्वारा भिन्न-भिन्न साधनों द्वारा मुबारक के समाचार पहुंचे हैं, बापदादा, जिन्होंने भी मुबारक भेजी है, उन सभी को पदम-पदम गुणा मुबारक दे रहे हैं। बापदादा तो दूर बैठे बच्चों को सम्मुख ही देख रहे हैं। कितने उमंग उत्साह से अपने अपने स्थानों पर बैठे हैं, सुन रहे हैं, यह देख करके बापदादा भी खुश है, बच्चे भी खुश हैं, और मुबारक ले रहे हैं, दे रहे हैं। बापदादा ने समाचार सुना कि रात को भी दिन बना देते हैं। तो ऐसे बच्चों को कितने बार दिल की दुआयें और प्यार दें। उमंग उत्साह अच्छा है और अच्छे ते अच्छा रहेगा। अभी दूर बैठे वाले सभी अपने को प्राइज में नम्बरवन बनाना। अच्छा।

जो पहली बार आये हैं वह उठो, अच्छा है बापदादा सभी बच्चों को देख देख हर्षित हो रहे हैं। जो नये आये हैं वह और ही लास्ट सो फास्ट, फर्स्ट जाके दिखाना। अच्छा है, वृद्धि तो हो रही है। हर टर्न में नये-नये आते हैं। अभी सिर्फ अमर रहना औरों को भी अमर बनाना, अमरभव का वरदान सदा अपने आपको देते रहना। अच्छा। मातायें ज्यादा हैं, संगम पर माताओं का टर्न है। पाण्डव भी कम नहीं हैं, अच्छे हैं। अच्छा, पाण्डव बैठ जाओ, मातायें खड़ी रहो। मातायें ज्यादा हैं। अच्छा। आज तो सभी को बैठना ही है। चारों ओर के सदा उमंग-उत्साह में आगे बढ़ने वाले, सदा हिम्मत से बापदादा की पदमगुणा मदद के पात्र बच्चों को, सदा विजयी रत्न हैं, हर कल्प में विजयी बने थे, अब भी हैं और हर कल्प में विजयी हैं ही हैं। ऐसे विजयी बच्चों को सदा एक बाप दूसरा न कोई, न संसार की आकर्षण, न संस्कार की आकर्षण, दोनों आकर्षण से मुक्त रहने वाले, सदा बाप समान बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

दादियों से:- (दादी जी से) सबको दृष्टि द्वारा, अपने योगयुक्त स्थिति द्वारा सन्तुष्ट कर देती हो। सभी थोड़े टाइम में भी खुश होके जाते हैं। यह बहुतकाल की जो कमाई जमा की है ना, उसका फल मिल रहा है। (हजारों से मिलती है) अच्छा पार्ट बजा रही हो। (मोहिनी बहन ठीक होती जा रही है) होना ही है। (परदादी से) आपका जोन सबसे बड़ा है। और अच्छा जोन बड़ा भाग्यशाली है। (बेटी किसकी हूँ) नशा है इसको। और सब आपको देखकर खुश हो जाते हैं। आपकी खुशी को देखकर सब खुश हो जाते हैं। आपको मूर्ति के रूप में देखते हैं। बहुत अच्छा। (शान्तामणी दादी से) सभी अपना-अपना अच्छा पार्ट बजा रहे हैं। कुछ भी नहीं करो ना, आप लोगों की हाजिरी सब कुछ करती है। बाप का रूप देखने में आता है ना आप द्वारा तो सभी खुश हो जाते हैं। (मनोहर दादी ने मौन धारणकिया है) बहुत भाषण किये हैं, सर्विस में आलराउन्ड में इनका नाम पहले था, बापदादा ने मुरलियों में भी वर्णन किया है। थोड़ा ट्रीटमेंट करा लो ठीक हो जायेंगी, ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है। सब याद तो करते हैं ना, आपका विशेष पार्ट कोई नहीं बजा सकता, हिस्ट्री कोई नहीं सुनाता है जैसे आप सुनाती हो, तो अपना पार्ट बजाओ। सब ठीक हो जायेगा, कोई बात नहीं। (रतनमोहिनी दादी से) यह चक्र लगाने वाली चक्रवर्ती है, अच्छा पार्ट बजा रही है, क्योंकि आदि रत्न है ना, आदि रत्न की वैल्यु होती है। आप लोगों का हाजिर होना ही बापदादा की याद दिलाता है।

2006 वर्ष के शुभ-आगमन पर रात्रि 12 बजे प्यारे अव्यक्त बापदादा ने नये वर्ष की सब बच्चों को बधाईयाँ दी।

सभी बच्चों ने बहुत-बहुत प्यार से नये वर्ष को मनाया। मनाया भी और साथ में बापदादा से वायदा भी किया कि संस्कार मिटायेंगे भी। तो मिटाना भी है और सभी को शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना, श्रेष्ठ वायब्रेशन से मिलाना भी है। मिटाना, मिलाना और मनाना। सभी बातें हुई। अभी खूब सारा साल हर्षित रहना और सभी को हर्षित करना। मैं सन्तुष्ट आत्मा हूँ, सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना। यही मनाना है, यही बाप का प्यार है, यही दुआयें हैं। यही यादप्यार है। सभी को नमस्ते।


18-01-03   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


ब्राह्मण जन्म की स्मृतियों द्वारा समर्थ बन सर्व को समर्थ बनाओ

आज चारों ओर के सर्व स्नेही बच्चों के स्नेह के मीठे-मीठे याद के भिन्न-भिन्न बोल, स्नेह के मोती की मालायें बापदादा के पास अमृतवेले से भी पहले पहुंच गई। बच्चों का स्नेह बापदादा को भी स्नेह के सागर में समा लेता है। बापदादा ने देखा हर एक बच्चे में स्नेह की शक्ति अटूट है। यह स्नेह की शक्ति हर बच्चे को सहजयोगी बना रही है। स्नेह के आधार पर सर्व आकर्षणों से उपराम हो आगे से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा एक बच्चा भी नहीं देखा जिसको बापदादा द्वारा या विशेष आत्माओं द्वारा न्यारे और प्यारे स्नेह का अनुभव न हो। हर एक ब्राह्मण आत्मा का ब्राह्मण जीवन का आदिकाल स्नेह की शक्ति द्वारा ही हुआ है। ब्राह्मण जन्म की यह स्नेह की शक्ति वरदान बन आगे बढ़ा रही है। तो आज का दिन विशेष बाप और बच्चों के स्नेह का दिन है। हर एक ने अपने दिल में स्नेह के मोतियों की बहुत-बहुत मालायें बापदादा को पहनाई। और शक्तियां आज के दिन मर्ज हैं लेकिन स्नेह की शक्ति इमर्ज है। बापदादा भी बच्चों के स्नेह के सागर में लवलीन है।

आज के दिन को स्मृति दिवस कहते हो। स्मृति दिवस सिर्फ ब्रह्मा बाप के स्मृति का दिवस नहीं है लेकिन बापदादा कहते हैं आज और सदा यह याद रहे कि बापदादा ने ब्राह्मण जन्म लेते ही आदि से अब तक क्या-क्या स्मृतियां दिलाई हैं। वह स्मृतियों की माला याद करो, बहुत बड़ी माला बन जायेगी। सबसे पहली स्मृति सबको क्या मिली? पहला पाठ याद है ना! मैं कौन! इस स्मृति ने ही नया जन्म दिया, वृत्ति दृष्टि स्मृति परिवर्तन कर दी है। ऐसी स्मृतियां याद आते ही रूहानी खुशी की झलक नयनों में, मुख में आ ही जाती है। आप स्मृतियां याद करते और भक्त माला सिमरण करते हैं। एक भी स्मृति अमृतवेले से कर्मयोगी बनने समय भी बार-बार याद रहे तो स्मृति समर्थ स्वरूप बना देती है क्योंकि जैसी स्मृति वैसी ही समर्थी स्वत: ही आती है। इसलिए आज के दिन को स्मृति दिन साथ-साथ समर्थ दिन कहते हैं। ब्रह्मा बाप सामने आते ही, बाप की दृष्टि पड़ते ही आत्माओं में समर्थी आ जाती है। सब अनुभवी हैं। सभी अनुभवी हैं ना! चाहे साकार रूप में देखा, चाहे अव्यक्त रूप की पालना से पलते अव्यक्त स्थिति का अनुभव करते हो, सेकण्ड में दिल से बापदादा कहा और समर्थी स्वत: ही आ जाती है। इसलिए ओ समर्थ आत्मायें अब अन्य आत्माओं को अपनी समर्थी से समर्थ बनाओ। उमंग है ना! है उमंग, असमर्थ को समर्थ बनाना है ना! बापदादा ने देखा कि चारों ओर कमज़ोर आत्माओं को समर्थ बनाने का उमंग अच्छा है।

शिव रात्रि के प्रोग्राम धूमधाम से बना रहे हैं। सबको उमंग है ना! जिसको उमंग है बस इस शिवरात्रि में कमाल करेंगे, वह हाथ उठाओ। ऐसी कमाल जो धमाल खत्म हो जाए। जय-जयकार हो जाये वाह! वाह समर्थ आत्मायें वाह! सभी जोन ने प्रोग्राम बनाया है ना! पंजाब ने भी बनाया है ना! अच्छा है। भटकती हुई आत्मायें, प्यासी आत्मायें, अशान्त आत्मायें, ऐसी आत्माओं को अंचली तो दे दो। फिर भी आपके भाई-बहने हैं। तो अपने भाईयों के ऊपर, अपनी बहनों के ऊपर रहम आता है ना! देखो, आजकल परमात्मा को आपदा के समय याद करते लेकिन शक्तियों को, देवताओं में भी गणेश है, हनुमान है और भी देवताओं को ज्यादा याद करते हैं, तो वह कौन हैं? आप ही हो ना! आपको रोज याद करते हैं। पुकार रहे हैं हे कृपालु, दयालु रहम करो, कृपा करो। जरा सी एक सुख शान्ति की बूंद दे दो। आप द्वारा एक बूंद के प्यासी हैं। तो दु:खियों का, प्यासी आत्माओं का आवाज हे शक्तियां, हे देव नहीं पहुंच रहा है! पहुंच रहा है ना? बापदादा जब पुकार सुनते हैं तो शक्तियों को और देवों को याद करते हैं। तो अच्छा प्रोग्राम दादी ने बनाया है, बाबा को पसन्द है। स्मृति दिवस तो सदा ही है लेकिन फिर भी आज का दिन स्मृति द्वारा सर्व समार्थियां विशेष प्राप्त की, अब कल से शिवरात्रि तक बापदादा चारों ओर के बच्चों को कहते कि यह विशेष दिन यही लक्ष्य रखो कि ज्यादा से ज्यादा आत्माओं को मन्सा द्वारा, वाणी द्वारा वा सम्बन्ध-सम्पर्क द्वारा किसी भी विधि से सन्देश रूपी अंचली जरूर देना है। अपना उल्हना उतार दो। बच्चे सोचते हैं अभी विनाश की डेट तो दिखाई नहीं देती है, तो कभी भी उल्हना पूरा कर लेंगे लेकिन नहीं अगर अभी से उल्हना पूरा नहीं करेंगे तो यह भी उल्हना मिलेगा कि आपने पहले क्यों नहीं बताया। हम भी कुछ तो बना देते, फिर तो सिर्फ अहो प्रभू कहेंगे। इसलिए उन्हें भी कुछ-कुछ तो वर्से की अंचली लेने दो। उन्हों को भी कुछ समय दो। एक बूंद से भी प्यास तो बुझाओ, प्यासे के लिए एक बूंद भी बहुत महत्त्व वाली होती है। तो यही प्रोग्राम है ना कि कल से लेके बापदादा भी हरी झण्डी नहीं, नगाड़ा बजा रहे हैं कि आत्माओं को, हे तृप्त आत्मायें सन्देश दो, सन्देश दो। कम से कम शिवरात्रि पर बाप के बर्थ डे का मुख तो मीठा करें कि हाँ हमें सन्देश मिल गया। यह दिलखुश मिठाई सभी को सुनाओ, खिलाओ। साधारण शिवरात्रि नहीं मनाना, कुछ कमाल करके दिखाना। उमंग है? पहली लाइन को है? बहुत धूम मचाओ। कम से कम यह तो समझें कि शिवरात्रि का इतना बड़ा महत्त्व है। हमारे बाप का जन्म दिन है, सुनके खुशी तो मनायें।

अच्छा - जितने भी यहाँ बैठे हैं, चारों ओर तो जाना ही है लेकिन जितने भी बैठे हैं, कितनी संख्या है? (12-13 हजार बैठे हैं) अच्छा, जो भी बैठे हैं, मधुबन वाले कहेंगे हम कहाँ सन्देश देंगे? आजकल तो मधुबन के आसपास भी गांव बहुत हैं। चाहे ऊपर, चाहे नीचे बहुत लोग हैं। कम से कम एक आत्मा को तो अपना बनाओ, सन्देश तो बहुतों को देना लेकिन एक आत्मा तो अपना वर्सा लेने के लायक बनाओ। सभी एक एक को तैयार करे तो 9 लाख तो पूरे हो जायेंगे। मजूंर है, करेंगे कि सिर्फ बोलेंगे। सिर्फ हाथ नहीं उठाना लेकिन दिल से करना है। करना है? (नारायण से पूछते हैं) करना है? तो जो बापदादा ने कहा है 9 लाख की लिस्ट होनी चाहिए, वह तो हो ही जायेगी ना। तो अगली सीजन में बापदादा यह खुशखबरी सुनने चाहते हैं कि 6 लाख नहीं, 9 लाख तो हो गये हैं, उससे ज्यादा ही हो गये हैं। ठीक है, शक्तियां, टीचर्स ठीक है! टीचर्स को तो कंगन तैयार करना चाहिए। पंजाब और राजस्थान की टीचर्स हाथ उठाओ। टीचर्स तो बहुत ही बना सकती है, लेकिन औरों को भी बनाने की प्रेरणा देना। अच्छा है टीचर्स कितनी हैं? एक एक भी 9 को तैयार करें तो 9 लाख तो हो जायेंगे। क्या समझते हो अगले सीजन तक यह खुशखबरी मिलेगी? हाँ निर्वैर बोलो, मिलेगी? होगा? यह तो कोई बड़ी बात नहीं है। 6 लाख हैं, 3 लाख चाहिए बस। हो जायेगा, सब सिर्फ हिम्मत रखो करना ही है। क्या बोलेंगे? कहो करना ही है। संकल्प शक्ति बहुत बड़ी शक्ति है। आप ब्राह्मण आत्माओं का संकल्प क्या नहीं कर सकता है। हर एक को अपने श्रेष्ठ संकल्प का महत्त्व स्मृति में रखना है।

