संतुष्टमणि आत्मा की दिव्य दर्पणदाता से रूहरिहान
पहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं
इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के
होम से अवतरित हुई हूँ।
मैं कौन हूँ?
मैं आत्मा सदा बेहद में रहती हूँ। मैंने सम्पूर्ण
विश्व के कल्याण के लिए बेहद की जिम्मेवारी ली है
| इस बेहद की जिम्मेवारी को निभाकर मैं ऊँची
स्थिति को पा रही हूँ |
मैं किसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा ! - गुड मॉर्निंग! मैंने अनुभव किया है
कि जब मैं संकल्प करती हूँ कि “मैं गृहस्थी हूँ”
और “मेरे ये सम्बन्धी हैं”, तो मैं मोहमाया के जाल
में फंस जाती हूँ | लेकिन स्मृति परिवर्तन से मैं
इस बंधन को तोड़ रही हूँ | मुझे तो बस यही स्मृति
रखनी है कि “मैं सेवा के मैदान में खड़ी हूँ” और
मुझे सारे विश्व का कल्याण करना है”
बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो | अपनी अलौकिक
जिम्मेवारियों को सदा याद रखो | अगर तुम अपना समय
व संकल्प हद की जिम्मेवारियां निभाने में लगा दोगे
, तुम अपनी वास्तविक जिम्मेवारियों पर ध्यान नहीं
दे पाओगे | हद में रहने से तुम आत्माओं का कल्याण
करने के बजाय और ही उन्हें डिस्टर्ब करोगे |
तुम्हें अलौकिक कार्य न करते देख आत्माएं अलौकिक
बाप से दूर हो जाएँगी | साथ ही हद की
जिम्मेवारियां तुम्हें भोज अनुभव होंगी |
बाबा से प्रेरणाएं:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं।
बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं
बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले
रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता
स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व
शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं
–
ख़ुशी की बातों के स्टॉक व ईश्वरीय संकल्पों के
द्वारा तुम व्यर्थ कर्मों के स्टॉक को खत्म कर
देते हो | इस कारण तुम्हारी रहानियत, वायुमंडल को
शक्तिशाली बना रही है व आत्माओं को परमात्मा की
कर्रेंट का अनुभव करा रही है |
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट -
प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा,
वरदाता बन,
मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता
ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व
आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर
बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात
की अवज्ञा तो नहीं की?
अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी
के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी?
अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस
मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव
से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का
कर के सोऐं।