दिल तख़्तनशी बच्ची की
"मेरे
बाबा"
से रूहरिहान
पहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं
इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के
होम
से अवतरित
हुई हूँ।
मैं कौन हूँ
?
मैं ईश्वरीय परिवार की बच्ची हूँ और बाबा
के दिल तख़्त पर बैठी हूँ। मैं
इस रूहानी परिवार की सदस्य हूँ इसलिये बाबा के दिल
में बैठी हूँ।
मैं किसकी हूँ
?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा
- गुड
मॉर्निंग।
मेरा बाबा!
मुझे ये आभास है की आपके कितने ही बच्चे
क्यों न हों,
हम सब आपके दिल में समाये हुये हैं। मुझे किसी से
रीस करने की आवशकता
नहीं क्योंकि हम सभी का आपके दिल तख़्त पर बराबर
का अधिकार है। बाबा आपका दिल इतना विशाल हैं कि हम
सब उसमे समाये हुये हैं और उसमें औरों को भी समाने
की बेहद शमता है।
बाबा की
आत्मा से
रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो!
मेरे साथ बैठो।
दिल से मेरा बाबा कहते ही मैं तुमको अपने दिलतख्त
पर बैठा
देता हूँ।
यह दिलतख्त तुम्हे स्वराज्य अधिकारी बना रहा है
और तुम राजा बनते जा रहे हो। यह तख़्त तुम्हारे
शासन करने के लिये है। तुम बच्चे अपने राजतिलक और
राजसी तख़्त मिलने का
उत्सव मना रहे हो। इस तख़्त
की स्मृति से तुम बच्चे सर्व
विघ्नो को
सहजता से पार करते जा रहे हो।
बाबा
से
प्रेरणाऐ:
अपने मन को सर्व बातों
से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का
सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त
और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता
स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व
शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं
–
संगम युग पर तुम बच्चों का गायन है
-"सुख
के सागर की संतान,
सुखदेव”।
तुम्हारी नम्रता से चारों ओर रूहानी खुशिओं का
प्रकाश फैल रहा है। यह प्रकाश तुम्हारे संपर्क की
सर्व आत्माओं की आंतरिक सुंदरता को प्रकाशित कर
रहा है और तुम सर्व रचना की प्रिय बनती जा रही हो।
बेहद की सूक्ष्म सेवा:
(आखिरी
के पंद्रह मिनिट
- प्रातः
४:४५
से ५:००
बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा,
वरदाता बन,
मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता
ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व
आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर
बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात
की अवज्ञा तो नहीं की?
अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण
मे बुद्धि तो नही फंसी?
अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग
द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को
मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।