बापदादा ने देखा कि अमृतवेले मैजारिटी का याद और ईश्वरीय प्राप्तियों का नशा बहुत अच्छा रहता है। लेकिन कर्म योगी की स्टेज में जो अमृतवेले का नशा है उससे अन्तर पड़ जाता है। कारण क्या है? कर्म करते, सोल कान्सेस और कर्म कान्सेस दोनों रहता है। इसकी विधि है कर्म करते मैं आत्मा, कौन सी आत्मा, वह तो जानते ही हो, जो भिन्न-भिन्न आत्मा के स्वमान मिले हुए हैं, ऐसी आत्मा करावनहार होकर इन कर्मेन्द्रियों द्वारा कर्म कराने वाली हूँ, यह कर्मेन्द्रियां कर्मचारी हैं लेकिन कर्मचारियों से कर्म कराने वाली मैं करावनहार हूँ, न्यारी हूँ। क्या लौकिक में भी डायरेक्टर अपने साथियों से, निमित्त सेवा करने वालों से सेवा कराते, डायरेक्शन देते, ड्युटी बजाते भूल जाता है कि मैं डायरेक्टर हूँ? तो अपने को करावनहार शक्तिशाली आत्मा हूँ, यह समझकर कार्य कराओ। यह आत्मा और शरीर, वह करनहार है वह करावनहार है, यह स्मृति मर्ज हो जाती है। आप सबको, पुराने बच्चों को मालूम है कि ब्रह्मा बाप ने शुरू शुरू में क्या अभ्यास किया? एक डायरी देखी थी ना। सारी डायरी में एक ही शब्द - मैं भी आत्मा, जसोदा भी आत्मा, यह बच्चे भी आत्मा हैं, आत्मा है, आत्मा है.... यह फाउण्डेशन सदा का अभ्यास किया। तो यह पहला पाठ मैं कौन? इसका बार-बार अभ्यास चाहिए। चेकिंग चाहिए, ऐसे नहीं मैं तो हूँ ही आत्मा। अनुभव करे कि मैं आत्मा करावनहार बन कर्म करा रही हूँ।

करनहार अलग है, करावनहार अलग है। ब्रह्मा बाप का दूसरा अनुभव भी सुना है कि यह कर्मेन्द्रियां, कर्मचारी हैं। तो रोज रात की कचहरी सुनी है ना! तो मालिक बन इन कर्मेन्द्रियों रूपी कर्मचारियों से हालचाल पूछा है ना! तो जैसे ब्रह्मा बाप ने यह अभ्यास फाउण्डेशन बहुत पक्का किया, इसलिए जो बच्चे लास्ट में भी साथ रहे उन्होंने क्या अनुभव किया? कि बाप कार्य करते भी शरीर में होते हुए भी अशरीरी स्थिति में चलते फिरते अनुभव होता रहा। चाहे कर्म का हिसाब भी चुक्तू करना पड़ा लेकिन साक्षी हो, न स्वयं कर्म के हिसाब के वश रहे, न औरों को कर्म के हिसाब-किताब चुक्तू होने का अनुभव कराया। आपको मालूम पड़ा कि ब्रह्मा बाप अव्यक्त हो रहा है, नहीं मालूम पड़ा ना! तो इतना न्यारा, साक्षी, अशरीरी अर्थात् कर्मातीत स्टेज बहुतकाल से अभ्यास की तब अन्त में भी वही स्वरूप अनुभव हुआ। यह बहुतकाल का अभ्यास काम में आता है। ऐसे नहीं सोचो कि अन्त में देहभान छोड़ देंगे, नहीं। बहुतकाल का अशरीरीपन का, देह से न्यारा करावनहार स्थिति का अनुभव चाहिए। अन्तकाल चाहे जवान है, चाहे बूढ़ा है, चाहे तन्दरूस्त है, चाहे बीमार है, किसका भी कभी भी आ सकता है। इसलिए बहुतकाल साक्षीपन के अभ्यास पर अटेन्शन दो। चाहे कितनी भी प्राकृतिक आपदायें आयेंगी लेकिन यह अशरीरीपन की स्टेज आपको सहज न्यारा और बाप का प्यारा बना देगी। इसलिए बहुतकाल शब्द को बापदादा अण्डरलाइन करा रहे हैं। क्या भी हो, सारे दिन में साक्षीपन की स्टेज का, करावनहार की स्टेज का, अशरीरीपन की स्टेज का अनुभव बार-बार करो, तब अन्त मते फरिश्ता सो देवता निश्चित है। बाप समान बनना है तो बाप निराकार और फरिश्ता है, ब्रह्मा बाप समान बनना अर्थात् फरिश्ता स्टेज में रहना। जैसे फरिश्ता रूप साकार रूप में देखा, बात सुनते, बात करते, कारोबार करते अनुभव किया कि जैसे बाप शरीर में होते न्यारे हैं। कार्य को छोड़कर अशरीरी बनना, यह तो थोड़ा समय हो सकता है लेकिन कार्य करते, समय निकाल अशरीरी, पॉवरफुल स्टेज का अनुभव करते रहो। आप सब फरिश्ते हो, बाप द्वारा इस ब्राह्मण जीवन का आधार ले सन्देश देने के लिए साकार में कार्य कर रहे हो। फरिश्ता अर्थात् देह में रहते देह से न्यारा और यह एक्जैम्पुल ब्रह्मा बाप को देखा है, असम्भव नहीं है। देखा अनुभव किया। जो भी निमित्त हैं, चाहे अभी विस्तार ज्यादा है लेकिन जितनी ब्रह्मा बाप की नई नॉलेज, नई जीवन, नई दुनिया बनाने की जिम्मेवारी थी, उतनी अभी किसकी भी नहीं है। तो सबका लक्ष्य है ब्रह्मा बाप समान बनना अर्थात् फरिश्ता बनना। शिव बाप समान बनना अर्थात् निराकार स्थिति में स्थित होना। मुश्किल है क्या? बाप और दादा से प्यार है ना! तो जिससे प्यार है उस जैसा बनना, जब संकल्प भी है - बाप समान बनना ही है, तो कोई मुश्किल नहीं। सिर्फ बार-बार अटेन्शन। साधारण जीवन नहीं। साधारण जीवन जीने वाले बहुत हैं। बड़े-बड़े कार्य करने वाले बहुत हैं। लेकिन आप जैसा कार्य, आप ब्राह्मण आत्माओं के सिवाए और कोई नहीं कर सकता है।

तो आज स्मृति दिवस पर बापदादा समानता में समीप आओ, समीप आओ, समीप आओ का वरदान दे रहे हैं। सभी हद के किनारे, चाहे संकल्प, चाहे बोल, चाहे कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क कोई भी हद का किनारा, अपने मन की नईया को इन हद के किनारों से मुक्त कर दो। अभी से जीवन में रहते मुक्त ऐसे जीवनमुक्ति का अलौकिक अनुभव बहुतकाल से करो। अच्छा।

चारों ओर के बच्चों के पत्र बहुत मिले हैं और मधुबन वालों की क्रोधमुक्त की रिपोर्ट, समाचार भी बापदादा के पास पहुंचा है। बापदादा हिम्मत पर खुश है, और आगे के लिए सदा मुक्त रहने के लिए सहनशक्ति का कवच पहने रखना, तो कितना भी कोई प्रयत्न करेगा लेकिन आप सदा सेफ रहेंगे। ऐसे सर्व दृढ़ संकल्पधारी, सदा स्मृति स्वरूप आत्माओं को, सदा सर्व समार्थियों को समय पर कार्य में लाने वाले विशेष आत्माओं को, सदा सर्व आत्माओं के रहमदिल आत्माओं को, सदा बापदादा समान बनने के संकल्प को साकार रूप में लाने वाले ऐसे बहुत-बहुत-बहुत प्यारे और न्यारे बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

पंजाब के सेवाधारियों से:- पंजाब वालों ने भी अपना बेहद सेवा का पार्ट अच्छा बजाया है, बापदादा खुश होते हैं कि हर एक जोन बड़े उमंग-उत्साह से सेवा का गोल्डन चांस प्रैक्टिकल में ला रहे हैं। पंजाब नाम ही नदियों के आधार पर पड़ा है। आजकल नदियों को ही पावन बनाने वाली मानते हैं। तो पंजाब वाले सबको सन्देश देने में नम्बरवन हैं ना! नदियां तो बहती रहती हैं, तो पंजाब भी सन्देश देते आगे बढ़ता रहता है। बहुत प्रोग्राम अच्छे बनाये हैं ना। बापदादा ने सुना है, सबका अच्छा उमंग है। आदि स्थापना का स्थान है इसलिए शक्ति ज्यादा है, इसीलिए आपके निमित्त चन्द्रमणि बच्ची को टाइटल ही दिया - पंजाब की शेरनी। तो सब शेरणियां हो ना! कमज़ोर तो नहीं हैं। पाण्डव कमज़ोर तो नहीं, शक्तिशाली हो ना? कहो हाँ जी। बापदादा जानते हैं एक एक पंजाब का शेर या शेरनी शिकार करने में होशियार है। शेर तो शिकार करने में होशियार होता है ना। तो आप कितने होशियार हो। अगली सीजन में सबसे ज्यादा संख्या पंजाब लायेगा। तो इनएडवांस मुबारक है। अच्छा है।

एक एक को देख बापदादा खुश होते हैं, वाह मेरे सर्विसएबुल बच्चे वाह! पाण्डव भी वाह वाह हैं। शक्तियां भी वाह वाह हैं। अभी वाह बाबा वाह का नगाड़ा बजाओ। सब लोग कहें - वाह हमारा बाबा वाह! ठीक है ना! हिम्मत है? हिम्मत भी है और बापदादा की पद्मगुणा मदद भी है। ठीक है। देखो नाम ही अचल है और प्रेम है। जहाँ प्रेम है, अचल है तो सब कुछ आ गया ना। चाहिए ही क्या, प्रेम चाहिए और अचल स्थिति चाहिए और क्या चाहिए। ऐसे निमित्त का नाम ले रहे हैं। सभी का नाम बहुत अर्थ वाला है। सामने खड़े हैं तो दो का नाम ले रहे हैं बाकी हैं सभी एक एक रत्न, बापदादा के दिलतख्तनशीन। तो ठीक है ना।

डबल फारेनर्स - डबल फारेनर्स को डबल नशा है। क्यों डबल नशा है? क्योंकि समझते हैं कि हम भी जैसे बाप दूरदेश के हैं ना, तो हम भी दूरदेश से आये हैं। बापदादा ने डबल विदेशी बच्चों की एक विशेषता देखी है कि दीप से दीप जगाते हुए अनेक देशों में बापदादा के जगे हुए दीपकों की दीवाली मना दी है। अभी भी सुना कितने देश के आये हैं? (35) इस टर्न में 35 देशों के आये हैं और बाहर कितने होंगे? तो डबल विदेशियों को सन्देश देने का शौक अच्छा है। हर ग्रुप में बापदादा ने देखा 35-40 देशों के होते हैं। मुबारक हो। सदा स्वयं भी उड़ते रहो और फरिश्ते बनकरके उड़ते-उड़ते सन्देश देते रहो। अच्छा है, आप 35 देश वालों को बापदादा नहीं देख रहा है और भी देश वालों को आपके साथ देख रहे हैं। तो नम्बरवन बाप समान बनने वाले हो ना! नम्बरवन कि नम्बरवार बनने वाले हो? नम्बरवन? नम्बरवार नहीं? नम्बरवन बनना अर्थात् हर समय विन करने वाले। जो विन करते हैं वह वन होते हैं। तो ऐसे हो ना? बहुत अच्छा। विजयी हैं और सदा विजयी रहने वाले। अच्छा और सभी को, जहाँ जहाँ जाओ वहाँ यह स्मृति दिलाना कि सभी डबल फारेनर्स को वन नम्बर बनना है। अच्छा - सभी को याद देना। और शिव रात्रि यहाँ मनाते हैं लेकिन आप सन्देश तो दे सकते हो ना! तो जितनी संख्या है उससे डबल संख्या दूसरे सीजन में होनी ही है। होगी ना! होनी है।

अच्छा - बापदादा सभी माताओं को गऊपाल की प्यारी माताओं को बहुत-बहुत दिल से यादप्यार दे रहे हैं और पाण्डव चाहे यूथ हो, चाहे प्रवृत्तिवाले हो, पाण्डव सदा पाण्डवपति के साथी रहे हैं, ऐसे साथी पाण्डवों को भी बापदादा बहुत-बहुत यादप्यार दे रहे हैं। टीचर्स सोच रही हैं हमको तो देखा नहीं, देख रहे हैं।

टीचर्स से - टीचर्स तो अपने फीचर्स से ही बापदादा का साक्षात्कार कराने वाली हैं। बापदादा का भी और अपने फ्युचर का भी फीचर्स द्वारा प्रत्यक्ष करने की सेवा विशेष टीचर्स की है। हर एक का फीचर्स सदा ही जैसे प्रदर्शनी हो। प्रदर्शनी के चित्र स्वत: ही अपना परिचय देते हैं तो आपके फीचर्स चलता फिरता प्रदर्शनी हो और हर एक को स्वत: ही स्मृति दिलाते रहो। समझा। 100 ब्राह्मणों से उत्तम कुमारियों को भी बहुत-बहुत यादप्यार। अच्छा।

बच्चों से - बच्चों के बिना तो रौनक ही नहीं है। घर का शृंगार, बापदादा का शृंगार बच्चे हैं। बच्चों को तो बापदादा राजा बच्चा के रूप में देखते हैं। एक-एक बच्चा राजा बच्चा है। ऐसे है ना! ऐसे हैं बच्चे, राजा बच्चे हो या प्रजा बच्चे हो? बहुत अच्छा। बच्चों को देखकर सब खुश होते हैं। अभी बच्चे कमाल करके दिखाना। बच्चे भी अपने हमजिन्स बच्चों को तैयार करना। करेंगे ना! अच्छा। आज के दिन क्या याद आता है? विल पावर्स मिली ना! विल पावर्स का वरदान है। बहुत अच्छा पार्ट बजाया है, इसकी मुबारक है। सभी की दुआयें आपको बहुत हैं। आपको देख करके ही सभी खुश हो जाते हैं, बोलो या नहीं बोलो। आपको कुछ होता है ना तो सब ऐसे समझते हैं हमको हो रहा है। इतना प्यार है। सभी का है। (हमारा भी सबसे बहुत प्यार है) प्यार तो है बहुत सभी से। यह प्यार ही सभी को चला रहा है। धारणा कम हो ज्यादा हो, लेकिन प्यार चला रहा है। बहुत अच्छा।

ईशू दादी से - इसने भी हिसाब चुक्तू कर लिया। कोई बात नहीं। इसका सहज पुरूषार्थ, सहज हिसाब चुक्तू। सहज ही हो गया, सोते सोते। आराम मिला विष्णु के मुआफिक। अच्छा। फिर भी साकार से अभी तक यज्ञ रक्षक बने हैं। तो यज्ञ रक्षक बनने की दुआयें बहुत होती हैं। सभी दादियां बापदादा के बहुत-बहुत समीप हैं। समीप रत्न हैं और सबको दादियों का मूल्य है। संगठन भी अच्छा है। आप दादियों के संगठन ने इतने वर्ष यज्ञ की रक्षा की है और करते रहेंगे। यह एकता सभी सफलता का आधार है। (बाबा बीच में है) बाप को बीच में रखा है, यह अटेन्शन बहुत अच्छा दिया है। अच्छा। सभी ठीक हैं।

मोहिनी बहन से - तबियत ठीक है, आपमें भी हिम्मत अच्छी है, चला लेती हो। आता है और चला जाता है, यह भी शक्ति है।

मनोहर दादी से - प्रकृति को चलाने आ गया है। पुरानी मोटर को धक्का बीच-बीच में देना होता है। इसलिए चला रहे हो, बहुत अच्छा चला रहे हो। आप लोगों का हाजिर रहना, यही सब कुछ सफलता है। अच्छा है। सभी स्मृति दिवस देखने वाली हो। अच्छा।

ओम शान्ति।


14-11-02   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन और सफलता का आधार निश्चयबुद्धि

आज समर्थ बाप अपने चारों ओर के समर्थ बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चा समर्थ बन बाप समान बनने के श्रेष्ठ पुरूषार्थ में लगे हुए हैं। बच्चों की इस लगन को देख बापदादा भी हार्षित होते रहते हैं। बच्चों का यह दृढ़संकल्प बापदादा को भी प्यारा लगता है। बापदादा तो बच्चों को यही कहते कि बाप से भी आगे जा सकते हो क्योंकि यादगार में भी बाप की पूजा सिंगल है, आप बच्चों की पूजा डबल है। बापदादा के सिर के भी ताज हो। बापदादा बच्चों के स्वमान को देख सदा यही कहते वाह श्रेष्ठ स्वमानधारी, स्वराज्यधारी बच्चे वाह! हर एक बच्चे की विशेषता बाप को हर एक के मस्तक में चमकती हुई दिखाई देती है। आप भी अपनी विशेषता को जान, पहचान विश्व सेवा में लगाते चलो। चेक करो - मैं प्रभु पसन्द, परिवार पसन्द कहाँ तक बना हूँ? क्योंकि संगमयुग में बाप ब्राह्मण परिवार रचते हैं, तो प्रभु पसन्द और परिवार पसन्द दोनों आवश्यक हैं।

आज बापदादा सर्व बच्चों के ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन देख रहे थे। फाउण्डेशन है निश्चयबुद्धि। इसलिए जहाँ हर संकल्प में, हर कार्य में निश्चय है वहाँ विजय हुई पड़ी है। सफलता जन्म सिद्ध अधिकार के रूप में स्वत: और सहज प्राप्त है। जन्म सिद्ध अधिकार के लिए मेहनत की आवश्यकता नहीं होती। सफलता ब्राह्मण जीवन के गले का हार है। ब्राह्मण जीवन है ही सफलता स्वरूप। सफलता होगी वा नहीं होगी यह ब्राह्मण जीवन का क्वेश्चन ही नहीं है। निश्चयबुद्धि सदा बाप के कम्बाइन्ड है, तो जहाँ बाप कम्बाइन्ड है वहाँ सफलता सदा प्राप्त है। तो चेक करो - सफलता स्वरूप कहाँ तक बने हैं? अगर सफलता में परसेन्टेज है तो उसका कारण निश्चय में परसेन्टेज है। निश्चय सिर्फ बाप में है, यह तो बहुत अच्छा है। लेकिन निश्चय - बाप में निश्चय, स्व में निश्चय, ड्रामा में निश्चय और साथ-साथ परिवार में निश्चय। इन चारों निश्चय के आधार से सफलता सहज और स्वत: है।

बाप में निश्चय सभी बच्चों का है तब तो यहाँ आये हैं। बाप का भी आप सबमें निश्चय है तब अपना बनाया है। लेकिन ब्राह्मण जीवन में सम्पन्न वा सम्पूर्ण बनने के लिए स्व में भी निश्चय आवश्यक है। बापदादा के द्वारा प्राप्त हुए श्रेष्ठ आत्मा के स्वमान सदा स्मृति में रहे कि मैं परमात्मा द्वारा स्वमानधारी श्रेष्ठ आत्मा हूँ। साधारण आत्मा नहीं, परमात्म स्वमानधारी आत्मा। तो स्वमान हर संकल्प में, हर कर्म में सफलता अवश्य दिलाता है। साधारण कर्म करने वाली आत्मा नहीं, स्वमानधारी आत्मा हूँ। तो हर कर्म में स्वमान आपको सफलता सहज ही दिलायेगा। तो स्व में निश्चयबुद्धि की निशानी है - सफलता वा विजय। ऐसे ही बाप में तो पक्का निश्चय है, उसकी विशेषता है - ``निरन्तर मैं बाप का और बाप मेरा।'' यह निरन्तर विजय का आधार है। ``मेरा बाबा'' सिर्फ बाबा नहीं, मेरा बाबा। मेरे के ऊपर अधिकार होता है। तो मेरा बाबा, ऐसी निश्चयबुद्धि आत्मा सदा अधिकारी है - सफलता की, विजय की। ऐसे ही ड्रामा में भी पूरा-पूरा निश्चय चाहिए। सफलता और समस्या दोनों प्रकार की बातें ड्रामा में आती हैं लेकिन समस्या के समय निश्चयबुद्धि की निशानी है - समाधान स्वरूप। समस्या को सेकण्ड में समाधान स्वरूप द्वारा परिवर्तन कर देना। समस्या का काम है आना, निश्चयबुद्धि आत्मा का काम है समाधान स्वरूप से समस्या को परिवर्तन करना। क्यों?

आप हर ब्राह्मण आत्मा ने ब्राह्मण जन्म लेते माया को चैलेन्ज किया है। किया है ना या भूल गये हो? चैलेन्ज है कि हम मायाजीत बनने वाले हैं। तो समस्या का स्वरूप, माया का स्वरूप है। जब चैलेन्ज किया है तो माया सामना तो करेगी ना! वह भिन्न-भिन्न समस्याओं के रूप में आपकी चैलेन्ज को पूरा करने के लिए आती है। आपको निश्चयबुद्धि विजयी स्वरूप से पार करना है, क्यों? नथिंगन्यु। कितने बार विजयी बने हो? अभी एक बार संगम पर विजयी बन रहे हो वा अनेक बार बने हुए को रिपीट कर रहे हो? इसलिए समस्या आपके लिए नई बात नहीं है, नथिंगन्यु। अनेक बार विजयी बने हैं, बन रहे हैं और आगे भी बनते रहेंगे। यह है ड्रामा में निश्चयबुद्धि विजयी। और है - ब्राह्मण परिवार में निश्चय, क्यों? ब्राह्मण परिवार का अर्थ ही है संगठन। छोटा परिवार नहीं है, ब्रह्मा बाप का ब्राह्मण परिवार सर्व परिवारों से श्रेष्ठ और बड़ा है। तो परिवार के बीच, परिवार के प्रीत की रीति निभाने में भी विजयी। ऐसा नहीं कि बाप मेरा, मैं बाबा का, सब कुछ हो गया, बाबा से काम है, परिवार से क्या काम! लेकिन यह भी निश्चय की विशेषता है। चार ही बातों में निश्चय, विजय आवश्यक है। परिवार भी सभी को कई बातों में मजबूत बनाता है। सिर्फ परिवार में यह स्मृति में रहे कि सब अपने-अपने नम्बरवार धारणा स्वरूप हैं। वैरायटी है। इसका यादगार 108 की माला है। सोचो - कहाँ एक नम्बर और कहाँ 108वां नम्बर, क्यों बना? सब एक नम्बर क्यों नहीं बने? 16 हजार क्यों बना? कारण? वैरायटी संस्कार को समझ नॉलेजफुल बन चलना, निभाना, यही सक्सेसफुल स्टेज है। चलना तो पड़ता ही है। परिवार को छोड़कर कहाँ जायेंगे। नशा भी है ना कि हमारा इतना बड़ा परिवार है। तो बड़े परिवार में बड़ी दिल से हर एक के संस्कार को जानते हुए चलना, निर्माण होके चलना, शुभ भावना, शुभ कामना की वृत्ति से चलना... यही परिवार के निश्चयबुद्धि विजयी की निशानी है। तो सभी विजयी हो ना? विजयी हैं?

डबल फारेनर्स विजयी हैं? हाथ तो बहुत अच्छा हिला रहे हैं। बहुत अच्छा। बापदादा को खुशी है। अच्छा - टीचर्स विजयी हैं? या थोड़ा-थोड़ा होता है? क्या करें, यह तो नहीं! `कैसे' के बजाए `ऐसे' शब्द को यूज करो, कैसे करें नहीं, ऐसे करें। 21 जन्म का कनेक्शन परिवार से है। इसलिए जो परिवार में पास है, वह सबमें पास है। तो चार ही प्रकार का निश्चय चेक करो क्योंकि प्रभु पसन्द के साथ परिवार पसन्द भी होना अति आवश्यक है। नम्बर इन चारों निश्चय के परसेन्टेज अनुसार मिलना है। ऐसे नहीं मैं बाबा की, बाबा मेरा, बस हो गया। ऐसा नहीं। मेरा बाबा तो बहुत अच्छा कहते हो और सदा इस निश्चय में अटल भी हो, इसकी मुबारक है लेकिन तीन और भी हैं। टीचर्स, चार ही जरूरी हैं कि नहीं? ऐसे तो नहीं तीन जरूरी है एक नहीं? जो समझते हैं चारों ही निश्चय जरूरी हैं वह एक हाथ उठाना। सभी को चारों ही बातें पसन्द हैं? जिसको तीन बातें पसन्द हों वह हाथ उठाओ। कोई नहीं। निभाना मुश्किल नहीं है? बहुत अच्छा। अगर दिल से हाथ उठाया तो सब पास हो गये। अच्छा।

देखो, कहाँ-कहाँ से, भिन्न-भिन्न देश की टालियां मधुबन में एक वृक्ष बन जाता है। मधुबन में याद रहता है क्या, मैं दिल्ली की हूँ, मैं कनार्टक की हूँ, मैं गुजरात की हूँ...! सब मधुबन निवासी हैं। तो एक झाड़ हो गया ना। इस समय सब क्या समझते हैं, मधुबन निवासी हो या अपने-अपने देश के निवासी हो? मधुबन निवासी हो? सभी मधुबन निवासी हो, बहुत अच्छा। वैसे भी हर ब्राह्मणों की परमानेन्ट एड्रेस तो मधुबन ही है। आपकी परमानेन्ट एड्रेस कौन सी है? बाम्बे है? दिल्ली है? पंजाब है? मधुबन परमानेंट एड्रेस है। यह तो सेवा के लिए सेवाकेन्द्र में भेजा गया है। वह सेवा के स्थान हैं, घर आपका मधुबन है। आखिर भी एशलम कहाँ मिलना है? मधुबन में ही मिलना है। इसीलिए बड़े-बड़े स्थान बना रहे हैं ना!

सभी का लक्ष्य बाप समान बनने का है। तो सारे दिन में यह ड्रिल करो - मन की ड्रिल। शरीर की ड्रिल तो शरीर के तन्दरूस्ती के लिए करते हो, करते रहो क्योंकि आजकल दवाईयों से भी एक्सरसाइज आवश्यक है। वह तो करो और खूब करो टाइम पर। सेवा के टाइम एक्सरसाइज नहीं करते रहना। बाकी टाइम पर एक्सरसाइज करना अच्छा है। लेकिन साथ-साथ मन की एक्सरसाइज बार-बार करो। जब बाप समान बनना है तो एक है - निराकार और दूसरा है - अव्यक्त फरिश्ता। तो जब भी समय मिलता है सेकण्ड में बाप समान निराकारी स्टेज पर स्थित हो जाओ, बाप समान बनना है तो निराकारी स्थिति बाप समान है। कार्य करते फरिश्ता बनकर कर्म करो, फरिश्ता अर्थात् डबल लाइट। कार्य का बोझ नहीं हो। कार्य का बोझ अव्यक्त फरिश्ता बनने नहीं देगा। तो बीच-बीच में निराकारी और फरिश्ता स्वरूप की मन की एक्सरसाइज करो तो थकावट नहीं होगी। जैसे ब्रह्मा बाप को साकार रूप में देखा - डबल लाइट। सेवा का भी बोझ नहीं। अव्यक्त फरिश्ता रूप। तो सहज ही बाप समान बन जायेंगे। आत्मा भी निराकार है और आत्मा निराकार स्थिति में स्थित होगी तो निराकार बाप की याद सहज समान बना देगी। अभी-अभी एक सेकण्ड में निराकारी स्थिति में स्थित हो सकते हो? हो सकते हो? (बापदादा ने ड्रिल कराई) यह अभ्यास और अटेन्शन चलते फिरते, कर्म करते बीच-बीच में करते जाना। तो यह प्रैक्टिस मन्सा सेवा करने में भी सहयोग देगी और पॉवरफुल योग की स्थिति में भी बहुत मदद मिलेगी। अच्छा -

डबल फारेनर्स से - देखो डबल फारेनर्स को इस सीजन में कारणे- अकारणे सब ग्रुप में चांस मिला है। हर ग्रुप में आ सकते हैं, फ्रीडम है। तो यह भाग्य है ना, डबल भाग्य है। तो इस ग्रुप में भी बापदादा देख रहे हैं कुछ पहली बारी भी आये हैं, कुछ पहले वाले भी आये हैं। बापदादा की दृष्टि सभी फारेनर्स के ऊपर है। जितना प्यार आपका बाप से है, बाप का प्यार आपसे पद्मगुणा है। ठीक है ना! पद्मगुणा है? आपका भी प्यार, दिल का प्यार है तब यहाँ पहुंचे हो। डबल फारेनर्स इस ब्राह्मण परिवार का शृंगार हैं। स्पेशल शृंगार हो। हर देश में बापदादा देख रहे हैं - याद में बैठे हैं, सुन भी रहे हैं तो याद में भी बैठे हैं। बहुत अच्छा।

टीचर्स - टीचर्स का झुण्ड भी बड़ा है। बापदादा टीचर्स को एक टाइटल देते हैं। कौन-सा टाइटल देते हैं? (फ्रैण्डस) फ्रैण्डस तो सभी हैं ही। डबल फारेनर्स तो पहले फ्रैण्डस हैं। इन्हों को फ्रैण्ड का सम्बन्ध अच्छा लगता है। टीचर्स जो योग्य हैं, सभी को नहीं, योग्य टीचर्स को बापदादा कहते हैं यह गुरूभाई हैं। जैसे बड़े बच्चे बाप के समान हो जाते हैं ना, तो टीचर्स भी गुरूभाई हैं क्योंकि सदा बाप की सेवा के निमित्त बने हुए हैं। बाप समान सेवाधारी हैं। देखो, टीचर्स को बाप का सिंहासन मिलता है मुरली सुनाने के लिए। गुरू की गद्दी मिलती है ना! इसलिए टीचर्स अर्थात् निरन्तर सेवाधारी। चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क द्वारा कर्मणा - सदा सेवाधारी। ऐसे है ना! आराम पसन्द तो नहीं ना! सेवाधारी। सेवा, सेवा और सेवा। ठीक है ना? अच्छा।

सेवा में दिल्ली, आगरा का टर्न है - आगरा साथी है। दिल्ली का लश्कर तो बहुत बड़ा है। अच्छा - दिल्ली में स्थापना का फाउण्डेशन पड़ा, यह तो बहुत अच्छा। अभी प्रत्यक्षता बाप की करने का फाउण्डेशन कहाँ से होगा? दिल्ली से या महाराष्ट्र से? कर्नाटक से, लंदन से.... कहाँ से होगा? दिल्ली से होगा? करो निरन्तर सेवा और तपस्या। सेवा और तपस्या दोनों के बैलेन्स से प्रत्यक्षता होगी। जैसे सेवा का डायलॉग बनाया ना, ऐसे दिल्ली में तपस्या का वर्णन करने का डायलॉग बनाओ तब कहेंगे दिल्ली, दिल्ली है। दिल्ली बाप की दिल तो है लेकिन बाप के दिल पसन्द कार्य करके भी दिखायेंगे। पाण्डव करना है ना? करेंगे, जरूर करेंगे। तपस्या ऐसी करो जो सब पतंग बाबा, बाबा कहते दिल्ली के विशेष स्थान पर पहुंच जाएं। परवाने बाबा-बाबा कहते आवें तब कहेंगे प्रत्यक्षता। तो यह करना है, अगले साल यह डायलॉग करना है, यह रिजल्ट सुनानी है कि कितने परवाने बाबा-बाबा कहते स्वाहा हुए। ठीक है ना? बहुत अच्छा, मातायें भी बहुत हैं।

कुमार-कुमारियां - कुमार और कुमारियां, तो आधा हाल कुमारकुमारि यां हैं। शाबास कुमार-कुमारियों को। बस कुमार कुमारियां ज्वाला रूप बन - आत्माओं को पावन बना देने वाले। कुमार और कुमारियों को तरस पड़ना चाहिए, आज के कुमार और कुमारियों पर, कितने भटक रहे हैं। भटके हुए हमजिन्स को रास्ते पर लगाओ। अच्छा, जो भी कुमार और कुमारी आये हैं उनमें से इस सारे वर्ष में जिसने आत्माओं को सेवा में आप समान बनाया है वह बड़ा हाथ उठाओ। कुमारियों ने आप समान बनाया है? अच्छा प्लैन बना रही हैं। यह हॉस्टल वाली हाथ उठा रही हैं। अभी सेवा का सबूत नहीं लाया है। तो कुमार और कुमारियों को सेवा का सबूत लाना है। ठीक है!

अधर कुमार - अधरकुमार भी कम नहीं हैं। अधरकुमार क्या सेवा की नवीनता दिखायेंगे? अधरकुमार विश्व में यह चैलेन्ज करके दिखावें कि सारे कल्प में जो कार्य हुआ है उससे अनोखा कार्य अभी हो रहा है। अधरकुमार प्रवृत्ति में रहते चैलेन्ज करें कि दोनों साथ रहते भी स्वप्न तक भी पवित्र रह सकते हैं। यह विश्व में चैलेन्ज करो जो असम्भव समझते हैं वह सम्भव करके दिखाओ। असम्भव समझते हैं ना। वह कहते हैं आग और कपूस इकट्ठी नहीं रह सकती है। और आप क्या कहते हो? साथ रहते भी पवित्र रह सकते हैं। ऐसी चैलेन्ज है? कमज़ोर तो नहीं हैं ना! स्वप्न में भी संकल्प मात्र नहीं हो तब चैलेन्ज होगी। वह भी दिन आयेगा जो बड़े-बड़े महामण्डलेश्वर आपके चरणों में झुकेंगे। लेकिन ऐसे सम्पन्न बनना है। अच्छा है अधरकुमारों की संख्या भी कम नहीं है, बहुत है। ब्राह्मण परिवार की शोभा है। अच्छा।

अच्छा अभी रह गई - भोलानाथ की मीठी-मीठी मातायें, अच्छा देखो दादी देखो कितनी माताओं का झुण्ड है। बहुत अच्छा झुण्ड है। टी.वी. में दिखाओ सभी को। साइंस के साधन से फायदा तो उठा रहे हैं। अच्छा हैशक्ति सेना। शक्तियों की विजय हो, विजय हो, विजय हो। देखो बापदादा ने अबला से शक्तियां बना दिया। अभी अपने को अबला तो नहीं समझतेना! शक्ति हैं। तो शक्तियां तो हैं ही विजयी। शक्तियों को विजय की निशानी शस्त्र दिखा दिये हैं। शाश्त्रधारी शक्तियां अर्थात् सर्व शक्तियों धारीशक्तियां। तो सदा अपने को सर्व शक्ति स्वरूप अनुभव करो। आपका यादगार सर्व शक्तियों का सूचक है। तो ऐसे है ना? सब शक्तियां, शक्ति सम्पन्न हैं? बहुत अच्छा। विजयी है और सदा विजयी रहेंगी। अच्छा।

अभी तो कोई नहीं कहेंगे कि हम बाबा से मिले नहीं। सबसे मिले ना। सबसे मिलन हो गया।

इन्दौर हॉस्टल की कुमारियां - कुमारी वह जो आत्माओं के 21 कुल का उद्धार करे। तो कितनी आत्माओं के 21 कुल सुधारे हैं? सेवा करते हो या सेवाधारी बन रहे हो? तैयार हो रहे हो अच्छा है। फिर भी देखो जब भी कुछ होता है तो आपको निमन्त्रण मिलता है ना। विशेष आत्मा हो गई ना। विशेष निमन्त्रण देकर आपको बुलाया जाता है, तो बहुत अच्छा है। स्वयं भी शक्ति रूप बन रही हो और दूसरों को भी बनाने में भी ऐसे ही होशियार बन जलवा दिखायेंगी। अच्छा है। मुबारक हो।

पोलीटिकल विंग के आये हैं - बहुत अच्छा किया जो अपने घर में पहुंच गये हैं। होस्ट हो या गेस्ट हो? (होस्ट) बाप का घर सो बच्चे का घर, इसीलिए होस्ट हो।

अच्छा - चारों ओर के विजयी रत्नों को, सदा निश्चय बुद्धि सहज सफलता मूर्त बच्चों को, सदा मेरा बाबा के अधिकार से हर सेवा में सफलता प्राप्त करने वाले सफलता मूर्त बच्चों को, सदा समाधान स्वरूप, समस्या को परिवर्तन करने वाले परिवर्तक आत्मायें, ऐसे श्रेष्ठ बच्चों को सदा बाप को प्रत्यक्ष करने के प्लैन को प्रैक्टिकल में लाने वाले बच्चों को बापदादा का यादप्यार, मुबारक, अक्षोणी बार मुबारक और नमस्ते।

दादी जी से - सबका आपसे प्यार है, बाप का भी आपसे प्यार है। (रतनमोहिनी दादी से) सहयोगी बनने से बहुत कुछ सूक्ष्म में प्राप्त होता है। ऐसे है ना! आदि रतन हैं। आदि रतन अब तक भी निमित्त हैं। अच्छा -

नारायण दादा से - (कोई आज्ञा) आज्ञा यही है - बैलेन्स रखो। अलौकिक और लौकिक दोनों में बैलेन्स रखो। यह बैलेन्स जो है वह स्वत: ही ब्लैसिंग दिलाता रहेगा।

ओम शान्ति


05-03-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


``अब चारों ओर दु:ख अशान्ति बढ़ रही है इसलिए अपने विश्व कल्याणी स्वरूप को प्रत्यक्ष करो, मन्सा सेवा बढ़ाओ, बाप के संग के रंग से डबल होली बनो’’

आज बापदादा हर बच्चे के भाग्य की रेखायें देख रहे हैं। मस्तक में चमकते हुए सितारे की रेखा, नयनों में स्नेह और शक्ति की रेखा, होठों में मुस्कान की रेखा, पांव में हर कदम में पदम की रेखा देख रहे हैं। आप सभी भी अपने भाग्य की रेखायें देख हर्षित होते हो ना! दिल में यही गाते वाह मेरा भाग्य! हर एक का मस्तक उस दिव्य सितारे से चमकता हुआ देख बापदादा भी खुश हो रहे हैं और यही दिल में गीत गाते वाह बच्चे वाह! बच्चों के दिल से क्या गीत सुन रहे हैं? वाह बाबा वाह! तो बच्चे भी वाह! बाप भी वाह! तो यह सारी सभा क्या हो गई? वाह! वाह! वाह! तो अपने भाग्य को देख सदा ऐसे ही हर्षित रहो जैसे अभी सब हर्षित हो रहे हैं। यह भाग्य अब संगमयुग में ही मिलता है। संगमयुग के हर घड़ी की बहुत बड़ी वैल्यु है। संगमयुग की एक घड़ी अविनाशी हो जाती है क्योंकि हर घड़ी का 21 जन्मों के साथ सम्बन्ध है। अब की एक घड़ी का सन्बन्ध 21 जन्मों के साथ है। तो चेक करो एक घड़ी अगर व्यर्थ गई तो एक जन्म की बात नहीं 21 जन्म के सम्बन्ध की बात है इसलिए बापदादा बच्चों को समय प्रति समय अटेन्शन खिंचवा रहे हैं कि संगमयुग की एक घड़ी को भी एक संकल्प को भी व्यर्थ नहीं गवाओ क्योंकि एक जन्म व्यर्थ नहीं गंवाया लेकिन 21 जन्म में व्यर्थ गंवाया। संगमयुग का महत्व हर समय याद रखो।

बापदादा ने व्यर्थ समय और व्यर्थ संकल्प का होमवर्क सभी को दिया था। तो सभी ने होमवर्क किया? जो समझते हैं हमारा अटेन्शन रहा और बहुत करके सफलता भी प्राप्त हुई, लक्ष्य का लक्षण तक परिणाम है, वह हाथ उठाना। अच्छा। पाण्डव उठा रहे हैं? बड़ा हाथ उठाओ। अभी सभी ने काम नहीं किया है। संगमयुग के महत्व को अगर सदा बुद्धि में याद रखो कि अविनाशी बाप द्वारा यह कार्य मिला है। हर घड़ी अविनाशी बनने की है क्योंकि अविनाशी बाप ने यह वरदान दिया है। तो सहज ही हो जायेगा।

बाप ने सुनाया कि हर एक ब्राह्मण बच्चे के कदम में पदम की रेखा है। सोचो कदम में पदम की रेखा तो कितने पदमों के लिए संगमयुग पर गोल्डन चांस है। हर एक को यह अपना भाग्य स्मृति में रखना है। कई बच्चे सोचते हैं कि बापदादा क्या चाहते हैं? बापदादा यही चाहते हैं कि एक-एक बच्चा डबल राजा बन जाये। अभी स्वराज्य अधिकारी और भविष्य में विश्व राज्य अधिकारी। कोई भी बच्चा डबल राजा बनने में कम नहीं हो। तो हर एक बच्चा डबल राज्य अधिकारी हो ना! कांध हिलाओ। तो हर बच्चा डबल राज्य अधिकारी है, कांध हिलाओ। तो बाप को कितनी खुशी होती है।

बापदादा हर बच्चे का रिकार्ड रोज़ देखते हैं। तो क्या देखते हैं? हर एक अपने दिल में तो जान गये होंगे। राज्य अधिकारी बने तो हैं लेकिन अभी जो स्वराज्य अधिकारी हो, स्वराज्य अधिकारी अर्थात् मन-बुद्धि संस्कार को अपने कन्ट्रोल में चलाने वाला। जब चाहे जैसे चाहे वैसे अधिकार में रहे। जैसे यह स्थूल कर्मेन्द्रियां हाथ हैं, पांव हैं अपने कन्ट्रोल में रहते हैं ऐसे मन बुद्धि संस्कार जब चाहे जैसे चाहे रूलिंग पावर और कन्ट्रोलिंग पावर हो। अभी देखने में नम्बरवार बहुत हैं। हैं यह भी मेरे। मन मैं नहीं है, मेरा है। संस्कार मेरे हैं। बुद्धि मेरी है। तो कन्ट्रोलिंग पावर रूलिंग पावर नम्बरवार है। बापदादा समय की सूचना भी समय प्रति समय देते रहे हैं, उस समय के अनुसार आप लोगों का एक-एक का स्वमान है विश्व कल्याणकारी। अब समय प्रमाण हर एक बच्चे को विश्व कल्याणी स्वरूप को प्रत्यक्ष करने का समय है। चारों ओर दु:ख अशान्ति बढ़ रही है। आपके भाई आपकी बहिनें, परिवार दु:खी हो रहे हैं तो आपको अपने परिवार पर रहम नहीं आता!

अभी बापदादा यही इशारा दे रहे हैं स्व पुरूषार्थ के साथ विश्व सेवा जैसे वाचा की सेवा वर्तमान समय अच्छी धूमधाम से कर रहे हो। बापदादा खुश है, यह 75 वर्ष की जुबली ने सभी के मन में मैजारिटी सेवा का उमंग लाया है। बापदादा देख करके खुश है लेकिन अभी मन्सा सेवा की भी आवश्यकता है क्योंकि सभी तरफ विश्व कल्याणकारी बनना है उसमें मन्सा वाचा और कर्मणा अर्थात् चलन और चेहरे से तीनों ही सेवा की अभी आवश्यकता है। रोज़ चेक करो तीनों सेवाओं में कितनी परसेन्ट सेवा की? वाचा में तो बापदादा ने भी सर्टीफिकेट दिया लेकिन अभी मन्सा सूक्ष्म वायबे्रशन्स द्वारा आत्माओं के दु:ख अशान्ति का सहारा बनना पड़े। क्या आपको तरस नहीं आता? बापदादा को तो बच्चों पर चाहे कैसे भी हैं लेकिन फिर भी बच्चे तो हैं ना, तरस आता है। तो अभी हर बच्चे को सिर्फ सेन्टर कल्याणी नहीं, ज़ोन कल्याणी नहीं विश्व कल्याणी बनना है। तो बापदादा अभी यही अटेन्शन दिला रहे हैं अपने भक्तों का कल्याणकारी बनो क्योंकि यह संगमयुग का बहुत बड़ा महत्व है। अभी संगमयुग में जो चाहे जितना चाहे उतना बाप से सहयोग मिल सकता है। तो सुना क्या करना है अभी? मन्सा सेवा को बढ़ाओ। अपने कार्य के प्रमाण जैसे ट्रैफिक कन्ट्रोल का टाइम फिक्स किया हुआ है ऐसे ही हर एक को मन्सा सेवा का भी टाइम फिक्स करना चाहिए। जब ज्यादा दु:ख होगा उस समय सभी का अटेन्शन उस हलचल में होगा लेकिन अभी मन्सा सेवा का समय है इसलिए हर बच्चे को अपने विश्व कल्याणी का स्वरूप इमर्ज करना है। विश्व कल्याण में स्व कल्याण स्वत: और सहज हो जायेगा क्योंकि अगर मन फ्री है तो व्यर्थ आता है लेकिन मन बिजी होगा तो व्यर्थ सहज ही समाप्त हो जायेगा। तो बापदादा जब चक्र लगाके चारों ओर देश विदेश के अज्ञानी बच्चों को देखते हैं तो तरस आता है इसलिए आप सब भी अब दु:ख हर्ता सुख कर्ता बनो।

आज तो सभी होली मनाने आये हैं। दुनिया वालों की होली और आपकी होली में कितना अन्तर है। लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा कि आपके भक्त आप लोगों के किये हुए कार्य को कॉपी करने में होशियार हैं क्योंकि यह सब विधियां द्वापर में आने वाली आत्माओं ने बनाई हैं। तो पहला पहला जन्म था ना इसलिए उन्हों की बुद्धि भी जैसे नियम है पहले सतोप्रधान फिर रजो तमो में आते हैं, तो उस समय उन्हों की बुद्धि अपने हिसाब से सतो थी इसलिए आपकी एक-एक विशेषता को, आप सदा उत्साह में खुशी में रहते हो उसको उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया है। जैसे शिवरात्रि पर भी बताया ना कॉपी करने में कितने होशियार हैं। ऐसे अभी भी आप सदा संगम पर उत्साह में रहते हो तो आपका उत्साह उन्होंने उत्सव के रूप में यादगार बनाया है। तो होली में क्या करते हैं? आपने भी अपने जीवन को रंगा है लेकिन आपका रंग कौन सा है? आप सभी का रंग है बाप के संग का रंग। तो सारा समय बाप के संग के रंग में रहते हो ना! तो उन्होंने भी रंग तो बनाया लेकिन बॉडी कान्सेस है ना! तो स्थूल रंग बना दिया है। लेकिन आप सभी सदा यह कल्याणकारी संगम में इस रंग में, संग के रंग में रहते हो ना! रंग लगाया है ना! संग का रंग लग गया और होली इंगलिश में पवित्रता को कहा जाता है। तो संग के रंग में आप होली अर्थात् पवित्र बनते हो। पवित्र बने हैं ना! पवित्रता का व्रत सभी ने लिया है ना पक्का! नम्बरवार भले हैं लेकिन ब्राह्मण बनना अर्थात् पवित्रता का व्रत लेना क्योंकि बाप सदा पवित्र है। है ही पवित्र स्वरूप। बनना नहीं पड़ता। स्वरूप ही पवित्रता है। तो होली की विशेषता जानते हो क्या है? पवित्र तो आप बनते हो लेकिन आप संग के रंग में डबल पवित्र बनते हो। पवित्र धर्म पितायें, महान आत्मायें बनते हैं लेकिन वह सिर्फ आत्मा को पवित्र बनाते हैं। शरीर और आत्मा दोनों ही पवित्र वह आप भविष्य में बनते हो। शुरू से लेके देखो द्वापर से जो भी आये हैं पवित्र बने हैं लेकिन डबल पवित्र कोई नहीं बना है। शरीर भी पवित्र आत्मा भी पवित्र। आप जब भविष्य में राज्य अधिकारी बनेंगे तो आत्मा और शरीर दोनों पवित्र होंगे। सारा चक्र घूमो। द्वापर से आये हैं, द्वापर से अब तक देखो, कोई डबल पवित्र बना है! तो क्यों आप डबल पवित्र, इतने महान बने हैं? क्योंकि आपको रंग कौनसा लगा है? परमात्मा के संग का रंग लगा है। तो जैसे परम आत्मा पवित्र है तो आप भी 21 जन्म डबल पवित्र रहते हो। चाहे धर्मपिता आये लेकिन वह भी डबल पवित्र नहीं। आपका भाग्य है क्योंकि आप रहते ही परमात्मा के संग में हो। संग का रंग इतना पक्का रहता है जो डबल पवित्र बन जाते हो। और होली का दूसरा अर्थ है हो ली। हो गया, जो बीता सो बीता। हो ली। तो हो ली करना आता है? जो हो चुका वह हो चुका। हो ली शब्द का अर्थ क्या निकलता? बीती सो बीती। इससे आप डबल होली 21 जन्म रहते हो। एक जन्म नहीं क्योंकि संगम के एक एक सेकण्ड का कनेक्शन 21 जन्मों का है। यहाँ आपने अगर एक सेकण्ड या एक मिनट सफल किया तो 21 जन्म आपका सफल रहेगा। गैरन्टी है। तो ऐसी होली मनाई है? होली करना आता है? जो बीता वह बीत गया, हो ली। और तीसरी रूप रेखा क्या करते हैं? पहले जलाते हैं फिर मनाते हैं। तो आपने क्या किया? योग अग्नि से अपने कमज़ोरियों को, संस्कारों को जो अनेक जन्मों के उल्टे संस्कार हैं उसको योग अग्नि से जलाया है ना! जलाया है कि अभी भी जला रहे हैं? जलाया है? जो समझते हैं हमने योग अग्नि से अपने पहले के संस्कार जलाया है, जल गये वह हाथ उठाओ। जल गये कि अभी भी आते हैं? थोड़ा-थोड़ा तो आते हैं? बापदादा के पास जब अपना चार्ट भेजते हैं ना तो कहते हैं बहुत तो चले गये, चतुर हैं ना कहने में। कहते हैं बहुत तो खत्म हो गये, कभी-कभी थोड़ा इमर्ज हो जाता है। लेकिन जलना माना जलना। जलने के बाद नाम निशान ही नहीं रहता। मारने के बाद शरीर का यादगार तो दिखाई देता है, लेकिन जलने के बाद समाप्त हो जाता है। जैसे रावण को भी देखो सिर्फ मारा नहीं जलाया भी। जो बिल्कुल नाम निशान खत्म। तो आप भी सब अपने को नोट करो संस्कारों को मारा है या जलाया है? भस्म किया है? पुराने संस्कार को अगर जलाया नहीं, तो बीच-बीच में इमर्ज हो जाते हैं। लेकिन भक्तों ने कॉपी सब की है। आप जलाते हो वह भी जलाते हैं फिर मनाते हैं। बिना जलाने के मनाते नहीं हैं। तो आप तो संस्कारों को जलाते हुए होली बन गये हो। कोई बन रहे हो, कोई बन गये हो। तो आपने होली मनाई? बाप के संग के रंग की। अभी संग में बैठे हो ना तो संग के रंग की होली मना ली ना! मनाई? हाथ उठाओ। मना ली। होली मनाना अर्थात् होली बनना, पवित्र बनना। जैसे बाप वैसे बच्चे हैं। अगर मानों आपका कोई संस्कार जो जला नहीं है, इमर्ज हो जाता है तो अच्छा लगता है? संकल्प आता है ना कि अभी तीव्र पुरूषार्थ से इसको जलाना ही है। मारना नहीं है, क्या है कोई-कोई संस्कार को मारा है, तो मरे हुए में कभी जान फिर से आ जाती है। अगर जला दो तो फिर कभी नहीं आयेगा।

तो आज जलाना है या मारा हुआ ही ठीक है? जलाने की शक्ति है? है शक्ति? संकल्प कर सकते हैं? कई कहते हैं बापदादा से रूहरिहान करते हैं ना। बहुत मीठी मीठी रूहरिहान करते हैं, कहते हैं बाबा हमने तो बहुत कोशिश की, फिर फिर आ जाता है। चाहता नहीं हूँ लेकिन आ जाता है। कारण पता है? जलाते हो, बापदादा देखते हैं, पुरूषार्थ बहुत करते हैं लेकिन पुरूषार्थ के साथ दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। दृढ़ता सफलता की चाबी है। जो दृढ़ संकल्प किया जाता है, दृढ़ का अर्थ ही है फिर वापस नहीं आयेगा। फिर पता है बहुत मीठी मीठी बातें करते हैं। जब फिर आ जाता है ना तो क्या कहते हैं? रूहरिहान तो सभी करते हैं ना! बहुत मीठी रूहरिहान करते हैं कहते हैं चाहते तो नहीं है, आ जाता है। तो शक्ति कम है ना! दृढ़ता कम है ना! दृढ़ संकल्पधारी बनो। करना ही है। और उस दृढ़ संकल्प को रोज़ चेक करो किस कारण से फिर दृढ़ता में कमज़ोरी आई? और उस सरकमस्टांश के ऊपर विशेष अटेन्शन देते रहो कि यह फिर से नहीं आवे। मास्टर सर्वशक्तिवान के सीट पर बैठके उस संकल्प को, संस्कार को समाप्त करो। कई बच्चे कहते हैं कि हम कई बार अनुभव करते हैं कि कभी-कभी जब कोई शक्ति चाहते हैं ना तो उस समय पर वो शक्ति नहीं आती। वैसे शक्ति है लेकिन समय पर कभी शक्ति को इमर्ज करते हैं ना तो भी नहीं आती। है मास्टर सर्वशक्तिमान। टाइटिल क्या है आपका? मास्टर सर्वशक्तिमान और कहते क्या हैं? शक्ति समय पर नहीं आती। कारण? अपने मास्टर सर्वशक्तिमान की सीट पर सेट नहीं होते। अभी दफ्तर में भी जाओ तो जो करने वाले को अथॉरिटी होगी वह आर्डर करेगा तो मानते हैं ना। ऐसा दूसरा कोई कहे तो मानेंगे क्या? तो आपकी सीट है मास्टर सर्वशक्तिमान। उस सीट पर सेट नहीं होते तो आवाह््न करते भी शक्ति समय पर नहीं आती। इसके लिए बापदादा ने बार-बार कहा है अपने मन को बिजी रखो। कभी किस शक्ति को सारे दिन में इमर्ज रखो। कभी किसी शक्ति को इमर्ज करके देखो कि उसकी ताकत क्या है? ऐसे अनुभव करते रहेंगे, अपनी सीट पर सेट रहेंगे तो शक्ति आपके आगे सदा जी हाजिर होगी। आपकी शक्ति है ना! तो होली मनाई? आप तो सदा होली मनाते रहते। सदा बाप के संग का रंग लगाते ही रहते। रंग में रंगे हुए हैं ना? अच्छा।

बापदादा का जो कार्य मिला है, उस कार्य को अगर कोई ने अभी तक नहीं भी किया है तो बापदादा विशेष एक सप्ताह देते हैं एकस्ट्रा। जो डेट है वह तो है लेकिन एक सप्ताह एकस्ट्रा देते हैं कि इस होमवर्क को पूरा करना ही है। हो सकता है? हो सकता है? हाथ उठाओ। करना पड़ेगा हाथ उठाया। हाथ ऐसा अच्छा उठाते हो जो बापदादा खुश हो जाता है लेकिन करना ही है क्योंकि अभी समय की गति को देख रहे हो। और बापदादा तो बहुत समय से अचानक की वारानिंग दे रहे हैं इसलिए अभी बापदादा हर बच्चे को एक स्वमान देते हैं - हर बच्चा दृढ़ संकल्पधारी विशेष आत्मा बनो। संकल्प किया और हुआ, इसको कहा जाता है दृढ़ संकल्प। कहते हैं दृढ़ संकल्प किया लेकिन दृढ़ता माना ही सफलता। अगर सफलता नहीं है तो दृढ़ता नहीं कहेंगे। तो अभी दृढ़ता भव! यह अपना विशेष स्वमान रोज़ अमृतवेले स्मृति में लाना और उस विधि पूर्वक आगे बढ़ना। अभी दो टर्न हैं, इन दो टर्न में क्या करेंगे? क्या करेंगे? बोलो। पहली लाइन बोलो क्या करेंगे? करना ही है। करेंगे नहीं, करना ही है। बहुतकाल का बाप समान बनना, बहुत समय की प्राप्ति है। संगमयुग का समय बहुत प्यारा है, एक सेकण्ड नहीं है एक सेकण्ड एक वर्ष की प्राप्ति समान है इसलिए बापदादा कहते ही रहते हैं एक सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं जाये। एक संकल्प भी व्यर्थ नहीं जाये। समर्थ बनो और समर्थ बनाओ। ठीक है ना! ठीक है टीचर्स। टीचर्स कांध हिला रही हैं।

बापदादा का टीचर्स के ऊपर बहुत प्यार है। है तो सभी बच्चों के ऊपर फिर भी टीचर्स जिम्मेवार हैं ना! बापदादा की दिल को पूर्ण करने वाली कौन? कौन? कहो हम टीचर्स। हाथ उठाओ। हाँ देखो कितनी टीचर्स हैं? अरे वाह! अच्छा। होली भी मनाई अभी क्या करना है?

सेवा का टर्न राजस्थान का है:- छोटा नहीं है, बड़ा है राजस्थान। आप कहो राजस्थान तो आबू का कमरा है। तो आबू बड़ा है ना उसका कमरा है तो बड़ा ही होगा ना। बापदादा राजस्थान पर खुश है क्योंकि राजस्थान में बचपन से जो वहाँ निकली वह अभी तक अमर हैं। सेवा में अमर हैं। शरीर में नहीं, सेवा में। और राजस्थान ने पहले-पहले आदि में वारिस क्वालिटी निकाली। जो बापदादा को उन वारिस क्वालिटी का दृष्टान्त देने में सहज था और जैसे गुजरात नजदीक है, ऐसे राजस्थान तो आबू का बड़ा कमरा है। जब भी बुलायें तो क्या कहेंगे? हाज़िर। जी हाँ हाज़िर। बापदादा हर ज़ोन की विशेषता देख रहे हैं और यह जो सिस्टम बनाई है वह बहुत अच्छी बनाई है। किसने बनाई? मुन्नी ने। (दादी जी ने बनाई) दादी तो थी ही दादी। लेकिन जो भी महारथी गये हैं उनकी विशेषता यह है अमृतवेले हाज़िर हो जाते हैं। अमृतवेले का मिलन छोड़ा नहीं है। जैसे यहाँ भी नियम में चलके चलाया। कहने से नहीं, चलके चलाया, ऐसे ही सभी को उमंग उत्साह में लाया। तो यह सिस्टम भी बहुत अच्छी है। आप सबको पसन्द है ना। चांस है। अभी देखो पहले बारी जो आये हैं राजस्थान से, वह हाथ उठाओ। जो पहले बारी मधुबन में आये हैं राजस्थान के, वह हाथ उठाओ। अच्छा चांस है। इतनी संख्या राजस्थान की, वैसे तो आपको लिस्ट अनुसार आना होता है लेकिन अभी फ्रीडम है, सेवाधारियों को चांस मिलता है इसलिए बापदादा दादी को मुबारक दे, या आप सबको मुबारक दे। दादी ने बनाया आप लोग प्रैक्टिकल में आ रहे हैं इसके लिए आपको भी मुबारक। अच्छा।

अभी राजस्थान एक कमाल करना। नम्बर पहले वारिस क्वालिटी बाबा के सामने लाना। बापदादा ने देखा कि सभी वर्गों ने अपने-अपने सम्पर्क वालों की मैजारिटी लिस्ट दी है। लेकिन सहयोगी तो हैं अब आगे क्या करेंगे? सहयोगियों को यज्ञ स्नेही बनाओ। जब यज्ञ स्नेही बनेंगे तो हर कार्य में सभी सहयोगी बनेंगे। लिस्ट बड़ी अच्छी-अच्छी लिखी है। मैजारिटी समय प्रति समय लिस्ट देते रहे हैं। मैजारिटी लिस्ट अच्छी है अभी भी दो चार वर्ग की लिस्ट आई है आज भी। लेकिन अब स्नेही बनाओ अर्थात् हम यज्ञ के ही हैं ऐसे पक्के निश्चयबुद्धि बनाओ। सहयोगी हैं उसमें तो कहेंगे हम हैं ही सहयोगी, लेकिन स्नेही जो भी यज्ञ के नियम कार्य हैं उसमें स्नेही बनेंगे। वर्ग वालों ने कार्य अच्छा किया है। बापदादा ने वर्ग वालों को भी मुबारक दी है। राजस्थान माना राजा बनके राजा बनाने वाले। प्रजा नहीं राजा बनाने वाले। राजस्थान है ना, तो कमाल करेगा ना राजस्थान।

दो विंग्स आई हैं - मेडिकल विंग और ट्रांसपोर्ट विंग:- मुबारक हो। बापदादा ने देखा जो भी वर्ग बनी हैं वह अपने अपने क्षेत्र में कार्य अच्छा कर रही हैं। अभी दोनों विंग ने भी अपनी लिस्ट भेजी है। बापदादा ने देखी और मुबारक देरहे हैं कि अच्छे-अच्छे सम्बन्ध-सम्पर्क में आये हैं। लेकिन बापदादा ने समय के प्रमाण आज यह भी कहा कि सहयोगी है लेकिन अब यज्ञ स्नेही बनाओ। वारिस क्वालिटी बनाओ। जो भी सहयोगी हैं उन्हों को अपने ज़ोन में, बापदादा ने पहले भी कहा है लिस्ट तो आई है अच्छा है लेकिन हर एक ज़ोन एक-एक वर्ग को अपने भिन्न-भिन्न स्थान के सहयोगी या स्नेही आत्माओं को इकठ्ठा करो। तीन दिन का उनको सम्पर्क में लाओ, रहें, मीटिंग करें और आगे के प्रोग्राम बनायें। तो हर ज़ोन जहाँ भी उनके हैं, सभी ज़ोन से कोई बड़े स्थान पर जहाँ भी ज़ोन में हो, सहयोगियों को इकठ्ठा करके उनकी मीटिंग करो और उन्हों को विशेष एक बल भरो और आगे बढ़ने का। जो अब तक किया उसकी मुबारक दो और आगे बढ़ने का प्लैन बनाके दो क्योंकि उन्हों को भी आगे बढ़ने की विधि सुनानी पड़ेगी। तो सभी ज़ोन मिलके एक-एक वर्ग का जहाँ विशेष स्थान है वहाँ इकठ्ठा करो। फिर देखेंगे उस संगठन में कितने आते हैं, क्या आगे चाहते हैं? ऐसे सम्पर्क में लायेंगे तो वारिस बन जायेंगे। बाकी इन दोनों वर्ग जो खड़े हुए हैं उनकी भी बापदादा ने भी रिजल्ट देखी, अच्छी है इसलिए बापदादा दोनों ही वर्गों को मुबारक दे रहे हैं।

बापदादा ने पहले भी कहा है अब समय नाजुक आया कि आया इसलिए अभी कम से कम सम्पर्क वालों को यज्ञ स्नेही तो बनाओ। डाक्टर्स का भी समाचार सुना। अच्छा कर रहे हैं। लेकिन अभी डाक्टर्स और भी अपने डाक्टर्स की संख्या को स्नेही सहयोगी बनाते जाओ। प्लैन अच्छा बनाया है, बापदादा ने सुना है। उससे वृद्धि हो सकती है। नाम फैल सकता है और दूसरी विंग वाले भी अच्छा चारों ओर जो वी.आई.पी निकाले हैं उससे सिद्ध होता है कि कनेक्शन अच्छे रखे हैं। अब कनेक्शन वालों को सम्बन्ध में लाओ। रह नहीं जावे। समय समाप्ति का आवे और सहयोगी के सहयोगी रह जाये, इसलिए अब सम्बन्ध में लाओ। समीप सम्बन्ध में लाओ। बापदादा ने देखा कि जब से वर्ग बने हैं, तब से सेवा चारों ओर फैली अच्छी है। साधन अच्छा बनाते हैं लेकिन बापदादा सभी ज़ोन को भी कहते हैं अभी वारिस बनाने की विधि को थोड़ा और तीव्र करो। नहीं तो उल्हना मिलेगा। हम सहयोगी रह गये। आप प्लैन जरूर बनाओ फिर जिसका जो भाग्य होगा। और निकल सकते हैं बापदादा ने लिस्ट देखी सभी अपने-अपने समय पर लिस्ट देते हैं तो लिस्ट अनुसार समीप हैं, इनमें से निकल सकते हैं। अभी यह कोशिश करो। अच्छा।

(मेडिकल विंग सिल्वर जुबिली मना रही है, उसमें 8 ग्रुप सेवा के बनाये हैं) अच्छा है बनाया है। आगे बढ़ते चलो। अच्छा।

डबल विदेशी 1000 आये हैं, 65 देशों से:- सभी देखो, आपको देख करके सब कितने खुश हो रहे हैं। बाप ने कहाँ-कहाँ से 65 देशों से ढूंढकर निकाला है। आप सबको भी खुशी और नशा है ना तो हमको बाप ने ढूंढ लिया। और बापदादा ने देखा इस बारी सभी ने मिलके जो निमित्त बने हैं, उन सबने बहुत बहुत बहुत अच्छी निमित्त बनने की सेवा की है। बापदादा एक-एक का नाम नहीं लेते लेकिन जो भी निमित्त बनें उन्होंने सेवा में सफलता सबके दिलों में ऐसा उमंग दिलाया है जो अपने स्थान में जाके अपने स्थान को भी ऐसे ही रिफ़्रेश करेंगे। तो जो सेवा के निमित्त बनें उनको बापदादा बहुत बहुत मुबारक दे रहे हैं। सिस्टम भी अच्छी बनाई है और जनक बच्ची ने तो सभी को दिल में उमंग और उत्साह एकस्ट्रा भर लिया। हर एक का चेहरा दिखाई दे रहा है कि जो शक्ति इकट्ठी की वह चेहरे पर आ रही है। सबके चेहरे खुशनुमा दिखाई दे रहे हैं और अभी जो भारत और विदेश मिलके सेवा की है, उसकी रिजल्ट भी अच्छी है। भारत वाले विदेशियों को प्रेरणा देंगे और विदेश वाले भारत को प्रेरणा देंगे। मिलके करने से अपने में भी उमंग आता है और सुनने वालों में भी उमंग आता है वि्ा विदेश वाले इतना कर रहे हैं, हम भारत में होते भी नहीं कर रहे हैं। फील करते हैं और भारत वाले विदेश में जाते तो वह भी फील करते हैं कि हम यहाँ रहते अपना नहीं बनाया, उमंग में आकरके आगे बढ़ते, बापदादा को यह जो प्लैन बनाया है, तीन चार प्रोग्राम मिलके बनाये हैं, बड़े-बड़े प्रोग्राम उसमें बापदादा ने देखा वायुमण्डल में फर्क पड़ता है क्योंकि सब प्रकार की आते हैं ना। क्रिश्चियन भी मुस्लिम भी, जो भी भिन्न भिन्न धर्म के हैं वह सब प्रकार के इकट्ठे देखते हैं तो समझते हैं कि सचमुच विश्व एक हो सकता है इसलिए आपकी ट्रेनिंग बापदादा को अच्छी लगी। मेहनत वालों को बापदादा खास मुबारक दे रहा है। अभी विदेश वाले भी वारिस क्वालिटी लाना क्योंकि समय अचानक का है। तो जितने भी आत्माओं का कल्याण कर सको, जितना कर सको उतना करते जाओ फिर समय नहीं मिलेगा। अभी समय है, कम से कम बाप का घर तो देख लें। बाप का परिचय तो ले लें। तरस आता है ना! तो बहुत अच्छा कर भी रहे हैं लेकिन बापदादा को अभी एक बात याद आ रही है कि शुरू-शुरू में भारत के अन्दर कोई वी.आई.पी लाते थे तो अखबारों में नाम पड़ता था और अखबार वाले इन्ट्रेस्ट से आते थे। गवर्मेन्ट को देखना पड़ता है वी.आई.पी को, तो गवर्मेन्ट भी प्रभावित होती है, अभी वह नहीं किया है। आप आये हो उसकी तो मुबारक। प्रोग्रम में साथी बनते हैं, यह बापदादा अच्छा मानते हैं। अब उन्हों को भी लाओ तो गवर्मेन्ट के थोड़े कान खुलें। जैसे अभी देखते हैं कि यह जो 75 वर्ष की जुबली है, इस जुबली ने भारत वालों को अच्छा जगाया है। पहले जो समझते थे ब्रह्माकुमारियां पता नहीं क्या करती हैं, अभी उन्हों के मुख से निकला है कि कमाल है ब्रह्माकुमारियों के 75 वर्ष। और दूसरी कमाल है कि यहाँ बहिनें ही निमित्त बनी हैं और बहनों ने इतना कार्य किया है, तो उन्हों को यह आश्चर्य लगता है और अभी नजदीक आने की दिल होती है। मिलें, सुनें और आपके मुख्य जो सबजेक्ट हैं, आप आत्मा हो, वह इस जुबिली के कारण सब तरफ समझते हैं कि आत्मा समझने से यह एकमत हो सकते हैं। तो जैसे इस जुबिली ने कमाल की है ना, ऐसे और करते जाओ और सभी को सन्देश पहुंचाने के लिए भी जो टी.वी. और रेडियो ने सहयोग किया है, उसको भी बापदादा मुबारक दे रहे हैं। जो घर बैठे सब देखते हैं, वैसे तो कई बहाना देते थे, चाहते हैं लेकिन टाइम नहीं है, अभी घर बैठे भी देखने से धीरे-धीरे जागते जाते हैं। तो जो भी कर रहे हो वह अच्छा हो रहा है और होता रहेगा। उसकी मुबारक हो।

बापदादा ने देखा है कि अभी सेवा का उमंग भी सभी में जाग रहा है, हम भी करें, हम भी करें। यह उमंग आया है। जब उमंग आ गया ना तो जहाँ उमंग है, उत्साह है वहाँ सफलता है ही है इसलिए जो आप सम्मुख हो उन्हों को और जो दूर बैठे देख रहे हैं, सुन रहे हैं, उन सभी चारों ओर के बच्चों को बापदादा बहुत-बहुत दिल का प्यार और साथ में दिल में सदा रहने की मुबारक दे रहे हैं।

अभी दिल लग गई है, यहाँ आबू में रहने की दिल लग गई है! अच्छा है। विदेशियों को देखके तो परिवार भी खुश होता है। और 65 देशों से देखो किसमें आये हो? प्यार के विमान में आये हो ना।

पहली बार बहुत आये हैं:- पहली बार आने वालों को डबल मुबारक दे रहे हैं, क्यों? क्यों डबल मुबारक दे रहे हैं? क्योंकि समय के हाहाकार के पहले अपना भाग्य बना दिया। अहो प्रभु, अहो प्रभु कहने के बजाए मेरा बाबा तो कहा इसलिए बापदादा आने वालों को देख खुश है। बच्चे आ गये, आ गये, आ गये। देखो आधा क्लास तो पहले बारी का है। अभी तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा। पुरूषार्थी नहीं बनना तीव्र पुरूषार्थी बनना। अभी भी अगर तीव्र पुरूषार्थ किया तो तीव्र पुरूषार्थ से आगे बढ़ सकते हो। मार्जिन तीव्र पुरूषार्थ की है। साधारण पुरूषार्थ का टाइम गया और बापदादा हर एक आने वाले बच्चों को चक्र लगाते देखते हैं, कि बच्चे आगे बढ़ रहे हैं या ढीले आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा चक्र चारों ओर लगाते हैं। आप तो चारों ओर नहीं जा सकते लेकिन बापदादा तो रोज़ चक्र लगाते हैं। बाबा के साथ जो आपके एडवांस पार्टी के विशेष गये हैं ना वह भी बापदादा के साथ चक्र पर निकलते हैं। आप लोगों को देख करके खुश होते हैं हमारे भाई, हमारी बहन आ गये, आ गये इसलिए आगे बढ़ते चलो, सारे परिवार की आपको मुबारक है। अच्छा।

आज मधुबन वालों को विशेष बापदादा एक बात की मुबारक दे रहे हैं। कौन सी बात? सभी ने अभी तक सेवा बहुत अच्छी प्यार से की है। कितना भी बड़ा परिवार आया लेकिन सेवा में निमित्त तो मधुबन वाले बनते हैं। चाहे हर ज़ोन सहयोगी बनते हैं लेकिन फिर भी जो परमानेंट रहते हैं उनके सहयोग के बिना तो नहीं कर सकते। इसलिए एक-एक मधुबन वासी सिर्फ नीचे वाले नहीं, ऊपर वाले भी, हॉस्पिटल भी, जिन्होंने भी सहयोग दिया है, और अथक बनके सहयोग दे रहे हैं, इसीलिए एक-एक बच्चा अपने नाम से बापदादा का यादप्यार स्वीकार करना। अच्छा। जो मधुबन वाले हैं वह उठो, जो भी बैठे हैं यहाँ। तो खास मुबारक हो। अच्छा।

चारों ओर के होलीएस्ट बच्चों को जो हर कदम में मेरा बाबा मेरा बाबा कहते हुए उड़ रहे हैं, और सदा अपने तीव्र पुरूषार्थ द्वारा आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ाते रहते हैं ऐसे बापदादा के दिल के नूरे रत्न को बापदादा बहुत बहुत बहुत बहुत दिल का प्यार दे रहे हैं। साथ में होली की मुबारक भी दे रहे हैं क्योंकि वास्तव में आप ही होली हो और कोई डबल होली तो बनते नहीं। आप ही डबल होली बनते हो इसीलिए पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो।

दादी जानकी से:- परिवार से दिल का प्यार अच्छा है। सभी खुश होते हैं। जो दिल से करते हैं ना तो खुशी होती है। अथक बनके कर रही हो, ऐसे ही चलते चलो। बापदादा तो हर बच्चे को सकाश देता है। हर बच्चे को चला रहा है और बच्चे जो बापदादा चला रहे हैं, उनका रेसपान्स भी देते हैं। अच्छा देते हैं।

मोहिनी बहन:- ठीक है, चलाने तो आ गया है। तबियत में अभी ताकत नहीं है तो थोड़ा-थोड़ा जैसे आप चला रही हो वह अच्छा चला रही हो, ऐसे चल जायेगा। ऐसे नहीं समझो नहीं चलेगा, चलेगा। लेकिन आपको तरीका आ गया है, इस पर बापदादा खुश है। (सेवा का प्रोग्राम बना, मैं जा नहीं सकी) क्योंकि पहले भी आना जाना किया। कोई भी प्रोग्राम बनाओ भले लेकिन थोड़ा समय रेस्ट करके फिर बनाओ। अभी समझ गई हो ना। सेवा करेंगी, ऐसी कोई बात नहीं है, जब जाना हो तो उसके 15 दिन पहले रेस्ट करो। जाना है, लेकिन अपने को तैयार करो, एकस्ट्रा कुछ नहीं करो। जैसे डायरेक्शन है उसी अनुसार चलो। ठीक करेंगी, निकलेंगी।

नीलू बहन भी हॉस्पिटल की यात्रा करेंगी:- हिम्मत रखी है और शक्ति भी है। है ना शक्ति। बापदादा ने दी है और आपने जमा की है। उस शक्ति से कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे ही लगेगा कुछ हुआ नहीं, कोई तकलीफ नहीं। सेवा का मेवा तो मिलेगा ना। अच्छा है।

परदादी से:- यह तो वाह! वाह! है ना। देखो अभी इसका फोटो निकालो, बीमार लगती है? बर्थ डे की मुबारक हो। यह कमाल है कि इनका चेहरा सदा ऐसे लगता है जैसे कुछ है नहीं। शक्ल सुहानी है। कहती है ना डबल बाप है, तो डबल वरदान है।

निर्वेर भाई और तीनों भाईयों से:- (कटक वालों की याद दी) सबको यादप्यार देना। सबको उमंग है, अच्छा है। आवाज तो फैलता है ना। (पुरी के महाराजा भी मधुबन आना चाहते हैं) अभी आयेंगे, बहुत आयेंगे।

आप तीनों मिलके राय करते हो? राय करना फिर दादियों को सुनाओ, पहले आपस में राय करो। यह अच्छा करते हो, जैसे आज किया है ना। ऐसे राय निकालके फिर इन्हों को साथ में सुनाओ। अच्छा करते हो।

रमेश भाई से:- तबियत ठीक है ना। तबियत की सम्भाल करना। हल्का नहीं छोड़ो। और सदा ऐसे समझो कि बाबा के साथ चल रहा हूँ। बाबा के साथ काम कर रहा हूँ, अकेला नहीं। (अनिला बहन की याद दी, वह हॉस्पिटल में है) उसकी तबियत थोड़ी है।

(सोनीपत की जमीन पर काम बढ़ाना है) अच्छा है, उस तरफ सेवा तो शुरू हो। बनाना प्रोग्राम अच्छा है सेवा का विस्तार हो रहा है।

भूपाल भाई से:- साक्षी होके सब यज्ञ का कार्य निमित्त बनके करते चलो। बाबा का साथ तो है ही। अकेला तो कोई कर नहीं सकता। बाप साथ है ही। अच्छा है।

मोहिनी बहन की सेवा पर जो बहने हैं, उनके प्रति बापदादा ने कहा कि, बाबा जानते हैं, देखो कोई भी सेवा करते हैं बाबा की दी हुई सेवा है। बाप ने दी है। तो पहले बाप फिर सेवा। अच्छा है।


11-02-10   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘शिव के जन्म दिन पर क्रोध रूपी अक का फूल बापदादा को अर्पण कर दर्पण बनो, पवित्र प्रवृति के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा प्रत्यक्षता को समीप लाओ’’

आज सभी बच्चे सम्मुख बैठे हुए और देश विदेश में बैठे हुए चारों ओर के बच्चे बहुत खुशी से बाप का और अपना जन्म दिन मनाने की अनेकानेक बधाईयां, मुबारकें दे रहे हैं। आप सम्मुख बैठे हो और दूर-दूर से साइंस के साधनों द्वारा सभी बच्चे खुशी-खुशी से दिल की मुबारकें दे रहे हैं। आप सभी जो भी यहाँ आये हैं वह बाप का जन्म दिन मनाने आये हैं वा अपना भी मनाने आये हैं? क्योंकि यह जयन्ती विचित्र जयन्ती है। क्यों विचित्र है? बाप और बच्चों की साथ-साथ है। सारे कल्प में ऐसी जयन्ती होती ही नहीं है। सारे कल्प में चक्र लगाके आओ। विचित्र जयन्ती है। तो बापदादा सभी बच्चों से पूछ रहे हैं कि आप सभी बाप को बधाईयां देने आये हो वा बाप से बधाईयां लेने आये हो? बापदादा अकेला कुछ नहीं करता क्योंकि जन्म लेते यज्ञ रचा। तो यज्ञ में ब्राह्मण चाहिए तो आपका भी जन्म बाप के साथ हुआ। इसका यादगार भक्ति में भी शिवरात्रि मनाते हैं तो साथ में सालिग्रामों की भी पूजा होती है। अनेकानेक सालिग्रामों को पूजते हैं। तो यह जयन्ती वन्डरफुल जयन्ती है इसलिए इस जयन्ती को हीरे तुल्य जयन्ती कहा जाता है। तो बापदादा सभी साथी बच्चों को पदम पदमगुणा बांहों के हार के बीच पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। यह भी बाप और बच्चों की अति दिल के प्यार की निशानी है। बापदादा का बच्चों से वायदा है कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे। तो बोलो बच्चों का भी बाप से वायदा है ना! कि संगम पर साथ है, साथ-साथ रहना भी है, विश्व सेवा भी साथ में है। रहना भी है साथ में, उड़ना भी है तो साथ में। तो बोलो, आपका भी वायदा है ना कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और ब्रह्मा बाप के साथ विश्व पर राज्य करेंगे। वायदा है? पक्का वायदा है? यही विशेषता इस शिव जयन्ती की है।

बापदादा ने अमृतवेले से देखा कि भिन्न-भिन्न स्थान के बच्चे बहुत ही खुशी से मुबारक, बधाईयां भेज रहे थे। आप तो अभी सम्मुख बधाईयां दे भी रहे हो और ले भी रहे हो। देना और लेना साथ में है। कितने भाग्यवान भगवान के बच्चे हैं जो सम्मुख बर्थ डे मना रहे हैं। सभी के चेहरे खुशनुम: खुशी में उड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ बापदादा बच्चों के भाग्य को देख रहे हैं और दूसरे तरफ भक्तों को भी देख रहे हैं। वह अभी तक पुकार रहे हैं आओ और आप साथ में मना रहे हो। बापदादा ने देखा भक्तों की अनुभूति भी कोई कम नहीं है। जो प्रैक्टिकल में आप कर रहे हो उसको यादगार रूप में कितनी अच्छी विधि से यादगार मनाया है। आपने व्रत लिया तो उन्होंने भी व्रत का यादगार बनाया है। वह एक दिन या थोड़े समय के लिए व्रत रखते हैं लेकिन आपने कौन सा व्रत रखा है? सभी ने बाप के आगे व्रत रखने का वचन लिया है ना! आपने बाप से खुशी-खुशी व्रत लिया है कि बाबा हम इस पूरे जन्म के लिए, ब्राह्मण जन्म के लिए व्रत धारण करेंगे, व्रत धारण किया है ना!कौन सा? पवित्रता का। एक जन्म का व्रत लिया है लेकिन एक जन्म पवित्रता का व्रत 21 जन्म चलेगा। वह थोड़े समय के लिए खाने पीने और जागरण का कार्य करते हैं। लेकिन आप अभी के एक जन्म के जागरण से अर्थात् अंधकार से रोशनी में आ गये और यह जागरण भी आपका 21 जन्म चलेगा। सारे विश्व में ऐसा जागरण किया है जो विश्व में आपके जागरण से विश्व जागती ज्योति रहेगी। कोई भी दु:ख अशान्ति का अंधकार नहीं रहेगा। तो बोलो, आपने सारे विश्व को अंधकार से रोशनी में लाया है, यह बेहद का व्रत अच्छा लगता है? मेहनत तो नहीं लगती? सहज है वा मुश्किल है? सहज लगता है! जिसको सहज लगता है वह हाथ उठाओ। कभी-कभी मुश्किल नहीं लगता? कभी लगता है? नहीं। क्योंकि आप जानते हो कि पवित्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है इसलिए पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं लेकिन मन-वाणी-कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में भी पवित्रता। पवित्रता के संस्कार सहज धारण करने वाले हो। तो पवित्रता का तो संकल्प किया है लेकिन अभी समय अनुसार बापदादा समय की वार्निंग तो दे रहे हैं, तो जैसे पवित्रता का व्रत हिम्मत रख अपना स्वधर्म समझ धारण किया है वैसे जो दूसरा भूत है क्रोध, तो आज बापदादा यह पूछते हैं कि एक महाभूत को तो व्रत लेकर वृत्ति बदली लेकिन दूसरा जो भूत है क्रोध का, क्या क्रोध के भूत पर विजय प्राप्त करना यह भी संकल्प किया है या दूसरा विकार है इसीलिए छूट है? क्योंकि क्रोध सबके कनेक्शन में आता है तो आज के दिन, जब भी जन्मदिन मनाते हैं तो एक-दो को गिफ्ट भी देते हैं तो आज बापदादा यह चाहते हैं कि जैसे हिम्मत और बाप की मदद से पहले नम्बर पर मैजारिटी जीत प्राप्त कर चल रहे हैं क्या ऐसे ही क्रोध पर भी जीत हो सकती है? क्योंकि कोई भी भूत परेशान तो करते हैं और क्रोध का भूत दूसरों के कनेक्शन में आता है। सम्पर्क में आता है। अपने मन में भी जब क्रोध आता है तो खुद भी क्रोध से लाचार होते हैं। तो बाप का बर्थ डे मनाने आये हो तो आज बापदादा चाहे भारत वा फॉरेन वाले सभी बच्चों से क्रोध की गिफ्ट लेने चाहते हैं। हो सकता है? हो सकता है? जो समझते हैं कि आज के दिन बाप को गिफ्ट में दे सकते हैं, मन में भी नहीं, स्वप्न में भी नहीं, ऐसा अपने को संकल्प रख हिम्मत से आगे बढ़ने की शक्ति है! है? जो बाप को हिम्मत से संकल्प कर सकते हैं, करेंगे और बाप से गिफ्ट लेंगे। गिफ्ट में दो और गिफ्ट लो। अगर क्रोध पर जीत हो गई तो औरों पर भी करने की हिम्मत आयेगी। तो कौन समझता है कि हम यह गिफ्ट देकर और बाप से गिफ्ट लेंगे? वह हाथ उठाओ। अच्छा, झण्डा हिला रहे हैं। कुमारियां भी, देखना। बापदादा को बच्चों की हिम्मत देख बहुत अच्छा लग रहा है। आप सीन देख रहे हो ना! फोटो निकालो फिर हाथ उठाओ। हाँ फोटो निकालो सभी का। बापदादा इस हिम्मत पर आपको रोज़ अमृतवेले जब मिलन मनाते हो उस समय विशेष अनुभवी आत्मा सहज बनने की बधाई देंगे। क्योंकि इतने सब रहते अपने-अपने स्थान पर रहते भी जब लोग देखेंगे कि यह इतने रहते हैं, इकट्ठे रहते हैं, प्रवृत्ति सम्भालते हैं, घरबार छोड़के नहीं गये हैं, लेकिन पवित्र प्रवृत्ति बनाई है तो क्या हो जायेगा? जो आप सबके अन्दर शुभ भावना है कि आत्माओं की क्यु लग जाए वह क्यु आपको दिखाई देगी। क्योंकि क्रोध प्रत्यक्ष दिखाई देता है। जब प्रैक्टिकल देखेंगे कि यह तो सिर्फ पवित्रता कहते नहीं लेकिन पवित्र रह करके दिखाते हैं, प्रत्यक्षता चाहते हो तो यह प्रत्यक्ष प्रमाण है इससे सभी आकर्षित होके स्वत: ही आयेंगे। लेकिन सुनायें? आगे सुनायें? क्रोध आने का कारण मैजारिटी देखा गया है कि कहाँ न कहाँ ईर्ष्या और साथ में कुछ भी देख करके चलते हुए वेस्ट थॉट्स का बीज भी क्रोध को लाता है क्योंकि वेस्ट थॉट्स है बीज, इस बीज से क्रोध भी उत्पन्न होता है और इसका एक शब्द निमित्त बनता है, उस एक शब्द के बीज को अगर खत्म किया तो सहज हो जायेगा। वह एक शब्द है ‘क्यों’, यह क्यों? यह क्यों हुआ? यह क्यों किया? यह क्यों करते हैं? इस ‘क्यों’ शब्द का बड़ी क्यू है। और देखो क्यू अक्षर इंगलिश में लिखो तो कितना मुश्किल लिखा जाता है। और ‘ए’ लिखो, कितना सहज है। तो बापदादा आज यही चाहते हैं कि इस क्यों शब्द का क्यु खत्म करो। तो जो आप सबकी आश है कि अभी जल्दी-जल्दी बाप की प्रत्यक्षता हो, हर एक की दिल में बाप के स्नेह का फ्लैग, झण्डा लहरावे और दिल गीत गाये, दिल में गीत गाये हमारा बाबा आ गया। मीठा बाबा आ गया। यही चाहते हो ना! कि जल्दी जल्दी प्रत्यक्षता का झण्डा सबके दिल में लहराये। तो इसका कारण क्यों, क्या, कैसे होगा, यह कै-कै की भाषा खत्म करके कै बोलना है तो कमाल बोलो। कै-कै नहीं करो। जब बापदादा ने बच्चों का बो\डग खोला, पाकिस्तान की बात है, आदि में तो जगत अम्बा बच्चों को यही कहती थी तो कै-कै की भाषा नहीं करो। कै-कै ज्यादा कौन करता है? वह अच्छा लगता है? तो अभी क्यों क्यों की क्यु नहीं लगाओ। हाँ जी, अच्छा जी, बहुत अच्छा, हम मिलके करेंगे, उड़ेंगे ऐसे बोल बोलो। हो सकता है भाषा परिवर्तन? कै-कै नहीं, यह क्यु छोड़ दो तो वह क्यु लगेगी।

तो सभी ने बापदादा को, क्योंकि शिव के ऊपर अक के फूल ही चढ़ते हैं तो आज शिवरात्रि मना रहे हो, शिव का जन्म दिन मना रहे हो तो यह क्रोध का अक का फूल बापदादा को अर्पण कर दो तो आप दर्पण बन जायेंगे। पसन्द है ना! पसन्द है? अच्छा। तो अभी होली पर बापदादा आयेंगे, उसमें रिजल्ट लेंगे। थक नहीं जाना। हुआ नहीं, निश्चयबुद्धि होके करो, करना ही है। और हाथ उठाया, हाथ उठाना अर्थात् बाप को दे दिया। दिया ना! फिर हाथ उठाओ। देख रही हैं दादियां, देख रही हो? ताली बजाओ। हिम्मत कभी भी नहीं हारना। अगर थोड़ा भी कम हुआ तो आगे के लिए हिम्मत रखके छोड़ नहीं देना। बढ़ते रहना। बापदादा कम्बाइन्ड है, कहते हो ना, साथ है नहीं कहते हो, कम्बाइन्ड है। तो ऐसे समय पर अगर कुछ भी हो तो बापदादा कम्बाइन्ड है उसको सामने लाके फिर अर्पण कर दो। लेकिन बापदादा चाहता है कि सभी बच्चे नम्बरवन हो, दी हुई चीज़ अमानत हो गई। हाथ उठाया अर्थात् दिया तो अभी आपका नहीं हुआ। अमानत है। तो अगर संकल्प में भी आये तो समझना अमानत में ख्यानत, यह बुरा माना जाता है। दी हुई चीज़ कभी वापिस नहीं ली जाती क्योंकि मेरी नहीं।

तो आज बापदादा चारों ओर के जो स्क्रीन में भी देख रहे हैं, वहाँ बैठे सब खुशी-खुशी से देख रहे हैं और संकल्प भी कर रहे हैं, तो मधुबन या सभी सेन्टर क्या बन जायेंगे? क्या बन जायेंगे? सभी सेन्टर्स निर्विघ्न भव के वरदानी बन जायेंगे। पसन्द है ना! पसन्द है? क्योंकि बापदादा चाहते हैं कि अभी अचानक सरकमस्टांश ऐसे बनेंगे जो दु:ख और अशान्ति के कारण ऐसे बनेंगे जो आप सबको आत्माओं पर रहम आयेगा, क्योंकि आप पूर्वज हो, पूज्य भी हो और पूर्वज भी हो। तो पूर्वज कोई भी आत्मा का दु:ख या डिस्ट्रबेन्श देख नहीं सकते, जिससे प्यार होता है, रहम होता है उसका दु:ख देख नहीं सकता। तो बाप समझते हैं कि समय आपको परिवर्तन करे, इससे पहले आप पुरूषार्थ के प्राप्ति की प्रालब्ध अभी से अनुभव करो। क्योंकि आपका सिखाने वाला समय नहीं है, समय आपका टीचर नहीं है। तो होली पर हर एक अपनी रिजल्ट ज्यादा लम्बा नहीं लिखना, पढ़ने की भी फुर्सत नहीं होती। लेकिन बापदादा ने पहले भी सुनाया कि जैसे आपको वरदान की चिटकी मिलती है ना, कितनी छोटी होती है, उसमें ओ.के. लिखो। ओ.के. शब्द लिखना। अगर आपमें पुरूषार्थ करते कुछ भी हुआ हो तो ओ.के. के बीच में लाइन लगाना। इजी है ना! इतना कागज वेस्ट नहीं करना। अगर ज्यादा बार हो, एक बार दो बार तीन बार लाइन लगाते जाना। और होली के पहले मधुबन में भेज देना। भले इकट्ठे करके भेजो, टीचर भेजे। फिर बापदादा के पास रिजल्ट पहुंच जायेगी। इसमें नम्बरवन कौन? फिर बापदादा आपको पदम पदमगुणा दिल के स्नेह की सौगात देंगे। अच्छा। डबल फारेनर्स है ना! हाथ उठाओ। नम्बर लेंगे ना! देखेंगे फॉरेन वाले नम्बर लेते हैं या भारत वाले। अच्छा है। बापदादा तो सभी को उम्मींदवार नहीं देखते लेकिन बाप के आशाओं को पूर्ण करने वाले बाप के आशाओं के दीपक के रूप में देखने चाहते हैं।

मधुबन क्या करेगा? मधुबन वाले हाथ उठाओ। नीचे ऊपर सब मधुबन। ऊपर वाले भी हाथ लम्बा उठाओ, हिलाओ। अच्छा। मधुबन को नम्बर तो लेना चाहिए। लेना चाहिए ना! लेना चाहिए? क्योंकि मधुबन को कापी सभी बहुत जल्दी करते हैं। तो अच्छा है। अच्छा - इस बारी जो पहले बारी आये हैं वह उठो।

बहुत हैं। बापदादा पहले बारी आने वालों को चांस देते हैं कि फास्ट जाओ और फर्स्ट आओ। अच्छे हैं। हिम्मत वाले हैं। और बाप कम्बाइन्ड है, कम्बाइन्ड शक्ति से जो चाहो वह कर सकते हो। कुछ भी आवे ना तो बाप को दे देना। आप यूज नहीं करना। जैसे छोटे बच्चे होते हैं ना, छोटे बच्चों को देखा है ना। कोई भी चीज़ अगर अच्छी नहीं लगती है तो क्या करते हैं, मम्मी-पापा यह लो, हमको नहीं चाहिए। तो बाप मददगार है और सदा रहेंगे। तो पहले बारी आने वालों को पहले बारी आने की पदम पदमगुणा मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है। आपकी तालियां विदेश-देश चारों ओर देख रही हैं। साइंस वालों की भी कमाल है ना! बापदादा निमित्त बनने वालों को भी मुबारक देते हैं जो इस समय जब आपको आवश्यकता है इन साधनों की, तो इस समय नये से नये साधन निकाल रहे हैं। भक्तों पर भी बापदादा को तरस बहुत पड़ता है। बहुत मेहनत करते हैं। आप मोहब्बत में रहते और वह मेहनत में रहते, आप मेहनत नहीं करना। मोहब्बत में ही रहना। अच्छा। बैठ जाओ।

ओम् शान्ति का मन्त्र शस्त्र बनाके यूज करो। जिसके पास शस्त्र होते हैं ना वह अपने को हिम्मत वाले समझते हैं। जैसे मिलेट्री वाले हिम्मत रखते हैं। अच्छा।

चारों ओर के कम्बाइन्ड रहने वाले देख भी रहे हैं, सुन भी रहे हैं लेकिन सभी जो नहीं भी सुन रहे हैं, वह मुरली द्वारा तो सुनेंगे ही। तो चारों ओर के बाप के स्नेही सहयोगी मीठे-मीठे, प्यारे-प्यारे बच्चों को बापदादा पदम पदमगुणा बधाईयां भी दे रहे हैं, मुबारक भी दे रहे हैं और साथ-साथ प्रत्यक्षता का झण्डा जल्दी से जल्दी लहराने का संकल्प भी दे रहे हैं। समय पर नहीं रहो, समय को टीचर नहीं बनाना, जब बाप; बाप, शिक्षक और सतगुरू है तो जैसे आपकी जगत अम्बा ने किया, दो शब्द में नम्बर ले लिया। बाप का कहना और जगत अम्बा का करना - ऐसे तीव्र पुरूषार्थ किया और नम्बर लिया। आप सब भी मानते हो ना, तो आप भी फॉलो मदर जगत अम्बा। अच्छा। सबको यादप्यार और बहुत-बहुत दिल की दुआयें स्वीकार हो। साथ-साथ बाप बच्चों को मालिकपन में देख नमस्ते कर रहे हैं।

सेवा का टर्न भोपाल ज़ोन का है:- अच्छा, बहुत अच्छा। भोपाल ज़ोन नाम ही है भूपाल, तो भू किसको कहते हैं? धरनी को। उसको पालने वाले। आप धरनी के सितारे बन आत्माओं को उड़ाने वाले, चलाने वाले नहीं, उड़ाने वाले। सबसे सहज साधन है उड़ना और उड़ाना। तो भोपाल निवासी खुद भी उड़ने वाले और औरों को भी उड़ाने वाले। ठीक है, ऐसे है? कि कोशिश कर रहे हो? नहीं, हैं और रहेंगे। बापदादा को हर ज़ोन पर जिगरी स्नेह है। अभी बापदादा ने पहले भी कहा है कि नम्बरवन ज़ोन वह बनेगा जिसमें वारिस बच्चे अधिक हों। साधारण तो आते रहेंगे लेकिन वारिस क्वालिटी जिस ज़ोन में वेरीफाय किये हुए, ऐसे नहीं आप लिस्ट लिख दो लेकिन वेरीफाय करेंगे, तो जिस ज़ोन में वारिस क्वालिटी ज्यादा में ज्यादा होगी, उसको नम्बर देंगे। प्रोग्रामस भी सभी कर रहे हैं और अभी भी कर रहे हैं, बापदादा के पास सब समाचार आता है। क्योंकि वारिस क्वालिटी अपने राज्य में राज्य अधिकारी बनेंगे। अगर राज्य अधिकारी तैयार हो गये, सब मिलाके तो राज्य में आने में कोई देरी नहीं लगेगी। तो भोपाल नम्बर लेंगे ना! जो खुद वारिस है, वह फोर्स का कोर्स कराके दूसरों को भी वारिस जल्दी से जल्दी बना सकता। साधारण कोर्स नहीं, फोर्स का कोर्स। जब आरम्भ किया था, बापदादा ने सिन्ध में आरम्भ किया तो सिन्धी में कहते थे, उस समय झटपट कुल्फी एक पैसा। तो आदि का बोल अभी प्रैक्टिकल होना है। समय को भी वरदान है सिर्फ आप थोड़ा दृढ़ संकल्प करो उड़ाना ही है, चलाना है नहीं, उड़ाना है। तो भोपाल ने चांस लिया यह तो बहुत अच्छा किया। अभी नम्बर लेना। अच्छा।

अच्छा बापदादा ने सभी ज़ोन को वारिस और माइक, प्रभावशाली माइक जिनका अनुभव सुन प्रेरणा आ जाए कि हम भी बनें, किसी को भी सैटिस्फाय कर सकें। सभी ज़ोन लिस्ट भेजना। तो आज बापदादा ने देखा कि देहली वालों ने लिस्ट भेजी है। बापदादा मुबारक दे रहे हैं। तो सभी ज़ोन भेजेंगे तो आपको भी रिजल्ट सुनायेंगे कितने वारिस तैयार हुए हैं। चेकिंग करायेंगे, ऐसे नहीं लिस्ट आई तो मान जायेंगे। गुप्त चेकिंग करायेंगे। तो अच्छा आदि में भी मुबारक और बधाईयां मिली, अभी भी बापदादा एक-एक बच्चे का दिल में नाम ले पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। बाप के पास तो सभी बच्चों का चित्र वतन में इमर्ज है। तो बापदादा ने बच्चों का बर्थ डे मनाया और बच्चों ने बाप का बर्थ डे मनाया, दोनों को मुबारक। अच्छा।

लच्छू दादी से:- अच्छा करती है, सजाती अच्छा है।

दादियों से:- स्नेह में तो है ही। आप स्नेह में नहीं रहेंगे तो वायब्रेशन कैसे मिलेंगे।

मोहिनी बहन से:- ठीक है, ठीक ही रहेंगी। ठीक हो जायेंगी। संकल्प में ताकत है। संकल्प को पूरा कर रही हो। बाप की मदद भी है। बाप की मदद है लेकिन प्यार है ना तो औरों की भी मदद है। अच्छा है।

परदादी से:- आप सालिग्राम को बाप के साथ जन्म की मुबारक हो। मुबारक है, मुबारक है।

शान्तामणि दादी से:- प्यार है ना! बाप से प्यार है। सभी मुबारक देंगे। बहुत अच्छा।

रमेश भाई से:- अच्छा है आगे-आगे बढ़ते जा रहे हैं। बस लक्ष्य रखा है तो सभी एक-दो को सहयोगी बन आगे उड़ते जायेंगे। अभी उड़ना और उड़ाना है। चलने का टाइम पूरा हुआ। जितने हल्के उतने उड़ेंगे। और औरों को भी उड़ायेंगे। अभी सीजन है उड़ाने की। बहुत अच्छा।

(निर्वैर भाई ने सभी की याद दी) सभी को याद देना। जिन्होंने भी यह कार्ड आदि भेजे हैं उन सभी को यादप्यार। वैसे तो देखा होगा लेकिन फिर भी खास यादप्यार भेजना और यही लिखना कि अभी सीजन है उड़ने और उड़ाने की, इसीलिए डबल लाइट।

भूपाल भाई से:- चारों तरफ सब ठीक चल रहा है ना!

(अंकल आंटी और मुरली दादा की याद दी) बापदादा के पास उन्हों का आया है। दोनों ही निमित्त बने हुए हैं, अपने-अपने कार्य के हिसाब से दोनों ही विशेष हैं।

मोहिनी बहन के डाक्टर से:- सिर्फ सेवा नहीं करना लेकिन अपने बाप के प्यार की हिम्मत, उमंग यह भी देना। डबल डाक्टर हो ना तो डबल काम करना।

बापदादा ने अपने हस्तों से झण्डा फहराया:-

आज शिव जयन्ती पर आप और बाप के जन्म दिवस का यादगार यह झण्डा लहराया। आप सबका भी झण्डा लहराया, सालिग्राम हो ना। एक-एक सालिग्राम बाप के साथ के हैं। जैसे बाप की पूजा होती वैसे सालिग्राम की भी होती है। उन सभी की निशानी बिन्दू लगाते हैं। तो शिवरात्रि पर विशेष बिन्दू की महिमा होती है। तो आज तो यह झण्डा लहराया लेकिन वह दिन जल्दी से जल्दी आना है जो सबके बाप के स्नेह का झण्डा लहरायेगा। अभी बाप ने इशारा आज दिया वह आप करेंगे ना, तो प्रत्यक्षता जल्दी से जल्दी होगी। आया कि आया, आपके सामने भी यह दृश्य, सभी के मुख से यह आवाज निकले हमारा बाबा आ गया। अभी तीव्र पुरूषार्थ करके यह समय जल्दी से जल्दी समीप लाना ही है, आना ही है, होना ही है और सबको बोलना ही है। अच्छा –

आप सभी को बापदादा विशेष स्नेह का हार पहना रहे हैं। बढ़ते चलो, उड़ते चलो, उड़ाते चलो। अच्छा।

इन्टरनेशनल कुमारीज रिट्रीट:- कुमारी को पूजते हैं क्योंकि कुमारी शुद्ध है, पवित्र है। तो पवित्रता की पूजा होती है। तो आप अपने को ऐसी पूज्य आत्मा समझती हो, समझती हो? भाषा नहीं समझती हैं। तो कुमारी वह है जो औरों को भी पवित्र रहने की शिक्षा दे करके उनको भी पवित्र बनाये इसलिए आगे बढ़ते रहना, थकना नहीं, किसको देखना नहीं। बाप को फॉलो करो और फॉलो करके बाप के द्वारा अनेक शक्तियों का वरदान लेके आत्माओं को उड़ाओ क्योंकि कुमारियां हल्की हैं, बोझ नहीं है तो औरों को भी ऐसे उड़ाते चलो। बापदादा को आप सबको देख के खुशी है कि एक-एक कुमारी 100 ब्राह्मणों से उत्तम है। इतना अपना स्वमान समझो। बाकी अच्छा किया, ट्रेनिंग की, अभी तैयार होके औरों को ट्रेनिंग कराओ, यह रिजल्ट निकालो। समाचार आयेगा, समाचार देती रहना और यहाँ बाप के पास पहुंच जायेगा। अच्छा है। हिम्मत है, अभी उमंग-उत्साह से उड़ो। अच्छा।

74वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती की मधुबन बेहद घर से सर्व दादियों सहित हम सभी मधुबन निवासी भाई-बहनों की बहुत-बहुत दिल से हार्दिक बधाईयाँ स्वीकार करना जी।

प्यारे बापदादा के साथ हम सबने खूब खुशियाँ मनाई। बापदादा ने अपने हस्तों से झण्डा फहराया। बर्थ डे की गिफ्टी ली और दी। हम सब बापदादा की आशाओं को पूरा कर होली पर अपनी-अपनी रिजल्ट अवश्य देंगें। कै-कै की भाषा को छोड़ क्रोध मुक्त बन सम्पूर्ण पवित्रता का प्रत्यक्ष प्रमाण देंगे। इसी शुभ संकल्प के साथ सबको कोटि-कोटि बधाईयाँ।


20-03-12 ओम शान्ति   अव्यक्त बापदादा   मधुबन


‘‘सन्तुष्टता की शक्ति चेहरे और चलन में धारण कर ब्रह्मा बाप समान बनो, सदा खुश रहो और खुशी बांटों’’

आज चाहे सम्मुख चाहे दूर के सन्तुष्टमणि बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चा अपने सन्तुष्टता की शक्ति से चमकते हुए मुस्कराते मिलन मना रहे हैं। यह सन्तुष्टता की शक्ति सबसे महान है इसलिए इसमें सर्व प्राप्तियां हैं। सन्तुष्टता की शक्ति धारण करने वाली सन्तुष्टमणियां स्वयं को भी प्रिय, बाप को भी प्रिय, परिवार को भी प्रिय हैं क्योंकि सन्तुष्टता जहाँ है वहाँ सर्वशक्तियां सन्तुष्टता में समाई हुई हैं। सन्तुष्टता की शक्ति का वायुमण्डल चारों ओर फैलता है। सन्तुष्टमणि वाली आत्मायें कभी भी माया से हार नहीं खा सकती, माया हार खाती है। सन्तुष्टमणि आत्मायें सर्व की दिल को अपना बना सकती हैं। सन्तुष्टमणि आत्मा चाहे माया, चाहे प्रकृति के भिन्न-भिन्न हलचल को ऐसे अनुभव करती जैसे एक कार्टून को देख रहे हैं। ऐसे हर एक बच्चा अपने को सन्तुष्टता की शक्ति में सम्पन्न समझते हैं? अपने से पूछो कि मैं सन्तुष्टमणि हूँ? कई बच्चे कहते हैं कभी-कभी रहते हैं, सदा नहीं लेकिन कभी-कभी, तो बापदादा को कभी-कभी शब्द अच्छा नहीं लगता है। बापदादा सदा हर एक बच्चे को यादप्यार देते हैं, खुशी देते हैं। तो बापदादा को यह कभी कभी शब्द अच्छा नहीं लगता, सदा खुशनुमा। तो बापदादा यही चाहते हैं कि इस कभी-कभी शब्द को क्या परिवर्तन कर सकते हो! कभी-कभी शब्द ब्राह्मणों की डिक्शनरी में ही नहीं है, सदा। तो क्या आज सभी बच्चे जो बाप के प्यारे, माया के प्रभाव से न्यारे बने हैं, तो क्या आज इस कभी कभी शब्द को समाप्त कर सकते हैं? कर सकते हैं? क्योंकि बापदादा बहुत समय से कह रहे हैं कोई भी हलचल अचानक आनी है। उसकी तैयारी के लिए अगर अभी से कभी कभी के संस्कार होंगे तो क्या सदाकाल के राज्यभाग्य के अधिकारी बन सकेंगे? ब्रह्मा बाप से सबका दिल का प्यार है। ब्रह्मा बाबा से वायदा साथ हैं, साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे। यह वायदा पक्का है ना! कांध हिलाओ। पक्का है? कितना पक्का! ब्रह्मा बाप ने कभीव भी शब्द बोला! आप सबको भी सदा अमृतवेले यादप्यार दिया और सदा बाप के साथ मिलकर ज्ञान की बातें, स्नेह की बातें, उमंग-उल्हास की बातें सुनाई। तो सभी से हाथ उठवायें कि बापदादा से प्यार है तो सभी दो दो हाथ उठायेंगे। है ना! पक्का? जब प्यार है तो प्यार वाले के एक-एक शब्द से भी प्यार होता है। ब्रह्मा बाप ने कभी शिव पिता से यह नहीं कहा कि कभी-कभी होता है। सदा फॉलो फादर किया और साथ में आपको भी कराया क्योंकि ब्रह्मा बाप का बच्चों से जिगरी प्यार है इसीलिए आपका नाम भी क्या है? ब्रह्माकुमारी, शिवकुमारी नाम नहीं है। तो ब्रह्मा बाप से प्यार अर्थात् ब्रह्मा बाप का कहना और ब्रह्माकुमार कुमारी का मानना। प्यार अर्थात् न्योछावर। तो किस पर न्योछावर होंगे? उनकी आज्ञा पर। जो बोला वह किया क्योंकि ब्रह्मा बाप के साथ शिव बाप है। अकेला नहीं। बापदादा, बापदादा कहते हो ना!

तो आज बापदादा कभी-कभी शब्द को हर बच्चे के मुख से समाप्त करने चाहते हैं। तो आप सभी बच्चे बाप के साथी हो। प्यार है ना! प्यार में तो अपने आपको न्योछावर भी कर देते हैं यह तो सिर्फ शब्द को न्योछावर करना है क्योंकि बापदादा हर बच्चे को माला का विजयी रत्न बनाने चाहते हैं। तो अपने को माला का मणका समझते हो? विजयी समझते हो?